आहह इतनी ज़ोर से क्यों गिराया.”
“गाड़ा मखमली है सोचा तुम्हे अछा लगेगा.” भोलू ने कहा.
भोलू नगमा की चाहती पर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. लंड नगमा के मूह के बिल्कुल सामने था.
“ये क्या कर रहे हो.”
“लंड चूस चुपचाप.”
“मैं ये काम नही कराती.”
“तो अब करले चल मूह में डाल”
“मैं सच कह रही हूँ मैं लंड नही चूस्टी…मैने कभी राजू का भी नही चूसा.”
भोलू नगमा के होंटो पर अपना लंड रगड़ने लगा.
“नही हटो…”
“मेरी जान चूस के तो देख गन्ने से भी मीठा लगेगा तुझे.”
भोलू लगातार नगमा के बंद मूह पर लंड रगड़ता रहा. “जब तक तू मूह नही खोलेगी ये यही रहेगा.”
“तूने चुत में डालना है की नही.”
“चुत में भी डालूँगा मेरी जान पहले थोड़ा चूस तो ले.”
“अफ क्या मुसीबत है…चल थोड़ी देर चूस लेती हूँ…पर दुबारा नही करूँगी ठीक है.”
“ठीक है…हे..हे..हे.”
“दाँत मत दीखाओ वरना दाँत मार दूँगी तुम्हारे लंड पे.”
“नही ऐसा मत करना वरना…”
नगमा ने मूह खोला और भोलू के लंड को मूह में ले लिया. वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी.
“मुझे पता था की तू बहुत अच्छे से चूसेगी…आअहह.”
नगमा लोली पोप की तरह लंड चूस रही थी और भोलू आहें भर रहा था. कुछ देर बाद नगमा ने लंड मूह से बाहर निकाल दिया और बोली, “चल बस बहुत हो गया…फटाफट मेरी चुत में डाल दे.”
भोलू ने नगमा की सलवार उतारी और अपनी पेंट उतार कर उष्की टाँगो के बीच बैठ गया. उसने नगमा की टांगे अपने कंधो पर न्यू एअर और एक झटके में नगमा की चिकनी चुत में लंड डाल दिया.
“आअहह भोलू….आआहह आज बस मेरी चुत की प्यास भुजा दे आहह”
“चिंता मत कर सारी रात चोदूगा तुझे मैं” भोलू ने कहा और नगमा की चुत में ज़ोर ज़ोर से लंड अंदर बाहर करने लगा. उशके अँड हर धक्के के साथ नगमा की चुत के मूह से टकरा रहे थे.
“उुउऊहह भोलू….आआहह और तेज आअहह”
“तेरी चुत बहुत मस्त है नगमा सच बता कितने लंड खा चुकी है ये.”
“ये वेजिटेरियन है….आआहह एक भी लंड नही खाया ईसणे आअहह”
“हा..हा..हा..हे..हे…बहुत खूब कही….मज़ा आता है तेरी चुत मारने में.”
“तो मार ना और तेज़ी से मार आअहह…. मेरा भी आज बहुत मन था आहह.”
भोलू ने थोड़ी बढ़ता और बढ़ा दी और नगमा की चुत में लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी. नगमा 2 बार झाड़ चुकी थी.
“ऊओह बस मैं अब पानी छोड़ने वाला हूँ.”
“नही रूको थोड़ी देर और करो आआहह.” नगमा एक और ऑर्गॅज़म के करीब थी.
भोलू के धक्के चालू रहे और नगमा छींख कर एक बार और झाड़ गयी. भोलू भी उशी के साथ उशके उपर ढेर हो गया.
“आअहह अब नींद आएगी मुझे” नगमा ने कहा.
“तू यहा शोन आई है क्या…अभी तो तेरी गान्ड भी मारनी है”
“ऐसा सोचना भी मत वरना दुबारा नही दूँगी समझे.”
……………………………………………….
राजू और प़ड़्मिनी आस्प शालिनी के घर के बाहर पहुँच गये.
“क्या सोच रहे हो बेल बजाओ.”
“बहुत कड़क मेडम हैं दर लगता है.”
“तुम हटो पीछे मुझे बेल बजाने दो.”
प़ड़्मिनी ने बेल बजाई. पर किसी ने दरवाजा नही खोला.
“लगता है मेडम शो रही हैं” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने फिर से बेल बजाई. किसी के आने की आहत शुनाई दी.
राजू का दिल बैठ गया वो दर रहा था की ना जाने आस्प साहिबा उनकी बात को किश तरह से लेंगी. उसे विश्वास तो था की वो उनकी बात समझेंगी लेकिन फिर भी उनके गरम मिज़ाज से घबरा रहा था.
दरवाजा खुलता है.
“जी कहिए क्या काम है?” शालिने की मैड ने पूछा.
“क्या शालिनी जी घर पे हैं?” राजू ने कहा.
“हन हैं…क्या काम है?” मियाद ने कहा.
“मेडम की तो मैड भी कड़क है” राजू सोचने लगा.
“हमें उनसे मिलना है” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ये वक्त है मिलने का…सुबह आना…जाओ यहा से” मैड ने कहा.
“हमें क्या भीकारी समझ रखा है, मैं सब इनस्पेक्टर राजवीर सिंग हूँ …हमारा मेडम से मिलना बहुत ज़रूरी है…जाओ मेडम को मेसेज दे दो.”
“मेडम मुझे गुस्सा करेंगी” मैड ने कहा.
“कौन है माला?” घर के अंदर से आवाज़ आई.
“मेंसाहब् आपसे मिलना चाहते हैं ये लोग.”
“ये मिलने का वक्त है क्या रात के सादे ग्यारा हो रहे हैं.” शालिनी बोलते बोलते दरवाजे पर आ गयी.
“राजवीर तुम…और ये लड़की कौन है? शालिनी ने कहा.
“मेडम बात ज़रा कॉंप्लिकेटेड है…अगर हम बैठ कर बात करें तो ठीक होगा” राजू ने कहा.
“हन-हन आओ अंदर आ जाओ…माला जाओ इनके लिए छाए पानी का इंतेज़ां करो”
मैड ने राजू और प़ड़्मिनी को घूर कर देखा और अपना नाक शिकोड कर वाहा से चली गयी.
राजू और प़ड़्मिनी एक ही सोफे पर बैठ गये…शालिनी दूसरे सोफे पर बैठ गयी.
“इन्हे कहीं देखा है” शालिनी ने प़ड़्मिनी की तरफ इशारा करते हुवे कहा.
“यही प़ड़्मिनी है…जिन्हे पूरा पुलिस डिपार्टमेंट ढुंड रहा है” राजू ने कहा.
“क्या?” शालिनी फ़ौरन खड़ी हो गयी. “ये तुम्हारे साथ क्या कर रही है?”
“मेडम इन्होने किसी का खून नही किया…बल्कि सच तो ये है की सिर्फ़ यही जानती हैं की साएको किल्लर कौन है”
राजू डीटेल में सारी कहानी शालिनी को शुनाता है. शालिनी उष्की पूरी बात बड़े ध्यान से शुंती है.
“ह्म अगर ये सच है तो बहुत बुरा हुवा तुम्हारे साथ प़ड़्मिनी…पर तुम्हे पहले ही पुलिस को सच बता देना चाहिए था.” शालिनी ने कहा.
“कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करें….टीवी पर अपनी फोटो देख कर दर गयी थी मैं. पुलिस कातिल समझ कर मुझे ढुंड रही थी ऐसे में कैसे आती पुलिस के पास मैं” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आज जब उष साएको ने ये काग़ज़ पठार में लपेट कर फेंका तो मुझे आइडिया आया की मुझे आपसे बात करनी चाहिए. देखिए सिर्फ़ ये जानती हैं की साएको कौन है…इश्लीए वो इनके पीछे पड़ा है…अब आप ही डिसाइड कीजिए की क्या किया जाए.”
“तुम्हारे पास चौहान का नंबर है.” शालिनी ने कहा.
“जी मेडम है” राजू ने जवाब दिया.
“उशे तुरंत यहा आने को कहो”
“जी मेडम”
राजू ने चौहान को फोन मिलाया, “अब तो मिल गया पहले नही मिल रहा था.”
राजू ने चौहान को वाहा आने को बोल दिया.
“क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ?” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“हन बिल्कुल…पर पूरी सुरक्षा के साथ जाओगी तुम अपने घर. 2 पुलिस वाले तो वाहा पहले से हैं 2 और लगाने पड़ेंगे….अछा एक बात बताओ.” शालिनी ने कहा.
“जी पूछिए”
“क्या तुम उष साएको का स्केच बनवा सकती हो.”
“कोशिस करूँगी…पर मेरे लिए उशके चेहरे को डिस्कराइब करना थोड़ा मुस्किल है” प़ड़्मिनी ने कहा.
“चलो बाद में देखते हैं ये सब”
तभी चौहान भी वाहा आ गया. उसने राजू और प़ड़्मिनी को घूर कर देखा.
“मिस्टर चौहान किश तरह से हॅंडल कर रहे हैं आप इसे केस को”
“क्या हुवा मेडम?” चौहान गिड़गिदाया.
“क्या कोई और सबूत था तुम्हारे पास प़ड़्मिनी के खिलाफ उष वितनेस के शिवा.”
“जी नही मेडम बस वही काफ़ी था.”
“कैसे काफ़ी था..राजवीर जो तुमने मुझे बताया इनको भी बताओ”
राजू चौहान को भी सारी कहानी बता देता है.
“कुछ समझ में आया की क्या हो रहा है?”
“हन मेडम पर अगर कोई पुलिस को आके बताएगा ही नही तो हमें कैसे पता चलेगा” चौहान ने कहा.
“जो भी हो तुम ठीक से हॅंडल नही कर रहे हो इसे केस को.”
“मुझे एक और मोका दीजिए मेडम…असली कातिल जल्द से जल्द पुलिस की हीराअसत में होगा.”
“ठीक है दिया एक और मोका…पहले प़ड़्मिनी को इनके घर छोड़ने का इंतेज़ां करो और इनके घर पर सुरक्षा बढ़ा दो.”
“मेडम मीडीया वालो को क्या कहेंगे.”
“अभी किसी को कुछ नही कहना…ये बात पुलिस डिपार्टमेंट से बाहर नही जाएगी.”
“जी मेडम.” चौहान ने कहा.
प़ड़्मिनी और राजू उशी जीप में बैठ गये जीश में आए थे. साथ में चौहान की जीप थी. अंधेरी रात में दोनो जीपे प़ड़्मिनी के घर की और बढ़ रही थी. प़ड़्मिनी की ख़ुसी का ठीकाना नही था. उसे ऐसा लग रहा था की वो वर्षो बाद घर जा रही है.
जब घर पहुँच कर प़ड़्मिनी ने घर की बेल बजाई तो उशके पिता जी ने दरवाजा खोला. उन्हे विश्वास ही नही हुवा की सामने प़ड़्मिनी खड़ी है.
“पापा ऐसे क्या देख रहे हैं मैं हू प़ड़्मिनी.”
“बेटा” बस इतना ही कह पाए प़ड़्मिनी के पिता जी और प़ड़्मिनी को गले लगा लिया.
“ये सब क्या हो रहा है बेटा”
“पापा सब बताती हूँ…इनसे मिलिए ये है राजू…इन्होने मेरी बड़ी मदद की है.”
राजू ने प़ड़्मिनी के पिता जी के पाँव चुवे और कहा, “ठीक है प़ड़्मिनी जी अब आप अपने घर पहुँच गयी हैं…मुझे बहुत ख़ुसी है.”
“आओ बेटा कुछ छाए पानी लो.”
“नही अंकल रात बहुत हो चुकी है फिर कभी.”
चौहान दूर खड़ा सब शन रहा था. “ये तो साला हीरो बन गया पुलिस में आते ही अछी किशमत पाई है”
प़ड़्मिनी को छोड़ कर राजू और चौहान वापिस चल दिए. चौहान ने चार कॉन्स्टेबल प़ड़्मिनी की सुरक्षा के लिए वाहा छोड़ दिए.
………………………………………………..
नगमा भोलू के बिस्तर पर शो चुकी थी. भोलू की भी आँख लग गयी थी. भोलू को टाय्लेट का प्रेशर हुवा तो उष्की आँख खुल गयी.
“नींद ही आ गयी थी” भोलू ने आँखे मलते हुवे कहा.
भोलू टाय्लेट से वापिस आया तो उष्की नज़र नगमा पर गयी. वो पेट के बाल पड़ी थी. उष्की नंगी गान्ड भोलू पर अजीब सा असर कर रही थी.
भोलू के लंड में हरकत होने लगी.
“क्या करूँ…कैसे सेक्सी पोज़ में लेती हुई है ये…अब कोई गान्ड ना मारे तो क्या करे.”
भोलू का लंड पूरा तन गया. भोलू नगमा के उपर लाते गया. उष्का लंड नगमा की गान्ड लाते गया.
नगमा गहरी नींद में थी और वो यू ही पड़ी रही.
भोलू ने हाथ पे थूक लगाया और नगमा की गान्ड फैला कर उशके होल को चिकना कर दिया. थोड़ा सा थूक उसने अपने लंड पर भी रग़ाद लिया. फिर उसने दोनो हाथो से गान्ड को फैलाया और लंड को नगमा की गान्ड के छेद पर टीका दिया. नगमा की गान्ड पीछले 2 दिन की तुकाई से थोड़ा खुली हुई थी. जैसे ही भोलू ने धक्का मारा आधा लंड नगमा की गान्ड में घुस्स गया.
“उूउऊययययययीीईईईई मा कौन है…कौन है.” नगमा की आँख खुल गयी.
“मैं हूँ भोलू…हे..हे..हे”
“आआहह क्या कर रहे हो तुम ऊओ.”
“शोती हुई लड़की की गान्ड मार रहा हूँ…आअहह.. ऊऊहह”
“आआहह….ऊऊहह ऐसा क्यों कर रहे हो तुम.”
भोलू ने पूरा लंड नगमा की गान्ड में घुस्सा दिया और बोला,”तुम्हारी गान्ड अछी लगती है इश्लीए.”
“ऊओह मुझे उठा कर नही डाल सकते थे…मुझे डरा दिया.”
“तेरी गान्ड देख कर कुछ होश ही नही रहा…. थूक लगा कर घुस्सा दिया”
“तुम हमेशा चालाकी से गान्ड माराते हो आआहह”
भोलू ने लंड बाहर की और खींचा और दुबारा अंदर डाल दिया, “तेरी गान्ड के लिए कुछ भी करूँगा आअहह.”
भोलू तेज तेज नगमा की गान्ड ठोकने लगा. कमरे में नगमा की सिसकिया गूंजने लगी.
“कुट्टिया बन जा और ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे क्या बोलती है आअहह”
“किसी कुट्टिया की ले ले जाके मैं कुट्टिया नही बनूँगी आअहह”
“कुट्टिया तो तू है ही बन-ने की क्या ज़रूरात है आअहह” भोलू नगमा की गान्ड में लंड अंदर धकेलते हुवे बोला.
“तो तू कौन सा कुत्ते से कम है…आअहह”
भोलू ने अपनी बढ़ता बढ़ा दी. हर धक्के के साथ नगमा की गान्ड चालक रही थी. नगमा ने माधोसी में बिस्तर की चादर को मुति में काश लिया था.
भोलू नगमा की गान्ड में झाड़ गया. दोनो यू ही पड़े रहे. कब दोनो को नींद आ गयी पता ही नही चला. भोलू का लंड नगमा की गान्ड की गहराई में ही शो गया.
प़ड़्मिनी अपने पेरेंट्स को पूरी कहानी शुनाती है.
“उष लड़के मोहित को भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए…ऐसा तो कोई पागल ही कर सकता है”
“छोड़िए पापा जो हो गया शो हो गया…अब बस यही ड्यूवा कीजिए की वो साएको पकड़ा जाए.”
प़ड़्मिनी अपने पेरेंट्स के साथ काफ़ी देर तक बैठी रही. सभी खुश थे.
“चलो बेटा शो जाओ आँखे लाल लग रही हैं तुम्हारी ठीक से शोय भी नही शायद” प़ड़्मिनी की मदर ने कहा.
“ठीक है…मुझे बहुत गहरी नींद आ रही है.”
सभी अपने-अपने बेडरूम में चले गये. प़ड़्मिनी ने खिड़की से झाँक कर देखा. बाहर रात का सन्नाटा था. 3 पुलिस वाले शो रहे थे और एक अपने मोबाइल पे कुछ देख रहा था.
“ऐसी सुरक्षा से तो सुरक्षा ना होना बेहतर है. कम से कम इंसान अपने भरोसे तो रहे.” प़ड़्मिनी ने सोचा.
प़ड़्मिनी अपने बेडरूम में आ गयी और अपने बिस्तर में घुस्स गयी. “मुझे अलर्ट रहना होगा” प़ड़्मिनी ने कहा.
प़ड़्मिनी घर तो पहुँच गयी पर रह रह कर उष्का दिल घबरा रहा था. वो दर रही थी की कही वो साएको वाहा ना पहुँच जाए.
……………………………………………………..
“यार बस और नही…बहुत पे ली” मोहित ने कहा.
“पी ना यार रोज रोज कहा हम पीते हैं…आज पे रहे हैं तो क्यों ना जी भर के पिए.”
“वो तो ठीक है…पर यार बहुत नशा हो रहा है.”
“दूसरे नशे की जगाह बाकी है की नही”
“दूसरा नशा…कौन सा दूसरा नशा.”
“मेरे पड़ोसी की बीवी बड़ी मस्त है कहे तो बुला लू…बोल क्या कहता है…अभी आ जाएगी वो.”
“नया माल फ़साया है क्या…बताया नही तूने कामीने.”
“तू मिला ही कहा इतने दिन से बस अभी 2 हफ्ते पहले ही फ़साई है.”
“बबलू तू शादी भी करेगा या फिर यू ही काम चलाता रहेगा.”
“तुझे शादी करके क्या मिल गया…कहा है तेरी बीवी.”
“यार तू उष्की बात मत कर वो अलग ही कहानी है.”
“बता दे हमें भी…हमें भी तो पता चले.”
“छोड़ यार मूड खराब हो जाएगा”
“बता फिर बुलओन क्या पड़ोसन को…मस्त आइटम है.”
“सेयेल रात के दो बाज रहे हैं…वो क्यों आएगी इसे वक्त.”
“आएगी…आएगी क्यों नही उष्की दुखती राग मेरे हाथ में है.”
“ब्लॅकमेल कर रहा है क्या बे…मुझे ज़बरदस्ती किसी की लेना अछा नही लगता.”
“अरे नही…उष्का एक लोंडे से चक्कर था. मैने एक दिन उन्हे चत्ट पर पकड़ लिया. बस तभी से मुझे भी मिल रही है उष्की. बस मैं डराता रहता हूँ उसे की तेरे पाती को सब बता दूँगा…डार्क बहुत अच्छे से देती है वो.”
“जो भी हो है तो ये एक तरह की ब्लॅकमेलिंग ही.”
“वो क्या सती शवित्री है कोई…ऐसा मोका कोई गवाता है क्या.”
“देख यार इतनी रात को उसे मत बुला…सहर में वैसे ही साएको का आतंक फैला हुवा है.”
“अरे उषा कौन सा सड़क से आना है…चत्ट ताप कर आ जाएगी यहा.”
“वैसे सच काहु तो मेरा अभी मन नही है…एक लड़की पे दिल आ गया है यार.”
“भाई मुझे तो शराब के साथ शबाब भी चाहिए अभी फोन कराता हूँ साली को”
मोहित नशे में टल्ली हो रहा था. उसे सॉफ सॉफ दीखाई भी नही दे रहा था. पर वो बात ठीक से कर रहा था.
बबलू ने फोन किया, “साली उठा नही रही है…कहा मार गयी.”
“रहने दे यार क्यों इतनी रात को परेशान कराता है. शो रही होगी बेचारी.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 22
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“उशे परेशान करना मेरा हक है यार…मेरी बात नही मानेगी तो कल ही फँसा दूँगा साली को.”
मोहित खड़ा हुवा और फोन बबलू के हाथ से चीन लिया.
“समझा कर मेरा बिल्कुल मन नही है.” मोहित ने कहा.
“अछा तू रहने देना…पर मैं तो लूँगा साली की आज फिर…वैसे ये बता कौन है वो लड़की जो तेरा दिल ले उसी…और तेरा मन खराब कर दिया.”
“है एक लड़की…पहले पता लू फिर उशके बड़े में बतावँगा.”
बबलू ने मोहित से फोन वापिस ले लिया और बोला, ” मुझे तो मज़ा करने दे भाई मेरे…मेरा बहुत मन है अभी.”
“उष्का पाती नही है क्या घर में जो वो इसे वक्त आएगी.”
“पाती पुलिस में है और अक्सर अपनी ड्यूटी के कारण बाहर ही रहता है. नाइट ड्यूटी ज़्यादा रहती है उष्की.”
“सेयेल तू पुलिस वाले की बीवी थोक रहा है..किसी दिन पकड़ा गया ना तो वो तुझे थोक देगा.”
“देखा जाएगा यार…ऐसा माल क्या रोज मिलता है…तू देखेगा ना तो तेरा भी मन हो जाएगा हे..हे..हे.”
“तू सच में पागल है…तेरा कुछ नही हो सकता.” मोहित ने कहा.
बबलू ने फिर से फोन मिलाया, “सरिता जी क्या बात है फोन क्यों नही उठा रही”
“क्या है इतनी रात को क्यों फोन किया.” सरिता ने कहा.
“फोन कब कराता हूँ मैं तुझे हे..हे..हे.”
“देखो मैं इसे वक्त नही आ सकती…मुझे रात को घर से निकालने में दर लगता है.”
“मैं तुझे रिकवेस्ट नही कर रहा हूँ… ऑर्डर दे रहा हूँ तुझे समझी जल्दी आजा यहा वरना कल तेरे पाती को तेरे कारनामे शुना दूँगा.”
“देखो बाहर बहुत हलचल हो रही है आज…मुझे दर लग रहा है…कही वो साएको यहा आस पास हुई तो.”
“तुझे कौन सा सड़क पार करके आना है…चत्ट करॉस करके आजा…भाने मत बना वरना मेरा दीमाग घूम जाएगा.”
“ठीक है बाबा मैं 10 मिनिट में आ रही हूँ.”
“ये हुई ना बात…और शन सारी पहन के आना मुझे तेरी सॅडी उतारनी अछी लगती है…हे..हे..हे.”
“आधा घंटा लगेगा सारी पहन-ने में कोई मज़ाक है क्या.”
“मुझे कुछ नही पता… सारी पहन कर जल्दी आ जा.” बबलू ने फोन काट दिया.
“तू तो बहुत हुकुम चलाता है बेचारी पे.” मोहित ने कहा.
“हुकुम चलाना पड़ता है यार वरना वो क्यों देगी मुझे…तेरे जैसा स्मार्ट तो हू नही मैं हे..हे..हे.”
……………………………………………
“अफ क्या करूँ इसे कामीने का मैं…किशी भी वक्त बुला लेता है…मैं तो तंग आ गयी हूँ इसे से.” सरिता ने सोचा.
सरिता अपनी आल्मिरा खोल कर सारी ढूँडने लगी.
“कौन सी पहनु….क्या मुसीबत है.” सरिता झल्ला कर बोली और आल्मिरा का दरवाजा पटक दिया.
“ये वक्त है किसी को बुलाने का…कितनी अछी नींद आ रही थी…अफ क्या करूँ”
जैसे तैसे सरिता ने सारी पहनी और अपने बाल-वाल सेट करके अपने घर की चत्ट पर आ गयी.
“कितना सन्नाटा है बाहर…और ये कुत्ते पता नही क्यों भोंक रहे हैं आज. कुछ ज़्यादा ही शोर मचा रहे हैं.”
सरिता अपने घर की चत्ट से बबलू के घर की चत्ट पर आ गयी.
“कही ये आ गये तो…नही नही उनकी नाइट ड्यूटी है सुबह से पहले नही आएँगे और आएँगे भी तो भी बबलू के घर से बेल तो शन ही जाएगी…भाग कर चत्ट के रास्ते वापिस आ जवँगी.” सरिता चलते चलते सोच रही थी.
सरिता बबलू के घर की सीढ़ियों से नीचे आ गयी और उसने पीछे का दरवाजा खड़क्या.
“लो आ गया मेरा माल…देखता जा…उशे देख कर डिसाइड करना की मन है की नही..हे..हे..हे.”
बबलू सरिता के लिए दरवाजा खोलने चल दिया. उशके कदम नशे की वजह से लड़खड़ा रहे थे.
बबलू ने दरवाजा खोला. सामने स्काइ ब्लू सारी में लिपटी सरिता खड़ी थी.
“वाउ क्या मस्त सारी पहन के आई है…आजा आजा मेरा दोस्त तुझे देखेगा तो मार मितेगा तुझपे.”
“क्या!…. तुम्हारा दोस्त साथ में है क्या?”
“हन…आजा मिलवाता हूँ…बहुत स्मार्ट है तुझे पसंद आएगा.” बबलू ने सरिता का हाथ पकड़ कर कहा.
“रूको…मुझे नही मिलना किसी से…मुझे बदनाम करवाओगे क्या?”
“आबे चुप कर तुझ से पूछा है किसी ने चुपचाप मेरे साथ चल.” बबलू ने कहा.
बबलू सरिता को घसीट कर उष कमरे में ले आया जहा मोहित बैठा था.
“ये देख…ये है मेरी मस्त आइटम…बीवी से भी ज़्यादा काम की है…जब चाहे बुला लेता हू इशे.” बबलू ने कहा.
सरिता ने किसी तरह अपना हाथ बबलू के हाथ से छुड़ा लिया. सरिता को देखते ही मोहित लड़खड़ाते कदमो से खड़ा हो गया.
“क्या हुवा…अब बता कैसी लदी मेरी आइटम…मस्त है ने…इश्कि छाती की गोलाई देख…है ना जबरदस्त. अब बता मन है की नही तेरा.” बबलू ने कहा.
सरिता की आँखो में शरम, दर और गुस्सा तीनो एक साथ नज़र आ रहे थे. मोहित भाप गया था की उसे उष्का वाहा होना अछा नही लग रहा. हालाँकि उष्का लंड उष्की पेंट में कूदने लगा था फिर भी वो बबलू को ऐसे ही शो कर रहा था जैसे की उष्का कोई इंटेरेस्ट नही है. शायद पूजा के लिए उशके दिल में उठी हलचल भी इश्का कारण था. पर जो भी हो सरिता की खूबसूराती को वो बड़े गोर से निहार रहा था.
“क्या सोच रहा है यार आगे बढ़ और थाम ले इशके गोल गोल संतरो को.” बबलू ने कहा.
सरिता ने बबलू को घूर के देखा.
“आबे देख क्या रही है…अपना बहुत ख़ास दोस्त है…इशे भी जलवे दिखा अपने.”
“देखो तुम ये ठीक नही कर रहे” सरिता ने कहा.
“अछा अब तू मुझे बताएगी की क्या ठीक है और क्या ग़लत…तू बड़ा ठीक कर रही थी उष दिन चत्ट पर. बहुत बेशर्मी से पिलवा रही थी अपनी हा भूल गयी.”
सरिता कुछ नही बोल पाई.
बबलू सरिता के पीछे गया और उसे पीछे से जाकड़ लिया. उशके दोनो हाथ सरिता के बूबा पर थे और उष्का लंड सारी के उपर से सरिता की गान्ड को महसूस कर रहा था.
“छोड़ो मुझे…इनके सामने ये सब मत करो.” सरिता ने चटपटाते हुवे कहा.
“बहुत गर्मी दीखा रही है आज हा… देख ले तेरे पाती को कल सब कुछ बता दूँगा..फिर देखते हैं तेरी गर्मी.”
“बबलू आराम से यार…मेरे सामने ज़बरदस्ती मत कर…मुझे अछा नही लगता.” मोहित ने कहा.
“तुझे नही पता ये इशी तरह काबू में आती है” बबलू ने कहा.
बबलू ने सरिता के बूब्स को ज़ोर से दबाया उष्का इरादा उसे दर्द देने का था.
“आआहह…नही…” सरिता कराह उठी.
“मैं जा रहा हूँ भाई यहा से मुझसे ये सब नही देखा जाता” मोहित ने कहा.
“अरे तुझे क्यों बुरा लग रहा है…अछा बैठ अब नही करूँगा ऐसा” बबलू ने कहा.
ये शन कर सरिता ने भी राहत की साँस ली.
बबलू अब सरिता की गान्ड को सहलाने लगा. “सारी में ये गान्ड अछी लगती है खि…खि..खि.” बबलू हासने लगा.
“क्या हम दूसरे कमरे में चलें यहा मुझे शरम आ रही है इनके सामने” सरिता ने कहा.
मोहित ने सरिता की बात शन ली. “ऐसा कराता हूँ मैं ही दूसरे कमरे में चला जाता हूँ.” मोहित ने कहा और लड़खड़ाते हुवे वाहा से चल दिया.
“अरे यार तू कहा जा रहा है…रुक ना देख मैं कैसे लेता हूँ इसे आइटम की” बबलू सरिता की गान्ड पर चुटकी मार कर बोला.
“आउच..” सरिता कराह उठी.
मोहित बबलू की बात उंशुणी करके वाहा से चला गया. दूसरे कमरे में आ कर वो बिस्तर पर गिर गया. नशे के कारण उष्का सर घूम रहा था. वो आँखे बंद करके चुपचाप लाते गया.
“तुझे आज हो क्या गया है क्यों इतने नखरे कर रही है…पता है ना तुझे मुझे ये सब पसंद नही.” बबलू ने सरिता को पीछे से ज़ोर से जाकड़ के उशके कान में कहा.
“एक तो इतनी रात को बुलाते हो मुझे…उपर से अपने दोस्त के सामने ये सब हरकते करते हो..किशे अछा लगेगा.” सरिता ने कहा.
“बहुत बोल रही है आज हा रुक अभी मज़ा चखाता हूँ” बबलू ने कहा.
बबलू ने एक स्केल उठाया और सरिता को बोला, “चल झुक.”
सरिता को समझ नही आया की आख़िर वो करना क्या चाहता है.
बबलू ने सरिता को फोर्स्फुली झुक्या और उष्की सारी पतकोट सहित उपर उठा दी. सरिता ने ब्लू पेंटी पहनी हुई थी बबलू ने वो भी नीचे सरका दी. अब सरिता की नंगी गान्ड बबलू के सामने थी.
बबलू ने स्केल को हवा में हिलाया और ज़ोर से सरिता की गान्ड पर मार दिया.
“आअहह ये क्या कर रहे हो?” सरिता कराह उठी.
“तेरा नखरा उतार रहा हूँ… अब बोल” बबलू ने कहा और स्केल को एक बार फिर सरिता की गान्ड पर जड़ दिया.
सरिता की गान्ड लाल हो गयी. “क्या बात है…बस दो बार की पीटाई में ही ये गान्ड लाल हो गयी…अभी तो बहुत पीटाई बाकी है…हे..हे..हा..हा.”
“तुम पागल हो गये हो आज आआहह” सरिता की गान्ड पर एक और वार हुवा.
“क्या बात है…क्या चलकती है तेरी गान्ड स्केल पड़ने से…मज़ा आ गया…वाउ.” बबलू ने कहा और एक बार फिर से सरिता की गान्ड पर स्केल दे मारा.
“ऊओह…. यू अरे सिक आहह.”
सरिता के कराहने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दे रही थी. “क्या कर रहा है ये” मोहित बड़बड़ाया.
“अब मज़ा आएगा तेरी मारने में.” बबलू ने कहा.
बबलू ने अपनी पेंट की चैन खोली और अपने तने हुवे लंड को बाहर खींच लिया. सरिता को बबलू का लंड अपनी गान्ड पर महसूस हुवा.
बबलू ने हल्का सा थूक अपने लंड पे लगाया और सरिता की चुत पर लंड को टीका दिया.
“वाउ आज तो अलग ही मज़ा आ रहा है तेरे साथ ऊओ.” बबलू ने कहा.
बबलू ने लंड सरिता की चुत में घुसेड दिया.
“आआहह अभी मैं तैयार नही थी ऊओ.” सरिता फिर से कराह उठी.
“उष से क्या फराक पड़ता है खि…खि..खि..”
“तुम एक नंबर के कामीने हो आअहह.”
“तू क्या है फिर…अपने पाती को धोका दे रही है…क्यों आई है यहा हे..हे..हे.”
“मैं अपनी मर्ज़ी से नही आई आअहह.”
बबलू ने सरिता की चुत में लंड पेलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में सरिता भी बहकने लगी. उशके दर्द की आहें अब मज़े की आआहएं बन गयी.
“तेरे उष बाय्फ्रेंड से अछा मज़ा देता हूँ ना मैं आअहह.”
“ऐसा कुछ नही है आअहह”
“अछा ऐसी बात है साली अभी बताता हूँ” बबलू ने सरिता के बाल नोच लिए और तेज तेज उष्की चुत में लंड अंदर बाहर करने लगा.
“आआहह मेरे बाल छोड़ दो…आअहह”
“क्या हुवे अब साली रंडी.”
“आआहह मुझे गाली मत दो प्लीज़.”
बबलू लगातार सरिता को झुकाए हुवे उशके पीछे से धक्के माराता रहा.
अचानक उसने सरिता की चुत से लंड निकाल लिया और सरिता की गान्ड को फैला कर गान्ड के के छेद पर रख दिया.
“ये क्या कर रहे हो तुम्हे कहा था ना मैने मुझे अनल पसंद नही है”
“आज तेरी गान्ड भी रगदूँगा चुप कर…” बबलू ने कहा.
बबलू ने सरिता को कंधे से जाकड़ लिया ताकि वो हीले नही और लंड को उष्की गान्ड में घुस्सा दिया. सरिता चटपटाई पर लंड आधा गान्ड में घुस्स चुका था.
“उूउऊययययीी निकालो…आआहह” सरिता ने बबलू को ज़ोर से धक्का मारा. बबलू का लंड सरिता की गान्ड से निकल गया और बबलू सर के बाल लड़खड़ा कर पीछे गिर गया. उष्का सर सोफे की लकड़ी से टकराया और उष्का सर खून से लटपथ हो गया.
सरिता ने मूड कर देखा तो पाया की बबलू ज़मीन पर बेहोश पड़ा है और उशके सर से खून बह रहा है.
“ओह माई गोद…क्या ये मार गया.”
सरिता ने बबलू को हिलाया पर उशके शरीर में कोई हरकत नही हुई.
“हे भगवान अब मेरा क्या होगा?” सरिता सर पकड़ कर बैठ गयी.
बबलू के नीचे गिरने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दी.
“अफ अब क्या कर दिया इसे बबलू ने.”
मोहित बिस्तर से उठा और लड़खदाता हुवा वापिस वही आ गया.
वाहा पहुँच कर मोहित के होश उस गये. बबलू ज़मीन पर पड़ा था और उशके पास सरिता सर पकड़े बैठी थी.
“ये सब कैसे हुवा.?” मोहित ने पूछा.
सरिता ने मोहित की तरफ देखा. वो कुछ भी बोलने की हालत में नही थी.
मोहित का तो जैसे नशा ही उतार गया. वो बबलू के पास आया और उष्की साँसे चेक की.
“हे भगवान ये तो मार चुका है…क्या किया तुमने इशके साथ.” मोहित ने कहा.
सरिता फूट फूट कर रोने लगी. उष से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
“अरे मेरी मा कुछ बोलेगी भी या यू ही रोटी रहेगी…अफ कहा फँस गया मैं.”
“य…य..ये मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहा था…मैने इशे धक्का दिया था बस. इश्का सर सोफे की लकड़ी से टकरा गया शायद और….” सरिता फिर रोने लगी.
“अछा…अछा ठीक है चुप हो जाओ” मोहित ने कहा.
“मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था.”
“तेरे साथ पहले कर तो रखा था ईसणे…दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था.” मोहित ने पूछा.
“ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था.” सरिता ने सुबक्ते हुवे कहा
“तो क्या हुवा अनल इस आ नॉर्मल सेक्स” मोहित ने कहा.
“पर मैने कभी नही किया” सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुवे शरम आ रही थी.
“ह्म…फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है.” मोहित ने कहा.
“अब मेरा क्या होगा….मुझे तो जैल जाना पड़ेगा.” सरिता सुबक्ते हुवे बोली.
“मुझे सोचने दो…मैं कुछ ना कुछ कराता हूँ.”
“तुम क्या कर सकते हो इसे में” सरिता ने हैरानी में पूछा.
“तोड़ा सोचने तो दो.” मोहित ने कहा.
“मिल गया एक काम कर सकते हैं हम.” मोहित ने कहा.
“क्या बोलो.”
“आजकल साएको किल्लर का ख़ौफ़ है सहर में…क्यों ना इसे कटाल का इल्ज़ाम हम उष पर डाल दे.”
“क्या ऐसा हो सकता है?”
“बिल्कुल हो सकता है.” मोहित ने कहा.
“तुम ऐसा क्यों करोगे…तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने.”
“देखो ये हादसा है…बबलू तो मार ही चुका है तुम्हारी जींदगी क्यों बर्बाद हो.” मोहित ने कहा.
“पर ये सब कैसे होगा.” सरिता ने कहा.
“यही सोचने वाली बात है.” मोहित ने कहा.
मोहित ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. “बबलू की लास को हमें बाहर कही फेकना होगा.” मोहित ने कहा.
“बाहर पर कैसे?”
“तुम्हारे पास कार है?”
“हन है.”
“चाबी है इसे वक्त तुम्हारे पास.”
“नही वो तो घर पड़ी है.”
“जाओ जा कर ले आओ…ये काम जल्द से जल्द करना होगा.” मोहित ने कहा.
“ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ” सरिता वाहा से चल पड़ी.
मोहित ने बबलू की लास को चदडार में लपेट लिया. “माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जींदगी का सवाल है,” मोहित ने धीरे से कहा.
सरिता कार की चाबी ले आई.
“कार ले आओ यहा.” मोहित ने कहा.
“मुझे बाहर जाने से दर लग रहा है…प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है.” सरिता ने कहा.
“लाओ चाबी मुझे दो.”
सरिता ने चाबी मोहित के हाथ में थमा दी. मोहित फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.
मोहित ने बबलू की लास को उठाया और लास को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लास दिक्क़ी में डाल दी.
“तुम यही रूको मैं लास को ठीकाने लगा कर आता हूँ.” मोहित ने कहा.
सरिता दरवाजा बंद करके वही सोफे पर बैठ गयी. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.
मोहित कुछ ही दूरी पर लास को शुन्सान सी जगह देख कर छोड़ आया. वापिस आ कर उसने फार्स पर खून के निशान सॉफ किए.
“मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी….बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ” सरिता ने कहा.
“आप जैसी खूबसूरात विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है.” मोहित श्राराती अंदाज में कहा.
पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे मोहित की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.
“बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था…मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरात नही हूँ.”
“किश लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे.”
“मैं उसे प्यार कराती हूँ…शादी से पहले का प्यार है मेरा उष से.”
इश्का मतलब मेरा कोई चाँसे नही.” मोहित ने निरासा भरे शब्दो में कहा.
“नही मेरा वो मतलब नही था.” सरिता नज़रे झुका कर बोली.
“फिर ठीक है…देख मेरा आज मन नही है…फिर कभी चलेगा.”
“मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा…पर प्लीज़ मेरे बड़े में किसी को मत बठाना.”
“भरोसा रखो मुझ पे…जाओ तुम अपने घर जाओ…फिर कभी मिलते हैं.”
“ओक…थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मे इन तीस सिचुयेशन.”
“गुड नाइट.” मोहित ने कहा.
सरिता चत्ट के रास्ते से ही अपने घर वापिस आ गयी. मोहित बबलू के घर का टाला लगा कर वाहा से चल दिया.
“अफ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बाएक ले जाना ठीक नही था.”
मोहित पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.
रात का सन्नाटा बहुत भयांक था. रह रह कर कुत्टो के भोंकने की आवाज़ आ रही थी. मोहित को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उष्का पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दीखाई नही दिया.
“अछा ख़ासा पूजा को छोड़ कर वापिस जा रहा था…ना जाने कहा से ये बबलू आ गया. बहुत बुरा हुवा बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उष्की आत्मा को शांति दे.”
मोहित आगे बढ़ा जा रहा था. अचानक उष्की नज़र सड़क किनारे पेड़ का सहारा ले कर खड़े एक साए पर गयी. मोहित के दिल की धड़कन तेज हो गयी. “इतनी रात को कौन खड़ा है, पेड़ के सहारे ये.” मोहित ने सोचा.
मोहित ने थोड़ा गोर से देखा तो पाया की वो साया सिगरेट पे रहा था.
“पागल है क्या ये बंदा जो की इतनी रात को यहा खड़ा हुवा सिगरेट पे रहा है.”
अंधेरा इतना था की मोहित को उष आदमी का चेहरा सॉफ दीखाई नही दे रहा था. पर जब मोहित चलते चलते थोड़ा और नझडीक पहुँचा तो उशके होश उस गये. उष साए के कदमो में कोई आदमी पड़ा था और उष साए ने उष्की छाती पर पाँव रख रखा था. उष साए के चेहरे पर नकाब था.
मोहित को समझते देर नही लगी की वो साया कौन है. मुश्किल वाली बात ये थी की उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करे.
“कहा जा रहे हो इतनी रात को.” साएको ने पूछा.
“तेरी मा छोड़ने जा रहा हूँ…तू है कौन एक बार शकल तो दीखा दे.”
“हा…हा..हा..हे..हे तुझे मारने से पहले तेरी ज़ुबान कातूंगा”
“यार तू है कौन तेरी शकल तो दीखा दे…बाद में मुझे आराम से माराते रहना.”
“तेरे पीछे कोई है मुदके देख.” साएको छील्लाया.
मोहित ने पीछे मूड के देखा. वो साएको की चाल में फँस गया था. पूरा का पूरा चाकू मोहित के पेट में घुस्स गया था.
“आअहह नाहुत मक्कार हो तुम आहह” मोहित दर्द से कराह उठा. लेकिन उसने हिम्मत करके साएको को ज़ोर से एक तरफ धक्का दे दिया और एक झटके में अपने पेट में घुस्सा चाकू बाहर निकाल लिया.
“आआहह…” मोहित चाकू निकालने पर कराह उठा.
अब मोहित के हाथ में चाकू था और साएको उशके सामने गिरा पड़ा था. मोहित आगे बढ़ा. पर साएको ने मोहित की आँख में मिट्टी डाल दी. मोहित ने आँखे बंद कर ली. पर चाकू को हाथ में तां लिया. साएको दबे पाँव मोहित के पीछे गया और उशके सर पर बंदूक तां दी.
“जो चाकू से बच जाता है…उशे मैं गोली मार देता हूँ”
मोहित ने फुर्ती से घूम कर चाकू का वार किया. साएको के पेट पर चाकू ने गहरा घाव बना दिया. साएको लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.
मोहित को साएको गिराता हुवा दीखा. अगले ही पल मोहित के कंधे में एक गोली आ कर गड़ गयी.
“आअहह” मोहित फिर से कराह उठा.
मोहित ने पाँव से ढेर सारी मिट्टी साएको की तरफ उछाल दी और भाग कर सड़क किनारे पेड़ के पीछे चुप गया. इतने में पुलिस के सायरन की आवाज़ वाहा गूंजने लगी.
साएको फ़ौरन वाहा से भाग निकला. रात के अंधेरे में वो कहा गायब हो गया पता ही नही चला. पुलिस की जीप आगे बढ़ गयी.
मोहित ने जैसे तैसे अपने पेट पर अपनी शर्ट को बाँध लिया ताकि खून का बहाव कम हो जाए. उशके कंधे से भी खून बह रहा था.
“यहा आस पास कोई भी क्लिनिक या हॉस्पिटल नही है…मेरा मोबाइल ओह कहा गया. शायद कही गिर गया. अफ आज क्या हो रहा है मेरे साथ.”
मोहित लड़खड़ाते हुवे दर्द से कराहते हुवे अपनी कॉलोनी के पास पहुँच गया. उसे सामने भोलू का घर दीखाई दिया.
“भोलू को ही उठाता हूँ राजू तक पहुँचते पहुँचते कही मेरी जान ना चली जाए.”
मोहित ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा खड़क्या. नगमा गहरी नींद में शोय थी. पर दरवाजे पर ज़ोर की आहत शन कर वो जाग गयी और फ़ौरन उठ कर बैठ गयी.
“ये भोलू कहा गया और ये दरवाजे पर कौन है.”
नगमा ने फ़ौरन कपड़े पहने और दरवाजा खोला. दरवाजे पर मोहित बेहोश पड़ा था.
“हे भगवान इशे क्या हो गया..क्या करू मैं…ये भोलू भी ना जाने कहा मार गया. “?” नगमा ने कहा.
नगमा भाग कर अंदर आई और घर में हर तरफ भोलू को ढूनदा पर वो नही मिला.
“कहा गया ये…कुण्डी तो अंदर से बंद थी…ओह शायद पीछे के दरवाजे से बाहर गया है”
नगमा की नज़र टेबल पर पड़े मोबाइल पर गयी. उसने फ़ौरन राजू को फोन मिलाया. राजू पुलिस स्टेशन में चौहान के साथ था.
नगमा की बात शुंते ही राजू फ़ौरन एक जीप ले कर वाहा से निकल दिया. उसने आंब्युलेन्स को भी बुला लिया.”
नगमा के पास बैठी रही. मोहित दरवाजे पर पड़ा रहा. शायद कुछ साँसे अभी भी चल रही थी.
मोहित को फ़ौरन हॉस्पिटल ले जाया जाता है.
“डॉक्टर ये बच तो जाएगा ना?” राजू ने पूछा.
“खून काफ़ी बह गया है…हे इस इन करिटिकल सिचुयेशन..तुरान ऑपरेशन करना होगा.”
“कुछ भी कीजिए डॉक्टर साहब पर मेरे दोस्त को बचा लीजिए.”
मोहित को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है. बाहर नगमा और राजू बेसब्री से ऑपरेशन ख़त्म होने का इंतेज़ार करते हैं.
“तुम आज रात फिर भोलू के पास गयी…कभी तो चैन से बैठा करो.” राजू ने कहा.
“नही राजू मैं उशके पास नही गयी थी…वही मुझे ले गया था.” नगमा राजू को पूरी बात बताती है.
“भोलू आख़िर गया कहा तुझे छोड़ कर.” राजू ने पूछा.
“वही सोच कर मैं भी परेशान हूँ…मैं तो गहरी नींद में शोय थे…पता नही कब गया वो.”
“ह्म…भोलू पर मुझे फिर से शक हो रहा है” राजू ने कहा.
“मुझे भी उष पर पहले से ही शक है.”
“तभी खूब मस्ती की तूने रात उशके साथ हूँ.”
“सॉरी राजू..वो मुझे ले आया तो…पर तुमसे ज़्यादा मुझे किसी के साथ अछा नही लगता.” नगमा ने कहा.
“सब कहने की बाते हैं.”
तभी ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर बाहर आया और बोला, “मैं जो कर सकता था मैने कर दिया…अभी वो बेहोश है…होश आने पर ही क्लियर हो पाएगा की वो बचेगा की नही.”
“ऑपरेशन तो ठीक हो गया ना डॉक्टर?” राजू ने पूछा.
“ऑपरेशन बिल्कुल ठीक हो गया है…पर अभी वो उनकोनसीऔस है. देखते है अब सब भगवान के उपर है.”
डॉक्टर वाहा से चला गया. मोहित को आएक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
“तुम चिंता मत करो उसे होश आ जाएगा.” नगमा ने कहा.
“तुमने बहुत अछा काम किया नगमा आज…मुझे वक्त पर फोन ना कराती तो गुरु का बचना और भी मुश्किल हो जाता.”
“ये तो मेरा फ़र्ज़ था राजू…मैं इतनी बुरी भी नही हूँ.”
“मैने कब तुम्हे बुरा कहा पगली कही की…चल थोड़ी छाए पे कर आते हैं”
राजू और नगमा छाए पे कर वापिस आएक्यू के बाहर बैठ जाते हैं. रात बीट जाती है. सुबह के कोई 6:30 बजे एक नर्स बाहर आती है.
“सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश आ गया.” राजू ने पूछा.
“हन…थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ.”
राजू और नगमा की ख़ुसी का ठीकना नही रहा. राजू ने नगमा को बाहों में भर लिया और बोला,”तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी…तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी.”
“सस्शह सिस्टर शन रही है.” नगमा ने कहा.
“ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा.” राजू सर खुजाने लगा.
नर्स सर हिलाते हुवे वाहा से चली गयी.
डॉक्टर मोहित को देखता है और बाहर आकर कहता है, “अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है.”
“क्या मैं उष से मिल सकता हूँ”
“नही पुलिस केस है ये…पहले पुलिस उष्का बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो.”
“मैं सब इनस्पेक्टर राजवीर सिंग हूँ…मैं खुद उष्का बयान लूँगा.”
“इस तट सो…अगर ऐसा है तो गो अहेड…मुझे कोई ऐतराज नही है…पुलिस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं.”
“डोंट वरी डॉक्टर…ऐसा कुछ नही होगा.” राजू ने कहा.
राजू नगमा को साथ लेकर मोहित के पास आ गया.
“गुरु दारू पीते पीते किश चक्कर में फँस गये.” राजू ने कहा.
“पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए…एक मिनिट ज़रा नगमा को बाहर भेज दो.” मोहित ने कहा.
“नगमा ने ही तुम्हारी जान बचाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो.” राजू ने मोहित को पूरी बात बताई.
मोहित ने नगमा को पास बुलाया और बोला, “थॅंक यू नगमा तुमने बड़ी समझदारी दीखाई.”
“थॅंक यू किश बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर इंतेज़ार कराती हूँ” नगमा ने कहा.
नगमा बाहर आ गयी.
मोहित राजू को बबलू के घर से लेकर साएको से भिड़ंत तक पूरी कहानी शुनाता है.
“गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त तपाक रहे हैं…मेरा क्या होगा.”
“आबे सब इत्तेफ़ाक है.”
“अछा किया जो उष कामीने साएको को चाकू मारा.”
“बहुत गहरा घाव हुवा होगा सेयेल को…वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी.”
मोहित की बात शुंते ही राजू ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को मोहित और साएको की भिड़ंत के बड़े में बता दिया.
“सिर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा…हमें सहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए.” राजू ने कहा.
“वाह बरखुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये…मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उष हॉस्पिटल में चेक करो.”
“जी सिर… एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे.” राजू ने कहा.
“ठीक है भेजता हूँ…पर एक ही मिल पाएगा.”
“एक ही भेज दो सिर…मैं तो हूँ ही यहा…मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा.”
राजू ने मोबाइल वापिस जेब में डाल लिया.
“गुरु तुम आराम करो मैं इसे हॉस्पिटल को चेक कराता हूँ क्या पता वो साएको भी यही आया हो.” राजू ने कहा.
“प़ड़्मिनी कैसी है?” मोहित ने पूछा.
“ओह…प़ड़्मिनी जी के बड़े में बठाना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है.” राजू मोहित को पूरी बात बताता है.
“अछा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुवा था.”
“हन गुरु बहुत अछा हुवा…मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं.” राजू ने कहा.
राजू ने नगमा को घर जाने को बोल दिया. नगमा ऑटो पकड़ कर घर आ गयी.
नगमा ने घर आ कर अपने घर का टाला खोला और चुपचाप अंदर आ गयी.
“बहुत बढ़िया… मुझे यहा बंद करके बहुत अछा किया आपने दीदी” पूजा ने कहा.
“ओह तुम उठ गयी…सॉरी मुझे बाहर से टाला लगा कर जाना पड़ा.” नगमा ने कहा.
“किशके साथ गयी थी आप टाला लगा कर राजू के साथ या मोहित के साथ.”
“भोलू ले गया था मुझे..” नगमा ने कहा.
“च्ीी वो भोलू हवलदार…उष्की शकल देखी है च्ीी…अब आप किशी के साथ भी चल देती हैं?”
“मेरे मामलो में टाँग ना अदाओ समझी मेरी जो मर्ज़ी होगी मैं करूँगी…तुम अपने काम से काम रखो…और मैं अभी हॉस्पिटल से आ रही हूँ.”
“हॉस्पिटल…क्यों?”
नगमा पूजा को मोहित के बड़े में बताती है.
“ह्म…चलो छोड़ो…मुझे कॉलेज के लिए तैयार होना है” पूजा कह कर बाथरूम में घुस्स गयी.
“कॉलेज के लिए तैयार होना है हा…खुद पता नही क्या क्या कराती होगी कॉलेज में…मुझे नसीहत देती है.” नगमा गुस्से में बड़बड़ाई.
……………………………………………………..
राजू ने पूरा हॉस्पिटल छान मारा उसने पेशेंट रिजिस्टर भी चेक किया. पर वाहा कोई भी ऐसा व्यक्ति नही मिला जो की अपने पेट के ऑपरेशन के लिए वाहा आया हो. बाकी पुलिस वालो को भी किसी हॉस्पिटल, क्लिनिक में कुछ नही मिला.
“अगर उसे चाकू लगा था तो वो गया कहा? क्या घर पर ही ऑपरेट करवा रहा है. बहुत शातिर है ये साएको.” राजू ने सोचा.
पूरा दिन बीट गया. मोहित की हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा था. एक हफ़्ता उसे हॉस्पिटल में ही रहना था.
“तुम घर जा कर आराम करो राजू कब तक यहा बैठे रहोगे…सादे दस हो गये हैं.”
“साएको का कुछ पता नही चला गुरु पता नही साला कहा गया होगा अपना पेट सीलवाने.”
“कुछ दिन अब वो किशी को मारने की हिम्मत नही करेगा…पेट फाड़ दिया है मैने उष्का.”
“ये तो हैं बैठा होगा कही साला सर पकड़ के…उशे भी तो पता चला की चाकू लगने से कैसा लगता है.”
“आआहह.”
“क्या हुवा गुरु?”
“यार ये सरिंज जो हाथ में लगा न्यू एअर है बहुत दर्द हो रहा है इसमें”
“ग्लूकोस के लिए है ना ये?”
“हन”
“रूको मैं किसी नर्स को बुलाता हूँ.” राजू ने कहा.
राजू बाहर आया. उसने चारो तरफ देखा कोई नही था. वो ढून्दते ढून्दते थोड़ा आगे आ गया.
“शायड इसे कमरे में होगी नर्स.” राजू ने सोचा क्योंकि कमरे पे लिखा था ‘रेस्टरूम फॉर स्टाफ‚
राजू कमरे के नझडीक गया तो उसे अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़ शुनाई दी. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया.
टेबल का सहारा ले कर एक नर्स झुकी हुई थी और एक सेक्यूरिटी गुआर्द उष्की चुत में लंड पाले रहा था. सेक्यूरिटी गुआर्द ने नर्स की स्कर्ट उष्की गान्ड तक उठा न्यू एअर थी. एक हाथ में उसे स्कर्ट थी और एक हाथ उसने नर्स की गान्ड पर टीका रखा था.
“आअहह स्नेहा जी जब भी आपकी नाइट ड्यूटी होती है मेरे मज़े लग जाते हैं.” गुआर्द ने कहा.
“जल्दी जल्दी कर मुझे पेशेंट भी अटेंड करने हैं.”
“और कितना जल्दी करूँ स्नेहा जी कभी तो टाइम दिया कीजिए.”
“शुना था की हॉस्पिटल में सिस्टर्स खूब देती हैं आज देख भी लिया….क्या करूँ किशी और को ढुंडू क्या…पर यही नर्स मोहित को शुरू से अटेंड कर रही है. वैसे मेरी बात शन कर तो बड़ा सर हिला कर गयी थी…यहा खुद मज़े से चुत मरवा रही है…करने दो मज़े इन्हे मैं किशी दूसरी नर्स को देखता हूँ”
राजू मुड़ने लगा तो स्नेहा की नज़र उष पर प़ड़ गयी.
“हटो कोई देख रहा है.” स्नेहा ने कहा.
सेक्यूरिटी गुआर्द की पीठ राजू की तरफ थी. वो अपने धक्को को रोक कर पीछे मुड़ा.
“क्या काम है…ये स्टाफ का कमरा है जाओ यहा से.”
स्नेहा ने गुआर्द को झटका दिया. गुआर्द का लंड स्नेहा की चुत से निकल गया. स्नेहा ने अपने कपड़े ठीक किए और बोली, “क्या बात है यहा क्यों आए हो.”
“मेरे दोस्त के हाथ में जो सरिंज लगी है… दर्द कर रही है आकर ज़रा देख लीजिए.”
“ठीक है मैं आती हूँ जाओ.”
“आवभि चलिए वो परेशान है.”
“ओये बोला ना इन्होने…जाओ यहा से.”
राजू आगे बढ़ा और गुआर्द की गर्दन पकड़ ली. “सेयेल जैल में डाल दूँगा…ज़्यादा बकवास की तो.”
“आप क्या पुलिस में हो.” गुआर्द गिड़गिदाया.
“और नही तो क्या…मेरा इरादा तुम दोनो को डिस्टर्ब करने का नही था…मैं तो जा ही रहा था की इन्होने मुझे देख लिया.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 23
मोहित खड़ा हुवा और फोन बबलू के हाथ से चीन लिया.
“समझा कर मेरा बिल्कुल मन नही है.” मोहित ने कहा.
“अछा तू रहने देना…पर मैं तो लूँगा साली की आज फिर…वैसे ये बता कौन है वो लड़की जो तेरा दिल ले उसी…और तेरा मन खराब कर दिया.”
“है एक लड़की…पहले पता लू फिर उशके बड़े में बतावँगा.”
बबलू ने मोहित से फोन वापिस ले लिया और बोला, ” मुझे तो मज़ा करने दे भाई मेरे…मेरा बहुत मन है अभी.”
“उष्का पाती नही है क्या घर में जो वो इसे वक्त आएगी.”
“पाती पुलिस में है और अक्सर अपनी ड्यूटी के कारण बाहर ही रहता है. नाइट ड्यूटी ज़्यादा रहती है उष्की.”
“सेयेल तू पुलिस वाले की बीवी थोक रहा है..किसी दिन पकड़ा गया ना तो वो तुझे थोक देगा.”
“देखा जाएगा यार…ऐसा माल क्या रोज मिलता है…तू देखेगा ना तो तेरा भी मन हो जाएगा हे..हे..हे.”
“तू सच में पागल है…तेरा कुछ नही हो सकता.” मोहित ने कहा.
बबलू ने फिर से फोन मिलाया, “सरिता जी क्या बात है फोन क्यों नही उठा रही”
“क्या है इतनी रात को क्यों फोन किया.” सरिता ने कहा.
“फोन कब कराता हूँ मैं तुझे हे..हे..हे.”
“देखो मैं इसे वक्त नही आ सकती…मुझे रात को घर से निकालने में दर लगता है.”
“मैं तुझे रिकवेस्ट नही कर रहा हूँ… ऑर्डर दे रहा हूँ तुझे समझी जल्दी आजा यहा वरना कल तेरे पाती को तेरे कारनामे शुना दूँगा.”
“देखो बाहर बहुत हलचल हो रही है आज…मुझे दर लग रहा है…कही वो साएको यहा आस पास हुई तो.”
“तुझे कौन सा सड़क पार करके आना है…चत्ट करॉस करके आजा…भाने मत बना वरना मेरा दीमाग घूम जाएगा.”
“ठीक है बाबा मैं 10 मिनिट में आ रही हूँ.”
“ये हुई ना बात…और शन सारी पहन के आना मुझे तेरी सॅडी उतारनी अछी लगती है…हे..हे..हे.”
“आधा घंटा लगेगा सारी पहन-ने में कोई मज़ाक है क्या.”
“मुझे कुछ नही पता… सारी पहन कर जल्दी आ जा.” बबलू ने फोन काट दिया.
“तू तो बहुत हुकुम चलाता है बेचारी पे.” मोहित ने कहा.
“हुकुम चलाना पड़ता है यार वरना वो क्यों देगी मुझे…तेरे जैसा स्मार्ट तो हू नही मैं हे..हे..हे.”
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“अफ क्या करूँ इसे कामीने का मैं…किशी भी वक्त बुला लेता है…मैं तो तंग आ गयी हूँ इसे से.” सरिता ने सोचा.
सरिता अपनी आल्मिरा खोल कर सारी ढूँडने लगी.
“कौन सी पहनु….क्या मुसीबत है.” सरिता झल्ला कर बोली और आल्मिरा का दरवाजा पटक दिया.
“ये वक्त है किसी को बुलाने का…कितनी अछी नींद आ रही थी…अफ क्या करूँ”
जैसे तैसे सरिता ने सारी पहनी और अपने बाल-वाल सेट करके अपने घर की चत्ट पर आ गयी.
“कितना सन्नाटा है बाहर…और ये कुत्ते पता नही क्यों भोंक रहे हैं आज. कुछ ज़्यादा ही शोर मचा रहे हैं.”
सरिता अपने घर की चत्ट से बबलू के घर की चत्ट पर आ गयी.
“कही ये आ गये तो…नही नही उनकी नाइट ड्यूटी है सुबह से पहले नही आएँगे और आएँगे भी तो भी बबलू के घर से बेल तो शन ही जाएगी…भाग कर चत्ट के रास्ते वापिस आ जवँगी.” सरिता चलते चलते सोच रही थी.
सरिता बबलू के घर की सीढ़ियों से नीचे आ गयी और उसने पीछे का दरवाजा खड़क्या.
“लो आ गया मेरा माल…देखता जा…उशे देख कर डिसाइड करना की मन है की नही..हे..हे..हे.”
बबलू सरिता के लिए दरवाजा खोलने चल दिया. उशके कदम नशे की वजह से लड़खड़ा रहे थे.
बबलू ने दरवाजा खोला. सामने स्काइ ब्लू सारी में लिपटी सरिता खड़ी थी.
“वाउ क्या मस्त सारी पहन के आई है…आजा आजा मेरा दोस्त तुझे देखेगा तो मार मितेगा तुझपे.”
“क्या!…. तुम्हारा दोस्त साथ में है क्या?”
“हन…आजा मिलवाता हूँ…बहुत स्मार्ट है तुझे पसंद आएगा.” बबलू ने सरिता का हाथ पकड़ कर कहा.
“रूको…मुझे नही मिलना किसी से…मुझे बदनाम करवाओगे क्या?”
“आबे चुप कर तुझ से पूछा है किसी ने चुपचाप मेरे साथ चल.” बबलू ने कहा.
बबलू सरिता को घसीट कर उष कमरे में ले आया जहा मोहित बैठा था.
“ये देख…ये है मेरी मस्त आइटम…बीवी से भी ज़्यादा काम की है…जब चाहे बुला लेता हू इशे.” बबलू ने कहा.
सरिता ने किसी तरह अपना हाथ बबलू के हाथ से छुड़ा लिया. सरिता को देखते ही मोहित लड़खड़ाते कदमो से खड़ा हो गया.
“क्या हुवा…अब बता कैसी लदी मेरी आइटम…मस्त है ने…इश्कि छाती की गोलाई देख…है ना जबरदस्त. अब बता मन है की नही तेरा.” बबलू ने कहा.
सरिता की आँखो में शरम, दर और गुस्सा तीनो एक साथ नज़र आ रहे थे. मोहित भाप गया था की उसे उष्का वाहा होना अछा नही लग रहा. हालाँकि उष्का लंड उष्की पेंट में कूदने लगा था फिर भी वो बबलू को ऐसे ही शो कर रहा था जैसे की उष्का कोई इंटेरेस्ट नही है. शायद पूजा के लिए उशके दिल में उठी हलचल भी इश्का कारण था. पर जो भी हो सरिता की खूबसूराती को वो बड़े गोर से निहार रहा था.
“क्या सोच रहा है यार आगे बढ़ और थाम ले इशके गोल गोल संतरो को.” बबलू ने कहा.
सरिता ने बबलू को घूर के देखा.
“आबे देख क्या रही है…अपना बहुत ख़ास दोस्त है…इशे भी जलवे दिखा अपने.”
“देखो तुम ये ठीक नही कर रहे” सरिता ने कहा.
“अछा अब तू मुझे बताएगी की क्या ठीक है और क्या ग़लत…तू बड़ा ठीक कर रही थी उष दिन चत्ट पर. बहुत बेशर्मी से पिलवा रही थी अपनी हा भूल गयी.”
सरिता कुछ नही बोल पाई.
बबलू सरिता के पीछे गया और उसे पीछे से जाकड़ लिया. उशके दोनो हाथ सरिता के बूबा पर थे और उष्का लंड सारी के उपर से सरिता की गान्ड को महसूस कर रहा था.
“छोड़ो मुझे…इनके सामने ये सब मत करो.” सरिता ने चटपटाते हुवे कहा.
“बहुत गर्मी दीखा रही है आज हा… देख ले तेरे पाती को कल सब कुछ बता दूँगा..फिर देखते हैं तेरी गर्मी.”
“बबलू आराम से यार…मेरे सामने ज़बरदस्ती मत कर…मुझे अछा नही लगता.” मोहित ने कहा.
“तुझे नही पता ये इशी तरह काबू में आती है” बबलू ने कहा.
बबलू ने सरिता के बूब्स को ज़ोर से दबाया उष्का इरादा उसे दर्द देने का था.
“आआहह…नही…” सरिता कराह उठी.
“मैं जा रहा हूँ भाई यहा से मुझसे ये सब नही देखा जाता” मोहित ने कहा.
“अरे तुझे क्यों बुरा लग रहा है…अछा बैठ अब नही करूँगा ऐसा” बबलू ने कहा.
ये शन कर सरिता ने भी राहत की साँस ली.
बबलू अब सरिता की गान्ड को सहलाने लगा. “सारी में ये गान्ड अछी लगती है खि…खि..खि.” बबलू हासने लगा.
“क्या हम दूसरे कमरे में चलें यहा मुझे शरम आ रही है इनके सामने” सरिता ने कहा.
मोहित ने सरिता की बात शन ली. “ऐसा कराता हूँ मैं ही दूसरे कमरे में चला जाता हूँ.” मोहित ने कहा और लड़खड़ाते हुवे वाहा से चल दिया.
“अरे यार तू कहा जा रहा है…रुक ना देख मैं कैसे लेता हूँ इसे आइटम की” बबलू सरिता की गान्ड पर चुटकी मार कर बोला.
“आउच..” सरिता कराह उठी.
मोहित बबलू की बात उंशुणी करके वाहा से चला गया. दूसरे कमरे में आ कर वो बिस्तर पर गिर गया. नशे के कारण उष्का सर घूम रहा था. वो आँखे बंद करके चुपचाप लाते गया.
“तुझे आज हो क्या गया है क्यों इतने नखरे कर रही है…पता है ना तुझे मुझे ये सब पसंद नही.” बबलू ने सरिता को पीछे से ज़ोर से जाकड़ के उशके कान में कहा.
“एक तो इतनी रात को बुलाते हो मुझे…उपर से अपने दोस्त के सामने ये सब हरकते करते हो..किशे अछा लगेगा.” सरिता ने कहा.
“बहुत बोल रही है आज हा रुक अभी मज़ा चखाता हूँ” बबलू ने कहा.
बबलू ने एक स्केल उठाया और सरिता को बोला, “चल झुक.”
सरिता को समझ नही आया की आख़िर वो करना क्या चाहता है.
बबलू ने सरिता को फोर्स्फुली झुक्या और उष्की सारी पतकोट सहित उपर उठा दी. सरिता ने ब्लू पेंटी पहनी हुई थी बबलू ने वो भी नीचे सरका दी. अब सरिता की नंगी गान्ड बबलू के सामने थी.
बबलू ने स्केल को हवा में हिलाया और ज़ोर से सरिता की गान्ड पर मार दिया.
“आअहह ये क्या कर रहे हो?” सरिता कराह उठी.
“तेरा नखरा उतार रहा हूँ… अब बोल” बबलू ने कहा और स्केल को एक बार फिर सरिता की गान्ड पर जड़ दिया.
सरिता की गान्ड लाल हो गयी. “क्या बात है…बस दो बार की पीटाई में ही ये गान्ड लाल हो गयी…अभी तो बहुत पीटाई बाकी है…हे..हे..हा..हा.”
“तुम पागल हो गये हो आज आआहह” सरिता की गान्ड पर एक और वार हुवा.
“क्या बात है…क्या चलकती है तेरी गान्ड स्केल पड़ने से…मज़ा आ गया…वाउ.” बबलू ने कहा और एक बार फिर से सरिता की गान्ड पर स्केल दे मारा.
“ऊओह…. यू अरे सिक आहह.”
सरिता के कराहने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दे रही थी. “क्या कर रहा है ये” मोहित बड़बड़ाया.
“अब मज़ा आएगा तेरी मारने में.” बबलू ने कहा.
बबलू ने अपनी पेंट की चैन खोली और अपने तने हुवे लंड को बाहर खींच लिया. सरिता को बबलू का लंड अपनी गान्ड पर महसूस हुवा.
बबलू ने हल्का सा थूक अपने लंड पे लगाया और सरिता की चुत पर लंड को टीका दिया.
“वाउ आज तो अलग ही मज़ा आ रहा है तेरे साथ ऊओ.” बबलू ने कहा.
बबलू ने लंड सरिता की चुत में घुसेड दिया.
“आआहह अभी मैं तैयार नही थी ऊओ.” सरिता फिर से कराह उठी.
“उष से क्या फराक पड़ता है खि…खि..खि..”
“तुम एक नंबर के कामीने हो आअहह.”
“तू क्या है फिर…अपने पाती को धोका दे रही है…क्यों आई है यहा हे..हे..हे.”
“मैं अपनी मर्ज़ी से नही आई आअहह.”
बबलू ने सरिता की चुत में लंड पेलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में सरिता भी बहकने लगी. उशके दर्द की आहें अब मज़े की आआहएं बन गयी.
“तेरे उष बाय्फ्रेंड से अछा मज़ा देता हूँ ना मैं आअहह.”
“ऐसा कुछ नही है आअहह”
“अछा ऐसी बात है साली अभी बताता हूँ” बबलू ने सरिता के बाल नोच लिए और तेज तेज उष्की चुत में लंड अंदर बाहर करने लगा.
“आआहह मेरे बाल छोड़ दो…आअहह”
“क्या हुवे अब साली रंडी.”
“आआहह मुझे गाली मत दो प्लीज़.”
बबलू लगातार सरिता को झुकाए हुवे उशके पीछे से धक्के माराता रहा.
अचानक उसने सरिता की चुत से लंड निकाल लिया और सरिता की गान्ड को फैला कर गान्ड के के छेद पर रख दिया.
“ये क्या कर रहे हो तुम्हे कहा था ना मैने मुझे अनल पसंद नही है”
“आज तेरी गान्ड भी रगदूँगा चुप कर…” बबलू ने कहा.
बबलू ने सरिता को कंधे से जाकड़ लिया ताकि वो हीले नही और लंड को उष्की गान्ड में घुस्सा दिया. सरिता चटपटाई पर लंड आधा गान्ड में घुस्स चुका था.
“उूउऊययययीी निकालो…आआहह” सरिता ने बबलू को ज़ोर से धक्का मारा. बबलू का लंड सरिता की गान्ड से निकल गया और बबलू सर के बाल लड़खड़ा कर पीछे गिर गया. उष्का सर सोफे की लकड़ी से टकराया और उष्का सर खून से लटपथ हो गया.
सरिता ने मूड कर देखा तो पाया की बबलू ज़मीन पर बेहोश पड़ा है और उशके सर से खून बह रहा है.
“ओह माई गोद…क्या ये मार गया.”
सरिता ने बबलू को हिलाया पर उशके शरीर में कोई हरकत नही हुई.
“हे भगवान अब मेरा क्या होगा?” सरिता सर पकड़ कर बैठ गयी.
बबलू के नीचे गिरने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दी.
“अफ अब क्या कर दिया इसे बबलू ने.”
मोहित बिस्तर से उठा और लड़खदाता हुवा वापिस वही आ गया.
वाहा पहुँच कर मोहित के होश उस गये. बबलू ज़मीन पर पड़ा था और उशके पास सरिता सर पकड़े बैठी थी.
“ये सब कैसे हुवा.?” मोहित ने पूछा.
सरिता ने मोहित की तरफ देखा. वो कुछ भी बोलने की हालत में नही थी.
मोहित का तो जैसे नशा ही उतार गया. वो बबलू के पास आया और उष्की साँसे चेक की.
“हे भगवान ये तो मार चुका है…क्या किया तुमने इशके साथ.” मोहित ने कहा.
सरिता फूट फूट कर रोने लगी. उष से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
“अरे मेरी मा कुछ बोलेगी भी या यू ही रोटी रहेगी…अफ कहा फँस गया मैं.”
“य…य..ये मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहा था…मैने इशे धक्का दिया था बस. इश्का सर सोफे की लकड़ी से टकरा गया शायद और….” सरिता फिर रोने लगी.
“अछा…अछा ठीक है चुप हो जाओ” मोहित ने कहा.
“मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था.”
“तेरे साथ पहले कर तो रखा था ईसणे…दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था.” मोहित ने पूछा.
“ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था.” सरिता ने सुबक्ते हुवे कहा
“तो क्या हुवा अनल इस आ नॉर्मल सेक्स” मोहित ने कहा.
“पर मैने कभी नही किया” सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुवे शरम आ रही थी.
“ह्म…फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है.” मोहित ने कहा.
“अब मेरा क्या होगा….मुझे तो जैल जाना पड़ेगा.” सरिता सुबक्ते हुवे बोली.
“मुझे सोचने दो…मैं कुछ ना कुछ कराता हूँ.”
“तुम क्या कर सकते हो इसे में” सरिता ने हैरानी में पूछा.
“तोड़ा सोचने तो दो.” मोहित ने कहा.
“मिल गया एक काम कर सकते हैं हम.” मोहित ने कहा.
“क्या बोलो.”
“आजकल साएको किल्लर का ख़ौफ़ है सहर में…क्यों ना इसे कटाल का इल्ज़ाम हम उष पर डाल दे.”
“क्या ऐसा हो सकता है?”
“बिल्कुल हो सकता है.” मोहित ने कहा.
“तुम ऐसा क्यों करोगे…तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने.”
“देखो ये हादसा है…बबलू तो मार ही चुका है तुम्हारी जींदगी क्यों बर्बाद हो.” मोहित ने कहा.
“पर ये सब कैसे होगा.” सरिता ने कहा.
“यही सोचने वाली बात है.” मोहित ने कहा.
मोहित ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. “बबलू की लास को हमें बाहर कही फेकना होगा.” मोहित ने कहा.
“बाहर पर कैसे?”
“तुम्हारे पास कार है?”
“हन है.”
“चाबी है इसे वक्त तुम्हारे पास.”
“नही वो तो घर पड़ी है.”
“जाओ जा कर ले आओ…ये काम जल्द से जल्द करना होगा.” मोहित ने कहा.
“ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ” सरिता वाहा से चल पड़ी.
मोहित ने बबलू की लास को चदडार में लपेट लिया. “माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जींदगी का सवाल है,” मोहित ने धीरे से कहा.
सरिता कार की चाबी ले आई.
“कार ले आओ यहा.” मोहित ने कहा.
“मुझे बाहर जाने से दर लग रहा है…प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है.” सरिता ने कहा.
“लाओ चाबी मुझे दो.”
सरिता ने चाबी मोहित के हाथ में थमा दी. मोहित फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.
मोहित ने बबलू की लास को उठाया और लास को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लास दिक्क़ी में डाल दी.
“तुम यही रूको मैं लास को ठीकाने लगा कर आता हूँ.” मोहित ने कहा.
सरिता दरवाजा बंद करके वही सोफे पर बैठ गयी. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.
मोहित कुछ ही दूरी पर लास को शुन्सान सी जगह देख कर छोड़ आया. वापिस आ कर उसने फार्स पर खून के निशान सॉफ किए.
“मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी….बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ” सरिता ने कहा.
“आप जैसी खूबसूरात विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है.” मोहित श्राराती अंदाज में कहा.
पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे मोहित की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.
“बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था…मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरात नही हूँ.”
“किश लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे.”
“मैं उसे प्यार कराती हूँ…शादी से पहले का प्यार है मेरा उष से.”
इश्का मतलब मेरा कोई चाँसे नही.” मोहित ने निरासा भरे शब्दो में कहा.
“नही मेरा वो मतलब नही था.” सरिता नज़रे झुका कर बोली.
“फिर ठीक है…देख मेरा आज मन नही है…फिर कभी चलेगा.”
“मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा…पर प्लीज़ मेरे बड़े में किसी को मत बठाना.”
“भरोसा रखो मुझ पे…जाओ तुम अपने घर जाओ…फिर कभी मिलते हैं.”
“ओक…थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मे इन तीस सिचुयेशन.”
“गुड नाइट.” मोहित ने कहा.
सरिता चत्ट के रास्ते से ही अपने घर वापिस आ गयी. मोहित बबलू के घर का टाला लगा कर वाहा से चल दिया.
“अफ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बाएक ले जाना ठीक नही था.”
मोहित पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.
रात का सन्नाटा बहुत भयांक था. रह रह कर कुत्टो के भोंकने की आवाज़ आ रही थी. मोहित को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उष्का पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दीखाई नही दिया.
“अछा ख़ासा पूजा को छोड़ कर वापिस जा रहा था…ना जाने कहा से ये बबलू आ गया. बहुत बुरा हुवा बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उष्की आत्मा को शांति दे.”
मोहित आगे बढ़ा जा रहा था. अचानक उष्की नज़र सड़क किनारे पेड़ का सहारा ले कर खड़े एक साए पर गयी. मोहित के दिल की धड़कन तेज हो गयी. “इतनी रात को कौन खड़ा है, पेड़ के सहारे ये.” मोहित ने सोचा.
मोहित ने थोड़ा गोर से देखा तो पाया की वो साया सिगरेट पे रहा था.
“पागल है क्या ये बंदा जो की इतनी रात को यहा खड़ा हुवा सिगरेट पे रहा है.”
अंधेरा इतना था की मोहित को उष आदमी का चेहरा सॉफ दीखाई नही दे रहा था. पर जब मोहित चलते चलते थोड़ा और नझडीक पहुँचा तो उशके होश उस गये. उष साए के कदमो में कोई आदमी पड़ा था और उष साए ने उष्की छाती पर पाँव रख रखा था. उष साए के चेहरे पर नकाब था.
मोहित को समझते देर नही लगी की वो साया कौन है. मुश्किल वाली बात ये थी की उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करे.
“कहा जा रहे हो इतनी रात को.” साएको ने पूछा.
“तेरी मा छोड़ने जा रहा हूँ…तू है कौन एक बार शकल तो दीखा दे.”
“हा…हा..हा..हे..हे तुझे मारने से पहले तेरी ज़ुबान कातूंगा”
“यार तू है कौन तेरी शकल तो दीखा दे…बाद में मुझे आराम से माराते रहना.”
“तेरे पीछे कोई है मुदके देख.” साएको छील्लाया.
मोहित ने पीछे मूड के देखा. वो साएको की चाल में फँस गया था. पूरा का पूरा चाकू मोहित के पेट में घुस्स गया था.
“आअहह नाहुत मक्कार हो तुम आहह” मोहित दर्द से कराह उठा. लेकिन उसने हिम्मत करके साएको को ज़ोर से एक तरफ धक्का दे दिया और एक झटके में अपने पेट में घुस्सा चाकू बाहर निकाल लिया.
“आआहह…” मोहित चाकू निकालने पर कराह उठा.
अब मोहित के हाथ में चाकू था और साएको उशके सामने गिरा पड़ा था. मोहित आगे बढ़ा. पर साएको ने मोहित की आँख में मिट्टी डाल दी. मोहित ने आँखे बंद कर ली. पर चाकू को हाथ में तां लिया. साएको दबे पाँव मोहित के पीछे गया और उशके सर पर बंदूक तां दी.
“जो चाकू से बच जाता है…उशे मैं गोली मार देता हूँ”
मोहित ने फुर्ती से घूम कर चाकू का वार किया. साएको के पेट पर चाकू ने गहरा घाव बना दिया. साएको लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.
मोहित को साएको गिराता हुवा दीखा. अगले ही पल मोहित के कंधे में एक गोली आ कर गड़ गयी.
“आअहह” मोहित फिर से कराह उठा.
मोहित ने पाँव से ढेर सारी मिट्टी साएको की तरफ उछाल दी और भाग कर सड़क किनारे पेड़ के पीछे चुप गया. इतने में पुलिस के सायरन की आवाज़ वाहा गूंजने लगी.
साएको फ़ौरन वाहा से भाग निकला. रात के अंधेरे में वो कहा गायब हो गया पता ही नही चला. पुलिस की जीप आगे बढ़ गयी.
मोहित ने जैसे तैसे अपने पेट पर अपनी शर्ट को बाँध लिया ताकि खून का बहाव कम हो जाए. उशके कंधे से भी खून बह रहा था.
“यहा आस पास कोई भी क्लिनिक या हॉस्पिटल नही है…मेरा मोबाइल ओह कहा गया. शायद कही गिर गया. अफ आज क्या हो रहा है मेरे साथ.”
मोहित लड़खड़ाते हुवे दर्द से कराहते हुवे अपनी कॉलोनी के पास पहुँच गया. उसे सामने भोलू का घर दीखाई दिया.
“भोलू को ही उठाता हूँ राजू तक पहुँचते पहुँचते कही मेरी जान ना चली जाए.”
मोहित ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा खड़क्या. नगमा गहरी नींद में शोय थी. पर दरवाजे पर ज़ोर की आहत शन कर वो जाग गयी और फ़ौरन उठ कर बैठ गयी.
“ये भोलू कहा गया और ये दरवाजे पर कौन है.”
नगमा ने फ़ौरन कपड़े पहने और दरवाजा खोला. दरवाजे पर मोहित बेहोश पड़ा था.
“हे भगवान इशे क्या हो गया..क्या करू मैं…ये भोलू भी ना जाने कहा मार गया. “?” नगमा ने कहा.
नगमा भाग कर अंदर आई और घर में हर तरफ भोलू को ढूनदा पर वो नही मिला.
“कहा गया ये…कुण्डी तो अंदर से बंद थी…ओह शायद पीछे के दरवाजे से बाहर गया है”
नगमा की नज़र टेबल पर पड़े मोबाइल पर गयी. उसने फ़ौरन राजू को फोन मिलाया. राजू पुलिस स्टेशन में चौहान के साथ था.
नगमा की बात शुंते ही राजू फ़ौरन एक जीप ले कर वाहा से निकल दिया. उसने आंब्युलेन्स को भी बुला लिया.”
नगमा के पास बैठी रही. मोहित दरवाजे पर पड़ा रहा. शायद कुछ साँसे अभी भी चल रही थी.
मोहित को फ़ौरन हॉस्पिटल ले जाया जाता है.
“डॉक्टर ये बच तो जाएगा ना?” राजू ने पूछा.
“खून काफ़ी बह गया है…हे इस इन करिटिकल सिचुयेशन..तुरान ऑपरेशन करना होगा.”
“कुछ भी कीजिए डॉक्टर साहब पर मेरे दोस्त को बचा लीजिए.”
मोहित को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है. बाहर नगमा और राजू बेसब्री से ऑपरेशन ख़त्म होने का इंतेज़ार करते हैं.
“तुम आज रात फिर भोलू के पास गयी…कभी तो चैन से बैठा करो.” राजू ने कहा.
“नही राजू मैं उशके पास नही गयी थी…वही मुझे ले गया था.” नगमा राजू को पूरी बात बताती है.
“भोलू आख़िर गया कहा तुझे छोड़ कर.” राजू ने पूछा.
“वही सोच कर मैं भी परेशान हूँ…मैं तो गहरी नींद में शोय थे…पता नही कब गया वो.”
“ह्म…भोलू पर मुझे फिर से शक हो रहा है” राजू ने कहा.
“मुझे भी उष पर पहले से ही शक है.”
“तभी खूब मस्ती की तूने रात उशके साथ हूँ.”
“सॉरी राजू..वो मुझे ले आया तो…पर तुमसे ज़्यादा मुझे किसी के साथ अछा नही लगता.” नगमा ने कहा.
“सब कहने की बाते हैं.”
तभी ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर बाहर आया और बोला, “मैं जो कर सकता था मैने कर दिया…अभी वो बेहोश है…होश आने पर ही क्लियर हो पाएगा की वो बचेगा की नही.”
“ऑपरेशन तो ठीक हो गया ना डॉक्टर?” राजू ने पूछा.
“ऑपरेशन बिल्कुल ठीक हो गया है…पर अभी वो उनकोनसीऔस है. देखते है अब सब भगवान के उपर है.”
डॉक्टर वाहा से चला गया. मोहित को आएक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
“तुम चिंता मत करो उसे होश आ जाएगा.” नगमा ने कहा.
“तुमने बहुत अछा काम किया नगमा आज…मुझे वक्त पर फोन ना कराती तो गुरु का बचना और भी मुश्किल हो जाता.”
“ये तो मेरा फ़र्ज़ था राजू…मैं इतनी बुरी भी नही हूँ.”
“मैने कब तुम्हे बुरा कहा पगली कही की…चल थोड़ी छाए पे कर आते हैं”
राजू और नगमा छाए पे कर वापिस आएक्यू के बाहर बैठ जाते हैं. रात बीट जाती है. सुबह के कोई 6:30 बजे एक नर्स बाहर आती है.
“सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश आ गया.” राजू ने पूछा.
“हन…थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ.”
राजू और नगमा की ख़ुसी का ठीकना नही रहा. राजू ने नगमा को बाहों में भर लिया और बोला,”तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी…तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी.”
“सस्शह सिस्टर शन रही है.” नगमा ने कहा.
“ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा.” राजू सर खुजाने लगा.
नर्स सर हिलाते हुवे वाहा से चली गयी.
डॉक्टर मोहित को देखता है और बाहर आकर कहता है, “अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है.”
“क्या मैं उष से मिल सकता हूँ”
“नही पुलिस केस है ये…पहले पुलिस उष्का बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो.”
“मैं सब इनस्पेक्टर राजवीर सिंग हूँ…मैं खुद उष्का बयान लूँगा.”
“इस तट सो…अगर ऐसा है तो गो अहेड…मुझे कोई ऐतराज नही है…पुलिस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं.”
“डोंट वरी डॉक्टर…ऐसा कुछ नही होगा.” राजू ने कहा.
राजू नगमा को साथ लेकर मोहित के पास आ गया.
“गुरु दारू पीते पीते किश चक्कर में फँस गये.” राजू ने कहा.
“पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए…एक मिनिट ज़रा नगमा को बाहर भेज दो.” मोहित ने कहा.
“नगमा ने ही तुम्हारी जान बचाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो.” राजू ने मोहित को पूरी बात बताई.
मोहित ने नगमा को पास बुलाया और बोला, “थॅंक यू नगमा तुमने बड़ी समझदारी दीखाई.”
“थॅंक यू किश बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर इंतेज़ार कराती हूँ” नगमा ने कहा.
नगमा बाहर आ गयी.
मोहित राजू को बबलू के घर से लेकर साएको से भिड़ंत तक पूरी कहानी शुनाता है.
“गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त तपाक रहे हैं…मेरा क्या होगा.”
“आबे सब इत्तेफ़ाक है.”
“अछा किया जो उष कामीने साएको को चाकू मारा.”
“बहुत गहरा घाव हुवा होगा सेयेल को…वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी.”
मोहित की बात शुंते ही राजू ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को मोहित और साएको की भिड़ंत के बड़े में बता दिया.
“सिर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा…हमें सहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए.” राजू ने कहा.
“वाह बरखुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये…मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उष हॉस्पिटल में चेक करो.”
“जी सिर… एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे.” राजू ने कहा.
“ठीक है भेजता हूँ…पर एक ही मिल पाएगा.”
“एक ही भेज दो सिर…मैं तो हूँ ही यहा…मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा.”
राजू ने मोबाइल वापिस जेब में डाल लिया.
“गुरु तुम आराम करो मैं इसे हॉस्पिटल को चेक कराता हूँ क्या पता वो साएको भी यही आया हो.” राजू ने कहा.
“प़ड़्मिनी कैसी है?” मोहित ने पूछा.
“ओह…प़ड़्मिनी जी के बड़े में बठाना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है.” राजू मोहित को पूरी बात बताता है.
“अछा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुवा था.”
“हन गुरु बहुत अछा हुवा…मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं.” राजू ने कहा.
राजू ने नगमा को घर जाने को बोल दिया. नगमा ऑटो पकड़ कर घर आ गयी.
नगमा ने घर आ कर अपने घर का टाला खोला और चुपचाप अंदर आ गयी.
“बहुत बढ़िया… मुझे यहा बंद करके बहुत अछा किया आपने दीदी” पूजा ने कहा.
“ओह तुम उठ गयी…सॉरी मुझे बाहर से टाला लगा कर जाना पड़ा.” नगमा ने कहा.
“किशके साथ गयी थी आप टाला लगा कर राजू के साथ या मोहित के साथ.”
“भोलू ले गया था मुझे..” नगमा ने कहा.
“च्ीी वो भोलू हवलदार…उष्की शकल देखी है च्ीी…अब आप किशी के साथ भी चल देती हैं?”
“मेरे मामलो में टाँग ना अदाओ समझी मेरी जो मर्ज़ी होगी मैं करूँगी…तुम अपने काम से काम रखो…और मैं अभी हॉस्पिटल से आ रही हूँ.”
“हॉस्पिटल…क्यों?”
नगमा पूजा को मोहित के बड़े में बताती है.
“ह्म…चलो छोड़ो…मुझे कॉलेज के लिए तैयार होना है” पूजा कह कर बाथरूम में घुस्स गयी.
“कॉलेज के लिए तैयार होना है हा…खुद पता नही क्या क्या कराती होगी कॉलेज में…मुझे नसीहत देती है.” नगमा गुस्से में बड़बड़ाई.
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राजू ने पूरा हॉस्पिटल छान मारा उसने पेशेंट रिजिस्टर भी चेक किया. पर वाहा कोई भी ऐसा व्यक्ति नही मिला जो की अपने पेट के ऑपरेशन के लिए वाहा आया हो. बाकी पुलिस वालो को भी किसी हॉस्पिटल, क्लिनिक में कुछ नही मिला.
“अगर उसे चाकू लगा था तो वो गया कहा? क्या घर पर ही ऑपरेट करवा रहा है. बहुत शातिर है ये साएको.” राजू ने सोचा.
पूरा दिन बीट गया. मोहित की हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा था. एक हफ़्ता उसे हॉस्पिटल में ही रहना था.
“तुम घर जा कर आराम करो राजू कब तक यहा बैठे रहोगे…सादे दस हो गये हैं.”
“साएको का कुछ पता नही चला गुरु पता नही साला कहा गया होगा अपना पेट सीलवाने.”
“कुछ दिन अब वो किशी को मारने की हिम्मत नही करेगा…पेट फाड़ दिया है मैने उष्का.”
“ये तो हैं बैठा होगा कही साला सर पकड़ के…उशे भी तो पता चला की चाकू लगने से कैसा लगता है.”
“आआहह.”
“क्या हुवा गुरु?”
“यार ये सरिंज जो हाथ में लगा न्यू एअर है बहुत दर्द हो रहा है इसमें”
“ग्लूकोस के लिए है ना ये?”
“हन”
“रूको मैं किसी नर्स को बुलाता हूँ.” राजू ने कहा.
राजू बाहर आया. उसने चारो तरफ देखा कोई नही था. वो ढून्दते ढून्दते थोड़ा आगे आ गया.
“शायड इसे कमरे में होगी नर्स.” राजू ने सोचा क्योंकि कमरे पे लिखा था ‘रेस्टरूम फॉर स्टाफ‚
राजू कमरे के नझडीक गया तो उसे अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़ शुनाई दी. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया.
टेबल का सहारा ले कर एक नर्स झुकी हुई थी और एक सेक्यूरिटी गुआर्द उष्की चुत में लंड पाले रहा था. सेक्यूरिटी गुआर्द ने नर्स की स्कर्ट उष्की गान्ड तक उठा न्यू एअर थी. एक हाथ में उसे स्कर्ट थी और एक हाथ उसने नर्स की गान्ड पर टीका रखा था.
“आअहह स्नेहा जी जब भी आपकी नाइट ड्यूटी होती है मेरे मज़े लग जाते हैं.” गुआर्द ने कहा.
“जल्दी जल्दी कर मुझे पेशेंट भी अटेंड करने हैं.”
“और कितना जल्दी करूँ स्नेहा जी कभी तो टाइम दिया कीजिए.”
“शुना था की हॉस्पिटल में सिस्टर्स खूब देती हैं आज देख भी लिया….क्या करूँ किशी और को ढुंडू क्या…पर यही नर्स मोहित को शुरू से अटेंड कर रही है. वैसे मेरी बात शन कर तो बड़ा सर हिला कर गयी थी…यहा खुद मज़े से चुत मरवा रही है…करने दो मज़े इन्हे मैं किशी दूसरी नर्स को देखता हूँ”
राजू मुड़ने लगा तो स्नेहा की नज़र उष पर प़ड़ गयी.
“हटो कोई देख रहा है.” स्नेहा ने कहा.
सेक्यूरिटी गुआर्द की पीठ राजू की तरफ थी. वो अपने धक्को को रोक कर पीछे मुड़ा.
“क्या काम है…ये स्टाफ का कमरा है जाओ यहा से.”
स्नेहा ने गुआर्द को झटका दिया. गुआर्द का लंड स्नेहा की चुत से निकल गया. स्नेहा ने अपने कपड़े ठीक किए और बोली, “क्या बात है यहा क्यों आए हो.”
“मेरे दोस्त के हाथ में जो सरिंज लगी है… दर्द कर रही है आकर ज़रा देख लीजिए.”
“ठीक है मैं आती हूँ जाओ.”
“आवभि चलिए वो परेशान है.”
“ओये बोला ना इन्होने…जाओ यहा से.”
राजू आगे बढ़ा और गुआर्द की गर्दन पकड़ ली. “सेयेल जैल में डाल दूँगा…ज़्यादा बकवास की तो.”
“आप क्या पुलिस में हो.” गुआर्द गिड़गिदाया.
“और नही तो क्या…मेरा इरादा तुम दोनो को डिस्टर्ब करने का नही था…मैं तो जा ही रहा था की इन्होने मुझे देख लिया.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 23
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
सॉरी सिर चलिए आपके दोस्त को देख लेती हूँ .” स्नेहा के तेवर भी ढीले हो गये.
स्नेहा राजू के साथ चल दी.
“कुण्डी तो लगा लिया कीजिए कोई भी झाँक सकता है.”
“सॉरी सिर…ग़लती हो गयी किसी को बठाना मत प्लीज़ मेरी नौकरी चली जाएगी.”
राजू ने चलते चलते स्नेहा की गान्ड पर हाथ मारा और बोला, “कोई बात नही आप मेरे दोस्त की केर कीजिए बस…आप उसे छोड़ कर यहा वाहा रहेंगी तो कैसे चलेगा.”
“सॉरी सिर…मैं उनका पूरा ध्यान रखूँगी” स्नेहा ने कहा.
स्नेहा ने सरिंज चक्क की.
“दर्द तो इसमे रहेगा…आप हाथ ज़्यादा मत हिलाओ.” स्नेहा ने मोहित को कहा.
“क्या इशे निकाल नही सकते.” मोहित ने कहा.
“नही ग्लूकोस ज़रूरी है आपके लिए”
“कोई बात नही गुरु…हाथ का थोड़ा ध्यान रखो दर्द कम हो जाएगा.”
मोहित ने राजू को इशारे से अपने पास बुलाया और बोला, “इश् नर्स की लेने के चक्कर में तो नही है तू…बड़ा घूर रहा है इश्कि गान्ड को.”
“गुरु कोशिस तो पूरी है…शायद काम बन जाए.”
“चल मज़े कर तू…मुझे नींद आ रही है”
“गुरु बाहर एक कॉन्स्टेबल है…चिंता मत करना मैं इसे नर्स का काम निपटा कर जल्दी आ जवँगा.”
“जाओ ऐश करो.” मोहित हंस कर बोला.
“थॅंक यू स्नेहा जी…आओ बाहर चलते हैं. मेरे दोस्त को नींद आ रही है.”
राजू स्नेहा के साथ बाहर आ जाता है.
“सिर मुझे दूसरे पटेंट भी देखने हैं मैं चलती हूँ….कोई ज़रूरात हो तो बुला लीजिएगा” स्नेहा ने कहा.
“ज़रूरात तो आपकी हर वक्त रहेगी…कहा मिलेंगी आप.” राजू ने कहा.
“मैं उशी कमरे में मिलूंगी” स्नेहा ने नज़रे झुका कर कहा.
“कितना वक्त लगेगा आपको सभी पेशेंट्स को अटेंड करने में”
“यही कोई एक घंटा.”
“एक घंटा!” राजू के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये.
“हन सिर इतना वक्त तो लगता ही है.” सनेहा ने कहा और वाहा से चली गयी.
राजू स्नेहा को जाते हुवे घूराता रहा. स्नेहा की गान्ड चलते हुवे कामुक अंदाज़ में चालक रही थी .राजू तो बस देखता ही रह गया.
“यार मामला कुछ जमता नज़र नही आ रहा…मैने इश्कि गान्ड पर हाथ तो मारा था….शायद मेरा सिग्नल समझी नही ये.” राजू सोच में प़ड़ गया.
“चलो कोई बात नही पेशेंट्स को अटेंड करना भी ज़रूरी है . वापिस आएगी तो फिर से ट्राइ करूँगा…मानेगी तो ठीक है वरना रहने देंगे.” राजू वापिस मोहित के पास आ गया. पर मोहित तब तक शो चुका था.
राजू मोहित के पास ही बैठ जाता है. कुछ देर तक तो वो जागा रहता है लेकिन धीरे धीरे नींद उसे घेर ही लेती है और वो बैठा बैठा कुर्सी पर झूलने लगता है. कुर्सी के लिए उसे संभालना मुस्किल हो जाता है. आख़िर कार वो लूड़क जाता है और उष्की आँख खुल जाती है.
“12:30 हो गये…देखता हूँ एक बार ट्राइ करके क्या पता बात बन जाए…अब तो वो उशी कमरे में होगी.”
राजू उशी कमरे पर पहुँच जाता है. वो दरवाजा खोल कर देखता है पर स्नेहा वाहा नही मिलती.
“कहा गयी ये…छोड़ो यार क्यों अपना वक्त खराब कर रहा हू इशके लिए…छाए पे कर आता हूँ वरना फिर नींद आ जाएगी.”
राजू हॉस्पिटल की कॅंटीन में आकर छाए ऑर्डर कराता है. वही उसे स्नेहा दीख जाती है. स्नेहा के साथ एक नर्स और थी और वो भी छाए पे रहे थे.
राजू छाए लेकर स्नेहा के पास आ जाता है. राजू को देख कर स्नेहा कहती है,”मैं थोड़ी देर पहले आए तो आपके दोस्त को देखने. ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा कर आई हूँ. आप शो रहे थे.”
“ओह हाँ मुझे नींद आ गयी थी…मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी है”
“हन बोलिए”
“अकेले में बात करनी है.”
“ओक…मैं छाए पे लू क्या?” स्नेहा मुस्कुरा कर बोली.
“हन-हन बिल्कुल मेरी भी छाए बाकी है”राजू भी मुस्कुरा दिया.
“लाइन क्लियर लगती है…यही मोका है पासा फेकने का…इश्कि छाए कब ख़त्म होगी कप है या बाल्टी मेरी तो ख़त्म भी हो गयी.”
“आप मेरे कप को क्यूँ घूर रहे हैं”स्नेहा ने पूछा.
“अछा कप है काफ़ी छाए आ जाती है इसमे…वही देख रहा था.”
स्नेहा हासने लगती है और बोलती है, “आपके पास भी सेम कप था…चलिए मेरी छाए ख़त्म हो गयी.”
“शूकर है.” राजू ने कहा.
स्नेहा ने अपने साथ आई नर्स को बाये किया और राजू के साथ चल दी.
“कहिए क्या ज़रूरी बात थी.”
“कोई ज़रूरी बात नही है…आपके साथ कुछ पल बितने थे बस.”
“ह्म…छाए कैसी लगी आपको इसे कॅंटीन की छाए बहुत अछी है.”
“छाए पे कौन रहा था…मेरी नज़र तो बस आप पर थी.”
स्नेहा शर्मा जाती है और बोलती है, “छोड़िए ऐसी बाते मत कीजिए.”
“इतनी खूबसूरात हैं आप और उष सेक्यूरिटी गुआर्द के साथ च्ीी…आपके लायक नही है वो ना शकल ना शुरआत.”
स्नेहा ने राजू की बात का कोई जवाब नही दिया.
“मैने कुछ ग़लत कहा क्या?”
“नही सिर ऐसी बात नही है आप ये सब क्यों बोल रहे हैं”
राजू और स्नेहा बाते करते करते कॅंटीन से काफ़ी दूर आ गये थे. वो अब अंधेरी सड़क पर चल रहे थे.
“वैसे ही बोल रहा हूँ.”
“सिर इसे सड़क पर रोशनी नही है वापिस चलते हैं…अंधेरे से मुझे दर लगता है.” स्नेहा ने कहा.
राजू ने स्नेहा का हाथ थाम लिया और बोला, “डरने की कोई ज़रूरात नही है मैं हू ना साथ.”
“मुझे लगता है आप मुझे ब्लॅकमेल करने की कोशिस कर रहे हैं. छोड़िए मेरा हाथ.”
राजू ने हाथ चोद दिया. “आप मुझे ग़लत समझ रही हैं.”
“पहले आपने मेरी बॅक पर हाथ मारा था…मैने कुछ नही कहा अब आप ये सब घुमा फिरा कर बोल रहे हैं.”
“मैं आपको ब्लॅकमेल नही कर रहा हूँ…पता रहा हूँ इतना भी नही समझती..तुम जाना चाहो तो जा सकती हो मैं तो यही घूमूंगा अभी.”
“मुझे पता रहे हैं पर क्यों?”
“क्योंकि मुझे आपकी चुत लेनी है इश्लीए…अब सॉफ सॉफ बोल दिया फिर मत कहना.”
“ओह गोद आप कैसी बाते करते हैं.”
“देखो मैने तुम्हे डिस्टर्ब किया था…आपका काम अधूरा रह गया था. मेरा फ़र्ज़ बनता है की आपका काम पूरा किया जाए.”
“आप बहुत अश्लील बाते करते हो.”
“अब जल्दी से ऐसी जगह बताओ जहा मैं आराम से तुम्हारी चुत में लंड घुस्सा सकूँ”
“ऐसी कोई जगह नही है यहा हे..हे” स्नेहा हासने लगती है.
“कोई बात नही ये सड़क काम करेगी चलो उष पेड़ के पीछे चलते हैं.” राजू ने कहा.
“यहा नही नही आप पागल हो गये हैं.”
राजू ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और बोला,”अरे आओ ना कब से तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए और तुम हो की नखरे कर रही हो.”
राजू स्नेहा को खींच कर पेड़ के पीछे ले आया.
“आप समझ नही रहे हैं…यहा ख़तरा है…कोई भी कभी भी आ सकता है.”
“कितनी देर से हम यहा घूम रहे हैं…अभी तक तो कोई आया नही…कोई नही आएगा यहा.”
राजू ने अपनी पेंट की चैन खोली और अपने भीमकाय लंड को बाहर खींच लिया.
“तामिये अपने हाथ में कोई आपका इंतेज़ार कर रहा है.
“आप ये ठीक नही कर रहे.”
राजू ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और अपने तने हुवे लंड पर रख दिया.
“ओह माई गोद ये क्या है.”
“लंड है भाई…ऐसे कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो…वो गुआर्द लंड ही तो पाले रहा था तुम्हारी चुत में. भूल जाती हो क्या लंड लेकर लंड को.?”
“पर ये कुछ ज़्यादा ही बड़ा है.”
“मज़ाक अछा कर लेती हो अब ये मत कहना की तुम इशे गान्ड में नही ले पावगी क्योंकि मैने ये पूरा का पूरा तुम्हारी सेक्सी गान्ड में डालना है.”
“ओह नो…आप कैसी बाते करते हैं.”
राजू स्नेहा को बाहों में जाकड़ लेता है और उशके होंटो को चूसने लगता है.
“वाउ यू अरे वंडरफुल क्या होन्ट है तुम्हारे…तुम्हारी चुत के होन्ट भी ऐसे ही हैं क्या.”
“मुझे नही पता…आहह” राजू ने उशके बूब्स को मसल दिया था.
राजू ने स्नेहा के बूब्स को बाहर निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.
“आअहह सिर कोई आ गया तो.”
“कोई नही आएगा…तुम बस मज़े करो.”
राजू ने अब स्नेहा की गान्ड को थाम लिया और गान्ड के दोनो पुतो को मसालने लगा.
“अयाया आराम से.”
“गान्ड में लिया हैं ना आपने पहले”
“हन पर इतना बड़ा नही आआहह.”
“घूम जाओ और घूम कर झुक जाओ…वक्त बर्बाद करना ठीक नही है…तुम्हे अपनी ड्यूटी भी करनी है”
स्नेहा पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. वो बिना किशी झीजक के राजू के आगे घूम गयी और झुक गयी. राजू ने उष्की स्कर्ट उपर उठाई और उष्की पेंटी नीचे सरका दी.
“सिर मुझे बस यही दर है की कही कोई आ ना जाए.”
राजू अपने लंड पर थूक रग़ाद रहा था. “आप चिंता मत करो कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूँगा.”
“आप वाहा तो नही डालेंगे ना?”
“कहा?” राजू ने पूछा.
“वही गान्ड में.”
“नही पहले आपकी चुत को रागडूंगा. जब उष्की तस्सल्ली हो जाएगी फिर गान्ड में डालूँगा.”
“इतना बड़ा मेरे वाहा नही जाएगा सिर आगे की बात और है हालाँकि वाहा भी मुस्किल होने वाली है.”
“आप बिल्कुल चिंता मत करो मुझे अब गान्ड मारनी आती है…हे..हे.”
राजू ने स्नेहा की गान्ड को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड स्नेहा की चुत में उतार दिया.
“ऊऊऊहह म्म्म्ममममममम मैं छील्ला भी नही सकती आआहह बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है”
“थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा हे..हे..हे” राजू हासने लगा.
“आप हँसो मत कोई शन लेगा…आअहह”
“ओह हन…. सॉरी.”
कुछ देर बाद राजू ने अपने लंड को स्नेहा की चुत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उशके अँड बार बार स्नेहा की चुत की पंखुड़ियों से टकरा रहे थे.
“आआहह ऊऊऊहह एस…” स्नेहा जल्दी ही झाड़ गयी.
लेकिन राजू रुका नही और स्नेहा की गान्ड को पकड़ कर लगातार उष्की चुत में लंड को घुमाता रहा.
“ऊऊहह नो प्लीज़ स्टॉप आआआहह” स्नेहा एक और ऑर्गॅज़म में डूब गयी.
“कैसा लग रहा है?” राजू ने पूछा.
“इतनी गहराई तक कोई नही पहुँचा आज तक आअहह बर्दास्त
के बाहर हो रहा है…प्लीज़ अब रुक जाओ……आआआहह नो…..ओह….एस.” स्नेहा एक बार फिर झाड़ जाती है.
राजू स्नेहा की चुत से लंड बाहर निकाल लेता है और उष्की गान्ड फैला कर उष्की गान्ड के छेद पर थूक लगा देता है. “अब आपकी गान्ड मारी जाएगी.”
“मुझे दर लग रहा है इतना बड़ा कैसे घुसेगा वाहा.”
“घुस्स जाएगा आप धीरज रखो…ऐसा करो अपने दोनो हाथो से गान्ड को फैला लो…लंड घुसने में आसानी होगी.”
स्नेहा माराती क्या ना कराती. उसने अपनी गान्ड राजू के लंड के लिए फैला ली. राजू ने गान्ड के छेद पर लंड टीका दिया और बोला, “तैयार हो ना मैं घुस्सा रहा हूँ.”
स्नेहा कुछ नही बोली. पर राजू ने धक्का लगा दिया और लंड का उपरी हिस्सा स्नेहा की गान्ड में घुस्स गया.
“अफ बहुत टाइट गान्ड है…किशी ने ली भी है ये या झुत बोल रही थी..ये तो घुस्स ही नही रहा.”
“तुम्हारा इतना बड़ा है तो मैं क्या करूँ….वो गुआर्द तो आराम से घुस्सा देता है.”
“मूँगफली तो आराम से जाएगी ही असली बात तो मेरे जैसे लंड की है.”
“आप रहने दीजिए….आआअहह नो….म्म्म्मममम” राजू ने लंड थोड़ा और अंदर सरका दिया था.
“जा रहा है धीरे धीरे…आआहह” राजू ने कहा.
धीरे धीरे राजू ने स्नेहा की गान्ड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया.
“अब तो खुश होंगे आप डाल दिया ना पूरा आआहह कितना दर्द हो रहा है.”
“थोड़ी देर में जैसे चुत का दर्द गया था गान्ड का भी चला जाएगा”
राजू कुछ देर तक स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा. स्नेहा भी चुपचाप गान्ड में लीएपेड का सहारा ले कर झुकी रही. कुछ देर बाद राजू हल्का हल्का हिलने लगा.
“आआहह वॉट आ बट यू हॅव आआहह फक इट आआहह”
“ऊऊओह आआहह युवर डिक इस गोयिंग सो डीप आआहह”
“डीप तो जाएगा ही बड़ा जो है….हे..हे..हे.”
“प्लीज़ हसीए मत.”
“ओह सॉरी…आप चिंता मत करो…खो जाओ मेरे लंड के धक्को में…आआहह”
“मैं कब से झुकी हुई हूँ…कमर दुखने लगी है मेरी आआहह.”
“खड़ी हो जाओ फिर….और पेड़ से चिपक जाओ मैं खड़े खड़े मार लूँगा गान्ड तुम्हारी.”
स्नेहा लंड को गान्ड में लिए-लिए खड़ी हो गयी और पेड़ से चिपक गयी. राजू अब स्नेहा को खड़े खड़े थोक रहा था.
“कब तक करेंगे आप मैं तक गयी हूँ.”
“कर दु क्या ख़त्म?”
“और नही तो क्या मुझे ड्यूटी भी करनी है अपनी और मैं तक भी गयी हूँ.”
“पेड़ को काश के पकड़ लो अब ज़ोर ज़ोर से मारूँगा मैं आआहह”
राजू अब अपने ऑर्गॅज़म के लिए स्नेहा की गान्ड पर पिल जाता है.
“आआआहह ऊऊऊहह थोड़ा ध्ीएरए कीजिए अयाया दर्द हो रहा है फिर से आआहह”
पर राजू अपने चरम के नझडीक था. उशके धक्को की बढ़ता और बढ़ती गयी.
“ऊऊओह ये लो चोद रहा हूँ मैं अपना स्पर्म तुम्हारी सेक्सी गान्ड में आआअहह ऊओह”
और आख़िर कार राजू का ऑर्गॅज़म हो ही गया. कुछ देर तक राजू यू ही स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा.
“निकालिए भी अब …मुझे जाना है…ड्यूटी भी करनी है.” स्नेहा ने कहा.
“ओह सॉरी…अभी निकालता हूँ.” राजू स्नेहा की गान्ड से लंड बाहर खींच लेता है.
“आआहह.” स्नेहा लंड के निकालने पर कराह उठती है.
दोनो वापिस हॉस्पिटल की और चल देते हैं.
“आप से एक बात पूछनी थी.” राजू ने कहा.
“मेरे दोस्त ने साएको किल्लर के पेट में चाकू मारा था. पर किसी भी हॉस्पिटल या क्लिनिक में ऐसा व्यक्ति नही आया जीशके पेट में चाकू लगा हो.”
“हो सकता है वो अपना इलाज़ घर पर करवा रहा हो.” स्नेहा ने कहा
“ओह हन…ऐसा हो सकता है इसे बात पर तो मेरा ध्यान ही नही गया.”
“क्या इसे से कुछ मदद मिलेगी.”
“बिल्कुल मिलेगी”
स्नेहा मोहित को एक और ग्लूकोस की बॉटल लगा देती है. मोहित अभी भी गहरी नींद में शोया है.
जब स्नेहा जाने लगती है तो राजू उष्का हाथ पकड़ लेता है.
“थॅंक यू…. मुझे आपके अंदर लगाया हर धक्का याद रहेगा.”
“बहुत स्टॅमिना है आप में… आपने तो जान निकाल दी मेरी”
“मोका मिला तो फिर लूँगा तुम्हारी मेरा दोस्त यहा हफ्ते के लिए है.”
“ह्म सोचूँगी की आपको दुबारा दी जाए या नही आप तो जान निकाल देते हो.”
“मज़ा भी तो उतना ही देता हूँ.”
“वो तो है…इतने ऑर्गॅज़म एक बार में आज तक नही हुवे मुझे जालिम हो तुम तो.”
“आपके साथ जो छाए पे रही थी…वो भी शुनदर थी…उष से भी मिलवाओ ना.”
“वो आपके बस में नही आएगी…रहने दीजिए.”
“ट्राइ करने में हर्ज़ क्या है…आप बस मेरे साथ का एक्सपीरियेन्स शुना देना उशे…बाकी मैं संभाल लूँगा.”
“यू अरे टू मच…” स्नेहा वाहा से हंसते हुवे चली जाती है
……………………………………….
रात बीट जाती है. सुबह होने पर राजू चौहान को फोन कराता है.
“सिर ये भोलू हवलदार आया था क्या ड्यूटी पर आज.”
“नही वो नही आया क्यों?”
“वैसे ही पूछ रहा हूँ.”
“अछा शुन्ओ तुम फ़ौरन थाने आ जाओ…सब इनस्पेक्टर विजय अपनी बहन की शादी में मुंबई गये हैं…काम कुछ ज़्यादा है तुम जल्दी आ जाना.”
“ठीक है सिर मैं अभी आ रहा हूँ.” राजू ने कहा.
राजू थाने पहुँचता है.
“राजू हमें किसी भी तरह उष लेडी का पता लगाना होगा जो की उष रात सुरिंदर के साथ थी” चौहान ने कहा.
“बिल्कुल सिर…बोलिए मुझे क्या करना है.”
“ये नंबर था तो सुरिंदर के नाम पर उसे तो वो लेडी कराती थी. वो कही ना कही से टॉक टाइम भी डळवाटी होगी. और हो ना हो उसने टॉक टाइम घर के आस पास ही किसी से करवाया होगा.”
“समझ गया सिर अभी इसे नंबर के मोबाइल ऑपरेटर से सारी जानकारी एक्कथा कराता हूँ”
“तुम अछा काम कर रहे हो तभी तुम्हे ये काम दे रहा हूँ”
“आप चिंता ना करो सिर आपको निराश नही करूँगा.” राजू ने कहा.
राजू की फोन की बाते मोहित भी शन लेता है.
“यार राजू तू तो पक्का पुलिस वाला बन गया.” मोहित ने कहा.
“अछा ऐसा है क्या…मैं तो बस….” राजू एक दूसरी नर्स को अंदर आते देखता है और बोलते बोलते रुक जाता है.
मोहित ने राजू को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, “क्या हुवा बोलती क्यों बंद हो गयी”
“गुरु तुम्हे तो एक से बढ़कर एक नर्स मिल रही है अटेंड करने को…क्या किशमत पाई है तुमने.”
“किशमत मेरी है या तेरी…ये बता क्या बना कल रात उष दूसरी नर्स का.”
“जबरदस्त थी वो गुरु….खूब मज़ा आया उशके साथ पूरी डीटेल बाद में बतावँगा कही इसे नर्स को शन जाए.”
“हन और कही ये तेरे से पहले से ही चोककान्नी है जाए हे..हे..हे.”
“आपके लिए हसना ठीक नही है.” नर्स ने कहा.
“गुरु क्या करते हो तुम भी….स्नेहा की जगह क्या आप आई हैं.?” राजू ने कहा.
“हन…” नर्स ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा देती है.
“क्या नाम है आपका?” राजू ने पूछा.
नर्स ने राजू को घूर के देखा और बोली, “माला…क्यों.”
“अगर कोई ज़रूरात हुई तो आपको बुलाना होगा ना.” राजू ने कहा.
“सब नाम की बजाए हूमें सिस्टर कहते है…आप नाम ई बजाए सिस्टर कह कर बुला सकते हैं.”
“वो तो है पर आप जैसी को सिस्टर कहना ग़लत लगता है.” राजू ने कहा.
“क्या मतलब मैं…समझी नही.”
“कुछ नही जाने दीजिए.” राजू ने कहा.
नर्स कन्फ्यूज़ सी होकर वाहा से चली गयी.
“राजू ध्यान रखना कभी चप्पल भी प़ड़ सकती है तुझे…हे..हे..हे.”
“गुरु हासने को माना किया है उसने…चुप रहो…ये नर्स तो बड़ी कठोर दिल की है शायद.”
“तभी कह रहा हूँ बच के रहना कही चप्पल खाओ…एक हसीना के आगे तुम वैसे ही मूठ चुके हो”
“गुरु वो याद मत दिलाओ वो हालत ही कुछ ऐसे थे. मैं प़ड़्मिनी जी के बड़े में कुछ भी बोले जा रहा था. जब वो अचानक सामने आ गयी, वो भी आग बाबूला हो कर तो मेरे होश उस गये, मुझे लगा मैं गया अब. ऐसी हालत सिर्फ़ प़ड़्मिनी जी ही कर सकती थी मेरी और कोई नही कर सकता”
“प़ड़्मिनी जी की बड़ी इज़्ज़त कराता है तू क्यों….अछा ये बता तुझे प्यार हुवा है कभी”
“प्यार व्यार के झांजात में मैं नही पड़ता अब…एक बार हुवा था कॉलेज में. दिल तोड़ दिया था लड़की ने. इतना सदमा लगा था की पूछो मत. फैल होने की नौबत आ गयी थी मेरी. उशके बाद प्यार व्यार से दूर ही रहा मैं. करना क्या है प्यार करके. बेकार की सिरदर्दी माल लेने वाली बात है. प्यार के बिना लड़कियों की कमी है क्या मुझे जो मैं प्यार के पछदे में प़ड़ू.”
“बस…बस भाई…तू तो बुरा ही मन गया…मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था की तू प़ड़्मिनी जी से प्यार कर बैठा है.”
“प़ड़्मिनी जी प्यार करने लायक हैं पर उनके साथ मेरा कोई स्कोप नही है.”
“मतलब की अगर प़ड़्मिनी जी तैयार हो जाए तो तुम उनसे लव अफेर चला सकते हो.”
राजू के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो गहरे ख़यालो में खो जाता है.
“अरे क्या हुवा…मैं कुछ पूछ रहा हूँ.”
“गुरु एक रिकवेस्ट है…प़ड़्मिनी जी के बड़े में ऐसी बाते मत किया करो…मुझे कुछ कुछ होता है.”
“ये कुछ..कुछ प्यार तो नही.” मोहित ने पूछा.
“गुरु क्यों बातो में उलझा रहे हो मुझे…मैं लाते हो रहा हूँ”
“बस एक बात और कहूँगा.”
“हन बोलो…क्या है?”
“मुझे ऐसा लगता है की मुझे प्यार हो गया है.”
राजू तो लोटपोट हो जाता है मोहित की बात शन कर.
“प्यार और तुम्हे…कौन बदनसीब है वो.”
“जाओ राजू तुम लाते हो रहे हो.”
“गुरु मज़ाक कर रहा हूँ…बताओ ना कौन है वो.”
“पूजा.”
“पूजा!”
“हन पूजा. दिल में अब बस वही है यार. उसे किसी तरह मेसेज दे दो मेरे बड़े में क्या पता देखने आ जाए मुझे.”
“तुम तो सच में सीरीयस हो गये गुरु…ऐसा कैसे हो गया. तभी काहु क्यों प्यार व्यार की बाते हो रही हैं.”
“यार बहुत याद आ रही है सुबह से उष्की कुछ कर ना…वो मुझे देखने आएगी तो अछा लगेगा.”
“अछा ट्राइ करूँगा…मैं चलता हूँ अब बाइ… अपना ख्याल रखना…बाहर कॉन्स्टेबल है…कोई भी ज़रूरात हो तो उसे बता देना.”
“पूजा की ज़रूरात है बस तू उसे भिजवा दे किशी तरह.”
“ठीक है गुरु मैं पूरी कोशिस करूँगा.” राजू वाहा से चल दिया.
राजू पुलिस की जीप ले के हॉस्पिटल से निकल पड़ा.
“थाने जाने से पहले इसे भोलू की खबर लेता हूँ…गुरु का काम भी कराता आऊगा.” राजू ने कहा.
कोई 20 मिनिट में राजू भोलू के घर पहुँच गया.
“दरवाजा अंदर से बंद है अभी…. शायद भोलू अंदर ही है.” राजू ने दरवाजा खड़क्या.
भोलू ने आँखे मलते हुवे दरवाजा खोला. उसने अपने चारो तरफ़ चदडार लपेट न्यू एअर थी.
“ओह राजू सिर.”
“ज़्यादा नाटक मत कर…ये बता तू था कहा…नगमा को छोड़ के कहा गया था तू इतनी रात को…सच सच बठाना वरना मुजसे बुरा कोई नही होगा.”
“मैं एक दोस्त के पास गया था…ज़रूरी काम था कुछ.”
“इतनी रात को जाने की क्या ज़रूरात थी…ये चदडार हटाओ और मुझे अपना पेट दीखाओ.”
“बात क्या है राजू सिर.”
“जैसा कहा है वैसा करो.”
भोलू ने चदडार हटाई और अपनी बाणयान उपर उठा कर अपना पेट दीखाया.
“मा की आँख…एक भी निशान नही है तेरे पेट पे तो…फिर चूतिया काट गया मेरा.”
“बात क्या है राजू सिर कुछ बताओ तो” भोलू ने पूछा.
“कुछ नही तुम तैयार हो कर जल्दी थाने आओ इनस्पेक्टर साहिब कह रहे थे की बहुत काम है आज.”
“ठीक है राजू सिर.”
राजू अब पूजा के घर की तरफ चल दिया. नगमा राजू को घर के बाहर ही मिल गयी.
“नगमा तुम्हारी बहन पूजा है क्या घर में.”
“क्यों उष से क्या काम प़ड़ गया तुम्हे.” नगमा ने पूछा.
“है कुछ काम अभी नही बता सकता.”
“मेरी बहन से दूर रहो.”
“वैसी बात नही है नगमा…कुछ और काम है.”
“वो कॉलेज चली गयी.”
“पूजा से बाद में मिलूँगा…पहले थाने चलता हूँ.” राजू सोचता है.
“क्या बात है बताओ तो?” नगमा ने पूछा.
“कोई ख़ास बात नही है…मैं चलता हूँ अभी ड्यूटी के लिए लाते हो रहा हूँ”
राजू सीधा थाने पहुँचता है और चौहान के कमरे की तरफ बढ़ता है. चौहान उसे बाहर ही मिल जाता है.
“अछा किया जो तुम आ गये…देखो मेडम साहिबा आग बाबूला हो रही हैं…बार बार मुझे दाँत प़ड़ रही है. हमें इसे केस को जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा.”
“मैं आपके साथ हूँ सिर…एक बात पूछनी थी आपसे.”
“हन पूछो?”
“सुरिंदर ने झुता बयान क्यों दिया सिर.”
“वही तो नही समझ आ रहा…वो रात के कोई ढाई बजे थाने आया था और उसने खुद कहा की मैने एक लड़की को खून करते देखा है. उसने ये भी बताया की लड़की के साथ एक नकाब पॉश था. उष्का कहना था की उसने लड़की और नकाब पॉश को आवाज़ लगाई लेकिन दोनो कार चोद कर जंगल में भाग गये. उसने हमें जगह दीखाई और हमने कार जब्त कर ली. कार में प़ड़्मिनी के पर्स से पता चला की कार प़ड़्मिनी चला रही थी. इसे तरह से सारा इल्ज़ाम प़ड़्मिनी पर आ गया. पता नही मीडीया वालो को कैसे खबर लग गयी और ये बात फैलती चली गयी. ये थी सारी बात.”
“ह्म…सारे तार सुरिंदर से ही जुड़े हैं मतलब…फिर तो उष लेडी को ढुंडना बहुत ज़रूरी है क्या पता उसे कुछ पता हो.”
“सुरिंदर की एक बहन भी है सोनिया…उष से भी पूचेटाछ करनी होगी.”
“बिल्कुल सिर ये जान-ना बहुत ज़रूरी है की उसने झूता ब्यान क्यों दिया और किशके कहने पे दिया. जीशके कहने पे उसने ये सब किया…वही साएको है.”
“बिल्कुल सही जा रहे हो बरखुरदार…जाओ तुम वो मोबाइल वाला काम करो मैं सोनिया से पूचेटाछ करने जा रहा हूँ. अपने पाती के साथ यही देहरादून में ही रहती है वो.”
“ऑल थे बेस्ट सिर…हम ये केस जल्दी सॉल्व करेंगे.” राजू ने कहा.
“बिल्कुल बरखुरदार…इश् से पहले की वो कयामत मेरी जान ले ले ये केस हमें सॉल्व करना ही होगा.”
राजू और चौहान केस की बाते कर रहे थे. एक कॉन्स्टेबल वाहा आता है और कहता है,”सिर टीवी पर साएको की न्यूज़ आ रही है.”
“क्या दीखा रहे हैं ये अब.” चौहान ने कहा.
“उष लड़की से बात चिट दीखा रहे हैं सिर…जिनकी पहले हमें तलास.” कॉन्स्टेबल ने कहा.
“अछा प़ड़्मिनी जी से बात कर रहे हैं ये मीडीया वाले.” राजू ने कहा.
“चलो पहले ये खबर देखते हैं फिर निकलते हैं…अपने अपने काम पर.” चौहान ने कहा.
“जी सिर चलिए.” राजू ने कहा.
टीवी न्यूज़ : “हम इसे वक्त सीधे प़ड़्मिनी अरोरा के घर की लाइव तस्वीरे दीखा रहे हैं. जी हाँ ये वही प़ड़्मिनी अरोरा है जीश पर की साएको किल्लर होने का इल्ज़ाम लगा था. मगर अब मामला और पेचीदा हो गया है. हमारे सूत्रो के मुताबिक असली वितनेस सुरिंदर नही बल्कि प़ड़्मिनी अरोरा है. प़ड़्मिनी अरोरा ने खुद अपनी आँखो से मर्डर होते देखा है. ये भी खबर मिली है की इसे वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ प़ड़्मिनी अरोरा ही ये जानती हैं की साएको किल्लर कौन है क्योंकि उन्होने साएको को बड़े नझडीक से देखा है. हम अभी आपसे हमारे सवांड दाता से हुई प़ड़्मिनी अरोरा की बात चिट दीखाएँगे.
“हन तो प़ड़्मिनी जी क्या ये सच है की आपने साएको को देखा है.”
“देखिए मुझे जो कुछ पता था मैने पुलिस को बता दिया है.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आपके घर के बाहर चार पुलिस वाले मोज़ूद हैं…क्या आपको दर है की साएको आपको मार सकता है…क्योंकि सिर्फ़ आप ही ने उसे देखा है.”
“आप ये सब बाते पुलिस से जाके पूछिए मैं कुछ नही कह सकती.”
बस इतना ही इंटरव्यू दीखया जाता है प़ड़्मिनी का.
“पता नही ये मीडीया वाले कहा से ये सब ख़बरे निकाल लेते हैं. चलो राजू हम अपना काम करते हैं. ये सब तो चलता ही रहेगा.” चौहान ने कहा.
“बिल्कुल सिर…चलिए.” राजू ने कहा.
चौहान सुरिंदर की बहन सोनिया के घर की तरफ निकल पड़ता है. राजू भी अपनी इन्वेस्टिगेशन के लिए निकल देता है.
चौहान कुछ ही देर में सोनिया के घर पहुँच जाता है. सुबह के दस बाज चुके हैं. चौहान दूर बेल बजाता है.
अंदर दूर बेल शुंते ही सोनिया हड़बड़ाहत में शवर बंद कराती है. वो आनन फानन में कपड़े पहनती है और बेडरूम की तरफ भागती है.
“उठो…कोई बेल बजा रहा है…जल्दी उठो.” सोनिया कहती है.
“तुम्हारा घर है तुम जा कर देखो मैं देखूँगा तो दिक्कत हो जाएगी.”
“बेवकूफ़ मैं दरवाजा खोलने को नही कह रही हूँ…जल्दी कही चुप जाओ.”
“तुम तो कह रही थी की पूरी रात और पूरा दिन मस्ती करेंगे. काम वाली की भी छुट्टी कर न्यू एअर थी तुमने अब ये कौन आ गया.”
“देख कर ही बतावुँगी ना नरेश…तुम कही चुप जाओ.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 24
स्नेहा राजू के साथ चल दी.
“कुण्डी तो लगा लिया कीजिए कोई भी झाँक सकता है.”
“सॉरी सिर…ग़लती हो गयी किसी को बठाना मत प्लीज़ मेरी नौकरी चली जाएगी.”
राजू ने चलते चलते स्नेहा की गान्ड पर हाथ मारा और बोला, “कोई बात नही आप मेरे दोस्त की केर कीजिए बस…आप उसे छोड़ कर यहा वाहा रहेंगी तो कैसे चलेगा.”
“सॉरी सिर…मैं उनका पूरा ध्यान रखूँगी” स्नेहा ने कहा.
स्नेहा ने सरिंज चक्क की.
“दर्द तो इसमे रहेगा…आप हाथ ज़्यादा मत हिलाओ.” स्नेहा ने मोहित को कहा.
“क्या इशे निकाल नही सकते.” मोहित ने कहा.
“नही ग्लूकोस ज़रूरी है आपके लिए”
“कोई बात नही गुरु…हाथ का थोड़ा ध्यान रखो दर्द कम हो जाएगा.”
मोहित ने राजू को इशारे से अपने पास बुलाया और बोला, “इश् नर्स की लेने के चक्कर में तो नही है तू…बड़ा घूर रहा है इश्कि गान्ड को.”
“गुरु कोशिस तो पूरी है…शायद काम बन जाए.”
“चल मज़े कर तू…मुझे नींद आ रही है”
“गुरु बाहर एक कॉन्स्टेबल है…चिंता मत करना मैं इसे नर्स का काम निपटा कर जल्दी आ जवँगा.”
“जाओ ऐश करो.” मोहित हंस कर बोला.
“थॅंक यू स्नेहा जी…आओ बाहर चलते हैं. मेरे दोस्त को नींद आ रही है.”
राजू स्नेहा के साथ बाहर आ जाता है.
“सिर मुझे दूसरे पटेंट भी देखने हैं मैं चलती हूँ….कोई ज़रूरात हो तो बुला लीजिएगा” स्नेहा ने कहा.
“ज़रूरात तो आपकी हर वक्त रहेगी…कहा मिलेंगी आप.” राजू ने कहा.
“मैं उशी कमरे में मिलूंगी” स्नेहा ने नज़रे झुका कर कहा.
“कितना वक्त लगेगा आपको सभी पेशेंट्स को अटेंड करने में”
“यही कोई एक घंटा.”
“एक घंटा!” राजू के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये.
“हन सिर इतना वक्त तो लगता ही है.” सनेहा ने कहा और वाहा से चली गयी.
राजू स्नेहा को जाते हुवे घूराता रहा. स्नेहा की गान्ड चलते हुवे कामुक अंदाज़ में चालक रही थी .राजू तो बस देखता ही रह गया.
“यार मामला कुछ जमता नज़र नही आ रहा…मैने इश्कि गान्ड पर हाथ तो मारा था….शायद मेरा सिग्नल समझी नही ये.” राजू सोच में प़ड़ गया.
“चलो कोई बात नही पेशेंट्स को अटेंड करना भी ज़रूरी है . वापिस आएगी तो फिर से ट्राइ करूँगा…मानेगी तो ठीक है वरना रहने देंगे.” राजू वापिस मोहित के पास आ गया. पर मोहित तब तक शो चुका था.
राजू मोहित के पास ही बैठ जाता है. कुछ देर तक तो वो जागा रहता है लेकिन धीरे धीरे नींद उसे घेर ही लेती है और वो बैठा बैठा कुर्सी पर झूलने लगता है. कुर्सी के लिए उसे संभालना मुस्किल हो जाता है. आख़िर कार वो लूड़क जाता है और उष्की आँख खुल जाती है.
“12:30 हो गये…देखता हूँ एक बार ट्राइ करके क्या पता बात बन जाए…अब तो वो उशी कमरे में होगी.”
राजू उशी कमरे पर पहुँच जाता है. वो दरवाजा खोल कर देखता है पर स्नेहा वाहा नही मिलती.
“कहा गयी ये…छोड़ो यार क्यों अपना वक्त खराब कर रहा हू इशके लिए…छाए पे कर आता हूँ वरना फिर नींद आ जाएगी.”
राजू हॉस्पिटल की कॅंटीन में आकर छाए ऑर्डर कराता है. वही उसे स्नेहा दीख जाती है. स्नेहा के साथ एक नर्स और थी और वो भी छाए पे रहे थे.
राजू छाए लेकर स्नेहा के पास आ जाता है. राजू को देख कर स्नेहा कहती है,”मैं थोड़ी देर पहले आए तो आपके दोस्त को देखने. ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा कर आई हूँ. आप शो रहे थे.”
“ओह हाँ मुझे नींद आ गयी थी…मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी है”
“हन बोलिए”
“अकेले में बात करनी है.”
“ओक…मैं छाए पे लू क्या?” स्नेहा मुस्कुरा कर बोली.
“हन-हन बिल्कुल मेरी भी छाए बाकी है”राजू भी मुस्कुरा दिया.
“लाइन क्लियर लगती है…यही मोका है पासा फेकने का…इश्कि छाए कब ख़त्म होगी कप है या बाल्टी मेरी तो ख़त्म भी हो गयी.”
“आप मेरे कप को क्यूँ घूर रहे हैं”स्नेहा ने पूछा.
“अछा कप है काफ़ी छाए आ जाती है इसमे…वही देख रहा था.”
स्नेहा हासने लगती है और बोलती है, “आपके पास भी सेम कप था…चलिए मेरी छाए ख़त्म हो गयी.”
“शूकर है.” राजू ने कहा.
स्नेहा ने अपने साथ आई नर्स को बाये किया और राजू के साथ चल दी.
“कहिए क्या ज़रूरी बात थी.”
“कोई ज़रूरी बात नही है…आपके साथ कुछ पल बितने थे बस.”
“ह्म…छाए कैसी लगी आपको इसे कॅंटीन की छाए बहुत अछी है.”
“छाए पे कौन रहा था…मेरी नज़र तो बस आप पर थी.”
स्नेहा शर्मा जाती है और बोलती है, “छोड़िए ऐसी बाते मत कीजिए.”
“इतनी खूबसूरात हैं आप और उष सेक्यूरिटी गुआर्द के साथ च्ीी…आपके लायक नही है वो ना शकल ना शुरआत.”
स्नेहा ने राजू की बात का कोई जवाब नही दिया.
“मैने कुछ ग़लत कहा क्या?”
“नही सिर ऐसी बात नही है आप ये सब क्यों बोल रहे हैं”
राजू और स्नेहा बाते करते करते कॅंटीन से काफ़ी दूर आ गये थे. वो अब अंधेरी सड़क पर चल रहे थे.
“वैसे ही बोल रहा हूँ.”
“सिर इसे सड़क पर रोशनी नही है वापिस चलते हैं…अंधेरे से मुझे दर लगता है.” स्नेहा ने कहा.
राजू ने स्नेहा का हाथ थाम लिया और बोला, “डरने की कोई ज़रूरात नही है मैं हू ना साथ.”
“मुझे लगता है आप मुझे ब्लॅकमेल करने की कोशिस कर रहे हैं. छोड़िए मेरा हाथ.”
राजू ने हाथ चोद दिया. “आप मुझे ग़लत समझ रही हैं.”
“पहले आपने मेरी बॅक पर हाथ मारा था…मैने कुछ नही कहा अब आप ये सब घुमा फिरा कर बोल रहे हैं.”
“मैं आपको ब्लॅकमेल नही कर रहा हूँ…पता रहा हूँ इतना भी नही समझती..तुम जाना चाहो तो जा सकती हो मैं तो यही घूमूंगा अभी.”
“मुझे पता रहे हैं पर क्यों?”
“क्योंकि मुझे आपकी चुत लेनी है इश्लीए…अब सॉफ सॉफ बोल दिया फिर मत कहना.”
“ओह गोद आप कैसी बाते करते हैं.”
“देखो मैने तुम्हे डिस्टर्ब किया था…आपका काम अधूरा रह गया था. मेरा फ़र्ज़ बनता है की आपका काम पूरा किया जाए.”
“आप बहुत अश्लील बाते करते हो.”
“अब जल्दी से ऐसी जगह बताओ जहा मैं आराम से तुम्हारी चुत में लंड घुस्सा सकूँ”
“ऐसी कोई जगह नही है यहा हे..हे” स्नेहा हासने लगती है.
“कोई बात नही ये सड़क काम करेगी चलो उष पेड़ के पीछे चलते हैं.” राजू ने कहा.
“यहा नही नही आप पागल हो गये हैं.”
राजू ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और बोला,”अरे आओ ना कब से तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए और तुम हो की नखरे कर रही हो.”
राजू स्नेहा को खींच कर पेड़ के पीछे ले आया.
“आप समझ नही रहे हैं…यहा ख़तरा है…कोई भी कभी भी आ सकता है.”
“कितनी देर से हम यहा घूम रहे हैं…अभी तक तो कोई आया नही…कोई नही आएगा यहा.”
राजू ने अपनी पेंट की चैन खोली और अपने भीमकाय लंड को बाहर खींच लिया.
“तामिये अपने हाथ में कोई आपका इंतेज़ार कर रहा है.
“आप ये ठीक नही कर रहे.”
राजू ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और अपने तने हुवे लंड पर रख दिया.
“ओह माई गोद ये क्या है.”
“लंड है भाई…ऐसे कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो…वो गुआर्द लंड ही तो पाले रहा था तुम्हारी चुत में. भूल जाती हो क्या लंड लेकर लंड को.?”
“पर ये कुछ ज़्यादा ही बड़ा है.”
“मज़ाक अछा कर लेती हो अब ये मत कहना की तुम इशे गान्ड में नही ले पावगी क्योंकि मैने ये पूरा का पूरा तुम्हारी सेक्सी गान्ड में डालना है.”
“ओह नो…आप कैसी बाते करते हैं.”
राजू स्नेहा को बाहों में जाकड़ लेता है और उशके होंटो को चूसने लगता है.
“वाउ यू अरे वंडरफुल क्या होन्ट है तुम्हारे…तुम्हारी चुत के होन्ट भी ऐसे ही हैं क्या.”
“मुझे नही पता…आहह” राजू ने उशके बूब्स को मसल दिया था.
राजू ने स्नेहा के बूब्स को बाहर निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.
“आअहह सिर कोई आ गया तो.”
“कोई नही आएगा…तुम बस मज़े करो.”
राजू ने अब स्नेहा की गान्ड को थाम लिया और गान्ड के दोनो पुतो को मसालने लगा.
“अयाया आराम से.”
“गान्ड में लिया हैं ना आपने पहले”
“हन पर इतना बड़ा नही आआहह.”
“घूम जाओ और घूम कर झुक जाओ…वक्त बर्बाद करना ठीक नही है…तुम्हे अपनी ड्यूटी भी करनी है”
स्नेहा पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. वो बिना किशी झीजक के राजू के आगे घूम गयी और झुक गयी. राजू ने उष्की स्कर्ट उपर उठाई और उष्की पेंटी नीचे सरका दी.
“सिर मुझे बस यही दर है की कही कोई आ ना जाए.”
राजू अपने लंड पर थूक रग़ाद रहा था. “आप चिंता मत करो कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूँगा.”
“आप वाहा तो नही डालेंगे ना?”
“कहा?” राजू ने पूछा.
“वही गान्ड में.”
“नही पहले आपकी चुत को रागडूंगा. जब उष्की तस्सल्ली हो जाएगी फिर गान्ड में डालूँगा.”
“इतना बड़ा मेरे वाहा नही जाएगा सिर आगे की बात और है हालाँकि वाहा भी मुस्किल होने वाली है.”
“आप बिल्कुल चिंता मत करो मुझे अब गान्ड मारनी आती है…हे..हे.”
राजू ने स्नेहा की गान्ड को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड स्नेहा की चुत में उतार दिया.
“ऊऊऊहह म्म्म्ममममममम मैं छील्ला भी नही सकती आआहह बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है”
“थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा हे..हे..हे” राजू हासने लगा.
“आप हँसो मत कोई शन लेगा…आअहह”
“ओह हन…. सॉरी.”
कुछ देर बाद राजू ने अपने लंड को स्नेहा की चुत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उशके अँड बार बार स्नेहा की चुत की पंखुड़ियों से टकरा रहे थे.
“आआहह ऊऊऊहह एस…” स्नेहा जल्दी ही झाड़ गयी.
लेकिन राजू रुका नही और स्नेहा की गान्ड को पकड़ कर लगातार उष्की चुत में लंड को घुमाता रहा.
“ऊऊहह नो प्लीज़ स्टॉप आआआहह” स्नेहा एक और ऑर्गॅज़म में डूब गयी.
“कैसा लग रहा है?” राजू ने पूछा.
“इतनी गहराई तक कोई नही पहुँचा आज तक आअहह बर्दास्त
के बाहर हो रहा है…प्लीज़ अब रुक जाओ……आआआहह नो…..ओह….एस.” स्नेहा एक बार फिर झाड़ जाती है.
राजू स्नेहा की चुत से लंड बाहर निकाल लेता है और उष्की गान्ड फैला कर उष्की गान्ड के छेद पर थूक लगा देता है. “अब आपकी गान्ड मारी जाएगी.”
“मुझे दर लग रहा है इतना बड़ा कैसे घुसेगा वाहा.”
“घुस्स जाएगा आप धीरज रखो…ऐसा करो अपने दोनो हाथो से गान्ड को फैला लो…लंड घुसने में आसानी होगी.”
स्नेहा माराती क्या ना कराती. उसने अपनी गान्ड राजू के लंड के लिए फैला ली. राजू ने गान्ड के छेद पर लंड टीका दिया और बोला, “तैयार हो ना मैं घुस्सा रहा हूँ.”
स्नेहा कुछ नही बोली. पर राजू ने धक्का लगा दिया और लंड का उपरी हिस्सा स्नेहा की गान्ड में घुस्स गया.
“अफ बहुत टाइट गान्ड है…किशी ने ली भी है ये या झुत बोल रही थी..ये तो घुस्स ही नही रहा.”
“तुम्हारा इतना बड़ा है तो मैं क्या करूँ….वो गुआर्द तो आराम से घुस्सा देता है.”
“मूँगफली तो आराम से जाएगी ही असली बात तो मेरे जैसे लंड की है.”
“आप रहने दीजिए….आआअहह नो….म्म्म्मममम” राजू ने लंड थोड़ा और अंदर सरका दिया था.
“जा रहा है धीरे धीरे…आआहह” राजू ने कहा.
धीरे धीरे राजू ने स्नेहा की गान्ड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया.
“अब तो खुश होंगे आप डाल दिया ना पूरा आआहह कितना दर्द हो रहा है.”
“थोड़ी देर में जैसे चुत का दर्द गया था गान्ड का भी चला जाएगा”
राजू कुछ देर तक स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा. स्नेहा भी चुपचाप गान्ड में लीएपेड का सहारा ले कर झुकी रही. कुछ देर बाद राजू हल्का हल्का हिलने लगा.
“आआहह वॉट आ बट यू हॅव आआहह फक इट आआहह”
“ऊऊओह आआहह युवर डिक इस गोयिंग सो डीप आआहह”
“डीप तो जाएगा ही बड़ा जो है….हे..हे..हे.”
“प्लीज़ हसीए मत.”
“ओह सॉरी…आप चिंता मत करो…खो जाओ मेरे लंड के धक्को में…आआहह”
“मैं कब से झुकी हुई हूँ…कमर दुखने लगी है मेरी आआहह.”
“खड़ी हो जाओ फिर….और पेड़ से चिपक जाओ मैं खड़े खड़े मार लूँगा गान्ड तुम्हारी.”
स्नेहा लंड को गान्ड में लिए-लिए खड़ी हो गयी और पेड़ से चिपक गयी. राजू अब स्नेहा को खड़े खड़े थोक रहा था.
“कब तक करेंगे आप मैं तक गयी हूँ.”
“कर दु क्या ख़त्म?”
“और नही तो क्या मुझे ड्यूटी भी करनी है अपनी और मैं तक भी गयी हूँ.”
“पेड़ को काश के पकड़ लो अब ज़ोर ज़ोर से मारूँगा मैं आआहह”
राजू अब अपने ऑर्गॅज़म के लिए स्नेहा की गान्ड पर पिल जाता है.
“आआआहह ऊऊऊहह थोड़ा ध्ीएरए कीजिए अयाया दर्द हो रहा है फिर से आआहह”
पर राजू अपने चरम के नझडीक था. उशके धक्को की बढ़ता और बढ़ती गयी.
“ऊऊओह ये लो चोद रहा हूँ मैं अपना स्पर्म तुम्हारी सेक्सी गान्ड में आआअहह ऊओह”
और आख़िर कार राजू का ऑर्गॅज़म हो ही गया. कुछ देर तक राजू यू ही स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा.
“निकालिए भी अब …मुझे जाना है…ड्यूटी भी करनी है.” स्नेहा ने कहा.
“ओह सॉरी…अभी निकालता हूँ.” राजू स्नेहा की गान्ड से लंड बाहर खींच लेता है.
“आआहह.” स्नेहा लंड के निकालने पर कराह उठती है.
दोनो वापिस हॉस्पिटल की और चल देते हैं.
“आप से एक बात पूछनी थी.” राजू ने कहा.
“मेरे दोस्त ने साएको किल्लर के पेट में चाकू मारा था. पर किसी भी हॉस्पिटल या क्लिनिक में ऐसा व्यक्ति नही आया जीशके पेट में चाकू लगा हो.”
“हो सकता है वो अपना इलाज़ घर पर करवा रहा हो.” स्नेहा ने कहा
“ओह हन…ऐसा हो सकता है इसे बात पर तो मेरा ध्यान ही नही गया.”
“क्या इसे से कुछ मदद मिलेगी.”
“बिल्कुल मिलेगी”
स्नेहा मोहित को एक और ग्लूकोस की बॉटल लगा देती है. मोहित अभी भी गहरी नींद में शोया है.
जब स्नेहा जाने लगती है तो राजू उष्का हाथ पकड़ लेता है.
“थॅंक यू…. मुझे आपके अंदर लगाया हर धक्का याद रहेगा.”
“बहुत स्टॅमिना है आप में… आपने तो जान निकाल दी मेरी”
“मोका मिला तो फिर लूँगा तुम्हारी मेरा दोस्त यहा हफ्ते के लिए है.”
“ह्म सोचूँगी की आपको दुबारा दी जाए या नही आप तो जान निकाल देते हो.”
“मज़ा भी तो उतना ही देता हूँ.”
“वो तो है…इतने ऑर्गॅज़म एक बार में आज तक नही हुवे मुझे जालिम हो तुम तो.”
“आपके साथ जो छाए पे रही थी…वो भी शुनदर थी…उष से भी मिलवाओ ना.”
“वो आपके बस में नही आएगी…रहने दीजिए.”
“ट्राइ करने में हर्ज़ क्या है…आप बस मेरे साथ का एक्सपीरियेन्स शुना देना उशे…बाकी मैं संभाल लूँगा.”
“यू अरे टू मच…” स्नेहा वाहा से हंसते हुवे चली जाती है
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रात बीट जाती है. सुबह होने पर राजू चौहान को फोन कराता है.
“सिर ये भोलू हवलदार आया था क्या ड्यूटी पर आज.”
“नही वो नही आया क्यों?”
“वैसे ही पूछ रहा हूँ.”
“अछा शुन्ओ तुम फ़ौरन थाने आ जाओ…सब इनस्पेक्टर विजय अपनी बहन की शादी में मुंबई गये हैं…काम कुछ ज़्यादा है तुम जल्दी आ जाना.”
“ठीक है सिर मैं अभी आ रहा हूँ.” राजू ने कहा.
राजू थाने पहुँचता है.
“राजू हमें किसी भी तरह उष लेडी का पता लगाना होगा जो की उष रात सुरिंदर के साथ थी” चौहान ने कहा.
“बिल्कुल सिर…बोलिए मुझे क्या करना है.”
“ये नंबर था तो सुरिंदर के नाम पर उसे तो वो लेडी कराती थी. वो कही ना कही से टॉक टाइम भी डळवाटी होगी. और हो ना हो उसने टॉक टाइम घर के आस पास ही किसी से करवाया होगा.”
“समझ गया सिर अभी इसे नंबर के मोबाइल ऑपरेटर से सारी जानकारी एक्कथा कराता हूँ”
“तुम अछा काम कर रहे हो तभी तुम्हे ये काम दे रहा हूँ”
“आप चिंता ना करो सिर आपको निराश नही करूँगा.” राजू ने कहा.
राजू की फोन की बाते मोहित भी शन लेता है.
“यार राजू तू तो पक्का पुलिस वाला बन गया.” मोहित ने कहा.
“अछा ऐसा है क्या…मैं तो बस….” राजू एक दूसरी नर्स को अंदर आते देखता है और बोलते बोलते रुक जाता है.
मोहित ने राजू को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, “क्या हुवा बोलती क्यों बंद हो गयी”
“गुरु तुम्हे तो एक से बढ़कर एक नर्स मिल रही है अटेंड करने को…क्या किशमत पाई है तुमने.”
“किशमत मेरी है या तेरी…ये बता क्या बना कल रात उष दूसरी नर्स का.”
“जबरदस्त थी वो गुरु….खूब मज़ा आया उशके साथ पूरी डीटेल बाद में बतावँगा कही इसे नर्स को शन जाए.”
“हन और कही ये तेरे से पहले से ही चोककान्नी है जाए हे..हे..हे.”
“आपके लिए हसना ठीक नही है.” नर्स ने कहा.
“गुरु क्या करते हो तुम भी….स्नेहा की जगह क्या आप आई हैं.?” राजू ने कहा.
“हन…” नर्स ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा देती है.
“क्या नाम है आपका?” राजू ने पूछा.
नर्स ने राजू को घूर के देखा और बोली, “माला…क्यों.”
“अगर कोई ज़रूरात हुई तो आपको बुलाना होगा ना.” राजू ने कहा.
“सब नाम की बजाए हूमें सिस्टर कहते है…आप नाम ई बजाए सिस्टर कह कर बुला सकते हैं.”
“वो तो है पर आप जैसी को सिस्टर कहना ग़लत लगता है.” राजू ने कहा.
“क्या मतलब मैं…समझी नही.”
“कुछ नही जाने दीजिए.” राजू ने कहा.
नर्स कन्फ्यूज़ सी होकर वाहा से चली गयी.
“राजू ध्यान रखना कभी चप्पल भी प़ड़ सकती है तुझे…हे..हे..हे.”
“गुरु हासने को माना किया है उसने…चुप रहो…ये नर्स तो बड़ी कठोर दिल की है शायद.”
“तभी कह रहा हूँ बच के रहना कही चप्पल खाओ…एक हसीना के आगे तुम वैसे ही मूठ चुके हो”
“गुरु वो याद मत दिलाओ वो हालत ही कुछ ऐसे थे. मैं प़ड़्मिनी जी के बड़े में कुछ भी बोले जा रहा था. जब वो अचानक सामने आ गयी, वो भी आग बाबूला हो कर तो मेरे होश उस गये, मुझे लगा मैं गया अब. ऐसी हालत सिर्फ़ प़ड़्मिनी जी ही कर सकती थी मेरी और कोई नही कर सकता”
“प़ड़्मिनी जी की बड़ी इज़्ज़त कराता है तू क्यों….अछा ये बता तुझे प्यार हुवा है कभी”
“प्यार व्यार के झांजात में मैं नही पड़ता अब…एक बार हुवा था कॉलेज में. दिल तोड़ दिया था लड़की ने. इतना सदमा लगा था की पूछो मत. फैल होने की नौबत आ गयी थी मेरी. उशके बाद प्यार व्यार से दूर ही रहा मैं. करना क्या है प्यार करके. बेकार की सिरदर्दी माल लेने वाली बात है. प्यार के बिना लड़कियों की कमी है क्या मुझे जो मैं प्यार के पछदे में प़ड़ू.”
“बस…बस भाई…तू तो बुरा ही मन गया…मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था की तू प़ड़्मिनी जी से प्यार कर बैठा है.”
“प़ड़्मिनी जी प्यार करने लायक हैं पर उनके साथ मेरा कोई स्कोप नही है.”
“मतलब की अगर प़ड़्मिनी जी तैयार हो जाए तो तुम उनसे लव अफेर चला सकते हो.”
राजू के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो गहरे ख़यालो में खो जाता है.
“अरे क्या हुवा…मैं कुछ पूछ रहा हूँ.”
“गुरु एक रिकवेस्ट है…प़ड़्मिनी जी के बड़े में ऐसी बाते मत किया करो…मुझे कुछ कुछ होता है.”
“ये कुछ..कुछ प्यार तो नही.” मोहित ने पूछा.
“गुरु क्यों बातो में उलझा रहे हो मुझे…मैं लाते हो रहा हूँ”
“बस एक बात और कहूँगा.”
“हन बोलो…क्या है?”
“मुझे ऐसा लगता है की मुझे प्यार हो गया है.”
राजू तो लोटपोट हो जाता है मोहित की बात शन कर.
“प्यार और तुम्हे…कौन बदनसीब है वो.”
“जाओ राजू तुम लाते हो रहे हो.”
“गुरु मज़ाक कर रहा हूँ…बताओ ना कौन है वो.”
“पूजा.”
“पूजा!”
“हन पूजा. दिल में अब बस वही है यार. उसे किसी तरह मेसेज दे दो मेरे बड़े में क्या पता देखने आ जाए मुझे.”
“तुम तो सच में सीरीयस हो गये गुरु…ऐसा कैसे हो गया. तभी काहु क्यों प्यार व्यार की बाते हो रही हैं.”
“यार बहुत याद आ रही है सुबह से उष्की कुछ कर ना…वो मुझे देखने आएगी तो अछा लगेगा.”
“अछा ट्राइ करूँगा…मैं चलता हूँ अब बाइ… अपना ख्याल रखना…बाहर कॉन्स्टेबल है…कोई भी ज़रूरात हो तो उसे बता देना.”
“पूजा की ज़रूरात है बस तू उसे भिजवा दे किशी तरह.”
“ठीक है गुरु मैं पूरी कोशिस करूँगा.” राजू वाहा से चल दिया.
राजू पुलिस की जीप ले के हॉस्पिटल से निकल पड़ा.
“थाने जाने से पहले इसे भोलू की खबर लेता हूँ…गुरु का काम भी कराता आऊगा.” राजू ने कहा.
कोई 20 मिनिट में राजू भोलू के घर पहुँच गया.
“दरवाजा अंदर से बंद है अभी…. शायद भोलू अंदर ही है.” राजू ने दरवाजा खड़क्या.
भोलू ने आँखे मलते हुवे दरवाजा खोला. उसने अपने चारो तरफ़ चदडार लपेट न्यू एअर थी.
“ओह राजू सिर.”
“ज़्यादा नाटक मत कर…ये बता तू था कहा…नगमा को छोड़ के कहा गया था तू इतनी रात को…सच सच बठाना वरना मुजसे बुरा कोई नही होगा.”
“मैं एक दोस्त के पास गया था…ज़रूरी काम था कुछ.”
“इतनी रात को जाने की क्या ज़रूरात थी…ये चदडार हटाओ और मुझे अपना पेट दीखाओ.”
“बात क्या है राजू सिर.”
“जैसा कहा है वैसा करो.”
भोलू ने चदडार हटाई और अपनी बाणयान उपर उठा कर अपना पेट दीखाया.
“मा की आँख…एक भी निशान नही है तेरे पेट पे तो…फिर चूतिया काट गया मेरा.”
“बात क्या है राजू सिर कुछ बताओ तो” भोलू ने पूछा.
“कुछ नही तुम तैयार हो कर जल्दी थाने आओ इनस्पेक्टर साहिब कह रहे थे की बहुत काम है आज.”
“ठीक है राजू सिर.”
राजू अब पूजा के घर की तरफ चल दिया. नगमा राजू को घर के बाहर ही मिल गयी.
“नगमा तुम्हारी बहन पूजा है क्या घर में.”
“क्यों उष से क्या काम प़ड़ गया तुम्हे.” नगमा ने पूछा.
“है कुछ काम अभी नही बता सकता.”
“मेरी बहन से दूर रहो.”
“वैसी बात नही है नगमा…कुछ और काम है.”
“वो कॉलेज चली गयी.”
“पूजा से बाद में मिलूँगा…पहले थाने चलता हूँ.” राजू सोचता है.
“क्या बात है बताओ तो?” नगमा ने पूछा.
“कोई ख़ास बात नही है…मैं चलता हूँ अभी ड्यूटी के लिए लाते हो रहा हूँ”
राजू सीधा थाने पहुँचता है और चौहान के कमरे की तरफ बढ़ता है. चौहान उसे बाहर ही मिल जाता है.
“अछा किया जो तुम आ गये…देखो मेडम साहिबा आग बाबूला हो रही हैं…बार बार मुझे दाँत प़ड़ रही है. हमें इसे केस को जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा.”
“मैं आपके साथ हूँ सिर…एक बात पूछनी थी आपसे.”
“हन पूछो?”
“सुरिंदर ने झुता बयान क्यों दिया सिर.”
“वही तो नही समझ आ रहा…वो रात के कोई ढाई बजे थाने आया था और उसने खुद कहा की मैने एक लड़की को खून करते देखा है. उसने ये भी बताया की लड़की के साथ एक नकाब पॉश था. उष्का कहना था की उसने लड़की और नकाब पॉश को आवाज़ लगाई लेकिन दोनो कार चोद कर जंगल में भाग गये. उसने हमें जगह दीखाई और हमने कार जब्त कर ली. कार में प़ड़्मिनी के पर्स से पता चला की कार प़ड़्मिनी चला रही थी. इसे तरह से सारा इल्ज़ाम प़ड़्मिनी पर आ गया. पता नही मीडीया वालो को कैसे खबर लग गयी और ये बात फैलती चली गयी. ये थी सारी बात.”
“ह्म…सारे तार सुरिंदर से ही जुड़े हैं मतलब…फिर तो उष लेडी को ढुंडना बहुत ज़रूरी है क्या पता उसे कुछ पता हो.”
“सुरिंदर की एक बहन भी है सोनिया…उष से भी पूचेटाछ करनी होगी.”
“बिल्कुल सिर ये जान-ना बहुत ज़रूरी है की उसने झूता ब्यान क्यों दिया और किशके कहने पे दिया. जीशके कहने पे उसने ये सब किया…वही साएको है.”
“बिल्कुल सही जा रहे हो बरखुरदार…जाओ तुम वो मोबाइल वाला काम करो मैं सोनिया से पूचेटाछ करने जा रहा हूँ. अपने पाती के साथ यही देहरादून में ही रहती है वो.”
“ऑल थे बेस्ट सिर…हम ये केस जल्दी सॉल्व करेंगे.” राजू ने कहा.
“बिल्कुल बरखुरदार…इश् से पहले की वो कयामत मेरी जान ले ले ये केस हमें सॉल्व करना ही होगा.”
राजू और चौहान केस की बाते कर रहे थे. एक कॉन्स्टेबल वाहा आता है और कहता है,”सिर टीवी पर साएको की न्यूज़ आ रही है.”
“क्या दीखा रहे हैं ये अब.” चौहान ने कहा.
“उष लड़की से बात चिट दीखा रहे हैं सिर…जिनकी पहले हमें तलास.” कॉन्स्टेबल ने कहा.
“अछा प़ड़्मिनी जी से बात कर रहे हैं ये मीडीया वाले.” राजू ने कहा.
“चलो पहले ये खबर देखते हैं फिर निकलते हैं…अपने अपने काम पर.” चौहान ने कहा.
“जी सिर चलिए.” राजू ने कहा.
टीवी न्यूज़ : “हम इसे वक्त सीधे प़ड़्मिनी अरोरा के घर की लाइव तस्वीरे दीखा रहे हैं. जी हाँ ये वही प़ड़्मिनी अरोरा है जीश पर की साएको किल्लर होने का इल्ज़ाम लगा था. मगर अब मामला और पेचीदा हो गया है. हमारे सूत्रो के मुताबिक असली वितनेस सुरिंदर नही बल्कि प़ड़्मिनी अरोरा है. प़ड़्मिनी अरोरा ने खुद अपनी आँखो से मर्डर होते देखा है. ये भी खबर मिली है की इसे वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ प़ड़्मिनी अरोरा ही ये जानती हैं की साएको किल्लर कौन है क्योंकि उन्होने साएको को बड़े नझडीक से देखा है. हम अभी आपसे हमारे सवांड दाता से हुई प़ड़्मिनी अरोरा की बात चिट दीखाएँगे.
“हन तो प़ड़्मिनी जी क्या ये सच है की आपने साएको को देखा है.”
“देखिए मुझे जो कुछ पता था मैने पुलिस को बता दिया है.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आपके घर के बाहर चार पुलिस वाले मोज़ूद हैं…क्या आपको दर है की साएको आपको मार सकता है…क्योंकि सिर्फ़ आप ही ने उसे देखा है.”
“आप ये सब बाते पुलिस से जाके पूछिए मैं कुछ नही कह सकती.”
बस इतना ही इंटरव्यू दीखया जाता है प़ड़्मिनी का.
“पता नही ये मीडीया वाले कहा से ये सब ख़बरे निकाल लेते हैं. चलो राजू हम अपना काम करते हैं. ये सब तो चलता ही रहेगा.” चौहान ने कहा.
“बिल्कुल सिर…चलिए.” राजू ने कहा.
चौहान सुरिंदर की बहन सोनिया के घर की तरफ निकल पड़ता है. राजू भी अपनी इन्वेस्टिगेशन के लिए निकल देता है.
चौहान कुछ ही देर में सोनिया के घर पहुँच जाता है. सुबह के दस बाज चुके हैं. चौहान दूर बेल बजाता है.
अंदर दूर बेल शुंते ही सोनिया हड़बड़ाहत में शवर बंद कराती है. वो आनन फानन में कपड़े पहनती है और बेडरूम की तरफ भागती है.
“उठो…कोई बेल बजा रहा है…जल्दी उठो.” सोनिया कहती है.
“तुम्हारा घर है तुम जा कर देखो मैं देखूँगा तो दिक्कत हो जाएगी.”
“बेवकूफ़ मैं दरवाजा खोलने को नही कह रही हूँ…जल्दी कही चुप जाओ.”
“तुम तो कह रही थी की पूरी रात और पूरा दिन मस्ती करेंगे. काम वाली की भी छुट्टी कर न्यू एअर थी तुमने अब ये कौन आ गया.”
“देख कर ही बतावुँगी ना नरेश…तुम कही चुप जाओ.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 24
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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