घनश्यामलंड Ghanshyam Land

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sexy
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Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 07:53

बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। ललित ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर सुषमा की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। सुषमा भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। ललित ने अपने शरीर को सुषमा के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान सुषमा के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह सुषमा के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था। उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब ललित को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं,” साली अब बोल कैसा लग रहा है? … आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा …. आह्हा कैसी अच्छी चूत है !! ….. मज़ा आ गया …. साली गांड भी मराती है क्या? ….. मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा ….. ऊओह .”
कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल ललित का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के सुषमा के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य सुषमा की चूत में पिचकारी मार रहा था। ललित क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी चूत को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति सुषमा के ऊपर पड़ गया।

ललित ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर सुषमा भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। ललित ने सुषमा को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लंड शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। सुषमा भी पास में बैठ गई और उसने ललित के लंड को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।

ललित ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।

सुषमा बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।

घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। सुषमा ललित को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। ललित के लंड को पुच्ची करते हुए उसने ललित को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।

ललित ने उसी अंदाज़ में सुषमा की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। सुषमा ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? ललित ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

सुषमा ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

ललित ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। सुषमा राजी राजी मान गई। ललित ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।
घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। सुषमा ललित को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। ललित के लंड को पुच्ची करते हुए उसने ललित को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।

ललित ने उसी अंदाज़ में सुषमा की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। सुषमा ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? ललित ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

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Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 07:53

सुषमा ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

ललित ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। सुषमा राजी राजी मान गई। ललित ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।

ललित अब अगले शुक्रवार की तैयारी में जुट गया। वह चाहता था कि अगली बार जब वह सुषमा के साथ हो तो वह अपनी सबसे पुरानी और तीव्र इच्छा को पूरा कर पाए।

उसकी इच्छा थी गांड मारने की। वह बहुत सालों से इसकी कोशिश कर रहा था पर किसी कारण बात नहीं बन रही थी।

उसे ऐसा लगा कि शायद सुषमा उसे खुश करने के लिए इस बात के लिए राज़ी हो जायेगी। उसे यह भी पता था कि उसकी यह मुराद इतने सालों से पूरी इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि इस क्रिया मैं लड़की को बहुत दर्द हो सकता है इसीलिए ज्यादातर लड़कियाँ इसके खिलाफ होती हैं। उनके इस दर्द का कारण भी खुद आदमी ही होते हैं, जो अपने मज़े में अंधे हो जाते हैं और लड़की के बारे में नहीं सोचते।

ललित को वह दिन याद है जब वह सातवीं कक्षा में था और एक हॉस्टल में रहता था। तभी एक ग्यारहवीं कक्षा के बड़े लड़के, हर्ष ने उसके साथ एक बार बाथरूम में ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी तो ललित को कितना दर्द हुआ था वह उसे आज तक याद है।

ललित चाहता था कि जब वह अपनी मन की इतनी पुरानी मुराद पूरी कर रहा हो तब सुषमा को भी मज़ा आना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो न केवल उसका मज़ा दुगना हो जायेगा, हो सकता है सुषमा को भी इसमें इतना मज़ा आये की वह भविष्य में भी उससे गांड मरवाने की इच्छा जताए।

ललित को पता था कि गांड में दर्द दो कारणों से होता है। एक तो चूत के मुकाबले उसका छेद बहुत छोटा होता है जिससे लंड को प्रवेश करने के लिए उसके घेरे को काफी खोलना पड़ता है जिसमें दर्द होता है। दूसरा, चूत के मुकाबले गांड में कोई प्राकृतिक रिसाव नहीं होता जिस से लंड के प्रवेश में आसानी हो सके। इस सूखेपन के कारण भी लंड के प्रवेश से दर्द होता है। यह दर्द आदमी को भी हो सकता है पर लड़की (या जो गांड मरवा रहा हो) को तो होता ही है।

भगवान ने यह छेद शायद मरवाने के लिए नहीं बनाया था !!!

ललित यही सोच रहा था कि इस क्रिया को किस तरह सुषमा के लिए बिना दर्द या कम से कम दर्द वाला बनाया जाए।

उसे एक विचार आया। उसने एक बड़े आकार की मोमबत्ती खरीदी और चाकू से शिल्पकारी करके उसे एक मर्द के लंड का आकार दे दिया। उसने यह देख लिया कि इस मोम के लंड में कहीं कोई खुरदुरापन या चुभने वाला हिस्सा नहीं हो।

उसने जानबूझ कर इस लंड की लम्बाई ९-१० इंच रखी जो कि आम लंड की लम्बाई से ३-४ इंच ज्यादा है और उसका घेरा आम लंड के बराबर रखा। उसने मोम के लंड का नाम भी सोच लिया। वह उसे “घनश्यामलंड” बुलाएगा !

उसने बाज़ार से एक के-वाई जेली का ट्यूब खरीद लिया। वैसे तो सुषमा के बारे में सोच कर ललित को जवानी का अहसास होने लगा था फिर भी एहतियात के तौर पर उसने एक पत्ती तडालफ़िल की गोलियों की खरीद ली जिस से अगर ज़रुरत हो तो ले सकता है। वह नहीं चाहता था कि जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए वह इतना उत्सुक है उसी की प्राप्ति के दौरान उसका लंड उसे धोखा दे जाये। एक गोली के सेवन से वह पूरे २४ घंटे तक “घनश्यामलंड” की बराबरी कर पायेगा।

अब उसने अपने हाथ की सभी उँगलियों के नाखून काट लिए और उन्हें अच्छे से फाइल कर लिया। एक बैग में उसने “घनश्यामलंड”, के-वाई जेली का ट्यूब, एक छोटा तौलिया और एक नारियल तेल की शीशी रख ली। अब वह सुषमा से मिलने और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तैयार था। बेसब्री से वह अगले शुक्रवार का इंतज़ार करने लगा।

उधर सुषमा भी ललित के ख्यालों में गुम थी। उसे रह रह कर ललित के साथ बिताये हुए पल याद आ रहे थे। वह जल्द से जल्द फिर से उसकी बाहों में झूलना चाहती थी। ललित से मिले दस दिन हो गए थे। उस सुनहरे दिन के बाद से वे मिले नहीं थे। ललित को किसी काम से कानपुर जाना पड़ गया था। पर वह कल दफ्तर आने वाला था।

सुषमा सोच नहीं पा रही थी कि अब दफ्तर में वह ललित से किस तरह बात करेगी या फिर ललित उस से किस तरह पेश आएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि आम आदमियों की तरह वह उसकी अवहेलना करने लगेगा। कई मर्द जब किसी लड़की की अस्मत पा लेते हैं तो उसमें से उनकी रुचि हट जाती है और कुछ तो उसे नीचा समझने लगते हैं ….। सुषमा कुछ असमंजस में थी ….।

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Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 07:53

लालसा, वासना, डर, आशंका, ख़ुशी और उत्सुकता का एक अजीब मिश्रण उसके मन में हिंडोले ले रहा था।

सुषमा ने सुबह जल्दी उठ कर विशेष रूप से उबटन लगा कर देर तक स्नान किया। भूरे रंग की सेक्सी पैंटी और ब्रा पहनी जिसे पहन कर ऐसा लगता था मानो वह नंगी है। उसके ऊपर हलके बैंगनी रंग की चोली के साथ पीले रंग की शिफोन की साड़ी पहन कर वह बहुत सुन्दर लग रही थी। बालों में चमेली का गजरा तथा आँखों में हल्का सा सुरमा। चूड़ियाँ, गले का हार, कानों में बालियाँ और अंगूठियाँ पहन कर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रही हो। सुषमा मानो दफ्तर भूल कर अपनी सुहाग रात की तैयारी कर रही थी।

सज धज कर जब उसने अपने आप को शीशे में देखा तो खुद ही शरमा गई। उसके पति ने जब उसे देखा तो पूछ उठा- कहाँ कि तैयारी है …?
सुषमा ने बताया कि आज दफ्तर में ग्रुप फोटो का कार्यक्रम है इसलिए सब को तैयार हो कर आना है !! रोज़ की तरह उसका पति उसे मोटर साइकिल पर दफ्तर तक छोड़ कर अपने काम पर चला गया। सुषमा ने चलते वक़्त उसे कह दिया हो सकता है आज उसे दफ्टर में देर हो जाये क्योंकि ग्रुप फोटो के बाद चाय-पानी का कार्यक्रम भी है।

दफ्तर १० बजे शुरू होता था पर सुषमा ९.३० बजे पहुँच जाती थी क्योंकि उसे छोड़ने के बाद उसके पति को अपने दफ्तर भी जाना होता था। सुषमा ने ख़ास तौर से ललित का कमरा ठीक किया और पिछले १० दिनों की तमाम रिपोर्ट्स और फाइल करीने से लगा कर ललित की मेज़ पर रख दी।

कुछ देर में दफ्तर के बाकी लोग आने शुरू हो गए। सबने सुषमा की ड्रेस की तारीफ़ की और पूछने लगे कि आज कोई ख़ास बात है क्या?

सुषमा ने कहा कि अभी उसे नहीं मालूम पर हो सकता है आज का दिन उसके लिए नए द्वार खोल सकता है !!!

लोगों को इस व्यंग्य का मतलब समझ नहीं आ सकता था !!

वह मन ही मन मुस्कराई ….

ठीक दस बजे ललित दफ्तर में दाखिल हुआ। सबने उसका अभिनन्दन किया और ललित ने सबके साथ हाथ मिलाया। जब सुषमा ललित के ऑफिस में उस से अकेले में मिली ललित ने ऐसे बर्ताव किया जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही न हो। वह नहीं चाहता था कि दफ्तर के किसी भी कर्मचारी को उन पर कोई शक हो। सुषमा को उसने दफ्तर के बाद रुकने के लिए कह दिया जिस से उसके दिल की धड़कन बढ़ गई।

किसी तरह शाम के ५ बजे और सभी लोग ललित के जाने का इंतजार करने लगे। ललित बिना वक़्त गँवाए दफ्तर से घर की ओर निकल पड़ा। शीघ्र ही बाकी लोग भी निकल गए। सुषमा यह कह कर रुक गई कि उसे एक ज़रूरी फैक्स का इंतजार है। उसके बाद वह दफ्तर को ताला भी लगा देगी और चली जायेगी।

उसने चौकीदार को भी छुट्टी दे दी। जब मैदान साफ़ हो गया तो सुषमा ने ललित को मोबाइल पर खबर दे दी। करीब आधे घंटे बाद ललित दोबारा ऑफिस आ गया और अन्दर से दरवाज़ा बंद करके दफ्टर की सभी लाइट, पंखे व एसी बंद कर दिए। सिर्फ अन्दर के गेस्ट रूम की एक लाइट तथा एसी चालू रखा।

अब उसने सुषमा को अपनी ओर खींच कर जोर से अपने आलंडन में ले लिया और वे बहुत देर तक एक दूसरे के साथ जकड़े रहे। सिर्फ उनके होंठ आपस में हरकत कर रहे थे और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह की गहराई नाप रही थी। थोड़ी देर में ललित ने पकड़ ढीली की तो दोनों अलग हुए।

घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए ललित ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर सुषमा ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। ललित को निर्वस्त्र कर उसने उसके लंड को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।

अब ललित ने उसे नंगा किया और एक बार फिर दोनों आलंडन बद्ध हो गए। इस बार ललित का लंड सुषमा की नाभि को टटोल रहा था। सुषमा ने अपने पंजों पर खड़े हो कर किसी तरह लंड को अपनी चूत की तरफ किया और अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं। ललित का लंड अब सुषमा की चूत के दरवाज़े पर था और सुषमा उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देख रही थी। ललित ने एक ऊपर की तरफ धक्का लगाया और उसका लंड चूत में थोड़ा सा चला गया।

अब उसने सुषमा को चूतड़ से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और सुषमा ने अपने हाथ ललित की गर्दन के इर्द-गिर्द कर लिए तथा उसकी टांगें उसकी कमर से लिपट गईं। अब वह अधर थी और ललित खड़ा हो कर उसे अपने लंड पर उतारने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी देर में लंड पूरा सुषमा की चूत में घुस गया या यों कहिये कि चूत उसके लंड पर पूरी उतर गई।

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