एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by novel » 16 Oct 2015 20:31

“कुछ नही वैसे ही पूछ रहा था.” रोहित ने हंसते हुवे कहा.
“लगता है तुम्हे दाँत खाने की आदत प़ड़ गयी है” शालिनी ने भी हंसते हुवे कहा.

“हन शायद.” रोहित ने कहा.

तभी डॉक्टर दाखिल हुवा कमरे में.

“हाउ अरे यू नाउ.” डॉक्टर ने पूछा.

“ये तो आप ही बता सकते हैं.” शालिनी ने कहा.

“हम अभी ये ड्रेसिंग खोल कर देखते हैं. ई होप तट एवेरितिंग विल बे फाइन.” डॉक्टर ने कहा.

रोहित बाहर आ गया कमरे से. डॉक्टर के जाने के बाद वो अंदर आया.

“क्या कहा डॉक्टर ने मेडम?”

“सब ठीक है. स्टिचस ठीक हैं. 2 दिन में छुट्टी मिल जाएगी.”

“बहुत ख़ुस्सी हुई ये शन कर मेडम. डॉक्टर ने अतचा काम किया है.”

“तुम मुझे ना लाते तो कोई कुछ नही कर पाता.” शालिनी ने रोहित की आँखो में देख कर कहा. फिर से दोनो एक दूसरे की आँखो में डूब गये.

एक अनकहा प्यार पनप रहा था दोनो के बीच. जीशके बड़े में कुछ कहने की हिम्मत दोनो ही नही जुटा पा रहे थे. प्यार भी अजीब चीज़ है.

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मोहित संजय की तलाश में जुटा था. उसने संजय के घर के आस पास इंक्वाइरी की. किशी को संजय के बड़े में कुछ नही पता था. मोहित इसीसी बॅंक भी गया. वाहा भी कुछ पता नही चला.

“आख़िर गया कहा ये. इशे ज़मीन खा गयी या आसमान निगल गया. सिमरन की कार भी उशी के पास है अभी तक. चल कर उष्की पत्नी से ही बात कराता हूँ. उसे ज़रूर कुछ पता होगा.” मोहित ने सोचा.

मोहित, मोनिका से मिलने उशके घर पहुँच गया. लेकिन वाहा चल कर उसने पाया की मोनिका खुद व्यतीत है संजय को लेकर. उसे भी संजय का कुछ आता पता नही था.

मोहित ने रोहित को फोन लगाया, “आप कह रहे थे ना की आपने कॉन्स्टेबल्स लगा रखे हैं निगरानी के लिए संजय और कर्नल के घर. पर कोई दीखाई तो दिया नही.”

“सब सिविल में होंगे. लेकिन अभी किशी ने कोई ख़ास खबर नही दी.”

“ह्म…सिर ये संजय तो अभी तक गायब है. किशी को उष्का कुछ आता पता नही. अब जबकि कर्नल से शक हट सा गया है, पूरा शक संजय पर गहराता जा रहा है. आपको क्या लगता है.”

“यार सच पूछो तो इतनी बार इतना कुछ लग चुका है की अब कुछ समझ में नही आता की मुझे क्या लगता है. ऐसा लगता है एक मायाजाल बना रखा है साएको ने हमारे चारो तरफ और हम लोग उसमें फँसते जा रहे हैं. वो हमें कहतपुतलियों की तरह नाचा रहा है.” रोहित ने कहा.

“हन लगता तो मुझे भी ऐसा ही है.”

“लेकिन मुझे यकीन है की एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब बाजी हमारे हाथ में होगी और हम एक गेम खेल रहे होंगे साएको के साथ.”

“मैं उष दिन का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा हूँ.” मोहित ने कहा.

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प़ड़्‍मिनी ने दिन भर दरवाजा भी बंद रखा और अपना फोन भी बंद रखा. वो राजू को देखने के लिए खिड़की में भी नही आई.

काई बार मन हुवा उष्का की फोन ऑन करके राजू से बात करे या फिर खिड़की से झाँक कर उसे देखे मगर कुछ सोच कर हर बार रुक जाती, “नही…नही उसे समझना होगा की मेरे साथ कैसे बिहेव करना है. क्या मैं कोई खिलोना हूँ जीशके साथ जैसे मर्ज़ी खेल लिया और चलते बने. मेरी भावनाओ की कदर करनी चाहिए उशे. प्यार का मतलब ये तो नही है की कुछ भी कर लो. आज बिल्कुल बात नही करूँगी…चाहे कुछ हो जाए..”

राजू दूरबेल बजा बजा कर तक गया मगर प़ड़्‍मिनी ने दरवाजा नही खोला. “यार ये अजीब मोहब्बत हो गयी है इनसे. लगता है यहा रोज कोई ना कोई नाटक झेलना पड़ेगा इनका. लगता है बर्बाद करड़ेगी मुझे ये मोहब्बत.”

तक हार कर राजू वापिस अपनी जीप में जाकर बैठ गया. रात के 12 बाज रहे थे तब. बहुत उदास और मायूस नज़र आ रहा था वो. काई बार बेल बजाई थी उसने मगर प़ड़्‍मिनी ने एक बार भी दरवाजा नही खोला था.

“क्या मैने आज कुछ ज़्यादा कर दिया. लेकिन प्यार में क्या ज़्यादा क्या कम. भावनायें साची हों तो क्या इन बातों से कोई फराक पड़ता है.” राजू सोच रहा था. सोचते सोचते उसे नींद की झपकीयाँ आ रही थी.

रात के ठीक 1 बजे एक कॉन्स्टेबल भागता हुवा राजू के पास आया.

“सिर…सिर…”

राजू की आँख लग गयी थी. वो फ़ौरन चोंक कर उठ गया, “क्या हुवा?”

“सिर घर के पीछे गन्मन और हवलदार मारे पड़े हैं.”

“क्या …”

राजू ने अपनी पिस्टल निकाल और घर के आगे खड़े गन्मन और कॉन्स्टेबल्स से कहा, “तुम लोग यहा से हिलना मत मैं अभी आया.”

राजू उष कॉन्स्टेबल को लेकर घर के पीछे की तरफ भागा. वाहा सच में गन्मन और कॉन्स्टेबल्स की लाषे पड़ी थी.

“लगता है साइलेनसर लगा कर शूट किया गया है इन्हे, क्योंकि गोली की ज़रा भी आवाज़ नही आई. बिल्कुल सर में गोली मारी गयी है.”

राजू ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और रोहित को फोन मिलाया. मगर फोन नही मिला. मिलता भी कैसे फोन में नेटवर्क ही नही था.

“अफ ये नेटवर्क को भी अभी गायब होना था. तुम्हारे फोन से ट्राइ करना रोहित सिर का नंबर.”

“सिर मेरे फोन में भी नेटवर्क नही है.”

“मेरी जीप में वाइर्ले पड़ा है उष से ट्राइ करते हैं.” दोनो भाग कर आगे आए.

“तुम ट्राइ करो और सारी सिचुयेशन बता दो.” राजू कह कर प़ड़्‍मिनी के घर की तरफ बढ़ा.

राजू ने लगातार घर की बेल बजानी शुरू कर दी.

प़ड़्‍मिनी गहरी नींद से आँखे मल्टी हुई बिस्तर पर बैठ गयी, “पागल हो गया है क्या ये राजू. रात के 1 बाज रहे हैं. बार-बार बेल क्यों बजा रहा है. प़ड़्‍मिनी खिड़की में आई और उसने जो बाहर देखा उसे देख कर उष्की रूह काँप उठी. जीप से सात कर एक नकाब पॉश खड़ा था और उशके हाथ में बंदूक थी. जीप में एक लाश सॉफ दीखाई दे रही थी.

राजू को ध्यान भी नही था की बाकी बचे पुलिस वाले भी शूट कर दिए गये हैं और अब उष पर निशाना लगाया जा रहा है. प़ड़्‍मिनी भाग कर आई नीचे. सीढ़ियों से गिराते-गिराते बची. फ़ौरन दरवाजा खोला और राजू को अंदर खींच कर कुण्डी लगा ली.

“प़ड़्‍मिनी जी…साएको है यहा.”

“हन मैने देखा उशे.” प़ड़्‍मिनी कांपाती आवाज़ में बोली.

“कहा देखा?”

“तुम्हारे जीप के पीछे छुपा था. खिड़की से देखा मैने. उसने सब को मार दिया.” प़ड़्‍मिनी तर-तर काँप रही थी.

“शायद उसने मोबाइल जॅमर लगा दिया है कही आस-पास. फोन में नेटवर्क नही आ रहा. किशी को बुला भी नही सकते.” राजू की आवाज़ में भी दर दीखाई दे रहा था.

“हे भगवान अब क्या होगा?”

“आप चिंता क्यों कराती हैं…मैं हूँ ना. मेरे होते हुवे आपको कुछ नही होगा.” राजू ने दिलासा दिया.

प़ड़्‍मिनी राजू से चिपक गयी और बोली, “अपनी चिंता नही है मुझे. तुम्हारी चिंता है. मेरे लिए अपनी जींदगी को ख़तरे में मत डालना चाहे कुछ हो जाए.”

“कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही हैं आप. आपके लिए तो कुछ भी कर सकता हूँ. मेरा हक़ मत चीनिए मुझसे.” राजू ने कहा.

“राजू तुम नही जानते. मैने एक सपना देखा था जीशमे साएको ने तुम्हे गोली मार दी थी.”

“ये साएको मेरा बाल भी बांका नही कर सकता. इश्कि तो मैं वात लगाने वाला हूँ आज.” राजू ने प़ड़्‍मिनी का दर कम करने की कोशिस की

अचानक कमरे की लाइट चली गयी.

“अब लाइट को क्या हो गया?”

“बहुत शातिर है. पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है” राजू कांपाती आवाज़ में बोला.

“राजू वो घर के आगे है. हम घर के पीछे से यहा से निकल कर भाग सकते हैं.”

“भागेंगे नही हम कही भी शन लीजिए आप. आज इसे साएको का खेल ख़त्म करना है.”

“तुम पागल हो क्या. सब पुलिस वाले मारे गये. तुम अकेले हो अभी. और वो खुणकार हत्यारा है. क्या मेरी बात नही मानोगे. प्लीज़ राजू. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकते.”

“बस आप ऐसे कहेंगी तो माना नही कर पवँगा. चलिए देखते हैं. लेकिन आप को सुरक्षित जगह छोड़ कर मैं वापिस आऊगा यहा.”

“चलो तो सही पहले”

राजू और प़ड़्‍मिनी घर के पीछे भाग की तरफ बढ़े. मगर जब उन्होने पीचला दरवाजा खोलने की कोशिस की तो उनके होश उस गये. पीचला दरवाजा बाहर से बंद था.

“इशे बाहर से किशणे बंद कर दिया ” प़ड़्‍मिनी ने आश्चर्या में कहा.

“और कौन करेगा साएको के शिवा.”

“हे भगवान ये क्या हो रहा है?”

प़ड़्‍मिनी और राजू बुरी तरह से घिर चुके थे. दोनो के ही मन में हज़ारों सवाल घूम रहे थे.
राजू ने प़ड़्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, “चलिए यहा से चलते हैं. किशी भी खिड़की या दरवाजे के पास रुकना ख़तरे से खाली नही है.”

“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो अंदर आ सकता है”

“उशे जो करना है करने दो. पिस्टल है मेरे पास भी.” राजू प़ड़्‍मिनी का हाथ पकड़ कर किचन के पास ले आया और बोला, “ये जगह ठीक है. किचन के बाहर रह कर हम हर तरफ नज़र रख सकते हैं. ”

“तुम्हे तो मेरे घर का चप्पा-चप्पा पता है. अंधेरे में भी किचन ढुंड लिया.”

“इश् जगह आपने मुझे एक अनमोल किस दी थी. वो किस कभी नही भूल पवँगा. ना ही ये जगह भूल पवँगा.”

“तुमने ली थी ज़बरदस्ती… मैने दी नही थी… भूल गये इतनी जल्दी” प़ड़्‍मिनी ने राजू के हाथ से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.

तभी कुछ आहत हुई और प़ड़्‍मिनी ने तुरंत राजू का हाथ पकड़ लिया, “ये कैसी आवाज़ थी.”

“शायद साएको घर में घुस्सने की कोशिस कर रहा है” राजू ने कहा.

“हे भगवान अब क्या होगा?”

“जो होगा देखा जाएगा…पहले आप ये बतायें की क्या नाटक है ये. जब मर्ज़ी हुई हाथ पकड़ लिया और जब मर्ज़ी हुई छोड़ दिया.”

प़ड़्‍मिनी ने तुरंत हाथ छोड़ दिया और बोली, “अब नही पाकडूँगी…ख़ूस्स.”

“ष्ह…ये कैसी आवाज़ है.” राजू ने कहा

“ये तो घर के उपर से आ रही है.”

“इश्का मतलब वो उपर किशी कमरे से घुस्सने की कोशिस कर रहा है.”

“ऐसा मत कहो…मुझे बहुत दर लग रहा है.”

“डरने की बजाए हमें कुछ करना होगा प़ड़्‍मिनी जी.”

“बताओ क्या करना है…मैं तुम्हारे साथ हूँ.”

“क्यों ना हम सीढ़ियों पर कोई चिकना प़ड़ार्थ गिरा दे जीश से की वो फिसल जाए और सीढ़ियों से लूड़क जाए. सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठीकने आ जाएगी उष्की. उशके गिराते ही हम उसे दबोच लेंगे.” राजू ने कहा.

“ये काम हमें तुरंत करना होगा” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“हन चलो….तुम किचन में ढुंड लॉगी ना आयिल अंधेरे में?”
“हन तुम यही रूको मैं आयिल का डिब्बा लाती हूँ.”

प़ड़्‍मिनी ने आयिल का डिब्बा राजू को दे दिया लाकर और बोला, “आप यही रूको…मैं ये आयिल सीढ़ियों पर गिरा कर आता हूँ.”

“नही मैं तुम्हारे साथ चलूंगी…अकेला नही छोड़ सकती तुम्हे.”

“जब इतना प्यार है आपको मुझसे तो सुबह से क्यों सब बंद करके बैठी थी. दरवाजा भी बंद रखा और फोन भी बंद रखा.”

“बातें बाद में भी हो जाएँगी पहले ये काम कर लेते हैं.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“क्या करूँ ध्यान आप पर ही रहता है हर वक्त. निक्कममा कर दिया आपके प्यार ने मुझे.” राजू ने कहा.

दोनो बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे. सीढ़ियाँ चढ़ कर राजू ने सबसे उपर के स्टेप से आयिल गिराना शुरू किया और आधी सीढ़ियों तक आयिल गिरा दिया.

“इतने से काम बन जाएगा. सीधा नीचे गिरेगा आकर वो. जैसे ही नीचे गिरेगा वो मैं उसे गोली मार दूँगा.”

दोनो आकर वापिस किचन के बाहर बैठ गये.

“लेकिन राजू कोई आवाज़ नही आ रही अब कही से.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“वो ज़रूर घर में घुस्स चुका है…कयस आपके पास कोई टॉर्च है?”

“टॉर्च तो है पर वो मेरे बेडरूम में पड़ी है.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“आपके बेडरूम में तो अब हम जा ही नही सकते”

“लेकिन बहुत अजीब बात है कोई भी हलचल नही हो रही. बिल्कुल सन्नाटा है. कही वो चला तो नही गया.”

“बहुत शातिर दीमग है वो. हर हरकत सोच समझ कर कराता है. वो यही कही है…” राजू ने कहा.

“राजू तुम्हे क्या लगता है…क्या हम जींदगी में साथ रह पाएँगे?”

“बिल्कुल रहेंगे साथ और बहुत प्यार से रहेंगे…ऐसा क्यों पूछ रही हैं.”

“अपने सपने से दर लगता है. तुम्हे पता है भगवान ने मुझे ये अजीब सा गिफ्ट दिया है. बचपन से लेकर आज तक मेरे काई सपने सच हुवे हैं. होने वाली घतनाओं का पूर्वाभास हो जाता है मुझे. जब से सपने में तुम्हे गोली लगते देखा तब से बेचैन हूँ मैं.”

“मतलब आप बहुत पहले से प्यार कराती हैं मुझे. मगर अब तक दिल में छुपा रखा था ये प्यार. हसिनाओ की यही दिक्कत होती है, प्रेमी को तडपा तडपा कर मार डालो पहले फिर ई लव यू बोल दो.”

“ऐसा नही है राजू…तुमसे प्यार तो हो गया था मगर समझ नही पा रही थी की कैसे कहूँ. दिल की बात ज़ुबान पर आकर अटक जाती थी.”

“मगर आपकी मृज्नेयनी आँखो में मैने हमेशा अपने लिए कुछ देखा. पर समझ नही पाता था की क्या है. बस अंदाज़ा ही लगाता था की हो ना हो आपकी आँखो में प्यार है मेरे लिए.”
“हन शायद जो बात ज़ुबान नही कह पा रही थी वो मेरी आँखे कह रही थी.सब अपने आप हो रहा था. मेरे बस में कुछ भी नही था. बस में होता तो शायद तुमसे प्यार ना कराती.”

“ऐसा क्यों कह रही हैं आप?”

“मुझे तुम्हारी कुछ बातें बिल्कुल आतची नही लगती…फिर भी ना जाने क्यों प्यार हो गया तुमसे.”

“क्या आप अब पचता रही हैं?”

“नही पचता नही रही हूँ बस परेशान हूँ तुम्हारी हरकतों से. क्या तुम शालीनता से पेश नही आ सकते मेरे साथ?”

राजू, प़ड़्‍मिनी की तरफ सरका और उसे पकड़ कर ज़बरदस्ती फार्स पर लेता कर उष पर चढ़ गया.

“अगर आप जैसी हसीना से शालीनता से पेश आऊगा तो आपकी शुनदराता का अपमान होगा वो. मैं ये गुनाह नही कर सकता.”

“क्या कर रहे हो हटो..क्या ये वक्त है ये सब करने का..साएको घूम रहा है यहा हमारी जान के पीछे.” प़ड़्‍मिनी ने राजू को हटाने की कोशिस की मगर राजू नही हटा.

“तभी तो ये प्यार करना ज़रूरी है…क्या पता कल हो ना हो…जींदगी का कोई भरोसा नही है.”

प़ड़्‍मिनी अब तक छटपटा रही थी राजू के नीचे मगर राजू की ये बात शुंते ही शांत हो गयी और उशके मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा नही कहते…तुम्हे कुछ नही होगा. मैं बस ये कह रही हूँ की मैं तुम्हारी हूँ…तोड़ा संयम रखो.”

“यही बातें तो प्यारी लगती हैं आपकी. पर ये मुझे और ज़्यादा भड़का देती हैं. आपसे दूर नही रह सकता अब.”

“हद है ये तो…छोड़ो मुझे. तुम सच में पागल हो.”

“हन आपके प्यार में पागल हिहिहीही.”

तभी धड़ाम की आवाज़ हुई और राजू फ़ौरन प़ड़्‍मिनी के उपर से हट गया और अपनी पिस्टल उठा ली. प़ड़्‍मिनी भी फ़ौरन उठ गयी.

“ये कैसी आवाज़ थी. क्या वो सीढ़ियों से गिर गया.” प़ड़्‍मिनी ने कहा

“नही ये गिरने की आवाज़ तो नही लगती…क्योंकि ये आवाज़ सीढ़ियों से तो नही आई.”

तभी उन्हे कदमो की आहत शुनाई दी.

“वो उपर है राजू. वो घर में घुस्स चुका है.”

“आने दो उशे…सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठीकने आ जाएगी.” राजू ने कहा.

उपर से रह रह कर कदमो की आवाज़ आ रही थी. राजू और प़ड़्‍मिनी सहमे बैठे थे चुपचाप नीचे एक दूसरे के पास. प़ड़्‍मिनी तो काँप उठती थी हर आहत पर. साएको का ख़ौफ़ दोनो पर ही असर दीखा रहा था पर.

“राजू क्या कल की सुबह देख पाएँगे हम?”

“ज़रूर देखेंगे कल की सुबह. सुबह आपकी बिना कोलगेट वाली पप्पी भी लेनी है. ”

” ये वक्त है क्या मज़ाक करने का.”

“मैने मज़ाक नही किया.”

“हे भगवान यू अरे टू मच.”

“प़ड़्‍मिनी जी आप परेसां क्यों हो रही हैं.”

“जी क्यों लगाते हो बार बार माना किया था ना मैने.” प़ड़्‍मिनी ने कहा

“ओह सॉरी प़ड़्‍मिनी…आगे से ऐसा नही होगा.”

“प़ड़्‍मिनी मैं ये कहना चाहता था की आप चिंता मत करो ये साएको हमारा कुछ नही बिगाड़ पाएगा.”

“मुझे ये बात समझ में नही आती की इसे साएको को लोगो का खून करने से मिलता क्या है.”

“क्या पता क्या मिलता है.आज इशी से पूछ लेते हैं. ” राजू ने कहा.

“ष्ह…शुन्ओ ये पुलिस साइरन की आवाज़ है ना?”

“हन आवाज़ तो वही है…शायद उसने मरने से पहले वाइर्ले से मेसेज भेज दिया था.” राजू ने कहा

“अगर ऐसा है तो ये साएको बचना नही चाहिए आज…बहुत हो गया उष्का तमासा.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“लेकिन अजीब बात है…ये साएको उपर ही घूम रहा है बहुत देर से. कर क्या रहा है ये उपर?”

“कही वो सीढ़ियों की बजाए कही और से तो नही आ रहा?”

“और कौन सा रास्ता है…यहा आने का.?”

“काई खिड़कियाँ हैं नीचे.”

“सभी कमरो के दरवाजे चेक करते हैं” राजू ने कहा.

“हन चलो…वैसे नीचे कोई हलचल तो शुनाई नही दी.”

“फिर भी हूमें हर कमरे के दरवाजे को लॉक कर देना चाहिए.” राजू कह कर हटा ही था की घर का मुख्या द्वार खड़कने लगा ज़ोर-ज़ोर से.

“पुलिस वाले पहुँच गये शायद.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“आप यही रुकिये मैं देखता हूँ.”

“नही मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

राजू दरवाजे के पास आया प़ड़्‍मिनी को लेकर और छील्ला कर बोला, “हू इस तीस?”

“राजवीर मैं हूँ रोहित…ओपन थे दूर.” बाहर से आवाज़ आई

राजू ने दरवाजा खोला, “सिर आपको मेसेज मिल गया था?”

“हन प़ड़्‍मिनी कहा है…ठीक तो है ना वो?” रोहित ने पूछा.

“हन मैं ठीक हूँ रोहित.”

“हमने पूरे घर को घेर लिया है. लाइट भी आ जाएगी थोड़ी देर में.” रोहित ने कहा.

“सिर लगता है साएको उपर है…बहुत हलचल हो रही थी उपर.”

“2 लोग यही रूको…बाकी मेरे साथ आओ.” रोहित ने सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हुवे कहा.

“सिर सीढ़ियों से नही जा सकते आप.”

“क्यों?”

“सीढ़ियों पर हमने आयिल गिरा रखा था साएको को गिराने के लिए. पर वो उपर से नीचे आया ही नही. पता नही क्या कर रहा है उपर?”

“ह्म…कोई और रास्ता देखना होगा.” रोहित ने कहा.

रीडीमेड सीधी मंगाई गयी प़ड़ोष से और उसे बाहर प़ड़्‍मिनी के रूम की खिड़की के बाहर लगा दिया गया. घर की लाइट भी ठीक कर दी गयी.

“राजवीर तुम प़ड़्‍मिनी के साथ ही रहो…नीचे हर तरफ नज़र रखना.”

“जी सिर.” राजू ने कहा.

रोहित उपर पहुँचा तो हैरान रह गया. प़ड़्‍मिनी के कमरे में बिस्तर पर एक पैंटिंग पड़ी थी. साएको कही नही दीख रहा था.

“हर तरफ ध्यान से देखो…वो ज़रूर यही कही होगा.” रोहित ने कहा.

रोहित ने पैंटिंग को गौर से देखा. पैंटिंग में घुतनो पर सर टीका कर एक लड़की बैठी थी. उष्की पीठ में खंजर गाड़ा था. लड़की का चेहरा प़ड़्‍मिनी से मिलता जुलता था. लड़की के चारो तरफ हरी हरी घास थी.

“सिर यहा कोई भी नही है.”

“ऐसा कैसे हो सकता है. दुबारा अतचे से चेक करो.”

रोहित ने खुद उपर के फ्लोर को अतचे से चेक किया पर वाहा साएको का नामो निशान नही था.

“हमारे आते ही निकल गया क्या वो. इतना डरपोक है तो क्यों कराता है ये काम.” रोहित ने सोचा.

“राजू ने कहा की वो बहुत देर से उपर ही था. क्या कर रहा था वो यहा? क्या वो प़ड़्‍मिनी के लिए नही आया था यहा? क्या उसे सिर्फ़ ये पैंटिंग रखनी थी यहा? या फिर हो सकता है की हमारे साइरन की आवाज़ शन कर भागा हो. साएको का मायाजाल है ये…कुछ भी हो सकता है.”

घर के आस-पास हर तरफ देखा गया मगर साएको नही मिला.

“वो प़ड़्‍मिनी के कमरे की खिड़की से दाखिल हुवा था अंदर. खिड़की का दरवाजा टूटा हुवा है.” रोहित ने कहा.

“सिर बहुत देर रहा उपर वो…क्या किया होगा उसने उपर इतनी देर?” राजू ने पूछा

“उपर एक पैंटिंग पड़ी है…लेकिन वो यहा आकर तो नही बनाई उसने. कलर फ्रेश तो नही हैं. पता नही क्या किया उसने इतनी देर उपर. शायद दहशत फैलाना चाहता हो प़ड़्‍मिनी के मन में. या फिर वो नीचे आता थोड़ी देर में पर पुलिस के आते ही भाग गया.”

“सिर यहा जो लोग भी थे मेरे साथ सब मार दिए उसने. बंदूक की गोली की एक आवाज़ तक नही शुनाई दी. सभी को शूट किया उसने चुप कर.” राजू ने कहा.

“ह्म…बहुत बुरा हुवा…ये पुलिस वालो को मारे जा रहा है और हम कुछ नही कर पा रहे.”

“सिर आज बचता नही वो अगर नीचे आता तो. हमने आयिल गिराया था सीढ़ियों पर लेकिन वो हमारे जाल में फँसा ही नही.”

“मैं तुम्हे दूसरे लोग दे देता हूँ…फिलहाल निकलता हूँ. सहर में एक रौंद ले लेता हूँ. कही से तो भागा होगा वो.” रोहित ने कहा.

रोहित 4 कॉन्स्टेबल और 2 गन्मन वही छोड़ कर चला गया. मोबाइल जॅमर का कुछ पता नही चला. वैसे फोन में सिग्नल वापिस आ गया था. शायद साएको अपना जॅमर वापिस ले गया था.

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 49

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by novel » 16 Oct 2015 20:32

रोहित के जाने के बाद राजू ने कॉन्स्टेबल्स और गन्मन को तैनात कर दिया. बाहर अतचे से सभी को सतर्कता का आदेश दे कर राजू वापिस प़ड़्‍मिनी के पास आया और बोला, “अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं आपके साथ ही रहना चाहूँगा”

“नही तुम मेरे साथ नही रह सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है.”

“पर मैं आपको अब अकेला नही छोड़ सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साएको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है.”

“कैसी गड़बड़?”

“देखिए ना उसने सभी को मार दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उशके कंट्रोल में था…फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरब्णाक गेम लगती है उष्की जो की हम समझ नही पा रहे.”

“डराव मत मुझे.”

“देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा…यही अंदर.”

“तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?”

“आपकी कसम खा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है.”

“ठीक है फिर…मैं मम्मी-अंकली के कमरे में शो जाती हूँ तुम उष कमरे में शो जाओ.”

“नही ये नही चलेगा.”

“तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम”

राजू ने प़ड़्‍मिनी को बाहों में भर लिया और बोला, “बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से.”

“हन पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे दर लगता है.”

“किश बात का दर?”

“छोड़ो तुम नही समझोगे…”

“ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में शो जाओ मैं चदडार बीचा कर उशके बाहर लाते जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है.”

“पर तुम ज़मीन पर कैसे शो पाओगे.”

“आपके लिए कही भी शो जवँगा. और वैसे भी मुझे जागना है. दीमग की दही कर दी है इसे साएको ने. सब को मार कर घर में घुस्सा और बिना किशी हंगामे के चुपचाप चला गया. इसे पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी…आप निश्चिंत हो कर शो जाओ.”

“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी शोन की कोशिस कराती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है.”

“हन आप शो जाओ…लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ.” राजू ने प़ड़्‍मिनी के होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच.

प़ड़्‍मिनी ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.

“बस अब जौन…हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा.”

“क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इसे सब के लिए.” राजू ने कहा.

“रहने दो प्यार मैं भी कराती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो.”

प़ड़्‍मिनी ने राजू को एक चदडार और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, “यहा नींद ना आए तो उष बेडरूम में शो जाना जाकर.”

“जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लॉरी शुना कर शूला दूँगा आपको.”

“पता है मुझे तुम क्या शुनाओगे…गुड नाइट.” प़ड़्‍मिनी बेडरूम में घुस्स गयी.

राजू चदडार बीचा कर लाते गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.

“क्या चाहता है ये साएको…हर बार कुछ अलग सा कराता है. इसे बार क्या गेम है इश्कि. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए.”

राजू के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उष्की आँखो से. उष्की आँखो के सामने सब कुछ हुवा था. इश्लीए उशके दीमग का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.

“वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पुलिस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उशके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी…वेरी स्ट्रेंज.” राजू ने सोचा.

नींद प़ड़्‍मिनी की आँखो से भी कोसो दूर थी. साएको का ख़ौफ़ उशके दिलो दीमग को घेरे हुवे था.अचानक उसे ख्याल आया, “मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो राजू को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी.”

कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, “तुम जाग रहे हो.”

“आपके बिना नींद कैसे आएगी.”

“रहने दो…मैं ये कहने आई थी की दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फार्स पर नींद नही आएगी.”

राजू उठा और प़ड़्‍मिनी के पास आ कर उशके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहा. सच तो ये है की हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी.” राजू ने कहा

“ऐसा कुछ नही है…मुझे तो इसे साएको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?”

“तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप.”

“हन बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं” प़ड़्‍मिनी ने हंसते हुवे कहा.

“अतचा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी.”

प़ड़्‍मिनी ने राजू के मूह पर हाथ रखा, “चुप रहो…मज़ाक कर रही थी मैं.”

राजू ने प़ड़्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, “आओ ना साथ लाते कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रह कर ये पल हसीन बना दें.”

“नही राजू मुझे नींद आ रही है…जाने दो”

“झुत…प्यार में साथ रहना चाहिए ना की अलग-अलग. नींद आएगी तो यही शो जाना”

“राजू मज़ाक नही है ये कोई…छोड़ो.” प़ड़्‍मिनी ने गुस्से में कहा.

“आप को साथ रहने को बोल रहा हूँ…कोई सुहाग्रात मनाने को नही बोल रहा. जाओ जाना है तो…मुझे तो नींद नही आ रही.” राजू ने प़ड़्‍मिनी का हाथ छोड़ दिया.

राजू फार्स पर पड़ी चदडार पर आ कर लाते गया प़ड़्‍मिनी खड़ी-खड़ी देखती रही. अजीब सी स्तिति में फँस गयी थी वो. राजू की नाराज़ भी नही देख सकती थी और उशके पास भी नही जा सकती थी.

“कैसे लाते ज़ाऊ इशके पास जाकर…इश्का भरोसा तो कोई है नही.” प़ड़्‍मिनी ने सोचा.

राजू आँखो पर बाजू रख कर पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे की बहुत नाराज़ है प़ड़्‍मिनी से. प़ड़्‍मिनी खड़े-खड़े उसे देख रही थी. अजीब कसंकश में थी वो. ना वो राजू को नाराज़ छोड़ कर वापिस बेडरूम में जा सकती थी और ना राजू के पास जा कर लाते सकती थी. कुछ सोच कर वो आगे बढ़ी और राजू के पास आकर बैठ गयी और धीरे से बोली, “नाराज़ हो गये मुझसे?”

राजू ने कोई जवाब नही दिया. चुपचाप पड़ा रहा.

“बात नही करोगे मुझसे…” प़ड़्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

“ओह आप…आप कब आई. मुझे तो नींद आ गयी थी.” राजू ने कहा.

“नाराज़ हो गये मुझसे?”

राजू अचानक उठा और प़ड़्‍मिनी को बिस्तर पर लेता कर चढ़ गया उशके उपर.

“आपसे नाराज़ हो कर कहा जवँगा. मुझे पता था की आप ज़रूर आएँगी.”

“मैं बात करने आई हूँ ना की ये सब करने…हटो.” प़ड़्‍मिनी चटपटाते हुवे बोली.

राजू ने बिना कुछ कहे प़ड़्‍मिनी की गर्दन पर अपने गरम-गरम होन्ट टीका दिए. प़ड़्‍मिनी के शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी. वो बोली, “हट जाओ राजू…प्लीज़.”

मगर राजू प़ड़्‍मिनी की गर्दन को यहा वाहा चूमता रहा. प़ड़्‍मिनी छटपटाती रही उशके नीचे.

अचानक वो रुक गया और अपने होन्ट हटा लिए प़ड़्‍मिनी की गर्दन से.

“क्या बात है. आपके हर अंग में कामुक रस है. मृज्नेयनी सी आँखें हैं आपकी और मृज्नेयनी सी ही गर्दन है. मज़ा आ गया”

“अब हतने का कास्ट करोगे?”

राजू हँसने लगा और बोला, “बिल्कुल नही…आज थोड़ा आगे बढ़ेंगे प्यार में.”

“क्या मतलब?”

राजू ने प़ड़्‍मिनी के उभारो को थाम लिया दोनो हाथो से. प़ड़्‍मिनी के पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

“राजू…ये क्या कर रहे हो…हटो.” प़ड़्‍मिनी ने राजू के हाथ दूर झटक दिए.

“छू लेने दीजिए ना…प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही.”

“अब तो ये सब मज़ाक ही बन चुका है. तुम मेरे शरीर से खेल रहे हो और कुछ नही. शक होता है मुझे की ये प्यार है तुम्हारा या हवस.”

“लोवे इस प्यूरेस्ट फॉर्म ऑफ लस्ट…ई गेस. जब प्यार हो गया आपको मुझसे तो खुद को बंधनों में क्यों जाकड़ रखा है आपने. आज़ाद कीजिए खुद को और मेरे साथ प्यार के हसीन सफ़र पर चलिए. यकीन डीलाता हूँ आपको की आप निराश नही होंगी.”

राजू ने फिर से प़ड़्‍मिनी के उभारों को थाम लिया और उन्हे ज़ोर से दबाते हुवे बोला, “माफ़ कीजिएगा मुझे पर मैं अपनी प्रेमिका से दूर नही रह सकता. वो भी तब जब वो मुझे बहुत प्यार कराती है.”

अपने उभारों पर राजू के हाथों का कसाव पड़ने से प़ड़्‍मिनी सिहर उठी. उष्की साँसे तेज हो गयी और टांगे काँपने लगी. हिम्मत जुटा कर वो बोली, “राजू ई हटे यू.”

“मज़ाक कर रही हैं आप है ना.”

“मज़ाक नही है ये. ये प्यार नफ़रात में बदल जाएगा अगर तुम नही रुके तो.”

राजू ने प़ड़्‍मिनी के उभारों को छोड़ दिया और प़ड़्‍मिनी के उपर से हट कर उशके बाजे में लाते गया, “आपकी नफ़रात मंजूर नही है. प्यार में दूरी सह लूँगा.”

“मेरी कुछ मर्यादें हैं. मैं ऐसा सोच भी नही सकती जैसा तुम मेरे साथ कर रहे हो. प्यार हुवा है हमें शादी नही जो की कुछ भी कर लोगे तुम.”

“मुझे तो शक है की शादी के बाद भी हम नझडीक आ पाएँगे या नही. आप कुछ भी नही करने देंगी मुझे.”

राजू करवट ले कर लाते गया.

“लो अब नाराज़ हो गये. अपने आप शैठानी करते हो और नाराज़ भी खुद ही हो जाते हो. ये बहुत बढ़िया है. ” प़ड़्‍मिनी ने कहा राजू के नझडीक आ कर उष से लिपट गयी.

“हट जाओ तुम अब मैं दूर ही रहूँगा तुमसे. मुझे कुछ नही चाहिए तुमसे. ना अब ना शादी के बाद.”

“प्यार कराती हूँ टुंडसे कोई मज़ाक नही. क्यों हटु मैं. हाँ मैं इतना आगे नही बढ़ सकती जितना तुम चाहते हो पर दूर मैं भी नही रह सकती तुमसे.”

“हाहहहाहा….ऐसा जोक आज तक नही शुना मैने. मेरे पेट में दर्द हो जाएगा हंसते-हंसते दुबारा मत शुणना ऐसा जोक.”

“मैं मज़ाक नही कर रही…काश तुम मुझे समझ पाते.” प़ड़्‍मिनी ने भावुक अंदाज में कहा.

राजू तुरंत प़ड़्‍मिनी की तरफ मुड़ा और देखा की प़ड़्‍मिनी सबक रही है.

“अरे इन मृज्नेयनी आँखों में ये आँसू क्यों भर लिए. प्यार में छोटी मोटी लड़ाई तो चलती रहती है.”

“चलती होंगी पर मुझसे तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त नही होती. मुझसे नाराज़ मत हुवा करो.” सारी दुनिया की मासूमियत झलक रही थी प़ड़्‍मिनी की इसे बात में.

राजू ने बाहों में भर लिया प़ड़्‍मिनी को और उशके माथे को चूम कर बोला, “बस चुप हो जाओ. मैं भी क्या करूँ मैं ऐसा ही हूँ. कंट्रोल नही होता मुझसे. ग़लत मत समझो मुझे. मेरी हर बात में प्यार है… बस प्यार. और ये प्यार जींदगी भर रहेगा.”

दोनो एक दूसरे की बाहों में खो गये. इसे कदर डूब गये एक दूसरे में की साएको को बिल्कुल भूल ही गये. कब नींद आ गयी दोनो को पता ही नही चला.
सुबह 8 बजे जब दूध वाले ने बेल बजाई तब प़ड़्‍मिनी की आँख खुली. वो पेट के बाल पड़ी थी और राजू उशके उभारों पर हाथ और टाँगो पर टाँग डाले पड़ा था.

प़ड़्‍मिनी ने धीरे से राजू का हाथ अपने उभारों से हटाया, “बदमाश कही का नींद में भी चैन नही इशे.”

मगर राजू की आँख खुल गयी और वो बोला, “क्या हुवा?”

“सुबह हो गयी है”

“अरे हम दोनो साथ शो गये थे…मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा.”

“दूध वाला है शायद. हटो मुझे जाने दो.”

“ऐसी नींद कभी नही आई जींदगी में. आने वाली जींदगी बहुत हसीन नज़र आ रही है मुझे. थॅंक यू प़ड़्‍मिनी मेरी जींदगी में आने के लिए.”

प़ड़्‍मिनी शर्मा गयी ये शन कर और बोली, “बस…बस रहने दो प्यार हो चुका है अब. फ्लर्ट की ज़रूरात नही है तुम्हे.”

“आपसे कभी फ्लर्ट नही किया. बस प्यार किया है.”

“तुम सच में पागल हो.”

“आपके प्यार में पागल हहहे.”

प़ड़्‍मिनी उठ कर चली गयी दूध लेने और राजू आँखे बंद करके वापिस हसीन ख़यालों में खो गया.

…………………………………………………………………….

रोहित रात भर साएको की तलाश में सहर में भटकने के बाद घर चला गया था. घर जा कर बिस्तर पर गिराते ही उसे बहुत गहरी नींद आ गयी थी.

सुबह 10 बजे उठा वो और तैयार हो कर 11 बजे हॉस्पिटल चल दिया. जब वो हॉस्पिटल पहुँचा तो स्प साहिब को डिसचार्ज किया जा रहा था. मगर शालिनी को अभी 1 दिन और हॉस्पिटल में रहना था. स्प साहिब को सी ऑफ करने के बाद वो आस्प साहिबा से मिलने पहुँचा.

जब रोहित कमरे में घुसा तो देखा की चौहान शालिनी से बात कर रहा था. शालिनी ने रोहित को देखा मगर इग्नोर करके चौहान से बाते कराती रही.

“ओह मिस्टर रोहित पांडे आए हैं. अतचा मेडम मैं चलता हूँ.” चौहान रोहित की तरफ हंसटा हुवा बाहर चला गया.

रोहित दूर खड़ा सब देखता रहा. वही खड़ा-खड़ा बोला, “मेडम कैसी हैं आप.”

“ठीक हूँ…जींदा हूँ…अभी तुम जाओ बाद में बात करेंगे.” शालिनी ने बेरूख़ी से कहा.
“तो चौहान अपनी गेम खेल गया. तभी हंस रहा था मेरी तरफ. कोई बात नही मेडम…प्यार पहली बार दूर नही हुवा मुझसे. अब तो आदत सी है इन बातों की. ख़ूस्स रहें आप हमेशा.” रोहित भारी मन से बाहर आ गया. उष्की आँखे नाम थी

पूरा दिन किशी काम में मन नही लगा रोहित का. बस अपनी जीप ले कर सहर में यहा वाहा घूमता रहा. दुबारा हॉस्पिटल नही गया वो. शाम को कोई 5 बजे थाने पहुँचा तो चौहान से वाहा भी सामना हो गया.

“मिस्टर रोहित पांडे कहा थे आप. कब से ढुंड रहा हूँ आपको.”

“फोन नो है शायद आपके पास मेरा.”

“ वो सब छोड़ो ये बताओ की तुम सस्पेंड होने के बाद कहा चले गये थे.”

“क्यों आपको क्या लेना देना.”

“क्योंकि आपको वापिस वही जाना पड़ेस्गा आप सस्पेंड हो गये हैं हहेहहे.”

रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी ये शन कर.

“क्या बकवास कर रहे हो. क्या आस्प साहिबा ने आपको नही बताया. आप तो बहुत मिलते जुलते हैं आजकल उनसे.”

रोहित दाँत भींच कर रह गया. मन तो कर रहा था की मूह तौड दे चौहान का मगर चुप रहा.

चौहान ने उसे सस्पेन्षन ऑर्डर थमाया और बोला, “ये लो और दफ़ा हो जाओ यहा से. और इसे बार वापिस आने की सोचना भी मत क्योंकि मैं ऐसा कभी नही होने दूँगा.”

“ग्रेट बस अब यही होना बाकी था. मेडम को पता था इसे बड़े में पर बताया नही मुझे. सब कुछ कितना अतचा हो रहा है.”

रोहित अपनी पिस्टल बेल्ट थाने में जमा करवा कर पैदल ही निकल पड़ा थाने से. पीछे से भोलू ने आवाज़ दी, “सिर रुकिये मैं आपको अपने स्कूटर से छोड़ देता हूँ.”

“नही रहने दो भोलू. जींदगी सड़को पर ही बीताई है ज़्यादातर धक्के खाते हुवे. आतची बात है…कुछ पूरेानी यादें ताज़ा हो जाएँगी. वैसे मेरी जगह किशको दिया जा रहा है ये साएको का केस.


“सिर सिकेण्दर नाम है उनका. पूरा नाम नही पता मुझे. कल सुबह जाय्न कर लेंगे यहा. शुना है की काफ़ी शिफरिस लगवा रहे थे वो यहा आने के लिए. इसे केस पर तो ख़ास नज़र थी उनकी.”

“ह्म…ओक मैं चलता हूँ.”

रोहित थाने से बाहर आ गया और सोच में प़ड़ गया, “कल प़ड़्‍मिनी के घर अटॅक किया साएको ने. फिर बस एक पैंटिंग रखब कर चला गया. अब मेरा सस्पेन्षन हो गया. ये केस सिकेण्दर को मिल गया. सब कुछ जुड़ा हुवा है या फिर इत्तेफ़ाक है. कही सब कुछ साएको के मायाजाल का हिस्सा तो नही. और ये सिकेण्दर क्यों ज़ोर लगा रहा था यहा आने के लिए. ज़रूर कुछ गड़बड़ है. खैर अब मैं क्या कर सकता हूँ. मेडम नाराज़ हो गयी. नौकरी भी चली गयी. जींदगी भी क्या कुछ नही दीखती हमें.”

रोहित मुरझाया हुवा चेहरा ले कर आगे बढ़ा जा रहा था. रह-रह कर शालिनी का चेहरा उष्की आँखो के सामने घूम रहा था.

“एक और प्यार मेरे इज़हार करने से पहले ही ख़त्म हो गया. प़ड़्‍मिनी ने भी ठुकरा दिया था मेरा प्यार बिना मेरी बात शुणे. मेडम ने भी वही किया. लगता है किशमत में किशी का प्यार है ही नही.”

अचानक रोहित का फोन बजा और उष्का ध्यान टूटा.

“किशका फोन है?” रोहित ने फोन जेब से निकालते हुवे सोचा.

फोन मोहित का था.

“हेलो…हन मोहित हाउ अरे यू.”

“मैं ठीक हूँ सिर. आप शुनाए. राजू ने मुझे बताया की साएको ने प़ड़्‍मिनी के घर अटॅक किया कल रात.”

“ये राजू कौन है?” रोहित ने पूछा.

“सिर राजवीर को हम राजू कहते हैं.”

“ओह…हन साएको पूरी प्लॅनिंग से आया था मगर बिना कुछ किए चला गया. पुलिस वालो को मार कर घर में घुस्सा और एक पैंटिंग रख कर चला गया. प़ड़्‍मिनी तक पहुँचने की कोशिस ही नही की उसने. जबकि सब कुछ उशके कंट्रोल में था. मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा. ये एक मायाजाल है जीशमें हम सब उलझ चुके हैं.”

“सिर मायाजाल ठीक नाम दिया आपने इशे. सब कुछ उलझा हुवा है.”

“भाई मेरी नौकरी चली गयी है. मुझे सिर मत कहो. अब मैं इनस्पेक्टर नही हूँ. मुझे रोहित कहो..अतचा लगेगा मुझे.”

“नौकरी चली गयी…पर कैसे?”

“सस्पेंड हो गया हूँ मैं.”

“पर किश बात के लिए?”

“यहा किशी बात की ज़रूरात नही होती. अगर बात पूछने जाएँगे तो कोई भी उल जलूल बात बोल देंगे.”

“किशणे किया सस्पेंड आपका, क्या आस्प साहिबा ने?”

“नही इग साहिब ने सस्पेंड किया है. मेडम का कोई रोल नही है इसमें.”

“फिर अब आप क्या करोगे.”

“घर जा रहा हूँ फिलहाल. आगे का कुछ नही पता.”

“रोहित अगर बुरा ना मानो तो मेरे साथ आ जाओ. हम मिलकर कोई ना कोई सुराग ढुंड ही लेंगे साएको का.”

“यार क्या काहु तुम्हे. मैं खुद यही सोच रहा था की तुम्हारे साथ मिल कर इसे साएको की खोज जारी रखूँगा. मगर मोहित हमें कुछ हथियारों की ज़रूरात होगी. खाली हाथ साएको के पीछे घूमना ख़तरे से खाली नही. मेरी पिस्टल तो मैने जमा करवा दी है.”

“मेरे पास तो देसी कटता है एक. वही रखता हूँ साथ.”

“उष से बात नही बनेगी. मैं कुछ कराता हूँ. पुलिस की नौकरी का एक्सपीरियेन्स कब काम आएगा. मैं तुम्हे 9 बजे अपने घर मिलूँगा. वही आ जाना. बैठ कर आगे का डिसकस करते हैं.”

“रोहित हमें ये जान-ना है को कर्नल के घर में कौन रह रहा था. मुझे लगता है की सब तार अब उशी घर से जुड़े हैं.”

“हन तुम ठीक कह रहे हो. अभी तक कर्नल के रिलेटिव्स के यहा से भी कुछ पता नही चला. शायद वाहा की लोकल पुलिस कोई इंटेरेस्ट नही ले रही.”

“कोई बात नही हम खुद भी जा सकते हैं वाहा पूचेटाछ करने.”

“हन ठीक है…तुम शाम को घर आना बाकी बातें वही होंगी.”

रोहित ने फोन काट दिया. जैसे ही उसने फोन जेब में रखा एक कार रुकी उशके सामने आकर. उसमे से मिनी निकली बाहर और बोली, “क्या हुवा इनस्पेक्टर साहिब…आज पैदल कहा घूम रहे हैं.”

“मैं अब इनस्पेक्टर नही हूँ…मेरा सस्पेन्षन हो गया है.”

“क्या? पर क्यों.”

“आपने बदनाम जो कर दिया था मीडीया में हमें.”

“देखिए पुलिस पर दबाव बना रही थी मैं और कुछ नही. नतिंग पर्सनल अगेन्स्ट यू.”

“जानता हूँ…यही तो आपका काम है.”

“उष दिन के लिए सॉरी. ज़्यादा तेज तो नही लगी थी आपको.”

“कोई बात नही मैं वो सब भूल चुका हूँ. मिनी तुम भी काफ़ी समय से इसे केस को फॉलो कर रही हो. क्या एक काम कर सकती हो.”

“हन बोलो.”

“पुलिस से तो निकल गया हूँ पर इसे केस को सॉल्व करके रहूँगा मैं. हम एक टीम बना रहे हैं…क्या तुम शामिल होना चाहोगी. बहुत हेल्प मिलेगी हमें.”

“ऑफ कोर्स मैं साथ हूँ तुम्हारे. बताओ क्या करना है.”

“आज रात ठीक 9 बजे मेरे घर पहुँच जाना. और तुम्हारे पास अब तक की जो भी जानकारी हो लेती आना.”

“ओक आ जवँगी मैं ठीक 9 बजे.”

मिनी कार में बैठ कर चली गयी.

“मिस्टर साएको बेशकमेरी नौकरी चली गयी मगर तुम्हारी तलाश अभी बाकी है. छोड़ूँगा नही तुम्हे मैं.” रोहित ने मन ही मन सोचा.

………………………………

शालिनी हॉस्पिटल के कमरे में उदास पड़ी थी. सुबह उसने रोहित को इग्नोर किया था और ठीक से बात भी नही की थी. लेकिन जबसे उसे रोहित के सस्पेन्षन का पता चला था तब से बार-बार दरवाजे की और देखती थी. कुछ भी आहत होती थी तो आँखो में उम्मीद लेकर दरवाजे की और देखती थी की कही रोहित तो नही.

“रोहित बहुत बुरा लग रहा है मुझे. तुम्हे बात किए बिना ही भगा दिया यहा से. पता नही क्या हो गया था मुझे. चौहान ने जो कुछ बताया तुम्हारे और उष्की बहन के बड़े में वो सब शन कर बहुत बुरा लगा. तुमने मुझे कुछ क्यों नही बताया जबकि मैने तुमसे पूछा भी था. अतचा नही लगा ये सब शन कर.” शालिनी मन ही मन सोच रही थी.

शालिनी ने फोन उठाया और रोहित को फोन मिलाया. मगर नेटवर्क बिज़ी होने के कारण फोन मिल नही पाया. रोहित ने भी शालिनी का फोन ट्राइ किया मगर एक बार भी नंबर नही मिला.अक्सर वक्त पड़ने पर कम्यूनिकेशन नही हो पाता. ऐसा ही कुछ शालिनी और रोहित के साथ हो रहा था.

“कही मेडम ने मेरे नंबर पर डाइवर्ट तो नही लगा दिया.” रोहित ने सोचा.

………………………………………

रात ठीक 9 बजे रोहित के घर साएको को ट्रॅक करने के लिए टीम तैयार हो रही थी. राजू भी आ गया था वाहा प़ड़्‍मिनी को लेकर. एक तरह से एक स्पेशल टास्क फोर्स तैयार हो रही थी.
रोहित ने सभी का सावागत किया घर पर.
“हम यहा एक ख़ास मकसद से एक्कथा हुवे हैं. जैसा की हम जानते हैं की सहर में साएको ने ख़ौफ़ मचा रखा है. हम सभी का कभी ना कभी सामना हो चुका है साएको से. इश्लीए ये हमारी मोरल ड्यूटी बनती है की उसे पकड़ने की हर संभव कोशिस करें.” रोहित ने कहा.

“मेरा कभी सामना नही हुवा साएको से” मिनी ने कहा.

“ओह मुझे लगा रिपोर्टर होने के नाते तुम भी कही ना कही टकरा गयी होहि साएको से. लेकिन एक बात शन लीजिए. साएको बिना नकाब के रोज हम सभी के सामने घूम रहा है. वो नकाब इश्लीए लगाता है अब क्योंकि वो समाज में अपनी इज़्ज़त खोने से डराता है. मिनी तुम शायद साएको से ज़रूर मिली होगी पर तुम्हे ये नही पता की वो साएको है.”

“ह्म इंट्रेस्टिंग.” मिनी ने कहा.

“सिर कल रात उसने बहुत अजीब किया प़ड़्‍मिनी के घर पर. उष्की क्या एक्सप्लनेशन है…वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने नही आएगा घर पर.?” राजू ने कहा

“इशी गूती को सुलझाने के लिए हम यहा एक्कथा हुवे हैं. चलिए हम सब मिल कर सोचते हैं की उसने ऐसा क्यों किया होगा.”

“उशे अपने विक्टिम में ख़ौफ़ फैलाने में मज़ा आता है. हो सकता है वो बस ये काम करने गया हो कल रात प़ड़्‍मिनी के घर.” मिनी ने कहा.

“लेकिन इशके लिए उसने बहुत बड़ा ख़तरा मोल लिया. कारण ज़रूर कोई बड़ा होना चाहिए.” रोहित ने कहा.

“हो सकता है की वो पुलिस से दर से भाग गया हो?” मोहित ने कहा.

“पर पुलिस बहुत देर से पहुँची थी. वो बहुत देर तक उपर घूमता रहा था.” राजू ने कहा.

“जो पैंटिंग वो लाया था वो भी कोई फ्रेश पैंटिंग नही थी. इश्लीए ये भी नही कह सकते की वो पैंटिंग बना रहा था उपर.” रोहित ने कहा.

“रोहित तुम सही कह रहे थे. ये ज़रूर्ब कोई मायाजाल है साएको का. उसने ऐसा क्यों किया ये सिर्फ़ वही बता सकता है.” मोहित ने कहा.

“मायाजाल तो है पर मुझे यकीन है की हम सब मिल कर इशे सुलझा सकते हैं.” रोहित ने कहा.

प़ड़्‍मिनी चुपचाप बैठी सब शन रही थी. रोहित ने उष्की तरफ देखा और बोला, “प़ड़्‍मिनी तुम भी कुछ बोलो.हम सब यहा एक मकसद से एक्कथा हुवे हैं. इसे से पहले की साएको हमारी आर्ट बना दे हमें उष्की आर्ट बनानी होगी. ये हम तभी कर पाएँगे जब हम उसे ढुंड लेंगे.”

“रोहित मेरे दीमग ने काम करना बंद कर दिया है. मैने उसे देखा था और देख कर भूल गयी. अगर उष्का चेहरा याद होता तो कुछ कर भी पाती…अब क्या करूँ कुछ समझ में नही आता.”

“कोई बात नही प़ड़्‍मिनी…तुम हमारे साथ हो यहा यही बड़ी बात है हमारे लिए. कुछ भी ध्यान आए तो शेयर ज़रूर करना.” रोहित ने कहा

“हन शुवर.” प़ड़्‍मिनी ने कहा.

“हमारा प्लान ऑफ आक्षन क्या है?” राजू ने कहा.

“हमें कर्नल के घर के रहाशया से परदा उठाना है. पता करना है की वाहा कौन रह रहा था. ये काम मैं और मोहित करेंगे.” रोहित ने कहा.

“मेरे लिए क्या हुकुम है.” मिनी ने पूछा.

“तुम कुछ भी इन्फर्मेशन नही लाई साएको के बड़े में.” रोहित ने कहा.

“जितना तुम्हे पता है उतना ही मुझे पता है. ज़्यादा कुछ मैं भी नही जानती.” मिनी ने कहा.

“लेकिन अब हमें सब कुछ जान-ना है इसे बड़े में. सभी एक दूसरे का नंबर ले लेते हैं. कोई भी नयी जानकारी मिलेगी किशी को तो तुरंत एक दूसरे से कॉंटॅक्ट करेंगे. और राजू तुम हर वक्त सतर्क रहना. साएको फिर से आएगा वाहा.”

“रोहित क्यों ना प़ड़्‍मिनी के घर के आस-पास ही हम भी एक कमरा ले लें. साएको प़ड़्‍मिनी के पीछे है. वो वही आएगा दुबारा. हम वही उसे ट्रॅप कर सकते हैं.”

“हन ठीक कह रहे हो. कल ही ये काम कर देंगे. दिन में हम चाहे कही भी रहें पर रात को प़ड़्‍मिनी के घर के आस-पास रहना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा.

बाते करते करते 10:30 हो गये. सभी अपने अपने घर चल दिए. रोहित राजू और प़ड़्‍मिनी के साथ अपनी कार ले कर चल दिया. उसे हॉस्पिटल जाना था शालिनी से मिलने के लिए. रास्ते में रोहित हॉस्पिटल की तरफ मूड गया और राजू प़ड़्‍मिनी के घर की तरफ. रोहित चाहता था की उन्हे घर तक छोड़ कर आए मगर राजू ने माना कर दिया, “सिर मैं संभाल लूँगा. आप चिंता मत करो.”

“साएको ने सबके दीमग हीला कर रखे हुवे हैं.” राजू ने कहा.

“हन…उशे समझना बहुत मुश्किल काम है.”

अचानक राजू ने एक जगह जीप रोक दी.

“क्या हुवा?”

“यहा से मेरा घर काफ़ी नझडीक है…क्या चलॉगी वाहा?” राजू ने कहा

“कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना.”

“ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए.” राजू ने हंसते हुवे कहा.

“अब क्या करूँ…चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा.”

“ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है.” राजू ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.

कोई 10 मिनिट में ही राजू अपने घर पहुँच गया.

“घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टाय्लेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी.” राजू ने टाला खोलते हुवे कहा.

“बस-बस ठाना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है.”

“हन पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे.” राजू ने कुण्डी खोलते हुवे कहा.

“आईए अंदर और इसे घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए.” राजू ने कहा.

प़ड़्‍मिनी अंदर आई तो हैरान रह गयी, “ऑम्ग ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है.”

“काई दीनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक कराता हूँ. सारी रात यही बीतनी है हमें”

“क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे.”

“क्या ये आपका घर नही.”

“नही वो बात नही है पर.”

“ओह हाँ ये आपकी हसियत के अनुसार नही है…हैं ना”

“ऐसा नही है राजू…मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इसे कमरे में कैसे रहेंगे.”

“क्यों कल रात हम एक साथ नही शोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए.” राजू ने कहा.

प़ड़्‍मिनी ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, “तुमसे इतना प्यार कराती हूँ की तुम्हारी कोई भी बात ताली नही जाती. उशी चीज़ का तुम फ़ायडा उठा रहे हो.”

कुछ देर प़ड़्‍मिनी राजू को काम करते हुवे देखती रही फिर खुद भी उशके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.

“पसीने-पसीने हो गयी मैं तो…नहाना पड़ेगा अब.”

“हन नहा लीजिए…यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है.”

“ठीक है फिर मुझे कोई टोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ.”

राजू ने एक टोलिया थमा दिया प़ड़्‍मिनी को और बोला, “वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी.”

“क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. इंतेज़ार करो यही चुपचाप…बदमाश कही के.” प़ड़्‍मिनी टोलिया ले कर बाथरूम में घुस्स गयी.

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 50

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 23 Oct 2016 20:35

कोई 20 मिनट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो राजू के होश उड़ गये.

“ऐसे क्या देख रहे हो.”

“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे शीने में.”

“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सूखने दो.”

राजू दूसरा टोलिया लेकर घुस गया बाथरूम में. वो कोई 10 मिनट में ही नहा कर निकल आया.

जब वो बाहर निकला तो पद्‍मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राजू उसके सुंदर शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नहीं पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राजू तो बस देखता ही रही गया. उसकी सांसें तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसों की रफ्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्‍मिनी के यौवन की शोभा बढ़ा रहे थे.

“अफ मैं पागल ना हो जाऊं तो क्या करूँ.” राजू ने मान ही मान सोचा.

राजू धीरे से आगे बढ़ा और दोनों हाथों से पद्‍मिनी के नितंबों को थाम लिया.

“आअहह” पद्‍मिनी उछाल कर आगे तरफ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्‍मिनी गुस्से में बोली.

“रोक नहीं पाया खुद को. सॉरी.”

“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अतचा तरीका है तुम्हारा.” पद्‍मिनी ने कहा.
“हाँ तरीका तो अतचा है हिहिहीही….”

“बदमाश को तुम एक नंबर को.”

“वो तो हूँ” राजू ने हंसते हुए कहा.

पद्‍मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”

राजू ने पीछे से आकर पद्‍मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्‍मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्‍मिनी ई लव यू.”

“ई लव यू टू राजू पर.”

“पर क्या?”

“हम दोनों बिलकुल अलग हैं राजू. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.”

“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”

“तुम्हें सब पता है…नाटक मत करो.”

पद्‍मिनी के इतने नज़दीक आकर राजू का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्‍मिनी को अपने नितंबों पर बहुत अतचे से फील हो रहा था.

“राजू प्लीज़ हटा लो इसे.”

“क्या हटा लंड. कुछ समझ में नहीं आया.” राजू ने पद्‍मिनी को और ज़ोर से काश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.

नितंबों पर लिंग की चुवन से पहले ही पद्‍मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्स से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.

“बोलिए ना क्या हटा लंड. आप नहीं बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”

पद्‍मिनी छटपटाने लगी राजू की बाहों में मगर राजू की पकड़ से निकलना आसाआन नहीं था.

“क्या मेरा लंड आपकी गान्ड को परेशान कर रहा है?”

“चुत उप! हाथ जाओ वरना जींदगी भर बात नहीं करूँगी तुमसे.” पद्‍मिनी चिल्लाई.

राजू तुरंत हाथ गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आंखें बंद करके.

“हाँ अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हें मनाने आना और तुम्हें फिर से मेरे शरीर से खेलने का मौका मिले.ई हटे यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नहीं शुनि कभी मैंने.” पद्‍मिनी ने कहा.

“अब आपको कभी कुछ नहीं कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राजू ने कहा.

राजू बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बीचा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्‍मिनी समझ गयी की राजू ने बिस्तर उसके लिए छोड दिया है. पद्‍मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनों में सर छुपा कर शूबकने लगी.

“मेरी भावनाओं की ज़रा भी कदर नहीं करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिश की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी की कैसा फील करती हूँ मैं अपने आंटी अंकल के बिना. क्या पूछा तुमने कभी की क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नहीं तुम्हें मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हें और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी इंतजार नहीं कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के शिवा कुछ नहीं दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिश नहीं करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हें पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी अंकल की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी दीखाई थी मगर अब सब खत्म सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रही गया है…इसे से आगे नहीं तरफ पा रहा है.,” पद्‍मिनी शूबक्ते हुए सोच रही थी.

राजू पद्‍मिनी के दिल की मनःस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आंखें बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नहीं कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नजदीकी और छेद चढ़ बर्दास्त नहीं आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका यौवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग दीखायगा सोचा नहीं था कभी.”

अचानक पद्‍मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मान ही मान कुछ फैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राजू की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राजू को पता तो चल गया था की पद्‍मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा.

“राजू नाराज़ रहोगे मुझसे?”

“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राजू ने कहा.

“क्या करूँ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नहीं रही सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”

“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नहीं.” राजू ने कहा.

“मज़ाक नहीं है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहां तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्‍मिनी शूबक्ते हुए बोली.

राजू मान ही मान मुस्करा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्‍मिनी को इसे मासूम प्यार के लिए पर पता नहीं क्यों पद्‍मिनी को थोड़ा और सताने का मूंड़ था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राजू ने कहा.

“नहीं अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रही कर जी नहीं सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्‍मिनी ने फिर से शूबक्ते हुए कहा.

अब राजू से रहा नहीं गया और उसने बाहों में भर लिया पद्‍मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रही गया. वो फौरन पद्‍मिनी से अलग हो गया.

“पद्‍मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”

“पता नहीं क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”

“क्या पागलपन है ये. कहा है कपड़े तुम्हारे?”

“ बिस्तर पर पड़े हैं.”

राजू अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहां से कपड़े उठा कर पद्‍मिनी के ऊपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुंह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना की मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सटी सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज्यादा खतरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. ई हटे यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नहीं चल पाई. आप रिश्ते निधा ही नहीं सकती.” राजू ने कहा.

पद्‍मिनी ने ये सब शुंते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो की राजू के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.

“ये क्या तमाशा है बंद करो ये नाटक!” राजू ज़ोर से चिल्लाया.

पद्‍मिनी शूबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राजू पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.

कमरे में एक दम खामोशी छा गयी. पद्‍मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राजू अपना सर पकड़ कर बैठा था.

………………………………………………………………………..

रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नहीं बात क्रएंगी या नहीं. एक बार मिल कर अपना पाक्स तो रख दम फिर जो उनकी इतचा होगी देख लेंगी.”
रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आंखें बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हें जगाना सही नहीं समझा और वापिस मूंड़ कर जाने लगा.

“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.

रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जगह रही हैं.”

“तुम मुझे सोने दोगे तब ना शो पवँगी. कहा थे सुबह से. फोन भी नहीं मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.

“मैडम आपने मुझे सुबह यहां से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आंखों में आँसू लेकर गया था यहां से.”

“जो बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”

“मैडम रीमा से प्यार नहीं किया कभी मैंने. हाँ अतचे दोस्त जरूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”

“क्या?” ये बात चौहान ने नहीं बताई मुझे.

“जी हाँ मैडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नहीं जगह पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नहीं. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”

“अगर चौहान राजी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”

“मैडम झूठ नहीं बोलूँगा. अब नहीं कर सकता शादी रीमा से.”

“क्यों नहीं कर सकते?”

“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”

“शायद मुझे पता है और शायद नहीं भी. खैर चोदा. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिश करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”

“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”

“हम भी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”

“मैडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नहीं है.”

“वेरी गुड. मेरी कहीं भी जरूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”

“थेन्क यू मैडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मान लेकर गया था यहां से. ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया ही उजाड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.

“रुको!”

“जी कहिए.”

“कुछ कहना चाहती थी पर चलो चोदा. फिर कभी…”

“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाएं फिरते हैं वो बात मगर कह नहीं पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मौका ही नहीं देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”

“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हें पता भी है?”

“जी हाँ पता है”

“फिर बोलने की क्या जरूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अतचा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”

“तुम जाते हो की नहीं…मेरे पास कुछ नहीं है कहने को. इस डेठ क्लीयर.”

“जी हाँ सब कुछ क्लीयर है स्प्राइट की तरह.”

“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के जख्म में दर्द होने लगा.

“क्या हुआ मैडम?”

“कुछ नहीं हँसने से पेट का जख्म दर्द करने लगा.”

“मेरे ऊपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अतचा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी खुशियाँ आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुश्कूराती रहें.”

“तुम कुछ भी कर लो मैं वो बोलने वाली नहीं हूँ.”

“यही तो मेरी बदकिशमति है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. शो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिलकुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”

“ऑल थे बेस्ट.” शालिनी ने कहा

रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.

“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मैडम को.”

“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”

“स्प साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”

“नहीं उनका केस तो डॉक्टर अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. स्प साहिब के खास दोस्त भी हैं. मैडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मैडम के पेट में.”

“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में आतची केर होती है. सभी अतचे डॉक्टर हैं.”

“जी हाँ. अभी अरे प्राउड ऑफ इट.”

अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.

“यार कही ये साइको का तो नहीं?”

रोहित ने फोन उठाया.

“हेलो.”

“हेलो इस तीस इंस्पेक्टर रोहित.”

“जी हाँ मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”

“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ इन्स्पेकटर गणेश.”

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