एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“पूछो मत सिर बिजली है बिजली” विजय ने कहा.
“ह्म ये तो दो दिन बाद आने वाली थी इतनी जल्दी कैसे तपाक पड़ी?” चौहान ने कहा.
“सिर आपको तुरंत बुलाया है उन्होने…जल्दी जाओ कही नाराज़ हो जायें” विजय ने कहा.
“ठीक है मैं जा रहा हूँ उनके कमरे में….तुम यही रूको.”
“जी सिर”
चौहान आस्प शालिनी ठाकुर के कमरे में घुस्स जाता है.
“गुड मॉर्निंग मेडम, ई आम इनस्पेक्टर रंजीत चौहान…सॉरी मुझे पता नही था की आपने आज से ही जाय्न कर लिया है”
“गुड मॉर्निंग, बैठो….ये क्या चल रहा है शहर में”
“सब ठीक ही है मेडम बस ये सीरियल किल्लर के केस ने परेशान कर रखा है” चौहान ने कहा.
“ऐसी परेशानी हॅंडल करना हमारी ड्यूटी है मिस्टर चौहान आप ऐसी बाते करेंगे तो कैसे चलेगा. मेरे सामने आगे से ऐसी बात मत करना.”
“सॉरी मेडम” चौहान ने कहा.
“ऐसा कैसे हो गया की वितनेस को मार कर चला गया कोई और हम कुछ नही कर पाए. साथ में दो कॉन्स्टेबल भी मारे गये. यही एफीशियेन्सी है यहा पर पुलिस की” शालिनी ने कहा.
“ये सीरियल किल्लर बहुत ख़तरनाक है मेडम…आप अभी नये हो आपको ये सब समझने में देर लगेगी”
“शूट उप….मैं नयी बेशकहूँ पर बेवकूफ़ नही….तुम इसे केस को बिल्कुल भी हॅंडल नही कर पा रहे”
“नही मेडम ऐसी बात नही है…कातिल की पहचान तो हो ही चुकी है….वो जल्दी पकड़ी जाएगी”
“मुझे रिज़ल्ट चाहिए मिस्टर चौहान वरना तुम्हारी छुट्टी समझे…मुझे इसे केस की पल-पल की रिपोर्ट चाहिए….. इस तट क्लियर?”
“जी मेडम जैसा आपका हुकाँ” चौहान की बोलती बंद हो चुकी थी. बड़ी मुस्किल से बोल पाया बेचारा.
“और हाँ मैं ये फाइल देख रही थी…..ये राजवीर सिंग है कोई…सब इनस्पेक्टर के लिए सेलेक्षन हुई थी इश्कि. यहा पर अब तक उष्की जाय्निंग क्यों नही ली गयी”
“मैं देख लेता हूँ मेडम मुझे इशके बड़े में जानकारी नही है..”
“शाम तक इश्कि भी रिपोर्ट देना मुझे…. जाओ अब”
“जी मेडम”
चौहान बाहर आ जाता है. विजय उसे देख कर उशके पास आता है.
“क्या हुवा सिर, आपके माथे पर तो पसीने हैं”
“पूछो मत….कयामत आ गयी है हमारे सिर पर. साली ने खूब दांता मुझे. आज तक ऐसा नही हुवा मेरे साथ.”
“सिर वो हमारी बॉस है..”
“अरे बॉस है तो क्या कुछ भी बोलेंगी…”
“क्या कहा उन्होने?”
“कहेगी क्या उसे लगता है वो ज़्यादा जानती है….चल छोड़…और हाँ ये यार राजवीर सिंग की जाय्निंग करवा दो”
“सिर उसने कोई पैसा तो दिया नही फिर कैसे..वैसे भी ग़लती से नाम आया था उष्का लिस्ट में..जिन्होने 50-50 लॅक दिए वो क्या बेवकूफ़ हैं..?”
“अरे इन बातो को मार गोली….उष कयामत ने शाम तक रिपोर्ट माँगी है इसे बड़े में”
“ठीक है सिर जैसा आप कहे मैं भोलू हवलदार को भेज कर बुला लेता हूँ उशे…उशके घर के पास ही रहता है वो राजवीर सिंग”
“ठीक है….जो भी करो आज शाम तक ये काम हो जाना चाहिए कहीं मुझे दाँत पड़े.”
“आप चिंता मत करो सिर ये काम तो हो ही जाएगा.”
नगमा सुबह होते ही मोहित के कमरे से चल दी. आज उष्का बापू वापिस आने वाला था इश्लीए वो जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती थी.
“ठीक है…मैं तो चलती हूँ तुम लोग अपना प्लान बनाओ की अब क्या करोगे…जहा मेरी ज़रूरात हो बता देना” नगमा ने चलते हुवे कहा.
मोहित उशके करीब आया और धीरे से उशके कान में बोला, “ज़रूरात तो तुम्हारी हमेशा है…दुबारा गान्ड कब दोगी”
“तुम्हे चुत नही चाहिए क्या…जिशे देखो मेरी गान्ड के पीछे पड़ा है….मार-मार कर सूझा दी मेरी अब नही दूँगी किसी को भी गान्ड मैं….चुत लेनी हो तो बताओ” नगमा ने धीरे से कहा.
“मेरा वो मतलब नही था अगली बार तेरी चुत ही लेनी है…बता कब देगी” मोहित ने कहा.
“पूरी रात मैं यहा बोर होती रही….रात नही निपटा सकते थे ये काम तुम”
“पागल हो क्या प़ड़्मिनी के रहते कैसे करते?”
“अफ इसे प़ड़्मिनी ने तो सारा मज़ा खराब कर रखा है….मैं जा रही हूँ बाद में बात करेंगे”
“ठीक है जाओ….जल्दी बठाना कब दोगी?”
“आज मेरा बापू आ जाएगा…..जब मोका लगेगा बता दूँगी”
मोहित ने उष्की तरफ आँख मारी और बोला, “जल्दी कोशिस करना”
“ठीक है गुरु जी मैं ज़ाऊ अब”
“हन-हन बिल्कुल” मोहित ने कहा.
नगमा चली गयी. नगमा के जाते ही प़ड़्मिनी ने राहत की साँस ली.
“गुरु क्या कह रहे थे चुपके-चुपके नगमा को”
“कुछ नही इधर-उधर की बाते कर रहे थे” मोहित ने कहा.
“मैं सब जानती हूँ ये इधर-उधर की बाते कौन सी हैं…मुझे इसे मुसीबत में फँसा कर तुम मस्ती कर रहे हो….कुछ सोचा तुमने की मेरा अब क्या होगा. मेरे घर में सब परेशान होंगे. मेरे पिता जी दिल के मरीज हैं अगर कुछ हो गया तो उशके ज़िम्मेदार भी तुम होंगे. मैं अब और नही सह सकती मैं घर जा रही हूँ”
मोहित कुछ नही कह पाया जवाब में.
“प़ड़्मिनी जी शांत हो जाओ, गुरु की तो ग़लती है ही…मैं मानता हूँ पर जो भी हुवा अंजाने में हुवा” राजू ने कहा.
“हन….मुझे क्या पता था की खेल इसे तरह बिगड़ जाएगा” मोहित ने कहा.
“जीश खेल को कंट्रोल ना कर सको वो खेल नही खेलना चाहिए मिस्टर मोहित….अब वो वितनेस भी मार दिया उष साएको ने….बताओ हमारे पास करने को क्या है…पुलिस मुझे ढुंड रही है….तुम्हे नही…तुम्हारी तस्वीर टीवी पर आई होती ना तो पता चलता तुम्हे” प़ड़्मिनी ने गुस्से में कहा.
“देखो प़ड़्मिनी मैं अपनी ग़लती मानता हूँ….जो सज़ा तुम्हे देनी है दे दो” मोहित ने कहा और उशके कदमो में बैठ गया.
प़ड़्मिनी फूट-फूट कर रोने लगी, “मैं क्या सज़ा दु तुम्हे…सज़ा तो मुझे मिल रही है….पता नही किश बात की”
“प़ड़्मिनी जी आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा…हम सब हैं ना आपके साथ” राजू ने कहा.
“तुम मुझसे दूर ही रहना मुझे तुमसे कुछ नही लेना देना समझे” प़ड़्मिनी ने अपनी आँखो से आँसू पोंचेटे हुवे राजू को कहा.
राजू कन्फ्यूज़ हो गया. “मेरी क्या ग़लती है…मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता हूँ” राजू ने कहा.
“मेरा सर घूम रहा है प्लीज़ मुझे अकेला चोद दो” प़ड़्मिनी ने कहा.
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. मोहित ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.
“प़ड़्मिनी कहा है?” पूजा ने पूछा.
“यही है..आओ” मोहित ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और प़ड़्मिनी के पास बैठ गयी.
“सॉरी कल शाम को मैं नही आ सकी….इतनी गहरी नींद आई की पूछो मत” पूजा ने कहा.
“कोई बात नही” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ये चेहरा क्यों उतरा हुवा है तुम्हारा” पूजा ने कहा.
“जब कोई ऐसी मुसीबत में फँसा हो तो…और क्या होगा” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ज़्यादा देर तक तुम इसे मुसीबत में नही रहोगी…बहुत जल्द असली मुजरिम पकड़ा जाएगा” पूजा ने कहा.
“कैसे होगा ये चमत्कार पुलिस तो मेरे पीछे पड़ी है उन्हे कैसे यकीन दीलाएँगे की खूनी मैं नही कोई और है” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आप चिंता मत करो प़ड़्मिनी जी सब ठीक हो जाएगा” राजू ने कहा.
“कैसे ठीक होगा सब मुझे समझाओ तो सही” प़ड़्मिनी झल्ला कर बोली.
किसी के पास कोई जवाब नही था.
“सिर्फ़ कहने भर से की सब ठीक हो जाएगा बात नही बनती…मुझे तो हर तरफ अंधेरा दीखाई दे रहा है” प़ड़्मिनी ने कहा.
अचानक दरवाजा खड़कने लगा.
“राजू….तुम यहा हो क्या?” बाहर से आवाज़ आई
“ये तो भोलू की आवाज़ है” राजू बड़बड़ाया.
राजू ने दरवाजा खोला.
“शूकर है तू मिल गया…तुझे ढुंड-ढुंड कर तक गया मैं”
राजू ने भोलू को अंदर नही आने दिया और अपने पीछे दरवाजा बंद करके वही खड़ा हो गया.
“क्या हुवा…मुझे क्यों ढुंड रहे थे तुम?” राजू ने पूछा.
“रोज पूचेटा था ना तू अपनी जाय्निंग के बड़े में”
“हन-हन आगे बोल”
“चल आज तेरी सॉरी आपकी जाय्निंग करा देता हूँ….अब तो तुम सी बन जाओगे तुम्हे आप ही बोलना पड़ेगा”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 15
“ह्म ये तो दो दिन बाद आने वाली थी इतनी जल्दी कैसे तपाक पड़ी?” चौहान ने कहा.
“सिर आपको तुरंत बुलाया है उन्होने…जल्दी जाओ कही नाराज़ हो जायें” विजय ने कहा.
“ठीक है मैं जा रहा हूँ उनके कमरे में….तुम यही रूको.”
“जी सिर”
चौहान आस्प शालिनी ठाकुर के कमरे में घुस्स जाता है.
“गुड मॉर्निंग मेडम, ई आम इनस्पेक्टर रंजीत चौहान…सॉरी मुझे पता नही था की आपने आज से ही जाय्न कर लिया है”
“गुड मॉर्निंग, बैठो….ये क्या चल रहा है शहर में”
“सब ठीक ही है मेडम बस ये सीरियल किल्लर के केस ने परेशान कर रखा है” चौहान ने कहा.
“ऐसी परेशानी हॅंडल करना हमारी ड्यूटी है मिस्टर चौहान आप ऐसी बाते करेंगे तो कैसे चलेगा. मेरे सामने आगे से ऐसी बात मत करना.”
“सॉरी मेडम” चौहान ने कहा.
“ऐसा कैसे हो गया की वितनेस को मार कर चला गया कोई और हम कुछ नही कर पाए. साथ में दो कॉन्स्टेबल भी मारे गये. यही एफीशियेन्सी है यहा पर पुलिस की” शालिनी ने कहा.
“ये सीरियल किल्लर बहुत ख़तरनाक है मेडम…आप अभी नये हो आपको ये सब समझने में देर लगेगी”
“शूट उप….मैं नयी बेशकहूँ पर बेवकूफ़ नही….तुम इसे केस को बिल्कुल भी हॅंडल नही कर पा रहे”
“नही मेडम ऐसी बात नही है…कातिल की पहचान तो हो ही चुकी है….वो जल्दी पकड़ी जाएगी”
“मुझे रिज़ल्ट चाहिए मिस्टर चौहान वरना तुम्हारी छुट्टी समझे…मुझे इसे केस की पल-पल की रिपोर्ट चाहिए….. इस तट क्लियर?”
“जी मेडम जैसा आपका हुकाँ” चौहान की बोलती बंद हो चुकी थी. बड़ी मुस्किल से बोल पाया बेचारा.
“और हाँ मैं ये फाइल देख रही थी…..ये राजवीर सिंग है कोई…सब इनस्पेक्टर के लिए सेलेक्षन हुई थी इश्कि. यहा पर अब तक उष्की जाय्निंग क्यों नही ली गयी”
“मैं देख लेता हूँ मेडम मुझे इशके बड़े में जानकारी नही है..”
“शाम तक इश्कि भी रिपोर्ट देना मुझे…. जाओ अब”
“जी मेडम”
चौहान बाहर आ जाता है. विजय उसे देख कर उशके पास आता है.
“क्या हुवा सिर, आपके माथे पर तो पसीने हैं”
“पूछो मत….कयामत आ गयी है हमारे सिर पर. साली ने खूब दांता मुझे. आज तक ऐसा नही हुवा मेरे साथ.”
“सिर वो हमारी बॉस है..”
“अरे बॉस है तो क्या कुछ भी बोलेंगी…”
“क्या कहा उन्होने?”
“कहेगी क्या उसे लगता है वो ज़्यादा जानती है….चल छोड़…और हाँ ये यार राजवीर सिंग की जाय्निंग करवा दो”
“सिर उसने कोई पैसा तो दिया नही फिर कैसे..वैसे भी ग़लती से नाम आया था उष्का लिस्ट में..जिन्होने 50-50 लॅक दिए वो क्या बेवकूफ़ हैं..?”
“अरे इन बातो को मार गोली….उष कयामत ने शाम तक रिपोर्ट माँगी है इसे बड़े में”
“ठीक है सिर जैसा आप कहे मैं भोलू हवलदार को भेज कर बुला लेता हूँ उशे…उशके घर के पास ही रहता है वो राजवीर सिंग”
“ठीक है….जो भी करो आज शाम तक ये काम हो जाना चाहिए कहीं मुझे दाँत पड़े.”
“आप चिंता मत करो सिर ये काम तो हो ही जाएगा.”
नगमा सुबह होते ही मोहित के कमरे से चल दी. आज उष्का बापू वापिस आने वाला था इश्लीए वो जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती थी.
“ठीक है…मैं तो चलती हूँ तुम लोग अपना प्लान बनाओ की अब क्या करोगे…जहा मेरी ज़रूरात हो बता देना” नगमा ने चलते हुवे कहा.
मोहित उशके करीब आया और धीरे से उशके कान में बोला, “ज़रूरात तो तुम्हारी हमेशा है…दुबारा गान्ड कब दोगी”
“तुम्हे चुत नही चाहिए क्या…जिशे देखो मेरी गान्ड के पीछे पड़ा है….मार-मार कर सूझा दी मेरी अब नही दूँगी किसी को भी गान्ड मैं….चुत लेनी हो तो बताओ” नगमा ने धीरे से कहा.
“मेरा वो मतलब नही था अगली बार तेरी चुत ही लेनी है…बता कब देगी” मोहित ने कहा.
“पूरी रात मैं यहा बोर होती रही….रात नही निपटा सकते थे ये काम तुम”
“पागल हो क्या प़ड़्मिनी के रहते कैसे करते?”
“अफ इसे प़ड़्मिनी ने तो सारा मज़ा खराब कर रखा है….मैं जा रही हूँ बाद में बात करेंगे”
“ठीक है जाओ….जल्दी बठाना कब दोगी?”
“आज मेरा बापू आ जाएगा…..जब मोका लगेगा बता दूँगी”
मोहित ने उष्की तरफ आँख मारी और बोला, “जल्दी कोशिस करना”
“ठीक है गुरु जी मैं ज़ाऊ अब”
“हन-हन बिल्कुल” मोहित ने कहा.
नगमा चली गयी. नगमा के जाते ही प़ड़्मिनी ने राहत की साँस ली.
“गुरु क्या कह रहे थे चुपके-चुपके नगमा को”
“कुछ नही इधर-उधर की बाते कर रहे थे” मोहित ने कहा.
“मैं सब जानती हूँ ये इधर-उधर की बाते कौन सी हैं…मुझे इसे मुसीबत में फँसा कर तुम मस्ती कर रहे हो….कुछ सोचा तुमने की मेरा अब क्या होगा. मेरे घर में सब परेशान होंगे. मेरे पिता जी दिल के मरीज हैं अगर कुछ हो गया तो उशके ज़िम्मेदार भी तुम होंगे. मैं अब और नही सह सकती मैं घर जा रही हूँ”
मोहित कुछ नही कह पाया जवाब में.
“प़ड़्मिनी जी शांत हो जाओ, गुरु की तो ग़लती है ही…मैं मानता हूँ पर जो भी हुवा अंजाने में हुवा” राजू ने कहा.
“हन….मुझे क्या पता था की खेल इसे तरह बिगड़ जाएगा” मोहित ने कहा.
“जीश खेल को कंट्रोल ना कर सको वो खेल नही खेलना चाहिए मिस्टर मोहित….अब वो वितनेस भी मार दिया उष साएको ने….बताओ हमारे पास करने को क्या है…पुलिस मुझे ढुंड रही है….तुम्हे नही…तुम्हारी तस्वीर टीवी पर आई होती ना तो पता चलता तुम्हे” प़ड़्मिनी ने गुस्से में कहा.
“देखो प़ड़्मिनी मैं अपनी ग़लती मानता हूँ….जो सज़ा तुम्हे देनी है दे दो” मोहित ने कहा और उशके कदमो में बैठ गया.
प़ड़्मिनी फूट-फूट कर रोने लगी, “मैं क्या सज़ा दु तुम्हे…सज़ा तो मुझे मिल रही है….पता नही किश बात की”
“प़ड़्मिनी जी आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा…हम सब हैं ना आपके साथ” राजू ने कहा.
“तुम मुझसे दूर ही रहना मुझे तुमसे कुछ नही लेना देना समझे” प़ड़्मिनी ने अपनी आँखो से आँसू पोंचेटे हुवे राजू को कहा.
राजू कन्फ्यूज़ हो गया. “मेरी क्या ग़लती है…मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता हूँ” राजू ने कहा.
“मेरा सर घूम रहा है प्लीज़ मुझे अकेला चोद दो” प़ड़्मिनी ने कहा.
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. मोहित ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.
“प़ड़्मिनी कहा है?” पूजा ने पूछा.
“यही है..आओ” मोहित ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और प़ड़्मिनी के पास बैठ गयी.
“सॉरी कल शाम को मैं नही आ सकी….इतनी गहरी नींद आई की पूछो मत” पूजा ने कहा.
“कोई बात नही” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ये चेहरा क्यों उतरा हुवा है तुम्हारा” पूजा ने कहा.
“जब कोई ऐसी मुसीबत में फँसा हो तो…और क्या होगा” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ज़्यादा देर तक तुम इसे मुसीबत में नही रहोगी…बहुत जल्द असली मुजरिम पकड़ा जाएगा” पूजा ने कहा.
“कैसे होगा ये चमत्कार पुलिस तो मेरे पीछे पड़ी है उन्हे कैसे यकीन दीलाएँगे की खूनी मैं नही कोई और है” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आप चिंता मत करो प़ड़्मिनी जी सब ठीक हो जाएगा” राजू ने कहा.
“कैसे ठीक होगा सब मुझे समझाओ तो सही” प़ड़्मिनी झल्ला कर बोली.
किसी के पास कोई जवाब नही था.
“सिर्फ़ कहने भर से की सब ठीक हो जाएगा बात नही बनती…मुझे तो हर तरफ अंधेरा दीखाई दे रहा है” प़ड़्मिनी ने कहा.
अचानक दरवाजा खड़कने लगा.
“राजू….तुम यहा हो क्या?” बाहर से आवाज़ आई
“ये तो भोलू की आवाज़ है” राजू बड़बड़ाया.
राजू ने दरवाजा खोला.
“शूकर है तू मिल गया…तुझे ढुंड-ढुंड कर तक गया मैं”
राजू ने भोलू को अंदर नही आने दिया और अपने पीछे दरवाजा बंद करके वही खड़ा हो गया.
“क्या हुवा…मुझे क्यों ढुंड रहे थे तुम?” राजू ने पूछा.
“रोज पूचेटा था ना तू अपनी जाय्निंग के बड़े में”
“हन-हन आगे बोल”
“चल आज तेरी सॉरी आपकी जाय्निंग करा देता हूँ….अब तो तुम सी बन जाओगे तुम्हे आप ही बोलना पड़ेगा”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 15
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
तू ये क्या कह रहा है….मुझे यकीन नही हो रहा”
“यकीन करले अब….तुझे फॉरन चलना होगा मेरे साथ…अभी जाय्निंग हो जाएगी तुम्हारी”
“ये सब अचानक कैसे”
“नयी आस्प साहिबा आई हैं उन्होने ही ऑर्डर दिया है तुम्हारी जाय्निंग का चलो अब देर मत करो”
ये ऐसा वक्त था की एमोशन्स उमड़ आना नॅचुरल है. राजू की आँखो में आँसू उभर आए और उसने भोलू को गले लगा लिया और बोला, “लगता था की पुलिस में जाने का सपना, सपना ही रह जाएगा…तू मुझे बस 15 मिनिट दे मैं अभी आता हूँ”
“ठीक है मैं अपने घर पर हूँ वही आ जाना” भोलू ने कहा.
भोलू के जाने के बाद राजू अंदर आया. उष्की आँखे अभी भी भारी हुई थी.
अंदर सभी ने भोलू और राजू की बातें शन ली थी.
राजू के अंदर आते ही मोहित ने उसे गले से लगा लिया.
“वाउ….मेरा राजू अब पुलिस में जाएगा और सबकी बंद बजाएगा”
“गुरु सब तुम्हारी दुवाओ का नतीजा है”
“भाई मुझे तो यकीन नही था…इश्लीए मैने कभी ड्यूवा नही की…सब तेरी लगान का नतीज़ा है…बड़ी महनत से दिए थे तूने पेपर….मान गये राजू”
“गुरु हो ना हो इसमें प़ड़्मिनी जी के सपने का भी हाथ है” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने अपने तेज धड़कते दिल पर हाथ रखा और बोली, “ऐसा नही हो सकता”
“क्या हुवा प़ड़्मिनी जी क्या आपको ख़ुसी नही हुई” राजू ने कहा.
“नही-नही ऐसा नही है मैं तुम्हारे लिए खुश हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“फिर आपने क्यों कहा की ऐसा नही हो सकता…आपका सपना तो सच हो गया…और कुछ याद हो तो बताओ ना क्या पता वो भी सच हो जाए” राजू ने कहा.
“इतना कुछ सच हो गया…. अब क्या हर बात सच होगी….ऐसा नही होगा” प़ड़्मिनी ने कहा.
प़ड़्मिनी की बात किसी को समझ नही आई. आती भी कैसे पूरा सपना तो सिर्फ़ उसे ही पता था.
“प़ड़्मिनी जी क्या हुवा आप इतनी परेशान सी क्यों लग रही हैं.” राजू ने पूछा.
“कुछ नही…तुम जाओ वरना लाते हो जाओगे” प़ड़्मिनी ने कहा.
“अरे हन…मैं लाते हो रहा हूँ….गुरु मैं निकलता हूँ…पहले जाके जाय्न कर लू बाकी की बाते बाद में करेंगे” राजू ने कहा.
“ठीक है तुम निकलो हम तीनो बैठ कर आगे का प्लान बनाते हैं.” मोहित ने कहा.
“ठीक है तुम लोग प्लान बनाओ मैं बाद में मिलता हूँ” राजू ने कहा और कमरे से निकल गया.
“हन तो पूजा क्या कुछ जानती हो उष आदमी के बड़े में…क्या नाम था उष्का…उम्म” मोहित ने कहा.
“परवीन” पूजा झट से बोली.
“हन तो तुम्हे शक है की साएको किल्लर वही है” मोहित ने कहा.
“मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही साएको किल्लर है” पूजा ने कहा.
“नही मैं वैसे ही पूछ रहा था…. दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है”
“कैसी फ़ज़ीहत?” पूजा ने पूछा.
“छोड़ो जाने दो तुम उष परवीक के बड़े में बताओ” मोहित ने कहा.
“मुझे उशके बड़े में और कुछ नही पता…हन उष्का एक नौकर भी है मुझे उष पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का”
“ह्म….पहले तुम मुझे ये बताओ की वो कहा मिलेगा” मोहित ने कहा.
“मुझे उशके फार्म हाउस का पता है बाकी उशके बड़े में और कोई जानकारी नही मुझे”
“ठीक है मुझे उष्का फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं एक्कथा कर लूँगा” मोहित ने कहा.
“ठीक है” पूजा ने कहा.
“प़ड़्मिनी मैं पूजा के साथ उष्का फार्म हाउस देख आता हूँ…बाद में राजू के आने पे देखते हैं की क्या करना है?”
“ह्म ठीक है जाओ…मेरा सर दर्द कर रहा है मैं शोन जा रही हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“मेडिसिन दम क्या…पड़ी है मेरे पास” मोहित ने कहा.
“नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा…मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आओ पूजा चलें”
“क्या उशी कार में चलेंगे?” पूजा ने पूछा.
“नही बाएक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी”
“बाएक पर!”
“क्यों कोई परेशानी है क्या?”
“नही चलो” पूजा ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.
“क्या तुम्हारी उष लड़के ने कोई मूवी बना ली थी” मोहित ने पूछा.
“मेरी पर्सनल लाइफ के बड़े में बात ना ही करो तो अछा है मैं बस प़ड़्मिनी की मदद करना चाहती हू और कुछ नही” पूजा ने कहा.
“तुम तो बुरा मन गयी…मैं तो यू ही पूछ रहा था.”
“जो भी हो मेरी लाइफ के बड़े में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को”
“क्या जानती हो ज़रा हमें भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बड़े में क्या सोचती है” मोहित ने कहा.
“वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी” पूजा ने कहा.
“क्या नगमा ने तुम्हे बता दिया की मैने उष्की गान्ड मारी थी” मोहित ने कहा.
पूजा मोहित की बात शन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.
“क्या कहा तुमने?” पूजा ने पूछा.
“ओह….शायद तुम नही जानती की तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है” मोहित ने कहा.
“मैं सब जानती हूँ….राजू ने ही उसे बिगाड़ा है…वरना मेरी दीदी ऐसी नही है”
“हे..हे..हा..हा..हा”
“क्या हुवा” पूजा ने पूछा.
“तुम्हारी दीदी ऐसी नही है….हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे…उशे कौन बिगाड़ेगा.”
“तुम झुत बोल रहे हो”
“मैं झुत क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से….पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी”
“बाएक इसे रोड से सीधा ले लो इशी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस.”
“राजू बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पटा गयी नगमा…पाट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है….राजू ने एक बार मुझसे मिलवाया नगमा को और उशी दिन मैने उष्की गान्ड ले ली हे..हे..हे”
“ये बाते तुम मुझे क्यों शुना रहे हो.”
“तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है की नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता टुमारी मेरी जम जाए बात.”
“अछा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो….अगर ऐसी बाते करके सोचते हो की मुझे पता लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते.”
“अची ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी…क्या तुम्हारा मन नही कराता किसी को चुत देने का…मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से माराता हूँ”
“मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब…तुम सीधे सीधे चलाओ” पूजा ने कहा.
“मुझे पता है उष लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उष लड़के जैसा कमीना नही हूँ”
“तुम्हारी डाल यहा नही गालेगी मिस्टर बाएक चलाने पर ध्यान दो.”
“तुम ही बता दो की डाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा.”
“ये डाल किसी हालत में नही गालेगी”
“अछा ऐसा है…फिर तो मैं भी चलेंगे लेता हूँ की तुम्हारी चुत में लंड डाल के रहूँगा…वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से.”
“ऐसा दिन कभी नही आएगा हा….जीश काम से आए हो उष पर ध्यान दो.”
“देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ” पूजा ने कहा
“अगर मैं और राजू वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बंद बजने वाली थी वाहा…बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी”
“मैने तुम लोगो को नही बुलाया था.”
“वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही”
“फार्म हाउस आ गया…बकवास बंद करो और बाएक रोको” पूजा ने कहा.
“कहा है फार्म हाउस” मोहित ने बाएक रोक कर पूछा.
पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, “वो रहा…यही से देख लो पास जाना ठीक नही”
“वैसे एक बात पूचु”
“क्या है अब?” पूजा ने कहा.
“फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?” मोहित ने पूछा
“तुमसे मतलब…तुम बस अपने काम से मतलब रखो…चलो वापिस अब” पूजा ने कहा.
“अरे इतनी दूर क्या बस इसे फार्म हाउस की शकल देखने आए हैं”
“तो क्या इरादा है तुम्हारा?” पूजा ने कहा.
“मैं ज़रा वाहा जा कर देखता हूँ…अगर इसे परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अछा होगा.”
“ठीक है जाओ…मैं यही इंतेज़ार करूँगी” पूजा ने कहा.
“पर तुम यहा अकेली…ऐसा करते हैं इसे बाएक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं”
“नही मैं वाहा नही जवँगी…तुम जाओ मैं यही इंतेज़ार करूँगी”
“परवीन वाहा हुवा तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा…चलो ना पूजा”
“ठीक है…चलो…पर कोई बकवास मत करना”
“ठीक है अब चलो तो”
बाएक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. “हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही” मोहित ने कहा.
“ह्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी.”
“चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ.” मोहित ने कहा.
“तुम चलो मैं आ रही हूँ”
“बहुत शुन्सान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस” मोहित ने कहा.
“सस्स्शह तुम्हे कुछ शुनाई दिया” पूजा ने कहा.
“हन…शायद नझडीक ही कोई है”
“कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इसे घास पर” उन्हे आवाज़ आती है.
मोहित और पूजा आवाज़ के नझडीक पहुँच जाते हैं…पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.
“चलो यहा से” पूजा ने धीरे से कहा.
“अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले” मोहित ने कहा.
उनके सामने रामू एक औरात को बाहों में लिए खड़ा था. औरात कोई 35 साल की थी, रंग सॉफ था और शरीर गतिला था.
“क्या यही परवीन है?”
“नही ये उष्का नौकर रामू है”
“ह्म नौकर ने क्या किशमत पाई है…क्या माल हाथ लगा है सेयेल के” मोहित ने कहा.
“मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमें चलना चाहिए” पूजा ने कहा.
“परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना” मोहित ने कहा.
“तुम्हारे साहिब आ गये तो?” उष औरात ने पूछा.
“साहिब तो सहर से बाहर गये हैं…कल शाम को ही निकल गये थे यहा से” रामू ने कहा.
“अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है”
“कल उष लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ” रामू ने कहा.
“ये किश लड़की की बात कर रहा है पूजा” मोहित ने पूछा.
“मुझे क्या पता…चलो यहा से.” पूजा गुस्से में बोली.
“धीरे बोलो बाबा वो लोग शन लेंगे.” मोहित ने कहा.
रामू ने उष औरात को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उष्की गान्ड पर रगड़ने लगा.
“अफ क्या मस्त गान्ड है काज़ इसे नौकर की जगह मैं होता उशके पीछे….अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में” मोहित बड़बड़ाया.
“तुम यहा मस्ती करने आए हो तो…मैं जा रही हूँ.” पूजा ने कहा.
मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “रूको तो मैं इसे नौकर से परवीन के बड़े में पूछूँगा.”
“ये काम बाद में कर लेना…मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से” पूजा ने कहा.
“बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं” मोहित ने कहा.
पूजा पाँव पटक कर रह गयी.
“इश् मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अछा लगता है मुझे” रामू ने कहा.
“आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किशणे रोका है….पर अंदर मत डालना…आहह”
“तेरी चुत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा…वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार.”
“पता नही बचपन से ही ऐसी है….डाल दो ना अब चुत में मैं कब तक झुकी रहूंगी”
“तोड़ा रूको ना इसे मोटी गान्ड पर लंड रग़ाद कर इशे गरम तो कर लूँ”
“इशके लंड से भी मोटा लंड है मेरा” मोहित ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 16
“यकीन करले अब….तुझे फॉरन चलना होगा मेरे साथ…अभी जाय्निंग हो जाएगी तुम्हारी”
“ये सब अचानक कैसे”
“नयी आस्प साहिबा आई हैं उन्होने ही ऑर्डर दिया है तुम्हारी जाय्निंग का चलो अब देर मत करो”
ये ऐसा वक्त था की एमोशन्स उमड़ आना नॅचुरल है. राजू की आँखो में आँसू उभर आए और उसने भोलू को गले लगा लिया और बोला, “लगता था की पुलिस में जाने का सपना, सपना ही रह जाएगा…तू मुझे बस 15 मिनिट दे मैं अभी आता हूँ”
“ठीक है मैं अपने घर पर हूँ वही आ जाना” भोलू ने कहा.
भोलू के जाने के बाद राजू अंदर आया. उष्की आँखे अभी भी भारी हुई थी.
अंदर सभी ने भोलू और राजू की बातें शन ली थी.
राजू के अंदर आते ही मोहित ने उसे गले से लगा लिया.
“वाउ….मेरा राजू अब पुलिस में जाएगा और सबकी बंद बजाएगा”
“गुरु सब तुम्हारी दुवाओ का नतीजा है”
“भाई मुझे तो यकीन नही था…इश्लीए मैने कभी ड्यूवा नही की…सब तेरी लगान का नतीज़ा है…बड़ी महनत से दिए थे तूने पेपर….मान गये राजू”
“गुरु हो ना हो इसमें प़ड़्मिनी जी के सपने का भी हाथ है” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने अपने तेज धड़कते दिल पर हाथ रखा और बोली, “ऐसा नही हो सकता”
“क्या हुवा प़ड़्मिनी जी क्या आपको ख़ुसी नही हुई” राजू ने कहा.
“नही-नही ऐसा नही है मैं तुम्हारे लिए खुश हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“फिर आपने क्यों कहा की ऐसा नही हो सकता…आपका सपना तो सच हो गया…और कुछ याद हो तो बताओ ना क्या पता वो भी सच हो जाए” राजू ने कहा.
“इतना कुछ सच हो गया…. अब क्या हर बात सच होगी….ऐसा नही होगा” प़ड़्मिनी ने कहा.
प़ड़्मिनी की बात किसी को समझ नही आई. आती भी कैसे पूरा सपना तो सिर्फ़ उसे ही पता था.
“प़ड़्मिनी जी क्या हुवा आप इतनी परेशान सी क्यों लग रही हैं.” राजू ने पूछा.
“कुछ नही…तुम जाओ वरना लाते हो जाओगे” प़ड़्मिनी ने कहा.
“अरे हन…मैं लाते हो रहा हूँ….गुरु मैं निकलता हूँ…पहले जाके जाय्न कर लू बाकी की बाते बाद में करेंगे” राजू ने कहा.
“ठीक है तुम निकलो हम तीनो बैठ कर आगे का प्लान बनाते हैं.” मोहित ने कहा.
“ठीक है तुम लोग प्लान बनाओ मैं बाद में मिलता हूँ” राजू ने कहा और कमरे से निकल गया.
“हन तो पूजा क्या कुछ जानती हो उष आदमी के बड़े में…क्या नाम था उष्का…उम्म” मोहित ने कहा.
“परवीन” पूजा झट से बोली.
“हन तो तुम्हे शक है की साएको किल्लर वही है” मोहित ने कहा.
“मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही साएको किल्लर है” पूजा ने कहा.
“नही मैं वैसे ही पूछ रहा था…. दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है”
“कैसी फ़ज़ीहत?” पूजा ने पूछा.
“छोड़ो जाने दो तुम उष परवीक के बड़े में बताओ” मोहित ने कहा.
“मुझे उशके बड़े में और कुछ नही पता…हन उष्का एक नौकर भी है मुझे उष पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का”
“ह्म….पहले तुम मुझे ये बताओ की वो कहा मिलेगा” मोहित ने कहा.
“मुझे उशके फार्म हाउस का पता है बाकी उशके बड़े में और कोई जानकारी नही मुझे”
“ठीक है मुझे उष्का फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं एक्कथा कर लूँगा” मोहित ने कहा.
“ठीक है” पूजा ने कहा.
“प़ड़्मिनी मैं पूजा के साथ उष्का फार्म हाउस देख आता हूँ…बाद में राजू के आने पे देखते हैं की क्या करना है?”
“ह्म ठीक है जाओ…मेरा सर दर्द कर रहा है मैं शोन जा रही हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“मेडिसिन दम क्या…पड़ी है मेरे पास” मोहित ने कहा.
“नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा…मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आओ पूजा चलें”
“क्या उशी कार में चलेंगे?” पूजा ने पूछा.
“नही बाएक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी”
“बाएक पर!”
“क्यों कोई परेशानी है क्या?”
“नही चलो” पूजा ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.
“क्या तुम्हारी उष लड़के ने कोई मूवी बना ली थी” मोहित ने पूछा.
“मेरी पर्सनल लाइफ के बड़े में बात ना ही करो तो अछा है मैं बस प़ड़्मिनी की मदद करना चाहती हू और कुछ नही” पूजा ने कहा.
“तुम तो बुरा मन गयी…मैं तो यू ही पूछ रहा था.”
“जो भी हो मेरी लाइफ के बड़े में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को”
“क्या जानती हो ज़रा हमें भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बड़े में क्या सोचती है” मोहित ने कहा.
“वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी” पूजा ने कहा.
“क्या नगमा ने तुम्हे बता दिया की मैने उष्की गान्ड मारी थी” मोहित ने कहा.
पूजा मोहित की बात शन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.
“क्या कहा तुमने?” पूजा ने पूछा.
“ओह….शायद तुम नही जानती की तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है” मोहित ने कहा.
“मैं सब जानती हूँ….राजू ने ही उसे बिगाड़ा है…वरना मेरी दीदी ऐसी नही है”
“हे..हे..हा..हा..हा”
“क्या हुवा” पूजा ने पूछा.
“तुम्हारी दीदी ऐसी नही है….हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे…उशे कौन बिगाड़ेगा.”
“तुम झुत बोल रहे हो”
“मैं झुत क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से….पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी”
“बाएक इसे रोड से सीधा ले लो इशी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस.”
“राजू बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पटा गयी नगमा…पाट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है….राजू ने एक बार मुझसे मिलवाया नगमा को और उशी दिन मैने उष्की गान्ड ले ली हे..हे..हे”
“ये बाते तुम मुझे क्यों शुना रहे हो.”
“तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है की नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता टुमारी मेरी जम जाए बात.”
“अछा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो….अगर ऐसी बाते करके सोचते हो की मुझे पता लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते.”
“अची ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी…क्या तुम्हारा मन नही कराता किसी को चुत देने का…मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से माराता हूँ”
“मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब…तुम सीधे सीधे चलाओ” पूजा ने कहा.
“मुझे पता है उष लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उष लड़के जैसा कमीना नही हूँ”
“तुम्हारी डाल यहा नही गालेगी मिस्टर बाएक चलाने पर ध्यान दो.”
“तुम ही बता दो की डाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा.”
“ये डाल किसी हालत में नही गालेगी”
“अछा ऐसा है…फिर तो मैं भी चलेंगे लेता हूँ की तुम्हारी चुत में लंड डाल के रहूँगा…वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से.”
“ऐसा दिन कभी नही आएगा हा….जीश काम से आए हो उष पर ध्यान दो.”
“देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ” पूजा ने कहा
“अगर मैं और राजू वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बंद बजने वाली थी वाहा…बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी”
“मैने तुम लोगो को नही बुलाया था.”
“वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही”
“फार्म हाउस आ गया…बकवास बंद करो और बाएक रोको” पूजा ने कहा.
“कहा है फार्म हाउस” मोहित ने बाएक रोक कर पूछा.
पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, “वो रहा…यही से देख लो पास जाना ठीक नही”
“वैसे एक बात पूचु”
“क्या है अब?” पूजा ने कहा.
“फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?” मोहित ने पूछा
“तुमसे मतलब…तुम बस अपने काम से मतलब रखो…चलो वापिस अब” पूजा ने कहा.
“अरे इतनी दूर क्या बस इसे फार्म हाउस की शकल देखने आए हैं”
“तो क्या इरादा है तुम्हारा?” पूजा ने कहा.
“मैं ज़रा वाहा जा कर देखता हूँ…अगर इसे परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अछा होगा.”
“ठीक है जाओ…मैं यही इंतेज़ार करूँगी” पूजा ने कहा.
“पर तुम यहा अकेली…ऐसा करते हैं इसे बाएक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं”
“नही मैं वाहा नही जवँगी…तुम जाओ मैं यही इंतेज़ार करूँगी”
“परवीन वाहा हुवा तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा…चलो ना पूजा”
“ठीक है…चलो…पर कोई बकवास मत करना”
“ठीक है अब चलो तो”
बाएक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. “हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही” मोहित ने कहा.
“ह्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी.”
“चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ.” मोहित ने कहा.
“तुम चलो मैं आ रही हूँ”
“बहुत शुन्सान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस” मोहित ने कहा.
“सस्स्शह तुम्हे कुछ शुनाई दिया” पूजा ने कहा.
“हन…शायद नझडीक ही कोई है”
“कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इसे घास पर” उन्हे आवाज़ आती है.
मोहित और पूजा आवाज़ के नझडीक पहुँच जाते हैं…पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.
“चलो यहा से” पूजा ने धीरे से कहा.
“अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले” मोहित ने कहा.
उनके सामने रामू एक औरात को बाहों में लिए खड़ा था. औरात कोई 35 साल की थी, रंग सॉफ था और शरीर गतिला था.
“क्या यही परवीन है?”
“नही ये उष्का नौकर रामू है”
“ह्म नौकर ने क्या किशमत पाई है…क्या माल हाथ लगा है सेयेल के” मोहित ने कहा.
“मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमें चलना चाहिए” पूजा ने कहा.
“परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना” मोहित ने कहा.
“तुम्हारे साहिब आ गये तो?” उष औरात ने पूछा.
“साहिब तो सहर से बाहर गये हैं…कल शाम को ही निकल गये थे यहा से” रामू ने कहा.
“अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है”
“कल उष लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ” रामू ने कहा.
“ये किश लड़की की बात कर रहा है पूजा” मोहित ने पूछा.
“मुझे क्या पता…चलो यहा से.” पूजा गुस्से में बोली.
“धीरे बोलो बाबा वो लोग शन लेंगे.” मोहित ने कहा.
रामू ने उष औरात को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उष्की गान्ड पर रगड़ने लगा.
“अफ क्या मस्त गान्ड है काज़ इसे नौकर की जगह मैं होता उशके पीछे….अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में” मोहित बड़बड़ाया.
“तुम यहा मस्ती करने आए हो तो…मैं जा रही हूँ.” पूजा ने कहा.
मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “रूको तो मैं इसे नौकर से परवीन के बड़े में पूछूँगा.”
“ये काम बाद में कर लेना…मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से” पूजा ने कहा.
“बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं” मोहित ने कहा.
पूजा पाँव पटक कर रह गयी.
“इश् मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अछा लगता है मुझे” रामू ने कहा.
“आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किशणे रोका है….पर अंदर मत डालना…आहह”
“तेरी चुत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा…वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार.”
“पता नही बचपन से ही ऐसी है….डाल दो ना अब चुत में मैं कब तक झुकी रहूंगी”
“तोड़ा रूको ना इसे मोटी गान्ड पर लंड रग़ाद कर इशे गरम तो कर लूँ”
“इशके लंड से भी मोटा लंड है मेरा” मोहित ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 16
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
अछा मज़ाक अछा कर लेते हो?” पूजा मुश्कुराइ.
“दीखओन क्या अभी?” मोहित ने कहा.
“मुझे क्यों दीखाओगे उष औरात को दीखाओ जा के…मेरे उपर कोई असर नही होने वाला.”
“ही काज़ मैं वाहा जा पाता….क्या मस्त गान्ड है…ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक” मोहित ने कहा.
“तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं” पूजा ने कहा.
“पूजा अगर तुम मन जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा…तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता…तुम बिल्कुल प़ड़्मिनी जैसी हो….बहुत शुनदर.” मोहित ने कहा.
“अछा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना चोद दो…तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रात है नफ़रात.”
“अफ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप़ड़ बेलने पड़ेंगे” मोहित ने कहा.
“बंद करो बकवास अपनी…मैं वापिस जा कर प़ड़्मिनी को सब बता दूँगी की तुम यहा क्या कर रहे थे.”
“नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है” मोहित ने कहा.
“ठीक है चलो फिर.”
“रूको रूको देखो डाल दिया उसने उष्की चुत में थोड़ा तो देख लेने दो.” मोहित ने कहा.
“तुम देखो मैं जा रही हूँ” पूजा ने कहा.
पूजा मूड कर दबे पाँव वाहा से चल दी. पूजा के जाते ही मोहित झाड़ियो से बाहर आ गया.
“अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं.” मोहित ने पूछा.
आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उष औरात की चुत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरात अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वाहा से भाग खड़ी हुई.
“क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो.” रामू ने कहा.
“भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इसे फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उष्की चुत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला ज़ाऊ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है”
“थोड़ी देर रुक नही सकते थे…एक भी धक्का नही मारने दिया उष्की चुत में”
“कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के माराते रहिएगा…आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो”
“वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारून.” रामू झल्ला कर बोला.
“रुकावट के लिए खेद है भाई…कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ.”
“ठीक है ठीक है अभी देता हूँ.” रामू ने कहा.
रामू ने मोहित को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर मोहित मुश्कूराता हुवा फार्म हाउस से बाहर आ गया.
पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और मोहित फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मैं गाते से बाहर आ गया.
“बड़ी जल्दी वापिस आ गये” पूजा ने पूछा.
“अड्रेस मिल गया तो आ गया…मैं यहा इशी काम से तो आया था…काम होते ही आ गया” मोहित ने कहा.
“ऐसा कैसे हो गया…वो लोग तो”
“हैरान हो ना…मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वाहा और काम बन गया….तुम थोड़ी देर रुकती तो अछा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता.”
“अब चलें वापिस?” पूजा ने कहा.
“क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अछा नही लगता?” मोहित ने पूछा.
“क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अछा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी चोद गयी ना तुम्हे…अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी चोद के जाती” पूजा ने कहा.
“वो अलग ही कहानी है पूजा…खैर छोड़ो…मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे नगमा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम नगमा की बहन हो तो उशके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे राजू ने बताया तो था की तुम नगमा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगवँगा.” मोहित ने कहा.
“तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली…चलो अब”
“ये तो वक्त ही बताएगा.” मोहित ने कहा.
दोनो बाएक पर बैठ कर वापिस चल दिए.
…………………………………………….
राजू जाय्निंग की फॉरमॅलिटी पूरी करने के बाद सीधा शालिनी ठाकुर के रूम की तरफ चल दिया. वो उष्का धन्यवाद करना चाहता था. जब वो कमरे में घुसा तो शालिनी अख़बार पढ़ रही थी. राजू भाग कर शालिनी के कदमो में गिर गया और उशके पैर पकड़ लिए.
“अरे ये क्या कर रहे हो कौन हो तुम और तुम्हे अंदर किशणे आने दिया”
राजू ने सर नीचे झुकाए हुवे कहा,”मैं राजवीर सिंग हूँ मेडम…आप यहा ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी नही हो पाती.”
“उठो….तुम अब सी हो और ऐसे आम आदमी की तरह बिहेव मत करो वरना अभी वापिस नौकरी से निकाल दूँगी” शालिनी ने गुस्से में कहा.
राजू फ़ौरन खड़ा हो गया.
“अरे ये तो बहुत यंग है…मैने सोचा कोई काफ़ी उमर की होगी. बेकार में पाँव छू कर अपनी फ़ज़ीहत करवा ली” राजू ने सोचा.
“तुमने जाय्निंग कर ली” शालिनी ने पूछा.
“हन मेडम” राजू ने जवाब दिया.
“जब किसी सीनियर के सामने जाओ तो हाथ पीछे रखो…क्या इतना भी नही जानते…जेब से बाहर निकालो हाथ और स्टॅंड प्रॉपर्ली” शालिनी ने कहा.
राजू ने फ़ौरन हाथ जेब से निकाल कर पीछे कर लिए, “सॉरी मेडम मेरा पहला दिन है और आप जैसी शुनदर लड़की सामने है…मेरा दीमाग नही चल रहा. आगे से ध्यान रखूँगा”
“मैं कोई लड़की नही हूँ तुम्हारी बॉस हूँ…बिहेव युवरसेल्फ”
“सॉरी मेडम”
तभी चौहान अंदर आता है.
“मिस्टर चौहान इसको ट्रैनिंग पर भेज दो.” शालिनी ने कहा.
“मेडम ट्रैनिंग में ये अब अगले साल ही जा पाएगा…अभी इन्स्टिट्यूट में ट्रैनिंग चालू है..और वाहा जगह भी नही है” चौहान ने कहा.
“ठीक है फिर ऐसा करो इशे अपने साथ रखो और काम सिख़ाओ. इसको ट्रेन करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है” शालिनी ने कहा.
“मुझे अपने साथ रख लीजिए ना मेडम…मुझे लगता है आप मुझे ज़्यादा अच्छे से सीखा सकती हैं” राजू ने कहा.
“तुम्हारी राय माँगी किसी ने मिस्टर राजवीर. जैसा कहा है वैसा करो…तुम्हारी कोई शिकायत नही आनी चाहिए” शालिनी ने कहा.
“अफ ये तो ठीकी मिर्ची है इतनी शुनदर लड़की पुलिस में क्या कर रही है.” राजू ने मन ही मन सोचा.
“यू कॅन गो नाउ” शालिनी ने कहा.
राजू वही खड़ा रहा. चौहान ने उसे चलने का इशारा किया तब उसे समझ में आया की उसे भी बाहर जाने को कहा गया है.
बाहर आ कर चौहान बोला, बरखुरदार जाय्निंग तो तुमने कर ली…अपनी नौकरी बचाए रखना चाहते हो तो एक बात ध्यान रखना. अपने सीनियर के आगे कभी ज़्यादा मूह मत खोलना. मैं भी तुम्हारा सीनियर हूँ ये भी याद रखना. अभी तुम बचे हो सब सीख जाओगे” चौहान ने कहा.
“आपका क्या रंक है?”
“मैं इनस्पेक्टर हूँ वर्दी देख कर पता नही चलता क्या”
“पता चल गया सिर…पता चल गया.”
तभी राजू को ध्यान आया, “अरे ये तो वही है जीशणे पूजा को सड़क पर उतारा था.”
“चलो तुम्हारी ट्रैनिंग शुरू की जाए…जाओ मेरे लिए छाए ले कर आओ” चौहान ने कहा.
“छाए सिर?” राजू हैरानी में बोला.
पीछे से शालिनी आ रही थी उसे ये बात शन ली
“मिस्टर चौहान मैने राजवीर को तुम्हारे अंदर ट्रेन करने के लिए लगाया है ना की छाए लाने के लिए.” शालिनी ने रोब से कहा.
“नही मेडम आप ग़लत समझ रही हैं…मैं तो ये कह रहा था की चलो छाए पे कर साएको वाले केस की इंक्वाइरी के लिए चलते हैं” चौहान ने कहा.
“ठीक है….मुझे रिपोर्ट देते रहना की क्या सीखा रहे हो इशे”
“जी मेडम”
“गजब की ऑफीसर हैं ये तो…इनके साथ काम करके मज़ा आएगा” राजू बड़बड़ाया.
“कयामत है ये हम सब के लिए जितना जल्दी समझ लो अछा है” चौहान ने राजू की बात पर रिक्ट किया.
“लेकिन बहुत खूबसूरात कयामत है…ऐसी कयामत को तो मैं हमेशा शीने से लगा कर रखूं” राजू ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो चलो हमें इन्वेस्टिगेशन के लिए निकलना है” चौहान ने कहा.
“मेरी वर्दी सिर?” राजू ने पूछा.
“अरे वर्दी भी मिल जाएगी अभी ऐसे ही चलो” चौहान ने कहा.
“जैसा आप कहें सिर”
चौहान राजू को लेकर सुरिंदर के घर पहुँचता है.
“कराइम सीन है घबराना मत…चारो तरफ खून बीखरा पड़ा है कही देख कर घबरा जाओ”
“मैने न्यूज़ में शन लिया था सब सिर, मैं इन बातो से नही डराता”
“अछा चलो फिर अंदर” चौहान ने कहा.
राजू चौहान के पीछे-पीछे सुरिंदर के घर में घुस्स गया.
“यहा तो कुछ भी नही है” राजू ने कहा.
“लासे पीछे पड़ी है बरखुरदार थोड़ा धीरज रखो” चौहान ने कहा.
“सिर ये बेडरूम देखिए…बिस्तर पर काफ़ी उछाल-पुथल हुई लगती है” राजू ने कहा.
“तुम इसे कमरे को अच्छे से चेक करो मैं पीछे जा रहा हूँ, कुछ भी इंपॉर्टेंट लगे तो मुझे बठाना” चौहान ने कहा.
“ओक सिर मैं यहा देख लेता हूँ” राजे ने कहा ,”वैसे भी मुझे लास देखने का कोई शॉंक नही है” राजू धीरे से बड़बड़ाया.
“क्या कहा तुमने?”
“कुछ नही सिर बस यू ही”
“लास तो तुम्हे अक्सर देखने को मिलेगी बरखुरदार. पुलिस में आए हो किसी गो में नही”
“मेरा वो मतलब नही था सिर.”
“ठीक है…ठीक है चलो जो काम दिया है उसे करो…और मेरे सामने ज़्यादा मत बोला करो”
“सॉरी सिर”
“सॉरी हा…”चौहान कह कर आगे बढ़ गया.
राजू कमरे को बड़े ध्यान से देखता है.
“यहा क्या देखूं बस ये बीखरा हुवा बिस्तर है और ये आल्मिरा है…बाकी तो कुछ नही.”
अचानक उष्की नज़र बेड पर पड़े तकिये पर गयी. उशके बिल्कुल पास कुछ चमकीली चीज़ नज़र आ रही थी. राजू ने आगे बढ़ कर उसे उठा लिया.
“ये तो शोन की चैन लगती है…ये यहा क्या कर रही है…ह्म इसे बेड पर अछी ख़ासी गेम खेली गयी है शायद. खेल-खेल में ये चैन गिर गयी होगी…एक बार नगमा भी तो अपनी पायल भूल गयी थी मेरे कमरे में”
राजू ने बेड को अच्छे से चेक किया और कुछ नही मिला. लेकिन बेड के पास न्यू एअर टेबल पर जो मोबाइल पड़ा था उष पर राजू का ध्यान नही गया. राजू कमरे से बाहर आने लगा, तभी मोबाइल बाज उठा.
राजू ने मोबाइल उठा कर ऑन किया और कान से लगा लिया, “सुरिंदर मेरी शोन की चैन तुम्हारे वाहा चुत गयी शायद. मिल जाए तो संभाल कर रख लेना. संजय ने गिफ्ट दी थी वो हमेशा उसे मेरे गले में देखना चाहता है. तुम कुछ बोल क्यों नही रहे… कल रात मज़ा नही आया क्या”
“मज़ा तो उसे आया ही होगा, क्या आपको पता नही की वो कल रात मारे गये?” राजू ने कहा.
“क..क..कौन बोल रहे हो तुम…और ये क्या बकवास कर रहे हो.” मोनिका ने कहा.
“मैं सब इनस्पेक्टर राजवीर बोल रहा हूँ ज़बान संभाल के बात करो”
मोनिका ने फ़ौरन फोन काट दिया.
“दीखओन क्या अभी?” मोहित ने कहा.
“मुझे क्यों दीखाओगे उष औरात को दीखाओ जा के…मेरे उपर कोई असर नही होने वाला.”
“ही काज़ मैं वाहा जा पाता….क्या मस्त गान्ड है…ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक” मोहित ने कहा.
“तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं” पूजा ने कहा.
“पूजा अगर तुम मन जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा…तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता…तुम बिल्कुल प़ड़्मिनी जैसी हो….बहुत शुनदर.” मोहित ने कहा.
“अछा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना चोद दो…तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रात है नफ़रात.”
“अफ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप़ड़ बेलने पड़ेंगे” मोहित ने कहा.
“बंद करो बकवास अपनी…मैं वापिस जा कर प़ड़्मिनी को सब बता दूँगी की तुम यहा क्या कर रहे थे.”
“नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है” मोहित ने कहा.
“ठीक है चलो फिर.”
“रूको रूको देखो डाल दिया उसने उष्की चुत में थोड़ा तो देख लेने दो.” मोहित ने कहा.
“तुम देखो मैं जा रही हूँ” पूजा ने कहा.
पूजा मूड कर दबे पाँव वाहा से चल दी. पूजा के जाते ही मोहित झाड़ियो से बाहर आ गया.
“अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं.” मोहित ने पूछा.
आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उष औरात की चुत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरात अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वाहा से भाग खड़ी हुई.
“क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो.” रामू ने कहा.
“भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इसे फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उष्की चुत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला ज़ाऊ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है”
“थोड़ी देर रुक नही सकते थे…एक भी धक्का नही मारने दिया उष्की चुत में”
“कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के माराते रहिएगा…आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो”
“वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारून.” रामू झल्ला कर बोला.
“रुकावट के लिए खेद है भाई…कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ.”
“ठीक है ठीक है अभी देता हूँ.” रामू ने कहा.
रामू ने मोहित को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर मोहित मुश्कूराता हुवा फार्म हाउस से बाहर आ गया.
पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और मोहित फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मैं गाते से बाहर आ गया.
“बड़ी जल्दी वापिस आ गये” पूजा ने पूछा.
“अड्रेस मिल गया तो आ गया…मैं यहा इशी काम से तो आया था…काम होते ही आ गया” मोहित ने कहा.
“ऐसा कैसे हो गया…वो लोग तो”
“हैरान हो ना…मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वाहा और काम बन गया….तुम थोड़ी देर रुकती तो अछा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता.”
“अब चलें वापिस?” पूजा ने कहा.
“क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अछा नही लगता?” मोहित ने पूछा.
“क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अछा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी चोद गयी ना तुम्हे…अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी चोद के जाती” पूजा ने कहा.
“वो अलग ही कहानी है पूजा…खैर छोड़ो…मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे नगमा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम नगमा की बहन हो तो उशके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे राजू ने बताया तो था की तुम नगमा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगवँगा.” मोहित ने कहा.
“तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली…चलो अब”
“ये तो वक्त ही बताएगा.” मोहित ने कहा.
दोनो बाएक पर बैठ कर वापिस चल दिए.
…………………………………………….
राजू जाय्निंग की फॉरमॅलिटी पूरी करने के बाद सीधा शालिनी ठाकुर के रूम की तरफ चल दिया. वो उष्का धन्यवाद करना चाहता था. जब वो कमरे में घुसा तो शालिनी अख़बार पढ़ रही थी. राजू भाग कर शालिनी के कदमो में गिर गया और उशके पैर पकड़ लिए.
“अरे ये क्या कर रहे हो कौन हो तुम और तुम्हे अंदर किशणे आने दिया”
राजू ने सर नीचे झुकाए हुवे कहा,”मैं राजवीर सिंग हूँ मेडम…आप यहा ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी नही हो पाती.”
“उठो….तुम अब सी हो और ऐसे आम आदमी की तरह बिहेव मत करो वरना अभी वापिस नौकरी से निकाल दूँगी” शालिनी ने गुस्से में कहा.
राजू फ़ौरन खड़ा हो गया.
“अरे ये तो बहुत यंग है…मैने सोचा कोई काफ़ी उमर की होगी. बेकार में पाँव छू कर अपनी फ़ज़ीहत करवा ली” राजू ने सोचा.
“तुमने जाय्निंग कर ली” शालिनी ने पूछा.
“हन मेडम” राजू ने जवाब दिया.
“जब किसी सीनियर के सामने जाओ तो हाथ पीछे रखो…क्या इतना भी नही जानते…जेब से बाहर निकालो हाथ और स्टॅंड प्रॉपर्ली” शालिनी ने कहा.
राजू ने फ़ौरन हाथ जेब से निकाल कर पीछे कर लिए, “सॉरी मेडम मेरा पहला दिन है और आप जैसी शुनदर लड़की सामने है…मेरा दीमाग नही चल रहा. आगे से ध्यान रखूँगा”
“मैं कोई लड़की नही हूँ तुम्हारी बॉस हूँ…बिहेव युवरसेल्फ”
“सॉरी मेडम”
तभी चौहान अंदर आता है.
“मिस्टर चौहान इसको ट्रैनिंग पर भेज दो.” शालिनी ने कहा.
“मेडम ट्रैनिंग में ये अब अगले साल ही जा पाएगा…अभी इन्स्टिट्यूट में ट्रैनिंग चालू है..और वाहा जगह भी नही है” चौहान ने कहा.
“ठीक है फिर ऐसा करो इशे अपने साथ रखो और काम सिख़ाओ. इसको ट्रेन करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है” शालिनी ने कहा.
“मुझे अपने साथ रख लीजिए ना मेडम…मुझे लगता है आप मुझे ज़्यादा अच्छे से सीखा सकती हैं” राजू ने कहा.
“तुम्हारी राय माँगी किसी ने मिस्टर राजवीर. जैसा कहा है वैसा करो…तुम्हारी कोई शिकायत नही आनी चाहिए” शालिनी ने कहा.
“अफ ये तो ठीकी मिर्ची है इतनी शुनदर लड़की पुलिस में क्या कर रही है.” राजू ने मन ही मन सोचा.
“यू कॅन गो नाउ” शालिनी ने कहा.
राजू वही खड़ा रहा. चौहान ने उसे चलने का इशारा किया तब उसे समझ में आया की उसे भी बाहर जाने को कहा गया है.
बाहर आ कर चौहान बोला, बरखुरदार जाय्निंग तो तुमने कर ली…अपनी नौकरी बचाए रखना चाहते हो तो एक बात ध्यान रखना. अपने सीनियर के आगे कभी ज़्यादा मूह मत खोलना. मैं भी तुम्हारा सीनियर हूँ ये भी याद रखना. अभी तुम बचे हो सब सीख जाओगे” चौहान ने कहा.
“आपका क्या रंक है?”
“मैं इनस्पेक्टर हूँ वर्दी देख कर पता नही चलता क्या”
“पता चल गया सिर…पता चल गया.”
तभी राजू को ध्यान आया, “अरे ये तो वही है जीशणे पूजा को सड़क पर उतारा था.”
“चलो तुम्हारी ट्रैनिंग शुरू की जाए…जाओ मेरे लिए छाए ले कर आओ” चौहान ने कहा.
“छाए सिर?” राजू हैरानी में बोला.
पीछे से शालिनी आ रही थी उसे ये बात शन ली
“मिस्टर चौहान मैने राजवीर को तुम्हारे अंदर ट्रेन करने के लिए लगाया है ना की छाए लाने के लिए.” शालिनी ने रोब से कहा.
“नही मेडम आप ग़लत समझ रही हैं…मैं तो ये कह रहा था की चलो छाए पे कर साएको वाले केस की इंक्वाइरी के लिए चलते हैं” चौहान ने कहा.
“ठीक है….मुझे रिपोर्ट देते रहना की क्या सीखा रहे हो इशे”
“जी मेडम”
“गजब की ऑफीसर हैं ये तो…इनके साथ काम करके मज़ा आएगा” राजू बड़बड़ाया.
“कयामत है ये हम सब के लिए जितना जल्दी समझ लो अछा है” चौहान ने राजू की बात पर रिक्ट किया.
“लेकिन बहुत खूबसूरात कयामत है…ऐसी कयामत को तो मैं हमेशा शीने से लगा कर रखूं” राजू ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो चलो हमें इन्वेस्टिगेशन के लिए निकलना है” चौहान ने कहा.
“मेरी वर्दी सिर?” राजू ने पूछा.
“अरे वर्दी भी मिल जाएगी अभी ऐसे ही चलो” चौहान ने कहा.
“जैसा आप कहें सिर”
चौहान राजू को लेकर सुरिंदर के घर पहुँचता है.
“कराइम सीन है घबराना मत…चारो तरफ खून बीखरा पड़ा है कही देख कर घबरा जाओ”
“मैने न्यूज़ में शन लिया था सब सिर, मैं इन बातो से नही डराता”
“अछा चलो फिर अंदर” चौहान ने कहा.
राजू चौहान के पीछे-पीछे सुरिंदर के घर में घुस्स गया.
“यहा तो कुछ भी नही है” राजू ने कहा.
“लासे पीछे पड़ी है बरखुरदार थोड़ा धीरज रखो” चौहान ने कहा.
“सिर ये बेडरूम देखिए…बिस्तर पर काफ़ी उछाल-पुथल हुई लगती है” राजू ने कहा.
“तुम इसे कमरे को अच्छे से चेक करो मैं पीछे जा रहा हूँ, कुछ भी इंपॉर्टेंट लगे तो मुझे बठाना” चौहान ने कहा.
“ओक सिर मैं यहा देख लेता हूँ” राजे ने कहा ,”वैसे भी मुझे लास देखने का कोई शॉंक नही है” राजू धीरे से बड़बड़ाया.
“क्या कहा तुमने?”
“कुछ नही सिर बस यू ही”
“लास तो तुम्हे अक्सर देखने को मिलेगी बरखुरदार. पुलिस में आए हो किसी गो में नही”
“मेरा वो मतलब नही था सिर.”
“ठीक है…ठीक है चलो जो काम दिया है उसे करो…और मेरे सामने ज़्यादा मत बोला करो”
“सॉरी सिर”
“सॉरी हा…”चौहान कह कर आगे बढ़ गया.
राजू कमरे को बड़े ध्यान से देखता है.
“यहा क्या देखूं बस ये बीखरा हुवा बिस्तर है और ये आल्मिरा है…बाकी तो कुछ नही.”
अचानक उष्की नज़र बेड पर पड़े तकिये पर गयी. उशके बिल्कुल पास कुछ चमकीली चीज़ नज़र आ रही थी. राजू ने आगे बढ़ कर उसे उठा लिया.
“ये तो शोन की चैन लगती है…ये यहा क्या कर रही है…ह्म इसे बेड पर अछी ख़ासी गेम खेली गयी है शायद. खेल-खेल में ये चैन गिर गयी होगी…एक बार नगमा भी तो अपनी पायल भूल गयी थी मेरे कमरे में”
राजू ने बेड को अच्छे से चेक किया और कुछ नही मिला. लेकिन बेड के पास न्यू एअर टेबल पर जो मोबाइल पड़ा था उष पर राजू का ध्यान नही गया. राजू कमरे से बाहर आने लगा, तभी मोबाइल बाज उठा.
राजू ने मोबाइल उठा कर ऑन किया और कान से लगा लिया, “सुरिंदर मेरी शोन की चैन तुम्हारे वाहा चुत गयी शायद. मिल जाए तो संभाल कर रख लेना. संजय ने गिफ्ट दी थी वो हमेशा उसे मेरे गले में देखना चाहता है. तुम कुछ बोल क्यों नही रहे… कल रात मज़ा नही आया क्या”
“मज़ा तो उसे आया ही होगा, क्या आपको पता नही की वो कल रात मारे गये?” राजू ने कहा.
“क..क..कौन बोल रहे हो तुम…और ये क्या बकवास कर रहे हो.” मोनिका ने कहा.
“मैं सब इनस्पेक्टर राजवीर बोल रहा हूँ ज़बान संभाल के बात करो”
मोनिका ने फ़ौरन फोन काट दिया.