जब सोनिया मुझसे ये कह रही थी तब में आल्बम लगी फोटोस देख रहा था. अचानक मे एक फोटो को देख कर रुक सा गया उस फोटो को देखने लगा. मीनाक्षी मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मे फूटबाल खेला करता था, और हमेशा उसे चोद्ने के सपने देखा करता था.
"इस आल्बम की हर औरत पैसे के लिए चुद्वाने को तय्यार है." मैने पूछा.
सोनिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. मेने उसे आल्बम वापस लौटाया, "ये वाली."
"तो में ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है."
"हां सोनिया मुझे ये सौदा मंजूर है."
उस दिन के बाद तो मेरी जिंदगी काफ़ी व्यस्त हो गयी. अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे. फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी. उसके बाद तो जैसे पार्टीस की लाइन लग गयी. कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिज़्नेस असोसीयेट.
उसके बाद शादी की तैयारियो के साथ ही हमारे हनिमून की प्लानिंग. एक शाम या रात ऐसी नही थी कि में सोनिया किसी पार्टी या होटेल मे साथ मे ना हो. शादी के वक़्त तक हमारे प्यार की सचाई पर सभी को विश्वास हो चुका था. प्रेस, मीडीया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे.
अभी तक एक शर्त पूरी नही हुई थी, वो थी 50 लाख रुपये की. मेने सोनिया को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो हो जाएगा. में भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वरना में थोड़ी शादी करने वाला था. दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बॅंक मे रुपया डेपॉज़िट हो चुका है.
अभी तक मेरी मुलाकात सोनिया के प्रेमी अमित केपर से नही हुई थी. शायद शादी तक सोनिया ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था. शादी वाले दिन में भीढ़ मे उसे ढूँढने लगा. जितना मेने उसके बारे मे सुना था में जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आए बगैर मानेगा नही.
मेरा सोचना कितना सही था. जैसे ही में और सोनिया मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया. मेरी उससे नज़रें मिली और में मुस्कुरा दिया. में उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, "साले गधे के बच्चे तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी. तू चाहे जितना खुश हो ले पर जब भी तू इसे चोदेगा ये दौड़ कर मेरे पास ही आएगी कुत्ते के बच्चे."
शादी की सारी विधि बिना हिचक के पूरी हो गयी. पर आखरी रसम के लिए शायद सोनिया ने अपने आपको तय्यार नही किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, "अब आप दुल्हन को मंगलसूत्र पहना दीजिए."
एक बार तो मेने सोचा कि शायद सोनिया इनकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तय्यारी करके आई है. पैसों के लिए रिश्तों और रीवाजों की कहाँ अहमियत होती है. और आने वाले पाच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है.
शादी का रिसेप्षन कोई ख़ास नही था. हर रिसेप्षन की तरह लोगों ने हमे बधाई दी और तोहफे दिया. और ठीक पहले से तय वक़्त पर हम दोनो ने कपड़े बदले और में सोनिया को लेकर वहाँ से भाग गया.
रिसेप्षन से ठीक दो किलोमेटेर दूर एक गाड़ी मेरा इंतेज़ार कर रही थी.
"राज ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ," सोनिया ने पूछा.
"तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ है जान, थोड़ा इंतेज़ार करो." मैने कहा.
क्रमशः…………………………………..
किराए का पति compleet
Re: किराए का पति
किराए का पति--4
गतान्क से आगे……………………………..
में अपना समान कार की डिकी मे रखने लगा. कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा. समान रखे जाने के बाद मेने ड्राइवर को 500 रुपये दिए और वो कार की चाभी मुझे देकर चला गया.
"राज ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?" सोनिया ने फिर पूछा.
"थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर मे तुम्हे सब पता चल जाएगा." मेने कहा.
जैसे ही वो ड्राइवर गया मेने सोनिया को गाड़ी मे बैठने को कहा.
"जब तुम मुझे सब कुछ नही बताओगे में तुम्हारे साथ कहीं नही जाउन्गि," सोनिया ने कहा.
"सोनिया गाड़ी मे बैठो जिद्द मत करो. अगर तुम नही चली तुम्हे यहाँ अकेला सड़क पर छोड़ में चला जाउन्गा फिर तुम उस हनिमून होटेल जाकर सफाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आई हो."
मेने थोड़ा गुस्से मे कहा.
सोनिया ने इतने गुस्से मे मेरी और देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी. फिर वो गाड़ी मे बैठ गयी, "पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?"
"आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का." मेने कहा.
"बकवास बंद करो राज, में सब कुछ जानना चाहती हू कि तुम क्या चाहते हो?"
"आसान सी बात है मेरी जान, में तुम पर विश्वास नही करता. तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली. तुम्हारे दिमाग़ ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक़्त हां कर दो, एक बार शादी हो जाएगी तो तुम अपनी ज़ुबान से मुकर सकती हो. तब तक शादी हो चुकी होगी और वो इंसान पैसे के लालच मे कुछ नही बोलेगा. क्यों मे सच कह रहा हूँ ना?" मेने उसकी ओर देखते हुए कहा.
"नही राज ये सच नही है, मेरे मन मे ऐसा कुछ नही था,"
"यही सच है सोनिया. जिस तरह से तुमने सब प्लॅनिंग की थी मुझे उसी वक़्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. हो सकता था कि होटेल मे पहुचने के बाद तुम अमित के कमरे मे चली जाती जो हमारे सामने के कमरे मे तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती.
हो सकता था कि जो मेने सोचा वो ग़लत होता पर ऐसा हुआ नही. मेने तुम्हे अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी घड़ी की ओर इशारा कर तुम्हे याद दिला रहा था. तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मेने भी अपना प्लान पहले से ही बना लिया था. इस वक़्त हम दूसरे होटेल मे जा रहे है जहाँ मेने सब व्यवस्था कर रखी है. और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात मे होकर रहेगा."
"राज ये तो कोई तरीका नही हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?" सोनिया ने कहा.
"सोनिया तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नही एक व्यापारिक समझौता है. में अपना वचन निभाउन्गा. मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हे भी अपना वचन निभाना होगा."
इतना कहकर मेने गाड़ी रोड के साइड मे खड़ी कर दी. "अभी वक़्त है अगर तुम्हारा इरादा नही है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो. में कल ही कोर्ट मे अपने तलाक़ के काग़ज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो."
मेने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब अजीब से भाव आ रहे थे. थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, "में अपना वादा ज़रूर निभाउन्गि राज. मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझपर विश्वास नही किया."
"सोनिया ये तुम भी जानती ही कि हमारी शादी एक समझौता है. फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो. तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना में हू नही. मेने कुछ फोन किए थे और मुझे पता चल गया. हमारी बुकिंग रूम नंबर 1216 मे जिस होटेल मे हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा 1217 मिस्टर. अमित कप्पोर् के नाम बुक था. मेने तुम्हे पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील की अंदर नही होना चाहिए. में तुम्हारे जाल मे नही फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है." मेने कहा.
गतान्क से आगे……………………………..
में अपना समान कार की डिकी मे रखने लगा. कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा. समान रखे जाने के बाद मेने ड्राइवर को 500 रुपये दिए और वो कार की चाभी मुझे देकर चला गया.
"राज ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?" सोनिया ने फिर पूछा.
"थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर मे तुम्हे सब पता चल जाएगा." मेने कहा.
जैसे ही वो ड्राइवर गया मेने सोनिया को गाड़ी मे बैठने को कहा.
"जब तुम मुझे सब कुछ नही बताओगे में तुम्हारे साथ कहीं नही जाउन्गि," सोनिया ने कहा.
"सोनिया गाड़ी मे बैठो जिद्द मत करो. अगर तुम नही चली तुम्हे यहाँ अकेला सड़क पर छोड़ में चला जाउन्गा फिर तुम उस हनिमून होटेल जाकर सफाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आई हो."
मेने थोड़ा गुस्से मे कहा.
सोनिया ने इतने गुस्से मे मेरी और देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी. फिर वो गाड़ी मे बैठ गयी, "पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?"
"आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का." मेने कहा.
"बकवास बंद करो राज, में सब कुछ जानना चाहती हू कि तुम क्या चाहते हो?"
"आसान सी बात है मेरी जान, में तुम पर विश्वास नही करता. तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली. तुम्हारे दिमाग़ ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक़्त हां कर दो, एक बार शादी हो जाएगी तो तुम अपनी ज़ुबान से मुकर सकती हो. तब तक शादी हो चुकी होगी और वो इंसान पैसे के लालच मे कुछ नही बोलेगा. क्यों मे सच कह रहा हूँ ना?" मेने उसकी ओर देखते हुए कहा.
"नही राज ये सच नही है, मेरे मन मे ऐसा कुछ नही था,"
"यही सच है सोनिया. जिस तरह से तुमने सब प्लॅनिंग की थी मुझे उसी वक़्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. हो सकता था कि होटेल मे पहुचने के बाद तुम अमित के कमरे मे चली जाती जो हमारे सामने के कमरे मे तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती.
हो सकता था कि जो मेने सोचा वो ग़लत होता पर ऐसा हुआ नही. मेने तुम्हे अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी घड़ी की ओर इशारा कर तुम्हे याद दिला रहा था. तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मेने भी अपना प्लान पहले से ही बना लिया था. इस वक़्त हम दूसरे होटेल मे जा रहे है जहाँ मेने सब व्यवस्था कर रखी है. और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात मे होकर रहेगा."
"राज ये तो कोई तरीका नही हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?" सोनिया ने कहा.
"सोनिया तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नही एक व्यापारिक समझौता है. में अपना वचन निभाउन्गा. मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हे भी अपना वचन निभाना होगा."
इतना कहकर मेने गाड़ी रोड के साइड मे खड़ी कर दी. "अभी वक़्त है अगर तुम्हारा इरादा नही है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो. में कल ही कोर्ट मे अपने तलाक़ के काग़ज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो."
मेने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब अजीब से भाव आ रहे थे. थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, "में अपना वादा ज़रूर निभाउन्गि राज. मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझपर विश्वास नही किया."
"सोनिया ये तुम भी जानती ही कि हमारी शादी एक समझौता है. फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो. तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना में हू नही. मेने कुछ फोन किए थे और मुझे पता चल गया. हमारी बुकिंग रूम नंबर 1216 मे जिस होटेल मे हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा 1217 मिस्टर. अमित कप्पोर् के नाम बुक था. मेने तुम्हे पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील की अंदर नही होना चाहिए. में तुम्हारे जाल मे नही फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है." मेने कहा.
Re: किराए का पति
जहाँ तक सुहागरात की बात है तो कुछ बातें भी होती है और कुछ बुरी भी. जब हम होटेल सिल्वर इन्न मे घुसे जिसमे मेने कमरा बुक कराया था (मुझे पता है कि सोनिया वेर्मा जैसी महान हस्ती को कोई इस छोटे से होटेल मे नही ढूँढेगा). जैसे ही हम कमरे मे घुसे सोनिया ने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गयी जैसे कह रही हो, "जो करना है जल्दी करो और इस कहानी को यहीं ख़त्म करो." पर में भी पूरी तैयारी के साथ आया था. मेने अपनी सूटकेस खोली और एक कीताब निकालकर सोनिया को पकड़ा दी.
"ये क्या है?" उसने पूछा.
"जब तक में अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ," मेने कहा.
में उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगो को फैला दिया तभी वो बोली, "तुम कुछ भूल तो नही रहे हो?"
"नही तो,"
"तुम भूल तो रहे हो, कॉंडम कहाँ है?" उसने पूछा.
"उसकी ज़रूरत ही नही है."
"है तुम्हे उसकी ज़रूरत है, में अभी से मा बनने के लिए तय्यार नही हूँ." सोनिया ने कहा.
"जो में करूँगा उससे तुम प्रेग्नेंट नही हो सकती, तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो," इतना कहकर मेने अपना चेहरा उसकी टाँगो के बीच दे दिया. मुझे चूत चूसने मे काफ़ी मज़ा आता है और कइयों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नही चूस्ता.
सोनिया को उत्तेजित करने मे मुझे ज़्यादा वक़्त नही लगा. थोड़ी ही देर मे वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठा अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अंगूठा उसकी गंद के छेद मे डाल दिया. अब मेरी जीब के साथ मेरी एक उंगली उसकी चूत मे और अंगूठा उसकी गंद के अंदर बाहर हो रहे थे.
"ये तुम क्या कर रहे हो?" उसने गहरी साँसे लेते हुए पूछा तो मेने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, "सोनिया तुम अपनी कीताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो."
मेने अपना अंगूठा उसकी गंद मे से निकाल कर अपनी एक उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा. फिर दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी. अब में उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी उंगलियाँ उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा था.
सोनिया ने अपनी किताब बिस्तर पर फैंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर और अपनी चूत पे दबा दिया साथ ही अपने कूल्हे भी उपर को उठा दिए. मेरा मुँह पूरा उसकी चूत पे था.
"ऑश ऱाआआआज़ ओह अब और बर्दाश्त नही होता चोदो मुझे जल्दी सीई." सोनिया सिसक रही थी.
मेने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मेने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी. मेने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगाई और साथ ही उसकी चूत मे उंगली कर करता रहा. सोनिया सिसक रही थी. जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मेने उसकी टाँगो को पकड़ कर मेरे कंधों पर रख लिया, जब उसकी गंद पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मेने एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी गंद मे घुसेड दिया.
"ओह मर गयी……." सोनिया ने अपने आप को मुझ से छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गंद मे घुसा हुआ था. में अपना लंड उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा.
मेरे पीछले अनुभव ने मुझे बताया था कि कुछ औरतें को गंद मराने मे बड़ा मज़ा आता है. कुछ शौक के लिए मरवाती थी तो कुछ अनुभव के लिए. सोनिया किस किस्म मे आती है मुझे इस वक़्त इसकी नही पड़ी थी. मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से जिसमे सोनिया के साथ में कुछ भी कर सकता था.
मेने देखा कि सोनिया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उछाल मेरा साथ दे रही है..
"हाआँ फाड़ दो मेरी गाअंड को ऑश हां और जूओर से ऑश." सोनिया सिसक रही थी.
आज की रात के लिए मेने पीछले 24 घंटे मे कम से कम 20 बार मूठ मारी थी. सिर्फ़ इसलिए कि मेरा लंड जल्दी पानी नही छोड़े. में पंद्रह मिनिट तक सोनिया की गंद मारता रहा. सोनिया की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आख़िर मे मेरे लंड ने भी उसकी गंद मे पानी छोड़ दिया.
जब मेरा लंड मुरझा गया तो मेने उसे सोनिया की गंद से बाहर निकाला और बाथरूम मे सफाई के लिए चला गया. सोनिया बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही.
"ये क्या है?" उसने पूछा.
"जब तक में अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ," मेने कहा.
में उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगो को फैला दिया तभी वो बोली, "तुम कुछ भूल तो नही रहे हो?"
"नही तो,"
"तुम भूल तो रहे हो, कॉंडम कहाँ है?" उसने पूछा.
"उसकी ज़रूरत ही नही है."
"है तुम्हे उसकी ज़रूरत है, में अभी से मा बनने के लिए तय्यार नही हूँ." सोनिया ने कहा.
"जो में करूँगा उससे तुम प्रेग्नेंट नही हो सकती, तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो," इतना कहकर मेने अपना चेहरा उसकी टाँगो के बीच दे दिया. मुझे चूत चूसने मे काफ़ी मज़ा आता है और कइयों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नही चूस्ता.
सोनिया को उत्तेजित करने मे मुझे ज़्यादा वक़्त नही लगा. थोड़ी ही देर मे वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठा अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अंगूठा उसकी गंद के छेद मे डाल दिया. अब मेरी जीब के साथ मेरी एक उंगली उसकी चूत मे और अंगूठा उसकी गंद के अंदर बाहर हो रहे थे.
"ये तुम क्या कर रहे हो?" उसने गहरी साँसे लेते हुए पूछा तो मेने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, "सोनिया तुम अपनी कीताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो."
मेने अपना अंगूठा उसकी गंद मे से निकाल कर अपनी एक उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा. फिर दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी. अब में उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी उंगलियाँ उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा था.
सोनिया ने अपनी किताब बिस्तर पर फैंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर और अपनी चूत पे दबा दिया साथ ही अपने कूल्हे भी उपर को उठा दिए. मेरा मुँह पूरा उसकी चूत पे था.
"ऑश ऱाआआआज़ ओह अब और बर्दाश्त नही होता चोदो मुझे जल्दी सीई." सोनिया सिसक रही थी.
मेने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मेने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी. मेने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगाई और साथ ही उसकी चूत मे उंगली कर करता रहा. सोनिया सिसक रही थी. जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मेने उसकी टाँगो को पकड़ कर मेरे कंधों पर रख लिया, जब उसकी गंद पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मेने एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी गंद मे घुसेड दिया.
"ओह मर गयी……." सोनिया ने अपने आप को मुझ से छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गंद मे घुसा हुआ था. में अपना लंड उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा.
मेरे पीछले अनुभव ने मुझे बताया था कि कुछ औरतें को गंद मराने मे बड़ा मज़ा आता है. कुछ शौक के लिए मरवाती थी तो कुछ अनुभव के लिए. सोनिया किस किस्म मे आती है मुझे इस वक़्त इसकी नही पड़ी थी. मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से जिसमे सोनिया के साथ में कुछ भी कर सकता था.
मेने देखा कि सोनिया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उछाल मेरा साथ दे रही है..
"हाआँ फाड़ दो मेरी गाअंड को ऑश हां और जूओर से ऑश." सोनिया सिसक रही थी.
आज की रात के लिए मेने पीछले 24 घंटे मे कम से कम 20 बार मूठ मारी थी. सिर्फ़ इसलिए कि मेरा लंड जल्दी पानी नही छोड़े. में पंद्रह मिनिट तक सोनिया की गंद मारता रहा. सोनिया की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आख़िर मे मेरे लंड ने भी उसकी गंद मे पानी छोड़ दिया.
जब मेरा लंड मुरझा गया तो मेने उसे सोनिया की गंद से बाहर निकाला और बाथरूम मे सफाई के लिए चला गया. सोनिया बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही.