एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
राजू को रिवॉलव मिल गयी थी. शालिनी जो कहती है कर देती है. राजू रिवॉलव ले कर थाने से निकल पड़ा. उशके दीमग में कुछ उधेड़बून चल रही थी.
“प़ड़्मिनी जी से मिलना होगा तुरंत मुझे. अगर आज जंगल में साएको ही था तो वो ज़रूर कोशिस करेगा प़ड़्मिनी जी को रास्ते से हटाने की. वही तो जानती है की वो कौन है. लेकिन एक बात है. इसे जंगल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है. मॅग्ज़िमम खून जंगल के आस पास ही हुवे हैं एक आड़ को चोद कर. उष रात प़ड़्मिनी जी के साथ जो वाक़या हुवा था वो भी तो जंगल के बीच की सड़क पर ही हुवा था. आज वो दिन में ही जंगल में घूम रहा था बंदूक लेकर. कुछ गड़बड़ ज़रूर है जंगल में. ये बात आस्प साहिबा को बठानी होगी. पहले प़ड़्मिनी जी से मिल आता हूँ. वो निकल ना जाए कही ऑफीस से. रास्ता भी वो जंगल का ही लेंगी.”
ये सब सोचता हुवा राजू जीप में बैठ गया और प़ड़्मिनी के ऑफीस की तरफ चल पड़ा. जब वो ऑफीस पहुँचा तो प़ड़्मिनी अपने ऑफीस से बाहर आ रही थी. उसने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुवा था. राजू तो प़ड़्मिनी को देखता ही रह गया. पहली बार राजू ने प़ड़्मिनी को जीन्स में देखा था. वो तो दूर से प़ड़्मिनी को पहचान ही नही पाया.
“जो भी हो भगवान ने जो रूप और शुनदराता प़ड़्मिनी जी को बाक्सी है वो अनमोल है. मेरी नज़र ना लग जाए इन्हे.” राजू सोचता हुवा प़ड़्मिनी की और बढ़ा.
प़ड़्मिनी तो अपनी ही धुन में थी. वो सीधा अपनी कार के पास पहुँची और दरवाजा खोला. उसने देखा ही नही की राजू पीछे है और उष्की तरफ बढ़ रहा है.
“प़ड़्मिनी जी रुकिये.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी अचानक आवाज़ शन कर चोंक गयी और तुरंत पीछे मूडी. उसने अपने शीने पे हाथ रखा और बोली, “राजू तुम! तुमने तो मुझे डरा दिया.”
“मैं तो आपको पहचान ही नही पाया.” राजू ने कहा.
“क्या बात है राजू तुम यहा कैसे?” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी.”
“किश बड़े में.”
“शायद साएको किल्लर लौट आया है.” राजू जंगल की बात बताता है. मोहित वाली बात चोद कर सब बता देता है क्योंकि वो जानता है की प़ड़्मिनी वो सब नही शुनेगी.
“ये सब कब ख़त्म होगा. मुझे लगा सब ठीक है अब. लेकिन अब फिर वही.”
“जब तक ये साएको पकड़ा नही जाएगा या फिर उष्का एनकाउंटर नही होगा तब तक वो यू ही वारदात कराता रहेगा…मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की आप ध्यान रखना अपना. हर वक्त पुलिस साथ नही रहेगी आपके. कोई भी बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना.”
“थॅंक यू फॉर युवर क्न्सर्न मैं ध्यान रखूँगी.”
“एक बात और है.”
“क्या?”
“उष जंगल से आपका निकलना ठीक नही है. पता नही क्यों मुझे लग रहा की वाहा कुछ गड़बड़ है.”
“मुझे भी वो रास्ता पसंद नही पर कोई और रास्ता भी तो नही है. घर जाने के लिए मुझे वही से गुज़रना होगा.”
“आप बुरा ना माने तो मैं आपके साथ चलता हूँ प़ड़्मिनी जी. आपका अकेले वाहा से गुज़रना ठीक नही होगा.”
“नही..नही मैं चली जवँगी तुम रहने दो.”
“वैसे अब तक आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. आप मुझसे दूर क्यों भागती है. कोई दर है क्या आपको मुझसे.”
“नही…नही ऐसा कुछ नही है”
अब प़ड़्मिनी कैसे बताए अपने सपने का राज. वो तो हर हाल में राजू से दूरी बनाए रखना चाहती है.
“प़ड़्मिनी जी रोज याद कराता हूँ उष दिन को जब आप आग बाबूला हो कर मेरे सामने आई थी और मेरी हालत पतली हो गयी थी. पता नही कैसे पेंट गीली हो गयी.”
प़ड़्मिनी के होंटो पे मुश्कान बिखर आई और वो बोली, “तुम याद करते हो उष वाकये को. तुम्हे तो भूल जाना चाहिए हे…हे..हे.”
“बस ये प्यारी सी हँसी देखनी थी आपकी इश्लीए ये सब बोल रहा था.”
प़ड़्मिनी फ़ौरन चुप हो गयी. “अछा मैं चलती हूँ.”
“प़ड़्मिनी जी बुरा मत मानीएगा आप बहुत शुनदर लग रही हैं इन कपड़ो में.” राजू ने कहा.
“मुझे फ्लर्ट पसंद नही है राजू, दुबारा ऐसा मत बोलना.”
“पर मैं फ्लर्ट नही कर रहा मैं तो….”
“मैं तो क्या राजू…मैं खूब जानती हूँ की तुम्हारा मकसद क्या है?”
“कैसी बाते कर रही हैं आप. मैं तो आपकी यू ही पार्शंसा कर रहा था. आपको मेरी बात बुरी लगी है तो माफ़ कर दीजिए.”
“राजू मैं सब समझ रही हूँ. पागल नही हूँ मैं. मैं जा रही हूँ. शुकरिया तुम्हारा की तुमने मुझे अलर्ट किया.” प़ड़्मिनी कार में बैठी और चली गयी.
“मेरी छवि कितनी खराब हो न्यू एअर है दुनिया में. पता नही नगमा ने क्या क्या बताया होगा प़ड़्मिनी जी को. मेरी भी ग़लती है. उष दिन बहुत अश्लील बाते बोल दी थी प़ड़्मिनी जी के बड़े में. शायद वो भूली नही वो बाते. कुछ करना होगा अपनी छवि सुधारने के लिए. फिलहाल जीप ले कर पीछे चलता हूँ इनके. ये समझ नही रहीं है की उनकी जान को ख़तरा है.”
राजू अपनी जीप प़ड़्मिनी की कार के पीछे लगा देता है. ना प़ड़्मिनी ने ध्यान दिया ना ही राजू ने पास ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो कार में एक शाकस बैठा उन्हे लगातार घूर रहा था. उष्का हाथ बाजू की सीट पर पड़े चाकू पर था. वो चाकू पर हल्का हल्का हाथ घुमा रहा था. “कोई बात नही प़ड़्मिनी का पेट चीर्ने को भी मिलेगा तुझे. कुछ दिन और जी लेने दो बेचारी को हे..हे…हे. चल किशी और को काट-ते हैं.”
प़ड़्मिनी ने देख लिया की राजू उशके पीछे जीप लेकर आ रहा है. “साएको से ज़्यादा तो मुझे इसे से दर लगता है. वो गंदा सपना कभी सच नही हो सकता. ना मैं राजू से प्यार करूँगी और ना ही वो सब होने दूँगी.”
प़ड़्मिनी शांति से घर पहुँच गयी. घर पहुँचते ही वो राजू को इग्नोर करते हुवे घर के दरवाजे की तरफ लपकी.
“प़ड़्मिनी जी रुकिये.”
“क्या बात है क्यों आए तुम पीछे मेरे.”
“आपको अकेले कैसे आने देता मैं. कल से 2 कॉन्स्टेबल लगवा दूँगा आपके साथ जो आपके साथ रहेंगे आते जाते वक्त. घर पर तो 4 पहले से हैं ही.”
“बहुत बहुत शुकरिया इसे सब के लिए. अब मैं जौन.”
“प़ड़्मिनी जी मैं इतना बुरा भी नही हूँ जैसा आपने शायद सोच लिया है. हाँ मैं मानता हूँ की मैं फ्लर्ट हूँ. लेकिन मेरी तारीफ़ में फ्लर्ट नही था. वो तो मुझे आप बहुत शुनदर लगी आज इश्लीए बोल दिया. फिर भी अगर आपको दुख हुवा है तो मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं सच कह रहा हूँ मेरा आपके प्राति कोई ग़लत इरादा नही है.”
“इरादे रखना भी मत” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आपके चेहरे पे गुस्सा और मुश्कान दोनो बहुत प्यारे लगते हैं. अब ये इश्लीए कह रहा हूँ क्योंकि आपको देख कर ये ख्याल आता है मुझे और मैं बोल देता हूँ. इसमें फ्लर्ट शामिल नही रहता. और मैं आपसे फ्लर्ट क्यों करूँगा. कहा आप कहा मैं. मुझे पता है की मेरा कोई चान्स ही नही है. बहुत किरकिरी हो चुकी है आपके सामने मेरी अब बस यही चाहता हूँ की आप मुझे ग़लत ना समझे. आपकी बहुत इज़्ज़त कराता हूँ मैं. ई नेवेर एवर सीन वुमन लीके यू. आप शुनदर भी हैं और आपका चरित्रा भी उँचा है. दोनो एक कॉंबिनेशन में कम ही मिलते हैं.”
“जनाब कुछ ज़्यादा नही हो रहा अब. तुम्हे चलना चाहिए अब.”
“ओह हाँ बिल्कुल…गुड नाइट प़ड़्मिनी जी. स्वीट ड्रीम्स.”
राजू चला गया. प़ड़्मिनी सर हिलाते हुवे घर में घुस्स गयी.
रात के कोई 2 बजे आँख खुल गयी बेचारी प़ड़्मिनी की. स्वीट ड्रीम्स की जगह इंतेज़ार ड्रीम्स हो गया था. इसे बार फिर कारण राजू ही था. सपने में प़ड़्मिनी ने देखा की राजू उशके उभारो को चूम रहा है और उसने राजू के सर को थाम रखा है. वो राजू को बार बार कह रही थी ‘ई लव यू….ई लव यू‚
“अफ फिर से वही भयानक सपना. पर ये सच नही होगा. रात के 2 बजे हैं. सुबह के सपने ही सच होते हैं. पर पहले वाला सपना सुबह आया था. नही नही राजू के साथ ये सब च्ीी….कभी नही. पता नही ये राजू मेरे पीछे क्यों प़ड़ गया है. मैं उशके इरादे कभी कामयाब नही होने दूँगी.
राजू प़ड़्मिनी को घर चोद कर सीधा घर पहुँचा था. घर पहुँचते ही उसे नगमा का फोन आया. “पुलिस वाला बनके तू तो भूल ही गया मुझे.”
“नही नगमा तुझे कैसे भूल सकता हूँ. बताओ क्या बात है.”
“बापू गये फिर से किशी काम से बाहर आ रही हूँ मैं तेरे पास.”
“नही नगमा शन.” पर नगमा फोन काट चुकी थी.
राजू तो प़ड़्मिनी जी के ख़यालो में खोया था. वो परेशान हो रहा था की पता नही क्यों प़ड़्मिनी जी उष से ऐसा बर्ताव कराती हैं जबकि उष्की इंटेन्षन तो हमेशा उनकी मदद करने की रहती है. बार-बार प़ड़्मिनी जी का चेहरा उष्की आँखो में घूम जाता है. वो कुछ हैरान सा है की ऐसा क्यों हो रहा है. लेकिन प़ड़्मिनी जी के रूप का जादू कुछ अजीब सा असर कर रहा था राजू के दिलो दीमाग पर. हालाँकि अपना राजू इन बातों से बिल्कुल बेख़बर था.
नगमा ने दरवाजा खड़क्या तो राजू परेशान हो गया. दरअसल पता नही क्यों वो अकेला रहना चाहता था. खूबसूरात ख़यालो में जो खोया था.
“खोलता हूँ बाबा.”
दरवाजा खुलते ही नगमा राजू से लिपट गयी.
“बहुत दिन हो गये तुमसे मिले राजू. तुमसे मिलने आई हूँ मैं आज.”
“ग़लत वक्त पर आई है तू. थोड़ा परेशान सा था मैं.”
“क्या हुवा मेरे राजू को?”
“कुछ नही बस यू ही.”
“अभी इलाज़ कराती हूँ मैं तेरा. चल बिस्तर पर.”
“नही नगमा आज कुछ मूड नही है.”
“बहुत दिन हो गये तू मुजसे एक बार भी नही मिला और आज मूड नही है तेरा. कोई बहाना नही चलेगा तेरा. और हाँ मुझे कुछ नही चाहिए तुझसे. कुछ देना ही चाहती हूँ तुझे.”
“क्या देना चाहती हो नगमा?”
“चलो तो सही बिस्तर पे बताती हूँ.”
नगमा राजू को पीछे धक्का देते हुवे बिस्तर के नझडीक ले आती है और फिर उसे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा देती है. वो राजू की टाँगो के बीच बैठ जाती है और उष्की ज़िप खोलने लगती है.
“क्या कर रही है. मेरा सच में मूड नही है.”
“रुक तो सही देखता जा मैं क्या कराती हूँ.”
नगमा राजू का लंड निकाल लेती है बाहर. “ये तो शोया पड़ा है. पहले तो मेरा हाथ लगते ही उठ जाता था. चलो कोई बात नही अभी जाग जाएगा ये.”
नगमा शोए हुवे, मुरझाए हुवे लंड को मूह में ले लेती है और चूसने लगती है.
“तू तो कभी नही लेती थी मूह में. आज क्या हो गया.”
“वो कमीना भोलू काई बार चुस्वा चुका है मुझसे. जब उष्का चूस लिया तो क्या मेरे राजू का नही चुसूंगई क्या?”
“ग़लत टाइम पे आई तू ये करने आज थोड़ा व्यतीत हूँ मैं.”
नगमा राजू के लंड को मूह से निकाल कर उशके उपर लाते जाती है और उष्की आँखो में झाँक कर पूछती है, “क्या हुवा मेरे राजू को. बताओ मुझे.”
“कुछ नही तू नही समझेगी.”
“समझूंगी क्यों नही तू बता तो.”
“आज प़ड़्मिनी जी से मिला था. पता नही क्यों. वो मुझसे सीधे मूह बात ही नही कराती.” राजू पूरी बात बताता है नगमा को.
“बस इतनी सी बात है. अरे वो डराती होगी की कही तुम किशी दिन झुका कर उसे उष्की गान्ड ना मार लो. सब बता रखा है मैने उसे की कैसे झुका कर लेते हो तुम…हा…हा…हा…हे…हे.”
“क्या! कैसी कैसी बाते बता न्यू एअर हैं तूने मेरे बड़े में प़ड़्मिनी जी को. तभी काहु वो इतना दूर क्यों भागती है मुझसे.”
“छोड़ ना उसे तू. क्यों बेकार में परेशान हो रहा है उशके लिए. मैं तेरे लिए कुछ अलग करने आई थी और तू ये रोना लेकर बैठ गया. चल मुख मैथुन का आनंद ले.” नगमा वापिस आ कर राजू के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में लेकर चूसने लगी.
“और क्या बता रखा है मेरे बड़े में तूने?”
नगमा राजू का लंड मूह से निकालती है और कहती है, “तेरे लंड का साइज़, तेरे प्यार करने का तरीका सब बता रखा है. ये भी बता रखा है की कैसे गान्ड पकड़ कर तुम चुत में लंड घुस्साते हो. और ये भी बता रखा है की तुम चुचियों को बहुत अच्छे से चुसते हो. तुम्हारे बड़े में बातो बातो में सब बता रखा है.”
“मतलब की बहुत अच्छे तरीके से मिट्टी पलीट कर न्यू एअर है तूने मेरी. तुझे शरम नही आई उनसे ये बाते करते हुवे. वो तो ये बाते शुंती ही नही होंगी. तूने ज़बरदस्ती शुनाई होंगी.”
“मुझे बोलने की आदत है. बोल दिया सब बातो बातो में. क्यों परेशान हो रहे हो.”
“परेशान होने की बात ही है. मेरी छवि खराब हो न्यू एअर है उनकी नज़रो में.. सीधे मूह बात भी नही कराती वो मुझसे. आज बहुत दुख हुवा मुझे तू नही समझेगी.”
“मैं सब समझ गयी. तेरा मन मुझसे भर गया है और अब तू प़ड़्मिनी जी की लेना चाहता है. हाँ मानती हूँ बहुत शुनदर है वो लेकिन जैसा मज़ा मैं देती हूँ तुझे वो सात जानम भी नही दे सकती.”
“नगमा! चुप रहो.” राजू छील्लता है. “कुछ भी बोल देती हो. मैं बहुत इज़्ज़त कराता हूँ उनकी. ऐसा कुछ नही है जो तू समझ रही है.”
“बस अब यही कमी रह गयी थी. अब प़ड़्मिनी के लिए मुझे दाँत भी प़ड़ रही है. ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने तुझ पर. सच सच बता तू कही प्यार तो नही करने लगा प़ड़्मिनी जी को.”
“प्यार नाम के शब्द से भी कोसो दूर रहता हूँ मैं तू ये अच्छे से जानती है. मैने प़ड़्मिनी जैसी लड़की नही देखी दुनिया में कही. मैं उनकी बहुत इज़्ज़त कराता हूँ बस.”
“राजू मैने कभी प्यार नही पाया किशी का. कोई मिला ही नही जो मुझे प्यार करे. सब मेरे शरीर के पीछे थे. मैने भी कोशिस नही की प्यार पाने की. पर प्यार के अहसास को समझती हूँ मैं. हिन्दी फ़िल्मो में खूब देखा है प्यार का जलवा मैने. तुम्हारी बातो से यही लगता है की तुम प़ड़्मिनी को चाहने लगे हो. वरना तुम भला क्यों परवाह करोगे की वो तुम्हारे बड़े में क्या सोचती है. जीश तरह से तुम बाते कर रहे हो, कोई भी बता सकता है की तुम प़ड़्मिनी के प्रेम-जाल में फँस चुके हो. मेरा अब यहा कोई काम नही है. मैं चलती हूँ. अपना ख्याल रखना.”
नगमा उठ कर चल देती है.
राजू अपने लिंग को वापिस पेंट में डालता है और उठ कर नगमा का हाथ पकड़ लेता है.
“तू तो नाराज़ हो गयी. बहुत बड़ी बड़ी बाते कर रही है पगली कही की. चल आ बैठ तो सही.”
“नही राजू, तुम्हारी आँखो में अब प़ड़्मिनी का चेहरा दीख रहा है मुझे. तुम खुद सोच कर देखो. क्यों करते हो इतनी परवाह और चिंता प़ड़्मिनी की तुम.”
“शायद इंसानियत के नाते.”
“आज क्यों गये थे प़ड़्मिनी के ऑफीस तुम.”
“मुझे उनकी चिंता हो रही थी. मुझे दर था की कही साएको उन्हे नुकसान ना पहुँचा दे.”
“पूरे पुलिस महकमे में तुम्हे ही ये ख़याल आया. क्या कोई और नही है पुलिस में जिसे प़ड़्मिनी की चिंता हो.”
“कैसी बाते कराती है. मुझे उनका ख़याल आया और मैं चला गया. हर कोई प़ड़्मिनी जी की चिंता क्यों करेगा.”
“वही तो मैं कहना चाहती हूँ. दिल में बस चुकी है प़ड़्मिनी तुम्हारे. अपने आप को धोका मत दो.”
राजू का सर घूमने लगता है और वो वापिस बिस्तर पर आकर सर पकड़ कर बैठ जाता है. नगमा राजू के पास आती है और उशके सर पर हाथ रखती है.
“क्या हुवा राजू?”
“सर घूम रहा है मेरा. कुछ समझ में नही आ रहा की क्या कह रही हो तुम.”
“मुझे जो लगा मैने बोल दिया. मैं ग़लत भी हो सकती हूँ. असली बात तो तुम ही जानते हो.”
“मुझे कुछ नही पता नगमा, सच में कुछ नही पता.”
“क्या मैं यही रुक ज़ाऊ तेरे पास. मुझे तेरी चिंता हो रही है. परेशान नही करूँगी बिल्कुल भी. आओ तुम्हारे सर की मालिश किए देती हूँ. अभी ठीक हो जाएगा.”
“नगमा बुरा मत मान-ना. तुम्हारी बातो ने मुझे झकझोर दिया है. मैं अकेला रहना चाहता हूँ.”
“मुबारक हो. मैं बिल्कुल सही थी. तुम्हे सच में प्यार हो गया है. प्यार में डूबे आशिक अक्सर ऐसी बाते बोलते हैं. ठीक है अपना ख़याल रखना. कोई भी बात हो मुझे फोन कर देना मैं तुरंत आ जवँगी.”
“मैं तुम्हे चोद अओन.”
“नही मैं चली जवँगी. अभी तो 9 ही बजे हैं.”
नगमा चली गयी और राजू किनही गहरे ख़यालो में खो गया. कब उसने बाहों में तकिया दबोच लिया उसे पता ही नही चला. “प़ड़्मिनी जी ठीक से कुछ कह नही सकता. पर हाँ शायद आपसे प्यार हो गया है. भगवान भली करें अब मेरी. फिर से कही मैं बर्बाद ना हो ज़ाऊ प्यार में.”
राजू को तो नींद ही नही आई सारी रात. ताकिया बाहों में दबाए कभी इस करवे कभी उष करवट. “राजू सो जा आराम से कुछ मिलने वाला नही है प्यार में. पहले जब ये आया था जींदगी में तो बहुत गहरी चोट दे गया था. अब क्या सितम ढाएगा पता नही. प़ड़्मिनी जी तुझे पसंद नही कराती हैं समझ ले. तू उनके लायक भी नही है. ऐसे में क्यों सर दर्द मोल लेते हो. जींदगी जैसी चल रही है चलने दो. कोई ख़तरनाक एक्सपेरिमेंट करने की ज़रूरात नही है, जान पर बन सकती है. शो जाओ कल को ड्यूटी पर भी जाना है. रात के 2 बाज गये हैं….अफ.”
राजू ये सब सोच रहा था और उशी वक्त प़ड़्मिनी फिर से एक इंतेज़ार ड्रीम के कारण उठ बैठी थी अपने बिस्तर पर. सपने में राजू उशके उभारो का रास्पान कर रहा था और वो उष्का सर पकड़ कर ई लव यू कह रही थी.
प़ड़्मिनी दिल पर हाथ रख कर बैठी थी. उष्की हालत देखने वाली थी. “क्या हो रहा है मेरे साथ ये. क्यों आ रहे हैं ये गंदे और भयानक सपने मुझे. राजू को तो मैं कभी माफ़ नही करूँगी. बदतमीज़ कही का. उसे कोई हक़ नही है मुझे चुने का चाहे वो हक़ीकत हो या सपना.”” प़ड़्मिनी ने कहा.
प़ड़्मिनी उठी और पानी पिया. पानी पे कर वो खिड़की पर आ गयी. उसने बाहर झाँक कर देखा. बहुत भयानक सन्नाटा था बाहर. एक ही कॉन्स्टेबल नज़र आ रहा था उसे अपने घर के बाहर. “एक ही खड़ा है ये तो. बाकी के टीन कही दीखाई नही दे रहे. पता नही कैसी शूरक्षा है ये.”
प़ड़्मिनी वापिस आ कर लाते गयी. लेकिन दुबारा उसे नींद नही आई.
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रात बीट गयी और सुबह ने दस्तक दी. राजू तो एक पल भी नही शोया था. वो नहा धो कर वर्दी पहन कर मोहित के घर की तरफ निकल पड़ा. दिल जब बहुत बेचैन हो किशी बात को लेकर तो अक्सर एक अच्छे दोस्त की याद आती है जीशके साथ अपना गम बाँतने की इचा रहती है.
“राजू तू…सुबह सुबह आज कैसे याद आ गयी मेरी.” मोहित ने पूछा.
“पहले ये बता कल क्या तमासा लगा रखा था जंगल में. शूकर मनाओ की मैं साथ था आस्प साहिबा के वरना तुम जैल मे पड़े होते अभी. कौन थी वो लड़की और उसे जंगल में क्यों ले गये थे तुम.”
“पूछ मत यार. आ बैठ. वर्दी बहुत जाच रही है तुझ पे.”
राजू कुर्सी पर बैठ जाता है और मोहित अपने बिस्तर पर.
“हन बताओ अब गुरु क्या मामला था.”
“कल पूजा के कॉलेज गया था. अब यार कुछ तो करना होगा ना पूजा को पटाने के लिए. पूजा के साथ दो लड़किया थी. उनमे से एक कविता थी. उसने सारा मामला बिगाड़ दिया मेरा.” मोहित पूरी बात डीटेल में बताता है.
“बस मैं उष कविता को मज़ा चखाने के लिए उष्की गान्ड में डाल रहा था. बस फिर तुम लोग आ गये. बहुत अछी फ़ज़ीहत हुई मेरी. कही मूह दीखने लायक नही रहा.”
“शूकर माना उष कविता ने बोल दिया की तुम रेप नही कर रहे थे वरना आस्प साहिबा जैल में डाल देती तुम्हे.”
“ये तो है…बाल-बाल बचा हूँ मैं. शुकरिया तेरा दोस्त. अछा ये बता कैसा चल रहा है. कल से मैं भी जा रहा हूँ जॉब पर.”
“कौन सी जॉब?” राजू ने पूछा.
“एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी जाय्न कर ली है मैने. कल से मैं भी बिज़ी रहूँगा.”
“बहुत अछी बात है ये तो गुरु. मैं पुलिस तुम डीटेक्टिव.”
“और बताओ क्या चल रहा है.” मोहित ने कहा
“पूछ मत गुरु, एक अजीब मुसीबत में प़ड़ गया हूँ मैं. कल सारी रात शो भी नही पाया.”
“ऐसा क्या हो गया राजू.” मोहित ने पूछा
“लगता है फिर से प्यार हो गया है मुझे.”
“क्या बात कर रहा है, कौन है वो बदनसीब?”
“मज़ाक मत करो गुरु. ये मज़ाक की बात नही है.” राजू के चेहरे पर गंभीर भाव थे.
“तूने भी तो मुझे यही कहा था जब मैं हॉस्पिटल में था. कुछ याद आया. अछा चल छोड़. बताओ कौन है वो हसीना जो तेरा दिल ले उसी.”
“प़ड़्मिनी जी…पर किशी को बठाना मत.” राजू ने कहा.
“क्या! तुझे प़ड़्मिनी से प्यार हो गया…… क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहा है.”
“मैं पहले ही परेशान हू गुरु अब और परेशान मत करो.”
“तूने कुछ कहा अभी तक उशे?”
“पागल हो क्या, ज़ुबान खींच लेंगी वो मेरी. कुछ कहूँगा नही कभी. बस अपने दिल तक ही शिमित रखूँगा इसे प्यार को मैं.”
“फिर तो परेशानी की कोई बात ही नही है, क्यों परेशान हो फिर.”
“कल रात नींद नही आई भाई इसे चक्कर में. बताओ मैं क्या करूँ.”
“ऐसा है तो बोल दो जाके अपने दिल का हाल प़ड़्मिनी को. दिक्कत क्या है.”
“नही गुरु उन्हे कुछ नही कह पवँगा. मैं तो बस तुम्हे बता रहा था. मेरा कोई इरादा नही है की लव के पछदे में पड़ून फिर से.”
“पछदे में तो तू प़ड़ ही चुका है. तेरा दिल प़ड़्मिनी ले गयी मेरा दिल पूजा ले गयी. हम दोनो ही फँस गये यार.”
“तेरा तो कुछ हो भी सकता है. मेरा तो दिल ऐसी जगह लगा है जहा कोई चान्स नही है. अछा मैं चलता हूँ. 9 बाज रहे हैं, ड्यूटी के लिए लाते हो रहा हूँ. अरे हाँ एक बात और करनी थी.”
“हन बोलो.”
“मुझे लगता है जंगल में कुछ गड़बड़ है. वो साएको जंगल के पास ही वारदात कराता है अधिकतर. तुझे क्या लगता है क्या कारण हो सकता है.”
“बात तो सही कह रहे हो…हो सकता है की कुछ राज छुपा हो जंगल में.” मोहित ने कहा.
तभी मोहित के रूम का दरवाजा खड़का. मोहित ने आकर देखा. वो तो भोंचका रह गया.
“तुम! यहा कैसे.”
“पूजा से अड्रेस लिया तुम्हारा और पहुँच गयी.” कविता ने कहा और कमरे में घुस्स गयी. उसने राजू को पहचान लिया. वो बोली, “ओह आप भी यहा है, कल आप ना आते वक्त पर तो ये हमें मार डालते.”
राजू फ़ौरन खड़ा हो गया और चल दिया, “अछा गुरु मैं चलता हूँ.”
“राजू रूको यार अकेला चोद कर मत जाओ मुझे.” मोहित ने कहा.
“हन रुक जाओ ना आप…मेरे आते ही क्यों भाग रहे हैं.” कविता ने कहा.
“मोहतार्मा अभी हमारा मन ज़रा व्यतीत है वरना आपका वो हाल करते की आप हमें कभी रुकने को ना कहती. गुरु सम्भालो इसे जंजाल को मैं लाते हो रहा हूँ.” राजू कह कर कमरे से निकल जाता है.
“तुम्हारा दोस्त तो बड़ा आरोगेंट है. तमीज़ ही नही बात करने की.” कविता बोली.
“यहा क्यों आई हो अब मेरी मा. ले तो ली थी कल तुम्हारी मैने. अड्रेस भी पूजा से लेकर आई हो. क्यों बिगाड़ने पे तूलि हो मेरा काम तुम. तुम्हे क्या कमी है लड़को की जो मेरे पीछे प़ड़ गयी.”
“लड़के तो बहुत हैं पर आप जैसा शायर नही मिला कोई.”
“मैं कोई शायर नही हूँ…वो तो यू ही बोल दी थी कुछ लाइन्स मैने.”
दरवाजा खुला ही था. नगमा आ गयी अंदर.
“अरे नगमा तुम आओ…आओ बहुत अच्छे वक्त पर आई हो.” मोहित तो खुश हो गया नगमा को देख कर.
“ये कौन है?” कविता ने पूछा. कविता पूजा की बहन से मिली नही थी इश्लीए नगमा को नही जानती थी.
“ये मेरी गर्ल फ्रेंड है…नगमा”
“गुड फिर तो बहुत अछी ऑपर्चुनिटी है. लेट्स हॅव आ फन टुगेदर.”
“क्या बकवास कर रही हो. मेरी गर्ल फ्रेंड के सामने ऐसी बाते मत करो.” मोहित ने कहा और नगमा के पास आकर उशके कान में कहा,”इश् से छुटकारा दिलवा तो नगमा, मेरे पीछे पड़ी है.”
नगमा कविता के पास आई और बोली, “चली जाओ यहा से, मेरे बॉय फ्रेंड को अकेला चोद दो.”
“तू भी यहा मस्ती करने आई है ना. साथ में मस्ती करते हैं. हम आपस में भी कुछ…..” कविता नगमा की तरफ बढ़ी.
“एक साथ मस्ती, ये क्या बकवास है. दफ़ा हो जाओ यहा से.” नगमा ने पीछे हट-ते हुवे कहा.
लेकिन नगमा दीवार से टकरा कर रुक गयी. कविता उशके बहुत करीब आ गयी. इतना करीब की दोनो के बूब्स आपस में टकरा रहे थे. नगमा की तो हालत पतली हो गयी. इसे से पहले की वो कुछ कर पाती कविता ने उशके होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. नगमा तो सकपका गयी और उसने कविता को ज़ोर से धक्का मारा. कविता फार्स पर गिर गयी.
“अफ ये क्या बाला है…तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये करने की.” नगमा ने कहा और टूट पड़ी कविता पर. बाल नोच लिए उसने उशके.
“बचाओ मुझे आअहह.” कविता मोहित की तरफ देख कर गिड़गिडाई.
“भुगत्ो अब…मेरी गर्ल फ्रेंड को लेज़्बीयन आक्ट बिल्कुल पसंद नही है” मोहित ने कहा.
“छोड़ तो मुझे आअहह.” कविता ने कहा.
“मेरी किस क्यों ली तूने बता मुझे. जींदा नही छोड़ूँगी तुझे मैं.” नगमा ने कहा.
नगमा तो चोद ही नही रही थी कविता को. मामला गंभीर होता देख मोहित ने नगमा को पकड़ कर कविता के उपर से खींच लिया. “छोड़ दो बहुत हो गया. सारे बाल नोच लॉगी
क्या बेचारी के.”
कविता फ़ौरन उठी और वाहा से रफू चक्कर हो गयी. उसने पीछे मूड कर भी नही देखा. कविता नाम की बाला मोहित के सर से शायद ताल गयी थी.
“बहुत बहुत शुकरिया तुम्हारा नगमा. वो तो पीछे ही प़ड़ गयी थी मेरे.”
“तुम ना हटाते मुझे तो जान से मार देती कुतीया को. सारा मूड खराब कर दिया मेरा.”
मोहित ने दरवाजा बंद किया और नगमा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर ले आया. “अब शांत हो जाओ…पानी दु क्या?”
“नही मैं ठीक हूँ. कौन थी वैसे ये छिनाल.”
“छोड़ो उसे ये बताओ आज मेरी याद कैसे आई तुम्हे.”
“बापू घर पर नही है. तुम्हे वादा कर रखा था कभी..इश्लीए आई थी…पर सारा मूड खराब कर दिया उसने.”
“उशे गोली मारो तुम…आओ हम अपना काम करते हैं. वैसे आजकल मेरा दिल एक लड़की में अटका है…इश्लीए मन नही होता किशी के साथ कुछ करने का. लेकिन अपनी बहुत पहले बात हुई थी इश्लीए उसे पूरा करते हैं आज.”
“राजू का दिल भी कही अटका है, तुम्हारा भी अटका है…हो क्या रहा है. राजू तो प़ड़्मिनी के जाल में फँस गया. तुम्हारा दिल कौन ले उसी.” नगमा ने पूछा.
अब मोहित कैसे बताए पूजा का नाम. दिक्कत हो जाएगी. “छोड़ ना ये बाते मूड ही खराब होगा.”
“शूकर है…मतलब की तुम्हारा मूड है.”
“और नही तो क्या?”
“मैं तो दर ही गयी थी…एक काम करने का मन है…करूँ”
“हन-हन करो.”
“सीधे लाते जाओ फिर.” नगमा ने कहा.
मोहित लाते गया और नगमा उष्की टाँगो के बीच बैठ गयी. उसने मोहित की पेंट की ज़िप खोली और मोहित का लंड बाहर निकाल लिया. वो काले नाग की तरह फन-फ़ना रहा था.नगमा ने लंड को मूह में ले लिया और चूसने लगी.
“कहा तो ब्लो जॉब मिलती नही थी अब लड़किया खुद मेहरबान हो रही हैं. वाउ बहुत अछा चूस रही हो नगमा. लगी रहो.”
नगमा कुछ देर तक यू ही चूस्टी रही लंड और मोहित उशके सर को सहलाता रहा. कुछ देर बाद नगमा ने अपनी सलवार का नाडा खोला और लंड को सीधा पकड़ कर उष पर अपनी चुत टीका दी.
“पहली बार तुम्हारा लंड चुत में ले रही हूँ…देखते हैं कैसा लगता है.”
नगमा ने अपनी गान्ड को नीचे की तरफ पुश किया और मोहित का लंड नगमा की चुत में घुसटा चला गया.
“अची चुत है तुम्हारी…पकड़ अछी है लंड पर…गुड…पूरा घुस्सा लो अंदर आआहह.” मोहित कराह उठा. नगमा ने पूरा अंदर ले लिया था.
अब वो धीरे धीरे मोहित के लंड को चुत में फँसाए हुवे अपनी गान्ड को उछालने लगी.
“आआअहह अछा लग रहा है ये लंड चुत में. गान्ड में तो बहुत दर्द दिया था ईसणे आअहह.” नगमा आँखे बंद किए हुवे मोहित के उपर उछाल रही थी.
जल्दी ही मोहित ने नगमा को पकड़ा और उसे अपने नीचे ले आया. इसे दौरान लंड चुत में ही फँसा रहा. नगमा को नीचे लाकर मोहित ने उष्की टाँगो को कंधे पर रखा और धक्को की बोचार शुरू काट दी नगमा की चुत में.
नगमा तो लगातार काई बार झड़ी. उष्की शिसकिया कमरे में गूँज रही थी. अचानक मोहित ने बढ़ता बहुत तेज बढ़ा दी. और वो कुछ देर बाद ढेर हो गया नगमा के उपर.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 28
“प़ड़्मिनी जी से मिलना होगा तुरंत मुझे. अगर आज जंगल में साएको ही था तो वो ज़रूर कोशिस करेगा प़ड़्मिनी जी को रास्ते से हटाने की. वही तो जानती है की वो कौन है. लेकिन एक बात है. इसे जंगल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है. मॅग्ज़िमम खून जंगल के आस पास ही हुवे हैं एक आड़ को चोद कर. उष रात प़ड़्मिनी जी के साथ जो वाक़या हुवा था वो भी तो जंगल के बीच की सड़क पर ही हुवा था. आज वो दिन में ही जंगल में घूम रहा था बंदूक लेकर. कुछ गड़बड़ ज़रूर है जंगल में. ये बात आस्प साहिबा को बठानी होगी. पहले प़ड़्मिनी जी से मिल आता हूँ. वो निकल ना जाए कही ऑफीस से. रास्ता भी वो जंगल का ही लेंगी.”
ये सब सोचता हुवा राजू जीप में बैठ गया और प़ड़्मिनी के ऑफीस की तरफ चल पड़ा. जब वो ऑफीस पहुँचा तो प़ड़्मिनी अपने ऑफीस से बाहर आ रही थी. उसने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुवा था. राजू तो प़ड़्मिनी को देखता ही रह गया. पहली बार राजू ने प़ड़्मिनी को जीन्स में देखा था. वो तो दूर से प़ड़्मिनी को पहचान ही नही पाया.
“जो भी हो भगवान ने जो रूप और शुनदराता प़ड़्मिनी जी को बाक्सी है वो अनमोल है. मेरी नज़र ना लग जाए इन्हे.” राजू सोचता हुवा प़ड़्मिनी की और बढ़ा.
प़ड़्मिनी तो अपनी ही धुन में थी. वो सीधा अपनी कार के पास पहुँची और दरवाजा खोला. उसने देखा ही नही की राजू पीछे है और उष्की तरफ बढ़ रहा है.
“प़ड़्मिनी जी रुकिये.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी अचानक आवाज़ शन कर चोंक गयी और तुरंत पीछे मूडी. उसने अपने शीने पे हाथ रखा और बोली, “राजू तुम! तुमने तो मुझे डरा दिया.”
“मैं तो आपको पहचान ही नही पाया.” राजू ने कहा.
“क्या बात है राजू तुम यहा कैसे?” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी.”
“किश बड़े में.”
“शायद साएको किल्लर लौट आया है.” राजू जंगल की बात बताता है. मोहित वाली बात चोद कर सब बता देता है क्योंकि वो जानता है की प़ड़्मिनी वो सब नही शुनेगी.
“ये सब कब ख़त्म होगा. मुझे लगा सब ठीक है अब. लेकिन अब फिर वही.”
“जब तक ये साएको पकड़ा नही जाएगा या फिर उष्का एनकाउंटर नही होगा तब तक वो यू ही वारदात कराता रहेगा…मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की आप ध्यान रखना अपना. हर वक्त पुलिस साथ नही रहेगी आपके. कोई भी बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना.”
“थॅंक यू फॉर युवर क्न्सर्न मैं ध्यान रखूँगी.”
“एक बात और है.”
“क्या?”
“उष जंगल से आपका निकलना ठीक नही है. पता नही क्यों मुझे लग रहा की वाहा कुछ गड़बड़ है.”
“मुझे भी वो रास्ता पसंद नही पर कोई और रास्ता भी तो नही है. घर जाने के लिए मुझे वही से गुज़रना होगा.”
“आप बुरा ना माने तो मैं आपके साथ चलता हूँ प़ड़्मिनी जी. आपका अकेले वाहा से गुज़रना ठीक नही होगा.”
“नही..नही मैं चली जवँगी तुम रहने दो.”
“वैसे अब तक आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. आप मुझसे दूर क्यों भागती है. कोई दर है क्या आपको मुझसे.”
“नही…नही ऐसा कुछ नही है”
अब प़ड़्मिनी कैसे बताए अपने सपने का राज. वो तो हर हाल में राजू से दूरी बनाए रखना चाहती है.
“प़ड़्मिनी जी रोज याद कराता हूँ उष दिन को जब आप आग बाबूला हो कर मेरे सामने आई थी और मेरी हालत पतली हो गयी थी. पता नही कैसे पेंट गीली हो गयी.”
प़ड़्मिनी के होंटो पे मुश्कान बिखर आई और वो बोली, “तुम याद करते हो उष वाकये को. तुम्हे तो भूल जाना चाहिए हे…हे..हे.”
“बस ये प्यारी सी हँसी देखनी थी आपकी इश्लीए ये सब बोल रहा था.”
प़ड़्मिनी फ़ौरन चुप हो गयी. “अछा मैं चलती हूँ.”
“प़ड़्मिनी जी बुरा मत मानीएगा आप बहुत शुनदर लग रही हैं इन कपड़ो में.” राजू ने कहा.
“मुझे फ्लर्ट पसंद नही है राजू, दुबारा ऐसा मत बोलना.”
“पर मैं फ्लर्ट नही कर रहा मैं तो….”
“मैं तो क्या राजू…मैं खूब जानती हूँ की तुम्हारा मकसद क्या है?”
“कैसी बाते कर रही हैं आप. मैं तो आपकी यू ही पार्शंसा कर रहा था. आपको मेरी बात बुरी लगी है तो माफ़ कर दीजिए.”
“राजू मैं सब समझ रही हूँ. पागल नही हूँ मैं. मैं जा रही हूँ. शुकरिया तुम्हारा की तुमने मुझे अलर्ट किया.” प़ड़्मिनी कार में बैठी और चली गयी.
“मेरी छवि कितनी खराब हो न्यू एअर है दुनिया में. पता नही नगमा ने क्या क्या बताया होगा प़ड़्मिनी जी को. मेरी भी ग़लती है. उष दिन बहुत अश्लील बाते बोल दी थी प़ड़्मिनी जी के बड़े में. शायद वो भूली नही वो बाते. कुछ करना होगा अपनी छवि सुधारने के लिए. फिलहाल जीप ले कर पीछे चलता हूँ इनके. ये समझ नही रहीं है की उनकी जान को ख़तरा है.”
राजू अपनी जीप प़ड़्मिनी की कार के पीछे लगा देता है. ना प़ड़्मिनी ने ध्यान दिया ना ही राजू ने पास ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो कार में एक शाकस बैठा उन्हे लगातार घूर रहा था. उष्का हाथ बाजू की सीट पर पड़े चाकू पर था. वो चाकू पर हल्का हल्का हाथ घुमा रहा था. “कोई बात नही प़ड़्मिनी का पेट चीर्ने को भी मिलेगा तुझे. कुछ दिन और जी लेने दो बेचारी को हे..हे…हे. चल किशी और को काट-ते हैं.”
प़ड़्मिनी ने देख लिया की राजू उशके पीछे जीप लेकर आ रहा है. “साएको से ज़्यादा तो मुझे इसे से दर लगता है. वो गंदा सपना कभी सच नही हो सकता. ना मैं राजू से प्यार करूँगी और ना ही वो सब होने दूँगी.”
प़ड़्मिनी शांति से घर पहुँच गयी. घर पहुँचते ही वो राजू को इग्नोर करते हुवे घर के दरवाजे की तरफ लपकी.
“प़ड़्मिनी जी रुकिये.”
“क्या बात है क्यों आए तुम पीछे मेरे.”
“आपको अकेले कैसे आने देता मैं. कल से 2 कॉन्स्टेबल लगवा दूँगा आपके साथ जो आपके साथ रहेंगे आते जाते वक्त. घर पर तो 4 पहले से हैं ही.”
“बहुत बहुत शुकरिया इसे सब के लिए. अब मैं जौन.”
“प़ड़्मिनी जी मैं इतना बुरा भी नही हूँ जैसा आपने शायद सोच लिया है. हाँ मैं मानता हूँ की मैं फ्लर्ट हूँ. लेकिन मेरी तारीफ़ में फ्लर्ट नही था. वो तो मुझे आप बहुत शुनदर लगी आज इश्लीए बोल दिया. फिर भी अगर आपको दुख हुवा है तो मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं सच कह रहा हूँ मेरा आपके प्राति कोई ग़लत इरादा नही है.”
“इरादे रखना भी मत” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आपके चेहरे पे गुस्सा और मुश्कान दोनो बहुत प्यारे लगते हैं. अब ये इश्लीए कह रहा हूँ क्योंकि आपको देख कर ये ख्याल आता है मुझे और मैं बोल देता हूँ. इसमें फ्लर्ट शामिल नही रहता. और मैं आपसे फ्लर्ट क्यों करूँगा. कहा आप कहा मैं. मुझे पता है की मेरा कोई चान्स ही नही है. बहुत किरकिरी हो चुकी है आपके सामने मेरी अब बस यही चाहता हूँ की आप मुझे ग़लत ना समझे. आपकी बहुत इज़्ज़त कराता हूँ मैं. ई नेवेर एवर सीन वुमन लीके यू. आप शुनदर भी हैं और आपका चरित्रा भी उँचा है. दोनो एक कॉंबिनेशन में कम ही मिलते हैं.”
“जनाब कुछ ज़्यादा नही हो रहा अब. तुम्हे चलना चाहिए अब.”
“ओह हाँ बिल्कुल…गुड नाइट प़ड़्मिनी जी. स्वीट ड्रीम्स.”
राजू चला गया. प़ड़्मिनी सर हिलाते हुवे घर में घुस्स गयी.
रात के कोई 2 बजे आँख खुल गयी बेचारी प़ड़्मिनी की. स्वीट ड्रीम्स की जगह इंतेज़ार ड्रीम्स हो गया था. इसे बार फिर कारण राजू ही था. सपने में प़ड़्मिनी ने देखा की राजू उशके उभारो को चूम रहा है और उसने राजू के सर को थाम रखा है. वो राजू को बार बार कह रही थी ‘ई लव यू….ई लव यू‚
“अफ फिर से वही भयानक सपना. पर ये सच नही होगा. रात के 2 बजे हैं. सुबह के सपने ही सच होते हैं. पर पहले वाला सपना सुबह आया था. नही नही राजू के साथ ये सब च्ीी….कभी नही. पता नही ये राजू मेरे पीछे क्यों प़ड़ गया है. मैं उशके इरादे कभी कामयाब नही होने दूँगी.
राजू प़ड़्मिनी को घर चोद कर सीधा घर पहुँचा था. घर पहुँचते ही उसे नगमा का फोन आया. “पुलिस वाला बनके तू तो भूल ही गया मुझे.”
“नही नगमा तुझे कैसे भूल सकता हूँ. बताओ क्या बात है.”
“बापू गये फिर से किशी काम से बाहर आ रही हूँ मैं तेरे पास.”
“नही नगमा शन.” पर नगमा फोन काट चुकी थी.
राजू तो प़ड़्मिनी जी के ख़यालो में खोया था. वो परेशान हो रहा था की पता नही क्यों प़ड़्मिनी जी उष से ऐसा बर्ताव कराती हैं जबकि उष्की इंटेन्षन तो हमेशा उनकी मदद करने की रहती है. बार-बार प़ड़्मिनी जी का चेहरा उष्की आँखो में घूम जाता है. वो कुछ हैरान सा है की ऐसा क्यों हो रहा है. लेकिन प़ड़्मिनी जी के रूप का जादू कुछ अजीब सा असर कर रहा था राजू के दिलो दीमाग पर. हालाँकि अपना राजू इन बातों से बिल्कुल बेख़बर था.
नगमा ने दरवाजा खड़क्या तो राजू परेशान हो गया. दरअसल पता नही क्यों वो अकेला रहना चाहता था. खूबसूरात ख़यालो में जो खोया था.
“खोलता हूँ बाबा.”
दरवाजा खुलते ही नगमा राजू से लिपट गयी.
“बहुत दिन हो गये तुमसे मिले राजू. तुमसे मिलने आई हूँ मैं आज.”
“ग़लत वक्त पर आई है तू. थोड़ा परेशान सा था मैं.”
“क्या हुवा मेरे राजू को?”
“कुछ नही बस यू ही.”
“अभी इलाज़ कराती हूँ मैं तेरा. चल बिस्तर पर.”
“नही नगमा आज कुछ मूड नही है.”
“बहुत दिन हो गये तू मुजसे एक बार भी नही मिला और आज मूड नही है तेरा. कोई बहाना नही चलेगा तेरा. और हाँ मुझे कुछ नही चाहिए तुझसे. कुछ देना ही चाहती हूँ तुझे.”
“क्या देना चाहती हो नगमा?”
“चलो तो सही बिस्तर पे बताती हूँ.”
नगमा राजू को पीछे धक्का देते हुवे बिस्तर के नझडीक ले आती है और फिर उसे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा देती है. वो राजू की टाँगो के बीच बैठ जाती है और उष्की ज़िप खोलने लगती है.
“क्या कर रही है. मेरा सच में मूड नही है.”
“रुक तो सही देखता जा मैं क्या कराती हूँ.”
नगमा राजू का लंड निकाल लेती है बाहर. “ये तो शोया पड़ा है. पहले तो मेरा हाथ लगते ही उठ जाता था. चलो कोई बात नही अभी जाग जाएगा ये.”
नगमा शोए हुवे, मुरझाए हुवे लंड को मूह में ले लेती है और चूसने लगती है.
“तू तो कभी नही लेती थी मूह में. आज क्या हो गया.”
“वो कमीना भोलू काई बार चुस्वा चुका है मुझसे. जब उष्का चूस लिया तो क्या मेरे राजू का नही चुसूंगई क्या?”
“ग़लत टाइम पे आई तू ये करने आज थोड़ा व्यतीत हूँ मैं.”
नगमा राजू के लंड को मूह से निकाल कर उशके उपर लाते जाती है और उष्की आँखो में झाँक कर पूछती है, “क्या हुवा मेरे राजू को. बताओ मुझे.”
“कुछ नही तू नही समझेगी.”
“समझूंगी क्यों नही तू बता तो.”
“आज प़ड़्मिनी जी से मिला था. पता नही क्यों. वो मुझसे सीधे मूह बात ही नही कराती.” राजू पूरी बात बताता है नगमा को.
“बस इतनी सी बात है. अरे वो डराती होगी की कही तुम किशी दिन झुका कर उसे उष्की गान्ड ना मार लो. सब बता रखा है मैने उसे की कैसे झुका कर लेते हो तुम…हा…हा…हा…हे…हे.”
“क्या! कैसी कैसी बाते बता न्यू एअर हैं तूने मेरे बड़े में प़ड़्मिनी जी को. तभी काहु वो इतना दूर क्यों भागती है मुझसे.”
“छोड़ ना उसे तू. क्यों बेकार में परेशान हो रहा है उशके लिए. मैं तेरे लिए कुछ अलग करने आई थी और तू ये रोना लेकर बैठ गया. चल मुख मैथुन का आनंद ले.” नगमा वापिस आ कर राजू के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में लेकर चूसने लगी.
“और क्या बता रखा है मेरे बड़े में तूने?”
नगमा राजू का लंड मूह से निकालती है और कहती है, “तेरे लंड का साइज़, तेरे प्यार करने का तरीका सब बता रखा है. ये भी बता रखा है की कैसे गान्ड पकड़ कर तुम चुत में लंड घुस्साते हो. और ये भी बता रखा है की तुम चुचियों को बहुत अच्छे से चुसते हो. तुम्हारे बड़े में बातो बातो में सब बता रखा है.”
“मतलब की बहुत अच्छे तरीके से मिट्टी पलीट कर न्यू एअर है तूने मेरी. तुझे शरम नही आई उनसे ये बाते करते हुवे. वो तो ये बाते शुंती ही नही होंगी. तूने ज़बरदस्ती शुनाई होंगी.”
“मुझे बोलने की आदत है. बोल दिया सब बातो बातो में. क्यों परेशान हो रहे हो.”
“परेशान होने की बात ही है. मेरी छवि खराब हो न्यू एअर है उनकी नज़रो में.. सीधे मूह बात भी नही कराती वो मुझसे. आज बहुत दुख हुवा मुझे तू नही समझेगी.”
“मैं सब समझ गयी. तेरा मन मुझसे भर गया है और अब तू प़ड़्मिनी जी की लेना चाहता है. हाँ मानती हूँ बहुत शुनदर है वो लेकिन जैसा मज़ा मैं देती हूँ तुझे वो सात जानम भी नही दे सकती.”
“नगमा! चुप रहो.” राजू छील्लता है. “कुछ भी बोल देती हो. मैं बहुत इज़्ज़त कराता हूँ उनकी. ऐसा कुछ नही है जो तू समझ रही है.”
“बस अब यही कमी रह गयी थी. अब प़ड़्मिनी के लिए मुझे दाँत भी प़ड़ रही है. ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने तुझ पर. सच सच बता तू कही प्यार तो नही करने लगा प़ड़्मिनी जी को.”
“प्यार नाम के शब्द से भी कोसो दूर रहता हूँ मैं तू ये अच्छे से जानती है. मैने प़ड़्मिनी जैसी लड़की नही देखी दुनिया में कही. मैं उनकी बहुत इज़्ज़त कराता हूँ बस.”
“राजू मैने कभी प्यार नही पाया किशी का. कोई मिला ही नही जो मुझे प्यार करे. सब मेरे शरीर के पीछे थे. मैने भी कोशिस नही की प्यार पाने की. पर प्यार के अहसास को समझती हूँ मैं. हिन्दी फ़िल्मो में खूब देखा है प्यार का जलवा मैने. तुम्हारी बातो से यही लगता है की तुम प़ड़्मिनी को चाहने लगे हो. वरना तुम भला क्यों परवाह करोगे की वो तुम्हारे बड़े में क्या सोचती है. जीश तरह से तुम बाते कर रहे हो, कोई भी बता सकता है की तुम प़ड़्मिनी के प्रेम-जाल में फँस चुके हो. मेरा अब यहा कोई काम नही है. मैं चलती हूँ. अपना ख्याल रखना.”
नगमा उठ कर चल देती है.
राजू अपने लिंग को वापिस पेंट में डालता है और उठ कर नगमा का हाथ पकड़ लेता है.
“तू तो नाराज़ हो गयी. बहुत बड़ी बड़ी बाते कर रही है पगली कही की. चल आ बैठ तो सही.”
“नही राजू, तुम्हारी आँखो में अब प़ड़्मिनी का चेहरा दीख रहा है मुझे. तुम खुद सोच कर देखो. क्यों करते हो इतनी परवाह और चिंता प़ड़्मिनी की तुम.”
“शायद इंसानियत के नाते.”
“आज क्यों गये थे प़ड़्मिनी के ऑफीस तुम.”
“मुझे उनकी चिंता हो रही थी. मुझे दर था की कही साएको उन्हे नुकसान ना पहुँचा दे.”
“पूरे पुलिस महकमे में तुम्हे ही ये ख़याल आया. क्या कोई और नही है पुलिस में जिसे प़ड़्मिनी की चिंता हो.”
“कैसी बाते कराती है. मुझे उनका ख़याल आया और मैं चला गया. हर कोई प़ड़्मिनी जी की चिंता क्यों करेगा.”
“वही तो मैं कहना चाहती हूँ. दिल में बस चुकी है प़ड़्मिनी तुम्हारे. अपने आप को धोका मत दो.”
राजू का सर घूमने लगता है और वो वापिस बिस्तर पर आकर सर पकड़ कर बैठ जाता है. नगमा राजू के पास आती है और उशके सर पर हाथ रखती है.
“क्या हुवा राजू?”
“सर घूम रहा है मेरा. कुछ समझ में नही आ रहा की क्या कह रही हो तुम.”
“मुझे जो लगा मैने बोल दिया. मैं ग़लत भी हो सकती हूँ. असली बात तो तुम ही जानते हो.”
“मुझे कुछ नही पता नगमा, सच में कुछ नही पता.”
“क्या मैं यही रुक ज़ाऊ तेरे पास. मुझे तेरी चिंता हो रही है. परेशान नही करूँगी बिल्कुल भी. आओ तुम्हारे सर की मालिश किए देती हूँ. अभी ठीक हो जाएगा.”
“नगमा बुरा मत मान-ना. तुम्हारी बातो ने मुझे झकझोर दिया है. मैं अकेला रहना चाहता हूँ.”
“मुबारक हो. मैं बिल्कुल सही थी. तुम्हे सच में प्यार हो गया है. प्यार में डूबे आशिक अक्सर ऐसी बाते बोलते हैं. ठीक है अपना ख़याल रखना. कोई भी बात हो मुझे फोन कर देना मैं तुरंत आ जवँगी.”
“मैं तुम्हे चोद अओन.”
“नही मैं चली जवँगी. अभी तो 9 ही बजे हैं.”
नगमा चली गयी और राजू किनही गहरे ख़यालो में खो गया. कब उसने बाहों में तकिया दबोच लिया उसे पता ही नही चला. “प़ड़्मिनी जी ठीक से कुछ कह नही सकता. पर हाँ शायद आपसे प्यार हो गया है. भगवान भली करें अब मेरी. फिर से कही मैं बर्बाद ना हो ज़ाऊ प्यार में.”
राजू को तो नींद ही नही आई सारी रात. ताकिया बाहों में दबाए कभी इस करवे कभी उष करवट. “राजू सो जा आराम से कुछ मिलने वाला नही है प्यार में. पहले जब ये आया था जींदगी में तो बहुत गहरी चोट दे गया था. अब क्या सितम ढाएगा पता नही. प़ड़्मिनी जी तुझे पसंद नही कराती हैं समझ ले. तू उनके लायक भी नही है. ऐसे में क्यों सर दर्द मोल लेते हो. जींदगी जैसी चल रही है चलने दो. कोई ख़तरनाक एक्सपेरिमेंट करने की ज़रूरात नही है, जान पर बन सकती है. शो जाओ कल को ड्यूटी पर भी जाना है. रात के 2 बाज गये हैं….अफ.”
राजू ये सब सोच रहा था और उशी वक्त प़ड़्मिनी फिर से एक इंतेज़ार ड्रीम के कारण उठ बैठी थी अपने बिस्तर पर. सपने में राजू उशके उभारो का रास्पान कर रहा था और वो उष्का सर पकड़ कर ई लव यू कह रही थी.
प़ड़्मिनी दिल पर हाथ रख कर बैठी थी. उष्की हालत देखने वाली थी. “क्या हो रहा है मेरे साथ ये. क्यों आ रहे हैं ये गंदे और भयानक सपने मुझे. राजू को तो मैं कभी माफ़ नही करूँगी. बदतमीज़ कही का. उसे कोई हक़ नही है मुझे चुने का चाहे वो हक़ीकत हो या सपना.”” प़ड़्मिनी ने कहा.
प़ड़्मिनी उठी और पानी पिया. पानी पे कर वो खिड़की पर आ गयी. उसने बाहर झाँक कर देखा. बहुत भयानक सन्नाटा था बाहर. एक ही कॉन्स्टेबल नज़र आ रहा था उसे अपने घर के बाहर. “एक ही खड़ा है ये तो. बाकी के टीन कही दीखाई नही दे रहे. पता नही कैसी शूरक्षा है ये.”
प़ड़्मिनी वापिस आ कर लाते गयी. लेकिन दुबारा उसे नींद नही आई.
……………………………………………………….
रात बीट गयी और सुबह ने दस्तक दी. राजू तो एक पल भी नही शोया था. वो नहा धो कर वर्दी पहन कर मोहित के घर की तरफ निकल पड़ा. दिल जब बहुत बेचैन हो किशी बात को लेकर तो अक्सर एक अच्छे दोस्त की याद आती है जीशके साथ अपना गम बाँतने की इचा रहती है.
“राजू तू…सुबह सुबह आज कैसे याद आ गयी मेरी.” मोहित ने पूछा.
“पहले ये बता कल क्या तमासा लगा रखा था जंगल में. शूकर मनाओ की मैं साथ था आस्प साहिबा के वरना तुम जैल मे पड़े होते अभी. कौन थी वो लड़की और उसे जंगल में क्यों ले गये थे तुम.”
“पूछ मत यार. आ बैठ. वर्दी बहुत जाच रही है तुझ पे.”
राजू कुर्सी पर बैठ जाता है और मोहित अपने बिस्तर पर.
“हन बताओ अब गुरु क्या मामला था.”
“कल पूजा के कॉलेज गया था. अब यार कुछ तो करना होगा ना पूजा को पटाने के लिए. पूजा के साथ दो लड़किया थी. उनमे से एक कविता थी. उसने सारा मामला बिगाड़ दिया मेरा.” मोहित पूरी बात डीटेल में बताता है.
“बस मैं उष कविता को मज़ा चखाने के लिए उष्की गान्ड में डाल रहा था. बस फिर तुम लोग आ गये. बहुत अछी फ़ज़ीहत हुई मेरी. कही मूह दीखने लायक नही रहा.”
“शूकर माना उष कविता ने बोल दिया की तुम रेप नही कर रहे थे वरना आस्प साहिबा जैल में डाल देती तुम्हे.”
“ये तो है…बाल-बाल बचा हूँ मैं. शुकरिया तेरा दोस्त. अछा ये बता कैसा चल रहा है. कल से मैं भी जा रहा हूँ जॉब पर.”
“कौन सी जॉब?” राजू ने पूछा.
“एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी जाय्न कर ली है मैने. कल से मैं भी बिज़ी रहूँगा.”
“बहुत अछी बात है ये तो गुरु. मैं पुलिस तुम डीटेक्टिव.”
“और बताओ क्या चल रहा है.” मोहित ने कहा
“पूछ मत गुरु, एक अजीब मुसीबत में प़ड़ गया हूँ मैं. कल सारी रात शो भी नही पाया.”
“ऐसा क्या हो गया राजू.” मोहित ने पूछा
“लगता है फिर से प्यार हो गया है मुझे.”
“क्या बात कर रहा है, कौन है वो बदनसीब?”
“मज़ाक मत करो गुरु. ये मज़ाक की बात नही है.” राजू के चेहरे पर गंभीर भाव थे.
“तूने भी तो मुझे यही कहा था जब मैं हॉस्पिटल में था. कुछ याद आया. अछा चल छोड़. बताओ कौन है वो हसीना जो तेरा दिल ले उसी.”
“प़ड़्मिनी जी…पर किशी को बठाना मत.” राजू ने कहा.
“क्या! तुझे प़ड़्मिनी से प्यार हो गया…… क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहा है.”
“मैं पहले ही परेशान हू गुरु अब और परेशान मत करो.”
“तूने कुछ कहा अभी तक उशे?”
“पागल हो क्या, ज़ुबान खींच लेंगी वो मेरी. कुछ कहूँगा नही कभी. बस अपने दिल तक ही शिमित रखूँगा इसे प्यार को मैं.”
“फिर तो परेशानी की कोई बात ही नही है, क्यों परेशान हो फिर.”
“कल रात नींद नही आई भाई इसे चक्कर में. बताओ मैं क्या करूँ.”
“ऐसा है तो बोल दो जाके अपने दिल का हाल प़ड़्मिनी को. दिक्कत क्या है.”
“नही गुरु उन्हे कुछ नही कह पवँगा. मैं तो बस तुम्हे बता रहा था. मेरा कोई इरादा नही है की लव के पछदे में पड़ून फिर से.”
“पछदे में तो तू प़ड़ ही चुका है. तेरा दिल प़ड़्मिनी ले गयी मेरा दिल पूजा ले गयी. हम दोनो ही फँस गये यार.”
“तेरा तो कुछ हो भी सकता है. मेरा तो दिल ऐसी जगह लगा है जहा कोई चान्स नही है. अछा मैं चलता हूँ. 9 बाज रहे हैं, ड्यूटी के लिए लाते हो रहा हूँ. अरे हाँ एक बात और करनी थी.”
“हन बोलो.”
“मुझे लगता है जंगल में कुछ गड़बड़ है. वो साएको जंगल के पास ही वारदात कराता है अधिकतर. तुझे क्या लगता है क्या कारण हो सकता है.”
“बात तो सही कह रहे हो…हो सकता है की कुछ राज छुपा हो जंगल में.” मोहित ने कहा.
तभी मोहित के रूम का दरवाजा खड़का. मोहित ने आकर देखा. वो तो भोंचका रह गया.
“तुम! यहा कैसे.”
“पूजा से अड्रेस लिया तुम्हारा और पहुँच गयी.” कविता ने कहा और कमरे में घुस्स गयी. उसने राजू को पहचान लिया. वो बोली, “ओह आप भी यहा है, कल आप ना आते वक्त पर तो ये हमें मार डालते.”
राजू फ़ौरन खड़ा हो गया और चल दिया, “अछा गुरु मैं चलता हूँ.”
“राजू रूको यार अकेला चोद कर मत जाओ मुझे.” मोहित ने कहा.
“हन रुक जाओ ना आप…मेरे आते ही क्यों भाग रहे हैं.” कविता ने कहा.
“मोहतार्मा अभी हमारा मन ज़रा व्यतीत है वरना आपका वो हाल करते की आप हमें कभी रुकने को ना कहती. गुरु सम्भालो इसे जंजाल को मैं लाते हो रहा हूँ.” राजू कह कर कमरे से निकल जाता है.
“तुम्हारा दोस्त तो बड़ा आरोगेंट है. तमीज़ ही नही बात करने की.” कविता बोली.
“यहा क्यों आई हो अब मेरी मा. ले तो ली थी कल तुम्हारी मैने. अड्रेस भी पूजा से लेकर आई हो. क्यों बिगाड़ने पे तूलि हो मेरा काम तुम. तुम्हे क्या कमी है लड़को की जो मेरे पीछे प़ड़ गयी.”
“लड़के तो बहुत हैं पर आप जैसा शायर नही मिला कोई.”
“मैं कोई शायर नही हूँ…वो तो यू ही बोल दी थी कुछ लाइन्स मैने.”
दरवाजा खुला ही था. नगमा आ गयी अंदर.
“अरे नगमा तुम आओ…आओ बहुत अच्छे वक्त पर आई हो.” मोहित तो खुश हो गया नगमा को देख कर.
“ये कौन है?” कविता ने पूछा. कविता पूजा की बहन से मिली नही थी इश्लीए नगमा को नही जानती थी.
“ये मेरी गर्ल फ्रेंड है…नगमा”
“गुड फिर तो बहुत अछी ऑपर्चुनिटी है. लेट्स हॅव आ फन टुगेदर.”
“क्या बकवास कर रही हो. मेरी गर्ल फ्रेंड के सामने ऐसी बाते मत करो.” मोहित ने कहा और नगमा के पास आकर उशके कान में कहा,”इश् से छुटकारा दिलवा तो नगमा, मेरे पीछे पड़ी है.”
नगमा कविता के पास आई और बोली, “चली जाओ यहा से, मेरे बॉय फ्रेंड को अकेला चोद दो.”
“तू भी यहा मस्ती करने आई है ना. साथ में मस्ती करते हैं. हम आपस में भी कुछ…..” कविता नगमा की तरफ बढ़ी.
“एक साथ मस्ती, ये क्या बकवास है. दफ़ा हो जाओ यहा से.” नगमा ने पीछे हट-ते हुवे कहा.
लेकिन नगमा दीवार से टकरा कर रुक गयी. कविता उशके बहुत करीब आ गयी. इतना करीब की दोनो के बूब्स आपस में टकरा रहे थे. नगमा की तो हालत पतली हो गयी. इसे से पहले की वो कुछ कर पाती कविता ने उशके होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. नगमा तो सकपका गयी और उसने कविता को ज़ोर से धक्का मारा. कविता फार्स पर गिर गयी.
“अफ ये क्या बाला है…तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये करने की.” नगमा ने कहा और टूट पड़ी कविता पर. बाल नोच लिए उसने उशके.
“बचाओ मुझे आअहह.” कविता मोहित की तरफ देख कर गिड़गिडाई.
“भुगत्ो अब…मेरी गर्ल फ्रेंड को लेज़्बीयन आक्ट बिल्कुल पसंद नही है” मोहित ने कहा.
“छोड़ तो मुझे आअहह.” कविता ने कहा.
“मेरी किस क्यों ली तूने बता मुझे. जींदा नही छोड़ूँगी तुझे मैं.” नगमा ने कहा.
नगमा तो चोद ही नही रही थी कविता को. मामला गंभीर होता देख मोहित ने नगमा को पकड़ कर कविता के उपर से खींच लिया. “छोड़ दो बहुत हो गया. सारे बाल नोच लॉगी
क्या बेचारी के.”
कविता फ़ौरन उठी और वाहा से रफू चक्कर हो गयी. उसने पीछे मूड कर भी नही देखा. कविता नाम की बाला मोहित के सर से शायद ताल गयी थी.
“बहुत बहुत शुकरिया तुम्हारा नगमा. वो तो पीछे ही प़ड़ गयी थी मेरे.”
“तुम ना हटाते मुझे तो जान से मार देती कुतीया को. सारा मूड खराब कर दिया मेरा.”
मोहित ने दरवाजा बंद किया और नगमा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर ले आया. “अब शांत हो जाओ…पानी दु क्या?”
“नही मैं ठीक हूँ. कौन थी वैसे ये छिनाल.”
“छोड़ो उसे ये बताओ आज मेरी याद कैसे आई तुम्हे.”
“बापू घर पर नही है. तुम्हे वादा कर रखा था कभी..इश्लीए आई थी…पर सारा मूड खराब कर दिया उसने.”
“उशे गोली मारो तुम…आओ हम अपना काम करते हैं. वैसे आजकल मेरा दिल एक लड़की में अटका है…इश्लीए मन नही होता किशी के साथ कुछ करने का. लेकिन अपनी बहुत पहले बात हुई थी इश्लीए उसे पूरा करते हैं आज.”
“राजू का दिल भी कही अटका है, तुम्हारा भी अटका है…हो क्या रहा है. राजू तो प़ड़्मिनी के जाल में फँस गया. तुम्हारा दिल कौन ले उसी.” नगमा ने पूछा.
अब मोहित कैसे बताए पूजा का नाम. दिक्कत हो जाएगी. “छोड़ ना ये बाते मूड ही खराब होगा.”
“शूकर है…मतलब की तुम्हारा मूड है.”
“और नही तो क्या?”
“मैं तो दर ही गयी थी…एक काम करने का मन है…करूँ”
“हन-हन करो.”
“सीधे लाते जाओ फिर.” नगमा ने कहा.
मोहित लाते गया और नगमा उष्की टाँगो के बीच बैठ गयी. उसने मोहित की पेंट की ज़िप खोली और मोहित का लंड बाहर निकाल लिया. वो काले नाग की तरह फन-फ़ना रहा था.नगमा ने लंड को मूह में ले लिया और चूसने लगी.
“कहा तो ब्लो जॉब मिलती नही थी अब लड़किया खुद मेहरबान हो रही हैं. वाउ बहुत अछा चूस रही हो नगमा. लगी रहो.”
नगमा कुछ देर तक यू ही चूस्टी रही लंड और मोहित उशके सर को सहलाता रहा. कुछ देर बाद नगमा ने अपनी सलवार का नाडा खोला और लंड को सीधा पकड़ कर उष पर अपनी चुत टीका दी.
“पहली बार तुम्हारा लंड चुत में ले रही हूँ…देखते हैं कैसा लगता है.”
नगमा ने अपनी गान्ड को नीचे की तरफ पुश किया और मोहित का लंड नगमा की चुत में घुसटा चला गया.
“अची चुत है तुम्हारी…पकड़ अछी है लंड पर…गुड…पूरा घुस्सा लो अंदर आआहह.” मोहित कराह उठा. नगमा ने पूरा अंदर ले लिया था.
अब वो धीरे धीरे मोहित के लंड को चुत में फँसाए हुवे अपनी गान्ड को उछालने लगी.
“आआअहह अछा लग रहा है ये लंड चुत में. गान्ड में तो बहुत दर्द दिया था ईसणे आअहह.” नगमा आँखे बंद किए हुवे मोहित के उपर उछाल रही थी.
जल्दी ही मोहित ने नगमा को पकड़ा और उसे अपने नीचे ले आया. इसे दौरान लंड चुत में ही फँसा रहा. नगमा को नीचे लाकर मोहित ने उष्की टाँगो को कंधे पर रखा और धक्को की बोचार शुरू काट दी नगमा की चुत में.
नगमा तो लगातार काई बार झड़ी. उष्की शिसकिया कमरे में गूँज रही थी. अचानक मोहित ने बढ़ता बहुत तेज बढ़ा दी. और वो कुछ देर बाद ढेर हो गया नगमा के उपर.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 28
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“कैसा लगा मेरा लंड तुम्हारी चुत को.”
“बहुत अछा लगा. एक बार फिर से करना पड़ेगा तुम्हे.”
“करूँगा ज़रूर करूँगा. एक बात काहु”
“हन कहो.”
“काश तुम पर ही दिल आ जाता मेरा. तुम अछी लड़की हो.” मोहित ने कहा.
“अगर ऐसा होता तो मैं सब कुछ चोद देती तुम्हारे लिए. पर प्यार कहा अपनी किशमत में. अपनी किशमत में तो लंड के धक्के लिखे हैं.”
“शादी कब कर रही हो तुम.”
“शादी और मैं, ये सवाल मत पूछो तुम.”
“क्यों क्या हुवा, शादी की उमर तो है तुम्हारी. शादी नही करना चाहती क्या. या फिर यू ही मज़े लॉगी तुम”
“तुम नही समझोगे रहने दो”
“क्या बात है बताओ तो” मोहित ने उत्शुकता से पूछा.
“दहेज के लिए पैसा कहा है बापू के पास जो शादी होगी. वैसे भी मेरा मन नही है शादी करने का. मेरी बहन पूजा की शादी हो जाए बस कही अछी जगह. उशी के लिए ड्यूवा कराती हूँ. बापू हम दोनो का बोझ नही उठा सकते मोहित. एक की ही शादी हो सकती है. और मैं चाहती हूँ की पूजा का घर बस जाए. मेरा क्या है…मेरा चरित्रा तो बीवी बन-ने लायक रहा भी नही है. क्यों किशी को धोका डू.” कहते-कहते नगमा की आँखे भर आई थी.
मोहित नगमा के उपर था और अभी भी उसमें समाया हुवा था. वो तो नगमा को देखता ही रह गया. उसने नगमा के होंटो को किस किया और बोला, “मुझे नही पता था की नगमा ऐसी बाते भी कर सकती है.”
“मैं क्या इंसान नही हूँ” नगमा ने सवाल किया.
“मेरा वो मतलब नही है.”
“निकाल लो बाहर मोहित. थोड़ा सा भावुक हो गयी हूँ. मन हुवा तो थोड़ी देर में करेंगे.” नगमा ने कहा.
“ओह हाँ सॉरी….” मोहित ने लिंग बाहर खींच लिया.
“मुझे गर्व है खुद पे की मैने तुम्हारे साथ संभोग किया नगमा.” मोहित ने कहा.
दोनो एक दूसरे से लिपट गये और खो गये कही अपने बीच उभरे जजबातो में. दोनो लिपटे ही रहे कुछ कर नही पाए बाद में. शायद एक दूसरे से लिपटे रहना ज़्यादा अछा लग रहा था दोनो को.
“नगमा मैं तो तुम्हे बहुत बुरी समझता था. लेकिन आज मेरा नज़रिया बदल गया.” मोहित ने कहा.
“बुरी तो मैं हूँ ही. तुम ठीक ही समझते थे. जानते तो हो ही मेरे बड़े में सब.” नगमा ने कहा.
“हन जानता हूँ. पर तुम्हारा ये जजबाती रूप नही देखा था मैने. तुम उतनी बुरी नही हो जितना मैं समझता था. तुम अछी लड़की हो.”
“अची हूँ तो क्या प्यार कर सकते हो मुझसे” नगमा ने मोहित की आँखो में झाँक कर पूछा.
“चाहने लगा हूँ किशी और को वरना कर लेता तुझे प्यार.” मोहित ने कहा.
“अछा चोदा उष्का नाम तो बताओ, कौन है वो, कहा रहती है, क्या कराती है. कुछ तो बताओ.”
“अभी कुछ नही बता सकता…सॉरी…अछा ये बता तेरा बापू कहा चला जाता है बार-बार…काम पर ध्यान देगा वो तो अछा कमा लेगा.”
“छोटी सी पॅयन की दुकान है बापू की. क्या कमाएँगे. गाँव में खेत है छोटा सा उष्की देख रेख के लिए जाते रहते हैं वो.”
“ह्म…चल चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.”
“तुम्हारे लंड में हरकत हो रही है, कुछ करने का मन है क्या?” नगमा ने मोहित से पूछा.
“मान कैसे नही होगा तू इतने पास जो पड़ी है.” मोहित ने कहा.
“आ जाओ फिर. मुझे गम भुलाने के लिए एक तूफान की ज़रूरात है. मचा दो तूफान मेरे अंदर.” नगमा ने कहा.
मोहित का लंड ये शुंते ही फूँकारे मारने लगा. वो नगमा के उपर आ गया और लंड को उष्की चुत पर रख दिया. “डाल दु एक झटके में.”
“जैसे मर्ज़ी करो मुझे बस एक तूफान चाहिए हमारे बीच.”
ये शुंते ही मोहित ने एक झटके में पूरा लंड नगमा की चुत में डाल दिया. नगमा कराह उठी, “आआहह”
“पहले से ज़्यादा अछी एंट्री दी है चुत ने तुम्हारी…क्या कारण है.”
“प्यारी बाते करके कर रहे हैं ना हम शायद इश्लीए. करो ज़ोर ज़ोर से मैं खो जाना चाहती हूँ आआअहह”
कमरे में वाकाई में तूफान आ गया था. नगमा ने मोहित की कमर में अपने नाख़ून गाड़ दिए थे उत्तेजना में. मोहित इतने जोरो से लंड ढकैयल रहा था नगमा की चुत में की बेड भी चार-चार की आवाज़ करने लगा था.
तूफान जब थमा तो दोनो यू ही एक दूसरे में समाए हुवे चुपचाप पड़े रहे. कब नींद आ गयी पता ही नही चला उन्हे.
…………………………………………………………
राजू ने थाने पहुँच कर चौहान से प़ड़्मिनी के लिए 2 और कॉन्स्टेबल की माँग की जो उसे ऑफीस से घर और घर से ऑफीस छोड़ेंगे.
“जिन्हे ऑफीस के बाहर लगाया है वो ही प़ड़्मिनी के साथ चले जाया करेंगे. इसमे दिक्कत क्या है.”
“बिल्कुल ठीक है सिर. मैं ज़रा आस्प साहिबा से मिल अओन.” राजू ने कहा.
“बिल्कुल मिल आओ. हम तो दूर ही रहते हैं ऐसी कयामत से.”
राजू शालिनी के कमरे में आता है.
“मिल गयी रिवॉलव तुम्हे?” शालिनी ने पूछा.
“मिल गयी मेडम, थॅंक यू वेरी मच. मेडम आपसे कुछ बात करनी थी.”
“तोड़ा बिज़ी हो…बहुत ज़रूरी हो तो बोलो.” शालिनी ने कहा.
“मेडम…साएको के बड़े में है ये.”
“क्या है…बैठो और बताओ क्या बात है.”
“मेडम मैने नोट किया है की साएको ने अधिकतर वारदात जंगल के आस-पास ही की है.”
“आज की वारदात का पता चला तुम्हे.”
“नही मेडम क्या हुवा.”
“प़ड़्मिनी के ऑफीस के ठीक बाहर मुर्दूर हुवा है कल कहा रहते हो तुम. ऐसे ही करोगे क्या नौकरी.”
“क्या! मुझे ये किशी ने नही बताया.” राजू ने कहा.
“आस पास क्या हो रहा है उष्की खबर रखना तुम्हारी ड्यूटी है. ऐसे बेख़बर रहोगे तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे.”
राजू का तो चेहरा ही उतार गया.
“मुझे लगता है वो साएको प़ड़्मिनी के लिए ही आया था वाहा. लेकिन किशी कारण वश वो प़ड़्मिनी को नुकसान नही पहुँचा सका.”
“इश्का मतलब प़ड़्मिनी जी को और ज़्यादा प्रोटेक्षन की ज़रूरात है.”
“बिल्कुल. आज से तुम उशके साथ 24 घंटे रहोगे. प़ड़्मिनी की रक्षा करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है अब. मैने प़ड़्मिनी को भी बता दी है ये बात. पता नही वो क्यों कह रही थी की तुम्हारी जगह किशी और को रखा जाए उशके साथ. लेकिन कुछ कार्नो से मुझे किशी और पर विश्वास नही है अभी.”
“ऐसा क्यों मेडम?”
“जो गोली चलाई थी उष साएको ने मेरी तरफ सड़क पर वो पुलिस महकमे की है. वो गोली जीप में घुस्स गयी थी. जाँच कराई मैने उष्की.”
“ये तो बहुत गंभीर बात है मेडम. आपने इतनी बड़ी बात मुझे बताई. क्या आपको विश्वास है मुझ पर.”
“है लेकिन अगर तुम ऐसे बेख़बर रहोगे तो विश्वास खो दोगे मेरा. बहुत अलर्ट रहने की ज़रूरात है तुम्हे.”
“समझ गया मेडम.”
“जाओ अब से तुम्हारी ड्यूटी बस प़ड़्मिनी की प्रोटेक्षन की है. उष्का जींदा रहना ज़रूरी है अगर साएको को पकड़ना है तो.”
“वो जींदा रहेंगी तभी मैं भी जींदा रहूँगा.” राजू बहुत धीरे से बोला.
“कुछ कहा तुमने?”
“नही मेडम, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं चालू.”
“हन जाओ. और हाँ सारे कॉन्स्टेबल जो प़ड़्मिनी की शूरक्षा के लिए लगे हैं वो सब तुम्हारे अंदर हैं अब. दो युवर जॉब प्रॉपर्ली वरना.”
“सस्पेंड नही होना मुझे…. समझ गया मैं मेडम.” राजू ने कहा.
“ओक तन दो युवर ड्यूटी.” शालिनी ने कहा.
“थॅंक यू मेडम” राजू बाहर आ जाता है.
“प़ड़्मिनी जी के साथ 24 घंटे. इसे से अछा कुछ नही हो सकता मेरे लिए. पर प़ड़्मिनी जी पता नही कैसे लेंगी इसे बात को.” राजू थाने से बाहर निकलते हुवे सोच रहा है.
राजू जीप में बैठा प़ड़्मिनी के ऑफीस की तरफ बढ़ रहा था. “इश् वक्त तो ऑफीस में ही होंगी प़ड़्मिनी जी. पता नही कैसे रिक्ट करएंगी मुझे देख कर. पर ये गोली वाला मसला तो बहुत गंभीर है. मडड़म साहिबा का मतलब क्या था. क्या साएको पुलिस वाला? या फिर वो ब्लॅक मार्केट से पुलिस की गोलिया खड़ीद कर पुलिस पर ही बरसा रहा है. गोली पुलिस महकमे की होने से ये साहबित नही होता की वो पुलिस वाला है. लेकिन जो भी हो ये मुद्दा है बहुत गंभीर. मुझे अलर्ट रहना होगा. मेरे होते हुवे प़ड़्मिनी जी को कोई भी ज़रा सा भी नुकसान नही पहुँचा सकता.”
प़ड़्मिनी के ऑफीस पहुँच कर राजू एक कॉन्स्टेबल से पूचेटा है. “कहा हुवा खून कल रात.”
“सिर जहा आप खड़े हैं बिल्कुल यही मिली थी लाश.”
“क्या! यहा.” राजू तुरंत वाहा से हट जाता है.
“तुम लोगो ने देखा कुछ?” राजू ने पूछा.
“सिर उन मेडम के जाने के बाद हम भी चले गये थे. हमने कुछ नही देखा.”
“ह्म…मेरी ड्यूटी भी अब मेडम को प्रोटेक्ट करने की है. मुझे बताए बिना इधर उधर मत जाना. मेरा मोबाइल नो ले लो. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे कॉल करना.”
“जी सिर बिल्कुल” दोनो कॉन्स्टेबल्स ने जवाब दिया.
राजू ने ऑफीस के बाहर अछी तरह मूवाईना किया. पहले तो प़ड़्मिनी के कारण ऑफीस के अंदर जाने की उष्की हिम्मत नही हुई. लेकिन फिर वो हिम्मत करके घुस्स ही गया. “कोई और रास्ता है ऑफीस में घुसने का.” राजू ने चौकीदार से पूछा.
“नही साहिब बस यही एक रास्ता है जहा से आप आए हैं.”
“पीचली तरफ तो कोई गाते नही है ना.” राजू ने पूछा.
“नही साहिब पीछे कोई गाते नही है”
प़ड़्मिनी एक फाइल हाथ में लिए अपने बॉस के कॅबिन की तरफ बढ़ रही थी. सामने से राजू चौकीदार से बाते कराता हुवा आ रहा था. दोनो का ध्यान एक दूसरे पर नही गया. टक्कर हो ही जाती वो तो आखड़ी आंटीेंट पर प़ड़्मिनी ने देख लिया राजू को. “तुम ऑफीस में क्या कर रहे हो?”
“प़ड़्मिनी जी आपकी शूरक्षा के लिए मूवाईना कर रहा था ऑफीस का मैं. देख लिया मैने सब कुछ. यहा अंदर कोई ख़तरा नही है आपको. बाहर हम हैं ही.”
“अची बात है, इश्का मतलब तुम बाहर ही रहोगे. शूकर है….” प़ड़्मिनी ने कहा.
“हन मैं बाहर ही रहूँगा, कोई भी बात हो तो आप तुरंत फोन करना मुझे.”
“हन ये ठीक है. बाहर ही रहो तुम. अंदर मत आना बार-बार ऑफीस के काम में डिस्टर्बेन्स होती है.”
“आप चिंता ना करो प़ड़्मिनी जी. मेरी वजह से कोई परेशानी नही होगी आपको.”
राजू बाहर आ गया ऑफीस से और ऑफीस के सामने खड़ी अपनी जीप में बैठ गया.
“बहुत शुनदर लग रही थी आज भी प़ड़्मिनी जी. चेहरे पर गुस्सा था मुझे देख कर. भगवान हसीन लोगो को इतना गुस्सैल क्यों बनाते हैं.”
……………………………………………………….
अंधेरा था चारो तरफ. घनघोर अंधेरा. उष्की आँख खुली तो वो बहुत घबरा गयी. पहले तो उसे लगा की ये एक सपना है मगर नही ये सपना नही था. वो अंधेरे में हाथ माराते हुवे उठ गयी. “कहा हूँ मैं” उसने सोचा.
वो अंधेरे में हाथ माराते हुवे इधर उधर भटक रही थी. अचानक वो किशी से टकरा गयी. “क…क…कौन है” और वो वाहा से पीछे हट गयी.
“पहले तुम बताओ तुम कौन हो?” उसे आवाज़ आई.
“क्या मज़ाक है ये. मैं यहा कैसे आई.”
“क्या तुम्हारी आँख भी यही खुली है. मुझे भी अभी होश आया और खुद को इसे अंधेरी जगह पाया.”
तभी एक बल्ब वाहा जगमगा उठा और कमरे में रोशनी हो गयी. दोनो की नज़र एक दूसरे पर पड़ी. लड़की जवान थी. कोई 21-22 साल की होगी. आदमी 40-45 का लगता था. उन्होने एक दूसरे को देखा और काई सवाल उनके मन में उभर आए.
“वालेकम हियर. स्वागत है आप दोनो का यहा.” कुर्सी पर बैठा नकाब पॉश बोला.
दोनो ये शन कर हैरान रह गये. उन्हे लगा था की वो दोनो वाहा अकेले हैं.
“कौन हो तुम भाई और हमे यहा क्यों लाया गया है.” आदमी ने पूछा.
“साएको किल्लर से उष्की पहचान पूचेटे हो. ज़्यादा सवाल करोगे तो अभी काट डालूँगा.”
दोनो ये शुंते ही तर तर काँपने लगते हैं.
“क्या चाहते हैं आप हुंसे?” आदमी ने पूछा.
“इश् लड़की का रेप करो. ये लड़की बचने को कोशिस करेगी. तुम रेप करने में कामयाब रहे तो तुम्हे चोद दूँगा और इसे लड़की को काट डालूँगा. अगर ये तुम्हारे रेप आततेंट से बच जाएगी तो इशे यहा से जाने दूँगा और तुम्हे काट डालूँगा. सिंपल सी गेम है चलो शुरू हो जाओ.” साएको ने कहा.
दोनो ये शन कर भोंचके रह गये. “ये क्या बकवास है, तुम ऐसा नही कर सकते हमारे साथ.” लड़की ने कहा.
“एक घंटे का वक्त है तुम दोनो के पास ये गेम खेलने का. नही खेलोगे तो दोनो मरोगे. खेल में एक की जान बच सकती है.” साएको ने कहा.
“देखो मैं ऐसा नही कर सकता…प्लीज़ हमें जाने दो.”
साएको ने बंदूक निकल ली और आदमी को निशाना बनाया.
“रूको….मैं कोशिस करूँगा.” आदमी ने कहा.
“वॉट! तुम मेरा रेप करोगे इसे साएको से दर कर. मैं ये हरगिज़ नही होने दूँगी.”
“हा…हा…हा…हे…हे…यही तो सारी गेम है. ये लड़की तो बड़ी जल्दी समझ गयी.” साएको करूराता से हंस कर बोला. “वक्त बर्बाद मत करो वरना दोनो मारे जाओगे.”
आदमी लड़की के पास आया और उसे दबोच लिया, “मुझे यहा से जींदा निकलना है.”
लड़की ने उसे ज़ोर से धक्का मारा और वो दूर जा कर गिरा. “पागल मत बनो. ये वैसे भी हमें छोड़ने वाला नही है.”
लेकिन आदमी उठ कर इसे बार बुरी तरह टूट पड़ा लड़की पर. उसने इतना मारा उसे की वो गिर गयी ज़मीन पर .”मुझे माफ़ करना पर मैं मारना नही चाहता”
लड़की जीन्स पहने थी. आदमी ने जीन्स के बतन खोल कर जीन्स नीचे सरका दी.
“नही रुक जाओ. पागल मत बनो. ई आम वर्जिन. ऐसा मत करो.”
आदमी ने चार पाँच थप्पड़ जड़ दिए लड़की के मूह पर. “समझने की कोशिस करो मैं मारना नही चाहता.
“बहुत खूब. तुम यहा से बाहर ज़रूर निकलोगे.” साएको ने कहा.
आदमी ने जीन्स निकाल दी लड़की की और उष्की पेंटी भी खींच कर फुर्ती से उशके शरीर से अलग कर दी. उसने अपने लंड को बाहर निकाला और लड़की की टांगे फैला कर……………………………
“आआअहह नहियीईईईईईईईईईई” लड़की दर्द से कराह उठी.
लेकिन अगले ही पल वो आदमी भी दर्द से छील्लाया.
“ओह…नो.” उष्की गर्दन में चाकू गोंप दिया था साएको ने.
लड़की ने ये सब अपनी आँखो से देखा. इतना शॉक लगा उसे की वो बेहोश हो गयी.
“ये काम अछा है. शिकार को यहा लाओ उठा कर और आराम से जब मन करे काट डालो. ये लड़की तो बेहोश हो गयी शायद. बहुत काम आएगी ये….हे…हे…हे”
………………………………………………………….
शालिनी अपने कमरे में फोन पर बात कर रही थी. वो बहुत परेशान लग रही थी. फोन रख कर उसने बेल बजाई.
“जी मेडम”
“इनस्पेक्टर चौहान को बुलाओ जल्दी.” शालिनी ने कहा.
“जी मेडम”
चौहान भागा भागा आता है.
“एस मेडम. आपने बुलाया.”
“हमारे यहा से जो एंपी हैं उनकी बेटी निशा को अगवा कर लिया है साएको ने और डिमॅंड की है की प़ड़्मिनी को उसे शोनप दिया जाए वरना वो मार डालेगा निशा को.”
“अफ नाक में दम कर रखा है इसे साएको ने.” चौहान ने कहा.
“हम अपना काम ठीक से नही करेंगे तो यही होगा. कल जंगल में एक घंटे में पहुँची पुलिस. निक्कममे हो तुम सब लोग.”
“सॉरी मेडम पर सब को एक्कथा करने में वक्त भी तो लगता है.”
“मैं कुछ नही शन-ना चाहती. जाओ ये पता करो की फोन कहा से किया उष साएको ने एंपी के घर. कुछ करो वरना हम सबकी नौकरी ख़तरे में है.”
“आप फिकर ना करें मेडम, मैं पूरी कोशिस करूँगा. मुझे इज़ाज़त दीजिए.” चौहान ने कहा.
“ठीक है जाओ और कुछ रिज़ल्ट्स लाओ.” शालिनी ने कहा.
चौहान के जाने के बाद शालिनी सर पकड़ कर बैठ गयी. “मेरे यही होना था ये सब.”
“निशा…मेरी प्यारी निशा…उठ जाओ कब से इंतेज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा. उठो ना.” साएको निशा के पास बैठा बोल रहा था.
निशा को बहुत गहरा सदमा लगा था और वो अभी भी बेहोश ही थी. साएको बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था की वो उठ जाए.
साएको ने निशा की नंगी टाँगो पर हाथ रखा और बोला, “उठो निशा और मुझे तुम्हारी आँखो में ख़ौफ़ दीखाओ. बहुत हसीन ख़ौफ़ है तुम्हारा. जब मैने लाइट जलाई थी तो बहुत शुनदर ख़ौफ़ था तुम्हारे चेहरे पे. ऐसा शुनदर ख़ौफ़ बहुत कम देखा है मैने. उठो और मुझे दीदार करने दो तुम्हारे ख़ौफ़ का.”
जैसी की ये खौफनाक बाते शन ली निशा ने और उष्की आँख खुल गयी. लेकिन साएको को पास खड़े देख उष्की टांगे तर तर काँपने लगी. बहुत ज़्यादा डारी हुई थी वो.
“उठ गयी मेरी प्यारी निशा…गुड. अब मज़ा आएगा.”
“मुझे चोद दो प्लीज़. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.” निशा रो पड़ी.
“मेरा कोई कुछ बिगाड़ भी नही सकता. अगर इसे हिसाहब से चलूँगा तो किश को कातूंगा मैं. बात को समझने की कोशिस करो.”
निशा ने गौर किया की वो उष जगह नही है जहा उष्की आँख खुली थी. वाहा तो कमरे में कोई बेड नही था. लेकिन अब वो बेड पर पड़ी थी और साएको उशके पास खड़ा था. कमरा उष पहले वाले कमरे से कुछ मिलता जुलता ही था.
“क्या देख रही है चारो तरफ. चल एक गेम खेलते हैं. ये चाकू देख कितना ठीका है. अब मेरा लंड भी देख वो भी ठीका है.” साएको अपनी ज़िप खोलने लगा.
साएको ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया. लिंग पूरी तरह ठाना हुवा था.
“देख इसे लंड को. अब तुझे हाथ रख कर ये बठाना है की तू अपनी चुत में ये चाकू लेगी या फिर ये लंड लेगी. हाथ रख कर बोलना भी है. चाकू पर हाथ रखोगी तो चाकू बोलना, लंड पे हाथ रखोगी तो लंड बोलना”
“तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ. प्लीज़ मुझे जाने दो.” निशा फूट फूट कर रोने लगी.”
“आर्टिस्ट हूँ मैं आर्टिस्ट. कटाल करना भी एक आर्ट है. बहुत आर्टिस्टिक तरीके से माराता हूँ मैं लोगो को. मरने वालो को फकर होना चाहिए की वो मेरी आर्ट का हिस्सा हैं. देखा ना तुमने कितने हसीन तरीके से मारा था मैने उष आदमी को. क्या पोज़ बना था कसम से. उष्का लंड तेरी चुत में था. तू उसके नीचे थी. मैने पीछे से आकर उष्की गर्दन काट दी. लंड तो घुस्सा दिया था उसने तेरी चुत में पर एक भी धक्का नही लगा पाया बेचारा. रेप करना ग़लत बात है. यही सीखया मैने उष आर्टिस्टिक कटाल में. सबको सीख मिलेगी इसे से. अब तुम बताओ की क्या लेना चाहोगी तुम चुत में, लंड या चाकू. जल्दी बताओ वरना मैं खुद डिसाइड कर लूँगा. और मेरा डिसिशन तुम्हे अछा नही लगेगा.”
निशा कराती भी तो क्या कराती. उसने रोते हुवे साएको के लिंग पर हाथ रख दिया.
“बोलेगा कौन, तेरा बाप बोलेगा क्या?”
“लंड” निशा रोते हुवे बोली.
“तेरे जैसी बेशरम लड़की नही देखी मैने आज तक. पहले तो अपनी कुँवारी चुत में उष आदमी का ले लिया अब मेरा लेना चाहती है. तू तो एक ही दिन में रंडी बन गयी. तेरी चुत में चाकू ही जाएगा समझ ले. तेरे जैसी बेशरम लड़की की चुत में लंड नही डालूँगा मैं. तेरी चुत में जब चाकू जाएगा तो कुछ अलग ही आर्ट बनेगी हे…हे…हे. लेकिन अभी इंतेज़ार करना होगा. तेरे बदले में प़ड़्मिनी को माँगा है मैने. इसे साली प़ड़्मिनी ने देख लिया था मुझे. लेकिन तब से मैं होशियार हूँ. नकाब पहन के रखता हूँ मैं अब. मेरे जैसे आर्टिस्ट गुमनाम ही रहे तो ज़्यादा अछा है. क्यों सही कह रहा हूँ ना मैं.”
“जब ये प़ड़्मिनी तुम्हे मिल जाएगी तो तुम मुझे चोद दोगे ना.” निशा ने शूबक्ते हुवे पूछा.
“मेरी ओरिजिनल गेम मैं किशी से डिसकस नही कराता. उष आदमी को ये पता था की वो रेप करेगा तो बच जाएगा. लेकिन मेरी गेम ये थी के जैसे ही वो तेरी चुत में लंड डालेगा मैं उष्की गर्दन काट दूँगा. बहुत बारीकी का काम है ये आर्ट. हर किशी के बास्की नही है. एक बार बस प़ड़्मिनी मिल जाए. तुम्हारे साथ क्या होगा सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ….हे…हे…हे.” साएको बहुत ही भयानक तरीके से हँसने लगा.
“अगर तुम्हारा मन है तो कर लो प्लीज़ पर मुझे मत मारो. मैं मारना नही चाहती.” निशा ने कहा. उशके चेहरे पर दर सॉफ दीखाई दे रहा था.
“यही तो वो ख़ौफ़ है जो की खूबशुरआत है. मज़ा आ गया यार. आती शुनदर.”
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शालिनी बहुत परेशान हालत में थी. उसे बार-बार फोन आ रहे थे उपर से. उष्की तो जान पर बन आई थी. बहुत ज़्यादा पोलिटिकल प्रेशर था शालिनी पर. सीनियर ऑफीसर भी खूब दाँत रहे थे. उष पर यही दबाव बनाया जा रहा था की प़ड़्मिनी को चुपचाप उसे शोनप दिया जाए और एंपी की बेटी को बचा लिया जाए. वविप की बेटी की जींदगी ज़्यादा कीमती थी एक आम सहरी के मुक़ाबले.
शालिनी ने राजू को फोन लगाया.
“जी मेडम बोलिए.”
“कैसा चल रहा है वाहा राजवीर.”
“सब ठीक है मेडम. मैं ऑफीस के बाहर बैठा हूँ. मेरी नज़र है ऑफीस पर.”
“ऑफीस पर नज़र रख कर क्या करोगे बेवकूफ़. प़ड़्मिनी के पास रहो. उष पर नज़र होनी चाहिए तुम्हारी. बात बहुत सीरीयस होती जा रही है.”
“क्या बात है मेडम आप इतनी परेशान क्यों लग रही है.”
“परेशानी की बात ही है.” शालिनी राजू को सारी बात बताती है.
“ओह गोद. इसे साएको की तो हिम्मत बढ़ती ही जा रही है.”
“जब पुलिस कुछ कर ही नही पाती उष्का तो यही होगा. तुम बहुत सतर्क रहो.”
“मेडम क्या हम प़ड़्मिनी जी को उष बेरहम साएको को सोनप देंगे.”
शालिनी कुछ नही बोली. उशके पास कोई जवाब ही नही था.
“अगर ऐसा हुवा मेडम तो मैं तो ये नौकरी चोद दूँगा अभी. नही चाहिए ऐसी नौकरी मुझे.” राजू भावुक हो गया.
“पागलो जैसी बाते मत करो. ये वक्त है ऐसी बाते करने का. अभी कुछ डिसाइड नही किया मैने. और एक बात शन लो. इश्त्ीफ़ा दे दूँगी मैं भी अगर उष साएको के आगे झुकना पड़ा तो. तुम सतर्क रहो वाहा. ये साएको बहुत ख़तरनाकहनेल, खेल रहा है”
“मैं सतर्क हूँ मेडम आप चिंता ना करो.”
जैसे ही राजू ने फोन रखा उसे ऑफीस के गाते से प़ड़्मिनी आती दीखाई दी. राजू की आँखे ही चिपक गयी उष पर. एक तक देखे जा रहा था उष्को. देखते देखते उष्की आँखे चालक गयी, “मैं आपको कुछ नही होने दूँगा प़ड़्मिनी जी. कुछ नही होने दूँगा.”
प़ड़्मिनी अपनी कार से कुछ लेने आई थी. कुछ ज़रूरी काग़ज़ पड़े थे कार में. वो काग्ज़ा ले कर जब वापिस ऑफीस की तरफ मूडी तो उसने राजू को अपनी तरफ घूराते देखा. बस फिर क्या था शोले उतार आए आँखो में. तुरंत आई आग बाबूला हो कर राजू के पास. राजू की तो हालत पतली हो गयी उसे अपनी और आते देख.
“समझते क्या हो तुम खुद को. क्यों घूर रहे थे मुझे. तुम्हे यहा मेरी शूरक्षा के लिया रखा गया है. मुझे घूर्ने के लिए नही. तुम्हारी शिकायत कर दूँगी मैं तुम्हारी मेडम से.”
राजू कुछ बोल ही नही पाया. वो वैसे भी भावुक हो रहा था उष वक्त प़ड़्मिनी के लिए. प़ड़्मिनी की फटकार ऐसी लग रही थी जैसे की कोई फूल बरसा रहा हो उष पर. बस देखता रहा वो प़ड़्मिनी को.
“बहुत बेशरम हो तुम तो. अभी भी देखे जा रहे हो मुझे.” प़ड़्मिनी ने गुस्से में कहा.
राजू को होश आया, “ओह सॉरी प़ड़्मिनी जी. आप मुझे ग़लत समझ रही हैं.”
“ग़लत नही मैं तुम्हे बिल्कुल सही समझ रही हूँ. इसे तरह टकटकी लगा कर मुझे घूर्ने का मतलब क्या है.”
“आस्प साहिबा ने कहा था की आप पर नज़र रखूं. सॉरी आपको बुरा लगा तो.”
“आगे से ऐसा किया तो खैर नही तुम्हारी.” प़ड़्मिनी ने कहा और चली गयी.
“वो दाँत रहे थे हमको हम समझ नही पाए
हमें लगा वो हमको प्यार दे रहे हैं.” खुद-ब-खुद राजू के होंटो पर ये बोल आ गये.
राजू प़ड़्मिनी को जाते हुवे देख रहा था. उष्की हिरनी जैसी चाल राजू के दिल पर शीतम ढा रही थी.
“काश कह पाता आपको अपने दिल की बात. पर जो बात मुमकिन नही उसे कहने से भी क्या फ़ायडा. भगवान आपको सही सलामत रखे प़ड़्मिनी जी. मेरी उमर भी लग जाए आपको. आप सब से यूनीक हो, अलग हो. आपकी बराबरी कोई नही कर सकता. गोद ब्लेस्स उ.”
4 दिन का वक्त दिया था साएको ने प़ड़्मिनी को शॉंपने के लिए. पुलिस महकमे में अफ़रा तफ़री मची हुई थी. बहुत कोशिस की गयी साएको को ट्रेस करने की लेकिन कुछ हाँसिल नही हुवा. शालिनी सबसे ज़्यादा प्रेशर में थी. प्रेशर की बात ही थी. उसे हिघ्र अतॉरिटीस से तरह तरह की बाते शन-नि प़ड़ रही थी.
राजू प़ड़्मिनी को लेकर बहुत चिंतित था. सारा दिन वो पूरी सतर्कता से ऑफीस के बाहर बैठा रहा. शाम के वक्त वो प़ड़्मिनी के साथ उशके घर आ गया. 24 घंटे साथ जो रहना था उसे प़ड़्मिनी के.
“प़ड़्मिनी जी आप किशी बात की चिंता मत करना. मैं हूँ ना यहा हर वक्त.”
“तुम हो तभी तो चिंता है…” प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
“कुछ कहा आपने?”
“कुछ नही….” प़ड़्मिनी कह कर घर में घुस्स गयी. राजू अपनी जीप में बाहर बैठ गया. चारो कॉन्स्टेबल्स को उसने सतर्क रहने के लिए बोल दिया.
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रात के 10 बाज रहे थे और एक ट्रेन देहरादून की तरफ बढ़ रही थी. सुबह 7 बजे तक ही पहुँच पाएगी ट्रेन देहरादून.
एक हसीन सी लड़की कोई 21 साल की अपनी सीट पर बैठ कर नॉवाले पढ़ रही थी. नॉवाले का नाम था ‘थे टाइम मशीन‚. अकेली थी वो एसी-2 के उष बर्त में. खोई थी नॉवाले में पूरी तरह. अचानक ट्रेन रुकी और मामला बिगड़ गया. ढेर सारा सामान लेकर आ गया एक लड़का. कोई 25-26 साल का था दिखने में.
“अफ इतना सारा समान कहा अड्जस्ट होगा. एक बेग मैं चोद सकता था. ट्रेन चल पड़ी और वो लड़का समान अड्जस्ट करने में लग गया. बहुत तूफान मचा रखा था उसने बर्त में.
“एक्सक्यूस मे. यहा कोई और भी है. यू अरे डिसटरबिंग मे.”
“आप पे तो सबसे पहले नज़र गयी थी. सॉरी समान ज़्यादा था. हो गया अड्जस्ट अब. प्लीज़ कंटिन्यू वित युवर नॉवाले. बाये थे वे ई आम रोहित. रोहित पांडे. देहरादून जा रहा हूँ. क्या आप भी वही जा रही हैं.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 29
“बहुत अछा लगा. एक बार फिर से करना पड़ेगा तुम्हे.”
“करूँगा ज़रूर करूँगा. एक बात काहु”
“हन कहो.”
“काश तुम पर ही दिल आ जाता मेरा. तुम अछी लड़की हो.” मोहित ने कहा.
“अगर ऐसा होता तो मैं सब कुछ चोद देती तुम्हारे लिए. पर प्यार कहा अपनी किशमत में. अपनी किशमत में तो लंड के धक्के लिखे हैं.”
“शादी कब कर रही हो तुम.”
“शादी और मैं, ये सवाल मत पूछो तुम.”
“क्यों क्या हुवा, शादी की उमर तो है तुम्हारी. शादी नही करना चाहती क्या. या फिर यू ही मज़े लॉगी तुम”
“तुम नही समझोगे रहने दो”
“क्या बात है बताओ तो” मोहित ने उत्शुकता से पूछा.
“दहेज के लिए पैसा कहा है बापू के पास जो शादी होगी. वैसे भी मेरा मन नही है शादी करने का. मेरी बहन पूजा की शादी हो जाए बस कही अछी जगह. उशी के लिए ड्यूवा कराती हूँ. बापू हम दोनो का बोझ नही उठा सकते मोहित. एक की ही शादी हो सकती है. और मैं चाहती हूँ की पूजा का घर बस जाए. मेरा क्या है…मेरा चरित्रा तो बीवी बन-ने लायक रहा भी नही है. क्यों किशी को धोका डू.” कहते-कहते नगमा की आँखे भर आई थी.
मोहित नगमा के उपर था और अभी भी उसमें समाया हुवा था. वो तो नगमा को देखता ही रह गया. उसने नगमा के होंटो को किस किया और बोला, “मुझे नही पता था की नगमा ऐसी बाते भी कर सकती है.”
“मैं क्या इंसान नही हूँ” नगमा ने सवाल किया.
“मेरा वो मतलब नही है.”
“निकाल लो बाहर मोहित. थोड़ा सा भावुक हो गयी हूँ. मन हुवा तो थोड़ी देर में करेंगे.” नगमा ने कहा.
“ओह हाँ सॉरी….” मोहित ने लिंग बाहर खींच लिया.
“मुझे गर्व है खुद पे की मैने तुम्हारे साथ संभोग किया नगमा.” मोहित ने कहा.
दोनो एक दूसरे से लिपट गये और खो गये कही अपने बीच उभरे जजबातो में. दोनो लिपटे ही रहे कुछ कर नही पाए बाद में. शायद एक दूसरे से लिपटे रहना ज़्यादा अछा लग रहा था दोनो को.
“नगमा मैं तो तुम्हे बहुत बुरी समझता था. लेकिन आज मेरा नज़रिया बदल गया.” मोहित ने कहा.
“बुरी तो मैं हूँ ही. तुम ठीक ही समझते थे. जानते तो हो ही मेरे बड़े में सब.” नगमा ने कहा.
“हन जानता हूँ. पर तुम्हारा ये जजबाती रूप नही देखा था मैने. तुम उतनी बुरी नही हो जितना मैं समझता था. तुम अछी लड़की हो.”
“अची हूँ तो क्या प्यार कर सकते हो मुझसे” नगमा ने मोहित की आँखो में झाँक कर पूछा.
“चाहने लगा हूँ किशी और को वरना कर लेता तुझे प्यार.” मोहित ने कहा.
“अछा चोदा उष्का नाम तो बताओ, कौन है वो, कहा रहती है, क्या कराती है. कुछ तो बताओ.”
“अभी कुछ नही बता सकता…सॉरी…अछा ये बता तेरा बापू कहा चला जाता है बार-बार…काम पर ध्यान देगा वो तो अछा कमा लेगा.”
“छोटी सी पॅयन की दुकान है बापू की. क्या कमाएँगे. गाँव में खेत है छोटा सा उष्की देख रेख के लिए जाते रहते हैं वो.”
“ह्म…चल चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.”
“तुम्हारे लंड में हरकत हो रही है, कुछ करने का मन है क्या?” नगमा ने मोहित से पूछा.
“मान कैसे नही होगा तू इतने पास जो पड़ी है.” मोहित ने कहा.
“आ जाओ फिर. मुझे गम भुलाने के लिए एक तूफान की ज़रूरात है. मचा दो तूफान मेरे अंदर.” नगमा ने कहा.
मोहित का लंड ये शुंते ही फूँकारे मारने लगा. वो नगमा के उपर आ गया और लंड को उष्की चुत पर रख दिया. “डाल दु एक झटके में.”
“जैसे मर्ज़ी करो मुझे बस एक तूफान चाहिए हमारे बीच.”
ये शुंते ही मोहित ने एक झटके में पूरा लंड नगमा की चुत में डाल दिया. नगमा कराह उठी, “आआहह”
“पहले से ज़्यादा अछी एंट्री दी है चुत ने तुम्हारी…क्या कारण है.”
“प्यारी बाते करके कर रहे हैं ना हम शायद इश्लीए. करो ज़ोर ज़ोर से मैं खो जाना चाहती हूँ आआअहह”
कमरे में वाकाई में तूफान आ गया था. नगमा ने मोहित की कमर में अपने नाख़ून गाड़ दिए थे उत्तेजना में. मोहित इतने जोरो से लंड ढकैयल रहा था नगमा की चुत में की बेड भी चार-चार की आवाज़ करने लगा था.
तूफान जब थमा तो दोनो यू ही एक दूसरे में समाए हुवे चुपचाप पड़े रहे. कब नींद आ गयी पता ही नही चला उन्हे.
…………………………………………………………
राजू ने थाने पहुँच कर चौहान से प़ड़्मिनी के लिए 2 और कॉन्स्टेबल की माँग की जो उसे ऑफीस से घर और घर से ऑफीस छोड़ेंगे.
“जिन्हे ऑफीस के बाहर लगाया है वो ही प़ड़्मिनी के साथ चले जाया करेंगे. इसमे दिक्कत क्या है.”
“बिल्कुल ठीक है सिर. मैं ज़रा आस्प साहिबा से मिल अओन.” राजू ने कहा.
“बिल्कुल मिल आओ. हम तो दूर ही रहते हैं ऐसी कयामत से.”
राजू शालिनी के कमरे में आता है.
“मिल गयी रिवॉलव तुम्हे?” शालिनी ने पूछा.
“मिल गयी मेडम, थॅंक यू वेरी मच. मेडम आपसे कुछ बात करनी थी.”
“तोड़ा बिज़ी हो…बहुत ज़रूरी हो तो बोलो.” शालिनी ने कहा.
“मेडम…साएको के बड़े में है ये.”
“क्या है…बैठो और बताओ क्या बात है.”
“मेडम मैने नोट किया है की साएको ने अधिकतर वारदात जंगल के आस-पास ही की है.”
“आज की वारदात का पता चला तुम्हे.”
“नही मेडम क्या हुवा.”
“प़ड़्मिनी के ऑफीस के ठीक बाहर मुर्दूर हुवा है कल कहा रहते हो तुम. ऐसे ही करोगे क्या नौकरी.”
“क्या! मुझे ये किशी ने नही बताया.” राजू ने कहा.
“आस पास क्या हो रहा है उष्की खबर रखना तुम्हारी ड्यूटी है. ऐसे बेख़बर रहोगे तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे.”
राजू का तो चेहरा ही उतार गया.
“मुझे लगता है वो साएको प़ड़्मिनी के लिए ही आया था वाहा. लेकिन किशी कारण वश वो प़ड़्मिनी को नुकसान नही पहुँचा सका.”
“इश्का मतलब प़ड़्मिनी जी को और ज़्यादा प्रोटेक्षन की ज़रूरात है.”
“बिल्कुल. आज से तुम उशके साथ 24 घंटे रहोगे. प़ड़्मिनी की रक्षा करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है अब. मैने प़ड़्मिनी को भी बता दी है ये बात. पता नही वो क्यों कह रही थी की तुम्हारी जगह किशी और को रखा जाए उशके साथ. लेकिन कुछ कार्नो से मुझे किशी और पर विश्वास नही है अभी.”
“ऐसा क्यों मेडम?”
“जो गोली चलाई थी उष साएको ने मेरी तरफ सड़क पर वो पुलिस महकमे की है. वो गोली जीप में घुस्स गयी थी. जाँच कराई मैने उष्की.”
“ये तो बहुत गंभीर बात है मेडम. आपने इतनी बड़ी बात मुझे बताई. क्या आपको विश्वास है मुझ पर.”
“है लेकिन अगर तुम ऐसे बेख़बर रहोगे तो विश्वास खो दोगे मेरा. बहुत अलर्ट रहने की ज़रूरात है तुम्हे.”
“समझ गया मेडम.”
“जाओ अब से तुम्हारी ड्यूटी बस प़ड़्मिनी की प्रोटेक्षन की है. उष्का जींदा रहना ज़रूरी है अगर साएको को पकड़ना है तो.”
“वो जींदा रहेंगी तभी मैं भी जींदा रहूँगा.” राजू बहुत धीरे से बोला.
“कुछ कहा तुमने?”
“नही मेडम, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं चालू.”
“हन जाओ. और हाँ सारे कॉन्स्टेबल जो प़ड़्मिनी की शूरक्षा के लिए लगे हैं वो सब तुम्हारे अंदर हैं अब. दो युवर जॉब प्रॉपर्ली वरना.”
“सस्पेंड नही होना मुझे…. समझ गया मैं मेडम.” राजू ने कहा.
“ओक तन दो युवर ड्यूटी.” शालिनी ने कहा.
“थॅंक यू मेडम” राजू बाहर आ जाता है.
“प़ड़्मिनी जी के साथ 24 घंटे. इसे से अछा कुछ नही हो सकता मेरे लिए. पर प़ड़्मिनी जी पता नही कैसे लेंगी इसे बात को.” राजू थाने से बाहर निकलते हुवे सोच रहा है.
राजू जीप में बैठा प़ड़्मिनी के ऑफीस की तरफ बढ़ रहा था. “इश् वक्त तो ऑफीस में ही होंगी प़ड़्मिनी जी. पता नही कैसे रिक्ट करएंगी मुझे देख कर. पर ये गोली वाला मसला तो बहुत गंभीर है. मडड़म साहिबा का मतलब क्या था. क्या साएको पुलिस वाला? या फिर वो ब्लॅक मार्केट से पुलिस की गोलिया खड़ीद कर पुलिस पर ही बरसा रहा है. गोली पुलिस महकमे की होने से ये साहबित नही होता की वो पुलिस वाला है. लेकिन जो भी हो ये मुद्दा है बहुत गंभीर. मुझे अलर्ट रहना होगा. मेरे होते हुवे प़ड़्मिनी जी को कोई भी ज़रा सा भी नुकसान नही पहुँचा सकता.”
प़ड़्मिनी के ऑफीस पहुँच कर राजू एक कॉन्स्टेबल से पूचेटा है. “कहा हुवा खून कल रात.”
“सिर जहा आप खड़े हैं बिल्कुल यही मिली थी लाश.”
“क्या! यहा.” राजू तुरंत वाहा से हट जाता है.
“तुम लोगो ने देखा कुछ?” राजू ने पूछा.
“सिर उन मेडम के जाने के बाद हम भी चले गये थे. हमने कुछ नही देखा.”
“ह्म…मेरी ड्यूटी भी अब मेडम को प्रोटेक्ट करने की है. मुझे बताए बिना इधर उधर मत जाना. मेरा मोबाइल नो ले लो. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे कॉल करना.”
“जी सिर बिल्कुल” दोनो कॉन्स्टेबल्स ने जवाब दिया.
राजू ने ऑफीस के बाहर अछी तरह मूवाईना किया. पहले तो प़ड़्मिनी के कारण ऑफीस के अंदर जाने की उष्की हिम्मत नही हुई. लेकिन फिर वो हिम्मत करके घुस्स ही गया. “कोई और रास्ता है ऑफीस में घुसने का.” राजू ने चौकीदार से पूछा.
“नही साहिब बस यही एक रास्ता है जहा से आप आए हैं.”
“पीचली तरफ तो कोई गाते नही है ना.” राजू ने पूछा.
“नही साहिब पीछे कोई गाते नही है”
प़ड़्मिनी एक फाइल हाथ में लिए अपने बॉस के कॅबिन की तरफ बढ़ रही थी. सामने से राजू चौकीदार से बाते कराता हुवा आ रहा था. दोनो का ध्यान एक दूसरे पर नही गया. टक्कर हो ही जाती वो तो आखड़ी आंटीेंट पर प़ड़्मिनी ने देख लिया राजू को. “तुम ऑफीस में क्या कर रहे हो?”
“प़ड़्मिनी जी आपकी शूरक्षा के लिए मूवाईना कर रहा था ऑफीस का मैं. देख लिया मैने सब कुछ. यहा अंदर कोई ख़तरा नही है आपको. बाहर हम हैं ही.”
“अची बात है, इश्का मतलब तुम बाहर ही रहोगे. शूकर है….” प़ड़्मिनी ने कहा.
“हन मैं बाहर ही रहूँगा, कोई भी बात हो तो आप तुरंत फोन करना मुझे.”
“हन ये ठीक है. बाहर ही रहो तुम. अंदर मत आना बार-बार ऑफीस के काम में डिस्टर्बेन्स होती है.”
“आप चिंता ना करो प़ड़्मिनी जी. मेरी वजह से कोई परेशानी नही होगी आपको.”
राजू बाहर आ गया ऑफीस से और ऑफीस के सामने खड़ी अपनी जीप में बैठ गया.
“बहुत शुनदर लग रही थी आज भी प़ड़्मिनी जी. चेहरे पर गुस्सा था मुझे देख कर. भगवान हसीन लोगो को इतना गुस्सैल क्यों बनाते हैं.”
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अंधेरा था चारो तरफ. घनघोर अंधेरा. उष्की आँख खुली तो वो बहुत घबरा गयी. पहले तो उसे लगा की ये एक सपना है मगर नही ये सपना नही था. वो अंधेरे में हाथ माराते हुवे उठ गयी. “कहा हूँ मैं” उसने सोचा.
वो अंधेरे में हाथ माराते हुवे इधर उधर भटक रही थी. अचानक वो किशी से टकरा गयी. “क…क…कौन है” और वो वाहा से पीछे हट गयी.
“पहले तुम बताओ तुम कौन हो?” उसे आवाज़ आई.
“क्या मज़ाक है ये. मैं यहा कैसे आई.”
“क्या तुम्हारी आँख भी यही खुली है. मुझे भी अभी होश आया और खुद को इसे अंधेरी जगह पाया.”
तभी एक बल्ब वाहा जगमगा उठा और कमरे में रोशनी हो गयी. दोनो की नज़र एक दूसरे पर पड़ी. लड़की जवान थी. कोई 21-22 साल की होगी. आदमी 40-45 का लगता था. उन्होने एक दूसरे को देखा और काई सवाल उनके मन में उभर आए.
“वालेकम हियर. स्वागत है आप दोनो का यहा.” कुर्सी पर बैठा नकाब पॉश बोला.
दोनो ये शन कर हैरान रह गये. उन्हे लगा था की वो दोनो वाहा अकेले हैं.
“कौन हो तुम भाई और हमे यहा क्यों लाया गया है.” आदमी ने पूछा.
“साएको किल्लर से उष्की पहचान पूचेटे हो. ज़्यादा सवाल करोगे तो अभी काट डालूँगा.”
दोनो ये शुंते ही तर तर काँपने लगते हैं.
“क्या चाहते हैं आप हुंसे?” आदमी ने पूछा.
“इश् लड़की का रेप करो. ये लड़की बचने को कोशिस करेगी. तुम रेप करने में कामयाब रहे तो तुम्हे चोद दूँगा और इसे लड़की को काट डालूँगा. अगर ये तुम्हारे रेप आततेंट से बच जाएगी तो इशे यहा से जाने दूँगा और तुम्हे काट डालूँगा. सिंपल सी गेम है चलो शुरू हो जाओ.” साएको ने कहा.
दोनो ये शन कर भोंचके रह गये. “ये क्या बकवास है, तुम ऐसा नही कर सकते हमारे साथ.” लड़की ने कहा.
“एक घंटे का वक्त है तुम दोनो के पास ये गेम खेलने का. नही खेलोगे तो दोनो मरोगे. खेल में एक की जान बच सकती है.” साएको ने कहा.
“देखो मैं ऐसा नही कर सकता…प्लीज़ हमें जाने दो.”
साएको ने बंदूक निकल ली और आदमी को निशाना बनाया.
“रूको….मैं कोशिस करूँगा.” आदमी ने कहा.
“वॉट! तुम मेरा रेप करोगे इसे साएको से दर कर. मैं ये हरगिज़ नही होने दूँगी.”
“हा…हा…हा…हे…हे…यही तो सारी गेम है. ये लड़की तो बड़ी जल्दी समझ गयी.” साएको करूराता से हंस कर बोला. “वक्त बर्बाद मत करो वरना दोनो मारे जाओगे.”
आदमी लड़की के पास आया और उसे दबोच लिया, “मुझे यहा से जींदा निकलना है.”
लड़की ने उसे ज़ोर से धक्का मारा और वो दूर जा कर गिरा. “पागल मत बनो. ये वैसे भी हमें छोड़ने वाला नही है.”
लेकिन आदमी उठ कर इसे बार बुरी तरह टूट पड़ा लड़की पर. उसने इतना मारा उसे की वो गिर गयी ज़मीन पर .”मुझे माफ़ करना पर मैं मारना नही चाहता”
लड़की जीन्स पहने थी. आदमी ने जीन्स के बतन खोल कर जीन्स नीचे सरका दी.
“नही रुक जाओ. पागल मत बनो. ई आम वर्जिन. ऐसा मत करो.”
आदमी ने चार पाँच थप्पड़ जड़ दिए लड़की के मूह पर. “समझने की कोशिस करो मैं मारना नही चाहता.
“बहुत खूब. तुम यहा से बाहर ज़रूर निकलोगे.” साएको ने कहा.
आदमी ने जीन्स निकाल दी लड़की की और उष्की पेंटी भी खींच कर फुर्ती से उशके शरीर से अलग कर दी. उसने अपने लंड को बाहर निकाला और लड़की की टांगे फैला कर……………………………
“आआअहह नहियीईईईईईईईईईई” लड़की दर्द से कराह उठी.
लेकिन अगले ही पल वो आदमी भी दर्द से छील्लाया.
“ओह…नो.” उष्की गर्दन में चाकू गोंप दिया था साएको ने.
लड़की ने ये सब अपनी आँखो से देखा. इतना शॉक लगा उसे की वो बेहोश हो गयी.
“ये काम अछा है. शिकार को यहा लाओ उठा कर और आराम से जब मन करे काट डालो. ये लड़की तो बेहोश हो गयी शायद. बहुत काम आएगी ये….हे…हे…हे”
………………………………………………………….
शालिनी अपने कमरे में फोन पर बात कर रही थी. वो बहुत परेशान लग रही थी. फोन रख कर उसने बेल बजाई.
“जी मेडम”
“इनस्पेक्टर चौहान को बुलाओ जल्दी.” शालिनी ने कहा.
“जी मेडम”
चौहान भागा भागा आता है.
“एस मेडम. आपने बुलाया.”
“हमारे यहा से जो एंपी हैं उनकी बेटी निशा को अगवा कर लिया है साएको ने और डिमॅंड की है की प़ड़्मिनी को उसे शोनप दिया जाए वरना वो मार डालेगा निशा को.”
“अफ नाक में दम कर रखा है इसे साएको ने.” चौहान ने कहा.
“हम अपना काम ठीक से नही करेंगे तो यही होगा. कल जंगल में एक घंटे में पहुँची पुलिस. निक्कममे हो तुम सब लोग.”
“सॉरी मेडम पर सब को एक्कथा करने में वक्त भी तो लगता है.”
“मैं कुछ नही शन-ना चाहती. जाओ ये पता करो की फोन कहा से किया उष साएको ने एंपी के घर. कुछ करो वरना हम सबकी नौकरी ख़तरे में है.”
“आप फिकर ना करें मेडम, मैं पूरी कोशिस करूँगा. मुझे इज़ाज़त दीजिए.” चौहान ने कहा.
“ठीक है जाओ और कुछ रिज़ल्ट्स लाओ.” शालिनी ने कहा.
चौहान के जाने के बाद शालिनी सर पकड़ कर बैठ गयी. “मेरे यही होना था ये सब.”
“निशा…मेरी प्यारी निशा…उठ जाओ कब से इंतेज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा. उठो ना.” साएको निशा के पास बैठा बोल रहा था.
निशा को बहुत गहरा सदमा लगा था और वो अभी भी बेहोश ही थी. साएको बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था की वो उठ जाए.
साएको ने निशा की नंगी टाँगो पर हाथ रखा और बोला, “उठो निशा और मुझे तुम्हारी आँखो में ख़ौफ़ दीखाओ. बहुत हसीन ख़ौफ़ है तुम्हारा. जब मैने लाइट जलाई थी तो बहुत शुनदर ख़ौफ़ था तुम्हारे चेहरे पे. ऐसा शुनदर ख़ौफ़ बहुत कम देखा है मैने. उठो और मुझे दीदार करने दो तुम्हारे ख़ौफ़ का.”
जैसी की ये खौफनाक बाते शन ली निशा ने और उष्की आँख खुल गयी. लेकिन साएको को पास खड़े देख उष्की टांगे तर तर काँपने लगी. बहुत ज़्यादा डारी हुई थी वो.
“उठ गयी मेरी प्यारी निशा…गुड. अब मज़ा आएगा.”
“मुझे चोद दो प्लीज़. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.” निशा रो पड़ी.
“मेरा कोई कुछ बिगाड़ भी नही सकता. अगर इसे हिसाहब से चलूँगा तो किश को कातूंगा मैं. बात को समझने की कोशिस करो.”
निशा ने गौर किया की वो उष जगह नही है जहा उष्की आँख खुली थी. वाहा तो कमरे में कोई बेड नही था. लेकिन अब वो बेड पर पड़ी थी और साएको उशके पास खड़ा था. कमरा उष पहले वाले कमरे से कुछ मिलता जुलता ही था.
“क्या देख रही है चारो तरफ. चल एक गेम खेलते हैं. ये चाकू देख कितना ठीका है. अब मेरा लंड भी देख वो भी ठीका है.” साएको अपनी ज़िप खोलने लगा.
साएको ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया. लिंग पूरी तरह ठाना हुवा था.
“देख इसे लंड को. अब तुझे हाथ रख कर ये बठाना है की तू अपनी चुत में ये चाकू लेगी या फिर ये लंड लेगी. हाथ रख कर बोलना भी है. चाकू पर हाथ रखोगी तो चाकू बोलना, लंड पे हाथ रखोगी तो लंड बोलना”
“तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ. प्लीज़ मुझे जाने दो.” निशा फूट फूट कर रोने लगी.”
“आर्टिस्ट हूँ मैं आर्टिस्ट. कटाल करना भी एक आर्ट है. बहुत आर्टिस्टिक तरीके से माराता हूँ मैं लोगो को. मरने वालो को फकर होना चाहिए की वो मेरी आर्ट का हिस्सा हैं. देखा ना तुमने कितने हसीन तरीके से मारा था मैने उष आदमी को. क्या पोज़ बना था कसम से. उष्का लंड तेरी चुत में था. तू उसके नीचे थी. मैने पीछे से आकर उष्की गर्दन काट दी. लंड तो घुस्सा दिया था उसने तेरी चुत में पर एक भी धक्का नही लगा पाया बेचारा. रेप करना ग़लत बात है. यही सीखया मैने उष आर्टिस्टिक कटाल में. सबको सीख मिलेगी इसे से. अब तुम बताओ की क्या लेना चाहोगी तुम चुत में, लंड या चाकू. जल्दी बताओ वरना मैं खुद डिसाइड कर लूँगा. और मेरा डिसिशन तुम्हे अछा नही लगेगा.”
निशा कराती भी तो क्या कराती. उसने रोते हुवे साएको के लिंग पर हाथ रख दिया.
“बोलेगा कौन, तेरा बाप बोलेगा क्या?”
“लंड” निशा रोते हुवे बोली.
“तेरे जैसी बेशरम लड़की नही देखी मैने आज तक. पहले तो अपनी कुँवारी चुत में उष आदमी का ले लिया अब मेरा लेना चाहती है. तू तो एक ही दिन में रंडी बन गयी. तेरी चुत में चाकू ही जाएगा समझ ले. तेरे जैसी बेशरम लड़की की चुत में लंड नही डालूँगा मैं. तेरी चुत में जब चाकू जाएगा तो कुछ अलग ही आर्ट बनेगी हे…हे…हे. लेकिन अभी इंतेज़ार करना होगा. तेरे बदले में प़ड़्मिनी को माँगा है मैने. इसे साली प़ड़्मिनी ने देख लिया था मुझे. लेकिन तब से मैं होशियार हूँ. नकाब पहन के रखता हूँ मैं अब. मेरे जैसे आर्टिस्ट गुमनाम ही रहे तो ज़्यादा अछा है. क्यों सही कह रहा हूँ ना मैं.”
“जब ये प़ड़्मिनी तुम्हे मिल जाएगी तो तुम मुझे चोद दोगे ना.” निशा ने शूबक्ते हुवे पूछा.
“मेरी ओरिजिनल गेम मैं किशी से डिसकस नही कराता. उष आदमी को ये पता था की वो रेप करेगा तो बच जाएगा. लेकिन मेरी गेम ये थी के जैसे ही वो तेरी चुत में लंड डालेगा मैं उष्की गर्दन काट दूँगा. बहुत बारीकी का काम है ये आर्ट. हर किशी के बास्की नही है. एक बार बस प़ड़्मिनी मिल जाए. तुम्हारे साथ क्या होगा सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ….हे…हे…हे.” साएको बहुत ही भयानक तरीके से हँसने लगा.
“अगर तुम्हारा मन है तो कर लो प्लीज़ पर मुझे मत मारो. मैं मारना नही चाहती.” निशा ने कहा. उशके चेहरे पर दर सॉफ दीखाई दे रहा था.
“यही तो वो ख़ौफ़ है जो की खूबशुरआत है. मज़ा आ गया यार. आती शुनदर.”
……………………………………………………………
शालिनी बहुत परेशान हालत में थी. उसे बार-बार फोन आ रहे थे उपर से. उष्की तो जान पर बन आई थी. बहुत ज़्यादा पोलिटिकल प्रेशर था शालिनी पर. सीनियर ऑफीसर भी खूब दाँत रहे थे. उष पर यही दबाव बनाया जा रहा था की प़ड़्मिनी को चुपचाप उसे शोनप दिया जाए और एंपी की बेटी को बचा लिया जाए. वविप की बेटी की जींदगी ज़्यादा कीमती थी एक आम सहरी के मुक़ाबले.
शालिनी ने राजू को फोन लगाया.
“जी मेडम बोलिए.”
“कैसा चल रहा है वाहा राजवीर.”
“सब ठीक है मेडम. मैं ऑफीस के बाहर बैठा हूँ. मेरी नज़र है ऑफीस पर.”
“ऑफीस पर नज़र रख कर क्या करोगे बेवकूफ़. प़ड़्मिनी के पास रहो. उष पर नज़र होनी चाहिए तुम्हारी. बात बहुत सीरीयस होती जा रही है.”
“क्या बात है मेडम आप इतनी परेशान क्यों लग रही है.”
“परेशानी की बात ही है.” शालिनी राजू को सारी बात बताती है.
“ओह गोद. इसे साएको की तो हिम्मत बढ़ती ही जा रही है.”
“जब पुलिस कुछ कर ही नही पाती उष्का तो यही होगा. तुम बहुत सतर्क रहो.”
“मेडम क्या हम प़ड़्मिनी जी को उष बेरहम साएको को सोनप देंगे.”
शालिनी कुछ नही बोली. उशके पास कोई जवाब ही नही था.
“अगर ऐसा हुवा मेडम तो मैं तो ये नौकरी चोद दूँगा अभी. नही चाहिए ऐसी नौकरी मुझे.” राजू भावुक हो गया.
“पागलो जैसी बाते मत करो. ये वक्त है ऐसी बाते करने का. अभी कुछ डिसाइड नही किया मैने. और एक बात शन लो. इश्त्ीफ़ा दे दूँगी मैं भी अगर उष साएको के आगे झुकना पड़ा तो. तुम सतर्क रहो वाहा. ये साएको बहुत ख़तरनाकहनेल, खेल रहा है”
“मैं सतर्क हूँ मेडम आप चिंता ना करो.”
जैसे ही राजू ने फोन रखा उसे ऑफीस के गाते से प़ड़्मिनी आती दीखाई दी. राजू की आँखे ही चिपक गयी उष पर. एक तक देखे जा रहा था उष्को. देखते देखते उष्की आँखे चालक गयी, “मैं आपको कुछ नही होने दूँगा प़ड़्मिनी जी. कुछ नही होने दूँगा.”
प़ड़्मिनी अपनी कार से कुछ लेने आई थी. कुछ ज़रूरी काग़ज़ पड़े थे कार में. वो काग्ज़ा ले कर जब वापिस ऑफीस की तरफ मूडी तो उसने राजू को अपनी तरफ घूराते देखा. बस फिर क्या था शोले उतार आए आँखो में. तुरंत आई आग बाबूला हो कर राजू के पास. राजू की तो हालत पतली हो गयी उसे अपनी और आते देख.
“समझते क्या हो तुम खुद को. क्यों घूर रहे थे मुझे. तुम्हे यहा मेरी शूरक्षा के लिया रखा गया है. मुझे घूर्ने के लिए नही. तुम्हारी शिकायत कर दूँगी मैं तुम्हारी मेडम से.”
राजू कुछ बोल ही नही पाया. वो वैसे भी भावुक हो रहा था उष वक्त प़ड़्मिनी के लिए. प़ड़्मिनी की फटकार ऐसी लग रही थी जैसे की कोई फूल बरसा रहा हो उष पर. बस देखता रहा वो प़ड़्मिनी को.
“बहुत बेशरम हो तुम तो. अभी भी देखे जा रहे हो मुझे.” प़ड़्मिनी ने गुस्से में कहा.
राजू को होश आया, “ओह सॉरी प़ड़्मिनी जी. आप मुझे ग़लत समझ रही हैं.”
“ग़लत नही मैं तुम्हे बिल्कुल सही समझ रही हूँ. इसे तरह टकटकी लगा कर मुझे घूर्ने का मतलब क्या है.”
“आस्प साहिबा ने कहा था की आप पर नज़र रखूं. सॉरी आपको बुरा लगा तो.”
“आगे से ऐसा किया तो खैर नही तुम्हारी.” प़ड़्मिनी ने कहा और चली गयी.
“वो दाँत रहे थे हमको हम समझ नही पाए
हमें लगा वो हमको प्यार दे रहे हैं.” खुद-ब-खुद राजू के होंटो पर ये बोल आ गये.
राजू प़ड़्मिनी को जाते हुवे देख रहा था. उष्की हिरनी जैसी चाल राजू के दिल पर शीतम ढा रही थी.
“काश कह पाता आपको अपने दिल की बात. पर जो बात मुमकिन नही उसे कहने से भी क्या फ़ायडा. भगवान आपको सही सलामत रखे प़ड़्मिनी जी. मेरी उमर भी लग जाए आपको. आप सब से यूनीक हो, अलग हो. आपकी बराबरी कोई नही कर सकता. गोद ब्लेस्स उ.”
4 दिन का वक्त दिया था साएको ने प़ड़्मिनी को शॉंपने के लिए. पुलिस महकमे में अफ़रा तफ़री मची हुई थी. बहुत कोशिस की गयी साएको को ट्रेस करने की लेकिन कुछ हाँसिल नही हुवा. शालिनी सबसे ज़्यादा प्रेशर में थी. प्रेशर की बात ही थी. उसे हिघ्र अतॉरिटीस से तरह तरह की बाते शन-नि प़ड़ रही थी.
राजू प़ड़्मिनी को लेकर बहुत चिंतित था. सारा दिन वो पूरी सतर्कता से ऑफीस के बाहर बैठा रहा. शाम के वक्त वो प़ड़्मिनी के साथ उशके घर आ गया. 24 घंटे साथ जो रहना था उसे प़ड़्मिनी के.
“प़ड़्मिनी जी आप किशी बात की चिंता मत करना. मैं हूँ ना यहा हर वक्त.”
“तुम हो तभी तो चिंता है…” प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
“कुछ कहा आपने?”
“कुछ नही….” प़ड़्मिनी कह कर घर में घुस्स गयी. राजू अपनी जीप में बाहर बैठ गया. चारो कॉन्स्टेबल्स को उसने सतर्क रहने के लिए बोल दिया.
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रात के 10 बाज रहे थे और एक ट्रेन देहरादून की तरफ बढ़ रही थी. सुबह 7 बजे तक ही पहुँच पाएगी ट्रेन देहरादून.
एक हसीन सी लड़की कोई 21 साल की अपनी सीट पर बैठ कर नॉवाले पढ़ रही थी. नॉवाले का नाम था ‘थे टाइम मशीन‚. अकेली थी वो एसी-2 के उष बर्त में. खोई थी नॉवाले में पूरी तरह. अचानक ट्रेन रुकी और मामला बिगड़ गया. ढेर सारा सामान लेकर आ गया एक लड़का. कोई 25-26 साल का था दिखने में.
“अफ इतना सारा समान कहा अड्जस्ट होगा. एक बेग मैं चोद सकता था. ट्रेन चल पड़ी और वो लड़का समान अड्जस्ट करने में लग गया. बहुत तूफान मचा रखा था उसने बर्त में.
“एक्सक्यूस मे. यहा कोई और भी है. यू अरे डिसटरबिंग मे.”
“आप पे तो सबसे पहले नज़र गयी थी. सॉरी समान ज़्यादा था. हो गया अड्जस्ट अब. प्लीज़ कंटिन्यू वित युवर नॉवाले. बाये थे वे ई आम रोहित. रोहित पांडे. देहरादून जा रहा हूँ. क्या आप भी वही जा रही हैं.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 29
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“जी हन. अब डिस्टर्ब मत करना. ई आम रीडिंग.”
“ऑफ कोर्स” रोहित हंस दिया. “ह्म टाइम मशीन पढ़ रही हैं आप. गुड. ह.ग वाले्स का ये नॉवाले पीछले साल पढ़ा था मैने. बहुत इंट्रेस्टिंग है.”
लड़की ने रोहित की बातो का कोई जवाब नही दिया और नॉवाले पढ़ने में व्यस्त हो गयी. “स्टुपिड” उसने मन ही मन कहा.
“शूकर है भाई मोबाइल है. मैं भी छोटी सी भूल पढ़ता हूँ बैठ कर. आप भी पढ़िए हम भी पढ़ते हैं. रोहित बोल कर लड़की के सामने वाली सीट पर बैठ गया.
लड़की ने उत्शुकता से उष्की और देखा और बोली, “आप छोटी सी भूल पढ़ रहे हैं. किश बड़े में है ये?”
“जी हन. ये एक लड़की की कहानी है जो की छोटी सी भूल करके फँस जाती है. सिंपल सी स्टोरी है कोई ऐसी वैसी बात नही है इसमे. कॉलेज की एक लड़की एग्ज़ॅम मे ग़लती करके पचेटाती है. नकल करते पकड़ी जाती है.” रोहित झुटि कहाँिया शुना देता है. अब कैसे बताए की वो एरॉटिक स्टोरी पढ़ रहा है.
“मैने पढ़ी है ये स्टोरी.”
“क्या फिर तो आप सब जानती हैं.”
“जी बिल्कुल आपको झीजकने की ज़रूरात नही है. एक खूबशुरआत कहानी पढ़ रहें हैं आप.”
“लो जी एक और रेकमेंडेशन मिल गयी. फ.ज. बडी, जॉड भाई, और मनीष भाई के साथ आपका नाम भी जुड़ गया.”
“मैं कुछ समझी नही.”
“इन लोगो ने जातीं भाई की ये स्टोरी मुझे रेकमेंड की थी और मैं बस इशी में उलझा हुवा हूँ.”
“फिर तो वो इंट्रेस्टिंग लोग हैं.”
“कोई इंट्रेस्टिंग नही हैं. दूर रहना आप इन लोगो से. इनका कोई भरोसा नही.”
“चलिए आप पढ़िए. मुझे भी पढ़ने दीजिए.”
“आपका नाम जान सकता हूँ?”
“रीमा.” लड़की ने जवाब दिया.
“ऑम्ग कही आप रीमा थे गोलडेन गिर तो नही… ” रहित ने कहा.
“जी नही… वैसे कौन है ये?”
“आपने ये स्टोरी एकषबीई पर नही पढ़ी.”
“नही मेरी एक सहेली ने ये मुझे मैल की थी.”
“तभी…पढ़ती तो पहले ही चॅप्टर में जान जाती उष रीमा को.”
“आप पढ़िए. मैं अपना नॉवाले पढ़ना चाहती हूँ.” रीमा ने कहा.
“मैने अभी पहला चॅप्टर फिनिश किया है. कुछ डिसकस करें इसे बड़े में. आपको क्या लगता है क्या ऋतु ग़लत है. और बिल्लू के बड़े में क्या कहना है आपका.”
“आप पढ़ लीजिए आराम से. मैं अपना नॉवाले पढ़ना चाहती हूँ.”
“वैसे उष दोपहर क्या सीन बना था. बिल्लू ने बड़ी चालाकी से ऋतु को एमोशनल करके उष्की ले ली”
रीमा की तो साँसे अटक गयी ये शन के, “एक्सक्यूस मे मैं सब पढ़ चुकी हूँ. आप आगे पढ़िए ना. पहले ही चॅप्टर पे अटके रहोगे क्या.”
“ओह हाँ अब आगे ही बढ़ना है. क्या कभी आपके सामने ऐसी स्तिति आई जैसी की ऋतु के सामने आई थी.”
“क्या करेंगे जान कर. मैं अपनी पर्सनल लाइफ डिसकस नही करना चाहती. प्लीज़ अपनी कहानी पढ़िए और मुझे मेरी पढ़ने डीजजिए.”
“ओक…ओक फाइन वित मे.”
रोहित पढ़ने में खो गया. अब इतनी जबरदस्त एरॉटिका पधेगा तो भड़केगा तो है ही. पढ़ते पढ़ते उष्का हाथ अपने लिंग पर पहुँच गया और उसे सहलाने लगा.
रीमा की नज़र भी चली गयी रोहित पर और उष्की पेंट में बने तंबू पर. वो देख कर हल्का सा मुश्कुरा दी.
रोहित ने देख लिया उसे हंसते हुवे और तुरंत अपना हाथ हटा लिया अपने लिंग से.
“ओह सॉरी…ध्यान ही नही रहा की आप बैठी हैं सामने.”
“कोई बात नही होता है ऐसा.”
“तो क्या बाहर निकाल कर आराम से पढ़ लू”
“क्या मतलब?”
“कुछ नही मैं ये कह रहा था की मुझे विश्वास नही हुवा की आपने ये कहानी पढ़ी.”
“पूरी पढ़ लेंगे तो विश्वास हो जाएगा. ये मेरी फेवोवरिट स्टोरी है.”
“फिर कुछ डिसकस क्यों नही कराती आप. क्या पता ऋतु और बिल्लू की तरह हम भी…..”
“सोचिए भी मत ऐसा तो. मेरे भैया पुलिस में हैं. अंदर करवा दूँगी.”
“सॉरी सॉरी मैं तो मज़ाक कर रहा था. पर आप मेरी हालत देख कर मुश्कुरा क्यों रही थी. अब ऐसी स्टोरी पढ़ुंगा तो लंड तो खड़ा होगा ही.”
“वॉट ऐसी बाते कैसे कर सकते हो तुम.”
“छोड़िए भी ये तमासा आपने क्या इसे स्टोरी में लंड शब्द को नही पढ़ा.”
“पढ़ा है पर मैं आपसे क्यों शुणु ये सब.”
“पढ़ लीजिए आप अपनी कहानी. मेरी हालत पर हँसना मत दुबारा. वरना आपके हाथ में पकड़ा दूँगा निकाल कर.”
“अछा ऐसे मसलूंगी की दुबारा नही पकड़ाओगे किशी को.”
“ये चॅलेंज है क्या? मुझे चॅलेंज बहुत अछा लगता है.”
“कुछ भी समझ लो.” रीमा मुश्कुरा कर बोली.
“पता नही क्या मतलब है इश्कि बात का. कही सच में ना कीमा निकाल दे मेरे बेचारे लंड का.” रोहित सोच में प़ड़ गया.
रीमा अपने नॉवाले में खो गयी. रोहित भी वापिस अपनी कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गया.
पर रीमा बार बार रोहित की तरफ देख कर मुश्कुरा रही थी.
“क्या करूँ यार ये तो हंस रही है देख कर. पकड़ा दु क्या इशके हाथ में. क्या करूँ.” रोहित सोच रहा था.
“कौन सा सीन चल रहा है.” रीमा ने पूछा.
“क्या करेंगी जान कर. कुछ डिसकस करना है नही आपको. रहने दीजिए.”
“वैसे ही पूछ रही थी. कीप रीडिंग.”
“लगता है ये लड़की दीखवा कर रही है. मारी जा रही है डिसकस करने के लिए पर करना नही चाहती. कुछ करना पड़ेगा इश्का.”
रोहित उठा और बेट से बाहर जाने लगा.
“क्या हुवा…” रीमा ने पूछा.
“कुछ नही…मुझे आपके सामने नही बैठा. कही और जा कर पढ़ता हूँ कहानी. आप तो हँसे जा रही हैं. क्या लंड खड़ा नही होगा ऐसी कहानी पढ़ कर. क्या आपकी गीली नही हुई थी पढ़ते वक्त.”
“जैसी आपकी मर्ज़ी…सॉरी अगर मैने आपको डिस्टर्ब किया तो.”
रोहित, रीमा के पास बैठ गया और बोला, “सॉरी की बात नही है. आप हमें यू देख कर तडपा रही हैं. हम बहक गये तो संभाल नही पाएँगे खुद को.”
“अब नही देखूँगी. पढ़ लीजिए आप बैठ कर.”
“क्या हम दोनो साथ में पढ़े”
रीमा मुश्कुराइ और बोली, “मुझे क्या पागल समझ रखा है. मैं छोटी सी भूल नही करूँगी.”
रोहित ने रीमा का हाथ पकड़ लिया और बोला, भूल तो हो चुकी है आपसे मेरी तरफ हंस कर. अब ऋतु की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा.”
“यहा झाड़िया नही हैं.”
“सादे 11 बाज रहे हैं. बर्त में हम अकेले हैं. परदा लगा लेते हैं. वही माहॉल बन जाएगा.”
“अफ आप तो बहुत बड़े फ्लर्ट निकले.”
“ईमानदारी रखता हूँ. जींदगी में. लड़की की मर्ज़ी के बिना कुछ नही कराता. इज़ात कराता हूँ पूरी विमन की.”
“कोई आ गया तो. यहा 2 सीट्स खाली हैं. कोई तो आएगा इसे बर्त में.”
“जब आएगा तब धखेंगे अभी तो हम एक दूसरे में खो सकते हैं.”
“क्या आप मॅरीड हैं.”
“बस 26 का हूँ अभी. अभी मेरे हँसने खेलने के दिन है. शादी नही करना चाहता अभी. क्या आप मॅरीड हैं.”
” मैं 20 की हूँ. क्या शादी शुदा लगती हूँ तुम्हे.?”
“नही नही वैसे ही पूछ रहा था. क्या आप कुँवारी हैं.”
“उष से कुछ फराक पड़ेगा क्या.”
“कुछ फराक नही पड़ेगा लेकिन किशी कुँवारी कन्या को मैं हवस के जंजाल में नही फँसा सकता. एक बार लंड ले लिया तो आदत प़ड़ जाती है. बिगड़ जाते हैं लोग.”
“जैसे आप बिगड़े हुवे हैं.”
“हन बिल्कुल. हम तो बिगड़ ही चुके हैं. किशी और को क्यों बिगाड़े. वैसे आप कुँवारी भी होंगी तो भी छोड़ने वाला नही आपको. भड़का दिया है आपके हुसान ने मुझे.”
“मेरा बॉय फ्रेंड है”
“ओक थ्ट्स मीन आप पहले ले चुकी हैं…गुड. नाउ इट्स माई तुर्न ”
“पर यहा ख़तरा है.”
“ख़तरे को मारिए गोली वो मैं संभाल लूँगा. आप ये लंड पकडीए बस.” रोहित ने रीमा का हाथ अपने तंबू पर टीका दिया.
“अफ ये तो भारी भरकम लग रहा है.”
“ऐसा कुछ नही है दारिय मत … निकाल देता हूँ आपके लिए. ये नॉवाले एक तरफ रख दीजिए अब. कुछ बहुत इंपॉर्टेंट करने जा रहे हैं हम.”
रीमा ने नॉवाले एक तरफ रख दिया. रोहित ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल लिया और उसे रीमा के हाथ में थमा दिया.
“ऑम्ग ये तो सच में बहुत बड़ा है.”
“मज़ाक मत कीजिए आप. ऐसा कुछ नही है. प्यार कीजिए इशे दारिय मत. मूह में लेती हैं तो थोड़ा चूस भी सकती हैं.”
“आप ध्यान रखो चारो तरफ. ई डोंट सक. बट तीस मॅग्निफिसेंट डिक डिज़र्व्स आ ब्लो जॉब.”
“धान्या हो गया मैं तो ये शन कर. प्लीज़ फील फ्री तो शकइट थे वे यू लीके.”
रीमा बैठे बैठे ही रोहित के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में ले लिया.
“वाउ…सिंप्ली ग्रेट. अछी एंट्री दी है मूह में मेरे लंड को…आहह” रोहित कराह उठा.
बर्ट का परदा लगा हुवा था और रीमा रोहित का लंड इतमीनान से चूस रही थी.
“अछा चूस लेती हैं आप. अब ज़रा ओरिजिनल गेम हो जाए. उतार दीजिए ये जीन्स.”
“जीन्स नही उतारुँगी मैं. कोई अचानक आ गया तो. ”
“तोड़ा सरकाना तो पड़ेगा ही. या वो भी नही करेंगी…”
रीमा मुश्कुराइ और अपनी जीन्स के बतन खोलने लगी. वो जीन्स सरका कर लाते गयी और रोहित उशके उपर आ गया.
“अफ ट्रेन में सेक्स करना बहुत मुश्किल काम है.” रोहित ने किशी तरह रीमा की टांगे उपर करके उष्की चुत पर लंड रख दिया. उसे रीमा की जीन्स परेशान कर रही थी.
“आआआअहह लगता है ये नही जाएगा.”
“जाएगा तो ये ज़रूर ये जीन्स परेशान कर रही है. आप ऐसा कीजिए घूम कर डॉगी स्टाइल में आ जाओ. जीन्स के साथ वही पोज़िशन ठीक रहेगी.”
“ठीक है…” रीमा घूम गयी सीट पर रोहित के आगे और झुक कर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
रोहित के सामने अब रीमा की शुनदर गान्ड और चुत थी. उसने गान्ड को पकड़ा और रीमा की चुत में आधा लंड घुस्सा दिया.
“म्म्म्ममममम न्न्ननणणन् इट्स पेनिंग.”
“आवाज़ धीरे रखिए कोई शन लेगा.” रोहित ने कहा और एक झटके में पूरा लंड रीमा की चुत में उतार दिया.
“आआहह… मैं छील्ला भी नही सकती..जान निकाल दी आपने मेरी.”
“तोड़ा धारया रखें रीमा जी अभी आपको अद्वित्या आनंद भी देंगे” रोहित ने चुत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
“ऊओह….एस आअहह.”
“कृपया करके ऊओह आअहह कम करें हम ट्रेन में हैं. आस पास लोग शो रहे हैं.”
“क्या करूँ आपने हालत ही ऐसी कर दी है आअहह.”
एक ट्रेन की हलचल उपर से रोहित के झटके लंड चुत में बहुत अच्छे तरीके से घूम रहा था.
रीमा तो काई बार झाड़ चुकी थी.
“अब रुक भी जाईए. या फिर देहरादून जा कर ही रुकेंगे. आपने तो रेल बना दी मेरी आअहह.”
“चलिए आपने कहा हम रुक गये…..आआआहह ऊओ” और रोहित ने अपने वीर्या से रीमा की चुत को भर दिया.
“तीस वाज़ फर्स्ट फक ऑफ माई लाइफ इन ट्रेन.” रोहित ने कहा.
“मेरी पहली और आखड़ी अब ऐसी भूल नही करूँगी. छोटी सी भूल ने मुझे ही फँसा दिया.”
रोहित ने लंड बाहर निकाला और रीमा फ़ौरन जीन्स उपर चढ़ा कर सीट पर लाते गयी.
रोहित भी उशके उपर चढ़ गया और उशके होंटो को चूम कर बोला, “ई विल ऑल्वेज़ रिमेंबर यू. अछा तुम्हारे भैया का क्या नाम है.”
“रंजीत चौहान….क्यों? ” रीमा ने जवाब दिया.
“कुछ नही वैसे ही पूछ रहा था…एक बार और खेल सकते हैं हम ये गेम आप चाहें तो.”
“एक बार में ही जान निकाल दी मेरी. दुबारा की गुंजायस नही है अब.”
“ओक नो प्राब्लम….कूल”
ट्रेन ठीक 7 बजे पहुँच गयी देहरादून. रोहित और रीमा ने ख़ुसी ख़ुसी एक दूसरे को बाये किया और अपने अपने रास्ते निकल पड़े.
ठीक 10 बजे रोहित थाने में था.
“आ गये आप?” चौहान ने कहा
“जी हाँ आ गये.”
“आस्प साहिबा आपका इंतेज़ार कर रही हैं. संभाल कर रहना कयामत है कयामत. मेरी तो जान झुटि आपके आने से. अब साएको का केस आप संभालेंगे.”
“कोई बात नही साएको को भी देख लेंगे. मैं आस्प साहिबा से मिल कर आता हूँ.”
इनस्पेक्टर रोहित पांडे शाइनी के कॅबिन की तरफ चल दिया.
“अब पता चलेफा इशे की पुलिस की नौकरी क्या होती है…रोहित पांडे हा.” चौहान बड़बड़ाया.
रोहित घुस्स गया आस्प साहिबा के कॅबिन में. शालिनी फोन पर व्यस्त थी. रोहित चुपचाप अंदर आ कर उनकी टेबल के सामने खड़ा हो गया. शालिनी ने फोन पटका और बोली, “एस हू अरे यू.”
“ई आम रोहित मेडम. रोहित पांडे…”
“ओह हन…आज ही आ गये तुम.”
“अब जब आपने मेरा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा दिया तो देर क्यू कराता आने में.”
“गुड…बैठो, मैने तुम्हारा सर्विस रेकॉर्ड देखा. मैं तुम्हे एक इंपॉर्टेंट केस देना चाहती हूँ. हॅंडल कर पाओगे.”
“बेशक मेडम आप हुकुम कीजिए, मेरा सेस्पेंसीओं अछा काम करने के कारण ही हुवा था. पॉलिटीशियन के बेटे को रेप के केस में अंदर डाल दिया था मैने. सज़ा भी दिलवाता उशे. पर मुझे अवॉर्ड तो क्या मिलता उल्टा सस्पेन्षन ऑर्डर मिल गया. पुणे चला गया था मैं तो अपने चाचा जी के पास..”
“बस बस ज़्यादा कहाँिया मत शुनाओ. मैं जानती हूँ सब तभी तुम्हे वापिस लिया गया है महकमे में.”
“बहुत कड़क है भाई ये तो.” रोहित ने सोचा.
“साएको किल्लर का केस अब से तुम हॅंडल करोगे. और मुझे रिज़ल्ट्स चाहिए. बहुत दबाव है उपर से.”
“ई विल दो माई बेस्ट मेडम. आपको निरास नही करूँगा.” रोहित ने कहा.
“जाओ जाकर चौहान से सारा केस रेकॉर्ड ले लो. उष साएको ने एंपी की बेटी को अगवा कर रखा है और बदले में प़ड़्मिनी को माँग रहा है. हुमैन एंपी की बेटी को भी शूरक्षित छुड़ाना है और प़ड़्मिनी को भी उसे नही सोंपना. अब तुम देखो तुम क्या कर सकते हो. मुझे जल्द से जल्द वो साएको सलाखो के पीछे चाहिए.”
“मुझे उम्मीद है की आपको निरास नही करूँगा.”
“तुम्हारे पास ऑप्षन भी नही है. अगर कुछ नही कर पाए तो मैं तुम फिर से सस्पेंड हो जाओगे. इस तट क्लियर.
“सभी कुछ क्लियर हो गया अब तो.”
“गुड, नाउ गो और दो युवर ड्यूटी. और मुझे शकल तभी दीखाना जब कुछ कर लो. इस तट क्लियर.”
“सभी कुछ क्लियर है मेडम.” रोहित का गला सुख गया बोलते-बोलते.
“फाइन, यू कॅन गो नाउ.”
रोहित बाहर आया तो उशके माथे पे पसीने थे.
“बाप रे बाप…सही कहता था वो कमीना चौहान ये तो सच में कयामत है…अफ हालत खराब कर दी. ”
रोहित सीधा चौहान के कमरे की तरफ चल दिया.
“गुड मॉर्निंग सिर.”
“गुड मॉर्निंग भोलू…कैसे हो?”
“ठीक हूँ सिर. अछा लगा आपको वापिस देख कर.” भोलू ने कहा.
रोहित चौहान के कमरे में घुस्सा तो वो छाए पे रहा था.
“बैठे रहते हैं आप यहा…छाए पीते रहते है. तभी तो मुजरिम खुले आम घूम रहे हैं.” रोहित ने कहा.
“ज़्यादा बकवास तो करो मत. तुम अभी नये नये हो पुलिस में. देखता हूँ क्या करोगे. ज़्यादा ही दम है तो पाकड़ो इसे साएको को जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है.”
“केस रेकॉर्ड्स तो दे दो सारा उशके बिना क्या घंटा पाकडूँगा मैं.”
“देता हूँ…पहले छाए तो पे लू…मेरे साथ ज़्यादा पंगा मत लिया कर…बड़ी मुश्किल से बहाल हुवा है नौकरी पे. फिर से सस्पेंड हो सकते हो. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ.”
“इश्को अगर पता चल गया की मैने इश्कि बहन की ली है तो बीफ़र जाएगा ये.” रोहित ने मन में सोचा और हँसने लगा.
“क्या हुवा हंस क्यों रहे हो?” चौहान ने पूछा.
“कुछ नही आप मुझे रेकॉर्ड्स दे दो. वक्त कम है मेरे पास. कुछ नही किया तो फिर से सस्पेंड हो जवँगा.”
“वो तो तुम्हे होना ही है.” चौहान ने उठते हुवे कहा.
चौहान ने सारा रेकॉर्ड रोहित को सोनप दिया और रोहित ने बड़ी बारीकी से सब कुछ पड़ा.
“ह्म….एक बात है…इश् प्स्यको का कोई पॅटर्न नही है जिसे समझ कर हम कुछ अनॅलिसिस कर सकें. या फिर पॅटर्न है…जो समझ नही आ रहा. ये सीसी कौन हो सकता है. इतना मुश्किल केस और इतना कम वक्त. रोहित बेटा तेरी सस्पेन्षन तो फिर से पक्की है.”
रोहित सब कुछ पढ़ कर अपने कॅबिन से बाहर निकला तो उसने देखा की शालिनी चेहरे पर शिकन सी लिए अपने कॅबिन से निकल रही हैं.
रोहित की हिम्मत नही हुई शालिनी के पास जाने की. शालिनी उशके आगे सी निकली तो बोली, “स्टडी किया तुमने केस?”
“हन मेडम कर लिया.”
“चलो स्प साहिब ने बुलाया है मुझे. तुम भी साथ चलो.”
“जैसी आपकी मर्ज़ी मेडम.” रोहित ने कहा. “दाँत पड़ेगी शायद आस्प साहिबा को. क्योंकि वो कमीना दाँत-ने के लिए ही बुलाता है. बहुत दांता था एक बार बुला के मुझे सेयेल ने.”
“मेडम क्या आप मिली हैं स्प साहिब से पहले.”
“हन मिली हूँ…जब यहा जाय्न किया था तभी मिली थी. आज उन्होने पहली बार बुलाया है.”
“बुरा ना माने तो एक बात कहूँ.” रोहित ने कहा.
“अपना मूह बंद रखो…मुझे ज़्यादा बकवास शन-ना अछा नही लगता.”
रोहित की तो बोलती बंद हो गयी. स्प साहिब के यहा पहुँच कर शालिनी ने कहा, “तुम यही रूको मैं मिल कर आती हूँ. कोई भी ज़रूरात हुई तो तुम्हे बुला लूँगी.”
“ठीक है मेडम मैं यही खड़ा हूँ.”
शालिनी अंदर घुस्स गयी. वो काफ़ी तनाव में थी.
“आओ…आओ आस्प साहिबा, क्या हुवा साएको के केस का. एंपी की बेटी का कुछ पता चला. कुछ कर भी रही हो या हाथ पे हाथ धार के बैठी हो.”
“सिर हम पूरी कोशिस कर रहे हैं.”
“क्या कोशिस कर रही हो तुम. 24 घंटे से ज़्यादा हो गये एंपी की बेटी को अगवा हुवे. कुछ नही किया तुमने अब तक. सारी दाँत तो मुझे खानी प़ड़ रही है.”
“सिर ई आम ट्राइयिंग माई बेस्ट.”
“बुलशिट….अगर बेस्ट ट्राइ किया होता तो कोई रिज़ल्ट होता तुम्हारे पास.पुलिस में आने की बजाए मॉदेलिंग करनी चाहिए थी तुम्हे. आ गयी यहा अपनी गान्ड मरवाने के लिए पुलिस में. जाओ दफ़ा हो जाओ और कुछ करो वरना बरखास्त कर दूँगा तुम्हे.”
शालिनी को इसे तरह की फटकार का अंदाज़ा नही था. वो कुछ भी नही बोल पाई.
“मुझे वो साएको जींदा या मुर्दा चाहिए. निशा और प़ड़्मिनी दोनो को कुछ नही होना चाहिए…जाओ अब यहा से खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो.”
“थॅंक यू सिर.” शालिनी कुछ और नही बोल पाई और चुपचाप बाहर आ गयी.
जब वो बाहर आई तो उष्की आँखे नाम थी.
रोहित शालिनी को देखते ही समझ गया की खूब दाँत पड़ी है उन्हे. उसने कुछ नही पूछा शालिनी से. दर भी तो था उसे कही वो उष पर ना भड़क जाए.
…………………………………………………….
लंच ब्रेक में प़ड़्मिनी अपनी एक कोलीग के साथ थोड़ा बाहर टहलने आई तो राजू की तो आँखे खिल गयी. पहुच गया टहलता टहलता उशके पास.
“प़ड़्मिनी जी ज़्यादा दूर मत जाना. यही आस पास ही रहना.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने कोई जवाब नही दिया पर उष्की कोलीग बोली, “तो ये हैं तुम्हारी शूरक्षा के लिए तुम्हारे साथ.”
“हन यही है. वैसे इन्होने मूठ दिया था एक बार मेरे सामने…दर के मारे. पता नही कैसी शूरक्षा करेंगे.”
प़ड़्मिनी के साथ जो थी वो तो लोटपोट हो गयी
राजू का चेहरा उतार गया वो समझ ही नही पाया की क्या करे फिर भी वो बोला, “थोड़ी प्राब्लम है मुझे. वो अचानक दर गया था मैं उष दिन. बचपन में भी हुवा था एक दो बार ऐसा. इलाज़ भी करवाया मैने. सब ठीक हो गया था. पर उष दिन फिर से ऐसा हो गया.”
“प़ड़्मिनी तुम भी कितनी खराब हो. इनकी मादिकाल प्राब्लम है और तुम मज़ाक बना रही हो इनका.”
राजू की बाते शन कर प़ड़्मिनी भी सकपका गयी थी. उसे अहसास हुवा की उसने क्यों अपनी कोलीग के सामने ऐसा बोल दिया. उसने अपनी कोलीग से कहा, “तुम जाओ मैं अभी आती हूँ.”
“क्या बात है. लाते मत हो जाना वरना बॉस से दाँत पड़ेगी.”
“हन मैं बस आ ही रही हूँ.” प़ड़्मिनी ने कहा.
वो चली गयी तो प़ड़्मिनी बोली, सॉरी राजू पता नही क्यों मैने ऐसा बोल दिया. ई आम रियली सॉरी. मैने शुना तो था इसे बड़े में की ऐसा होता है. पर आज यकीन हुवा की दर के कारण ऐसा हो सकता है.”
“कोई बात नही प़ड़्मिनी जी. बहुत सालो बाद हुवा था ऐसा. कोई बात नही मेरे कारण किशी के चेहरे पे हँसी आ गयी. बहुत बड़ी बात है ये. आप जाओ….. लाते हो जाओगे.”
“आगे से मैं मन में सोच कर भी नही हँसूगी. ई आम रियली सॉरी.”
“आप हँसिए ना दिक्कत क्या है. मेरे कारण आपके चेहरे पे मुश्कान आ जाए तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी.”
“बस-बस अब फ्लर्ट शुरू मत करो. चलती हूँ मैं.” प़ड़्मिनी कह कर ऑफीस की तरफ मूड गयी.
दोनो को ही ज़रा भी खबर नही थी की दूर से दो खुणकार आँखे लगातार उन्हे देख रही हैं.
“देखता हूँ कब तक बचोगी तुम. तुम्हारे लिए तो ऐसा आर्टिस्टिक प्लान है मेरा की तुम्हे फकर होगा की तुम मेरे हाथो मारी गयी…हे….हे…हे” साएको हँसने लगा.
शालिनी और रोहित थाने वापिस आ गये. शालिनी बिना कुछ कहे अपने कॅबिन की तरफ चली गयी. रोहित ने कुछ भी कहना ठीक नही समझा क्योंकि आस्प साहिबा सारा गुस्सा उष पर निकाल सकती थी.
शालिनी ने थोड़ी देर बाद खुद ही रोहित को अपने पास बुला लिया.
“कहिए मेडम क्या हुकाँ है?” रोहित ने कहा.
“केस फाइल पढ़के तुम्हे क्या लगता है” शालिनी ने पूछा.
“देखिए मेडम अभी तक तो मुझे बस 2 बाते ही काम की लगी हैं. एक वितनेस है प़ड़्मिनी जीशणे साएको को देखा है. जीतने भी करिमिनल्स की फोटोस हमारे पास हैं वो सभी प़ड़्मिनी को दीखनी होंगी. शायद ये साएको कोई पूरेाना मुजरिम हो. दूसरी बात काम की है उष आदमी का नाम जो उष रात सुरिंदर से मिलने आया था. लेकिन वो नाम अधूरा है. सीसी का कुछ भी मतलब हो सकता है. मैं कल प़ड़्मिनी से मिलूँगा. उसे सभी करिमिनल्स की फोटोस देखावँगा. हो सकता है उनमे से ही हो कोई साएको. इशी बहाने प़ड़्मिनी से मुलाकात भी हो जाएगी.”
“क्या तुम जानते हो प़ड़्मिनी को.”
“जी हन. कॉलेज में पढ़ते थे हम साथ.”
“इश् चौहान ने कोई काम ढंग का नही किया. करिमिनल्स की फोटोस तो बहुत पहले दीखनी चाहिए थी प़ड़्मिनी को.”
“एक बात और है मेडम. ज़्यादा तार मुर्दूर जंगल के आस पास हुवे हैं. ज़रूर कुछ गड़बड़ है जंगल में.”
“ओह हाँ राजवीर भी यही कह रहा था.”
“कौन राजवीर मेडम?”
“सब इनस्पेक्टर है वो. अभी थोड़े दिन पहले ही जाय्न किया है उसने. मैने उसे 24 घंटे प़ड़्मिनी की प्रोटेक्षन की ड्यूटी पर लगा दिया है.”
“ये काम किशी नौसिखिए को नही देना चाहिए था मेडम.”
“मेरी जड्ज्मेंट पर स्वाल मत करना कभी. इस तट क्लियर.”
“जी मेडम सब कुछ क्लियर है”
“देखो एक बात ध्यान से शुन्ओ. एक बात और है जो तुम्हे फाइल में नही मिलेगी.” शालिनी ने जंगल की घतना शुनाई.
“उष साएको ने जो गोली चलाई थी मुझ पर वो पुलिस महकमे की है. मुझे यहा किशी पर विश्वास नही है. इश्लीए राजू को प़ड़्मिनी की शूरक्षा पर लगाया है. और इशी लिए तुम्हारा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा कर तुम्हे ये केस सोनपा है. अब समझे कुछ. बिना सोचे समझे कुछ मत बोला करो.” शालिनी ने कहा.
“सॉरी मेडम” रोहित का चेहरा लटक गया.
“इट्स ओक…पर आगे से ध्यान रखना. मेरे सामने सोच समझ कर बोलना.”
“ध्यान रखूँगा मेडम.”
“ये प़ड़्मिनी को फोटोस दीखने वाला आइडिया अछा है. यही काम करो पहले” शालिनी ने कहा.
“बिल्कुल मेडम. पर ये काम कल ही हो पाएगा. सभी करिमिनल्स की फोटोस उपलब्ध नही है आज.”
“तब तक फील्ड एंक्वाइरी करो. किशी को कुछ तो पता होगा साएको के बड़े में.”
“वही करने जा रहा हूँ मेडम. आप इज़ाज़्त् दे तो मैं चालू.”
“एस ऑफ कोर्स…गुड लक.”
रोहित कमरे से बाहर आ गया. “भोलू जीप लगवाव मेरी हमें फील्ड में निकलना है.”
रोहित जीप में बैठ कर चल पड़ा. “कल्लू जुर्म की दुनिया की सारी जानकारी रखता है. उशी से मिलता हूँ जाकर.”
कुछ ही देर बाद रोहित कल्लू के घर के बाहर खड़ा था. उसने घर का दरवाजा खड़क्या.
“कौन है? बाद में आना अभी टाइम नही है.” अंदर से आवाज़ आई.
रोहित भड़क गया उसने दरवाजे पर ज़ोर से लात मारी और दरवाजा खुल गया. रोहित अंदर आया तो दंग रह गया.
कल्लू एक महिला के उपर चढ़ा हुवा था. वो चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था.
“आबे रुक…मुझे ज़रूरी बात करनी है तुझसे.”
“अभी नही रुक सकता. अभी तो शुरूर आया है चुदाई का. थोक लेने दो सिर”
“कितना वक्त लगाएगा तू..मेरे पास तूमे नही है.” रोहित ने कहा.
“मेरी चम्माक छल्लो तू बता कितनी देर चुद़वाएगी तू.”
“जब तक तुम्हारा मन करे आआहह.”
“देखा सिर थोड़ी देर रुकना पड़ेगा आपको. रोज रोज इसे तरह नही देती ये चुत. आज दे रही है तो मुझे टोटल मस्ती कर लेने दो.”
रोहित ने पिस्टल निकाली और कल्लू के सर पर रख दी. “तेरी मस्ती पूरी होने तक का वक्त नही है मेरे पास. रुक जा वरना गोली मार दूँगा.”
कल्लू ने उष महिला की चुत से लंड निकाल लिया. वो महिला अपने कपड़े पहन कर वाहा से चली गयी. “सिर आप भी ना हमेशा घोड़े पर सवार हो कर आते हो. लीजिए रुक गया. क्या बात है बोलिए.”
“साएको किल्लर जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है…क्या कुछ जानते हो उशके बड़े में.” रोहित ने पूछा.
“मुझे कुछ नही पता सिर उशके बड़े में. बल्कि किशी को कुछ नही पता. मैं तो खुद डरा रहता हूँ उष से.मैं कभी रात को बाहर नही घूमता अब. 9 बजने से पहले ही घर आ जाता हूँ. सॉरी मैं इसे बड़े में आपकी कोई मदद नही कर सकता. मुजरिमो की दुनिया में उष्का कोई निशान नही है””
“ह्म….चल ठीक है कोई बात नही.” रोहित ने कहा और 500 का नोट थमा दिया कल्लू को. “ये दरवाजा ठीक करवा लेना.”
रोहित जीप में बैठ कर चल दिया.
“लगता है ये साएको एक ऐसा व्यक्ति है जीशकि की समाज में इज़्ज़त है. वो प़ड़्मिनी को इश्लीए माँग रहा है क्योंकि उसे दर है की कही वो बेनकाब ना हो जाए. शायद वो सारे आम हमारे सामने घूमता हो रोज पर हम उसे पहचान नही पाते क्योंकि हमे ज़रा भी अंदाज़ा नही रहता की वो कातिल हो सकता है. मिस्टर साएको तुम्हे चोदूगा नही मैं. देखता हूँ कब तक बचोगे.””
…………………………………………………………………..
शाम हो चुकी है और प़ड़्मिनी ऑफीस से निकल रही है. राजू आस यूषुयल ख़ुसी से झूम उठता है. फ़ौरन आ जाता है वो प़ड़्मिनी के पास.
“हो गयी चुती आपकी.” राजू ने पूछा.
“राजू तुम अपनी ड्यूटी पर ध्यान रखो. मुझसे फालटो की बाते मत किया करो”
“आप मुझसे खफा-खफा क्यूँ रहती है. प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही” आख़िर ज़जबात में बह कर राजू के मूह से निकल ही गयी दिल की बात. वो खुद पचेटाया बोल कर क्योंकि प़ड़्मिनी की आँखे ये शुंते ही गुस्से से लाल हो गयी. थप्पड़ जड़ दिया उसने राजू के गाल पर.
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की…दफ़ा हो जाओ यहा से. नही चाहिए मुझे कोई प्रोटेक्षन.”
“सॉरी प़ड़्मिनी जी ग़लती हो गयी. मूह से निकल गया यू ही. कहना नही चाहता था आपसे कुछ भी. पर पता नही क्यों ये सब बोल दिया मैने.” राजू गिड़गिडया.
“तुम्हारा मूठ अपने आप निकल जाता है. मूह से भी कुछ भी निकल जाता है. तुम आख़िर हो क्या.”
बेचारा राजू करे भी तो क्या करे. कुछ भी नही बोल पाया प़ड़्मिनी को. बस सर झुकाए खड़ा रहा. प़ड़्मिनी को ज़रा भी अहसास नही हुवा की वो सच में उसे प्यार कराता है. वो तो अपने सपने के कारण राजू से छिड़ी हुई थी और कुछ भी करके उष बादशूरआत सपने को टालना चाहती थी. इशी बोखलाहट में थप्पड़ जड़ दिया था उसने राजू के मूह पर.
“चुप क्यों खड़े हो बोलते क्यों नही कुछ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“क्या काहु आपसे. गुनहगार हू आपका. चलिए आप लाते हो रही हैं…सॉरी मैं आगे से ऐसा नही बोलूँगा.”
“तुम्हारे बस में कुछ है भी. तुम्हारा तो सब कुछ अपने आप निकल जाता है.” प़ड़्मिनी ने कहा और अपनी कार में बैठ गयी.
राजू भी अपनी जीप में बैठ कर उशके पीछे चल दिया. घर पहुँच कर प़ड़्मिनी सीधा घर में घुस्स गयी. वो राजू से कोई बात नही करना चाहती थी.
…………………………………………………..
घने जंगल का दृश्या है. चारो तरफ खौफनाक सन्नाटा है. प़ड़्मिनी और राजू घबराए खड़े हैं.घबराए भी क्यों ना उनके सामने साएको खड़ा है उनकी तरफ बंदूक तने.
“तुम दोनो डिसाइड कर लो पहले कौन मारना चाहता है.” साएको ने कहा.
“हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे.” राजू ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साएको की तरफ और उष पर टूट पड़ा. साएको के हाथ से पिस्टल चुत कर दूर गिर गयी. उष्का चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साएको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो राजू पर भारी प़ड़ रहा था. किशी तरह राजू के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साएको के पेट में गाड़ दिया. साएको ढेर हो गया ज़मीन पर. राजू को लगा साएको का काम ख़त्म. वो प़ड़्मिनी की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साएको बोला, “पहले प़ड़्मिनी ही मरेगी…बचा सको तो बचा लो.”
राजू ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साएको के हाथ में पिस्टल थी और उसने प़ड़्मिनी को निशाना बना रखा था. वक्त रहते राजू प़ड़्मिनी और गोली के बीच आ गया और राजू ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.
प़ड़्मिनी भाग कर आई राजू के पास और फूट फूट कर रोने लगी. “ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मार जाने देते.”
“प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही” राजू ने कहा और उसने दम तौड दिया.
“राजू!” और प़ड़्मिनी छील्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही…राजू ने यही कहा था शाम को. अफ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..राजू मुझे क्यों परेशन कर रहे हो.”
प़ड़्मिनी सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया की रात के 2 बाज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.
पानी पीने के बाद प़ड़्मिनी खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ राजू दीखाई दिया. वो जीप का सहारा लेकर खड़ा था. राजू ने प़ड़्मिनी को खिड़की से झाँकते हुवे देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा चोद कर सीधा खड़ा हो गया…जैसे की कुछ कहना चाहता हो.
प़ड़्मिनी ने फ़ौरन परदा चोद दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिस की उसने दीमग को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उशके दीमग में राजू के यही बोल गूँज रहे थे, “प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही.”
निशा अचानक उठती है और खुद को कमरे में अकेला पाती है. वो पाती है की उशके शरीर पर अब एक भी कपड़ा नही है. उसे याद आता है की साएको ने उसे कुछ खाने को दिया था. खाते ही वो गहरी नींद शो गयी थी. उष्का सर घूम रहा था.वो दीवार घड़ी की और देखती है. घड़ी 2 बजा रही थी.
“ये दिन के 2 बजे हैं या रात के 2” निशा सोचती है. मगर उशके पास जान-ने का कोई चारा नही है. उष कमरे में कोई खिड़की नही है. एक दरवाजा है जो की बंद है. वो चारो तरफ ध्यान से देखती है. उसे एक टाय्लेट दीखाई देता है. वो उठती है और काँपते हुवे टाय्लेट
की तरफ बढ़ती है. टाय्लेट में कोई दरवाजा नही है. वो अंदर झाँक कर देखती है तो पाती है की टाय्लेट में भी कोई खिड़की नही है.
“ये कैसा कमरा है. कोई खिड़की नही है इसमे. और वो साएको कहा है?”
निशा टाय्लेट से दरवाजे की तरफ बढ़ती है. वो दरवाजे पर कान लगा कर देखती है. उसे बस सन्नाटा सुनाई देता है.
“कोई भी आवाज़ नही आ रही कही से…आख़िर मैं कहा हूँ. क्या ये कमरा देहरादून में ही है या कही और. अंकली प्लीज़ कुझ कीजिए मैं मारना नही चाहती.” निशा फूट फूट कर रोने लगती है.
तभी निशा को दरवाजे पर कुछ हलचल शुनाई देती है और वो फ़ौरन भाग कर बिस्तर पर आकर लाते जाती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है.
दरवाजा खुलता है और धदाम की आवाज़ होती है. निशा उत्शुकता में आँखे खोल कर देखती है. “रामू काका!”
रामू निशा के घर का नौकर था. कोई 45-46 साल की उमर का था. निशा ने रामू को देखते ही अपने उभारो पर हाथ रख लिए. मगर उष्की योनि को छुपाने के लिए कुछ नही बचा था.
“मेंसाहब्! आअहह” रामू कराहते हुवे बोला. उशके सर से खून निकल रहा था.
साएको ने रामू को कमरे में पटका था. जीश से धदाम की आवाज़ हुई थी
“अब तुम क्या करना चाहते हो?” निशा रोते हुवे बोली.
“जब तक प़ड़्मिनी को मुझे नही शोनपा जाता क्यों ना एक-आध गेम हो जाए.” साएको ने कहा
“अब कौन सी गेम खेलना चाहते हो…प्लीज़ मुझे जाने दो” निशा रोने लगी
“वाउ क्या ख़ौफ़ है तुम्हारी आँखो में. सच में मज़ा आ गया. अब और मज़ा आएगा.”
“मुझे यहा क्यों लाए हो भाई.” रामू ने पूछा.
“डरो मत तुम. बल्कि गर्व करो की तुम मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो.”
रामू को कुछ समझ नही आया.
“खेल बहुत सिंपल है. ये चाकू देखो” साएको ने हाथ में पकड़े चाकू को हिलाया.
रामू बड़ी हैरानी से सब शन रहा था. उशके रोंगटे खड़े हो रखे थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 30
“ऑफ कोर्स” रोहित हंस दिया. “ह्म टाइम मशीन पढ़ रही हैं आप. गुड. ह.ग वाले्स का ये नॉवाले पीछले साल पढ़ा था मैने. बहुत इंट्रेस्टिंग है.”
लड़की ने रोहित की बातो का कोई जवाब नही दिया और नॉवाले पढ़ने में व्यस्त हो गयी. “स्टुपिड” उसने मन ही मन कहा.
“शूकर है भाई मोबाइल है. मैं भी छोटी सी भूल पढ़ता हूँ बैठ कर. आप भी पढ़िए हम भी पढ़ते हैं. रोहित बोल कर लड़की के सामने वाली सीट पर बैठ गया.
लड़की ने उत्शुकता से उष्की और देखा और बोली, “आप छोटी सी भूल पढ़ रहे हैं. किश बड़े में है ये?”
“जी हन. ये एक लड़की की कहानी है जो की छोटी सी भूल करके फँस जाती है. सिंपल सी स्टोरी है कोई ऐसी वैसी बात नही है इसमे. कॉलेज की एक लड़की एग्ज़ॅम मे ग़लती करके पचेटाती है. नकल करते पकड़ी जाती है.” रोहित झुटि कहाँिया शुना देता है. अब कैसे बताए की वो एरॉटिक स्टोरी पढ़ रहा है.
“मैने पढ़ी है ये स्टोरी.”
“क्या फिर तो आप सब जानती हैं.”
“जी बिल्कुल आपको झीजकने की ज़रूरात नही है. एक खूबशुरआत कहानी पढ़ रहें हैं आप.”
“लो जी एक और रेकमेंडेशन मिल गयी. फ.ज. बडी, जॉड भाई, और मनीष भाई के साथ आपका नाम भी जुड़ गया.”
“मैं कुछ समझी नही.”
“इन लोगो ने जातीं भाई की ये स्टोरी मुझे रेकमेंड की थी और मैं बस इशी में उलझा हुवा हूँ.”
“फिर तो वो इंट्रेस्टिंग लोग हैं.”
“कोई इंट्रेस्टिंग नही हैं. दूर रहना आप इन लोगो से. इनका कोई भरोसा नही.”
“चलिए आप पढ़िए. मुझे भी पढ़ने दीजिए.”
“आपका नाम जान सकता हूँ?”
“रीमा.” लड़की ने जवाब दिया.
“ऑम्ग कही आप रीमा थे गोलडेन गिर तो नही… ” रहित ने कहा.
“जी नही… वैसे कौन है ये?”
“आपने ये स्टोरी एकषबीई पर नही पढ़ी.”
“नही मेरी एक सहेली ने ये मुझे मैल की थी.”
“तभी…पढ़ती तो पहले ही चॅप्टर में जान जाती उष रीमा को.”
“आप पढ़िए. मैं अपना नॉवाले पढ़ना चाहती हूँ.” रीमा ने कहा.
“मैने अभी पहला चॅप्टर फिनिश किया है. कुछ डिसकस करें इसे बड़े में. आपको क्या लगता है क्या ऋतु ग़लत है. और बिल्लू के बड़े में क्या कहना है आपका.”
“आप पढ़ लीजिए आराम से. मैं अपना नॉवाले पढ़ना चाहती हूँ.”
“वैसे उष दोपहर क्या सीन बना था. बिल्लू ने बड़ी चालाकी से ऋतु को एमोशनल करके उष्की ले ली”
रीमा की तो साँसे अटक गयी ये शन के, “एक्सक्यूस मे मैं सब पढ़ चुकी हूँ. आप आगे पढ़िए ना. पहले ही चॅप्टर पे अटके रहोगे क्या.”
“ओह हाँ अब आगे ही बढ़ना है. क्या कभी आपके सामने ऐसी स्तिति आई जैसी की ऋतु के सामने आई थी.”
“क्या करेंगे जान कर. मैं अपनी पर्सनल लाइफ डिसकस नही करना चाहती. प्लीज़ अपनी कहानी पढ़िए और मुझे मेरी पढ़ने डीजजिए.”
“ओक…ओक फाइन वित मे.”
रोहित पढ़ने में खो गया. अब इतनी जबरदस्त एरॉटिका पधेगा तो भड़केगा तो है ही. पढ़ते पढ़ते उष्का हाथ अपने लिंग पर पहुँच गया और उसे सहलाने लगा.
रीमा की नज़र भी चली गयी रोहित पर और उष्की पेंट में बने तंबू पर. वो देख कर हल्का सा मुश्कुरा दी.
रोहित ने देख लिया उसे हंसते हुवे और तुरंत अपना हाथ हटा लिया अपने लिंग से.
“ओह सॉरी…ध्यान ही नही रहा की आप बैठी हैं सामने.”
“कोई बात नही होता है ऐसा.”
“तो क्या बाहर निकाल कर आराम से पढ़ लू”
“क्या मतलब?”
“कुछ नही मैं ये कह रहा था की मुझे विश्वास नही हुवा की आपने ये कहानी पढ़ी.”
“पूरी पढ़ लेंगे तो विश्वास हो जाएगा. ये मेरी फेवोवरिट स्टोरी है.”
“फिर कुछ डिसकस क्यों नही कराती आप. क्या पता ऋतु और बिल्लू की तरह हम भी…..”
“सोचिए भी मत ऐसा तो. मेरे भैया पुलिस में हैं. अंदर करवा दूँगी.”
“सॉरी सॉरी मैं तो मज़ाक कर रहा था. पर आप मेरी हालत देख कर मुश्कुरा क्यों रही थी. अब ऐसी स्टोरी पढ़ुंगा तो लंड तो खड़ा होगा ही.”
“वॉट ऐसी बाते कैसे कर सकते हो तुम.”
“छोड़िए भी ये तमासा आपने क्या इसे स्टोरी में लंड शब्द को नही पढ़ा.”
“पढ़ा है पर मैं आपसे क्यों शुणु ये सब.”
“पढ़ लीजिए आप अपनी कहानी. मेरी हालत पर हँसना मत दुबारा. वरना आपके हाथ में पकड़ा दूँगा निकाल कर.”
“अछा ऐसे मसलूंगी की दुबारा नही पकड़ाओगे किशी को.”
“ये चॅलेंज है क्या? मुझे चॅलेंज बहुत अछा लगता है.”
“कुछ भी समझ लो.” रीमा मुश्कुरा कर बोली.
“पता नही क्या मतलब है इश्कि बात का. कही सच में ना कीमा निकाल दे मेरे बेचारे लंड का.” रोहित सोच में प़ड़ गया.
रीमा अपने नॉवाले में खो गयी. रोहित भी वापिस अपनी कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गया.
पर रीमा बार बार रोहित की तरफ देख कर मुश्कुरा रही थी.
“क्या करूँ यार ये तो हंस रही है देख कर. पकड़ा दु क्या इशके हाथ में. क्या करूँ.” रोहित सोच रहा था.
“कौन सा सीन चल रहा है.” रीमा ने पूछा.
“क्या करेंगी जान कर. कुछ डिसकस करना है नही आपको. रहने दीजिए.”
“वैसे ही पूछ रही थी. कीप रीडिंग.”
“लगता है ये लड़की दीखवा कर रही है. मारी जा रही है डिसकस करने के लिए पर करना नही चाहती. कुछ करना पड़ेगा इश्का.”
रोहित उठा और बेट से बाहर जाने लगा.
“क्या हुवा…” रीमा ने पूछा.
“कुछ नही…मुझे आपके सामने नही बैठा. कही और जा कर पढ़ता हूँ कहानी. आप तो हँसे जा रही हैं. क्या लंड खड़ा नही होगा ऐसी कहानी पढ़ कर. क्या आपकी गीली नही हुई थी पढ़ते वक्त.”
“जैसी आपकी मर्ज़ी…सॉरी अगर मैने आपको डिस्टर्ब किया तो.”
रोहित, रीमा के पास बैठ गया और बोला, “सॉरी की बात नही है. आप हमें यू देख कर तडपा रही हैं. हम बहक गये तो संभाल नही पाएँगे खुद को.”
“अब नही देखूँगी. पढ़ लीजिए आप बैठ कर.”
“क्या हम दोनो साथ में पढ़े”
रीमा मुश्कुराइ और बोली, “मुझे क्या पागल समझ रखा है. मैं छोटी सी भूल नही करूँगी.”
रोहित ने रीमा का हाथ पकड़ लिया और बोला, भूल तो हो चुकी है आपसे मेरी तरफ हंस कर. अब ऋतु की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा.”
“यहा झाड़िया नही हैं.”
“सादे 11 बाज रहे हैं. बर्त में हम अकेले हैं. परदा लगा लेते हैं. वही माहॉल बन जाएगा.”
“अफ आप तो बहुत बड़े फ्लर्ट निकले.”
“ईमानदारी रखता हूँ. जींदगी में. लड़की की मर्ज़ी के बिना कुछ नही कराता. इज़ात कराता हूँ पूरी विमन की.”
“कोई आ गया तो. यहा 2 सीट्स खाली हैं. कोई तो आएगा इसे बर्त में.”
“जब आएगा तब धखेंगे अभी तो हम एक दूसरे में खो सकते हैं.”
“क्या आप मॅरीड हैं.”
“बस 26 का हूँ अभी. अभी मेरे हँसने खेलने के दिन है. शादी नही करना चाहता अभी. क्या आप मॅरीड हैं.”
” मैं 20 की हूँ. क्या शादी शुदा लगती हूँ तुम्हे.?”
“नही नही वैसे ही पूछ रहा था. क्या आप कुँवारी हैं.”
“उष से कुछ फराक पड़ेगा क्या.”
“कुछ फराक नही पड़ेगा लेकिन किशी कुँवारी कन्या को मैं हवस के जंजाल में नही फँसा सकता. एक बार लंड ले लिया तो आदत प़ड़ जाती है. बिगड़ जाते हैं लोग.”
“जैसे आप बिगड़े हुवे हैं.”
“हन बिल्कुल. हम तो बिगड़ ही चुके हैं. किशी और को क्यों बिगाड़े. वैसे आप कुँवारी भी होंगी तो भी छोड़ने वाला नही आपको. भड़का दिया है आपके हुसान ने मुझे.”
“मेरा बॉय फ्रेंड है”
“ओक थ्ट्स मीन आप पहले ले चुकी हैं…गुड. नाउ इट्स माई तुर्न ”
“पर यहा ख़तरा है.”
“ख़तरे को मारिए गोली वो मैं संभाल लूँगा. आप ये लंड पकडीए बस.” रोहित ने रीमा का हाथ अपने तंबू पर टीका दिया.
“अफ ये तो भारी भरकम लग रहा है.”
“ऐसा कुछ नही है दारिय मत … निकाल देता हूँ आपके लिए. ये नॉवाले एक तरफ रख दीजिए अब. कुछ बहुत इंपॉर्टेंट करने जा रहे हैं हम.”
रीमा ने नॉवाले एक तरफ रख दिया. रोहित ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल लिया और उसे रीमा के हाथ में थमा दिया.
“ऑम्ग ये तो सच में बहुत बड़ा है.”
“मज़ाक मत कीजिए आप. ऐसा कुछ नही है. प्यार कीजिए इशे दारिय मत. मूह में लेती हैं तो थोड़ा चूस भी सकती हैं.”
“आप ध्यान रखो चारो तरफ. ई डोंट सक. बट तीस मॅग्निफिसेंट डिक डिज़र्व्स आ ब्लो जॉब.”
“धान्या हो गया मैं तो ये शन कर. प्लीज़ फील फ्री तो शकइट थे वे यू लीके.”
रीमा बैठे बैठे ही रोहित के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में ले लिया.
“वाउ…सिंप्ली ग्रेट. अछी एंट्री दी है मूह में मेरे लंड को…आहह” रोहित कराह उठा.
बर्ट का परदा लगा हुवा था और रीमा रोहित का लंड इतमीनान से चूस रही थी.
“अछा चूस लेती हैं आप. अब ज़रा ओरिजिनल गेम हो जाए. उतार दीजिए ये जीन्स.”
“जीन्स नही उतारुँगी मैं. कोई अचानक आ गया तो. ”
“तोड़ा सरकाना तो पड़ेगा ही. या वो भी नही करेंगी…”
रीमा मुश्कुराइ और अपनी जीन्स के बतन खोलने लगी. वो जीन्स सरका कर लाते गयी और रोहित उशके उपर आ गया.
“अफ ट्रेन में सेक्स करना बहुत मुश्किल काम है.” रोहित ने किशी तरह रीमा की टांगे उपर करके उष्की चुत पर लंड रख दिया. उसे रीमा की जीन्स परेशान कर रही थी.
“आआआअहह लगता है ये नही जाएगा.”
“जाएगा तो ये ज़रूर ये जीन्स परेशान कर रही है. आप ऐसा कीजिए घूम कर डॉगी स्टाइल में आ जाओ. जीन्स के साथ वही पोज़िशन ठीक रहेगी.”
“ठीक है…” रीमा घूम गयी सीट पर रोहित के आगे और झुक कर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
रोहित के सामने अब रीमा की शुनदर गान्ड और चुत थी. उसने गान्ड को पकड़ा और रीमा की चुत में आधा लंड घुस्सा दिया.
“म्म्म्ममममम न्न्ननणणन् इट्स पेनिंग.”
“आवाज़ धीरे रखिए कोई शन लेगा.” रोहित ने कहा और एक झटके में पूरा लंड रीमा की चुत में उतार दिया.
“आआहह… मैं छील्ला भी नही सकती..जान निकाल दी आपने मेरी.”
“तोड़ा धारया रखें रीमा जी अभी आपको अद्वित्या आनंद भी देंगे” रोहित ने चुत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
“ऊओह….एस आअहह.”
“कृपया करके ऊओह आअहह कम करें हम ट्रेन में हैं. आस पास लोग शो रहे हैं.”
“क्या करूँ आपने हालत ही ऐसी कर दी है आअहह.”
एक ट्रेन की हलचल उपर से रोहित के झटके लंड चुत में बहुत अच्छे तरीके से घूम रहा था.
रीमा तो काई बार झाड़ चुकी थी.
“अब रुक भी जाईए. या फिर देहरादून जा कर ही रुकेंगे. आपने तो रेल बना दी मेरी आअहह.”
“चलिए आपने कहा हम रुक गये…..आआआहह ऊओ” और रोहित ने अपने वीर्या से रीमा की चुत को भर दिया.
“तीस वाज़ फर्स्ट फक ऑफ माई लाइफ इन ट्रेन.” रोहित ने कहा.
“मेरी पहली और आखड़ी अब ऐसी भूल नही करूँगी. छोटी सी भूल ने मुझे ही फँसा दिया.”
रोहित ने लंड बाहर निकाला और रीमा फ़ौरन जीन्स उपर चढ़ा कर सीट पर लाते गयी.
रोहित भी उशके उपर चढ़ गया और उशके होंटो को चूम कर बोला, “ई विल ऑल्वेज़ रिमेंबर यू. अछा तुम्हारे भैया का क्या नाम है.”
“रंजीत चौहान….क्यों? ” रीमा ने जवाब दिया.
“कुछ नही वैसे ही पूछ रहा था…एक बार और खेल सकते हैं हम ये गेम आप चाहें तो.”
“एक बार में ही जान निकाल दी मेरी. दुबारा की गुंजायस नही है अब.”
“ओक नो प्राब्लम….कूल”
ट्रेन ठीक 7 बजे पहुँच गयी देहरादून. रोहित और रीमा ने ख़ुसी ख़ुसी एक दूसरे को बाये किया और अपने अपने रास्ते निकल पड़े.
ठीक 10 बजे रोहित थाने में था.
“आ गये आप?” चौहान ने कहा
“जी हाँ आ गये.”
“आस्प साहिबा आपका इंतेज़ार कर रही हैं. संभाल कर रहना कयामत है कयामत. मेरी तो जान झुटि आपके आने से. अब साएको का केस आप संभालेंगे.”
“कोई बात नही साएको को भी देख लेंगे. मैं आस्प साहिबा से मिल कर आता हूँ.”
इनस्पेक्टर रोहित पांडे शाइनी के कॅबिन की तरफ चल दिया.
“अब पता चलेफा इशे की पुलिस की नौकरी क्या होती है…रोहित पांडे हा.” चौहान बड़बड़ाया.
रोहित घुस्स गया आस्प साहिबा के कॅबिन में. शालिनी फोन पर व्यस्त थी. रोहित चुपचाप अंदर आ कर उनकी टेबल के सामने खड़ा हो गया. शालिनी ने फोन पटका और बोली, “एस हू अरे यू.”
“ई आम रोहित मेडम. रोहित पांडे…”
“ओह हन…आज ही आ गये तुम.”
“अब जब आपने मेरा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा दिया तो देर क्यू कराता आने में.”
“गुड…बैठो, मैने तुम्हारा सर्विस रेकॉर्ड देखा. मैं तुम्हे एक इंपॉर्टेंट केस देना चाहती हूँ. हॅंडल कर पाओगे.”
“बेशक मेडम आप हुकुम कीजिए, मेरा सेस्पेंसीओं अछा काम करने के कारण ही हुवा था. पॉलिटीशियन के बेटे को रेप के केस में अंदर डाल दिया था मैने. सज़ा भी दिलवाता उशे. पर मुझे अवॉर्ड तो क्या मिलता उल्टा सस्पेन्षन ऑर्डर मिल गया. पुणे चला गया था मैं तो अपने चाचा जी के पास..”
“बस बस ज़्यादा कहाँिया मत शुनाओ. मैं जानती हूँ सब तभी तुम्हे वापिस लिया गया है महकमे में.”
“बहुत कड़क है भाई ये तो.” रोहित ने सोचा.
“साएको किल्लर का केस अब से तुम हॅंडल करोगे. और मुझे रिज़ल्ट्स चाहिए. बहुत दबाव है उपर से.”
“ई विल दो माई बेस्ट मेडम. आपको निरास नही करूँगा.” रोहित ने कहा.
“जाओ जाकर चौहान से सारा केस रेकॉर्ड ले लो. उष साएको ने एंपी की बेटी को अगवा कर रखा है और बदले में प़ड़्मिनी को माँग रहा है. हुमैन एंपी की बेटी को भी शूरक्षित छुड़ाना है और प़ड़्मिनी को भी उसे नही सोंपना. अब तुम देखो तुम क्या कर सकते हो. मुझे जल्द से जल्द वो साएको सलाखो के पीछे चाहिए.”
“मुझे उम्मीद है की आपको निरास नही करूँगा.”
“तुम्हारे पास ऑप्षन भी नही है. अगर कुछ नही कर पाए तो मैं तुम फिर से सस्पेंड हो जाओगे. इस तट क्लियर.
“सभी कुछ क्लियर हो गया अब तो.”
“गुड, नाउ गो और दो युवर ड्यूटी. और मुझे शकल तभी दीखाना जब कुछ कर लो. इस तट क्लियर.”
“सभी कुछ क्लियर है मेडम.” रोहित का गला सुख गया बोलते-बोलते.
“फाइन, यू कॅन गो नाउ.”
रोहित बाहर आया तो उशके माथे पे पसीने थे.
“बाप रे बाप…सही कहता था वो कमीना चौहान ये तो सच में कयामत है…अफ हालत खराब कर दी. ”
रोहित सीधा चौहान के कमरे की तरफ चल दिया.
“गुड मॉर्निंग सिर.”
“गुड मॉर्निंग भोलू…कैसे हो?”
“ठीक हूँ सिर. अछा लगा आपको वापिस देख कर.” भोलू ने कहा.
रोहित चौहान के कमरे में घुस्सा तो वो छाए पे रहा था.
“बैठे रहते हैं आप यहा…छाए पीते रहते है. तभी तो मुजरिम खुले आम घूम रहे हैं.” रोहित ने कहा.
“ज़्यादा बकवास तो करो मत. तुम अभी नये नये हो पुलिस में. देखता हूँ क्या करोगे. ज़्यादा ही दम है तो पाकड़ो इसे साएको को जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है.”
“केस रेकॉर्ड्स तो दे दो सारा उशके बिना क्या घंटा पाकडूँगा मैं.”
“देता हूँ…पहले छाए तो पे लू…मेरे साथ ज़्यादा पंगा मत लिया कर…बड़ी मुश्किल से बहाल हुवा है नौकरी पे. फिर से सस्पेंड हो सकते हो. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ.”
“इश्को अगर पता चल गया की मैने इश्कि बहन की ली है तो बीफ़र जाएगा ये.” रोहित ने मन में सोचा और हँसने लगा.
“क्या हुवा हंस क्यों रहे हो?” चौहान ने पूछा.
“कुछ नही आप मुझे रेकॉर्ड्स दे दो. वक्त कम है मेरे पास. कुछ नही किया तो फिर से सस्पेंड हो जवँगा.”
“वो तो तुम्हे होना ही है.” चौहान ने उठते हुवे कहा.
चौहान ने सारा रेकॉर्ड रोहित को सोनप दिया और रोहित ने बड़ी बारीकी से सब कुछ पड़ा.
“ह्म….एक बात है…इश् प्स्यको का कोई पॅटर्न नही है जिसे समझ कर हम कुछ अनॅलिसिस कर सकें. या फिर पॅटर्न है…जो समझ नही आ रहा. ये सीसी कौन हो सकता है. इतना मुश्किल केस और इतना कम वक्त. रोहित बेटा तेरी सस्पेन्षन तो फिर से पक्की है.”
रोहित सब कुछ पढ़ कर अपने कॅबिन से बाहर निकला तो उसने देखा की शालिनी चेहरे पर शिकन सी लिए अपने कॅबिन से निकल रही हैं.
रोहित की हिम्मत नही हुई शालिनी के पास जाने की. शालिनी उशके आगे सी निकली तो बोली, “स्टडी किया तुमने केस?”
“हन मेडम कर लिया.”
“चलो स्प साहिब ने बुलाया है मुझे. तुम भी साथ चलो.”
“जैसी आपकी मर्ज़ी मेडम.” रोहित ने कहा. “दाँत पड़ेगी शायद आस्प साहिबा को. क्योंकि वो कमीना दाँत-ने के लिए ही बुलाता है. बहुत दांता था एक बार बुला के मुझे सेयेल ने.”
“मेडम क्या आप मिली हैं स्प साहिब से पहले.”
“हन मिली हूँ…जब यहा जाय्न किया था तभी मिली थी. आज उन्होने पहली बार बुलाया है.”
“बुरा ना माने तो एक बात कहूँ.” रोहित ने कहा.
“अपना मूह बंद रखो…मुझे ज़्यादा बकवास शन-ना अछा नही लगता.”
रोहित की तो बोलती बंद हो गयी. स्प साहिब के यहा पहुँच कर शालिनी ने कहा, “तुम यही रूको मैं मिल कर आती हूँ. कोई भी ज़रूरात हुई तो तुम्हे बुला लूँगी.”
“ठीक है मेडम मैं यही खड़ा हूँ.”
शालिनी अंदर घुस्स गयी. वो काफ़ी तनाव में थी.
“आओ…आओ आस्प साहिबा, क्या हुवा साएको के केस का. एंपी की बेटी का कुछ पता चला. कुछ कर भी रही हो या हाथ पे हाथ धार के बैठी हो.”
“सिर हम पूरी कोशिस कर रहे हैं.”
“क्या कोशिस कर रही हो तुम. 24 घंटे से ज़्यादा हो गये एंपी की बेटी को अगवा हुवे. कुछ नही किया तुमने अब तक. सारी दाँत तो मुझे खानी प़ड़ रही है.”
“सिर ई आम ट्राइयिंग माई बेस्ट.”
“बुलशिट….अगर बेस्ट ट्राइ किया होता तो कोई रिज़ल्ट होता तुम्हारे पास.पुलिस में आने की बजाए मॉदेलिंग करनी चाहिए थी तुम्हे. आ गयी यहा अपनी गान्ड मरवाने के लिए पुलिस में. जाओ दफ़ा हो जाओ और कुछ करो वरना बरखास्त कर दूँगा तुम्हे.”
शालिनी को इसे तरह की फटकार का अंदाज़ा नही था. वो कुछ भी नही बोल पाई.
“मुझे वो साएको जींदा या मुर्दा चाहिए. निशा और प़ड़्मिनी दोनो को कुछ नही होना चाहिए…जाओ अब यहा से खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो.”
“थॅंक यू सिर.” शालिनी कुछ और नही बोल पाई और चुपचाप बाहर आ गयी.
जब वो बाहर आई तो उष्की आँखे नाम थी.
रोहित शालिनी को देखते ही समझ गया की खूब दाँत पड़ी है उन्हे. उसने कुछ नही पूछा शालिनी से. दर भी तो था उसे कही वो उष पर ना भड़क जाए.
…………………………………………………….
लंच ब्रेक में प़ड़्मिनी अपनी एक कोलीग के साथ थोड़ा बाहर टहलने आई तो राजू की तो आँखे खिल गयी. पहुच गया टहलता टहलता उशके पास.
“प़ड़्मिनी जी ज़्यादा दूर मत जाना. यही आस पास ही रहना.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने कोई जवाब नही दिया पर उष्की कोलीग बोली, “तो ये हैं तुम्हारी शूरक्षा के लिए तुम्हारे साथ.”
“हन यही है. वैसे इन्होने मूठ दिया था एक बार मेरे सामने…दर के मारे. पता नही कैसी शूरक्षा करेंगे.”
प़ड़्मिनी के साथ जो थी वो तो लोटपोट हो गयी
राजू का चेहरा उतार गया वो समझ ही नही पाया की क्या करे फिर भी वो बोला, “थोड़ी प्राब्लम है मुझे. वो अचानक दर गया था मैं उष दिन. बचपन में भी हुवा था एक दो बार ऐसा. इलाज़ भी करवाया मैने. सब ठीक हो गया था. पर उष दिन फिर से ऐसा हो गया.”
“प़ड़्मिनी तुम भी कितनी खराब हो. इनकी मादिकाल प्राब्लम है और तुम मज़ाक बना रही हो इनका.”
राजू की बाते शन कर प़ड़्मिनी भी सकपका गयी थी. उसे अहसास हुवा की उसने क्यों अपनी कोलीग के सामने ऐसा बोल दिया. उसने अपनी कोलीग से कहा, “तुम जाओ मैं अभी आती हूँ.”
“क्या बात है. लाते मत हो जाना वरना बॉस से दाँत पड़ेगी.”
“हन मैं बस आ ही रही हूँ.” प़ड़्मिनी ने कहा.
वो चली गयी तो प़ड़्मिनी बोली, सॉरी राजू पता नही क्यों मैने ऐसा बोल दिया. ई आम रियली सॉरी. मैने शुना तो था इसे बड़े में की ऐसा होता है. पर आज यकीन हुवा की दर के कारण ऐसा हो सकता है.”
“कोई बात नही प़ड़्मिनी जी. बहुत सालो बाद हुवा था ऐसा. कोई बात नही मेरे कारण किशी के चेहरे पे हँसी आ गयी. बहुत बड़ी बात है ये. आप जाओ….. लाते हो जाओगे.”
“आगे से मैं मन में सोच कर भी नही हँसूगी. ई आम रियली सॉरी.”
“आप हँसिए ना दिक्कत क्या है. मेरे कारण आपके चेहरे पे मुश्कान आ जाए तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी.”
“बस-बस अब फ्लर्ट शुरू मत करो. चलती हूँ मैं.” प़ड़्मिनी कह कर ऑफीस की तरफ मूड गयी.
दोनो को ही ज़रा भी खबर नही थी की दूर से दो खुणकार आँखे लगातार उन्हे देख रही हैं.
“देखता हूँ कब तक बचोगी तुम. तुम्हारे लिए तो ऐसा आर्टिस्टिक प्लान है मेरा की तुम्हे फकर होगा की तुम मेरे हाथो मारी गयी…हे….हे…हे” साएको हँसने लगा.
शालिनी और रोहित थाने वापिस आ गये. शालिनी बिना कुछ कहे अपने कॅबिन की तरफ चली गयी. रोहित ने कुछ भी कहना ठीक नही समझा क्योंकि आस्प साहिबा सारा गुस्सा उष पर निकाल सकती थी.
शालिनी ने थोड़ी देर बाद खुद ही रोहित को अपने पास बुला लिया.
“कहिए मेडम क्या हुकाँ है?” रोहित ने कहा.
“केस फाइल पढ़के तुम्हे क्या लगता है” शालिनी ने पूछा.
“देखिए मेडम अभी तक तो मुझे बस 2 बाते ही काम की लगी हैं. एक वितनेस है प़ड़्मिनी जीशणे साएको को देखा है. जीतने भी करिमिनल्स की फोटोस हमारे पास हैं वो सभी प़ड़्मिनी को दीखनी होंगी. शायद ये साएको कोई पूरेाना मुजरिम हो. दूसरी बात काम की है उष आदमी का नाम जो उष रात सुरिंदर से मिलने आया था. लेकिन वो नाम अधूरा है. सीसी का कुछ भी मतलब हो सकता है. मैं कल प़ड़्मिनी से मिलूँगा. उसे सभी करिमिनल्स की फोटोस देखावँगा. हो सकता है उनमे से ही हो कोई साएको. इशी बहाने प़ड़्मिनी से मुलाकात भी हो जाएगी.”
“क्या तुम जानते हो प़ड़्मिनी को.”
“जी हन. कॉलेज में पढ़ते थे हम साथ.”
“इश् चौहान ने कोई काम ढंग का नही किया. करिमिनल्स की फोटोस तो बहुत पहले दीखनी चाहिए थी प़ड़्मिनी को.”
“एक बात और है मेडम. ज़्यादा तार मुर्दूर जंगल के आस पास हुवे हैं. ज़रूर कुछ गड़बड़ है जंगल में.”
“ओह हाँ राजवीर भी यही कह रहा था.”
“कौन राजवीर मेडम?”
“सब इनस्पेक्टर है वो. अभी थोड़े दिन पहले ही जाय्न किया है उसने. मैने उसे 24 घंटे प़ड़्मिनी की प्रोटेक्षन की ड्यूटी पर लगा दिया है.”
“ये काम किशी नौसिखिए को नही देना चाहिए था मेडम.”
“मेरी जड्ज्मेंट पर स्वाल मत करना कभी. इस तट क्लियर.”
“जी मेडम सब कुछ क्लियर है”
“देखो एक बात ध्यान से शुन्ओ. एक बात और है जो तुम्हे फाइल में नही मिलेगी.” शालिनी ने जंगल की घतना शुनाई.
“उष साएको ने जो गोली चलाई थी मुझ पर वो पुलिस महकमे की है. मुझे यहा किशी पर विश्वास नही है. इश्लीए राजू को प़ड़्मिनी की शूरक्षा पर लगाया है. और इशी लिए तुम्हारा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा कर तुम्हे ये केस सोनपा है. अब समझे कुछ. बिना सोचे समझे कुछ मत बोला करो.” शालिनी ने कहा.
“सॉरी मेडम” रोहित का चेहरा लटक गया.
“इट्स ओक…पर आगे से ध्यान रखना. मेरे सामने सोच समझ कर बोलना.”
“ध्यान रखूँगा मेडम.”
“ये प़ड़्मिनी को फोटोस दीखने वाला आइडिया अछा है. यही काम करो पहले” शालिनी ने कहा.
“बिल्कुल मेडम. पर ये काम कल ही हो पाएगा. सभी करिमिनल्स की फोटोस उपलब्ध नही है आज.”
“तब तक फील्ड एंक्वाइरी करो. किशी को कुछ तो पता होगा साएको के बड़े में.”
“वही करने जा रहा हूँ मेडम. आप इज़ाज़्त् दे तो मैं चालू.”
“एस ऑफ कोर्स…गुड लक.”
रोहित कमरे से बाहर आ गया. “भोलू जीप लगवाव मेरी हमें फील्ड में निकलना है.”
रोहित जीप में बैठ कर चल पड़ा. “कल्लू जुर्म की दुनिया की सारी जानकारी रखता है. उशी से मिलता हूँ जाकर.”
कुछ ही देर बाद रोहित कल्लू के घर के बाहर खड़ा था. उसने घर का दरवाजा खड़क्या.
“कौन है? बाद में आना अभी टाइम नही है.” अंदर से आवाज़ आई.
रोहित भड़क गया उसने दरवाजे पर ज़ोर से लात मारी और दरवाजा खुल गया. रोहित अंदर आया तो दंग रह गया.
कल्लू एक महिला के उपर चढ़ा हुवा था. वो चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था.
“आबे रुक…मुझे ज़रूरी बात करनी है तुझसे.”
“अभी नही रुक सकता. अभी तो शुरूर आया है चुदाई का. थोक लेने दो सिर”
“कितना वक्त लगाएगा तू..मेरे पास तूमे नही है.” रोहित ने कहा.
“मेरी चम्माक छल्लो तू बता कितनी देर चुद़वाएगी तू.”
“जब तक तुम्हारा मन करे आआहह.”
“देखा सिर थोड़ी देर रुकना पड़ेगा आपको. रोज रोज इसे तरह नही देती ये चुत. आज दे रही है तो मुझे टोटल मस्ती कर लेने दो.”
रोहित ने पिस्टल निकाली और कल्लू के सर पर रख दी. “तेरी मस्ती पूरी होने तक का वक्त नही है मेरे पास. रुक जा वरना गोली मार दूँगा.”
कल्लू ने उष महिला की चुत से लंड निकाल लिया. वो महिला अपने कपड़े पहन कर वाहा से चली गयी. “सिर आप भी ना हमेशा घोड़े पर सवार हो कर आते हो. लीजिए रुक गया. क्या बात है बोलिए.”
“साएको किल्लर जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है…क्या कुछ जानते हो उशके बड़े में.” रोहित ने पूछा.
“मुझे कुछ नही पता सिर उशके बड़े में. बल्कि किशी को कुछ नही पता. मैं तो खुद डरा रहता हूँ उष से.मैं कभी रात को बाहर नही घूमता अब. 9 बजने से पहले ही घर आ जाता हूँ. सॉरी मैं इसे बड़े में आपकी कोई मदद नही कर सकता. मुजरिमो की दुनिया में उष्का कोई निशान नही है””
“ह्म….चल ठीक है कोई बात नही.” रोहित ने कहा और 500 का नोट थमा दिया कल्लू को. “ये दरवाजा ठीक करवा लेना.”
रोहित जीप में बैठ कर चल दिया.
“लगता है ये साएको एक ऐसा व्यक्ति है जीशकि की समाज में इज़्ज़त है. वो प़ड़्मिनी को इश्लीए माँग रहा है क्योंकि उसे दर है की कही वो बेनकाब ना हो जाए. शायद वो सारे आम हमारे सामने घूमता हो रोज पर हम उसे पहचान नही पाते क्योंकि हमे ज़रा भी अंदाज़ा नही रहता की वो कातिल हो सकता है. मिस्टर साएको तुम्हे चोदूगा नही मैं. देखता हूँ कब तक बचोगे.””
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शाम हो चुकी है और प़ड़्मिनी ऑफीस से निकल रही है. राजू आस यूषुयल ख़ुसी से झूम उठता है. फ़ौरन आ जाता है वो प़ड़्मिनी के पास.
“हो गयी चुती आपकी.” राजू ने पूछा.
“राजू तुम अपनी ड्यूटी पर ध्यान रखो. मुझसे फालटो की बाते मत किया करो”
“आप मुझसे खफा-खफा क्यूँ रहती है. प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही” आख़िर ज़जबात में बह कर राजू के मूह से निकल ही गयी दिल की बात. वो खुद पचेटाया बोल कर क्योंकि प़ड़्मिनी की आँखे ये शुंते ही गुस्से से लाल हो गयी. थप्पड़ जड़ दिया उसने राजू के गाल पर.
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की…दफ़ा हो जाओ यहा से. नही चाहिए मुझे कोई प्रोटेक्षन.”
“सॉरी प़ड़्मिनी जी ग़लती हो गयी. मूह से निकल गया यू ही. कहना नही चाहता था आपसे कुछ भी. पर पता नही क्यों ये सब बोल दिया मैने.” राजू गिड़गिडया.
“तुम्हारा मूठ अपने आप निकल जाता है. मूह से भी कुछ भी निकल जाता है. तुम आख़िर हो क्या.”
बेचारा राजू करे भी तो क्या करे. कुछ भी नही बोल पाया प़ड़्मिनी को. बस सर झुकाए खड़ा रहा. प़ड़्मिनी को ज़रा भी अहसास नही हुवा की वो सच में उसे प्यार कराता है. वो तो अपने सपने के कारण राजू से छिड़ी हुई थी और कुछ भी करके उष बादशूरआत सपने को टालना चाहती थी. इशी बोखलाहट में थप्पड़ जड़ दिया था उसने राजू के मूह पर.
“चुप क्यों खड़े हो बोलते क्यों नही कुछ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“क्या काहु आपसे. गुनहगार हू आपका. चलिए आप लाते हो रही हैं…सॉरी मैं आगे से ऐसा नही बोलूँगा.”
“तुम्हारे बस में कुछ है भी. तुम्हारा तो सब कुछ अपने आप निकल जाता है.” प़ड़्मिनी ने कहा और अपनी कार में बैठ गयी.
राजू भी अपनी जीप में बैठ कर उशके पीछे चल दिया. घर पहुँच कर प़ड़्मिनी सीधा घर में घुस्स गयी. वो राजू से कोई बात नही करना चाहती थी.
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घने जंगल का दृश्या है. चारो तरफ खौफनाक सन्नाटा है. प़ड़्मिनी और राजू घबराए खड़े हैं.घबराए भी क्यों ना उनके सामने साएको खड़ा है उनकी तरफ बंदूक तने.
“तुम दोनो डिसाइड कर लो पहले कौन मारना चाहता है.” साएको ने कहा.
“हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे.” राजू ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साएको की तरफ और उष पर टूट पड़ा. साएको के हाथ से पिस्टल चुत कर दूर गिर गयी. उष्का चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साएको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो राजू पर भारी प़ड़ रहा था. किशी तरह राजू के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साएको के पेट में गाड़ दिया. साएको ढेर हो गया ज़मीन पर. राजू को लगा साएको का काम ख़त्म. वो प़ड़्मिनी की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साएको बोला, “पहले प़ड़्मिनी ही मरेगी…बचा सको तो बचा लो.”
राजू ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साएको के हाथ में पिस्टल थी और उसने प़ड़्मिनी को निशाना बना रखा था. वक्त रहते राजू प़ड़्मिनी और गोली के बीच आ गया और राजू ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.
प़ड़्मिनी भाग कर आई राजू के पास और फूट फूट कर रोने लगी. “ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मार जाने देते.”
“प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही” राजू ने कहा और उसने दम तौड दिया.
“राजू!” और प़ड़्मिनी छील्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही…राजू ने यही कहा था शाम को. अफ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..राजू मुझे क्यों परेशन कर रहे हो.”
प़ड़्मिनी सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया की रात के 2 बाज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.
पानी पीने के बाद प़ड़्मिनी खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ राजू दीखाई दिया. वो जीप का सहारा लेकर खड़ा था. राजू ने प़ड़्मिनी को खिड़की से झाँकते हुवे देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा चोद कर सीधा खड़ा हो गया…जैसे की कुछ कहना चाहता हो.
प़ड़्मिनी ने फ़ौरन परदा चोद दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिस की उसने दीमग को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उशके दीमग में राजू के यही बोल गूँज रहे थे, “प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही.”
निशा अचानक उठती है और खुद को कमरे में अकेला पाती है. वो पाती है की उशके शरीर पर अब एक भी कपड़ा नही है. उसे याद आता है की साएको ने उसे कुछ खाने को दिया था. खाते ही वो गहरी नींद शो गयी थी. उष्का सर घूम रहा था.वो दीवार घड़ी की और देखती है. घड़ी 2 बजा रही थी.
“ये दिन के 2 बजे हैं या रात के 2” निशा सोचती है. मगर उशके पास जान-ने का कोई चारा नही है. उष कमरे में कोई खिड़की नही है. एक दरवाजा है जो की बंद है. वो चारो तरफ ध्यान से देखती है. उसे एक टाय्लेट दीखाई देता है. वो उठती है और काँपते हुवे टाय्लेट
की तरफ बढ़ती है. टाय्लेट में कोई दरवाजा नही है. वो अंदर झाँक कर देखती है तो पाती है की टाय्लेट में भी कोई खिड़की नही है.
“ये कैसा कमरा है. कोई खिड़की नही है इसमे. और वो साएको कहा है?”
निशा टाय्लेट से दरवाजे की तरफ बढ़ती है. वो दरवाजे पर कान लगा कर देखती है. उसे बस सन्नाटा सुनाई देता है.
“कोई भी आवाज़ नही आ रही कही से…आख़िर मैं कहा हूँ. क्या ये कमरा देहरादून में ही है या कही और. अंकली प्लीज़ कुझ कीजिए मैं मारना नही चाहती.” निशा फूट फूट कर रोने लगती है.
तभी निशा को दरवाजे पर कुछ हलचल शुनाई देती है और वो फ़ौरन भाग कर बिस्तर पर आकर लाते जाती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है.
दरवाजा खुलता है और धदाम की आवाज़ होती है. निशा उत्शुकता में आँखे खोल कर देखती है. “रामू काका!”
रामू निशा के घर का नौकर था. कोई 45-46 साल की उमर का था. निशा ने रामू को देखते ही अपने उभारो पर हाथ रख लिए. मगर उष्की योनि को छुपाने के लिए कुछ नही बचा था.
“मेंसाहब्! आअहह” रामू कराहते हुवे बोला. उशके सर से खून निकल रहा था.
साएको ने रामू को कमरे में पटका था. जीश से धदाम की आवाज़ हुई थी
“अब तुम क्या करना चाहते हो?” निशा रोते हुवे बोली.
“जब तक प़ड़्मिनी को मुझे नही शोनपा जाता क्यों ना एक-आध गेम हो जाए.” साएको ने कहा
“अब कौन सी गेम खेलना चाहते हो…प्लीज़ मुझे जाने दो” निशा रोने लगी
“वाउ क्या ख़ौफ़ है तुम्हारी आँखो में. सच में मज़ा आ गया. अब और मज़ा आएगा.”
“मुझे यहा क्यों लाए हो भाई.” रामू ने पूछा.
“डरो मत तुम. बल्कि गर्व करो की तुम मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो.”
रामू को कुछ समझ नही आया.
“खेल बहुत सिंपल है. ये चाकू देखो” साएको ने हाथ में पकड़े चाकू को हिलाया.
रामू बड़ी हैरानी से सब शन रहा था. उशके रोंगटे खड़े हो रखे थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 30