चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
Posted: 19 Aug 2015 12:54
आज में 6‚2″ कद का बिल्कुल गोरा और सुगठित शरीर का 28 साल का आकर्षक नवयुवक हूँ. मेने यहीं चंडीगार्ह से हॉस्टिल में रह कर ग्रॅजुयेट की है और कॉलेज लाइफ में पहलवानी में अच्छा नाम कमाया है. मेरे माता पिता और मेरा दोस्त यहाँ से 250 काइलामीटर दूर एक गाँव में रहते हैं. अब मेरे लिए उस गाँव में रहना और खेती करना संभव नहीं इसलिए पिच्छले 3 साल से यहीं चंडीगार्ह में एक चैन डिपार्ट्मेनल स्टोर में सर्विस में हूँ. मेरा नाम विजय है और मेरे पास 2 बेडरूम का एक मॉडर्न फ्लॅट है जिसमें की में अकेला रहता हूँ.
अब में आपनी आंटी का परिचय आपको दे डून. मेरी आंटी राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5‚10” की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी आंटी का शरीर साँचे में ढली एक प्रातिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गड्राया सा है पर लंभाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता डून की मेरी आंटी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर अंकल के असाध्या रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से आपने इन सारे शौकोन को तिलांजलि दे न्यू एअर है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पातीव्राता स्त्री की तरह आपना समस्त जीवन पाती सेव्य में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी खशी ज़मीन जयदाद है और आंटी छ्होटे दोस्त के साथ खेती बड़ी का काम भी कराती है. मुझे चंडीगार्ह में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में आंटी का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा दोस्त अजय 24 साल का हो गया है. वह भी आंटी और मेरी तरह 6′ लंबा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10त तक पढ़ाई की और उसके बाद अंकल की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का तथा खेती बड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वा थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे च्चती पर बालों का ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन च्चाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा दोस्त बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुवा जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया की अंकल चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. अंकल के सारे करियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम आंटी बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है की कल सुबह ही मेरे साथ आंटी और अजय चंडीगार्ह आ जाएँगे. गाअंव की ज़मीन जायदाद हम चाचजी को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हुमें उचित दाम दिलवा देंगे. चाचजी ने बताया की कम से कम 40 लॅक तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोफर तक हम तीनों आपने लव लश्कर के साथ चंडीगार्ह पाहूंछ गये. माने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा आंटी को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो दोस्त आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साहबुन, शॅमपू, लोशन, करीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंदर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा खशा समापले कलेक्षन था. ये सब आंटी और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कोसमतिक्स आंटी को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ आंटी पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो आंटी मेरे स्टोर में चले जाने के बाद अजय के साथ चंडीगार्ह में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी आपने जवान अंगों को उभराती शहरी महिलाओं को देखते देखते आंटी भी आपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुवा की आंटी दमकने लगी. फिर मुझे पता चला की मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिएवेरी में एक आदमी की ज़रूरात है. वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. आंटी और आजे को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में आंटी का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती आंटी मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में आंटी को कहते रहता था की आज तक का जीवन तो उसने अंकल की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी की में आंटी को वा सारा सुख डून जिससे वा वंचित रही थी. मुझे पता था की मेरी आंटी शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए आंटी को पूचहते रहता था की उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. आंटी मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर आंटी आपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में. मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों दोस्त को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से हमारी जिंदगी आयेज बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुवा था. में आपनी प्रिया आंटी राधा देवी को तीर्तों की शायर करने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टते को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर सर करके आंटी सो गई ओर दूसरी ओर सर करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी आंटी करवट में लेट गई. कुच्छ देर में में भी इस प्रकार करवट में हो गया की आंटी की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11″ लंबा और 4″ डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पेंट में टन गया था. मेने लंड आंटी की सारी के उपर से आंटी की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से दौरे चली जा रही थी जिससे की हमारा डिब्बा एक ले में आयेज पिच्चे हो रहा था. उसी डिब्बे की ले के साथ मेरे लंड भी ठीक आंटी की गान्ड के च्छेद पर ठोकर दे रहा था.
जिस प्रकार सपने में मेरा लंड आंटी की गान्ड पर ठोकर दिए जा रहा था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की में आंटी की गान्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ. तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है. धीरे धीरे में सामानया स्थिति में आने लगा, मुझे नाइट लॅंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा. लेकिन आश्चर्या मेरे लंड पर किसी गुदाज नरम चीज़ का अभी भी दबाव प़ड़ रहा था. कुच्छ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला की मेरा छ्होटा दोस्त अजय जो मेरे साथ ही सोया हुवा था सरक कर मेरी कंबल में आ गया है और वा आपनी गान्ड मेरे लंड पर दबा रहा है. मेरा लंड बिल्कुल खड़ा था. में बिल्कुल दम साढ़े उसी अवस्था में पड़ा रहा. अजय मेरे लंड पर आपनी गान्ड का दबाव देता फिर गान्ड आयेज खींच लेता और फिर दबा देता. एक ले बद्ध तरीके से यह करिया चल रही थी. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की अजय जो कुच्छ भी कर रहा है वा चेतन अवस्था में कर रहा है. थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल हो गया तो मेने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेत कर आपने शरीर के नीचे कर ली और चिट होकर सो गया.
सुबह का वक़्त था और मेरा दिमघ बहुत तेज़ी से पुर घटनाकरम के बड़े में सोच रहा था. आज से पहले कभी भी आंटी मेरी काम-कल्पना (फॅंटेसी) में नहीं आई थी. वैसे कॉलेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, आतेलतिक शरीर होने से लड़कियाँ मुझ पर मार मिट्टी थी लेकिन मेने आपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्रा मारे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी में उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ. हाँ सुंदर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएँ मुझे सदा से ही प्रभावित कराती आई है. मेरी आंटी में ये सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद है. जब से आंटी चंडीगार्ह आई है और आपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान देने लगी है तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रातिदिन निखार निखार कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं. तो आज सुबह के इस सुखद सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं की मेरी आंटी ही मेरे सपनों की रानी है?
अजय जिसे में ज़्यादातर ‘मुन्ना‚ कह कर ही संबोधित कराता हूँ, आख़िर गे (नेगेटिव होमो यानी की लौंडा, मौगा, गान्डू या गान्ड मरवाने का शौकीन) निकला. तो इसका इतना नाज़ुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्या कारण यह है. आजतक मुझे अजय की लड़कीपाने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थी वे सब अब मुझे उसकी कमज़ोरी लगने लगी. यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मीलेपान में धीरे धीरे कमी आ रही है पर अभी भी वा मुझसे बहुत शंका संकोच कराता है. इस बात का पूरा ध्यान रखता है की उससे भैया के सामने कोई असावधानी ना हो जाय. हालाँकि में अजय से बहुत स्नेह रखता हूँ, बहुत खुल के दोस्ठाना तरीके से पेश आता हूँ फिर भी मेरे प्राति अजय के मन में कहीं गहराई में दर च्चिपा है. और आज आपनी काम-भावनाओं के अधीन उस समय जिस समय वा मेरे लंड पर आपनी गान्ड पटक रहा था, यह ख़ौफ़ उसके मन में बिल्कुल नहीं था की भैया को यदि इसका पता चल जाएगा तो भैया उसके बड़े में क्या सोचेंगे? ये सब सोचते सोचते मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरी आँख लग गई. इसके बाद हम दोनो भाइयों के आपने आपने काम पर निकालने तक सब कुच्छ सामानया था.
अब में आपनी आंटी का परिचय आपको दे डून. मेरी आंटी राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5‚10” की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी आंटी का शरीर साँचे में ढली एक प्रातिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गड्राया सा है पर लंभाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता डून की मेरी आंटी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर अंकल के असाध्या रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से आपने इन सारे शौकोन को तिलांजलि दे न्यू एअर है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पातीव्राता स्त्री की तरह आपना समस्त जीवन पाती सेव्य में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी खशी ज़मीन जयदाद है और आंटी छ्होटे दोस्त के साथ खेती बड़ी का काम भी कराती है. मुझे चंडीगार्ह में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में आंटी का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा दोस्त अजय 24 साल का हो गया है. वह भी आंटी और मेरी तरह 6′ लंबा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10त तक पढ़ाई की और उसके बाद अंकल की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का तथा खेती बड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वा थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे च्चती पर बालों का ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन च्चाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा दोस्त बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुवा जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया की अंकल चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. अंकल के सारे करियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम आंटी बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है की कल सुबह ही मेरे साथ आंटी और अजय चंडीगार्ह आ जाएँगे. गाअंव की ज़मीन जायदाद हम चाचजी को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हुमें उचित दाम दिलवा देंगे. चाचजी ने बताया की कम से कम 40 लॅक तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोफर तक हम तीनों आपने लव लश्कर के साथ चंडीगार्ह पाहूंछ गये. माने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा आंटी को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो दोस्त आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साहबुन, शॅमपू, लोशन, करीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंदर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा खशा समापले कलेक्षन था. ये सब आंटी और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कोसमतिक्स आंटी को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ आंटी पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो आंटी मेरे स्टोर में चले जाने के बाद अजय के साथ चंडीगार्ह में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी आपने जवान अंगों को उभराती शहरी महिलाओं को देखते देखते आंटी भी आपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुवा की आंटी दमकने लगी. फिर मुझे पता चला की मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिएवेरी में एक आदमी की ज़रूरात है. वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. आंटी और आजे को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में आंटी का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती आंटी मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में आंटी को कहते रहता था की आज तक का जीवन तो उसने अंकल की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी की में आंटी को वा सारा सुख डून जिससे वा वंचित रही थी. मुझे पता था की मेरी आंटी शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए आंटी को पूचहते रहता था की उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. आंटी मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर आंटी आपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में. मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों दोस्त को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से हमारी जिंदगी आयेज बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुवा था. में आपनी प्रिया आंटी राधा देवी को तीर्तों की शायर करने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टते को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर सर करके आंटी सो गई ओर दूसरी ओर सर करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी आंटी करवट में लेट गई. कुच्छ देर में में भी इस प्रकार करवट में हो गया की आंटी की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11″ लंबा और 4″ डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पेंट में टन गया था. मेने लंड आंटी की सारी के उपर से आंटी की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से दौरे चली जा रही थी जिससे की हमारा डिब्बा एक ले में आयेज पिच्चे हो रहा था. उसी डिब्बे की ले के साथ मेरे लंड भी ठीक आंटी की गान्ड के च्छेद पर ठोकर दे रहा था.
जिस प्रकार सपने में मेरा लंड आंटी की गान्ड पर ठोकर दिए जा रहा था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की में आंटी की गान्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ. तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है. धीरे धीरे में सामानया स्थिति में आने लगा, मुझे नाइट लॅंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा. लेकिन आश्चर्या मेरे लंड पर किसी गुदाज नरम चीज़ का अभी भी दबाव प़ड़ रहा था. कुच्छ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला की मेरा छ्होटा दोस्त अजय जो मेरे साथ ही सोया हुवा था सरक कर मेरी कंबल में आ गया है और वा आपनी गान्ड मेरे लंड पर दबा रहा है. मेरा लंड बिल्कुल खड़ा था. में बिल्कुल दम साढ़े उसी अवस्था में पड़ा रहा. अजय मेरे लंड पर आपनी गान्ड का दबाव देता फिर गान्ड आयेज खींच लेता और फिर दबा देता. एक ले बद्ध तरीके से यह करिया चल रही थी. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की अजय जो कुच्छ भी कर रहा है वा चेतन अवस्था में कर रहा है. थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल हो गया तो मेने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेत कर आपने शरीर के नीचे कर ली और चिट होकर सो गया.
सुबह का वक़्त था और मेरा दिमघ बहुत तेज़ी से पुर घटनाकरम के बड़े में सोच रहा था. आज से पहले कभी भी आंटी मेरी काम-कल्पना (फॅंटेसी) में नहीं आई थी. वैसे कॉलेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, आतेलतिक शरीर होने से लड़कियाँ मुझ पर मार मिट्टी थी लेकिन मेने आपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्रा मारे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी में उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ. हाँ सुंदर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएँ मुझे सदा से ही प्रभावित कराती आई है. मेरी आंटी में ये सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद है. जब से आंटी चंडीगार्ह आई है और आपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान देने लगी है तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रातिदिन निखार निखार कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं. तो आज सुबह के इस सुखद सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं की मेरी आंटी ही मेरे सपनों की रानी है?
अजय जिसे में ज़्यादातर ‘मुन्ना‚ कह कर ही संबोधित कराता हूँ, आख़िर गे (नेगेटिव होमो यानी की लौंडा, मौगा, गान्डू या गान्ड मरवाने का शौकीन) निकला. तो इसका इतना नाज़ुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्या कारण यह है. आजतक मुझे अजय की लड़कीपाने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थी वे सब अब मुझे उसकी कमज़ोरी लगने लगी. यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मीलेपान में धीरे धीरे कमी आ रही है पर अभी भी वा मुझसे बहुत शंका संकोच कराता है. इस बात का पूरा ध्यान रखता है की उससे भैया के सामने कोई असावधानी ना हो जाय. हालाँकि में अजय से बहुत स्नेह रखता हूँ, बहुत खुल के दोस्ठाना तरीके से पेश आता हूँ फिर भी मेरे प्राति अजय के मन में कहीं गहराई में दर च्चिपा है. और आज आपनी काम-भावनाओं के अधीन उस समय जिस समय वा मेरे लंड पर आपनी गान्ड पटक रहा था, यह ख़ौफ़ उसके मन में बिल्कुल नहीं था की भैया को यदि इसका पता चल जाएगा तो भैया उसके बड़े में क्या सोचेंगे? ये सब सोचते सोचते मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरी आँख लग गई. इसके बाद हम दोनो भाइयों के आपने आपने काम पर निकालने तक सब कुच्छ सामानया था.