फिर अचानक नीचे झुक कर आँटी उसके रस से सने हुए लंड पर जीभ फिराने लगीं और उसका रिसता हुआ लंड अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। ऑस्कर मस्ती से रिरियाने लगा। आँटी को ऑस्कर का लंड चूसते देख मेरे मुँह में भी पानी भरने लगा। बेसाख्ता मैं अपना हाथ अपने होंठ और नाक के करीब ले गयी तो ऑस्कर के लंड के चिकने रस की तेज़ खुशबू मेरी साँसों में समा गयी और मैं ऑस्कर के लंड के रस से सनी अपनी उँगलियों मुँह में लेकर चाटते हुए उसका ज़ायका लेने लगी। मुझे एस-के और अनिल की मनि बेहद पसंद थी लेकिन ऑस्कर के इस रस का ज़ायका थोड़ा अलग था लेकिन था बेहद लज़्ज़तदार। ऑस्कर का लंड अपने मुँह से निकालकर चटखारा लेते हुए आँटी भी बोलीं, “ऊँऊँ यम्मी... तुम भी चूस के देखो... बेहद लाजवाब और अडिक्टिव ज़ायका है इसका... मेरा तो इससे दिल ही नहीं भरता!” आँटी की बात पूरी होने से पहले ही मैं झुक कर अपनी ज़ुबान ऑस्कर के लंड की रिसती हुई नोक पर फिराने लगी। मैंने अपनी ज़ुबान पर उसके लंड से रिसता हुआ रस अपने मुँह में लेकर घुमाते हुए उसका ज़ायका लिया और फिर अपने हलक़ में उतार लिया। अपनी इस बेरहरावी पे मस्ती में मेरी सिसकी निकल गयी। मैं फिर उसके कुत्ते के गरम लंड पे अपनी ज़ुबान घुमा-घुमा कर लपेटते हुए चुप्पे लगाने लगी और उसमें से चिकना ज़ायेकेदार रस मुसलसल मेरी ज़ुबान पे रिस रहा था।
फिर मैंने उसके लंड की नोक को चूमते हुए उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और मस्ती में अंदर-बाहर करते हुए उसे चूसने लगी। मुझे बेहद मज़ा आ रहा था और ऑस्कर भी रिरियाने लगा और झटके मारने लगा लेकिन सलमा आँटी ने उसे पकड़ रखा था और उसे पुचकार भी रही थीं। मैं अपने हलक तक उसका लंड ले-ले कर चूसते हुए उसके चिकने रस का मज़ा ले रही थी और अब उसकी मनि के इखराज़ होने की मुंतज़िर थी। थोड़ी ही देर में ऑस्कर का रिरियाना तेज़ हो गया और उसका लंड मेरे मुँह में और भी फूल गया। मेरे होठों के बाहर उसके लंड की जड़ गेंद की तरह फूल गयी और अचानक मेरा मुँह उसकी गाढ़ी चिपचिपी मनि से भर गया। मैं उसकी बेशकीमती मनि गटक-गटक कर पीते हुए अपने मुँह में जगह बना रही थी और ऑस्कर फिर मेरा मुँह भर देता था। कुत्ते के लंड और टट्टों में से उसकी मनी चूस-चूस कर पीते हुए मैं बेहद मस्ती और मदहोशी के आलम में थी। ऑस्कर के लंड की मनि मेरे होंठों के किनारों से बाहर बहने लगी लेकिन मैंने उसके लंड को अपने मुँह में चूसना ज़ारी रखा। मनि का आखिरी कतरा इखराज़ होने के बाद भी मैं उसके लंड को कुछ देर तक चूसती रही।
जब मैंने ऑस्कर का लंड अपने मुँह से रिहा किया तो अचानक सलमा आँटी ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिये और मेरे मुँह में जीभ डालकर अपने कुत्ते की मनि का ज़ायका लेने लगीं। मैं तो पहले ही बेहद गरम थी और सलमा आँटी से कस कर चिपक गयी और हम दोनों किसिंग करते हुए फिर से आपस में गुथमगुथा होकर एक-दूसरे को सहलाने लगीं। करीब पाँच मिनट तक हमारी ज़बरदस्त स्मूचिंग ज़ारी रही। फिर मैं आँटी से बोली, “मज़ा आ गया आँटी ऑस्कर का लंड चूस कर... लेकिन आपने पहले कभी इस बात का ज़िक्र क्यों नहीं किया.... मुझे इतने दिन इस नायाब तजुर्बे से महरूम रखा आपने?”
आँटी मुस्कुराते हुए बोलीं, “इस तरह के मामलों में काफी एहतियात बरतनी पड़ती है... और सिर्फ़ तुम ही हो जिसे मैंने अपने इस हसीन राज़ में शरीक़ किया है... लेकिन अभी तुमने असली मज़ा लिया ही कहाँ है... ऑस्कर का लंड चूत में नहीं लोगी क्या?”
“लूँगी क्यों नहीं... मेरी चूत तो बेकरार है ऑस्कर के लंड से चुदने के लिये... लेकिन ऑस्कर तो जस्ट अभी-अभी फारिग हुआ है...!” मैं तड़पते हुए बोली। ऑस्कर बिस्तर से उतरकर नीचे बेड के करीब खड़ा हमारी तरफ़ देखते हुए पूँछ हिला रहा था। आँटी बोलीं, “अरे खूब स्टैमिना है मेरे ऑस्कर में... लगातार चार-पाँच दफ़ा फारिग होकर चुदाई करने की ताकत है इसके अमेज़िंग लंड में।“ मैंने आँटी से कहा कि पहले मैं जल्दी से पेशाब कर के आती हूँ और उठ कर अटैच्ड बाथरूम में चली गयी। नशे की खुमारी की वजह से हाई पेन्सिल हील की सैंडल में चलते हुए मेरे कदम ज़रा लड़खड़ा रहे थे। जब मैं पेशाब करके वापस आयी तो सलमा आँटी ऑस्कर का लाल लंड सहला रही थीं जो फूल कर चोदने के लिये तैयार था। आँटी बोलीं, “चलो घुटने मोड़ कर कुत्तिया की तरह झुक कर अपनी ज़िंदगी की सबसे थ्रिलिंग चुदाई के लिये तैयार हो जाओ!” मैं फौरन बेड पे कुत्तिया की तरह झुक गयी। “गुड.... लेकिन अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी फैलाओ... थोड़ी सी और चौड़ी...!” आँटी बोलीं तो मैंने अपनी टाँगें चौड़ी फैला दीं और अपना चेहरा तकिये पे टिका लिया। ऑस्कर से चुदने की बेकरारी में मेरे पूरे जिस्म में मस्ती भरी लहरें दौड़ रही थीं और मेरी चूत में तो जैसे शोले दहक रहे थे।
किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
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अपनी गाँड ऊँची उठाये और थरथराती रानें चौड़ी फैलाये हुए मैंने तकिये पे गाल टिका कर अपनी गर्दन मोड़ कर पीछे देखा तो ऑस्कर अपना जबड़ा खोले खड़ा था और उसके कान सीधे खड़े थे। उसकी पिंक ज़ुबान बाहर लटकी हुई थी। सलमा आँटी ने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए उन्हें फैलाया और भर्रायी आवाज़ में अपने कुत्ते से बोलीं, “ऑस्कर बेबी! देखो कितनी हसीन गाँड है...!” और फिर खुद ही मेरी गाँड के छेद पर अपनी ज़ुबान फिराने लगीं। मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैल गयी और मैं सिसकने लगी। ऑस्कर भी मेरे सैंडल और पैर चाटने लगा और फिर मेरी रानों पे अपनी ज़ुबान फिराने लगा और अचानक भोंकते हुए रिरियाया तो सलमा आँटी हंसते हुए बोली, “ओके बाबा... ले तू चाट ले... तेरी बारी... गो अहेड!” मुझे अपने चूतड़ों पे ऑस्कर की गरम साँसें महसूस हुईं और फिर उसकी लंबी ज़ुबान मेरे चूतड़ों की दरार के बीच में घुस कर चाटने लगी। सलमा आँटी ने मेरे चूतड़ पकड़ कर चौड़े फैलाये हुए थे। ऑस्कर की गरम भीगी ज़ुबान मेरी गाँड से चूत और फिर क्लिट तक ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगी। मुझसे इतनी मस्ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मैंने सिसकते हुए आँटी से कहा, “ऊँऊँहहह प्लीज़ आँटी... अब जल्दी से इसके लंड से चुदवा दो ना... आँआँहह... नहीं तो मैं फिर ऐसे ही झड़ जाऊँगी।“
फिर मुझे अपने चूतड़ों पे ऑस्कर का भारी जिस्म महसूस हुआ और उसके अगले पैर मेरी कमर को जकड़े हुए थे और वो अपनी पिछली टाँगों पर खड़ा था। या अल्लाह! अब वो जानवार मुझे अपनी कुत्तिया बना कर चोदने के लिये मेरे ऊपर सवार हो रहा था और... और सलमा आँटी भी उसे उकसा रही थीं। “वेरी गुड ऑस्कर डार्लिंग...! वैसे ही मज़े से चोदना जैसे तू मुझे चोदता है...!” आँटी ऑस्कर से कह रही थीं और फिर मुझसे मुखातिब होकर बोलीं, “तुम भी घबराना नहीं डियर! बेइंतेहा मज़ा आयेगा तुम्हें!” फिर मुझे अपनी गरम चूत पे ऑस्कर के लंड की ठोकर महसूस हुई तो मस्ती में मेरे मुँह से ज़ोर से सिसकी निकल गयी। फिर मुझे उसके ताकतवर मज़बूत जिस्म का धक्का अपने चूतड़ों पे महसूस हुआ और उसका हड्डी वाले लंड ने मेरी चूत पे जोर से ठोकरें मारी। मेरी सुलगती चूत में अपना फड़कता हुआ गाजर जैसा लाल मोटा लंड घुसाने की कोशीश करते हुए बेकरारी से वो ज़ोर से रिरियाया और मेरे चूतड़ों पर झटके मारते हुए उसने मेरी कमर पे अपनी अगली टाँगें और ज्यादा ज़ोर से कस दीं। मैं भी उसका लंड लेने की बेकरारी में अपनी गाँड गोल-गोल घुमाने लगी। मेरी साँसें भी ज़ोर से चल रही थीं और दिल भी खूब ज़ोर से धड़क रहा था। ऑस्कर के लंड से चुदने की तड़प अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
मेरी हालत देख कर सलमा आँटी बोलीं, “उसकी हेल्प करो! गो ऑन... उसका लंड पकड़ के अपनी चूत में डालो...!” मेरे मुँह से मुसलसल हल्की-हल्की ‘ऊँह ऊँह’ निकल रही थी। मैंने एक हाथ पीछे अपनी रानों के दरमियान ले जा कर ऑस्कर का सख्त चिकना लंड पकड़ कर अपनी चूत पे दबाते हुए उसे अंदर का रास्ता दिखाया। खुद-ब-खुद ऑस्कर ने फ़ितरती तौर पे आगे धक्का मारा और उसका लंड ज़ोर से मेरी तड़पती मेरी भीगी चूत को बेहद चौड़ा फैला कर बड़ी बेरहमी से चीरते हुए अंदर गहरायी तक घुस गया। “ऊँह ऊँह ऊँह ऊऊऊहहह अल्लाहहह!” ऑस्कर के मुसलसल झटकों से उसका लंड अपनी चूत में ठंसाठंस भरा हुआ महसूस करके मैं मस्ती में सिसकने लगी। उसका फूला हुआ लाल लंड पुरा का पूरा मेरी फैली हुई चूत में घुस कर बुरी तरह से चोद रहा था। मनि से लबालब भरे हुए टट्टे ज़ोर-ज़ोर से झूलते हुए मेरी चूत पर थपेड़े मार रहे थे। ऑस्कर का लंड मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए और ज्यादा फूलता जा रहा था और मेरी चूत की दीवारों को फैलाते हुए खूब प्रेशर डाल रहा था। “ओह... ओंह... ओह मेरे खुदा... आँह.. ओंह...!” मेरे हलक़ से ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ निकल कर मेरे आधे खुले होंठों से छूट रही थीं और मैं आँखें फाड़े साईड में ड्रेसिंग टेबल के आइने में ऑस्कर को पीछे से अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए देख रही थी।
फिर मुझे अपने चूतड़ों पे ऑस्कर का भारी जिस्म महसूस हुआ और उसके अगले पैर मेरी कमर को जकड़े हुए थे और वो अपनी पिछली टाँगों पर खड़ा था। या अल्लाह! अब वो जानवार मुझे अपनी कुत्तिया बना कर चोदने के लिये मेरे ऊपर सवार हो रहा था और... और सलमा आँटी भी उसे उकसा रही थीं। “वेरी गुड ऑस्कर डार्लिंग...! वैसे ही मज़े से चोदना जैसे तू मुझे चोदता है...!” आँटी ऑस्कर से कह रही थीं और फिर मुझसे मुखातिब होकर बोलीं, “तुम भी घबराना नहीं डियर! बेइंतेहा मज़ा आयेगा तुम्हें!” फिर मुझे अपनी गरम चूत पे ऑस्कर के लंड की ठोकर महसूस हुई तो मस्ती में मेरे मुँह से ज़ोर से सिसकी निकल गयी। फिर मुझे उसके ताकतवर मज़बूत जिस्म का धक्का अपने चूतड़ों पे महसूस हुआ और उसका हड्डी वाले लंड ने मेरी चूत पे जोर से ठोकरें मारी। मेरी सुलगती चूत में अपना फड़कता हुआ गाजर जैसा लाल मोटा लंड घुसाने की कोशीश करते हुए बेकरारी से वो ज़ोर से रिरियाया और मेरे चूतड़ों पर झटके मारते हुए उसने मेरी कमर पे अपनी अगली टाँगें और ज्यादा ज़ोर से कस दीं। मैं भी उसका लंड लेने की बेकरारी में अपनी गाँड गोल-गोल घुमाने लगी। मेरी साँसें भी ज़ोर से चल रही थीं और दिल भी खूब ज़ोर से धड़क रहा था। ऑस्कर के लंड से चुदने की तड़प अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
मेरी हालत देख कर सलमा आँटी बोलीं, “उसकी हेल्प करो! गो ऑन... उसका लंड पकड़ के अपनी चूत में डालो...!” मेरे मुँह से मुसलसल हल्की-हल्की ‘ऊँह ऊँह’ निकल रही थी। मैंने एक हाथ पीछे अपनी रानों के दरमियान ले जा कर ऑस्कर का सख्त चिकना लंड पकड़ कर अपनी चूत पे दबाते हुए उसे अंदर का रास्ता दिखाया। खुद-ब-खुद ऑस्कर ने फ़ितरती तौर पे आगे धक्का मारा और उसका लंड ज़ोर से मेरी तड़पती मेरी भीगी चूत को बेहद चौड़ा फैला कर बड़ी बेरहमी से चीरते हुए अंदर गहरायी तक घुस गया। “ऊँह ऊँह ऊँह ऊऊऊहहह अल्लाहहह!” ऑस्कर के मुसलसल झटकों से उसका लंड अपनी चूत में ठंसाठंस भरा हुआ महसूस करके मैं मस्ती में सिसकने लगी। उसका फूला हुआ लाल लंड पुरा का पूरा मेरी फैली हुई चूत में घुस कर बुरी तरह से चोद रहा था। मनि से लबालब भरे हुए टट्टे ज़ोर-ज़ोर से झूलते हुए मेरी चूत पर थपेड़े मार रहे थे। ऑस्कर का लंड मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए और ज्यादा फूलता जा रहा था और मेरी चूत की दीवारों को फैलाते हुए खूब प्रेशर डाल रहा था। “ओह... ओंह... ओह मेरे खुदा... आँह.. ओंह...!” मेरे हलक़ से ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ निकल कर मेरे आधे खुले होंठों से छूट रही थीं और मैं आँखें फाड़े साईड में ड्रेसिंग टेबल के आइने में ऑस्कर को पीछे से अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए देख रही थी।
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ऑस्कर के ज़ोरदार धक्कों से सिर तकिये पे ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रहा था। मैं भी अपनी गाँड पीछे ठेल-ठेल कर ऑस्कर के बेरहम धक्कों का जवाब देने लगी। मैं अपनी दहकती चूत में ऑस्कर के लंड की बेरहम चुदाई से मैं इतनी मस्त और मदहोश हो गयी थी कि उस वक़्त मुझे सलमा आँटी की मौजूदगी का एहसास भी नहीं था। इस दरमियान मैं दो दफ़ा चींखते हुए बेहद ज़बर्दस्त तरीके से झड़ी लेकिन ऑस्कर ने पुर-जोश चोदना ज़ारी रखा। मेरी साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं और मेरी कराहें और मस्ती भरी चींखें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। ऑस्कर का लंड शुरू से मेरी चूत में गरम-गरम रस मुसलसल छोड़ रहा था जिससे मेरी चूत की आग और ज्यादा भड़क रही थी। फिर मैंने महसूस किया कि कुछ देर से ऑस्कर के लंड की जड़ की फूली हुई गाँठ बहुत ज़ोर से मेरी चूत पे टकरा रही है और ऑस्कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए उसे मेरी चूत में ठूँसने के लिये बड़ी शिद्दत से कोशिश कर रहा था। ऑस्कर के लंड की टेनिस बॉल जैसी गाँठ अपनी चूत में लेने के ख्याल से मेरे जिस्म में मस्ती की लहरें सनसनाने लगीं। आँटी ने भी ज़िक्र किया था कि कुत्ते के लंड की गाँठ चूत में लेने में बेहद मज़ा आता है। कुछ ज़बरदस्त धक्के मारने के बाद आखिरकार ऑस्कर कि कोशिश कामयाब हुई और मेरी चूत की दीवारें उसकी फूली गाँठ को अंदर लेने के लिये फैल गयीं। “आआआईईईई अल्लाहहह.... मेरी चूत... आँटीईईई.... ऊँऊँईईईई”, मैं दर्द ओर मस्ती में बड़ी ज़ोर से चींखी। आँटी प्यार से मेरी कमर और चूतड़ सहलाने लगीं।
अपने लंड का सबसे मोटा हिस्सा मेरी चूत में ठूँस कर फंसाने के बाद ऑस्कर नये जोश के साथ चोदने लगा। उसकी गेंद जैसी गाँठ ने मेरी चूत को बेहद चौड़ा फैला रखा था और मेरी चूत भी उसके ऊपर कसके जकड़ी हुई थी। अब चोदते हुए उसका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं आ रहा था और अंदर फंसा हुआ ही फूल-फूल के चूत में धड़कते और कूदते हुए चुदाई कर रहा था। ये चुदाई ट्रडिश्नल चुदाई से अलग थी लेकिन बेहद ज़बरदस्त और निहायत मज़ेदार थी। करीब पंद्रह मिनट ऑस्कर मुझे इसी तरह चोदते हुए मेरी चूत में लगातार मनि छोड़ता रहा और मैं लगातार ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी, सुबक रही थी, सिसक रही थी और जब मेरी चूत पानी छोड़ती तो ज़ोर-ज़ोर से चींख भी रही थी। मेरी चूत तो बार-बार झड़-झड़ के निहाल हो गयी थी। ये मेरी ज़िंदगी की सबसे निहायत और बेहतरीन चुदाई थी।
ऑस्कर के झटके अचानक पहले से तेज़ हो गये। हालाँकि उसकी मनी शुरू से ही मेरी चूत में इखराज़ हो रही थी लेकिन ऑस्कर एक तरह से अब झड़ने वाला था। मेरी चूत उसका लंड और उसकी गाँठ बे-इंतेहा फूल गये और फिर अचानक ऑस्कर ने हिलना बंद कर दिया। उसका लंड बेहद ज़ोर से मेरी चूत में फड़कने लगा और मुझे उसकी मनी का इखराज़ भी पहले से ज्यादा तेज़ होता हुआ महसूस हुआ और मेरी चूत ने भी एक दफ़ा फिर से पानी छोड़ दिया। ऑस्कर ढीला होकर दो-तीन मिनट मेरी कमर पे ही रहा और फिर आँटी ने उसे मेरी कमर से उतारा तो भी उसके लंड की गाँठ मेरी चूत में ही फंसी थी। आँटी ने मेरी तसल्ली की कि ये नॉर्मल है और पाँच दस मिनट में ऑस्कर के लंड की गाँठ सिकुड़ने के बाद उसका लंड मेरी चूत में से आज़ाद हो जायेगा। वैसे मुझे भी ऑस्कर से कुत्तिया की तरह चिपके हुए मज़ा ही आ रहा था। उसके लंड और फूली हुई गाँठ की लरज़िश और प्रेशर मुझे अपनी चूत में बेहद अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद ऑस्कर का लंड सिकुड़ मेरी चूत से रिहा हो गया और मैं और आँटी एक-दूसरे के आगोश में चिपक कर सो गये।
उस दिन के बाद तो मैं ऑस्कर की दीवानी हो गयी और रोज़-रोज़ शाम को आँटी के घर जाकर ऑस्कर से चुदवाती हूँ। एस-के और अनिल के साथ भी पहले की तरह ही चुदाई का खूब मज़ा लेती ही हूँ लेकिन ऑस्कर से चुदवाये बगैर मुझे चैन नहीं आता। मैंने तो अब खुद ऑस्कर जैसा बड़ी नस्ल वाला कुत्ता पालने का फैसला कर लिया है और अशफ़ाक को भी इसके लिये राज़ी कर लिया है। इसके अलावा मुझे इस बात का भी शक़ है कि मेरे और एस-के के रिलेशन के ज़ानिब अशफाक को शायद पता चल चुका है पर वो खामोश है। अशफाक हमें एक दूसरे के साथ रहने का ज़्यादा से ज़्यादा मौका देता रहता है। बेचारा कर भी क्या सकता है। उसको तो बस आग लगाना ही आता है जिसे बुझाने के लिये मुझे एस-के, अनिल और ऑस्कर के लंड की ज़रूरत पडती है। एस-के न्यू-यॉर्क के ट्रेवलिंग प्लैन में लगा हुआ है। मेरा पासपोर्ट भी आने वाला है और दो महीने के बाद मैं एस-के के साथ एक महीने के लिये न्यू-यॉर्क चली जाऊँगी। उधर अनिल ने एक बड़े फैशन-शो में उसके कपड़ों के लिये मुझे मॉडलिंग करने की ऑफर दी है। मैंने जब अशफ़ाक़ से इस बारे में बात की तो इसके लिये भी खुशी-खुशी रज़ामंद हो गया। फैशन शो अगले ही महीने है और आजकल रिहर्सल और तैयारी के बहाने मैं अनिल से भी हर रोज़ चुदवाने जाती हूँ।
अपने लंड का सबसे मोटा हिस्सा मेरी चूत में ठूँस कर फंसाने के बाद ऑस्कर नये जोश के साथ चोदने लगा। उसकी गेंद जैसी गाँठ ने मेरी चूत को बेहद चौड़ा फैला रखा था और मेरी चूत भी उसके ऊपर कसके जकड़ी हुई थी। अब चोदते हुए उसका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं आ रहा था और अंदर फंसा हुआ ही फूल-फूल के चूत में धड़कते और कूदते हुए चुदाई कर रहा था। ये चुदाई ट्रडिश्नल चुदाई से अलग थी लेकिन बेहद ज़बरदस्त और निहायत मज़ेदार थी। करीब पंद्रह मिनट ऑस्कर मुझे इसी तरह चोदते हुए मेरी चूत में लगातार मनि छोड़ता रहा और मैं लगातार ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी, सुबक रही थी, सिसक रही थी और जब मेरी चूत पानी छोड़ती तो ज़ोर-ज़ोर से चींख भी रही थी। मेरी चूत तो बार-बार झड़-झड़ के निहाल हो गयी थी। ये मेरी ज़िंदगी की सबसे निहायत और बेहतरीन चुदाई थी।
ऑस्कर के झटके अचानक पहले से तेज़ हो गये। हालाँकि उसकी मनी शुरू से ही मेरी चूत में इखराज़ हो रही थी लेकिन ऑस्कर एक तरह से अब झड़ने वाला था। मेरी चूत उसका लंड और उसकी गाँठ बे-इंतेहा फूल गये और फिर अचानक ऑस्कर ने हिलना बंद कर दिया। उसका लंड बेहद ज़ोर से मेरी चूत में फड़कने लगा और मुझे उसकी मनी का इखराज़ भी पहले से ज्यादा तेज़ होता हुआ महसूस हुआ और मेरी चूत ने भी एक दफ़ा फिर से पानी छोड़ दिया। ऑस्कर ढीला होकर दो-तीन मिनट मेरी कमर पे ही रहा और फिर आँटी ने उसे मेरी कमर से उतारा तो भी उसके लंड की गाँठ मेरी चूत में ही फंसी थी। आँटी ने मेरी तसल्ली की कि ये नॉर्मल है और पाँच दस मिनट में ऑस्कर के लंड की गाँठ सिकुड़ने के बाद उसका लंड मेरी चूत में से आज़ाद हो जायेगा। वैसे मुझे भी ऑस्कर से कुत्तिया की तरह चिपके हुए मज़ा ही आ रहा था। उसके लंड और फूली हुई गाँठ की लरज़िश और प्रेशर मुझे अपनी चूत में बेहद अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद ऑस्कर का लंड सिकुड़ मेरी चूत से रिहा हो गया और मैं और आँटी एक-दूसरे के आगोश में चिपक कर सो गये।
उस दिन के बाद तो मैं ऑस्कर की दीवानी हो गयी और रोज़-रोज़ शाम को आँटी के घर जाकर ऑस्कर से चुदवाती हूँ। एस-के और अनिल के साथ भी पहले की तरह ही चुदाई का खूब मज़ा लेती ही हूँ लेकिन ऑस्कर से चुदवाये बगैर मुझे चैन नहीं आता। मैंने तो अब खुद ऑस्कर जैसा बड़ी नस्ल वाला कुत्ता पालने का फैसला कर लिया है और अशफ़ाक को भी इसके लिये राज़ी कर लिया है। इसके अलावा मुझे इस बात का भी शक़ है कि मेरे और एस-के के रिलेशन के ज़ानिब अशफाक को शायद पता चल चुका है पर वो खामोश है। अशफाक हमें एक दूसरे के साथ रहने का ज़्यादा से ज़्यादा मौका देता रहता है। बेचारा कर भी क्या सकता है। उसको तो बस आग लगाना ही आता है जिसे बुझाने के लिये मुझे एस-के, अनिल और ऑस्कर के लंड की ज़रूरत पडती है। एस-के न्यू-यॉर्क के ट्रेवलिंग प्लैन में लगा हुआ है। मेरा पासपोर्ट भी आने वाला है और दो महीने के बाद मैं एस-के के साथ एक महीने के लिये न्यू-यॉर्क चली जाऊँगी। उधर अनिल ने एक बड़े फैशन-शो में उसके कपड़ों के लिये मुझे मॉडलिंग करने की ऑफर दी है। मैंने जब अशफ़ाक़ से इस बारे में बात की तो इसके लिये भी खुशी-खुशी रज़ामंद हो गया। फैशन शो अगले ही महीने है और आजकल रिहर्सल और तैयारी के बहाने मैं अनिल से भी हर रोज़ चुदवाने जाती हूँ।
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