चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
आज में 6‚2″ कद का बिल्कुल गोरा और सुगठित शरीर का 28 साल का आकर्षक नवयुवक हूँ. मेने यहीं चंडीगार्ह से हॉस्टिल में रह कर ग्रॅजुयेट की है और कॉलेज लाइफ में पहलवानी में अच्छा नाम कमाया है. मेरे माता पिता और मेरा दोस्त यहाँ से 250 काइलामीटर दूर एक गाँव में रहते हैं. अब मेरे लिए उस गाँव में रहना और खेती करना संभव नहीं इसलिए पिच्छले 3 साल से यहीं चंडीगार्ह में एक चैन डिपार्ट्मेनल स्टोर में सर्विस में हूँ. मेरा नाम विजय है और मेरे पास 2 बेडरूम का एक मॉडर्न फ्लॅट है जिसमें की में अकेला रहता हूँ.
अब में आपनी आंटी का परिचय आपको दे डून. मेरी आंटी राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5‚10” की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी आंटी का शरीर साँचे में ढली एक प्रातिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गड्राया सा है पर लंभाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता डून की मेरी आंटी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर अंकल के असाध्या रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से आपने इन सारे शौकोन को तिलांजलि दे न्यू एअर है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पातीव्राता स्त्री की तरह आपना समस्त जीवन पाती सेव्य में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी खशी ज़मीन जयदाद है और आंटी छ्होटे दोस्त के साथ खेती बड़ी का काम भी कराती है. मुझे चंडीगार्ह में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में आंटी का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा दोस्त अजय 24 साल का हो गया है. वह भी आंटी और मेरी तरह 6′ लंबा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10त तक पढ़ाई की और उसके बाद अंकल की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का तथा खेती बड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वा थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे च्चती पर बालों का ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन च्चाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा दोस्त बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुवा जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया की अंकल चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. अंकल के सारे करियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम आंटी बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है की कल सुबह ही मेरे साथ आंटी और अजय चंडीगार्ह आ जाएँगे. गाअंव की ज़मीन जायदाद हम चाचजी को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हुमें उचित दाम दिलवा देंगे. चाचजी ने बताया की कम से कम 40 लॅक तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोफर तक हम तीनों आपने लव लश्कर के साथ चंडीगार्ह पाहूंछ गये. माने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा आंटी को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो दोस्त आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साहबुन, शॅमपू, लोशन, करीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंदर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा खशा समापले कलेक्षन था. ये सब आंटी और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कोसमतिक्स आंटी को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ आंटी पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो आंटी मेरे स्टोर में चले जाने के बाद अजय के साथ चंडीगार्ह में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी आपने जवान अंगों को उभराती शहरी महिलाओं को देखते देखते आंटी भी आपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुवा की आंटी दमकने लगी. फिर मुझे पता चला की मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिएवेरी में एक आदमी की ज़रूरात है. वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. आंटी और आजे को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में आंटी का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती आंटी मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में आंटी को कहते रहता था की आज तक का जीवन तो उसने अंकल की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी की में आंटी को वा सारा सुख डून जिससे वा वंचित रही थी. मुझे पता था की मेरी आंटी शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए आंटी को पूचहते रहता था की उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. आंटी मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर आंटी आपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में. मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों दोस्त को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से हमारी जिंदगी आयेज बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुवा था. में आपनी प्रिया आंटी राधा देवी को तीर्तों की शायर करने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टते को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर सर करके आंटी सो गई ओर दूसरी ओर सर करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी आंटी करवट में लेट गई. कुच्छ देर में में भी इस प्रकार करवट में हो गया की आंटी की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11″ लंबा और 4″ डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पेंट में टन गया था. मेने लंड आंटी की सारी के उपर से आंटी की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से दौरे चली जा रही थी जिससे की हमारा डिब्बा एक ले में आयेज पिच्चे हो रहा था. उसी डिब्बे की ले के साथ मेरे लंड भी ठीक आंटी की गान्ड के च्छेद पर ठोकर दे रहा था.
जिस प्रकार सपने में मेरा लंड आंटी की गान्ड पर ठोकर दिए जा रहा था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की में आंटी की गान्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ. तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है. धीरे धीरे में सामानया स्थिति में आने लगा, मुझे नाइट लॅंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा. लेकिन आश्चर्या मेरे लंड पर किसी गुदाज नरम चीज़ का अभी भी दबाव प़ड़ रहा था. कुच्छ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला की मेरा छ्होटा दोस्त अजय जो मेरे साथ ही सोया हुवा था सरक कर मेरी कंबल में आ गया है और वा आपनी गान्ड मेरे लंड पर दबा रहा है. मेरा लंड बिल्कुल खड़ा था. में बिल्कुल दम साढ़े उसी अवस्था में पड़ा रहा. अजय मेरे लंड पर आपनी गान्ड का दबाव देता फिर गान्ड आयेज खींच लेता और फिर दबा देता. एक ले बद्ध तरीके से यह करिया चल रही थी. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की अजय जो कुच्छ भी कर रहा है वा चेतन अवस्था में कर रहा है. थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल हो गया तो मेने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेत कर आपने शरीर के नीचे कर ली और चिट होकर सो गया.
सुबह का वक़्त था और मेरा दिमघ बहुत तेज़ी से पुर घटनाकरम के बड़े में सोच रहा था. आज से पहले कभी भी आंटी मेरी काम-कल्पना (फॅंटेसी) में नहीं आई थी. वैसे कॉलेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, आतेलतिक शरीर होने से लड़कियाँ मुझ पर मार मिट्टी थी लेकिन मेने आपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्रा मारे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी में उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ. हाँ सुंदर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएँ मुझे सदा से ही प्रभावित कराती आई है. मेरी आंटी में ये सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद है. जब से आंटी चंडीगार्ह आई है और आपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान देने लगी है तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रातिदिन निखार निखार कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं. तो आज सुबह के इस सुखद सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं की मेरी आंटी ही मेरे सपनों की रानी है?
अजय जिसे में ज़्यादातर ‘मुन्ना‚ कह कर ही संबोधित कराता हूँ, आख़िर गे (नेगेटिव होमो यानी की लौंडा, मौगा, गान्डू या गान्ड मरवाने का शौकीन) निकला. तो इसका इतना नाज़ुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्या कारण यह है. आजतक मुझे अजय की लड़कीपाने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थी वे सब अब मुझे उसकी कमज़ोरी लगने लगी. यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मीलेपान में धीरे धीरे कमी आ रही है पर अभी भी वा मुझसे बहुत शंका संकोच कराता है. इस बात का पूरा ध्यान रखता है की उससे भैया के सामने कोई असावधानी ना हो जाय. हालाँकि में अजय से बहुत स्नेह रखता हूँ, बहुत खुल के दोस्ठाना तरीके से पेश आता हूँ फिर भी मेरे प्राति अजय के मन में कहीं गहराई में दर च्चिपा है. और आज आपनी काम-भावनाओं के अधीन उस समय जिस समय वा मेरे लंड पर आपनी गान्ड पटक रहा था, यह ख़ौफ़ उसके मन में बिल्कुल नहीं था की भैया को यदि इसका पता चल जाएगा तो भैया उसके बड़े में क्या सोचेंगे? ये सब सोचते सोचते मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरी आँख लग गई. इसके बाद हम दोनो भाइयों के आपने आपने काम पर निकालने तक सब कुच्छ सामानया था.
अब में आपनी आंटी का परिचय आपको दे डून. मेरी आंटी राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5‚10” की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी आंटी का शरीर साँचे में ढली एक प्रातिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गड्राया सा है पर लंभाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता डून की मेरी आंटी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर अंकल के असाध्या रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से आपने इन सारे शौकोन को तिलांजलि दे न्यू एअर है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पातीव्राता स्त्री की तरह आपना समस्त जीवन पाती सेव्य में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी खशी ज़मीन जयदाद है और आंटी छ्होटे दोस्त के साथ खेती बड़ी का काम भी कराती है. मुझे चंडीगार्ह में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में आंटी का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा दोस्त अजय 24 साल का हो गया है. वह भी आंटी और मेरी तरह 6′ लंबा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10त तक पढ़ाई की और उसके बाद अंकल की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का तथा खेती बड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वा थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे च्चती पर बालों का ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन च्चाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा दोस्त बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुवा जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया की अंकल चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. अंकल के सारे करियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम आंटी बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है की कल सुबह ही मेरे साथ आंटी और अजय चंडीगार्ह आ जाएँगे. गाअंव की ज़मीन जायदाद हम चाचजी को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हुमें उचित दाम दिलवा देंगे. चाचजी ने बताया की कम से कम 40 लॅक तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोफर तक हम तीनों आपने लव लश्कर के साथ चंडीगार्ह पाहूंछ गये. माने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा आंटी को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो दोस्त आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साहबुन, शॅमपू, लोशन, करीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंदर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा खशा समापले कलेक्षन था. ये सब आंटी और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कोसमतिक्स आंटी को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ आंटी पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो आंटी मेरे स्टोर में चले जाने के बाद अजय के साथ चंडीगार्ह में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी आपने जवान अंगों को उभराती शहरी महिलाओं को देखते देखते आंटी भी आपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुवा की आंटी दमकने लगी. फिर मुझे पता चला की मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिएवेरी में एक आदमी की ज़रूरात है. वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. आंटी और आजे को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में आंटी का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती आंटी मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में आंटी को कहते रहता था की आज तक का जीवन तो उसने अंकल की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी की में आंटी को वा सारा सुख डून जिससे वा वंचित रही थी. मुझे पता था की मेरी आंटी शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए आंटी को पूचहते रहता था की उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. आंटी मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर आंटी आपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में. मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों दोस्त को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से हमारी जिंदगी आयेज बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुवा था. में आपनी प्रिया आंटी राधा देवी को तीर्तों की शायर करने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टते को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर सर करके आंटी सो गई ओर दूसरी ओर सर करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी आंटी करवट में लेट गई. कुच्छ देर में में भी इस प्रकार करवट में हो गया की आंटी की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11″ लंबा और 4″ डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पेंट में टन गया था. मेने लंड आंटी की सारी के उपर से आंटी की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से दौरे चली जा रही थी जिससे की हमारा डिब्बा एक ले में आयेज पिच्चे हो रहा था. उसी डिब्बे की ले के साथ मेरे लंड भी ठीक आंटी की गान्ड के च्छेद पर ठोकर दे रहा था.
जिस प्रकार सपने में मेरा लंड आंटी की गान्ड पर ठोकर दिए जा रहा था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की में आंटी की गान्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ. तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है. धीरे धीरे में सामानया स्थिति में आने लगा, मुझे नाइट लॅंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा. लेकिन आश्चर्या मेरे लंड पर किसी गुदाज नरम चीज़ का अभी भी दबाव प़ड़ रहा था. कुच्छ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला की मेरा छ्होटा दोस्त अजय जो मेरे साथ ही सोया हुवा था सरक कर मेरी कंबल में आ गया है और वा आपनी गान्ड मेरे लंड पर दबा रहा है. मेरा लंड बिल्कुल खड़ा था. में बिल्कुल दम साढ़े उसी अवस्था में पड़ा रहा. अजय मेरे लंड पर आपनी गान्ड का दबाव देता फिर गान्ड आयेज खींच लेता और फिर दबा देता. एक ले बद्ध तरीके से यह करिया चल रही थी. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की अजय जो कुच्छ भी कर रहा है वा चेतन अवस्था में कर रहा है. थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल हो गया तो मेने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेत कर आपने शरीर के नीचे कर ली और चिट होकर सो गया.
सुबह का वक़्त था और मेरा दिमघ बहुत तेज़ी से पुर घटनाकरम के बड़े में सोच रहा था. आज से पहले कभी भी आंटी मेरी काम-कल्पना (फॅंटेसी) में नहीं आई थी. वैसे कॉलेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, आतेलतिक शरीर होने से लड़कियाँ मुझ पर मार मिट्टी थी लेकिन मेने आपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्रा मारे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी में उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ. हाँ सुंदर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएँ मुझे सदा से ही प्रभावित कराती आई है. मेरी आंटी में ये सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद है. जब से आंटी चंडीगार्ह आई है और आपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान देने लगी है तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रातिदिन निखार निखार कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं. तो आज सुबह के इस सुखद सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं की मेरी आंटी ही मेरे सपनों की रानी है?
अजय जिसे में ज़्यादातर ‘मुन्ना‚ कह कर ही संबोधित कराता हूँ, आख़िर गे (नेगेटिव होमो यानी की लौंडा, मौगा, गान्डू या गान्ड मरवाने का शौकीन) निकला. तो इसका इतना नाज़ुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्या कारण यह है. आजतक मुझे अजय की लड़कीपाने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थी वे सब अब मुझे उसकी कमज़ोरी लगने लगी. यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मीलेपान में धीरे धीरे कमी आ रही है पर अभी भी वा मुझसे बहुत शंका संकोच कराता है. इस बात का पूरा ध्यान रखता है की उससे भैया के सामने कोई असावधानी ना हो जाय. हालाँकि में अजय से बहुत स्नेह रखता हूँ, बहुत खुल के दोस्ठाना तरीके से पेश आता हूँ फिर भी मेरे प्राति अजय के मन में कहीं गहराई में दर च्चिपा है. और आज आपनी काम-भावनाओं के अधीन उस समय जिस समय वा मेरे लंड पर आपनी गान्ड पटक रहा था, यह ख़ौफ़ उसके मन में बिल्कुल नहीं था की भैया को यदि इसका पता चल जाएगा तो भैया उसके बड़े में क्या सोचेंगे? ये सब सोचते सोचते मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरी आँख लग गई. इसके बाद हम दोनो भाइयों के आपने आपने काम पर निकालने तक सब कुच्छ सामानया था.
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
आज स्टोर में भी मेरे मन में रात की घटना घूम रही थी. रह रहा के पूर्ण नौजवान दोस्त का आकर्षक बदन, भोला चेहरा और उसका लड़कीपन आँखों के आयेज च्छा रहा था. रात घर आते समय स्टोर से फॉरिन की 30 कॉंडम का 1 पॅकेट और एक चिकनी वॅसलीन का जर ब्रेइफकसे में डाल ले आया. आज आंटी ने गाजर का हलवा, पूरियाँ, 2 मन पसंद शब्ज्ियाँ, चटनी बना न्यू एअर थी और बहुत ही चाव से पूच्छ पूच्छ कर दोनो भाइयों को खाना खिलाई. खाना खाने के बाद रोज की तरह हम टीवी के सामने बैठे गप्प सपप करने लगे. मेने बात च्छेदी.
“आंटी आज तो तूने इतने प्यार से खिलाया की मज़ा आ गया. ऐसे ही हंस हंस परौसाती रहोगी और चटनी का स्वाद चखती रहोगी तो और कहीं बाहर जाने की दरकार ही नहीं है. सीधे स्टोर से तुम्हारे व्यंजनों का स्वाद लेने घर भाग के आया करूँगा.”
आंटी हंस कर: “वहाँ गाँव में तो तेरे अंकल का, गायों का, खेती बारी का और सौ तरह के काम रहते थे. यहाँ तो थोड़ा सा घर का और खाना बनाने का काम है जो धीरे धीरे कराती रहती हूँ. शाम होते ही तुम दोनों के आने की बात जोती रहती हूँ. तुम दोनों का ही ख़याल नहीं रखूँगी तो ओर किसका रखूँगी. आंटी के परौसे हुए में जो मज़ा है वा दूसरे के हाथों में थोड़े ही है.”
अजय: “हन आंटी, भैया तो तुम्हारी इतनी बड़ाई करते रहते हैं. भैया कहते रहते हैं की बाहर का खाते खाते मन उब गया अब जो घर का स्वाद मिला है तो बस बाहर कहीं जाने का मन ही नहीं कराता.”
में: “हन मुन्ना तुम तो इतने दिनों से आंटी के साथ का मज़ा गाँव में लेते आए हो. अब दोस्त में तो यहाँ घर में ही आंटी के परौसे हुए का पूरा मज़ा लूँगा. जो मज़ा आंटी के हाथ में है वा दूसरी में हो ही नहीं सकता.”
आंटी: “विजय तेरे जैसा माका खायल रखने वाला पाकर में तो धान्या हो गई. मेरी हर इच्छा का तुम कितना ख़याल रखते हो. मेरे बिना बोले ही मेरे मन की बात जान लेते हो. वहाँ गाँव में तुमसे दूर रह कर में कोई बहुत खुश थोड़े ही थी. मन कराता रहता था की तुम्हारे पास चंडीगार्ह कुच्छ दिनों के लिए आ जया करूँ पर तेरे अंकल को उस हालत में छोड़ एक दिन के लिए भी तुम्हारे पास आना नहीं होता था.”
में: “आंटी, तुम्हारे जैसी शौकीन औरात ने कैसे फ़र्ज़ के आयेज मन मार कर आपने सारे शौक और चाहतें छोड़ दी और उसकी पीड़ा को भला मुझसे ज़्यादा कौन समझ सकता है? अब तो मेरा केवल एक ही उद्देश्या रह गया है की आज तक तुझे जो भी खुशी नहीं मिली वा सारी खुशियाँ तुझे एक एक कर के डून. आंटी, तुम खूब साज-धज के चमकती दमकती रहा करो. मेरे स्टोर में एक से एक औरातों के शृंगार की, चमकने दमकने की, पहनने की चीज़ें मौजूद है. तुम्हें वे सब अब में ला कर दूँगा. अब यहाँ खूब शौक से रहा करो.”
आंटी लंबी साँस लेकर: “विजय , ये सब करने की जब उमर और अवस्था थी तब तो मन की साध मन में ही रह गई. अब भला विधवा को यह सब शोभा देगा? आस पड़ोस के लोग भला क्या सोचेंगे?”
में: “आंटी, यह मेट्रो है, यहाँ तो आस पड़ोस वाले एक दूसरे को जानते तक नहीं फिर भला परवाह और फ़िक़ार किसको है? अब तुम गाँव छोड़ कर मेरे जैसे शौकीन और रंगीन तबीयत के बेटे के पास शहर में हो तो तुम गाँव वाली ये बातें छोड़ दो. तुम्हारी उमर को अभी हुवा क्या है? तुम्हारे जैसी मस्त तबीयत की औरातों में तो इस उमर में आ कर आधुनिकता के रंग में रंगने के शौक शुरू होते हैं. क्यों मुन्ना, में ठीक कह रहा हूँ ना. अब तुम भी तो कुच्छ कहो ना.”
अजय: “आंटी, जब भैया को तुम्हारा बन तन के रहना ठीक लगता है ओर साथ साथ तुम भी तो यही चाहती रहती हो तो जो सबको अच्छा लगे वैसे ही रहना चाहिए.”
में: “ओर आंटी, यह विधवा वाली बात तो आपने मन से बिल्कुल निकाल दो. दुनिया कहाँ से कहाँ आयेज बढ़ गई. विदेशों में तो तुम्हारे जैसी शौकीन और मस्त औरातें आज विधवा होती है तो दूसरे ही दिन शादी करके वापस सधवा हो जाती है.”
हम कुच्छ देर तक इसी प्रकार हँसी मज़ाक करते रहे और टीवी भी देखते रहे. फिर आंटी रोज की तरह उठ कर आपने कमरे में सोने चल दी. हम दोनों दोस्त भी आपने कमरे में आ गये. में नाइट पयज़ामे में था. में घर आते ही फ्रेश होकर नाइट ड्रेस चेंज कर लेता हूँ. अजय बाथरूम में चला गया. वापस आया तो वा बिल्कुल टाइट बर्म्यूडा शॉर्ट में था, कई दिनों से वा रात में बॉक्सर या बर्म्यूडा शॉर्ट में ही सोता है. में बेड पर बीचों बीच बैठा हुवा था, अजय भी बेड के किनारे पर मेरे पास बैठ गया.
में मेरे रूम के किंग साइज़ डबल बेड पर टाँगें पसारे बैठा हुवा था और मेरा मक्खन सा चिकना छ्होटा दोस्त अजय मेरे बगल में ही मेरी और मुख किए घुटने मोड़ करवट लिए बैठा था. मेने बात शुरू की,
“मुन्ना देख, शहर में आते ही आंटी कैसे निखारने लगी है. गाअंव में रह कर आंटी ने आपनी पूरी जवानी यूँ ही गँवा दी. ना तो उसे पाती का ही सुख मिला और ना ही सजने सँवारने का. पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़े हुए पापा की सेवा का फ़र्ज़ निभाते निभाते माने ऐसे ही जीवन को आपनी नियती मन लिया है. तूने सुनी ना उसकी बातें; कह रही थी की 46 साल में ही उसके सजने सँवारने के दिन लड़ गये. हमारे स्टोर में 60 – 60 साल की बूधियाँ पाउडर लिपस्टिक पोटके तंग स्कर्ट में आती है. तूने देखी ना?”
अजय: “भैया, धीरे धीरे आंटी भी शहर के रंग में रनगति जा रही है.”
में: “मुन्ना, आंटी बहुत ही शौकीन मिज़ाज की और रंगीन तबीयत की औरात है पर गाँव के दकियानूसी वातावरण मे रह कर थोड़ी झिझक रही है. पर अब तुम देखना, आंटी की सारी झिझक मिटा कर उसे में एक दम शहरी रंग में रंग पूरी मॉडर्न बना दूँगा. बिना मॉडर्न बने आंटी जैसी शौकीन तबीयत की औरात भला आपने शौक कैसे पुर करेगी?” यह कहते कहते में अजय के बिल्कुल करीब आ गया और अजय की पीठ सहलाने लगा.
“आंटी आज तो तूने इतने प्यार से खिलाया की मज़ा आ गया. ऐसे ही हंस हंस परौसाती रहोगी और चटनी का स्वाद चखती रहोगी तो और कहीं बाहर जाने की दरकार ही नहीं है. सीधे स्टोर से तुम्हारे व्यंजनों का स्वाद लेने घर भाग के आया करूँगा.”
आंटी हंस कर: “वहाँ गाँव में तो तेरे अंकल का, गायों का, खेती बारी का और सौ तरह के काम रहते थे. यहाँ तो थोड़ा सा घर का और खाना बनाने का काम है जो धीरे धीरे कराती रहती हूँ. शाम होते ही तुम दोनों के आने की बात जोती रहती हूँ. तुम दोनों का ही ख़याल नहीं रखूँगी तो ओर किसका रखूँगी. आंटी के परौसे हुए में जो मज़ा है वा दूसरे के हाथों में थोड़े ही है.”
अजय: “हन आंटी, भैया तो तुम्हारी इतनी बड़ाई करते रहते हैं. भैया कहते रहते हैं की बाहर का खाते खाते मन उब गया अब जो घर का स्वाद मिला है तो बस बाहर कहीं जाने का मन ही नहीं कराता.”
में: “हन मुन्ना तुम तो इतने दिनों से आंटी के साथ का मज़ा गाँव में लेते आए हो. अब दोस्त में तो यहाँ घर में ही आंटी के परौसे हुए का पूरा मज़ा लूँगा. जो मज़ा आंटी के हाथ में है वा दूसरी में हो ही नहीं सकता.”
आंटी: “विजय तेरे जैसा माका खायल रखने वाला पाकर में तो धान्या हो गई. मेरी हर इच्छा का तुम कितना ख़याल रखते हो. मेरे बिना बोले ही मेरे मन की बात जान लेते हो. वहाँ गाँव में तुमसे दूर रह कर में कोई बहुत खुश थोड़े ही थी. मन कराता रहता था की तुम्हारे पास चंडीगार्ह कुच्छ दिनों के लिए आ जया करूँ पर तेरे अंकल को उस हालत में छोड़ एक दिन के लिए भी तुम्हारे पास आना नहीं होता था.”
में: “आंटी, तुम्हारे जैसी शौकीन औरात ने कैसे फ़र्ज़ के आयेज मन मार कर आपने सारे शौक और चाहतें छोड़ दी और उसकी पीड़ा को भला मुझसे ज़्यादा कौन समझ सकता है? अब तो मेरा केवल एक ही उद्देश्या रह गया है की आज तक तुझे जो भी खुशी नहीं मिली वा सारी खुशियाँ तुझे एक एक कर के डून. आंटी, तुम खूब साज-धज के चमकती दमकती रहा करो. मेरे स्टोर में एक से एक औरातों के शृंगार की, चमकने दमकने की, पहनने की चीज़ें मौजूद है. तुम्हें वे सब अब में ला कर दूँगा. अब यहाँ खूब शौक से रहा करो.”
आंटी लंबी साँस लेकर: “विजय , ये सब करने की जब उमर और अवस्था थी तब तो मन की साध मन में ही रह गई. अब भला विधवा को यह सब शोभा देगा? आस पड़ोस के लोग भला क्या सोचेंगे?”
में: “आंटी, यह मेट्रो है, यहाँ तो आस पड़ोस वाले एक दूसरे को जानते तक नहीं फिर भला परवाह और फ़िक़ार किसको है? अब तुम गाँव छोड़ कर मेरे जैसे शौकीन और रंगीन तबीयत के बेटे के पास शहर में हो तो तुम गाँव वाली ये बातें छोड़ दो. तुम्हारी उमर को अभी हुवा क्या है? तुम्हारे जैसी मस्त तबीयत की औरातों में तो इस उमर में आ कर आधुनिकता के रंग में रंगने के शौक शुरू होते हैं. क्यों मुन्ना, में ठीक कह रहा हूँ ना. अब तुम भी तो कुच्छ कहो ना.”
अजय: “आंटी, जब भैया को तुम्हारा बन तन के रहना ठीक लगता है ओर साथ साथ तुम भी तो यही चाहती रहती हो तो जो सबको अच्छा लगे वैसे ही रहना चाहिए.”
में: “ओर आंटी, यह विधवा वाली बात तो आपने मन से बिल्कुल निकाल दो. दुनिया कहाँ से कहाँ आयेज बढ़ गई. विदेशों में तो तुम्हारे जैसी शौकीन और मस्त औरातें आज विधवा होती है तो दूसरे ही दिन शादी करके वापस सधवा हो जाती है.”
हम कुच्छ देर तक इसी प्रकार हँसी मज़ाक करते रहे और टीवी भी देखते रहे. फिर आंटी रोज की तरह उठ कर आपने कमरे में सोने चल दी. हम दोनों दोस्त भी आपने कमरे में आ गये. में नाइट पयज़ामे में था. में घर आते ही फ्रेश होकर नाइट ड्रेस चेंज कर लेता हूँ. अजय बाथरूम में चला गया. वापस आया तो वा बिल्कुल टाइट बर्म्यूडा शॉर्ट में था, कई दिनों से वा रात में बॉक्सर या बर्म्यूडा शॉर्ट में ही सोता है. में बेड पर बीचों बीच बैठा हुवा था, अजय भी बेड के किनारे पर मेरे पास बैठ गया.
में मेरे रूम के किंग साइज़ डबल बेड पर टाँगें पसारे बैठा हुवा था और मेरा मक्खन सा चिकना छ्होटा दोस्त अजय मेरे बगल में ही मेरी और मुख किए घुटने मोड़ करवट लिए बैठा था. मेने बात शुरू की,
“मुन्ना देख, शहर में आते ही आंटी कैसे निखारने लगी है. गाअंव में रह कर आंटी ने आपनी पूरी जवानी यूँ ही गँवा दी. ना तो उसे पाती का ही सुख मिला और ना ही सजने सँवारने का. पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़े हुए पापा की सेवा का फ़र्ज़ निभाते निभाते माने ऐसे ही जीवन को आपनी नियती मन लिया है. तूने सुनी ना उसकी बातें; कह रही थी की 46 साल में ही उसके सजने सँवारने के दिन लड़ गये. हमारे स्टोर में 60 – 60 साल की बूधियाँ पाउडर लिपस्टिक पोटके तंग स्कर्ट में आती है. तूने देखी ना?”
अजय: “भैया, धीरे धीरे आंटी भी शहर के रंग में रनगति जा रही है.”
में: “मुन्ना, आंटी बहुत ही शौकीन मिज़ाज की और रंगीन तबीयत की औरात है पर गाँव के दकियानूसी वातावरण मे रह कर थोड़ी झिझक रही है. पर अब तुम देखना, आंटी की सारी झिझक मिटा कर उसे में एक दम शहरी रंग में रंग पूरी मॉडर्न बना दूँगा. बिना मॉडर्न बने आंटी जैसी शौकीन तबीयत की औरात भला आपने शौक कैसे पुर करेगी?” यह कहते कहते में अजय के बिल्कुल करीब आ गया और अजय की पीठ सहलाने लगा.
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
अजय: “हन भैया, पहनने ओढ़ने की तो आंटी शुरू से ही शौकीन रही है.”
में अजय की पीठ सहलाते सहलाते हाथ को नीचे ले जाने लगा और आपनी हथेली मस्त दोस्त के फूले हुए चुतताड पर रख दी. चुतताड पर हल्के हल्के 3-4 थपकी दी और बोला, “मेरा मुन्ना भी आंटी की तरह पूरी रंगीन तबीयत का है. अरे मुन्ना में तो तुम्हें सीधा साधा और भोला भाला समझता था पर तुम तो पुर चुपे रुस्तम निकले.”
अजय के चुतताड सहलाते सहलाते आपनी इंडेक्स फिंगर से अजय की बर्म्यूडा शॉर्ट के उपर से गान्ड खोदते हुए मेने कहा, “हूँ पुर शौकीन हो. इसकी जी खोल के मस्ती लेते हो.” मेरी बात सुनते ही अजय का चेहरा लाल हो गया. वा बूरी तरह से झेंप गया. उसने गर्दन झुका ली और नीचे देखने लगा. में आपने चिकने दोस्त की इस शर्म और झेंप का पूरा मज़ा लेना चाहता था.
अब में अजय की फूली हुई गान्ड पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेराते फेराते उसका गुदाज चुतताड मुट्ठी में कस लेता और ज़ोर से दबा देता. फिर दोस्त को आपनी और खींच कर उसके सर को आपनी च्चती पर टीका लिया और उसके सर को उपर उठा उसकी आँखों में झाँकते कहा, “मेरा मुन्ना बड़ा प्यारा, चिकना मस्त लौंडा है और तुम्हारी इस फूली फूली चीज़ पर तो भैया की तबीयत आ गई. तुम भी तो कम नहीं हो , आपनी इस मस्ठानी चीज़ का खुल के मज़ा लूटते हो और गाँव वालों को भी इसका मज़ा लुटवाते हो.” अब में शॉर्ट के उपर से उसकी गान्ड में अंगुल करने लगा और बोला, “अब भैया तुझे छोड़ने वाले नहीं. तेरे इस गोल च्छेद का खुल के मज़ा लेंगे. क्यों देगा ना?”
अजय: “भैया मुझे शरम आती है.”
“अरे शरमाता क्यों है? मुन्ना तुम हो ही इतना मस्त, मक्खन सा चिकना, इतना प्यारा की किसी का भी खड़ा कर दो. जब से मुझे पता चला की तुम शौकीन हो तो मेरा भी लओंडेबाज़ी का शौक जाग उठा. अब दोस्त हम तो तुम्हारी इस मस्ठानी गान्ड का पूरा मज़ा लेंगे.” यह कह में अजय के होंठों पर आपनी ज़ुबान फिराने लगा. में आपने छ्होटे दोस्त को बहुत ही कामुक भाव से देखता हुवा उसकी लाज शरम से भारी कमसिनी पर लार टपका रहा था. में उसके साथ खुल के ऐयाशी करना चाहता था. ऐसे मस्त चिकने लौंदे के साथ लौड़ेबाज़ी का पूरा लुत्फ़ लेना चाहता था. अजय के होंठो पर कामुक अंदाज़ में ज़ुबान फेराते फेराते मेने उसके गुलाबी होंठ आपने होंठों में कस लिए और दोस्त के होंठों का रास्पान करने लगा.
अजय फिर नीचे देखना लगा. मेरा 11″ लूंबा और 4″ मोटा हल्लाबी लॅंड फुफ्कार मार रहा था. वा पयज़ामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था. अजय के प्राति आज तक जो मेरे मन में स्नेह भरा प्यार था वा अब वासनात्मक प्यार बन गया था. में आपने खड़े लंड को पयज़ामे के उपर से पकड़ हिला हिला नीचे देखते हुए अजय को दिखाने लगा. साथ ही उसकी गान्ड में इंडेक्स फिंगर भी धंसा रहा था. फिर मेने कहा‚
“मुन्ना देख पयज़ामे में कैसे तेरेवाली में जाने के लिए मचल रहा है. एक बार मेरेवालेका मज़ा लेलेगा ना तो भैया का दीवाना हो जाएगा. तेरी बहुत प्यार से पूरी चिकनी करके लूँगा. बोल भैया से पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना.”
अजय: “भैया बगल के कमरे में आंटी सोई हुई है कहीं आंटी को पता चल जाएगा तो.”
में: “अरे आंटी की चिंता छोड़. उसके पास तो आगेवली भी है और पिच्छेवली भी है. जब तुम से पिच्छेवली की खााज बर्दास्त नहीं होती तो आपनी मस्त और मज़े लेने की शौकीन आंटी आयेज और पिच्चे दोनो जगह की खाज कैसे बर्दास्त कराती होगी? पता चल जाएगा तो देखना दोनो भाइयों को आगेवली का और पिच्छेवली का दोनों का स्वाद चखाएगी. पर मुन्ना, आंटी राज़ी राज़ी देगी तो तू आंटी की लेलेगा ना?”
अजय: “भैया आप बहुत गंदी गंदी बातें करते हो.”
में: “अभी तो सिर्फ़ बातें ही की है लेकिन जब तुम्हारी ये मक्खन सी मुलायम गान्ड तबीयत से लूँगा तब देखना तुम खुद ही पिच्चे तेल तेल मरवाओगे. जैसी तुम्हारी भैया मारेंगे ना वैसी तुम्हारी आज तक किसी ने भी नहीं मारी होगी.” अजय को पयज़ामे के उपर से लंड दिखाते हुए, “देख भैया का जब यह धीरे धीरे अंदर जाएगा ना तो तुम सबको भूल जाएगा. इसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ भैया से ही मरवाएगा. बोल भैया को आपने उपर चढ़ाएगा ना?”
अजय: “मुझे शरम आती है. मुझे कुच्छ भी नहीं कहना. आप जो चाहो वो करो.”
में: “अरे तुम तो सुहागरात के दिन जैसे दुल्हन शरमाती है वैसे शर्मा रहे हो. दोस्त तुम्हारी इस अदा पे तो हम फिदा हो गये. हमने तो आज से तुमको ही आपनी दुल्हन मन लिया. आज तो तेरे सैंया तेरा खुल के मज़ा लेंगे.” यह कह मेने अजय के शॉर्ट में हाथ डाल दिया और उसके गान्ड के च्छेद में अंगुल धंसा दी और कहा, “अरे तेरी तो भीतर से भट्टी जैसी गरम है. इसमें जाने से भैया का तो राख में जैसे सकर्कंड सिकटा है वैसा स्क जाएगा. क्यों भैया का सिका हुवा सकर्कंड खाएगा? खेतों के सकर्कंड भूल जाएगा.”
अजय: “भैया आप जो खिलाएँगे वही खा लूँगा.”
में: “मुन्ना, कौन से मुख से खाएगा? नीचेवालेसए या उपरवाले से.”
अजय: “भैया दोनो से.”
मेने अजय को मेरे सामने चोपाया बना दिया और उसका बर्म्यूडा चड़़ी सहित नीचे सरका टाँगों से बाहर निकाल दिया. अजय की एकदम चिकनी, फूली हुई बिल्कुल गोरी गान्ड आपनी पूर्ण च्चता के साथ मेरी आँखों के सामने थी. बीचों बीच बड़ा सा खुला हुवा गोल च्छेद मुझे निमंत्रण दे रहा था. गोल च्छेद से भीतर का गुलबीपन साफ दिख रहा था. में आपने चिकने दोस्त की मस्त गान्ड के मदहोश कर देने वाले नज़ारे से कई देर तक नयन सुख लेता रहा. में सपाट गान्ड पर हाथ फेर रहा था. बीच बीच में अंगुल से गान्ड का च्छेद भी खोद देता था. फिर दोनो हाथों से गान्ड का च्छेद फैलाआया तो अजय की गान्ड चोदी होने लगी. में बहुत खुश हुवा की यह मेरा 11 का लंबा और मोटा लंड आराम से आपने अंदर लेलेगा.
में अजय की पीठ सहलाते सहलाते हाथ को नीचे ले जाने लगा और आपनी हथेली मस्त दोस्त के फूले हुए चुतताड पर रख दी. चुतताड पर हल्के हल्के 3-4 थपकी दी और बोला, “मेरा मुन्ना भी आंटी की तरह पूरी रंगीन तबीयत का है. अरे मुन्ना में तो तुम्हें सीधा साधा और भोला भाला समझता था पर तुम तो पुर चुपे रुस्तम निकले.”
अजय के चुतताड सहलाते सहलाते आपनी इंडेक्स फिंगर से अजय की बर्म्यूडा शॉर्ट के उपर से गान्ड खोदते हुए मेने कहा, “हूँ पुर शौकीन हो. इसकी जी खोल के मस्ती लेते हो.” मेरी बात सुनते ही अजय का चेहरा लाल हो गया. वा बूरी तरह से झेंप गया. उसने गर्दन झुका ली और नीचे देखने लगा. में आपने चिकने दोस्त की इस शर्म और झेंप का पूरा मज़ा लेना चाहता था.
अब में अजय की फूली हुई गान्ड पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेराते फेराते उसका गुदाज चुतताड मुट्ठी में कस लेता और ज़ोर से दबा देता. फिर दोस्त को आपनी और खींच कर उसके सर को आपनी च्चती पर टीका लिया और उसके सर को उपर उठा उसकी आँखों में झाँकते कहा, “मेरा मुन्ना बड़ा प्यारा, चिकना मस्त लौंडा है और तुम्हारी इस फूली फूली चीज़ पर तो भैया की तबीयत आ गई. तुम भी तो कम नहीं हो , आपनी इस मस्ठानी चीज़ का खुल के मज़ा लूटते हो और गाँव वालों को भी इसका मज़ा लुटवाते हो.” अब में शॉर्ट के उपर से उसकी गान्ड में अंगुल करने लगा और बोला, “अब भैया तुझे छोड़ने वाले नहीं. तेरे इस गोल च्छेद का खुल के मज़ा लेंगे. क्यों देगा ना?”
अजय: “भैया मुझे शरम आती है.”
“अरे शरमाता क्यों है? मुन्ना तुम हो ही इतना मस्त, मक्खन सा चिकना, इतना प्यारा की किसी का भी खड़ा कर दो. जब से मुझे पता चला की तुम शौकीन हो तो मेरा भी लओंडेबाज़ी का शौक जाग उठा. अब दोस्त हम तो तुम्हारी इस मस्ठानी गान्ड का पूरा मज़ा लेंगे.” यह कह में अजय के होंठों पर आपनी ज़ुबान फिराने लगा. में आपने छ्होटे दोस्त को बहुत ही कामुक भाव से देखता हुवा उसकी लाज शरम से भारी कमसिनी पर लार टपका रहा था. में उसके साथ खुल के ऐयाशी करना चाहता था. ऐसे मस्त चिकने लौंदे के साथ लौड़ेबाज़ी का पूरा लुत्फ़ लेना चाहता था. अजय के होंठो पर कामुक अंदाज़ में ज़ुबान फेराते फेराते मेने उसके गुलाबी होंठ आपने होंठों में कस लिए और दोस्त के होंठों का रास्पान करने लगा.
अजय फिर नीचे देखना लगा. मेरा 11″ लूंबा और 4″ मोटा हल्लाबी लॅंड फुफ्कार मार रहा था. वा पयज़ामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था. अजय के प्राति आज तक जो मेरे मन में स्नेह भरा प्यार था वा अब वासनात्मक प्यार बन गया था. में आपने खड़े लंड को पयज़ामे के उपर से पकड़ हिला हिला नीचे देखते हुए अजय को दिखाने लगा. साथ ही उसकी गान्ड में इंडेक्स फिंगर भी धंसा रहा था. फिर मेने कहा‚
“मुन्ना देख पयज़ामे में कैसे तेरेवाली में जाने के लिए मचल रहा है. एक बार मेरेवालेका मज़ा लेलेगा ना तो भैया का दीवाना हो जाएगा. तेरी बहुत प्यार से पूरी चिकनी करके लूँगा. बोल भैया से पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना.”
अजय: “भैया बगल के कमरे में आंटी सोई हुई है कहीं आंटी को पता चल जाएगा तो.”
में: “अरे आंटी की चिंता छोड़. उसके पास तो आगेवली भी है और पिच्छेवली भी है. जब तुम से पिच्छेवली की खााज बर्दास्त नहीं होती तो आपनी मस्त और मज़े लेने की शौकीन आंटी आयेज और पिच्चे दोनो जगह की खाज कैसे बर्दास्त कराती होगी? पता चल जाएगा तो देखना दोनो भाइयों को आगेवली का और पिच्छेवली का दोनों का स्वाद चखाएगी. पर मुन्ना, आंटी राज़ी राज़ी देगी तो तू आंटी की लेलेगा ना?”
अजय: “भैया आप बहुत गंदी गंदी बातें करते हो.”
में: “अभी तो सिर्फ़ बातें ही की है लेकिन जब तुम्हारी ये मक्खन सी मुलायम गान्ड तबीयत से लूँगा तब देखना तुम खुद ही पिच्चे तेल तेल मरवाओगे. जैसी तुम्हारी भैया मारेंगे ना वैसी तुम्हारी आज तक किसी ने भी नहीं मारी होगी.” अजय को पयज़ामे के उपर से लंड दिखाते हुए, “देख भैया का जब यह धीरे धीरे अंदर जाएगा ना तो तुम सबको भूल जाएगा. इसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ भैया से ही मरवाएगा. बोल भैया को आपने उपर चढ़ाएगा ना?”
अजय: “मुझे शरम आती है. मुझे कुच्छ भी नहीं कहना. आप जो चाहो वो करो.”
में: “अरे तुम तो सुहागरात के दिन जैसे दुल्हन शरमाती है वैसे शर्मा रहे हो. दोस्त तुम्हारी इस अदा पे तो हम फिदा हो गये. हमने तो आज से तुमको ही आपनी दुल्हन मन लिया. आज तो तेरे सैंया तेरा खुल के मज़ा लेंगे.” यह कह मेने अजय के शॉर्ट में हाथ डाल दिया और उसके गान्ड के च्छेद में अंगुल धंसा दी और कहा, “अरे तेरी तो भीतर से भट्टी जैसी गरम है. इसमें जाने से भैया का तो राख में जैसे सकर्कंड सिकटा है वैसा स्क जाएगा. क्यों भैया का सिका हुवा सकर्कंड खाएगा? खेतों के सकर्कंड भूल जाएगा.”
अजय: “भैया आप जो खिलाएँगे वही खा लूँगा.”
में: “मुन्ना, कौन से मुख से खाएगा? नीचेवालेसए या उपरवाले से.”
अजय: “भैया दोनो से.”
मेने अजय को मेरे सामने चोपाया बना दिया और उसका बर्म्यूडा चड़़ी सहित नीचे सरका टाँगों से बाहर निकाल दिया. अजय की एकदम चिकनी, फूली हुई बिल्कुल गोरी गान्ड आपनी पूर्ण च्चता के साथ मेरी आँखों के सामने थी. बीचों बीच बड़ा सा खुला हुवा गोल च्छेद मुझे निमंत्रण दे रहा था. गोल च्छेद से भीतर का गुलबीपन साफ दिख रहा था. में आपने चिकने दोस्त की मस्त गान्ड के मदहोश कर देने वाले नज़ारे से कई देर तक नयन सुख लेता रहा. में सपाट गान्ड पर हाथ फेर रहा था. बीच बीच में अंगुल से गान्ड का च्छेद भी खोद देता था. फिर दोनो हाथों से गान्ड का च्छेद फैलाआया तो अजय की गान्ड चोदी होने लगी. में बहुत खुश हुवा की यह मेरा 11 का लंबा और मोटा लंड आराम से आपने अंदर लेलेगा.