“लंड बड़ा हो तो ऐसा ही तंबू बनता है हिहिहीही.” और उसने एक झटके में अपने लिंग को मेरी आँखो के सामने झूला दिया. फिर मैने जो देखा मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी. मैने सपने में भी इतने बड़े और मोटे लिंग की कल्पना नही की थी. अभी तक मुझे पीनू का ही बड़ा लगता था. मगर अब मेरे सामने पीनू के लिंग से भी बड़ा और मोटा लिंग झूल रहा था. वो बिल्कुल विसालकाय राक्षस की तरह मेरे सामने ताना था जैसे की मुझे खा जाएगा. उसका सूपड़ा कुछ ज़्यादा ही मोटा था. पीनू के सूपदे से भी मोटा. लिंग के बसे के नीचे उसके आँड लटक रहे थे जो कि बालों से घिरे थे.
दोस्तो आप सोच रहे होंगे कि ये पीनू कौन है तो मैं आपको बता दूं कि एक बार मनीष का चचेरा भाई पीनू शहर मे एग्ज़ॅम देने आया था तो वो हमारे ही यहाँ ही रुका था . पीनू बड़ा हरामी था उसने मुझे अपने जाल मे फाँस लिया था . और मेरी चुदाई भी कर दी थी . दोस्तो वो कहानी फिर कभी . अब आते है असली कहानी की तरफ...
“देखा रह गयी ना दंग. जो भी देखता है दंग रह जाता है. वो अँग्रेज़ भी दंग रह गयी थी देख कर हिहिहीही बिल्कुल तेरी तरह.”
और मैं सकपका गयी और खुद को कोसने लगी कि क्यों मैं उसके उस को यू देख रही थी. मैने उसके लिंग से नज़रे हटा ली.
“तू तो बुरा मान गयी. देख ना जी भर के ये तेरे लिए ही तो खड़ा है.”
मैने उसकी तरफ देखना सही नही समझा क्योंकि मुझे कुछ कुछ हो रहा था. मैं अभी भी हैरान थी कि आख़िर किसी का इतना बड़ा कैसे हो सकता है. मैने बचपन में एक बार एक गधे को देखा था जो कि एक गधि पर चढ़ने की कोशिस कर रहा था. उसका मोटा और लंबा लिंग आज फिर मेरी नज़रो में दौड़ गया. यू मुकेश भी उस गधे से कम नज़र नही आ रहा था.
“हाई राम ये मेरे अंदर घुसा तो मेरी तो जान निकल जाएगी.” मैने सोचा मगर फिर मुझे लगा च्ीी मुझे ऐसी गंदी बाते नही सोचनी चाहिए.
“दीखा ना अपनी चूत की फांके. देख मैं भी तो तुझे दीखा रहा हूँ.”
“मैं तुम्हारी तरह बेशरम नही हो सकती हूँ. और मैने तो तुम्हे नही कहा दीखाने को. वापिस अंदर कर लो इसे.” मगर ये बोलते हुवे भी मेरी नज़रे बार बार उसके विशालकाय लिंग पर जा रही थी बार बार.
“खुद तो बार बार देख रही है मेरे लॉड को और मुझे कुछ भी नही दीखाना चाहती. ठीक है मैं जा रहा हूँ बाहर.” उसने लिंग को वापिस पॅंट में डाला और चलने लगा.
“रूको कहाँ जा रहे हो. अपनी नही तो मेरी तो चिंता करो. मेरा घर बर्बाद हो जाएगा.” मैं गिड़गिडाई.
“मुझे क्या मिल रहा है यहाँ खड़े हो कर कुछ भी तो नही. तुम तो मज़े से मेरे लंड के नज़ारे ले रही हो पर मुझे क्या मिल रहा है.”
“देखो मुझे कोई नज़ारा लेने का शॉंक नही है. तुम चुपचाप खड़े रहो बस.”
“नही मुझे तुम्हे नंगा देखना है, नही तो मैं जा रहा हूँ.”
ये सुन कर मेरी तो शरम के मारे जान निकल गयी और उस पर गुस्सा भी आया.
“ये क्या कह रहे हो. बाहर इतने लोग घूम रहे हैं और तुम्हे ये सब सूझ रहा है.”
“चिंता मत करो वैसे भी हम इस आल्मिरा के पीछे हैं. अंदर कोई झाँकेगा भी तो बाहर से झाँक कर ही चला जाएगा, क्योंकि उसे लगेगा कि केवल स्टोर रूम है.”
“हां पर मैं ये नही कर सकती, और क्यों करूँ मैं ये सब?”
“ना करो मैं जा रहा हूँ.”
Hindi Sex Stories By raj sharma
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अब मैं मुसीबत में फँस गयी. ना ना करते बन रहा था ना हां करते. वो धीरे धीरे दरवाजे तक पहुँच गया. मैने धीरे से आवाज़ लगाई रूको. वो तुरंत मूड कर आ गया.
“क्या फ़ैसला किया तुमने?”
“ठीक है तुम देख लो जो देखना है मेरा. पर इसमे कपड़े उतारने की क्या ज़रूरत है.”
“ज़रूरत है, बिना कपड़े उतारे औरत खूबसूरत नही लगती हिहीही.”
मैं तो शरम से मर गयी.
“अब जल्दी करो नही तो मैं शरम से मर जाउन्गा.
“क्या तुमने अँग्रेज़ को भी ऐसे ही फँसाया था. मैने उसे बातों में लगाने की कॉसिश की.
“पहले अपना ब्लाउस उतारो फिर बताता हूँ.”
“उतार दूँगी पर वादा करो तुम छुओोगे नही.”
“ठीक है वादा करता हूँ.”
मैं सहमी से खड़ी रही उसके सामने.
“सोच क्या रही है जल्दी कर.” वो बोला और अपनी ज़िप खोलने लगा. उसने फिर से अपने लंबे और मोटे लिंग को बाहर निकाल लिया.
क्रमशः................
“क्या फ़ैसला किया तुमने?”
“ठीक है तुम देख लो जो देखना है मेरा. पर इसमे कपड़े उतारने की क्या ज़रूरत है.”
“ज़रूरत है, बिना कपड़े उतारे औरत खूबसूरत नही लगती हिहीही.”
मैं तो शरम से मर गयी.
“अब जल्दी करो नही तो मैं शरम से मर जाउन्गा.
“क्या तुमने अँग्रेज़ को भी ऐसे ही फँसाया था. मैने उसे बातों में लगाने की कॉसिश की.
“पहले अपना ब्लाउस उतारो फिर बताता हूँ.”
“उतार दूँगी पर वादा करो तुम छुओोगे नही.”
“ठीक है वादा करता हूँ.”
मैं सहमी से खड़ी रही उसके सामने.
“सोच क्या रही है जल्दी कर.” वो बोला और अपनी ज़िप खोलने लगा. उसने फिर से अपने लंबे और मोटे लिंग को बाहर निकाल लिया.
क्रमशः................
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एक हसीन ग़लती--2
गतान्क से आगे.........
मैने काँपते हाथो से अपने ब्लाउस के हुक खोले और धीरे धीरे उसे सरकाने लगी. उसकी आँखे मेरी छाती से ही चिपकी थी. मैं तो शरम से मरी जा रही थी. मैने धीरे धीरे ब्लाउस उतार दिया. मेरे दूध जैसे उभार उसकी आँखो के सामने थे. मैने ब्रा नही पहनी थी ब्लाउस के नीचे क्योंकि ब्लाउस ऑलरेडी ब्रा का काम कर रहा था. उसकी तो आँखे चमक उठी मेरे उभार देख कर. उत्तेजित तो मैं भी थी थोड़ा थोड़ा और ये उत्तेजना मेरे तने हुवे उभारों से सॉफ झालक रही थी. वो भी इसे भाँप गया और बोला.
“तू भी गरम हो रही है मेरी तरह. देख कैसे तनी हुई हैं तेरी चुचियाँ.” वो अपने लिंग के सूपदे को सहलाने लगा. उसका सूपड़ा उसके प्रेकुं के कारण चमक उठा था. मैं तो शरम से मरी जा रही थी.
“चलो अब ये साडी भी उतारो.”
“देखो बाहर लोग हैं, साडी उतारनी ज़रूरी है क्या.”
“हां ज़रूरी है मेरी जान तुम नही समझोगी. उतारो जल्दी नही तो मैं चला.”
मेरी दुखती रग अब उसके हाथ में थी. मरती क्या ना करती मुझे साडी उतारनी पड़ी. मेरे हाथ काँप रहे थे. अब मैने साडी उतार कर एक तरफ रख दी. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट में थी.
“चल ये भी उतार अब.”
मैं सहम उठी. पूरी नंगी होने का डर सता रहा था मुझे. उसके साथ स्टोर में नंगा होना ख़तरे से खाली नही था. मैने उसे बात में उलझाने की कोशिस की.
“तुम्हारा ये मुझे घोड़े की याद दिलाता है.” मैने कहा.
“मैने एक बार घोड़ी की भी मार रखी है हिहिहीही.”
“क्या बोल रहे हो झूठ?” मैं तो हैरान ही रह गयी.
“हां तब तक कोई औरत नही मिली थी. बड़ी मुस्किल से घुसने दिया था साली ने.”
“उसने लात नही मारी तुम्हे?” मैने उत्सुकता में पूछा.
“नही उसकी चूत में उंगली कर कर के मैने उसे गरम कर दिया था और उसे मुझे चुपचाप देनी ही पड़ी.”
“उसी के साथ शादी कर लेनी चाहिए थी तुम्हे सिर्फ़ वो ही ले सकती है इतना बड़ा.” मेरे मूह से अचानक निकल गया.
“क्यों तू नही ले सकती क्या?”
मैं तो शरम से पानी पानी हो गयी.
“चल उतार अब ये पेटिकोट भी और पॅंटी भी.”
अब समझ में नही आ रहा था कि उसे किस बात में उल्झाउ. “उतारती है कि नही या मैं जाउ.” वो बोला.
गतान्क से आगे.........
मैने काँपते हाथो से अपने ब्लाउस के हुक खोले और धीरे धीरे उसे सरकाने लगी. उसकी आँखे मेरी छाती से ही चिपकी थी. मैं तो शरम से मरी जा रही थी. मैने धीरे धीरे ब्लाउस उतार दिया. मेरे दूध जैसे उभार उसकी आँखो के सामने थे. मैने ब्रा नही पहनी थी ब्लाउस के नीचे क्योंकि ब्लाउस ऑलरेडी ब्रा का काम कर रहा था. उसकी तो आँखे चमक उठी मेरे उभार देख कर. उत्तेजित तो मैं भी थी थोड़ा थोड़ा और ये उत्तेजना मेरे तने हुवे उभारों से सॉफ झालक रही थी. वो भी इसे भाँप गया और बोला.
“तू भी गरम हो रही है मेरी तरह. देख कैसे तनी हुई हैं तेरी चुचियाँ.” वो अपने लिंग के सूपदे को सहलाने लगा. उसका सूपड़ा उसके प्रेकुं के कारण चमक उठा था. मैं तो शरम से मरी जा रही थी.
“चलो अब ये साडी भी उतारो.”
“देखो बाहर लोग हैं, साडी उतारनी ज़रूरी है क्या.”
“हां ज़रूरी है मेरी जान तुम नही समझोगी. उतारो जल्दी नही तो मैं चला.”
मेरी दुखती रग अब उसके हाथ में थी. मरती क्या ना करती मुझे साडी उतारनी पड़ी. मेरे हाथ काँप रहे थे. अब मैने साडी उतार कर एक तरफ रख दी. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट में थी.
“चल ये भी उतार अब.”
मैं सहम उठी. पूरी नंगी होने का डर सता रहा था मुझे. उसके साथ स्टोर में नंगा होना ख़तरे से खाली नही था. मैने उसे बात में उलझाने की कोशिस की.
“तुम्हारा ये मुझे घोड़े की याद दिलाता है.” मैने कहा.
“मैने एक बार घोड़ी की भी मार रखी है हिहिहीही.”
“क्या बोल रहे हो झूठ?” मैं तो हैरान ही रह गयी.
“हां तब तक कोई औरत नही मिली थी. बड़ी मुस्किल से घुसने दिया था साली ने.”
“उसने लात नही मारी तुम्हे?” मैने उत्सुकता में पूछा.
“नही उसकी चूत में उंगली कर कर के मैने उसे गरम कर दिया था और उसे मुझे चुपचाप देनी ही पड़ी.”
“उसी के साथ शादी कर लेनी चाहिए थी तुम्हे सिर्फ़ वो ही ले सकती है इतना बड़ा.” मेरे मूह से अचानक निकल गया.
“क्यों तू नही ले सकती क्या?”
मैं तो शरम से पानी पानी हो गयी.
“चल उतार अब ये पेटिकोट भी और पॅंटी भी.”
अब समझ में नही आ रहा था कि उसे किस बात में उल्झाउ. “उतारती है कि नही या मैं जाउ.” वो बोला.