एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

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sexy
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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 28 Sep 2015 09:58

“तुम्हारे पास टीन ऑप्षन्स है. पहली ऑप्षन ये है की ये चाकू लो और अपना पेट चियर लो. तुम्हारी मेंसाहब् को जाने दूँगा मैं अगर ऐसा करोगे तो.”

रामू ने निशा की और देखा. उष्की रूह काँप उठी थी ये सब शन कर.

“दूसरी ऑप्षन है की तुम ये चाकू लो और निशा का पेट चियर डालो. उष्का पेट चीरने के बाद तुम यहा से जा सकते हो. तुम्हे कुछ नही करूँगा.”

रामू की तो आँखे फटी की फटी रह गयी.

“तीसरा ऑप्षन भी है. तुम अपनी मेंसाहब् की चुत में लंड डाल दो. मगर लंड उष्की मर्ज़ी से डालना. रेप की इज़ाज़त नही है तुम्हे. आधा घंटा है तुम्हारे पास इन तीनो में से एक काम करने का. कुछ भी नही किया तो तुम्हे काट डालूँगा. लो पाकड़ो ये चाकू.” साएको ने चाकू रामू को दे दिया और खुद कुर्सी पर हाथ में पिस्टल ले कर बैठ गया.

रामू असमांजस में था की क्या करे. खुद का पेट वो चियर नही सकता था. तीसरा काम भी वो नही कर सकता था. बस एक ही ऑप्षन बची थी की वो काट डाले निशा को.

“दूसरी ऑप्षन ही ठीक है रामू. चियर दे पेट मेंसाहब् का. उनके मरने से तुम जिंदा रह सकते हो तो क्या दिक्कत है.” वो काँपते हुवे हाथ में चाकू लिए निशा की तरफ बढ़ता है.

“माफ़ करना मेंसाहब् और कोई चारा नही है. आप आँखे बंद कर लो”

“नमक हराम, अपना पेट क्यों नही चियर लेते. दीखा दी अपनी औकात तुमने.” निशा छील्लाई.

“मुझे भी जीने का हक़ है. आपके मरने से मैं जींदा रह सकता हूँ तो क्या दिक्कत है.” रामू चाकू हवा में लहराता है. निशा काँप उठती है.

“रूको…तीसरी ऑप्षन भी तो है.” निशा रोते हुवे कहती है.

रामू का हाथ हवा में ही रुक जाता है. “तो क्या आप डलवा लेंगी?”

“हन आ जाओ” निशा फूट फूट कर रोने लगती है.

साएको तालिया पीतने लगता है. “वाह भाई वाह, क्या बात है. ये तो पूरी बेशर्मी पर उतार आई है. कितनी प्यास है इश्कि चुत में लंड के लिए. अपने नौकर का लेने के लिए भी तैयार हो गयी है. ऐसी बदचलन रंडी मैने आज तक नही देखी. निशा जी हॅट्स ऑफ तो यू. कीप इट उप. जल्दी करो 5 मिनिट बर्बाद कर चुके हो तुम रामू. आधा घंटा है सिर्फ़ तुम्हारे पास.”

रामू की तो आँखे ही चमक उठी थी ये शुंके. उशके लिंग में तुरंत हरकत होने लगी थी. उसने चाकू एक तरफ रखा और चढ़ गया बिस्तर पर.

“कही और मत चुना मुझे.” निशा ने कहा

“ये करने को मिल रहा है, यही बहुत बड़ी बात है” रामू ने कहा और अपनी पेंट उतार दी. फुर्ती से उसने अंडरवियर भी उतार दिया. बहुत बेचैन हो रहा था.

निशा ने अपनी आँखे बंद कर ली. टाइम बीट-ता जा रहा था. रामू ने तुरात अपने लिंग पर थूक लगाया और टीका दिया निशा की योनि पर.

एक ही धक्के में रामू ने पूरा लिंग निशा की योनि में उतार दिया. “आआआहह….नूऊओ” निशा कराह उठी.

निशा सोच रही थी की अब साएको रामू का गला काट देगा और ये गंदा काम जल्दी ख़त्म हो जाएगा. इशईलिए तो वो इशके लिए तैयार भी हुई थी.

पर वो चोंक गयी. रामू ने मज़े से धक्के लगाने शुरू कर दिए और ऐसा कुछ नही हुवा जैसा वो सोच रही थी. उसने साएको की तरफ देखा. वो कुर्सी पर बैठा था. उशके चेहरे पर नकाब था. इश्लीए वो उशके चेहरे के भाव नही देख पाई. पर वो समझ गयी की वो पूरे दृश्या का आनंद ले रहा था.

पहली बार निशा की योनि में लिंग अंदर बाहर घूम रहा था. मगर वो कुछ भी फील नही कर पा रही थी. उष्की आँखे तपाक रही थी. रामू तो लगा हुवा था अपने काम में. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.तूफान मचा दिया था उसने बिस्तर पर. भरपूर मज़ा ले रहा था वो निशा का. रुका नही एक भी बार. निशा की आँखो के आँसू भी नही दीखे उशे. लगा रहा बस. अपने चरम पर पहुँच कर गिर गया वो निशा के उपर और बोला, “माफ़ करना मुझे मेंसाहब्. कोई और चारा नही था.”

मगर तभी छींख गूँज उठी रामू की कमरे में. साएको ने उष्की गर्दन के पीछे सर के बिल्कुल नीचे चाकू घुस्सा दिया. बड़ी बेरहमी से उसने वो चाकू नीचे की और खींचा और रामू की पीठ चियर डाली. चारो तरफ खून ही खून फैल गया. बिस्तर लाल हो गया. साएको ने रामू को टाँग पकड़ कर निशा के उपर से खींचा और ज़मीन पर पटक दिया.

“क्या सीन बना है. क्यों री रंडी. मिल गया तेरी चुत को पानी. अब तो खुश है तू. मैं चाहता था की वो तुझे काट डाले. मगर नही. तुझे तो लंड चाहिए था उष्का. भुज गयी प्यास तेरी अब. अपनी चुत में लंड ले ले कर लोगो को मरवा रही है. तेरे जैसी रंडी नही डेक्खी दुनिया में. बस बहुत हो गया तेरा ये गंदा खेल. नही चलने दूँगा मैं ये सब. साएको ने निशा के बाल पकड़े और उसे घसीट कर रामू की लास पर पटक दिया. इशके साथ तू भी मरेगी अब. मुझे रंडी बिल्कुल पसंद नही.” साएको की बातो में बहुत कठोराता थी

और फिर कमरे में दरिंदगी का वो खेल हुवा जिसे देख कर किशी की भी रूह काँप जाए. बड़ी बेरहमी से काट डाला था साएको ने निशा को. दम तौड दिया था उसने बहुत जल्दी. मगर साएको का चाकू नही थमा. वार पर वार कराता रहा वो.

“मेरी गेम खराब कराती है साली. मैं क्या यहा पॉर्न देखने बैठा था जो की लंड ले लिया तूने मज़े से. साली रंडी………..” पता नही और क्या क्या बकवास कराता रहा वो.

कमरे में बहुत ही दर्दनाक और खौफनाक दृश्या हुवा था. जीशका पूरा वर्णन बहुत ही मुश्किल है.

………………………………………………………………….

रोहित भोलू के साथ सहर का चक्कर लगा रहा है.

“सिर ये साएको बिना मतलब क्यों माराता फिराता है लोगो को.” भोलू ने कहा.

“क्योंकि वो साएको है. पागल हो गया है सला…एक बार मिल जाए मुझे. सारा साएको पाना निकाल दूँगा सेयेल का.”

अचानक उनकी जीप के आगे से एक बाएक निकलती है.

“ये कौन घूम रहा है बाएक पर इतनी रात को.” रोहित जीप की बढ़ता बढ़ा कर बाएक के आगे आ जाता है और बाएक सवार को रुकने पर मजबूर कर देता है.

“ये तो मोहित है?” भोलू कहता है.

“कौन मोहित?”

“मेरे घर के पास ही रहता है सिर.”

“तुम इतनी रात को कहा घूम रहे हो. किशी का खून करके तो नही आ रहे” रोहित ने पूछा.

“मैं अपनी ड्यूटी से आ रहा हूँ. घर जा रहा हूँ.” मोहित ने कहा.

“क्या काम करते हो?” रोहित ने पूछा.

“प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ.”

“थ्ट्स इंट्रेस्टिंग. साएको का दर नही तुम्हे.”

“2 बार सामना हो चुका है उष से. अब दर नही लगता उष से. मुझे मिला दुबारा तो बचेगा नही इसे बार वो.” मोहित ने कहा.

“पढ़ी है मैने केस फाइल. तुमने उसे घायल किया था.”

“हन पेट चियर दिया था मैने उष्का.” मोहित ने कहा.

“फिर तो उशके पेट पे निशान होना चाहिए. मेरा ध्यान नही गया था इसे बात पर. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है.”

“क्या मैं जा सकता हूँ अब.” मोहित ने कहा.

“हन बिल्कुल. क्या तुमने रास्ते में कुछ अजीब देखा. जैसे की कोई व्यक्ति घूमता हुवा.”

“मैने एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखी खड़ी हुई मंदिर के बाहर. मंदिर से एक आदमी निकला और स्कॉर्पियो में बैठ कर चला गया. मैं शकल नही देख पाया उष्की. मुझे ये अजीब सा लगा कुछ.” मोहित ने कहा.

“कौन से मंदिर की बात कर रहे हो तुम.” रोहित ने पूछा.

“बहुत पूरेाना सा मंदिर है भोले नाथ का. मैं वाहा कभी गया नही.” मोहित ने कहा

“बस स्टॅंड के सामने जो है उष्की बात तो नही कर रहे कही.” रोहित ने कहा.

“हन हाँ वही मंदिर.”

“वो मंदिर नही खंदार है मेरे भाई…मतलब ज़रूर कुछ गड़बड़ है. भालू चलो जल्दी” रोहित ने कहा.

“क्या मैं भी चल सकता हूँ आपके साथ?” मोहित ने कहा.

“आ जाओ…कोई दिक्कत की बात नही है.” रोहित ने कहा.

मोहित ने बाएक वही सड़क के किनारे खड़ी कर दी और जीप में बैठ गया.

रोहित ने पूरी बढ़ता से जीप सड़क पर दौड़ा दी.

रोहित कुछ ही देर में मोहित और भोलू के साथ उष पूरेाने मंदिर में पहुँच गया. उसने जीप पार्क की मंदिर के सामने और अपनी पिस्टल निकाल ली. पिस्टल हाथ में तने वो खंदर में घुस्स गया.

खंदर में काई अलग अलग टूटे हुवे कमरे थे जिनकी दीवारे तो थी मगर चत्ट नही थी. रोहित ने एक एक करके सभी तरफ देखा.

“भोलू टॉर्च देना मुझे.” रोहित को शायद कुछ दीखा एक टूटे कमरे में.

भोलू ने टॉर्च रोहित को पकड़ा दी. रोहित ने जब टॉर्च जला कर कमरे की तरफ की तो सभी के होश उस गये.

“हे भगवान .” तीनो के मूह से यही निकलता है.

रोहित तुरंत आस्प साहिबा को फोन मिलाता है. रात के सादे टीन हो रहे थे. शालिनी गहरी नींद में शोय थी.

“अफ किशका फोन है इसे वक्त.” शालिनी ने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया.

“सॉरी मेडम आपको इसे वक्त डिस्टर्ब कर रहा हूँ.”

“क्या बात है, रोहित?” शालिनी ने पूछा.

“आप तुरंत यहा आ जाईए. बहुत भयानक मंज़र करेआत किया है साएको ने.” रोहित उसे वो सब बताता है जो की उसने देखा.

शालिनी तुरंत तैयार हो कर खंदार की तरफ निकल देती है. उशके साथ चार कॉन्स्टेबल्स भी होते हैं. कुछ ही देर में शालिनी वाहा पहुँच जाती है.

जब शालिनी अपनी आँखो से सब देखती है तो उशके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. साएको ने निशा का सर काट कर रामू के सर पर लगा रखा था और रामू का सर काट कर निशा के सर पर लगा रखा था. दोनो लासो को उसने दीवार के साहारे खड़ा कर रखा था. दीवार पर लिखा था “दो पापी, निशा और रामू आपके सामने हैं. थे अरे प्राउड विक्टिम ऑफ माई आर्टिस्टिक मर्डर.”

“जीसस…तीस साएको इस शिज़ोफ्रेनिक” शालिनी कहती है.

“मेडम, जब मैं इशे पाकडूँगा तो थाने नही लवँगा. इश्का एनकाउंटर करूँगा मैं.” रोहित ने कहा.

“क्या बकवास कर रहे हो. मेरे सामने ऐसी बात मत करना कभी. हमें जो भी करना है क़ानून के दायरे में करना है.” शालिनी भड़क गयी रोहित की बात शन कर.

“कौन सा क़ानून मेडम, इशी क़ानून का सहारा ले कर छ्चुत जाते हैं ऐसे लोग. वो पॉलिटीशियन का लड़का जिसे मैने रेप के केस में अंदर किया था आज आज़ाद घूम रहा है. जीशका रेप हुवा था उसने स्यूयिसाइड कर ली है. क्या इंसाफ़ दिया हमने उष बेचारी को. उसे मैं जैल में डालने की बजाए गोली मार देता तो कुछ तो इंसाफ़ मिलता उष बेचारी को.”

“शूट उप ई से, सब तुम्हारी तरह सोचेंगे तो लॉ और ऑर्डर की धज़ियाँ उस जाएँगी. मेरे सामने ऐसी बाते कभी मत करना.”

“नही करूँगा पर आप खुद सोच कर देखो. क्या ऐसा घिनोना काम कोई इंसान कर सकता है. वो इंसान नही है मेडम. उष पर क़ानून लागू नही होता. जानवर है वो, हैवान है. ऐसे जानवरो को गोली मारनी चाहिए सीधा सर में. मोका नही देना चाहिए कोई भी.”

“तुम जजबाती हो रहे हो…बाद में बात करेंगे.” शालिनी ने बात को ख़त्म करना सही समझा.

“पोस्ट मोर्टें के लिए भेज दो दोनो बॉडीस को” शालिनी ने कहा.

“क्या तुमने उष ब्लॅक स्कॉर्पियो का नंबर नोट किया मोहित.” रोहित ने मोहित से पूछा.

“नही, मैने इसे बात पर गौर ही नही किया की ऐसा हो सकता है.” मोहित ने कहा.

“सहर में जीश-जीश के नाम भी ब्लॅक स्कॉर्पियो है उनका पता करो. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है हमारे लिए” शालिनी ने कहा.

“जी मेडम. मैं भी यही सोच रहा था.” रोहित ने कहा.

“टॉर्च दो मुझे.” शालिनी ने कहा.

रोहित ने टॉर्च शालिनी को पकड़ा दी.

शालिनी ने बहुत बारीकी से बॉडीस को एग्ज़ॅमिन किया. “खून उसने कही और किया और बॉडीस यहा ला कर सज़ा दी. वो तो प़ड़्‍मिनी को माँग रहा था निशा के बदले में. अभी उष्की दी हुई मोहलत भी पूरी नही हुई थी. आख़िर ये साएको चाहता क्या है.” शालिनी ने कहा.

“पागल है वो मेडम. और पागलो को समझा नही जा सकता.” रोहित ने कहा.

“चलो फिलहाल इन बॉडीस को पोस्ट मोर्टें के लिए भेज दो. और हाँ ध्यान रखना ये न्यूज़ मीडीया में लीक ना हो जाए. सनसनी फैल जाएगी सहर में. लोग वैसे ही बहुत डरे हुवे हैं.”

“मैं ध्यान रखूँगा मेडम?” रोहित ने कहा.

“एक काम करो सभी पुलिस कॉंटरों रूम को अलर्ट कर दो इसे ब्लॅक स्कॉर्पियो के बड़े में.” शालिनी ने कहा.

“ऑलरीडी कर दिया है. अब खुद भी एक रौंद पर निकल रहा हूँ.”

“गुड. कीप इट उप” शालिनी ने कहा.

पुलिस डिपार्टमेंट ने तो न्यूज़ दबा कर न्यू एअर मगर सुबह सवेरे हर चॅनेल पर एक वीडियो दीखाई जा रही थी. ये वीडियो साएको ने बनाई थी. उसने कमेरे का फोकस बोडेयस पर कर रखा था और बोल रहा था, “प़ड़्‍मिनी देखो कितना खूबशुरआत कटाल किया है मैने. मैं एक आर्टिस्ट हूँ. तुम मुझसे डरो मत और मुझे एक मोका दो. सच कहता हूँ तुम्हे फकर होगा की तुम मेरे हाथो मारी गयी. एक खूबशुरआत मौत दूँगा तुम्हे मैं. मेरे हाथो मरने के बाद सीधा स्वर्ग जाओगी. तुम बेवजह दर कर भाग गयी उष दिन. तुम बहुत शुनदर हो प़ड़्‍मिनी. तुम्हारे जैसा इसे सहर में कोई नही. तुम्हारे जैसी खूबशुरआत लड़की को खूबशुरआत मौत ही मिलनी चाहिए. और ये काम मैं बखूबी कर सकता हूँ. इन दोनो का खून मैने तुम्हारे कारण किया है. जब तक तुम मेरे पास नही आओगी. ऐसे नज़ारे सहर वासियों को मिलते रहेंगे. सभी की भलाई इशी में है की तुम मेरे पास आ जाओ और एक खूबशुरआत मौत को स्वीकार करो. ये मत सचना प़ड़्‍मिनी की अगर तुम नही आओगी मेरे पास तो बच जाओगी. मारना तो तुम्हे है ही. यू कॅन रन बट यू कॅन नेवेर हाइड. तुम्हे तो मैं एक खूबशुरआत मौत दे कर रहूँगा चाहे कुछ हो जाए. आज तक तुम्हारे जैसी शुनदर लड़की को नही मारा. ये इचा भी पूरी हो कर रहेगी…हे…हे…हे.”

टीवी पर बार बार ये वीडियो दीखाई जा रही थी.

“ये न्यूज़ वाले भी ना. अपना फ़ायडा देखते हैं बस. मुजरिमो का काम आसान कर देते हैं ये मीडीया वाले. बार बार दीखा रहे हैं ये विसडेव. सनसनी फैलाने में पूरा साथ दे रहे हैं साएको का.” रोहित ने कहा.

“निकल गयी हवा सारी बेटा. अब तुम्हे लग रहा होगा की तुम सस्पेंड ही अच्छे थे, है ना मिस्टर रोहित पांडे.” चौहान ने रोहित का मज़ाक उसाया.

“जीतने दिन ये केस आपके पास रहा, उतने दिन मेरे पास होता तो ये नौबत ही नही आती. वैसे आप थे कहा रात. आस्प साहिबा तो पहुँच गयी वाहा पर आप नही आए. थे कहा आप.”

“मैं कही भी रहूं, तुमसे मतलब. अपना काम करो हा.” चौहान मूह सिकोड कर चला जाता है.

“मुझे तो इसे चौहान पर भी शक है. कोई एंक्वाइरी ठीक से नही की ईसणे. आस्प साहिबा कह भी रही थी की पुलिस महकमे की गोली चली थी उन पर. इसे चौहान पर नज़र रखनी पड़ेगी मुझे.” रोहित ने खुद से कहा.

………………………………………………………………………………………………………………..

जब टीवी पर प़ड़्‍मिनी ने न्यूज़ देखी तो उशके पाँव के नीचे से तो ज़मीन ही निकल गयी. रोंगटे खड़े हो गये उशके न्यूज़ शन कर. साएको के एक एक बोल ने उष्की रूह को काँपने पर मजबूर कर दिया.

“बेटा कही मत जा तू थोड़े दिन. बस यही घर पर ही रहो.” प़ड़्‍मिनी की मम्मी ने कहा.

“हन बेटा तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही है. जब तक ये वाहसी दरिन्दा पकड़ा नही जाता तुम घर पर ही रहो. रोज ऑफीस आने जाने में तुम्हारी जान को ख़तरा रहेगा.” प़ड़्‍मिनी के अंकली ने कहा.

राजू सुबह जब दिन निकालने लगा था तो हवलदारो को चोकस करके जीप में ही शो गया था. 24 घंटे की ड्यूटी थी. थोड़ी नींद भी ज़रूरी थी.पर सादे 9 बजे वो बिल्कुल तैयार था प़ड़्‍मिनी के साथ ऑफीस जाने के लिए. वो इंतेज़ार कराता रहा. 10 बाज गये तो उसने घर की बेल बजाई. प़ड़्‍मिनी के अंकली ने दरवाजा खोला.

“क्या प़ड़्‍मिनी जी आज ऑफीस नही जाएँगी” राजू ने कहा.

“नही बेटा अब वो ऑफीस नही जाएगी. मैं अपनी बेटी को खोना नही चाहता.” प़ड़्‍मिनी के पिता की आँखे नाम हो गयी.

“क्या बात है आप परेशान क्यों लग रहे हैं.” राजू ने पूछा.

“तुम्हे नही पता कुछ भी? ओह हाँ तुम तो बाहर बैठे रहते हो. आओ टीवी पर न्यूज़ देखो, सब समझ जाओगे.”

राजू अंदर आ गया. सोफे पर टीवी के सामने प़ड़्‍मिनी अपनी मम्मी के कंधे पर सर रख कर बैठी थी. राजू ने जब टीवी पर न्यूज़ देखी तो उशके होश उस गये. खंदार का पूरा दृश्या दीखया जा रहा था. लेकिन जब साएको ने प़ड़्‍मिनी के बड़े में बोलना शुरू किया तो राजू आग बाबूला हो गया.

“ये कमीना ऐसा सोच भी कैसे सकता है. मैं उष्का खून पे जवँगा.” राजू छील्लाया.

प़ड़्‍मिनी, प़ड़्‍मिनी के अंकली और मम्मी तीनो हैरान रह गये राजू के रिक्षन पर.

“मेरे होते हुवे आपको कुछ नही होगा प़ड़्‍मिनी जी. आप तक पहुँचने से पहले उसे मुझसे टकराना होगा. जब तक मैं जींदा हूँ वो अपने इरादो में कामयाब नही हो सकता.” राजू ने प़ड़्‍मिनी की और देखते हुवे कहा.

अनायास ही प़ड़्‍मिनी को रात का सपना याद आ गया जीशमे उसने राजू को मराते देखा था अपने लिए. कुछ कहना चाहती थी राजू को पर कुछ बोल नही पाई. शायद अपने मम्मी, पापा की उपस्थिति के कारण चुप रही. मगर उसने एक बार बहुत प्यार से देखा राजू की तरफ और गहरी साँस ले कर अपनी आँखे बंद कर ली.

राजू ने प़ड़्‍मिनी की आँखे पढ़ने की कोशिस तो की मगर वो कुछ समझ नही पाया. “क्या था इन मृज्नेयनी सी आँखो में जो मैं समझ नही पाया. आँखो की भासा क्यों नही सीखी मैने.” राजू सोच में प़ड़ गया.

“मुझे नींद आ रही है. मैं शोन जा रही हूँ. रात भर ठीक से शो नही पाई” प़ड़्‍मिनी ने कहा और उठ कर वाहा से चल दी.

“आपकी इज़ाज़त हो तो, क्या मैं प़ड़्‍मिनी जी से अकेले में कुछ बात कर सकता हूँ.” राजू ने प़ड़्‍मिनी के अंकली से पूछा.

“यही रोक लेते उशे, अब तो वो चली गयी.” प़ड़्‍मिनी के अंकली ने कहा.

“बहुत इंपॉर्टेंट बात है प्लीज़.” राजू ने फिर रिकवेस्ट की.

“ओक चले जाओ, अभी तो वो अपने कमरे में पहुँची भी नही होगी.”

प़ड़्‍मिनी का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था. और वो सीढ़िया चढ़ रही थी. राजू दौड़-ता हुवा आया और बोला, “आप बिल्कुल चिंता ना करो, मैं हूँ ना.”

“थॅंकआइयू, मैं खुद को संभाल सकती हूँ. तुम अपना ख्याल रखना राजू.” प़ड़्‍मिनी सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने कमरे में आ गयी और अपना दरवाजा बंद कर लिया.

राजू भी आ तो गया सीढ़ियाँ चढ़ कर उपर. पर दरवाजा खड़काने की हिम्मत नही जुटा पाया. आ गया वापिस अपना सा मूह लेकर. “अपना ख्याल रखने को क्यों कहा प़ड़्‍मिनी जी ने मुझे. क्या उन्हे मेरी चिंता है. नही…नही शायद उन्होने ऐसे ही कह दिया होगा. वो मेरी फिकर क्यों करेंगी. मैं भी बिल्कुल पागल हूँ. चोद दे प्यार के सपने और अपनी पूरेानी जींदगी में वापिस लौट जा. प्यार व्यार अपनी किशमत में नही है.”

राजू घर से बाहर आ गया. उसने सभी कॉन्स्टेबल्स को हिदायत दी की हर वक्त बिल्कुल सतर्क रहें.

“मैने किशी को भी लापरवाही करते देखा तो देख लेना, मुझसे बुरा कोई नही होगा.” राजू ने कहा.

राजू वापिस घर के बाहर खड़ी अपनी जीप में बैठ गया. “अब इसे साएको ने हद कर दी है. प़ड़्‍मिनी जी के बड़े में ऐसी बाते बोली. जींदा नही चोदूगा कामीने को, बस मिल जाए एक बार वो मुझे.”

मगर बार-बार राजू की आँखो के सामने वो दृश्या घूम रहा था जब प़ड़्‍मिनी बड़े प्यार से उसे देख रही थी. “कुछ तो था उन मृज्नेयनी सी आँखो में. काश समझ पाता मैं.”
रोहित थाने से निकल ही रहा था की सामने से आस्प साहिबा आ गयी.

“क्या चल रहा है रोहित, कोई नयी डेवालेपमेंट?” शालिनी ने कहा.

“साएको ने अपनी करातूत की वीडियो सर्क्युलेट कर दी है मीडीया में और मीडीया वाले पागलो की तरह उसे दीखा रहे हैं.” रोहित ने कहा.

“हन पता चला मुझे सब कुछ. अब कहा जा रहे थे तुम?”

“मेडम, प़ड़्‍मिनी को फोटोस दीखने जा रहा हूँ.”

“गुड, उष्की सुरक्षा अर्ृंगमेंट भी चेक कर लेना. और सुरक्षा की ज़रूरात हो तो दी जा सकती है.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 31

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 28 Sep 2015 10:00

“बिल्कुल मेडम, मैं देख लूँगा.”

“ओक…गुड लक” शालिनी कह कर अपने कॅबिन की तरफ चल दी.

रोहित अपनी जीप में बैठ कर प़ड़्‍मिनी के घर की तरफ चल दिया.

……………………………………………………………..

राजू बैठा था जीप में चुपचाप. पर उशके दीमग में एक तूफान चल रहा था.

“ये अब मेरी पर्सनल बॅटल है. साएको की हिम्मत कैसे हुई प़ड़्‍मिनी जी के बड़े में ऐसा बोलने की. गोली मार दूँगा सेयेल को मिल जाए एक बार मुझे वो. देखा जाएगा बाद में जो होगा. नही चोदूगा उसे मैं जींदा. उसे नही पता की प़ड़्‍मिनी जी के बड़े में इतनी घिनोनी बाते करके उसने अपनी जान आफ़त में डाल ली है.”

तभी प़ड़्‍मिनी की खिड़की का परदा खुलता है. राजू तो देख ही रहा था बार-बार खिड़की की तरफ. जैसे ही उसे प़ड़्‍मिनी दिखी आ गया फ़ौरन जीप से बाहर. प़ड़्‍मिनी ने फिर बहुत प्यार से देखा राजू को. राजू तो बस देखता ही रह गया प़ड़्‍मिनी को. वक्त जैसे थम सा गया था.

तभी एक जीप आकर रुकी प़ड़्‍मिनी के घर के बाहर और रोहित उसमे से उतार गया.

“रोहित!” प़ड़्‍मिनी ने कहा और परदा गिरा दिया.

राजू के दिल पे तो जैसे साँप लाते गया. बहुत प्यार से देख रही थी प़ड़्‍मिनी राजू को. ये जीप बीच में ना आती तो शायद वो समझ जाता इसे बार की क्या है प़ड़्‍मिनी की मृज्नेयनी आँखो में.

“तो तुम हो राजवीर सिंग?” रोहित ने पूछा.

“जी हाँ बिल्कुल.”

“ई आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे.”

“ओह…गुड मॉर्निंग सिर. सॉरी आपको पहचान नही पाया. भोलू ने बातया था की अब साएको वाला केस आप हॅंडल कर रहे हैं.”

“इट्स ओक. यहा सब कैसा चल रहा है.”

“ठीक चल रहा है सिर”

“देखो वो साएको हाथ धो कर पड़ा है प़ड़्‍मिनी के पीछे. तुम्हे बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा. मैं 2 गन्मन लगा रहा हूँ यहा तुम्हारे साथ. कीप एवेरितिंग अंदर कंट्रोल.”

“रिघ्त सिर.”

रोहित प़ड़्‍मिनी के घर की बेल बजाता है. उशके अंकली दरवाजा खोलते हैं.

“जी कहिए.”

“ई आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे. मुझे प़ड़्‍मिनी से मिलना है”

“वो अपने कमरे में शो रही है.”

“देखिए मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है. प्लीज़ बुला दीजिए उन्हे.”

“ठीक है, बैठो आप मैं बुला कर लाता हूँ प़ड़्‍मिनी को”

जब प़ड़्‍मिनी के अंकली ने प़ड़्‍मिनी को बताया की उष से कोई रोहित पांडे मिलने आया है तो उसने माना कर दिया मिलने से. “मेरे सर में दर्द है पापा. मैं किशी से नही मिलना चाहती.”

प़ड़्‍मिनी के अंकली ने ये बात आकर रोहित को बता दी.

“लगता है अब तक नाराज़ है मुझसे.” रोहित ने मन ही मन सोचा.

“आप बाद में आ जाना.”

“बहुत अर्जेंट था. करिमिनल्स की फोटोस लाया था उन्हे दीखने के लिए. क्या पता इनही में से हो वो साएको.”

ये बात शुंते ही प़ड़्‍मिनी के अंकली दुबारा गये प़ड़्‍मिनी के पास और उसे किशी तरह ले आए अपने साथ.

प़ड़्‍मिनी को देखते ही रोहित खड़ा हो गया. दोनो की आँखे टकराई पर कुछ कहा नही एक दूसरे को.

“ये फोटोस हैं करिमिनल्स की. इन्हे ध्यान से देखिए…हो सकता है साएको इनही में से कोई हो.”

प़ड़्‍मिनी ने फाइल पकड़ी और बैठ गयी सोफे पे. एक एक फोटो को वो गौर से देखने लगी. जब प़ड़्‍मिनी के अंकली वाहा से हटे तो रोहित ने कहा, “कैसी हो प़ड़्‍मिनी”

“इनमे से कोई नही है.” प़ड़्‍मिनी ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी. उसने रोहित की बात का कोई जवाब नही दिया.

“इतने दीनो बाद मिली हो, क्या बात भी नही करोगी.” रोहित ने कहा.

प़ड़्‍मिनी कुछ नही बोली और चुपचाप वाहा से उठ कर चली गयी.

रोहित ने फाइल उठाई और घर से बाहर आ गया. “बिल्कुल नही बदली प़ड़्‍मिनी. आज भी वैसी ही है. वही गुस्सा, वही अदा. सब कुछ वही है. आँखो की गहराई भी वही है. शूकर है उसने मेरी तरफ देखा तो. लगता है कभी माफ़ नही करेगी मुझे. ऐसी हसीना की नाराज़गी से तो मौत अची”

रोहित राजू के पास आया और बोला, “अपने पास जो भी फोटोस थे करिमिनल्स के उनमे से कोई नही है साएको.”

“सिर अभी मैं एक बात सोच रहा था, बुरा ना माने तो बोलूं”

“बेझीजक कुछ भी बोलो यार. चौहान की तरह पागल नही हूँ मैं.”

“आस्प साहिबा पर पुलिस महकमे की गोली चली थी. अगर अस्यूम करके चलें की साएको एक पुलिस वाला है तो पीछले दीनो की कुछ बाते गौर की मैने”

“हन हाँ बोलते जाओ.” रोहित ने कहा.

“एक पुलिस वाले पर शक है मुझे. वो है सब इनस्पेक्टर विजय.”

“ऐसा कैसे कह सकते हो तुम. मैं जानता हूँ उशे. अछा बंदा है वो तो”

“देखिए सिर जब मेरे दोस्त मोहित ने साएको का पेट चियर दिया था तभी से विजय छुट्टी पर चला गया. फोन किया उसने बस की मैं मुंबई शादी में जा रहा हूँ. पूरे 2 हफ्ते बाद लौटा वो ड्यूटी पर. फिर जब आस्प साहिबा पर गोली चली थी, तब भी वो गायब था. ये कुछ बाते हैं जो डरसाती हैं की कुछ गड़बड़ है.”

“मान-ना पड़ेगा दीमग तेज चलता है तुम्हारा. यू विल बे वेरी सक्सेस्फुल इन पुलिस डेप्ट. मैं गौर करूँगा इसे बात पर. आज ही खबर लेता हूँ विजय की.”

“थॅंक यू सिर. ये मेरा गेस है. मैं ग़लत भी हो सकता हूँ.”

“इन्वेस्टिगेशन में गेस के सहारे ही आगे बढ़ना पड़ता है. जो गेस नही कर सकता वो इन्वेस्टिगेशन भी नही कर सकता. ख़ुसी हुई मुझे तुमसे मिल कर. मैं चलता हूँ अब. बे अलर्ट हियर ऑल थे टाइम.”

रोहित अपनी जीप में बैठ कर वापिस चला गया.

“सिर जो भी हो. ग़लत वक्त पर आए आप. पता नही कब हटेगा परदा ये अब. रोज रोज कहा प़ड़्‍मिनी जी हमारी तरफ ऐसे देखती हैं. पता नही क्या बात है. ”
मोहित भी टीवी पर साएको द्वारा बनाई गयी वीडियो देख कर परेशान हो गया.

“एक तो ये कमीना इतने वहासी तरीके से खून कर रहा है. उपर से ऐसी वीडियो बना कर मीडीया में भेज रहा है. बहुत भयानकहनेल, खेल रहा है ये प्यचओ. काश मैं इशे उशी दिन मार डालता.”

मोहित तैयार हो कर अपनी ड्यूटी के लिए निकल दिया. सुबह के 11 बाज रहे थे. वो थोड़ा लाते हो गया था.

“लाते हो गया यार इसे साएको के चक्कर में. जल्दी निकलता हूँ.”

मोहित बाएक ले कर अपने ऑफीस की तरफ निकल देता है. रास्ते में कुछ ही दूरी पर एक बस स्टॉप पर उसे पूजा खड़ी दीखाई देती है. उष्की तो आँखे चमक जाती हैं पूजा को देख कर. रोक देता है बाएक पूजा के सामने. “कॉलेज जा रही हो? मैं भी उशी तरफ जा रहा हूँ. आओ बैठ जाओ छोड़ दूँगा तुम्हे कॉलेज तक.”

“अपना रास्ता देखो मिस्टर मोहित. पागल नही हूँ मैं जो की तुम्हारे साथ जवँगी” पूजा ने कहा.

“तुम हसिनाओ की यही दिक्कत है. कभी प्यार की कदर नही कराती. इतना कठोर दिल कहा से आया तुम्हारे पास. इतनी शुनदर हो कर इतनी कठोर बाते सोभा नही देती तुम्हे. हुसान को प्यार की ज़रूरात हमेशा रहती है. प्यार मिले तो उसे ठुकराना नही चाहिए. आ जाओ बैठ जाओ. कुछ बिगड़ नही जाएगा तुम्हारा मेरे साथ चलने से.”

“गेट लॉस्ट, मुझे एक कदम भी नही चलना तुम्हारे साथ” पूजा ने गुस्से में कहा.

“आना पड़ेगा तुम्हे मेरी ही बाहों में एक दिन, देख लेना एक दिन तुम भी मेरे प्यार में तड़पोगी”

“ऐसा दिन आने से पहले मैं मार जवँगी. चले जाओ यहा से. मुझे परेशान मत करो.”

“अछा एक ज़रूरी बात है, ध्यान से शुन्ओ. साएको किल्लर और भी ज़्यादा दरिंदगी पर उतार आया है. बे केर्फुल ऑल थे टाइम. मुझे तुम्हारी चिंता रहती है.”

“हे…हे…हे…मेरी चिंता. मैं सब समझ रही हूँ. तुम्हे मेरी नही अपनी चिंता है. अगर मैं मार गयी तो तुम किशके साथ हवस की प्यास बुझाओगे. मेरी चिंता मत करो मिस्टर मोहित. अपनी चिंता किया करो. तुम्हारा तो 2 बार सामना हो चुका है साएको से.तुम्हे मेरा शरीर चाहिए और कुछ नही.”

“तुम तो देखने भी नही आई एक भी बार मुझे. हॉस्पियाल में जब भी कुछ आहत होती थी तो मैं इसे उम्मीद में आँखे खोल कर देखता था की कही तुम तो नही. पर तुम तो बड़ी निर्दयी निकली. एक बार भी नही आई तुम.”

“क्यों अओन मैं तुम्हे देखने. क्या लगते हो तुम मेरे?”

“आशिक़ हूँ तुम्हारा. तुम मानो या ना मानो कुछ तो रिश्ता बनता ही है”

“तुम जाते हो की नही या पुलिस को बुलओन.” पूजा ने गुस्से में कहा.

“जा रहा हूँ यार, मैं तो वैसे ही लाते हो रहा हूँ.” मोहित ने कहा.

मोहित ने अपनी बाएक स्टार्ट कर दी और अपना सा मूह लेकर निकल गया आगे.

“अफ यार ये नही पटेगी. ” मोहित ने कहा.

मोहित के जाने के बाद पूजा ने राहत की साँस ली. “ये बस कब आएगी. आधा घंटा हो गया खड़े हुवे यहा.” पूजा अकेली ही खड़ी थी बस स्टॉप पर और कोई नही था.

पूजा अंजान थी इसे बात से की एक नयी मुसीबत उष्की और बढ़ रही थी जीशका उसे अंदाज़ा भी नही था.
सब इनस्पेक्टर विजय पुलिस की जीप में उधर से गुजर रहा था. उसने पूजा को पहचान लिया, “अरे ये तो वही एस्कॉर्ट है जो उष दिन उष बंदे के साथ होटेल में थी. 50,000 वाली एस्कॉर्ट. टॉप क्लास रंडी.”

विजय ने जीप पूजा के आगे रोक दी. “नाम भूल गया मैं तुम्हारा पर काम नही भुला. कौन से होटेल जा रही हो. राते अभी भी 50,000 है या बढ़ा दिया. तेरे लिए 50,000 बहुत कम है वैसे. मुझे क्या मुझे तो फ्री में लेनी है तेरी. चल बैठ जा जीप में. बहुत दिन से ड्यू है तुम्हारी तुकाई मेरे हाथो.”

पूजा के चेहरे का तो रंग उस गया ये सब शन कर. उशके पाँव काँपने लगे. उसे समझ नही आ रहा था की क्या करे. वो भाग जाना चाहती थी वाहा से पर उशके कदम ही नही हीले.

“सोच क्या रही है बैठ जल्दी. चल अपने घर ले चलता हूँ तुझे. खूब अच्छे से लूँगा तेरी.”

“सिर वो मेरा पहली और आखड़ी बार था. मुझे ब्लॅकमेल करके एस्कॉर्ट बन-ने पर मजबूर किया गया था.”

“हर रंडी पकड़े जाने पे ऐसी ही कहानी शुनाती है. चुपचाप बैठ जा वरना प्रॉस्टिट्यूशन के केस में जैल में डाल दूँगा”

“सिर प्लीज़.” पूजा गिड़गिडाई

“अगर एक मिनिट के अंदर नही बैठी तो बाल पकड़ कर घसीट कर ले जवँगा” विजय कठोराता से बोला

पूजा बहुत दर गयी. दर स्वाभाविक भी था. वो काँपते कदमो से जीप में बैठ गयी. उशके पास इशके अलावा कोई चारा भी नही था.

विजय पूजा को लेकर चल पड़ा अपने घर की तरफ. “बीवी मायके गयी है मेरी. शाम तक लौटेगी. तब तक तू मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी. छुट्टी ले लूँगा मैं ड्यूटी से. खूब चोदूगा तुझे सारा दिन.”

पूजा कुछ नही बोल पाई बस दो आँसू तपाक गये उष्की आँखो से.

विजय पूजा को अपने घर ले आया.

“सारे कपड़े उतार दे जल्दी से. मैं भी तो देखूं जो माल 50,000 में बिकता है वो कैसा दीखता है.”

“आप समझते क्यों नही मैं एस्कॉर्ट नही हूँ. उष दिन ज़बरदस्ती भेजा गया था मुझे होटेल में.”

विजय पर तो मानो कुछ असर ही नही हुवा. उसने पूजा को बाहों में भर लिया और उशके नितंबो को मसालने लगा. “क्या फराक पड़ता है. धनदा तो तूने किया ना. एक बार या शो बार. धनदा तो धनदा है.”

पूजा कुछ नही बोल पाई. खड़ी रही चुपचाप और पीशति रही विजय की बाहों में. बड़ी बेरहमी से मसल रहा था विजय पूजा के नितंबो को.

“मान-ना पड़ेगा. एक दम मखमली गान्ड है तेरी. 50,000 तो केवल इशी के दे देते होंगे लोग तुझे. क्यों सच कह रहा हूँ ना मैं.”

पूजा ने कुछ भी कहना सही नही समझा. वो कुछ कह भी नही सकती थी. बस आँखे बंद किए चुपचाप अपने शरीर से खिलवाड़ होते देखती रही.

विजय ने उशके सारे कपड़े निकाल दिए और पटक दिया उसे बिस्तर पर. वो खुद भी नंगा हो कर पूजा के उपर आ गया. पूजा तो एक जींदा लास की तरह हो गयी. विजय ने उष्की टांगे अपने कंधे पर न्यू एअर और समा गया उशके अंदर.

जब विजय पूजा के अंदर समाया तो उष्की आँखे चालक गयी और उसने मन ही मन सोचा,”प्यार किया था मैने. सॅचा प्यार. क्या ग़लती थी मेरी मेरे भगवान जो प्यार में मुझे इतना बड़ा धोका मिला. प्यार ने मुझे वैश्या बना दिया. नही जी पवँगी अब मैं. पहले चौहान और परवीन ने एक साथ मेरी इज़्ज़त की धज़िया उसाई. अब ये उसा रहा है. प्यार ऐसे दिन दीखायगा सोचा नही था मैने. बस ये आखड़ी बार है. ये सब सहने के लिए मैं जींदा नही रहूंगी अब.”

विजय तो पागलो की तरह अपने काम में लीं था. तूफान मचा रखा था उसने पूजा की योनि के अंदर. मगर पूजा कुछ भी महसूस नही कर रही थी. बहुत व्यतीत थी आज. चौहान और परवीन के साथ तो वो फिर भी संभोग के आनंद में खो गयी थी. जीशका उसे बाद में अफ़सोस भी रहा. मगर आज वो कुछ भी महसूस नही कर रही थी. शायद ये बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी की उष्की जींदगी कहा से कहा पहुँच गयी. चौहान और परवीन के साथ तो वो अंजाने में ही खो गयी थी, बहक गयी थी…मगर आज ऐसा कुछ नही हो रहा था. आँसू पे आँसू तपाक रहे थे उष्की आँखो से.

मगर कब तक बचती वो लिंग के घर्सन से. देर से ही सही कमरे में उष्की शिसकियाँ गूंजने लगी. ये बात और थी की उष्की शिसकियों में आनंद के साथ साथ शरम और ग्लानि भी मौजूद थी. पूजा की शिसकियाँ उष्की व्यतीत मनोस्थिति को बखूबी डरसाती थी. मगर विजय को तो लग रहा था की वो आनंद के सागर में गोते लगा रही है.

आनंद था योनि में लिंग के घर्षण का. शरम और ग्लानि थी इसे बात की, की उष्की योनि में घर्षण करने वाला उष्का प्रेमी नही था बल्कि वो इंसान था जो की उसे वैश्या समझता था और वैश्या के ही नाते उष पर चढ़ा हुवा था.

“अब कुछ नही बचा…सब ख़त्म हो गया…आआहह”

“क्या कहा तूने, मुझे डिस्टर्ब मत कर आराम से फक्किंग करने दे”

पूजा ने कुछ नही कहा. हाँ उष्की 2 अहसासो में दुबई शिसकिया बरकरार रही.

टीन बार सहना पड़ा उसे विजय की हवस को. 6 बजे फ्री किया विजय ने पूजा को. विजय ने पूजा को अपने घर से थोड़ी दूर एक मार्केट में छोड़ दिया. “अगले हफ्ते मेरे 2 दोस्त आ रहें हैं देल्ही से. मिल कर एंजाय करेंगे तेरे साथ.”

पूजा ने कुछ नही कहा और मुरझाया चेहरा ले कर लड़खड़ाते कदमो से चल पड़ी. घर नही जाना चाहती थी वो अब. मार जाना चाहती थी कही जाकर. एक कार ने तो उसे उसा ही दिया होता. शूकर है वक्त पर ब्रेक लग गयी. “पागल हो गयी हो तुम. मारना है तो कही और जा कर मरो.” कार वाला छील्लाया. सड़क पार कर रही थी पूजा बिना सोचे समझे. ध्यान ही नही था उष्का कार पर. वो तो बस चले जा रही थी. शायद वो कही जा कर मार ही जाती. पर किशमत को कुछ और ही मंजूर था.

मोहित गुजर रहा था वाहा से. उसने पूजा को ऐसी हालत में गुमशुम भटकते देख लिया.

“पूजा कहा जा रही हो. देख कर भी नही चल रही. ठीक तो हो.”

“ओह मोहित…बहुत अच्छे वक्त पे आए तुम, देखो मेरा तमासा तुम भी.”

“क्या बोल रही हो. चलो बैठो तुम्हे घर छोड़ देता हूँ.”

“नही घर नही जवँगी आज. तुम जाओ.”

मोहित को पूजा का ऐसा बर्ताव बहुत अजीब लग रहा था.

“बात क्या है पूजा, कुछ बदली बदली सी लग रही हो.”

“हे…हे…बदली बदली और मैं. जींदगी है चलता है सब. मैं घर नही जवँगी.”

“बैठो तो सही…जहा कहोगी वाहा ले चलूँगा.” मोहित ने कहा.

“ओह हाँ एक काम करते हैं, तुम्हारे घर चलें.” पूजा ने कहा.

“चलो चलने में कोई बुराई नही है…आओ.” मोहित ने कहा.

“लेकिन मैं अपने घर नही जवँगी पहले ही बता देती हूँ.”

“बैठो तो सही…फिर देखते है.” मोहित ने कहा.

“नही जाना है मुझे घर जान लो तुम.” पूजा बोलते हुवे बैठ गयी मोहित की बाएक पर.

पूजा कुछ नही बोली बाद में. मोहित ने भी कुछ नही कहा. ले आया मोहित पूजा को अपने घर.

“कुण्डी लगा दो मोहित.” पूजा ने कहा.

मोहित तो कुछ भी नही समझ पा रहा था. कुण्डी लगा कर वो पूजा के पास आया जो की बिस्तरार के पास खड़ी थी. पूजा ने मोहित की आँखो में देखा और अपना टॉप उतार दिया.

“ये क्या कर रही हो.”

“अपने आशिक़ को तोहफा देना चाहती हूँ.” पूजा ने कहा और अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी. अब उशके उभार मोहित की नज़रो के सामने थे.

“तुम ये सब क्यों कर रही हो पूजा.”

पूजा कुछ नही बोली और झट से अपनी जीन्स और पेंटी भी उतार दी. अब वो मोहित के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. मोहित तो देखता ही रह गया उशके नागन शरीर को. इतनी शुनदर बॉडी आज तक नही देखी थी उसने.

“पूजा मेरी कुछ समझ में नही आ रहा. क्यों कर रही हो तुम ये सब. तुम बहुत अजीब बिहेव कर रही हो.”

पूजा मोहित से लिपट गयी और बोली, “जल्दी से प्यास भुजा लो अपनी. फिर कभी नही मिलूंगी तुम्हे.”

मोहित तो अजीब उलझन में फँस गया था. ना चाहते हुवे भी उष्का लिंग उत्तेजित हो गया था. पूजा को वो अपनी योनि पर महसूस हुवा. वो बैठ गयी मोहित के आगे और मोहित की ज़िप खोल कर उशके लिंग को बाहर निकाल लिया.

“ये सच में बड़ा है मोहित. रियली इट्स आ नाइस डिक.”

मोहित तो भड़क ही उठा और पूजा को गोदी में उठाया और लेता दिया बिस्तर पर. इतना उत्तेजित हो रहा था वो की तुरंत समा जाना चाहता था पूजा के अंदर.

उसने अपने लिंग को पकड़ा और दो उंगलियों से पूजा की योनि की पंखुड़ियों को फैला कर उष पर लिंग टीकाने लगा. मगर तभी उष्की नज़र योनि के आस पास सफेद सी चीज़ पर गयी. उसने गौर से देखा तो उसे समझते देर नही लगी की वो वीर्या की बूंदे थी जो की शूख गयी थी.

मोहित ने पूजा के चेहरे पे हाथ रखा और बोला, “पूजा बताॉगी की क्या हुवा है तुम्हारे साथ.”

“क्या फराक पड़ता है उष से. तुम्हारे पास टाइम कम है. अपनी प्यास बुझा लो जल्दी से. बाद में मोका नही मिलेगा तुम्हे.”

“तुम यकीन करो या ना करो प्यार कराता हूँ तुम्हे मैं. प्लीज़ बताओ क्या हुवा तुम्हारे साथ. कौन था वो बताओ मैं उसे जींदा नही छोड़ूँगा.”

“हे…हे…हे…प्यार का नाम मत लो. प्यार ने तो मुझे रंडी बना दिया. जीशका मन होता है चढ़ जाता है मुझ पे. किशी का कसूर नही है. सब प्यार का ही दोष है. आओ ना तुम भी चढ़ जाओ भरपूर मज़ा दूँगी तुम्हे.”

शुना नही गया मोहित से ये सब और उसने थप्पड़ जड़ दिया पूजा के गाल पर, “कपड़े पहनो अपने और घर जाओ अपने. मेरा प्यार ऐसा नही है जैसा तुम समझ रही हो.”

मोहित बिस्तर से उतार गया. पूजा फूट -फूट कर रोने लगी. वो उठी और अपने कपड़े पहन लिए.

“मैं तुम्हे घर चोद आता हूँ”

“नही चली जवँगी खुद ही.” पूजा सबक रही थी. सुबक्ते सुबक्ते निकल गयी घर से. मोहित पीछे पीछे गया उशके ये देखने की वो घर ही जा रही है या कही और.

पूजा अपने घर आ कर बिस्तर पर गिर गयी और फूट फूट कर रोने लगी.

नगमा ने तुरंत आकर पूछा, “क्या बात है पूजा…रो क्यों रही हो”

“मुझे अकेला छोड़ दो दीदी…प्लीज़.” पूजा रोते हुवे बोली.

मोहित भी वापिस आकर बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठ गया. बहुत दुखी था पूजा के लिए. प्यार जो कराता था उशे.
परेशान था मोहित. बहुत ही परेशान. इतना परेशान की उसे समझ नही आ रहा था की क्या करे और क्या ना करे. कुछ करना चाहता था वो पूजा के लिए. सोच रहा था वो बार बार की क्या किया जाए. इशी उधेड़बुन में वो उठा और अपने कमरे का टाला लगा कर पूजा के घर की तरफ चल दिया. जब वो पूजा के घर पहुँचा तो घर का दरवाजा बंद था. उसने दरवाजा खड़क्या. नगमा ने दरवाजा खोला.

“मोहित तुम! यहा कैसे?” नगमा ने पूछा.

“पूजा से बात करनी है मुझे, क्या मैं मिल सकता हूँ उष से”

“पूजा से बात! पूजा से तुम्हे क्या लेना देना?” नगमा हैरानी में प़ड़ गयी.

“मैं बहुत परेशान हूँ पहले ही, और परेशान मत करो. प्लीज़ मुझे पूजा से मिलने दो.”

“तो क्या जिसे तुम प्यार करते हो वो पूजा है?” नगमा ने पूछा.

“हन”

नगमा ने गर्दन पकड़ ली मोहित की और बोली, “क्या किया तुमने मेरी बहन के साथ. जब से आई है वो रो रही है.”

“काश वो मेरे कारण रो रही होती. बात कुछ और ही है. प्लीज़ मुझे मिलने दो उष से वरना मैं मार जवँगा.” मोहित ने भावुक हो कर कहा.

“ठीक है…ठीक है, आ जाओ अंदर.” नगमा ने कहा.

मोहित अंदर आ गया. नगमा उसे पूजा के पास ले आई. पूजा पेट के बाल हाथो में चेहरा छुपाए लेती हुई थी.

“नगमा मैं अकेले में बात करना चाहता हूँ. प्लीज़ थोड़ी देर के लिए…..” मोहित ने कहा.

नगमा बिना कुछ कहे वाहा से चली गयी.

मोहित पूजा के पास बैठ गया और उशके सर पर हाथ रख कर बोला,” पूजा ई लव यू. बात करना चाहता हूँ तुमसे कुछ.”

“मोहित प्लीज़ चले जाओ. मैं बात करने की हालत में नही हूँ.” पूजा सुबक्ते हुवे बोली.

मोहित वाहा से उठ कर पूजा के पैरो पर सर रख कर बैठ गया और बोला, “मुझसे कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ़ कर दो. हाँ शुरू शुरू में मैने तुम्हे बस एक शरीर समझा. पाना चाहता था तुम्हे. मगर कब प्यार की भावना जाग गयी मुझे भी नही पता. शायद हवस शामिल है इसे प्यार में मेरे. माफी चाहता हूँ उशके लिए. तुम मुझे बदले में प्यार बेशक मत दो. लायक भी नही हूँ तुम्हारे प्यार के मैं. मगर प्लीज़ एक बार बता दो की क्या हुवा तुम्हारे साथ और किशणे किया. मैं बहुत बेचैन हूँ पूजा. जब तक नही बताॉगी मैं तड़प्ता रहूँगा. प्लीज़ बताओ मुझे कौन है इन आँसुओ का कारण.”

“क्यों जान-ना चाहते हो तुम. क्या करोगे जान कर. कुछ बदल नही जाएगा तुम्हे बता कर. प्लीज़ मुझे अकेला चोद दो.”

“मैं मार जवँगा पूजा. नही देख सकता हूँ तुम्हे ऐसी हालत में. जब तक बताॉगी नही जवँगा नही मैं यहा से.”

पूजा उठ कर बैठ गयी और अपने पाँव सिकोड कर घुतनो पर सर टीका कर बोली, “कौन हो तुम मेरे जिसे सब बताओन मैं.”

“प्यार कराता हूँ तुम्हे मैं. इतना रिश्ता काफ़ी होना चाहिए.”

“ठीक है शुन्ओ फिर…………..
कविता ने मिलाया था मुझे विक्की से. बहुत प्यार से देखता था मेरी तरफ वो. अछा दोस्त बन गया मेरा वो. धीरे धीरे मैं उसे चाहने लगी. मुझे नही पता था की उष्का मुझसे मिलना, दोस्ती और फिर प्यार सब एक साजिस का हिस्सा था. ये बात मुझे अब समझ आई. काश पहले समझ जाती. खूब प्यार का नाटक किया विक्की ने मेरे साथ. प्यार में पागल हो कर सब कुछ न्योछावर कर दिया मैने विक्की पर. पर मुझे क्या पता था की मेरे प्यार की वीडियो बनाई जा रही है. बहुत धक्का लगा दिल को मेरे. फिर ब्लॅकमेलिंग का गंदा खेल शुरू हुवा. मुझसे कहा गया की तुम एक एस्कॉर्ट बन जाओ वरना ये वीडियो इंटरनेट पर डाल देंगे. बहुत विचलित रही मैं इन बातो के कारण. प्यार में ऐसा होगा सोचा नही था मैने. बहुत रेज़िस्ट किया मैने पर एक दिन मुझे एस्कॉर्ट बन कर जाना ही पड़ा…………
………………………………………………………फार्म हाउस पर मेरी इज़्ज़त की वो धज्जिया उदाआई चौहान और परवीन ने की मैं कुछ कह नही सकती. दुख की बात ये है की थोड़ा तोड़ा तो मैने भी एंजाय किया. यही मेरी चिंता का कारण है. बीखर गया है चरित्रा मेरा. शायद मैं सच में वैश्या बन गयी हूँ.”

“प्लीज़ ऐसा मत कहो. आज क्या हुवा वो बताओ.”

“आज जब तुम गये तो एक पुलिस वाला आ गया वाहा. उसने मुझे पहचान लिया. ज़बरदस्ती घर ले गया मुझे वो और…………………..बस कह नही पवँगी.”

“क्या नाम है उष्का?” मोहित ने पूछा.

“उष्का नाम नही पता बस इतना पता है की वो पुलिस वाला है.”

“कोई और पहचान उष्की.”

“क्या करोगे जान कर?”

“वैसे ही पूछ रहा हूँ, क्या कुछ और बता सकती हो उशके बड़े में.”

“और तो कुछ नही पता. ओह हाँ पेट पर अजीब सा निशान था उशके.”

“कैसा निशान?” मोहित का माता तनका.

“लंबा सा निशान था. ज़्यादा गौर नही दिया मैने. क्या करना उष से तुम्हे… छोड़ो.”

“घर की लोकेशन बता सकती हो.”

पूजा ने विजय के घर में घुसते वक्त हाउस नो देखा था. उसने मोहित को लकत्िओं और हाउस नो बता दिया.

“वो तो बबलू के साथ वाला घर है. इश्का मतलब विजय सरिता का हज़्बंद है.” मोहित ने सोचा.

“थॅंक यू पूजा तुमने मुझे इतना कुछ बताया. आराम करो तुम अब.” मोहित ने कहा.

“तुम ये सब क्यों जान-ना चाहते थे.”

“ताकि तुम्हारा मन हल्का हो जाए बता कर. आराम करो तुम अब. मैं चलता हूँ.” मोहित जल्दी में लग रहा था.

पूजा बैठी रही घुतनो पर सर टिकाए. मोहित ने उशके सर पर हाथ रखा और बोला, “सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो.” मोहित आ गया बाहर.

मोहित जैसे ही उष कमरे से बाहर निकला उसने नगमा को वाहा खड़े पाया. नगमा की आँखो में आँसू थे. उसने पूजा की सारी बाते शन ली थी. मोहित ने नगमा को गले लगाया और बोला, “न्याय होगा पूजा के साथ.” और बाहर आ गया.

……………………………………………………..

विक्की ने एक नयी लड़की फँसाई थी और उसे बर्बाद करने की तैयारी में था. धोके से उसे नासीली चीज़ खिला कर उशके साथ अपना मूह काला करने की तैयारी में था. कॅमरा सेट कर रखा था उसने. कपड़े उतार कर नंगा कर रखा था उसे और उशके अंगो से खेल रहा था.

“नशा अछा शॉर्टकट है हे….हे…हे. ऐसे कभी नही मानती ये.” विक्की लड़की के उभारो को चूस रहा था और लड़की नशे की हालत में शिसकियाँ भर रही थी. कॅमरा में सब कुछ रेकॉर्ड हो रहा था.

“ले चूस ये लंड साली और अछा पोज़ दे….हे…हे…हे.”

लड़की नशे की हालत में कुछ नही समझ पा रही थी. मूह खोला उसने और विक्की के लिंग को मूह में ले लिया. बहुत देर तक शककरवाया विक्की ने. फिर उसने उष्की टांगे फैलाई और समा गया लड़की में.

“आआअहह.”

“जबरदस्त एस्कॉर्ट बनेगी तू. क्या एंट्री दी है मेरे लंड को.”

और नशे में लड़की का बलात्कार जारी रहा………

विक्की बेख़बर था की उशके घर में एक नकाब पॉश घुस्स गया है. वो अपने पाप में लिप्त था. नकाब पॉश उशके पास आ कर खड़ा हो गया और उसे खबर भी नही हुई. नकाब पॉश ने खींच लिया उसे लड़की के उपर से और ज़मीन पर पटक दिया.

“बेटा ये सब ठीक नही है.” नकाब पॉश ने कहा.

“क…कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो?” विक्की घबरा गया.

“नाम में क्या रखा है, काम देखो मेरा.” और टूट पड़ा नकाब पॉश विक्की पर. इतने वार हुवे चाकू के की कमरे का पूरा फार्स लाल हो गया. लड़की नशे में थी. उसे तो पता ही नही चला की क्या हुवा.

…………………………………………………

परवीन फार्म हाउस पर था. 2 कॉल गर्ल्स बुला न्यू एअर थी उसने. बैठा हुवा था सोफे पर और दोनो लड़कियाँ उष्का लिंग चूस रही थी.

“एक से बढ़ कर एक हो तुम दोनो क्या बात है. पहले क्यों नही मिली मुझे. कॉलेज गर्ल्स मुझे बहुत पसंद है. अब मिलते रहना.”

“आप जेब ढीली करते रहना हम मिलते रहेंगे.” एक लड़की ने कहा.

“पैसो की चिंता मत करो. मुझे खुश रखो बस. सब कुछ लूटा दूँगा तुम दोनो पर. चलो अब ऐसी पोज़िशन बनाओ की मैं दोनो की एक साथ ले सकूँ.”

एक लड़की पीठ के बाल बिस्तर पर लाते गयी. दूसरी भी उशके उपर पीठ के बाल लाते गयी. दोनो लड़कियों की योनि एक दूसरे के उपर थी.

“वाह क्या पोज़िशन लगाई है”

परवीन ने पहले नीचे वाली की चुत में लंड डाल दिया.

“आआहह…एस.”

बस 2 धक्के मार के उसने लंड बाहर खींच लिया और उपर वाली चुत में लंड डाल दिया.

“आआहह…वाउ उ र फॅंटॅस्टिक.” परवीन ने कहा.

इश् तरह एक साथ परवीन 2 लड़कियों से मज़े ले रहा था. उसे अंदाज़ा भी नही था की एक नकाब पॉश फार्म हाउस में घुस्स आया है और उष्की तरफ बढ़ रहा है.

“अब तुम दोनो की गान्ड भी एक साथ मारूँगा.”

पहले परवीन ने उपर वाली लड़की की गान्ड में लंड डाल दिया और चार-पाँच धक्के लगा कर नीचे वाली लड़की की गान्ड में लंड घुस्सा दिया.

“वाह भाई वाह एक साथ दोनो का मज़ा. बहुत खूब.”

परवीन चोंक गया और पीछे मूड कर देखा. एक नकाब पॉश खड़ा था पीछे.

“कौन हो तुम? ये नकाब उतार कर बात करो.” परवीन ने नीचे वाली लड़की की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया.

“मेरे नाम, और पहचान में क्या रखा है. तुम मेरा काम देखो.” नकाब पॉश ने एक तेज धार चाकू निकाल लिया.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 32

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 28 Sep 2015 10:00

परवीन के तो होश उस गये. लड़कियाँ भी दर गयी. उन्होने फटाफट कपड़े पहने और रफू चक्कर हो गयी वाहा से.

“क्या चाहते हो तुम मुझसे.” परवीन डराता हुवा बोला.

“मुझे कुछ नही चाहिए. इसे चाकू से बात करो. ये तुम्हारे खून का प्यासा है.”

परवीन ये शुंते ही भागा मगर जल्द ही नकाब पॉश ने उसे दबोच लिया. और फिर चाकू की बोचार हो गयी परवीन पर. खून की नादिया बह गयी वाहा. तड़प-तड़प कर दम तौड दिया परवीन ने.

…………………………………………………….

रोहित विक्की के घर से फार्म हाउस पहुँचा.

“यहा भी खून की नादिया बह रही है. सिर क्या ये दोनो खून साएको ने ही किए हैं.” भोलू ने पूछा.

“और कौन कर सकता है. इतनी दरिंदगी सिर्फ़ वही कर सकता है” रोहित ने कहा.

“हन सिर, दरिन्दा है ये साएको, इंसान नही है” भोलू ने कहा.

“इश् लाश को भी पोस्ट मोर्टें के लिए भेज दो.” रोहित ने भोलू से कहा.

“जी सिर.”

रोहित फार्म हाउस से सीधा थाने पहुँचता है और आस्प साहिबा से मिलता है. वो शालिनी को कराइम सीन की डीटेल्स बताता है.

“क्या ये साएको का ही काम है?” शालिनी ने पूछा.

“प्रीमा फसीए तो यही लगता है. दोनो लोगो के शरीर पर बड़ी बेरहमी से वार हुवे हैं चाकू के. बाकी पोस्ट-मोर्टें में पता चलेगा.”

“स्प साहिब आ रहे हैं आज यहा, और हमारे पास फिर से कुछ भी दीखने को नही है. तुम भी ये केस हॅंडल नही कर पा रहे हो.”

“सॉरी तो से मेडम, पर मुझे दिन ही कितने हुवे हैं अभी. मुझे थोड़ा वक्त और दीजिए.” रोहित ने कहा.

“वक्त ही नही है हमारे पास. स्प साहिब आएँगे तो बताओ क्या बोलूं मैं उन्हे.”

तभी शालिनी के कमरे में पेवं आया, “मेडम स्प साहिब आए हैं.”

शालिनी फ़ौरन खड़ी हुई और कॅबिन से बाहर आई. रोहित भी उशी के साथ बाहर आ गया.

“ह्म, आस्प साहिबा क्या चल रहा है. पूरे सहर को मरवा देंगी क्या आप. कब पकड़ा जाएगा ये साएको.” स्प ने कहा.

“हम पूरी कोशिस कर रहें हैं सिर.”

“कोशिस कर रहें हैं. कैसी कोशिस है ये जीशका कोई नतीजा नही निकलता. एंपी की बेटी भी मार डाली उष दरिंदे ने. सारी दाँत मुझे खानी पड़ती है. कोई आल्टर्नेटिव नही है वरना तुम्हे उठा कर बाहर फेंक देता.” स्प ने बड़े कठोर शब्दो में कहा.

शालिनी चुपचाप खड़ी रही. अहसास था उसे भी की स्प साहिब पर भी दबाव है वरना वो ऐसी बाते नही करते. उसने कुछ भी कहना सही नही समझा.

“मैं बस यही कहने आया था की दो वॉटेवर यू कॅन. मुझे जल्द से जल्द वो साएको सलाखो के पीछे चाहिए.” स्प ने कहा और चला गया.

शालिनी ने राहत की साँस ली और वापिस अपने कॅबिन में आ गयी. रोहित भी उशके पीछे-पीछे कॅबिन में आ गया.

“शुना तुमने रोहित. अब जाओ और कुछ करो. वरना स्प साहिब मुझे बाहर फेबके या ना फेंके मैं तुम्हे ज़रूर फेंक दूँगी बाहर.” शालिनी ने कठोर शब्दो में कहा.

रोहित गहरी साँस लेकर बाहर आ गया. उशके माथे पर पसीने थे.

“कुछ भी हो बात घूम फिर कर मेरे सर पर ही आनी है. ये केस मैं जो हॅंडल कर रहा हूँ. अफ मेडम जब दाँत-ती हैं तो जान निकाल देती हैं. कुछ करना होगा अब. ये स्कॉर्पियो कार के बड़े में पता कराता हूँ. ”

रोहित निकल पड़ा ब्लॅक स्कॉर्पियो कार की जाँच पड़ताल में. उसने एजेन्सी से सभी ओनर्स की लिस्ट निकलवाई. सहर में ब्लॅक स्कॉर्पियो केवल 4 लोगो के पास थी. एक स्कॉर्पियो का ओनर था गुआराव मेहरा, वो एक बिज़्नेसमॅन था और सहर में उष्का काफ़ी नाम था. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आर्मी के कर्नल देवेंदर सिंग के पास थी. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो एक लेडी के नाम थी, नाम था सिमरन. वो इसीसी बॅंक में काम कराती थी. सबसे ख़ास बात ये थी की एक ब्लॅक स्कॉर्पियो सब-इनपेक्टोर विजय के नाम भी थी.

“ विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो राजवीर का शक सही है शायद. इसे विजय पर नज़र रखनी पड़ेगी.” रोहित ने सोचा और एजेन्सी से वापिस थाने की तरफ चल दिया.

……………………………………………………………………………………………………………………

प़ड़्‍मिनी की तबीयत खराब हो गयी थी अचानक. बहुत तेज टेंप्रातुरे था. पड़ी हुई थी बिस्तर पर. डॉक्टर को बुलाया गया था घर पर ही. क्योंकि प़ड़्‍मिनी के अंकली प़ड़्‍मिनी को डॉक्टर के पास नही ले जाना चाहते थे. उन्हे साएको का दर जो था.

प़ड़्‍मिनी के दर्शन मुश्किल हो गये राजू के लिए. आखड़ी बार तब ही देखा था उसने प़ड़्‍मिनी को जब इनस्पेक्टर रोहित पांडे ने आकर अपनी टाँग अदा दी थी . देखता रहता था बार-बार खिड़की की तरफ पर हमेशा निरासा ही हाथ लगती थी. राजू ने काई बार सोचा की जाकर तबीयत पूछ आए मगर उष्की हिम्मत नही हुई. उसे दर था की कही प़ड़्‍मिनी बुरा मन जाए. इश्लीए नही गया पूछने कुछ भी.

प़ड़्‍मिनी मेडिसिन ले कर लेती हुई थी. खोई हुई थी किनही ख़यालो में. रोहित से बड़े दीनो बाद मिली थी वो इश्लीए कॉलेज के दिन याद आ गये थे उशे. बार बार सोच रही थी उन दीनो को प़ड़्‍मिनी.

“तुम अपनी शकल ना ही दीखते मुझे तो अछा था. मैं तुमसे बात क्यों करूँगी. दुबारा सामने मत आना मेरे. दगाबाज हो तुम.” प़ड़्‍मिनी ने रोहित के लिए कहा.

……………………………………………………

रोहित एजेन्सी से ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट ले कर थाने की तरफ बढ़ रहा था. वो कॉलेज के सामने से निकला तो अचानक एक लड़की पर नज़र पड़ी उष्की.

“ये तो रीमा है, मिलता हूँ इसे से. ट्रेन की मुलाकात के बाद बात ही नही हुई इसे से.” रोहित ने सोचा.

रोहित ने जीप रोक दी कॉलेज के बाहर और रीमा को आवाज़ दी. वो अकेली ही निकल रही थी कॉलेज से. रोहित को देख कर चोंक गयी. रोहित के पास आई और बोली, “तुम पुलिस की जीप में क्या कर रहे हो.”

“तुम्हारे निक्कममे भैया की तरह मैं भी पुलिस वाला हूँ.”

“मेरे भैया को निक्कममा मत कहो. दिन रात ड्यूटी करते हैं वो.”

“वो तो है चलो छोड़ो…और बताओ कैसी हो. ट्रेन की उष मुलाकात के बाद तो आपने याद ही नही किया मुझे.”

“ठीक हूँ मैं. वक्त ही नही मिला. वैसे भी आपने कौन सा नंबर या पता दिया था अपना जो याद कराती.”

“ऐसा है क्या, ठीक है आज अपना अड्रेस और नंबर दे देता हूँ. पर मेरे घर पर जगह नही रहती. मेरे पेरेंट्स साथ रहते हैं. एक छोटी बहन भी है ज्योति. वाहा काम-करीड़ा नही की जा सकती.”

“भैया अक्सर बाहर रहते हैं मेरे. घर पर अकेली ही रहती हूँ अक्सर. आज भी अकेली हूँ. भैया देल्ही गये हुवे हैं. अभी घर ही जा रही हूँ.”

“यार अभी कैसे मुमकिन होगा…मैं इसे साएको के केस में उलझा हुवा हूँ.”

“पहले छोटी सी भूल में उलझे हुवे थे अब साएको के केस में उलझ गये.”

“क्या करूँ अपनी लाइफ ही कुछ ऐसी है. पढ़ रहा हूँ छोटी सी भूल भी धीरे-धीरे टाइम की कमी रहती है.”

“मैं चलूं फिर. आपके पास तो वक्त ही नही है.” रीमा ने कहा.

रोहित ने रीमा की तरफ देखा. रीमा के होंटो पर एक सेडक्टिव मुश्कान थी.

“ऐसे मत देखिए मेरी नौकरी दिक्कत में प़ड़ जाएगी. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ मैं.”

“मैने तो कुछ नही कहा आपसे. जनाब आप चलिए…हमें देर हो रही है.” रीमा ने मुश्कूराते हुवे कहा.

“अफ आप नही मानेंगी…लगता है फिर से रेल बनानी पड़ेगी आपकी. आओ बैठो आपके घर चलते हैं.” रोहित ने कहा.

“ना बाबा ना, मुझे अपनी रेल नही बनवानी है. मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे कही नही जाना आपके साथ.” रीमा ने शराराती अंदाज़ में कहा.

“अफ क्या अदा है आपकी. देखिए अब तो रेल बनके रहेगी आपकी. आप अब हमसे बच नही सकती. एक बार लंड हरकत में आ जाए हमारा तो हम पीछे नही हट-ते. आपने लंड खड़ा कर दिया हमारा. अब ये आपकी रेल बना कर ही बैठेगा.”

“कैसी बात करते हैं आप आपको शरम नही आती.” रीमा शर्मा कर बोली.

“अफ शरमाती भी हैं आप्टो. गुड…मज़ा आएगा अब. चलो बैठो जल्दी. काम-करीड़ा का ऐसा रूप दीखौँगा आपको आज की सब कुछ भूल जाओगी.”

“आपके इरादे नेक नही लगते, आपके साथ नही जवँगी मैं.” रीमा ने कहा.

“अब बैठिए भी. हम तड़प रहें है और आप समझ नही रही.”

रीमा मुश्कूराते हुवे जीप में बैठ जाती है. “वैसे मुझे आपसे दर लग रहा है…मगर फिर भी चल रही हूँ आपके साथ. ज़्यादा परेशान मत करना मुझे.”

“रीमा जी परेशानी में ही तो मज़ा आता है. कैसी बात कराती हैं आप भी. जो परेशानी मैं दूँगा आपको वो आप जींदगी भर याद रखेंगी.” रोहित ने रीमा की तरफ देख कर कहा.

रीमा कुछ नही बोली. बस अपने निचले होन्ट को दांतो तले दबा कर हल्का सा मुश्कुरा दी.

“अफ आज तो आप शीतम ढा रही हैं. रेल में कहा छुपा न्यू एअर थी ये जालिम अदायें आपने. मेरे लंड में तूफान खड़ा कर दिया आपने.” रोहित ने फिर से रीमा की तरफ देख कर कहा.

“सामने देख कर चलिए कही आक्सिडेंट ना हो जाए.” रीमा ने कहा.

“आक्सिडेंट तो हो ही चुका है आपके साथ. बस अब जान जानी बाकी है. घर पहुँच कर इन जालिम अदाओं से वो भी निकाल देना. अफ यू अरे टू हॉट”

“रहने दीजिए हर लड़की को यही बोलते होंगे आप.”

“जीशमे जो दिखता है वही बोलता हूँ मैं. आपमे जो दीखा बोल दिया. आपका घर कब आएगा?”

“बस पहुँच गये हम. अगले वाली गली से अंदर मोड़ लीजिए.”

घर में पहुँचते ही रोहित ने रीमा को बाहों में भर लिया.

“रुकिये छाए पानी तो पे लीजिए, पहली बार घर आए हैं हमारे.”

“आपके हुसान का रस पीना है मुझे. छाए पानी मज़ा खराब करेगा.”

“आप तो बहुत बेचैन हो रहे हैं.”

“क्या आप नही हैं?”

“बिल्कुल भी नही…मुझे तो ऐसा कुछ नही हो रहा.”

“अछा अभी आपकी चुत में उंगली डाल कर देखता हूँ. सब क्लियर हो जाएगा. खोलिए नाडा अपना.”

“पागल नही हूँ मैं जो एक दम से नाडा खोल दूँगी अपना. क्या समझते हैं आप खुद को.” रीमा मुश्कूराते हुवे बोली.

“अफ अब कब तक बीजली गिराएँगी आप. चलिए आपके बेड रूम में चलते हैं.”

रोहित ने रीमा को अपनी गोदिए में उठा लिया और बोला, “कहा है बेडरूम आपका. आज आपके खुद के बेडरूम में रेल बनाता हूँ आपकी.”

“ढुंड लीजिए खुद ही. मैं आपका साथ क्यों दम आपके मकसद में.”

“क्योंकि आपको भी अपनी रेल बनवानी है इश्लीए.”

“मुझे कोई रेल नही बनवानी छोड़िए मुझे.”
रोहित ने रीमा का कमरा ढुंड ही लिया. और उसे लाकर बिस्तर पर लेता दिया और टूट पड़ा उष पर. उसने रीमा के होंटो को जाकड़ लिया होंटो में और दोनो के बीच बहुत ही गहरी किस हुई. किस करते करते ही रोहित ने अपने दोनो हाथ नीचे बढ़ाए और रीमा का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही उसने पेंटी में हाथ डाल कर रीमा की चुत में उंगली डाल दी.

“मुझसे भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो तुम तो. इतनी गीली चुत नही देखी मैने आज तक. अफ मज़ा आएगा आज बहुत.” रोहित ने कहा और रीमा के सारे कपड़े उतारने लगा.

जब रीमा पूरी तरह निर्वस्त्रा हो गयी तो रोहित तो देखता ही रह गया, “रेल में नही देख पाया था ये मदहोश जवानी आपकी. आपका शरीर तो बहुत शुनदर है. कमर का कटाव अफ…जालिम है जालिम. इन उभारो का तो क्या कहना. मॅग्निफिसेंट टिट्स इनडीड. थोड़ा सा घूमिएे आपकी गान्ड भी देखना चाहता हूँ मैं.”

“रहने दीजिए मुझे शरम आती है. आप ज़्यादा मत बोलिए.”

“इनही अदाओ पे तो मार मिटा हूँ मैं. घूमिएे ना. क्या मुझे आपकी शुनदर गान्ड के दर्शन नही करवाएँगी.” रोहित ने कहा.

रीमा घूम गयी रोहित के सामने. “अफ जैसा सोचा था उष से कही ज़्यादा कामुक गान्ड है आपकी.” रोहित ने कहा.

“आप इतना मत बोलिए. मुझे शरम आती है.” रीमा ने अपना चेहरा छुपा लिया हाथो में.

रोहित ने दोनो हाथो से रीमा की गान्ड को थाम लिया और उसे सहलाने लगा, “नाइस और सॉफ्ट आस चीक्स.”

रोहित ने अपने कपड़े भी उतार दिया फटाफट और चढ़ गया रीमा के उपर. उसने रीमा की गान्ड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

“क्या कर रहे हैं आप.”

“आग लगाने की कोशिस कर रहा हूँ इसे गान्ड में. ये गरम हो जाएगी तो चोदा जा सकता है इशे भी.”

“नही ऐसा नही होगा कुछ भी. मैने आज तक अनल नही किया है. और करने का इरादा नही है.”

“क्या बात कराती है आप भी. इतनी शुनदर गान्ड को आप लंड के सुख से दूर रखेंगी. ऐसा जुलाम मत कीजिए इसे बेचारी मासूम सी गान्ड पर.”

“आप कैसी बाते कर रहे हैं हटिए.”

मगर हतने की बजाए रोहित ने आगे बढ़ कर रीमा की आस चीक्स को चूमना शुरू कर दिया. रीमा सिहर उठी.

“आअहह…..मत कीजिए ऐसा.”

“क्यों कुछ-कुछ होता है क्या?”

“हन”

“तट मीन्स तीस आस डिज़र्व्स आ डिक इनसाइड. ट्रस्ट मे यू विल लीके इट. चलिए आज आपकी गान्ड को भी काम-करीड़ा का आनंद दे दिया जाए.”

रोहित ने थूक लगा लिया अपने लंड पर और उसे अच्छे से चिकना कर लिया.

“मैने शुना है की बहुत पेनफुल होता है अनल सेक्स.”

“होता होगा दूसरो के लिए आपके लिए नही होगा ट्रस्ट मे.” रोहित ने कहा और गान्ड को चोदा करके लंड टीका दिया रीमा के छेद पर.

“मज़ा आएगा आपको. डिफरेंट मज़ा.” रोहित ने कहा और खुद को ढकैयल दिया रीमा के अंदर.

“ऊऊओह….नूऊऊऊऊ पुल इट आउट…पुल इट आउट….नो”
“एंट्री में हिप्रोबलें है थोड़ी सी. ज़रा रुकिये सब ठीक हो जाएगा…खि…खि..खि.”

“मेरी जान निकल रही है और आपको हँसी आ रही है. आआहह”

रोहित ने एक और धक्का मारा और लंड थोड़ा सा और उतार गया गान्ड में. रीमा फिर से कराह उठी, “ऊऊहह…नो मुझे नही लगता इसे काम में कुछ मज़ा है. इशे निकाल कर सही जगह डालिए. ये अछा नही लग रहा मुझे.”

“अछा भी लगेगा थोड़ा सबर तो कीजिए” रोहित ने एक और धक्का मारा. पर इसे बार बहुत ज़ोर का धक्का था. तेज धक्के के कारण इसे बार पूरा का पूरा लंड रीमा की गान्ड में उतार गया.

“रीमा थे गोलडेन गिर बना दूँगा आज आपको.” रोहित ने कहा.

“मुझे रीमा ही रहने दो…आआहह.” रीमा कराहते हुवे बोली.

“अब देखिए नज़ारे अनल सेक्स के. अफ क्या गान्ड है आपकी.”

रोहित अब तैयार था अनल सेक्स के लिए. रीमा का दर्द भी कम हो गया था. धीरे धीरे शुरू हुवा शील्षिला गान्ड में लंड के घर्षण का और रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी. पहले पहले तो रीमा शांत पड़ी रही रोहित के नीचे. मगर जल्दी ही लंड के घर्षण उसे बहकाने लगे और कमरे में उष्की शिसकियाँ गूंजने लगी.

“आअहह रोहित…फास्टर.” रीमा ने मदहोशी में कहा.

“आने लगा स्वाद आपको अब. गुड.”

“फास्टर रोहित…प्लीज़.”

“बिल्कुल रीमा जी फिकर ना करें आप. तूफान आएगा अब संभालिएगा आप.”

रोहित इतने जोरो से धक्के लगाने लगा रीमा की गान्ड में की पूरा का पूरा बेड हिलने लगा. रीमा अपनी टांगे इधर उधर पटक रही थी. बहुत ही उत्तेजना में थे दोनो. रोहित लगा रहा रीमा की गान्ड में तूफान मचाने में मगर अब रीमा की हालत पतली होने लगी थी.

“बस…बस…बस रोहित और नही सह पवँगी…बस रुक जाओ”

“कैसी बात कराती है आप…अभी तो आपकी रेल बनेगी…ज़रा रुकिये ना…खि…खि…खि.”

“रेल बन चुकी है रोहित….अब और बर्दास्त नही कर सकती प्लीज़ रुक जाओ आआअहह.”

“मज़ा नही आ रहा आपको”

“नही कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा है. बर्दास्त के बाहर है सब प्लीज़ रुक जाओ…आअहह.”

रुकने वाला कहा था रोहित. उसे तो पूरी रेल बनानी थी रीमा की. रीमा आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. पर तक गयी थी अब गोते लगाते लगाते. और उष से अब लंड का घर्षण बर्दास्त भी नही हो रहा था.

“रुक भी जाईए अब. मार डालेंगे क्या हमें.”

“अफ क्या बात है…लीजिए ये तूफान थमने ही वाला है.”

रोहित ने और ज़्यादा बढ़ता बढ़ा दी. रीमा की तो सांसो ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया. अचानक ज़ोर-ज़ोर से हांपते हुवे रोहित रीमा के उपर ढेर हो गया. भर दिया उसने रीमा की गान्ड को अपने वीर्या से.

“अफ क्यों लाई तुम्हे मैं साथ. फिर से छोटी सी भूल हो गयी मुझसे.”

“कोई भूल नही हुई है आपसे. बिल्लू की तरह आपके साथ कोई मक्कारी नही कर रहा हूँ मैं. ये एक शुनदर संभोग था.” रोहित ने बोलते हुवे लंड बाहर खींच लिया रीमा की गान्ड से और उसे घुमा कर उष से लिपट गया. दोनो के होन्ट खुद-ब-खुद मिल गये और एक डीप किस में खो गये दोनो.

जब होन्ट हटे तो रीमा ने पूछा, “तुमने कभी किशी से प्यार किया है.”

“क्यों पूछ रही हो”

“तुम मुझे ऐसे किस कर रहे थे जैसे की प्यार करते हो मुझसे.”

“पता नही क्या मतलब होता है प्यार का. हमारे बीच एक खूबशुरआत संभोग हुवा है. उशके बाद एक प्यारा सा चुंबन नॅचुरल है. कुछ भी कह सकती हो इशे. हम दोनो ने एक अछा वक्त बीताया साथ. दो इंसान आपस में जुड़े. बेशकसेक्स के लिए ही जुड़े, फिर भी दो लोग जुड़े तो. हाँ शायद, दो पल का ही सही प्यार तो शामिल है ही इसे संबंध में. ज़्यादा कुछ नही कह सकता. मूरख और अगयानी हूँ मैं प्यार के मामले में वरना प़ड़्‍मिनी को नही खोता.”

“प़ड़्‍मिनी? कौन प़ड़्‍मिनी… …”

“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”

“बताओ ना उशके बड़े में मैं शन-ना चाहती हूँ.”

“नही रहने दो. मेरे जखम ही हारे होंगे.”

“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”

“अछा ऐसी बात है तो शुन्ओ फिर……………..

प़ड़्‍मिनी एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किशी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उशके उपर मराता नही था. मगर प़ड़्‍मिनी जितनी शुनदर थी उष्का चरित्रा भी उतना ही शुनदर था. कभी किशी को मोका नही दिया उसने. किशी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. प़ड़्‍मिनी के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.

प़ड़्‍मिनी का एक कज़िन ब्रदर भी उशी कॉलेज में पढ़ता था. उष्का नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे हितक्श कह कर बुलाते थे. उशके पापा पुलिस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इसे कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उष्की. बात बात पर गोली मारने की बात कराता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार छाए गिर गयी मुझसे उशके उपर. तुरंत बोला, रोहित तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

दीमग खिसका हुवा था हितक्श का. पर प़ड़्‍मिनी का भाई था इश्लीए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था प़ड़्‍मिनी तक पहुँचने का. प़ड़्‍मिनी अक्सर हितक्श के साथ आती थी बाएक पर बैठ कर. मैं हितक्श को ही बोलने के बहाने प़ड़्‍मिनी से भी कुछ बात कर लेता था.

प़ड़्‍मिनी तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली की प़ड़्‍मिनी को पता कर रहूँगा.

ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जॉड को और मनीष को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात शन कर

“तुम और प़ड़्‍मिनी को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. हितक्श को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जॉड भाई ने कहा.

फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लाहाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “रोहित भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. प़ड़्‍मिनी ने किशका दिल नही थोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”

पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पता कर रहूँगा प़ड़्‍मिनी को चाहे कुछ हो जाए.”

“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 33

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