एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
कोई 20 मिनट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो राजू के होश उड़ गये.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे शीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सूखने दो.”
राजू दूसरा टोलिया लेकर घुस गया बाथरूम में. वो कोई 10 मिनट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो पद्मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राजू उसके सुंदर शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नहीं पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राजू तो बस देखता ही रही गया. उसकी सांसें तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसों की रफ्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्मिनी के यौवन की शोभा बढ़ा रहे थे.
“अफ मैं पागल ना हो जाऊं तो क्या करूँ.” राजू ने मान ही मान सोचा.
राजू धीरे से आगे बढ़ा और दोनों हाथों से पद्मिनी के नितंबों को थाम लिया.
“आअहह” पद्मिनी उछाल कर आगे तरफ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्मिनी गुस्से में बोली.
“रोक नहीं पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अतचा तरीका है तुम्हारा.” पद्मिनी ने कहा.
“हाँ तरीका तो अतचा है हिहिहीही….”
“बदमाश को तुम एक नंबर को.”
“वो तो हूँ” राजू ने हंसते हुए कहा.
पद्मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
राजू ने पीछे से आकर पद्मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्मिनी ई लव यू.”
“ई लव यू टू राजू पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनों बिलकुल अलग हैं राजू. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हें सब पता है…नाटक मत करो.”
पद्मिनी के इतने नज़दीक आकर राजू का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्मिनी को अपने नितंबों पर बहुत अतचे से फील हो रहा था.
“राजू प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लंड. कुछ समझ में नहीं आया.” राजू ने पद्मिनी को और ज़ोर से काश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबों पर लिंग की चुवन से पहले ही पद्मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्स से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लंड. आप नहीं बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
पद्मिनी छटपटाने लगी राजू की बाहों में मगर राजू की पकड़ से निकलना आसाआन नहीं था.
“क्या मेरा लंड आपकी गान्ड को परेशान कर रहा है?”
“चुत उप! हाथ जाओ वरना जींदगी भर बात नहीं करूँगी तुमसे.” पद्मिनी चिल्लाई.
राजू तुरंत हाथ गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आंखें बंद करके.
“हाँ अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हें मनाने आना और तुम्हें फिर से मेरे शरीर से खेलने का मौका मिले.ई हटे यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नहीं शुनि कभी मैंने.” पद्मिनी ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नहीं कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राजू ने कहा.
राजू बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बीचा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्मिनी समझ गयी की राजू ने बिस्तर उसके लिए छोड दिया है. पद्मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनों में सर छुपा कर शूबकने लगी.
“मेरी भावनाओं की ज़रा भी कदर नहीं करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिश की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी की कैसा फील करती हूँ मैं अपने आंटी अंकल के बिना. क्या पूछा तुमने कभी की क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नहीं तुम्हें मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हें और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी इंतजार नहीं कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के शिवा कुछ नहीं दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिश नहीं करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हें पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी अंकल की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी दीखाई थी मगर अब सब खत्म सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रही गया है…इसे से आगे नहीं तरफ पा रहा है.,” पद्मिनी शूबक्ते हुए सोच रही थी.
राजू पद्मिनी के दिल की मनःस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आंखें बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नहीं कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नजदीकी और छेद चढ़ बर्दास्त नहीं आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका यौवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग दीखायगा सोचा नहीं था कभी.”
अचानक पद्मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मान ही मान कुछ फैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राजू की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राजू को पता तो चल गया था की पद्मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा.
“राजू नाराज़ रहोगे मुझसे?”
“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राजू ने कहा.
“क्या करूँ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नहीं रही सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”
“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नहीं.” राजू ने कहा.
“मज़ाक नहीं है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहां तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्मिनी शूबक्ते हुए बोली.
राजू मान ही मान मुस्करा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्मिनी को इसे मासूम प्यार के लिए पर पता नहीं क्यों पद्मिनी को थोड़ा और सताने का मूंड़ था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राजू ने कहा.
“नहीं अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रही कर जी नहीं सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्मिनी ने फिर से शूबक्ते हुए कहा.
अब राजू से रहा नहीं गया और उसने बाहों में भर लिया पद्मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रही गया. वो फौरन पद्मिनी से अलग हो गया.
“पद्मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”
“पता नहीं क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”
“क्या पागलपन है ये. कहा है कपड़े तुम्हारे?”
“ बिस्तर पर पड़े हैं.”
राजू अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहां से कपड़े उठा कर पद्मिनी के ऊपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुंह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना की मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सटी सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज्यादा खतरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. ई हटे यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नहीं चल पाई. आप रिश्ते निधा ही नहीं सकती.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने ये सब शुंते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो की राजू के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.
“ये क्या तमाशा है बंद करो ये नाटक!” राजू ज़ोर से चिल्लाया.
पद्मिनी शूबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राजू पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.
कमरे में एक दम खामोशी छा गयी. पद्मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राजू अपना सर पकड़ कर बैठा था.
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रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नहीं बात क्रएंगी या नहीं. एक बार मिल कर अपना पाक्स तो रख दम फिर जो उनकी इतचा होगी देख लेंगी.”
रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आंखें बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हें जगाना सही नहीं समझा और वापिस मूंड़ कर जाने लगा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जगह रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना शो पवँगी. कहा थे सुबह से. फोन भी नहीं मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.
“मैडम आपने मुझे सुबह यहां से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आंखों में आँसू लेकर गया था यहां से.”
“जो बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मैडम रीमा से प्यार नहीं किया कभी मैंने. हाँ अतचे दोस्त जरूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नहीं बताई मुझे.
“जी हाँ मैडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नहीं जगह पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नहीं. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राजी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मैडम झूठ नहीं बोलूँगा. अब नहीं कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नहीं कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नहीं भी. खैर चोदा. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिश करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”
“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”
“हम भी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”
“मैडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नहीं है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी जरूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थेन्क यू मैडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मान लेकर गया था यहां से. ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया ही उजाड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.
“रुको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो चोदा. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाएं फिरते हैं वो बात मगर कह नहीं पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मौका ही नहीं देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हें पता भी है?”
“जी हाँ पता है”
“फिर बोलने की क्या जरूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अतचा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो की नहीं…मेरे पास कुछ नहीं है कहने को. इस डेठ क्लीयर.”
“जी हाँ सब कुछ क्लीयर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के जख्म में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मैडम?”
“कुछ नहीं हँसने से पेट का जख्म दर्द करने लगा.”
“मेरे ऊपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अतचा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी खुशियाँ आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुश्कूराती रहें.”
“तुम कुछ भी कर लो मैं वो बोलने वाली नहीं हूँ.”
“यही तो मेरी बदकिशमति है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. शो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिलकुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल थे बेस्ट.” शालिनी ने कहा
रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मैडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“स्प साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नहीं उनका केस तो डॉक्टर अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. स्प साहिब के खास दोस्त भी हैं. मैडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मैडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में आतची केर होती है. सभी अतचे डॉक्टर हैं.”
“जी हाँ. अभी अरे प्राउड ऑफ इट.”
अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.
“यार कही ये साइको का तो नहीं?”
रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो.”
“हेलो इस तीस इंस्पेक्टर रोहित.”
“जी हाँ मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”
“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ इन्स्पेकटर गणेश.”“हाँ बोलिए.”
“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहां. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहा है उन्हें भी कुछ नहीं पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”
“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इसे सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”
“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बताओ बताओ में बोल दिया था उसे की वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ़्रेंड सीसी को दे रहा है. ज्यादा बात नहीं हुई इसे बारे में उनकी. यही पता चला यहां, सोचा आपको बता दम. मीडिया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इसे से कुछ मदद मिले. ऑल थे बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.
“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इसे सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लीयर है अब की कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी इस साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनों एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम कहा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नहीं है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी- अंकल की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिलकुल भी मान नहीं लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हें इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राजू कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहा जाऊंगी मैं.”
“तुम्हें मैंने पहले भी बताया है की 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नहीं जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा की कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अतचे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैंने अपने पेरेंट्स को दुख के शिवा कुछ नहीं दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राजू मैंने कोशिश की थी रिश्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डीमानड होती थी. शर्म आती थी मुझे रोज-रोज अपने अंकल से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नहीं भरता था. मैं सब कुछ छोड कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैंने ये गलत किया था राजू. क्या रिश्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. अंकल बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड कर घर आई थी. कई दिन तक उन्होंने बात तक नहीं की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेयर करना चाहती हूँ. अगर तुम नहीं शुनोगे, मुझे नहीं समझोगे तो कहा जाऊंगी मैं. अपने मान मंदिर में तुम्हें बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राजू के मुंह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती मैं. हाँ मैं खुद तुम्हें बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अतचा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैंने सोचा जब तुम्हें मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी की शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे तरफ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हें देने में हर्ज ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नहीं पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा तुम्हें. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नहीं हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैंने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है की तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नहीं पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ कर दो पद्मिनी. आगे से ऐसा नहीं होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राजू ई लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी की तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आंखों में मैंने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नहीं कर लिया मैंने. एक अतचे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आंखों में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना ख़ूस्स मैं अब हूँ इतना ख़ूस्स जींदगी में कभी नहीं रहा. आंटी अंकल की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहां वहां घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत की मैं पागल हो गया हूँ. इसे पागल पान में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राजू थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हें मुझसे दूर तो नहीं कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नहीं जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राजू ने पद्मिनी को ज़ोर से जकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, एट लास्ट जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नहीं होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नहीं सकता.”
“अफ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिलकुल नहीं…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनों को ध्यान से शुनूँगा. तुम्हारी मृज्नेयनी आंखों में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिश करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं आने दूँगा. आंखों में आँसू आएँगे तो मैं उन्हें अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ खुद भी खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नहीं छोड सकता. आख़िर आशिक हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिशाल कायम करोगे शायद.”
“बिलकुल करूँगा. तुम साथ डोगी तो मिशाल कायम हो ही जाएगी.” राजू ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमें नया क्या है. लेकिन अब और मजा आएगा.”
“चलो चोदा मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नहीं…जंग में कई बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राजू.”
“हाँ तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब शोते हैं.” राजू पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेटुन.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नहीं है.” राजू ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुश्कान लिए राजू के साथ बिस्तर पर आ गयी. राजू ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नहीं हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राजू.. सॉरी …दुबारा ऐसा नहीं होगा. मैं भी कम पागल नहीं हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही कामसूठरा के सारे आसान आजमा लेता तुम्हारे ऊपर फिर तुम्हें पता चलता की मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराव मत मुझे तुम वरना शादी नहीं करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हें मान से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हें…ई लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नहीं हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नहीं है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हाँ कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राजू आगे बढ़ा और अपने होठों को पद्मिनी के होठों पर टीका दिया. पद्मिनी ने राजू के होठों को अपने होठों में जकड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की. ये एक ऐसी किस थी जीशमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनों एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 51
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे शीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सूखने दो.”
राजू दूसरा टोलिया लेकर घुस गया बाथरूम में. वो कोई 10 मिनट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो पद्मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राजू उसके सुंदर शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नहीं पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राजू तो बस देखता ही रही गया. उसकी सांसें तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसों की रफ्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्मिनी के यौवन की शोभा बढ़ा रहे थे.
“अफ मैं पागल ना हो जाऊं तो क्या करूँ.” राजू ने मान ही मान सोचा.
राजू धीरे से आगे बढ़ा और दोनों हाथों से पद्मिनी के नितंबों को थाम लिया.
“आअहह” पद्मिनी उछाल कर आगे तरफ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्मिनी गुस्से में बोली.
“रोक नहीं पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अतचा तरीका है तुम्हारा.” पद्मिनी ने कहा.
“हाँ तरीका तो अतचा है हिहिहीही….”
“बदमाश को तुम एक नंबर को.”
“वो तो हूँ” राजू ने हंसते हुए कहा.
पद्मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
राजू ने पीछे से आकर पद्मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्मिनी ई लव यू.”
“ई लव यू टू राजू पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनों बिलकुल अलग हैं राजू. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हें सब पता है…नाटक मत करो.”
पद्मिनी के इतने नज़दीक आकर राजू का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्मिनी को अपने नितंबों पर बहुत अतचे से फील हो रहा था.
“राजू प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लंड. कुछ समझ में नहीं आया.” राजू ने पद्मिनी को और ज़ोर से काश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबों पर लिंग की चुवन से पहले ही पद्मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्स से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लंड. आप नहीं बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
पद्मिनी छटपटाने लगी राजू की बाहों में मगर राजू की पकड़ से निकलना आसाआन नहीं था.
“क्या मेरा लंड आपकी गान्ड को परेशान कर रहा है?”
“चुत उप! हाथ जाओ वरना जींदगी भर बात नहीं करूँगी तुमसे.” पद्मिनी चिल्लाई.
राजू तुरंत हाथ गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आंखें बंद करके.
“हाँ अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हें मनाने आना और तुम्हें फिर से मेरे शरीर से खेलने का मौका मिले.ई हटे यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नहीं शुनि कभी मैंने.” पद्मिनी ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नहीं कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राजू ने कहा.
राजू बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बीचा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्मिनी समझ गयी की राजू ने बिस्तर उसके लिए छोड दिया है. पद्मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनों में सर छुपा कर शूबकने लगी.
“मेरी भावनाओं की ज़रा भी कदर नहीं करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिश की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी की कैसा फील करती हूँ मैं अपने आंटी अंकल के बिना. क्या पूछा तुमने कभी की क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नहीं तुम्हें मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हें और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी इंतजार नहीं कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के शिवा कुछ नहीं दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिश नहीं करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हें पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी अंकल की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी दीखाई थी मगर अब सब खत्म सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रही गया है…इसे से आगे नहीं तरफ पा रहा है.,” पद्मिनी शूबक्ते हुए सोच रही थी.
राजू पद्मिनी के दिल की मनःस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आंखें बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नहीं कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नजदीकी और छेद चढ़ बर्दास्त नहीं आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका यौवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग दीखायगा सोचा नहीं था कभी.”
अचानक पद्मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मान ही मान कुछ फैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राजू की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राजू को पता तो चल गया था की पद्मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा.
“राजू नाराज़ रहोगे मुझसे?”
“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राजू ने कहा.
“क्या करूँ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नहीं रही सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”
“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नहीं.” राजू ने कहा.
“मज़ाक नहीं है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहां तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्मिनी शूबक्ते हुए बोली.
राजू मान ही मान मुस्करा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्मिनी को इसे मासूम प्यार के लिए पर पता नहीं क्यों पद्मिनी को थोड़ा और सताने का मूंड़ था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राजू ने कहा.
“नहीं अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रही कर जी नहीं सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्मिनी ने फिर से शूबक्ते हुए कहा.
अब राजू से रहा नहीं गया और उसने बाहों में भर लिया पद्मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रही गया. वो फौरन पद्मिनी से अलग हो गया.
“पद्मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”
“पता नहीं क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”
“क्या पागलपन है ये. कहा है कपड़े तुम्हारे?”
“ बिस्तर पर पड़े हैं.”
राजू अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहां से कपड़े उठा कर पद्मिनी के ऊपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुंह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना की मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सटी सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज्यादा खतरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. ई हटे यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नहीं चल पाई. आप रिश्ते निधा ही नहीं सकती.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने ये सब शुंते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो की राजू के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.
“ये क्या तमाशा है बंद करो ये नाटक!” राजू ज़ोर से चिल्लाया.
पद्मिनी शूबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राजू पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.
कमरे में एक दम खामोशी छा गयी. पद्मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राजू अपना सर पकड़ कर बैठा था.
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रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नहीं बात क्रएंगी या नहीं. एक बार मिल कर अपना पाक्स तो रख दम फिर जो उनकी इतचा होगी देख लेंगी.”
रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आंखें बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हें जगाना सही नहीं समझा और वापिस मूंड़ कर जाने लगा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जगह रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना शो पवँगी. कहा थे सुबह से. फोन भी नहीं मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.
“मैडम आपने मुझे सुबह यहां से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आंखों में आँसू लेकर गया था यहां से.”
“जो बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मैडम रीमा से प्यार नहीं किया कभी मैंने. हाँ अतचे दोस्त जरूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नहीं बताई मुझे.
“जी हाँ मैडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नहीं जगह पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नहीं. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राजी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मैडम झूठ नहीं बोलूँगा. अब नहीं कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नहीं कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नहीं भी. खैर चोदा. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिश करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”
“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”
“हम भी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”
“मैडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नहीं है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी जरूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थेन्क यू मैडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मान लेकर गया था यहां से. ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया ही उजाड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.
“रुको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो चोदा. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाएं फिरते हैं वो बात मगर कह नहीं पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मौका ही नहीं देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हें पता भी है?”
“जी हाँ पता है”
“फिर बोलने की क्या जरूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अतचा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो की नहीं…मेरे पास कुछ नहीं है कहने को. इस डेठ क्लीयर.”
“जी हाँ सब कुछ क्लीयर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के जख्म में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मैडम?”
“कुछ नहीं हँसने से पेट का जख्म दर्द करने लगा.”
“मेरे ऊपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अतचा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी खुशियाँ आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुश्कूराती रहें.”
“तुम कुछ भी कर लो मैं वो बोलने वाली नहीं हूँ.”
“यही तो मेरी बदकिशमति है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. शो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिलकुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल थे बेस्ट.” शालिनी ने कहा
रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मैडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“स्प साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नहीं उनका केस तो डॉक्टर अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. स्प साहिब के खास दोस्त भी हैं. मैडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मैडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में आतची केर होती है. सभी अतचे डॉक्टर हैं.”
“जी हाँ. अभी अरे प्राउड ऑफ इट.”
अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.
“यार कही ये साइको का तो नहीं?”
रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो.”
“हेलो इस तीस इंस्पेक्टर रोहित.”
“जी हाँ मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”
“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ इन्स्पेकटर गणेश.”“हाँ बोलिए.”
“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहां. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहा है उन्हें भी कुछ नहीं पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”
“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इसे सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”
“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बताओ बताओ में बोल दिया था उसे की वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ़्रेंड सीसी को दे रहा है. ज्यादा बात नहीं हुई इसे बारे में उनकी. यही पता चला यहां, सोचा आपको बता दम. मीडिया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इसे से कुछ मदद मिले. ऑल थे बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.
“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इसे सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लीयर है अब की कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी इस साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनों एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम कहा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नहीं है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी- अंकल की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिलकुल भी मान नहीं लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हें इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राजू कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहा जाऊंगी मैं.”
“तुम्हें मैंने पहले भी बताया है की 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नहीं जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा की कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अतचे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैंने अपने पेरेंट्स को दुख के शिवा कुछ नहीं दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राजू मैंने कोशिश की थी रिश्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डीमानड होती थी. शर्म आती थी मुझे रोज-रोज अपने अंकल से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नहीं भरता था. मैं सब कुछ छोड कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैंने ये गलत किया था राजू. क्या रिश्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. अंकल बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड कर घर आई थी. कई दिन तक उन्होंने बात तक नहीं की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेयर करना चाहती हूँ. अगर तुम नहीं शुनोगे, मुझे नहीं समझोगे तो कहा जाऊंगी मैं. अपने मान मंदिर में तुम्हें बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राजू के मुंह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती मैं. हाँ मैं खुद तुम्हें बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अतचा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैंने सोचा जब तुम्हें मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी की शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे तरफ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हें देने में हर्ज ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नहीं पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा तुम्हें. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नहीं हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैंने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है की तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नहीं पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ कर दो पद्मिनी. आगे से ऐसा नहीं होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राजू ई लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी की तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आंखों में मैंने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नहीं कर लिया मैंने. एक अतचे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आंखों में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना ख़ूस्स मैं अब हूँ इतना ख़ूस्स जींदगी में कभी नहीं रहा. आंटी अंकल की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहां वहां घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत की मैं पागल हो गया हूँ. इसे पागल पान में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राजू थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हें मुझसे दूर तो नहीं कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नहीं जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राजू ने पद्मिनी को ज़ोर से जकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, एट लास्ट जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नहीं होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नहीं सकता.”
“अफ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिलकुल नहीं…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनों को ध्यान से शुनूँगा. तुम्हारी मृज्नेयनी आंखों में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिश करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं आने दूँगा. आंखों में आँसू आएँगे तो मैं उन्हें अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ खुद भी खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नहीं छोड सकता. आख़िर आशिक हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिशाल कायम करोगे शायद.”
“बिलकुल करूँगा. तुम साथ डोगी तो मिशाल कायम हो ही जाएगी.” राजू ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमें नया क्या है. लेकिन अब और मजा आएगा.”
“चलो चोदा मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नहीं…जंग में कई बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राजू.”
“हाँ तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब शोते हैं.” राजू पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेटुन.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नहीं है.” राजू ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुश्कान लिए राजू के साथ बिस्तर पर आ गयी. राजू ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नहीं हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राजू.. सॉरी …दुबारा ऐसा नहीं होगा. मैं भी कम पागल नहीं हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही कामसूठरा के सारे आसान आजमा लेता तुम्हारे ऊपर फिर तुम्हें पता चलता की मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराव मत मुझे तुम वरना शादी नहीं करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हें मान से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हें…ई लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नहीं हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नहीं है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हाँ कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राजू आगे बढ़ा और अपने होठों को पद्मिनी के होठों पर टीका दिया. पद्मिनी ने राजू के होठों को अपने होठों में जकड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की. ये एक ऐसी किस थी जीशमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनों एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 51
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
अगली सुबह सिकेण्दर रोहित की जगह जाय्न करने से पहले सीधा रोहित के घर पहुँच गया. रोहित ने गरम्जोशी से उसका सावागत किया.
“ सरकार आपसे इसे केस में मार्गदर्सन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है की आप मुझे इसे केस के हर पहलू से अवगत कराएंगे.” सिकेण्दर ने कहा.
“बिलकुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें की इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहां आने की और इसे केस को लेने की.”
“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेण्दर को बता दी.
“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेण्दर ने पूछा.
“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.
“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. कॉलेज में एक एप्पल तक ठीक से नहीं बना पता था. एप्पल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेण्दर ने कहा.
“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.
“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”
“बिलकुल बेझिझक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.
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सुबह नींद में पद्मिनी मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नहीं था की जिसे वो सपना समझ रही है वो हकीकत है. पद्मिनी पीठ के बाल पड़ी थी और राजू उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ पद्मिनी के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण पद्मिनी आहें भर रही थी. राजू पद्मिनी की आहें सुन कर मधाम-मधाम मुस्करा रहा था. उभार को मसलते हुए उसने पद्मिनी के कान में कहा, “उठ जाओ पद्मिनी जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”
पद्मिनी की तुरंत आबख खुल गयी. उसने राजू के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. पद्मिनी दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नहीं था?”
“क्या सपना नहीं था पद्मिनी हहेहहे…”
“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” पद्मिनी ने पूछा.
“कुछ और नहीं कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”
पद्मिनी का चेहरा लाल हो गया शर्म से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.
“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक शोते रहे.” पद्मिनी ने कहा.
“बहुत लेट शोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”
“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”
“जी हाँ मैं बनावँगा और आपसे अतचा बनावँगा”
“नहीं राजू मेरे होते हुए ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हें.मैं खुद बनावँगी…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”
पद्मिनी उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.
“हे रुको…” राजू ने पीछे से आवाज़ दी.
“हाँ बोलो.”
“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”
पद्मिनी राजू की तरफ मुस्करा दी और वॉशरूम में घुस गयी.
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एक महीने से शहर में शांति है. साइको ने कोई नयी वारदात नहीं की है. रोहित और मोहित ने इसे दौरान कर्नल को तलासने की खूब कोशिश की. वो दोनों दिल्ली और मुंबई भी गये कर्नल के रालटिवेस से मिलने. मगर उन्हें कर्नल के बारे में कुछ पता नहीं चला. कर्नल के सभी रिलेटिव्स से सीसी के बारे में पूछा गया मगर वो सभी किसी सीसी को नहीं जानते थे.
एक दिन अचानक मोनिका ने राजू को फोन करके बताया की संजय घर लौट आया है. राजू ने ये बात तुरंत रोहित को बताई. रोहित और मोहित दोनों संजय से मिलने उसके घर गये. संजय ने बताया की वो सिमरन की कार लेकर दिल्ली चला गया था और कुछ दिन वही रहा.
“आप अपनी बीवी को यहां अकेला छोड कर दिल्ली चले गये…वेरी स्ट्रेंज. एक-दो दिन तो चलता है मगर इतने दिन कैसे आप अपनी बीवी को अकेला छोड सकते हैं.” मोहित ने कहा.
“उस से आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए…ये मेरा पर्सनल मामला है. ” संजय ने कहा.
रोहित और मोहित बिना किसी ठोस जानकारी के घर से बाहर आ गये.
“मेरा सस्पेन्षन नहीं हुआ होता तो साले के मुंह में बंदूक गुस्सा कर पूछता की बता कैसे हुआ ये तेरा पर्सनल मामला.” रोहित ने कहा.
“कोई बात नहीं अब ये वापिस आ गया है तो इसे पर हम कड़ी नज़र रखेंगे.” मोहित ने कहा.
“यार मोहित ये सीसी का फुल फॉर्म क्या हो सकता है.”
“कुत्ते कमीने हो सकता है…काला कव्वा हो सकता है…होने को कुछ भी हो सकता है.”
“यही तो दिक्कत है. साला क्लू मिला भी तो ऐसा की कुछ समझ में नहीं आता की क्या करे. ये सीसी सुरिंदर को भी जानता था और कर्नल को भी. तुम्हें क्या लगता है क्या सुरिंदर और कर्नल भी एक दूसरे को जानते थे.” रोहित ने कहा.
“ऐसा कुछ मिला नहीं जिस से ये कह सकें की सुरिंदर और कर्नल एक दूसरे को जानते थे.”
“साइको कोई शुराग नहीं चोद्ता अपने बारे में. उसने सुरिंदर को मर दिया था. मोस्ट प्रॉबब्ली उसने कर्नल को भी मर दिया है वरना वो कही तो मिलना चाहिए था. वो ऐसे कैसे गायब हो सकता है.”
“मुझे भी यही लगता है. साइको ने कर्नल से उसका घर हथिया कर उसे जान से मर दिया होगा. और शायद उसकी लाश को कही गाड़ दिया होगा. कोई ऐसे ही बिना मतलब दुनिया से गायब नहीं हो जाता, कुछ तो कारण जरूर रहता है.”
“सही कह रहे हो. अतचा मोहित मुझे तुरंत घर जाना है. तुकझे बताया था ना आज शादी में जाना है.”
“हाँ बताया था पर तुझे वहां इन्वाइट नहीं किया गया है.”
“यार रीमा के लिए जाना ही पड़ेगा मुझे. प्यार बेसक नहीं हुआ उस से पर हम अतचे दोस्त तो बन ही गये थे. सूभकामना देने तो जाना ही चाहिए.”
“बेसक जाओ रोहित. पर चौहान से बच कर रहना.”
“शादी के माहौल में वो ज्यादा पंगा नहीं करेगा और वैसे भी मैं बस रीमा को एक बार देख कर और उसे विश करके वापिस आ जाऊंगा.”
“तुम्हारी मैडम भी होंगी वहां ज़रा ध्यान रखना कही कोई गलत फ़हमी हो जाए.”
“मैडम को पता है सब कुछ.”
“हाँ पर खुद अपनी आंखों से देखने से दिल पर चुत लगती है. वैसे शादी डिले क्यों हो गयी रीमा की.” मोहित ने कहा.
“लड़के वालो ने थोड़ा वक्त माँगा था शायद. ई आम नोट शुरू.” रोहित ने कहा.
“हम ठीक है तुम निकलो मैं भी निकलता हूँ. पूजा को कॉलेज से पिक करना है. हमारा आज बाहर डिनर का प्रोग्राम है.” मोहित ने कहा.
मोहित टाइम से पूजा के कॉलेज पहुँच गया. कॉलेज से लड़कियों की भीड़ बाहर आ रही थी. मगर मोहित को पूजा कही नज़र नहीं आ रही थी.
“कम ऑन जान कहा रही गयी तुम…जल्दी आओ…हमें खूब एंजाय करना है आज.”
मगर कॉलेज के दरवाजा से सभी बाहर आ गये पर पूजा नहीं आई. वॉचमेन ने दरवाजा बंद कर दिया. मोहित ने वॉचमेन से पूछा, “कोई लड़की अंदर तो नहीं रही गयी.”
“नहीं मैं चेक करके आया हूँ. सब जा चुके हैं.”
“ऐसा कैसे हो गया मैं तो बाहर ही खड़ा था.”
मोहित ने नगमा को फोन मिलाया.
“हेलो नगमा…पूजा घर पहुँच गयी क्या?”
“नहीं वो तो नहीं आई अब तक…क्यों क्या हुआ सब ठीक तो है.”
“मैं बाद में बात करता हूँ…अभी थोड़ा बिज़ी हूँ.”
मोहित को टेन्शन होने लगी की पूजा कहा गयी.
“कहा गयी होगी मेरी जान. ऐसे तो कभी कही नहीं जाती. उसे पता भी था की मैं उसे लेने .आऊंगा.”
मोहित सोच में पड़ गया.
तभी अचानक उसे ख्याल आया की कही पूजा को साइको ने तो किडनॅप नहीं कर लिया. ये ख्याल आते ही उसकी रूह काँप उठी. पूजा से बहुत प्यार करता था मोहित उसके लिए कोई भी बुरी बात नहीं सोच सकता था.
मोहित ने रोहित को फोन मिलाया और उसे सारी बात बता दी.
“अगर पूजा को साइको ने किडनॅप किया है तो वो जरूर तुझसे कॉंटॅक्ट करेगा. तू ऐसा कर अपने घर जा. हो सकता है वहां उसने कोई मेसेज चोदा हो तेरे लिए.”
“यार मेरे हाथ पाँव काम नहीं कर रहे. पूजा को कुछ हो गया तो मैं कही का नहीं रहूँगा.”
“समझ सकता हूँ मोहित. तुम ऐसा करो अपने घर पहुँचो. मैं भी वही पहुँचता हूँ.” रोहित ने कहा.
मोहित तुरंत बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दिया. घर पहुँच कर जैसे ही उसने अपना दरवाजा खोला उसे दरवाजे के पास एक कागज़ पड़ा मिला उस पर कुछ लिखा था. मोहित ने उसे उठाया और पढ़ने लगा.
“मिस्टर मोहित, कैसे हो तुम. तुमने मुझे बहुत परेशान किया है. मगर अब मेरी बड़ी है. कब से तुम्हारे लिए एक प्लान ढूंढ. रहा था. समझ में नहीं आ रहा था की कैसी मौत दी जाए तुम्हें. तुम पर नज़र रखी तो पता चला की तुम एक लड़की पर फिदा हो. मेरा काम आसान हो गया.पूजा मेरे कब्जे में है. बिलकुल नंगी पड़ी है मेरे सामने. वैसे मैं अपने विक्टिम से सेक्स नहीं करता पर तुम्हारी पूजा ने तो खड़ा कर दिया मेरा लंड. बाला की खूबसूरत है साली. मान कर रहा है इसकी लेने का. ले लंड क्या हाहहहाहा. मेरे दूसरे लेटर का इंतजार करना. और हाँ अपने दोस्त रोहित से बोलना की रीमा की शादी में जरूर जाए. वहां उसके लिए कुछ खास करने वाला हूँ मैं हिहिहीही.”
मोहित की आंखें गुस्से से लाल हो गयी. “तुझे वो मौत दूँगा मैं की तेरी रूह काँप उठेगी साले कुत्ते कमीने साइको.” मोहित चिल्लाया.
जब रोहित मोहित के घर पहुँचा वो बेड पर सर पकड़ कर बैठा था. रोहित को देख कर मोहित ने कहा, “जिसका डर था वही बात हुई…कमीने ने मेरी पूजा को उठा लिया.”
“कैसे पता चला तुम्हें ये?” रोहित ने पूछा.
मोहित ने वो कागज़ रोहित की तरफ बढ़ा दिया, “जब मैं घर में गुस्सा तो दरवाजे के पास पड़ा था ये.”
रोहित ने वो कागज़ पढ़ा तो उसके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई.
“मोहित गुजर चुका हूँ इसे सब से मैं. लेकिन ऐसे सर पकड़ कर बैठने से फायदा नहीं होगा. जितना मैं उसे जान पाया हूँ, अभी वो उसके कुछ नहीं करेगा. सेकेंड लेटर का इंतजार करते हैं.”
“मैं मर जाऊंगा यार अगर मेरी पूजा को कुछ हुआ तो. मेरी जींदगी है वो.”
“कुछ नहीं होने देंगे हम उसे तुम हौंसला रखो. अभी वक्त है हमारे पास. उसने मुझे रीमा की शादी में बुलाया है. इसका मतलब वो वहां आएगा. बहुत अतचा मौका है मोहित उसे पकड़ने का. वो हाथ आ गया तो पूजा भी मिल जाएगी. चलो वक्त यू मुंह लटका कर बैठने का नहीं है. हमें उसे सबक सीखना है. वो हर बार अपनी बेहूदा गेम खेल कर नहीं निकल सकता.
“तो क्या मैं भी तुम्हारे साथ रीमा की शादी में चलूं.”
“हाँ बिलकुल…तेरे बिना बात कैसे बनेगी यार…चल उठ.”
“पर उसने दूसरे लेटर का इंतजार करने को बोला है. मैं कैसे जा सकता हूँ.”
“यहां किसी और को छोड देते हैं. रुक एक मिनट मैं भोलू को बोलता हूँ की वो यहां रुक जाए. वो लेटर डालने वाले पर नज़र भी रखेगा.” रोहित ने कहा.
“हाँ ये ठीक रहेगा?”
“चल फिर अपनी पिस्तौल उठा आज हमें साइको का शिकार करना है.”
रोहित ने फोन करके भोलू को मोहित के घर बुला लिया और उसे वही छोड कर रीमा की शादी में शामिल होने के लिए निकल दिए.
“राजू को भी सतर्क कर दम इसे बारे में” रोहित ने कहा.
“हाँ बिलकुल”
रोहित ने राजू को फोन मिलाया. रिंग्टोणे जाती रही पर राजू ने फोन नहीं उठाया. फिर उसने पद्मिनी का फोन ट्राइ किया. पद्मिनी ने भी फोन नहीं उठाया.
“बिज़ी होंगे दोनों शायद किसी काम में.” रोहित ने कहा.
“हाँ नया नया प्यार हुआ है दोनों को. बिज़ी तो रहेंगे ही.”
रोहित के पास पद्मिनी के घर पर तैनात एक कॉन्स्टेबल का नंबर था उसने वो ट्राइ किया.
“राजवीर से बात करवाव मेरी.”
“सर वो तो यहां नहीं हैं. कोई 2 घंटे पहले मैडम को लेकर निकले थे अभी तक लौटे नहीं.”
“ये लड़का भी ना” रोहित ने इरिटेशन में कहा.
“क्या हुआ?”
“पद्मिनी को लेकर गया हुआ है राजू कही. शायद कही घूमने रहे होंगे दोनों. इतना बड़ा खतरा मोल लेने की क्या जरूरत है. क्या थोड़ा इंतजार नहीं कर सकते दोनों.”
“कल दोनों की बहुत लड़ाई हुई थी…किसी बात पर. पद्मिनी नाराज़ हो गयी थी राजू से. शायद उसे मना-ने के लिए कही घुमाने ले गया होगा.”
“वो तो ठीक है घूमते-घूमते साइको मिल गया तो. हर वक्त नज़र रखता है वो हम लोगों पर. पूरी प्लॅनिंग से काम करता है. मैंने समझाया भी था उसे पर मेरी कोई छूने तब ना.” रोहित ने कहा.
“रोहित एक बात सुनाओ.” मोहित ने कहा.
“हाँ बोलो.”
“हम भेष बदल कर जायें वहां तो ज्यादा अतचा है. क्या कहते हो.”
“हाँ आइडिया बुरा नहीं है…लेकिन टाइम कम है हमारे पास.”
“मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मिंटो में हमारा हुलिया बदल देगा.”
“चल फिर देर किस बात की है….”
रोहित और मोहित नकली दाढ़ी मूच लगा कर पहुँचे शादी में.
“तुम्हें क्या लगता है साइको क्या करने की सोच रहा है यहां.” रोहित ने कहा.
“भाई बुरा मत मान-ना पर मेरा पूरा ध्यान पूजा पर लगा हुआ है. बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर….”
“ सरकार आपसे इसे केस में मार्गदर्सन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है की आप मुझे इसे केस के हर पहलू से अवगत कराएंगे.” सिकेण्दर ने कहा.
“बिलकुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें की इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहां आने की और इसे केस को लेने की.”
“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेण्दर को बता दी.
“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेण्दर ने पूछा.
“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.
“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. कॉलेज में एक एप्पल तक ठीक से नहीं बना पता था. एप्पल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेण्दर ने कहा.
“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.
“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”
“बिलकुल बेझिझक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.
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सुबह नींद में पद्मिनी मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नहीं था की जिसे वो सपना समझ रही है वो हकीकत है. पद्मिनी पीठ के बाल पड़ी थी और राजू उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ पद्मिनी के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण पद्मिनी आहें भर रही थी. राजू पद्मिनी की आहें सुन कर मधाम-मधाम मुस्करा रहा था. उभार को मसलते हुए उसने पद्मिनी के कान में कहा, “उठ जाओ पद्मिनी जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”
पद्मिनी की तुरंत आबख खुल गयी. उसने राजू के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. पद्मिनी दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नहीं था?”
“क्या सपना नहीं था पद्मिनी हहेहहे…”
“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” पद्मिनी ने पूछा.
“कुछ और नहीं कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”
पद्मिनी का चेहरा लाल हो गया शर्म से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.
“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक शोते रहे.” पद्मिनी ने कहा.
“बहुत लेट शोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”
“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”
“जी हाँ मैं बनावँगा और आपसे अतचा बनावँगा”
“नहीं राजू मेरे होते हुए ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हें.मैं खुद बनावँगी…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”
पद्मिनी उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.
“हे रुको…” राजू ने पीछे से आवाज़ दी.
“हाँ बोलो.”
“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”
पद्मिनी राजू की तरफ मुस्करा दी और वॉशरूम में घुस गयी.
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एक महीने से शहर में शांति है. साइको ने कोई नयी वारदात नहीं की है. रोहित और मोहित ने इसे दौरान कर्नल को तलासने की खूब कोशिश की. वो दोनों दिल्ली और मुंबई भी गये कर्नल के रालटिवेस से मिलने. मगर उन्हें कर्नल के बारे में कुछ पता नहीं चला. कर्नल के सभी रिलेटिव्स से सीसी के बारे में पूछा गया मगर वो सभी किसी सीसी को नहीं जानते थे.
एक दिन अचानक मोनिका ने राजू को फोन करके बताया की संजय घर लौट आया है. राजू ने ये बात तुरंत रोहित को बताई. रोहित और मोहित दोनों संजय से मिलने उसके घर गये. संजय ने बताया की वो सिमरन की कार लेकर दिल्ली चला गया था और कुछ दिन वही रहा.
“आप अपनी बीवी को यहां अकेला छोड कर दिल्ली चले गये…वेरी स्ट्रेंज. एक-दो दिन तो चलता है मगर इतने दिन कैसे आप अपनी बीवी को अकेला छोड सकते हैं.” मोहित ने कहा.
“उस से आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए…ये मेरा पर्सनल मामला है. ” संजय ने कहा.
रोहित और मोहित बिना किसी ठोस जानकारी के घर से बाहर आ गये.
“मेरा सस्पेन्षन नहीं हुआ होता तो साले के मुंह में बंदूक गुस्सा कर पूछता की बता कैसे हुआ ये तेरा पर्सनल मामला.” रोहित ने कहा.
“कोई बात नहीं अब ये वापिस आ गया है तो इसे पर हम कड़ी नज़र रखेंगे.” मोहित ने कहा.
“यार मोहित ये सीसी का फुल फॉर्म क्या हो सकता है.”
“कुत्ते कमीने हो सकता है…काला कव्वा हो सकता है…होने को कुछ भी हो सकता है.”
“यही तो दिक्कत है. साला क्लू मिला भी तो ऐसा की कुछ समझ में नहीं आता की क्या करे. ये सीसी सुरिंदर को भी जानता था और कर्नल को भी. तुम्हें क्या लगता है क्या सुरिंदर और कर्नल भी एक दूसरे को जानते थे.” रोहित ने कहा.
“ऐसा कुछ मिला नहीं जिस से ये कह सकें की सुरिंदर और कर्नल एक दूसरे को जानते थे.”
“साइको कोई शुराग नहीं चोद्ता अपने बारे में. उसने सुरिंदर को मर दिया था. मोस्ट प्रॉबब्ली उसने कर्नल को भी मर दिया है वरना वो कही तो मिलना चाहिए था. वो ऐसे कैसे गायब हो सकता है.”
“मुझे भी यही लगता है. साइको ने कर्नल से उसका घर हथिया कर उसे जान से मर दिया होगा. और शायद उसकी लाश को कही गाड़ दिया होगा. कोई ऐसे ही बिना मतलब दुनिया से गायब नहीं हो जाता, कुछ तो कारण जरूर रहता है.”
“सही कह रहे हो. अतचा मोहित मुझे तुरंत घर जाना है. तुकझे बताया था ना आज शादी में जाना है.”
“हाँ बताया था पर तुझे वहां इन्वाइट नहीं किया गया है.”
“यार रीमा के लिए जाना ही पड़ेगा मुझे. प्यार बेसक नहीं हुआ उस से पर हम अतचे दोस्त तो बन ही गये थे. सूभकामना देने तो जाना ही चाहिए.”
“बेसक जाओ रोहित. पर चौहान से बच कर रहना.”
“शादी के माहौल में वो ज्यादा पंगा नहीं करेगा और वैसे भी मैं बस रीमा को एक बार देख कर और उसे विश करके वापिस आ जाऊंगा.”
“तुम्हारी मैडम भी होंगी वहां ज़रा ध्यान रखना कही कोई गलत फ़हमी हो जाए.”
“मैडम को पता है सब कुछ.”
“हाँ पर खुद अपनी आंखों से देखने से दिल पर चुत लगती है. वैसे शादी डिले क्यों हो गयी रीमा की.” मोहित ने कहा.
“लड़के वालो ने थोड़ा वक्त माँगा था शायद. ई आम नोट शुरू.” रोहित ने कहा.
“हम ठीक है तुम निकलो मैं भी निकलता हूँ. पूजा को कॉलेज से पिक करना है. हमारा आज बाहर डिनर का प्रोग्राम है.” मोहित ने कहा.
मोहित टाइम से पूजा के कॉलेज पहुँच गया. कॉलेज से लड़कियों की भीड़ बाहर आ रही थी. मगर मोहित को पूजा कही नज़र नहीं आ रही थी.
“कम ऑन जान कहा रही गयी तुम…जल्दी आओ…हमें खूब एंजाय करना है आज.”
मगर कॉलेज के दरवाजा से सभी बाहर आ गये पर पूजा नहीं आई. वॉचमेन ने दरवाजा बंद कर दिया. मोहित ने वॉचमेन से पूछा, “कोई लड़की अंदर तो नहीं रही गयी.”
“नहीं मैं चेक करके आया हूँ. सब जा चुके हैं.”
“ऐसा कैसे हो गया मैं तो बाहर ही खड़ा था.”
मोहित ने नगमा को फोन मिलाया.
“हेलो नगमा…पूजा घर पहुँच गयी क्या?”
“नहीं वो तो नहीं आई अब तक…क्यों क्या हुआ सब ठीक तो है.”
“मैं बाद में बात करता हूँ…अभी थोड़ा बिज़ी हूँ.”
मोहित को टेन्शन होने लगी की पूजा कहा गयी.
“कहा गयी होगी मेरी जान. ऐसे तो कभी कही नहीं जाती. उसे पता भी था की मैं उसे लेने .आऊंगा.”
मोहित सोच में पड़ गया.
तभी अचानक उसे ख्याल आया की कही पूजा को साइको ने तो किडनॅप नहीं कर लिया. ये ख्याल आते ही उसकी रूह काँप उठी. पूजा से बहुत प्यार करता था मोहित उसके लिए कोई भी बुरी बात नहीं सोच सकता था.
मोहित ने रोहित को फोन मिलाया और उसे सारी बात बता दी.
“अगर पूजा को साइको ने किडनॅप किया है तो वो जरूर तुझसे कॉंटॅक्ट करेगा. तू ऐसा कर अपने घर जा. हो सकता है वहां उसने कोई मेसेज चोदा हो तेरे लिए.”
“यार मेरे हाथ पाँव काम नहीं कर रहे. पूजा को कुछ हो गया तो मैं कही का नहीं रहूँगा.”
“समझ सकता हूँ मोहित. तुम ऐसा करो अपने घर पहुँचो. मैं भी वही पहुँचता हूँ.” रोहित ने कहा.
मोहित तुरंत बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दिया. घर पहुँच कर जैसे ही उसने अपना दरवाजा खोला उसे दरवाजे के पास एक कागज़ पड़ा मिला उस पर कुछ लिखा था. मोहित ने उसे उठाया और पढ़ने लगा.
“मिस्टर मोहित, कैसे हो तुम. तुमने मुझे बहुत परेशान किया है. मगर अब मेरी बड़ी है. कब से तुम्हारे लिए एक प्लान ढूंढ. रहा था. समझ में नहीं आ रहा था की कैसी मौत दी जाए तुम्हें. तुम पर नज़र रखी तो पता चला की तुम एक लड़की पर फिदा हो. मेरा काम आसान हो गया.पूजा मेरे कब्जे में है. बिलकुल नंगी पड़ी है मेरे सामने. वैसे मैं अपने विक्टिम से सेक्स नहीं करता पर तुम्हारी पूजा ने तो खड़ा कर दिया मेरा लंड. बाला की खूबसूरत है साली. मान कर रहा है इसकी लेने का. ले लंड क्या हाहहहाहा. मेरे दूसरे लेटर का इंतजार करना. और हाँ अपने दोस्त रोहित से बोलना की रीमा की शादी में जरूर जाए. वहां उसके लिए कुछ खास करने वाला हूँ मैं हिहिहीही.”
मोहित की आंखें गुस्से से लाल हो गयी. “तुझे वो मौत दूँगा मैं की तेरी रूह काँप उठेगी साले कुत्ते कमीने साइको.” मोहित चिल्लाया.
जब रोहित मोहित के घर पहुँचा वो बेड पर सर पकड़ कर बैठा था. रोहित को देख कर मोहित ने कहा, “जिसका डर था वही बात हुई…कमीने ने मेरी पूजा को उठा लिया.”
“कैसे पता चला तुम्हें ये?” रोहित ने पूछा.
मोहित ने वो कागज़ रोहित की तरफ बढ़ा दिया, “जब मैं घर में गुस्सा तो दरवाजे के पास पड़ा था ये.”
रोहित ने वो कागज़ पढ़ा तो उसके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई.
“मोहित गुजर चुका हूँ इसे सब से मैं. लेकिन ऐसे सर पकड़ कर बैठने से फायदा नहीं होगा. जितना मैं उसे जान पाया हूँ, अभी वो उसके कुछ नहीं करेगा. सेकेंड लेटर का इंतजार करते हैं.”
“मैं मर जाऊंगा यार अगर मेरी पूजा को कुछ हुआ तो. मेरी जींदगी है वो.”
“कुछ नहीं होने देंगे हम उसे तुम हौंसला रखो. अभी वक्त है हमारे पास. उसने मुझे रीमा की शादी में बुलाया है. इसका मतलब वो वहां आएगा. बहुत अतचा मौका है मोहित उसे पकड़ने का. वो हाथ आ गया तो पूजा भी मिल जाएगी. चलो वक्त यू मुंह लटका कर बैठने का नहीं है. हमें उसे सबक सीखना है. वो हर बार अपनी बेहूदा गेम खेल कर नहीं निकल सकता.
“तो क्या मैं भी तुम्हारे साथ रीमा की शादी में चलूं.”
“हाँ बिलकुल…तेरे बिना बात कैसे बनेगी यार…चल उठ.”
“पर उसने दूसरे लेटर का इंतजार करने को बोला है. मैं कैसे जा सकता हूँ.”
“यहां किसी और को छोड देते हैं. रुक एक मिनट मैं भोलू को बोलता हूँ की वो यहां रुक जाए. वो लेटर डालने वाले पर नज़र भी रखेगा.” रोहित ने कहा.
“हाँ ये ठीक रहेगा?”
“चल फिर अपनी पिस्तौल उठा आज हमें साइको का शिकार करना है.”
रोहित ने फोन करके भोलू को मोहित के घर बुला लिया और उसे वही छोड कर रीमा की शादी में शामिल होने के लिए निकल दिए.
“राजू को भी सतर्क कर दम इसे बारे में” रोहित ने कहा.
“हाँ बिलकुल”
रोहित ने राजू को फोन मिलाया. रिंग्टोणे जाती रही पर राजू ने फोन नहीं उठाया. फिर उसने पद्मिनी का फोन ट्राइ किया. पद्मिनी ने भी फोन नहीं उठाया.
“बिज़ी होंगे दोनों शायद किसी काम में.” रोहित ने कहा.
“हाँ नया नया प्यार हुआ है दोनों को. बिज़ी तो रहेंगे ही.”
रोहित के पास पद्मिनी के घर पर तैनात एक कॉन्स्टेबल का नंबर था उसने वो ट्राइ किया.
“राजवीर से बात करवाव मेरी.”
“सर वो तो यहां नहीं हैं. कोई 2 घंटे पहले मैडम को लेकर निकले थे अभी तक लौटे नहीं.”
“ये लड़का भी ना” रोहित ने इरिटेशन में कहा.
“क्या हुआ?”
“पद्मिनी को लेकर गया हुआ है राजू कही. शायद कही घूमने रहे होंगे दोनों. इतना बड़ा खतरा मोल लेने की क्या जरूरत है. क्या थोड़ा इंतजार नहीं कर सकते दोनों.”
“कल दोनों की बहुत लड़ाई हुई थी…किसी बात पर. पद्मिनी नाराज़ हो गयी थी राजू से. शायद उसे मना-ने के लिए कही घुमाने ले गया होगा.”
“वो तो ठीक है घूमते-घूमते साइको मिल गया तो. हर वक्त नज़र रखता है वो हम लोगों पर. पूरी प्लॅनिंग से काम करता है. मैंने समझाया भी था उसे पर मेरी कोई छूने तब ना.” रोहित ने कहा.
“रोहित एक बात सुनाओ.” मोहित ने कहा.
“हाँ बोलो.”
“हम भेष बदल कर जायें वहां तो ज्यादा अतचा है. क्या कहते हो.”
“हाँ आइडिया बुरा नहीं है…लेकिन टाइम कम है हमारे पास.”
“मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मिंटो में हमारा हुलिया बदल देगा.”
“चल फिर देर किस बात की है….”
रोहित और मोहित नकली दाढ़ी मूच लगा कर पहुँचे शादी में.
“तुम्हें क्या लगता है साइको क्या करने की सोच रहा है यहां.” रोहित ने कहा.
“भाई बुरा मत मान-ना पर मेरा पूरा ध्यान पूजा पर लगा हुआ है. बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर….”
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“देख मोहित हम पूजा के लिए ही आए हैं यहां. अगर यू खोए रहोगे तो कुछ भी नहीं कर पाओगे अपनी पूजा के लिए. अपना पूरा ध्यान यहां रखो.”
“वो तो ठीक है यार…मेरी जान किस हाल में होगी सोच कर ही रूह काँप रही है मेरी. वो बहुत डरती है रोहित. बहुत डरती है वो. नहीं सह पाएगी इतना कुछ…नहीं सह पाएगी.” मोहित बहुत इमोशनल हो रहा था. ये सावभाविक भी था.
“सब समझ रहा हूँ भाई…तू ऐसे करेगा तो मेरी भी हिम्मत जवाब दे जाएगी. संभाल खुद को. वो इंतजार कर रही होगी तेरा की तू कुछ करेगा.”
“मुझे पता है तभी तो इमोशनल हो रहा हूँ. अगर कुछ कर नहीं पाया तो मेरा प्यार उस साइको के आगे हार जाएगा.”
“ऐसा कुछ नहीं होगा. उम्मीद का दामन आख़िर तक नहीं छोड़ना चाहिए. वक्त चाहे कितना भी बुरा आ जाए हमें उम्मीद रखनी चाहिए. वक्त कब करवट लेगा हम कह नहीं सकते.”
“सॉरी यार. बहुत ज्यादा इमोशनल हूँ पूजा के लिए मैं. इसलिए ऐसी बातें कर रहा हूँ. अब ठीक हूँ. चल देखते हैं क्या करने वाला है ये साइको. इसे से पहले की वो अपनी गेम में कामयाब हो हमें उसे पकड़ना होगा.”
“ये हुई ना बात.”
“अभी तो यहां शांति लग रही है. हमें हर व्यक्ति पर कड़ी नज़र रखनी होगी.”
“मुझे एक बात समझ में नहीं आई. यहां मेरे लिए क्या खास करेगा वो.”
“तेरी मैडम आ रही है ना यहां…”
“बस यार सुबह सुबह बोल. बड़ी मुश्किल से बची थी पिछली बार वो साइको के जाल से.”
“देखा नहीं होता ना बर्दास्त. अब पता चला की क्या बीत रही है मेरे दिल पर.”
“वो पहले से समझा हुआ हूँ….एक मिनट.”
“क्या हुआ?”
“मैडम से मिल कर आता हूँ.”
“अरे वो तुम्हें नहीं पहचानेगी?”
“देखा जाएगा तू यही रुक.”
रोहित शालिनी की तरफ बढ़ा. वो पिंक सारी में थी और एक दूसरी लेडी से बात कर रही थी.
शालिनी के पास आकर रोहित ने कहा, “एक्सक्यूस में मैडम, आपसे जरूरी बात करनी है.”
“दो ई नो यू?”
“शायद.” रोहित ने कहा.
“गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर. तुम्हें पता नहीं मैं कौन हूँ और क्या कर सकती हूँ.” शालिनी को लगा की उसे छेड़ा जा रहा है.
“आस्प साहिबा हैं आप और मुझे जेल में डाल सकती हैं. लेकिन फिर भी जोखिम लेने को तैयार हूँ. प्लीज़ थोड़ा सा इधर आकर मेरी बात सुन लीजिए.” रोहित थोड़ी आवाज़ बदल कर बोल रहा था इसलिए शालिनी उसे पहचान नहीं पाई. लेकिन वो उसके साथ एक कोने में आ गयी.
“हाँ बोलो क्या बात है.”
“अपने दिल की बात बोल क्यों नहीं देती आप उसे.”
“एक्सक्यूस में….क्या बकवास है ये.”
“रोहित को बोल देना चाहिए आपको सब कुछ.”
“ई हटे हिं. कैसे काहु उसे ये कड़वा सच.”
“क्या कहा आपको नफरत है रोहित से.” रोहित अब अपनी आवाज़ में बोल पड़ा.
“जी हाँ बहुत ज्यादा नफरत है. आपको क्यों तकलीफ हो रही है इसे बात से.”
“हे हेट्स यू टू.” रोहित कह कर चल दिया.
“रोहित रुको”
“तो आपने मुझे पहचान लिया.”
“तुम्हारी आंखों से तुम्हें भीड़ में भी पहचान सकती हूँ.”
“मैडम साइको यहां कोई गेम खेलने वाला है. उसने मुझे यहां बुलाया है. मेरे दोस्त मोहित की गर्लफ्रेंड को अगवा कर लिया है उसने. वो वापिस आ गया है और अब लगता है बहुत कुछ करने के मूंड़ में है. आप यहां से चली जाओ.”
“वैसे मैं कुछ ही देर में जाने वाली थी पर अब तो बिलकुल नहीं जाऊंगी मैं कही.”
“मैडम आप यहां रहेंगी तो मेरा ध्यान आप पर रहेगा.”
“तुम्हें छोड कर नहीं जाऊंगी रोहित. मुझे लाइयबिलिटी मत समझो तुम. आस्प हूँ मैं ऐसे रिस्क लेना मेरी ड्यूटी है.”
“हाँ आप आस्प हैं और मैं इंस्पेक्टर जो सस्पेंड हो चुका है. मेरी बात क्यों मानेगी आप.”
“कैसी बात करते हो रोहित. वो सब अपनी जगह है और तुम्हारा मेरा रिश्ता अपनी जगह है.”
“मेरा और आपका रिश्ता? बस थोड़ा सा और आगे बढ़िए और बोल दीजिए आज अपने दिल की बात.”
“चलो-चलो अपना रास्ता देखो.”
“मैडम प्लीज़ यहां से चली जाओ…मुझे कुछ अजीब होने की आसंका हो रही है. उसने मुझे यहां बुलाया है. हो सकता है वो मुझे परेशान करने के लिए आपको टारगेट करे. मुझे डर लग रहा है.”
“क्यों डरते हो मेरे लिए.”
“पता है आपको.”
“तुम मुझे तो कहते रहते हो की बोल दो…बोल दो. खुद तो तुमने अब तक नहीं कहा कुछ.”
“मेरी औकात ही क्या है आपके सामने. कही ठुकरा ना दिया जाऊं… डरता हूँ इसे बात से”
“इसमें औकात की बात कहा से आ गयी. जाओ तुम मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी.”
“सॉरी मैडम.”
“सॉरी की कोई जरूरत नहीं है. तुम जाओ यहां से.”
“ठीक है मैं जाता हूँ. आप अपना ख्याल रखना. मुझे साइको को ढूंढ़ना है. इसे से पहले की वो कुछ करे मुझे उसे पकड़ना है.”
रोहित कह कर चल दिया.
“रुको…” शालिनी चल कर उसके पास आई और बोली, “तुम भी अपना ख्याल रखना.”
“ओके…” रोहित मुस्करा कर आगे तरफ गया.
रोहित वापिस मोहित के पास आ गया.
“कुछ दीखा ऐसा वैसा कुछ.” रोहित ने कहा
“इतने सारे लोग हैं यहां. सब पर कैसे फोकस करे.” मोहित ने कहा.
“मेरे लिए रीमा की शादी में खास क्या हो सकता है?” रोहित सोच में पड़ गया.
“कही वो रीमा की आर्ट तो नहीं बना रहा.”
“ऑम्ग ये तो मैंने सोचा ही नहीं. चल देखते हैं की रीमा कहा है.” रोहित ने कहा.
दोनों भाग कर पूछते हुए उस जगह पहुँचे जहां रीमा को शादी के लिए तैयार किया जा रहा था.
“एक्सक्यूस में रीमा कहा है.” रोहित ने एक लेडी से पूछा.
“वो ज़रा फ्रेश होने गयी है. जैमला के लिए अभी टाइम है. आप चिंता ना करे वो टाइम से पहुँच जाएगी.”
“कौन से कमरे में है वो” रोहित ने पूछा.
“जीशके सामने मैं खड़ी हूँ.”
रोहित ने तुरंत दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. तब तक छुआहं भी वहां पहुँच गया था.
“हे कोन हो तुम और ये दरवाजा क्यों पीट रहे हो.”
“सर मैं रोहित हूँ. रीमा की जान को खतरा है.”
“क्या बकवास कर रहे हो. दफा हो जाओ यहां से.”
मगर रोहित ने चौहान की एक ना शुनि. उसने वो दरवाजे पर इतनी ज़ोर से धक्का मारा की वो गिर गया. जब रोहित अंदर गुस्सा तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. वो देख नहीं पाया अंदर का दृश्या.
कमरे में खून से लथपथ रीमा की नंगी लाश पड़ी थी. सर से लेकर पाँव तक वो खून के रंग में रंगी थी. कमरे के शीसे पर साइको कुछ लिख गया था. जिसे पढ़ कर किसी की भी रूह काँप जाएगी
“मेरे हाथों से कोई बच जाता है तो मुझे बर्दास्त नहीं होता. लेकिन कोई एक बार बच सकता है दूसरी बार नहीं. दूसरी बार मेरा प्लान और भी ज्यादा भयानक होता है. मिस्टर रोहित पांडे…रीमा को लाल सारी की बजाए लाल खून से रंग दिया है मैंने. रीमा की शादी मुमारक हो तुम्हें.”
रोहित खुद को थाम नहीं सका और रो पड़ा. चौहान तो बेहोश हो कर गिर गया वही.
“सॉरी रीमा…कुछ नहीं कर पाया तुम्हारे लिए. मैंने आने में देर कर दी.”
मोहित ने ध्यान दिया की कमरे की खिड़की खुली पड़ी है.
“रोहित वो मर्डर करके खिड़की से भगा है.” मोहित ने कहा.
“छोड़ेंगे नहीं साले को….आओ देखते हैं” रोहित चिल्लाया.
दोनों खिड़की से कूद कर बाहर आते हैं. उन्हें एक साया भागता हुआ नज़र आता है.
रोहित और मोहित दोनों उसके पीछे भागते हैं.
“हे रुक जाओ वरना गोली मर दूँगा.” रोहित छील्लता है.
पर वो साया नहीं रुकता.
वो साया भागता हुआ किसी चीज़ से टकरा कर गिर जाता है और रोहित और मोहित उसे दबोच लेते हैं.
“अरे चोदा मुझे कोन हो तुम लोग. इंस्पेक्टर सिकेण्दर पर हाथ डालने का आज़ाम बहुत बुरा होगा जान लो.”
रोहित ने सिकेण्दर के सर पिस्तौल रख दी और बोला, “क्या कर रहे थे तुम यहां और जब हम रुकने को बोल रहे थे तो रुके क्यों नहीं. जल्दी बोलो वरना भेजा उड़ा दूँगा. मेरा दिमाग घुमा हुआ है अभी.”
“सिकेण्दर का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता पांडे जी. पीछे हटिए बंदूक मेरे पास भी है.”
“पहले तुम ये बताओ यहां कर क्या रहे थे.”
“मैंने किसी को खिड़की से कूद कर भागते देखा. उसी का पीछा कर रहा था मैं.”
“झूठ बोल रहे हो तुम. हमने किसी को नहीं देखा तुम्हारे आगे. तुम अकेले ही भागे जा रहे थे.”
“सिकेण्दर वॉक्स अलोन इन थे डार्क लेकिन आज मैं अंधेरे में किसी का पीछा कर रहा था. मेरा यकीन करो.”
“रोहित जरूर कुछ गड़बड़ है. हमने किसी को भी नहीं देखा. बस ये अकेला भगा जा रहा था.” मोहित ने रोहित के कान में कहा.
राजू और पद्मिनी अपने प्यार की खुमारी में खोए थे. उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था की पूजा को किडनॅप कर लिया है साइको ने और रीमा को मर दिया है. दोनों दुनिया की हर बात से बेख़बर थे. राजू पद्मिनी को बाहर डिनर करवा कर आज फिर से अपने घर ले आया था.
“पूरे एक महीने बाद वापिस आए हैं हम इसे छोटे से घर में. हमारी जंग अभी भी जारी है.”
“वो तो जारी रहेगी राजू…हार मान-ने वालो में से नहीं हूँ मैं.”
“मैंने भी जींदगी में हारना नहीं सीखा. मैं जीतूँगा जरूर एक दिन. हो सकता है आज ही जीत जाऊं.”
“कुछ भी हो राजू. ई लव यू फ्रॉम थे बॉटम ऑफ में हार्ट.”
“ई लव यू टू बेबी. अगर ऐसा है तो आज हार मान लो तुम…दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही तुमसे.”
“इमोशनल करने की कोशिश कर रहे हो. खूब समझ रही हूँ मैं. कुछ भी कर लो शादी से पहले कुछ नहीं.”
“अफ…कब होगा डाइवोर्स तुम्हारा. मेरी तो जान पर बन आई है. कोई आशिक अपनी महबूबा के लिए इतना नहीं तड़पा होगा जितना मैं तड़प्ता हूँ तुम्हारे लिए.”
“धीरज रखो मेरे दीवाने. डाइवोर्स फाइल कर तो दिया है ना. थोड़ा वक्त तो लगता ही है इन बातों में”
“तड़प तड़प कर मर ना जाए ये दीवाना.” राजू ने कहा.
पद्मिनी राजू से लिपट गयी और बोली, “ऐसे मत बोलो….ई लव यू सो मच.”
राजू ने पद्मिनी के नितंबों को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे ज़ोर से अपनी तरफ खींचा.
“क्या कर रहे हो.”
“जंग लड़ रहा हूँ और क्या….मेरा हत्यार महसूस नहीं हो रहा क्या तुम्हें”
“अफ फिर से शुरू हो गये…क्या करूँ तुम्हारा मैं.”
“अतचा बस एक बात मान लो मेरी.”
“क्या?”
“जैसे हम दोनों चुंबन लेते हैं होठों से होंठ मिला कर. कम से कम एक बार एक चुंबन तो ले लेने दो दोनों को.”
पद्मिनी की सांसें तेज चलने लगी ये सुन कर.
“प्लीज़ राजू ऐसी बातें मत करो.”
“पर सच कह रहा हूँ…आज बहुत तड़प रहा हूँ मैं. तुम इसे हवस कहो या कुछ और…पर मैं तुम में समा जाना चाहता हूँ आज.”
पद्मिनी को राजू का लिंग ठीक अपनी योनि के ऊपर महसूस हो रहा था. राजू की बातें और लिंग की चुवन कुछ अजीब सा जादू कर रही थी पद्मिनी पर. मगर वो फिर भी खुद को संभाले हुए थी.
“आज कुछ ज्यादा ही दीवाने लग रहे हो.”
“सब तुम्हारे कारण है. क्या लग रही हो तुम आज.कसम से तुम्हें कच्छा चबाने का मान कर रहा है. वैसे एक बात कहूँ.”
“हाँ बोलो.”
“तुम्हारे नितंबों को थामे खड़ा हूँ…कुछ बोल नहीं रही आज तुम.”
“ओह हाँ भूलो गयी. हटाओ हाथ जल्दी.”
“नहीं हथवँगा…कर लो जो करना है.”
“अफ आज तुम खतरनाक मूंड़ में हो. मुझे डर लग रहा है तुमसे.”
“डरना भी चाहिए हहहे.”
राजू ने अपने हाथों से पद्मिनी के नितंबों को मसनला शुरू कर दिया. पद्मिनी की सांसें उखाड़ने लगी.
“राजू नहीं……आआअहह” पद्मिनी ने कहा और राजू को धक्का दे कर उसकी बाहों से आज़ाद हो गयी.“क्या हुआ जानेमन…इतना करीब तो हम रोज ही रहते हैं.”
“आज बर्दास्त नहीं हो रही ये नज़दीकियाँ.”
“मतलब आप जंग हार रही हैं…वेरी गुड”
“हार नहीं मानूँगी मैं.”
“ज़बरदस्ती मत करो अपने साथ पद्मिनी…कभी कभी खुद को आज़ाद छोड दिया करो.”
“वाह…वाह क्या शिकसा दे रहे हो अपनी प्रेमिका को. अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कह सकते हो तुम” पद्मिनी कह कर वॉश रूम की तरफ चल दी.
“कहा जा रही हो.”
“नहाने जा रही हूँ”
“ये आग नहाने से नहीं बुझेगी. इसे आग को बुझाने के लिए एक अलग ही पानी बनाया है भगवान ने. वो पानी मेरे पास है. फ्री ऑफ कॉस्ट तुम्हें देने के लिए तैयार हूँ.”
“मुझे नहीं चाहिए…”
राजू ने भाग कर पद्मिनी को पीछे से दबोच लिया और उसकी गर्दन पर किस करके बोला, “एक बार ट्राइ तो करो…सारी आग ठंडी हो जाएगी”
“मेरे अंदर कोई आग नहीं लगी. मैं तो वैसे ही नहाने जा रही थी. चोदा मुझे.”
राजू के डाई तरफ एक छोटी सी टेबल थी. वो पद्मिनी को खींच कर वहां ले आया और उसका नाडा खोने लगा.
“राजू नहीं प्लीज़…”
“नहीं रोक सकता खुद को मैं अब. चाहे कुछ भी सजा देना मुझे बाद में परवाह नहीं मुझे. अब मैं ये जंग जीतने जा रहा हूँ.”
“नहीं राजू प्लीज़….”
नाडा खोल चुका था राजू और हल्की से सलवार भी नीचे सरका चुका था. पद्मिनी ने अपने दोनों हाथों से अपनी सलवार को अपने कुल्हो पर थाम लिया और अपना नाडा वापिस बंद करने की कोशिश करने लगी. राजू ने पद्मिनी की परवाह किए बगैर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और बोला, “नहीं रोक पाएगी इसे तूफान को मान लो. खुद को आज़ाद छोड तो इन हवाओं में…प्यार है ये कोई पाप नहीं.”
राजू ने एक झटके में सलवार नीचे सरका दी पद्मिनी की.
“राजू क्या अपनी पद्मिनी की बात नहीं मानोगे तुम. प्लीज़ रुक जाओ.”
राजू ने पैंटी भी नीचे सरका दी और बोला, “प्लीज़ ऐसा मत कहो…तुम जानती हो मैं रुक नहीं सकता.”
राजू ने दोनों हाथों से पद्मिनी के नग्न नितंबों को थाम लिया.
“अफ ये मखमली गान्ड….सच में तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं पद्मिनी. यू अरे मोस्ट ब्यूटिफुल वुमन इन थे वर्ल्ड.”
पद्मिनी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी. कुछ अजीब सी मदहोशी छा रही थी उस पर. शायद सब राजू के प्यार का असर था.
“क्या हुआ पद्मिनी…कुछ करो यार ये जंग तुम हार रही हो.”
“तुम्हारी जीत में ही मेरी जीत है राजू. ई लव यू सो मच. तुम्हें तड़प्ता छोड कर मैं जीत भी गयी तो क्या मिल जाएगा मुझे. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हें. कर लो जो करना है तुम्हें. बस मेरा विश्वास मत तोड़ना कभी. हमेशा साथ रहना मेरे.”
“ओह पद्मिनी…ई लव यू सो मच. नाउ फर्स्ट लेट देम किस. बहुत तरसे हैं दोनों एक दूसरे के लिए.”
“आआहह राजू तुम चुप नहीं रही सकते क्या?” राजू की बातें कुछ अजीब सा असर कर रही थी पद्मिनी पर.
राजू ने अपने लिंग को पद्मिनी के योनि के द्वार पर रख दिया. पद्मिनी के शरीर में मानो जैसे बीजली की लहर दौड़ गयी. वो थर थर काँपने लगी.
“बहुत प्यारा चुंबन ले रहे हैं दोनों…क्या तुम्हें फील हो रहा है ये चुंबन पद्मिनी. मुझे तो मेरी आत्मा तक महसूस हो रहा है. ये अहसास जींदगी भर नहीं भूलूंगा मैं.”
“आहह राजू तुम जीत गये और मैं हार गयी. लेकिन एक बात याद रखना…सिर्फ़ तुम्हारे लिए हारी हूँ मैं…खुद को थामना मुझे आता है.”
“जानता हूँ…तभी तो इतना प्यार आ रहा है तुम पर. ई लव यू बेबी. क्या मैं अब प्रवेश करूँ.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“तुम बोल कर तो देखो.”
“ठीक है फिर यही रुक जाओ…वैसे भी तुम पहले सिर्फ़ चुंबन के लिए बोल रहे थे.” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
लेकिन अगले ही पल पद्मिनी की छींख गूँज उठी कमरे में. राजू का भारी भरकम लिंग 2 इंच पद्मिनी की योनि में समा चुका था.
“आआआअहह रजुउुुुुुुउउ धोकेबाज…मक्कार” पद्मिनी कराहते हुए बोली.
“ओह सॉरी पीछे हटने की बजाए आगे को पुश हो गया गलती से. ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ.
पद्मिनी अचानक लिंग के प्रवेश के कारण छटपटा रही थी. टेबल पर बुक्स का ढेर था. एक के ऊपर एक रखी हुई थी. छटपटाहट में कुछ बुक्स ज़मीन पर गिर गयी. एक किताब में से कुछ तस्वीरें बाहर निकल आई. एक तस्वीर को देख कर पद्मिनी सोच में पड़ गयी. मगर अगले ही पल वो फिर से छीनखने पर मजब्ूओर हो गयी. राजू ने 2 इंच और सरका दिया था पद्मिनी के अंदर.
“ऊऊओह……. राजू मेरी जान ले लोगे आज तुम. तुम्हारा प्यार बहुत दर्दनाक साबित हो रहा है…..आआअहह”
“ई लव यू स्वीट हार्ट. ये दर्द का दौड़ जल्द गुजर जाएगा…फिर धीरे धीरे मजा आएगा.”
“एक मिनट रुकोगे तुम.”
“एनितिंग फॉर में पद्मिनी. बोलो क्या बात है.”
“थोड़ी देर रुको बताती हूँ.”
पद्मिनी ने उस तस्वीर को बारे गौर से देखा. देखते देखते कब उसके चेहरे पर पसीने आ गये और रोंगटे खड़े हो गये उसे पता ही नहीं चला.
“राजू ये तस्वीर किशकि है?” पद्मिनी ने ज़मीन पर पड़ी तस्वीर की तरफ इशारा किया.
“ये तो नगमा है. तुम मिल तो चुकी हो उसे. भूल गयी क्या?”
“अरे नगमा को कैसे भूल सकती हूँ मैं. उसकी तस्वीर के ऊपर जो तस्वीर है उसकी बात कर रही हूँ. कौन है ये.” पद्मिनी की आवाज़ में डर और खौफ साफ दीखाई दे रहा था.
“बात क्या है पद्मिनी. तुम डरी हुई सी क्यों लग रही हो.”
“यही साइको है राजू…यही साइको है.” पद्मिनी ने एक साँस में कहा.
राजू के तो पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी ये सुन कर.
“क्या बोल रही हो होश में तो हो तुम. तुम तो कह रही थी की याद नहीं तुम्हें अब उसका चेहरा.”
“हाँ भूल गयी थी उसका चेहरा मैं. लेकिन ये तस्वीर देख कर फिर से याद आ गया. मेरा यकीन करो राजू यही साइको है.”
राजू ने एक ज़ोर का झटका मारा और अपने लिंग को इसे बार पूरा गुस्सा दिया पद्मिनी की योनि में.फिर से दर्दनाक छींख गूँज उठी पद्मिनी की कमरे में.
“आआययईीीईईई….. आआअहह…..क्या कर रहे हो राजू…मैंने इतनी इंपॉर्टेंट बात बताई तुम्हें और तुम बस इसमें खोए हो. ई हटे यू.” पद्मिनी ने गुस्से में कहा.
“सॉरी…पूरा डाल कर ही निकालना चाहता था बाहर.” राजू ने अपने लिंग को बाहर खींचते हुए कहा.
“आआहह…” पद्मिनी कराह उठी.
“ये बात तुरंत रोहित सर को बतानी होगी.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने तुरंत अपनी पैंटी और सलवार ऊपर खींच ली, “आहह ये प्यार दर्द देने वाला है बहुत.” पद्मिनी कराहते हुए बोली.
राजू ने रोहित को फोन मिलाया. उस वक्त रोहित सिकेण्दर पर बंदूक ताने खड़ा था. रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो राजू…कहा हो भाई…कितने लापरवाह हो गये हो. फोन भी नहीं उठाते हो. हो कहा तुम”
“सर फोन साइलेंट मोड पर था.”
“ओके…क्यों फोन किया अब”
“सर साइको का पता चल गया है.”
“क्या?”
“हाँ, पद्मिनी ने उसे पहचान लिया है. उसे सब कुछ याद आ गया उसकी तस्वीर देख कर.?”
“जल्दी बोलो कोन है वो.”
राजू ने जब साइको के बारे में बताया तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया. उसे विश्वास ही नहीं हुआ राजू की बात पर.
“पद्मिनी को फोन देना.” रोहित ने कहा.
राजू ने फोन पद्मिनी को थमा दिया, “रोहित सर बात करना चाहते हैं.”
“हाँ पद्मिनी राजू ने जो कहा क्या सही है वो सब.”
“हाँ…100 परसेंट.”
“ठीक है तुम दोनों वही रहो. कही जाना मत.” रोहित ने फोन काट दिया.
“सरकार उठिए…यू कॅन नाउ वॉक अलोन इन थे डार्क…हम चलते हैं.”
“अजीब बात कर रहे हैं सरकार. वो जो कोई भी था वो तो निकल गया ना हाथ से.”
“तो अतचा है ना…नाउ यू कॅन फ्रीली वॉक अलोन हहहे.”
रोहित सिकेण्दर को वही छोड कर मोहित को लेकर वहां से चल दिया.
“मोहित तुम्हारी पूजा को कुछ नहीं होगा. साइको का पता चल गया है. पद्मिनी ने उसे पहचान लिया है.”
“सच कह रहे हो.”
“हाँ एक दम सच. लेकिन हम उसे उसके तरीके से ही मारेंगे. चल साले के लिए एक आर्टिस्टिक मर्डर का प्लान बनाते हैं. पैंटिंग नहीं आती मुझे मगर मैं उसकी मौत की पैंटिंग जरूर बनावँगा. उल्टी सीधी जैसी भी बने…बनावँगा जरूर.”
“कोन है वो मुझे बता तो सही.”
रोहित ने मोहित को साइको की पहचान बता दी. मोहित भी हैरान रही गया सुन कर.
रोहित ने अपनी दाढ़ी मूच निकाल कर एक तरफ फेंक दी. मोहित मैं मैडम से मिल कर आता हूँ. तुम यही रुको.
रोहित को अपनी और आते देख शालिनी एक तरफ को आ गयी लोगों की भीड़ को छोड कर
“दाढ़ी मूच क्यों उतार दी.” शालिनी ने पूछा.
“जिस काम के लिए यहां आया था वो हो गया इसलिए उतार दी.”
“क्या मतलब?”
“साइको का पता चल गया मैडम.”
“क्या! कोन है वो?”
“अपने स्प साहिब.”
“वॉट…तुम होश में तो हो.”
“जी हाँ पूरे होश में हूँ.पद्मिनी ने पहचान ली उसकी फोटो. अब उनका मायाजाल समझ में आया. खुद को हॉस्पिटल में भरती करवा दिया उसने. ताकि किसी का भी शक ना जाए उस पर. फिर पद्मिनी के घर पर हमला हुआ. हम सब हैरान थे की आख़िर साइको सिर्फ़ पैंटिंग रख कर क्यों चला गया. ये सब हमें भटकाने के लिए था. स्प साहिब को डर था की कही उस पर किसी का शक ना जाए इसलिए ये मायाजाल बुन कर खुद को शक के दायरे से हटा लेना चाहता था वो. मुझे पूरा यकीन है की हॉस्पिटल में नकली इलाज हुआ होगा उसका. डॉक्टर उसकी जान पहचान का था. ज़बरदस्ती आइक्यू में रहा वो हमें बेवकूफ़ बनाने के लिए.”
“विश्वास नहीं हो रहा मुझे ये सुन कर. पुलिस के इतने बारे ऑफिसर जिन पर की लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है…लोगों को मारते फिर रहे हैं.”
“आपको अभी ये नहीं पता की यहां क्या किया उसने. जिसकी शादी में आप आई हैं उसे मर दिया हमारे स्प साहिब ने.”
“ओह माइ गॉड”
“उसे उसी के तरीके से मारेंगे मैडम. वो एक आर्टिस्टिक मर्डर डिज़र्व करता है. हम उसे इसे तरह से मारेंगे की उसे गर्व होगा की वो हमारे हाथों मारा गया.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“एक बात कहनी थी आपसे.” रोहित ने कहा.
“हाँ बोलो.”
रोहित ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे भीड़ से दूर तन्हाई में ले आया.
“क्या कर रहे हो…वहां नहीं बोल सकते थे क्या?”
रोहित ने शालिनी को दीवार से सटा दिया और उसके बहुत करीब आ कर बोला, “क्या आप प्यार करती हैं मुझसे.”
“मुझे नहीं पता.” शालिनी ने टालने की कोशिश की
इतने करीब खड़े थे वो दीवार के सहारे की दोनों की सांसें टकरा रही थी आपस में.
“लेकिन मुझे पता है की मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ.” रोहित ने कहा.
शालिनी खामोश रही. रोहित ने शालिनी के होठों पर अपने होंठ टीकाने की कोशिश की तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया. रोहित ने शालिनी के कंधे पर सर रख दिया और दो आँसू टपक गये उसकी आंखों से.
“इसलिए झीजक रहा था अपने दिल की बात बोलने से. ठुकरा दिया ना मेरा प्यार…” रोहित ने भावुक आवाज़ में कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 53
“वो तो ठीक है यार…मेरी जान किस हाल में होगी सोच कर ही रूह काँप रही है मेरी. वो बहुत डरती है रोहित. बहुत डरती है वो. नहीं सह पाएगी इतना कुछ…नहीं सह पाएगी.” मोहित बहुत इमोशनल हो रहा था. ये सावभाविक भी था.
“सब समझ रहा हूँ भाई…तू ऐसे करेगा तो मेरी भी हिम्मत जवाब दे जाएगी. संभाल खुद को. वो इंतजार कर रही होगी तेरा की तू कुछ करेगा.”
“मुझे पता है तभी तो इमोशनल हो रहा हूँ. अगर कुछ कर नहीं पाया तो मेरा प्यार उस साइको के आगे हार जाएगा.”
“ऐसा कुछ नहीं होगा. उम्मीद का दामन आख़िर तक नहीं छोड़ना चाहिए. वक्त चाहे कितना भी बुरा आ जाए हमें उम्मीद रखनी चाहिए. वक्त कब करवट लेगा हम कह नहीं सकते.”
“सॉरी यार. बहुत ज्यादा इमोशनल हूँ पूजा के लिए मैं. इसलिए ऐसी बातें कर रहा हूँ. अब ठीक हूँ. चल देखते हैं क्या करने वाला है ये साइको. इसे से पहले की वो अपनी गेम में कामयाब हो हमें उसे पकड़ना होगा.”
“ये हुई ना बात.”
“अभी तो यहां शांति लग रही है. हमें हर व्यक्ति पर कड़ी नज़र रखनी होगी.”
“मुझे एक बात समझ में नहीं आई. यहां मेरे लिए क्या खास करेगा वो.”
“तेरी मैडम आ रही है ना यहां…”
“बस यार सुबह सुबह बोल. बड़ी मुश्किल से बची थी पिछली बार वो साइको के जाल से.”
“देखा नहीं होता ना बर्दास्त. अब पता चला की क्या बीत रही है मेरे दिल पर.”
“वो पहले से समझा हुआ हूँ….एक मिनट.”
“क्या हुआ?”
“मैडम से मिल कर आता हूँ.”
“अरे वो तुम्हें नहीं पहचानेगी?”
“देखा जाएगा तू यही रुक.”
रोहित शालिनी की तरफ बढ़ा. वो पिंक सारी में थी और एक दूसरी लेडी से बात कर रही थी.
शालिनी के पास आकर रोहित ने कहा, “एक्सक्यूस में मैडम, आपसे जरूरी बात करनी है.”
“दो ई नो यू?”
“शायद.” रोहित ने कहा.
“गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर. तुम्हें पता नहीं मैं कौन हूँ और क्या कर सकती हूँ.” शालिनी को लगा की उसे छेड़ा जा रहा है.
“आस्प साहिबा हैं आप और मुझे जेल में डाल सकती हैं. लेकिन फिर भी जोखिम लेने को तैयार हूँ. प्लीज़ थोड़ा सा इधर आकर मेरी बात सुन लीजिए.” रोहित थोड़ी आवाज़ बदल कर बोल रहा था इसलिए शालिनी उसे पहचान नहीं पाई. लेकिन वो उसके साथ एक कोने में आ गयी.
“हाँ बोलो क्या बात है.”
“अपने दिल की बात बोल क्यों नहीं देती आप उसे.”
“एक्सक्यूस में….क्या बकवास है ये.”
“रोहित को बोल देना चाहिए आपको सब कुछ.”
“ई हटे हिं. कैसे काहु उसे ये कड़वा सच.”
“क्या कहा आपको नफरत है रोहित से.” रोहित अब अपनी आवाज़ में बोल पड़ा.
“जी हाँ बहुत ज्यादा नफरत है. आपको क्यों तकलीफ हो रही है इसे बात से.”
“हे हेट्स यू टू.” रोहित कह कर चल दिया.
“रोहित रुको”
“तो आपने मुझे पहचान लिया.”
“तुम्हारी आंखों से तुम्हें भीड़ में भी पहचान सकती हूँ.”
“मैडम साइको यहां कोई गेम खेलने वाला है. उसने मुझे यहां बुलाया है. मेरे दोस्त मोहित की गर्लफ्रेंड को अगवा कर लिया है उसने. वो वापिस आ गया है और अब लगता है बहुत कुछ करने के मूंड़ में है. आप यहां से चली जाओ.”
“वैसे मैं कुछ ही देर में जाने वाली थी पर अब तो बिलकुल नहीं जाऊंगी मैं कही.”
“मैडम आप यहां रहेंगी तो मेरा ध्यान आप पर रहेगा.”
“तुम्हें छोड कर नहीं जाऊंगी रोहित. मुझे लाइयबिलिटी मत समझो तुम. आस्प हूँ मैं ऐसे रिस्क लेना मेरी ड्यूटी है.”
“हाँ आप आस्प हैं और मैं इंस्पेक्टर जो सस्पेंड हो चुका है. मेरी बात क्यों मानेगी आप.”
“कैसी बात करते हो रोहित. वो सब अपनी जगह है और तुम्हारा मेरा रिश्ता अपनी जगह है.”
“मेरा और आपका रिश्ता? बस थोड़ा सा और आगे बढ़िए और बोल दीजिए आज अपने दिल की बात.”
“चलो-चलो अपना रास्ता देखो.”
“मैडम प्लीज़ यहां से चली जाओ…मुझे कुछ अजीब होने की आसंका हो रही है. उसने मुझे यहां बुलाया है. हो सकता है वो मुझे परेशान करने के लिए आपको टारगेट करे. मुझे डर लग रहा है.”
“क्यों डरते हो मेरे लिए.”
“पता है आपको.”
“तुम मुझे तो कहते रहते हो की बोल दो…बोल दो. खुद तो तुमने अब तक नहीं कहा कुछ.”
“मेरी औकात ही क्या है आपके सामने. कही ठुकरा ना दिया जाऊं… डरता हूँ इसे बात से”
“इसमें औकात की बात कहा से आ गयी. जाओ तुम मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी.”
“सॉरी मैडम.”
“सॉरी की कोई जरूरत नहीं है. तुम जाओ यहां से.”
“ठीक है मैं जाता हूँ. आप अपना ख्याल रखना. मुझे साइको को ढूंढ़ना है. इसे से पहले की वो कुछ करे मुझे उसे पकड़ना है.”
रोहित कह कर चल दिया.
“रुको…” शालिनी चल कर उसके पास आई और बोली, “तुम भी अपना ख्याल रखना.”
“ओके…” रोहित मुस्करा कर आगे तरफ गया.
रोहित वापिस मोहित के पास आ गया.
“कुछ दीखा ऐसा वैसा कुछ.” रोहित ने कहा
“इतने सारे लोग हैं यहां. सब पर कैसे फोकस करे.” मोहित ने कहा.
“मेरे लिए रीमा की शादी में खास क्या हो सकता है?” रोहित सोच में पड़ गया.
“कही वो रीमा की आर्ट तो नहीं बना रहा.”
“ऑम्ग ये तो मैंने सोचा ही नहीं. चल देखते हैं की रीमा कहा है.” रोहित ने कहा.
दोनों भाग कर पूछते हुए उस जगह पहुँचे जहां रीमा को शादी के लिए तैयार किया जा रहा था.
“एक्सक्यूस में रीमा कहा है.” रोहित ने एक लेडी से पूछा.
“वो ज़रा फ्रेश होने गयी है. जैमला के लिए अभी टाइम है. आप चिंता ना करे वो टाइम से पहुँच जाएगी.”
“कौन से कमरे में है वो” रोहित ने पूछा.
“जीशके सामने मैं खड़ी हूँ.”
रोहित ने तुरंत दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. तब तक छुआहं भी वहां पहुँच गया था.
“हे कोन हो तुम और ये दरवाजा क्यों पीट रहे हो.”
“सर मैं रोहित हूँ. रीमा की जान को खतरा है.”
“क्या बकवास कर रहे हो. दफा हो जाओ यहां से.”
मगर रोहित ने चौहान की एक ना शुनि. उसने वो दरवाजे पर इतनी ज़ोर से धक्का मारा की वो गिर गया. जब रोहित अंदर गुस्सा तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. वो देख नहीं पाया अंदर का दृश्या.
कमरे में खून से लथपथ रीमा की नंगी लाश पड़ी थी. सर से लेकर पाँव तक वो खून के रंग में रंगी थी. कमरे के शीसे पर साइको कुछ लिख गया था. जिसे पढ़ कर किसी की भी रूह काँप जाएगी
“मेरे हाथों से कोई बच जाता है तो मुझे बर्दास्त नहीं होता. लेकिन कोई एक बार बच सकता है दूसरी बार नहीं. दूसरी बार मेरा प्लान और भी ज्यादा भयानक होता है. मिस्टर रोहित पांडे…रीमा को लाल सारी की बजाए लाल खून से रंग दिया है मैंने. रीमा की शादी मुमारक हो तुम्हें.”
रोहित खुद को थाम नहीं सका और रो पड़ा. चौहान तो बेहोश हो कर गिर गया वही.
“सॉरी रीमा…कुछ नहीं कर पाया तुम्हारे लिए. मैंने आने में देर कर दी.”
मोहित ने ध्यान दिया की कमरे की खिड़की खुली पड़ी है.
“रोहित वो मर्डर करके खिड़की से भगा है.” मोहित ने कहा.
“छोड़ेंगे नहीं साले को….आओ देखते हैं” रोहित चिल्लाया.
दोनों खिड़की से कूद कर बाहर आते हैं. उन्हें एक साया भागता हुआ नज़र आता है.
रोहित और मोहित दोनों उसके पीछे भागते हैं.
“हे रुक जाओ वरना गोली मर दूँगा.” रोहित छील्लता है.
पर वो साया नहीं रुकता.
वो साया भागता हुआ किसी चीज़ से टकरा कर गिर जाता है और रोहित और मोहित उसे दबोच लेते हैं.
“अरे चोदा मुझे कोन हो तुम लोग. इंस्पेक्टर सिकेण्दर पर हाथ डालने का आज़ाम बहुत बुरा होगा जान लो.”
रोहित ने सिकेण्दर के सर पिस्तौल रख दी और बोला, “क्या कर रहे थे तुम यहां और जब हम रुकने को बोल रहे थे तो रुके क्यों नहीं. जल्दी बोलो वरना भेजा उड़ा दूँगा. मेरा दिमाग घुमा हुआ है अभी.”
“सिकेण्दर का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता पांडे जी. पीछे हटिए बंदूक मेरे पास भी है.”
“पहले तुम ये बताओ यहां कर क्या रहे थे.”
“मैंने किसी को खिड़की से कूद कर भागते देखा. उसी का पीछा कर रहा था मैं.”
“झूठ बोल रहे हो तुम. हमने किसी को नहीं देखा तुम्हारे आगे. तुम अकेले ही भागे जा रहे थे.”
“सिकेण्दर वॉक्स अलोन इन थे डार्क लेकिन आज मैं अंधेरे में किसी का पीछा कर रहा था. मेरा यकीन करो.”
“रोहित जरूर कुछ गड़बड़ है. हमने किसी को भी नहीं देखा. बस ये अकेला भगा जा रहा था.” मोहित ने रोहित के कान में कहा.
राजू और पद्मिनी अपने प्यार की खुमारी में खोए थे. उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था की पूजा को किडनॅप कर लिया है साइको ने और रीमा को मर दिया है. दोनों दुनिया की हर बात से बेख़बर थे. राजू पद्मिनी को बाहर डिनर करवा कर आज फिर से अपने घर ले आया था.
“पूरे एक महीने बाद वापिस आए हैं हम इसे छोटे से घर में. हमारी जंग अभी भी जारी है.”
“वो तो जारी रहेगी राजू…हार मान-ने वालो में से नहीं हूँ मैं.”
“मैंने भी जींदगी में हारना नहीं सीखा. मैं जीतूँगा जरूर एक दिन. हो सकता है आज ही जीत जाऊं.”
“कुछ भी हो राजू. ई लव यू फ्रॉम थे बॉटम ऑफ में हार्ट.”
“ई लव यू टू बेबी. अगर ऐसा है तो आज हार मान लो तुम…दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही तुमसे.”
“इमोशनल करने की कोशिश कर रहे हो. खूब समझ रही हूँ मैं. कुछ भी कर लो शादी से पहले कुछ नहीं.”
“अफ…कब होगा डाइवोर्स तुम्हारा. मेरी तो जान पर बन आई है. कोई आशिक अपनी महबूबा के लिए इतना नहीं तड़पा होगा जितना मैं तड़प्ता हूँ तुम्हारे लिए.”
“धीरज रखो मेरे दीवाने. डाइवोर्स फाइल कर तो दिया है ना. थोड़ा वक्त तो लगता ही है इन बातों में”
“तड़प तड़प कर मर ना जाए ये दीवाना.” राजू ने कहा.
पद्मिनी राजू से लिपट गयी और बोली, “ऐसे मत बोलो….ई लव यू सो मच.”
राजू ने पद्मिनी के नितंबों को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे ज़ोर से अपनी तरफ खींचा.
“क्या कर रहे हो.”
“जंग लड़ रहा हूँ और क्या….मेरा हत्यार महसूस नहीं हो रहा क्या तुम्हें”
“अफ फिर से शुरू हो गये…क्या करूँ तुम्हारा मैं.”
“अतचा बस एक बात मान लो मेरी.”
“क्या?”
“जैसे हम दोनों चुंबन लेते हैं होठों से होंठ मिला कर. कम से कम एक बार एक चुंबन तो ले लेने दो दोनों को.”
पद्मिनी की सांसें तेज चलने लगी ये सुन कर.
“प्लीज़ राजू ऐसी बातें मत करो.”
“पर सच कह रहा हूँ…आज बहुत तड़प रहा हूँ मैं. तुम इसे हवस कहो या कुछ और…पर मैं तुम में समा जाना चाहता हूँ आज.”
पद्मिनी को राजू का लिंग ठीक अपनी योनि के ऊपर महसूस हो रहा था. राजू की बातें और लिंग की चुवन कुछ अजीब सा जादू कर रही थी पद्मिनी पर. मगर वो फिर भी खुद को संभाले हुए थी.
“आज कुछ ज्यादा ही दीवाने लग रहे हो.”
“सब तुम्हारे कारण है. क्या लग रही हो तुम आज.कसम से तुम्हें कच्छा चबाने का मान कर रहा है. वैसे एक बात कहूँ.”
“हाँ बोलो.”
“तुम्हारे नितंबों को थामे खड़ा हूँ…कुछ बोल नहीं रही आज तुम.”
“ओह हाँ भूलो गयी. हटाओ हाथ जल्दी.”
“नहीं हथवँगा…कर लो जो करना है.”
“अफ आज तुम खतरनाक मूंड़ में हो. मुझे डर लग रहा है तुमसे.”
“डरना भी चाहिए हहहे.”
राजू ने अपने हाथों से पद्मिनी के नितंबों को मसनला शुरू कर दिया. पद्मिनी की सांसें उखाड़ने लगी.
“राजू नहीं……आआअहह” पद्मिनी ने कहा और राजू को धक्का दे कर उसकी बाहों से आज़ाद हो गयी.“क्या हुआ जानेमन…इतना करीब तो हम रोज ही रहते हैं.”
“आज बर्दास्त नहीं हो रही ये नज़दीकियाँ.”
“मतलब आप जंग हार रही हैं…वेरी गुड”
“हार नहीं मानूँगी मैं.”
“ज़बरदस्ती मत करो अपने साथ पद्मिनी…कभी कभी खुद को आज़ाद छोड दिया करो.”
“वाह…वाह क्या शिकसा दे रहे हो अपनी प्रेमिका को. अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कह सकते हो तुम” पद्मिनी कह कर वॉश रूम की तरफ चल दी.
“कहा जा रही हो.”
“नहाने जा रही हूँ”
“ये आग नहाने से नहीं बुझेगी. इसे आग को बुझाने के लिए एक अलग ही पानी बनाया है भगवान ने. वो पानी मेरे पास है. फ्री ऑफ कॉस्ट तुम्हें देने के लिए तैयार हूँ.”
“मुझे नहीं चाहिए…”
राजू ने भाग कर पद्मिनी को पीछे से दबोच लिया और उसकी गर्दन पर किस करके बोला, “एक बार ट्राइ तो करो…सारी आग ठंडी हो जाएगी”
“मेरे अंदर कोई आग नहीं लगी. मैं तो वैसे ही नहाने जा रही थी. चोदा मुझे.”
राजू के डाई तरफ एक छोटी सी टेबल थी. वो पद्मिनी को खींच कर वहां ले आया और उसका नाडा खोने लगा.
“राजू नहीं प्लीज़…”
“नहीं रोक सकता खुद को मैं अब. चाहे कुछ भी सजा देना मुझे बाद में परवाह नहीं मुझे. अब मैं ये जंग जीतने जा रहा हूँ.”
“नहीं राजू प्लीज़….”
नाडा खोल चुका था राजू और हल्की से सलवार भी नीचे सरका चुका था. पद्मिनी ने अपने दोनों हाथों से अपनी सलवार को अपने कुल्हो पर थाम लिया और अपना नाडा वापिस बंद करने की कोशिश करने लगी. राजू ने पद्मिनी की परवाह किए बगैर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और बोला, “नहीं रोक पाएगी इसे तूफान को मान लो. खुद को आज़ाद छोड तो इन हवाओं में…प्यार है ये कोई पाप नहीं.”
राजू ने एक झटके में सलवार नीचे सरका दी पद्मिनी की.
“राजू क्या अपनी पद्मिनी की बात नहीं मानोगे तुम. प्लीज़ रुक जाओ.”
राजू ने पैंटी भी नीचे सरका दी और बोला, “प्लीज़ ऐसा मत कहो…तुम जानती हो मैं रुक नहीं सकता.”
राजू ने दोनों हाथों से पद्मिनी के नग्न नितंबों को थाम लिया.
“अफ ये मखमली गान्ड….सच में तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं पद्मिनी. यू अरे मोस्ट ब्यूटिफुल वुमन इन थे वर्ल्ड.”
पद्मिनी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी. कुछ अजीब सी मदहोशी छा रही थी उस पर. शायद सब राजू के प्यार का असर था.
“क्या हुआ पद्मिनी…कुछ करो यार ये जंग तुम हार रही हो.”
“तुम्हारी जीत में ही मेरी जीत है राजू. ई लव यू सो मच. तुम्हें तड़प्ता छोड कर मैं जीत भी गयी तो क्या मिल जाएगा मुझे. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हें. कर लो जो करना है तुम्हें. बस मेरा विश्वास मत तोड़ना कभी. हमेशा साथ रहना मेरे.”
“ओह पद्मिनी…ई लव यू सो मच. नाउ फर्स्ट लेट देम किस. बहुत तरसे हैं दोनों एक दूसरे के लिए.”
“आआहह राजू तुम चुप नहीं रही सकते क्या?” राजू की बातें कुछ अजीब सा असर कर रही थी पद्मिनी पर.
राजू ने अपने लिंग को पद्मिनी के योनि के द्वार पर रख दिया. पद्मिनी के शरीर में मानो जैसे बीजली की लहर दौड़ गयी. वो थर थर काँपने लगी.
“बहुत प्यारा चुंबन ले रहे हैं दोनों…क्या तुम्हें फील हो रहा है ये चुंबन पद्मिनी. मुझे तो मेरी आत्मा तक महसूस हो रहा है. ये अहसास जींदगी भर नहीं भूलूंगा मैं.”
“आहह राजू तुम जीत गये और मैं हार गयी. लेकिन एक बात याद रखना…सिर्फ़ तुम्हारे लिए हारी हूँ मैं…खुद को थामना मुझे आता है.”
“जानता हूँ…तभी तो इतना प्यार आ रहा है तुम पर. ई लव यू बेबी. क्या मैं अब प्रवेश करूँ.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“तुम बोल कर तो देखो.”
“ठीक है फिर यही रुक जाओ…वैसे भी तुम पहले सिर्फ़ चुंबन के लिए बोल रहे थे.” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
लेकिन अगले ही पल पद्मिनी की छींख गूँज उठी कमरे में. राजू का भारी भरकम लिंग 2 इंच पद्मिनी की योनि में समा चुका था.
“आआआअहह रजुउुुुुुुउउ धोकेबाज…मक्कार” पद्मिनी कराहते हुए बोली.
“ओह सॉरी पीछे हटने की बजाए आगे को पुश हो गया गलती से. ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ.
पद्मिनी अचानक लिंग के प्रवेश के कारण छटपटा रही थी. टेबल पर बुक्स का ढेर था. एक के ऊपर एक रखी हुई थी. छटपटाहट में कुछ बुक्स ज़मीन पर गिर गयी. एक किताब में से कुछ तस्वीरें बाहर निकल आई. एक तस्वीर को देख कर पद्मिनी सोच में पड़ गयी. मगर अगले ही पल वो फिर से छीनखने पर मजब्ूओर हो गयी. राजू ने 2 इंच और सरका दिया था पद्मिनी के अंदर.
“ऊऊओह……. राजू मेरी जान ले लोगे आज तुम. तुम्हारा प्यार बहुत दर्दनाक साबित हो रहा है…..आआअहह”
“ई लव यू स्वीट हार्ट. ये दर्द का दौड़ जल्द गुजर जाएगा…फिर धीरे धीरे मजा आएगा.”
“एक मिनट रुकोगे तुम.”
“एनितिंग फॉर में पद्मिनी. बोलो क्या बात है.”
“थोड़ी देर रुको बताती हूँ.”
पद्मिनी ने उस तस्वीर को बारे गौर से देखा. देखते देखते कब उसके चेहरे पर पसीने आ गये और रोंगटे खड़े हो गये उसे पता ही नहीं चला.
“राजू ये तस्वीर किशकि है?” पद्मिनी ने ज़मीन पर पड़ी तस्वीर की तरफ इशारा किया.
“ये तो नगमा है. तुम मिल तो चुकी हो उसे. भूल गयी क्या?”
“अरे नगमा को कैसे भूल सकती हूँ मैं. उसकी तस्वीर के ऊपर जो तस्वीर है उसकी बात कर रही हूँ. कौन है ये.” पद्मिनी की आवाज़ में डर और खौफ साफ दीखाई दे रहा था.
“बात क्या है पद्मिनी. तुम डरी हुई सी क्यों लग रही हो.”
“यही साइको है राजू…यही साइको है.” पद्मिनी ने एक साँस में कहा.
राजू के तो पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी ये सुन कर.
“क्या बोल रही हो होश में तो हो तुम. तुम तो कह रही थी की याद नहीं तुम्हें अब उसका चेहरा.”
“हाँ भूल गयी थी उसका चेहरा मैं. लेकिन ये तस्वीर देख कर फिर से याद आ गया. मेरा यकीन करो राजू यही साइको है.”
राजू ने एक ज़ोर का झटका मारा और अपने लिंग को इसे बार पूरा गुस्सा दिया पद्मिनी की योनि में.फिर से दर्दनाक छींख गूँज उठी पद्मिनी की कमरे में.
“आआययईीीईईई….. आआअहह…..क्या कर रहे हो राजू…मैंने इतनी इंपॉर्टेंट बात बताई तुम्हें और तुम बस इसमें खोए हो. ई हटे यू.” पद्मिनी ने गुस्से में कहा.
“सॉरी…पूरा डाल कर ही निकालना चाहता था बाहर.” राजू ने अपने लिंग को बाहर खींचते हुए कहा.
“आआहह…” पद्मिनी कराह उठी.
“ये बात तुरंत रोहित सर को बतानी होगी.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने तुरंत अपनी पैंटी और सलवार ऊपर खींच ली, “आहह ये प्यार दर्द देने वाला है बहुत.” पद्मिनी कराहते हुए बोली.
राजू ने रोहित को फोन मिलाया. उस वक्त रोहित सिकेण्दर पर बंदूक ताने खड़ा था. रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो राजू…कहा हो भाई…कितने लापरवाह हो गये हो. फोन भी नहीं उठाते हो. हो कहा तुम”
“सर फोन साइलेंट मोड पर था.”
“ओके…क्यों फोन किया अब”
“सर साइको का पता चल गया है.”
“क्या?”
“हाँ, पद्मिनी ने उसे पहचान लिया है. उसे सब कुछ याद आ गया उसकी तस्वीर देख कर.?”
“जल्दी बोलो कोन है वो.”
राजू ने जब साइको के बारे में बताया तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया. उसे विश्वास ही नहीं हुआ राजू की बात पर.
“पद्मिनी को फोन देना.” रोहित ने कहा.
राजू ने फोन पद्मिनी को थमा दिया, “रोहित सर बात करना चाहते हैं.”
“हाँ पद्मिनी राजू ने जो कहा क्या सही है वो सब.”
“हाँ…100 परसेंट.”
“ठीक है तुम दोनों वही रहो. कही जाना मत.” रोहित ने फोन काट दिया.
“सरकार उठिए…यू कॅन नाउ वॉक अलोन इन थे डार्क…हम चलते हैं.”
“अजीब बात कर रहे हैं सरकार. वो जो कोई भी था वो तो निकल गया ना हाथ से.”
“तो अतचा है ना…नाउ यू कॅन फ्रीली वॉक अलोन हहहे.”
रोहित सिकेण्दर को वही छोड कर मोहित को लेकर वहां से चल दिया.
“मोहित तुम्हारी पूजा को कुछ नहीं होगा. साइको का पता चल गया है. पद्मिनी ने उसे पहचान लिया है.”
“सच कह रहे हो.”
“हाँ एक दम सच. लेकिन हम उसे उसके तरीके से ही मारेंगे. चल साले के लिए एक आर्टिस्टिक मर्डर का प्लान बनाते हैं. पैंटिंग नहीं आती मुझे मगर मैं उसकी मौत की पैंटिंग जरूर बनावँगा. उल्टी सीधी जैसी भी बने…बनावँगा जरूर.”
“कोन है वो मुझे बता तो सही.”
रोहित ने मोहित को साइको की पहचान बता दी. मोहित भी हैरान रही गया सुन कर.
रोहित ने अपनी दाढ़ी मूच निकाल कर एक तरफ फेंक दी. मोहित मैं मैडम से मिल कर आता हूँ. तुम यही रुको.
रोहित को अपनी और आते देख शालिनी एक तरफ को आ गयी लोगों की भीड़ को छोड कर
“दाढ़ी मूच क्यों उतार दी.” शालिनी ने पूछा.
“जिस काम के लिए यहां आया था वो हो गया इसलिए उतार दी.”
“क्या मतलब?”
“साइको का पता चल गया मैडम.”
“क्या! कोन है वो?”
“अपने स्प साहिब.”
“वॉट…तुम होश में तो हो.”
“जी हाँ पूरे होश में हूँ.पद्मिनी ने पहचान ली उसकी फोटो. अब उनका मायाजाल समझ में आया. खुद को हॉस्पिटल में भरती करवा दिया उसने. ताकि किसी का भी शक ना जाए उस पर. फिर पद्मिनी के घर पर हमला हुआ. हम सब हैरान थे की आख़िर साइको सिर्फ़ पैंटिंग रख कर क्यों चला गया. ये सब हमें भटकाने के लिए था. स्प साहिब को डर था की कही उस पर किसी का शक ना जाए इसलिए ये मायाजाल बुन कर खुद को शक के दायरे से हटा लेना चाहता था वो. मुझे पूरा यकीन है की हॉस्पिटल में नकली इलाज हुआ होगा उसका. डॉक्टर उसकी जान पहचान का था. ज़बरदस्ती आइक्यू में रहा वो हमें बेवकूफ़ बनाने के लिए.”
“विश्वास नहीं हो रहा मुझे ये सुन कर. पुलिस के इतने बारे ऑफिसर जिन पर की लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है…लोगों को मारते फिर रहे हैं.”
“आपको अभी ये नहीं पता की यहां क्या किया उसने. जिसकी शादी में आप आई हैं उसे मर दिया हमारे स्प साहिब ने.”
“ओह माइ गॉड”
“उसे उसी के तरीके से मारेंगे मैडम. वो एक आर्टिस्टिक मर्डर डिज़र्व करता है. हम उसे इसे तरह से मारेंगे की उसे गर्व होगा की वो हमारे हाथों मारा गया.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“एक बात कहनी थी आपसे.” रोहित ने कहा.
“हाँ बोलो.”
रोहित ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे भीड़ से दूर तन्हाई में ले आया.
“क्या कर रहे हो…वहां नहीं बोल सकते थे क्या?”
रोहित ने शालिनी को दीवार से सटा दिया और उसके बहुत करीब आ कर बोला, “क्या आप प्यार करती हैं मुझसे.”
“मुझे नहीं पता.” शालिनी ने टालने की कोशिश की
इतने करीब खड़े थे वो दीवार के सहारे की दोनों की सांसें टकरा रही थी आपस में.
“लेकिन मुझे पता है की मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ.” रोहित ने कहा.
शालिनी खामोश रही. रोहित ने शालिनी के होठों पर अपने होंठ टीकाने की कोशिश की तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया. रोहित ने शालिनी के कंधे पर सर रख दिया और दो आँसू टपक गये उसकी आंखों से.
“इसलिए झीजक रहा था अपने दिल की बात बोलने से. ठुकरा दिया ना मेरा प्यार…” रोहित ने भावुक आवाज़ में कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 53