जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:47

उधर जब ललिता की आँख खुली तो उसके दिमाग़ में कल का द्रिश्य आ रहा था और परशु को अपने लिए चाइ लाते

देख वो द्रिश्य और भी सामने आ गया.. परशु में कुच्छ बात थी जो इतना सब होने के बाद भी बिल्कुल भी घबराहट

या उत्सुकता नहीं दिखाता था.. पूरे समय वो एक ही सा चेहरा बनाते फिरता था.. ललिता ने रिचा से परशु के

बारे में ऐसी ही सवाल करें तो उसने बताया कि परशु बहुत पहले से इनके घर में काम करता है जब वो कुच्छ

5 साल की थी तबसे और वो खुशी में ज़्यादा खुश नहीं होता और ना ही गम में ज़्यादा दुखी..

जब ललिता नाहके अपने कपड़े बदल के रिचा को ढूँढने लगी और ढूँढते ढूँढते बाहर गयी तो रिचा और परशु

बाहर बाल्कनी में खड़े थे.. वो जैसी ही बाल्कनी के पास बढ़ती रही तो उनकी बात करने की आवाज़ आती रही..

परशु नज़ाने क्यूँ रिचा को किसी बात के लिए डाँट रहा था और रिचा भी उसे माफी माँगे जा रही थी...

ललिता जब कोने में छुप के बात सुनने लगी तब वो चौक गयी.. परशु रिचा को इसलिए डाट रहा था क्यूंकी उसने वो

खिलौना ढंग से छुपा के नहीं रखा था.. वो बोले जा रहा था कि साब और मालकिन देख सकते थे उसे और वगेरा वगेरा... ललिता ये सुनके वापस कमरे में चली गयी और उसे कुच्छ समझ नहीं आ रहा था..

फिर उनकी ट्यूशन वाली मॅम आ गयी और वो पढ़ने लगे.

भोपाल में कुच्छ 1 बज रहा था और नारायण के पास कुच्छ काम नहीं था तो वो अपनी खिड़की के बाहर देखने लगा... उसका ऑफीस फर्स्ट फ्लोर पे था जो कि ज़मीन से कुच्छ ही फीट उपर था और उसकी खिड़की के बाहर ही स्कूल का खेलने का मैदान था... कभी कबार जब नारायण के पास काम नहीं होता था तो वो इस खिड़की के बाहर देख कर अपनी आँखो को ठंडक पहुचाता था... क्यूंकी हर बारी लड़किया कुच्छ ना कुच्छ खेल रही होती थी और जब वो भागती थी तो उनके मम्मे हिलते थे उनकी स्कर्ट भी ऊपर नीचे होती थी या कभी कोई स्टेज पे बैठता तो उसकी जाँघो को भी वो देख पाता था... काई बारी तो वो इतना गरम हो जाता की अंजाने में अपने लंड को सहलाने लगता... इस बारी भी कुच्छ ऐसा होने जा रहा था मगर उसे पहले रश्मि कॅबिन में आगयि....

रश्मि ने नारायण से कहा "सर ये कुच्छ पेपर्स है आपके इन्पे साइन चाहिए"

नारायण अपनी कुर्सी पे बैठे और रश्मि को भी बैठने को कहा.... पेपर्स साइन करते हुए नारायण ने रश्मि को बोला "तुम्हारे काम करने का जज़्बा देख कर मैं काफ़ी खुश हूँ.... ये कुच्छ अफीशियल नही हुआ है मगर मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हारी तन्खुआह मैं बढ़ाने की पूरी कोशिश करूँगा क्यूंकी तुम काम भी हद से ज़्यादा करती हो...."

ये सुनके रश्मि के चेहरे पर खुशी च्छा गयी और उसी वक़्त एक पीयान नारायण के ऑफीस आया एक लड़की को लेके... लड़की की आँखों में आँसू झलक रहे थे और वो काफ़ी परेशान लग रही थी.. पीयान बोला "सर इस लड़की को अभी मैने शराब के साथ पकड़ा है.. इसकी बॉटल में शराब डाली हुई थी और जल्दबाज़ी में इसके हाथ से वो गिर गयी ओरजब मैने उसे सूँघा तो शराब की बू आ रही थी"

नारायण ने पीयान को जाने के लिए कहा और लड़की को गुस्से में पूछा "क्या नाम है तुम्हारा??"

लड़की ने घबरा के कहा "जी... मेरा नाम नवरीत है"

"पूरा नाम बताने का कष्ट करेंगी आप" नारायण ने थोड़े गुस्से में उस लड़की से पूछा..

लड़की ने कहा "नवरीत कौर"

नारायण फिर बोला "ये जो भी बोला गया तुम्हारे बारे में कहा पीयान ने सब सच है.. बोलो जवाब दो"

आज तो रश्मि भी नारायण को गुस्से में देख कर घबरा गयी थी...

लड़की ने सिर झुका कर कहा "एसस्स सर... मगर आप प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए ऐसा नहीं होगा"

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:47

नारायण ने रश्मि को तुर्रंत एक लेटर टाइप करके लेके आने को कहा.. रश्मि भाग कर अपने कॅबिन में गयी और लेटर लेके आई... नारायण ने बोला "ये तुम्हारा सस्पेन्षन लेटर है.. तुम अगले 10 दिन स्कूल में कदम नहीं रख सकती मगर कल सुबह तुम इस्पे साइन करवाकर अपने हाथो से रश्मि मॅम को दोगि नहीं तो 10 दिन के साथ साथ फाइन भी लग जाएगा.."

ऐसी सख्ती देख कर रश्मि नारायण की फॅन हो गयी... उसे लगता था कि नारायण ये नौकरी ऐसे करता था कि जैसे खैरात में मिली हुई हो... उसके काम करने का ढंग भी बड़ा आलस वाला लगता था मगर आज तो उसने कमाल ही कर दिया था.... लड़की नारायण से माफी मांगती रही मगर नारायण ने एक ना सुनी.. उल्टा रश्मि ने भी उस लड़की को जाने के लिए कह दिया और वो रो रो कर वहाँ से चली गयी... नारायण को लगा कि वो कुच्छ ज़्यादा सख़्त था मगर कभी कबार जीवन में सकती दिखानी चाहिए ये सोचके वो अपने फ़ैसले से संतुष्ट था..

रश्मि ने भी ऐसे फ़ैसले की हौसले अफजाई करी...

फिर दिल्ली में जब डॉली कुच्छ 3 बजे एग्ज़ॅम देके वापस आई तो पूरे घर में कोई नहीं था... उसको इतनी खुशी थी कि आज उसका आखरी इम्तिहान भी ख़तम हो गया और अब वो इस पड़ाई से आज़ाद है.. उसने जल्दी से हाथ मुँह धोके खाना खाया और राज को भोपाल में कॉल करा.. किसी कारण राज ने उसका फोन उठाया नहीं.. उसके पास करने को कुच्छ नहीं था तो उसने टीवी ऑन कर दिया और अलग अलग चॅनेल देखने लगी... टीवी पे भी कुच्छ नहीं आ रहा था और वो बुर्री तरह बोर हो गयी थी.. उसने सोचा कि कोई मूवी ही लगाके देख लेती हूँ तो वो अपने भाई के कमरे में गयी मूवीस की सीडीज़ लेने के लिए जो कि एक पूरा डिब्बा भरा हुआ था.. हर डिस्क पे मूवी के शॉर्ट फॉर्म बनी लिखी थी (जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे = द्दलज या मुझसे शादी करोगी = मस्क) डॉली ने 2-4 डिस्क निकाली जिसकी शॉर्ट फॉर्म उसे समझ में नहीं आ रही थी और एक अपनी सबसे पसंदीता ड्ड्ळ्ज़ फिल्म की अगर कुच्छ ना मिला तो वो उसे देख लेगी.. पहली जो उसने डिस्क डाली वो तो चल ही नहीं रही थी.. जब उसने तीसरी डाली तो वो चलने लगी... वो कोई अक्षय कुमार की मूवी थी.. डॉली सोफे पे बैठ गयी और शांति से मूवी देखने लगी..

कुच्छ देर बाद वो मूवी भी रुक गयी और टीवी पे काली स्क्रीन आ गयी.. डॉली ने सोचा सीडी खराब होने के कारण ऐसा हो रहा हो तो उसने 2 मिनट रुकने का सोचा मगर अचानक से एक गंदी सी फिल्म शुरू हो गई जिसमे एक गोरा एक कल्लन को चोद रहा था.. पूरे रूम में शोर भर गया था डॉली ने जल्दी से रिमोट उठाया और टीवी बंद कर दिया.. उसे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया.. उसने फिर टीवी को फिर से ऑन करा और उसे मूट कर दिया.. अब टीवी पे फिर काली स्क्रीन आगयि तो डॉली को लगा कि अब फिल्म फिर से शुरू हो जाएगी मगर फिर दिखाया कि एक छ्होटी उम्र का काला लड़का स्कूल में अकेला बैठा है क्यूंकी उसे एग्ज़ॅम में चीटिंग करने में सज़ा मिली है और उसके सामने उसकी गोरी टीचर बैठी हुई है.. वो लड़का कभी पेन और कभी पेपर गिरा कर अपनी टीचर की स्कर्ट के अंदर झुक झुक के देखने की कोशिश कर रहा है और जैसी टीचर को पता चला तो वो भी मज़े लेने के लिए उसको दिखा रही है.. डॉली ये देख कर परेशान हो गयी और उसने सीडी वापस निकालके तोड़ दी.. तभी उसका फोन बजा और वो डर गयी.. उसने राज का नाम पढ़ा और वो खुश हो गयी.. डॉली ने जब राज की आवाज़ सुनी तो उसने खुशी फोन को चूम लिया.... राज बोला "अर्रे घर पे कोई सुन लेगा आराम से.."


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:48

डॉली बोली "कोई नही सुन सकता क्यूंकी मैं अकेली हूँ फिलहाल"

राज फिर हसके बोला "फिर तो एक और बनती है"

डॉली भी हसके बोली "बेशरम... वैसे पहले फोन क्यूँ नहीं उठाया था??"

राज ने जवाब दिया "यार फोन पता नहीं कहा पड़ा हुआ था... वैसे भी जब से तूने बात करनी बंद करदी तबसे फोन का कुच्छ पता नहीं रहता है"

डॉली ये सुनके मुस्कुरा दी...

राज ने फिर पूछा "तो क्या कर रही थी??"

डॉली बोली "मूवी देख रही थी"

राज झत्ट से बोला "पॉर्न :पी"

डॉली ने जवाब नहीं दिया और उसे स्कूल के बारे में पुच्छने लगी... राज फिर बीच में ही डॉली को बोलने लगा "यार जल्दी आजा... बहुत याद आ रही है"

ये सुनका डॉली को इतना अच्छा लगा वो बोली "मैं तो अभी आना चाहती हूँ मगर फिर भाई-बहन का एग्ज़ॅम जब ख़तम होंगे तभी आ पाउन्गि.. आइ आम सॉरी... वैसे एक बात बोलू तुम्हे.. मैने अभी थोड़ी सी पॉर्न देखी थी.."

राज बोला " देखा मुझे सब कुच्छ पता है तेरे बारे में... चल बता कैसी सी थी???"

डॉली ने बताने से इनकार कर दिया मगर राज ज़िद्द पे अड़ा रहा..

डॉली बोली "उसमें ना ऐसा था कि एक गंदा सा लड़का था तेरी तरह" राज बोला "मेरी तरह से क्या मतलब है तेरा" डॉली ने बोला "मेरेको बताने तो दे ना पहले... अच्च्छा सुन तो वो लड़का अपनी एक टीचर के साथ बैठा था एक कमरे में... उसको सज़ा मिली थी थोड़े ज़्यादा घंटे स्कूल में बिताने के लिए.... वो टीचर ने काला ड्रेस पहेन रखा था जोकि छोटा टाइट सा था तो वो लड़का झुक झुक के टाँगों और जाँघो को देख रहा था... बस मैने ये देख कर ही उसे हटा दिया"

राज चिल्ला के बोला " क्या.. क्यूँ हटा दिया.. देखना चाहिए था ना.. तुझे सीख भी मिलती

डॉली हंस के बोली "अच्च्छा कैसी सीख??""

राज रूक्के बोला " कि कैसे मज़े लेने चाहिए"

डॉली ने तुरंत बोला "वो मुझे नही आपको चाहिए" राज भी बोला "तो मैं इंतिज़ार कर रहा हूँ सिखा दे... चल एक खेल खेलते है.. तूने रॉलीप्लेयिंग गेम सुना है?? उसमें ऐसा होता है कि लोग कोई किरदार प्ले करते है जैसे कि डॉक्टर/नर्स, वाइफ/सर्वेंट, टीचर/स्टूडेंट वगेरा वगेरा और एक कहानी को वो आगे बढ़ाते है.. बड़े मज़े आते है"

डॉली सुनने के बोली "हां हां तुम लड़को को ही मज़े आते होंगे ना.. हमे तो नहीं आते"

राज बोला " आते तो सबको ही है बस लड़किया दिखाना नहीं चाहती... और अगर तुझे नहीं आते तो एक बारी मेरे साथ खेलके तो देख...

डॉली सोचके बोली "चल ठीक है... मगर अगर मैं बीच में बोर हो गई तो गेम वहीं बंद करदेंगे"

राज भी जोश में बोला "जैसे आप बोलें... तो सीन वैसे ही रखे कि एक लड़का 17 साल का है और उसकी टीचर 26 साल की है और उस लड़के को पनिशमेंट मिली है स्कूल में ज़्यादा देर तक रुकने के लिए... मगर हमारी टीचर ने ड्रेस नही एक नीली हरे रंग की सारी पहेन रखी है क्यूंकी वो हिन्दुस्तानी है ना..."

डॉली की रज़ामंदी के बाद दोनो ने खेलना शुरू किया

डॉली मॅम मुझे कब तक यहाँ रुकना पड़ेगा?? राज ने पूछा

डॉली बोली "चुप चाप बैठे रहो.. मैने बोला था कि जाके कि आकृति मॅम को आइ लव यू बोलके आओ??"

राज बोला "मॅम वो तो महेश ने बोला था मैं तो बस उसके साथ क्लास के बाहर खड़ा हुआ था.. नज़ाने उसको क्या सूझा और उसने आइ लव यू चिल्ला दिया और वहाँ से भाग गया"

डॉली बोली "चुप चाप बैठे रहो मुझे तुम्हारे छिछोरि हर्कतो के बारे में नहीं सुनना"

"मॅम आप कर क्या रही हो" राज ने पूछा

डॉली बोली " बच्चो की कॉपिया चेक कर रही हूँ... क्यूँ नहीं करू??"

राज बोला "नहीं मैं सोच रहा था कि एग्ज़ॅम पास आ रहे है और मैं वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहता.. अगर आप मुझे पढ़ा देती थोड़ा सा तो मुझे ज़्यादा अच्छे से समझ आ जाता"

डॉली बोली " अभी बड़ी पढ़ाई की याद आ रही है... चलो निकालो किताब और आगे चेर लेके आओ...

राज ने बाइयालजी की किताब निकाली और डॉली के सामने जाके बैठ गया??

डॉली ने पूछा 'कौन से चॅप्टर्स आ रहे है??"

राज बोला "मॅम बाकी सब तो आते है बस रिप्रोडक्षन में थोड़ी दिक्कत है"

(डॉली ये सुनके हँसने लगी... राज ने पूछा "बोर तो नहीं हो रही ना.. डॉली बोली "नहीं नहीं)

क्रमशः…………………..


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