जब तक रीमा कुच्छ करती,शेखर ने बिजली की फुर्ती से अपने हाथ से उस टुकड़े को वाहा से निकाल लिया & ऐसा करने मे उसके सीने की दरार मे 1 उंगली घुसा 1 चूची को हल्के से दबा दिया.रीमा ने घबरा कर देखा कि कही किसी ने उसे ऐसा करते देखा तो नही,उसे शेखर की इस हरकत पे बहुत गुस्सा आया पर साथ ही साथ दिल मे थोड़ी गुदगुदी भी हुई.
तभी क्लर्क ने उसका नाम पुकारा तो दोनो उठ कर काउंटर पे चले गये.रीमा अपने अकाउंट के पेपर्स,पासबुक & कार्ड वग़ैरह लेने लगी & शेखर पिच्छली बार की तरह उस से पीछे से उसकी गंद से अपना लंड सटा कर खड़ा हो गया.
कोई दस-एक मिनिट बाद दोनो बॅंक से बाहर निकल कार की ओर जाने लगे,तभी रीमा को ऐसा लगा जैसे कोई उसे घूर रहा है,उसने बाए घूम देखा तो सड़क के उस पार 1 काले चश्मे लगाए,गर्दन तक लंबे बालो वाले गेंहुए रंग के आदमी को मुँह फेरता पाया.रीमा 1 बहुत खूबसूरत लड़की थी & उसे आदत थी मर्दो की घुरती निगाहो की,पर यहा बात कुच्छ और थी,उस इंसान का मुँह फेरना ऐसा नही था जैसा 1 इंसान तब करता है जब कोई खूबसूरत लड़की खुद को घूरते हुए उसे पकड़ लेती है.उसका मुँह फेरना ऐसा था जैसे वो नही चाहता था कि रीमा की नज़र उसपे पड़े,"क्या देख रही हो,रीमा?बैठो.",शेखर कार का दरवाज़ा पकड़े खड़ा था.
"जी.चलिए.",रीमा कार मे बैठ गयी.
उस दिन उसके दिमाग़ मे उसी अजनबी का चेहरा घूमता रहा.वो तो यहा किसी को जानती भी नही,ऐसा भी तो हो सकता है कि कोई शेखर का पहचँवला हो...वो तो यही पाला-बढ़ा था...या फिर कोई और बात थी..."रीमा!"
"जी..",रीमा अपने ख़यालो से बाहर आई.
"ज़रा मेरे साथ बाज़ार चलो,दर्शन के परिवार वालो के लिए कुच्छ तोहफे ले आते हैं."
"अच्छा.चलिए."
शाम के & बज रहे थे & बाज़ार खचाखच भरा था.सारी खरीदारी कर हाथो मे पॅकेट्स पकड़े दोनो कार पार्किंग की तरफ जाने लगे कि तभी कोई धार्मिक जुलूस वाहा से निकलने लगा.लोगो का हुजूम उसे देखने को आगे बढ़ा तो रीमा अपने को संभाल नही पाई & गिरने लगी की तभी विरेन्द्र जी ने उसे कमर से थाम लिया & उसे ले उस भीड़ से बाहर निकालें.रीमा अपने ससुर से ऐसे चिपकी थी कि उसकी चूचिया उनके सीने मे दबी हुई थी & वो उसकी कमर को थामे हुए थे.
भीड़ का 1 रेला आया तो रीमा फिर लड़खड़ा गयी,मुझे थाम लो,रीमा वरना गिर जाओगी."उसके ससुर ने उसे अपने बगल मे दबाते हुए उसका हाथ अपने पेट पे से होते हुए अपनी कमर पे पकड़ा दिया.अब दोनो जैसे गले से लगे हुए वाहा से निकालने लगे.जब वो भीड़ से बाहर निकल 1 खाली जगह पे खड़े हो साँस लेने लगे तो रीमा ने देखा कि उसकी चूचया उसके ससुर के सीने से ऐसे दबी है कि लग रहा है कि कमीज़ के गले से बाहर ही आ जाएँगी.उनका हाथ उसकी कमर से उसकी गंद पे आ गया था & 1 फाँक को पकड़े हुए था & वो खुद उनकी कमर पे हाथ लपेटे उनसे चिपकी खड़ी थी.
वो धीरे से उनसे अलग हुई & दोनो कार पार्क की ओर चल दिए पर विरेन्द्र जी ने उसे पूरी तरह से अलग नही होने दिया-उनका हाथ उसकी कमर को अभी भी घेरे हुए था.
रात खाना खाने के बाद विरेन्द्र जी फ़ौरन अपने कमरे मे चले गये,रीमा समझ गयी कि उसके ससुर को उसकी मालिश का इंतेज़ार है.वो थोड़ी देर बाद अपनी सास को सुलाने के बहाने वाहा पहुँची तो देखा कि दर्शन वाहा पहले से मौजूद है.
"चलिए,मालिक लेट जाइए.आपके पैर दबा दे."
"अरे नही,दर्शन.हमे दर्द नही हो रहा."
"नही,मालिक.आज बेकार मे हमारे चलते आप बेज़ार गये.इतना चलना पड़ा,ज़रूर दर्द हो रहा होगा.चलिए लेट जाइए.",दर्शन ने उन्हे पलंग पे बिठा दिया.हार कर विरेन्द्र जी को लेटना पड़ा.दर्शन उनके पैर दबाने लगा तो उन्होने अपनी सास को सुलाती रीमा की तरफ देखा,उनके चेहरे का भाव देख रीमा को हँसी आ गयी.अपनी हँसी च्छूपाते हुए वो वाहा से निकल अपने कमरे मे आ गयी.कहा उसके ससुर उसके कोमल बदन के ख़यालो मे डूबे थे & कहा अब दर्शन के खुरदुरे हाथ ज़ोर-2 से उनके पैर दबा रहे होंगे.
हंसते हुए रीमा कपड़े बदलने लगी.सलवार कमीज़ उतार उसने 1 टख़नो तक लंबी,ढीली स्कर्ट & 1 टी-शर्ट पहन ली.थोड़ी गर्मी महसूस हुई तो वो छत पे टहलने चली गयी.
छत पे पहले से ही मौजूद शेखर की आँखे उसे देखते ही चमक उठी.दोनो हल्की-फुल्की बाते करने लगे कि तभी शेखर ने बातो का रुख़ मोड़ दिया,"अजीब बात है ना,रीमा.हम 2 अलग इंसान हैं,फिर भी दोनो की तक़्दीरे 1 जैसी हैं."
रीमा ने सवालिया नज़रो से उसकी ओर देखा.
"तुम भी अकेली हो मैं भी .रवि की मौत ने तुम्हे ये गम दिया तो मेरी बीवी ने तलाक़ देकर मुझे ये चोट पहुँचाई."
"तक़दीर के आगे इंसान कर ही क्या सकता है.",रीमा बोली.
"हां."
"अच्छा चलती हू.गुड नाइट."
"मैं भी चलता हू.कल मुझे 2-3 दीनो के लिए देल्ही जाना है."
दोनो साथ-2 सीढ़िया उतर नीचे आ गया.दर्शन अपने कमरे मे जा चुका था & उसके सास-ससुर भी सो गये लगते थे.
रीमा अपने कमरे की ओर बढ़ने लगी कि शेखर ने उसे आवाज़ दी,"रीमा.तुमने उस दिन उस फोड़े पे मलम लगाया था ना.ज़रा उसे देख लो.अब दवा की ज़रूरत है या नही.",रीमा इस बात को मना नही कर पाई & उसके पीछे उसके कमरे मे आ गयी.शेखर ने दरवाज़ा भिड़ा दिया & अपनी शर्ट उतार उसके सामने खड़ा हो गया.रीमा ने देखा की फोड़े की जगह अब बस छ्होटा सा सूखा घाव जैसा था,उसने उसे जैसे ही च्छुआ की शेखा ने अपनी बाहों मे उसे जाकड़ कर उसे अपने सीने से चिपका लिया & उसका चेहरा चूमने लगा.
"ये..ये...क्या कर रहे हैं..आप?छ्चोड़िए ना!",रीमा छट-पटाने लगी.
"ओह्ह...रीमा मैं तुम्हारे प्यार मे पागल हो चुका हू.प्लीज़ मुझे दूर मत करो.",शेखर ने उसके होंठ चूम लिए.
"ये ग़लत है,भाय्या.....मैं..मैं आपके भाई की बीवी हू."
"बीवी थी,रीमा.प्लीज़,मुझे मत तड़पाव.आइ लव यू.",इस बार शेखर ने अपने होंठ उसके होटो से चिपका दिए & उसे लिए-लिए बिस्तर पे गिर गया.अब रीमा उसके नीचे दबी छॅट्पाटा रही थी & वो उसे बेतहाशा चूम रहा था,"..भाय्या नही..ये..ये ग़लत है.."
मस्ती उस पे भी चढ़ रही थी पर अपने प्लान के मुताबिक सबकुच्छ इस तरह होना चाहिए था कि कही से भी ऐसा ना लगे कि रीमा की भी यही ख्वाहिश थी.शेखर ने उसकी शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा.उसके हाथ उसके ब्रा हुक्स मे जा फँसे & सारे हुक्स पाट-2 करके खुल गये.उसने शर्ट को उपर कर उसके पेट को नंगा कर दिया & नीचे आ वाहा चूमने लगा.
खिलोना compleet
Re: खिलोना
उसकी जीभ उसकी नाभि मे गयी तो रीमा उठ कर उसे अलग करने लगी तो उसने उसे फिर से लिटा दिया.उठा-पटक मे उसकी स्कर्ट घुटनो तक आ गयी थी.शेखर ने 1 झटके मे उसे & उपर कर दिया & झुक कर उसकी भारी जाँघो को चूमने चाटने लगा.रीमा के हाथ उसके बालो मे उलझे उसे अलग करने की कोशिश कर रहे थे.शेखर जाँघो को चूमता उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा तो रीमा की आह निकल गयी & अंजाने मे ही उसके बालो मे फँसे हाथो ने शेखर के सर को खींचने के बजाय उसे और उसकी जाँघो पे दबा दिया.
शेखर समझ गया कि रीमा भी अब अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गयी है.उसने जम कर उसकी जाँघो को चूमा & चूसा & ऐसा करते हुए उसके स्कर्ट को निकाल फेंका.उसने अपनी पॅंट उतार दी & अब वो केवल अंडरवेर मे था.उसने कमरे का दरवाज़ा बंद किया & पलंग पे बैठ रीमा को अपनी गोद मे लिटा लिया.रीमा की उठी हुई शर्ट उसके गोरे पेट को नुमाया कर रही थी & नीचे बस आसमैनी रंग की पॅंटी मे उसकी गोरी टाँगे शेखर पे कहर ढा रही र्ही.
शेखर का 1 हाथ उसके सर के नीचे था & दूसरा जाँघो के बीच मे सहला रहा था.उसने रीमा का सर उठाया शर्म से लाल हो रहे रीमा के चेहरे पे किससे की झड़ी लगा दी.
"नही...नही...",रीमा के होंठ अभी भी यही कह रहे थे पर उसकी आवाज़ मे विरोध से ज़्यादा 1 गरम हो चुकी लड़की की मस्ती थी.शेखर ने पॅंटी के नीचे से हाथ घुसा उसकी गंद की 1 फाँक को अपने हाथ मे भर लिया & दबाते हुए उसके होटो को चूमने लगा.जब उसकी जीभ रीमा की जीभ से टकराई तो रीमा फिर से छॅट्पाटा उठी.ज़माने बाद उसके जिस्म मे फिर से वोही हरारत पैदा हो रही थी.
शेखर का हाथ उसकी गर्दन को घेरते हुए उसकी 1 चूची पा आकर उसे दबाने लगा था.वो उसकी जीभ से खेलते उसे चूमता हुआ उसकी गंद अभी भी दबा रहा था.इस तिहरे हमले ने काई दीनो की प्यासी रीमा को झाड़वा दिया.उसके जिस्म मे वोही जाना पहचाना मज़े का सैलाब बाँध तोड़ता आया तो वो सिसक कर शेखर की गोद से छितक कर उतर गयी & 1 तकिये मे मुँह च्छूपा सिसकने लगी.
शेखर पीछे से उस से आ लगा & उसके बालो को चूमते हुआ अपने हाथ उसकी शर्ट मे घुसाने लगा.शर्ट मे हाथ घुसा उसने थोड़ी देर तक उसकी छातिया दबाई & फिर हाथ को शर्ट के गले मे से निकाल कर उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया & प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को चूमने लगा.रीमा पड़ी हुई उसे उसके दिल की करने दे रही थी.
उसने रीमा को सीधा किया & उसकी शर्ट निकाल दी.सामने रीमा का खुला आसमानी रंग का मॅचिंग ब्रा उसकी तेज़ सांसो से उपर-नीचे होती छातियो पे पड़ा हुआ था.शेखर ने हौले से उसे उसकी बाहो से निकाला & पहली बार उसकी हल्के गुलाबी निपल्स से सजी बड़ी-2 कसी चूचियो का दीदार किया.
"वाउ!रीमा,तुम तो हुस्न की देवी हो.",वो झुक कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चूचिया चूसने लगा.उसे लगा कि वो जन्नत की सैर कर रहा है.इस से बड़ी & उतनी ही कसी छातिया उसने पहले कभी नही देखी थी.उसने जी भर के उन गोलो को दबाया,सहलाया,चूसा & चूमा.उसकी हर्कतो से रीमा 1 बार फिर गरम हो गयी & अपने जेठ के बालो मे मस्ती मे उंगलिया फिराने लगी.
शेखर अब रुक नही सकता था,उसे तो अब बस इस खूबसूरत हसीना की जम कर चुदाई करनी थी.वो उसकी चूचिया छ्चोड़ खड़ा हुआ & पहले रीमा की पॅंटी & फिर अपना अंडरवेर निकाल दिया.रीमा तो शर्म से बहाल हो गयी.रवि के अलावा आज वो पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी हुई थी & उसे नंगा देख रही थी & वो मर्द और कोई नही उसका जेठ था.ये तो उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपने जेठ से चुदेगि.
शेखर ने थोड़ी देर तक अपनी बहू के नंगे हुस्न को आँखो से पिया.उसी वक़्त रीमा ने भी अधखुली आँखो से अपने जेठ के लंड को देखा.उसे हैरत हुई कि वो बिल्कुल उसके पति के लंड जितना ही लंबा & मोटा था.यहा तक की उसका रंग भी वैसा ही था.
शेखर ने उसकी जंघे फैलाई & उसके उपर लेट गया & उसके होठ चूमने लगा,उसका 1 हाथ नीचे गया & लंड पकड़ कर रीमा की चूत मे घुसा दिया.
"आ..आहह..!",रीमा हल्के से करही.कितने दीनो बाद आज फिर उसकी चूत ने लंड चखा था.कुच्छ तो उसकी बनावट ही ऐसी थी & कुच्छ इतने दीनो तक ना चुदने के कारण शायद रीमा की चूत थोड़ा और कस गयी थी.शेखर ने सपने मे भी नही सोचा था की रीमा इतनी कसी होगी,उसके लंड को ये एहसास हुआ तो उसकी भी आह निकल गयी.
अगले 2-3 धक्को मे उसने अपन पूरा लंड जड़ तक रीमा की चूत मे उतार दिया & ज़ोरदार धक्को के साथ उसकी चुदाई करने लगा.वो तो जोश मे पागल ही हो गया,कभी वो उसके गुलाबी होंठ चूमता तो कभी चूचिया.उसके हाथ कभी रीमा के चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी चूचिया दबाते हुए उसके निपल्स को छेड़ते.
थोड़ी देर मे रीमे की चूत भी पानी छ्चोड़ने लगी & वो भी नीचे से कमर हिला-2 कर अपने जेठ के धक्को का जवाब देने लगी.उसने अपने जेठ के जिस्म को अपने बाहों मे भर लिया & आहें भारती हुई अपनी टांगे हवा मे उठा दी.शेखर समझ गया कि वो भी अब झड़ने वाली है.
शेखर समझ गया कि रीमा भी अब अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गयी है.उसने जम कर उसकी जाँघो को चूमा & चूसा & ऐसा करते हुए उसके स्कर्ट को निकाल फेंका.उसने अपनी पॅंट उतार दी & अब वो केवल अंडरवेर मे था.उसने कमरे का दरवाज़ा बंद किया & पलंग पे बैठ रीमा को अपनी गोद मे लिटा लिया.रीमा की उठी हुई शर्ट उसके गोरे पेट को नुमाया कर रही थी & नीचे बस आसमैनी रंग की पॅंटी मे उसकी गोरी टाँगे शेखर पे कहर ढा रही र्ही.
शेखर का 1 हाथ उसके सर के नीचे था & दूसरा जाँघो के बीच मे सहला रहा था.उसने रीमा का सर उठाया शर्म से लाल हो रहे रीमा के चेहरे पे किससे की झड़ी लगा दी.
"नही...नही...",रीमा के होंठ अभी भी यही कह रहे थे पर उसकी आवाज़ मे विरोध से ज़्यादा 1 गरम हो चुकी लड़की की मस्ती थी.शेखर ने पॅंटी के नीचे से हाथ घुसा उसकी गंद की 1 फाँक को अपने हाथ मे भर लिया & दबाते हुए उसके होटो को चूमने लगा.जब उसकी जीभ रीमा की जीभ से टकराई तो रीमा फिर से छॅट्पाटा उठी.ज़माने बाद उसके जिस्म मे फिर से वोही हरारत पैदा हो रही थी.
शेखर का हाथ उसकी गर्दन को घेरते हुए उसकी 1 चूची पा आकर उसे दबाने लगा था.वो उसकी जीभ से खेलते उसे चूमता हुआ उसकी गंद अभी भी दबा रहा था.इस तिहरे हमले ने काई दीनो की प्यासी रीमा को झाड़वा दिया.उसके जिस्म मे वोही जाना पहचाना मज़े का सैलाब बाँध तोड़ता आया तो वो सिसक कर शेखर की गोद से छितक कर उतर गयी & 1 तकिये मे मुँह च्छूपा सिसकने लगी.
शेखर पीछे से उस से आ लगा & उसके बालो को चूमते हुआ अपने हाथ उसकी शर्ट मे घुसाने लगा.शर्ट मे हाथ घुसा उसने थोड़ी देर तक उसकी छातिया दबाई & फिर हाथ को शर्ट के गले मे से निकाल कर उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया & प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को चूमने लगा.रीमा पड़ी हुई उसे उसके दिल की करने दे रही थी.
उसने रीमा को सीधा किया & उसकी शर्ट निकाल दी.सामने रीमा का खुला आसमानी रंग का मॅचिंग ब्रा उसकी तेज़ सांसो से उपर-नीचे होती छातियो पे पड़ा हुआ था.शेखर ने हौले से उसे उसकी बाहो से निकाला & पहली बार उसकी हल्के गुलाबी निपल्स से सजी बड़ी-2 कसी चूचियो का दीदार किया.
"वाउ!रीमा,तुम तो हुस्न की देवी हो.",वो झुक कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चूचिया चूसने लगा.उसे लगा कि वो जन्नत की सैर कर रहा है.इस से बड़ी & उतनी ही कसी छातिया उसने पहले कभी नही देखी थी.उसने जी भर के उन गोलो को दबाया,सहलाया,चूसा & चूमा.उसकी हर्कतो से रीमा 1 बार फिर गरम हो गयी & अपने जेठ के बालो मे मस्ती मे उंगलिया फिराने लगी.
शेखर अब रुक नही सकता था,उसे तो अब बस इस खूबसूरत हसीना की जम कर चुदाई करनी थी.वो उसकी चूचिया छ्चोड़ खड़ा हुआ & पहले रीमा की पॅंटी & फिर अपना अंडरवेर निकाल दिया.रीमा तो शर्म से बहाल हो गयी.रवि के अलावा आज वो पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी हुई थी & उसे नंगा देख रही थी & वो मर्द और कोई नही उसका जेठ था.ये तो उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपने जेठ से चुदेगि.
शेखर ने थोड़ी देर तक अपनी बहू के नंगे हुस्न को आँखो से पिया.उसी वक़्त रीमा ने भी अधखुली आँखो से अपने जेठ के लंड को देखा.उसे हैरत हुई कि वो बिल्कुल उसके पति के लंड जितना ही लंबा & मोटा था.यहा तक की उसका रंग भी वैसा ही था.
शेखर ने उसकी जंघे फैलाई & उसके उपर लेट गया & उसके होठ चूमने लगा,उसका 1 हाथ नीचे गया & लंड पकड़ कर रीमा की चूत मे घुसा दिया.
"आ..आहह..!",रीमा हल्के से करही.कितने दीनो बाद आज फिर उसकी चूत ने लंड चखा था.कुच्छ तो उसकी बनावट ही ऐसी थी & कुच्छ इतने दीनो तक ना चुदने के कारण शायद रीमा की चूत थोड़ा और कस गयी थी.शेखर ने सपने मे भी नही सोचा था की रीमा इतनी कसी होगी,उसके लंड को ये एहसास हुआ तो उसकी भी आह निकल गयी.
अगले 2-3 धक्को मे उसने अपन पूरा लंड जड़ तक रीमा की चूत मे उतार दिया & ज़ोरदार धक्को के साथ उसकी चुदाई करने लगा.वो तो जोश मे पागल ही हो गया,कभी वो उसके गुलाबी होंठ चूमता तो कभी चूचिया.उसके हाथ कभी रीमा के चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी चूचिया दबाते हुए उसके निपल्स को छेड़ते.
थोड़ी देर मे रीमे की चूत भी पानी छ्चोड़ने लगी & वो भी नीचे से कमर हिला-2 कर अपने जेठ के धक्को का जवाब देने लगी.उसने अपने जेठ के जिस्म को अपने बाहों मे भर लिया & आहें भारती हुई अपनी टांगे हवा मे उठा दी.शेखर समझ गया कि वो भी अब झड़ने वाली है.
Re: खिलोना
उसने अपनी रफ़्तार और तेज़ कर दी,"आअ....आ..इयीयैयियी...ईयीई.........एयेए....हह...ढ़ह...ई...र्रररीई.......करीी...ये...नाआअ.....आआ...आअहह..!",रीमा कराह रही थी पर उस से बेपरवाह शेखर बस अपने झड़ने की ओर तेज़ी से बढ़ा चला जा रहा था.
तभी रीमा ने अपने नाख़ून अपने जेठ की पीठ मे गढ़ा दिए & बिस्तर से उठती हुई उसे चूमते हुई उस से कस के चिपेट गयी.वो झाड़ गयी थी.शेखर ने भी 1 आखरी धक्का दिया & उसके बदन ने झटके खाते हुए अपना सारा पानी रीमा की चूत मे छ्चोड़ दिया & उसकी अरसे से प्यासी चूत की प्यास बुझा दी.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे फिर शेखर उठ कर बाथरूम चला गया.कुच्छ देर बाद रीमा उठी,तभी उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी तो उसने पास पड़ी चादर खींच कर अपने बदन के गिर्द लपेट ली.शेखर आकर उसकी बगल मे बैठ गया.दोनो बेड के हेडबोर्ड से टेक लगा बैठे थे.शेखर ने अपनी बाँह के घेरे मे उसे लिया तो रीमा मुँह फेर दूर होने लगी.
शेखर ने उसे और मज़बूती से पकड़ लिया & हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया.रीमा की भरी आँखे & चेहरे की परेशानी देख उसे सब समझ मे आ गया,"मुझसे नाराज़ हो?"
"मेरी ऐसी औकात कहा."
"ऐसी बातें क्यू कर रही हो रीमा?"
"1 बेबस लड़की और कैसी बातें करती है.",उसने अपनी आँसू भरी आँखे शेखर की आँखो से मिलाई.
"तुम्हे ये लग रहा है कि मैने तुम्हारा फ़ायदा उठाया?नही,रीमा मैं सच मे तुमसे प्यार करता हू.तुम्हारी कसम ख़ाके कहता हू तुम्हे कभी अपने से दूर नही करूँगा & 1 दिन तुम्हे अपनी बनाऊंगा."
"आप मुझे इतना बेवकूफ़ समझते हैं.छ्चोड़िए मुझे जाने दीजिए.",रीमा उसकी पकड़ से छूटने के लिए कसमसाई लेकिन शेखर ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी,"रीमा,देखो मेरी आँखो मे.मैं बाते नही बना रहा.अगर तुम्हारे जिस्म से खेलना ही मेरा मक़सद होता तो क्या मैं ऐसा पहले ही नही कर लेता?शायद आज भी मैं ऐसा नही करता पर अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था.मेरा यकीन मानो,रीमा.आइ लव यू & जल्द से जल्द मैं तुमसे शादी कर तुम्हे अपनी बीवी बनाऊंगा."
रीमा ने उसकी आँखो मे देखा तो उसे कही भी कुच्छ ऐसा नज़र नही आया जो उसे अपने जेठ के झूठा होने का सबूत दे.वैसे भी सबकुच्छ उसके सोचे मुताबिक हो हो रहा था.अगर उसका जेठ केवल उसके जिस्म के ही नही उसके प्यार मे भी फँस गया था तो ये तो और भी अच्छी बात थी.
उसने खामोशी से सर झुका लिया.शेखर ने उसे अपने करीब खींचा तो उसने उसके सीने पे सर रख दिया.शेखर उसके बालो को सहलाने लगा,"रीमा,तुम्हारे जैसी लड़की किस्मतवालो को मिलती है.मैं अव्वल दर्जे का बेवकूफ़ सही पर इतना भी नही की तुम्हारे जैसे हीरे से पत्थर के जैसे पेश आऊँ."
"मेरे पास आपका भरोसा करने के सिवा अब कोई चारा भी नही है.प्लीज़ मेरे यकीन को मत तोड़िएगा."
"जान दे दूँगा पर ऐसा नही करूँगा,मेरी जान.",शेखर ने उसके सर को उठा उसके चेहरे को हाथों मे भर उसे चूम लिया.चूमने के बाद रीमा फिर उसके सीने से लग गयी.शेखर ने उसका हाथ थाम लिया & दोनो की उंगलिया 1 दूसरे से खेलने लगी.
थोड़ी देर दोनो खामोशी से ऐसे ही पड़े रहे.
"जाती हू.मा जी को देखना है.",रीमा ने शेखर के सीने से सर उठाया तो उसके बदन से लिपटी चादर नीचे सरक गयी & उसकी चूचिया शेखर के सामने छल्छला उठी.
"थोड़ी देर मे चली जाना.",उसने उसे खींच कर अपने से लगा लिया & उसके होंठ चूमने लगा,उसके हाथ उसकी छातियो से जा लगे.
"छ्चोड़िए ना.",रीमा ने अलग होना चाहा.
"नही.",शेखर ने टांगे फैला उसे अपनी टाँगो के बीच मे ले लिया,अब वो शेखर के सीने से पीठ लगा बैठी थी & वो उसकी चूचियो को मसलता हुआ उसे चूम रहा था.मस्त हो रीमा ने बाहे पीचे ले जाके अपने जेठ के गले मे डाल दी और उसकी किस का जवाब देने लगी.उसका बदन शेखर की हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहा था पर दिमाग़ अपने मक़सद को नही भुला था.उसने सीधे रवि के बारे मे कोई सवाल करना ठीक नही समझा.बात शुरू करने की गरज से उसने सुमित्रा जी के बारे मे पूच्छने की सोचा.
शेखर ने उसके होटो को छ्चोड़ा उसने पूचछा,"1 बात पूच्छू?"
"ह्म्म.",शेखर उसकी गर्दन चूम रहा था.
"मा जी की बीमारी की वजह से ही पिता जी ऐसे गंभीर हो गये हैं क्या?"
"हुन्ह!",शेखर अब उसकी चूत के दाने को सहला रहा था,"..मा की बीमारी का कारण ही वोही है."
"क्या?",शेखर की चूत मे अंदर-बाहर होती उंगली से कमर हिलाती रीमा चौंक गयी.
"हां.",उसने थोड़ा झुक कर रीमा की 1 चूची को चूस लिया.
"ऊओवव......!..मगर कैसे?",रीमा ने उचक कर अपनी चूची उसके मुँह मे थोड़ा और घुसा दी.
"मा की बीमारी तो 1 नुरलॉजिकल डिसॉर्डर से शुरू हुई पर डॉक्टर ने सॉफ ताकीद की थी कि उन्हे कोई भी तनाव ना हो पर उस आदमी की अय्यशिओ ने उन्हे इस हाल मे ही लाके छ्चोड़ा." ,शेखर ने उसकी चूची मुँह से निकाली & उसके दाने को और तेज़ी से रगड़ने लगा.
रीमा बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी,उसने रवि के हाथ को अपनी जाँघो मे भींच लिया & कसमसाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए उसके मन मे बस 1 ही सवाल था क्या शेखर सच कह रहा था विरेन्द्र जी के बारे मे?ऐसा हो भी तो सकता है...आख़िर पिच्छली 2 रातो से मालिश के बहाने वो उसके साथ क्या कर रहे थे..ऐसा कोई शरीफ मर्द तो नही कर सकता अपनी बहू के साथ...या फिर शेखर चिढ़ कर अपने पिता के बारे मे झूठ कह रहा था.
इन्ही सवालो मे उलझी रीमा ने महसूस किया कि वो फिर से बिस्तर पे लेटी हुई है & उसका जेठ 1 बार फिर उसके उपर चढ़ उसकी चूत मे लंड घुसा रहा है.
तभी रीमा ने अपने नाख़ून अपने जेठ की पीठ मे गढ़ा दिए & बिस्तर से उठती हुई उसे चूमते हुई उस से कस के चिपेट गयी.वो झाड़ गयी थी.शेखर ने भी 1 आखरी धक्का दिया & उसके बदन ने झटके खाते हुए अपना सारा पानी रीमा की चूत मे छ्चोड़ दिया & उसकी अरसे से प्यासी चूत की प्यास बुझा दी.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे फिर शेखर उठ कर बाथरूम चला गया.कुच्छ देर बाद रीमा उठी,तभी उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी तो उसने पास पड़ी चादर खींच कर अपने बदन के गिर्द लपेट ली.शेखर आकर उसकी बगल मे बैठ गया.दोनो बेड के हेडबोर्ड से टेक लगा बैठे थे.शेखर ने अपनी बाँह के घेरे मे उसे लिया तो रीमा मुँह फेर दूर होने लगी.
शेखर ने उसे और मज़बूती से पकड़ लिया & हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया.रीमा की भरी आँखे & चेहरे की परेशानी देख उसे सब समझ मे आ गया,"मुझसे नाराज़ हो?"
"मेरी ऐसी औकात कहा."
"ऐसी बातें क्यू कर रही हो रीमा?"
"1 बेबस लड़की और कैसी बातें करती है.",उसने अपनी आँसू भरी आँखे शेखर की आँखो से मिलाई.
"तुम्हे ये लग रहा है कि मैने तुम्हारा फ़ायदा उठाया?नही,रीमा मैं सच मे तुमसे प्यार करता हू.तुम्हारी कसम ख़ाके कहता हू तुम्हे कभी अपने से दूर नही करूँगा & 1 दिन तुम्हे अपनी बनाऊंगा."
"आप मुझे इतना बेवकूफ़ समझते हैं.छ्चोड़िए मुझे जाने दीजिए.",रीमा उसकी पकड़ से छूटने के लिए कसमसाई लेकिन शेखर ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी,"रीमा,देखो मेरी आँखो मे.मैं बाते नही बना रहा.अगर तुम्हारे जिस्म से खेलना ही मेरा मक़सद होता तो क्या मैं ऐसा पहले ही नही कर लेता?शायद आज भी मैं ऐसा नही करता पर अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था.मेरा यकीन मानो,रीमा.आइ लव यू & जल्द से जल्द मैं तुमसे शादी कर तुम्हे अपनी बीवी बनाऊंगा."
रीमा ने उसकी आँखो मे देखा तो उसे कही भी कुच्छ ऐसा नज़र नही आया जो उसे अपने जेठ के झूठा होने का सबूत दे.वैसे भी सबकुच्छ उसके सोचे मुताबिक हो हो रहा था.अगर उसका जेठ केवल उसके जिस्म के ही नही उसके प्यार मे भी फँस गया था तो ये तो और भी अच्छी बात थी.
उसने खामोशी से सर झुका लिया.शेखर ने उसे अपने करीब खींचा तो उसने उसके सीने पे सर रख दिया.शेखर उसके बालो को सहलाने लगा,"रीमा,तुम्हारे जैसी लड़की किस्मतवालो को मिलती है.मैं अव्वल दर्जे का बेवकूफ़ सही पर इतना भी नही की तुम्हारे जैसे हीरे से पत्थर के जैसे पेश आऊँ."
"मेरे पास आपका भरोसा करने के सिवा अब कोई चारा भी नही है.प्लीज़ मेरे यकीन को मत तोड़िएगा."
"जान दे दूँगा पर ऐसा नही करूँगा,मेरी जान.",शेखर ने उसके सर को उठा उसके चेहरे को हाथों मे भर उसे चूम लिया.चूमने के बाद रीमा फिर उसके सीने से लग गयी.शेखर ने उसका हाथ थाम लिया & दोनो की उंगलिया 1 दूसरे से खेलने लगी.
थोड़ी देर दोनो खामोशी से ऐसे ही पड़े रहे.
"जाती हू.मा जी को देखना है.",रीमा ने शेखर के सीने से सर उठाया तो उसके बदन से लिपटी चादर नीचे सरक गयी & उसकी चूचिया शेखर के सामने छल्छला उठी.
"थोड़ी देर मे चली जाना.",उसने उसे खींच कर अपने से लगा लिया & उसके होंठ चूमने लगा,उसके हाथ उसकी छातियो से जा लगे.
"छ्चोड़िए ना.",रीमा ने अलग होना चाहा.
"नही.",शेखर ने टांगे फैला उसे अपनी टाँगो के बीच मे ले लिया,अब वो शेखर के सीने से पीठ लगा बैठी थी & वो उसकी चूचियो को मसलता हुआ उसे चूम रहा था.मस्त हो रीमा ने बाहे पीचे ले जाके अपने जेठ के गले मे डाल दी और उसकी किस का जवाब देने लगी.उसका बदन शेखर की हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहा था पर दिमाग़ अपने मक़सद को नही भुला था.उसने सीधे रवि के बारे मे कोई सवाल करना ठीक नही समझा.बात शुरू करने की गरज से उसने सुमित्रा जी के बारे मे पूच्छने की सोचा.
शेखर ने उसके होटो को छ्चोड़ा उसने पूचछा,"1 बात पूच्छू?"
"ह्म्म.",शेखर उसकी गर्दन चूम रहा था.
"मा जी की बीमारी की वजह से ही पिता जी ऐसे गंभीर हो गये हैं क्या?"
"हुन्ह!",शेखर अब उसकी चूत के दाने को सहला रहा था,"..मा की बीमारी का कारण ही वोही है."
"क्या?",शेखर की चूत मे अंदर-बाहर होती उंगली से कमर हिलाती रीमा चौंक गयी.
"हां.",उसने थोड़ा झुक कर रीमा की 1 चूची को चूस लिया.
"ऊओवव......!..मगर कैसे?",रीमा ने उचक कर अपनी चूची उसके मुँह मे थोड़ा और घुसा दी.
"मा की बीमारी तो 1 नुरलॉजिकल डिसॉर्डर से शुरू हुई पर डॉक्टर ने सॉफ ताकीद की थी कि उन्हे कोई भी तनाव ना हो पर उस आदमी की अय्यशिओ ने उन्हे इस हाल मे ही लाके छ्चोड़ा." ,शेखर ने उसकी चूची मुँह से निकाली & उसके दाने को और तेज़ी से रगड़ने लगा.
रीमा बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी,उसने रवि के हाथ को अपनी जाँघो मे भींच लिया & कसमसाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए उसके मन मे बस 1 ही सवाल था क्या शेखर सच कह रहा था विरेन्द्र जी के बारे मे?ऐसा हो भी तो सकता है...आख़िर पिच्छली 2 रातो से मालिश के बहाने वो उसके साथ क्या कर रहे थे..ऐसा कोई शरीफ मर्द तो नही कर सकता अपनी बहू के साथ...या फिर शेखर चिढ़ कर अपने पिता के बारे मे झूठ कह रहा था.
इन्ही सवालो मे उलझी रीमा ने महसूस किया कि वो फिर से बिस्तर पे लेटी हुई है & उसका जेठ 1 बार फिर उसके उपर चढ़ उसकी चूत मे लंड घुसा रहा है.