एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“ठीक है यार जो कोई भी हो जल्दी से रफ़ा दफ़ा करो सारा दिन मस्ती करनी है हमें आज.” नरेश ने कहा.
चौहान बेल बजा बजा कर तक गया है.
“कहा है घर के सब लोग कोई दरवाजा क्यों नही खोल रहा.” चौहान इरिटेट हो गया.
तभी सोनिया ने दरवाजा खोला. पुलिस की वर्दी में चौहान को देख कर वो सकपका गयी.
“कहिए क्या बात है?”
“क्या आप ही सोनिया हैं?” चौहान ने पूछा.
“जी हन…बोलिए क्या बात है.”
“मुझे आपके भाई के बड़े में कुछ पूचेटाछ करनी है आपसे क्या मैं अंदर आ सकता हूँ.”
“जी बिल्कुल आईए.”
चौहान अंदर आ गया. उसने घर को पूरे गौर से देखा.
“बहुत देर लगाई आपने दरवाजा खोलने में.”
“वो…वो मैं नहा रही थी.”
“आप घबराओ मत मैं तो यू ही पूछ रहा था.”
“क्या जान-ना चाहते हैं आप मुझसे?” सोनिया ने कहा.
चौहान बोलने ही वाला होता है की बेडरूम से नरेश बाहर आता है. वो सिर्फ़ चढ़ि और बनियान पहने था. उसे लगा की सोनिया ने अब तक जो कोई भी आया होगा उसे रफ़ा दफ़ा कर दिया होगा.
नरेश की चौहान को देखते ही फूँक सरक गयी. सोनिया की तो हालत ही पतली हो गयी.
“ये कौन है सोनिया जी.” चौहान ने पूछा.
“ये मेरे पाती के दोस्त है.” सोनिया ने किशी तरह हिम्मत जुटा कर कहा.
“क्या नाम है तुम्हारा?” चौहान ने पूछा.
“जी नरेश.” नरेश ने जवाब दिया.
“अछा…आपके पाती कहा हैं…उन्हे बुलाओ.” चौहान ने सोनिया से कहा.
“वो किशी काम से बाहर गये हैं…कल शाम को लोटेंगे.” सोनिया ने कहा.
“वाह भाई वाह मिया घर नही आपको किशकि कर दर नही…मस्ती हो रही है पाती की पीठ पीछे हा….हा…हा…हा” चौहान हासने लगता है.
नरेश फ़ौरन बेडरूम में जाकर कपड़े पहनकर बाहर आता है और कहता है, “थॅंक यू सोनिया जो तुमने मुझे कल रात यहा रुकने दिया…अब मैं चलता हूँ….बाद में मिलते हैं.”
“ठीक है…कुछ खा कर जाते तो अछा था.” सोनिया ने कहा.
“नही अभी लाते हो रहा हूँ…मैं चलता हूँ.” नरेश वाहा से चला जाता है.
“क्या नाटक कर रहे हो मेरे सामने.” चौहान ने कहा.
“ये नाटक नही है…वो मेरे पाती का बहुत अछा दोस्त है. कल देर रात मुंबई से आया था. उसे नही पता था की मेरे पाती घर पे नही है. मैने उसे यही शोन के लिए अपना बेडरूम दे दिया.”
“आप भी अपने बेडरूम में ही शोय.” चौहान ने कहा.
“आप जो जान-ना चाहते हैं वो पूछिए मेरी निजी जींदगी से आपको कोई मतलब नही होना चाहिए.”
“मतलब निकल आता है सोनिया जी…कभी भी कही भी कोई मतलब निकल सकता है.”
“आप क्या जान-ना चाहते हैं मुझसे.” सोनिया ने कहा.
“एक गिलास पानी मिलेगा पहले बहुत प्यास लगी है.” चौहान ने कहा.
सोनिया ने चौहान को घूर के देखा और बोली,”अभी लाती हूँ.”
सोनिया किचन की तरफ बढ़ती है. चौहान सोनिया को जाते हुवे देखता है. उष्की नज़रे सोनिया की चलकती गान्ड पर पड़ती है और वही फिक्स हो जाती है.
“अफ वॉट आ शेकिंग बट शी हास…गुड वन.”
सोनिया पानी लाती है. इसे बार चौहान सोनिया के फ्रंट का नज़ारा लेता है. सोनिया जब हाथ में पानी की ट्रे लिए आगे बढ़ रही थी तो उशके बूब्स उपर नीचे चालक रहे थे. दरअसल जल्दबाज़ी में सोनिया ब्रा पहन-ना भूल गयी थी…जीशके कारण उशके फ्री बूब्स कुछ ज़्यादा ही उछाल रहे थे.
“अफ वॉट आ जंपिंग टिट्स शी हास…गुड वन.” चौहान ने कहा.
“लीजिए पानी पीजिए.” सोनिया ने कहा.
“सब कुछ ऐसे ही हिलता है क्या यहा.?”
“क्या हिलता है…मैं कुछ समझी नही.” सोनिया ने कहा.
“ओह रहने दीजिए आपकी समझ में नही आएगा…अछा ये बताए की आपके भाई ने प़ड़्मिनी अरोरा के खिलाफ झुटि गवाही क्यों दी…क्या दुश्मनी थी सुरिंदर की प़ड़्मिनी से.”
“वो सब मुझे नही पता…मेरी इसे बड़े में ज़्यादा बात नही हुई सुरिंदर से.”
“कुछ तो मालूम होगा आपको. देखिए सुरिंदर ने ये सब किशी के कहने पे किया है. क्या आप हमें बता सकती हैं की कौन ऐसा शाकस है जो सुरिंदर से ये काम करवा सकता है.”
“देखिए मैं सच कह रही हूँ…मुझे इसे बड़े में कुछ नही पता. आप अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं.”
“अछा एक काम कीजिए मुझे सुरिंदर के सभी दोस्तो के नाम पाते दे दीजिए…शायद कुछ बात बन जाए.”
“देखिए मैं उशके सभी दोस्तो को नही जानती…कुछ का मुझे पता है लेकिन उनके भी अड्रेस मेरे पास नही हैं.”
“सुरिंदर का किशी लड़की से अफेर था क्या.”
“मेरी जानकारी में तो नही था” सोनिया ने कहा.
“ह्म…लेकिन आपका अफेर अछा चल रहा है क्यों…क्या आपके पाती से बात हो सकती है अभी.”
“किश बड़े में?”
“जान-ना चाहता हूँ की ये नरेश उनका कितना अछा दोस्त है.”
“उष्का आपके केस से क्या लेना देना.”
“लेना देना है सोनिया जी आप नही समझेंगी…चलिए आज नही तो कल बात कर लेंगे उनसे.”
“देखिए आप नरेश के बड़े में उनसे कुछ ना कहे उन्हे बुरा लगेगा. मैने उनसे पूछे बिना नरेश को यहा रोक लिया था.”
“अछा ऐसा है क्या…कहीं उनसे पूछे बिना कुछ और तो नही किया आपने, नरेश के लिए?”चौहान ने शराराती अंदाज़ में पूछा.
“मैं समझी नही आपका मतलब.” सोनिया ने कहा.
“जैसे की कही आप नरेश के उपर तो नही चढ़ि या फिर कही नरेश तो आपके उपर नही चढ़ा….हे..हे..हे…ऐसा ही कुछ कुछ”
“कैसी बाते करते हैं आप…नही ऐसा कुछ नही था.”
“फिर आपके पाती से बात करने में क्या हर्ज़ है…मैं कल शाम को आऊगा.” चौहान सोफे से उठ जाता है.
सोनिया भी फ़ौरन उठ जाती है. “देखिए आप उनसे मिलिए ज़रूर लेकिन नरेश के बड़े में कुछ ना बोले तो सही रहेगा. आप नही जानते वो बहुत शक्की किसाम के हैं. बेकार में मेरी शादी शुदा जींदगी में दिक्कत आ जाएगी.”
चौहान सोनिया के पास आता है और उष्की मखमली गान्ड पर हाथ रख कर बोलता है, “सच बोलॉगी तो मैं तुम्हारे पाती से कोई बात नही करूँगा. कितनी बार ठोका नरेश ने तुझे कल रात.”
“आप ये क्या बोल रहे हैं.? ऐसा कुछ नही है.”
चौहान सोनिया की गान्ड से हाथ हटा लेता है और चलने लगता है, “ठीक है फिर कल शाम को तुम्हारे पाती को सब कुछ बताया जाएगा.”
“नही रुकिये…एक बार.” सोनिया ने अपनी नज़रे झुका कर कहा.
“बस एक बार…इतनी मदमस्त जवानी को तो सारी रात ठोकना था…बेवकूफ़ है ये नरेश.”
चौहान वापिस सोनिया के पास आया और फिर से उष्की गान्ड पर हाथ रखा. इसे बार वो हाथ से गान्ड के पुतो को सहलाने लगा.
“मज़ा आया था तुझे.”
“हाथ हटा लो प्लीज़.”
“जो पूछ रहा हूँ उष्का जवाब दे.”
“हन आया था.”
“गुड…और मज़ा लेना चाहोगी.”
“हाथ हटा लीजिए.”
“क्यों अछा नही लग रहा तुम्हे. ऐसी मखमली गान्ड पर तो खूब हाथ फिराने चाहिए और तुझे खूब मज़े लेने चाहिए.”
सोनिया चौहान का हाथ पकड़ कर अपनी गान्ड से हटा देती है और कहती है, “कल शाम को मेरे पाती से मिल लेना.”
“वो तो मिलूँगा ही…तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. और मज़ा लेना चाहोगी क्या?”
सोनिया किशी गहरी सोच में डूब गयी. चौहान खड़े खड़े सोनिया के जवाब का इंतेज़ार कराता रहा.
राजू मोबिए ऑपरेटर रोडफोने के ऑफीस से उष मोबाइल नो की सारी डीटेल्स निकलवाता है.
“सिर इसे नंबर में जिन जिन जगह से पैसे डलवाए गये हैं वो सारी डीटेल इसे पेज में है.”
“ओह थॅंक यू, शायद इसे से काम बन जाएगा”
“मी प्लेषर सिर.”
राजू रोडफोने के ऑफीस से बाहर आता है और उष पेज को ध्यान से देखता है,
“ह्म मॅग्ज़िमम टाइम एक ही वेंडर से पैसे डलवाए गये हैं. सबसे पहले इशे ही चेक कराता हूँ.” राजू सोचता है.
राजू जल्दी ही उष वेंडर के पास पहुँच जाता है. ये एक मेडिकल स्टोर था जहा पर की मोबाइल में टॉक टाइम भरने का काम भी होता था.
“एक्सक्यूस मे ये नंबर किशका है” राजू ने पूछा.
“आप नंबर ले कर घूम रहे हैं आपको पता होगा.” स्टोर वाले ने कहा.
“देखो मैं पुलिस से हू. जल्दी इसे नंबर के बड़े में बताओ वरना…” राजू ने कहा.
“सॉरी सिर पहले बठाना था ना…ये नंबर उम…अरे हाँ ये तो मोनिका जी का है.”
“कुआँ मोनिका और कहा रहती है ये.?”
“कोई सीरीयस बात है क्या सिर?”
“तुम उष्का अड्रेस बताओ सीरीयस है या नही उष से तुम्हे क्या लेना देना.”
“सॉरी सिर वैसे ही पूछ रहा था. मोनिका जी का घर यही नझडीक ही है. मैं आपको दीखा देता हूँ.”
“ठीक है जल्दी चलो.”
स्टोर वाला राजू के साथ चल कर राजू को मोनिका का घर दीखा देता है.
राजू दूर बेल बजाता है. मोनिका दरवाजा खोलती है.
“जी कहिए.”
“क्या आप ही मोनिका हैं.”
“हन क्यों? क्या काम है.”
“आप ने मुझे पहचाना नही…”
“नही…कौन हैं आप. मैं आपको नही जानती”
“कुछ दिन पहले फोन पे बात हुई थी. आप ने सुरिंदर को फोन मिलाया था. ग़लती से मैने उठा लिया. ई आम सब इनस्पेक्टर राजवीर सिंग. कुछ याद आया.”
मोनिका के तो पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन ही निकल गयी. लेकिन फिर भी वो बोली,”आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ नही आ रहा.”
“आप झुत बोल कर अपनी ही दिक्कत बढ़ा रही हैं. पहले आपने मोबाइल सिम सहित जंगल में फेंक दिया और अब आप झुत बोल रही हैं. इसे सब से तो यही लगता है की आप बहुत कुछ छुपा रही हैं. अगर आप यहा सच नही बताएँगी तो पुलिस स्टेशन में बताएँगी. सच तो आपको बोलना ही पड़ेगा. मर्ज़ी आपकी है.”
मोनिका घबरा जाती है और बोलती है, “सिर आप अंदर आईए”
“अंदर तो आ जवँगा पहले आप सच स्वीकार कीजिए.”
“क्या चाहिए आपको मुझसे?”
“ये हुई ना बात…चलिए बैठ कर बात करते हैं.” राजू ने कहा.
“आप कुछ लेंगे छाए…ठंडा.” मोनिका ने पूछा.
“बस एक गिलास पानी दे दीजिए.”
मोनिका पानी का गिलास लाती है. “आप काफ़ी यंग ऑफीसर हैं.”
“हन बस अभी भाराती हुवा हूँ…आप भी काफ़ी यंग हैं…अरे यू मॅरीड.” राजू ने कहा.
“एस आम मॅरीड.”
“आपके हज़्बंद कहा हैं….जॉब पे गये होंगे शायद”
“हन…वो बाहर गये हैं.”
“बाहर मतलब घर से बाहर या सहर से बाहर.”
“देल्ही गये हैं वो. उनके अक्सर तौर लगते रहते हैं.”
“तभी आपने सुरिंदर के साथ एक्सट्रा मेरिटल रिश्ता बना लिया.”
“उष बड़े में मैं बात नही करना चाहती. आप काम की बात कीजिए.”
“सॉरी अगर आपको बुरा लगा तो. मेरे मूह से वैसे ही निकल गया.”
“इट्स ओक.”
“आपने क्यों किया ऐसा. मोबाइल सिम सहित फेंक दिया. क्या दर था आपको.”
“देखिए मैं किशी मुसीबत में नही फासना चाहती थी. आपसे फोन पर बात करने के बाद मुझे पता चला था की सुरिंदर मार गया. अब मैं उष रात उशके साथ थी. मुझे दर लग रहा था की मैं बेकार में मुसीबत में फँस जवँगी और मेरी बदनामी होगी. इश्लीए मैने मोबाइल फेंक दिया था.”
“देखिए साएको किल्लर सहर में सारे आम घूम रहा है. आपको कुछ भी पता हो तो बता दो. मैं यकीन दिलाता हूँ आपको की आपकी प्राइवसी का ध्यान रखा जाएगा.”
“जब मैं सुरिंदर के घर में थी तो मुझे घर के पीछे कुछ आहत शुनाई दी थी. मैने इसे बड़े में सुरिंदर को बताया भी था. लेकिन उसने ध्यान नही दिया. सब कुछ मेरे जाने के बाद हुवा.”
“क्या आपने किशी को देखा वाहा.”
“नही मैने बस दो पुलिस वालो को देखा था.”
“वो बेचारे तो खुद मारे गये.”
“हन…न्यूज़ पर देखा सब.”
“आपको क्या लगता है. सुरिंदर ने झुटि गवाही क्यों दी पुलिस को.”
“मुझे खुद यकीन नही था की वो लड़की खूनी है. और वही हुवा भी. मैने सुरिंदर से इसे बड़े में पूछा था. लेकिन उसने यही कहा की उसने खुद उष लड़की को खून करते देखा है. मैने और ज़्यादा इसे बड़े में उष से बात नही की.”
“थॅंक यू वेरी मच मोनिका जी. अब मैं चलता हूँ.”
“जो मुझे पता था बता दिया सिर. प्लीज़ इसे केस में मेरा नाम ना आए. मेरी शादी शुदा जींदगी का सवाल है.”
“मैं समझ रहा हूँ…आप बेफिकर रहें.”
राजू उठ कर चल देता है. लेकिन दरवाजे पर आकर पाता है की बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है.
“अफ मैं तो अपनी जीप भी पीछे चोद आया. बहुत तेज बारिश हो रही है.”
“थोड़ी देर रुक जाईए आप.”
“मैं तो रुक जवँगा लेकिन ऐसे मौसम में मैं कही बहक ना जौन…आप बहुत शुनदर हो.”
मोनिका शर्मा जाती है और नज़रे झुका कर कहती है, मज़ाक मत कीजिए.”
“मज़ाक नही कर रहा हूँ. आप सच में शुनदर हैं. ऐसे मौसम में कोई भी बहक जाएगा आपको देख के.”
मोनिका हासने लगती है. “बस…बस आप तो फ्लर्ट कर रहे हैं.”
यही दिक्कत है आदमी के मूह से निकला हर सच औरात को फ्लर्ट ही लगता है.
“आपने मेरा दर ही भगा दिया. अगर आपकी जगह कोई और पुलिस वाला आता तो मेरी जान निकल जाती अब तक. मैं वैसे ही काई दीनो से परेशान थी इसे बात को लेकर.”
राजू मोनिका को बड़े प्यार से देखता है और कहता है, “मोनिका जी ये सच है की मैं फ्लर्ट हूँ. आदत से थोड़ा मज़बूर हूँ. लेकिन ये बिल्कुल सच है की आप बहुत ही क्यूट हो. सुरिंदर जैसे लोगो के हाथो में मत पड़ा कीजिए. देखिए ना कितनी बड़ी मक्कारी की है उसने पुलिस डेप्ट के साथ. सोच समझ कर दिल लगाया कीजिए.”
“मेरा आगे से ऐसा कोई इरादा नही है. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.”
“ऐसा ना कहिए मेरे जैसो का दिल टूट जाएगा.” राजू की बात पर मोनिका शर्मा गयी.
“लगता है मेरा फ्लर्ट काम कर रहा है. आप तो मेरे जाल में फैस्टी जा रही हैं.” राजू ने हंसते हुवे कहा.
“ऐसा कुछ नही है. आपको वहाँ हो रहा है.”
“आप मेरे चक्कर में मत फासना मेरा तो यही काम है”
“आप अपने खिलाफ ही बोल रहे हैं.”
“आपको चेतावनी देना मेरा फ़र्ज़ है.”
“यू अरे वेरी इंट्रेस्टिंग पर्सन.”
“आप ऐसी बाते करेंगी तो मेरा हॉंसला बढ़ेगा और फ्लर्ट करने का. कभी किशी को ऐसा मोका मत दीजिए.”
“आप घबराओ मत आपका कोई चान्स नही है यहा.”
“अछा ऐसा है क्या?” राजू कहता है और मोनिका की तरफ बढ़ता है. वो अपने होंटो पर जीभ फ़ीरा कर अपनी इंटेन्षन क्लियर कर देता है की वो किस करने वाला है. ज़्यादा दूर नही थी मोनिका राजू से. बस दो कदम का फांसला था.
“आप क्या करने वाले हैं दूर रहिए.” मोनिका पीछे कदम बढ़ाती है.
“चेक करना चाहता हूँ की मेरा चान्स है की नही.” राजू आगे बढ़ते हुवे बोलता है.
मोनिका पीछे हटती चली जाती है और फिणाली ड्यूवर के सहारे खड़ी हो जाती है. राजू मोनिका की आँखो में देखता हुवा आगे बढ़ता रहता है. मोनिका के बिल्कुल पास पहुँच कर वो मोनिका के सर के दोनो तरफ देवार पर अपने हाथ रख लेता है और मोनिका की आँखो में झाँक कर देखता है.
“आप ये क्या कर रहे हैं.” मोनिका शर्मा कर पूछती है.
राजू बिना कुछ कहे अपने होन्ट मोनिका के होंटो पर टीका देता है. मोनिका चुपचाप खड़ी रहती है. राजू उशके रश भरे होंटो को चूमता रहता है. अचानक वो हट जाता है और वापिस दरवाजे पर आ जाता है और बोलता है, “मेरा चान्स तो बहुत तगड़ा है. आप झुत बोल रही थी.”
मोनिका दिल पर हाथ रखे दीवार के सहारे खड़ी रहती है. उष्की साँसे बहुत तेज चल रही थी.
“अफ ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही. और तेज होती जा रही है. छाए ही पीला दीजिए थोड़ी, मौसम ठंडा हो रहा है” राजू ने कहा.
“लाती हूँ अभी आप इंतेज़ार कीजिए…चीनी कितनी लेंगे.”
“बहुत थोड़ी…आपके होंटो का मीठा रस पीकर बहुत मिठास भर गयी है दिल में.”
मोनिका नज़ारे झुका कर, शर्मा कर वाहा से किचन की और चली जाती है.
“फँस चुकी है ये तो. पर रहने देता हूँ. उसे कही ये ना लगे की मैं इसे केस का दबाव बना कर फ्लर्ट कर रहा हूँ. ऐसे अछा नही लगेगा. रहने दो खुश अपनी जींदगी में. मुझे लड़कियों की क्या कमी है. ये भी हो सकता है की वो सिर्फ़ नाटक कर रही हो. आख़िर वो परेशान थी. यही ठीक रहेगा रहने देता हूँ इशके साथ. ऐसी बातो से पुलिस की बदनामी होती है.”
बारिश बढ़ती ही जा रही थी और राजू दरवाजे पर खड़ा खड़ा कशमकश में खोया था.
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इधर चौहान अपनी आदत से मजबूर, मोका हाथ से गवाना नही चाहता था. जैसे उसने पूजा पर दबाव बना कर उष्की ली थी ऐसे ही वो सोनिया के साथ भी करना चाहता था.
“क्या हुवा सोनिया जी आप तो गहरी चिंता में खो गयी. मेरे स्वाल का जवाब नही दिया आपने. वैसे कहा जाता है की खामोशी का मतलब हाँ ही होता है. मैं हाँ समझू क्या”
अब सोनिया कहे भी तो क्या. हाँ उष्का नरेश से संबंध था पर इश्का मतलब ये नही था की वो किशी को भी दे देगी.
चौहान सोनिया के पास आया और उष्की गान्ड पर फिर से हाथ रख दिया. “आओ तुम्हारे बेडरूम में चलते हैं. तुम्हे अछा लगेगा.”
“आप क्या यहा ये सब करने आए थे.” सोनिया ने कहा.
“चलिए ये सब नही करते…कल मिलते हैं. मुझे इसे केस के बड़े में आपके पाती से भी तो मिलना होगा.” चौहान फिर से चलने का नाटक कराता है.
“रुकिये…कर लीजिए जो करना है.”
“ये हुई ना बात. तुझे क्या फराक पड़ेगा. अपने पाती को एक धोका और सही हे..हे…हे.” चौहान आगे बढ़ कर सोनिया को गोदी में उठा लेता है.
“ऐसी चुत मारूँगा तेरी की उष नरेश को भूल जाएगी तू.” चौहान बेडरूम की तरफ बढ़ते हुवे बोलता है.
चौहान सोनिया को उशके बेडरूम में ले आया और उसे बिस्तर पर लेता दिया. वो खुद बिस्तर के किनारे खड़े हो कर अपनी शर्ट के बतन खोलने लगा. सोनिया हैरानी भारी नज़रो से उसे देख रही थी.
“ऐसे क्या देख रही है…बहुत बेचैन हो रही है क्या…हे..हे..हे?” चौहान ने कहा.
“यू अरे बाद कॉप.”
“आंड यू अरे बाद वाइफ. इट विल बे गुड कॉंबिनेशन इस्न‚त इट…लेट्स एंजाय टुगेदर खि…खि…खि.”
चौहान अपनी शर्ट उतार कर बिस्तर पर चढ़ गया.
“मूह में लेगी क्या पहले?” चौहान ने पूछा.
“ई डोंट गिव हेड”
“ओक…थ्ट्स कूल बेबी…बुत ई लीके पटिंग माई डिक इन थे मौत. सो यू बेटर शकइट टुडे.”
“ई डोंट नो हाउ तो सक. ई कॅंट दो इट.”
“कोई बात नही…मूह में लंड डालूँगा तो चूसना सीख ही जाओगी.” चौहान ने कहा.
चौहान ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. सोनिया की नज़र चौहान के लंड पे पड़ी तो उष्की आँखे फटी की फटी रह गयी.
“क्या देख रही है. इस्न‚त इट आ गुड कॉक.”
चौहान सोनिया की छाती पर चढ़ गया. उष्का लंड सोनिया के मूह के बिल्कुल पास था.
“मूह खोलिए कोई बड़ी बेसब्री से आपका इंतेज़ार कर रहा है.” चौहान ने कहा.
“यू अरे आ सिक कॉप.”
“आंड यू अरे आ सिक वाइफ. अब मूह खोल और चुपचाप चूस इशे.”
“ठीक है मैं शककरूँगी. पर तुम मेरे पाती से नही मिलोगे.”
“अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मुझे क्या करना है तुम्हारे पाती से मिल के.”
“थ्ट्स कूल.”
“तू चिंता मत कर एक बार मेरे साथ एंजाय करेगी ना तो अपने नरेश को भूल जाएगी.”
“एक बात तो है.”
“क्या बोलो.”
“तुम्हारा नरेश से थोड़ा बड़ा है.”
“मज़ा भी ये बड़ा ही देगा मेरी जान तू मूह में तो ले.”
“सोनिया चौहान के लंड के उपरी हिस्से को मूह में ले लेती है.”
“आअहह मार डाला जालिम ने…आअहह क्या पकड़ा है मेरे लंड को अपने होंटो से. यू अरे गुड सकर.”
सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाला और बोली,”इट्स माई फर्स्ट टाइम.”
“पहली बार में ही धमाका. वाउ शकइट बेबी.”
सोनिया ने चौहान के लंड को फिर से मूह में डाल लिया और चूसने लगी.
“बहुत अच्छे से चूस रही हो. लगता है अछा लग रहा है तुम्हे मेरा लंड.”
“तुम चूस्वा रहे हो मैं चूस रही हूँ. इसे से ज़्यादा और कुछ नही है” सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाल कर कहा.
“कोई बात नही तुम चूसो…एक आध बार अपनी जीभ मेरी बॉल्स पर भी फिरा दो.”
सोनिया ने चौहान के लंड को वापिस मूह में ले लिया.
“आआहह एस शकइट बेबी.” चौहान ने सोनिया के सर को पकड़ लिया और उशके मूह में धक्के लगाने लगा.
चौहान ने अचानक अपने लंड को सोनिया के मूह से बाहर खींच लिया और और सोनिया की छाती से हट कर उष्की टाँगो को फैला कर उनके बीच बैठ गया. उसने सोनिया की सलवार का नाडा पकड़ा और उसे एक झटके में खोल दिया. सोनिया पेंटी भी नही पहने थी इश्लीए उष्की नंगी चुत तुरंत चौहान की आँखो के सामने आ गयी.
“वाह क्या चिकनी चुत है. एक भी बाल नही है.” चौहान ने कहा.
सोनिया ने शर्मा कर अपनी आँखे बंद कर ली. चौहान सोनिया के उपर झुक गया और उशके होंटो को चूम लिया. उष्का लंड खुद-ब-खुद सोनिया की चुत के उपर पोज़िशन ले चुका था. एक्सपर्ट लंड था होल को ढूँडने में उसे ज़्यादा परेशानी नही हुई. चौहान का लंड जब सोनिया की चुत में घुस्सा तो वो कराह उठी.
“आआहह…म्म्म्मममममम”
चौहान ने एक ही झटके में पूरा लंड सोनिया की चुत में उतार दिया था. लंड अंदर घुसाते ही वो धक्के भी मारने लगा. सोनिया की तो हालत पतली ही गयी. कुछ देर तक वो सोनिया की चुत उशी पोज़िशन में ठोकता रहा. कुछ देर बाद उसने लंड बाहर निकाला और सोनिया को कहा की घूम जाओ. सोनिया चौहान के नीचे घूम गयी और चौहान ने उष्की गान्ड फैला कर चुत में लंड डाल दिया.
“आआआहह ये पोज़िशन पहली बार लगाई मैने आअहह.” सोनिया ने कहा. उष्को इसे पोज़िशन में अलग ही मज़ा आ रहा था.
चौहान सोनिया की चुत यू ही रगड़ता रहा. सोनिया इतने में 2 बार झाड़ गयी.
चौहान ने अचानक लंड बाहर निकाला और सोनिया की गान्ड के छेद पर टीका दिया. इसे से पहले की सोनिया कुछ समझ पाती उष्की गान्ड में आधा लंड घुस्स चुका था.
“उउऊययययीीई मा ये क्या किया…नही….ऊओह.”
पर चौहान कहा रुकने वाला था. उसने तो पूरा लंड सोनिया की गान्ड में उतार दिया और धक्के भी मारने शुरू कर दिए.
“ये मखमली गान्ड तो मारनी ज़रूरी थी….खि…खि..खि.”
“यहा टाइम ज़्यादा मत लगाना दर्द हो रहा है….आआहह”
चौहान सोनिया की गान्ड में ज़ोर ज़ोर से लंड को रग़ाद रहा था और मज़े की शिसकिया ले रहा था. चौहान के हर धक्के के साथ सोनिया की गान्ड चालक उठी थी.
“वाउ सच आ नाइस पीस ऑफ बट.”
जल्दी ही चौहान ने सोनिया की गान्ड को अपने वीर्या से भर दिया.
“ओह वॉट आ फक.” चौहान हांप रहा था.
“निकाल लीजिए अब तो.” सोणिये भी हांपते हुवे बोली.
“ओह हाँ बिल्कुल…ये लो” छुआहं ने सोनिया की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया. लंड के निकालने पर ग्लूप की आवाज़ हुई.
सोनिया तुरंत टाय्लेट की तरफ भागी. जब वो वापिस आई तो चौहान कपड़े पहन चुका था. उसने भी अपने कपड़े पहन लिए.
“धन्यवाद सोनिया जी…भूल चूक माफ़ करना. आपको अगर कोई भी नयी जानकारी मिले तो मुझे तुरंत इसे नंबर पर फोन करना.” चौहान ने अपना कार्ड सोनिया को दे दिया.
जाते जाते चौहान ने सोनिया को बाहों मे भरा और बोला,”दोनो होल एक से बढ़ कर एक हैं. गान्ड में पहले भी लिया है क्या कभी.”
“पहले ना किया होता तो जाता तुम्हारा इतना मोटा.” सोनिया हंस दी.
“दुबारा मेरी सेवा की ज़रूरात हो तो बठाना.” चौहान ने सोनिया को किस किया और वाहा से चल दिया.
“अफ बारिश हो रही है…शूकर है गाड़ी नझडीक खड़ी की मैने.” चौहान ने कहा और सोनिया के घर से निकल गया.
चौहान के जाते ही सोनिया ने अपना मोबाइल उठाया और नरेश को फोन लगाया.
“आ जाओ तुम…इनस्पेक्टर चला गया.”
…………………………………………………….
मोनिका छाए लाई और राजू ने चुपचाप दरवाजे पर खड़े खड़े छाए पे बारिश की बूँदो को देखते हुवे.
“मोनिका जी मुझे लगता है की मुझे निकलना चाहिए. मेरा यहा रुकना ठीक नही.”
” जैसी आपकी मर्ज़ी.”
“मेरा नंबर रख लीजिए आपको कुछ और याद आए तो प्लीज़ ज़रूर बठाना. उष साएको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है.”
“जी बिल्कुल”
राजू बारिश में ही निकल पड़ा. जीप तक पहुँचते-पहुँचते राजू पूरी तरह भीग गया. जैसे ही वो जीप में बैठा उष्का मोबाइल बाज उठा.
“हेलो”
“मैं मोनिका बोल रही हूँ…एक बात बठाना भूल गयी आपको.”
“कुछ इंपॉर्टेंट है क्या.”
“हन.”
“रूको मोबाइल में आवाज़ सॉफ नही आ रही मैं जीप लेकर वही आता हूँ.”
राजू ने जीप घुमाई और वापिस मोनिका के घर के बाहर आ गया.
राजू बुरी तरह से भीगा हुवा मोनिका के घर में परवेश कराता है.
“एयेए च्ीईिइ….कहिए क्या बात है?” राजू को छींक आ गयी.
“आप तो पूरे भीग गये हैं…मैं टोलिया लाती हूँ.” मोनिका ने कहा.
“वो मेरी जीप ज़रा दूर खड़ी थी. वाहा तक पहुँचते-पहुँचते पूरा भीग गया.”
मोनिका ने टोलिया ला कर राजू के हाथ में दे दिया, “लीजिए आप अपना सर सूखा लीजिए”
राजू ने टोलिया पकड़ा और बोला, “थॅंक यू सो मच. आप बहुत अछी हैं”
मोनिका नज़रे झुका कर हल्का सा मुश्कुरा दी और बोली,”आप भी बहुत अच्छे हैं.”
“हन तो बोलिए अब. क्या बठाना भूल गयी थी आप?” राजू सर पर टोलिया रगड़ते हुवे बोला.
तभी अचानक बहुत ज़ोर की बीजली कदकी. बहुत ही भयानक आवाज़ हुई. मोनिका इतनी दर गयी की वो फ़ौरन राजू से चिपक गयी.
“मुझे कोई प्राब्लम नही है आपको गले लगाने में लेकिन आपके कपड़े गीले हो जाएँगे.” राजू ने हंसते हुवे कहा.
मोनिका तुरंत राजू से दूर हो गयी और नज़र झुका कर बोली, “ओह सॉरी मैं बीजली की आवाज़ से दर गयी थी.”
राजू मोनिका के करीब आता है और कहता है, “कोई बात नही मोनिका जी. मुझे अछा लगा की आपने मुझे इसे काबिल समझा. आप नझडीक आई तो सर्दी दूर भाग गयी. एक बात काहु अगर बुरा ना माने तो”
“जी कहिए.”
“हमारे बीच बहुत शुनदर संभोग की संभावना बन रही है. मैं आपके लिए बहक रहा हूँ. इसे से पहले की कुछ हो जाए आप मुझे वो बात बता दो ताकि मैं चुपचाप जल्द से जल्द यहा से चला जौन.”
“वही बतने जा रही थी की कदकट्ी बीजली ने डरा दिया.”
“कोई बात नही ऐसी बीजली किशी को भी डरा सकती है. एक पल को तो मैं भी दर गया था. लगता है कही नझडीक ही गिरी है बीजली.”
“हन शायद…अछा मैं ये बठाना चाहती थी की उष रात भी मैं सुरिंदर के साथ ही थी.”
“किश रात की बात कर रही हैं आप” राजू ने उत्शुक हो कर पूछा.
“जीश रात सुरिंदर ने पुलिस में जाकर झुटि गवाही दी थी.”
“ओह…डीटेल में बताओ. ये तो बहुत काम की बात लगती है”
मोनिका विषतार में बठाना शुरू कराती है :-
मैं कोई रात के दस बजे पहुँची थी सुरिंदर के घर. मेरे पाती घर नही थे इश्लीए मैने सारी रात सुरिंदर के घर ही रहने का प्लान बनाया था. डिन्नर भी मैने वही बनाया और हम दोनो ने एक साथ खाया. कुछ देर हम टीवी देखते रहे और फिर बिस्तर पर आ गये. हमने खूब बाते की. अभी हमारे बीच कुछ भी शुरू नही हुवा था. बातो बातो में रात के एक बाज गये थे. हमारे पास खुला वक्त होता था तो हम अक्सर यू ही मस्ती करते थे. हमारे बीच कामुक पल शुरू होने ही वाले थे की घर की दूर बेल बाज उठी. हम दोनो हैरान थे की इतनी रात को एक बजे कौन हो सकता है. सुरिंदर ने कपड़े पहने और लाइट बंद कर दी. मैं रज़ाई में डुबक गयी. मुझे कुछ बहुत ही अजीब लग रहा था. मुझे सबसे ज़्यादा ये दर था की जीशणे भी बेल बजाई है वो अंदर ना आ जाए. लेकिन फिर भी मैं चुपचाप मूह ढके पड़ी रही. सुरिंदर दरवाजा खोलने चला गया. बेडरूम ड्रॉयिंग रूम के बिल्कुल नझडीक था इश्लीए मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सॉफ शुनाई दे रही थी. सुरिंदर ने दरवाजा खोलते ही कहा, “आबे सीसी तू. इतनी रात को यहा क्या कर रहा है.” मुझे बस सुरिंदर की ही आवाज़ शुनाई दी थी. ये सीसी शायद बहुत धीरे बोल रहा था या फिर हो सकता है की वो सुरिंदर को दरवाजे से दूर बाहर की और ले गया हो. जो भी हो मुझे इसे सीसी की कोई आवाज़ शुनाई नही दी.
थोड़ी देर बाद सुरिंदर वापिस आया और दूसरे कपड़े पहन-ने लगा. मैने पूछा की क्या बात है तो वो बोला की अभी किशी ज़रूरी काम से बाहर जाना है, थोड़ी देर में लौट आऊगा. मुझे बहुत हैरानी हुई.मैने पूछा सुरिंदर से की कौन आया था उष से मिलने लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया. उसने याहिकहा की वापिस आ कर सब बताएगा. वो चला गया. शायद उशी सीसी के साथ गया था. मैने बहुत इंतेज़ार किया सुरिंदर का. इंतेज़ार करते-करते सुबह के 6 बाज गये लेकिन सुरिंदर वापिस नही आया. तक हार कारमैन वापिस अपने घर आ गयी. अगले दिन टीवी पर देखा की सुरिंदर वितनेस बना हुवा है. मुझे कुछ समझ नही आया. वैसे सुरिंदर मुझसे अपनी जींदगी की काफ़ी बाते शेयर कराता था लेकिन ये वितनेस बन-ने वाली बात के बड़े में उसने कुछ नही बताया. मैं खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हुवा. सुरिंदर तो सीसी के साथ गया था फिर वो मर्डर सीन पर कैसे पहुँच गया. मैने अगले दिन इसे बड़े में पूछा भी. मुझे वो प़ड़्मिनी किशी भी आंगल से कातिल नही लगी. लेकिन सुरिंदर ने यही कहा की सब कुछ उसने अपनी आँखो से देखा है और वो सच बोल रहा है. मैने और ज़्यादा इसे बड़े में बात नहिक्ी. बाकी मैं बता ही चुकी हूँ. अगले दिन मेरे सुरिंदर के घर से जाने के बाद उष्का कटाल हो गया.
ये थी वो बात जो आपको बठाना चाहती थी. शायद इसे से आपको इसे केस में कुछ मदद मिले.
राजू ने बड़े ध्यान से एक एक बात बड़े गौर से शुनि थी. “ह्म बहुत ही काम की बात बताई है मोनिका जी आपने. ये सब आपने पहले क्यों नही बताया.”
“मैं इसे पछदे में नही पड़ना चाहती थी. आपको पता ही है पुलिस के मामलो में अक्सर लोगो को परेशानी ही परेशानी मिलती है. और मैं अपनी मॅरीड लाइफ में कोई ट्रबल नही चाहती. आप मुझे नेक इंसान लगे इश्लीए आपको बता दिया. प्लीज़ मेरा नाम कही नही आना चाहिए. पूरे वाकएेसए मेरी इज़्ज़त जुड़ी है.”
“मैं समझ सकता हूँ. आपके विश्वास को नही तोड़ूँगा. वैसे आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.?”
“मुझे बिल्कुल आइडिया नही है. पता होता तो आपके पूछने से पहले बता देती. सुरिंदर ने कभी मेरे सामने किशी सीसी का जीकर नही किया.”
“कोई बात नही इसे सीसी को भी जल्दी ढुंड निकालूँगा. हो ना हो वही साएको किल्लर है.”
“बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लगता है. जीश तरह से पुआ वाक़या हुवा है उष से तो यही लगता है की सीसी ही साएको है.”
बारिश और भी ज़्यादा तेज होती जा रही थी और बाहर घने बादलो के कारण अंधेरे जैसी हालत हो गयी थी. अचानक फिर से बीजली कदकट्ी है और मोनिका काँप उठती है.
“क्या हुवा मोनिका जी इसे बार आप मेरे करीब नही आई. नाराज़ हैं क्या?”
मोनिका शर्मा उठी और बोली, “कैसी बात करते हैं आप.”
राजू मोनिका के नझडीक आता है और उष्की आँखो में झाँक कर बोलता है.
“मोनिका जी बहुत प्यारा मौसम हो रहा है. बहुत ही शुनदर संभावना बन रही है हमारे बीचसंभोग की. अगर ये संभावना सच हो जाए तो कसम खा कर कहता हूँ बहुत ही भयंकर संभोग होगा हमारे बीच जिसे हम दोनो चाह कर भी नही भूल पाएँगे. मुझे बस आपकी इज़ाज़त की ज़रूरात है. कोई दबाव नही है आप पर. हमारा संभोग बहुत ही शुनदर रहेगा ये यकीन है मुझे. बाकी सब आपके उपर है.”
मोनिका ने राजू की आँखो में झाँक कर देखा. राजू तो जैसे मोनिका की झील सी आँखो में खो गया. दोनो चुपचाप खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे. मोनिका ने राजू के स्वाल का कोई जवाब तो नही दिया लेकिन उष्की आँखे बहुत कुछ कह रही थी जिसे राजू शायद समझ नही पा रहा था.
“क्या हुवा आपने कुछ जवाब नही दिया.” राजू ने पूछा.
“इन सवालो के जवाब नही होते एक औरात के पास.” मोनिका प्यार से बोली.
“चलिए छोड़िए एक छाए ही दे दीजिए ठंड लग रही है.”
मोनिका मुश्कुराइ और बोली, “अभी लाती हूँ.”
“शायद कुछ संभावनाए, संभावनाए ही रहती हैं” राजू ने कहा.
“शायद” मोनिका ने कहा और हंसते हुवे किचन की तरफ चली गयी.
मोनिका मुश्कूराते हुवे हाथ में ट्रे लिए हुवे राजू की तरफ आ रही थी.
राजू ने उसे मुश्कूराते हुवे देख लिया और बोला, “क्या बात है आप मुश्कुरा क्यों रही हैं”
“कुछ नही लीजिए छाए लीजिए”
राजू ने छाए पकड़ी और छाए का कप ले कर वो दरवाजे पर आ गया.
“अफ ये बारिश तो थमने का नाम ही नही ले रही.” राजू ने छाए की घूँट भर कर कहा.
मोनिका राजू की बात शन कर उशके बाजू में आ गयी और बोली,” बहुत दीनो बाद ऐसी बारिश हुई है.”
“सही कह रही हैं आप. आप अपने लिए छाए नही लाई.” राजू ने पूछा.
“मैं छाए कम ही पीटी हूँ.”
“अची बात है, कोई हेल्ती चीज़ तो है नही ये.” राजू ने छाए ख़त्म की और कप को एक तरफ रख दिया.
“बिल्कुल सही कहा.”
“मोनिका जी आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया” राजू ने मोनिका की आँखो में झाँक कर पूछा.
“कौन सा सवाल” मोनिका ने हंसते हुवे कहा.
“शुनदर संभोग की संभावना है हमारे बीच. क्या आप इसे संभावना को हक़ीकत करना चाहेंगी.”
“आपको क्या लगता है?” मोनिका ने हंसते हुवे पूछा.
राजू ने मोनिका की तरफ कदम बढ़ाए और मोनिका पीछे हतने लगी.
“क्या कर रहे हैं आप.” मोनिका दीवार से टकरा कर रुक गयी.
राजू फिर से उशी पोज़िशन में था जीशमे उसने पहले मोनिका के होंटो को चूमा था.
“मुझे पता नही क्यों ऐसा लगता है की आप का जवाब हाँ है लेकिन आप कहना नही चाहती.”
“एक बात कहना चाहती हूँ आपसे”
“हन बोलिए.”
“मैं हमेशा सुरिंदर के साथ रिश्ते को लेकर व्यतीत रही हूँ. मेरे मन में हमेशा कसंकश रही है. मुझे हमेशा ये अहसास रहा है की मैं अपने पाती को धोका दे रही हूँ. मैं सुरिंदर के साथ संबंध ख़त्म करना चाहती थी. पर पता नही क्यों कर नही पाई. अब जबकि वो मार चुका है तो ये संबंध अपने आप ख़त्म हो गया है. मुझे पता है और यकीन है की आप मुझे संभोग की असीम गहराईयों में ले जाएँगे. और शायद इसे सफ़र में मैं भी जाना चाहती हूँ. लेकिन दिल के एक कोने में मेरे ये अहसास भी है की ये संभोग हर हाल में ग़लत होगा. मैं दुबारा भटकना नही चाहती. अब आपके सामने हूँ. आप कोशिस करेंगे तो आपको रोकूंगी नही. आप मुझे अच्छे लगे. लेकिन आप भी सचे मन से सोचिए की क्या ये सब ठीक है. सुरिंदर से नाता जोड़ के हर पल मैने घुट घुट कर जिया है. अब दुबारा शायद ऐसा हुवा तो मेरा चरित्रा पूरी तरह भीकार जाएगा. हालाँकि ये बात बिल्कुल सही है की हमारे बीच बहुत शुनदर संभोग की संभावना है. लेकिन मेरी परिश्ठितियों के कारण ये शुनदराता मुझे नर्क के समान लगती है. यही कारण था की मैने आपके सवाल का जवाब नही दिया.”
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राजू ये सब शन कर मोनिका से दूर हट जाता है.
“आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात.”
“नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू अरे आ गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 25
चौहान बेल बजा बजा कर तक गया है.
“कहा है घर के सब लोग कोई दरवाजा क्यों नही खोल रहा.” चौहान इरिटेट हो गया.
तभी सोनिया ने दरवाजा खोला. पुलिस की वर्दी में चौहान को देख कर वो सकपका गयी.
“कहिए क्या बात है?”
“क्या आप ही सोनिया हैं?” चौहान ने पूछा.
“जी हन…बोलिए क्या बात है.”
“मुझे आपके भाई के बड़े में कुछ पूचेटाछ करनी है आपसे क्या मैं अंदर आ सकता हूँ.”
“जी बिल्कुल आईए.”
चौहान अंदर आ गया. उसने घर को पूरे गौर से देखा.
“बहुत देर लगाई आपने दरवाजा खोलने में.”
“वो…वो मैं नहा रही थी.”
“आप घबराओ मत मैं तो यू ही पूछ रहा था.”
“क्या जान-ना चाहते हैं आप मुझसे?” सोनिया ने कहा.
चौहान बोलने ही वाला होता है की बेडरूम से नरेश बाहर आता है. वो सिर्फ़ चढ़ि और बनियान पहने था. उसे लगा की सोनिया ने अब तक जो कोई भी आया होगा उसे रफ़ा दफ़ा कर दिया होगा.
नरेश की चौहान को देखते ही फूँक सरक गयी. सोनिया की तो हालत ही पतली हो गयी.
“ये कौन है सोनिया जी.” चौहान ने पूछा.
“ये मेरे पाती के दोस्त है.” सोनिया ने किशी तरह हिम्मत जुटा कर कहा.
“क्या नाम है तुम्हारा?” चौहान ने पूछा.
“जी नरेश.” नरेश ने जवाब दिया.
“अछा…आपके पाती कहा हैं…उन्हे बुलाओ.” चौहान ने सोनिया से कहा.
“वो किशी काम से बाहर गये हैं…कल शाम को लोटेंगे.” सोनिया ने कहा.
“वाह भाई वाह मिया घर नही आपको किशकि कर दर नही…मस्ती हो रही है पाती की पीठ पीछे हा….हा…हा…हा” चौहान हासने लगता है.
नरेश फ़ौरन बेडरूम में जाकर कपड़े पहनकर बाहर आता है और कहता है, “थॅंक यू सोनिया जो तुमने मुझे कल रात यहा रुकने दिया…अब मैं चलता हूँ….बाद में मिलते हैं.”
“ठीक है…कुछ खा कर जाते तो अछा था.” सोनिया ने कहा.
“नही अभी लाते हो रहा हूँ…मैं चलता हूँ.” नरेश वाहा से चला जाता है.
“क्या नाटक कर रहे हो मेरे सामने.” चौहान ने कहा.
“ये नाटक नही है…वो मेरे पाती का बहुत अछा दोस्त है. कल देर रात मुंबई से आया था. उसे नही पता था की मेरे पाती घर पे नही है. मैने उसे यही शोन के लिए अपना बेडरूम दे दिया.”
“आप भी अपने बेडरूम में ही शोय.” चौहान ने कहा.
“आप जो जान-ना चाहते हैं वो पूछिए मेरी निजी जींदगी से आपको कोई मतलब नही होना चाहिए.”
“मतलब निकल आता है सोनिया जी…कभी भी कही भी कोई मतलब निकल सकता है.”
“आप क्या जान-ना चाहते हैं मुझसे.” सोनिया ने कहा.
“एक गिलास पानी मिलेगा पहले बहुत प्यास लगी है.” चौहान ने कहा.
सोनिया ने चौहान को घूर के देखा और बोली,”अभी लाती हूँ.”
सोनिया किचन की तरफ बढ़ती है. चौहान सोनिया को जाते हुवे देखता है. उष्की नज़रे सोनिया की चलकती गान्ड पर पड़ती है और वही फिक्स हो जाती है.
“अफ वॉट आ शेकिंग बट शी हास…गुड वन.”
सोनिया पानी लाती है. इसे बार चौहान सोनिया के फ्रंट का नज़ारा लेता है. सोनिया जब हाथ में पानी की ट्रे लिए आगे बढ़ रही थी तो उशके बूब्स उपर नीचे चालक रहे थे. दरअसल जल्दबाज़ी में सोनिया ब्रा पहन-ना भूल गयी थी…जीशके कारण उशके फ्री बूब्स कुछ ज़्यादा ही उछाल रहे थे.
“अफ वॉट आ जंपिंग टिट्स शी हास…गुड वन.” चौहान ने कहा.
“लीजिए पानी पीजिए.” सोनिया ने कहा.
“सब कुछ ऐसे ही हिलता है क्या यहा.?”
“क्या हिलता है…मैं कुछ समझी नही.” सोनिया ने कहा.
“ओह रहने दीजिए आपकी समझ में नही आएगा…अछा ये बताए की आपके भाई ने प़ड़्मिनी अरोरा के खिलाफ झुटि गवाही क्यों दी…क्या दुश्मनी थी सुरिंदर की प़ड़्मिनी से.”
“वो सब मुझे नही पता…मेरी इसे बड़े में ज़्यादा बात नही हुई सुरिंदर से.”
“कुछ तो मालूम होगा आपको. देखिए सुरिंदर ने ये सब किशी के कहने पे किया है. क्या आप हमें बता सकती हैं की कौन ऐसा शाकस है जो सुरिंदर से ये काम करवा सकता है.”
“देखिए मैं सच कह रही हूँ…मुझे इसे बड़े में कुछ नही पता. आप अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं.”
“अछा एक काम कीजिए मुझे सुरिंदर के सभी दोस्तो के नाम पाते दे दीजिए…शायद कुछ बात बन जाए.”
“देखिए मैं उशके सभी दोस्तो को नही जानती…कुछ का मुझे पता है लेकिन उनके भी अड्रेस मेरे पास नही हैं.”
“सुरिंदर का किशी लड़की से अफेर था क्या.”
“मेरी जानकारी में तो नही था” सोनिया ने कहा.
“ह्म…लेकिन आपका अफेर अछा चल रहा है क्यों…क्या आपके पाती से बात हो सकती है अभी.”
“किश बड़े में?”
“जान-ना चाहता हूँ की ये नरेश उनका कितना अछा दोस्त है.”
“उष्का आपके केस से क्या लेना देना.”
“लेना देना है सोनिया जी आप नही समझेंगी…चलिए आज नही तो कल बात कर लेंगे उनसे.”
“देखिए आप नरेश के बड़े में उनसे कुछ ना कहे उन्हे बुरा लगेगा. मैने उनसे पूछे बिना नरेश को यहा रोक लिया था.”
“अछा ऐसा है क्या…कहीं उनसे पूछे बिना कुछ और तो नही किया आपने, नरेश के लिए?”चौहान ने शराराती अंदाज़ में पूछा.
“मैं समझी नही आपका मतलब.” सोनिया ने कहा.
“जैसे की कही आप नरेश के उपर तो नही चढ़ि या फिर कही नरेश तो आपके उपर नही चढ़ा….हे..हे..हे…ऐसा ही कुछ कुछ”
“कैसी बाते करते हैं आप…नही ऐसा कुछ नही था.”
“फिर आपके पाती से बात करने में क्या हर्ज़ है…मैं कल शाम को आऊगा.” चौहान सोफे से उठ जाता है.
सोनिया भी फ़ौरन उठ जाती है. “देखिए आप उनसे मिलिए ज़रूर लेकिन नरेश के बड़े में कुछ ना बोले तो सही रहेगा. आप नही जानते वो बहुत शक्की किसाम के हैं. बेकार में मेरी शादी शुदा जींदगी में दिक्कत आ जाएगी.”
चौहान सोनिया के पास आता है और उष्की मखमली गान्ड पर हाथ रख कर बोलता है, “सच बोलॉगी तो मैं तुम्हारे पाती से कोई बात नही करूँगा. कितनी बार ठोका नरेश ने तुझे कल रात.”
“आप ये क्या बोल रहे हैं.? ऐसा कुछ नही है.”
चौहान सोनिया की गान्ड से हाथ हटा लेता है और चलने लगता है, “ठीक है फिर कल शाम को तुम्हारे पाती को सब कुछ बताया जाएगा.”
“नही रुकिये…एक बार.” सोनिया ने अपनी नज़रे झुका कर कहा.
“बस एक बार…इतनी मदमस्त जवानी को तो सारी रात ठोकना था…बेवकूफ़ है ये नरेश.”
चौहान वापिस सोनिया के पास आया और फिर से उष्की गान्ड पर हाथ रखा. इसे बार वो हाथ से गान्ड के पुतो को सहलाने लगा.
“मज़ा आया था तुझे.”
“हाथ हटा लो प्लीज़.”
“जो पूछ रहा हूँ उष्का जवाब दे.”
“हन आया था.”
“गुड…और मज़ा लेना चाहोगी.”
“हाथ हटा लीजिए.”
“क्यों अछा नही लग रहा तुम्हे. ऐसी मखमली गान्ड पर तो खूब हाथ फिराने चाहिए और तुझे खूब मज़े लेने चाहिए.”
सोनिया चौहान का हाथ पकड़ कर अपनी गान्ड से हटा देती है और कहती है, “कल शाम को मेरे पाती से मिल लेना.”
“वो तो मिलूँगा ही…तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. और मज़ा लेना चाहोगी क्या?”
सोनिया किशी गहरी सोच में डूब गयी. चौहान खड़े खड़े सोनिया के जवाब का इंतेज़ार कराता रहा.
राजू मोबिए ऑपरेटर रोडफोने के ऑफीस से उष मोबाइल नो की सारी डीटेल्स निकलवाता है.
“सिर इसे नंबर में जिन जिन जगह से पैसे डलवाए गये हैं वो सारी डीटेल इसे पेज में है.”
“ओह थॅंक यू, शायद इसे से काम बन जाएगा”
“मी प्लेषर सिर.”
राजू रोडफोने के ऑफीस से बाहर आता है और उष पेज को ध्यान से देखता है,
“ह्म मॅग्ज़िमम टाइम एक ही वेंडर से पैसे डलवाए गये हैं. सबसे पहले इशे ही चेक कराता हूँ.” राजू सोचता है.
राजू जल्दी ही उष वेंडर के पास पहुँच जाता है. ये एक मेडिकल स्टोर था जहा पर की मोबाइल में टॉक टाइम भरने का काम भी होता था.
“एक्सक्यूस मे ये नंबर किशका है” राजू ने पूछा.
“आप नंबर ले कर घूम रहे हैं आपको पता होगा.” स्टोर वाले ने कहा.
“देखो मैं पुलिस से हू. जल्दी इसे नंबर के बड़े में बताओ वरना…” राजू ने कहा.
“सॉरी सिर पहले बठाना था ना…ये नंबर उम…अरे हाँ ये तो मोनिका जी का है.”
“कुआँ मोनिका और कहा रहती है ये.?”
“कोई सीरीयस बात है क्या सिर?”
“तुम उष्का अड्रेस बताओ सीरीयस है या नही उष से तुम्हे क्या लेना देना.”
“सॉरी सिर वैसे ही पूछ रहा था. मोनिका जी का घर यही नझडीक ही है. मैं आपको दीखा देता हूँ.”
“ठीक है जल्दी चलो.”
स्टोर वाला राजू के साथ चल कर राजू को मोनिका का घर दीखा देता है.
राजू दूर बेल बजाता है. मोनिका दरवाजा खोलती है.
“जी कहिए.”
“क्या आप ही मोनिका हैं.”
“हन क्यों? क्या काम है.”
“आप ने मुझे पहचाना नही…”
“नही…कौन हैं आप. मैं आपको नही जानती”
“कुछ दिन पहले फोन पे बात हुई थी. आप ने सुरिंदर को फोन मिलाया था. ग़लती से मैने उठा लिया. ई आम सब इनस्पेक्टर राजवीर सिंग. कुछ याद आया.”
मोनिका के तो पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन ही निकल गयी. लेकिन फिर भी वो बोली,”आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ नही आ रहा.”
“आप झुत बोल कर अपनी ही दिक्कत बढ़ा रही हैं. पहले आपने मोबाइल सिम सहित जंगल में फेंक दिया और अब आप झुत बोल रही हैं. इसे सब से तो यही लगता है की आप बहुत कुछ छुपा रही हैं. अगर आप यहा सच नही बताएँगी तो पुलिस स्टेशन में बताएँगी. सच तो आपको बोलना ही पड़ेगा. मर्ज़ी आपकी है.”
मोनिका घबरा जाती है और बोलती है, “सिर आप अंदर आईए”
“अंदर तो आ जवँगा पहले आप सच स्वीकार कीजिए.”
“क्या चाहिए आपको मुझसे?”
“ये हुई ना बात…चलिए बैठ कर बात करते हैं.” राजू ने कहा.
“आप कुछ लेंगे छाए…ठंडा.” मोनिका ने पूछा.
“बस एक गिलास पानी दे दीजिए.”
मोनिका पानी का गिलास लाती है. “आप काफ़ी यंग ऑफीसर हैं.”
“हन बस अभी भाराती हुवा हूँ…आप भी काफ़ी यंग हैं…अरे यू मॅरीड.” राजू ने कहा.
“एस आम मॅरीड.”
“आपके हज़्बंद कहा हैं….जॉब पे गये होंगे शायद”
“हन…वो बाहर गये हैं.”
“बाहर मतलब घर से बाहर या सहर से बाहर.”
“देल्ही गये हैं वो. उनके अक्सर तौर लगते रहते हैं.”
“तभी आपने सुरिंदर के साथ एक्सट्रा मेरिटल रिश्ता बना लिया.”
“उष बड़े में मैं बात नही करना चाहती. आप काम की बात कीजिए.”
“सॉरी अगर आपको बुरा लगा तो. मेरे मूह से वैसे ही निकल गया.”
“इट्स ओक.”
“आपने क्यों किया ऐसा. मोबाइल सिम सहित फेंक दिया. क्या दर था आपको.”
“देखिए मैं किशी मुसीबत में नही फासना चाहती थी. आपसे फोन पर बात करने के बाद मुझे पता चला था की सुरिंदर मार गया. अब मैं उष रात उशके साथ थी. मुझे दर लग रहा था की मैं बेकार में मुसीबत में फँस जवँगी और मेरी बदनामी होगी. इश्लीए मैने मोबाइल फेंक दिया था.”
“देखिए साएको किल्लर सहर में सारे आम घूम रहा है. आपको कुछ भी पता हो तो बता दो. मैं यकीन दिलाता हूँ आपको की आपकी प्राइवसी का ध्यान रखा जाएगा.”
“जब मैं सुरिंदर के घर में थी तो मुझे घर के पीछे कुछ आहत शुनाई दी थी. मैने इसे बड़े में सुरिंदर को बताया भी था. लेकिन उसने ध्यान नही दिया. सब कुछ मेरे जाने के बाद हुवा.”
“क्या आपने किशी को देखा वाहा.”
“नही मैने बस दो पुलिस वालो को देखा था.”
“वो बेचारे तो खुद मारे गये.”
“हन…न्यूज़ पर देखा सब.”
“आपको क्या लगता है. सुरिंदर ने झुटि गवाही क्यों दी पुलिस को.”
“मुझे खुद यकीन नही था की वो लड़की खूनी है. और वही हुवा भी. मैने सुरिंदर से इसे बड़े में पूछा था. लेकिन उसने यही कहा की उसने खुद उष लड़की को खून करते देखा है. मैने और ज़्यादा इसे बड़े में उष से बात नही की.”
“थॅंक यू वेरी मच मोनिका जी. अब मैं चलता हूँ.”
“जो मुझे पता था बता दिया सिर. प्लीज़ इसे केस में मेरा नाम ना आए. मेरी शादी शुदा जींदगी का सवाल है.”
“मैं समझ रहा हूँ…आप बेफिकर रहें.”
राजू उठ कर चल देता है. लेकिन दरवाजे पर आकर पाता है की बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है.
“अफ मैं तो अपनी जीप भी पीछे चोद आया. बहुत तेज बारिश हो रही है.”
“थोड़ी देर रुक जाईए आप.”
“मैं तो रुक जवँगा लेकिन ऐसे मौसम में मैं कही बहक ना जौन…आप बहुत शुनदर हो.”
मोनिका शर्मा जाती है और नज़रे झुका कर कहती है, मज़ाक मत कीजिए.”
“मज़ाक नही कर रहा हूँ. आप सच में शुनदर हैं. ऐसे मौसम में कोई भी बहक जाएगा आपको देख के.”
मोनिका हासने लगती है. “बस…बस आप तो फ्लर्ट कर रहे हैं.”
यही दिक्कत है आदमी के मूह से निकला हर सच औरात को फ्लर्ट ही लगता है.
“आपने मेरा दर ही भगा दिया. अगर आपकी जगह कोई और पुलिस वाला आता तो मेरी जान निकल जाती अब तक. मैं वैसे ही काई दीनो से परेशान थी इसे बात को लेकर.”
राजू मोनिका को बड़े प्यार से देखता है और कहता है, “मोनिका जी ये सच है की मैं फ्लर्ट हूँ. आदत से थोड़ा मज़बूर हूँ. लेकिन ये बिल्कुल सच है की आप बहुत ही क्यूट हो. सुरिंदर जैसे लोगो के हाथो में मत पड़ा कीजिए. देखिए ना कितनी बड़ी मक्कारी की है उसने पुलिस डेप्ट के साथ. सोच समझ कर दिल लगाया कीजिए.”
“मेरा आगे से ऐसा कोई इरादा नही है. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.”
“ऐसा ना कहिए मेरे जैसो का दिल टूट जाएगा.” राजू की बात पर मोनिका शर्मा गयी.
“लगता है मेरा फ्लर्ट काम कर रहा है. आप तो मेरे जाल में फैस्टी जा रही हैं.” राजू ने हंसते हुवे कहा.
“ऐसा कुछ नही है. आपको वहाँ हो रहा है.”
“आप मेरे चक्कर में मत फासना मेरा तो यही काम है”
“आप अपने खिलाफ ही बोल रहे हैं.”
“आपको चेतावनी देना मेरा फ़र्ज़ है.”
“यू अरे वेरी इंट्रेस्टिंग पर्सन.”
“आप ऐसी बाते करेंगी तो मेरा हॉंसला बढ़ेगा और फ्लर्ट करने का. कभी किशी को ऐसा मोका मत दीजिए.”
“आप घबराओ मत आपका कोई चान्स नही है यहा.”
“अछा ऐसा है क्या?” राजू कहता है और मोनिका की तरफ बढ़ता है. वो अपने होंटो पर जीभ फ़ीरा कर अपनी इंटेन्षन क्लियर कर देता है की वो किस करने वाला है. ज़्यादा दूर नही थी मोनिका राजू से. बस दो कदम का फांसला था.
“आप क्या करने वाले हैं दूर रहिए.” मोनिका पीछे कदम बढ़ाती है.
“चेक करना चाहता हूँ की मेरा चान्स है की नही.” राजू आगे बढ़ते हुवे बोलता है.
मोनिका पीछे हटती चली जाती है और फिणाली ड्यूवर के सहारे खड़ी हो जाती है. राजू मोनिका की आँखो में देखता हुवा आगे बढ़ता रहता है. मोनिका के बिल्कुल पास पहुँच कर वो मोनिका के सर के दोनो तरफ देवार पर अपने हाथ रख लेता है और मोनिका की आँखो में झाँक कर देखता है.
“आप ये क्या कर रहे हैं.” मोनिका शर्मा कर पूछती है.
राजू बिना कुछ कहे अपने होन्ट मोनिका के होंटो पर टीका देता है. मोनिका चुपचाप खड़ी रहती है. राजू उशके रश भरे होंटो को चूमता रहता है. अचानक वो हट जाता है और वापिस दरवाजे पर आ जाता है और बोलता है, “मेरा चान्स तो बहुत तगड़ा है. आप झुत बोल रही थी.”
मोनिका दिल पर हाथ रखे दीवार के सहारे खड़ी रहती है. उष्की साँसे बहुत तेज चल रही थी.
“अफ ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही. और तेज होती जा रही है. छाए ही पीला दीजिए थोड़ी, मौसम ठंडा हो रहा है” राजू ने कहा.
“लाती हूँ अभी आप इंतेज़ार कीजिए…चीनी कितनी लेंगे.”
“बहुत थोड़ी…आपके होंटो का मीठा रस पीकर बहुत मिठास भर गयी है दिल में.”
मोनिका नज़ारे झुका कर, शर्मा कर वाहा से किचन की और चली जाती है.
“फँस चुकी है ये तो. पर रहने देता हूँ. उसे कही ये ना लगे की मैं इसे केस का दबाव बना कर फ्लर्ट कर रहा हूँ. ऐसे अछा नही लगेगा. रहने दो खुश अपनी जींदगी में. मुझे लड़कियों की क्या कमी है. ये भी हो सकता है की वो सिर्फ़ नाटक कर रही हो. आख़िर वो परेशान थी. यही ठीक रहेगा रहने देता हूँ इशके साथ. ऐसी बातो से पुलिस की बदनामी होती है.”
बारिश बढ़ती ही जा रही थी और राजू दरवाजे पर खड़ा खड़ा कशमकश में खोया था.
………………………………………………….
इधर चौहान अपनी आदत से मजबूर, मोका हाथ से गवाना नही चाहता था. जैसे उसने पूजा पर दबाव बना कर उष्की ली थी ऐसे ही वो सोनिया के साथ भी करना चाहता था.
“क्या हुवा सोनिया जी आप तो गहरी चिंता में खो गयी. मेरे स्वाल का जवाब नही दिया आपने. वैसे कहा जाता है की खामोशी का मतलब हाँ ही होता है. मैं हाँ समझू क्या”
अब सोनिया कहे भी तो क्या. हाँ उष्का नरेश से संबंध था पर इश्का मतलब ये नही था की वो किशी को भी दे देगी.
चौहान सोनिया के पास आया और उष्की गान्ड पर फिर से हाथ रख दिया. “आओ तुम्हारे बेडरूम में चलते हैं. तुम्हे अछा लगेगा.”
“आप क्या यहा ये सब करने आए थे.” सोनिया ने कहा.
“चलिए ये सब नही करते…कल मिलते हैं. मुझे इसे केस के बड़े में आपके पाती से भी तो मिलना होगा.” चौहान फिर से चलने का नाटक कराता है.
“रुकिये…कर लीजिए जो करना है.”
“ये हुई ना बात. तुझे क्या फराक पड़ेगा. अपने पाती को एक धोका और सही हे..हे…हे.” चौहान आगे बढ़ कर सोनिया को गोदी में उठा लेता है.
“ऐसी चुत मारूँगा तेरी की उष नरेश को भूल जाएगी तू.” चौहान बेडरूम की तरफ बढ़ते हुवे बोलता है.
चौहान सोनिया को उशके बेडरूम में ले आया और उसे बिस्तर पर लेता दिया. वो खुद बिस्तर के किनारे खड़े हो कर अपनी शर्ट के बतन खोलने लगा. सोनिया हैरानी भारी नज़रो से उसे देख रही थी.
“ऐसे क्या देख रही है…बहुत बेचैन हो रही है क्या…हे..हे..हे?” चौहान ने कहा.
“यू अरे बाद कॉप.”
“आंड यू अरे बाद वाइफ. इट विल बे गुड कॉंबिनेशन इस्न‚त इट…लेट्स एंजाय टुगेदर खि…खि…खि.”
चौहान अपनी शर्ट उतार कर बिस्तर पर चढ़ गया.
“मूह में लेगी क्या पहले?” चौहान ने पूछा.
“ई डोंट गिव हेड”
“ओक…थ्ट्स कूल बेबी…बुत ई लीके पटिंग माई डिक इन थे मौत. सो यू बेटर शकइट टुडे.”
“ई डोंट नो हाउ तो सक. ई कॅंट दो इट.”
“कोई बात नही…मूह में लंड डालूँगा तो चूसना सीख ही जाओगी.” चौहान ने कहा.
चौहान ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. सोनिया की नज़र चौहान के लंड पे पड़ी तो उष्की आँखे फटी की फटी रह गयी.
“क्या देख रही है. इस्न‚त इट आ गुड कॉक.”
चौहान सोनिया की छाती पर चढ़ गया. उष्का लंड सोनिया के मूह के बिल्कुल पास था.
“मूह खोलिए कोई बड़ी बेसब्री से आपका इंतेज़ार कर रहा है.” चौहान ने कहा.
“यू अरे आ सिक कॉप.”
“आंड यू अरे आ सिक वाइफ. अब मूह खोल और चुपचाप चूस इशे.”
“ठीक है मैं शककरूँगी. पर तुम मेरे पाती से नही मिलोगे.”
“अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मुझे क्या करना है तुम्हारे पाती से मिल के.”
“थ्ट्स कूल.”
“तू चिंता मत कर एक बार मेरे साथ एंजाय करेगी ना तो अपने नरेश को भूल जाएगी.”
“एक बात तो है.”
“क्या बोलो.”
“तुम्हारा नरेश से थोड़ा बड़ा है.”
“मज़ा भी ये बड़ा ही देगा मेरी जान तू मूह में तो ले.”
“सोनिया चौहान के लंड के उपरी हिस्से को मूह में ले लेती है.”
“आअहह मार डाला जालिम ने…आअहह क्या पकड़ा है मेरे लंड को अपने होंटो से. यू अरे गुड सकर.”
सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाला और बोली,”इट्स माई फर्स्ट टाइम.”
“पहली बार में ही धमाका. वाउ शकइट बेबी.”
सोनिया ने चौहान के लंड को फिर से मूह में डाल लिया और चूसने लगी.
“बहुत अच्छे से चूस रही हो. लगता है अछा लग रहा है तुम्हे मेरा लंड.”
“तुम चूस्वा रहे हो मैं चूस रही हूँ. इसे से ज़्यादा और कुछ नही है” सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाल कर कहा.
“कोई बात नही तुम चूसो…एक आध बार अपनी जीभ मेरी बॉल्स पर भी फिरा दो.”
सोनिया ने चौहान के लंड को वापिस मूह में ले लिया.
“आआहह एस शकइट बेबी.” चौहान ने सोनिया के सर को पकड़ लिया और उशके मूह में धक्के लगाने लगा.
चौहान ने अचानक अपने लंड को सोनिया के मूह से बाहर खींच लिया और और सोनिया की छाती से हट कर उष्की टाँगो को फैला कर उनके बीच बैठ गया. उसने सोनिया की सलवार का नाडा पकड़ा और उसे एक झटके में खोल दिया. सोनिया पेंटी भी नही पहने थी इश्लीए उष्की नंगी चुत तुरंत चौहान की आँखो के सामने आ गयी.
“वाह क्या चिकनी चुत है. एक भी बाल नही है.” चौहान ने कहा.
सोनिया ने शर्मा कर अपनी आँखे बंद कर ली. चौहान सोनिया के उपर झुक गया और उशके होंटो को चूम लिया. उष्का लंड खुद-ब-खुद सोनिया की चुत के उपर पोज़िशन ले चुका था. एक्सपर्ट लंड था होल को ढूँडने में उसे ज़्यादा परेशानी नही हुई. चौहान का लंड जब सोनिया की चुत में घुस्सा तो वो कराह उठी.
“आआहह…म्म्म्मममममम”
चौहान ने एक ही झटके में पूरा लंड सोनिया की चुत में उतार दिया था. लंड अंदर घुसाते ही वो धक्के भी मारने लगा. सोनिया की तो हालत पतली ही गयी. कुछ देर तक वो सोनिया की चुत उशी पोज़िशन में ठोकता रहा. कुछ देर बाद उसने लंड बाहर निकाला और सोनिया को कहा की घूम जाओ. सोनिया चौहान के नीचे घूम गयी और चौहान ने उष्की गान्ड फैला कर चुत में लंड डाल दिया.
“आआआहह ये पोज़िशन पहली बार लगाई मैने आअहह.” सोनिया ने कहा. उष्को इसे पोज़िशन में अलग ही मज़ा आ रहा था.
चौहान सोनिया की चुत यू ही रगड़ता रहा. सोनिया इतने में 2 बार झाड़ गयी.
चौहान ने अचानक लंड बाहर निकाला और सोनिया की गान्ड के छेद पर टीका दिया. इसे से पहले की सोनिया कुछ समझ पाती उष्की गान्ड में आधा लंड घुस्स चुका था.
“उउऊययययीीई मा ये क्या किया…नही….ऊओह.”
पर चौहान कहा रुकने वाला था. उसने तो पूरा लंड सोनिया की गान्ड में उतार दिया और धक्के भी मारने शुरू कर दिए.
“ये मखमली गान्ड तो मारनी ज़रूरी थी….खि…खि..खि.”
“यहा टाइम ज़्यादा मत लगाना दर्द हो रहा है….आआहह”
चौहान सोनिया की गान्ड में ज़ोर ज़ोर से लंड को रग़ाद रहा था और मज़े की शिसकिया ले रहा था. चौहान के हर धक्के के साथ सोनिया की गान्ड चालक उठी थी.
“वाउ सच आ नाइस पीस ऑफ बट.”
जल्दी ही चौहान ने सोनिया की गान्ड को अपने वीर्या से भर दिया.
“ओह वॉट आ फक.” चौहान हांप रहा था.
“निकाल लीजिए अब तो.” सोणिये भी हांपते हुवे बोली.
“ओह हाँ बिल्कुल…ये लो” छुआहं ने सोनिया की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया. लंड के निकालने पर ग्लूप की आवाज़ हुई.
सोनिया तुरंत टाय्लेट की तरफ भागी. जब वो वापिस आई तो चौहान कपड़े पहन चुका था. उसने भी अपने कपड़े पहन लिए.
“धन्यवाद सोनिया जी…भूल चूक माफ़ करना. आपको अगर कोई भी नयी जानकारी मिले तो मुझे तुरंत इसे नंबर पर फोन करना.” चौहान ने अपना कार्ड सोनिया को दे दिया.
जाते जाते चौहान ने सोनिया को बाहों मे भरा और बोला,”दोनो होल एक से बढ़ कर एक हैं. गान्ड में पहले भी लिया है क्या कभी.”
“पहले ना किया होता तो जाता तुम्हारा इतना मोटा.” सोनिया हंस दी.
“दुबारा मेरी सेवा की ज़रूरात हो तो बठाना.” चौहान ने सोनिया को किस किया और वाहा से चल दिया.
“अफ बारिश हो रही है…शूकर है गाड़ी नझडीक खड़ी की मैने.” चौहान ने कहा और सोनिया के घर से निकल गया.
चौहान के जाते ही सोनिया ने अपना मोबाइल उठाया और नरेश को फोन लगाया.
“आ जाओ तुम…इनस्पेक्टर चला गया.”
…………………………………………………….
मोनिका छाए लाई और राजू ने चुपचाप दरवाजे पर खड़े खड़े छाए पे बारिश की बूँदो को देखते हुवे.
“मोनिका जी मुझे लगता है की मुझे निकलना चाहिए. मेरा यहा रुकना ठीक नही.”
” जैसी आपकी मर्ज़ी.”
“मेरा नंबर रख लीजिए आपको कुछ और याद आए तो प्लीज़ ज़रूर बठाना. उष साएको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है.”
“जी बिल्कुल”
राजू बारिश में ही निकल पड़ा. जीप तक पहुँचते-पहुँचते राजू पूरी तरह भीग गया. जैसे ही वो जीप में बैठा उष्का मोबाइल बाज उठा.
“हेलो”
“मैं मोनिका बोल रही हूँ…एक बात बठाना भूल गयी आपको.”
“कुछ इंपॉर्टेंट है क्या.”
“हन.”
“रूको मोबाइल में आवाज़ सॉफ नही आ रही मैं जीप लेकर वही आता हूँ.”
राजू ने जीप घुमाई और वापिस मोनिका के घर के बाहर आ गया.
राजू बुरी तरह से भीगा हुवा मोनिका के घर में परवेश कराता है.
“एयेए च्ीईिइ….कहिए क्या बात है?” राजू को छींक आ गयी.
“आप तो पूरे भीग गये हैं…मैं टोलिया लाती हूँ.” मोनिका ने कहा.
“वो मेरी जीप ज़रा दूर खड़ी थी. वाहा तक पहुँचते-पहुँचते पूरा भीग गया.”
मोनिका ने टोलिया ला कर राजू के हाथ में दे दिया, “लीजिए आप अपना सर सूखा लीजिए”
राजू ने टोलिया पकड़ा और बोला, “थॅंक यू सो मच. आप बहुत अछी हैं”
मोनिका नज़रे झुका कर हल्का सा मुश्कुरा दी और बोली,”आप भी बहुत अच्छे हैं.”
“हन तो बोलिए अब. क्या बठाना भूल गयी थी आप?” राजू सर पर टोलिया रगड़ते हुवे बोला.
तभी अचानक बहुत ज़ोर की बीजली कदकी. बहुत ही भयानक आवाज़ हुई. मोनिका इतनी दर गयी की वो फ़ौरन राजू से चिपक गयी.
“मुझे कोई प्राब्लम नही है आपको गले लगाने में लेकिन आपके कपड़े गीले हो जाएँगे.” राजू ने हंसते हुवे कहा.
मोनिका तुरंत राजू से दूर हो गयी और नज़र झुका कर बोली, “ओह सॉरी मैं बीजली की आवाज़ से दर गयी थी.”
राजू मोनिका के करीब आता है और कहता है, “कोई बात नही मोनिका जी. मुझे अछा लगा की आपने मुझे इसे काबिल समझा. आप नझडीक आई तो सर्दी दूर भाग गयी. एक बात काहु अगर बुरा ना माने तो”
“जी कहिए.”
“हमारे बीच बहुत शुनदर संभोग की संभावना बन रही है. मैं आपके लिए बहक रहा हूँ. इसे से पहले की कुछ हो जाए आप मुझे वो बात बता दो ताकि मैं चुपचाप जल्द से जल्द यहा से चला जौन.”
“वही बतने जा रही थी की कदकट्ी बीजली ने डरा दिया.”
“कोई बात नही ऐसी बीजली किशी को भी डरा सकती है. एक पल को तो मैं भी दर गया था. लगता है कही नझडीक ही गिरी है बीजली.”
“हन शायद…अछा मैं ये बठाना चाहती थी की उष रात भी मैं सुरिंदर के साथ ही थी.”
“किश रात की बात कर रही हैं आप” राजू ने उत्शुक हो कर पूछा.
“जीश रात सुरिंदर ने पुलिस में जाकर झुटि गवाही दी थी.”
“ओह…डीटेल में बताओ. ये तो बहुत काम की बात लगती है”
मोनिका विषतार में बठाना शुरू कराती है :-
मैं कोई रात के दस बजे पहुँची थी सुरिंदर के घर. मेरे पाती घर नही थे इश्लीए मैने सारी रात सुरिंदर के घर ही रहने का प्लान बनाया था. डिन्नर भी मैने वही बनाया और हम दोनो ने एक साथ खाया. कुछ देर हम टीवी देखते रहे और फिर बिस्तर पर आ गये. हमने खूब बाते की. अभी हमारे बीच कुछ भी शुरू नही हुवा था. बातो बातो में रात के एक बाज गये थे. हमारे पास खुला वक्त होता था तो हम अक्सर यू ही मस्ती करते थे. हमारे बीच कामुक पल शुरू होने ही वाले थे की घर की दूर बेल बाज उठी. हम दोनो हैरान थे की इतनी रात को एक बजे कौन हो सकता है. सुरिंदर ने कपड़े पहने और लाइट बंद कर दी. मैं रज़ाई में डुबक गयी. मुझे कुछ बहुत ही अजीब लग रहा था. मुझे सबसे ज़्यादा ये दर था की जीशणे भी बेल बजाई है वो अंदर ना आ जाए. लेकिन फिर भी मैं चुपचाप मूह ढके पड़ी रही. सुरिंदर दरवाजा खोलने चला गया. बेडरूम ड्रॉयिंग रूम के बिल्कुल नझडीक था इश्लीए मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सॉफ शुनाई दे रही थी. सुरिंदर ने दरवाजा खोलते ही कहा, “आबे सीसी तू. इतनी रात को यहा क्या कर रहा है.” मुझे बस सुरिंदर की ही आवाज़ शुनाई दी थी. ये सीसी शायद बहुत धीरे बोल रहा था या फिर हो सकता है की वो सुरिंदर को दरवाजे से दूर बाहर की और ले गया हो. जो भी हो मुझे इसे सीसी की कोई आवाज़ शुनाई नही दी.
थोड़ी देर बाद सुरिंदर वापिस आया और दूसरे कपड़े पहन-ने लगा. मैने पूछा की क्या बात है तो वो बोला की अभी किशी ज़रूरी काम से बाहर जाना है, थोड़ी देर में लौट आऊगा. मुझे बहुत हैरानी हुई.मैने पूछा सुरिंदर से की कौन आया था उष से मिलने लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया. उसने याहिकहा की वापिस आ कर सब बताएगा. वो चला गया. शायद उशी सीसी के साथ गया था. मैने बहुत इंतेज़ार किया सुरिंदर का. इंतेज़ार करते-करते सुबह के 6 बाज गये लेकिन सुरिंदर वापिस नही आया. तक हार कारमैन वापिस अपने घर आ गयी. अगले दिन टीवी पर देखा की सुरिंदर वितनेस बना हुवा है. मुझे कुछ समझ नही आया. वैसे सुरिंदर मुझसे अपनी जींदगी की काफ़ी बाते शेयर कराता था लेकिन ये वितनेस बन-ने वाली बात के बड़े में उसने कुछ नही बताया. मैं खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हुवा. सुरिंदर तो सीसी के साथ गया था फिर वो मर्डर सीन पर कैसे पहुँच गया. मैने अगले दिन इसे बड़े में पूछा भी. मुझे वो प़ड़्मिनी किशी भी आंगल से कातिल नही लगी. लेकिन सुरिंदर ने यही कहा की सब कुछ उसने अपनी आँखो से देखा है और वो सच बोल रहा है. मैने और ज़्यादा इसे बड़े में बात नहिक्ी. बाकी मैं बता ही चुकी हूँ. अगले दिन मेरे सुरिंदर के घर से जाने के बाद उष्का कटाल हो गया.
ये थी वो बात जो आपको बठाना चाहती थी. शायद इसे से आपको इसे केस में कुछ मदद मिले.
राजू ने बड़े ध्यान से एक एक बात बड़े गौर से शुनि थी. “ह्म बहुत ही काम की बात बताई है मोनिका जी आपने. ये सब आपने पहले क्यों नही बताया.”
“मैं इसे पछदे में नही पड़ना चाहती थी. आपको पता ही है पुलिस के मामलो में अक्सर लोगो को परेशानी ही परेशानी मिलती है. और मैं अपनी मॅरीड लाइफ में कोई ट्रबल नही चाहती. आप मुझे नेक इंसान लगे इश्लीए आपको बता दिया. प्लीज़ मेरा नाम कही नही आना चाहिए. पूरे वाकएेसए मेरी इज़्ज़त जुड़ी है.”
“मैं समझ सकता हूँ. आपके विश्वास को नही तोड़ूँगा. वैसे आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.?”
“मुझे बिल्कुल आइडिया नही है. पता होता तो आपके पूछने से पहले बता देती. सुरिंदर ने कभी मेरे सामने किशी सीसी का जीकर नही किया.”
“कोई बात नही इसे सीसी को भी जल्दी ढुंड निकालूँगा. हो ना हो वही साएको किल्लर है.”
“बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लगता है. जीश तरह से पुआ वाक़या हुवा है उष से तो यही लगता है की सीसी ही साएको है.”
बारिश और भी ज़्यादा तेज होती जा रही थी और बाहर घने बादलो के कारण अंधेरे जैसी हालत हो गयी थी. अचानक फिर से बीजली कदकट्ी है और मोनिका काँप उठती है.
“क्या हुवा मोनिका जी इसे बार आप मेरे करीब नही आई. नाराज़ हैं क्या?”
मोनिका शर्मा उठी और बोली, “कैसी बात करते हैं आप.”
राजू मोनिका के नझडीक आता है और उष्की आँखो में झाँक कर बोलता है.
“मोनिका जी बहुत प्यारा मौसम हो रहा है. बहुत ही शुनदर संभावना बन रही है हमारे बीचसंभोग की. अगर ये संभावना सच हो जाए तो कसम खा कर कहता हूँ बहुत ही भयंकर संभोग होगा हमारे बीच जिसे हम दोनो चाह कर भी नही भूल पाएँगे. मुझे बस आपकी इज़ाज़त की ज़रूरात है. कोई दबाव नही है आप पर. हमारा संभोग बहुत ही शुनदर रहेगा ये यकीन है मुझे. बाकी सब आपके उपर है.”
मोनिका ने राजू की आँखो में झाँक कर देखा. राजू तो जैसे मोनिका की झील सी आँखो में खो गया. दोनो चुपचाप खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे. मोनिका ने राजू के स्वाल का कोई जवाब तो नही दिया लेकिन उष्की आँखे बहुत कुछ कह रही थी जिसे राजू शायद समझ नही पा रहा था.
“क्या हुवा आपने कुछ जवाब नही दिया.” राजू ने पूछा.
“इन सवालो के जवाब नही होते एक औरात के पास.” मोनिका प्यार से बोली.
“चलिए छोड़िए एक छाए ही दे दीजिए ठंड लग रही है.”
मोनिका मुश्कुराइ और बोली, “अभी लाती हूँ.”
“शायद कुछ संभावनाए, संभावनाए ही रहती हैं” राजू ने कहा.
“शायद” मोनिका ने कहा और हंसते हुवे किचन की तरफ चली गयी.
मोनिका मुश्कूराते हुवे हाथ में ट्रे लिए हुवे राजू की तरफ आ रही थी.
राजू ने उसे मुश्कूराते हुवे देख लिया और बोला, “क्या बात है आप मुश्कुरा क्यों रही हैं”
“कुछ नही लीजिए छाए लीजिए”
राजू ने छाए पकड़ी और छाए का कप ले कर वो दरवाजे पर आ गया.
“अफ ये बारिश तो थमने का नाम ही नही ले रही.” राजू ने छाए की घूँट भर कर कहा.
मोनिका राजू की बात शन कर उशके बाजू में आ गयी और बोली,” बहुत दीनो बाद ऐसी बारिश हुई है.”
“सही कह रही हैं आप. आप अपने लिए छाए नही लाई.” राजू ने पूछा.
“मैं छाए कम ही पीटी हूँ.”
“अची बात है, कोई हेल्ती चीज़ तो है नही ये.” राजू ने छाए ख़त्म की और कप को एक तरफ रख दिया.
“बिल्कुल सही कहा.”
“मोनिका जी आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया” राजू ने मोनिका की आँखो में झाँक कर पूछा.
“कौन सा सवाल” मोनिका ने हंसते हुवे कहा.
“शुनदर संभोग की संभावना है हमारे बीच. क्या आप इसे संभावना को हक़ीकत करना चाहेंगी.”
“आपको क्या लगता है?” मोनिका ने हंसते हुवे पूछा.
राजू ने मोनिका की तरफ कदम बढ़ाए और मोनिका पीछे हतने लगी.
“क्या कर रहे हैं आप.” मोनिका दीवार से टकरा कर रुक गयी.
राजू फिर से उशी पोज़िशन में था जीशमे उसने पहले मोनिका के होंटो को चूमा था.
“मुझे पता नही क्यों ऐसा लगता है की आप का जवाब हाँ है लेकिन आप कहना नही चाहती.”
“एक बात कहना चाहती हूँ आपसे”
“हन बोलिए.”
“मैं हमेशा सुरिंदर के साथ रिश्ते को लेकर व्यतीत रही हूँ. मेरे मन में हमेशा कसंकश रही है. मुझे हमेशा ये अहसास रहा है की मैं अपने पाती को धोका दे रही हूँ. मैं सुरिंदर के साथ संबंध ख़त्म करना चाहती थी. पर पता नही क्यों कर नही पाई. अब जबकि वो मार चुका है तो ये संबंध अपने आप ख़त्म हो गया है. मुझे पता है और यकीन है की आप मुझे संभोग की असीम गहराईयों में ले जाएँगे. और शायद इसे सफ़र में मैं भी जाना चाहती हूँ. लेकिन दिल के एक कोने में मेरे ये अहसास भी है की ये संभोग हर हाल में ग़लत होगा. मैं दुबारा भटकना नही चाहती. अब आपके सामने हूँ. आप कोशिस करेंगे तो आपको रोकूंगी नही. आप मुझे अच्छे लगे. लेकिन आप भी सचे मन से सोचिए की क्या ये सब ठीक है. सुरिंदर से नाता जोड़ के हर पल मैने घुट घुट कर जिया है. अब दुबारा शायद ऐसा हुवा तो मेरा चरित्रा पूरी तरह भीकार जाएगा. हालाँकि ये बात बिल्कुल सही है की हमारे बीच बहुत शुनदर संभोग की संभावना है. लेकिन मेरी परिश्ठितियों के कारण ये शुनदराता मुझे नर्क के समान लगती है. यही कारण था की मैने आपके सवाल का जवाब नही दिया.”
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राजू ये सब शन कर मोनिका से दूर हट जाता है.
“आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात.”
“नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू अरे आ गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 25
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“हन बोलिए.”
“मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तम्मानना थी की बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुवा भी कॉलेज में. बहुत खुश रहता था उन दीनो मैं. हम घूमते फिराते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे चुवा तक नही. बस प्यार कराता था उशे…बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक आमिर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही की मैं तुम्हे चोद रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुश्किल से पास हुवा. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इशे थोक देता तो अछा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उशके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किशी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुश रहें आप अपनी जींदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरात हो तो याद करना. मुझे अपना एक अछा दोस्त समझना.”
“मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने.”
“अछा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उशके लिए मुझे माफ़ करना. गोद ब्लेस्स यू. टके केर.”
दोनो ने प्यारी से मुश्कान दी एक दूसरे को और राजू वाहा से चल पड़ा. राजू और मोनिका दोनो के चरित्रा के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की शुनदराता लिए हुवे थे.
राजू ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.
“सिर मोबाइल वाला काम हो गया है. आप कहा हैं?”
“मैं थाने में हूँ बरखुरदार यही आ जाओ.” चौहान ने कहा.
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प़ड़्मिनी अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वालेित हो रही है. वो चाहती है की बारिस में निकल कर बारिस की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इश्कि इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हाँ पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुश्कान प़ड़्मिनी के होंटो पर बिखर रही थी.
“बेटा कब से खड़ी हो यहा…चलो कुछ खा लो.”
“नही मम्मी अभी नही…आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अछी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी.”
“जैसी तेरी मर्ज़ी…पागल हो जाती हो बारिश को देख कर.”
प़ड़्मिनी की मम्मी चली गयी और प़ड़्मिनी खिड़की पर ही खड़ी रही.
“मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. दर कर घर में बैठने से क्या फ़ायडा. इनस्पेक्टर या फिर राजू से बात करनी पड़ेगी इसे बड़े में.”
प़ड़्मिनी का सोचना सही ही था. उष्की जॉब सफर हो रही थी और अछी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण प़ड़्मिनी को ये नही लगता था की वो अपने मा बाप पर बोझ है.
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राजू चौहान को सीसी के बड़े में बताता है. वो तुरंत सोनिया को फोन मिलाता है.
सोनिया तो नरेश के उपर चढ़ि हुई थी और उशके उपर राइड कर रही थी.
“आअहह नरेश तुम भी तो पुश करो नीचे से आआहह.”
“कर तो रहा हूँ…और कितना पुश करूँ.”
सोनिया का फोन बजा तो वो इरिटेट हो गयी.
“अफ अब कौन है?”
“लगता है आज लोग हमें चैन से नही करने देंगे कुछ.” नरेश ने कहा.
“तुम हाथ बाधाओ और फोन पकड़ाओ मैं तुम्हारे उपर से उतरने वाली नही हूँ आअहह”
“कह कौन रहा है उतरने को….ये लो फोन.”
सोनिया ने कॉल रिसीव की. “हेलो”
“हन सोनिया जी मैं चौहान बोल रहा हूँ.”
“आआहह हाँ बोलिए.”
“आप कराह क्यों रही हैं. ठीक तो हैं आप.”
“हन मैं ठीक हूँ…बोलिए आप.”
“क्या आप सुरिंदर के किशी ऐसे दोस्त को जानती हैं जिसे वो सीसी कहता हो.”
“ऊऊहह मैं…मैं किशी सीसी को नही जानती. देखिए मुझे जो पता था बता दिया. मेरी रिकवेस्ट है की मुझे बार बार परेशान ना किया जाए आअहह. मुझे और भी ज़रूरी काम हैं.”
“आपके ज़रूरी काम मुझे समझ आ गये. सच बठाना नरेश का लंड है ना इसे वक्त तेरी चुत में.”
“उष से आपको क्या लेना देना.” सोनिया ने फोन काट दिया.
“क्या हुवा?” नरेश ने पूछा.
“कुछ नही उष इनस्पेक्टर को पता नही कैसे पता चल गया की तुम्हारा डिक मेरी पुसी में है.”
“पता कैसे नही चलेगा आअहह ऊओह करके बाते जो कर रही थी.”
“लीव इट….फक मे हार्डर आआहह.”
नरेश ने नीचे से अपनी बढ़ता बढ़ा दी और सोनिया की आहें कमरे में गूंजने लगी.
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मोहित की हालत सुधार रही थी. मोहित आँखे बीचाए पूजा का इंतेज़ार कराता रहा लेकिन वो नही आई. राजू ने पूजा को रिकवेस्ट भी की लेकिन वो नही मानी. उसने कहा मुझे मोहित से कुछ लेना देना नही है. बात काफ़ी हद तक सही भी थी.
राजू और चौहान सीसी को ढूँडने में लग गये. लेकिन उन्हे सीसी का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीता गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद मोहित का कमाल था. उशी ने तो साएको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से सहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है दर को दूर भगाने में. सहर के लोगो में साएको का ख़ौफ़ बरकरार था.
मोहित घर वापिस आ गया. उशके घाव अभी पूरी तरह भर धीरे धीरे एक महीना बीट गया. साएको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इसे एक महीने के दौरान सहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पुलिस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साएको अभी पकड़ा नही गया था.
सुबह के 10 बाज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. राजू थाने में घुस्सा तो उसने चौहान को देख लिया.
“क्या बात है सिर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं.” राजू ने पूछा.
“पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब दाँत पड़ने वाली है आज.”
“हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें.”
“उशके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी.”
“नही सिर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा…मेरा क्या दीमग खराब है. पर सर मुझे लगता है की शायद वो साएको अब अंदर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साएको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं.”
“ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बरखुरदार. क्या पता क्या हो रहा है…साला ये सीसी का भी कुछ पता नही चला..”
“सिर एक बात और हो सकती है?”
“क्या?” चौहान उत्शुक हो गया.
“मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उष साएको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुवा था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ताक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साएको मार ना गया हो.”
“हो भी सकता है और नही भी. इसे बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना.”
तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वाहा आ जाता है.
“क्या बात है सिर…कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया.”
“ओह हाँ मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इशी बात बार बरस पड़े वो कयामत.”
तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. आस्प शालिनी वाहा पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.
“मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साएको वाले केस का.”
“चौहान बगले झाँकने लगा. उष से कुछ बोले नही बन रहा था.”
“हम पूरी कोशिस कर रहे हैं मेडम. वो साएको शायद अंदरग्राउंड हो गया है” राजू बीच में बोल पढ़ा.
“मैने तुमसे पूछा कुछ. जीश से पूछा जाए वही जवाब दे.” शालिनी ने राजू को दाँत दिया.
“मेडम हम पूरी कोशिस कर रहे हैं. दीं रात हम इशी केस में लगे रहते हैं” चौहान हिम्मत करके बोला.
“क्या फ़ायडा इसे दीं रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पुलिस की किरकीर्ी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अछा मैं थोड़ी देर में रौंद लगाना चाहती हूँ सहर का कौन चलेगा मेरे साथ.”
“सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम.” चौहान ने कहा.
“सिर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज.” विजय ने कहा.
चौहान खुद जाना नही चाहता था. डराता जो था मेडम से. उसने कहा, “राजवीर चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम.”
राजू ने तुरंत चौहान को घूरा. छुआहं उष्की तरफ मुश्कुरा दिया.
“ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हाँ और ज़्यादा मेहनत करो इसे साएको वाले केस पर.”
“बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो.” चौहान ने कहा.
शालिनी उठ कर चली गयी. उशके जाते ही राजू बोला, “सिर मुझे क्यों फँसा दिया.”
“कोई बात नही बरखुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है.”
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मोहित अब बिल्कुल ठीक था. लेकिन उष्का दिल बीमार हो गया था शायद. बाएक लेकर वो पूजा के कॉलेज के सामने खड़ा था. कॉलेज की लड़किया अंदर बाहर जा रही थी लेकिन पूजा उसे कही नज़र नही आ रही थी. उशके चेहरे पर निराशा उभरने लगी थी.
“कहा हो पूजा तुम. हर वक्त क्लास में बैठी रहती हो क्या.” मोहित ने सोचा.
तभी उसे दो लड़कियों के साथ कॉलेज के गाते से पूजा निकलती हुई दीखाई दी. मोहित का चेहरा खिल उठा. उसने तुरंत बाएक स्टार्ट की और पूजा के आगे रोक दी. अचानक अपने सामने बाएक देख कर लड़किया तीटक गयी. पूजा की आँखो में खून उतार आया.
“तुम! तुम यहा क्या कर रहे हो?” पूजा ने पूछा.
“तुम जानती हो इशे.” एक लड़की ने पुछस.
“हन हमारे प़ड़ोष में रहता है.”
“दिल में भी तो नही रहता कही…हे…हे…हे.” दूसरी लड़की ने चुस्की ली.
“ऐसा कुछ नही है. ई हटे हिं.”
मोहित सब शन रहा था. “नफ़रात में भी उनकी प्यार नज़र आता है, मैं लाख संभालू दिल को ये उनकी और खींचा जाता है.”
“ये तो कोई शायर लगता है हे..हे..हे.” दोनो लड़किया हँसने लगी.
“चलो यहा से ये पागल है.” पूजा दोनो को लेकर आगे बढ़ गयी. लेकिन दोनो लड़किया पीछे मुदके मोहित को देखती रही.
“हमें चोद के जा रही हो, हम तड़प कर रह जाएँगे
तुम्हारे साथ तो दो कालिया हैं हम अकेले रह जाएँगे.”
“वाउ सो रोमॅंटिक. देखा वो हमें कालिया कह रहा है. रूको ना यार अछा बंदा लगता है.” एक लड़की ने कहा.
“बहुत बड़ा फ्लर्ट है वो. चलो हमें मूवी के लिए देर हो जाएगी.” पूजा ने कहा.
ये बात मोहित ने भी शन ली. उन तीनो ने एक ऑटो पकड़ा और थियेटर के लिए निकल पड़ी. पीछे पीछे मोहित ने भी अपनी बाएक लगा दी.
“अगर तुम्हे पता नही पाया तो जींदगी बेकार है मेरी.” मोहित ने सोचा.
थियेटर पहुँच कर तीनो लड़किया अंदर घुस्स गयी. उन्होने मोहित को नही देखा. मोहित भी टिकेट ले करूंके पीछे पीछे आ गया.
“ही…ये तो दीवाना लगता है. तुम्हारे पीछे यहा तक आ गया.”
“मज़ाक कर रही हो ना कविता?” पूजा ने पूछा.
“मुदके तो देख वो बिल्कुल तेरे पीछे बैठा है.” कविता ने कहा.
अभी पिक्चर शुरू नही हुई थी. इश्लीए लाइट जाली हुई थी.
पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा, “तुम यहा भी आ गये. क्या चाहते हो तुम.”
मोहित पूजा की और झुका और बोला, “मुझे जो चाहिए वो तुम्हे पता है. इनके सामने कैसे काहु समझा करो.”
“शूट उप.” पूजा ने दाँत दिया.
“क्या कह रहा था वो चुपके से तुझे?” कविता ने पूछा.
“कुछ नही…तू उष पर ज़्यादा ध्यान मत दे…पागल है वो.” पूजा ने कहा.
लाइट बंद हो गयी और पिक्चर शुरू हो गयी. मोहित पूजा की तरफ झुका और बोला, “हम दोनो साथ में देखे ये रोमॅंटिक पिक्चर तो ज़्यादा अछा लगेगा. पीछे आ जाओ ना मेरे साथ. मेरे साथ की सीट खाली पड़ी है.”
“क्या समझते हो खुद को तुम. तुम बुलाओगे और मैं आ जवँगी हा. तुम्हारे पास आएगी मेरी जुटती. चुपचाप बैठे रहो वरना चप्पल मारूँगी निकाल के.”
“नही नही ऐसा काम मत करना. आज तक मैने चप्पल नही खाई.” मोहित ने कहा.
“नही खाई तो अब खाओगे. मुझे गुस्सा मत दिलाओ चुपचाप बैठे रहो”
मोहित वापिस चुपचाप सीट पर बैठ गया.
“क्या करूँ ये तो आग उगल रही है?” मोहित बड़बड़ाया.
कुछ देर बाद कविता को पता नही क्या सूझी, वो अपनी सीट से उठ कर मोहित के पास आ कर बैठ गयी. पूजा भी ये देख कर हैरान रह गयी. लेकिन वो कुछ नही बोली. मोहित तो हैरान था ही.
“तुम्हारा शायराना अंदाज मुझे बहुत अछा लगा. मेरा नाम कविता है. क्या मुझपे कविता लिखोगे.” कविता मोहित के घुतने पर हाथ रख कर बोली.
“मैं कोई शायर नही हूँ देवी जी. वो तो मैं यू ही कुछ जोड़-तोड़ कर बोल रहा था आपकी सहेली के लिए. पूजा से मेरा टांका भिड़वा दो ना.” मोहित ने कहा.
“मुझे लगता है उष्का तुम्हारे में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम किशी और पर ट्राइ क्यों नही करते.”
“किश पर ट्राइ करूँ आप ही बता दो.”
“मैं हूँ ना. तुम शायर हो. मैं तुम्हारी कविता बन जवँगी.” कविता का हाथ धीरे धीरे मोहित की जाँघ की तरफ बढ़ रहा था.
“ये आप क्या कह रही है.” मोहित तो भोंचका रह गया. लेकिन उसने कविता का हाथ नही हटाया. हटाता भी क्यों. ऐसा रोज रोज थोड़ा होता है किशी के साथ.
“आपका हाथ गले जगह पर पहुँच रहा है. आपकी सहेली ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी.”
“छोड़िए ना उसे अपनी बात कीजिए.” कविता का हाथ मोहित के लंड पर पहुँच गया. लंड पर कविता का हाथ पड़ते ही वो तुरंत हार्ड हो गया.
“आअहह आप तो शीतम ढा रही हैं मुझ पर.” मोहित ने कहा.
कविता ने मोहित की पेंट की ज़िप खोल दी और उशके तने हुवे मोटे लंड को बाहर खींच लिया.
“ओह माई गोद इट्स आ वंडरफुल कॉक. इट्स ह्यूज. मैने इतना बड़ा नही देखा आज तक.”
“देवी जी कितने देखे हैं आप ने ये भी बता दीजिए.”
“मेरे अब तक टीन बाय्फ्रेंड रहे हैं और मैने तीनो के देखे हैं.”
“बहुत खूब. देखे ही हैं या लिए भी हैं आपने.” मोहित ने चुस्की ली.
“तुम्हे क्या लगता है?”
“नही लिए होंगे. आप सिर्फ़ देखती होंगी उन्हे हैं ना.” मोहित ने मज़ाक में कहा.
“नही जनाब तीनो पूरे के पुए लिए हैं. तुम्हारा क्या विचार है. मुझसे दोस्ती करोगे?”
“मैं पूजा को चाहता हूँ.” मोहित ने कहा.
कविता ने मोहित के लंड को ज़ोर से दबाया और बोली, “पूजा को मारिए गोली. वाहा तुम्हे कुछ नही मिलेगा. देखा नही वो तुमसे बात भी नही कर रही. वो तुम्हे पागल कह रही थी. खुद पागल है वो.”
पूजा और दूसरी लड़की रीमा पिक्चर देखने में मगन थे. उन्हे इसे बात का अंदाज़ा भी नही था की उनके पीछे कविता मोहित का लंड हाथ में लिए बैठी है.
“मैं तुम्हे वो ख़ुसी दूँगी की भूल जाओगे सब कुछ.” कविता ने कहा और आगे झुक कर मोहित के लंड को अपने होंटो में दबा लिया.
“आअहह पहली बार ये किशी के मूह में गया है.”
कविता ने मोहित के लंड से मूह हटाया और बोली, “क्या? इतने सेक्सी डिक को अभी तक ब्लो जॉब नही मिली. ई कॅंट बिलीव इट.”
“नही मिली तो नही मिली अब क्या कर सकते हैं. हर लड़की मूह में नही लेती है.”
“मुझसे दोस्ती करोगे तो मज़े में रहोगे. ई लव तो सक. कोई शायरी कहो ना.”
“मेरे लंड को लिया आपने मूह में तो मचल उठा हूँ मैं
मगर अगर पूजा ने देख लिया तो बर्बाद हो जवँगा.”
“ये कैसी शायरी है. पूजा को बीच में क्यों लाते हो.” कविता ने कहा और फिर से मोहित के लोंड को मूह में घुस्सा लिया.
वो दोनो धीरे धीरे बोल रहे थे लेकिन फिर भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी पूजा को. उसे समझ तो कुछ नही आ रहा था लेकिन ख़ुसर फुसर से परेशान हो रही थी.
“क्यों बाते कर……” पूजा पीछे मूड कर बोली लेकिन बोलते बोलते रुक गयी क्योंकि वो भोंचक्की रह गयी थी.
मोहित का लंड तो पूजा को नही दीखा. वो तो कविता के मूह में चीपा था. वैसे भी अंधेरा था. पूजा को समझने में देर नही लगी की उशके बिल्कुल पीछे ब्लो जॉब दी जा रही है. मोहित की आँखे बंद थी. वो तो पहली ब्लो जॉब के सरूर में खोया था. लेकिन कोयिन्सिडेन्स था की जब पूजा पीछे मूडी उष्की आँखे खुल गयी.
“अरे हटो क्या कर रही हो. मेरी तो आँख ही लग गयी थी. ये सब क्या हो रहा है यहा.” मोहित ने कविता के सर को धक्का दिया.
कविता ने लंड को मूह से निकाल दिया और बोली, “ये क्या बोल रहे हो?”
तभी उष्की नज़र पूजा पर गयी, “अछा पूजा ने देख लिया ह्म. हे..हे…हे…पूजा तुम्हे तो कोई दिक्कत नही है ना.”
“तुम दोनो भाड़ में जाओ मुझे कुछ नही लेना देना.” पूजा वापिस मूड गयी.
“करवा दिया मेरा काम खराब तुमने. अब दुबारा ऐसा मत करना लीव मे अलोन.”
“मैं बाहर टाय्लेट में जा रही हूँ. आ ज़ाऊ पूरा अंदर ले लूँगी.” कविता ने कहा.
“तू तो मुझे भी अंदर ले लेगी पूरा. मुझे माफ़ करो मेरा कोई इंटेरेस्ट नही है. आपने बहुत मनोरंजन कर दिया मेरा अब प्लीज़ मुझे अकेला चोद दो. मुझे मूवी देखनी है.”
“मूवी देखने तो नही आए थे तुम. झुत बोल रहे हो.”
मोहित ने अपने लंड को वापिस पेंट में डाल लिया और चुपचाप बैठ गया. कविता भी चुपचाप वही बैठी रही.
“पूजा सॉरी, ये सब कविता ने किया. सच में मेरी कोई मर्ज़ी नही थी.” मोहित ने पूजा की तरफ झुक कर कहा.
“ई डोंट गिव आ डॅम अबौट इट. लीव मे अलोन.” पूजा ने गुस्से में कहा.
कविता ये देखते हुवे भी की मोहित उसमे कोई इंटेरेस्ट नही ले रहा है फिर भी उशके पास से नही उठी. मोहित तो हैरान और परेशान बैठा था. पूजा के सामने उष्की छवि और खराब हो गयी थी.
“लगता है कोई चान्स नही है मेरा अब. अब तो और भी मुश्किल हो गयी है. क्या करूँ अब?” मोहित सोच में डूबा था.
“तुम कहा खो गये? इसे पूजा की चिंता आप मत कीजिए, ये ऐसी ही है तुनक मिज़ाज़.”
“फिर किशकि चिंता करूँ अगर उष्की नही करू तो” मोहित इरिटेटेड टोने में बोला.
“मुझमे क्या कमी है. मुझे तुम्हारा शायराना अंदाज़ पसंद आया. मुझे लगा की हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं. लेकिन तुम तो खफा ही हो गये.”
“देखो मैं सिर्फ़ पूजा के लिए यहा बैठा हूँ वरना कब का चला जाता. मुझे अकेला चोद दो प्लीज़.”
“मज़ा तो तुम्हे खूब आ रहा था जब मैं शककर रही थी. पूजा ने देख लिया तो तुम अपना मज़ा भूल गये. मैं हर किशी को ब्लो जॉब नही देती हूँ. रही बात पूजा की तो शुन्ओ उष्का अफेर है एक लड़के से. खूब अच्छे से देती है ये उशे. तुम उष पर वक्त बर्बाद मत करो. मेरा ब्रेकप हो चुका है और मैं अभी फ्री हूँ. मुझे यकीन है की हमारी खूब जमेगी.”
“किशके साथ अफेर है पूजा…विक्की के साथ?” मोहित ने पूछा.
“हन हन, तुम्हे कैसे पता?”
“तुम्हे उष से कोई लेना देना नही है.”
“अफ यही अदा तुम्हारी जान ले रही है. जालिम हो एक नंबर के तुम तो.”
“मेरी मा चोद दे अकेला मुझे तू अब. मुझे पूजा के साथ सेट्टिंग करनी है जो की तुम्हारे होते नही हो पाएगी.”
“पूजा के चक्कर में तुम इंतेज़ार और हॉट पुसी से हाथ धो बैतोगे. ई आम रीडी फॉर यू. टके मे.”
“मी गोद…तुम्हारे जैसी लड़की नही देखी मैने आज तक जो खुद अपनी चुत पारोष दे बिना माँगे.”
“अब पारोष दी है तो ये बताओ की खाओगे की नही.”
ना चाहते हुवे भी इन बातो से मोहित के अंदर बेचैनी होने लगी थी. उष्का लंड हरकत करने लगा था. कविता शायद ये समझ रही थी. उसने मोहित के घुतने पर हाथ रख कर धीरे धीरे हाथ को मोहित के लंड तक सरका लिया था. उशके उत्तेजित लंड को वो महसूस कर रही थी.
“मैने जो तुम्हे पारोशा है उसे देख कर मूह में पानी तो आ गया है तुम्हारे लेकिन पूजा के कारण खाने से दर रहे हो. खाना ठंडा हो जाए इसे से पहले खा लो. किशमत वाले हो तुम जो तुम्हे पारोष रही हूँ. हर किशी को नही पारोष्टी मैं.”
“यहा कैसे खओन मेरी मा. पूजा ने देख लिया तो रहा सहा चान्स भी ख़त्म हो जाएगा. मुझे बहकाओ मत, अगर मैं बहक गया तो बुरा हाल कर दूँगा मैं तुम्हारा.”
“थियेटर खाली ही है. पीछे की तरफ चलते हैं…वाहा तक पूजा की नज़र नही जाएगी.” कविता ने कहा.
मोहित फ़ौरन सीट से उठ जाता है. उसे ऐसा लगता है की अगर कविता के साथ वो बहक गया तो पूजा को पटाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. वो पूजा के सर के पास झुका और बोला, “कैसी-कैसी ठरकी सहेलिया बना न्यू एअर है तुमने. परेशान कर दिया मुझे. जा रहा हूँ मैं ये अछी ख़ासी पिक्चर चोद के.”
“तो जाओ ना हू केर्स.” पूजा ने कहा.
“अपने आशिक़ की कभी तो चिंता किया करो.” मोहित ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 26
“मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तम्मानना थी की बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुवा भी कॉलेज में. बहुत खुश रहता था उन दीनो मैं. हम घूमते फिराते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे चुवा तक नही. बस प्यार कराता था उशे…बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक आमिर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही की मैं तुम्हे चोद रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुश्किल से पास हुवा. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इशे थोक देता तो अछा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उशके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किशी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुश रहें आप अपनी जींदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरात हो तो याद करना. मुझे अपना एक अछा दोस्त समझना.”
“मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने.”
“अछा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उशके लिए मुझे माफ़ करना. गोद ब्लेस्स यू. टके केर.”
दोनो ने प्यारी से मुश्कान दी एक दूसरे को और राजू वाहा से चल पड़ा. राजू और मोनिका दोनो के चरित्रा के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की शुनदराता लिए हुवे थे.
राजू ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.
“सिर मोबाइल वाला काम हो गया है. आप कहा हैं?”
“मैं थाने में हूँ बरखुरदार यही आ जाओ.” चौहान ने कहा.
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प़ड़्मिनी अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वालेित हो रही है. वो चाहती है की बारिस में निकल कर बारिस की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इश्कि इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हाँ पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुश्कान प़ड़्मिनी के होंटो पर बिखर रही थी.
“बेटा कब से खड़ी हो यहा…चलो कुछ खा लो.”
“नही मम्मी अभी नही…आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अछी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी.”
“जैसी तेरी मर्ज़ी…पागल हो जाती हो बारिश को देख कर.”
प़ड़्मिनी की मम्मी चली गयी और प़ड़्मिनी खिड़की पर ही खड़ी रही.
“मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. दर कर घर में बैठने से क्या फ़ायडा. इनस्पेक्टर या फिर राजू से बात करनी पड़ेगी इसे बड़े में.”
प़ड़्मिनी का सोचना सही ही था. उष्की जॉब सफर हो रही थी और अछी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण प़ड़्मिनी को ये नही लगता था की वो अपने मा बाप पर बोझ है.
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राजू चौहान को सीसी के बड़े में बताता है. वो तुरंत सोनिया को फोन मिलाता है.
सोनिया तो नरेश के उपर चढ़ि हुई थी और उशके उपर राइड कर रही थी.
“आअहह नरेश तुम भी तो पुश करो नीचे से आआहह.”
“कर तो रहा हूँ…और कितना पुश करूँ.”
सोनिया का फोन बजा तो वो इरिटेट हो गयी.
“अफ अब कौन है?”
“लगता है आज लोग हमें चैन से नही करने देंगे कुछ.” नरेश ने कहा.
“तुम हाथ बाधाओ और फोन पकड़ाओ मैं तुम्हारे उपर से उतरने वाली नही हूँ आअहह”
“कह कौन रहा है उतरने को….ये लो फोन.”
सोनिया ने कॉल रिसीव की. “हेलो”
“हन सोनिया जी मैं चौहान बोल रहा हूँ.”
“आआहह हाँ बोलिए.”
“आप कराह क्यों रही हैं. ठीक तो हैं आप.”
“हन मैं ठीक हूँ…बोलिए आप.”
“क्या आप सुरिंदर के किशी ऐसे दोस्त को जानती हैं जिसे वो सीसी कहता हो.”
“ऊऊहह मैं…मैं किशी सीसी को नही जानती. देखिए मुझे जो पता था बता दिया. मेरी रिकवेस्ट है की मुझे बार बार परेशान ना किया जाए आअहह. मुझे और भी ज़रूरी काम हैं.”
“आपके ज़रूरी काम मुझे समझ आ गये. सच बठाना नरेश का लंड है ना इसे वक्त तेरी चुत में.”
“उष से आपको क्या लेना देना.” सोनिया ने फोन काट दिया.
“क्या हुवा?” नरेश ने पूछा.
“कुछ नही उष इनस्पेक्टर को पता नही कैसे पता चल गया की तुम्हारा डिक मेरी पुसी में है.”
“पता कैसे नही चलेगा आअहह ऊओह करके बाते जो कर रही थी.”
“लीव इट….फक मे हार्डर आआहह.”
नरेश ने नीचे से अपनी बढ़ता बढ़ा दी और सोनिया की आहें कमरे में गूंजने लगी.
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मोहित की हालत सुधार रही थी. मोहित आँखे बीचाए पूजा का इंतेज़ार कराता रहा लेकिन वो नही आई. राजू ने पूजा को रिकवेस्ट भी की लेकिन वो नही मानी. उसने कहा मुझे मोहित से कुछ लेना देना नही है. बात काफ़ी हद तक सही भी थी.
राजू और चौहान सीसी को ढूँडने में लग गये. लेकिन उन्हे सीसी का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीता गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद मोहित का कमाल था. उशी ने तो साएको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से सहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है दर को दूर भगाने में. सहर के लोगो में साएको का ख़ौफ़ बरकरार था.
मोहित घर वापिस आ गया. उशके घाव अभी पूरी तरह भर धीरे धीरे एक महीना बीट गया. साएको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इसे एक महीने के दौरान सहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पुलिस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साएको अभी पकड़ा नही गया था.
सुबह के 10 बाज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. राजू थाने में घुस्सा तो उसने चौहान को देख लिया.
“क्या बात है सिर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं.” राजू ने पूछा.
“पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब दाँत पड़ने वाली है आज.”
“हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें.”
“उशके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी.”
“नही सिर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा…मेरा क्या दीमग खराब है. पर सर मुझे लगता है की शायद वो साएको अब अंदर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साएको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं.”
“ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बरखुरदार. क्या पता क्या हो रहा है…साला ये सीसी का भी कुछ पता नही चला..”
“सिर एक बात और हो सकती है?”
“क्या?” चौहान उत्शुक हो गया.
“मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उष साएको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुवा था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ताक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साएको मार ना गया हो.”
“हो भी सकता है और नही भी. इसे बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना.”
तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वाहा आ जाता है.
“क्या बात है सिर…कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया.”
“ओह हाँ मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इशी बात बार बरस पड़े वो कयामत.”
तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. आस्प शालिनी वाहा पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.
“मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साएको वाले केस का.”
“चौहान बगले झाँकने लगा. उष से कुछ बोले नही बन रहा था.”
“हम पूरी कोशिस कर रहे हैं मेडम. वो साएको शायद अंदरग्राउंड हो गया है” राजू बीच में बोल पढ़ा.
“मैने तुमसे पूछा कुछ. जीश से पूछा जाए वही जवाब दे.” शालिनी ने राजू को दाँत दिया.
“मेडम हम पूरी कोशिस कर रहे हैं. दीं रात हम इशी केस में लगे रहते हैं” चौहान हिम्मत करके बोला.
“क्या फ़ायडा इसे दीं रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पुलिस की किरकीर्ी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अछा मैं थोड़ी देर में रौंद लगाना चाहती हूँ सहर का कौन चलेगा मेरे साथ.”
“सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम.” चौहान ने कहा.
“सिर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज.” विजय ने कहा.
चौहान खुद जाना नही चाहता था. डराता जो था मेडम से. उसने कहा, “राजवीर चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम.”
राजू ने तुरंत चौहान को घूरा. छुआहं उष्की तरफ मुश्कुरा दिया.
“ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हाँ और ज़्यादा मेहनत करो इसे साएको वाले केस पर.”
“बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो.” चौहान ने कहा.
शालिनी उठ कर चली गयी. उशके जाते ही राजू बोला, “सिर मुझे क्यों फँसा दिया.”
“कोई बात नही बरखुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है.”
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मोहित अब बिल्कुल ठीक था. लेकिन उष्का दिल बीमार हो गया था शायद. बाएक लेकर वो पूजा के कॉलेज के सामने खड़ा था. कॉलेज की लड़किया अंदर बाहर जा रही थी लेकिन पूजा उसे कही नज़र नही आ रही थी. उशके चेहरे पर निराशा उभरने लगी थी.
“कहा हो पूजा तुम. हर वक्त क्लास में बैठी रहती हो क्या.” मोहित ने सोचा.
तभी उसे दो लड़कियों के साथ कॉलेज के गाते से पूजा निकलती हुई दीखाई दी. मोहित का चेहरा खिल उठा. उसने तुरंत बाएक स्टार्ट की और पूजा के आगे रोक दी. अचानक अपने सामने बाएक देख कर लड़किया तीटक गयी. पूजा की आँखो में खून उतार आया.
“तुम! तुम यहा क्या कर रहे हो?” पूजा ने पूछा.
“तुम जानती हो इशे.” एक लड़की ने पुछस.
“हन हमारे प़ड़ोष में रहता है.”
“दिल में भी तो नही रहता कही…हे…हे…हे.” दूसरी लड़की ने चुस्की ली.
“ऐसा कुछ नही है. ई हटे हिं.”
मोहित सब शन रहा था. “नफ़रात में भी उनकी प्यार नज़र आता है, मैं लाख संभालू दिल को ये उनकी और खींचा जाता है.”
“ये तो कोई शायर लगता है हे..हे..हे.” दोनो लड़किया हँसने लगी.
“चलो यहा से ये पागल है.” पूजा दोनो को लेकर आगे बढ़ गयी. लेकिन दोनो लड़किया पीछे मुदके मोहित को देखती रही.
“हमें चोद के जा रही हो, हम तड़प कर रह जाएँगे
तुम्हारे साथ तो दो कालिया हैं हम अकेले रह जाएँगे.”
“वाउ सो रोमॅंटिक. देखा वो हमें कालिया कह रहा है. रूको ना यार अछा बंदा लगता है.” एक लड़की ने कहा.
“बहुत बड़ा फ्लर्ट है वो. चलो हमें मूवी के लिए देर हो जाएगी.” पूजा ने कहा.
ये बात मोहित ने भी शन ली. उन तीनो ने एक ऑटो पकड़ा और थियेटर के लिए निकल पड़ी. पीछे पीछे मोहित ने भी अपनी बाएक लगा दी.
“अगर तुम्हे पता नही पाया तो जींदगी बेकार है मेरी.” मोहित ने सोचा.
थियेटर पहुँच कर तीनो लड़किया अंदर घुस्स गयी. उन्होने मोहित को नही देखा. मोहित भी टिकेट ले करूंके पीछे पीछे आ गया.
“ही…ये तो दीवाना लगता है. तुम्हारे पीछे यहा तक आ गया.”
“मज़ाक कर रही हो ना कविता?” पूजा ने पूछा.
“मुदके तो देख वो बिल्कुल तेरे पीछे बैठा है.” कविता ने कहा.
अभी पिक्चर शुरू नही हुई थी. इश्लीए लाइट जाली हुई थी.
पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा, “तुम यहा भी आ गये. क्या चाहते हो तुम.”
मोहित पूजा की और झुका और बोला, “मुझे जो चाहिए वो तुम्हे पता है. इनके सामने कैसे काहु समझा करो.”
“शूट उप.” पूजा ने दाँत दिया.
“क्या कह रहा था वो चुपके से तुझे?” कविता ने पूछा.
“कुछ नही…तू उष पर ज़्यादा ध्यान मत दे…पागल है वो.” पूजा ने कहा.
लाइट बंद हो गयी और पिक्चर शुरू हो गयी. मोहित पूजा की तरफ झुका और बोला, “हम दोनो साथ में देखे ये रोमॅंटिक पिक्चर तो ज़्यादा अछा लगेगा. पीछे आ जाओ ना मेरे साथ. मेरे साथ की सीट खाली पड़ी है.”
“क्या समझते हो खुद को तुम. तुम बुलाओगे और मैं आ जवँगी हा. तुम्हारे पास आएगी मेरी जुटती. चुपचाप बैठे रहो वरना चप्पल मारूँगी निकाल के.”
“नही नही ऐसा काम मत करना. आज तक मैने चप्पल नही खाई.” मोहित ने कहा.
“नही खाई तो अब खाओगे. मुझे गुस्सा मत दिलाओ चुपचाप बैठे रहो”
मोहित वापिस चुपचाप सीट पर बैठ गया.
“क्या करूँ ये तो आग उगल रही है?” मोहित बड़बड़ाया.
कुछ देर बाद कविता को पता नही क्या सूझी, वो अपनी सीट से उठ कर मोहित के पास आ कर बैठ गयी. पूजा भी ये देख कर हैरान रह गयी. लेकिन वो कुछ नही बोली. मोहित तो हैरान था ही.
“तुम्हारा शायराना अंदाज मुझे बहुत अछा लगा. मेरा नाम कविता है. क्या मुझपे कविता लिखोगे.” कविता मोहित के घुतने पर हाथ रख कर बोली.
“मैं कोई शायर नही हूँ देवी जी. वो तो मैं यू ही कुछ जोड़-तोड़ कर बोल रहा था आपकी सहेली के लिए. पूजा से मेरा टांका भिड़वा दो ना.” मोहित ने कहा.
“मुझे लगता है उष्का तुम्हारे में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम किशी और पर ट्राइ क्यों नही करते.”
“किश पर ट्राइ करूँ आप ही बता दो.”
“मैं हूँ ना. तुम शायर हो. मैं तुम्हारी कविता बन जवँगी.” कविता का हाथ धीरे धीरे मोहित की जाँघ की तरफ बढ़ रहा था.
“ये आप क्या कह रही है.” मोहित तो भोंचका रह गया. लेकिन उसने कविता का हाथ नही हटाया. हटाता भी क्यों. ऐसा रोज रोज थोड़ा होता है किशी के साथ.
“आपका हाथ गले जगह पर पहुँच रहा है. आपकी सहेली ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी.”
“छोड़िए ना उसे अपनी बात कीजिए.” कविता का हाथ मोहित के लंड पर पहुँच गया. लंड पर कविता का हाथ पड़ते ही वो तुरंत हार्ड हो गया.
“आअहह आप तो शीतम ढा रही हैं मुझ पर.” मोहित ने कहा.
कविता ने मोहित की पेंट की ज़िप खोल दी और उशके तने हुवे मोटे लंड को बाहर खींच लिया.
“ओह माई गोद इट्स आ वंडरफुल कॉक. इट्स ह्यूज. मैने इतना बड़ा नही देखा आज तक.”
“देवी जी कितने देखे हैं आप ने ये भी बता दीजिए.”
“मेरे अब तक टीन बाय्फ्रेंड रहे हैं और मैने तीनो के देखे हैं.”
“बहुत खूब. देखे ही हैं या लिए भी हैं आपने.” मोहित ने चुस्की ली.
“तुम्हे क्या लगता है?”
“नही लिए होंगे. आप सिर्फ़ देखती होंगी उन्हे हैं ना.” मोहित ने मज़ाक में कहा.
“नही जनाब तीनो पूरे के पुए लिए हैं. तुम्हारा क्या विचार है. मुझसे दोस्ती करोगे?”
“मैं पूजा को चाहता हूँ.” मोहित ने कहा.
कविता ने मोहित के लंड को ज़ोर से दबाया और बोली, “पूजा को मारिए गोली. वाहा तुम्हे कुछ नही मिलेगा. देखा नही वो तुमसे बात भी नही कर रही. वो तुम्हे पागल कह रही थी. खुद पागल है वो.”
पूजा और दूसरी लड़की रीमा पिक्चर देखने में मगन थे. उन्हे इसे बात का अंदाज़ा भी नही था की उनके पीछे कविता मोहित का लंड हाथ में लिए बैठी है.
“मैं तुम्हे वो ख़ुसी दूँगी की भूल जाओगे सब कुछ.” कविता ने कहा और आगे झुक कर मोहित के लंड को अपने होंटो में दबा लिया.
“आअहह पहली बार ये किशी के मूह में गया है.”
कविता ने मोहित के लंड से मूह हटाया और बोली, “क्या? इतने सेक्सी डिक को अभी तक ब्लो जॉब नही मिली. ई कॅंट बिलीव इट.”
“नही मिली तो नही मिली अब क्या कर सकते हैं. हर लड़की मूह में नही लेती है.”
“मुझसे दोस्ती करोगे तो मज़े में रहोगे. ई लव तो सक. कोई शायरी कहो ना.”
“मेरे लंड को लिया आपने मूह में तो मचल उठा हूँ मैं
मगर अगर पूजा ने देख लिया तो बर्बाद हो जवँगा.”
“ये कैसी शायरी है. पूजा को बीच में क्यों लाते हो.” कविता ने कहा और फिर से मोहित के लोंड को मूह में घुस्सा लिया.
वो दोनो धीरे धीरे बोल रहे थे लेकिन फिर भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी पूजा को. उसे समझ तो कुछ नही आ रहा था लेकिन ख़ुसर फुसर से परेशान हो रही थी.
“क्यों बाते कर……” पूजा पीछे मूड कर बोली लेकिन बोलते बोलते रुक गयी क्योंकि वो भोंचक्की रह गयी थी.
मोहित का लंड तो पूजा को नही दीखा. वो तो कविता के मूह में चीपा था. वैसे भी अंधेरा था. पूजा को समझने में देर नही लगी की उशके बिल्कुल पीछे ब्लो जॉब दी जा रही है. मोहित की आँखे बंद थी. वो तो पहली ब्लो जॉब के सरूर में खोया था. लेकिन कोयिन्सिडेन्स था की जब पूजा पीछे मूडी उष्की आँखे खुल गयी.
“अरे हटो क्या कर रही हो. मेरी तो आँख ही लग गयी थी. ये सब क्या हो रहा है यहा.” मोहित ने कविता के सर को धक्का दिया.
कविता ने लंड को मूह से निकाल दिया और बोली, “ये क्या बोल रहे हो?”
तभी उष्की नज़र पूजा पर गयी, “अछा पूजा ने देख लिया ह्म. हे..हे…हे…पूजा तुम्हे तो कोई दिक्कत नही है ना.”
“तुम दोनो भाड़ में जाओ मुझे कुछ नही लेना देना.” पूजा वापिस मूड गयी.
“करवा दिया मेरा काम खराब तुमने. अब दुबारा ऐसा मत करना लीव मे अलोन.”
“मैं बाहर टाय्लेट में जा रही हूँ. आ ज़ाऊ पूरा अंदर ले लूँगी.” कविता ने कहा.
“तू तो मुझे भी अंदर ले लेगी पूरा. मुझे माफ़ करो मेरा कोई इंटेरेस्ट नही है. आपने बहुत मनोरंजन कर दिया मेरा अब प्लीज़ मुझे अकेला चोद दो. मुझे मूवी देखनी है.”
“मूवी देखने तो नही आए थे तुम. झुत बोल रहे हो.”
मोहित ने अपने लंड को वापिस पेंट में डाल लिया और चुपचाप बैठ गया. कविता भी चुपचाप वही बैठी रही.
“पूजा सॉरी, ये सब कविता ने किया. सच में मेरी कोई मर्ज़ी नही थी.” मोहित ने पूजा की तरफ झुक कर कहा.
“ई डोंट गिव आ डॅम अबौट इट. लीव मे अलोन.” पूजा ने गुस्से में कहा.
कविता ये देखते हुवे भी की मोहित उसमे कोई इंटेरेस्ट नही ले रहा है फिर भी उशके पास से नही उठी. मोहित तो हैरान और परेशान बैठा था. पूजा के सामने उष्की छवि और खराब हो गयी थी.
“लगता है कोई चान्स नही है मेरा अब. अब तो और भी मुश्किल हो गयी है. क्या करूँ अब?” मोहित सोच में डूबा था.
“तुम कहा खो गये? इसे पूजा की चिंता आप मत कीजिए, ये ऐसी ही है तुनक मिज़ाज़.”
“फिर किशकि चिंता करूँ अगर उष्की नही करू तो” मोहित इरिटेटेड टोने में बोला.
“मुझमे क्या कमी है. मुझे तुम्हारा शायराना अंदाज़ पसंद आया. मुझे लगा की हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं. लेकिन तुम तो खफा ही हो गये.”
“देखो मैं सिर्फ़ पूजा के लिए यहा बैठा हूँ वरना कब का चला जाता. मुझे अकेला चोद दो प्लीज़.”
“मज़ा तो तुम्हे खूब आ रहा था जब मैं शककर रही थी. पूजा ने देख लिया तो तुम अपना मज़ा भूल गये. मैं हर किशी को ब्लो जॉब नही देती हूँ. रही बात पूजा की तो शुन्ओ उष्का अफेर है एक लड़के से. खूब अच्छे से देती है ये उशे. तुम उष पर वक्त बर्बाद मत करो. मेरा ब्रेकप हो चुका है और मैं अभी फ्री हूँ. मुझे यकीन है की हमारी खूब जमेगी.”
“किशके साथ अफेर है पूजा…विक्की के साथ?” मोहित ने पूछा.
“हन हन, तुम्हे कैसे पता?”
“तुम्हे उष से कोई लेना देना नही है.”
“अफ यही अदा तुम्हारी जान ले रही है. जालिम हो एक नंबर के तुम तो.”
“मेरी मा चोद दे अकेला मुझे तू अब. मुझे पूजा के साथ सेट्टिंग करनी है जो की तुम्हारे होते नही हो पाएगी.”
“पूजा के चक्कर में तुम इंतेज़ार और हॉट पुसी से हाथ धो बैतोगे. ई आम रीडी फॉर यू. टके मे.”
“मी गोद…तुम्हारे जैसी लड़की नही देखी मैने आज तक जो खुद अपनी चुत पारोष दे बिना माँगे.”
“अब पारोष दी है तो ये बताओ की खाओगे की नही.”
ना चाहते हुवे भी इन बातो से मोहित के अंदर बेचैनी होने लगी थी. उष्का लंड हरकत करने लगा था. कविता शायद ये समझ रही थी. उसने मोहित के घुतने पर हाथ रख कर धीरे धीरे हाथ को मोहित के लंड तक सरका लिया था. उशके उत्तेजित लंड को वो महसूस कर रही थी.
“मैने जो तुम्हे पारोशा है उसे देख कर मूह में पानी तो आ गया है तुम्हारे लेकिन पूजा के कारण खाने से दर रहे हो. खाना ठंडा हो जाए इसे से पहले खा लो. किशमत वाले हो तुम जो तुम्हे पारोष रही हूँ. हर किशी को नही पारोष्टी मैं.”
“यहा कैसे खओन मेरी मा. पूजा ने देख लिया तो रहा सहा चान्स भी ख़त्म हो जाएगा. मुझे बहकाओ मत, अगर मैं बहक गया तो बुरा हाल कर दूँगा मैं तुम्हारा.”
“थियेटर खाली ही है. पीछे की तरफ चलते हैं…वाहा तक पूजा की नज़र नही जाएगी.” कविता ने कहा.
मोहित फ़ौरन सीट से उठ जाता है. उसे ऐसा लगता है की अगर कविता के साथ वो बहक गया तो पूजा को पटाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. वो पूजा के सर के पास झुका और बोला, “कैसी-कैसी ठरकी सहेलिया बना न्यू एअर है तुमने. परेशान कर दिया मुझे. जा रहा हूँ मैं ये अछी ख़ासी पिक्चर चोद के.”
“तो जाओ ना हू केर्स.” पूजा ने कहा.
“अपने आशिक़ की कभी तो चिंता किया करो.” मोहित ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 26
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“गो तो हेल”
“ओक गोयिंग, मैं हाथ में फूल ले कर इंतज़ार करूँगा वाहा तुम्हारा. तुम कब आओगी.”
“हेल इस फॉर यू, नोट फॉर मे…गेट लॉस्ट.”
“बहुत गरम हो भाई, कसम से बदन जल जाएगा मेरा जब मैं तुमसे लिपटुँगा.”
“जाते हो की नही तुम. मुझे पिक्चर देखने दो.”
“जा रहा हूँ जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपका.”
कविता लगातार मोहित को ही देख रही थी. लेकिन वो उसे इग्नोर करके सीधा बाहर आ गया. उसने अपनी बाएक पर बैठ कर बाएक स्टार्ट की ही थी के उसे कविता आती दीखाई थी.
“आ गयी चुत पारोशने वाली क्या करूँ इश्का. जल्दी निकलता हूँ यहा से”
लेकिन कविता तो तेज़ी से आकर उशके पीछे बैठ गयी.
“अछा किया तुमने जो बाहर आ गये. चलो कही और चलते हैं जहा सिर्फ़ हम तुम हो”
“तुम ऐसे नही मानोगी. चल तेरी चुत की आग बुझाता हूँ आज.” मोहित बाएक स्टार्ट करते हुवे बोला.
“मैं तो कब से तड़प रही हूँ…बुझाओ ना.”
“आज तुझे पता चलेगा की तूने ग़लत बंदे को पारोष दी चुत अपनी. बहुत बुरी तरह खाता हूँ मैं.”
“ही राम मैं तो मार ही जवँगी. जैसे भी खाना खाना ज़रूर.”
“ठरकी हो तुम…ठरकी”
“ये ठरकी क्या होता है?” कविता ने पूछा.
“खुद को समझ लॉगी तो ठरकी का मतलब जान जाओगी”
“बहुत अकेली थी मैं कुछ दीनो से. तुम मिले तो बहार आ गयी.”
“क्या हुवा तुम्हारे बॉय फ्रेंड का?”
“ब्रेक उप हो गया बताया ना.”
“ओह हाँ तो कोई और बॉय फ्रेंड ढुंड लो.”
“ढुंड तो लिया… तुम हो ना”
“मैं बिल्कुल नही हूँ समझ लो अच्छे से”
“कोई बात नही आज के लिए तो हो ही.”
“बिल्कुल बिल्कुल ये ठीक है”
मोहित का घर वैसे खाली था. लेकिन वो कविता को घर नही ले जाना चाहता था. क्योंकि उसे दर था की कही रोज ना तपाक पड़े वो उशके घर. इश्लीए मोहित ने बाएक घने जुंगलो की तरफ मोड़ ली.
“जंगल में मंगल करोगे तुम?” कविता ने पूछा.
“बिल्कुल तुम्हारे जैसी वाइल्ड नेचर की लड़की के लिए ये जंगल ही ठीक है.”
मोहित ने बाएक जंगल में घुस्सा दी और रोक दी. “ज़्यादा अंदर नही जाएँगे यही सड़क के नझडीक ठीक रहेगा.”
“तोड़ा तो आगे चलो…सड़क के किनारे दर लगेगा मुझे.”
मोहित ने बाएक वही खड़ी कर दी और कविता का हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे आ गया जंगल में.
“कुछ भयानक सा सन्नाटा है यहा. तुम मुझे अपने घर नही ले जा सकते थे क्या? दर लग रहा है मुझे यहा.” कविता ने कहा.
“डरने की क्या बात है. मैं हूँ ना साथ में.”
“फिर भी दर लग रहा है मुझे. प्लीज़ मुझे कही और ले चलो.”
“पहले तो बड़ी बेचैन हो रही थी चुत ठुकवाने के लिए…अब तुम्हे दर लग रहा है.”
“देखो मुझे पता नही क्यों कुछ अहसास हो रहा है की यहा कुछ गड़बड़ है. देखो ना अजीब सी खामोसी और सन्नाटा है यहा. मेरी बात मानो चलो यहा से.”
“जंगल ऐसे ही होते हैं. यहा कोई बंद बाजा तो लेकर घूमेगा नही तुम्हारे लिए. अब यहा आ गये हैं तो काम करके ही जाएँगे. भड़का दिया है तुमने मुझे अब भुगत्ो.”
“वो तो मैं भुगत लूँगी पर मेरा यकीन करो यहा कुछ अजीब लग रहा है मुझे.”
“कुछ अजीब नही है. जल्दी से ये जीन्स नीचे सरकाओ और जो पोज़िशन तुम्हे कंफर्टबल लगे लगा लो. मेरा लंड तैयार है आपके लिए.” मोहित ने लंड बाहर खींच लिया.
“इतना प्यारा लंड दीखाओगे तो कोई कैसे थामेगा खुद को. मुझे दर तो लग रहा है. तुम कहते हो तो ठीक है. लेट्स दो इट क्विक्ली.”
“क्विक्ली नही देवी जी. अब जब आपने भड़का दिया है मुझे तो बहुत तस्सल्ली से लूँगा तुम्हारी मैं…जल्दी फ्री नही होने वाली तुम.”
“तो फिर घर ले जाते ना मुझे यहा क्यों लाए हो. ये जंगल क्या तस्सल्ली से करने की जगह है.”
“तू ख़ामा खा दर रही है. पूरी तरह सेफ है ये जंगल.”
“तुम इतने विश्वास से कैसे कह सकते हो.”
मोहित के पास कोई जवाब नही था.
…………………………………………………
राजू शालिनी के साथ जीप में निकल चुका था. वो ड्राइव कर रहा था और शालिनी साथ बैठी थी.
“ट्रैनिंग कैसी चल रही है तुम्हारी.”
“जी मेडम बिल्कुल ठीक चल रही है. चौहान जी बहुत अच्छे से सीखा रहे हैं मुझे.” राजू ने कहा.
“गुड. प़ड़्मिनी को मेरे पास ला कर अछा किया था तुमने.”
“हन मेडम. मुझे यकीन था की आप सच को समझेंगी. आप ही के कारण तो ये नौकरी मिली है मुझे. मैं तो चक्कर लगा लगा कर तक गया था. आप ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी ना होती.”
“ईमानदारी से ड्यूटी करना हमेशा. पुलिस में आकर बिगड़ जाते हैं लोग अक्सर.”
“आपको शिकायत का मोका नही दूँगा मेडम. वैसे सहर में कहा जाना चाहेंगी आप”
“वैसे ही रौंद लेने का मन था. पूरे सहर का चक्कर लगाना है मुझे.”
“मेडम जी एक बात पुंचू बुरा ना माने तो.”
“हन पूछो?”
“आप पुलिस में कैसे आ गयी.”
“कैसे आ गयी मतलब. सिविल सर्विस का एग्ज़ॅम पास करके आई हूँ.”
“सॉरी मेडम मेरा मतलब ये था की क्या आपका इंटेरेस्ट था पुलिस में या फिर….”
“इफ्स बन-ना चाहती थी मैं तो बन गयी इप्स पर कोई बात नही तीस इस गुड सर्विस.”
“मेरी तो हमेशा से इचा थी पुलिस में आने की आपके कारण सपना साकार हुवा मेरा. आपका अहसान जींदगी भर नही भूलूंगा मैं.”
“ये कहा आ गये हम ये तो दोनो तरफ जंगल है.” शालिनी ने कहा.
“हन मेडम ये बहुत बड़ा जंगल है. इशी रोड पर हादसा हुवा था प़ड़्मिनी जी के साथ.”
“ओह हाँ याद आया. पहली बार आई हूँ मैं इसे तरफ.”
“बहुत बड़ा जंगल है मेडम ये सहर के बीच में. करिमिनल लोग अछा फ़ायडा उठाते होंगे इश्का.”
“बिल्कुल सही कह रहे हो. ऐसे शुन्सान जंगल अक्सर कराइम का अड्डा बन जाते हैं. वो…वो…कौन हैं जंगल में.”
राजू फ़ौरन जीप रोक देता है.
“कहा मेडम…मुझे कुछ दीखाई नही दिया.”
“नही मैने देखा अभी एक साए को इसे तरफ. शायद उसने भी हमें देखा. वो चुप गया है शायद. चलो देखते हैं.” शालिनी जीप से उतार जाती है.
“क्या देख लिया इन मेडम साहिबा ने मुझे कुछ दीखाई नही दिया.” राजू जीप से उतराते वक्त बड़बड़ाया.
शालिनी ने अपनी सर्विस पिस्टल निकाल ली और बोली, “कौन है वाहा बाहर आ जाओ वरना गोली मार दूँगी.”
“किशी जुंगली जानवर को ना मार दे ये कयामत. बैठे बीतए मुसीबत हो जाएगी.”
“मेडम शायद कोई जानवर होगा?”
“शूट उप यू ईडियट. मेरी आँखे धोका नही खा सकती. मैने देखा था किशी को….हे कौन हो तुम बाहर आओ.”
बाहर तो कोई नही आया लेकिन एक गोली तेज़ी से शालिनी की और आई और उशके सर के बिल्कुल बाजू से निकल गयी. शालिनी फ़ौरन ज़मीन पर लाते गयी. राजू के पास तो कुछ था नही. वो जीप के पीछे चुप गया.”मेडम सही कह रही थी. कौन है ये बंदा जो सारे आम पुलिस पर गोली चला रहा है.”
शालिनी धीरे धीरे झुके झुके हाथ में पिस्टल लिए आगे बढ़ रही थी. शालिनी ने फिरे किया. फिरे होते ही किशी के भागने की आहत हुई. राजू भी नीचे झुक कर धीरे धीरे शालिनी के पास आ गया.
“आप सही कह रही थी मेडम”
“मैं हमेशा सही कहती हूँ. आगे से मेरी स्टेट्मेंट पर डाउट किया तो सस्पेंड कर दूँगी”
“नही करूँगा मेडम. बिल्कुल नही करूँगा. लगता है वो भाग गया.”
“मेरे उपर गोली चलाने वाले को मैं छोड़ूँगी नही…चलो पकड़ते हैं उशे.”
“मेडम हम सिर्फ़ 2 हैं. और लोगो को बुला लॅंड क्या.”
“हन चौहान को फोन करो…तब तक हम कोशिस करते हैं उसे पकड़ने की.”
“मेडम देख लो ये जंगल है. वो छुपा बैठा होगा कही और हमें निशाने पर ले लेगा. मेरे पास तो कुछ भी नही है. अभी तक सर्विस पिस्टल नही मिली मुझे.”
“तुम मेरे पीछे पीछे आओ मैं हूँ ना साथ”
राजू चौहान को फोन कराता है और उसे सारी सिचुयेशन बता देता है. वो कहता है की 20 मिनिट में पुलिस की 2 पार्टीस पहुँच जाएँगी वाहा.
“मेडम कही ये साएको ही तो नही है. बिना सोचे समझे पुलिस पर गोली चला दी ईसणे. ऐसा कोई पागल ही कर सकता है. उसे बाहर आने को ही तो बोल रही थी आप. कुछ और तो नही कहा था उशे.”
“सही कह रहे हो शायद ये साएको ही है.” शालिनी का ध्यान बोलते वक्त भटक जाता है और वो एक पठार से टकरा कर गिरने लगती है. राजू उसे संभालने की कोशिस कराता है लेकिन उष्का बॅलेन्स भी डगमगा जाता है और वो शालिनी को संभालने की बजाए उष्को साथ लेकर उशके उपर गिराता है. बहुत ही चिंता ज़नक और नाज़ुक स्थिति बन जाती है. आस्प साहिबा नीचे पड़ी है और अपना राजू उशके उपर.
“मेडम आपको चोट तो नही आई.”
“उतरो तो सही पहले मेरे उपर से तुम.”
राजू फ़ौरन एक तरफ़ लूड़क जाता है.
“क्या करना चाह रहे थे एग्ज़ॅक्ट्ली तुम.”
“सॉरी मेडम आप गिरने लगी थी. आपको थामने के चक्कर में मैं भी गिर गया.”
“आअहह कमर तोड़ दी तुमने मेरी. वैसे मैं बच जाती शायद…. स्टुपिड”
“सॉरी मेडम मैं तो बस…..”
“शूट उप… मुझे किशी की मदद की ज़रूरात नही कभी भी समझे तुम. आगे से ऐसा किया तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे.”
“मेरी तो नौकरी हर वक्त तलवार की धार पर लटकी है.” राजू धीरे से बड़बड़ाया.
“क्या कहा तुमने?”
“कुछ नही मैं सोच रहा था की किश तरफ गया होगा वो पोइसे पर गोली चलाने वाला. जंगल तो बहुत बड़ा है ये. हमें किश तरफ जाना चाहिए.”
“जीश तरफ मैं चलूंगी तुम उष तरफ चलोगे बस. बाकी बाते भूल जाओ.”
“कयामत से भी कुछ ज़्यादा है मेडम साहिबा संभाल कर रहना होगा इंशे वरना नौकरी गयी समझो.” राजू ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो चलो अब या फिर इन्विटेशन देना पड़ेगा तुम्हे”
“चलिए मेडम…आप मुझे पिस्टल दिलवा दीजिए एक ऐसे मोको पर ज़रूरात प़ड़ जाती है.”
“देखेंगे वापिस जा करो अभी चुपचाप आगे बढ़ो”
………………………………………………..
“मेरा यकीन करो मैने गोली की आवाज़ शुनि अभी.”
“मुझे क्यों नही शुनि यार तुम थियेटर में तो बड़ी गर्मी दीखा रही थी यहा तुम्हारी चुत ठंडी प़ड़ गयी. अब देनी है तो दो वरना मैं चला. जीन्स भी नही सर्काय अब तक तुमने.”
“एक तो ऐसी जगह ले आए मुझे उपर से ऐसी बाते बोलते हो हा लाओ पहले तुम्हारा लंड चूस्टी हूँ मूड ठीक हो जाएगा मेरा. तुम आस पास नज़र रखना.”
कविता मोहित के आगे बैठ जाती है और उष्का लंड मूह में ले लेती है.
“आआहह फिणाली ई आम गेटिंग आ नाइस ब्लो जॉब इन कंप्लीट प्राइवसी.”
जंगल में कितनी प्राइवसी थी वो तो कुछ देर में पता लगने वाला था मोहित को
मोहित आँखे बंद किए पूरा पूरा मज़ा ले रहा था छुसाई का.
“मुझे नही पता था की ब्लो जॉब इतनी मस्त होती है. वाउ यू अरे ग्रेट कविता…आआहह शकइट बेबी.” मोहित ने कविता के सर पर हाथ रख दिया.
कविता ने मोहित का लंड मूह से निकाला और बोली, “कुछ शायरी ही कह दो मेरे लिए पूजा के लिए तो खूब कह रहे थे.”
“मैं कोई शायर नही हूँ. वो तो बस पूजा को पटाने की कोशिस कर रहा था. कोई रास्ता सुझाओ ना तुम. तुम तो फ्रेंड हो उष्की.”
“मैं कुछ नही कर सकती इसमें ये तो उशी पर निर्भर है.”
“चलो चोदा यू दो युवर ब्लो जॉब.”
“मुझसे दोस्ती रखोगे तो ऐसी ब्लो जॉब रोज मिलेगी तुम्हे.” कविता ने कहा और मोहित के लंड को मूह में ले लिया.
“एस आअहह कीप सकिंग.”
……………………………………………………..
शालिनी पिस्टल तने आगे बढ़ रही थी. राजू उशके पीछे पीछे था.
“कहा गया वो?” शालिनी ने कहा.
“इतना बड़ा जंगल है मेडम कही भी जा सकता है वो.”
“हर तरफ नज़र रखो तुम वो यही कही छुपा हो सकता है.”
“ठीक है मेडम मैं नज़र रखे हुवे हूँ.” राजू ने कहा.
अचानक कुछ हलचल होती है और शालिनी थम जाती है. राजू का ध्यान दूसरी तरफ रहता है वो सीधा आस्प साहिबा से टकराता है. उनका सर पेड़ की एक डाली से टकराता है और उनका पारा चढ़ जाता है. राजू के तो पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन निकल जाती है. उष से कुछ कहे नही बनता. चेहरा लटक जाता है बेचारे का.
“ध्यान कहा है तुम्हारा कभी मेरे उपर गिर ज्ाअतए हो कभी पीछे से टकरते हो. ये सारी की सारी गोलिया तुम्हारे भेजे में उतार दूँगी अभी. पता नही किश लंगूर को साथ ले आई मैं.”
“सॉरी मेडम मेरा ध्यान दूसरी तरफ था दाँत लीजिए मुझे जितना भी पर लंगूर मत कहिए.”
“क्यों ना काहु?”
“लंगूर मुझे अच्छे नही लगते किशी और जानवर का नाम दे दीजिए.” राजू ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“जीसस…चुप रहो अभी तुम. क्या तुम्हे कुछ हलचल शुनाई दी सामने की झाड़ियों में.”
“हन शुनाई तो द मेडम”
“बिल्कुल चुपचाप दबे कदमो से चलो आवाज़ मत करना कोई.”
“आवाज़ निकालने लायक चोदा है आपने जो आवाज़ करूँगा.” राजू धीरे से फुसफुसाया.
“कुछ कहा तुमने?”
“नही नही कुछ नही कहा..चलिए देखते हैं क्या हैं इन झाड़ियों में.” राजू ने धीरे से कहा.
शालिनी दबे पाँव पिस्टल तने झाड़ियों की और बढ़ी राजू बिल्कुल उशके पीछे था. झाड़ियों को हटाते हुवे शालिनी आगे बढ़ रही थी. झाड़ियों के पीछे कुछ और नही बल्कि एक जुंगली बिल्ली थी शालिनी को देखते ही वो भाग खड़ी हुई. बस दिक्कत ये रही की वो शालिनी के पाँव के बिल्कुल करीब से भागी. सब कुछ इतनी जल्दी हुवा की शालिनी और राजू थोड़ा सकपका गये. शालिनी से तो थमा ही नही गया और वो बिल्ली को देखते ही राजू की तरफ घूमी और कब वो राजू को लेकर गिर गयी उसे पता ही नही चला. इसे बार अपना राजू नीचे था और आस्प साहिबा उपर. “खड़े खड़े देख रहे थे कुछ कर नही सकते थे तुम.” शालिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई.
“आप ही ने तो कहा था की आपको किशी की मदद की ज़रूरात नही. मैने इसे लिए नही थमा आपको की कही मैं सस्पेंड ना हो जौन.”
“शूट उप चलो आगे बढ़ते हैं.”
“सॉरी मेडम…चलिए.”
……………………………………………………………
इधर मोहित जन्नत के नज़ारे ले रहा था. कविता के गरम गरम होंटो के बीच उसे अपना लंड बहुत खुशकिस्मत लग रहा था.
“बस कविता बस बहुत हो गया. अब जल्दी से ये जीन्स उतारो तुम्हारी चुत की गर्मी उतारनी है मुझे.”
“वो गर्मी कोई नही उतार पाया आज तक.” कविता ने हंसते हुवे कहा.
“मैं उतारूँगा अब चलो उतारो ये जीन्स.”
“यहा जंगल में जीन्स नही उतारुँगी मैं. थोड़ा सरका लेती हूँ.”
“जो भी करो जल्दी करो. मैं भड़क रहा हूँ.”
कविता जीन्स नीचे सरका कर मोहित के आगे घूम जाती है.
“लाते जाओ ना नीचे कमर के बाल.” मोहित ने कहा.
“नही नही कपड़े गंदे हो जाएँगे…ऐसे आराम से हो जाएगा तुम करो तो.”
“वो तो हो जाएगा लेकिन लेता कर लेने का मन था मेरा. चलो कोई बात नही डॉगी स्टाइल इस ऑल्वेज़ गुड.”
कविता झुकी हुई थी मोहित के आगे. बाकी का काम मिहित को करना था. मोहित ने लंड चुत पे रखा और ज़ोर से पुश किया. एक झटके में लंड चुत में सरक गया.
“रास्ता कुछ ज़्यादा ही स्मूद हैं तुम्हारी चुत का. लगता है बहुत लोग घूम चुके हैं यहा हे..हे..हे.”
“सिर्फ़ टीन घूमे हैं. हाँ वैसे वो तीनो बहुत बार घूमे हैं आअहह फक.” मोहित ने काम शुरू कर दिया था.
“एनीवे इट्स आ नाइस जुवैसी पुसी फॉर आ गुड फक.” मोहित ने लंड ढकैलते हुवे कहा.
“आंड यू गॉट सुपर्ब डिक फॉर आ ड्रीम फक.”
“ऐसा है क्या तो ये ले आअहह.” और मोहित ने अपने आगे झुकी कविता के अंदर लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी.
“आअहह यू अरे आ डॅम गुड फकर.”
“आंड यू अरे डॅम हॉट स्लट.”
“ऑफ कोर्स…आआहह फक मे हार्डर.”
मोहित कुछ देर तक कविता की चुत ठोकता रहा. अचानक उसने सोचा, “इशे कोई मज़ा तो चखाया ही नही. ऐसा कराता हूँ इश्कि गान्ड में डालता हूँ. फिर पता चलेगा की मुझसे पंगा लेने का क्या मतलब है. सारा मामला बिगाड़ दिया आज ईसणे.”
मोहित ने लंड चुत से निकाला और तुरंत गान्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से पुश किया. इसे से पहले कविता कुछ समझ पाती मोहित के लंड का मूह गान्ड में घुस्स चुका था.
“नहियीईईईईईईईईई मैं अनल नही कराती अफ आअहह निकालो.”
“अब नही निकलेगा फँस गया है.” मोहित ने थोड़ा और पुश किया और आधा इंच और गान्ड में घुस्स गया.
“नो…ओह….नो प्लीज़ निकाल लो. बहुत पाईं हो रहा है नहियीईईईई आआआययययीीई.” मोहित ने थोड़ा और पुश कर दिया.
“तुमने ये छींख शुनि लगता है कोई मुसीबत में है.” शालिनी ने कहा.
“हन मेडम शुनि…किशी लड़की की छींख लगती है चलिए मेडम देखते हैं.”
दोनो आवाज़ की दिशा में बढ़ते हैं.
“नही प्लीज़ रहने दो आआहह.”
“आवाज़ नझडीक से ही आ रही है.” शालिनी ने सामने की झाड़ियों को हटाया तो दंग रह गयी. मोहित की पीठ थी उष्की तरफ इश्लीए शकल दीखाई नही दी. राजू भी मोहित को पहचान नही पाया. उन दोनो को यही लगा की रेप हो रहा है.
शालिनी बिना वक्त गवाए दबे पाँव से आगे बढ़ी और मोहित के सर के पीछे बंदूक रख दी.
“छोड़ दो उसे वरना भेजा उसा दूँगी…अपने हाथ उपर करो.” शालिनी ने कड़क आवाज़ में कहा.
मोहित की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी. उसने हाथ खड़े कर लिए. लेकिन उष्का लंड अभी भी कविता की गान्ड में फँसा था.
राजू आगे बढ़ता है और कविता से कहता है, हट जाओ आप एक तरफ झुकी ही रहेंगी क्या. हम आ गये हैं अब.” कह कर वो मोहित की तरफ देखता है.
“गुरु तुम! रेप कब से करने लगे तुम?”
“जानते हो तुम इशे?” शालिनी ने पूछा.
“हन मेडम ये मेरा दोस्त है. लेकिन अब बहुत शर्मिंदगी हो रही है इशे दोस्त कहते हुवे.”
“ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो ये यू ही छील्ला रही थी.”
“अछा यू ही क्यों छील्लवँगी मैं. ज़बरदस्ती डाल रहे थे गान्ड में तुम.”
“आप हट तो जाओ पहले यहा से.” राजू ने कहा.
“ये बाहर निकालेगा तभी ना.”
“गुरु तमासा बंद करो हमारी आस्प साहिबा हैं साथ में. जल्दी से अपनी हालत ठीक करो.” राजू ने कहा.
“मेरे सर से बंदूक तो हटवाओ.” मोहित ने कहा.
राजू शालिनी की तरफ देखता है. शालिनी बंदूक हटा कर घूम जाती है ताकि उसे कुछ अश्लील दृश्या ना दीखे.
मोहित कविता की गान्ड से लंड बाहर निकालता है.
“अफ बहुत टाइट है भाई ग़लती करली फँसा कर इसमे.” मोहित ने कहा.
“कुछ बोलो मत मेडम गोली मार देंगी तुम्हे गुस्सा आ गया तो.” राजू ने कहा.
“मज़ाक कर रहे हो.”
“नही सच बोल रहा हूँ. बहुत कड़क ऑफीसर हैं.”
“ओक”
मोहित और कविता दोनो अपने कपड़े ठीक करते हैं. शालिनी घूमती है और कहती है, “हे लड़की सच सच बताओ क्या ये रेप कर रहा था तुम्हारा. इशे अभी जैल में डाल दूँगी.”
“नही मेडम रेप तो नही कर रहा था. मैं खुद इशके साथ आई थी.”
“फिर इतना छील्ला क्यों रही थी.”
“मैने कभी अनल नही किया इश्लीए दर्द हो रहा था.”
“ठीक है…ठीक है…राजू इन दोनो से कहो दफ़ा हो जायें यहा से बेकार में हमारा वक्त बर्बाद किया”
“नहियीईईईईईईईईई कोई है वाहा बंदूक तां न्यू एअर है इसे तरफ उसने.” कविता छील्लाई.
राजू ने तुरंत देखा उष तरफ. एक नकाब पॉश ने शालिनी को निशाना बना रखा था. गोली उष्की बंदूक से निकल चुकी थी. राजू फौआं शालिनी की तरफ कूड़ा और उसे ले कर ज़मीन पर गिर गया. एक बार फिर राजू शालिनी के उपर था. शालिनी ने तुरंत उशी दिशा में फिरे किया. लेकिन नकाब पॉश भाग चुका था.
“हटो भी अब. मेरे उपर ही पड़े रहोगे क्या तुम.” शालिनी ने राजू को धक्का दिया.
“सॉरी मेडम अगर मैं वक्त पर आपको ना गिराता तो गोली लग जाती आपको.” राजू ने कहा.
शालिनी ने राजू की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही.
“एक बार फिर बच गया कमीना.” शालिनी ने इरिटेटेड टोने में कहा.
तब तक पुलिस पार्टीस भी वाहा पहुँच गयी. पूरे जंगल को छान मारा गया. लेकिन वो नकाब पॉश कही नही मिला.
मोहित और कविता बाएक पर जंगल से निकल गये. शालिनी राजू के साथ ही पुलिस स्टेशन की तरफ चल दी.
“एक दम निक्कामी पुलिस फोर्स है हमारी. एक तो देर से पहुँचे उपर से कुछ नही ढुंड पाए जंगल में.” शालिनी ने कहा.
“पर एक बात है मेडम. वो नकाब पॉश ज़रूर साएको ही है. वो वापिस आ गया है अब. जैसे बेखौफ़ हो कर वो गोली चला रहा था उष से तो यही लगता है की ये साएको ही है.”
“सही कह रहे हो राजवीर तुम. पर एक अहसान कर दिया तुमने हम पर आज.”
“वो क्या मेडम?”
“हमारी जान बचाई तुमने आज शुकरिया तुम्हारा. उष वक्त मैं कुछ बोल नही पाई थी.”
“मेरे होते हुवे आपका कोई बाल भी बांका नही कर सकता मेडम. इसे साएको की तो वात लगानी है मुझे.”
राजू की बाते शन कर एक हल्की सी मुश्कान शालिनी के होंटो पे बिखर गयी. राजू ने उशके होनटे पर मुश्कान देख ली और बोला, “पहली बार आपको हंसते हुवे देख रहा हूँ मेडम.”
“मैं भी इंसान ही हूँ कोई पठार नही हूँ.”
“मेडम अगर ये साएको ही है तो हमें चोककन्ना रहना होगा अब. इसे बार ये हाथ से निकलना नही चाहिए.”
“तुम्ही लोगो को करना है ये काम.”
“मेडम वो सर्विस रिवॉलव ज़रूर दिला दीजिए. आज मेरे हाथ में भी होती तो भेजा उसा देता मैं उष्का.”
“मिल जाएगी आज शाम तक तुम्हे” शालिनी ने कहा.
हिरनी जैसी चाल थी उष्की, होंटो पर मुश्कान थी उष्की.
चलती थी बाल खा कर वो, हर अदा एक तूफान थी उष्की.
मृज्नेयनी से न्यन थे उशके, नखरे की ठीकी धार थी उष्की
प़ड़्मिनी अरोरा नाम था उष्का, बस इतनी सी पहचान थी उष्की.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 27
“ओक गोयिंग, मैं हाथ में फूल ले कर इंतज़ार करूँगा वाहा तुम्हारा. तुम कब आओगी.”
“हेल इस फॉर यू, नोट फॉर मे…गेट लॉस्ट.”
“बहुत गरम हो भाई, कसम से बदन जल जाएगा मेरा जब मैं तुमसे लिपटुँगा.”
“जाते हो की नही तुम. मुझे पिक्चर देखने दो.”
“जा रहा हूँ जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपका.”
कविता लगातार मोहित को ही देख रही थी. लेकिन वो उसे इग्नोर करके सीधा बाहर आ गया. उसने अपनी बाएक पर बैठ कर बाएक स्टार्ट की ही थी के उसे कविता आती दीखाई थी.
“आ गयी चुत पारोशने वाली क्या करूँ इश्का. जल्दी निकलता हूँ यहा से”
लेकिन कविता तो तेज़ी से आकर उशके पीछे बैठ गयी.
“अछा किया तुमने जो बाहर आ गये. चलो कही और चलते हैं जहा सिर्फ़ हम तुम हो”
“तुम ऐसे नही मानोगी. चल तेरी चुत की आग बुझाता हूँ आज.” मोहित बाएक स्टार्ट करते हुवे बोला.
“मैं तो कब से तड़प रही हूँ…बुझाओ ना.”
“आज तुझे पता चलेगा की तूने ग़लत बंदे को पारोष दी चुत अपनी. बहुत बुरी तरह खाता हूँ मैं.”
“ही राम मैं तो मार ही जवँगी. जैसे भी खाना खाना ज़रूर.”
“ठरकी हो तुम…ठरकी”
“ये ठरकी क्या होता है?” कविता ने पूछा.
“खुद को समझ लॉगी तो ठरकी का मतलब जान जाओगी”
“बहुत अकेली थी मैं कुछ दीनो से. तुम मिले तो बहार आ गयी.”
“क्या हुवा तुम्हारे बॉय फ्रेंड का?”
“ब्रेक उप हो गया बताया ना.”
“ओह हाँ तो कोई और बॉय फ्रेंड ढुंड लो.”
“ढुंड तो लिया… तुम हो ना”
“मैं बिल्कुल नही हूँ समझ लो अच्छे से”
“कोई बात नही आज के लिए तो हो ही.”
“बिल्कुल बिल्कुल ये ठीक है”
मोहित का घर वैसे खाली था. लेकिन वो कविता को घर नही ले जाना चाहता था. क्योंकि उसे दर था की कही रोज ना तपाक पड़े वो उशके घर. इश्लीए मोहित ने बाएक घने जुंगलो की तरफ मोड़ ली.
“जंगल में मंगल करोगे तुम?” कविता ने पूछा.
“बिल्कुल तुम्हारे जैसी वाइल्ड नेचर की लड़की के लिए ये जंगल ही ठीक है.”
मोहित ने बाएक जंगल में घुस्सा दी और रोक दी. “ज़्यादा अंदर नही जाएँगे यही सड़क के नझडीक ठीक रहेगा.”
“तोड़ा तो आगे चलो…सड़क के किनारे दर लगेगा मुझे.”
मोहित ने बाएक वही खड़ी कर दी और कविता का हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे आ गया जंगल में.
“कुछ भयानक सा सन्नाटा है यहा. तुम मुझे अपने घर नही ले जा सकते थे क्या? दर लग रहा है मुझे यहा.” कविता ने कहा.
“डरने की क्या बात है. मैं हूँ ना साथ में.”
“फिर भी दर लग रहा है मुझे. प्लीज़ मुझे कही और ले चलो.”
“पहले तो बड़ी बेचैन हो रही थी चुत ठुकवाने के लिए…अब तुम्हे दर लग रहा है.”
“देखो मुझे पता नही क्यों कुछ अहसास हो रहा है की यहा कुछ गड़बड़ है. देखो ना अजीब सी खामोसी और सन्नाटा है यहा. मेरी बात मानो चलो यहा से.”
“जंगल ऐसे ही होते हैं. यहा कोई बंद बाजा तो लेकर घूमेगा नही तुम्हारे लिए. अब यहा आ गये हैं तो काम करके ही जाएँगे. भड़का दिया है तुमने मुझे अब भुगत्ो.”
“वो तो मैं भुगत लूँगी पर मेरा यकीन करो यहा कुछ अजीब लग रहा है मुझे.”
“कुछ अजीब नही है. जल्दी से ये जीन्स नीचे सरकाओ और जो पोज़िशन तुम्हे कंफर्टबल लगे लगा लो. मेरा लंड तैयार है आपके लिए.” मोहित ने लंड बाहर खींच लिया.
“इतना प्यारा लंड दीखाओगे तो कोई कैसे थामेगा खुद को. मुझे दर तो लग रहा है. तुम कहते हो तो ठीक है. लेट्स दो इट क्विक्ली.”
“क्विक्ली नही देवी जी. अब जब आपने भड़का दिया है मुझे तो बहुत तस्सल्ली से लूँगा तुम्हारी मैं…जल्दी फ्री नही होने वाली तुम.”
“तो फिर घर ले जाते ना मुझे यहा क्यों लाए हो. ये जंगल क्या तस्सल्ली से करने की जगह है.”
“तू ख़ामा खा दर रही है. पूरी तरह सेफ है ये जंगल.”
“तुम इतने विश्वास से कैसे कह सकते हो.”
मोहित के पास कोई जवाब नही था.
…………………………………………………
राजू शालिनी के साथ जीप में निकल चुका था. वो ड्राइव कर रहा था और शालिनी साथ बैठी थी.
“ट्रैनिंग कैसी चल रही है तुम्हारी.”
“जी मेडम बिल्कुल ठीक चल रही है. चौहान जी बहुत अच्छे से सीखा रहे हैं मुझे.” राजू ने कहा.
“गुड. प़ड़्मिनी को मेरे पास ला कर अछा किया था तुमने.”
“हन मेडम. मुझे यकीन था की आप सच को समझेंगी. आप ही के कारण तो ये नौकरी मिली है मुझे. मैं तो चक्कर लगा लगा कर तक गया था. आप ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी ना होती.”
“ईमानदारी से ड्यूटी करना हमेशा. पुलिस में आकर बिगड़ जाते हैं लोग अक्सर.”
“आपको शिकायत का मोका नही दूँगा मेडम. वैसे सहर में कहा जाना चाहेंगी आप”
“वैसे ही रौंद लेने का मन था. पूरे सहर का चक्कर लगाना है मुझे.”
“मेडम जी एक बात पुंचू बुरा ना माने तो.”
“हन पूछो?”
“आप पुलिस में कैसे आ गयी.”
“कैसे आ गयी मतलब. सिविल सर्विस का एग्ज़ॅम पास करके आई हूँ.”
“सॉरी मेडम मेरा मतलब ये था की क्या आपका इंटेरेस्ट था पुलिस में या फिर….”
“इफ्स बन-ना चाहती थी मैं तो बन गयी इप्स पर कोई बात नही तीस इस गुड सर्विस.”
“मेरी तो हमेशा से इचा थी पुलिस में आने की आपके कारण सपना साकार हुवा मेरा. आपका अहसान जींदगी भर नही भूलूंगा मैं.”
“ये कहा आ गये हम ये तो दोनो तरफ जंगल है.” शालिनी ने कहा.
“हन मेडम ये बहुत बड़ा जंगल है. इशी रोड पर हादसा हुवा था प़ड़्मिनी जी के साथ.”
“ओह हाँ याद आया. पहली बार आई हूँ मैं इसे तरफ.”
“बहुत बड़ा जंगल है मेडम ये सहर के बीच में. करिमिनल लोग अछा फ़ायडा उठाते होंगे इश्का.”
“बिल्कुल सही कह रहे हो. ऐसे शुन्सान जंगल अक्सर कराइम का अड्डा बन जाते हैं. वो…वो…कौन हैं जंगल में.”
राजू फ़ौरन जीप रोक देता है.
“कहा मेडम…मुझे कुछ दीखाई नही दिया.”
“नही मैने देखा अभी एक साए को इसे तरफ. शायद उसने भी हमें देखा. वो चुप गया है शायद. चलो देखते हैं.” शालिनी जीप से उतार जाती है.
“क्या देख लिया इन मेडम साहिबा ने मुझे कुछ दीखाई नही दिया.” राजू जीप से उतराते वक्त बड़बड़ाया.
शालिनी ने अपनी सर्विस पिस्टल निकाल ली और बोली, “कौन है वाहा बाहर आ जाओ वरना गोली मार दूँगी.”
“किशी जुंगली जानवर को ना मार दे ये कयामत. बैठे बीतए मुसीबत हो जाएगी.”
“मेडम शायद कोई जानवर होगा?”
“शूट उप यू ईडियट. मेरी आँखे धोका नही खा सकती. मैने देखा था किशी को….हे कौन हो तुम बाहर आओ.”
बाहर तो कोई नही आया लेकिन एक गोली तेज़ी से शालिनी की और आई और उशके सर के बिल्कुल बाजू से निकल गयी. शालिनी फ़ौरन ज़मीन पर लाते गयी. राजू के पास तो कुछ था नही. वो जीप के पीछे चुप गया.”मेडम सही कह रही थी. कौन है ये बंदा जो सारे आम पुलिस पर गोली चला रहा है.”
शालिनी धीरे धीरे झुके झुके हाथ में पिस्टल लिए आगे बढ़ रही थी. शालिनी ने फिरे किया. फिरे होते ही किशी के भागने की आहत हुई. राजू भी नीचे झुक कर धीरे धीरे शालिनी के पास आ गया.
“आप सही कह रही थी मेडम”
“मैं हमेशा सही कहती हूँ. आगे से मेरी स्टेट्मेंट पर डाउट किया तो सस्पेंड कर दूँगी”
“नही करूँगा मेडम. बिल्कुल नही करूँगा. लगता है वो भाग गया.”
“मेरे उपर गोली चलाने वाले को मैं छोड़ूँगी नही…चलो पकड़ते हैं उशे.”
“मेडम हम सिर्फ़ 2 हैं. और लोगो को बुला लॅंड क्या.”
“हन चौहान को फोन करो…तब तक हम कोशिस करते हैं उसे पकड़ने की.”
“मेडम देख लो ये जंगल है. वो छुपा बैठा होगा कही और हमें निशाने पर ले लेगा. मेरे पास तो कुछ भी नही है. अभी तक सर्विस पिस्टल नही मिली मुझे.”
“तुम मेरे पीछे पीछे आओ मैं हूँ ना साथ”
राजू चौहान को फोन कराता है और उसे सारी सिचुयेशन बता देता है. वो कहता है की 20 मिनिट में पुलिस की 2 पार्टीस पहुँच जाएँगी वाहा.
“मेडम कही ये साएको ही तो नही है. बिना सोचे समझे पुलिस पर गोली चला दी ईसणे. ऐसा कोई पागल ही कर सकता है. उसे बाहर आने को ही तो बोल रही थी आप. कुछ और तो नही कहा था उशे.”
“सही कह रहे हो शायद ये साएको ही है.” शालिनी का ध्यान बोलते वक्त भटक जाता है और वो एक पठार से टकरा कर गिरने लगती है. राजू उसे संभालने की कोशिस कराता है लेकिन उष्का बॅलेन्स भी डगमगा जाता है और वो शालिनी को संभालने की बजाए उष्को साथ लेकर उशके उपर गिराता है. बहुत ही चिंता ज़नक और नाज़ुक स्थिति बन जाती है. आस्प साहिबा नीचे पड़ी है और अपना राजू उशके उपर.
“मेडम आपको चोट तो नही आई.”
“उतरो तो सही पहले मेरे उपर से तुम.”
राजू फ़ौरन एक तरफ़ लूड़क जाता है.
“क्या करना चाह रहे थे एग्ज़ॅक्ट्ली तुम.”
“सॉरी मेडम आप गिरने लगी थी. आपको थामने के चक्कर में मैं भी गिर गया.”
“आअहह कमर तोड़ दी तुमने मेरी. वैसे मैं बच जाती शायद…. स्टुपिड”
“सॉरी मेडम मैं तो बस…..”
“शूट उप… मुझे किशी की मदद की ज़रूरात नही कभी भी समझे तुम. आगे से ऐसा किया तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे.”
“मेरी तो नौकरी हर वक्त तलवार की धार पर लटकी है.” राजू धीरे से बड़बड़ाया.
“क्या कहा तुमने?”
“कुछ नही मैं सोच रहा था की किश तरफ गया होगा वो पोइसे पर गोली चलाने वाला. जंगल तो बहुत बड़ा है ये. हमें किश तरफ जाना चाहिए.”
“जीश तरफ मैं चलूंगी तुम उष तरफ चलोगे बस. बाकी बाते भूल जाओ.”
“कयामत से भी कुछ ज़्यादा है मेडम साहिबा संभाल कर रहना होगा इंशे वरना नौकरी गयी समझो.” राजू ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो चलो अब या फिर इन्विटेशन देना पड़ेगा तुम्हे”
“चलिए मेडम…आप मुझे पिस्टल दिलवा दीजिए एक ऐसे मोको पर ज़रूरात प़ड़ जाती है.”
“देखेंगे वापिस जा करो अभी चुपचाप आगे बढ़ो”
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“मेरा यकीन करो मैने गोली की आवाज़ शुनि अभी.”
“मुझे क्यों नही शुनि यार तुम थियेटर में तो बड़ी गर्मी दीखा रही थी यहा तुम्हारी चुत ठंडी प़ड़ गयी. अब देनी है तो दो वरना मैं चला. जीन्स भी नही सर्काय अब तक तुमने.”
“एक तो ऐसी जगह ले आए मुझे उपर से ऐसी बाते बोलते हो हा लाओ पहले तुम्हारा लंड चूस्टी हूँ मूड ठीक हो जाएगा मेरा. तुम आस पास नज़र रखना.”
कविता मोहित के आगे बैठ जाती है और उष्का लंड मूह में ले लेती है.
“आआहह फिणाली ई आम गेटिंग आ नाइस ब्लो जॉब इन कंप्लीट प्राइवसी.”
जंगल में कितनी प्राइवसी थी वो तो कुछ देर में पता लगने वाला था मोहित को
मोहित आँखे बंद किए पूरा पूरा मज़ा ले रहा था छुसाई का.
“मुझे नही पता था की ब्लो जॉब इतनी मस्त होती है. वाउ यू अरे ग्रेट कविता…आआहह शकइट बेबी.” मोहित ने कविता के सर पर हाथ रख दिया.
कविता ने मोहित का लंड मूह से निकाला और बोली, “कुछ शायरी ही कह दो मेरे लिए पूजा के लिए तो खूब कह रहे थे.”
“मैं कोई शायर नही हूँ. वो तो बस पूजा को पटाने की कोशिस कर रहा था. कोई रास्ता सुझाओ ना तुम. तुम तो फ्रेंड हो उष्की.”
“मैं कुछ नही कर सकती इसमें ये तो उशी पर निर्भर है.”
“चलो चोदा यू दो युवर ब्लो जॉब.”
“मुझसे दोस्ती रखोगे तो ऐसी ब्लो जॉब रोज मिलेगी तुम्हे.” कविता ने कहा और मोहित के लंड को मूह में ले लिया.
“एस आअहह कीप सकिंग.”
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शालिनी पिस्टल तने आगे बढ़ रही थी. राजू उशके पीछे पीछे था.
“कहा गया वो?” शालिनी ने कहा.
“इतना बड़ा जंगल है मेडम कही भी जा सकता है वो.”
“हर तरफ नज़र रखो तुम वो यही कही छुपा हो सकता है.”
“ठीक है मेडम मैं नज़र रखे हुवे हूँ.” राजू ने कहा.
अचानक कुछ हलचल होती है और शालिनी थम जाती है. राजू का ध्यान दूसरी तरफ रहता है वो सीधा आस्प साहिबा से टकराता है. उनका सर पेड़ की एक डाली से टकराता है और उनका पारा चढ़ जाता है. राजू के तो पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन निकल जाती है. उष से कुछ कहे नही बनता. चेहरा लटक जाता है बेचारे का.
“ध्यान कहा है तुम्हारा कभी मेरे उपर गिर ज्ाअतए हो कभी पीछे से टकरते हो. ये सारी की सारी गोलिया तुम्हारे भेजे में उतार दूँगी अभी. पता नही किश लंगूर को साथ ले आई मैं.”
“सॉरी मेडम मेरा ध्यान दूसरी तरफ था दाँत लीजिए मुझे जितना भी पर लंगूर मत कहिए.”
“क्यों ना काहु?”
“लंगूर मुझे अच्छे नही लगते किशी और जानवर का नाम दे दीजिए.” राजू ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“जीसस…चुप रहो अभी तुम. क्या तुम्हे कुछ हलचल शुनाई दी सामने की झाड़ियों में.”
“हन शुनाई तो द मेडम”
“बिल्कुल चुपचाप दबे कदमो से चलो आवाज़ मत करना कोई.”
“आवाज़ निकालने लायक चोदा है आपने जो आवाज़ करूँगा.” राजू धीरे से फुसफुसाया.
“कुछ कहा तुमने?”
“नही नही कुछ नही कहा..चलिए देखते हैं क्या हैं इन झाड़ियों में.” राजू ने धीरे से कहा.
शालिनी दबे पाँव पिस्टल तने झाड़ियों की और बढ़ी राजू बिल्कुल उशके पीछे था. झाड़ियों को हटाते हुवे शालिनी आगे बढ़ रही थी. झाड़ियों के पीछे कुछ और नही बल्कि एक जुंगली बिल्ली थी शालिनी को देखते ही वो भाग खड़ी हुई. बस दिक्कत ये रही की वो शालिनी के पाँव के बिल्कुल करीब से भागी. सब कुछ इतनी जल्दी हुवा की शालिनी और राजू थोड़ा सकपका गये. शालिनी से तो थमा ही नही गया और वो बिल्ली को देखते ही राजू की तरफ घूमी और कब वो राजू को लेकर गिर गयी उसे पता ही नही चला. इसे बार अपना राजू नीचे था और आस्प साहिबा उपर. “खड़े खड़े देख रहे थे कुछ कर नही सकते थे तुम.” शालिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई.
“आप ही ने तो कहा था की आपको किशी की मदद की ज़रूरात नही. मैने इसे लिए नही थमा आपको की कही मैं सस्पेंड ना हो जौन.”
“शूट उप चलो आगे बढ़ते हैं.”
“सॉरी मेडम…चलिए.”
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इधर मोहित जन्नत के नज़ारे ले रहा था. कविता के गरम गरम होंटो के बीच उसे अपना लंड बहुत खुशकिस्मत लग रहा था.
“बस कविता बस बहुत हो गया. अब जल्दी से ये जीन्स उतारो तुम्हारी चुत की गर्मी उतारनी है मुझे.”
“वो गर्मी कोई नही उतार पाया आज तक.” कविता ने हंसते हुवे कहा.
“मैं उतारूँगा अब चलो उतारो ये जीन्स.”
“यहा जंगल में जीन्स नही उतारुँगी मैं. थोड़ा सरका लेती हूँ.”
“जो भी करो जल्दी करो. मैं भड़क रहा हूँ.”
कविता जीन्स नीचे सरका कर मोहित के आगे घूम जाती है.
“लाते जाओ ना नीचे कमर के बाल.” मोहित ने कहा.
“नही नही कपड़े गंदे हो जाएँगे…ऐसे आराम से हो जाएगा तुम करो तो.”
“वो तो हो जाएगा लेकिन लेता कर लेने का मन था मेरा. चलो कोई बात नही डॉगी स्टाइल इस ऑल्वेज़ गुड.”
कविता झुकी हुई थी मोहित के आगे. बाकी का काम मिहित को करना था. मोहित ने लंड चुत पे रखा और ज़ोर से पुश किया. एक झटके में लंड चुत में सरक गया.
“रास्ता कुछ ज़्यादा ही स्मूद हैं तुम्हारी चुत का. लगता है बहुत लोग घूम चुके हैं यहा हे..हे..हे.”
“सिर्फ़ टीन घूमे हैं. हाँ वैसे वो तीनो बहुत बार घूमे हैं आअहह फक.” मोहित ने काम शुरू कर दिया था.
“एनीवे इट्स आ नाइस जुवैसी पुसी फॉर आ गुड फक.” मोहित ने लंड ढकैलते हुवे कहा.
“आंड यू गॉट सुपर्ब डिक फॉर आ ड्रीम फक.”
“ऐसा है क्या तो ये ले आअहह.” और मोहित ने अपने आगे झुकी कविता के अंदर लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी.
“आअहह यू अरे आ डॅम गुड फकर.”
“आंड यू अरे डॅम हॉट स्लट.”
“ऑफ कोर्स…आआहह फक मे हार्डर.”
मोहित कुछ देर तक कविता की चुत ठोकता रहा. अचानक उसने सोचा, “इशे कोई मज़ा तो चखाया ही नही. ऐसा कराता हूँ इश्कि गान्ड में डालता हूँ. फिर पता चलेगा की मुझसे पंगा लेने का क्या मतलब है. सारा मामला बिगाड़ दिया आज ईसणे.”
मोहित ने लंड चुत से निकाला और तुरंत गान्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से पुश किया. इसे से पहले कविता कुछ समझ पाती मोहित के लंड का मूह गान्ड में घुस्स चुका था.
“नहियीईईईईईईईईई मैं अनल नही कराती अफ आअहह निकालो.”
“अब नही निकलेगा फँस गया है.” मोहित ने थोड़ा और पुश किया और आधा इंच और गान्ड में घुस्स गया.
“नो…ओह….नो प्लीज़ निकाल लो. बहुत पाईं हो रहा है नहियीईईईई आआआययययीीई.” मोहित ने थोड़ा और पुश कर दिया.
“तुमने ये छींख शुनि लगता है कोई मुसीबत में है.” शालिनी ने कहा.
“हन मेडम शुनि…किशी लड़की की छींख लगती है चलिए मेडम देखते हैं.”
दोनो आवाज़ की दिशा में बढ़ते हैं.
“नही प्लीज़ रहने दो आआहह.”
“आवाज़ नझडीक से ही आ रही है.” शालिनी ने सामने की झाड़ियों को हटाया तो दंग रह गयी. मोहित की पीठ थी उष्की तरफ इश्लीए शकल दीखाई नही दी. राजू भी मोहित को पहचान नही पाया. उन दोनो को यही लगा की रेप हो रहा है.
शालिनी बिना वक्त गवाए दबे पाँव से आगे बढ़ी और मोहित के सर के पीछे बंदूक रख दी.
“छोड़ दो उसे वरना भेजा उसा दूँगी…अपने हाथ उपर करो.” शालिनी ने कड़क आवाज़ में कहा.
मोहित की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी. उसने हाथ खड़े कर लिए. लेकिन उष्का लंड अभी भी कविता की गान्ड में फँसा था.
राजू आगे बढ़ता है और कविता से कहता है, हट जाओ आप एक तरफ झुकी ही रहेंगी क्या. हम आ गये हैं अब.” कह कर वो मोहित की तरफ देखता है.
“गुरु तुम! रेप कब से करने लगे तुम?”
“जानते हो तुम इशे?” शालिनी ने पूछा.
“हन मेडम ये मेरा दोस्त है. लेकिन अब बहुत शर्मिंदगी हो रही है इशे दोस्त कहते हुवे.”
“ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो ये यू ही छील्ला रही थी.”
“अछा यू ही क्यों छील्लवँगी मैं. ज़बरदस्ती डाल रहे थे गान्ड में तुम.”
“आप हट तो जाओ पहले यहा से.” राजू ने कहा.
“ये बाहर निकालेगा तभी ना.”
“गुरु तमासा बंद करो हमारी आस्प साहिबा हैं साथ में. जल्दी से अपनी हालत ठीक करो.” राजू ने कहा.
“मेरे सर से बंदूक तो हटवाओ.” मोहित ने कहा.
राजू शालिनी की तरफ देखता है. शालिनी बंदूक हटा कर घूम जाती है ताकि उसे कुछ अश्लील दृश्या ना दीखे.
मोहित कविता की गान्ड से लंड बाहर निकालता है.
“अफ बहुत टाइट है भाई ग़लती करली फँसा कर इसमे.” मोहित ने कहा.
“कुछ बोलो मत मेडम गोली मार देंगी तुम्हे गुस्सा आ गया तो.” राजू ने कहा.
“मज़ाक कर रहे हो.”
“नही सच बोल रहा हूँ. बहुत कड़क ऑफीसर हैं.”
“ओक”
मोहित और कविता दोनो अपने कपड़े ठीक करते हैं. शालिनी घूमती है और कहती है, “हे लड़की सच सच बताओ क्या ये रेप कर रहा था तुम्हारा. इशे अभी जैल में डाल दूँगी.”
“नही मेडम रेप तो नही कर रहा था. मैं खुद इशके साथ आई थी.”
“फिर इतना छील्ला क्यों रही थी.”
“मैने कभी अनल नही किया इश्लीए दर्द हो रहा था.”
“ठीक है…ठीक है…राजू इन दोनो से कहो दफ़ा हो जायें यहा से बेकार में हमारा वक्त बर्बाद किया”
“नहियीईईईईईईईईई कोई है वाहा बंदूक तां न्यू एअर है इसे तरफ उसने.” कविता छील्लाई.
राजू ने तुरंत देखा उष तरफ. एक नकाब पॉश ने शालिनी को निशाना बना रखा था. गोली उष्की बंदूक से निकल चुकी थी. राजू फौआं शालिनी की तरफ कूड़ा और उसे ले कर ज़मीन पर गिर गया. एक बार फिर राजू शालिनी के उपर था. शालिनी ने तुरंत उशी दिशा में फिरे किया. लेकिन नकाब पॉश भाग चुका था.
“हटो भी अब. मेरे उपर ही पड़े रहोगे क्या तुम.” शालिनी ने राजू को धक्का दिया.
“सॉरी मेडम अगर मैं वक्त पर आपको ना गिराता तो गोली लग जाती आपको.” राजू ने कहा.
शालिनी ने राजू की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही.
“एक बार फिर बच गया कमीना.” शालिनी ने इरिटेटेड टोने में कहा.
तब तक पुलिस पार्टीस भी वाहा पहुँच गयी. पूरे जंगल को छान मारा गया. लेकिन वो नकाब पॉश कही नही मिला.
मोहित और कविता बाएक पर जंगल से निकल गये. शालिनी राजू के साथ ही पुलिस स्टेशन की तरफ चल दी.
“एक दम निक्कामी पुलिस फोर्स है हमारी. एक तो देर से पहुँचे उपर से कुछ नही ढुंड पाए जंगल में.” शालिनी ने कहा.
“पर एक बात है मेडम. वो नकाब पॉश ज़रूर साएको ही है. वो वापिस आ गया है अब. जैसे बेखौफ़ हो कर वो गोली चला रहा था उष से तो यही लगता है की ये साएको ही है.”
“सही कह रहे हो राजवीर तुम. पर एक अहसान कर दिया तुमने हम पर आज.”
“वो क्या मेडम?”
“हमारी जान बचाई तुमने आज शुकरिया तुम्हारा. उष वक्त मैं कुछ बोल नही पाई थी.”
“मेरे होते हुवे आपका कोई बाल भी बांका नही कर सकता मेडम. इसे साएको की तो वात लगानी है मुझे.”
राजू की बाते शन कर एक हल्की सी मुश्कान शालिनी के होंटो पे बिखर गयी. राजू ने उशके होनटे पर मुश्कान देख ली और बोला, “पहली बार आपको हंसते हुवे देख रहा हूँ मेडम.”
“मैं भी इंसान ही हूँ कोई पठार नही हूँ.”
“मेडम अगर ये साएको ही है तो हमें चोककन्ना रहना होगा अब. इसे बार ये हाथ से निकलना नही चाहिए.”
“तुम्ही लोगो को करना है ये काम.”
“मेडम वो सर्विस रिवॉलव ज़रूर दिला दीजिए. आज मेरे हाथ में भी होती तो भेजा उसा देता मैं उष्का.”
“मिल जाएगी आज शाम तक तुम्हे” शालिनी ने कहा.
हिरनी जैसी चाल थी उष्की, होंटो पर मुश्कान थी उष्की.
चलती थी बाल खा कर वो, हर अदा एक तूफान थी उष्की.
मृज्नेयनी से न्यन थे उशके, नखरे की ठीकी धार थी उष्की
प़ड़्मिनी अरोरा नाम था उष्का, बस इतनी सी पहचान थी उष्की.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 27