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भूत कथा-- क्या लता का सुन्दर होना पाप था?

Posted: 15 Dec 2014 16:52
by The Romantic
भूत कथा
क्या लता का सुन्दर होना पाप था?
(आलेख: जाकिर अली ‘रजनीश’)

लता ने जब सोलहवें साल में कदम रखा, तो उसकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक गूंजने लगे। वह सुंदर होने के साथ-साथ अच्*छी खिलाड़ी भी है। साथ ही नृत्*य में भी उसका कोई जवाब नहीं। जो भी उसे देखता है, बस देखता ही रह जाता है।

पर किसे पता था कि लता की यही खूबियॉं उसके लिए अभिशाप बन जाऍंगी। हुआ यूं कि एक दिन जब वह सुबह नहाने के लिए अपने कपड़े उतार रही थी, तो उसने देखा कि उसकी फ्राक सामने से फटी हुई है। रात को सोते समय फ्राक कैसे फटी, यह उसके लिए ही नहीं उसके घर वालों के लिए भी आश्*चर्य का विषय था। पर जब दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी यही हुआ, तो उसके माता-पिता के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गयीं। कारण यह था कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्*छी नहीं थी।

लता की मॉं को लगा कि कहीं लता जानबूझ कर तो ऐसा नहीं कर रही है। इसलिए उन्*होंने लता को डांटा और एक चाटा भी रसीद कर दिया। लेकिन मामला और बिगड़ गया। अगले दिन जब लता उठी, तो उसकी फ्राक सीने के पास बुरी तरह से कटी हुई थी। फिर तो यह रोज का ही क्रम बन गया। लता के पास जितने भी कपड़े थे, सब का यही हश्र हुआ। नतीजतन लता को पेबंद लगा कर कपड़े पहनने के लिए मजबूर होना पड़ा।

रोज-रोज कपड़े फटने की घटना देख कर लता की मॉं को लगा कि यह किसी भूत-प्रेत का काम है। इसलिए उन्होंने एक भूत झाड़ने को बुलाया। ओझा आया, उसने अपने अपना क्रिया कर्म किया, मन्त्रों का जाप किया, अभिमंत्रित करके ताबीज लता को पहनाया और फीस लेकर चला गया। लेकिन अगले दिन तो गजब ही हो गया। लता की पहनी हुई फ्राक आग से जली हुई थी। और जलने का निशान ठीक सीने के उपर था। यह देख कर लता के मॉं-बाप बुरी तरह से डर गये। लता के लिए नये कपड़े खरीदना अब उनके वश में नहीं था, इसलिए उन्होंने उसके कमरे से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी।

अगले दिन जब लता उठी, तो उसके लंबे बाल कटे हुए बिस्तर पर बिखरे पड़े थे। यह देखकर लता जोर-जोर से रोने लगी। माता-पिता की समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। उन्होंने शहर से एक मशहूर ओझा को बुलाने का फैसला किया।

ओझा साहब नियत समय पर आ गये। उन्होंने बताया कि एक आत्मा लता पर मोहित हो गयी है। वह रोज रात को लता के कमरे में आती है और उससे जबरदस्ती करती है। लता जब उसका विरोध करती है, तो वह उसके कपड़े फाड़ देती है अथवा जला देती है। ओझा ने आश्वस्त करते हुए कहा कि मैं एक ताबीज इसके दाहिने हाथ में बॉंध रहा हूँ, अब यह भूत इसे परेशान नहीं कर पाएगा। लेकिन अगले दिन जब लता उठी, तो उसके कपड़े तो फटे हुए थे ही, साथ ही सीने पर खरोंच के गहरे निशान भी बने हुए थे। उन निशानों में खून का रिसाव भी हुआ था और वह बह कर जम गया था। यह देख कर लता बुरी तरह से घबरा गयी और जोर-जोर से रोने गयी।

Re: भूत कथा-- क्या लता का सुन्दर होना पाप था?

Posted: 15 Dec 2014 16:54
by The Romantic
उन्हीं दिनों मेरा स्थानांतरण दूसरे जिले में हो गया था. नए स्थान पर नई जिम्मेदारियों के बीच मैं इस पूरे घटना क्रम को भूल चुका था. गनीमत हुई कि डीसी साहब ने मुझे ऑफिस के किसी काम के सिलसिले में उसी स्थान पर डेप्यूट किया जहां की रोमांचक घटना का विवरण ऊपर लिखा गया है.

अपने काम से फारिग हो कर मैं सर्किट हाउस से गाड़ी उठा कर अपने एक पुराने परिचित से मिलने चला गया. यह क्योकि पिछले पचास वर्षों से यहीं रह रहे थे इसलिये कस्बे की तमाम जानकारी इनके पास उपलब्ध होती थी. वैसे भी पत्रकारिता और राजनीति में भी इनका दख़ल था. वह बड़ी गर्मजोशी से मिले और पिछले दो माह की गतिविधियों पर चर्चा चल निकली. इसी बीच उस नवयुवती लता का भी ज़िक्र आ गया. उसके बारे में जानने की इच्छा मन के किसी कोने में जाग उठी थी. मैं जानने के लिये उतावला हो रहा था कि उस परपीड़क आत्मा के चंगुल से लता को मुक्ति मिली या नहीं.

उन स्थानीय महोदय से मुझे जो कुछ पता चला उसका सारांश यह था कि जब ओझा के बांधे हुये ताबीज का कोई फल न निकला तो वह अपने वयोवृद्ध गुरु के पास मशविरा करने गया.ओझा ने अपने गुरुको सभी मांगी गयी जानकारियाँ उपलब्ध करवाईं और ध्यान की अवस्था में चले गये. गुरु जी ने लता के प्रभाव क्षेत्र और उसके घरके चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश कर के लता को परेशान करने वाली उस आत्मा से संपर्क किया और उससे बातचीत की. गुरु जी ने बात करके उससे मृत्यु से पहले की जानकारियाँ प्राप्त कर ली जैसे उसका नाम, माता पिता का नाम, गांव, गोत्र आदि.

इन मूल सूचनाओं के साथ ही गुरु जी ने यह भी मालूम कर लिया कि वह 22-23 वर्ष काएक नौजवान था जिसका विवाह तीन माह पूर्व ही एक बेहद सुन्दर और सुशील कन्या से संपन्न हुआ था. दुर्भाग्य से जिस दिन वह दुल्हन को लिवा कर अपने घर वापिस आये, आराम से बैठे भी नहीं थे कि ठीक उसी वक़्त डाकुओं ने उनके यहाँ हमला बोल दिया. लूट पाटके दौरान दोनों ओर से बंदूकें चलने लगीं जिसमे कई लोग मारे गये और कई अन्य घायल हुये. यह नौजवान (दूल्हा) भी उस गोलीबारी में मारा गया.

अब सवाल उठता है कि मृतक नौजवान ने लता को ही क्यों अपना टारगेट बनाया. दरअसल, लता किसी अन्य नौजवान से प्रेम करती थी और उससे शादी करना चाहती थी लेकिन लता के माता-पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे. लता के प्रेमी ने ही इस डकैती काण्ड की योजना तैयार करवाई थी. वह स्वयं तो इसमें शामिल नहीं था पर षड्यंत्र की रूपरेखा में उसका हाथ था.

मरने के बाद उस मृतक नौजवान की आत्मा को सभी बातों का इल्म हुआ. अतः लता का पति उससे बदला लेने के लिये उसको तरह तरह से जलील करना चाहता था और इसी कारण उसके द्वारा पहने गये कपड़ों को जगह जगह काट दिया करता था. यह सब मालूमात हासिल करने के बाद ओझा के गुरु ने ओझा को आवश्यक निर्देशों के साथ बिहार स्थित गया तीर्थ की ओर रवाना कर दिया. वहाँ जा कर ओझा ने उस मृतक युवक का विधि - विधान पूर्वक पिंडदान करवाया जिससे उसकी आत्मा को मुक्ति प्राप्त हो सकी. उसके बाद फिर कभी लता को उसने परेशान नहीं किया.

जहां तक लता के प्रेमीके उक्त अपराध में शामिल होने की बात है, तफ्तीश चल रही है और वह पुलिस कस्टडी में समय बिता रहा है. पुलिस जल्द ही उसके खिलाफ कोर्ट में चार्ज - शीट दाखिल करने वाली है.


(इति)