मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
हॅरी-कैसी लगी तुम्हारी भाभी.
रीता-बहुत अछी भैया अब तो वो ही मेरी भाभी बनेगी चाहे कुछ भी हो जाए.
हॅरी-संभाल कर बात करना आंटी पापा से.
रीता-फिकर नोट भैया आंटी पापा को तो मैं एक चुटकी में माना लूँगी.
हॅरी-काश ऐसा ही हो.
ऐसे ही बातें करते करते हम घर पॉंच गये. मैने अपना नया मॉब. आंटी को दिखाया तो वो हैरान होते हुए बोली.
आंटी-ये किसने दिलवाया.
रीता-भैया ने अपनी पॉकेट मनी में से.
माइंड झूठ बोल दिया.
तभी पापा वहाँ पे आए और आंटी ने उन्हे गुस्से से कहा.
आंटी-देखो हॅरी ने इसे मॉब. दिला दिया. क्या ज़रूरात थी इसकी.
पापा-अरे कोई बात नही एक ना एक दिन तो इसे मोबाइल लेना ही था.
मैने खुश होकर मॉब. उठाया और अपने रूम में चली गई.
मैं अपने रूम में देर रात तक न्यू मोबाइल से च्छेद छज्जे कराती रही. कभी किसी फंक्षन को खोल देती तो किसी को बंद कर देती. आख़िरकार 12 वजे के करीब मुझे नींद आई और मैं घोड़े बीच कर सो गई. सुबह जल्दी उठी और जल्दी जल्दी नहा धो कर रीडी हो गई. नाश्ता वगेरा करने के बाद मैने अपना मोबाइल उठा कर बाग में रखा. मोबाइल बाग में रखते हुए मुझे भैया ने देख लिया और कहा.
हॅरी-ओये रीतू मोबाइल का स्कूल में क्या काम ला पकड़ा मुझे घर आकर ले लेना.
रीता-भैया प्ल्स आज लेजने दो मुझे अपने फ्रेंड्स को दिखना है प्ल्स.
हॅरी-ओक मगर सिर्फ़ आज कल इसे घर पे ही छोड़ के जाना.
मैं खुश होते हुए
रीता-थॅंक उ भैया. उ र बेस्ट इन वर्ल्ड.
हॅरी-ठीक है ठीक है जा अब लाते हो जाएगी.
मैने अपना बाग उठाया और बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी.
वहाँ रोज़ की तरह मझनू पहले से ही मेरे इंतेज़ार में था. मैं आकाश से थोड़ी दूरी पे जाकर खड़ी हो गई और वो आदत के मुताबिक मेरे पास आ गया और बोला.
आकाश-ही रीता डार्लिंग बड़ी खुश दिखाई दे रही हो बात क्या है.
रीता-तुम्हे इस से मतलब.
आकाश-राम राम इतना गुस्सा. वैसे उस रात गली में मज़ा आया ना.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया.
आकाश-वेसए कल कहाँ गई थी हॅरी के साथ निखार कर माशा अल्लाह वाइट छुरीदार में क्यमत लग रही थी तुम.
आकाश के मूह से तारीफ सुन कर मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई.
मुझे कुछ ना बोलते देख वो झुझलते हुए बोला.
आकाश-यार इतना तो मैं जनता हू की तू मेरी च्छेद-च्छाद में मज़ा तो खूब लेती हो मगर ये नखरा किउन दिखा रही हो.
मैने उसे घूराते हुए देखा और कहा.
रीता-ओये मिस्टर. एक बात ढयन से सुन लो मैं अब तुषार की गर्ल फ़्रेंड हूँ. मुझे अब दूर रहा करो समझे.
आकाश-मुझे पता है तुषार ने तुझे पता लिया है.
मैने हैरान होते हुए पूछा.
रीता-बहुत अछी भैया अब तो वो ही मेरी भाभी बनेगी चाहे कुछ भी हो जाए.
हॅरी-संभाल कर बात करना आंटी पापा से.
रीता-फिकर नोट भैया आंटी पापा को तो मैं एक चुटकी में माना लूँगी.
हॅरी-काश ऐसा ही हो.
ऐसे ही बातें करते करते हम घर पॉंच गये. मैने अपना नया मॉब. आंटी को दिखाया तो वो हैरान होते हुए बोली.
आंटी-ये किसने दिलवाया.
रीता-भैया ने अपनी पॉकेट मनी में से.
माइंड झूठ बोल दिया.
तभी पापा वहाँ पे आए और आंटी ने उन्हे गुस्से से कहा.
आंटी-देखो हॅरी ने इसे मॉब. दिला दिया. क्या ज़रूरात थी इसकी.
पापा-अरे कोई बात नही एक ना एक दिन तो इसे मोबाइल लेना ही था.
मैने खुश होकर मॉब. उठाया और अपने रूम में चली गई.
मैं अपने रूम में देर रात तक न्यू मोबाइल से च्छेद छज्जे कराती रही. कभी किसी फंक्षन को खोल देती तो किसी को बंद कर देती. आख़िरकार 12 वजे के करीब मुझे नींद आई और मैं घोड़े बीच कर सो गई. सुबह जल्दी उठी और जल्दी जल्दी नहा धो कर रीडी हो गई. नाश्ता वगेरा करने के बाद मैने अपना मोबाइल उठा कर बाग में रखा. मोबाइल बाग में रखते हुए मुझे भैया ने देख लिया और कहा.
हॅरी-ओये रीतू मोबाइल का स्कूल में क्या काम ला पकड़ा मुझे घर आकर ले लेना.
रीता-भैया प्ल्स आज लेजने दो मुझे अपने फ्रेंड्स को दिखना है प्ल्स.
हॅरी-ओक मगर सिर्फ़ आज कल इसे घर पे ही छोड़ के जाना.
मैं खुश होते हुए
रीता-थॅंक उ भैया. उ र बेस्ट इन वर्ल्ड.
हॅरी-ठीक है ठीक है जा अब लाते हो जाएगी.
मैने अपना बाग उठाया और बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी.
वहाँ रोज़ की तरह मझनू पहले से ही मेरे इंतेज़ार में था. मैं आकाश से थोड़ी दूरी पे जाकर खड़ी हो गई और वो आदत के मुताबिक मेरे पास आ गया और बोला.
आकाश-ही रीता डार्लिंग बड़ी खुश दिखाई दे रही हो बात क्या है.
रीता-तुम्हे इस से मतलब.
आकाश-राम राम इतना गुस्सा. वैसे उस रात गली में मज़ा आया ना.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया.
आकाश-वेसए कल कहाँ गई थी हॅरी के साथ निखार कर माशा अल्लाह वाइट छुरीदार में क्यमत लग रही थी तुम.
आकाश के मूह से तारीफ सुन कर मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई.
मुझे कुछ ना बोलते देख वो झुझलते हुए बोला.
आकाश-यार इतना तो मैं जनता हू की तू मेरी च्छेद-च्छाद में मज़ा तो खूब लेती हो मगर ये नखरा किउन दिखा रही हो.
मैने उसे घूराते हुए देखा और कहा.
रीता-ओये मिस्टर. एक बात ढयन से सुन लो मैं अब तुषार की गर्ल फ़्रेंड हूँ. मुझे अब दूर रहा करो समझे.
आकाश-मुझे पता है तुषार ने तुझे पता लिया है.
मैने हैरान होते हुए पूछा.
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रीता-तुम्हे कैसे पता.
आकाश-मेरा सबसे अछा दोस्त है वो मुझे सब पता है की कैसे उसके हाथ के उपर तूने अपनी गान्ड रखकर मज़े लिए थे उसके साथ.
उसकी बात सुनकर मैने गुस्से से कहा.
रीता-शूट उप एडिओट…..बिल्कुल भी तमीज़ नही तुम्हारे अंदर.
मैने दूसरी तरफ चेहरा घुमा कर खड़ी हो गई. तभी मुझे बस आती हुई दिखाई दी. मैं जल्दी से बस में चड़ गई. आकाश आज मेरे नझडीक ही खड़ा था बस एक और लड़का हमारे बीच खड़ा था. मैने देखा वो लड़का मेरे साथ छिपकने की कोशिश कर रहा था. मैने आकाश की तरफ देखा तो वो भी इस बात को नोट कर रहा था. आचनक मेरे मन में शरारात सूझी और मैं खुद ही थोड़ा पीछे को हट कर उस लड़के से सात कर खड़ी हो गई. मेरे ऐसा करने से उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने एक हाथ अपने पेनिस पे लेजकर उसको ठीक मेरे नितुंबों के बीच सेट कर दिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैने आकाश को देखो तो वो हमारी तरफ ही देख रहा था और उसके चेहरे पे गुस्सा आसानी से देखा जा सकता था. मुझे आकाश को इस हालत में देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था. उस लड़के का पेनिस मुझे बिल्कुल अपने नितुंबों के बीच महसूस हो रहा था. मैं आकाश को और जलाने के लिए आकाश को देखकर मुस्कुराती हुई अपने नितूंभ उसके पेनिस पे इधर उधर करने लगी थी. आकाश की तो आँखें गुस्से में लाल हो चुकी थी. अब उस लड़के के हाथ मेरे दोनो नितुंबों के उपर फिरने लगे थे और वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा था. मेरा शरीर भी अब गरम होने लगा था. मैं लगातार अपने नितूंब उसके पेनिस पे इधर उधर कर रही थी. आचनक उसने बहुत ज़ोर से मेरे नितुंबों के उपर के मुलायम माज़ को अपनी हथेलियों में जाकड़ लिया. मेरे पूरे शरीर में मस्ती और दर्द की मिलीजुली लेहायर दौड़ गई और मेरे मूह से हल्की चीख भी निकल गई. फिर उसने मेरे निटुभों को छोड़ दिया मैने पीछे देखा तो उसने अपने पेनिस वाली जगह को ज़ोर से पकड़ रखा था शायद उसका कम पेंट में ही निकल गया था. मैने आकाश की तरफ देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था. मैने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए एक आँख दबा दी. नेक्स्ट स्टॉप हमारा स्कूल ही था जैसे ही बस रुकी तो मैं जल्दी से नीचे उतार गई और महक आगे बेठी थी इसलिए वो पहले ही नीचे उतार गई थी. मैं और महक क्लास की तरफ चल पड़े. क्लास में जाकर मैने महक को अपना न्यू मोबाइल दिखाया जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई. हम अपने मॉब. नो. एक्सचेंज कर रहे थे तभी आकाश अंदर आया और मेरे हाथ में मोबाइल देखकर बोला.
आकाश-ये किसका फोन है.
आकाश-मेरा सबसे अछा दोस्त है वो मुझे सब पता है की कैसे उसके हाथ के उपर तूने अपनी गान्ड रखकर मज़े लिए थे उसके साथ.
उसकी बात सुनकर मैने गुस्से से कहा.
रीता-शूट उप एडिओट…..बिल्कुल भी तमीज़ नही तुम्हारे अंदर.
मैने दूसरी तरफ चेहरा घुमा कर खड़ी हो गई. तभी मुझे बस आती हुई दिखाई दी. मैं जल्दी से बस में चड़ गई. आकाश आज मेरे नझडीक ही खड़ा था बस एक और लड़का हमारे बीच खड़ा था. मैने देखा वो लड़का मेरे साथ छिपकने की कोशिश कर रहा था. मैने आकाश की तरफ देखा तो वो भी इस बात को नोट कर रहा था. आचनक मेरे मन में शरारात सूझी और मैं खुद ही थोड़ा पीछे को हट कर उस लड़के से सात कर खड़ी हो गई. मेरे ऐसा करने से उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने एक हाथ अपने पेनिस पे लेजकर उसको ठीक मेरे नितुंबों के बीच सेट कर दिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैने आकाश को देखो तो वो हमारी तरफ ही देख रहा था और उसके चेहरे पे गुस्सा आसानी से देखा जा सकता था. मुझे आकाश को इस हालत में देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था. उस लड़के का पेनिस मुझे बिल्कुल अपने नितुंबों के बीच महसूस हो रहा था. मैं आकाश को और जलाने के लिए आकाश को देखकर मुस्कुराती हुई अपने नितूंभ उसके पेनिस पे इधर उधर करने लगी थी. आकाश की तो आँखें गुस्से में लाल हो चुकी थी. अब उस लड़के के हाथ मेरे दोनो नितुंबों के उपर फिरने लगे थे और वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा था. मेरा शरीर भी अब गरम होने लगा था. मैं लगातार अपने नितूंब उसके पेनिस पे इधर उधर कर रही थी. आचनक उसने बहुत ज़ोर से मेरे नितुंबों के उपर के मुलायम माज़ को अपनी हथेलियों में जाकड़ लिया. मेरे पूरे शरीर में मस्ती और दर्द की मिलीजुली लेहायर दौड़ गई और मेरे मूह से हल्की चीख भी निकल गई. फिर उसने मेरे निटुभों को छोड़ दिया मैने पीछे देखा तो उसने अपने पेनिस वाली जगह को ज़ोर से पकड़ रखा था शायद उसका कम पेंट में ही निकल गया था. मैने आकाश की तरफ देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था. मैने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए एक आँख दबा दी. नेक्स्ट स्टॉप हमारा स्कूल ही था जैसे ही बस रुकी तो मैं जल्दी से नीचे उतार गई और महक आगे बेठी थी इसलिए वो पहले ही नीचे उतार गई थी. मैं और महक क्लास की तरफ चल पड़े. क्लास में जाकर मैने महक को अपना न्यू मोबाइल दिखाया जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई. हम अपने मॉब. नो. एक्सचेंज कर रहे थे तभी आकाश अंदर आया और मेरे हाथ में मोबाइल देखकर बोला.
आकाश-ये किसका फोन है.
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महक-आकाश रीता ने नया लिया है.
आकाश-वाउ तो अब पार्टी तो बनती है.
रीता-बिल्कुल बोलो क्या खाना है.
आकाश अपने होंठों पे जीभ फिराते हुए.
आकाश-कुछ मीठा हो जाए.
महक-पार्टी की बात बाद में करना पहले रीता अपना नो. तो लिखवा मुझे.
मैं महक को नो. लिखने लगी तो आकाश ने भी मुझसे नो. ले लिया. उसने ये कहा की उसे नोट्स वगेरा पूछने होंगे तो वो पूछ लेगा. महक के सामने मुझे अपनो नो. उसे देना ही पड़ा.
फिर मेरी आँखें तुषार को क्लास में ढूँडने लगी. वो वहाँ दिखाई नही दिया. मुझे लगा की शायद वो लाइब्ररी में ही होगा. मैने लाइब्ररी में जाकर देखा तो वो वही बेठा था. मैं उसके पास गई और उसे अपना न्यू फोन दिखाया तो वो भी बहुत खुश हुया और उसने भी मेरा नो. ले लिया. लाइब्ररी में 3-4 रॅक बने हुए थे जिनमे बुक्स न्यू एअर गई थी. तुषार ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रॅक्स के बीच जो खाली जगह होती है वहाँ ले गया.
रॅक्स के पीछे हम किसी को दिखाई नही दे रहे थे वेसए भी इस टाइम लाइब्ररी में कोई नही था. मैने डराते डराते तुषार से कहा.
रीता-तुषार क्या हुया यहाँ किउन लाए मुझे.
तुषार-यार कल का दिन बड़ी मुश्क़िल से गुज़रा सारा दिन मुझे तुम्हारे गुलाबी होंठों की याद आती रही.
रीता-मैने भी तुम्हे मिस किया तुषार.
तुषार-तो जल्दी से पास आयो ना डार्लिंग.
कहते हुए तुषार ने मुझे खीच कर अपनी छाती से लगा लिया. मैं भी आसानी से उसकी बाहों में चली गई. तुषार ने मोबाइल मेरे हाथ से लिया और अपनी पॉकेट में डाल दिया. मैने अपने हाथ उसके गले में डाल दिए और तुषार ने ज़रा भी टाइम ना गावते हुए अपने होंठ मेरे होंठों के उपर रख दिए और अपने दोनो हाथ मेरी कमर के दोनो और टीका दिए. वो अपने होंठों से मेरे नीचे वाले होंठ को कस कर चूसने लगा. मैं भी चुंबन में उसका पूरा साथ देने लगी. कभी-2 वो मेरे होंठ को छोड़कर अपनी जीभ मेरे मूह में डाल देता और मैं प्यार से उसे चूसने लगती तो कभी मैं अपनी जीभ निकलती और तुषार उसे अपने होंठों में क़ैद कर लेता. हम पूरी शिद्दत से एक दूसरे को चूमने में लगने थे ना तुषार पीछे रहना चाहता था और ना ही मैं. तुषार के हाथ अब धीरे-2 मेरी कमर से फिसलते हुए मेरे नितुंबों की और जाने लगे थे. उसने मुझे खुद से सटा रखा था जिसकी वजह से मेरे उरोज उसकी छाती में धँस रहे थे. उसके हाथ मेरे नितुंबों के उपर पॉंच चुके थे और धीरे-2 वो मेरे नितुंबों को मसालने लगे थे.
बस में उस लड़के के द्वारा ज़ोर ज़ोर से नितूंब मसले जाने के कारण मेरे नितूंब थोड़े दर्द कर रहे थे. लेकिन अब तुषार के द्वारा धीरे धीरे मसालने की वजह से मुझे बहुत आराम मिल रहा था. हमारे होंठों का आपस में उलझना अभी भी जारी था और तुषार के हाथ भी अब मेरे नितुंबों पे तेज़ तेज़ घूमने लगे थे. मेरा पूरा शरीर तुषार के हाथो की कठ पुतली बनकर रह गया था. वो अपने दोनो हाथों को पूरा खोल कर मेरे नितुंबों के उपर रखता और फिर आते की तरह उन्हे गूंद देता. इतनी बुरी तरह से वो मेरे नितूंब मसल रहा था की जब वो उन्हे हाथों में भराता तो मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ जाते. उसकी हरकतों से मेरी पेंटी गीली हो चुकी थी और मेरी योनि से निकला रस मेरी पेंटी को गीला करते हुए मेरी जांघों पे भी बहने लगा था. मैने अपनी जंघें आपस में भींच न्यू एअर थी. करीब 10 मीं तक एक दूसरे से उलझने के बाद हमारे होंठ एक दूसरे से अलग हो गये थे. हम दोनो की साँसें बहुत तेज़ तेज़ चल रही थी.
तुषार ने अपना एक हाथ आगे लाते हुए मेरी सलवार के नडे को पकड़ कर झटके से खोल दिया था. सलवार के ढीली होते ही मैं जैसे नींद से जाग उठी थी मैं झट से तुषार की गिरफ से बाहर होकर पीछे को हट गई और अपनी सलवार को पकड़ कर नीचे गिरने से रोक लिया.
रीता-नही तुषार सलवार नही उतरुँगी मैं.
तुषार-प्ल्स रीता सिर्फ़ एक बार मुझे तुम्हारी चुत देखनी है.
रीता-नो नो तुषार प्ल्स छोड़ो ना.
तुषार मेरे हाथों को सलवार के उपर से हटा रहा था जिनके ज़रिए मैने सलवार को पकड़ रखा था लेकिन मैं पीछे को हट ती हुई उसे माना कर रही थी.
आख़िरकार मैने उसे माना ही लिया और उसने मेरी सलवार छोड़ दी. मैने सलवार का नडा बँधा और तुषार की तरफ देखा वो मुझे ही घूर रहा था. मैने आगे बढ़कर उसके सीने में अपना चेहरा चुपा लिया और कहा.
रीता-ऐसे मत देखो मुझे शरम आ रही है.
तुषार-देखो अब शरमाना छोड़ो मैने तुम्हारी बात मानी है अब तुम्हे भी मेरी बात मन नही पड़ेगी.
रीता-कोनसि बात.
वो अपना हाथ अपनी ज़िप के उपर ले गया और अपना पेनिस बाहर निकल लिया. मैने अभी भी अपना चेहरा उसके सीने में चुपा रखा था. उसने मुझे कंधो से पकड़कर पीछे किया और नीचे देखने को कहा. जैसे ही मैने नीचे देखा तो तुषार का 6.5” का ब्राउन कलर का पेनिस पूरा तन कर मेरी आँखों के सामने खड़ा था. पेनिस को देखने के बाद मैने फिरसे शर्मकार अपना चेहरा उसकी सीने में चुपा लिया.
तुषार-रीता अब शरमायो मत प्ल्स इसे मूह में लो ना.
मैने उसकी च्चती पे मुक्के मराते हुए कहा.
रीता-मैं तुम्हारी जान ले लूँगी. प्ल्स इसे अंदर करो.
तुषार-प्ल्स रीता अब नखरा छोड़ो मैने भी तो तुम्हारी बात मानी थी.
रीता-मैं मूह में नही लूँगी.
तुषार-प्ल्स रीता देखो बेचारे कैसे तुम्हारे होंठो का इंतेज़ार कर रहा है.
रीता-मैने बोला ना मैं मूह में नही लूँगी.
तुषार-अछा चलो मूह में मत लो हाथ में पकड़ कर तो हिला दो प्ल्स.
मुझे उसके उपर थोड़ा तरस आया और
मैने अपना चेहरा उसकी च्चती से हटाया और मुस्कुराती हुई उसके पेनिस को देखने लगी. पहली दफ़ा मैने किसी मर्द का पेनिस देखा था. और आज पहली बार ही उसे हाथ लगाने जा रही थी.
मैने डराते-2 तुषार पेनिस को हाथ में पकड़ लिया और धीरे-2 हिलने लगी. वो बहुत ही हार्ड था तुषार के हाथ मेरे नितुंबों से खेल रहे थे और मैं उसका पेनिस हाथ में लेकर हिला रही थी और इधर उधर भी देख रही थी. काफ़ी देर तक मैं उसे हिलती रही. मेरे हाथ खुद ही उसके उपर तेज़-2 चलने लगे. मेरे हाथ अब दुखने लगे थे मगर उसका पेनिस था की झड़ने का नाम नही ले रहा था. आख़िरकार काफ़ी मेहनत करने के बाद मुझे जीत मिल गई और उसके पेनिस से कम निकालकर नीचे फ़राश पे गिरने लगा. थोड़ा सा कम मेरे हाथ पे भी लग गया मैं जल्दी-2 वहाँ से निकली और सीधा वॉशरूम में चली गई.
मैने वॉशरूम में जाकर अपने हाथ को धोएआ और सलवार को उतार कर देखा तो मेरी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरी जांघों पे भी गीलापन था. मैने पेंटी खोल कर फेंकने की सोची लेकिन फिर फेकना कॅन्सल कर दिया मैने सोचा अगर ऐसे ही पॅंटीस फेंकती रही तो एक दिन बिना पेंटी के ही स्कूल आने की नौबत आ जाएगी. फिर मैने अछी तरह से अपनी योनि और जांघों को धोएआ और वापिस क्लास में आ गई. तुषार पहले ही क्लास में आ चुका था. पहला पीरियड शुरू हुया और टीचर पढ़ने लगी. मगर मेरा ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नही था. जैसे तैसे मैने मुश्क़िल से रिसेस तक का टाइम निकाला. रिसेस होते ही तुषार मेरे पास आया और मेरा मोबाइल मुझे पकड़ते हुए बोला.
तुषार-बाइ रीता मैं आज हाफ टाइम से लीव लेकर जा रहा हूँ घर.
रीता-किउन क्या हुया.
तुषार-कुछ नही यार आंटी की तबीयत थोड़ी खराब है.
रीता-क्या हुया उन्हे.
तुषार-ब्स ऐसे ही थोड़ा सा बुखार था.
फिर हम दोनो ने हग किया और वो मेरे नितुंबों पे चुती काट ता हुया बाहर निकल गया. उसके जाने के बाद मैने अपना तीफ्फें उठाया और बाहर जाने लगी तो महक ने मुझे रोका और कहा.
महक-रीता मेरी बात सुन पहले.
रीता-हन क्या हुया.
महक-वो…रीता प्ल्स ना मत करना.
रीता-किस बात के लिए. बता तो सही.
महक-वो रीता थोड़ी देर के लिए दूर पे खड़ी होकर ध्यान रख की कोई आ तो नही रहा तब तक मैं और आकाश तोड़ा….समझती है ना….
रीता-ना बाबा ना मुझसे नही होगा ये बॉडीगार्ड वाला काम मैं तो चली.
महक मेरा हाथ पकड़ते हुए.
महक-प्ल्स रीतू यार. तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है इतना भी नही कर सकती मेरे लिए.
रीता-ओक मैं खड़ी रहूंगी मगर जब कोई आएगा तो मैं उसे रोकूंगी नही.
महक-ओक ओक मत रोकना बस हमे बता देना जब भी कोई आए.
मैं गाते के पास खड़ी हो गई और महक जल्दी से आकाश के पास चली गई. आकाश ने महक के पास आते ही उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पे टीका दिए. मैं उनकी तरफ से नज़र हटाकर बाहर देखने लगी. थोड़ी देर बाद मेरे मॅन में आया की देखु तो सही क्या कर रहे है दोनो. मैने अंदर देखा तो आकाश अभी भी महक के होंठ चूस रहा था और उसके हाथ महक के नितुंबों को मसल रहे थे. महक तो आकाश के साथ चिपक कर खड़ी थी. अब आकाश ने महक को दीवार के साथ लगा दिया था अब वो दोनो मुझे साइड से दिख रहे थे. आकाश फिरसे महक के होंठ चूमने लगा था. उसने अपने हाथ नीचे लेजकर महक का कमीज़ किनरो से पकड़ कर उपर उठना शुरू कर दिया और उसे महक के उरजों के उपर तक चड़ा दिया अब महक के उरोज उसकी ब्लॅक ब्रा में क़ैद थे. आकाश ने उसकी ब्रा में नीचे से अपना हाथ डाला और उसे भी उपर की और चड़ा दिया अब महक के गोरे गोरे उरोज आज़ाद हो चुके थे. आकाश अपने हाथों से उन्हे मसालने लगा था. मेरी नज़र नीचे गई तो मैने देखा महक ने अपने हाथ से आकाश का पेनिस उसकी पेंट के उपर से पकड़ रखा था. आकाश की पेंट का उभर सॉफ बता रहा था की उसका पेनिस काफ़ी बड़ा होगा. मेरी तो नज़र जैसे उसकी पेंट के उभर पे ही अटक चुकी थी. जब मैने वहाँ से अपनी नज़र उपर उठाई तो देखा आकाश मुझे ही देख रहा था. उसने मुझे अपने पेनिस की तरफ देखते हुए देख लिया था. और अब वो गंदी सी स्माइल के साथ मुझे घूर रहा था. मैने गुस्से से उसे देखा और अपना नाक चढ़ते हुए अपनी नज़र बाहर की और कर ली. मैने सोच लिया था की अब कुछ भी हो जाए अंदर नही देखूँगी लेकिन मैं अपने इस फ़ैसले पे ज़्यादा देर तक टिक नही पाई और मैने फिर से एक दफ़ा अपनी नज़र अंदर की और घुमा दी. मैने देखा आकाश अब महक के उरजों को चूस रहा था. वो कभी एक उरोज को अपने होन्ों में लेकर चूस्ता तो कभी दूसरे को. महक दीवार के साथ सर टिकाए आँखें बंद करके खड़ी थी. मैने नीचे देखा तो आकाश अपनी ज़िप खोल रहा था और देखते ही देखते उसने अपना पेनिस ज़िप में से बाहर निकल लिया. उसका पेनिस देखते ही मेरे मूह से अपने आप ‘ओह माई गोद‚ निकल गया. सच में उसका पेनिस काफ़ी बड़ा था. कम से कम 7.5इंच लंबा तो होगा ही और साथ ही साथ लगभग 1.5इंच मोटा था. मेरा मूह खुला का खुला रह गया था उसका पेनिस देखकर और मेरी योनि ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मेरा हाथ खुद ही अपनी योनि पे चला गया था. जैसे ही मेरी नज़र उसके पेनिस से हटकर उपर गई तो मैने देखा आकाश मुझे ही देखता हुया अपने दाँत निकाल रहा था. मैं कभी उसकी आँखों में देख रही थी तो कभी उसके पेनिस को जिसे आकाश अपने हाथ से आगे पीछे कर रहा था. मुझे देखते ही उसने मुस्कुराते हुए एक आँख दबा दी और मुझसे भी अब रहा ना गया और मैं अपनी नज़रें नीची कर के मुस्कुराने लगी. अब आकाश ने महक को नीचे बिठा दिया और महक ने खुद ही उसका पेनिस हाथ में पकड़ा और अपने होंठ खोलते हुए उसे अपने मूह में समा लिया. आकाश का पेनिस महक के होंठों के अंदर बाहर होता देख मैं अपने होंठों पे जीभ फिरने लगी थी. आकाश तेज़ तेज़ महक के होंठों में अपना पेनिस पेल रहा था. महक की आँखें बाहर की और निकल आई थी. आचनक आकाश का शरीर झटके खाने लगा और उसने महक का सर ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पे दबा दिया. उसके मूह से आ निकली और उसकी पकड़ महक के उपर ढीली हो गई. महक ने भी उसका लिंग अच्छे से चाट कर सॉफ कर दिया.
मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story – 11
आकाश-वाउ तो अब पार्टी तो बनती है.
रीता-बिल्कुल बोलो क्या खाना है.
आकाश अपने होंठों पे जीभ फिराते हुए.
आकाश-कुछ मीठा हो जाए.
महक-पार्टी की बात बाद में करना पहले रीता अपना नो. तो लिखवा मुझे.
मैं महक को नो. लिखने लगी तो आकाश ने भी मुझसे नो. ले लिया. उसने ये कहा की उसे नोट्स वगेरा पूछने होंगे तो वो पूछ लेगा. महक के सामने मुझे अपनो नो. उसे देना ही पड़ा.
फिर मेरी आँखें तुषार को क्लास में ढूँडने लगी. वो वहाँ दिखाई नही दिया. मुझे लगा की शायद वो लाइब्ररी में ही होगा. मैने लाइब्ररी में जाकर देखा तो वो वही बेठा था. मैं उसके पास गई और उसे अपना न्यू फोन दिखाया तो वो भी बहुत खुश हुया और उसने भी मेरा नो. ले लिया. लाइब्ररी में 3-4 रॅक बने हुए थे जिनमे बुक्स न्यू एअर गई थी. तुषार ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रॅक्स के बीच जो खाली जगह होती है वहाँ ले गया.
रॅक्स के पीछे हम किसी को दिखाई नही दे रहे थे वेसए भी इस टाइम लाइब्ररी में कोई नही था. मैने डराते डराते तुषार से कहा.
रीता-तुषार क्या हुया यहाँ किउन लाए मुझे.
तुषार-यार कल का दिन बड़ी मुश्क़िल से गुज़रा सारा दिन मुझे तुम्हारे गुलाबी होंठों की याद आती रही.
रीता-मैने भी तुम्हे मिस किया तुषार.
तुषार-तो जल्दी से पास आयो ना डार्लिंग.
कहते हुए तुषार ने मुझे खीच कर अपनी छाती से लगा लिया. मैं भी आसानी से उसकी बाहों में चली गई. तुषार ने मोबाइल मेरे हाथ से लिया और अपनी पॉकेट में डाल दिया. मैने अपने हाथ उसके गले में डाल दिए और तुषार ने ज़रा भी टाइम ना गावते हुए अपने होंठ मेरे होंठों के उपर रख दिए और अपने दोनो हाथ मेरी कमर के दोनो और टीका दिए. वो अपने होंठों से मेरे नीचे वाले होंठ को कस कर चूसने लगा. मैं भी चुंबन में उसका पूरा साथ देने लगी. कभी-2 वो मेरे होंठ को छोड़कर अपनी जीभ मेरे मूह में डाल देता और मैं प्यार से उसे चूसने लगती तो कभी मैं अपनी जीभ निकलती और तुषार उसे अपने होंठों में क़ैद कर लेता. हम पूरी शिद्दत से एक दूसरे को चूमने में लगने थे ना तुषार पीछे रहना चाहता था और ना ही मैं. तुषार के हाथ अब धीरे-2 मेरी कमर से फिसलते हुए मेरे नितुंबों की और जाने लगे थे. उसने मुझे खुद से सटा रखा था जिसकी वजह से मेरे उरोज उसकी छाती में धँस रहे थे. उसके हाथ मेरे नितुंबों के उपर पॉंच चुके थे और धीरे-2 वो मेरे नितुंबों को मसालने लगे थे.
बस में उस लड़के के द्वारा ज़ोर ज़ोर से नितूंब मसले जाने के कारण मेरे नितूंब थोड़े दर्द कर रहे थे. लेकिन अब तुषार के द्वारा धीरे धीरे मसालने की वजह से मुझे बहुत आराम मिल रहा था. हमारे होंठों का आपस में उलझना अभी भी जारी था और तुषार के हाथ भी अब मेरे नितुंबों पे तेज़ तेज़ घूमने लगे थे. मेरा पूरा शरीर तुषार के हाथो की कठ पुतली बनकर रह गया था. वो अपने दोनो हाथों को पूरा खोल कर मेरे नितुंबों के उपर रखता और फिर आते की तरह उन्हे गूंद देता. इतनी बुरी तरह से वो मेरे नितूंब मसल रहा था की जब वो उन्हे हाथों में भराता तो मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ जाते. उसकी हरकतों से मेरी पेंटी गीली हो चुकी थी और मेरी योनि से निकला रस मेरी पेंटी को गीला करते हुए मेरी जांघों पे भी बहने लगा था. मैने अपनी जंघें आपस में भींच न्यू एअर थी. करीब 10 मीं तक एक दूसरे से उलझने के बाद हमारे होंठ एक दूसरे से अलग हो गये थे. हम दोनो की साँसें बहुत तेज़ तेज़ चल रही थी.
तुषार ने अपना एक हाथ आगे लाते हुए मेरी सलवार के नडे को पकड़ कर झटके से खोल दिया था. सलवार के ढीली होते ही मैं जैसे नींद से जाग उठी थी मैं झट से तुषार की गिरफ से बाहर होकर पीछे को हट गई और अपनी सलवार को पकड़ कर नीचे गिरने से रोक लिया.
रीता-नही तुषार सलवार नही उतरुँगी मैं.
तुषार-प्ल्स रीता सिर्फ़ एक बार मुझे तुम्हारी चुत देखनी है.
रीता-नो नो तुषार प्ल्स छोड़ो ना.
तुषार मेरे हाथों को सलवार के उपर से हटा रहा था जिनके ज़रिए मैने सलवार को पकड़ रखा था लेकिन मैं पीछे को हट ती हुई उसे माना कर रही थी.
आख़िरकार मैने उसे माना ही लिया और उसने मेरी सलवार छोड़ दी. मैने सलवार का नडा बँधा और तुषार की तरफ देखा वो मुझे ही घूर रहा था. मैने आगे बढ़कर उसके सीने में अपना चेहरा चुपा लिया और कहा.
रीता-ऐसे मत देखो मुझे शरम आ रही है.
तुषार-देखो अब शरमाना छोड़ो मैने तुम्हारी बात मानी है अब तुम्हे भी मेरी बात मन नही पड़ेगी.
रीता-कोनसि बात.
वो अपना हाथ अपनी ज़िप के उपर ले गया और अपना पेनिस बाहर निकल लिया. मैने अभी भी अपना चेहरा उसके सीने में चुपा रखा था. उसने मुझे कंधो से पकड़कर पीछे किया और नीचे देखने को कहा. जैसे ही मैने नीचे देखा तो तुषार का 6.5” का ब्राउन कलर का पेनिस पूरा तन कर मेरी आँखों के सामने खड़ा था. पेनिस को देखने के बाद मैने फिरसे शर्मकार अपना चेहरा उसकी सीने में चुपा लिया.
तुषार-रीता अब शरमायो मत प्ल्स इसे मूह में लो ना.
मैने उसकी च्चती पे मुक्के मराते हुए कहा.
रीता-मैं तुम्हारी जान ले लूँगी. प्ल्स इसे अंदर करो.
तुषार-प्ल्स रीता अब नखरा छोड़ो मैने भी तो तुम्हारी बात मानी थी.
रीता-मैं मूह में नही लूँगी.
तुषार-प्ल्स रीता देखो बेचारे कैसे तुम्हारे होंठो का इंतेज़ार कर रहा है.
रीता-मैने बोला ना मैं मूह में नही लूँगी.
तुषार-अछा चलो मूह में मत लो हाथ में पकड़ कर तो हिला दो प्ल्स.
मुझे उसके उपर थोड़ा तरस आया और
मैने अपना चेहरा उसकी च्चती से हटाया और मुस्कुराती हुई उसके पेनिस को देखने लगी. पहली दफ़ा मैने किसी मर्द का पेनिस देखा था. और आज पहली बार ही उसे हाथ लगाने जा रही थी.
मैने डराते-2 तुषार पेनिस को हाथ में पकड़ लिया और धीरे-2 हिलने लगी. वो बहुत ही हार्ड था तुषार के हाथ मेरे नितुंबों से खेल रहे थे और मैं उसका पेनिस हाथ में लेकर हिला रही थी और इधर उधर भी देख रही थी. काफ़ी देर तक मैं उसे हिलती रही. मेरे हाथ खुद ही उसके उपर तेज़-2 चलने लगे. मेरे हाथ अब दुखने लगे थे मगर उसका पेनिस था की झड़ने का नाम नही ले रहा था. आख़िरकार काफ़ी मेहनत करने के बाद मुझे जीत मिल गई और उसके पेनिस से कम निकालकर नीचे फ़राश पे गिरने लगा. थोड़ा सा कम मेरे हाथ पे भी लग गया मैं जल्दी-2 वहाँ से निकली और सीधा वॉशरूम में चली गई.
मैने वॉशरूम में जाकर अपने हाथ को धोएआ और सलवार को उतार कर देखा तो मेरी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरी जांघों पे भी गीलापन था. मैने पेंटी खोल कर फेंकने की सोची लेकिन फिर फेकना कॅन्सल कर दिया मैने सोचा अगर ऐसे ही पॅंटीस फेंकती रही तो एक दिन बिना पेंटी के ही स्कूल आने की नौबत आ जाएगी. फिर मैने अछी तरह से अपनी योनि और जांघों को धोएआ और वापिस क्लास में आ गई. तुषार पहले ही क्लास में आ चुका था. पहला पीरियड शुरू हुया और टीचर पढ़ने लगी. मगर मेरा ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नही था. जैसे तैसे मैने मुश्क़िल से रिसेस तक का टाइम निकाला. रिसेस होते ही तुषार मेरे पास आया और मेरा मोबाइल मुझे पकड़ते हुए बोला.
तुषार-बाइ रीता मैं आज हाफ टाइम से लीव लेकर जा रहा हूँ घर.
रीता-किउन क्या हुया.
तुषार-कुछ नही यार आंटी की तबीयत थोड़ी खराब है.
रीता-क्या हुया उन्हे.
तुषार-ब्स ऐसे ही थोड़ा सा बुखार था.
फिर हम दोनो ने हग किया और वो मेरे नितुंबों पे चुती काट ता हुया बाहर निकल गया. उसके जाने के बाद मैने अपना तीफ्फें उठाया और बाहर जाने लगी तो महक ने मुझे रोका और कहा.
महक-रीता मेरी बात सुन पहले.
रीता-हन क्या हुया.
महक-वो…रीता प्ल्स ना मत करना.
रीता-किस बात के लिए. बता तो सही.
महक-वो रीता थोड़ी देर के लिए दूर पे खड़ी होकर ध्यान रख की कोई आ तो नही रहा तब तक मैं और आकाश तोड़ा….समझती है ना….
रीता-ना बाबा ना मुझसे नही होगा ये बॉडीगार्ड वाला काम मैं तो चली.
महक मेरा हाथ पकड़ते हुए.
महक-प्ल्स रीतू यार. तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है इतना भी नही कर सकती मेरे लिए.
रीता-ओक मैं खड़ी रहूंगी मगर जब कोई आएगा तो मैं उसे रोकूंगी नही.
महक-ओक ओक मत रोकना बस हमे बता देना जब भी कोई आए.
मैं गाते के पास खड़ी हो गई और महक जल्दी से आकाश के पास चली गई. आकाश ने महक के पास आते ही उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पे टीका दिए. मैं उनकी तरफ से नज़र हटाकर बाहर देखने लगी. थोड़ी देर बाद मेरे मॅन में आया की देखु तो सही क्या कर रहे है दोनो. मैने अंदर देखा तो आकाश अभी भी महक के होंठ चूस रहा था और उसके हाथ महक के नितुंबों को मसल रहे थे. महक तो आकाश के साथ चिपक कर खड़ी थी. अब आकाश ने महक को दीवार के साथ लगा दिया था अब वो दोनो मुझे साइड से दिख रहे थे. आकाश फिरसे महक के होंठ चूमने लगा था. उसने अपने हाथ नीचे लेजकर महक का कमीज़ किनरो से पकड़ कर उपर उठना शुरू कर दिया और उसे महक के उरजों के उपर तक चड़ा दिया अब महक के उरोज उसकी ब्लॅक ब्रा में क़ैद थे. आकाश ने उसकी ब्रा में नीचे से अपना हाथ डाला और उसे भी उपर की और चड़ा दिया अब महक के गोरे गोरे उरोज आज़ाद हो चुके थे. आकाश अपने हाथों से उन्हे मसालने लगा था. मेरी नज़र नीचे गई तो मैने देखा महक ने अपने हाथ से आकाश का पेनिस उसकी पेंट के उपर से पकड़ रखा था. आकाश की पेंट का उभर सॉफ बता रहा था की उसका पेनिस काफ़ी बड़ा होगा. मेरी तो नज़र जैसे उसकी पेंट के उभर पे ही अटक चुकी थी. जब मैने वहाँ से अपनी नज़र उपर उठाई तो देखा आकाश मुझे ही देख रहा था. उसने मुझे अपने पेनिस की तरफ देखते हुए देख लिया था. और अब वो गंदी सी स्माइल के साथ मुझे घूर रहा था. मैने गुस्से से उसे देखा और अपना नाक चढ़ते हुए अपनी नज़र बाहर की और कर ली. मैने सोच लिया था की अब कुछ भी हो जाए अंदर नही देखूँगी लेकिन मैं अपने इस फ़ैसले पे ज़्यादा देर तक टिक नही पाई और मैने फिर से एक दफ़ा अपनी नज़र अंदर की और घुमा दी. मैने देखा आकाश अब महक के उरजों को चूस रहा था. वो कभी एक उरोज को अपने होन्ों में लेकर चूस्ता तो कभी दूसरे को. महक दीवार के साथ सर टिकाए आँखें बंद करके खड़ी थी. मैने नीचे देखा तो आकाश अपनी ज़िप खोल रहा था और देखते ही देखते उसने अपना पेनिस ज़िप में से बाहर निकल लिया. उसका पेनिस देखते ही मेरे मूह से अपने आप ‘ओह माई गोद‚ निकल गया. सच में उसका पेनिस काफ़ी बड़ा था. कम से कम 7.5इंच लंबा तो होगा ही और साथ ही साथ लगभग 1.5इंच मोटा था. मेरा मूह खुला का खुला रह गया था उसका पेनिस देखकर और मेरी योनि ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मेरा हाथ खुद ही अपनी योनि पे चला गया था. जैसे ही मेरी नज़र उसके पेनिस से हटकर उपर गई तो मैने देखा आकाश मुझे ही देखता हुया अपने दाँत निकाल रहा था. मैं कभी उसकी आँखों में देख रही थी तो कभी उसके पेनिस को जिसे आकाश अपने हाथ से आगे पीछे कर रहा था. मुझे देखते ही उसने मुस्कुराते हुए एक आँख दबा दी और मुझसे भी अब रहा ना गया और मैं अपनी नज़रें नीची कर के मुस्कुराने लगी. अब आकाश ने महक को नीचे बिठा दिया और महक ने खुद ही उसका पेनिस हाथ में पकड़ा और अपने होंठ खोलते हुए उसे अपने मूह में समा लिया. आकाश का पेनिस महक के होंठों के अंदर बाहर होता देख मैं अपने होंठों पे जीभ फिरने लगी थी. आकाश तेज़ तेज़ महक के होंठों में अपना पेनिस पेल रहा था. महक की आँखें बाहर की और निकल आई थी. आचनक आकाश का शरीर झटके खाने लगा और उसने महक का सर ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पे दबा दिया. उसके मूह से आ निकली और उसकी पकड़ महक के उपर ढीली हो गई. महक ने भी उसका लिंग अच्छे से चाट कर सॉफ कर दिया.
मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story – 11