एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Horror stories collection. All kind of thriller stories in English and hindi.
novel
Silver Member
Posts: 405
Joined: 16 Aug 2015 14:42

Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by novel » 16 Oct 2015 20:29

रोहित, राजू और मोहित तीनो उष कमरे में बहुत बारीकी से सब कुछ देख रहे थे.

राजू ने लॅपटॉप को ऑन करके उसे चेक करना शुरू किया. लॅपटॉप में एक पेंद्रीवे थी. राजू ने उसे ओपन किया तो उसमे एक वीडियो क्लिप थी. राजू ने उष क्लिप को प्ले किया.

“सिर ये देखिए…ये क्लिप तो आपके साथ हुई घतना की है.” राजू ने कहा.

रोहित और मोहित तुरंत लॅपटॉप के पास आए.

“कमीना हर गेम की वीडियो बनाता है और फिर उन्हे देख कर चित्रकारी कराता है.” रोहित ने कहा.

“तभी मैं कह रहा था की इसे साएको को इशी के स्टाइल में मारा जाए. वही इश्कि सबसे बड़ी सज़ा होगी.” मोहित ने कहा.

“लेकिन सिर एक बात समझ में नही आई. साएको जैसा शातिर इतने सारे सबूत अपने घर में रखेगा…ये कुछ बहुत ज़्यादा अजीब लग रहा है.” राजू ने कहा.

“हन अजीब तो मुझे भी लगा…मगर आँखो देखे सच को झुतालाया नही जा सकता.” रोहित ने कहा.

“मगर सिर यहा सिर्फ़ पैंटिंग का सामान मौजूद है. मर्डर का कोई सामान यहा नही मिला अभी तक” राजू ने कहा.

“हन यार बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम.” मोहित ने राजू की पीठ ठप थपाई.

“अच्छे से चेक करते हैं. अगर पैंटिंग का समान यहा मौजूद है तो मर्डर का भी यही होना चाहिए.” रोहित ने कहा.

पूरा घर छान मारा गया मगर उन्हे घर में कोई चाकू और बंदूक नही मिली.

“ये भी तो हो सकता है की वो साथ ले गया हो सब कुछ. आख़िर वो मर्डर के लिए निकला था.” मोहित ने कहा.

“हन ये हो सकता है.” राजू ने कहा.

“कर्नल के नौकर से पूचेटाछ करते हैं.” रोहित ने कहा और एक कॉन्स्टेबल को उसे बुलाने के लिए भेजा. नौकर घर के बाहर ही एक छोटे सी कोटड़ी में रहता था.

कॉन्स्टेबल ने वापिस आकर बताया, “सिर उष्की कोतडी में टाला लगा है.”

“टाला लगा है…कहा चला गया वो.”

“पता नही सिर.”

“ह्म ठीक है…फिलहाल चलते हैं यहा से. कुछ ज़्यादा शुराग नही मिले.”

“पर सिर कर्नल एक तरह से फरार है. ये बात भी हम इग्नोर नही कर सकते. नौकर के मुताबिक वो सुबह निकला था घर से. अब शाम घिर आई है. वो अंजान तो नही होगा इसे बात से की उष्का घर सील कर दिया गया है. ये खबर तो उसे नौकर ने ही शुना दी होगी.” राजू ने कहा.

“हन बिल्कुल और अब नौकर भी फरार है.” मोहित ने कहा.

“आहह… अब घुतनो में दर्द हो रहा है. मैं हॉस्पिटल चलता हूँ. अभी मेरा ट्रीटमेंट बाकी है.” रोहित ने कहा.

“हन बिल्कुल सिर आप चलिए. ये घर तो सील ही रहेगा ना. ज़रूरात हुई तो फिर आ जाएँगे.” राजू ने कहा.

“मैं कुछ लोगो को कर्नल की सर्च पर लगा देता हूँ. उष्का कोई दोस्त या रिश्तेदार ज़रूर होगा जहा वो छुपा होगा.” रोहित ने कहा.

“मगर सिर अभी हमें संजय पर भी नज़र रखनी चाहिए. मामला अभी क्लियर नही है.” राजू ने कहा.

“हन उष पर भी नज़र न्यू एअर जाएगी. मोहित अपनी तरफ से ये काम कर ही रहा है. क्यों मोहित.” रोहित ने कहा.

“हन सिर बिल्कुल. मैं संजय पर भी नज़र रखूँगा. बस एक बार मिल जाए वो. वो भी तो गायब है.” मोहित ने कहा.

……………………………………………

रोहित वापिस हॉस्पिटल आया और एक पेनकिलर इंजेक्षन लगवाया. इंजेक्षन लगवाने के बाद वो शालिनी के कमरे की तरफ चल दिया.
कमरे के बाहर चौहान खड़ा था.

“क्या अब जाग रही हैं मेडम.” रोहित ने पूछा.

“हन जाग रही हैं. मगर उनके कुछ रिलेटिव्स आए हुवे हैं उन्हे देखने. तुम थोड़ा इंतेज़ार करो.” चौहान ने कहा.

रिलेटिव्स के जाने के बाद रोहित चुपचाप कमरे में घुस्स गया. शालिनी आँखे बंद किए पड़ी थी.

“मेडम कैसी हैं आप?” रोहित ने धीरे से कहा.

शालिनी ने आवाज़ से पहचान लिया की ये रोहित ही है. मगर उसने आँखे नही खोली.

“लगता है शो गयी मेडम…बाद में आऊगा” रोहित धीरे से बड़बड़ाया.

“रूको कहा जा रहे हो…आआहह..” शालिनी ने ज़ोर से कहा और कराह उठी.

“क्या हुवा मेडम?”

“डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से माना किया है.”

“तो आप मत बोलिए. चुप रहिए आप. सब ठीक हो जाएगा जल्दी.”

“तुम्हे अब फुरस्त मिली मुझे देखने की” शालिनी ने रोहित की आँखो में देखते हुवे कहा.

“ऐसा नही है मेडम…मैं काई बार आया पर आप शोय हुई थी. और मैने काफ़ी काम भी किया आज.” रोहित ने पूरी कहानी शुनाई शालिनी को.

“तुम्हारे घाव इतनी जल्दी भर गये क्या जो ये सब करते घूम रहे थे. आराम नही कर सकते थे क्या तुम. क्या समझते हो खुद को.”

“सॉरी मेडम, पर मुझे लगा इन्वेस्टिगेशन करनी बौट जऊरी है इश्लीए….”

तभी चौहान अंदर दाखिल हुवा और बोला, “मेडम आपसे कोई मिलने आया है.”

“ठीक है थोड़ी देर में भेजना.” शालिनी ने कहा.

चौहान हैरान परेशान चुपचाप बाहर चला गया.

“मेडम आप मिल लीजिए…मैं बाद में आ जवँगा.” रोहित ने कहा और चल दिया.

“रूको एक बात कहनी थी.”

“हन बोलिए.”

“थॅंक यू.”

“किश बात के लिए.”

“तुम जानते हो किश बात के लिए. तुमने जो किया मेरे लिए वो कभी भूल नही पवँगी.” शालिनी ने कहा.

“मेडम आपको काफ़ी कुछ बोल दिया था मैने. पता नही मुझे क्या हो गया था. भुला दीजिएगा वो सब और माफ़ कर दीजिएगा मुझे.”

“उशके लिए डिसिप्लिनरी आक्षन होगा तुम्हारे खिलाफ बाद में. फिलहाल तुम्हे माफ़ किया जाता है.” शालिनी ने हंसते हुवे कहा.

रोहित भी मुश्कुरा दिया. दोनो की नज़रे टकराई और एक पल को वक्त थम सा गया. शायद बहुत सारी बाते हो जाती आँखो ही आँखो में मगर चौहान बीच में तपाक पड़ा फिर से.

“मेडम क्या बुलओन उन्हे.”

“हन भेज दो” शालिनी ने इरिटेटिंग टोने में कहा.

“रोहित अपना ख्याल रखो. जखम भर जाने दो. काम तो होता ही रहेगा. अगर तुमने आराम नही किया तो सस्पेंड कर दूँगी. इस तट क्लियर.”

“हन मेडम सब क्लियर है.”

“जाओ फिर आराम करो जाकर.” शालिनी ने होंटो पर प्यारी सी मुश्कान के साथ कहा.

रोहित एक अजीब सा अहसास ले कर आया बाहर. ऐसा अहसास उसने कभी महसूस नही किया था.

“ये सब क्या था. मेडम कितने प्यार से देख रही थी मेरी तरफ. मैं तो खो ही गया था उनकी आँखो में. हम दोनो का एक साथ साएको के चंगुल में फँसना,फिर खाई में गिरना और फिर अब मेडम का यू प्यार से मेरी तरफ देखना…ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर ये मेरी डेस्टिनी की तरफ इशारा करते हैं.” रोहित बहुत गहरी सोच में डूब गया और फिर अचानक धीरे से बोला, “हे भगवान कही मैं उष खाई में अपनी जींदगी को गोदी में उठा कर तो नही घूम रहा था. अगर मैं सही हूँ तो ये एक प्यार की शुरूवात है…बहुत प्यारे प्यार की शुरूवात. पर मैं रीमा को क्या कहूँगा…वो मुझे बहुत प्यार कराती है. सब कुछ वक्त के हाथों छोड़ना पड़ेगा. अगर रीमा आई सब कुछ छोड़ कर मेरे पास तो मैं उष्का साथ दूँगा. और अगर वो नही आई तो मैं मेडम को अपने दिल की बात बोल दूँगा. मुझे यकीन है की वो भी मेरे बड़े में प्यार भरा कुछ सोच रही होंगी. हे भगवान मुझे राह दीखाना की मैं किश तरफ चलूं”

मोहित अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा साएको के बड़े में सोच रहा था.

“कर्नल के घर में मौत की पैंटिंग और मौत की वीडियो हैं. बाकी और कुछ नही है. क्या ये सबूत काफ़ी हैं उसे साएको मान-ने के लिए. मगर उशके यहा स्प साहिब के घर की लाइव वीडियो चल रही थी रोहित के मुताबिक. स्प साहिब अब हॉस्पिटल में हैं. इसे साएको ने तो सबको घुमा कर रखा हुवा है. जो भी हो कर्नल फरार है और इसे वक्त पूरा फोकस उशी पर होना चाहिए आख़िर इतने इंपॉर्टेंट सबूत मिले हैं उशके घर से. मगर इसे संजय पर भी ध्यान देना होगा. मज़ा आएगा इसे केस पर काम करके. अगर सॉल्व कर पाया इशे तो नाम होगा मेरा और फ्यूचर में खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल लूँगा.
कल को पूजा से शादी होगी तो अपनी ज़िम्मेदारियाँ अतचे से निभा पवँगा. एक खुशाल जींदगी देना चाहता हूँ मैं अपनी पूजा को, इसे एक कमरे के घर से बात नही बनेगी. ”

साएको को सोचते सोचते बात पूजा तक पहुँच गयी. अजीब दीवानगी पैदा कर देता है प्यार, बात घूम फिर कर उशी पर आ जाती है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.

पूजा की बात से मोहित को ध्यान
आया की आज वो बिज़ी होने के कारण पूजा से मिल ही नही पाया.

“यार आज पूजा से नही मिला तो कितना खाली खाली सा लग रहा है. उसने मेरा इंतेज़ार किया होगा बस स्टॉप पर. बहुत देर तक इंतेज़ार करने के बाद गयी होगी कॉलेज. फोन ट्राइ कराता हूँ. वैसे फोन नगमा के पास रहता है मगर क्या पता पूजा उठा ले.”

मोहित ने फोन मिलाया. फोन पूजा ने ही उठाया.

“शूकर है तुमने ही फोन उठाया. नगमा ने फोन आज तुम्हारे पास कैसे छोड़ दिया.”

“दीदी घर पर नही हैं. अंकली के साथ गाँव गयी है. इश्लीए फोन मेरे पास है.”

“यार ये अजीब बात है. फिर कॉल क्यों नही किया मुझे?” मोहित ने कहा.

“टॉक टाइम नही था फोन में. दीदी को बोला था डलवाने को पर वो शायद भूल गयी.”

“चलो कोई बात नही. सॉरी आज मैं बस स्टॉप पर मिलने नही आ पाया. किशी काम में बिज़ी था.”

“थोड़ी देर के लिए भी नही आ सकते थे क्या …बहुत इंतेज़ार किया मैने तुम्हारा. कॉलेज से भी लाते हो गयी थी.”

“ओह सो सॉरी पूजा. फोन होता तुम्हारे पास तो कॉल कर देता. क्या मैं तुम्हे फोन खड़ीद कर दे दूं.”

“नही उष्की कोई ज़रूरात नही है. मैं तुमसे कोई गिफ्ट नही लूँगी.”

“गिफ्ट नही लूँगी मतलब…यार ये अजीब बात है. फिर मुझे कैसे अपनी जान के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा.”

“मोहित…जीश दिन मैं खुद अफोर्ड कर पवँगी फोन तभी लूँगी. मैं तुम्हे वैसे ही बहुत प्यार कराती हूँ. गिफ्ट देने की ज़रूरात नही है.”

“अरे यार गिफ्ट प्यार बढ़ाने या तुम्हे लुभाने के लिए नही बल्कि इश्लीए दे रहा था की हमारा कम्यूनिकेशन बना रहे. बेवजह आज तुम इंतेज़ार कराती रही, फोन होता तुम्हारे पास तो वक्त से कॉलेज जाती.”

“मोहित जो भी हो…मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए. मेरा स्वाभिमान मुझे इश्कि इजाज़त नही देता.”

“ह्म…मेरे लिए तो ये आतची बात है. गर्ल फ्रेंड मेंटेनेन्स का खर्चा बचेगा हिहिहीही.”

“ज़्यादा हँसो मत. शादी के बाद पूरे हक़ से एक स्मार्ट फोन लूँगी मैं . जीशमें लेटेस्ट फीचर्स हो. इंटरनेट हो,अतचा कॅमरा हो, 3ग हो एट्सेटरा…एट्सेटरा.”

“क्या …मुझे लगा था की ये स्वाभिमान शादी के बाद भी जारी रहेगा. ये ग़लत बात है.”

“और नही तो क्या, पत्नी का हक़ होता है हज़्बंद को लूतना. वो मैं पूरे शान से करूँगी.”

“मुझे पता है की तुम मज़ाक कर रही हो..है ना…”

“ई आम सीरीयस.”

“चलो ले लेना जो जी चाहे. भगवान ज़रूर मुझे तरक्की देंगे तुम्हारी लूट खसोट के लिए.”

“हन बहुत तर्ृाक्की देंगे. और मैं तुम्हे शान से लुतूँगी.” पूजा ने हंसते हुवे कहा.

“अगर ऐसा है तो मैं भी शान से लुतूँगा तुम्हारी जवानी. रोज बहुत अतचे से लूँगा तुम्हारी. एक बार मेरी दुल्हन बन कर आओ तो सही.”

“कैसी बाते करते हो तुम … मुझे नही करनी तुमसे बात. गुड नाइट.”

“अरे क्या हुवा रूको तो…” मोहित ने तुरंत कहा मगर फोन कट चुका था.

मोहित ने काई बार फोन ट्राइ किया मगर पूजा ने फोन स्विच्ड ऑफ कर दिया था.

“ये क्या मज़ाक है पूजा. इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ यार. हद है तुम्हारी भी.” मोहित ने मन ही मन कहा और बिस्तर से उठ गया.

“आ रहा हूँ अब मैं तुम्हारे पास. कोई चारा नही छोड़ा तुमने.” मोहित ने कहा और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर चल दिया पूजा के घर की तरफ.

रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुवा था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साएको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.

“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुवा कराती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़त्म हो जाए.”

मगर सन्नाटा एक तरह से अछा भी था.

मोहित पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़क्या.

पूजा दरवाजे पर दस्तक शन कर सिहर उठी.

“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.

मोहित ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ मोहित. दरवाजा खोलो.”

पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”

“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”

पूजा ने दरवाजा खोला. मोहित झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.

“मोहित क्यों आए तुम यहा.”

“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहा नही आता तो क्या कराता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”

“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किशी लड़की को.” पूजा ने कहा.

“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”

“क्या वो सब मज़ाक था.”

“जान मानता हूँ की कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार कराता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. काई बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”

“ठीक है…ठीक है…बैठो छाए बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”

“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इश्लीए मुझे आना पड़ा.”

“मोहित मैं दर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”

“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”

“हाहहहाहा…देखा कैसी बंद बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुवे कहा.

“क्या ये सब मज़ाक था…”

“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सतने का मन था. आज बहुत सटाया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”

“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बंद बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” मोहित ने कहा.

“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”

“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जवँगा मैं.”

“क्या मतलब?”

“एक पप्पी तो लेकर ही जवँगा.”

“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”

“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” मोहित ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.

“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे माना कर पवँगी तुम्हे.” पूजा ने मोहित की छाती पर सर रख लिया.

“अफ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”

“हन चले जाओ. मुझे भी यही दर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पवँगी मैं. प्यार जो कराती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अतचा होगा.”

मोहित ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होन्ट टीका दिए उशके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया मोहित के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुवा दोनो के बीच. 5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेठहासा एक दूसरे को.

5 मिनिट बाद पूजा ने मोहित को धक्का दे कर उष्को खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”

“अरे यार किस से याद आया. मैने राजू को प़ड़्‍मिनी की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है राजू का.”

“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”

“अरे लेकिन इसे से ये तो पता चलेगा की कैसा प्यार है प़ड़्‍मिनी का. कही बेकार में हमारा राजू उलझा रहे उशके शहॉंदर्या के जाल में.”

दोनो बाते कर रहे थे की अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.

“ये कैसी आवाज़ थी मोहित. शूकर है की तुम यहा हो…वरना मैं तो मार जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.

“लगता है…बाहर कोई है?” मोहित ने कहा.

“कौन हो सकता है?”

“हटो मुझे देखने दो.”

“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरात नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”

पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दहसात का माहॉल करियेट कर दिया था. पूजा मोहित से लिपटी हुई थी.

“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” मोहित ने कहा.

“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे दर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साएको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.

“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है की वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इश् से पहले की वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”

“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”

“दो बार मेरा उष से सामना हुवा है और एक बार कॉपीकॅट साएको विजय से सामना हुवा है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है की मेरे पीछे वो यहा तक आ गया हो.”

“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”

“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पुलिस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले की बाहर कौन है?”

तभी बाहर सड़क पर पुलिस साइरन की आवाज़ शुनाई दी.

“पुलिस भी आ गयी…अब तो पक्का है की ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”

“जो कुछ भी होगा पुलिस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”

“टेन्षन लेनी पड़ेगी पूजा अगर कुछ बन-ना है जींदगी में तो. बिना टेन्षन लिए कुछ नही होता. सोचो अगर साएको का राज मैं खोल पाया तो कितना नाम होगा मेरा. मैं अपनी खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल सकता हूँ फिर. नाम होने के बाद काम ही काम होगा. फिर तुम जितना मर्ज़ी लूतना मुझे हिहीही.”

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 46

novel
Silver Member
Posts: 405
Joined: 16 Aug 2015 14:42

Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by novel » 16 Oct 2015 20:29

“मोहित कोई ज़रूरात नही है इसे तरह से नाम करने की तुम्हे.”

तभी अचानक घर का दरवाजा खड़का. पूजा ने मोहित को काश के जाकड़ लिया अपनी बाहों में, “दरवाजा मत खोलना.”

“अरे पागल हो क्या…हटो…पुलिस भी तो है बाहर.”

“नही प्लीज़…मुझे दर लग रहा है.” पूजा ने कहा.

“मेरे होते हुवे क्यों दर रही हो तुम. देखने तो दो कौन है.” मोहित ने कहा.

दरवाजा लगातार खाड़के जा रहा था. मोहित ने पूजा को खुद से अलग किया और दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजा खोला.

“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में” चौहान ने कहा.

“तुम्हारे लिए दरवाजे पर नही बैठे थे हम”

“ओह…मिस पूजा…वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. तुम तो बाद में मिली ही नही. एस्कॉर्ट बुसिनेस कैसा चल रहा है तुम्हारा.”

“मुझसे बात कर जो करनी है. जब घर में आदमी खड़ा हो तो औरात से बात नही करते.”

“तुम यहा कर क्या रहे हो पहले ये बताओ?”

“ये हमारा प्राइवेट मामला है, तुमसे मतलब.”

“मतलब है…मैं एक साए का पीछा कर रहा था. मुझे यकीन है की वो साएको था. वो इशी तरफ आया था. यहा तुम मौजूद हो…और बहुत देर में दरवाजा ख़ूला तुमने. तभी पूछ रहा था की दरवाजा खोलने में देर क्यों की.”

“तो तुम्हे लगता है की मैं साएको हूँ.”

“कुछ भी हो सकता है… पूरे घर की तलाशी लो.” चौहान ने कॉन्स्टेबल्स को ऑर्डर दिया.

जब घर में कुछ नही मिला तो चौहान बोला, “मिस पूजा कब आया था ये यहा.”

“ये बहुत देर से हैं यहा.”

“ह्म…मिस पूजा तुम्हे पता है. जीश आदमी के पास तुम होटेल में एस्कॉर्ट बन कर गयी थी, उष पर साएको होने का शक है. तुम्हारी गान्ड लेने के बाद तुम्हे मार सकता था वो. शूकर है मैं वक्त पर पहुँच गया. हमनें ली तुम्हारी पर तुम्हारी जान बच गयी हिहीही…चलता हूँ दरवाजा बंद कर लो हाहहाहा.” चौहान बेशर्मी से हंसटा हुवा वाहा से चला गया. मोहित दाँत भींच कर रह गया.

मोहित ने दरवाजा बंद किया और पूजा की तरफ मुड़ा. पूजा की आँखो से आँसू तपाक रहे थे.

“अरे पूजा…” मोहित ने बाहों में भर लिया पूजा को.

“कितना बेकार लग रहा है मुझे. सब कुछ याद आ गया फिर से. ” पूजा सुबक्ते हुवे बोली.

“तभी कह रहा था की इन लोगो को मारना ज़रूरी है. अगर इशे मार देता तो ये सब नही शन-ना पड़ता मुझे.”

“मैं शन लूँगी सब कुछ पर तुम खून ख़राबा बिल्कुल नही करोगे. कसम है तुम्हे मेरी.” पूजा ने कहा.

“कहा कर रहा हूँ खून ख़राबा. तुम्हे किया वादा नही तौड़ूँगा.”

“मोहित तुम मुझे ग़लत तो नही समझोगे ना. कभी-कभी लगता है की तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ मैं.”

“पागल हो क्या. ग़लत क्यों समझूंगा तुम्हे मैं. तुम्हारा शरीर ज़रूर मैला हुवा था इन बातों से मगर तुम्हारा मन हमेशा से पवितरा है. तुमसे ज़्यादा लायक प्यार के कोई हो ही नही सकता मेरे लिए. और मैं कोई दूध का धुला नही हूँ. तुम्हारी दीदी तक को नही छोड़ा मैने.”

“अब तो मेरे शिवा कोई और नही है ना तुम्हारी जींदगी में.”

“नही…जब से तुम आई हो जींदगी में, किशी और को देखने का मन तक नही कराता…जींदगी में आने का तो सवाल ही नही है.” मोहित ने गोदी में उठा लिया पूजा को.

“क्या कर रहे हो?”

“अब रुकना मुश्किल हो रहा है…प्लीज़ मुझे रोकना मत.” मोहित पूजा को बिस्तर पर ले आया और उसे लेता कर उशके उभारो को अपने दोनो हाथो में जाकड़ लिया.

“ये क्या कर रहे हो…हटो.”

“आग भड़का रहा हूँ तुम्हारे अंदर…हिहीही.” मोहित हाथों से उभारों को दबा रहा था.

“रोक नही पवँगी तुम्हे मैं….प्लीज़…. अगर शादी के बाद सब कुछ हो तो अतचा लगेगा मुझे. सुहाग्रात नाम की भी कोई चीज़ होती है.” पूजा ने कहा.

मोहित पूजा के उपर से हट गया और उशके बाजू में लाते गया, “हे भगवान…इश् कदर कभी नही बहका मैं किशी के साथ. सब कुछ कंट्रोल में रखता था हमेशा. यू अरे टू हॉट तो हॅंडल.”

“बस…बस चुप हो जाओ…मुझे कुछ-कुछ होता है.”

“यार हो जाने दो ना कुछ-कुछ…बुराई क्या है इसमें.”

“बुराई नही है मोहित. बस हनिमून पर कुछ ख़ास रहना चाहिए.”

“आग कुछ इसे कदर भड़क रही है की हनिमून एक दिन का नही बल्कि पूरा महीने का होगा…फिर भी शायद प्यार बाकी रहेगी. तुम्हारे शहॉंदर्या का रष्पान जितना भी किया जाए कम ही होगा. हम तो हमेशा प्यासे ही रहेंगे.”

“बस…बस ज़्यादा माखन मत लगाओ…मैं कुछ नही करने दूँगी.”

“वैसे माखन लगाने से बहुत प्यार से फिसल जाएगा.”

“क्या फिसल जाएगा… …” पूजा सोच में प़ड़ गयी.

“क्या फिसल सकता है…सोचो..सोचो…. ….” मोहित ने कहा.

पूजा उठी और अपने तकिये को दे मारा मोहित के सर पर, “बदमाश कही के. कितनी अश्लील बाते करते हो मेरे साथ. शरम नही आती तुम्हे.”

“शरम क्यों आएगी इसमें ये हँसी मज़ाक तो ष्टरी पूरेुष के रिश्ते को शुनदर बनाता है.”

“हन शायद तुम ठीक कह रहे हो. पर ज़्यादा मत बाते किया करो ऐसी, मुझे कुछ-कुछ होता है.”

“हाहहाहा….छोड़ो सब कुछ…चलो शोते हैं. अब मैं अर्ली मॉर्निंग ही जवँगा यहा से.” मोहित ने कहा.

“तुम जाना चाहोगे अभी तो भी नही जाने दूँगी. लेकिन कोई बदमासी नही चलेगी. शो जाओ चुपचाप.”

“बिल्कुल शो जवँगा, एक गुड नाइट पप्पी तो दे दो मुझे. नींद नही आएगी उशके बिना.” मोहित ने कहा.

“हहहे…तुम पागल हो…ये लो.” पूजा ने उठ कर मोहित के होंटो पर होन्ट टीका दिया. एक मिनिट के लिए दोनो ने डीप्ली किस किया एक दूसरे को.

“थॅंक यू.” मोहित ने कहा.

“मी प्लेषर. अब शो जाओ. गुड नाइट.”

……………………………………………………………………………………

रोहित शालिनी के कहे अनुशार आराम करने के लिए उशी कमरे में आ गया जीशमे वो अड्मिट था. रह-रह कर उसे शालिनी की आँखे दीखाई दे रही थी.

“डुबो दिया मेडम ने तो मुझे अपनी आँखो की गहराई में. क्या वो भी मेरे बड़े में ऐसा ही सोच रही होंगी, जैसा की मैं सोच रहा हूँ उनके बड़े में. हो भी सकता है और नही भी हो सकता. उनका नेचर बाकी नर्माल लड़कियों से बहुत डिफरेंट है. समझना मुश्किल है उन्हे.”

अचानक्ब रोहित को कुछ हलचल शुनाई दी अपने कमरे के बाहर. रोहित अपनी पिस्टल ले कर दबे पाँव बाहर निकला. उसने कमरे से बाहर झाँक कर देखा. बाहर कुछ नज़र नही आया. रोहित आस्प साहिबा के रूम की तरफ बढ़ा, “जा कर देख लॅंड की सब ठीक तो है वाहा.”

रोहित वाहा पहुँचा तो देखा की 4 कॉन्स्टेबल्स खड़े हैं वाहा मगर चौहान गायब है.

“इनस्पेक्टर साहिब कहा गये?” रोहित ने पूछा.

“वो सहर के रौंद पर गये हैं.” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.

“उनकी ड्यूटी तो यहा थी ना मेडम की प्रोटेक्षन की.” रोहित ने कहा.

“हमें नही पता सिर. वो हमें यहा छोड़ कर गये हैं.”

अचानक रोहित की नज़र दूर से दीवार के कोने से झाँकते एक आदमी पर पड़ी. चेहरा नही देख पाया रोहित ठीक से…क्योंकि डिस्टेन्स ज़्यादा था.

“हे रूको…कौन हो तुम.” रोहित छील्लाया.

“मगर अगले ही पल वो आदमी वाहा से हट गया. रोहित पिस्टल ले कर लड़खड़ाते कदमो से भागा उष तरफ.

मगर वाहा कुछ नज़र नही आया. रोहित भागते-भागते हॉस्पिटल के पीछे बने गार्डेन में आ गया. डबर पाँव चल रहा था वो हाथ में पिस्टल लिए. अंधेरा था वाहा इश्लीए कुछ ठीक से दीख नही रहा था.

अचानक एक पुंछ पड़ा रोहित के मूह पर और अगले ही पल एक लात भी पड़ी पेट पर. रोहित फिरे करने वाला था उष साए पर जीशणे ये सब किया उशके साथ मगर फिर उष साए की आवाज़ शन कर रुक गया.

“मिस्टर साएको आज तुम्हारी खैर नही. कॅमरा ऑन करो इश्का इंटरव्यू लेंगे.”

“अरे झाँसी की रानी ये मैं हूँ इनस्पेक्टर रोहित. क्या कर रही हो तुम यहा मिनी.”

“इनस्पेक्टर साहिब आप…सॉरी..सॉरी…हम तो एक साए का पीछा कर रहे थे. मुझे लगा था की वो साएको है.”

“बच गयी तुम आज. इतने में तो गोली चला देता हूँ मैं. शरीर की पहले ही बंद बाजी हुई है. तुमने और ज़्यादा ऐसी तैसी कर दी. क्या करते सीख रखें हैं तुमने.”

“हन मेरे पास ब्लॅक बेल्ट है.”

“जीसस एक तो रिपोर्टर उपर से ब्लॅक बेल्ट होल्डर. भगवान भली करे.”

“क्या कहा आपने.”

“कुछ नही.”

“अब आप मिल ही गये हैं तो एक बात बतायें. आपकी निक्कममी पुलिस अब हॉस्पिटल में पड़ी है. सहर वासियों का क्या होगा. लगता है धीरे धीरे सभी की आर्ट बन जाएगी इसे सहर में और पुलिस बस तमासा देखती रहेगी.” मिनी ने माएक को रोहित के मूह के आगे रख कर कहा.

“नो कॉमेंट्स…” रोहित कह कर चल दिया वाहा से.

“कुछ कहने को होगा, तब ना कहेंगे. ये हाल है हमारी पुलिस का. बात सॉफ है. हमें अपनी रक्षा खुद करनी होगी. पुलिस के सहारे रहे तो हम सब मारे जाएँगे. ओवर तो यू…..”

“ये मिनी तो पीछे प़ड़ गयी है मेरे. कितनी ज़ोर की लात मारी मेरे पेट में अफ… …”
रोहित ने हर तरफ देखा हॉस्पिटल में मगर उसे कुछ नही मिला. “क्या पता कोई वैसे ही झाँक रहा हो. पुलिस को देख कर लोग टांक झाँक करते ही हैं. साएको तो वैसे भी नकाब लगा कर घूमता है. साला इसे केस ने इतना उलझा दिया है दिलो दीमग को की हर कोई साएको ही नज़र आता है. मेडम से मिलता हूँ अब जाकर. क्या पता वो जाग रही हों.” रोहित आस्प साहिबा के कमरे की तरफ चल दिया.

………………………………………………………………….

रात के 12 बाज रहे थे. हर तरफ रात का सन्नाटा फैला था. हर तरफ एक अजीब सी खामोसी थी. राजू जीप में बैठा हुवा अपनी किशमत को रो रहा था. “यार ये किश पठार से प्यार हो गया है. फोन ही नही उठा रही है. और ना ही दरवाजा खोल रही है. ऐसे ही चलता रहा ये प्यार तो बड़ी जल्दी स्वर्ग सीधर जवँगा.”

राजू काई बार बेल बजा चुका था घर की मगर प़ड़्‍मिनी ने एक बार भी दरवाजा नही खोला था.

“एक बार फिर ट्राइ कराता हूँ. अगर अब भी नही खोला तो दुबारा कोशिस नही करूँगा.” राजू ने घर की बेल बजाई. कोई एक मिनिट बाद अंदर कदमो की आहत शुनाई दी.

प़ड़्‍मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “इतनी रात को क्यों परेशान कर रहे हो. मैं शो रही थी.”

“ओह सॉरी…चलिए शो जाईए आप. मैं तो बस गुड नाइट बोलने आया था.” राजू मूड कर चल दिया.

“रूको… कुछ कहना चाहते थे क्या?”

“हन कहना तो बहुत कुछ था. मगर अब रात ज़्यादा हो गयी है और आपको नींद भी आ रही है…कल बात कर लेंगे. गुड नाइट.”

“नही रूको…अभी बात कर लेते हैं.”

“सच…मेरी आँखे नाम हो गयी ये शन कर.” राजू ने मज़ाक में कहा.

“क्या मैं तुमसे बात नही कराती हूँ…जो की ऐसा बोल रहे हो.”

“एक बार भी फोन नही उठाया आपने. ना ही दरवाजा खोला. ऐसा कौन सा गुनाह हो गया था मुझसे. आपके पास दिल नाम की चीज़ ही नही है.”

“राजू यही बात तुम पर भी लागू होती है. सुबह मैं उठी तो तुम्हे हर तरफ देखा. पर तुम यहा होते तो मिलते. कॉन्स्टेबल्स से पूछा तो पता चला की तुम तो सुबह होते ही यहा से चले गये थे. क्या तुम मुझे नही बता सकते थे ये बात. एक मेसेज तो कर ही सकते थे तुम.”

“सॉरी प़ड़्‍मिनी जी. मैं आपको डिस्टर्ब नही करना चाहता था. इश्लीए फोन नही किया आपको. लेकिन ये जान कर बहुत अछा लग रहा है की आप मुझे ढुंड रही थी. वैसे क्यों ढुंड रही थी आप मुझे…टेल…टेल.” राजू ने हंसते हुवे कहा.

“कुछ बनाया था ख़ास आज नास्टे में. तुम्हे चखना चाहती थी. और कोई बात नही थी. ज़्यादा ख़ूस्स होने की ज़रूरात नही है.”

“फिर तो अछा ही हुवा की मैं यहा नही था. पता नही क्या बनाया था आपने. खा कर बेहोश हो जाता तो.”

“कभी खाया भी है तुमने मेरे हाथ का कुछ जो ऐसा बोल रहे हो. बहुत अतचा खाना बनाती हूँ मैं.”

“ऐसे कैसे यकीन कर लॅंड मैं. मैने तो यही शुना था की हसिनाओं को खाना…वाना बनाना नही आता. बस अपनी अदाओं से घायल करना आता है.”

“अभी बना कर दम कुछ तो क्या यकीन करोगे?”

“इश् वक्त…इतनी रात को आप मेरे लिए कुछ बनाएँगी. कितना प्यार करने लगी हैं आप मुझे. मेरे आँखे अब सच में नाम हो गयी हैं.” राजू ने झुत मूत आँखे मलते हुवे कहा.

“जाओ चुपचाप बैठ जाओ अपनी जीप में जाकर…कुछ नही बना रही हूँ मैं. हद होती है मज़ाक की भी. मुझे नही पता था की तुम इतना मज़ाक करते हो.”

“अरे मज़ाक का बुरा मन गयी आप. मज़ाक का कोई बुरा मानता है क्या?”

“क्या कहते थे तुम मुझे, प्यार करते हैं हम आपसे…कोई मज़ाक नही. अब ऐसा लग रहा है की मज़ाक वाला पार्ट ही सही है इसमे बाकी सब झुत है.”

“आपसे थोड़ा सा हँसी मज़ाक करके दिल ख़ूस्स हो गया आज. क्या ये ख़ुस्सी चीन लेंगी आप मुझसे. आपको अगर इतना बुरा लगा तो नही करूँगा मज़ाक आजसे कभी.”

“ऐसी बात नही है राजू… सॉरी… आक्च्युयली मैं सच में अतचा खाना बनाती हूँ. सब तारीफ़ करते हैं मेरे हाथ के खाने की. इश्लीए तुम्हारा मज़ाक बुरा लग गया मुझे.”

“चलिए फिर…तारीफ़ करने वालो में मैं भी शामिल होना चाहता हूँ.” राजू ने कहा.

“तुम यही रूको मैं बना कर लाती हूँ.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“क्या मैं आपके साथ किचन में नही आ सकता. देखना चाहता हूँ आपको बनाते हुवे.”

प़ड़्‍मिनी ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोली, “आ जाओ”

“इतना सोचा क्यों आपने मुझे अंदर बुलाते हुवे. मैं क्या आपको खा जवँगा.”

“कुछ नही…तुम नही समझोगे.” अब अपना सपना कैसे शुनाए प़ड़्‍मिनी राजू को

प़ड़्‍मिनी किचन में गयी और सबसे पहले गॅस ऑन किया. “ओह नो…”

“क्या हुवा?”

“गॅस ख़त्म हो गयी…दूसरा सिलिंडर भी नही है.”

“चलिए परेशान होने की कोई ज़रूरात नही है…हम बैठ कर बाते करते हैं.”

“हन पर मेरा मन था कुछ बनाने का. भुख भी लग रही है. अफ ये गॅस भी आज ही ख़त्म होनी थी.” प़ड़्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

राजू तो देखता ही रह गया प़ड़्‍मिनी को. गजब की मासूमियत थी प़ड़्‍मिनी के चेहरे पर. ऐसा लग रहा था जैसे की किशी बचे का खिलोना टूट गया हो और वो रोने वाला हो.

“प़ड़्‍मिनी जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भारी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिश्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” राजू ने कहा.

“हन अब यही कर सकते हैं.”

प़ड़्‍मिनी कित्चान के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. राजू उशके सामने खड़ा था. राजू चुपके-चुपके प़ड़्‍मिनी के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.

“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”

“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”

प़ड़्‍मिनी ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी.

“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अतचा हैं.” राजू ने प़ड़्‍मिनी की आँखो में देखते हुवे कहा.

प़ड़्‍मिनी ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया राजू को.

“यही मोका है राजू…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. प़ड़्‍मिनी जी अतचे मूड में लग रही हैं. इसे से अतचा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” राजू दृढ़ता से प़ड़्‍मिनी की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया प़ड़्‍मिनी के.

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 47

novel
Silver Member
Posts: 405
Joined: 16 Aug 2015 14:42

Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by novel » 16 Oct 2015 20:30

इश् से पहले की प़ड़्‍मिनी कुछ समझ पाती राजू ने अपने होन्ट टीका दिए प़ड़्‍मिनी के होंतों पर और दोनो हाथो से प़ड़्‍मिनी के सर को कुछ इसे कदर पकड़ लिया की प़ड़्‍मिनी अपने होन्ट उशके होंटो से जुड़ा ना कर पाए. प़ड़्‍मिनी ने पूरी कोशिस की राजू को हटाने की पर अपना राजू कहा रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इश्लीए प़ड़्‍मिनी के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्टा रहा अपने होंटो में दबा कर. प़ड़्‍मिनी बस कू..कू कराती रही…मूह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा राजू और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होन्ट हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”

प़ड़्‍मिनी ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया राजू को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”

“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरात होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”

“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही की ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”

“ओह सो सॉरी प़ड़्‍मिनी जी. मुझे इसे बात का अहसास ही नही हुवा. मैं किशी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”
“किशणे बहक्या तुम्हे.”

“गुरु ने कहा था की किस करने से प्यार मजबूत होगा इश्लीए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”

“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”

“सॉरी आगे से किशी की बातों में नही आऊगा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”

“क्या?”

“मैं आपके होन्ट देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुवा की ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है की आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गोद ब्लेस्स यू.” राजू मूड कर चल दिया.

“रूको…”

“जी कहिए.”

“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”

“ऑम्ग…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विश्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”

“राजू तुम्हे प्यार कराती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हूमें पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिश्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”

“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”

“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”

“मंजूर है हर जुल्मो-शीतम आपका, बस होंतों को होंतों से टकराने दीजिए.” राजू ने कहा और प़ड़्‍मिनी की तरफ बढ़ा.

प़ड़्‍मिनी ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया राजू के मूह पर. मगर राजू नही रुका और प़ड़्‍मिनी को पकड़ कर फिर से उशके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इसे बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया राजू ने प़ड़्‍मिनी का. पूरे 5 मिनिट चूस्टा रहा वो प़ड़्‍मिनी के होंटो को.

5 मिनिट बाद प़ड़्‍मिनी के होंटो को आज़ाद करके राजू बोला, “मुझे नही पता की आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हाँ आपके होन्ट पूरा शहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”

“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”

“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होन्ट मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”

“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इसे सब के लिए. ई हटे यू.”

राजू मुश्कूराता हुवा बाहर आ गया, “नफ़रात झुटि है आपकी. आपके होन्ट तो इतना प्यार दे रहे थे की पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माई लाइफ. ई कॅन दिए फॉर इट.”

प़ड़्‍मिनी ठगी सी राजू को बाहर जाते हुवे देख रही थी. राजू के जाने के बाद प़ड़्‍मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.

“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था की ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इसे से. इशे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस कराता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इशे घर में बुला कर. आगे से इशे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” प़ड़्‍मिनी दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.

अचानक प़ड़्‍मिनी को कुछ ख़याल आया और वो वाहा से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उष्का डायन हाथ खुद-ब-खुद उशके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंतों पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उशके साथ मिल गये थे.”

प़ड़्‍मिनी को अपने अंदर से जो जवाब आया उष पर वो विश्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”

“ची ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये राजू अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इसे पागल से दूर भी नही रह सकती उष से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर प़ड़्‍मिनी के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.

“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था राजू पर. बुरा लगा होगा उशे. पर मैं क्या कराती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किशी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार कराता है उष पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”

प़ड़्‍मिनी खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. राजू अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया राजू मुझसे.” प़ड़्‍मिनी ने मन ही मन सोचा.

राजू के शरीर में हलचल हुई तो प़ड़्‍मिनी ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी शो जाना चाहिए.”
लेकिन खिड़के से हतने से पहले प़ड़्‍मिनी ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. राजू वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शूकर है नही देखा ईसणे मुझे…नही तो मज़ाक उसाता सुबह मेरा.” प़ड़्‍मिनी मुश्कूराते हुवे सोच रही थी.

प़ड़्‍मिनी अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी राजू…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”

…………………………………………………..

रोहित शालिनी के रूम पर पहुँचा तो देखा की अंदर से एक नर्स निकल रही है. रोहित ने उष नर्स को रोका और पूछा, “मेडम जाग रही हैं या शो रही हैं.”

“अभी-अभी इंजेक्षन दे कर आई हूँ उन्हे. वो जाग रही हैं.”

रोहित का चेहरा चमक उठा ये शन कर. वो घुस्स गया कमरे में. शालिनी आँखे मीचे पड़ी थी.

“मेडम सब ठीक है ना. कोई तकलीफ़ तो नही है.” रोहित ने धीरे से कहा.

“रोहित तुम! तुम यहा क्या कर रहे हो. आराम करने को कहा था ना मैने.”

“आराम ही कर रहा था मैं कमरे में की अचानक” रोहित ने पूरी बात बताई आस्प साहिबा को.

“ओह…फिर भी दूसरे पुलिस वाले भी हैं यहा.”

“मेडम क्या चौहान को आपने कही भेजा है.”

“नही मैने तो कही नही भेजा.” शालिनी ने कहा.

“ओह…शायद किशी काम से गये होंगे?” रोहित ने कहा.

“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.

“जी मेडम बोलिए.”
“कुछ नही…जाओ शो जाओ.” शालिनी ने गहरी साँस लेकर कहा.

“क्या बात है बोलिए ना?”

“नही रहने दो…कोई बात नही है.”

“क्या आप नाराज़ हैन्मुझसे.”

“नही रोहित”

“फिर बोलिए ना क्या बात है.”

“किशी ने मुझे ऐसे नही दांता कभी जैसे तुमने दांता था वाहा जंगल में.”

“सॉरी मेडम, जो सज़ा देनी है दे दीजिए. चाहे तो सस्पेंड कर दीजिए तुरंत, बुरा नही मानूँगा बिल्कुल भी.”

“नही मेरा वो मतलब नही था.”

“फिर आप अब मुझे दाँत कर दिल की भादास निकाल लीजिए.”

“नही वो भी नही करना चाहती”

“फिर क्या करना चाहती हैं आप.”

“कुछ नही..तुम शो जाओ जाकर. मुझे अब नींद आ रही है.”

रोहित सर खुजाता हुवा बाहर आ गया

“मेडम कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हैं. पता नही क्या चक्कर है …कही वही चक्कर तो नही जो की मैं सोच रहा था. ”

…………………………………………………….

बिस्तर पर पड़ते ही प़ड़्‍मिनी गहरी नींद में समा गयी थी. सुबह उष्की आँख दूर बेल से खुली. प़ड़्‍मिनी ने टाइम देखा, सुबह के 8 बाज रहे थे.

“कौन है इसे वक्त?” प़ड़्‍मिनी ने सोचा और खिड़की के पास आ कर बाहर झाँक कर देखा. राजू जीप में नही था.

“राजू ही है शायद.”

प़ड़्‍मिनी दर्पण के सामने आई और हाथ से अपने बाल संवार कर, आँखे पोंछ कर कमरे से निकल गयी.

प़ड़्‍मिनी ने दरवाजा खोला.

“लीजिए सिलिंडर.” राजू कह कर चल दिया.

“नाराज़ हो मुझसे?”

“आप खुद सोचिए. अपनी प्रेमिका का चुंबन लिया था मैने…कोई गुनाह नही कर दिया था जो की थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ दिए आपने. बहुत बुरा लगा मुझे. आप प्यार नही मज़ाक कराती हैं मुझसे.”

“ऐसा नही है…बहुत प्यार कराती हूँ तुमसे मैं. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.” प़ड़्‍मिनी ने मासूमियत से कहा.

राजू तो देखता ही रह गया प़ड़्‍मिनी को. प़ड़्‍मिनी की आँखो में उभर आए प्यार में खो गया था वो.

“कुछ इसे तरह से कहा है आपने ये सब की थप्पड़ का नामो निशान भूल गया हूँ. अब तक कहा छुपा रखा था ये प्यार आपने. शीतम ढा रही हैं आप मुझ पर अब.”

प़ड़्‍मिनी शरमाये बिना ना रह सकी. वो हल्की सी नज़रे झुका कर बोली, “तो तुमने मुझे माफ़ कर दिया.”

“आपसे नाराज़ हो कर कहा जवँगा मैं. आप यकीन करें या ना करें मगर आप मेरी जींदगी बन गयी हैं.”

“राजू सच-सच बठाना तुम्हारा मकसद क्या है इसे प्यार में.?”

“मकसद एक ही है…आपसे शादी करना चाहता हूँ. जींदगी भर आपके साथ रहना चाहता हूँ.”

“क्या तुम्हे पता है की मैं तुमसे उमर में बड़ी हूँ. कोई 3 या 4 साल बड़ी हूँ तुमसे मैं.”

“उष से कुछ फराक नही पड़ता प़ड़्‍मिनी जी.”

“ये जी क्यों लगाते हो मेरे नाम के पीछे हर बार तुम. क्या मुझे सिर्फ़ प़ड़्‍मिनी नही कह सकते.”

“ठीक है प़ड़्‍मिनी जी…ओह सॉरी प़ड़्‍मिनी…आज से ही जी को दूर फेंक दिया जाएगा. चलिए मैं ये सिलिंडर अंदर रख देता हूँ.” राजू ने कहा.

प़ड़्‍मिनी सोच में प़ड़ गयी.

“इतनी सुबह-सुबह कहा से लाए सिलिंडर तुम.”

“अपने घर से लाया हूँ. वाहा बेकार ही पड़ा था.”

“रहने दो मैं ले जवँगी.”

“कैसी बात कराती हैं आप. आप क्यों ले जाएँगी इशे उठा कर मेरे होते हुवे. हटिए एक तरफ.”

राजू सिलिंडर ले कर अंदर आ गया और उसे किचन में ले जाकर चूल्‍हे से कनेक्ट कर दिया.

प़ड़्‍मिनी किचन के दरवाजे पर खड़ी सब देखती रही. जब राजू सब काम करके मुड़ा तो प़ड़्‍मिनी ने पूछा, “क्या खाओगे तुम.”

“अगर थप्पड़ नही पड़ेंगे तो एक चीज़ खाना चाहूँगा.”

“नहियीईईई….क्या तुम्हारा मन नही भरा.” प़ड़्‍मिनी दो कदम पीछे हट गयी.

“कैसी बात कराती हैं आप. राजू से प्यार किया है आपने. मेरा मन आप जैसी हसीना के लिए कभी नही भरेगा.”

“मैने अभी कोलगेट भी नही किया है?” प़ड़्‍मिनी ने टालने की कोशिस की.

“कोई बात नही…मैने एक बार कही पढ़ा था की किस मूह में मौजूद बॅक्टीरिया का ख़ात्मा कराती है.”

“झुत बोल रहे हो?”

“नही सच बोल रहा हूँ मैं.”

प़ड़्‍मिनी राजू से बचने के लिए अपने कमरे की तरफ भागी.

“अरे रुकिये कहा भाग रही हैं आप. मुझसे आपको कोई नही बचा सकता.”

राजू भी प़ड़्‍मिनी के पीछे भागा. आधी सीढ़ियाँ चढ़ चुकी थी प़ड़्‍मिनी. मगर राजू ने हाथ पकड़ लिया भाग कर. प़ड़्‍मिनी ने मूड कर राजू से हाथ छुड़ाने के लिए झटका दिया. राजू का पाँव फिसल गया और वो लूड़क गया सीढ़ियों से.

“राजू!” प़ड़्‍मिनी भाग कर आई राजू के पास. माथे से हल्का सा खून बह रहा था राजू के.

“सो सॉरी राजू…ज़्यादा तो नही लगी.”

राजू ने जवाब देने की बजाए प़ड़्‍मिनी को पकड़ लिया

“राजू प्लीज़…. छोड़ो मेरा हाथ…तुम तो पागल हो गये हो.” प़ड़्‍मिनी गिड़गिडाई

राजू प़ड़्‍मिनी का हाथ पकड़े हुवे खड़ा हुवा और उसे दीवार से सटा दिया.

“अब भागो कहा भागोगी. बहुत सटाया है आपने मुझे. बहुत नाटक झेलें हैं आपके. अब आपसे गिन-गिन कर बदले लूँगा.”

“तो तुम मुझसे बदला ले रहे हो.”

“हन ऐसा बदला जीशमे प्यार ही प्यार है.”

“अफ तुम पागल हो गये हो. कहा फँस गयी मैं इसे पागल के साथ.”

राजू ने प़ड़्‍मिनी को बाहों में जाकड़ लिया और अपने होन्ट प़ड़्‍मिनी के दाहाकते अंगरों पर टीका दिए. प़ड़्‍मिनी चाहती तो अपने होन्ट हटा सकती थी. मगर वो बट बनी खड़ी रही. शुरू के कुछ पलों में तो बस राजू चूम रहा था प्दमीनी को. मगर कुछ ही देर बाद प़ड़्‍मिनी भी राजू के होंटो को तरह तरह से अपने होंटो में जाकड़ रही थी. 5 मिनिट तक पागलों की तरह चूमते रहे वो एक दूसरे को. वो दोनो चुंबन के शुरूर में खो कर प्यार रूपी समुंदर में गोते लगा रहे थे.

अचानक प़ड़्‍मिनी को अजीब सी चुभन महसूस हुई अपनी योनि के करीब. प़ड़्‍मिनी ने राजू को खुद से दूर ढकैयल दिया.

“क्या हुवा?”

प़ड़्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “जैसे तुम्हे कुछ नही पता.”

राजू ने नज़रे झुका कर अपनी पेंट पर बने उभार को देखा और बोला, “ओह सॉरी…ये मेरे बस में नही है. ये तंबू ईसणे खुद खड़ा किया है.”

“तुम जाओ अब. मुझे फ्रेश होना है.” प़ड़्‍मिनी गुस्से में कहा

“ओह हाँ ऑफ कोर्स. शूकर है थप्पड़ नही पड़ा आज… हिहिहीही.” राजू हंसते हुवे चल दिया वाहा से.

“हे भगवान किश पागल के प्यार में फँस गयी मैं.” प़ड़्‍मिनी ने सोचा.
राजू के जाने के बाद प़ड़्‍मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और खुद से बोली, “अब इशे दुबारा अंदर नही आने दूँगी. ये तो पागल है पूरा. क्या ऐसा कराता है कोई…जैसा ये कराता है.”

प़ड़्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा. वो अभी भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. “पर मुझे क्या हो जाता है…क्यों उष्का साथ देती हूँ मैं. क्या उशके हाथो का खिलोना बन गयी हूँ मैं. नही…ऐसा नही होने दूँगी मैं……”

प़ड़्‍मिनी जितना राजू से प्यार कराती थी. उतना ही अपने चरित्रा के लिए प्रोटेक्टिव भी थी. अजीब सी सिचुयेशन थी प़ड़्‍मिनी के सामने.

राजू बाहर आकर जीप में बैठ गया था और चुंबन के शुरूर में खो गया था. “सच में प्यार बहुत शुनदर होता है. ऐसी किस किशी से नही मिली. प़ड़्‍मिनी के होन्ट मेरे होंटो पर हरकत तो कर रहे थे परंतु एक झीजक सी बरकरार थी. मगर उशके होंटो की हर हरकत छील्ला-छील्ला कर यही कह रही थी की ‘मैं तुम्हे बहुत प्यार कराती हूँ राजू’. वैसे वो मानेगी नही ये बात पर मैं जान गया हूँ. शी इस रियली अमेज़िंग. धान्या हो गया हूँ आपसे प्यार करके प़ड़्‍मिनी जी…” राजू सोचते हुवे मुश्कुरा रहा था.

…………………………………………………………………….

मोहित सुबह होते ही पूजा के घर से निकल गया था. जाते-जाते वो पूजा को बोल गया था की आज सारा दिन बिज़ी रहेगा क्योंकि काफ़ी काम है. दरअसल उसे इन्वेस्टिगेशन पर दिलो-जान से जुतना था. पहले मोहित घर गया और नहा धो कर अपना जासूसी का समान ले कर निकल पड़ा अपने काम पर.

“सबसे पहले इसे कर्नल की ही इंक्वाइरी कराता हूँ. यही सबसे बड़ा सस्पेक्ट है.” मोहित ने कहा.

मोहित, कर्नल के घर के बिल्कुल सामने बने घर पर पहुँचा. वाहा एक बुजुर्ग से बात की उसने जो की अपनी बीवी के साथ अकेला रहता था.उशे यही पता चला की कर्नल बहुत अतचा इंसान है. बहुत अतचा नेचर है उष्का. बहुत अतचे से शालीनता से बात कराता है. लेकिन एक अजीब बात पता चली मोहित को बातो बातो में. वो ये थी की कर्नल अब उष घर में नही रहता है. बुजुर्ग के अनुसार वो घर शायद कर्नल ने किशी को किराए पर दे दिया था.

“किशको किराए पर दिया था क्या बता सकते हैं?”

“पता नही कौन है वो. कभी शकल नही देखी उष्की. आँखे भी कमजोर हो चली हैं. ठीक से दीखता भी कहा है. हाँ पर इतना पक्का है की इसे घर में अब कोई और रह रहा था. कभी उष से मुलाक़ात नही हुई.”

“एक नौकर भी रहता था यहा…उशके बड़े में कुछ जानते हैं.”

“नौकर भी तो अभी देखा मैने. कर्नल ने किशी नौकर को नही रख रखा था घर पर. वो ज़्यादा तार काम खुद ही करते थे अपना. वैसे बेटा तुमने बताया नही की तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो.”

“ आपको पता ही होगा की ये घर पुलिस ने सील कर दिया है. मैं एक प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ बस ये जान-ना चाहता हूँ की यहा क्या हो रहा था ऐसा की ये घर सील हो गया. क्या कुछ बता सकते हैं.”

“एक बात नोट की मैने. जो कोई भी यहा रहता था उन्हे कर्नल की ही तरह पैंटिंग का भी शॉंक था. कुछ दिन पहले ग़लती से पैंटिंग के समान की डेलाइवरी देने यहा हमारे घर आ गया था कोई. मैने उसे कर्नल के घर भेजा था.”

“ह्म…कुछ और बता सकते हैं आप.”

“जितना पता था बता दिया बेटा. और मुझे कुछ नही पता.”

“ह्म मेरा नंबर रख लीजिए. कुछ याद आए तो बता दीजिएगा फोन करके.” मोहित कह कर चल दिया.

मोहित ने आस-प़ड़ोष में कुछ और लोगो से भी बात की. लेकिन किशी को कुछ ज़्यादा जानकारी नही थी. सबको यही पता था की कर्नल ही रहते हैं वाहा. किशी और के रहने की किशी को खबर नही थी.

“बड़ी बड़ी कोटििया हैं यहा. सब लोग अपने कामो में मगन रहते हैं शायद. शुन्सान सी सदके हैं यहा. उष बुजुर्ग के पास खाली वक्त है और घर भी कॉलोनेक के घर के सामने है इश्लीए गौर कर लिया होगा. वैसे भी जो कोई भी उष घर में आया था…कुछ दिन पहले ही आया था. ये सब बाते अभी तुरंत रोहित को बताता हूँ.”

मोहित ने रोहित को फोन मिलाया.

“हेलो मोहित…हाउ अरे यू?”

“सिर कुछ बहुत इंपॉर्टेंट पता चला है”

“हन बोलो?’’

“अभी-अभी मैने कर्नल के घर के सामने रहने वाले एक बुजुर्ग से बात की.” मोहित ने रोहित को पूरी बात बता दी.

“जीसस…ये तो मामला और ज़्यादा उलझ गया. अब ये कैसे पता चलेगा की कौन रह रहा था उष घर में. कर्नल का तो कुछ आता पता नही है.”

“सिर एक डाउट हो रहा है. हो सकता है कर्नल को मार कर उशके घर और गाड़ी पर कब्जा कर लिया हो साएको ने. सोचा होगा की अतचा ठीकना रहेगा. कर्नल का घर एक सेफ प्लेस माना जा सकता है. और मुझे ये भी लग रहा है की हो सकता है की जो कोई भी यहा रह रहा था वो कर्नल को अतचे से जानता था और यारी दोस्ती में उन्होने ये घर उसे दे दिया हो.”

“इन बातों का जवाब तो कर्नल ही दे सकता है. मगर उष्का कुछ आता-पता नही है. देल्ही और मुंबई में कर्नल के रिलेटिव्स थे. मैने वाहा की लोकल पुलिस से कॉंटॅक्ट करके एंक्वाइरी के लिए कहा है. शायद कुछ पता चल जाए कर्नल के बड़े में. ”

“ओक जैसे ही कुछ पता चले मुझे भी बता देना सिर. मैं फिलहाल संजय की खबर लेने जा रहा हूँ.”

“ओक ऑल थे बेस्ट. बहुत अतचा काम कर रहे हो. बल्कि जो हमें करना चाहिए था वो तुम कर रहे हो. दरअसल सोचने समझने का टाइम ही नही दिया इसे साएको ने पीछले कुछ दिन. तुम लगे रहो. और कुछ पता चले तो तुरंत बठाना.”

रोहित उष वक्त स्प साहिब के कमरे के बाहर खड़ा था उनसे मिलने के लिए. फोन रख कर वो कमरे में घुस्स गया.

“कैसे हैं सिर आप.”

“मैं ठीक हूँ. आस्प साहिबा कैसी हैं.”

“वो भी ठीक हैं सिर. 2 दिन बाद छुट्टी कर देंगे. सिर क्या बता सकते हैं की कैसे हुवा ये सब.”

हन मैं बाथरूम से नहा कर निकल रहा था की अचानक मुझे पीछे से जाकड़ कर मेरे मूह पर कुछ रख दिया उसने. मैने साँस रोक ली और उसे दूर ढकैयल दिया. उशके पास चाकू था…मैं खाली हाथ क्योंकि नहा कर निकल रहा था. काई वार किए हरांखोर ने पेट पर. चोदूगा नही हरामी को बस मिल जाए एक बार.”

“शूकर है सिर की ज़्यादा नुकसान नही हुवा. शायद वो आपको बेहोश करके कही ले जाने वाला था. वो ऐसा ही कराता है. अपने ठीकने पर ले जाकर आर्टिस्टिक मर्डर कराता है.”

“बस-बस मुझे हॉरर स्टोरी मत शुनाओ. बिल्कुल पसंद नही मुझे डरावनी बातें.”

“सॉरी सिर.”

“मुझे भी शायद 2-3 दिन में छुट्टी मिल जाएगी.” स्प ने कहा.

रोहित स्प से मिलने के बाद शालिनी से मिलने पहुँचा. वो शालीनीन के कमरे में घुस्सा तो देखा की वाहा चौहान खड़ा था.

“आओ रोहित” शालिनी ने कहा.

“कैसी हैं मेडम आप?” रोहित ने पूछा.

“ठीक है मिस्टर चौहान आप जायें और इतमीनान से अपनी बहन की सगाई की तैयारी करें.” शालिनी ने कहा.

“थॅंक यू मेडम” चौहान रोहित को घूराता हुवा कमरे से निकल गया.

“पता नही कैसी हूँ. जब पेट से ये पट्टी हटेगी तभी पता चलेगा की कैसी हूँ. आज हटा कर देखेंगे इशे.”

“सब ठीक रहेगा मेडम…आप चिंता मत करो.”

“चौहान अपनी सिस्टर की सगाई और शादी करने जा रहा है इशी हफ्ते. ये अचानक क्या हो गया इशे?” शालिनी ने पूछा.

रोहित चुप ही रहा. झुत बोलना नही चाहता था और सच बोलने की हिम्मत नही थी.

“खैर तुम शुनाओ…कैसे हो.?” शालिनी ने पूछा.

“ठीक हूँ मेडम. एक नयी डेवालेपमेंट हुई है साएको के केस में.”

“कोई हैरानी नही हुई शन कर. शुरू से यही तो हो रहा है इसे केस में. बताओ क्या डेवालेपमेंट है.”

रोहित ने पूरी बात शालिनी को बता दी.

“ह्म…मतलब कर्नल की बजाए हमें अब इसे अंजान व्यक्ति को ढुंडना होगा. और ज़्यादा कॉंप्लिकेटेड हो गया मामला तो.”

“जी मेडम…आपकी इजाज़त हो तो मैं भी लग ज़ाऊ काम पर.”

“मेरी इजाज़त चाहिए तुम्हे?”

“जी हन.”

“तुम्हारे घाव भर गये सब?”

“भर जाएँगे मेडम. चल फिर तो रहा ही हूँ. कोई दिक्कत नही है. ज़्यादा देर यहा नही बैठ सकता मैं. ये केस सॉल्व करना बहुत ज़रूरी है. पुलिस ऑफिसर्स को हॉस्पिटल पहुँचा दिया उसने. बहुत गंभीर बात है ये. मीडीया में तू-तू हो रही है पुलिस की. जल्द से जल्द कुछ करना होगा.”

“हम बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा. ज़्यादा टेन्षन मत लो मीडीया की. इनका यही काम है.”

“मेडम आप कुछ बदली बदली सी हैं…आप मुझे बहुत कम दाँत रही हैं अब”

“तुम्हे दाँत खानी है क्या?”

“नही वो तो नही खानी?”

“फिर क्यों परेशान हो रहे हो.”

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 48

Post Reply