एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“दुबारा बेहूदा बात की मुझसे तो थप्पड़ ज़रूर पड़ेगा. क्या समझती हो खुद को तुम. हर वक्त तुम्हारी ही बात मानी जाएगी क्या.”
“रोहित प्लीज़, मैं तुम्हारे लिए बोल रही हूँ. कोई रास्ता नही है यहा से निकालने का. मुझे उठा कर तो कभी नही निकल पाओगे. मेरी बात मन लो छोड़ दो मुझे यही.”
“मैने कहा ना अकेले यहा से नही जवँगा मैं. यहा से हम साथ जाएँगे. नही जा पाए तो साथ मरेंगे यही.”
“कौन हूँ मैं तुम्हारी जो ऐसी बाते कर रहे हो?”
“इंसानियत का रिश्ता है आपसे. इतना काफ़ी है आपसे ऐसी बाते करने के लिए.”
“कोई भी रास्ता नही है रोहित, समझते क्यों नही तुम आआहह.”
“कहते हैं की जहाँ चाह, वहाँ राह. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा हमें. वैसे साएको ने आपको कैसे किडनॅप कर लिया.”
“थाने से आकर रोज जिम जाती हूँ मैं. कल अकेली ही निकल गयी अपनी कार लेकर. जिम ख़त्म करके अपनी कार की और जा रही थी. साएको ने पीछे से अचानक दबोच लिया और कुछ सूँघा दिया मुझे. शुन्सान था पार्किंग एरिया शायद किशी ने ये सब नही देखा. आँख खुली तो खुद को पेड़ से टाँगे पाया. साएको ने मुझे अपनी सारी गेम बता दी थी. मेरे सामने ही उसने तुमसे फोन पर बात की. मुझे लग रहा था की तुम नही आओगे मौत के मूह में. पर तुम आ गये.”
“आता क्यों नही. आप मेरी बॉस हो.”
“मैं फिर से बॉस बन गयी और आप भी बन गयी हरे आआहह.”
“आप कम बोलो तो अतचा है. मुझ पर विश्वास रखो मैं कोई ना कोई रास्ता ढुंड लूँगा.”
“साएको अपने विक्टिम्स की मौत की पैंटिंग बनाता है रोहित. सब इंतेज़ां कर रखा था उसने वाहा उपर. लाइट का भी इंतेज़ां कर रखा था. ये साएको बहुत शातिर है रोहित.”
“रहने दो शातिर उशे. अब बचेगा नही वो ज़्यादा दिन. उशके पाप का घड़ा भर चुका है. अब मुझे सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक हो रहा है. उसे पैंटिंग का शॉंक है और उशके घर मैने बहुत अज़ीब पैंटिंग देखी थी. वैसी पैंटिंग कोई साएको ही बना सकता है.”
“छोड़ना मत इसे साएको को रोहित. तडपा-तडपा कर मारना उशे.”
“आप खुद देखेंगी उसे मराते हुवे, फिर से निरासा भारी बाते मत करो वरना अब सच में थप्पड़ लगेगा.”
“सॉरी रोहित.” शालिनी ने मासूमियत भरे लहज़े में कहा.
“हाहहाहा मेरी बॉस ने मुझे सॉरी कहा हरे.”
“देख लूँगी बाद में तुम्हे, एक बार हॉस्पिटल पहुँचने दो मुझे.”
“देख लेना जी भरके हॉस्पिटल तो आप हर हाल में पहुँचेगी.”
रोहित दिल में उम्मीद की किरण लिए शालिनी को गोद में लेकर आगे बढ़ता रहा. शालिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और खुद को किशमत के सहारे छोड़ दिया था.
“क्या आप शो गयी” रोहित ने पूछा.
“सर चकरा रहा है, बस यू ही आँखे बंद कर न्यू एअर हैं. शरीर में इतना दर्द हो तो कोई कैसे शो सकता है.”
“हन ये भी है. मेरा भी अंग-अंग दुख रहा है. रात को नीचे गिरने के बाद तो हम शायद बेहोश हो गये थे. मेरी तो सुबह ही आँख खुली.”
“मेरी भी सुबह ही खुली. और आँख खुलते ही इतना दर्द महसूस हुवा की यही लगा की काश आँख कभी ना खुलती.”
“बस अब चुप ही रहें आप. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा.”
कोई एक घंटे तक रोहित शालिनी को उठाए आगे बढ़ता रहा. धीरे धीरे चल पा रहा था वो क्योंकि उशके पाँव खुद बुरी तरह से घायल थे. अचानक उसे दूर एक भेद चारटी हुई दीखाई दे.
“ये तो पालतू भेद लगती है. ज़रूर पूरा झुंड होगा आस-पास और साथ में चरवाहा भी होगा.” रोहित ने मन ही मन सोचा और तेज़ी से उष भेद की तरफ बढ़ा.
उष्का अंदाज़ा सही था. जब वो कुछ आगे बढ़ा तो उसे पूरा झुंड दीखाई दिया. मगर उसे कोई चरवाहा नही दीखा.
“हे किशकि भेद हैं ये.” रोहित छील्लाया.
रोहित की आवाज़ शन कर शालिनी चोंक गयी और आँखे खोल कर सर घुमा कर देखने लगी. “अगर यहा भेद हैं तो कोई रास्ता ज़रूर होगा.” शालिनी ने कहा.
“वही मैं भी सोच रहा हूँ. चरवाहा मिलेगा तभी बात बनेगी.” रोहित ने फिर से आवाज़ लगाई.
एक 14-15 साल का लड़का भाग कर आया रोहित के पास.
“हमें तुरंत हॉस्पिटल पहुँचना है. जल्दी से सड़क तक जाने का रास्ता बताओ.” रोहित ने पूछा.
“हे भगवान क्या हुवा इन्हे….” लड़के ने शालिनी को देख कर कहा.
“जल्दी से रास्ता बताओ, हमारे पास ज़्यादा वक्त नही है.
“पर मैं अपने भेदो को छोड़ कर कही नही जा सकता. मालिक से दाँत पड़ेगी.”
“तुम्हारे मालिक को मैं देख लूँगा, फिलाल रास्ता बताओ इनका वक्त पर हॉस्पिटल पहुँचना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा
वो लड़का रोहित के आगे आगे चल दिया. कही कही थोड़ी चढ़ाई भी थी. बहुत मुश्किल हुई रोहित को चढ़ने में. मगर धीरे-धीरे वो चढ़ ही गया. मगर एक जगह उष्का पाँव फिसल गया. शालिनी के पेट में गाड़ी लकड़ी रोहित की गर्दन से टकराई. शालिनी कराह उठी. “आअहह.”
“सॉरी मेडम, पाँव फिसल गया था थोड़ा सा.”
“कोई बात नही, इतना कुछ कर रहे हो तुम मेरे लिए, तुम्हारे कारण भी थोड़ा दर्द सह ही सकती हूँ.” शालिनी ने मुश्कूराते हुवे कहा.
“मुझे पता है बाद में इसे सब की सज़ा मिलने वाली है मुझे…” रोहित ने हंसते हुवे कहा.
“हन वो तो मिलनी ही है…” शालिनी भी हंसते हुवे बोली.
धीरे धीरे एक घंटे में वो लड़का रोहित को सड़क के किनारे ले आया. सड़क को दूर से देखते ही रोहित की आँखे चमक उठी.
“थॅंक यू, क्या नाम है तुम्हारा.” रोहित ने कहा.
“कृष्णा”
“तुम सच में हमारे लिए कृष्णा ही हो. बाद में मिलूँगा तुम्हे आकर. कहा मिलोगे तुम.”
“मैं यही भेद चराता हूँ रोज” उसने अपना अड्रेस भी बता दिया
“ठीक है जाओ तुम” रोहित ने उसे भेज दिया.
रोहित शालिनी को लेकर सड़क किनारे आ गया. उसने शालिनी को धीरे से ज़मीन पर लेता दिया, “मैं किशी कार को रोकता हूँ.”
रोहित को कोई 5 मिनिट बाद एक कार आती दीखाई दी वो उसे रोकने के लिए बीच सड़क में आ गया और उसे रुकने पर मजबूर कर दिया.
“क्या प्राब्लम है तुम्हारी.” कार चालक छील्लाया.
“देखो मुझे लिफ्ट चाहिए एमर्जेन्सी है. मुझे हॉस्पिटल पहुँचना है जल्द से जल्द.”
“दारू पीकर गिर गये थे क्या कही. क्या हालत बना न्यू एअर है. आओ बैठ जाओ.”
“रूको थोड़ी देर.” रोहित ने कहा और शालिनी की और चल दिया.
रोहित शालिनी को उठा लाया.
“क्या हुवा इनको?”
“लंबी कहानी है…तुम प्लीज़ जल्दी चलाओ.” रोहित शालिनी को लेकर पीछे बैठ गया.
“मेडम…मेडम” रोहित ने कहा.
पर शालिनी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. “लगता है बेहोश हो गयी हैं. खून बहुत बह गया है. बेहोश होना लाज़मी है.”
40 मिनिट में देहरादून पहुँच गये वो और कार वाले ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल के सामने कार रोक दी.
“ये अतचा हॉस्पिटल है. ले जाओ इनको. भगवान सब भली करेंगे.” कार वाले ने कहा.
रोहित ने शालिनी को उठाया और तुरंत हॉस्पिटल में घुस्स गया. तुरंत शालिनी को ऑपरेशन थियेटर भेज दिया गया.
“शूकर है आपने ये लकड़ी नही निकाली बाहर, वरना इनका बचना मुश्किल हो जाता.” डॉक्टर ने कहा.
रोहित को भी अड्मिट कर लिया गया. हॉस्पिटल से रोहित ने थाने फोन किया, चौहान ने फोन उठाया. रोहित ने सारी बात बताई चौहान को.
“अतचा हुवा जो की तुम बच गये. तुम्हे तो मैं मारूँगा अपने हाथो से.”
“सिर आप मेडम के लिए प्रोटेक्षन भेजिए…और हाँ आपके पास राजवीर का नंबर हो तो मुझे दे दीजिए.” रोहित ने कहा.
चौहान ने राजू का नंबर दे दिया रोहित को. रोहित ने तुरंत राजू को फोन मिलाया.
“राजवीर मैं रोहित बोल रहा.”
“सिर आप…वो साएको तो बोल रहा था की उसने आपको और मेडम को…”
“उशके बोलने से क्या होता है. सेयेल को छोड़ेंगे नही हम. मैं ठीक हूँ. मेडम की हालत नाज़ुक है. उनका ऑपरेशन चल रहा है. वाहा सब ठीक है ना.”
“हन सिर सब ठीक है…आप यहा की चिंता मत करो. आप अपना ख्याल रखो.”
राजू ने रोहित से बात करने के बाद प़ड़्मिनी को सारी बात बताई.
“तो तुम रात झुत बोल रहे थे हा.क्या ज़रूरात थी ऐसा करने की.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपको और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था. आप पहले ही सपने के कारण डारी हुई थी.”
“मैं रोहित से मिलने जाना चाहती हूँ.”
“वैसे तो ख़तरा बहुत है इसमें पर आपकी बात नही तालूँगा. चलिए चलते हैं. मुझे भी रोहित सिर और मेडम की चिंता हो रही है.”
राजू, प़ड़्मिनी को लेकर हॉस्पिटल चल दिया. साथ में दोनो गन्मन भी थे. राजू चुपचाप ड्राइव कराता रही. प़ड़्मिनी भी चुपचाप रही.
हॉस्पिटल पहुँच कर वो सीधा रोहित के कमरे में पहुँच गये.
रोहित उष वक्त आँखे बंद करके लेता हुवा था.
“रोहित कैसे हो तुम?”
“ओह प़ड़्मिनी तुम, वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. मगर तुम्हे यहा नही आना चाहिए था… …”
“सॉरी मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया?” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आप बात कीजिए मैं बाहर इंतेज़ार कराता हूँ.” राजू ने कहा और वाहा से बाहर आ गया.
“कोई बात नही. शायद किशमत में हमारा साथ नही था.” रोहित ने कहा.
“हन शायद. मगर मुझे तुम्हारी दोस्ती हमेशा याद रहेगी. आज भी जब कभी ‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ती हूँ तो तुम्हारी बहुत याद आती है. दोस्ती का एक अतचा रूप देखा था हमने पर ना जाने क्यों सब बिखर गया.”
“कोई बात नही प़ड़्मिनी. तुम किशी बात की चिंता मत करो. मैं अभी भी तुम्हारा दोस्त हूँ.”
“तुम क्या कहना चाहते थे उष दिन कॅंटीन में जब हेमंत ने आकर हमें परेशान कर दिया था.”
“अब वो सब क्यों जान-ना चाहती हो. जो था वो बिखर गया. काश तुमने मुझे मोका दिया होता.”
“चाहने लगी थी तुम्हे. प्यार करने लगी थी तुमसे. बहुत बुरा लगा था मुझे की तुम सब कुछ एक बेट के लिए कर रहे थे.”
“जींदमी में इंसान किशी ना किशी बहाने एक दूसरे के करीब आते हैं. हम एक बेट के सहारे दोस्त बने. प्यार हो गया था हमें अब ये तुम भी मानती हो. पर कितनी आसानी से ख़त्म कर दिया तुमने इसे अनकहे प्यार को. एक मोका तक नही दिया तुमने मुझे अपनी बात कहने का. खैर छोड़ो अब फ़ायडा भी क्या है इन सब बातो का.”
“जानती हूँ की कोई फ़ायडा नही है. बस तुमसे सॉरी बोलने आई थी. मैने तुम्हारा पक्ष जान-ने की कोशिस ही नही की. हेमंत ने भी मुझे खूब भड़क्या. मुझे माफ़ कर देना. मेरे दोस्त रहना हमेशा हो सके तो.”
“पता है एक लड़की मुझे बहुत प्यार कराती है. उसने मुझे बोल दिया है पर मुझे समझ नही आ रहा की क्या करूँ. मुझे वो बहुत आतची लगती है. पर अभी डिसाइड नही कर पा रहा हूँ. उपर से उशके भाई ने हमारा मिलना जुलना बंद कर दिया है.”
“अगर प्यार करते हो उसे तो बोल दो जाकर. उशके प्यार को इग्नोर मत करो.”
“हन सोचूँगा इसे बड़े में. इसे साएको के केस में उलझा रहता हूँ दिन रात. वक्त ही नही मिलता कुछ सोचने का. अतचा एक बात बताओ. क्या तुम सच में साएको के चेहरे को भूल गयी हो.”
“हन रोहित मुझे सच में अब कुछ याद नही है. धीरे धीरे उशके चेहरे की छवि गायब हो गयी ज़हन से.”
“कोई बात नही ऐसा ही होता है हमारी मेमोरी के साथ. एक ही बार तो देखा था तुमने उशे.”
“ठीक है रोहित मैं चलती हूँ…अपना ख्याल रखना.”
“बहुत अतचा लगा प़ड़्मिनी जो की तुम आई. अब सारे घाव भर जाएँगे.”
“टके केर, बाइ.” प़ड़्मिनी मुश्कुरा कर बोली और कमरे से बाहर आ गयी.
प़ड़्मिनी के जाने के बाद राजू अंदर आया. “राजवीर अगर तुम्हे प़ड़्मिनी के घर से हटा कर दूसरा काम दम तो क्या कर पाओगे.”
“आप हुकुम कीजिए सिर.”
“मेरे तकिये के पास से मेरा पर्स उठाओ. उसमे एक काग़ज़ का टुकड़ा है. उष पर किशी संजय नाम के व्यक्ति का अड्रेस है. संजय के सिमरन के साथ संबंध हैं जो की इसीसी बॅंक में काम कराती है. सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है. साएको भी ब्लॅक स्कॉर्पियो में घूमता है. सिमरन की ब्लॅक स्कॉर्पियो संजय के पास थी कल. तुम उशके घर जा कर उष्की इंक्वाइरी करो. कल रात वो कहा था ज़रूर पूछना उष से. प़ड़्मिनी के घर मैं किशी और की ड्यूटी लगा देता हूँ. तुम अपना ये काम करके मुझे रिपोर्ट दे कर वापिस प़ड़्मिनी के घर चले जाना.”
“रिघ्त सिर आस यू विश. पर सिर क्या मैं पहले प़ड़्मिनी जी को घर छोड़ अओन सुरक्षित.”
“हन ऐसा कर लो. मैं दूसरे सी को घर ही भेज दूँगा.” रोहित ने कहा.
“ओह ,मैं भूल गया, सिर ये लीजिए आपका फोन. एक आदमी प़ड़्मिनी जी के घर पकड़ा गया था मुझे.”
“अतचा हुवा जो की फोन ले आए. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे फोन करना. साथ में 4-5 कॉन्स्टेबल्स ले जाओ. अतचे से पूछ ताछ करना.”
“ओक सिर.” राजू ने पर्स से वो काग़ज़ निकाला और अड्रेस देख कर बोला, “अरे ये तो मोनिका जी का घर है. इश्का मतलब मोनिका संजय की बीवी है.”
“कौन मोनिका?” रोहित ने पूछा.
“मोनिका का सुरिंदर के साथ संबंधा था सिर. वो उष रात सुरिंदर के ही साथ थी जीश रात उसने पुलिस स्टेशन आकर झुटि गवाही दी थी प़ड़्मिनी जी को फसाने के लिए.”
“ह्म…मोनिका सुरिंदर को जानती थी. संजय मोनिका का पाती है. संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. क्या सुरिंदर ने झुटि गवाही मोनिका के कहने पे दी थी?. ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर बेवजह की हमारा टाइम खराब करने की साजिस.” रोहित ने कहा.
“सिर मोनिका से मिला हूँ मैं. वो कोई साजिस करने वाली वुमन नही है. शी इस नाइस वुमन. फिर भी एक बार ओपन माइंड से फिर से एक बार फिर से उनसे भी पूछ ताछ कर लूँगा.”
“हन ज़रूर करो. किशी के बड़े में अपनी जुगद्ेंेंट मत बनाओ. लोग यहा पल पल में रंग बदलते हैं. वैसे तो मुझे इसे वक्त सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक है, मगर संजय की इंक्वाइरी ज़रूरी है. अभी कुछ भी क्लियर नही है हमें. फूँक-फूँक कर कदम रखने होंगे हमें.”
“बिल्कुल सिर, अगर संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है सहर में तो उष्की इंक्वाइरी बहुत ज़रूरी है.”
“मुझे यकीन था तुम इंटेरेस्ट लोगे इसे इंक्वाइरी में. इश्लीए तुम्हे भेज रहा हूँ. ऑल थे बेस्ट.”
“ओक सिर मैं चलता हूँ. प़ड़्मिनी जी को घर छोड़ कर. मैं इसे काम के लिए निकल जवँगा.”
बाहर आकर राजू ने प़ड़्मिनी से कहा, “मेरी ड्यूटी चेंज हो गयी है. मुझे दूसरे काम पर लगा दिया है रोहित सिर ने. आपको घर छोड़ कर मैं चला जवँगा.”
“दूसरा काम, कौन सा दूसरा काम?” प़ड़्मिनी ने हैरानी में पूछा.
“एक ज़रूरी इंक्वाइरी है. मुझे ही करनी होगी.”
“क्या कोई और नही कर सकता ये…मैं रोहित को बोल देता हूँ.”
“रहने दीजिए….मुझे ही करनी होगी ये इंक्वाइरी. मैं खुद करना चाहता हूँ.”
“तो ये कहो ना तुम तक गये हो मेरे घर के बाहर खड़े रहकर. तुम्हारे 10-10 लड़कियों से संबंध भी तो सफ़र हो रहे हैं. जाओ जहा मर्ज़ी मुझे क्या लेना देना.”
“प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही. और आज लग रहा है की आप भी प्यार कराती है मुझे. शाम तक लौट आऊगा मैं वापिस. तब तक कोई और ड्यूटी करेगा मेरी जगह.”
“मुझे तुमसे कोई प्यार नही है. बस चिंता कर रही थी की कहा भटकोगे बेवजह.”
“ठीक है फिर मैं शाम को भी नही आऊगा. रोहित सिर से बोल कर ड्यूटी पर्मनेंट्ली चेंज करवा लेता हूँ.”
“तो करवा लो चेंज…मेरे उपर क्या अहसान करोगे मेरे घर रह कर. तुम चाहते हो मुझे मैं नही.”
प़ड़्मिनी गुस्से में जीप में चल दी जीप की तरफ. राजू ने तुरंत हाथ पकड़ लिया.
“हाथ छोड़ो लोग देख रहे हैं.”
“पहले आप ये बतायें की आपको मुझसे प्यार है की नही. अब मैं चुप नही बैठूँगा. बहुत हो लिया आपका नाटक.”
“छोड़ो पागल हो क्या. लोग देख रहे हैं. घर चल कर बात करेंगे.”
“मैं जा रहा हूँ काम से बताया ना. अभी बठाना होगा आपको की क्या है आपके दिल में मेरे लिए.”
“तुम शाम को तो आओगे ना. फिर बात करेंगे, मेरा हाथ छोड़ो प्लीज़.” प़ड़्मिनी गिड़गिडाई.
“शायद शाम तक जींदा ना रहू मैं, जींदगी का क्या भरोसा है. चलिए छोड़ रहा हूँ हाथ आपका. शाम को भी नही आऊगा मैं. अपनी ड्यूटी अभी हटवा लूँगा मैं.”
प़ड़्मिनी ने कुछ नही कहा और जीप में आकर बैठ गयी. वापसीं का सफ़र बिल्कुल शांत रहा. प़ड़्मिनी ने टीरची नज़रो से काई बार राजू की तरफ देखा. पर वो कुछ बोल नही पाई क्योंकि बहुत गुस्सा था राजू के चेहरे पर.
प़ड़्मिनी को घर छोड़ कर जीप से उतरे बिना राजू जीप घुमा कर वापिस चला गया. प़ड़्मिनी बस उसे देखती रह गयी.
“क्या मैं ये प्यार भी खो दूँगी…राजू प्लीज़ शाम को आ जाना वापिस.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा और अपने घर में घुस्स गयी. उष्की आँखे नाम थी.
प़ड़्मिनी ने घर में घुस्स कर राजू का फोन मिलाया मगर रिंग जाने से पहले ही काट दिया, “उसने जाते वक्त मूड कर भी नही देखा मुझे. समझता क्या है वो खुद को.जीप घुमा कर निकल गया चुपचाप. अगर शाम को नही आया वो तो कभी बात नही करूँगी उष से.”
राजू को काई दीनो बाद गुस्सा आया था ऐसा. बहुत तेज चला रहा था जीप. पहले वो थाने गया और रोहित के कहे अनुसार 4 कॉन्स्टेबल्स लिए साथ में और चल दिया मोनिका के घर की तरफ. 20 मिनिट में ही उशके घर पहुँच गया वो.
राजू ने दरवाजा खड़क्या. दरवाजा मोनिका ने खोला, “आप…आज मैं आपको ही याद कर रही थी.”
“मुझे याद कर रही थी…क्यों भला.” राजू ने कहा. उष्का मूड अभी भी ऑफ था.
“वैसे ही…अतचे लोगो को अक्सर याद करके दिल ख़ूस्स हो जाता है.”
“आपके पाती का नाम संजय है?” राजू ने मोनिका की बात इग्नोर करके पूछा.
“जी हन, शायद आपको बताया था मैने पहले.”
“बताया होगा, मुझे याद नही है अभी. कहा हैं आपके पाती” राजू ने कहा.
“बात क्या है, आप तो पूरी पुलिस फोर्स ले आए हैं घर पर मेरे. क्या जान सकती हूँ की बात क्या है.”
“मोनिका जी…मेरा मूड बहुत खराब है अभी…प्लीज़ जल्दी से ये बतायें की संजय कहा है?”
“वो तो देल्ही गये हुवे हैं पीछले 2 दिन से. उनकी जॉब ऐसी है की उनका घूमना फिरना लगा रहता है.” मोनिका ने कहा.
“ह्म…ब्लॅक स्कॉर्पियो में गये हैं क्या वो देल्ही?”राजू ने पूछा.
“ब्लॅक स्कॉर्पियो!…हमारे पास कोई ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है.” मोनिका ने कहा.
राजू ने सभी कॉन्स्टेबल्स को बाहर जीप के पास रुकने को कहा और मोनिका से बोला, “आपके पास नही है. मगर सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है और आपके पाती के उशके साथ संबंध हैं.”
“सिमरन…कौन सिमरन?”
“वो सब छोड़िए और ये बतायें की देल्ही में कहा गये हैं आपके पाती.”
“इतना सब कुछ वो मुझे नही बताते हैं. और ना ही मैं पूछती हूँ.”
“अतचा…इट्स वेरी स्ट्रेंज…आपको आपके पाती के बड़े में नही पता. पत्नियाँ तो अक्सर पूरी जानकारी रखती हैं पाती के बड़े में.”
“मुझे कभी उन पर नज़र रखने की ज़रूरात नही पड़ी”
“क्या काम करते हैं आपके पाती.”
“इसीसी बॅंक में हैं वो”
“ह्म…ठीक है…मैं इसीसी बॅंक ही जा रहा हूँ यहा से सीधा. आप ये बतायें की क्या अक्सर आपके पाती घर से गायब रहते हैं”
“अक्सर तो नही हाँ कभी कभी वो घर नही आते. पर वो अपने काम के शील्षिले में ही बाहर जाते हैं.”
“ये तो इसीसी बॅंक जाकर ही पता लगेगा की काम के शील्षिले में जाते हैं या यू ही.” राजू ने कहा और चल दिया वाहा से.
राजू सीधा इसीसी बॅंक पहुँचा और बॅंक में घुसते ही सिमरन के कॅबिन में घुस्स गया, “क्या आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो आपके पास है अब.”
“देखिए मैने रोहित को सब बता दिया था. प्लीज़ डोंट वेस्ट माई टाइम.
“रोहित सिर ने ही भेजा है मुझे. संजय के पास थी ना आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो, कहा है संजय बुलाओ उशे.”
“वो आज ड्यूटी पर नही आया.”
“क्या बॅंक के किशी काम से बाहर भेजा गया है उशे?”
“नही बॅंक के किशी काम से बाहर नही भेजा गया उशे. वो शायद घर होगा.”
“घर पर उष्की बीवी ने बताया की वो देल्ही गया है…काम के शील्षिले में.”
“नही हमने उसे देल्ही नही भेजा…उनकी पत्नी को कोई ग़लतफहमी हुई होगी.”
राजू ने सारी बात फोन पर रोहित को बताई, “सिर मोनिका कह रही है की संजय देल्ही गया है मगर इसीसी बॅंक में मैने ब्रांच मॅनेजर सिमरन से बात की. उशके अनुसार उसे देल्ही नही भेजा गया. कही ये संजय ही तो साएको नही. ”
“ह्म…खैर सब कुछ इत्तेफ़ाक भी हो सकता है. मगर इंपॉर्टेंट जानकारी हाँसिल की है तुमने. सिमरन को फोन दो.” रोहित ने राजू से कहा.
राजू ने फोन सिमरन को पकड़ा दिया.
“सिमरन जब भी संजय आए या तुम्हे उशके बड़े में कुछ भी पता चले, तुरंत मुझे फोन करना.”
“ठीक है रोहित…जैसे ही वो आएगा मैं तुम्हे इनफॉर्म कर दूँगी.”
राजू को फोन वापिस दे दिया सिमरन ने.
“सिर एक रिकवेस्ट थी आपसे.” राजू ने कहा.
“हन बोलो राजवीर”
“मेरी ड्यूटी प़ड़्मिनी जी के वाहा से हटवा दीजिए.”
“राजवीर वैसे तो मैं तुरंत तुम्हारी बात मन लेता. मगर प़ड़्मिनी के साथ तुम्हारी ड्यूटी मेडम ने लगाई थी.”
“कोई बात नही सिर, वैसे कैसी हैं मेडम अब सिर.”
“ऑपरेशन तो हो गया है..मगर अभी उनको आएक्यू में रखा गया है. अभी उन्हे होश नही आया है. डॉक्टर कह रहा था की शायद सुबह तक होश आ जाएगा. तुम अब प़ड़्मिनी के घर जाओ. बाद में देखेंगे की क्या करना है. और हाँ बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा तुम्हे इन दीनो.”
“ओक सिर.”
राजू ने सभी कॉन्स्टेबल्स को पहले थाने छोड़ दिया और फिर प़ड़्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
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शाम के वक्त मोहित पूजा के कॉलेज के बाहर खड़ा उष्का इंतेज़ार कर रहा था. कॉलेज में कोई फंक्षन चल रहा था इश्लीए पूजा देर तक कॉलेज में थी. वो बाहर आई तो मोहित झूम उठा उसे देखते ही.
“बहुत प्यारी लग रही हो पूजा…क्यों इतने शीतम ढा रही हो मुझ पर.”
“अतचा…झुटे कही के. सुबह भी तुम यही सब कह रहे थे.”
“अब क्या करूँ तुम्हे देखते ही मूह से तुम्हारे लिए पार्शंसा खुद-ब-खुद निकल जाती है.” मोहित ने कहा.
“मोहित मन कर रहा था की कही बैठ कर बाते करते पर लाते हो गयी हूँ.” पूजा ने कहा.
“आओ बैठ जाओ, प्यार के कुछ मीठे पल तो हम निकाल ही लेंगे.” मोहित ने कहा.
पूजा हंसते हुवे बैठ गयी मोहित की बाएक पर और वो उशके बैठते ही बाएक को उसा ले चला.
“पूजा एक किस हो जाए आज. देखो कितनी हसीन शाम है. ऐसा मोका रोज नही आता.”
“मैं बाते करना चाहती थी और तुम्हे किस की पड़ी है. ये बताओ हमारा क्या होगा. कब बात करोगे बापू से.”
“तुम कहती हो तो आज ही कर लेता हूँ. मैं सोच रहा था की तुम पहले कॉलेज फिनिश कर लो फिर आराम से शादी करेंगे.”
“तो किस की इतनी जल्दी क्यों प़ड़ गयी आपको. शादी तक इंतेज़ार नही कर सकते क्या.”
मोहित ने तुरंत बाएक सड़क किनारे रोक दी. सड़क एक दम शुन्सान थी. बाएक से उतार गया वो. पूजा भी उतार गयी.
“क्या हुवा मोहित…इश् शुन्सान सड़क पर बाएक क्यों रोक दी.” पूजा ने पूछा.
मोहित ने बिना कुछ कहे पूजा के चेहरे को जाकड़ लिया और अपने होन्ट टीका दिए उशके होंटो पर. पूरे 2 मिनिट बाद छोड़ा उसने पूजा के होंटो को.
“शादी तक इंतेज़ार नही कर सकता. किस तो एक प्रेमी का फंडमेंटल रिघ्त है. ये तुम मुझसे नही चीन सकती.”
“फंडमेंटल रिघ्त के साथ फंडमेंटल ड्यूटी भी याद रखना.मुझे कभी अकेला मत छोड़ देना..जी नही पवँगी. बहुत प्यार कराती हूँ तुम्हे.”
“जानता हूँ…बेफिकर रहो तुम. तुम्हे तो मैं पॅल्को पर बैठा कर रखूँगा.”
“हहेहहे…तुम्हारी पॅल्को पर कैसे बैठूँगी…वाहा इतनी जगह नही है.”
“ठीक है कही और बैठ जाना, वाहा जगह बहुत है…मगर बदले में कुछ काम भी करना होगा तुम्हे.”
“कैसा काम, और ये कौन सी जगह की बात हो रही है ..” पूजा ने कहा
“बस मेरे उपर बैठ कर उछालती रहना तुम, ऐसी जगह है ..” मोहित ने कहा.
“जनाब चलिएगा की नही या फिर सुहाने खवाब ही देखते रहेंगे इसे शुन्सान सड़क पर.” पूजा ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 43
“रोहित प्लीज़, मैं तुम्हारे लिए बोल रही हूँ. कोई रास्ता नही है यहा से निकालने का. मुझे उठा कर तो कभी नही निकल पाओगे. मेरी बात मन लो छोड़ दो मुझे यही.”
“मैने कहा ना अकेले यहा से नही जवँगा मैं. यहा से हम साथ जाएँगे. नही जा पाए तो साथ मरेंगे यही.”
“कौन हूँ मैं तुम्हारी जो ऐसी बाते कर रहे हो?”
“इंसानियत का रिश्ता है आपसे. इतना काफ़ी है आपसे ऐसी बाते करने के लिए.”
“कोई भी रास्ता नही है रोहित, समझते क्यों नही तुम आआहह.”
“कहते हैं की जहाँ चाह, वहाँ राह. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा हमें. वैसे साएको ने आपको कैसे किडनॅप कर लिया.”
“थाने से आकर रोज जिम जाती हूँ मैं. कल अकेली ही निकल गयी अपनी कार लेकर. जिम ख़त्म करके अपनी कार की और जा रही थी. साएको ने पीछे से अचानक दबोच लिया और कुछ सूँघा दिया मुझे. शुन्सान था पार्किंग एरिया शायद किशी ने ये सब नही देखा. आँख खुली तो खुद को पेड़ से टाँगे पाया. साएको ने मुझे अपनी सारी गेम बता दी थी. मेरे सामने ही उसने तुमसे फोन पर बात की. मुझे लग रहा था की तुम नही आओगे मौत के मूह में. पर तुम आ गये.”
“आता क्यों नही. आप मेरी बॉस हो.”
“मैं फिर से बॉस बन गयी और आप भी बन गयी हरे आआहह.”
“आप कम बोलो तो अतचा है. मुझ पर विश्वास रखो मैं कोई ना कोई रास्ता ढुंड लूँगा.”
“साएको अपने विक्टिम्स की मौत की पैंटिंग बनाता है रोहित. सब इंतेज़ां कर रखा था उसने वाहा उपर. लाइट का भी इंतेज़ां कर रखा था. ये साएको बहुत शातिर है रोहित.”
“रहने दो शातिर उशे. अब बचेगा नही वो ज़्यादा दिन. उशके पाप का घड़ा भर चुका है. अब मुझे सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक हो रहा है. उसे पैंटिंग का शॉंक है और उशके घर मैने बहुत अज़ीब पैंटिंग देखी थी. वैसी पैंटिंग कोई साएको ही बना सकता है.”
“छोड़ना मत इसे साएको को रोहित. तडपा-तडपा कर मारना उशे.”
“आप खुद देखेंगी उसे मराते हुवे, फिर से निरासा भारी बाते मत करो वरना अब सच में थप्पड़ लगेगा.”
“सॉरी रोहित.” शालिनी ने मासूमियत भरे लहज़े में कहा.
“हाहहाहा मेरी बॉस ने मुझे सॉरी कहा हरे.”
“देख लूँगी बाद में तुम्हे, एक बार हॉस्पिटल पहुँचने दो मुझे.”
“देख लेना जी भरके हॉस्पिटल तो आप हर हाल में पहुँचेगी.”
रोहित दिल में उम्मीद की किरण लिए शालिनी को गोद में लेकर आगे बढ़ता रहा. शालिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और खुद को किशमत के सहारे छोड़ दिया था.
“क्या आप शो गयी” रोहित ने पूछा.
“सर चकरा रहा है, बस यू ही आँखे बंद कर न्यू एअर हैं. शरीर में इतना दर्द हो तो कोई कैसे शो सकता है.”
“हन ये भी है. मेरा भी अंग-अंग दुख रहा है. रात को नीचे गिरने के बाद तो हम शायद बेहोश हो गये थे. मेरी तो सुबह ही आँख खुली.”
“मेरी भी सुबह ही खुली. और आँख खुलते ही इतना दर्द महसूस हुवा की यही लगा की काश आँख कभी ना खुलती.”
“बस अब चुप ही रहें आप. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा.”
कोई एक घंटे तक रोहित शालिनी को उठाए आगे बढ़ता रहा. धीरे धीरे चल पा रहा था वो क्योंकि उशके पाँव खुद बुरी तरह से घायल थे. अचानक उसे दूर एक भेद चारटी हुई दीखाई दे.
“ये तो पालतू भेद लगती है. ज़रूर पूरा झुंड होगा आस-पास और साथ में चरवाहा भी होगा.” रोहित ने मन ही मन सोचा और तेज़ी से उष भेद की तरफ बढ़ा.
उष्का अंदाज़ा सही था. जब वो कुछ आगे बढ़ा तो उसे पूरा झुंड दीखाई दिया. मगर उसे कोई चरवाहा नही दीखा.
“हे किशकि भेद हैं ये.” रोहित छील्लाया.
रोहित की आवाज़ शन कर शालिनी चोंक गयी और आँखे खोल कर सर घुमा कर देखने लगी. “अगर यहा भेद हैं तो कोई रास्ता ज़रूर होगा.” शालिनी ने कहा.
“वही मैं भी सोच रहा हूँ. चरवाहा मिलेगा तभी बात बनेगी.” रोहित ने फिर से आवाज़ लगाई.
एक 14-15 साल का लड़का भाग कर आया रोहित के पास.
“हमें तुरंत हॉस्पिटल पहुँचना है. जल्दी से सड़क तक जाने का रास्ता बताओ.” रोहित ने पूछा.
“हे भगवान क्या हुवा इन्हे….” लड़के ने शालिनी को देख कर कहा.
“जल्दी से रास्ता बताओ, हमारे पास ज़्यादा वक्त नही है.
“पर मैं अपने भेदो को छोड़ कर कही नही जा सकता. मालिक से दाँत पड़ेगी.”
“तुम्हारे मालिक को मैं देख लूँगा, फिलाल रास्ता बताओ इनका वक्त पर हॉस्पिटल पहुँचना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा
वो लड़का रोहित के आगे आगे चल दिया. कही कही थोड़ी चढ़ाई भी थी. बहुत मुश्किल हुई रोहित को चढ़ने में. मगर धीरे-धीरे वो चढ़ ही गया. मगर एक जगह उष्का पाँव फिसल गया. शालिनी के पेट में गाड़ी लकड़ी रोहित की गर्दन से टकराई. शालिनी कराह उठी. “आअहह.”
“सॉरी मेडम, पाँव फिसल गया था थोड़ा सा.”
“कोई बात नही, इतना कुछ कर रहे हो तुम मेरे लिए, तुम्हारे कारण भी थोड़ा दर्द सह ही सकती हूँ.” शालिनी ने मुश्कूराते हुवे कहा.
“मुझे पता है बाद में इसे सब की सज़ा मिलने वाली है मुझे…” रोहित ने हंसते हुवे कहा.
“हन वो तो मिलनी ही है…” शालिनी भी हंसते हुवे बोली.
धीरे धीरे एक घंटे में वो लड़का रोहित को सड़क के किनारे ले आया. सड़क को दूर से देखते ही रोहित की आँखे चमक उठी.
“थॅंक यू, क्या नाम है तुम्हारा.” रोहित ने कहा.
“कृष्णा”
“तुम सच में हमारे लिए कृष्णा ही हो. बाद में मिलूँगा तुम्हे आकर. कहा मिलोगे तुम.”
“मैं यही भेद चराता हूँ रोज” उसने अपना अड्रेस भी बता दिया
“ठीक है जाओ तुम” रोहित ने उसे भेज दिया.
रोहित शालिनी को लेकर सड़क किनारे आ गया. उसने शालिनी को धीरे से ज़मीन पर लेता दिया, “मैं किशी कार को रोकता हूँ.”
रोहित को कोई 5 मिनिट बाद एक कार आती दीखाई दी वो उसे रोकने के लिए बीच सड़क में आ गया और उसे रुकने पर मजबूर कर दिया.
“क्या प्राब्लम है तुम्हारी.” कार चालक छील्लाया.
“देखो मुझे लिफ्ट चाहिए एमर्जेन्सी है. मुझे हॉस्पिटल पहुँचना है जल्द से जल्द.”
“दारू पीकर गिर गये थे क्या कही. क्या हालत बना न्यू एअर है. आओ बैठ जाओ.”
“रूको थोड़ी देर.” रोहित ने कहा और शालिनी की और चल दिया.
रोहित शालिनी को उठा लाया.
“क्या हुवा इनको?”
“लंबी कहानी है…तुम प्लीज़ जल्दी चलाओ.” रोहित शालिनी को लेकर पीछे बैठ गया.
“मेडम…मेडम” रोहित ने कहा.
पर शालिनी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. “लगता है बेहोश हो गयी हैं. खून बहुत बह गया है. बेहोश होना लाज़मी है.”
40 मिनिट में देहरादून पहुँच गये वो और कार वाले ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल के सामने कार रोक दी.
“ये अतचा हॉस्पिटल है. ले जाओ इनको. भगवान सब भली करेंगे.” कार वाले ने कहा.
रोहित ने शालिनी को उठाया और तुरंत हॉस्पिटल में घुस्स गया. तुरंत शालिनी को ऑपरेशन थियेटर भेज दिया गया.
“शूकर है आपने ये लकड़ी नही निकाली बाहर, वरना इनका बचना मुश्किल हो जाता.” डॉक्टर ने कहा.
रोहित को भी अड्मिट कर लिया गया. हॉस्पिटल से रोहित ने थाने फोन किया, चौहान ने फोन उठाया. रोहित ने सारी बात बताई चौहान को.
“अतचा हुवा जो की तुम बच गये. तुम्हे तो मैं मारूँगा अपने हाथो से.”
“सिर आप मेडम के लिए प्रोटेक्षन भेजिए…और हाँ आपके पास राजवीर का नंबर हो तो मुझे दे दीजिए.” रोहित ने कहा.
चौहान ने राजू का नंबर दे दिया रोहित को. रोहित ने तुरंत राजू को फोन मिलाया.
“राजवीर मैं रोहित बोल रहा.”
“सिर आप…वो साएको तो बोल रहा था की उसने आपको और मेडम को…”
“उशके बोलने से क्या होता है. सेयेल को छोड़ेंगे नही हम. मैं ठीक हूँ. मेडम की हालत नाज़ुक है. उनका ऑपरेशन चल रहा है. वाहा सब ठीक है ना.”
“हन सिर सब ठीक है…आप यहा की चिंता मत करो. आप अपना ख्याल रखो.”
राजू ने रोहित से बात करने के बाद प़ड़्मिनी को सारी बात बताई.
“तो तुम रात झुत बोल रहे थे हा.क्या ज़रूरात थी ऐसा करने की.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपको और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था. आप पहले ही सपने के कारण डारी हुई थी.”
“मैं रोहित से मिलने जाना चाहती हूँ.”
“वैसे तो ख़तरा बहुत है इसमें पर आपकी बात नही तालूँगा. चलिए चलते हैं. मुझे भी रोहित सिर और मेडम की चिंता हो रही है.”
राजू, प़ड़्मिनी को लेकर हॉस्पिटल चल दिया. साथ में दोनो गन्मन भी थे. राजू चुपचाप ड्राइव कराता रही. प़ड़्मिनी भी चुपचाप रही.
हॉस्पिटल पहुँच कर वो सीधा रोहित के कमरे में पहुँच गये.
रोहित उष वक्त आँखे बंद करके लेता हुवा था.
“रोहित कैसे हो तुम?”
“ओह प़ड़्मिनी तुम, वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. मगर तुम्हे यहा नही आना चाहिए था… …”
“सॉरी मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया?” प़ड़्मिनी ने कहा.
“आप बात कीजिए मैं बाहर इंतेज़ार कराता हूँ.” राजू ने कहा और वाहा से बाहर आ गया.
“कोई बात नही. शायद किशमत में हमारा साथ नही था.” रोहित ने कहा.
“हन शायद. मगर मुझे तुम्हारी दोस्ती हमेशा याद रहेगी. आज भी जब कभी ‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ती हूँ तो तुम्हारी बहुत याद आती है. दोस्ती का एक अतचा रूप देखा था हमने पर ना जाने क्यों सब बिखर गया.”
“कोई बात नही प़ड़्मिनी. तुम किशी बात की चिंता मत करो. मैं अभी भी तुम्हारा दोस्त हूँ.”
“तुम क्या कहना चाहते थे उष दिन कॅंटीन में जब हेमंत ने आकर हमें परेशान कर दिया था.”
“अब वो सब क्यों जान-ना चाहती हो. जो था वो बिखर गया. काश तुमने मुझे मोका दिया होता.”
“चाहने लगी थी तुम्हे. प्यार करने लगी थी तुमसे. बहुत बुरा लगा था मुझे की तुम सब कुछ एक बेट के लिए कर रहे थे.”
“जींदमी में इंसान किशी ना किशी बहाने एक दूसरे के करीब आते हैं. हम एक बेट के सहारे दोस्त बने. प्यार हो गया था हमें अब ये तुम भी मानती हो. पर कितनी आसानी से ख़त्म कर दिया तुमने इसे अनकहे प्यार को. एक मोका तक नही दिया तुमने मुझे अपनी बात कहने का. खैर छोड़ो अब फ़ायडा भी क्या है इन सब बातो का.”
“जानती हूँ की कोई फ़ायडा नही है. बस तुमसे सॉरी बोलने आई थी. मैने तुम्हारा पक्ष जान-ने की कोशिस ही नही की. हेमंत ने भी मुझे खूब भड़क्या. मुझे माफ़ कर देना. मेरे दोस्त रहना हमेशा हो सके तो.”
“पता है एक लड़की मुझे बहुत प्यार कराती है. उसने मुझे बोल दिया है पर मुझे समझ नही आ रहा की क्या करूँ. मुझे वो बहुत आतची लगती है. पर अभी डिसाइड नही कर पा रहा हूँ. उपर से उशके भाई ने हमारा मिलना जुलना बंद कर दिया है.”
“अगर प्यार करते हो उसे तो बोल दो जाकर. उशके प्यार को इग्नोर मत करो.”
“हन सोचूँगा इसे बड़े में. इसे साएको के केस में उलझा रहता हूँ दिन रात. वक्त ही नही मिलता कुछ सोचने का. अतचा एक बात बताओ. क्या तुम सच में साएको के चेहरे को भूल गयी हो.”
“हन रोहित मुझे सच में अब कुछ याद नही है. धीरे धीरे उशके चेहरे की छवि गायब हो गयी ज़हन से.”
“कोई बात नही ऐसा ही होता है हमारी मेमोरी के साथ. एक ही बार तो देखा था तुमने उशे.”
“ठीक है रोहित मैं चलती हूँ…अपना ख्याल रखना.”
“बहुत अतचा लगा प़ड़्मिनी जो की तुम आई. अब सारे घाव भर जाएँगे.”
“टके केर, बाइ.” प़ड़्मिनी मुश्कुरा कर बोली और कमरे से बाहर आ गयी.
प़ड़्मिनी के जाने के बाद राजू अंदर आया. “राजवीर अगर तुम्हे प़ड़्मिनी के घर से हटा कर दूसरा काम दम तो क्या कर पाओगे.”
“आप हुकुम कीजिए सिर.”
“मेरे तकिये के पास से मेरा पर्स उठाओ. उसमे एक काग़ज़ का टुकड़ा है. उष पर किशी संजय नाम के व्यक्ति का अड्रेस है. संजय के सिमरन के साथ संबंध हैं जो की इसीसी बॅंक में काम कराती है. सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है. साएको भी ब्लॅक स्कॉर्पियो में घूमता है. सिमरन की ब्लॅक स्कॉर्पियो संजय के पास थी कल. तुम उशके घर जा कर उष्की इंक्वाइरी करो. कल रात वो कहा था ज़रूर पूछना उष से. प़ड़्मिनी के घर मैं किशी और की ड्यूटी लगा देता हूँ. तुम अपना ये काम करके मुझे रिपोर्ट दे कर वापिस प़ड़्मिनी के घर चले जाना.”
“रिघ्त सिर आस यू विश. पर सिर क्या मैं पहले प़ड़्मिनी जी को घर छोड़ अओन सुरक्षित.”
“हन ऐसा कर लो. मैं दूसरे सी को घर ही भेज दूँगा.” रोहित ने कहा.
“ओह ,मैं भूल गया, सिर ये लीजिए आपका फोन. एक आदमी प़ड़्मिनी जी के घर पकड़ा गया था मुझे.”
“अतचा हुवा जो की फोन ले आए. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे फोन करना. साथ में 4-5 कॉन्स्टेबल्स ले जाओ. अतचे से पूछ ताछ करना.”
“ओक सिर.” राजू ने पर्स से वो काग़ज़ निकाला और अड्रेस देख कर बोला, “अरे ये तो मोनिका जी का घर है. इश्का मतलब मोनिका संजय की बीवी है.”
“कौन मोनिका?” रोहित ने पूछा.
“मोनिका का सुरिंदर के साथ संबंधा था सिर. वो उष रात सुरिंदर के ही साथ थी जीश रात उसने पुलिस स्टेशन आकर झुटि गवाही दी थी प़ड़्मिनी जी को फसाने के लिए.”
“ह्म…मोनिका सुरिंदर को जानती थी. संजय मोनिका का पाती है. संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. क्या सुरिंदर ने झुटि गवाही मोनिका के कहने पे दी थी?. ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर बेवजह की हमारा टाइम खराब करने की साजिस.” रोहित ने कहा.
“सिर मोनिका से मिला हूँ मैं. वो कोई साजिस करने वाली वुमन नही है. शी इस नाइस वुमन. फिर भी एक बार ओपन माइंड से फिर से एक बार फिर से उनसे भी पूछ ताछ कर लूँगा.”
“हन ज़रूर करो. किशी के बड़े में अपनी जुगद्ेंेंट मत बनाओ. लोग यहा पल पल में रंग बदलते हैं. वैसे तो मुझे इसे वक्त सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक है, मगर संजय की इंक्वाइरी ज़रूरी है. अभी कुछ भी क्लियर नही है हमें. फूँक-फूँक कर कदम रखने होंगे हमें.”
“बिल्कुल सिर, अगर संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है सहर में तो उष्की इंक्वाइरी बहुत ज़रूरी है.”
“मुझे यकीन था तुम इंटेरेस्ट लोगे इसे इंक्वाइरी में. इश्लीए तुम्हे भेज रहा हूँ. ऑल थे बेस्ट.”
“ओक सिर मैं चलता हूँ. प़ड़्मिनी जी को घर छोड़ कर. मैं इसे काम के लिए निकल जवँगा.”
बाहर आकर राजू ने प़ड़्मिनी से कहा, “मेरी ड्यूटी चेंज हो गयी है. मुझे दूसरे काम पर लगा दिया है रोहित सिर ने. आपको घर छोड़ कर मैं चला जवँगा.”
“दूसरा काम, कौन सा दूसरा काम?” प़ड़्मिनी ने हैरानी में पूछा.
“एक ज़रूरी इंक्वाइरी है. मुझे ही करनी होगी.”
“क्या कोई और नही कर सकता ये…मैं रोहित को बोल देता हूँ.”
“रहने दीजिए….मुझे ही करनी होगी ये इंक्वाइरी. मैं खुद करना चाहता हूँ.”
“तो ये कहो ना तुम तक गये हो मेरे घर के बाहर खड़े रहकर. तुम्हारे 10-10 लड़कियों से संबंध भी तो सफ़र हो रहे हैं. जाओ जहा मर्ज़ी मुझे क्या लेना देना.”
“प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही. और आज लग रहा है की आप भी प्यार कराती है मुझे. शाम तक लौट आऊगा मैं वापिस. तब तक कोई और ड्यूटी करेगा मेरी जगह.”
“मुझे तुमसे कोई प्यार नही है. बस चिंता कर रही थी की कहा भटकोगे बेवजह.”
“ठीक है फिर मैं शाम को भी नही आऊगा. रोहित सिर से बोल कर ड्यूटी पर्मनेंट्ली चेंज करवा लेता हूँ.”
“तो करवा लो चेंज…मेरे उपर क्या अहसान करोगे मेरे घर रह कर. तुम चाहते हो मुझे मैं नही.”
प़ड़्मिनी गुस्से में जीप में चल दी जीप की तरफ. राजू ने तुरंत हाथ पकड़ लिया.
“हाथ छोड़ो लोग देख रहे हैं.”
“पहले आप ये बतायें की आपको मुझसे प्यार है की नही. अब मैं चुप नही बैठूँगा. बहुत हो लिया आपका नाटक.”
“छोड़ो पागल हो क्या. लोग देख रहे हैं. घर चल कर बात करेंगे.”
“मैं जा रहा हूँ काम से बताया ना. अभी बठाना होगा आपको की क्या है आपके दिल में मेरे लिए.”
“तुम शाम को तो आओगे ना. फिर बात करेंगे, मेरा हाथ छोड़ो प्लीज़.” प़ड़्मिनी गिड़गिडाई.
“शायद शाम तक जींदा ना रहू मैं, जींदगी का क्या भरोसा है. चलिए छोड़ रहा हूँ हाथ आपका. शाम को भी नही आऊगा मैं. अपनी ड्यूटी अभी हटवा लूँगा मैं.”
प़ड़्मिनी ने कुछ नही कहा और जीप में आकर बैठ गयी. वापसीं का सफ़र बिल्कुल शांत रहा. प़ड़्मिनी ने टीरची नज़रो से काई बार राजू की तरफ देखा. पर वो कुछ बोल नही पाई क्योंकि बहुत गुस्सा था राजू के चेहरे पर.
प़ड़्मिनी को घर छोड़ कर जीप से उतरे बिना राजू जीप घुमा कर वापिस चला गया. प़ड़्मिनी बस उसे देखती रह गयी.
“क्या मैं ये प्यार भी खो दूँगी…राजू प्लीज़ शाम को आ जाना वापिस.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा और अपने घर में घुस्स गयी. उष्की आँखे नाम थी.
प़ड़्मिनी ने घर में घुस्स कर राजू का फोन मिलाया मगर रिंग जाने से पहले ही काट दिया, “उसने जाते वक्त मूड कर भी नही देखा मुझे. समझता क्या है वो खुद को.जीप घुमा कर निकल गया चुपचाप. अगर शाम को नही आया वो तो कभी बात नही करूँगी उष से.”
राजू को काई दीनो बाद गुस्सा आया था ऐसा. बहुत तेज चला रहा था जीप. पहले वो थाने गया और रोहित के कहे अनुसार 4 कॉन्स्टेबल्स लिए साथ में और चल दिया मोनिका के घर की तरफ. 20 मिनिट में ही उशके घर पहुँच गया वो.
राजू ने दरवाजा खड़क्या. दरवाजा मोनिका ने खोला, “आप…आज मैं आपको ही याद कर रही थी.”
“मुझे याद कर रही थी…क्यों भला.” राजू ने कहा. उष्का मूड अभी भी ऑफ था.
“वैसे ही…अतचे लोगो को अक्सर याद करके दिल ख़ूस्स हो जाता है.”
“आपके पाती का नाम संजय है?” राजू ने मोनिका की बात इग्नोर करके पूछा.
“जी हन, शायद आपको बताया था मैने पहले.”
“बताया होगा, मुझे याद नही है अभी. कहा हैं आपके पाती” राजू ने कहा.
“बात क्या है, आप तो पूरी पुलिस फोर्स ले आए हैं घर पर मेरे. क्या जान सकती हूँ की बात क्या है.”
“मोनिका जी…मेरा मूड बहुत खराब है अभी…प्लीज़ जल्दी से ये बतायें की संजय कहा है?”
“वो तो देल्ही गये हुवे हैं पीछले 2 दिन से. उनकी जॉब ऐसी है की उनका घूमना फिरना लगा रहता है.” मोनिका ने कहा.
“ह्म…ब्लॅक स्कॉर्पियो में गये हैं क्या वो देल्ही?”राजू ने पूछा.
“ब्लॅक स्कॉर्पियो!…हमारे पास कोई ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है.” मोनिका ने कहा.
राजू ने सभी कॉन्स्टेबल्स को बाहर जीप के पास रुकने को कहा और मोनिका से बोला, “आपके पास नही है. मगर सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है और आपके पाती के उशके साथ संबंध हैं.”
“सिमरन…कौन सिमरन?”
“वो सब छोड़िए और ये बतायें की देल्ही में कहा गये हैं आपके पाती.”
“इतना सब कुछ वो मुझे नही बताते हैं. और ना ही मैं पूछती हूँ.”
“अतचा…इट्स वेरी स्ट्रेंज…आपको आपके पाती के बड़े में नही पता. पत्नियाँ तो अक्सर पूरी जानकारी रखती हैं पाती के बड़े में.”
“मुझे कभी उन पर नज़र रखने की ज़रूरात नही पड़ी”
“क्या काम करते हैं आपके पाती.”
“इसीसी बॅंक में हैं वो”
“ह्म…ठीक है…मैं इसीसी बॅंक ही जा रहा हूँ यहा से सीधा. आप ये बतायें की क्या अक्सर आपके पाती घर से गायब रहते हैं”
“अक्सर तो नही हाँ कभी कभी वो घर नही आते. पर वो अपने काम के शील्षिले में ही बाहर जाते हैं.”
“ये तो इसीसी बॅंक जाकर ही पता लगेगा की काम के शील्षिले में जाते हैं या यू ही.” राजू ने कहा और चल दिया वाहा से.
राजू सीधा इसीसी बॅंक पहुँचा और बॅंक में घुसते ही सिमरन के कॅबिन में घुस्स गया, “क्या आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो आपके पास है अब.”
“देखिए मैने रोहित को सब बता दिया था. प्लीज़ डोंट वेस्ट माई टाइम.
“रोहित सिर ने ही भेजा है मुझे. संजय के पास थी ना आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो, कहा है संजय बुलाओ उशे.”
“वो आज ड्यूटी पर नही आया.”
“क्या बॅंक के किशी काम से बाहर भेजा गया है उशे?”
“नही बॅंक के किशी काम से बाहर नही भेजा गया उशे. वो शायद घर होगा.”
“घर पर उष्की बीवी ने बताया की वो देल्ही गया है…काम के शील्षिले में.”
“नही हमने उसे देल्ही नही भेजा…उनकी पत्नी को कोई ग़लतफहमी हुई होगी.”
राजू ने सारी बात फोन पर रोहित को बताई, “सिर मोनिका कह रही है की संजय देल्ही गया है मगर इसीसी बॅंक में मैने ब्रांच मॅनेजर सिमरन से बात की. उशके अनुसार उसे देल्ही नही भेजा गया. कही ये संजय ही तो साएको नही. ”
“ह्म…खैर सब कुछ इत्तेफ़ाक भी हो सकता है. मगर इंपॉर्टेंट जानकारी हाँसिल की है तुमने. सिमरन को फोन दो.” रोहित ने राजू से कहा.
राजू ने फोन सिमरन को पकड़ा दिया.
“सिमरन जब भी संजय आए या तुम्हे उशके बड़े में कुछ भी पता चले, तुरंत मुझे फोन करना.”
“ठीक है रोहित…जैसे ही वो आएगा मैं तुम्हे इनफॉर्म कर दूँगी.”
राजू को फोन वापिस दे दिया सिमरन ने.
“सिर एक रिकवेस्ट थी आपसे.” राजू ने कहा.
“हन बोलो राजवीर”
“मेरी ड्यूटी प़ड़्मिनी जी के वाहा से हटवा दीजिए.”
“राजवीर वैसे तो मैं तुरंत तुम्हारी बात मन लेता. मगर प़ड़्मिनी के साथ तुम्हारी ड्यूटी मेडम ने लगाई थी.”
“कोई बात नही सिर, वैसे कैसी हैं मेडम अब सिर.”
“ऑपरेशन तो हो गया है..मगर अभी उनको आएक्यू में रखा गया है. अभी उन्हे होश नही आया है. डॉक्टर कह रहा था की शायद सुबह तक होश आ जाएगा. तुम अब प़ड़्मिनी के घर जाओ. बाद में देखेंगे की क्या करना है. और हाँ बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा तुम्हे इन दीनो.”
“ओक सिर.”
राजू ने सभी कॉन्स्टेबल्स को पहले थाने छोड़ दिया और फिर प़ड़्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
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शाम के वक्त मोहित पूजा के कॉलेज के बाहर खड़ा उष्का इंतेज़ार कर रहा था. कॉलेज में कोई फंक्षन चल रहा था इश्लीए पूजा देर तक कॉलेज में थी. वो बाहर आई तो मोहित झूम उठा उसे देखते ही.
“बहुत प्यारी लग रही हो पूजा…क्यों इतने शीतम ढा रही हो मुझ पर.”
“अतचा…झुटे कही के. सुबह भी तुम यही सब कह रहे थे.”
“अब क्या करूँ तुम्हे देखते ही मूह से तुम्हारे लिए पार्शंसा खुद-ब-खुद निकल जाती है.” मोहित ने कहा.
“मोहित मन कर रहा था की कही बैठ कर बाते करते पर लाते हो गयी हूँ.” पूजा ने कहा.
“आओ बैठ जाओ, प्यार के कुछ मीठे पल तो हम निकाल ही लेंगे.” मोहित ने कहा.
पूजा हंसते हुवे बैठ गयी मोहित की बाएक पर और वो उशके बैठते ही बाएक को उसा ले चला.
“पूजा एक किस हो जाए आज. देखो कितनी हसीन शाम है. ऐसा मोका रोज नही आता.”
“मैं बाते करना चाहती थी और तुम्हे किस की पड़ी है. ये बताओ हमारा क्या होगा. कब बात करोगे बापू से.”
“तुम कहती हो तो आज ही कर लेता हूँ. मैं सोच रहा था की तुम पहले कॉलेज फिनिश कर लो फिर आराम से शादी करेंगे.”
“तो किस की इतनी जल्दी क्यों प़ड़ गयी आपको. शादी तक इंतेज़ार नही कर सकते क्या.”
मोहित ने तुरंत बाएक सड़क किनारे रोक दी. सड़क एक दम शुन्सान थी. बाएक से उतार गया वो. पूजा भी उतार गयी.
“क्या हुवा मोहित…इश् शुन्सान सड़क पर बाएक क्यों रोक दी.” पूजा ने पूछा.
मोहित ने बिना कुछ कहे पूजा के चेहरे को जाकड़ लिया और अपने होन्ट टीका दिए उशके होंटो पर. पूरे 2 मिनिट बाद छोड़ा उसने पूजा के होंटो को.
“शादी तक इंतेज़ार नही कर सकता. किस तो एक प्रेमी का फंडमेंटल रिघ्त है. ये तुम मुझसे नही चीन सकती.”
“फंडमेंटल रिघ्त के साथ फंडमेंटल ड्यूटी भी याद रखना.मुझे कभी अकेला मत छोड़ देना..जी नही पवँगी. बहुत प्यार कराती हूँ तुम्हे.”
“जानता हूँ…बेफिकर रहो तुम. तुम्हे तो मैं पॅल्को पर बैठा कर रखूँगा.”
“हहेहहे…तुम्हारी पॅल्को पर कैसे बैठूँगी…वाहा इतनी जगह नही है.”
“ठीक है कही और बैठ जाना, वाहा जगह बहुत है…मगर बदले में कुछ काम भी करना होगा तुम्हे.”
“कैसा काम, और ये कौन सी जगह की बात हो रही है ..” पूजा ने कहा
“बस मेरे उपर बैठ कर उछालती रहना तुम, ऐसी जगह है ..” मोहित ने कहा.
“जनाब चलिएगा की नही या फिर सुहाने खवाब ही देखते रहेंगे इसे शुन्सान सड़क पर.” पूजा ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 43
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“ओह हाँ सॉरी…चलते हैं. मैं तो बस अपनी पूजा की पप्पी लेने के लिए रुका था.”
“खबरदार जो दुबारा पप्पी की यू सड़क पर रोक कर. मुझे दर लगता है.”
“ठीक है आगे से बाएक पर चलते चलते करूँगा… …”
“वो कैसे मुमकिन होगा …”
“सब कुछ मुमकिन है तुम बस पप्पी देने वाली बनो.”
“नही मिलेगी अब…दुबारा मत माँगना”
“अफ अब तो दुबारा फिर लेनी पड़ेगी. तुम्हारी पप्पी लेने में बहुत मज़ा आता है.”
तभी अचानक एक ब्लॅक स्कॉर्पियो निकल उनके बाजू से.
“पूजा जल्दी बैठो…इश् ब्लॅक स्कॉर्पियो का पीछा करना है.”
“क्या बात है..कौन है इसे ब्लॅक स्कॉर्पियो में.”
“ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है साएको…आओ देखते हैं ये ब्लॅक स्कॉर्पियो कहा जा रही है.”
“मोहित मुझे दर लग रहा है, रात होने वाली है. घर पर मेरा इंतेज़ार हो रहा होगा..”
“पूजा अगर मैं तुम्हे ऑटो में बैठा दु तो क्या तुम चली जाओगी…मुझे इसे कार के पीछे जाना होगा, क्या पता वो साएको इशी में हो.”
“ठीक है तुम मुझे किशी ऑटो में बैठा दो. मैं चली जवँगी.”
मोहित ने कुछ दूरी पर एक ऑटो रोक कर पूजा को उसमे बैठा दिया और खुद पूरी बढ़ता से बाएक दौड़ा कर उष ब्लॅक स्कॉर्पियो के पीछे लगा दी.
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राजू जब वापिस प़ड़्मिनी के घर पहुँचा तो प़ड़्मिनी अपने रूम की खिड़की
में ही खड़ी थी और बाहर झाँक रही थी. राजू को देखते ही उसने परदा गिरा दिया.
“ये लो हो गया इनका नाटक शुरू. समझ गया हूँ मैं आपको. दीमग खराब था मेरा जो आपसे प्यार कर बैठा. मुझे देखते ही परदा गिरा दिया…क्या इतनी बुरी शकल है मेरी. बस अब बहुत हो गया आपसे कोई बात नही करूँगा मैं.” राजू चुपचाप आँखे बंद करके जीप में बैठ गया.
राजू ने ध्यान ही नही दिया की प़ड़्मिनी घर का दरवाजा खोल कर खड़ी है.उशे देखते ही वो नीचे आ गयी थी. “कहा तो था की शाम को बात करेंगे. चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गया है. ये समझता क्या है खुद को. मुझे कोई बात नही करनी इसे से.” दरवाजा पटक दिया ज़ोर से प़ड़्मिनी ने और कुण्डी लगा ली.
दरवाजे की आवाज़ से राजू ने तुरंत आँख खोल कर देखा, “ये कैसी आवाज़ थी” राजू ने गन्मन से पूछा.
“दरवाजा बंद होने की आवाज़ थी सिर. शायद घर के अंदर से आई थी.”
“ह्म…ठीक है तुम सतर्क रहो.” राजू ने कहा.
मोहित ब्लॅक स्कॉर्पियो से कुछ दूरी बनाए हुवा था. मगर उसने गाड़ी का नंबर देख लिया, “कार तो ये गौरव मेहरा की है. चलो देखता हूँ आज कहा जा रहा है ये.”
कार एक घर के आगे आकर रुकी. कार में से गौरव मेहरा उतरा और घर में घुस्स गया. मोहित ने कुछ दूरी पर बाएक रोक दी और अपना कॅमरा लेकर दबे पाँव घर की तरफ बढ़ा. अंधेरा घिर आया था इश्लीए मोहित का काम थोड़ा आसान हो गया था.
मोहित घर की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया. खिड़की में पर्दे टाँगे थे. मोहित ने पर्दे को हल्का सा हाथ से हटाया और अंदर झाँक कर देखा. अंदर गौरव एक लड़की के सामने खड़ा था. लड़की देखने में शुनदर लग रही थी.
“स्वेता कितने फोन किए तुम्हे…तुम्हे मेरे साथ काम करना है या नही.”
“काम करना है सिर…मेरी तबीयत खराब थी कुछ दिन से.”
“तो साली इनफॉर्म क्या तेरा बाप करेगा. इतनी सॅलरी देता हूँ तुझे. ये घर भी खड़ीद कर दिया तुझे..फिर भी मेरी कदर नही है तुम्हे.”
“सिर आपने जो कुछ मेरे साथ किया अपनी बीवी के सामने वो ठीक नही था. मुझे रंडी और पता नही क्या-क्या कहा आपने.”
“मेरा मूड ठीक नही था उष दिन. वो साला दो कौड़ी का पुलिस वाला मुझे घर से घसीट कर ले गया था. दीमग खराब हो गया था मेरा.”
“सिर आपको मैने अपना सब कुछ दिया…और आप ऐसा बर्ताव करते हैं मेरे साथ.”
“चल ठीक है…आगे से ध्यान रखूँगा. आज बहुत मन कर रहा है तेरी लेने का…चल मस्ती करते हैं.”
“वो तो ठीक है पर आप प्लीज़ मुझे दुबारा रंडी मत कहना.”
“अरे ठीक है…बोला ना गुस्से में था उष दिन. चल लंड निकाल बाहर और चूसना शुरू कर. जीश तरह से तू चूस्टी है लंड मेरा आज तक किशी ने नही चूसा. तभी अपनी बीवी को दीखा रहा था हहहे.”
“पर क्या बीती होगी उन पर. आपको ऐसा नही करना चाहिए था.” स्वेता ने कहा.
“चल छोड़ ना ये सब जल्दी से लंड निकाल कर डाल ले इन खूबसूरात होंटो के बीच.”
स्वेता ने गौरव की ज़िप खोल कर उशके लिंग को बाहर निकाला और प्यार से चूसने लगी.
“गुड वेरी गुड..इशी काम की सॅलरी देता हूँ मैं तुम्हे…हाहहाहा.”
स्वेता चुपचाप सकिंग कराती रही. मोहित ने चुपचाप चतुराई से उनकी फोरो ले ली. “ये फोटो दीपिका के काम आएगी.”
स्वेता का मूह दुखने लगा सकिंग करते करते पर गौरव फिर भी चूस्वाता रहा.
“सिर कुछ और नही करेंगे क्या…मूह दुखने लगा है.”
“ऐसा कराता हूँ आज तेरी गान्ड लेता हूँ. तेरी अब तक गान्ड माही ली ना मैने.”
“सिर नही…वो रहने दीजिए.”
“क्यों रहने दूं..चल कपड़े उतार और झुक जा…इश् बार बोनस दूँगा तुझे, तू गान्ड में लेकर तो देख. हाहाहा”
“सिर प्लीज़..”
“देख अभी मेरा मूड ठीक है. मूड खराब हो गया प ज़बरदस्ती लूँगा…आराम से कपड़े उतार कर झुक जा मेरे आगे.” गौरव ने कठोराता से कहा.
स्वेता ने अपने कपड़े उतारे और गौरव के आगे झुक गयी.
“गुड गर्ल तेरा बोनस पक्का. चल अब अपनी गान्ड फैला दोनो हाथो से और मेरे लंड के लिए रास्ता बना.” गौरव ने कहा.
स्वेता ने अपने नितंबो को फैला लिया और गौरव ने अपने लिंग पर थूक लगा कर स्वेता की आस होल पर रख दिया. स्वेता की साँसे थम गयी एंट्री की आंटिसिपेशन में.
मोहित सब कुछ रेकॉर्ड कर रहा था. पिक्चर भी ले रहा था और वीडियो भी बना रहा था.
“ऊऊहह सिर नो….”
“बोनस मिलेगा स्वेता ले ले पूरा हाहाहा.” गौरव हँसने लगा.
“सिर मैने कभी नही किया अनल बहुत दर्द हो रहा है.”
“मैने भी बहुत कम किया है…पर तेरी गान्ड लेने की इतचा थी बहुत दीनो से आज पूरी हो रही है. बार बार भूल जाता था की ये काम भी करना है.”
“आआहह…नूऊऊऊ सिर धीरे….” स्वेता कराह उठी. गौरव ने एक दम से पूरा लंड डाल दिया था उष्की गान्ड में.
“हहहे अब तो गया पूरा…अब धीरे से क्या फ़ायडा स्वेता तुम ले चुकी हो पूरा अब मज़े करो.”
“थॅंक गोद मुझे लगा था की अभी पूरा जाना बाकी है.” स्वेता ने गहरी साँस ले कर कहा.
“वाह भाई वाह क्या बात है मिस्टर गौरव मेहरा. अपने एंप्लायीस की खूब जम कर लेते हो तुम…गुड.”
गौरव मेहरा और स्वेता दोनो ही चोंक गये. दोनो ने पीछे मूड कर देखा. उनके पीछे एक नकाब पॉश खड़ा था, हाथ में बंदूक लिए. मोहित नकाब पॉश को देखते ही खिड़की से हट गया. मगर बाद में चुपचाप झाँक कर देखने लगा.
“कौन हो तुम और यहा कैसे आए…” गौरव ने पूछा
“पहले तुम जैसे हो वैसे ही रहो हिलना मत. लंड मत निकालना इश्कि गान्ड से. क्या सीन बनाया है तुम दोनो ने वाह. आतची पैंटिंग बनेगी.”
“सेयेल तेरा भेजा उसा दूँगा मैं अभी…बता कौन है तू.”
“मेरे पूरे सहर में चर्चे हैं और तुम मुझे नही जानते. लोग मुझे साएको कह कर बदनाम कर रहे हैं जबकि मैं एक आर्टिस्ट हूँ जो की रेर पैंटिंग बनाता है. अब देखो ने कितने रेर पोज़ में खड़े हो तुम दोनो. गान्ड में लंड डाल रखा है तुमने इसे बेचारी के. अब अगर गान्ड माराते माराते इश्कि पीठ में चाकू माराते जाओ तो बहुत ही अनमोल आर्ट बन जाएगी. मैने एरॉटिक पैंटिंग पहले भी बनाई है मगर ये तो बहुत ही अद्भुत पैटिंग कहलाएगी.”
“स..सिर ये क्या कह रहा है.” स्वेता दर गयी.
“वही कह रहा हूँ जो की तुम्हे शन रहा है मेरी जान. गान्ड में लंड पीलवा रही हो अब ज़रा चाकू भी घुस्वाओ अपनी पीठ में और ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे हाहहाहा.” साएको करूराता से हासने लगा.
“कितना पैसा चाहिए तुम्हे बोलो.” गौरव ने कहा.
“पैसे से कही ज़्यादा अनमोल पैंटिंग बनेगी तुम दोनो की. मेरी पैंटिंग के आगे तुम्हारा पैसा कुछ नही..ये लो चाकू पाकड़ो और हर एक धक्के के साथ एक चाकू मारो इश्कि पीठ में. अगर तुमने इशे नही मारा तो तुम्हारा भेजा उसा दूँगा.” साएको ने चाकू थमा दिया गौरव को.
“सिर…प्लीज़ मुझे मत मारना.” स्वेता गिड़गिडाई.
“और हाँ धक्के के बिना चाकू मारा तो भी तुम्हारा भेजा उसा दूँगा. इशे भी मारो और इश्कि गान्ड भी मारो…दोनो एक साथ मारो हाहहहाहा.” साएको हँसने लगा.
“सिर इश्कि बात मत मान-ना प्लीज़.”
“चुप कर साली रंडी. मेरे लिए क्या तू अपनी जान नही दे सकती.” गौरव ने कहा.
मोहित ने खिड़की के पास से हट कर तुरंत रोहित को फोन मिलाया और पूरा वाक़या शुना दिया.
“मोहित मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ…मगर पुलिस पार्टी अभी तुरंत भेज रहा हूँ वाहा. तुम तब तक साएको पर नज़र रखो.” रोहित ने कहा.
मोहित वापिस खिड़की में आया तो उसने देखा की गौरव ने चाकू हवा में उठा रखा है. इसे से पहले की मोहित कुछ सोच पाता कुछ करने के बड़े में गौरव ने खुद को आगे ढकैलते हुवे चाकू गाड़ दिया स्वेता की पीठ में. कमरे में छींख गूँज उठी स्वेता की.
“गुड वेरी गुड…एक धक्का और मारो और एक चाकू और मारो हाहहाहा.”
गौरव ने चाकू उपर उठाया ही था दुबारा मारने के लिए की साएको ने फुर्ती से आगे बढ़ कर गला काट दिया गौरव का. वो तुरंत स्वेता को साथ लेकर ज़मीन पर गिर गया.
“साला कमीना कही का, बेचारी की गान्ड माराते-माराते जान ले ली. शरम आनी चाहिए तुम्हे. बट डोंट वरी बोत ऑफ यू अरे नाउ प्राउड विक्टिम ऑफ माई आर्ट. पूरा सीन रेकॉर्ड कर लिया है मैने घर जाकर इतमीनान से पैंटिंग बनावँगा तुम्हारी एरॉटिक मौत की हाहहाहा.”
“ये पुलिस कहा रह गयी…हमेशा लाते आती है. मेरे पास कोई हथियार भी नही है…क्या करूँ..कुछ नही किया तो ये फिर से भाग जाएगा आज.” मोहित ने मन ही मान.
साएको वाहा से अपना समान उठा कर चल दिया.
“ये ज़रूर घर के पीछे से घुस्सा होगा. कुछ करना होगा मुझे.” मोहित अपनी इन्वेस्टिगेशन का समान वही छोड़ कर घर के पीछे की तरफ भागा. साएको तब तक घर से निकल चुका था और घर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था. वो कार ब्लॅक स्कॉर्पियो नही थी.
“रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…हाथ उपर करो और ज़मीन पर बैठ जाओ.” मोहित ने पीछे से पोइलीसीए रोब में आवाज़ दी.
साएको ने तुरंत पीछे मूड कर देखा और हंसते हुवे बोला, “मैं कुत्टो के भोंकने से नही रुकता हूँ. बंदूक तो ले आते कही से पहले ये सब भोंकने से पहले.” साएको ने कहा.
घर के पीछे अंधेरा था इश्लीए साएको मोहित को पहचान नही पाया.
“पुलिस ने घेर लिया है तुम्हे चारो तरफ से तुम बच कर नही जा सकते यहा से. हथियार गिरा दो चुपचाप.”
“पुलिस की तो मैने गान्ड मार ली है बेटा…पुलिस की बात मत कर.” साएको ने बंदूक तां दी मोहित की तरफ.
मोहित साएको को बातों में उलझने की कोशिस कर रहा था. मगर साएको इसे जाल में फँसने वाला नही था. उसने मोहित के सर की तरफ फिरे किया. मगर मोहित तुरंत भाग कर दीवार के किनारे चुप गया.
“अपना नाम बता देते तो दुबारा मिलना आसान होता. तुम्हारी भी पैंटिंग बना देता…हाहहाहा” साएको ने कहा.
साएको फ़ौरन अपनी कार की तरफ बढ़ा. मोहित ने एक मोटा सा पठार उठाया और उशके सर पर निशाना लगा कर ज़ोर से मारा. पठार सीधा खोपड़ी में लगा साएको की. खून बहने लगा उशके सर से.
“सेयेल तेरी इतनी हिम्मत.” बिना सोचे समझे गोलियाँ बरसा दी साएको ने और अपनी कार में बैठ कर निकल दिया वाहा से. शायद उसे दर था की कही पुलिस ना आ जाए.
मोहित भाग कर वापिस आया घर के आगे. अपना सारा समान उठाया और बाएक लेकर निकल पड़ा, “छोड़ूँगा नही तुझे आज मैं.” मगर साएको की कार उसे कही नज़र नही आई.
“कहा गया हरांखोर…कार का नंबर भी नही देख पाया अंधेरे में.” मोहित ने निराशा में कहा.
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रात के 10 बाज रहे थे. राजू ने काई बार प़ड़्मिनी की खिड़की की तरफ देखा मगर वाहा हर बार परदा ही टंगा मिला.
“उनको मुझसे प्यार होता तो खड़ी रहती खिड़की पर. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकती वो” राजू ये सब सोच ही रहा था की खिड़की का परदा हटा और प़ड़्मिनी ने चुपके से राजू की तरफ झाँक कर देखा. राजू प़ड़्मिनी को देखते ही तुरंत जीप से बाहर आ गया. मगर प़ड़्मिनी ने तुरंत परदा गिरा दिया राजू को जीप से बाहर आते देख. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था.
“हद होती है यार किशी बात की…फिर से परदा गिरा दिया. आज आर-पार की बात हो जाए बस.” राजू घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा और बेल बजाई. घर में कांवली नही रुकी थी इश्लीए दरवाजा प़ड़्मिनी को ही खोलना था.
“क्या चाहता है अब ये, पहले तो चुपचाप आ कर आँखे बंद कर्कले बैठ गया था जीप में अब बेल क्यों बजा रहा है.” प़ड़्मिनी तुरंत नही आई दरवाजा खोलने. कोई 5 मिनिट बाद आई वो. उसने दरवाजा खोला तो पाया की राजू वापिस अपनी जीप की तरफ जा रहा था.
“क्या है…बेल क्यों बजा रहे थे.” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू वापिस आया उशके पास और बोला, “क्या प्राब्लम है आपकी. मेरी शकल क्या इतनी बुरी है की मुझे देखते ही परदा गिरा देती हैं आप.”
“तो क्या मैं तुम्हारे लिए खिड़की पर ही खड़ी रहूंगी…मुझे क्या कुछ और काम नही है.”
“प्यार कराता हूँ आपसे कोई मज़ाक नही मगर आपने मेरे प्यार को मज़ाक समझ कर मुझे बर्बाद करने की ठान न्यू एअर है.”
“मैं ऐसा कुछ नही कर रही हूँ. तुम बैठ गये थे वापिस आ कर चुपचाप जीप में.”
“हन तो और क्या कराता…मुझे देखते ही परदा गिरा दिया था आपने.”
“मैं तुम्हारे लिए भाग कर नीचे आई थी पर तुम्हे क्या…जाओ तुम यहा से..मुझे तुमसे बात नही करनी है.” प़ड़्मिनी रोते हुवे बोली और दरवाजा पटक दिया वापिस और कुण्डी लगा ली.
राजू हैरान रह गया ये सब शन कर. “अरे हाँ दरवाजे की आवाज़ आई तो थी. अफ मैं भी कितना बेवकूफ़ हूँ. प़ड़्मिनी जी दरवाजा खोलिए प्लीज़…” राजू दरवाजा पीतने लगा.
प़ड़्मिनी ने दरवाजा खोला और शूबक्ते हुवे बोली, “क्या है अब, क्यों मुझे परेशन कर रहे हो.”
“बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए फिर कभी परेशान नही करूँगा…क्या आप मुझे प्यार कराती हैं.”
“तुम्हे क्या लगता है?”
“मुझे तो लगता है की आप कोई खेल, खेल रही हैं मेरे साथ”
“प्यार कराती हूँ मैं तुमसे कोई खेल नही और मुझे पता है की खेल तुम खेलोगे मेरे साथ.” प़ड़्मिनी ने कहा और दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“ये बहुत अतचा किया आपने. प्यार का इज़हार किया और दरवाजा बंद कर दिया. ये खेल नही है तो और क्या है.”
साएको 42 इंच ल्क्ड टीवी पर गौरव मेहरा और स्वेता गुप्ता के एरॉटिक मर्डर की वीडियो देख रहा था.
“गौरव मेहरा नाम है मेरा…यही बोला था ना तू छील्ला कर मुझे. एक तो पीछे से मेरी कार को थोक दिया उपर से रोब झाड़ने लगा. तेरे जैसे एलीट वर्म की ऐसी ही मौत होनी चाहिए थी. साला गान्ड मार रहा था अपनी एंप्लायी की. गान्ड माराते-माराते खुद अपनी जान गँवा बैठा हाहहहाहा. बहुत शुनदर एरॉटिक मर्डर की पैंटिंग बनेगी. मिस्टर गौरव मेहरा चियर्स यू अरे थे प्राउड विक्टिम ऑफ माई आर्ट. तुम्हे मेरे उपर छील्लाने की सज़ा भी मिल गयी और तुम मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये…मगर…”
अचानक साएको गुस्से से तिलमिला उठा, “मगर ये कौन था जीशणे मेरा सर फोड़ दिया. इश्कि तो बहुत ही भयंकर पैंटिंग बनावँगा मैं. पता करना होगा इशके बड़े में. अंधेरे में सेयेल की शकल नही दीखी वरना पाताल से भी ढुंड निकालता हरामी को. कोई बात नही जल्दी पता लग जाएगा उष्का और फिर हाहहहाहा.”
साएको कॅन्वस पर गुआराव मेहरा और स्वेता की एरॉटिक मौत की पैंटिंग बनाने में व्यस्त हो गया.
“धीरे-धीरे बनावँगा ये पैंटिंग, ऐसी एरॉटिक मौत किशी को नही दी मैने हाहहाहा.”
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राजू दरवाजा पीट-ता रहा मगर प़ड़्मिनी ने दरवाजा नही खोला. वो कुण्डी बंद करके दरवाजे के सहारे ही खड़ी थी. उष्का दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. प्यार का इज़हार जो कर बैठी थी वो. माथे पर पसीने थे उशके. राजू से नज़रे मिलाना अब मुश्किल था उशके लिए.
“फँसा ही लिया ईसणे मुझे अपने जाल में. पर मैं वो घिनोना सपना कभी पूरा नही होने दूँगी. प्यार का ये मतलब नही है की ये मेरे साथ हवस का नंगा नाच खेलेगा.” प़ड़्मिनी ने खुद से कहा.
“प़ड़्मिनी जी प्लीज़ दरवाजा खोलिए. ये सब ठीक नही है. क्यों सटा रही हैं आप मुझे.” राजू ने कहा.
“देखो तुम्हारे साथ और लोग भी हैं. वो लोग शन लेंगे तो क्या कहेंगे. क्यों मेरी बदनामी करवाने पर तुले हो.”
“कोई कुछ नही शन रहा है. आप दरवाजा खोलिए प्लीज़. हमारा बात करना बहुत ज़रूरी है. क्या आप प्यार का इज़हार करके मुझे यू तड़प्ता छोड़ देंगी.”
प़ड़्मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “ज़्यादा स्मार्ट बन-ने की कोशिस मत करना मेरे साथ. बाकी लड़कियों के साथ जो किया वो मेरे साथ नही चलेगा. क्या मतलब है तड़प्ता छोड़ देने का. इतनी जल्दी तुम ये सब सोचने लग गये.”
राजू को कुछ समझ नही आया. वो समझता भी कैसे. उसे प़ड़्मिनी के सपने के बड़े में कुछ नही पता था.
“आप क्यों नाराज़ हो रही हैं. क्या आपको नही लगता की हमें शांति से बैठ कर कुछ प्यारी बाते करनी चाहिए. आज बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए.”
“हन आख़िर कार तुम कामयाब हो गये. हो गया मुझे तुमसे प्यार. पर इसे से ज़्यादा कुछ और मत सोचना.”
“मैं कुछ नही सोच रहा हूँ. मुझे कुछ समझ नही आ रहा की आप क्या कहना चाहती हैं.”
“मुझे नही पता की इसे प्यार का मतलब क्या है. हाँ पर प्यार कर बैठी हूँ तुमसे…पता नही क्यों..जबकि मैं तुमसे दूर रहना चाहती थी.”
“क्या आप पचता रही हैं…अगर ऐसा है तो ये प्यार मत कीजिए. आपको किशी उलझन में नही देखना चाहता हूँ मैं.”
“तुम मुझे प्यार क्यों करते हो…क्या बता सकते हो मुझे. झुत मत बोलना.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“प़ड़्मिनी जी आपकी तरह मुझे भी नही पता की इसे प्यार का मतलब क्या है. हाँ बस प्यार हो गया आपसे. क्यों हुवा ये प्यार इश्का जवाब मेरे पास नही है. बस इतना जानता हूँ की आपकी मृज्नेयनी सी आँखो में खो गया हूँ मैं.”
“मेरी आँखे क्या मृज्नेयनी हैं…” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपको नही पता क्या? …मुझे डुबो दिया मृज्नेयनी आँखो में और खुद अंजान बनी बैठी हैं आप.”
“ये फ्लर्ट है या प्यार…”
“आपको क्या लगता है…” राजू ने हंसते हुवे कहा.
“मुझे लगता है की तुम मेरे साथ कोई खेल, खेल रहे हो.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही. और हमें कोई खेल, खेलना नही आता. दिल में प्यार रखते हैं आपके लिए…अपना दिल निकाल कर आपके कदमो में रख देंगे.”
ये शन कर एक मधाम सी मुश्कान उभर आई प़ड़्मिनी के होंटो पर. राजू वो मुश्कान बस देखता ही रह गया.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“अगर थप्पड़ नही मारेंगी तो एक बात कहूँ.”
“अब थप्पड़ क्यों मारूँगी तुम्हे…”
“बहुत प्यारी मुश्कान है आपकी. बहुत दीनो बाद आपके होंटो पर ये मुश्कान देखी मैने. हमेशा यू ही मुश्कूराती रहना आप.”
प़ड़्मिनी की आँखे तपाक गयी ये शन कर. राजू ने भी उशके आंशु देख लिए.
“क्या हुवा…क्या मैने कुछ ग़लत कहा. देखिए मेरी बातों में ज़रा सा भी फ्लर्ट नही है. आपको प्यार कराता हूँ. कभी झुटि तारीफ़ नही करूँगा…फ्लर्ट झुता होता है और प्यार सॅचा.”
“मम्मी, पापा मेरी वजह से मारे गये. ये खाली घर खाने को दौड़ता है. हर तरफ उनकी यादें बिखड़ी पड़ी हैं. बहुत ही दुखी हूँ मैं. ऐसे में भी क्यों मुश्कुरा उठी तुम्हारी बात पर पता नही मुझे…”
“ये तो आतची बात है. सब कुछ भूल कर हमें आगे बढ़ना होगा.”
“हमें मतलब?” प़ड़्मिनी ने अपने आँसू पोंचेटे हुवे कहा
“क्या इसे प्यार में अकेले चलेंगी आप…क्या मुझे हक़ नही की आपके साथ चलूं कदम से कदम मिला कर.”
“राजू अभी बस प्यार हुवा है. मुझे नही पता इसे प्यार में क्या करना है मुझे. मुझे थोड़ा वक्त दो. मेरा दिल भारी हो रहा है.बहुत याद आ रही है मम्मी, पापा की. हम बाद में बात करें.”
“बिल्कुल प़ड़्मिनी जी. आप आराम कीजिए. बाते करने के लिए सारी उमर पड़ी है.”
“तो तुमने ये प्यार सारी उमर के लिए सोच भी लिया.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“जी हाँ प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही. सारी उमर ये प्यार नीभएँगे हम.”
“बाते तो खूब कर लेते हो तुम. अतचा मैं चलती हूँ. अभी और बात नही कर पवँगी.”
“आप किशी बात की चिंता ना करें. आराम कीजिए आप. गुड नाइट.”
प़ड़्मिनी दरवाजा बंद करके सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने बेड रूम में आ गयी. बेडरूम में आकर प़ड़्मिनी ने खिड़की का परदा उठा कर देखा. राजू जीप से बाहर ही खड़ा था. उसे पता था की प़ड़्मिनी कमरे में जा कर खिड़की से ज़रूर देखेगी.
दोनो एक दूसरे की तरफ मुश्कुरा दिए और आँखो ही आँखो में फिर से प्यार का इज़हार हुवा. बस एक मिनिट ही रही प़ड़्मिनी खिड़की में. परदा गिरा कर बिस्तर पर गिर गयी.
“कही मैं कुछ ग़लत तो नही कर रही हूँ. ये प्यार कैसे हो गया मुझे.” प़ड़्मिनी ने खुद से पूछा. मगर उशके पास इश्का कोई जवाब नही था.
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एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 44
“खबरदार जो दुबारा पप्पी की यू सड़क पर रोक कर. मुझे दर लगता है.”
“ठीक है आगे से बाएक पर चलते चलते करूँगा… …”
“वो कैसे मुमकिन होगा …”
“सब कुछ मुमकिन है तुम बस पप्पी देने वाली बनो.”
“नही मिलेगी अब…दुबारा मत माँगना”
“अफ अब तो दुबारा फिर लेनी पड़ेगी. तुम्हारी पप्पी लेने में बहुत मज़ा आता है.”
तभी अचानक एक ब्लॅक स्कॉर्पियो निकल उनके बाजू से.
“पूजा जल्दी बैठो…इश् ब्लॅक स्कॉर्पियो का पीछा करना है.”
“क्या बात है..कौन है इसे ब्लॅक स्कॉर्पियो में.”
“ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है साएको…आओ देखते हैं ये ब्लॅक स्कॉर्पियो कहा जा रही है.”
“मोहित मुझे दर लग रहा है, रात होने वाली है. घर पर मेरा इंतेज़ार हो रहा होगा..”
“पूजा अगर मैं तुम्हे ऑटो में बैठा दु तो क्या तुम चली जाओगी…मुझे इसे कार के पीछे जाना होगा, क्या पता वो साएको इशी में हो.”
“ठीक है तुम मुझे किशी ऑटो में बैठा दो. मैं चली जवँगी.”
मोहित ने कुछ दूरी पर एक ऑटो रोक कर पूजा को उसमे बैठा दिया और खुद पूरी बढ़ता से बाएक दौड़ा कर उष ब्लॅक स्कॉर्पियो के पीछे लगा दी.
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राजू जब वापिस प़ड़्मिनी के घर पहुँचा तो प़ड़्मिनी अपने रूम की खिड़की
में ही खड़ी थी और बाहर झाँक रही थी. राजू को देखते ही उसने परदा गिरा दिया.
“ये लो हो गया इनका नाटक शुरू. समझ गया हूँ मैं आपको. दीमग खराब था मेरा जो आपसे प्यार कर बैठा. मुझे देखते ही परदा गिरा दिया…क्या इतनी बुरी शकल है मेरी. बस अब बहुत हो गया आपसे कोई बात नही करूँगा मैं.” राजू चुपचाप आँखे बंद करके जीप में बैठ गया.
राजू ने ध्यान ही नही दिया की प़ड़्मिनी घर का दरवाजा खोल कर खड़ी है.उशे देखते ही वो नीचे आ गयी थी. “कहा तो था की शाम को बात करेंगे. चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गया है. ये समझता क्या है खुद को. मुझे कोई बात नही करनी इसे से.” दरवाजा पटक दिया ज़ोर से प़ड़्मिनी ने और कुण्डी लगा ली.
दरवाजे की आवाज़ से राजू ने तुरंत आँख खोल कर देखा, “ये कैसी आवाज़ थी” राजू ने गन्मन से पूछा.
“दरवाजा बंद होने की आवाज़ थी सिर. शायद घर के अंदर से आई थी.”
“ह्म…ठीक है तुम सतर्क रहो.” राजू ने कहा.
मोहित ब्लॅक स्कॉर्पियो से कुछ दूरी बनाए हुवा था. मगर उसने गाड़ी का नंबर देख लिया, “कार तो ये गौरव मेहरा की है. चलो देखता हूँ आज कहा जा रहा है ये.”
कार एक घर के आगे आकर रुकी. कार में से गौरव मेहरा उतरा और घर में घुस्स गया. मोहित ने कुछ दूरी पर बाएक रोक दी और अपना कॅमरा लेकर दबे पाँव घर की तरफ बढ़ा. अंधेरा घिर आया था इश्लीए मोहित का काम थोड़ा आसान हो गया था.
मोहित घर की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया. खिड़की में पर्दे टाँगे थे. मोहित ने पर्दे को हल्का सा हाथ से हटाया और अंदर झाँक कर देखा. अंदर गौरव एक लड़की के सामने खड़ा था. लड़की देखने में शुनदर लग रही थी.
“स्वेता कितने फोन किए तुम्हे…तुम्हे मेरे साथ काम करना है या नही.”
“काम करना है सिर…मेरी तबीयत खराब थी कुछ दिन से.”
“तो साली इनफॉर्म क्या तेरा बाप करेगा. इतनी सॅलरी देता हूँ तुझे. ये घर भी खड़ीद कर दिया तुझे..फिर भी मेरी कदर नही है तुम्हे.”
“सिर आपने जो कुछ मेरे साथ किया अपनी बीवी के सामने वो ठीक नही था. मुझे रंडी और पता नही क्या-क्या कहा आपने.”
“मेरा मूड ठीक नही था उष दिन. वो साला दो कौड़ी का पुलिस वाला मुझे घर से घसीट कर ले गया था. दीमग खराब हो गया था मेरा.”
“सिर आपको मैने अपना सब कुछ दिया…और आप ऐसा बर्ताव करते हैं मेरे साथ.”
“चल ठीक है…आगे से ध्यान रखूँगा. आज बहुत मन कर रहा है तेरी लेने का…चल मस्ती करते हैं.”
“वो तो ठीक है पर आप प्लीज़ मुझे दुबारा रंडी मत कहना.”
“अरे ठीक है…बोला ना गुस्से में था उष दिन. चल लंड निकाल बाहर और चूसना शुरू कर. जीश तरह से तू चूस्टी है लंड मेरा आज तक किशी ने नही चूसा. तभी अपनी बीवी को दीखा रहा था हहहे.”
“पर क्या बीती होगी उन पर. आपको ऐसा नही करना चाहिए था.” स्वेता ने कहा.
“चल छोड़ ना ये सब जल्दी से लंड निकाल कर डाल ले इन खूबसूरात होंटो के बीच.”
स्वेता ने गौरव की ज़िप खोल कर उशके लिंग को बाहर निकाला और प्यार से चूसने लगी.
“गुड वेरी गुड..इशी काम की सॅलरी देता हूँ मैं तुम्हे…हाहहाहा.”
स्वेता चुपचाप सकिंग कराती रही. मोहित ने चुपचाप चतुराई से उनकी फोरो ले ली. “ये फोटो दीपिका के काम आएगी.”
स्वेता का मूह दुखने लगा सकिंग करते करते पर गौरव फिर भी चूस्वाता रहा.
“सिर कुछ और नही करेंगे क्या…मूह दुखने लगा है.”
“ऐसा कराता हूँ आज तेरी गान्ड लेता हूँ. तेरी अब तक गान्ड माही ली ना मैने.”
“सिर नही…वो रहने दीजिए.”
“क्यों रहने दूं..चल कपड़े उतार और झुक जा…इश् बार बोनस दूँगा तुझे, तू गान्ड में लेकर तो देख. हाहाहा”
“सिर प्लीज़..”
“देख अभी मेरा मूड ठीक है. मूड खराब हो गया प ज़बरदस्ती लूँगा…आराम से कपड़े उतार कर झुक जा मेरे आगे.” गौरव ने कठोराता से कहा.
स्वेता ने अपने कपड़े उतारे और गौरव के आगे झुक गयी.
“गुड गर्ल तेरा बोनस पक्का. चल अब अपनी गान्ड फैला दोनो हाथो से और मेरे लंड के लिए रास्ता बना.” गौरव ने कहा.
स्वेता ने अपने नितंबो को फैला लिया और गौरव ने अपने लिंग पर थूक लगा कर स्वेता की आस होल पर रख दिया. स्वेता की साँसे थम गयी एंट्री की आंटिसिपेशन में.
मोहित सब कुछ रेकॉर्ड कर रहा था. पिक्चर भी ले रहा था और वीडियो भी बना रहा था.
“ऊऊहह सिर नो….”
“बोनस मिलेगा स्वेता ले ले पूरा हाहाहा.” गौरव हँसने लगा.
“सिर मैने कभी नही किया अनल बहुत दर्द हो रहा है.”
“मैने भी बहुत कम किया है…पर तेरी गान्ड लेने की इतचा थी बहुत दीनो से आज पूरी हो रही है. बार बार भूल जाता था की ये काम भी करना है.”
“आआहह…नूऊऊऊ सिर धीरे….” स्वेता कराह उठी. गौरव ने एक दम से पूरा लंड डाल दिया था उष्की गान्ड में.
“हहहे अब तो गया पूरा…अब धीरे से क्या फ़ायडा स्वेता तुम ले चुकी हो पूरा अब मज़े करो.”
“थॅंक गोद मुझे लगा था की अभी पूरा जाना बाकी है.” स्वेता ने गहरी साँस ले कर कहा.
“वाह भाई वाह क्या बात है मिस्टर गौरव मेहरा. अपने एंप्लायीस की खूब जम कर लेते हो तुम…गुड.”
गौरव मेहरा और स्वेता दोनो ही चोंक गये. दोनो ने पीछे मूड कर देखा. उनके पीछे एक नकाब पॉश खड़ा था, हाथ में बंदूक लिए. मोहित नकाब पॉश को देखते ही खिड़की से हट गया. मगर बाद में चुपचाप झाँक कर देखने लगा.
“कौन हो तुम और यहा कैसे आए…” गौरव ने पूछा
“पहले तुम जैसे हो वैसे ही रहो हिलना मत. लंड मत निकालना इश्कि गान्ड से. क्या सीन बनाया है तुम दोनो ने वाह. आतची पैंटिंग बनेगी.”
“सेयेल तेरा भेजा उसा दूँगा मैं अभी…बता कौन है तू.”
“मेरे पूरे सहर में चर्चे हैं और तुम मुझे नही जानते. लोग मुझे साएको कह कर बदनाम कर रहे हैं जबकि मैं एक आर्टिस्ट हूँ जो की रेर पैंटिंग बनाता है. अब देखो ने कितने रेर पोज़ में खड़े हो तुम दोनो. गान्ड में लंड डाल रखा है तुमने इसे बेचारी के. अब अगर गान्ड माराते माराते इश्कि पीठ में चाकू माराते जाओ तो बहुत ही अनमोल आर्ट बन जाएगी. मैने एरॉटिक पैंटिंग पहले भी बनाई है मगर ये तो बहुत ही अद्भुत पैटिंग कहलाएगी.”
“स..सिर ये क्या कह रहा है.” स्वेता दर गयी.
“वही कह रहा हूँ जो की तुम्हे शन रहा है मेरी जान. गान्ड में लंड पीलवा रही हो अब ज़रा चाकू भी घुस्वाओ अपनी पीठ में और ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे हाहहाहा.” साएको करूराता से हासने लगा.
“कितना पैसा चाहिए तुम्हे बोलो.” गौरव ने कहा.
“पैसे से कही ज़्यादा अनमोल पैंटिंग बनेगी तुम दोनो की. मेरी पैंटिंग के आगे तुम्हारा पैसा कुछ नही..ये लो चाकू पाकड़ो और हर एक धक्के के साथ एक चाकू मारो इश्कि पीठ में. अगर तुमने इशे नही मारा तो तुम्हारा भेजा उसा दूँगा.” साएको ने चाकू थमा दिया गौरव को.
“सिर…प्लीज़ मुझे मत मारना.” स्वेता गिड़गिडाई.
“और हाँ धक्के के बिना चाकू मारा तो भी तुम्हारा भेजा उसा दूँगा. इशे भी मारो और इश्कि गान्ड भी मारो…दोनो एक साथ मारो हाहहहाहा.” साएको हँसने लगा.
“सिर इश्कि बात मत मान-ना प्लीज़.”
“चुप कर साली रंडी. मेरे लिए क्या तू अपनी जान नही दे सकती.” गौरव ने कहा.
मोहित ने खिड़की के पास से हट कर तुरंत रोहित को फोन मिलाया और पूरा वाक़या शुना दिया.
“मोहित मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ…मगर पुलिस पार्टी अभी तुरंत भेज रहा हूँ वाहा. तुम तब तक साएको पर नज़र रखो.” रोहित ने कहा.
मोहित वापिस खिड़की में आया तो उसने देखा की गौरव ने चाकू हवा में उठा रखा है. इसे से पहले की मोहित कुछ सोच पाता कुछ करने के बड़े में गौरव ने खुद को आगे ढकैलते हुवे चाकू गाड़ दिया स्वेता की पीठ में. कमरे में छींख गूँज उठी स्वेता की.
“गुड वेरी गुड…एक धक्का और मारो और एक चाकू और मारो हाहहाहा.”
गौरव ने चाकू उपर उठाया ही था दुबारा मारने के लिए की साएको ने फुर्ती से आगे बढ़ कर गला काट दिया गौरव का. वो तुरंत स्वेता को साथ लेकर ज़मीन पर गिर गया.
“साला कमीना कही का, बेचारी की गान्ड माराते-माराते जान ले ली. शरम आनी चाहिए तुम्हे. बट डोंट वरी बोत ऑफ यू अरे नाउ प्राउड विक्टिम ऑफ माई आर्ट. पूरा सीन रेकॉर्ड कर लिया है मैने घर जाकर इतमीनान से पैंटिंग बनावँगा तुम्हारी एरॉटिक मौत की हाहहाहा.”
“ये पुलिस कहा रह गयी…हमेशा लाते आती है. मेरे पास कोई हथियार भी नही है…क्या करूँ..कुछ नही किया तो ये फिर से भाग जाएगा आज.” मोहित ने मन ही मान.
साएको वाहा से अपना समान उठा कर चल दिया.
“ये ज़रूर घर के पीछे से घुस्सा होगा. कुछ करना होगा मुझे.” मोहित अपनी इन्वेस्टिगेशन का समान वही छोड़ कर घर के पीछे की तरफ भागा. साएको तब तक घर से निकल चुका था और घर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था. वो कार ब्लॅक स्कॉर्पियो नही थी.
“रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…हाथ उपर करो और ज़मीन पर बैठ जाओ.” मोहित ने पीछे से पोइलीसीए रोब में आवाज़ दी.
साएको ने तुरंत पीछे मूड कर देखा और हंसते हुवे बोला, “मैं कुत्टो के भोंकने से नही रुकता हूँ. बंदूक तो ले आते कही से पहले ये सब भोंकने से पहले.” साएको ने कहा.
घर के पीछे अंधेरा था इश्लीए साएको मोहित को पहचान नही पाया.
“पुलिस ने घेर लिया है तुम्हे चारो तरफ से तुम बच कर नही जा सकते यहा से. हथियार गिरा दो चुपचाप.”
“पुलिस की तो मैने गान्ड मार ली है बेटा…पुलिस की बात मत कर.” साएको ने बंदूक तां दी मोहित की तरफ.
मोहित साएको को बातों में उलझने की कोशिस कर रहा था. मगर साएको इसे जाल में फँसने वाला नही था. उसने मोहित के सर की तरफ फिरे किया. मगर मोहित तुरंत भाग कर दीवार के किनारे चुप गया.
“अपना नाम बता देते तो दुबारा मिलना आसान होता. तुम्हारी भी पैंटिंग बना देता…हाहहाहा” साएको ने कहा.
साएको फ़ौरन अपनी कार की तरफ बढ़ा. मोहित ने एक मोटा सा पठार उठाया और उशके सर पर निशाना लगा कर ज़ोर से मारा. पठार सीधा खोपड़ी में लगा साएको की. खून बहने लगा उशके सर से.
“सेयेल तेरी इतनी हिम्मत.” बिना सोचे समझे गोलियाँ बरसा दी साएको ने और अपनी कार में बैठ कर निकल दिया वाहा से. शायद उसे दर था की कही पुलिस ना आ जाए.
मोहित भाग कर वापिस आया घर के आगे. अपना सारा समान उठाया और बाएक लेकर निकल पड़ा, “छोड़ूँगा नही तुझे आज मैं.” मगर साएको की कार उसे कही नज़र नही आई.
“कहा गया हरांखोर…कार का नंबर भी नही देख पाया अंधेरे में.” मोहित ने निराशा में कहा.
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रात के 10 बाज रहे थे. राजू ने काई बार प़ड़्मिनी की खिड़की की तरफ देखा मगर वाहा हर बार परदा ही टंगा मिला.
“उनको मुझसे प्यार होता तो खड़ी रहती खिड़की पर. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकती वो” राजू ये सब सोच ही रहा था की खिड़की का परदा हटा और प़ड़्मिनी ने चुपके से राजू की तरफ झाँक कर देखा. राजू प़ड़्मिनी को देखते ही तुरंत जीप से बाहर आ गया. मगर प़ड़्मिनी ने तुरंत परदा गिरा दिया राजू को जीप से बाहर आते देख. उष्का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था.
“हद होती है यार किशी बात की…फिर से परदा गिरा दिया. आज आर-पार की बात हो जाए बस.” राजू घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा और बेल बजाई. घर में कांवली नही रुकी थी इश्लीए दरवाजा प़ड़्मिनी को ही खोलना था.
“क्या चाहता है अब ये, पहले तो चुपचाप आ कर आँखे बंद कर्कले बैठ गया था जीप में अब बेल क्यों बजा रहा है.” प़ड़्मिनी तुरंत नही आई दरवाजा खोलने. कोई 5 मिनिट बाद आई वो. उसने दरवाजा खोला तो पाया की राजू वापिस अपनी जीप की तरफ जा रहा था.
“क्या है…बेल क्यों बजा रहे थे.” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू वापिस आया उशके पास और बोला, “क्या प्राब्लम है आपकी. मेरी शकल क्या इतनी बुरी है की मुझे देखते ही परदा गिरा देती हैं आप.”
“तो क्या मैं तुम्हारे लिए खिड़की पर ही खड़ी रहूंगी…मुझे क्या कुछ और काम नही है.”
“प्यार कराता हूँ आपसे कोई मज़ाक नही मगर आपने मेरे प्यार को मज़ाक समझ कर मुझे बर्बाद करने की ठान न्यू एअर है.”
“मैं ऐसा कुछ नही कर रही हूँ. तुम बैठ गये थे वापिस आ कर चुपचाप जीप में.”
“हन तो और क्या कराता…मुझे देखते ही परदा गिरा दिया था आपने.”
“मैं तुम्हारे लिए भाग कर नीचे आई थी पर तुम्हे क्या…जाओ तुम यहा से..मुझे तुमसे बात नही करनी है.” प़ड़्मिनी रोते हुवे बोली और दरवाजा पटक दिया वापिस और कुण्डी लगा ली.
राजू हैरान रह गया ये सब शन कर. “अरे हाँ दरवाजे की आवाज़ आई तो थी. अफ मैं भी कितना बेवकूफ़ हूँ. प़ड़्मिनी जी दरवाजा खोलिए प्लीज़…” राजू दरवाजा पीतने लगा.
प़ड़्मिनी ने दरवाजा खोला और शूबक्ते हुवे बोली, “क्या है अब, क्यों मुझे परेशन कर रहे हो.”
“बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए फिर कभी परेशान नही करूँगा…क्या आप मुझे प्यार कराती हैं.”
“तुम्हे क्या लगता है?”
“मुझे तो लगता है की आप कोई खेल, खेल रही हैं मेरे साथ”
“प्यार कराती हूँ मैं तुमसे कोई खेल नही और मुझे पता है की खेल तुम खेलोगे मेरे साथ.” प़ड़्मिनी ने कहा और दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“ये बहुत अतचा किया आपने. प्यार का इज़हार किया और दरवाजा बंद कर दिया. ये खेल नही है तो और क्या है.”
साएको 42 इंच ल्क्ड टीवी पर गौरव मेहरा और स्वेता गुप्ता के एरॉटिक मर्डर की वीडियो देख रहा था.
“गौरव मेहरा नाम है मेरा…यही बोला था ना तू छील्ला कर मुझे. एक तो पीछे से मेरी कार को थोक दिया उपर से रोब झाड़ने लगा. तेरे जैसे एलीट वर्म की ऐसी ही मौत होनी चाहिए थी. साला गान्ड मार रहा था अपनी एंप्लायी की. गान्ड माराते-माराते खुद अपनी जान गँवा बैठा हाहहहाहा. बहुत शुनदर एरॉटिक मर्डर की पैंटिंग बनेगी. मिस्टर गौरव मेहरा चियर्स यू अरे थे प्राउड विक्टिम ऑफ माई आर्ट. तुम्हे मेरे उपर छील्लाने की सज़ा भी मिल गयी और तुम मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये…मगर…”
अचानक साएको गुस्से से तिलमिला उठा, “मगर ये कौन था जीशणे मेरा सर फोड़ दिया. इश्कि तो बहुत ही भयंकर पैंटिंग बनावँगा मैं. पता करना होगा इशके बड़े में. अंधेरे में सेयेल की शकल नही दीखी वरना पाताल से भी ढुंड निकालता हरामी को. कोई बात नही जल्दी पता लग जाएगा उष्का और फिर हाहहहाहा.”
साएको कॅन्वस पर गुआराव मेहरा और स्वेता की एरॉटिक मौत की पैंटिंग बनाने में व्यस्त हो गया.
“धीरे-धीरे बनावँगा ये पैंटिंग, ऐसी एरॉटिक मौत किशी को नही दी मैने हाहहाहा.”
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राजू दरवाजा पीट-ता रहा मगर प़ड़्मिनी ने दरवाजा नही खोला. वो कुण्डी बंद करके दरवाजे के सहारे ही खड़ी थी. उष्का दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. प्यार का इज़हार जो कर बैठी थी वो. माथे पर पसीने थे उशके. राजू से नज़रे मिलाना अब मुश्किल था उशके लिए.
“फँसा ही लिया ईसणे मुझे अपने जाल में. पर मैं वो घिनोना सपना कभी पूरा नही होने दूँगी. प्यार का ये मतलब नही है की ये मेरे साथ हवस का नंगा नाच खेलेगा.” प़ड़्मिनी ने खुद से कहा.
“प़ड़्मिनी जी प्लीज़ दरवाजा खोलिए. ये सब ठीक नही है. क्यों सटा रही हैं आप मुझे.” राजू ने कहा.
“देखो तुम्हारे साथ और लोग भी हैं. वो लोग शन लेंगे तो क्या कहेंगे. क्यों मेरी बदनामी करवाने पर तुले हो.”
“कोई कुछ नही शन रहा है. आप दरवाजा खोलिए प्लीज़. हमारा बात करना बहुत ज़रूरी है. क्या आप प्यार का इज़हार करके मुझे यू तड़प्ता छोड़ देंगी.”
प़ड़्मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “ज़्यादा स्मार्ट बन-ने की कोशिस मत करना मेरे साथ. बाकी लड़कियों के साथ जो किया वो मेरे साथ नही चलेगा. क्या मतलब है तड़प्ता छोड़ देने का. इतनी जल्दी तुम ये सब सोचने लग गये.”
राजू को कुछ समझ नही आया. वो समझता भी कैसे. उसे प़ड़्मिनी के सपने के बड़े में कुछ नही पता था.
“आप क्यों नाराज़ हो रही हैं. क्या आपको नही लगता की हमें शांति से बैठ कर कुछ प्यारी बाते करनी चाहिए. आज बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए.”
“हन आख़िर कार तुम कामयाब हो गये. हो गया मुझे तुमसे प्यार. पर इसे से ज़्यादा कुछ और मत सोचना.”
“मैं कुछ नही सोच रहा हूँ. मुझे कुछ समझ नही आ रहा की आप क्या कहना चाहती हैं.”
“मुझे नही पता की इसे प्यार का मतलब क्या है. हाँ पर प्यार कर बैठी हूँ तुमसे…पता नही क्यों..जबकि मैं तुमसे दूर रहना चाहती थी.”
“क्या आप पचता रही हैं…अगर ऐसा है तो ये प्यार मत कीजिए. आपको किशी उलझन में नही देखना चाहता हूँ मैं.”
“तुम मुझे प्यार क्यों करते हो…क्या बता सकते हो मुझे. झुत मत बोलना.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“प़ड़्मिनी जी आपकी तरह मुझे भी नही पता की इसे प्यार का मतलब क्या है. हाँ बस प्यार हो गया आपसे. क्यों हुवा ये प्यार इश्का जवाब मेरे पास नही है. बस इतना जानता हूँ की आपकी मृज्नेयनी सी आँखो में खो गया हूँ मैं.”
“मेरी आँखे क्या मृज्नेयनी हैं…” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“आपको नही पता क्या? …मुझे डुबो दिया मृज्नेयनी आँखो में और खुद अंजान बनी बैठी हैं आप.”
“ये फ्लर्ट है या प्यार…”
“आपको क्या लगता है…” राजू ने हंसते हुवे कहा.
“मुझे लगता है की तुम मेरे साथ कोई खेल, खेल रहे हो.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही. और हमें कोई खेल, खेलना नही आता. दिल में प्यार रखते हैं आपके लिए…अपना दिल निकाल कर आपके कदमो में रख देंगे.”
ये शन कर एक मधाम सी मुश्कान उभर आई प़ड़्मिनी के होंटो पर. राजू वो मुश्कान बस देखता ही रह गया.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“अगर थप्पड़ नही मारेंगी तो एक बात कहूँ.”
“अब थप्पड़ क्यों मारूँगी तुम्हे…”
“बहुत प्यारी मुश्कान है आपकी. बहुत दीनो बाद आपके होंटो पर ये मुश्कान देखी मैने. हमेशा यू ही मुश्कूराती रहना आप.”
प़ड़्मिनी की आँखे तपाक गयी ये शन कर. राजू ने भी उशके आंशु देख लिए.
“क्या हुवा…क्या मैने कुछ ग़लत कहा. देखिए मेरी बातों में ज़रा सा भी फ्लर्ट नही है. आपको प्यार कराता हूँ. कभी झुटि तारीफ़ नही करूँगा…फ्लर्ट झुता होता है और प्यार सॅचा.”
“मम्मी, पापा मेरी वजह से मारे गये. ये खाली घर खाने को दौड़ता है. हर तरफ उनकी यादें बिखड़ी पड़ी हैं. बहुत ही दुखी हूँ मैं. ऐसे में भी क्यों मुश्कुरा उठी तुम्हारी बात पर पता नही मुझे…”
“ये तो आतची बात है. सब कुछ भूल कर हमें आगे बढ़ना होगा.”
“हमें मतलब?” प़ड़्मिनी ने अपने आँसू पोंचेटे हुवे कहा
“क्या इसे प्यार में अकेले चलेंगी आप…क्या मुझे हक़ नही की आपके साथ चलूं कदम से कदम मिला कर.”
“राजू अभी बस प्यार हुवा है. मुझे नही पता इसे प्यार में क्या करना है मुझे. मुझे थोड़ा वक्त दो. मेरा दिल भारी हो रहा है.बहुत याद आ रही है मम्मी, पापा की. हम बाद में बात करें.”
“बिल्कुल प़ड़्मिनी जी. आप आराम कीजिए. बाते करने के लिए सारी उमर पड़ी है.”
“तो तुमने ये प्यार सारी उमर के लिए सोच भी लिया.” प़ड़्मिनी ने कहा.
“जी हाँ प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही. सारी उमर ये प्यार नीभएँगे हम.”
“बाते तो खूब कर लेते हो तुम. अतचा मैं चलती हूँ. अभी और बात नही कर पवँगी.”
“आप किशी बात की चिंता ना करें. आराम कीजिए आप. गुड नाइट.”
प़ड़्मिनी दरवाजा बंद करके सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने बेड रूम में आ गयी. बेडरूम में आकर प़ड़्मिनी ने खिड़की का परदा उठा कर देखा. राजू जीप से बाहर ही खड़ा था. उसे पता था की प़ड़्मिनी कमरे में जा कर खिड़की से ज़रूर देखेगी.
दोनो एक दूसरे की तरफ मुश्कुरा दिए और आँखो ही आँखो में फिर से प्यार का इज़हार हुवा. बस एक मिनिट ही रही प़ड़्मिनी खिड़की में. परदा गिरा कर बिस्तर पर गिर गयी.
“कही मैं कुछ ग़लत तो नही कर रही हूँ. ये प्यार कैसे हो गया मुझे.” प़ड़्मिनी ने खुद से पूछा. मगर उशके पास इश्का कोई जवाब नही था.
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एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 44
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
हॉस्पिटल में रात के 12 बजे स्प साहिब रोहित और शालिनी को देखने आए. शालिनी आएक्यू में थी इश्लीए वो रोहित के कमरे में चले गये.
“हाउ अरे नाउ रोहित. देखा, इश्लीए कहता था की कुछ करो इसे साएको का. देखो पुलिस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कामीने ने.” स्प ने कहा.
“सिर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साएको बहुत शातिर है.” रोहित ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उष शुराग को ढुणडो. मुझे अतचा लगा की तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सिर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सिर साएको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हन पता लगा मुझे. इसे साएको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है की ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इसे साएको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सिर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” रोहित ने कहा.
रोहित स्प के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा की क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
रोहित को कुछ सूझा और उसने राजू को फोन मिलाया, “हेलो राजवीर एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हन बोलिए सिर..क्या करना है.” राजू ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उष जगह जाना है जहा पर साएको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है की कुछ शुराग मिल जाए वाहा.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुवा है वाहा भी जाना है. अपने दोस्त मोहित को भी साथ ले आना क्योंकि वो चासंदीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है की कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओक सिर मैं पहुँच जवँगा सुबह…किश टाइम अओन सिर.”
“7 बजे आ जाना.”
“रिघ्त सिर.”
जैसे ही रोहित ने फोन रखा, उष्का फोन बाज उठा.फोन रीमा का था.
“हेलो.” रोहित ने कहा
“रोहित…कैसे हो तुम?”
“पूछो मत साएको की आर्ट का हिस्सा बनते-बनते बचा हूँ आज मैं.अभी हॉस्पिटल में अड्मिट हूँ.”
“क्या… …तुम ठीक तो हो ना.”
“हन मैं ठीक हूँ. तुम शुनाओ.”
“रोहित कल मुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले. क्या करूँ मैं. बड़ी मुश्किल से मिला ये फोन. भैया ने छुपा कर रखा था.?”
“मैं तुम्हारे भैया से बात करूँगा…वो यही हैं हॉस्पिटल में.”
“क्या बात करोगे?”
“हमारी शादी की बात और क्या?”
“तुम मुझसे शादी करोगे…प्यार तो किया नही अभी तक …”
“कुछ तो है रीमा मेरे दिल में तुम्हारे लिए. वो प्यार है या कुछ और पता नही. तुम्हारे भैया मन गये तो क्या करोगी मुझसे शादी तुम.”
“करूँगी क्यों नही…ज़रूर करूँगी…तुम प्लीज़ भैया को माना लो.”
“यार उन्हे ही तो मनाना मुश्किल है…समझ में नही आता की क्या करूँ…एक नंबर का कमीना है तुम्हारा….” रोहित पूरा सेंटेन्स नही बोल पाया क्योंकि कमरे के दरवाजे पर चौहान खड़ा था. रोहित ने तुरंत फोन काट दिया.
चौहान आँखो में आग लिए कमरे में घुस्सा और बोला, “मेरी बहन का पीछा छोड़ते हो की नही. चुपचाप उष्का पीछा छोड़ दो वरना तुम्हे गोली मार दूँगा मैं.”
“सिर मैं शादी करना चाहता हूँ रीमा से. वो मुझे प्यार कराती है…ख़ूस्स रखूँगा उसे मैं.”
“रीमा की शादी और तुमसे. शीशे में चेहरा देख कर आओ. रीमा की शादी वही होगी जहाँ मैं चाहूँगा. लड़के वाले उष्की फोटो देख कर ही उसे पसंद कर चुके हैं. कल बस देखने आ रहे हैं. एक हफ्ते में ही सगाई और शादी दोनो निपटा दूँगा. तुम में ज़रा भी शरम बाकी हो तो दूर रहना मेरी बहन से. उष्की ख़ुसीयों में आग मत लगाना. और अगर तुमने दुबारा उष से बात भी की तो तुम्हे तो बाद में देखूँगा पहले उसे जान से मार दूँगा.”
रोहित कुछ नही बोल पाया. उसने चुप ही रहना ठीक समझा.
चौहान के जाने के बाद फिर से रोहित के फोन की घंटी बाजी. फोन रीमा का ही था.
“क्या हुवा रोहित. फोन क्यों काट दिया था.”
“रीमा तुम्हे अगर मुझसे शादी करनी है तो अपने भैया के खीलाफ जा कर करनी होगी. वो हमारे रिश्ते के लिए तैयार नही है और ना ही होंगे.”
रीमा एक दम खामोस हो गयी.
“क्या हुवा…करोगी मुझसे शादी अपने भैया की मर्ज़ी के बिना. तुम बस हाँ बोलो बाकी मैं देख लूँगा.”
“नही रोहित. मैं ऐसा नही कर सकती. उनकी मर्ज़ी के खीलाफ नही जा सकती. उन्होने मम्मी पापा के गुजरने के बाद मुझे पाला है. उनकी मर्ज़ी से ही शादी करनी होगी.”
“फिर भूल जाओ ये शादी. तुम्हे वही शादी करनी होगी जहा तुम्हारे भैया चाहते हैं.”
“रोहित प्लीज़….”
“सोच लो रीमा. वो मान-ने वाले नही हैं. तुम माना सकती हो तो माना लो. वरना जो मैं कह रहा हूँ वो करो.”
“मैं भैया से बात नही कर सकती…”
“फिर तुम्हे मेरी बात मान-नि पड़ेगी. उनके खीलाफ जा कर ही शादी कर सकते हैं हम.”
“सॉरी रोहित नही कर पवँगी ये. तुम प्लीज़ भैया को माना लो ना.”
“अतचा छोड़ो. बाद में बात करेंगे. मुझे सुबह जल्दी उतना है और एक इंपॉर्टेंट इन्वेस्टिगेशन के लिए जाना है.”
“ओक रोहित. शो जाओ. गुड नाइट.”
…………………………………………………..
शालिनी को सुबह होश आया. उशके पेरेंट्स सारी रात आएक्यू के बाहर बेचैनी से उशके होश में आने का इंतेज़ार कर रहे थे.
डॉक्टर से मिलने की इज़ाज़त लेने के बाद शालिनी के पेरेंट्स उष से मिलने गये. चौहान भी उनके साथ ही अंदर आ गया.
“रोहित कहा है…वो ठीक तो है?” शालिनी ने सबसे पहले यही कहा.
“मेडम वो तो सुबह-सुबह ही निकल गया हॉस्पिटल से. वो तो ठीक ही था उसे क्या हुवा था. आपसे मिलने तक की फ़ुर्सत नही थी उशे, पता नही कहा जाना था उशे.” चौहान ने आग उगली.
ये शुंते ही शालिनी का चेहरा उतार गया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली.
“बेटा हमें बहुत चिंता हो रही थी तुम्हारी. शूकर है तुम्हे होश आ गया. बेटा कैसे हुवा ये सब.” शालिनी के अंकली ने कहा.
शालिनी ने चौहान को बाहर जाने को कहा और अपने पेरेंट्स को पूरी बात बताई.
“बेटा तभी कहता था की मत करो ये नौकरी. दुबारा एग्ज़ॅम देना चाहिए था तुम्हे. ईयेज़ या आइर्स में जाना चाहिए था.”
“अंकली मुझे पसंद है ये नौकरी. हाँ ये नही पता था की ये सब हो जाएगा. मैं तो हिम्मत हार चुकी थी. पता नही कैसे लाया मुझे रोहित यहा.”
“कौन है ये रोहित बेटा?”
“हे इस माई इनस्पेक्टर. साएको का केस उसे ही दे रखा है मैने.”
“अगर वो ढंग से काम कराता तो ये नौबत ही ना आती. किशी और को लगाओ इसे केस पर. उशके बस की बात नही लगती है ये.”
“ऐसी बात नही है अंकली, वो बहुत मेहनत कर रहा है…आअहह.”
“क्या हुवा?”
“अंकली पेट में बहुत दर्द हो रहा है…”
“मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ…”
डॉक्टर ने आकर एक पेनकिलर का इंजेक्षन दिया तो कुछ आराम मिला शालिनी को.
“पाईं रहेगा जब तक घाव नही भर जाते. लेकिन पेनकिलर से आराम रहेगा. घबराने की कोई बात नही है.” डॉक्टर ने कहा.
रोहित, राजू और मोहित के साथ उष जगह पहुँच गया जहाँ पर साएको ने शालिनी को पेड़ से लटका रखा था. साथ में 6 कॉन्स्टेबल्स भी थे.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” रोहित ने कहा.
उष पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जीश से की साएको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साएको सिर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जीश से की उष तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शॉंक रखता है वो.” रोहित ने कहा.
“हन सिर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को माराते वक्त वो किशी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किल्लर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों कराता. अजीब बात तो ये है की यहा पर उशके जुतो के निशान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निशान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निशान मिटा गया वो अपना यहा.” रोहित ने कहा.
“सिर मगर फिर भी अपनी हरकटो से एक शबूत तो वो छोड़ ही गया है.” राजू ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” रोहित ने कहा.
“पैंटिंग का शॉंक रखता है वो. अगर हम साएको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो की बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” राजू ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.टीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उशके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शॉंक है.
थर्ड्ली, उशके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
जैसी पैंटिंग मैने उशके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साएको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उष्की पीठ पर आदमी का कटा हुवा सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं सेयेल का सिर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” राजू ने कहा.
“मारना तो उसे है ही राजवीर. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उशे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम की साएको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे सेयेल को.”
“नही सिर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उशे. उशके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उष्की मौत की भी पैंटिंग बन-नि चाहिए.” मोहित ने कहा.
“हन गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें की ये साएको है कौन.”
“सिर इसे कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” राजू ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इसे काम पर.”
“सिर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इसे कर्नल पर. सारी शक की शुई उष्की तरफ ही इशारा कराती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली चुत है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उष्का नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उष पर भी नज़र रख लूँगा. उष पर शक का क्या कारण है.” मोहित ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” रोहित ने कहा.
“ह्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इसे काम पर लग जवँगा.”
“राजू तुम फिलहाल प़ड़्मिनी के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बड़े में कहूँगा.” रोहित ने कहा.
“नही सिर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“अरे यू शुवर.” रोहित ने पूछा.
“हन सिर शुवर.”
रोहित अपनी जीप में बैठ गया और राजू और मोहित एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.
“क्यों भाई राजू कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” मोहित ने पूछा.
“अतचा चल रहा है गुरु. कल रात प़ड़्मिनी जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. प़ड़्मिनी ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सॅचा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूठ दिया था उशके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्राब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हन जानता हूँ राजू…मज़ाक कर रहा था. प़ड़्मिनी जी की पप्पी ली की नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुषक्लिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहा से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस काई गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर प़ड़्मिनी जी लगता नही की पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना प़ड़्मिनी जी की फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म सोचूँगा इसे बड़े में.” राजू ने कहा. उशके चेहरे पर मधाम सी मुश्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुश्कुरा रहा था.
राजू, प़ड़्मिनी को चुंबन करने के ख्याल से मुश्कुरा तो रहा था मगर उष्का दिल बेचैन भी था इसे ख्याल से की क्या ये मुमकिन है अभी.
“गुरु तुम्हे नही लगता की ये जल्दबाज़ी हो जाएगी…मतलब इतनी जल्दी किस…कुछ अजीब लग रहा है मुझे.” राजू ने कहा.
“राजू तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे की किशी लड़की के नझडीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से” मोहित ने कहा.
“गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किशी से प्यार नही था. बस एक कामुकहनेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्रा को ही की एक-दो बार. इश्लीए किस के बड़े में ज़्यादा नही पता मुझे.”
“एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को दीखने का किस ही सबसे अतचा अवसर परदान कराती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मन जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इसे प्यार को मजबूत करले.”
“तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुश्किल से इज़हार किया है प़ड़्मिनी जी ने.”
“अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो की पूजा भी प़ड़्मिनी से कम नही है. बहुत झीजाक्टि थी प्यार भारी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उष्का तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे दर लगता है प़ड़्मिनी जी से”
“तुझे ये दर भागना होगा राजू. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी प़ड़्मिनी की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरात है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान कराती है.”
“अतचा.”
“हन. और हाँ जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बठाना की कैसा रहा सब” मोहित ने कहा.
“तुम्हे क्यों बतावँगा मैं अपनी प्राइवेट बात. प़ड़्मिनी जी के बड़े में कुछ डिसकस नही करूँगा मैं, शन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मे.” राजू ने कहा.
“अरे मत करना डिसकस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही.”
“तुम हंस रहे हो…इश्का मतलाम मुझे फसाना चाहते हो.”
“तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा.” मोहित ने कहा.
“गुरु बुरा मत मानो, मैं बस प़ड़्मिनी जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ.” राजू ने कहा.
“नही राजू बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है की तुम उशके लिए सेन्सिटिव हो.” मोहित ने कहा.
“शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर प़ड़्मिनी जी से दर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी.” राजू ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वाहा भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वाहा से रोहित हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और राजू मोहित को उशके घर ड्रॉप करके प़ड़्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
……………………………………
रोहित सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला की शालिनी को होश आ गया है तो वो तुरंत उष से मिलने पहुँचा. चौहान आएक्यू के बाहर ही खड़ा था. शालिनी के पेरेंट्स अंदर थे.
“कैसी हैं मेडम?” रोहित ने पूछा.
“मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर शोय हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहा गये थे सुबह-सुबह.” चौहान ने पूछा.
“एक ज़रूरी काम था.”
“ह्म…तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर…बच कैसे गये तुम.” चौहान ने कहा.
“सिर एक बार फिर रिकवेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन डीलता हूँ आपको की मैं रीमा को ख़ूस्स रखूँगा. जब मैं उष से मिला था मुझे नही पता था की वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ता ही नही. आपसे रिकवेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए.”
“देखो रोहित…जो बात नही हो सकती उशके लिए र्क़ुएस्ट मत करो. खुद को और कितना गिरावगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहा ख़ूस्स रहेगी. तुम उष्का पीछा छोड़ दो. उष्की जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपात जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. ”
“ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार कराती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने.” रोहित ने कहा.
“शूट उप…मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता.”
चौहान गुस्से में वाहा से चला गया.रोहित आस्प साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
“बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब दाँत पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है की मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी.” रोहित ने खुद से कहा.
रोहित ये सब सोच ही रहा था की उष्का फोन बाज उठा. फोन साएको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इसे बार एक खौफनाक पैंटिंग बनावँगा तुम दोनो की. अभी मैं किशी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनावँगा आपकी.” रोहित ने कहा.
फोन तुरंत काट गया.साएको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निशाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब टुमारी खैर नही.” रोहित ने कहा.
रोहित ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” रोहित ने कहा
रोहित ने एक बार फिर से चेक किया शालिनी के बड़े में. वो अभी भी शोय हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साएको नही बचेगा.”
रोहित तुरंत थाने के लिए निकल पड़ा. वाहा से पुलिस फोर्स ले कर वो सीधा कर्नल के घर पर पहुँच गया.
जब वो घर पहुँचा तो नौकर ने ही दरवाजा खोला.
“कहा है तुम्हारे साहिब.” रोहित ने पूछा.
“वो तो अभी-अभी बाहर गये हैं.”
“कहा गये हैं?”
“बता कर नही गये.”
“पूरे घर की तलासी लो…” रोहित ने ऑर्डर दिया.
“तलासी क्यों ले रहे हैं, साहिब का इंतेज़ार कर लीजिए.”
“चुप रहो ज़्यादा बकवास मत करो.”
“सिर ये रूम लॉक है…” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“चाबी दो उष्की” रोहित ने नौकर से कहा.
“चाबी साहिब ही रखते हैं. मेरे पास नही है.”
“ह्म तौड दो टाला.”
टाला तौडा गया और रोहित अंदर दाखिल हुवा. अंदर आते ही रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी.
एक कॅन्वस पर उशी धृशया की पैटिंग थी जब रोहित पेड़ के तने पर चढ़ कर शालिनी के हाथ खोल रहा था. दूसरे कॅन्वस पर दोनो को नीचे गिराते हुवे दीखया गया था.
“तो मेरा शक सही निकला…कर्नल देवेंदर सिंग ही साएको है. एक लॅप टॉप रखा था वाहा जीश पर की एक लाइव वीडियो आ रही थी. रोहित ने ध्यान दिया तो पाया की वो स्प साहिब का घर था.
“जीसस…साएको स्प साहिब के घर पर कॅमरा लगाए बैठा है. तभी वो कह रहा था की दूसरी पैंटिंग में बिज़ी हूँ.”
रोहित ने तुरंत स्प साहिब को फोन मिलाया. मगर उनका फोन व्यस्त आ रहा था.
“कही ये साएको इसे वक्त स्प साहिब के घर ही तो नही पहुँचा हुवा.”
रोहित ने चौहान को फोन करके सारी बात बताई.
“रोहित मैं एक टीम ले कर तुरंत स्प साहिब के घर पहुँचता हूँ. तुम भी वही पहुँचो. आज स्प साहिब छुट्टी पर हैं और घर पर ही हैं.”
“हन सिर आप पहुँचिए वाहा…मैं भी तुरंत आ रहा हूँ.”
रोहित ने कर्नल के घर को शील कर दिया और अपनी टीम को लेकर स्प के घर पहुँच गया.
मगर जब वो वाहा पहुँचा तो स्प साहिब को अंबूलेंसे की और ले जाया जा रहा था. चौहान भी वही खड़ा था.
“क्या हुवा सिर.” रोहित ने पूछा.
“हमने आने में देर कर दी. साएको अपने मकसद में कामयाब रहा. पेट चलनी-चलनी कर दिया है स्प साहिब का. शायद ही बचें वो.”
“हे भगवान. इसे साएको ने तो पूरे पुलिस महकमे को लपेट लिया”
“हन और फिर से बच के निकल गया.” चौहान ने कहा.
“अब कैसे निकलेगा हाथ से. अब तो जानते हैं हम की वो कौन है. छोड़ेंगे नही सेयेल को.” रोहित ने कहा.
स्प साहिब को भी उशी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहा शालिनी थी.
उनका तुरंत ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद उन्हे आएक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
रोहित पुलिस पार्टी लेकर साएको की तलाश में निकल पड़ा, “कर्नल साहिब अब आपकी खैर नही. मेरा शक सही था की साएको एक ऐसा व्यक्ति है जीश पर की क्षी का शक़ नही जाएगा. वो तो शूकर है की मोहित ने तुम्हे ब्लॅक स्कॉर्पियो में देख लिया और हमें एक क्लू मिला. वरना तुम्हे ढुंडना बहुत मुश्किल था. तुम्हारी पैंटिंग का शॉंक मैं जल्द पूरा करूँगा. तुम्हारी मौत की पैंटिंग मैं बनावँगा.”
रोहित पुलिस पार्टी ले कर पूरे सहर में काई बार घुमा. स्प के घर के आस पास बहुत बारीकी से तलाश की गयी साएको की. मगर उष्का कही नामो निशान नही मिला. पूरे सहर में नाका बंदी और ज़्यादा मजबूत कर दी गयी.
“वापिस कर्नल के घर चलता हूँ. वाहा बहुत सारे शुराग हैं. तस्सल्ली से सबकी जाँच करनी होगी.” रोहित ने सोचा और कर्नल के घर की तरफ चल दिया. रोहित ने राजू और मोहित को भी फोन करके वही बुला लिया.
“राजवीर का दीमग तेज चलता है, वो साथ रहेगा तो इन्वेस्टिगेशन में काफ़ी मदद मिलेगी. मोहित को इन्वॉल्व करने से कुछ नये इनपुट्स मिलेंगे.”
इधर प़ड़्मिनी राजू से कोई भी बात नही कर रही थी. कारण ये था की राजू सुबह-सुबह बिना बताए चला गया था. एक बार भी वो खिड़की में नही आई ना ही राजू के बेल बजाने पर दरवाजा खोला.
राजू ने फोन मिलाया तो काई बार कातने के बाद आख़िरकार एक बार उठा ही लिया फोन प़ड़्मिनी ने, “हेलो क्या बात है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे?” राजू ने पूछा.
“मैं क्यों नाराज़ होने लगी.”
“फिर आप दरवाजा क्यों नही खोल रही मेरे लिए. मुझे रोहित सिर ने बुलाया है. मैं जा रहा हूँ. आप किशी बात की चिंता मत करना.”
“सुबह कहा गये थे तुम?” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“सुबह भी रोहित सिर के पास ही गया था. उनके साथ एक इन्वेस्टिगेशन पर जाना था.”
“ठीक है जाओ…मुझे नींद आ रही है.” प़ड़्मिनी ने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया. राजू ने काई बार ट्राइ किया पर फोन नही मिला.
“यहा तो बात भी बंद हो गयी…पप्पी तो अब दूर की बात है. अफ ये हसीनायें ऐसा क्यों कराती हैं… ..” राजू ने मन ही मन कहा और अपनी जीप ले कर चल दिया कर्नल के घर की तरफ.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 45
“हाउ अरे नाउ रोहित. देखा, इश्लीए कहता था की कुछ करो इसे साएको का. देखो पुलिस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कामीने ने.” स्प ने कहा.
“सिर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साएको बहुत शातिर है.” रोहित ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उष शुराग को ढुणडो. मुझे अतचा लगा की तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सिर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सिर साएको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हन पता लगा मुझे. इसे साएको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है की ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इसे साएको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सिर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” रोहित ने कहा.
रोहित स्प के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा की क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
रोहित को कुछ सूझा और उसने राजू को फोन मिलाया, “हेलो राजवीर एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हन बोलिए सिर..क्या करना है.” राजू ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उष जगह जाना है जहा पर साएको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है की कुछ शुराग मिल जाए वाहा.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुवा है वाहा भी जाना है. अपने दोस्त मोहित को भी साथ ले आना क्योंकि वो चासंदीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है की कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओक सिर मैं पहुँच जवँगा सुबह…किश टाइम अओन सिर.”
“7 बजे आ जाना.”
“रिघ्त सिर.”
जैसे ही रोहित ने फोन रखा, उष्का फोन बाज उठा.फोन रीमा का था.
“हेलो.” रोहित ने कहा
“रोहित…कैसे हो तुम?”
“पूछो मत साएको की आर्ट का हिस्सा बनते-बनते बचा हूँ आज मैं.अभी हॉस्पिटल में अड्मिट हूँ.”
“क्या… …तुम ठीक तो हो ना.”
“हन मैं ठीक हूँ. तुम शुनाओ.”
“रोहित कल मुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले. क्या करूँ मैं. बड़ी मुश्किल से मिला ये फोन. भैया ने छुपा कर रखा था.?”
“मैं तुम्हारे भैया से बात करूँगा…वो यही हैं हॉस्पिटल में.”
“क्या बात करोगे?”
“हमारी शादी की बात और क्या?”
“तुम मुझसे शादी करोगे…प्यार तो किया नही अभी तक …”
“कुछ तो है रीमा मेरे दिल में तुम्हारे लिए. वो प्यार है या कुछ और पता नही. तुम्हारे भैया मन गये तो क्या करोगी मुझसे शादी तुम.”
“करूँगी क्यों नही…ज़रूर करूँगी…तुम प्लीज़ भैया को माना लो.”
“यार उन्हे ही तो मनाना मुश्किल है…समझ में नही आता की क्या करूँ…एक नंबर का कमीना है तुम्हारा….” रोहित पूरा सेंटेन्स नही बोल पाया क्योंकि कमरे के दरवाजे पर चौहान खड़ा था. रोहित ने तुरंत फोन काट दिया.
चौहान आँखो में आग लिए कमरे में घुस्सा और बोला, “मेरी बहन का पीछा छोड़ते हो की नही. चुपचाप उष्का पीछा छोड़ दो वरना तुम्हे गोली मार दूँगा मैं.”
“सिर मैं शादी करना चाहता हूँ रीमा से. वो मुझे प्यार कराती है…ख़ूस्स रखूँगा उसे मैं.”
“रीमा की शादी और तुमसे. शीशे में चेहरा देख कर आओ. रीमा की शादी वही होगी जहाँ मैं चाहूँगा. लड़के वाले उष्की फोटो देख कर ही उसे पसंद कर चुके हैं. कल बस देखने आ रहे हैं. एक हफ्ते में ही सगाई और शादी दोनो निपटा दूँगा. तुम में ज़रा भी शरम बाकी हो तो दूर रहना मेरी बहन से. उष्की ख़ुसीयों में आग मत लगाना. और अगर तुमने दुबारा उष से बात भी की तो तुम्हे तो बाद में देखूँगा पहले उसे जान से मार दूँगा.”
रोहित कुछ नही बोल पाया. उसने चुप ही रहना ठीक समझा.
चौहान के जाने के बाद फिर से रोहित के फोन की घंटी बाजी. फोन रीमा का ही था.
“क्या हुवा रोहित. फोन क्यों काट दिया था.”
“रीमा तुम्हे अगर मुझसे शादी करनी है तो अपने भैया के खीलाफ जा कर करनी होगी. वो हमारे रिश्ते के लिए तैयार नही है और ना ही होंगे.”
रीमा एक दम खामोस हो गयी.
“क्या हुवा…करोगी मुझसे शादी अपने भैया की मर्ज़ी के बिना. तुम बस हाँ बोलो बाकी मैं देख लूँगा.”
“नही रोहित. मैं ऐसा नही कर सकती. उनकी मर्ज़ी के खीलाफ नही जा सकती. उन्होने मम्मी पापा के गुजरने के बाद मुझे पाला है. उनकी मर्ज़ी से ही शादी करनी होगी.”
“फिर भूल जाओ ये शादी. तुम्हे वही शादी करनी होगी जहा तुम्हारे भैया चाहते हैं.”
“रोहित प्लीज़….”
“सोच लो रीमा. वो मान-ने वाले नही हैं. तुम माना सकती हो तो माना लो. वरना जो मैं कह रहा हूँ वो करो.”
“मैं भैया से बात नही कर सकती…”
“फिर तुम्हे मेरी बात मान-नि पड़ेगी. उनके खीलाफ जा कर ही शादी कर सकते हैं हम.”
“सॉरी रोहित नही कर पवँगी ये. तुम प्लीज़ भैया को माना लो ना.”
“अतचा छोड़ो. बाद में बात करेंगे. मुझे सुबह जल्दी उतना है और एक इंपॉर्टेंट इन्वेस्टिगेशन के लिए जाना है.”
“ओक रोहित. शो जाओ. गुड नाइट.”
…………………………………………………..
शालिनी को सुबह होश आया. उशके पेरेंट्स सारी रात आएक्यू के बाहर बेचैनी से उशके होश में आने का इंतेज़ार कर रहे थे.
डॉक्टर से मिलने की इज़ाज़त लेने के बाद शालिनी के पेरेंट्स उष से मिलने गये. चौहान भी उनके साथ ही अंदर आ गया.
“रोहित कहा है…वो ठीक तो है?” शालिनी ने सबसे पहले यही कहा.
“मेडम वो तो सुबह-सुबह ही निकल गया हॉस्पिटल से. वो तो ठीक ही था उसे क्या हुवा था. आपसे मिलने तक की फ़ुर्सत नही थी उशे, पता नही कहा जाना था उशे.” चौहान ने आग उगली.
ये शुंते ही शालिनी का चेहरा उतार गया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली.
“बेटा हमें बहुत चिंता हो रही थी तुम्हारी. शूकर है तुम्हे होश आ गया. बेटा कैसे हुवा ये सब.” शालिनी के अंकली ने कहा.
शालिनी ने चौहान को बाहर जाने को कहा और अपने पेरेंट्स को पूरी बात बताई.
“बेटा तभी कहता था की मत करो ये नौकरी. दुबारा एग्ज़ॅम देना चाहिए था तुम्हे. ईयेज़ या आइर्स में जाना चाहिए था.”
“अंकली मुझे पसंद है ये नौकरी. हाँ ये नही पता था की ये सब हो जाएगा. मैं तो हिम्मत हार चुकी थी. पता नही कैसे लाया मुझे रोहित यहा.”
“कौन है ये रोहित बेटा?”
“हे इस माई इनस्पेक्टर. साएको का केस उसे ही दे रखा है मैने.”
“अगर वो ढंग से काम कराता तो ये नौबत ही ना आती. किशी और को लगाओ इसे केस पर. उशके बस की बात नही लगती है ये.”
“ऐसी बात नही है अंकली, वो बहुत मेहनत कर रहा है…आअहह.”
“क्या हुवा?”
“अंकली पेट में बहुत दर्द हो रहा है…”
“मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ…”
डॉक्टर ने आकर एक पेनकिलर का इंजेक्षन दिया तो कुछ आराम मिला शालिनी को.
“पाईं रहेगा जब तक घाव नही भर जाते. लेकिन पेनकिलर से आराम रहेगा. घबराने की कोई बात नही है.” डॉक्टर ने कहा.
रोहित, राजू और मोहित के साथ उष जगह पहुँच गया जहाँ पर साएको ने शालिनी को पेड़ से लटका रखा था. साथ में 6 कॉन्स्टेबल्स भी थे.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” रोहित ने कहा.
उष पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जीश से की साएको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साएको सिर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जीश से की उष तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शॉंक रखता है वो.” रोहित ने कहा.
“हन सिर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को माराते वक्त वो किशी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किल्लर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों कराता. अजीब बात तो ये है की यहा पर उशके जुतो के निशान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निशान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निशान मिटा गया वो अपना यहा.” रोहित ने कहा.
“सिर मगर फिर भी अपनी हरकटो से एक शबूत तो वो छोड़ ही गया है.” राजू ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” रोहित ने कहा.
“पैंटिंग का शॉंक रखता है वो. अगर हम साएको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो की बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” राजू ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.टीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उशके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शॉंक है.
थर्ड्ली, उशके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
जैसी पैंटिंग मैने उशके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साएको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उष्की पीठ पर आदमी का कटा हुवा सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं सेयेल का सिर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” राजू ने कहा.
“मारना तो उसे है ही राजवीर. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उशे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम की साएको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे सेयेल को.”
“नही सिर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उशे. उशके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उष्की मौत की भी पैंटिंग बन-नि चाहिए.” मोहित ने कहा.
“हन गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें की ये साएको है कौन.”
“सिर इसे कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” राजू ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इसे काम पर.”
“सिर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इसे कर्नल पर. सारी शक की शुई उष्की तरफ ही इशारा कराती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली चुत है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उष्का नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उष पर भी नज़र रख लूँगा. उष पर शक का क्या कारण है.” मोहित ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” रोहित ने कहा.
“ह्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इसे काम पर लग जवँगा.”
“राजू तुम फिलहाल प़ड़्मिनी के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बड़े में कहूँगा.” रोहित ने कहा.
“नही सिर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“अरे यू शुवर.” रोहित ने पूछा.
“हन सिर शुवर.”
रोहित अपनी जीप में बैठ गया और राजू और मोहित एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.
“क्यों भाई राजू कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” मोहित ने पूछा.
“अतचा चल रहा है गुरु. कल रात प़ड़्मिनी जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. प़ड़्मिनी ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सॅचा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूठ दिया था उशके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्राब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हन जानता हूँ राजू…मज़ाक कर रहा था. प़ड़्मिनी जी की पप्पी ली की नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुषक्लिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहा से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस काई गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर प़ड़्मिनी जी लगता नही की पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना प़ड़्मिनी जी की फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म सोचूँगा इसे बड़े में.” राजू ने कहा. उशके चेहरे पर मधाम सी मुश्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुश्कुरा रहा था.
राजू, प़ड़्मिनी को चुंबन करने के ख्याल से मुश्कुरा तो रहा था मगर उष्का दिल बेचैन भी था इसे ख्याल से की क्या ये मुमकिन है अभी.
“गुरु तुम्हे नही लगता की ये जल्दबाज़ी हो जाएगी…मतलब इतनी जल्दी किस…कुछ अजीब लग रहा है मुझे.” राजू ने कहा.
“राजू तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे की किशी लड़की के नझडीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से” मोहित ने कहा.
“गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किशी से प्यार नही था. बस एक कामुकहनेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्रा को ही की एक-दो बार. इश्लीए किस के बड़े में ज़्यादा नही पता मुझे.”
“एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को दीखने का किस ही सबसे अतचा अवसर परदान कराती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मन जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इसे प्यार को मजबूत करले.”
“तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुश्किल से इज़हार किया है प़ड़्मिनी जी ने.”
“अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो की पूजा भी प़ड़्मिनी से कम नही है. बहुत झीजाक्टि थी प्यार भारी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उष्का तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे दर लगता है प़ड़्मिनी जी से”
“तुझे ये दर भागना होगा राजू. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी प़ड़्मिनी की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरात है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान कराती है.”
“अतचा.”
“हन. और हाँ जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बठाना की कैसा रहा सब” मोहित ने कहा.
“तुम्हे क्यों बतावँगा मैं अपनी प्राइवेट बात. प़ड़्मिनी जी के बड़े में कुछ डिसकस नही करूँगा मैं, शन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मे.” राजू ने कहा.
“अरे मत करना डिसकस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही.”
“तुम हंस रहे हो…इश्का मतलाम मुझे फसाना चाहते हो.”
“तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा.” मोहित ने कहा.
“गुरु बुरा मत मानो, मैं बस प़ड़्मिनी जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ.” राजू ने कहा.
“नही राजू बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है की तुम उशके लिए सेन्सिटिव हो.” मोहित ने कहा.
“शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर प़ड़्मिनी जी से दर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी.” राजू ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वाहा भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वाहा से रोहित हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और राजू मोहित को उशके घर ड्रॉप करके प़ड़्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
……………………………………
रोहित सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला की शालिनी को होश आ गया है तो वो तुरंत उष से मिलने पहुँचा. चौहान आएक्यू के बाहर ही खड़ा था. शालिनी के पेरेंट्स अंदर थे.
“कैसी हैं मेडम?” रोहित ने पूछा.
“मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर शोय हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहा गये थे सुबह-सुबह.” चौहान ने पूछा.
“एक ज़रूरी काम था.”
“ह्म…तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर…बच कैसे गये तुम.” चौहान ने कहा.
“सिर एक बार फिर रिकवेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन डीलता हूँ आपको की मैं रीमा को ख़ूस्स रखूँगा. जब मैं उष से मिला था मुझे नही पता था की वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ता ही नही. आपसे रिकवेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए.”
“देखो रोहित…जो बात नही हो सकती उशके लिए र्क़ुएस्ट मत करो. खुद को और कितना गिरावगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहा ख़ूस्स रहेगी. तुम उष्का पीछा छोड़ दो. उष्की जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपात जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. ”
“ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार कराती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने.” रोहित ने कहा.
“शूट उप…मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता.”
चौहान गुस्से में वाहा से चला गया.रोहित आस्प साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
“बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब दाँत पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है की मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी.” रोहित ने खुद से कहा.
रोहित ये सब सोच ही रहा था की उष्का फोन बाज उठा. फोन साएको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इसे बार एक खौफनाक पैंटिंग बनावँगा तुम दोनो की. अभी मैं किशी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनावँगा आपकी.” रोहित ने कहा.
फोन तुरंत काट गया.साएको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निशाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब टुमारी खैर नही.” रोहित ने कहा.
रोहित ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” रोहित ने कहा
रोहित ने एक बार फिर से चेक किया शालिनी के बड़े में. वो अभी भी शोय हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साएको नही बचेगा.”
रोहित तुरंत थाने के लिए निकल पड़ा. वाहा से पुलिस फोर्स ले कर वो सीधा कर्नल के घर पर पहुँच गया.
जब वो घर पहुँचा तो नौकर ने ही दरवाजा खोला.
“कहा है तुम्हारे साहिब.” रोहित ने पूछा.
“वो तो अभी-अभी बाहर गये हैं.”
“कहा गये हैं?”
“बता कर नही गये.”
“पूरे घर की तलासी लो…” रोहित ने ऑर्डर दिया.
“तलासी क्यों ले रहे हैं, साहिब का इंतेज़ार कर लीजिए.”
“चुप रहो ज़्यादा बकवास मत करो.”
“सिर ये रूम लॉक है…” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“चाबी दो उष्की” रोहित ने नौकर से कहा.
“चाबी साहिब ही रखते हैं. मेरे पास नही है.”
“ह्म तौड दो टाला.”
टाला तौडा गया और रोहित अंदर दाखिल हुवा. अंदर आते ही रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी.
एक कॅन्वस पर उशी धृशया की पैटिंग थी जब रोहित पेड़ के तने पर चढ़ कर शालिनी के हाथ खोल रहा था. दूसरे कॅन्वस पर दोनो को नीचे गिराते हुवे दीखया गया था.
“तो मेरा शक सही निकला…कर्नल देवेंदर सिंग ही साएको है. एक लॅप टॉप रखा था वाहा जीश पर की एक लाइव वीडियो आ रही थी. रोहित ने ध्यान दिया तो पाया की वो स्प साहिब का घर था.
“जीसस…साएको स्प साहिब के घर पर कॅमरा लगाए बैठा है. तभी वो कह रहा था की दूसरी पैंटिंग में बिज़ी हूँ.”
रोहित ने तुरंत स्प साहिब को फोन मिलाया. मगर उनका फोन व्यस्त आ रहा था.
“कही ये साएको इसे वक्त स्प साहिब के घर ही तो नही पहुँचा हुवा.”
रोहित ने चौहान को फोन करके सारी बात बताई.
“रोहित मैं एक टीम ले कर तुरंत स्प साहिब के घर पहुँचता हूँ. तुम भी वही पहुँचो. आज स्प साहिब छुट्टी पर हैं और घर पर ही हैं.”
“हन सिर आप पहुँचिए वाहा…मैं भी तुरंत आ रहा हूँ.”
रोहित ने कर्नल के घर को शील कर दिया और अपनी टीम को लेकर स्प के घर पहुँच गया.
मगर जब वो वाहा पहुँचा तो स्प साहिब को अंबूलेंसे की और ले जाया जा रहा था. चौहान भी वही खड़ा था.
“क्या हुवा सिर.” रोहित ने पूछा.
“हमने आने में देर कर दी. साएको अपने मकसद में कामयाब रहा. पेट चलनी-चलनी कर दिया है स्प साहिब का. शायद ही बचें वो.”
“हे भगवान. इसे साएको ने तो पूरे पुलिस महकमे को लपेट लिया”
“हन और फिर से बच के निकल गया.” चौहान ने कहा.
“अब कैसे निकलेगा हाथ से. अब तो जानते हैं हम की वो कौन है. छोड़ेंगे नही सेयेल को.” रोहित ने कहा.
स्प साहिब को भी उशी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहा शालिनी थी.
उनका तुरंत ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद उन्हे आएक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
रोहित पुलिस पार्टी लेकर साएको की तलाश में निकल पड़ा, “कर्नल साहिब अब आपकी खैर नही. मेरा शक सही था की साएको एक ऐसा व्यक्ति है जीश पर की क्षी का शक़ नही जाएगा. वो तो शूकर है की मोहित ने तुम्हे ब्लॅक स्कॉर्पियो में देख लिया और हमें एक क्लू मिला. वरना तुम्हे ढुंडना बहुत मुश्किल था. तुम्हारी पैंटिंग का शॉंक मैं जल्द पूरा करूँगा. तुम्हारी मौत की पैंटिंग मैं बनावँगा.”
रोहित पुलिस पार्टी ले कर पूरे सहर में काई बार घुमा. स्प के घर के आस पास बहुत बारीकी से तलाश की गयी साएको की. मगर उष्का कही नामो निशान नही मिला. पूरे सहर में नाका बंदी और ज़्यादा मजबूत कर दी गयी.
“वापिस कर्नल के घर चलता हूँ. वाहा बहुत सारे शुराग हैं. तस्सल्ली से सबकी जाँच करनी होगी.” रोहित ने सोचा और कर्नल के घर की तरफ चल दिया. रोहित ने राजू और मोहित को भी फोन करके वही बुला लिया.
“राजवीर का दीमग तेज चलता है, वो साथ रहेगा तो इन्वेस्टिगेशन में काफ़ी मदद मिलेगी. मोहित को इन्वॉल्व करने से कुछ नये इनपुट्स मिलेंगे.”
इधर प़ड़्मिनी राजू से कोई भी बात नही कर रही थी. कारण ये था की राजू सुबह-सुबह बिना बताए चला गया था. एक बार भी वो खिड़की में नही आई ना ही राजू के बेल बजाने पर दरवाजा खोला.
राजू ने फोन मिलाया तो काई बार कातने के बाद आख़िरकार एक बार उठा ही लिया फोन प़ड़्मिनी ने, “हेलो क्या बात है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे?” राजू ने पूछा.
“मैं क्यों नाराज़ होने लगी.”
“फिर आप दरवाजा क्यों नही खोल रही मेरे लिए. मुझे रोहित सिर ने बुलाया है. मैं जा रहा हूँ. आप किशी बात की चिंता मत करना.”
“सुबह कहा गये थे तुम?” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“सुबह भी रोहित सिर के पास ही गया था. उनके साथ एक इन्वेस्टिगेशन पर जाना था.”
“ठीक है जाओ…मुझे नींद आ रही है.” प़ड़्मिनी ने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया. राजू ने काई बार ट्राइ किया पर फोन नही मिला.
“यहा तो बात भी बंद हो गयी…पप्पी तो अब दूर की बात है. अफ ये हसीनायें ऐसा क्यों कराती हैं… ..” राजू ने मन ही मन कहा और अपनी जीप ले कर चल दिया कर्नल के घर की तरफ.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 45