किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:41

उसका लंड इतना मोटा और लंबा वो भी बिला-खतना लंड देख कर मैं तो सच में घबरा गयी थी और मन में ही सोचने लगी कि ये तो मेरी चूत को फाड़ के गाँड में से बाहर निकल जायेगा। इतना मस्त लंड और उसका सुपाड़ा भी बहुत ही मोटा था, बिल्कुल हेलमेट की तरह से, जैसे कोई बहुत बड़ा चिकना मशरूम हो और लंड के सुपाड़े का सुराख भी बहुत बड़ा था। मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। और पहली दफा बिला -खतना लंड देख रही थी| उसका लंड बहुत गरम था। हाथ में लेते ही मुझे लगा जैसे कोई गरम-गरम लोहे का पाइप पकड़ लिया हो। लगाता है वो झांटें शेव करता था। उसका लंड एक दम से चिकना था और बिना झाँटों वाला लंड बेहद दिलकश लग रहा था। उसने अपनी शर्ट भी उतार दी तो मैं उसके नंगे जिस्म को देखती ही रह गयी। सारे जिस्म पे हल्के-हल्के से नरम-नरम बाल जो बहुत सैक्सी लग रहे थे और मसक्यूलर बॉडी। उसने मुझे चेयर पे से उठाया और मेरे हाथ पीछे कर के मेरी कमीज़ को निकाल दिया और साथ में मेरी सलवार का नाड़ा उसने एक ही झटके में खोल दिया और मेरी टाँगों से चिपकी हुई भीगी सलवार एक-एक करके मेरी दोनों टाँगों और सैंडलों से नीचे खींचते हुए उतार दी।

मैं एक दम से नंगी हो चुकी थी और वो भी। चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बाद भी मेरी हाईट एस-के की हाईट से काफी कम थी और जब उसने मुझे खींच के अपने जिस्म से लिपटा लिया तो उसका लंड मेरे पेट में घुसता हुआ महसूस होने लगा। वो लोहे की तरह से सख्त था और मेरे पेट में ज़ोर से चुभ रहा था और मेरी चूचियाँ हम दोनों के जिस्म के बीच में चिपक गयी थीं। उसका नंगा जिस्म मेरी चूचियों को टच होते ही मेरे निप्पल खड़े हो गये। इसी तरह से वो मुझसे लिपटा रहा। मैं भी ज़ोर से उसको पकड़े रही और अपनी ग्रिप टाइट कर ली। मेरी चूत का हाल तो मत पूछो। उस में से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे कोई नल खुला हो और उस में से पानी निकल-निकल के बह रहा हो। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड से लगाया तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी आ गयी। पहले तो मैंने डर के मारे अपना हाथ हटा लिया पर एस-के ने फिर से मेरा हाथ अपने लंड पे रखा तो मैं उसको धीरे से दबाने लगी और दिल में सोचने लगी कि आज मेरी छोटी सी चूत की खैर नहीं। आज तो ज़रूर मेरी चूत फटने वाली है। एस-के के हाथ मेरे जिस्म पे फिसल रहे थे, कभी चूचियों पर तो कभी गाँड पर, और जब उसका हाथ मेरी चिकनी चूत पे लगा तो मैं बहुत ज़ोर से काँपने लगी और साथ में ही झड़ने लगी तो एस-के बोला, “वॉव किरन, तुम्हारी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और समंदर जैसी गीली है..... मज़ा आयेगा इसे चोदने में।“ और जब उसने अपनी मोटी उंगली मेरी छोटी सी चूत के अंदर डाली तो मानो ऐसे महसूस हुआ कि कोई छोटा सा लंड ही घुस गया हो। वो मेरा जूस उंगली में लेकर चूसने लगा और बोला, “वाह तुम्हारी मीठी चूत का जूस भी बहुत मीठा है”, और फिर से मेरी चूत में अपनी उंगली डाल के मेरी चूत का जूस निकाल के मेरे मुँह में दे दिया और कहा कि “तुम भी टेस्ट करो कि तुम्हारी चूत का जूस कितना मीठा है।“ मैंने अपनी चूत का जूस चाट तो लिया पर मस्ती में मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि टेस्ट कैसा है।

कंप्यूटर की टेबल काफी बड़ी थी। कंप्यूटर रखने के बाद भी काफी जगह रहती थी तो एस-के ने मुझे मेरे बगल से पकड़ कर उठा लिया और मुझे टेबल पे बिठा दिया और वो नीचे खड़े-खड़े मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगा और एक के बाद दूसरी चूँची को चूसने लगा और निप्पलों को काटने लगा। मैं बहुत ही मस्त और गरम हो गयी और उसके अकड़े हुए लंबे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैं उसके लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थी लेकिन उसका लंड फिर भी मेरे दोनों हाथों के थोड़ा सा बाहर निकल रहा था और मैं उसके लंड को अपने पूरे हाथ में पकड़ नहीं पा रही थी। कितना मोटा और बड़ा था उसका लंड जो मेरे हाथ में नहीं आ रहा था। मैं उसके लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। वो मेरे सामने खड़ा था और उसका लंड मेरे जाँघों पे लग रहा था। मैं खुद थोड़ा सा टेबल पे सामने को खिसक गयी और टेबल के किनारे पे आ गयी तो उसका लंड अब मेरी चूत पे लगने लगा जिसमें से निकलता हुआ प्री-कम मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को चिकना कर रहा था। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल लीं और उसके बैक पे क्रॉस कर लीं और उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसके लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के लिप्स के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया और इतना एक्साइटमेंट था कि उसके प्री-कम से चिकने लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर लगने से मैं जल्दी ही झड़ने लगी। इतना बड़ा तगड़ा लंड देख के डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:41

वो कभी मेरी चूचियों को मसलता तो कभी मेरी गाँड को दबाता। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था। उसने चेयर को टेबल के करीब खींच लिया और उसपे बैठ गया और मेरी टाँगों और जाँघों पे अपने होंठ रख दिये। मैं टेबल के पूरे किनारे पे आ गयी और अपने हाथों से उसका सर पकड़ के अपनी चूत पे दबा दिया और अपनी टाँगें उसके कंधों पे रख के उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मैं फिर से झड़ने लगी। मैं आज बहुत मस्ती मैं थी, एक तो ये कि आज से पहले कभी इतना बड़ा और इतना मस्त लंबा-मोटा और लोहे जैसा सख्त लंड देखा भी नहीं था और दूसरे ये कि अशफाक तो बस आग लगाना ही जानता था, आग बुझाना नहीं। आज मुझे पक्का यकीन था के मेरी इतने महीनों से जलती चूत में लगी आग आज इस तगड़े लंड से बुझ जायेगी। मेरे हाथ उसके सर को पकड़े हुए थे और मैं उसके सर को चूत के जितना करीब हो सकता था, दबा लेना चाहती थी। वो चाटता रहा और उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बहुत मज़ा दे रही थी। कभी-कभी तो पूरी चूत को अपने दाँतों से पकड़ के काट लेता तो मेरी सिसकरी निकल जाती। मेरी आँखें बंद थी। “ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओहहहह”, बेइंतेहा मज़ा आ रहा था। चूत बेहद गीली हो चुकी थी और जूस लगातार निकल रहा था। पता नहीं कितने टाईम मैं झड़ गयी और एस-के सारा जूस पीता रहा।

थोड़ी देर के बाद एस-के खड़ा हो गया और मुझे उठा लिया तो मेरी टाँगें उसकी बैक पे लिपट गयीं और मैं उसके बंबू जैसे लंड पे बैठ गयी और वो मुझे ऐसे ही उठाये-उठाये बेडरूम में ले आया और मुझे ऐसे आधा बेड पे लिटा दिया कि हाई हील सैंडल पहने मेरे पैर ज़मीन पर थे और मेरे घुटने मुड़े हुए थे और मेरा आधा जिस्म बेड के किनारे पे था। अब एस-के फिर से ज़मीन पे बैठ गया और मेरी चूत को सहलाने लगा और कहने लगा कि, “वॉव किरन, क्या मक्खन जैसी चिकनी चूत है.... मस्त मलाई जैसी चूत.... लगाता है आज ही झाँटें साफ़ की हैं तुमने।“ मैं कुछ भी नहीं बोल सक रही थी। मस्ती में आँखें बंद थी और गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही चूत को सहलाते-सहलाते उसने मेरी चूत को एक बार फिर से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और चूत में से जूस लगातार निकलने लगा और मेरी चूत में आग लगने लगी। मेरी टाँगें उसकी गर्दन पे थीं और मैं उसके सिर को पकड़ के अपनी चूत पे दबा रही थी और अपनी गाँड हिला-हिला के अपनी चूत उसके मुँह में रगड़ रही थी। मेरी चूत में से जूस निकलता रहा और मैं झड़ती रही। थोड़ी देर के बाद वो अपनी जगह से उठा और अपने लंड के मशरूम जैसे सुपाड़े को मेरी चूत के लिप्स के बीच में रख दिया तो मैं तभी उसके लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत में रगड़ने लगी। लंड का प्री-कम और चूत का जूस, दोनों मिल कर मेरी नाज़ुक चूत को गीला कर चुके थे और मेरी चूत बेहद गीली और स्लिपरी हो चुकी थी।

वो अपने लंड के सुपाड़े को चूत के दरवाजे पे रख कर मेरे ऊपर झुक गया और मुझे किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबानें चूस रहे थे। मेरी गाँड बेड के किनरे पे थी और मेरी टाँगें उसके बैक पे लपटी हुई थी और वो ज़मीन पे खड़ा हुआ था। वो धीरे-धीरे अपने लंड का दबाव बढ़ा रहा था और उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के होल में स्लिप हो कर अटक गया और अभी सिर्फ़ सुपाड़ा ही अंदर गया था कि मैं चींख उठी, “ऊऊऊऊईईईईईईई अल्लाह....आआआआआ धीरे! एस-के धीरे!” वो फिर से किस करने लगा और सिर्फ़ अपने लंड के सुपाड़े को ही चूत के अंदर-बाहर करने लगा तो मुझे बेहद मज़ा आने लगा और मैं झड़ने लगी। फिर ऐसे ही सुपाड़ा अंदर-बाहर-अंदर-बाहर करते-करते उसने एक धक्का मारा तो लंड थोड़ा और अंदर घुस गया और मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई ईईईईईईईईईईईई आंआंआंआंआं ईईईईईईईंईंईंईंईं” और मैं उसको अपने ऊपर से धकेलने लगी क्योंकि चूत में जलन होने लगी थी। वो एक दम से रुक गया और झटका देना बंद कर दिया। मेरी आँख से आँसू निकल गये और जैसे ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसा वैसे ही मेरी आँखें बाहर निकलने लगी और मुझे लगा के मेरी आई बॉल्स अपने सॉकेट में से बाहर निकल गयी हों। थोड़ी देर वो ऐसे ही मेरे ऊपर झुका-झुका मुझे फ्रेंच किस करने लगा तो थोड़ी देर के बाद मेरी चूत ने उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर लिया। अब वो ऐसे ही तकरीबन आधे से कुछ कम लंड को अंदर-बाहर करने लगा जिससे मुझे मज़ा आने लगा और चूत के जूस से उतना लंड आसनी से फिसल के अंदर-बाहर होने लगा। उसके हाथ मेरी बगल में से निकल कर मेरे कंधों को ज़ोर से टाइट पकड़े हुए थे। अब मेरी चूत उसके लंड को एडजस्ट कर रही थी। उसका लंड अंदर-बाहर स्लिप हो रहा था और कभी-कभी वो सुपाड़े तक निकाल के अंदर घुसाता तो कभी ऐसे ही छोटे-छोटे धक्के से अंदर बाहर करता। फिर उसने देखा कि मेरी ग्रिप उसके ऊपर कुछ लूज़ होने लगी और मेरी चूत उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर चुकी है तो वो समझ गया कि बाकी का लंड खाने के लिये अब मैं रेडी हूँ। फिर उसने मुझे टाइट पकड़ कर लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल के एक इतना ज़ोरदार झटका मारा कि मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ ईईईईईईईईईईईईईई ईंईंईंईंआंआंआंआंआंऊंऊंऊंऊंऊं मैं मर गयी...ईईईईईईईई”, और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ मेरे पेट में घुस चुका था। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का दम बाहर रह गया और मुझे लगा मानो किसी ने मेरी चूत को किसी तेज़ चाकू से काट डाला हो। चूत में बहुत ज़ोर की जलन होने लगी और एस-के के जिस्म पे मेरी ग्रिप बहुत ही टाइट हो गयी। मेरे मुँह से “ऊऊऊफफफफ” और “आआआहहहह” की तेज़ आवाज़ें निकलने लगीं जैसे किसी बकरे को हलाल करने के टाईम पे बकरे के मुँह से निकलती है और फिर मेरी ग्रिप एस-के के जिस्म से एक दम से लूज़ हो गयी और मेरे हाथ बेड पे गिर गये और मेरे सैंडल ज़मीन पर टकराये और फिर ऐसे लगा जैसे टोटल ब्लैक ऑऊट, और मैं शायद चार या पाँच मिनट के लिये बेहोश हो गयी थी। मेरा सारा जिस्म पसीने से भीग चुका था। साँसें तेज़ी से चल रही थी और मेरी आँख खुली तो सारा कमरा धुँधला सा नज़र आ रहा था और धीरे-धीरे मुझे साफ़ नज़र आने लगा और मैं होश में आ गयी।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:42

और जब होश आया तो एस-के मेरे ऊपर लेटा था और लोहे जैसा सख्त लंड मेरी छोटी सी नाज़ुक चूत को फाड़ के अंदर घुस चुका था, लेकिन धक्के नहीं लगा रहा था। शायद एस-के को पता था कि मेरा टोटल ब्लैक ऑउट हो गया है और मैं बेहोश हो चुकी हूँ। फिर थोड़ी देर के बाद जब मेरे जिस्म में कुछ जान वापस आयी तो मैंने फटी आँखों से एस-के की तरफ़ देखा जैसे मेरी आँखें एस-के से कह रही हों कि तुम बड़े ज़ालिम हो, हथोड़े जैसे लंड से मेरी नाज़ुक चूत को फाड़ डाला। पर शायद वो मेरी नज़रों को समझ नहीं पाया और थोड़ा सा मुस्कुरा दिया और किस करने लगा। उसका लंड मेरी चूत में फँसा हुआ था। मेरी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी और मुझे लग रहा था जैसे मेरी चूत के अंदर कोई रेल इंजन का पिस्टन घुसा हो जिससे मेरी चूत के अंदर की सारी हवा निकल गयी हो। मुझे लग रहा था कि मेरे जिस्म के दो टुकड़े हो गये हों।

थोड़ा और होश आया और मेरी आँखें खुली तो एस-के ने पूछा, “क्यों मेरी रानी, अभी तक तकलीफ हो रही है क्या??” मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला, मैंने बस सिर हिला के हाँ मैं जवाब दिया तो वो मुझे किस करने लगा और कहा, “अभी सब ठीक हो जायेगा, तुम फिक्र ना करो”, और धीरे से लंड को बाहर खींचने लगा। जैसे-जैसे वो अपने लंड को बाहर खींचता, मुझे लगाता जैसे मेरे जिस्म में से कोई चीज़ बाहर निकल रही हो और मेरे जिस्म को खाली कर रही हो। पहले तो वो आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने लगा और धीरे-धीरे उसकी चुदाई की स्पीड बढ़ने लगी। अब मेरी चूत एस-के के इतने बड़े और मोटे लंड को पूरी तरह से एडजस्ट कर चुकी थी और मैं मज़े लेने लगी और सिसकने और चींखने लगी, “आआआहहहह ओ‍ओ‍ओहहह औंऔंऔं।“ मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। मेरी टाँगें उसके बैक पे लिपटी हुई थी और वो नीचे खड़े-खड़े धक्के मार रहा था और लंड चूत के अंदर बाहर हो रहा था। उसी ताल में मेरे सैंडल उसकी चूतड़ों पे थाप रहे थे। जैसे ही लंड बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरा जिस्म खाली हो रहा हो और जैसे ही फिर से लंड चूत के अंदर घुस जाता मुझे लगाता जैसे मेरा जिस्म और चूत फिर से भर गये हों। उसके हर झटके से मेरे मुँह से “हंफहंफहंफ ऊफौफऊपऊप आआआहहहह ऊऊईईईई ईंईंईंईं आंआंआं ऊंहऊंहऊंह” जैसी आवाज़ें निकल रही थी और मैं फिर से झड़ने लगी। अब मेरी आँखों से आँसू भी नहीं निकल रहे थे। तकलीफ कि जगह मज़े ने ले ली थी और मैं मस्त चुदाई के पूरे मज़े ले रही थी।

एस-के अपनी गाँड हिला-हिला के लंड को पूरा बाहर तक निकाल-निकाल के मुझे गचा-गच गचा-गच चोद रहा था। कमरे में चुदाई की फच-फच-फच की आवाज़ें गूँज रही थीं। मैं एस-के के जिस्म से चिपकी हुई थी। मेरी चूचियाँ हर एक झटके से मेरे जिस्म पे डाँस करने लगती। एस-के कभी मेरी चूचियों को पकड़ के मसल देता, कभी झुक के मुँह में लेकर चूसने लगता और कभी निप्पलों को काटने लगता। लंड सुपाड़े तक पूरा बाहर निकाल-निकाल के वो मेरी टाइट चूत में घुसेड़ देता तो मेरी आँखें बाहर निकल आतीं और मुझे लगाता जैसे एस-के का मूसल जैसा लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरी गाँड मैं से बाहर निकल जायेगा। अब मैं दर्द और मज़े से कराह रही थी। बेहद मज़ा आ रहा था और मैं एस-के के जिस्म से छिपकली की तरह चिपकी हुई थी। मैंने उसके जिस्म को टाइट पकड़ा हुआ था और वो था कि फ़ुल स्पीड से चोदे जा रहा था। मैं तो पता नहीं कितनी दफ़ा झड़ गयी। झड़ने से चूत अंदर से बेहद गीली हो गयी थी और अब लंड आसानी से अंदर-बाहर फिसल रहा था। मेरी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी और सूज के डबल रोटी हो गयी थी। चुदाई की स्पीड बढ़ गयी थी और मेरी चूत के अंदर फिर से लावा निकलने को बेचैन होने लगा। मेरे मुँह से मज़े की सिसकारियाँ निकलने लगी और उसी टाईम पे एस-के की चुदाई की स्पीड और बढ़ गयी और फिर एस-के ने अपना "आकाश मिसाइल" जैसा रॉकेट -लंड पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि मैं फिर से चिल्ला उठी, “आआआआआहहहहहह अल्लाहहह...आआआआआआ ऊंऊंऊंऊंऊंआआआआआआंआंआं”, और मुझे लगा जैसे कमरा गोल-गोल घूम रहा हो और मुझे कुछ नज़र ही नहीं आ रहा था। सारा जिस्म पसीने से भीग चुका था। आँखें बाहर को निकल गयी थीं और फिर उसके लंड में से मलाई की पिचकारियाँ निकलने लगी। पहली पिचकारी मेरी चूत में लगते ही मेरी चूत फिर से झड़ने लगी और जो लावा चूत के अंदर उबल रहा था, बाहर निकलने लगा। उसकी पिचकारियाँ निकलती रही और उसके धक्के धीरे होते गये और थोड़ी देर में एस-के मेरे जिस्म पे गिर गया और मेरी ग्रिप भी उसके जिस्म पे लूज़ हो गयी और मेरे हाथ पैर फिर से ढीले पड़ गये।

हम दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। मेरी चूचियाँ हम दोनों के जिस्म के बीच में पिसी जा रही थीं और दोनों के जिस्म के बीच में दोनों चूचियाँ फ़्लैट हो गयी थीं। झड़ने के बाद भी उसका लंड मेरी चूत में फूलता रहा और फिर वो मेरे ऊपर से मेरे साईड में लेट गया तो उसका लंड एक प्लॉप की आवाज़ के साथ ही मेरी फटी चूत से बाहर निकल गया और हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे। फिर हम दोनों ऊपर खिसक कर बेड के ऊपर आ गये। उसका लंड चूत से बाहर निकलते ही मेरी चूत में से दोनों की मिली जुली क्रीम निकल के बेड पे गिरने लगी। थोड़ी देर में देखा तो पता चला कि मेरी चूत से सच में खून निकल आया है। मैं हैरान रह गयी कि मेरी चूत की सील तो पहले ही टूट चुकी थी, फिर ये सेकेंड टाईम खून क्यों निकला। फिर ख़याल आया कि इतना बड़ा मूसल जैसा लंड इतनी छोटी सी चूत में घुसेगा तो खून तो निकलेगा ही और ये ख़याल आते ही मेरे मुँह पे हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी। मेरी अंगारे की तरह से जलती और प्यासी चूत को आज इतने महीनों के बाद करार आया था। चूत की प्यास बुझ चुकी थी और चूत की आग ठंडी पड़ चुकी थी। मैं आँखें बंद किये लेटी रही और हम दोनों गहरी-गहरी साँसें लेते रहे।
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