मेरा योंन शोषण

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sexy
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Re: मेरा योंन शोषण

Unread post by sexy » 25 Aug 2015 10:37

सामने मुश्ताक अंकल को देख मेरी हवाइयां उड़ गयी। वह सीधे अंदर आ गये और पूछा की मम्मी पापा कहाँ हैं, जब की उनको पता था की इस वक़्त घर पे कोई नही होता। मेने कहा बाहर हैं बस आते ही होंगे। पर मुश्ताक जनता था कि कोई नही आने वाला अगले कई घंटो तक सो वह अंदर आ के लॉबी में बैठ गया।
मेने उनके लिए पानी पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी, सो मेने चॉकलेट नही ली। मुश्ताक ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। "सोनी बेबी कहाँ जा रही हो.... अंकल के पास आओ ... में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ..."
गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी, मुश्ताक भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला, और जेब में हाथ दाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के लेलो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी । कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग, विक्की ओर योगी तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया, में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा।
में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी मुश्ताक ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी, वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। मुश्ताक ने जंग तकरीबन जीत ली थी, बस अब सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट लेलो। मेने हाथ अंदर टटोला तो गिफ्ट नही था, पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सिखनी के लिए।

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Re: मेरा योंन शोषण

Unread post by sexy » 25 Aug 2015 10:38

मुश्ताक मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे फेंक के मेरे उपर सवार हो गये, ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर अब मेरे गले गरदन ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था, पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी।
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया, मेरी योनी पेट ओर झांघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चूत में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता, कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी झंघें मुश्ताक को दीवाना बना रही थी। वह मेरी झांघों को जोर जोर से मस्सल के लाल करने में जुट गये, में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। विक्की ओर योगी तो नोसिखिये थे, पर मुश्ताक अंकल एक परिष्कृत खिलाडी जिसने न जाने कितने किले फ़तेह किये हुए थे। एक कमसिन सिखनी को जीत के उसे अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था ।
अब 10 मिनट हो गये थे मुश्ताक को मेरे उपर चढ़े हुए, ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी, उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी, मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था, ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी, इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए, पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का सवाद लूटने लगे

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