राशिद ने अम्मी के मम्मों और कमर पर हाथ फेरते फेरते शलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे हिलाई. अम्मी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. राशिद ने पतलून के बावजूद खड़े खड़े ही अम्मी की गांड़ के ऊपर दो चार घस्से लगाइय और उन्हे अपनी तरफ मोड़ कर चूमने लगा. अम्मी कुछ देर पूरी तरह उस का साथ देती रहीं. वो अपना मुँह खोल खोल कर राशिद के होंठ चूस रही थीं . लेकिन फिर उन्होने अपना मुँह पीछे कर लिया और बोलीं के राशिद ज़ियादा मस्ती का वक़्त नही है बस अब अपना बे-क़ाबू लंड जल्दी अंदर करो और फटा-फट फ़ारिग़ होने की कोशिश करो. अम्मी को इस अंदाज़ में बात चीत करते सुन कर में हैरान रह गया.
अम्मी के लहजे में थोड़ी सी सख्ती थी जिससे महसूस कर के राशिद ने अपनी पतलून खोल कर नीचे की और अंडरवेर में से उस का अकड़ा हुआ लंड एक दम बाहर आ गया. उस का लंड पतला मगर अच्छा ख़ासा लंबा था. उस के लंड का टोपा सुर्खी-माइल था और मुझे साफ़ नज़र आ रहा था. अम्मी ने उस के लंड की तरफ देखा और उससे हाथ में ले लिया. राशिद उनकी क़मीज़ का दामन उठा कर मम्मों तक ले गया और फिर उनका ब्रा बगैर खोले ही ज़ोर लगा कर उनके मम्मों से ऊपर कर दिया. अम्मी के मोटे मोटे और सुर्ख-ओ-सफ़ेद मम्मे उछल कर बाहर आ गए. उनके निप्पल तीर की तरह सीधे खड़े हुए थे जिस से अंदाज़ा लगाया जा सकता था के वो कितनी गरम हो चुकी हैं.
राशिद ने अम्मी के मोटे ताज़े मम्मे हाथों में ले लिया और उन्हे चूसने लगा. अम्मी ने अपनी आँखें बंद कर के गर्दन एक तरफ मोड़ ली और राशिद के कंधे पर हाथ रख दिया. राशिद उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर चूसता रहा. वो जज़्बात में जैसे होश-ओ-हवास खो बैठा था. दुनिया से बे-खबर किसी प्यासे कुत्ते की तरह मेरी अम्मी के खूबसूरत मम्मों को नोंच नोंच कर और चूस चूस कर उन से मज़े ले रहा था. कुछ देर बाद अम्मी ने राशिद को ज़बरदस्ती अपने मम्मों से अलग किया और एक बार फिर उससे कहा के वो जल्दी करे मेहमान आते ही हूँ गे.
राशिद बेड पर लेट गया और अम्मी को हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ खैंचा. अम्मी उस के साथ बेड बैठ गईं तो उस ने उन्हे अपना लंड चूसने का कहा. अम्मी ने जवाब दिया के आज लंड चूसने का वक़्त नही है तुम बस जल्दी फ़ारिग़ हो जाओ. राशिद अपनी पतलून और अंडरवेर उतारते हुए बोला के खाला जान बस दो मिनिट चूस लें मुझे मज़ा भी आए गा और आप की चूत के अंदर करने में भी आसानी हो गी. ये सुन कर अम्मी झुक कर उस का लंड जल्दी जल्दी चूसने लगीं. राशिद ने हाथ नीचे कर के उन का दायां मम्मा हाथ में ले लिया और उससे मसलने लगा.
कुछ देर उस का लंड चूसने के बाद अम्मी ने फिर कहा के राशिद देर ना करो. राशिद फॉरन बेड से उतरा और अम्मी को भी खड़ा कर दिया. फिर उस ने हाथ बढ़ा कर अम्मी की शलवार का नाड़ा खोल दिया. अम्मी की शलवार उनके पैरों में गिर गई. वो फुर्ती से अम्मी के पीछे आया और उनके चूतड़ों के ऊपर से क़मीज़ उठा कर उनकी कमर तक ऊँची कर दी. अम्मी के मोटे और चौड़े चूतड़ नज़र आने लगे. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर करने की कोशिश की मगर कामयाब नही हुआ. उस ने अपने लंड पर ऊपर नीचे दो तीन दफ़ा हाथ फेरा और उस का टोपा अम्मी के चूतड़ों के अंदर ले गया. फिर अपने लंड को अम्मी की गांड़ के बीचों बीच रख कर हल्का सा घस्सा मारा.
कोशिश के बावजूद राशिद के लंड को इस दफ़ा भी अम्मी की चूत का सुराख ना मिल सका. अम्मी ने कहा के अपना लंड गीला करो ऐसे अंदर नही जाए गा. उन्होने अपने पैरों में पड़ी शलवार से टांगें बाहर निकलीं और एक पैर की त्तोकर से उससे थोड़ा डोर खिसका दिया. फिर वो सामने बेड पर हाथ रख कर थोड़ा सा और नीचे झुक गईं ताके राशिद का लंड उनकी चूत के अंदर जा सके. राशिद ने अपने हाथ पर ज़ोर से थूका और अम्मी की टांगें खोल कर पीछे से उनकी चूत पर अपना थूक लगा दिया. राशिद का हाथ उनकी चूत से लगा तो अम्मी के मुँह से ऊ.. ऊ.. की आवाज़ निकली और उनके चूतड़ थरथरा कर रह गए.
नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
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राशिद ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उनकी चूत के अंदर डाल दिया. अम्मी ने थोड़ा सा आगे हो कर उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. थोड़ी और कोशिश के बाद राशिद अपना लंड पूरी तरह अम्मी की चूत के अंदर ले जाने में कामयाब हो गया. अम्मी ने आँखें बंद कर लीं. अब राशिद ने उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये.
चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के घस्सों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के भारी चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से भी उनके मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद सेक्स के मामले में नज़ीर की तरह तजरबे-कार नही था. वो चंद मिनिट के घस्सों के बाद ही बे-क़ाबू होने लगा. उस ने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत के अंदर ही खलास होने लगा. अम्मी ने अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता तीन चार दफ़ा गोलाई में हरकत दी और राशिद की सारी मनी अपनी चूत में ले ली.
जब राशिद पूरी तरह छूट गया और उस का लंड अम्मी की चूत से बाहर निकल आया तो उन्होने फ़रश से अपनी शलवार उठाई और बेड की चादर हटा कर फोम पर बैठ गईं. वो राशिद की मनी और अपनी चूत से निकालने वाले पानी का दाग बेडशीट पर नही लगाना चाहती थीं . राशिद ने अपनी पतलून अठाई और बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉयिंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.
वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारगार्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का ईलम होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे किया करना चाहिये. किया अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? किया अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? किया खाला अम्बरीन के ईलम में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? किया राशिद का गिरेबां पकडूं के वो क्यों मेरी माँ को चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.
मुझे अम्मी को राशिद के साथ देख कर दुख हुआ था बल्के सख़्त गुस्सा भी आया हुआ था. लेकिन इस से भी ज़ियादा में हसद की भड़कती हुई आग में जल रहा था. आख़िर राशिद में ऐसी किया बात थी के मेरी अम्मी जैसी हसीन और शानदार औरत ने जो उस की सग़ी खाला भी थी उससे अपनी चूत देने का फ़ैसला किया था? वो एक आम सा लड़का था जिस में कोई ख़ास बात नही थी. लेकिन इस के बावजूद वो किस अंदाज़ में अम्मी से गुफ्तगू कर रहा था? लग रहा था जैसे अम्मी पूरी तरह उस के कंट्रोल में हूँ. मै उनका बेटा होते हुए भी उन से बहुत ज़ियादा फ्री नही था. हम तीनो बहन भाई अब्बू से ज़ियादा अम्मी के गुस्से से घबराते थे. मगर राशिद का तो उनके साथ कोई और ही रिश्ता बन गया था और यही बात मेरी बर्दाश्त से बाहर थी.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी कोई बहुत क़ीमती चीज़ किसी ने छीन ली हो. आख़िर ये सब कुछ कैसे हुआ? अम्मी को राशिद में किया नज़र आया था? अम्मी और अबू के ता’अलुक़ात भी बहुत अच्छे थे. उनका आपस में कोई लड़ाई झगड़ा भी नही था और वो एक खुश-ओ-खुर्रम ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फिर अम्मी ने अपने भानजे के साथ जिस्मानी ता’अलुक़ात क्यों कायम किये? ये सब बातें सोच कर मेरा दिमाग फटने लगा. मै घर वापस आया लेकिन अम्मी पर ये ज़ाहिर नही होने दिया के में उनका राज़ जान चुका हूँ. मगर फिर चंद घंटों के अंदर ही मेरे ज़हन पर छा जाने वाली धुंध छंटने लगी और मैंने फ़ैसला कर लिया के मुझे इन हालात में किया करना है.
मैंने फ़ैसला किया था के मुझे खुद ही इन सारे मामलात को सुलझाना होगा. किसी को ये बताना के राशिद अम्मी की चूत मार रहा था पूरे खानदान के लिये तबाही का मंज़र बनता. अगर में राशिद से इंतिक़ाम लेता भी तो अम्मी ज़रूर उस की ज़द में आतीं और मुझे अपने तमाम तर गुस्से के बावजूद ये मंज़ूर नही था. मुझे अम्मी से बहुत पियार था और उनकी बद-किरदारी के बावजूद मेरे दिल में उनके लिये नफ़रत पैदा नही हो सकी थी. हाँ ये ज़रूर था के रद-ए-अमल के तौर पर अब में अम्मी की चूत मारना बिल्कुल जायज़ समझता था.
चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के घस्सों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के भारी चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से भी उनके मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद सेक्स के मामले में नज़ीर की तरह तजरबे-कार नही था. वो चंद मिनिट के घस्सों के बाद ही बे-क़ाबू होने लगा. उस ने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत के अंदर ही खलास होने लगा. अम्मी ने अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता तीन चार दफ़ा गोलाई में हरकत दी और राशिद की सारी मनी अपनी चूत में ले ली.
जब राशिद पूरी तरह छूट गया और उस का लंड अम्मी की चूत से बाहर निकल आया तो उन्होने फ़रश से अपनी शलवार उठाई और बेड की चादर हटा कर फोम पर बैठ गईं. वो राशिद की मनी और अपनी चूत से निकालने वाले पानी का दाग बेडशीट पर नही लगाना चाहती थीं . राशिद ने अपनी पतलून अठाई और बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉयिंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.
वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारगार्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का ईलम होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे किया करना चाहिये. किया अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? किया अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? किया खाला अम्बरीन के ईलम में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? किया राशिद का गिरेबां पकडूं के वो क्यों मेरी माँ को चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.
मुझे अम्मी को राशिद के साथ देख कर दुख हुआ था बल्के सख़्त गुस्सा भी आया हुआ था. लेकिन इस से भी ज़ियादा में हसद की भड़कती हुई आग में जल रहा था. आख़िर राशिद में ऐसी किया बात थी के मेरी अम्मी जैसी हसीन और शानदार औरत ने जो उस की सग़ी खाला भी थी उससे अपनी चूत देने का फ़ैसला किया था? वो एक आम सा लड़का था जिस में कोई ख़ास बात नही थी. लेकिन इस के बावजूद वो किस अंदाज़ में अम्मी से गुफ्तगू कर रहा था? लग रहा था जैसे अम्मी पूरी तरह उस के कंट्रोल में हूँ. मै उनका बेटा होते हुए भी उन से बहुत ज़ियादा फ्री नही था. हम तीनो बहन भाई अब्बू से ज़ियादा अम्मी के गुस्से से घबराते थे. मगर राशिद का तो उनके साथ कोई और ही रिश्ता बन गया था और यही बात मेरी बर्दाश्त से बाहर थी.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी कोई बहुत क़ीमती चीज़ किसी ने छीन ली हो. आख़िर ये सब कुछ कैसे हुआ? अम्मी को राशिद में किया नज़र आया था? अम्मी और अबू के ता’अलुक़ात भी बहुत अच्छे थे. उनका आपस में कोई लड़ाई झगड़ा भी नही था और वो एक खुश-ओ-खुर्रम ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फिर अम्मी ने अपने भानजे के साथ जिस्मानी ता’अलुक़ात क्यों कायम किये? ये सब बातें सोच कर मेरा दिमाग फटने लगा. मै घर वापस आया लेकिन अम्मी पर ये ज़ाहिर नही होने दिया के में उनका राज़ जान चुका हूँ. मगर फिर चंद घंटों के अंदर ही मेरे ज़हन पर छा जाने वाली धुंध छंटने लगी और मैंने फ़ैसला कर लिया के मुझे इन हालात में किया करना है.
मैंने फ़ैसला किया था के मुझे खुद ही इन सारे मामलात को सुलझाना होगा. किसी को ये बताना के राशिद अम्मी की चूत मार रहा था पूरे खानदान के लिये तबाही का मंज़र बनता. अगर में राशिद से इंतिक़ाम लेता भी तो अम्मी ज़रूर उस की ज़द में आतीं और मुझे अपने तमाम तर गुस्से के बावजूद ये मंज़ूर नही था. मुझे अम्मी से बहुत पियार था और उनकी बद-किरदारी के बावजूद मेरे दिल में उनके लिये नफ़रत पैदा नही हो सकी थी. हाँ ये ज़रूर था के रद-ए-अमल के तौर पर अब में अम्मी की चूत मारना बिल्कुल जायज़ समझता था.
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हैरत की बात ये थी के मुझे ऐसा सोचते हुए कोई एहसास-ए-गुनाह नही था. मैंने पहले भी ज़िक्र किया है के बाज़ हौलनाक वाकेयात इंसान को बहुत कम वक़्त में बहुत कुछ सीखा देते हैं. मेरे साथ तो 2 ऐसे वाकेयात हुए थे जिन्हो ने मुझे एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ इंसान बना दिया था. खाला अम्बरीन का नज़ीर के हाथों चुद जाना और और फिर राशिद का अम्मी की चूत लेना दोनो ने ही मेरी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया था. इसी लिये शायद मुझे अब अम्मी की फुद्दी मारने में कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मेरी कमीनगी अपनी जगह लेकिन अम्मी को चोदने की इस खाहिश में हालात का सितम भी शामिल था. मामलात को संभालने के लिये ये बहुत ज़रूरी था के में कुछ ऐसा करूँ के राशिद और अम्मी का ता’अलूक़ हमेशा के लिये ख़तम हो जाए. इस का बेहतरीन तरीक़ा यही था के में अम्मी की ज़िंदगी में राशिद की जगह ले लूं. मुझे यक़ीन था के में ऐसा करने में कामयाब हो जाऊं गा.
ये बात तो साफ़ थी के राशिद अम्मी को चोद कर यक़ीनन उनकी कोई जिस्मानी ज़रूरत पूरी कर रहा और ये ज़रूरत ऐसी थी के अम्मी अपने शौहर के होते हुए अपने बेटे की उमर के भानजे से अपनी चूत मरवा रही थीं . उनकी ये ज़रूरत अब में पूरी करना चाहता था. मै फिर कहूँ गा के बिला-शुबा इस फ़ैसले में मेरे अपने ज़हन की कमीनगी भी शामिल थी क्योंके में बहरहाल अम्मी को चोदना चाहता था मगर ये भी तो सही था के उन्होने राशिद से चुदवा कर मेरे दिल से गुनाह के एहसास को मिटा दिया था. अगर वो राशिद से चूत मरवा सकती थीं तो मुझ से चुदवाते हुए उन्हे किया मसला हो सकता था? इस तरह राशिद भी उनकी ज़िंदगी से निकल जाता और में उन्हे चोद भी लेता.
मैंने ये भी सोच लिया था के अब मेरे लिये खाला अम्बरीन की चूत लेना भी ज़रूरी था. आख़िर राशिद हरामी ने भी तो मेरी अम्मी को चोदा था. फिर में उस की माँ को क्यों ना चोदता. खाला अम्बरीन को इस सारे मामले में लाये बगैर वैसे भी हालात ठीक नही हो सकते थे. वो ना-सिरफ़ राशिद को रोक सकती थीं बल्के इस बात को भी यक़ीनी बना सकती थीं के ये राज़ हमेशा राज़ ही रहे. लेकिन अम्मी को चोदना बाहर-सूरत एक मुश्किल काम था. मेरे मोबाइल में उनकी और राशिद की तस्वीरें मोजूद थीं मगर में उन्हे ब्लॅकमेल कर के उनकी चूत नही मारना चाहता था बल्के मेरी कोशिश थी के वो अपनी मर्ज़ी और खुशी से मुझे अपनी चूत लेने दें. इस के लिये ज़रूरी था के में उनके और ज़ियादा क़रीब होने की कोशिश करूँ.
मैंने उस दिन से अम्मी को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया. उनका बेटा होने की वजह से में उनके क़रीब तो पहले ही था मगर अब में उनके साथ और ज़ियादा वक़्त गुज़ारने लगा और घरैलू काम काज में उनकी भरपूर मदद करने लगा. मै उनके कहने पर फॉरन सोडा सुलफा ले आता और पहले की तरह मुँह नही बनाता था. मै हर रोज़ किसी ना किसी वजह से उनकी तारीफ करता जिससे सुन कर वो बहुत खुश होती थीं . पता नही उन्होने मेरे बदले हुए रवय्ये को महसूस किया या नही मगर चन्द हफ्तों के अंदर ही में उनके बे-हद क़रीब आ गया और वो हर बात मुझ से शेयर करने लगीं. फिर सालाना इम्तिहानात की वजह से स्कूल की छुट्टियाँ हो गईं और में ज़ियादा वक़्त घर में गुज़ारने लगा. शायद इसी लिये राशिद का हमारे घर आना जाना बिल्कुल ख़तम हो गया. मुझे बड़ी खुशी थी के कम-आज़-कम इन छुट्टियों में वो अम्मी को चोद नही सकता था.
एक दिन मेरे दोनो बहन भाई नाना जान के घर गए हुए थे और घर में सिरफ़ अम्मी और में ही थे. उस दिन हफ़्ता था और हर हफ्ते को हमारे घर कपड़े ढोने वाली मासी आती थी और अम्मी उस के साथ कपड़े धुलवाया करती थीं . दोपहर साढ़े तीन बजे के क़रीब अम्मी ने घर का सारा काम ख़तम किया और नहाने ढोने के लिये बेडरूम में चली गईं. मासी पहले ही जा चुकी थी. मै भी कुछ देर बाद उनके पीछे बेडरूम में आ गया. वो नहाने के बाद बड़ी निखरी निखरी लग रही थीं लेकिन उनके चेहरे पर थकान के आसार अब भी मोजूद थे. मैंने उन्हे कहा के वो बहुत ज़ियादा काम करती हैं और आराम बिल्कुल नही करतीं. मैंने उनकी तारीफ भी की के घर को संभालने में उनका कोई सांई नही. वो अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराईं और बोलीं के घर के काम काज में थकान तो हो ही जाती है लेकिन किया किया जाए घर तो संभालना तो पड़ता ही है.
ये बात तो साफ़ थी के राशिद अम्मी को चोद कर यक़ीनन उनकी कोई जिस्मानी ज़रूरत पूरी कर रहा और ये ज़रूरत ऐसी थी के अम्मी अपने शौहर के होते हुए अपने बेटे की उमर के भानजे से अपनी चूत मरवा रही थीं . उनकी ये ज़रूरत अब में पूरी करना चाहता था. मै फिर कहूँ गा के बिला-शुबा इस फ़ैसले में मेरे अपने ज़हन की कमीनगी भी शामिल थी क्योंके में बहरहाल अम्मी को चोदना चाहता था मगर ये भी तो सही था के उन्होने राशिद से चुदवा कर मेरे दिल से गुनाह के एहसास को मिटा दिया था. अगर वो राशिद से चूत मरवा सकती थीं तो मुझ से चुदवाते हुए उन्हे किया मसला हो सकता था? इस तरह राशिद भी उनकी ज़िंदगी से निकल जाता और में उन्हे चोद भी लेता.
मैंने ये भी सोच लिया था के अब मेरे लिये खाला अम्बरीन की चूत लेना भी ज़रूरी था. आख़िर राशिद हरामी ने भी तो मेरी अम्मी को चोदा था. फिर में उस की माँ को क्यों ना चोदता. खाला अम्बरीन को इस सारे मामले में लाये बगैर वैसे भी हालात ठीक नही हो सकते थे. वो ना-सिरफ़ राशिद को रोक सकती थीं बल्के इस बात को भी यक़ीनी बना सकती थीं के ये राज़ हमेशा राज़ ही रहे. लेकिन अम्मी को चोदना बाहर-सूरत एक मुश्किल काम था. मेरे मोबाइल में उनकी और राशिद की तस्वीरें मोजूद थीं मगर में उन्हे ब्लॅकमेल कर के उनकी चूत नही मारना चाहता था बल्के मेरी कोशिश थी के वो अपनी मर्ज़ी और खुशी से मुझे अपनी चूत लेने दें. इस के लिये ज़रूरी था के में उनके और ज़ियादा क़रीब होने की कोशिश करूँ.
मैंने उस दिन से अम्मी को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया. उनका बेटा होने की वजह से में उनके क़रीब तो पहले ही था मगर अब में उनके साथ और ज़ियादा वक़्त गुज़ारने लगा और घरैलू काम काज में उनकी भरपूर मदद करने लगा. मै उनके कहने पर फॉरन सोडा सुलफा ले आता और पहले की तरह मुँह नही बनाता था. मै हर रोज़ किसी ना किसी वजह से उनकी तारीफ करता जिससे सुन कर वो बहुत खुश होती थीं . पता नही उन्होने मेरे बदले हुए रवय्ये को महसूस किया या नही मगर चन्द हफ्तों के अंदर ही में उनके बे-हद क़रीब आ गया और वो हर बात मुझ से शेयर करने लगीं. फिर सालाना इम्तिहानात की वजह से स्कूल की छुट्टियाँ हो गईं और में ज़ियादा वक़्त घर में गुज़ारने लगा. शायद इसी लिये राशिद का हमारे घर आना जाना बिल्कुल ख़तम हो गया. मुझे बड़ी खुशी थी के कम-आज़-कम इन छुट्टियों में वो अम्मी को चोद नही सकता था.
एक दिन मेरे दोनो बहन भाई नाना जान के घर गए हुए थे और घर में सिरफ़ अम्मी और में ही थे. उस दिन हफ़्ता था और हर हफ्ते को हमारे घर कपड़े ढोने वाली मासी आती थी और अम्मी उस के साथ कपड़े धुलवाया करती थीं . दोपहर साढ़े तीन बजे के क़रीब अम्मी ने घर का सारा काम ख़तम किया और नहाने ढोने के लिये बेडरूम में चली गईं. मासी पहले ही जा चुकी थी. मै भी कुछ देर बाद उनके पीछे बेडरूम में आ गया. वो नहाने के बाद बड़ी निखरी निखरी लग रही थीं लेकिन उनके चेहरे पर थकान के आसार अब भी मोजूद थे. मैंने उन्हे कहा के वो बहुत ज़ियादा काम करती हैं और आराम बिल्कुल नही करतीं. मैंने उनकी तारीफ भी की के घर को संभालने में उनका कोई सांई नही. वो अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराईं और बोलीं के घर के काम काज में थकान तो हो ही जाती है लेकिन किया किया जाए घर तो संभालना तो पड़ता ही है.
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