वह कौन थी ?
Posted: 15 Dec 2014 16:02
वह कौन थी ?
बात कोई 15-16 साल पहले की है। मैं जिस जगह पर काम करता था वहीं पास में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इस फ्लैट में मैं अकेला ही रहता था। इस फ्लैट में एक बड़ा-सा हाल था और इसी हाल से सटा एक बाथरूम और रसोईघर।मैं आपको बता दूँ कि इस फ्लैट का हाल बहुत बड़ा था और इसके पिछले छोर परसी से जड़ित दरवाजे लगे थे जिसे आप आसानी से खोल सकते थे। पर मैं इस हाल के पिछले भाग को बहुत कम ही खोलता था क्योंकि कभी-कभी भूलवश अगर यह खुला रह गया तो बंदर आदि आसानी से घर में आ जाते थे और बहुत सारा सामान इधर-उधर कर देते है। आप सोच रहे होंगे कि बंदर आदि कहाँ से आते होंगे तो मैं आप लोगों को बताना भूल गया कि यह हमारी बिल्डिंग एकदम से एक सुनसान किनारे पर थी और इसके अगल-बगल में बहुत सारे पेड़-पौधे, जंगली झाड़ियाँ आदि थीं।
एक दिन शाम के समय मेरे गाँव का ही एक लड़का जो उसी शहर में किसी दूसरी कंपनी में काम करता था, मुझसे मिलने आया। मैंने उससे कहा कि आज तुम यहीं रूक जाओ और सुबह यहीं से ड्यूटी चले जाना। पर वह बोला कि मेरी ड्यूटी सुबह 7 बजे से होती है इसलिए मुझे 5 बजे जगना पड़ेगा और आप तो 7-8 बजे तक सोए रहते हैं तो कहीं मैं भी सोया रह गयातो मेरी ड्यूटी नहीं हो पाएगी। इस पर मैंने कहा कि कोई बात नहीं। एक काम करते हैं, चार बजे सुबह का एलार्म लगा देते हैं और तूँ जल्दी से जगकर अपने लिए टिफिन भी बना लेना पर हाँ एक काम करना मुझे मत जगाना। रात को खा-पीकर लगभग 11.30 तक हम लोग सो गए। हम दोनों हाल में ही सोए थे। मैं खाट पर सोया था और वह लड़का लगभग मेरे से 2 मीटर की दूरी पर चटाई बिछाकर नीचे ही सोया था। एक बात और रात को सोते समय भी मैं हाल में जीरो वाट का बल्ब जलाकर रखता था
अचानक लगभग रात के दो बजे मेरी नींद खुली। यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि वास्तव में मेरी नींद खुल गयी थी पर मैं लेटे-लेटे ही मेरी नजर किचन के दरवाजे की ओर चली गई, मैं क्या देखता हूँ कि एक व्यक्ति किचन का दरवाजा खोलकर अंदर गया और मैं कुछ बोलूँ उससे पहले ही फिर से किचन का दरवाजा धीरे-धीरे बंद हो गया। मुझे इसमें कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मुझे पता था कि गाँव वाला लड़का ड्यूटी के लिए लेट न हो इस चक्कर में जल्दी जग गया होगा। बिना गाँववाले बच्चे की ओर देखे ही ये सब बातें मेरे दिमाग में उठ रही थीं। पर अरे यह क्या फिर से अचानक किचन का दरवाजा खुला और उसमें से एक आदमी निकलकर बाथरूम में घुसा और फिर से बाथरूम का दरवाजा बंद हो गया।
अब तो मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया और चूँकि वह गाँव का लड़का रिश्ते में मेरा लड़का लगता है इसलिए मैंने घड़ी देखी और उसके बिस्तर की ओर देखकर गाली देते हुए बोला कि बेटे अभी तो 3 भी नहीं बजा है और तूने जगकर खटर-पटर शुरू कर दिया। अरे यह क्या इतना कहते ही अचानक मेरे दिमाग में यह बात आई कि मैं इसे क्यों बोल रहा हूँ यह तो सोया है। अब तो मैं फटाक से खाट से उठा और दौड़कर उस बच्चे को जगाया, वह आँख मलते हुए उठा पर मैं उसको कुछ बताए बिना सिर्फ इतना ही पूछा कि क्या तूँ 2-3 मिनट पहले जगा था तो वह बोला नहीं तो और वह फिर से सो गया।अब मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, मैंने हाल में लगे ट्यूब को भी जला दिया था अब पूरे हालमें पूरा प्रकाश था और मेरी नजरें अब कभी बाथरूम के दरवाजे पर तो कभी किचन के दरवाजे पर थीं पर किचन और बाथरूम के दरवाजे अब पूरी तरह से बंद थे अब मैं हिम्मत करके उठा और धीरे से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला। बाथरूम छोटा था और उसमें कोई नहीं दिखा इसके बाद मैं किचन का दरवाजा खोला और उसमें भी लगे बल्ब को जला दिया पर वहाँ भी कोई नहीं था अब मैं क्या करूँ। नींद भी एकदम से उड़ चुकी थी। इस घटना का जिक्र मैंने किसी से नहीं किया। मुझे लगा यह मेरा वहम था और अगर किसी को बताऊँगा तो कोई मेरे रूम में भी शायद आने में डरने लगे।
बात कोई 15-16 साल पहले की है। मैं जिस जगह पर काम करता था वहीं पास में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इस फ्लैट में मैं अकेला ही रहता था। इस फ्लैट में एक बड़ा-सा हाल था और इसी हाल से सटा एक बाथरूम और रसोईघर।मैं आपको बता दूँ कि इस फ्लैट का हाल बहुत बड़ा था और इसके पिछले छोर परसी से जड़ित दरवाजे लगे थे जिसे आप आसानी से खोल सकते थे। पर मैं इस हाल के पिछले भाग को बहुत कम ही खोलता था क्योंकि कभी-कभी भूलवश अगर यह खुला रह गया तो बंदर आदि आसानी से घर में आ जाते थे और बहुत सारा सामान इधर-उधर कर देते है। आप सोच रहे होंगे कि बंदर आदि कहाँ से आते होंगे तो मैं आप लोगों को बताना भूल गया कि यह हमारी बिल्डिंग एकदम से एक सुनसान किनारे पर थी और इसके अगल-बगल में बहुत सारे पेड़-पौधे, जंगली झाड़ियाँ आदि थीं।
एक दिन शाम के समय मेरे गाँव का ही एक लड़का जो उसी शहर में किसी दूसरी कंपनी में काम करता था, मुझसे मिलने आया। मैंने उससे कहा कि आज तुम यहीं रूक जाओ और सुबह यहीं से ड्यूटी चले जाना। पर वह बोला कि मेरी ड्यूटी सुबह 7 बजे से होती है इसलिए मुझे 5 बजे जगना पड़ेगा और आप तो 7-8 बजे तक सोए रहते हैं तो कहीं मैं भी सोया रह गयातो मेरी ड्यूटी नहीं हो पाएगी। इस पर मैंने कहा कि कोई बात नहीं। एक काम करते हैं, चार बजे सुबह का एलार्म लगा देते हैं और तूँ जल्दी से जगकर अपने लिए टिफिन भी बना लेना पर हाँ एक काम करना मुझे मत जगाना। रात को खा-पीकर लगभग 11.30 तक हम लोग सो गए। हम दोनों हाल में ही सोए थे। मैं खाट पर सोया था और वह लड़का लगभग मेरे से 2 मीटर की दूरी पर चटाई बिछाकर नीचे ही सोया था। एक बात और रात को सोते समय भी मैं हाल में जीरो वाट का बल्ब जलाकर रखता था
अचानक लगभग रात के दो बजे मेरी नींद खुली। यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि वास्तव में मेरी नींद खुल गयी थी पर मैं लेटे-लेटे ही मेरी नजर किचन के दरवाजे की ओर चली गई, मैं क्या देखता हूँ कि एक व्यक्ति किचन का दरवाजा खोलकर अंदर गया और मैं कुछ बोलूँ उससे पहले ही फिर से किचन का दरवाजा धीरे-धीरे बंद हो गया। मुझे इसमें कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मुझे पता था कि गाँव वाला लड़का ड्यूटी के लिए लेट न हो इस चक्कर में जल्दी जग गया होगा। बिना गाँववाले बच्चे की ओर देखे ही ये सब बातें मेरे दिमाग में उठ रही थीं। पर अरे यह क्या फिर से अचानक किचन का दरवाजा खुला और उसमें से एक आदमी निकलकर बाथरूम में घुसा और फिर से बाथरूम का दरवाजा बंद हो गया।
अब तो मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया और चूँकि वह गाँव का लड़का रिश्ते में मेरा लड़का लगता है इसलिए मैंने घड़ी देखी और उसके बिस्तर की ओर देखकर गाली देते हुए बोला कि बेटे अभी तो 3 भी नहीं बजा है और तूने जगकर खटर-पटर शुरू कर दिया। अरे यह क्या इतना कहते ही अचानक मेरे दिमाग में यह बात आई कि मैं इसे क्यों बोल रहा हूँ यह तो सोया है। अब तो मैं फटाक से खाट से उठा और दौड़कर उस बच्चे को जगाया, वह आँख मलते हुए उठा पर मैं उसको कुछ बताए बिना सिर्फ इतना ही पूछा कि क्या तूँ 2-3 मिनट पहले जगा था तो वह बोला नहीं तो और वह फिर से सो गया।अब मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, मैंने हाल में लगे ट्यूब को भी जला दिया था अब पूरे हालमें पूरा प्रकाश था और मेरी नजरें अब कभी बाथरूम के दरवाजे पर तो कभी किचन के दरवाजे पर थीं पर किचन और बाथरूम के दरवाजे अब पूरी तरह से बंद थे अब मैं हिम्मत करके उठा और धीरे से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला। बाथरूम छोटा था और उसमें कोई नहीं दिखा इसके बाद मैं किचन का दरवाजा खोला और उसमें भी लगे बल्ब को जला दिया पर वहाँ भी कोई नहीं था अब मैं क्या करूँ। नींद भी एकदम से उड़ चुकी थी। इस घटना का जिक्र मैंने किसी से नहीं किया। मुझे लगा यह मेरा वहम था और अगर किसी को बताऊँगा तो कोई मेरे रूम में भी शायद आने में डरने लगे।