हम जल्दी जल्दी लाषो का मुआीना करने लगे. बदबू तेज़ से और तेज़ होती जा रही थी. उसमे से कितने लाशें तो जमाने के बावजूद सड़ने लगी थी.
“नेहा…यह वाली लाश ठीक रहेगी.” मैने नेहा को एक बूढ़े मरियल आदमी की सदी हुई लाश नेहा को दिखाई.
“ईएववववव……यक!!!….इस बूढ़े के लाश पे मैं कुछ नही सीखूँगी…” नेहा ने मूह बनाते हुए कहा.
अरे अब लाश की चीड़ फाड़ मे कौन सी चाय्स होता है भला. खैर मैं और लाषो के चहे से सफेद कपड़ा उठा उठा के देखने लगा.
“यह वाली कैसी रहेगी…” मैने नेहा को एक अच्च्ची हालत मे न्यू एअर हुई लाश दिखाई. वो सबसे अलग थलग न्यू एअर हुई थी.
“यह तो किसी बच्ची की लाश है…इसकी उमर कोई दस बारह साल की होगी.” नेहा ने अपना मास्क थोड़ा अड्जस्ट करते हुए कहा.
“तो चलो इस लड़की की चीड़ फाड़ करते है…” मैने कहते हू ग्लव्स पहना और अपने जेब से सिसर्स और मेडिकल नाइफ निकल ली.
“पर यह तो एक बच्ची है….” नेहा ने बोला.
“पर मारी हुई….” मैने कहा.
“फिर भी इंसानियत के नाते…” उसने बोला तो मैने उसको घूर के देखा…वो चुप हो गयी, “ठीक है बाबा चलो इसी की चीड़ फाड़ करते है…” उसने आख़िरकार कहा.
मैने सिसर्स से लाश की छाती फाड़ते हुए नेहा को अंदर फेफड़े और डिल दिखाया. जो जो मुझे प्रोफेसर ने सिखाया था वैसे ही मैं नेहा को बोलने लगा.
नेहा की तो सिट्टी पिटी गुम थी. लाश को चीराते देख उसको उल्टी आने लगी.
“चलो अब तुम लाश का पेट फाड़ के उसकी ‘विसरा’ भर निकालो…मई ज़रा अपना हाथ धो कर आता हू…” मैने उसे अपने खून से साने हाथ को दिखाया.
“अरे कहा जाओगे हाथ ढोने…?” नेहा ने अचानक से पूछा.
“अरे यार बस बाहर नाल लगा है वही से धो कर…तुम जल्दी अपना काम करो, बहुत रात हो गयी है.”
मई बाहर आ गया और नाल के पास जा कर अपने हाथ ढोने लगा. साला मेडिकल लाइन मे यही डिकाट है, पर जब इस लाइन मे आ ही गये है तो अपना डिल मजबूत करना ही पड़ता है. इसमे आपको ऐसे ऐसे काम करने पड़ेंगे जो आपने कभी सोचा भी नही हो.
खैर मैं बस अपने ग्लव्स सॉफ कर ही रहा था तभीइ….
“ईईएईईईईईईईईईईईईई……………………..” अंदर से नेहा की तेज़ चीख सुनाई दी.
मई भाग के अंदर पहुचा, “क्या…क्या हुआ नेहा…चिल्लाई क्यू तुम ?”
“इस…इस..ला..लाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया था…”
मई नेहा की बात सुन कर भौचक्का रह गया.
मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
“वत्फ़ नेहा….यह क्या कह रही हो….ऐसा भी कभी हो सकता है क्या…”
“सच्ची निखिल….मई झूठ क्यू बोलूँगी…” नेहा ने सीधे मेरे आंको मे देखते हुए कहा.
“मई कब कह रहा हूट उम झूट बोल रही हो….हो सकता है वो तुम्हारा वहाँ हो…”
“वहाँ नही था निखिल….यह देखो…” नेहा ने मुझे अपनी कलाई दिखाई. उसकी गोरे गोरे कलाई पर लाल निशान बन गये थे.
“यह कैसे हुआ…?” मैने पूछा.
“मई कह रही हू ना की इस लाश ने बड़ी ज़ोर से मेरी कलाई अभी पकड़ ली थी….”
अब मैं क्या काहु…कुछ समझ मे नही आ रहा था. एक लाश किसी का हाथ कैसे पकड़ सकती है.
“नेहा हो सकता है तुमने अपनी घड़ी टाइट बाँधी हो इसीलिए यह दाग प़ड़ गया हो….अब तुम जल्दी से अपना काम ख़त्म करो मैं अपने ग्लव्स धो के आता हू…”
“प्लीज़ निखिल मुझे अकेला मत छोड़ो….देखो तुमने प्रॉमिस किया था…..मुझे यह आपे बहुत ड्ऱ लग रहा है…”
“अरे मैं तुम्हे अकेला कहा छोड़ रहा हू…बस थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हू…अब तुम जल्दी से अब्डोमन मे चीरा लगाओ और गॉल ब्लॅडर निकल के रखना….”
इस बार मैने नेहा की बात सुने बगैर बाहर निकल गया.
जो भी अभी हुआ उसने मुझे भी एक पल के लिए डरा दिया था. पर अभी शायद यह कुछ नही था, जब मैने फिर से नेहा की चीख सुनी….
अब क्या हो गया? मेरा डिल भी ज़ोरो से घबरा रहा था. मैं फिर से भाग के अंदर गया तो देखा की नेहा दीवाल के एक तरफ सिमटी खड़ी है.
“अब क्या हुआ यार..?”
“निखिल इस लाश के साथ ज़रूर कुछ गड़बड़ है…मेरा विश्वास करो मैने इसको अभी साँस लेता महसूस किया…इसकी नाक से हवा अंदर बाहर जा रही थी और इसकी च्चती भी उपर नीचे हो रही थी…”
नेहा के मूह से ऐसी बातें सुन कर मेरे पैरो तले ज़मीन खिशकगयी. मैं लाश के पास गया तो मैने देखा की उसके फेफड़े तो मैने पहले ही बाहर निकल दिए है, तो कोई साँस कैसे ले सकता है. और अब तो लाश की साँसें भी नही चल रही थी. क्या नेहा मुझे डरने की कोशिश कर रही है? जैसे थोड़ी देर पहले मैने की थी……
“देखो नेहा तुम यहा पहली बार आई हो…इसीलिए तुम्हे घबराहट मे वहाँ हो रहा है…तुम जल्दी से अपना काम करो इस बार मैं बाहर नही ज़ाऊगा…ओक”
मेरे दिलासा देने पर नेहा मन गयी. मैं वही खड़े खड़े देख रहा था. नेहा धीरे धीरे लाश का गॉल ब्लॅडर और लाइवर निकलना सीख गयी.
“अब तो ठीक है ना जानू….बस तुम इंटेस्टिन्स भी निकल के रखो मैं बस हाथ धो कर आता हू…” अभी तक मेरे हाथो पे सूख चुके खून को मैं धो नही पाया था. जब भी बाहर जाता तो नेहा चीख देती.
खैर मैं जैसे ही मुड़ा पीछे बाहर जाने के लिए वैसे ही…
“नाहहिईीई…….ओह माई गोद तीस इस इंपॉसिबल…” नेहा चिल्लाई
“सच्ची निखिल….मई झूठ क्यू बोलूँगी…” नेहा ने सीधे मेरे आंको मे देखते हुए कहा.
“मई कब कह रहा हूट उम झूट बोल रही हो….हो सकता है वो तुम्हारा वहाँ हो…”
“वहाँ नही था निखिल….यह देखो…” नेहा ने मुझे अपनी कलाई दिखाई. उसकी गोरे गोरे कलाई पर लाल निशान बन गये थे.
“यह कैसे हुआ…?” मैने पूछा.
“मई कह रही हू ना की इस लाश ने बड़ी ज़ोर से मेरी कलाई अभी पकड़ ली थी….”
अब मैं क्या काहु…कुछ समझ मे नही आ रहा था. एक लाश किसी का हाथ कैसे पकड़ सकती है.
“नेहा हो सकता है तुमने अपनी घड़ी टाइट बाँधी हो इसीलिए यह दाग प़ड़ गया हो….अब तुम जल्दी से अपना काम ख़त्म करो मैं अपने ग्लव्स धो के आता हू…”
“प्लीज़ निखिल मुझे अकेला मत छोड़ो….देखो तुमने प्रॉमिस किया था…..मुझे यह आपे बहुत ड्ऱ लग रहा है…”
“अरे मैं तुम्हे अकेला कहा छोड़ रहा हू…बस थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हू…अब तुम जल्दी से अब्डोमन मे चीरा लगाओ और गॉल ब्लॅडर निकल के रखना….”
इस बार मैने नेहा की बात सुने बगैर बाहर निकल गया.
जो भी अभी हुआ उसने मुझे भी एक पल के लिए डरा दिया था. पर अभी शायद यह कुछ नही था, जब मैने फिर से नेहा की चीख सुनी….
अब क्या हो गया? मेरा डिल भी ज़ोरो से घबरा रहा था. मैं फिर से भाग के अंदर गया तो देखा की नेहा दीवाल के एक तरफ सिमटी खड़ी है.
“अब क्या हुआ यार..?”
“निखिल इस लाश के साथ ज़रूर कुछ गड़बड़ है…मेरा विश्वास करो मैने इसको अभी साँस लेता महसूस किया…इसकी नाक से हवा अंदर बाहर जा रही थी और इसकी च्चती भी उपर नीचे हो रही थी…”
नेहा के मूह से ऐसी बातें सुन कर मेरे पैरो तले ज़मीन खिशकगयी. मैं लाश के पास गया तो मैने देखा की उसके फेफड़े तो मैने पहले ही बाहर निकल दिए है, तो कोई साँस कैसे ले सकता है. और अब तो लाश की साँसें भी नही चल रही थी. क्या नेहा मुझे डरने की कोशिश कर रही है? जैसे थोड़ी देर पहले मैने की थी……
“देखो नेहा तुम यहा पहली बार आई हो…इसीलिए तुम्हे घबराहट मे वहाँ हो रहा है…तुम जल्दी से अपना काम करो इस बार मैं बाहर नही ज़ाऊगा…ओक”
मेरे दिलासा देने पर नेहा मन गयी. मैं वही खड़े खड़े देख रहा था. नेहा धीरे धीरे लाश का गॉल ब्लॅडर और लाइवर निकलना सीख गयी.
“अब तो ठीक है ना जानू….बस तुम इंटेस्टिन्स भी निकल के रखो मैं बस हाथ धो कर आता हू…” अभी तक मेरे हाथो पे सूख चुके खून को मैं धो नही पाया था. जब भी बाहर जाता तो नेहा चीख देती.
खैर मैं जैसे ही मुड़ा पीछे बाहर जाने के लिए वैसे ही…
“नाहहिईीई…….ओह माई गोद तीस इस इंपॉसिबल…” नेहा चिल्लाई
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Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
मैने अपना माता पीट लिया, “अब क्या हुआ मेरी मा…???”
“निखिल….इस लाश ने अभी अपनी आँखे खोली थी….बड़ी दरवानी आँखे थी उसकी….वो सेधे मेरी ओर घूर रही थी…” नेहा काँपते हुए बोली.
मेरा दिमाग़ खराब हो गया, “नेहा तुम पागल हो गयी हो…”
“निखिल प्लीज़ मुझे लग रहा है की इस लाश के साथ कुछ तो गड़बड़ है…देखो इसीलिए यह बाकी लाषो से अलग थलग न्यू एअर हुई है….प्लीज़ हम अपना प्रकतिक्ले दूसरी लाश पर करते है…” नेहा गिड गिदाने लगी.
“देखो नेहा यह कोई मज़ाक नही है….यह डेड बॉडीस हॉस्पिटल की प्रॉपर्टी है…हमे बस एक ही लाश अलॉट हुई है…हम किसी और लाश पे अब प्रकतिक्ले नही कर सकते…”
“निखिल… अब तो मुझे लगता है यह लाश मुझे मार डालेगी…” नेहा का गला रुआसा हो गया.
पर मुझे इस बात पर यकीन नही था. मैने गुस्से मे अपने दाँत पीस कर कहा, “नेहा बहुत हो क्या तुम्हारा ड्रामा…रात बहुत हो गयी है…तुम जल्दी से अपना प्रकतिक्ले पूरा करो मैं हाथ धो कर आता हू…” मैने बिना उसके जवाब के इंतेज़ार किए बाहर जाने लगा.
“निखिल…प्लीज़ मत जाओ…………” नेहा की आंको मे आँसू मैं देख ही ना पाया और उसकी बातो को नज़रअंदाज़ कर के बाहर आ गया.
नाल पे मैने सूखे खून को जम कर सॉफ किया और फिर स्पिरिट से अपना हाथ सॉफ करने लगा.
बहुत देर हो गयी नेहा की कोई चीख नही सुनाई दी…मैने रहट की साँस ली. अपना काम ख़त्म करने के बाद जब मैं मुर्दा घर के अंदर गया तो वाहा नेहा नही थी.
“नेहा……नेहा……नेहा….” मैने चारो तरफ पुकारा, पर कोई जवाब नही आया.
कहा चली गयी नेहा, बाहर जाने का तो बस एक ही रास्ता है वाहा पर तो मैं अपना हाथ धो रहा था. अगर नेहा बाहर गयी होती तो मुझे पता चल जाता.
“नेहा…..नेहा….नेहा….” मैने फिर चिल्लाया, पर कोई जवाब नही.
अब मुझे चिंता होने लगी, मैं आनन फानन मे नेहा को इधर उधर ढूँढने लगा पर वो मुझे कही नही दिखाई दी.
अचंक मुझे उसी लाश के पास एक और बेड दिखा जहा नेहा प्रकतिक्ले कर रही थी.
यह बेड तो पहले यहा नही था…मैने सोचा. जब मैं वाहा गया तब उस नयी लाश पे सफेद कपड़ा पड़ा हुआ था.
जब मैने कपड़ा हटाया तो वो लाश नेहा की थी…
“निखिल….इस लाश ने अभी अपनी आँखे खोली थी….बड़ी दरवानी आँखे थी उसकी….वो सेधे मेरी ओर घूर रही थी…” नेहा काँपते हुए बोली.
मेरा दिमाग़ खराब हो गया, “नेहा तुम पागल हो गयी हो…”
“निखिल प्लीज़ मुझे लग रहा है की इस लाश के साथ कुछ तो गड़बड़ है…देखो इसीलिए यह बाकी लाषो से अलग थलग न्यू एअर हुई है….प्लीज़ हम अपना प्रकतिक्ले दूसरी लाश पर करते है…” नेहा गिड गिदाने लगी.
“देखो नेहा यह कोई मज़ाक नही है….यह डेड बॉडीस हॉस्पिटल की प्रॉपर्टी है…हमे बस एक ही लाश अलॉट हुई है…हम किसी और लाश पे अब प्रकतिक्ले नही कर सकते…”
“निखिल… अब तो मुझे लगता है यह लाश मुझे मार डालेगी…” नेहा का गला रुआसा हो गया.
पर मुझे इस बात पर यकीन नही था. मैने गुस्से मे अपने दाँत पीस कर कहा, “नेहा बहुत हो क्या तुम्हारा ड्रामा…रात बहुत हो गयी है…तुम जल्दी से अपना प्रकतिक्ले पूरा करो मैं हाथ धो कर आता हू…” मैने बिना उसके जवाब के इंतेज़ार किए बाहर जाने लगा.
“निखिल…प्लीज़ मत जाओ…………” नेहा की आंको मे आँसू मैं देख ही ना पाया और उसकी बातो को नज़रअंदाज़ कर के बाहर आ गया.
नाल पे मैने सूखे खून को जम कर सॉफ किया और फिर स्पिरिट से अपना हाथ सॉफ करने लगा.
बहुत देर हो गयी नेहा की कोई चीख नही सुनाई दी…मैने रहट की साँस ली. अपना काम ख़त्म करने के बाद जब मैं मुर्दा घर के अंदर गया तो वाहा नेहा नही थी.
“नेहा……नेहा……नेहा….” मैने चारो तरफ पुकारा, पर कोई जवाब नही आया.
कहा चली गयी नेहा, बाहर जाने का तो बस एक ही रास्ता है वाहा पर तो मैं अपना हाथ धो रहा था. अगर नेहा बाहर गयी होती तो मुझे पता चल जाता.
“नेहा…..नेहा….नेहा….” मैने फिर चिल्लाया, पर कोई जवाब नही.
अब मुझे चिंता होने लगी, मैं आनन फानन मे नेहा को इधर उधर ढूँढने लगा पर वो मुझे कही नही दिखाई दी.
अचंक मुझे उसी लाश के पास एक और बेड दिखा जहा नेहा प्रकतिक्ले कर रही थी.
यह बेड तो पहले यहा नही था…मैने सोचा. जब मैं वाहा गया तब उस नयी लाश पे सफेद कपड़ा पड़ा हुआ था.
जब मैने कपड़ा हटाया तो वो लाश नेहा की थी…
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.