खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:38

"आआहह...",रीमा का सर पीछे झुक गया & वो अपने ससुर से अलग होने की कोशिश करने लगी पर उन्होने ने उसे मज़बूती से जाकड़ लिया & उसके पेट को चूमने लगे,जब उनकी जीभ रीमा की नाभि की गहराईओं मे उतरी तो उसकी आँहे और तेज़ हो गयी.रीमा जानती थी कि अगर वो थोड़ी देर और ऐसे रही तो अपने ससुर से ज़रूर चुद जाएगी.

"पिताजी...",उसने उनके बाल पकड़ उनके सर को अपने जिस्म से अलग करने की कोशिश की.विरेन्द्र जी ने अपनी ज़ुबान उसकी नाभि से निकाली & सर उठा कर उसकी ओर देखा.जहा रीमा की आँखो मे उन्हे मस्ती के साथ-2 शर्म & डर भी नज़र आए,वही रीमा को उनकी आँखो मे बस मस्ती & उसके बदन की चाह नज़र आई.

विरेन्द्र जी का हाथ पीठ से उपर उसके सर तक गया & वो उसे नीचे झुकने लगे,उनका मक़सद था अपने होटो को रीमा के होटो से मिला देना.रीमा ने उनकी गिरफ़्त से छूटने की 1 आखरी कोशिश की तो उन्होने पलट के उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसके उपर सवार हो गये.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:39

खिलोना पार्ट--8

रीमा की सारी उसकी कमर तक आ गयी थी & उसकी टाँगो के बीच उसकी चूत पे लंड दबाए उसके ससुर उसके उपर चढ़े उसकी आँखो मे झाँक रहे थे.उसके दोनो हाथ उसके सर के दोनो तरफ तकिये को पकड़े हुए थे.वीरेंद्र जी धीरे-2 अपनी बहू के होठों पे झुकने लगे तो रीमा ने मुँह बाई तरफ फेर लिया पर इस से विरेन्द्र जी को कोई फ़र्क नही पड़ा.वो उसके कान & उसके नीचे उसकी गर्दन को चूमने लगे.

गर्दन चूमते हुए उन्होने रीमा के चेहरे को सीधा किया & 1 बार फिर उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो रीमा ने अबके दाईं ओर मुँह फेर लिया.उसके दाए कान पे & उसके नीचे गर्दन पे भी विरेन्द्र जी ने अपने होंठो की मुहर लगा दी.जब भी वो रीमा के गाल & गले को चूमते हुए उसके होटो के पास आते वो मुँह फेर लेती.वो उन्हे पूरा यकीन दिलाना चाहती थी की वो अपनी अबला बहू का फ़ायदा उठा रहे हैं.

विरेन्द्र जी भी हार मान ने वालों मे से नही थे.वो नीचे आ उसकी गर्दन को चूमने लगे & उसकी ढँकी चूत पे अपने अंडरवेर मे क़ैद लंड से धक्के लगाने लगे.रीमा मस्त होने लगी थी,उसका दिल कर रहा था की तकिये से अपने हाथ हटा अपने ससुर के सर को भींच उनपे किस्सस की झड़ी लगा दे,उसने बड़ी मुश्किल से अपने अरमानो को काबू मे किया.

विरेन्द्र जी उसके ब्लाउस के गले मे से झँकते,तेज़ सांसो से उपर-नीचे होते क्लीवेज पे झुक गये & उसे चूमने,चाटने लगे,"..आअहह..!",रीमा मज़े मे करही.उसकी मस्ती इतनी बढ़ गयी थी कि नीचे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.विरेन्द्र जी वैसे ही उसके सीने को चूमते चूत पे चोट करते रहे & आख़िरकार रीमा अपने बदन को कमान की तरह मोदते & अपनी आहो को तेज़ करते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए वो सब भूल गयी बस उसे ये याद था कि ये गतीले बदन वाला मर्द जो उसके उपर सवार था उसके जिस्म को सुकून पहुँचा रहा है.

उसने तकिये से हाथ हटाए & अपने ससुर के सर को उनमे भर लिया & अपने सीने पे दबा दिया.विरेन्द्र जी समझ गये की उन्होने बाज़ी जीत ली है.उन्होने अपना सर उसके सीने से उपर उठाया & अपनी बहू की मस्त आँखो मे झाँकते हुए उसके हाथ अपने सर से अलग किए & अपनी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसाकर उन्हे फिर से तकिये की दोनो तरफ बिस्तर पे दबा दिया.

वो 1 बार फिर उसके गुलाबी होटो पे झुकने लगे,रीमा भी अब और इंतेज़ार नही कर सकती थी,जवाब मे उसके होंठ भी खुल गये.विरेन्द्र जी के होठ उसके लबो के बिल्कुल करीब पहुँच गये & रीमा ने जैसे ही उन्हे अपने लबो मे क़ैद करना चाहा,विरेन्द्र जी ने अपने होंठ वापस खींच लिए.रीमा ने हैरत से उन्हे देखतो उनकी आँखो मे शरारत नज़र आई.

1 बार फिर उन्होने वही हरकत दोहराई तो रीमा पागल हो बिस्तर से उठ उन्हे चूमने की कोशिश करने लगी पर उसके हाथ विरेन्द्र जी के हाथो मे दबे होने के कारण नाकाम रही.रीमा अपने ससुर के होटो के लिए पागल हो रही थी,इस बार विरेन्द्र जी फिर झुके & जान बुझ कर उन्होने अपने हाथो की पकड़ भी थोड़ी ढीली कर दी.इस बार उसे छेड़ने के मक़सद से जब उन्होने अपने होंठ वापस खींचे तो रीमा ने अपने हाथ च्छुडा,बिस्तर से उठ कर उनके सर को पकड़ लिया & अपने प्यासे होंठ उनके होटो से मिला दिए.

विरेन्द्र जी ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसपे चढ़ अपना बालो भरा सीना उसके सीने पे & अपना लंड उसकी चूत पे दबाते हुए उसकी जीभ को अपनी जीभ से छेड़ने लगे.अपने ससुर को बाहों & टांगो मे जकड़े रीमा बड़ी देर तक उन्हे चूमती रही.साँस लेने को दोनो 1 पल के लिए अलग हुए & फिर से चूमने मे जुट गये.

विरेन्द्र जी ने अपनी बहू को अपनी बाहों मे भर लिया& थोडा करवट लेते हुए हाथ पीछे ले जा उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए & उसकी पीठ को सहलाने लगे.रीमा मस्ती मे उन्हे चूमे जा रही थी & अपने बदन पे उनके हाथो का मज़ा ले रही थी.

करीब 15 मिनिट तक दोनो 1 दूसरे के होटो,चेहरे & गले को चूमते रहे.फिर विरेन्द्र जी ब्लाउस मे हाथ घुसा उसकी चूचिया दबाने लगे & रीमा उनके सीने के बालो मे उंगलिया फिराती उनके निपल्स को अपनी उंगली & अंगूठे मे दबा मसल्ने लगी.

विरेन्द्र जी ने उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग कर दिया तो बहुत ही पतले स्ट्रॅप्स वाले गुलाबी ब्रा मे कसी रीमा की छातिया उनकी नज़रो के सामने आ गयी.ब्रा का हुक वाला स्ट्रॅप भी बहुत पतला था & उसमे बस 1 ही हुक था.विरेन्द्र जी अपनी बहू की टाँगो के बीच लेते हुए उसे लिए बाई करवट पे हो गये & उसे अपने सीने मे भींच उसकी मखमली पीठ का जायज़ा लेने लगे.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:40

उसके कंधे को चूमते हुए उन्होने उसकी पीठ सहलाई & थोड़ी देर सहलाने के बाद उंगलियो की 1 हरकत से उसके ब्रा का हुक खोल दिया.रीमा उनकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए उनके गालो को चूमते हुए अपने ब्रा के उतरने का इंतेज़ार कर रही थी.उसके ससुर ने उसे फिर से बिस्तर पे लिटा दिया & उसके दोनो कंधो को चूमते हुए उसके ब्रा को उतारने लगे.जैसे-2 स्ट्रॅप्स उसके कंधो से नीचे उसकी बाँह से नीचे जाते उनके होंठ भी स्ट्रॅप्स के पीछे-2 वही रास्ता तय करने लगे.

रीमा ने अपनी बाहें उचका के ब्रा निकालने मे विरेन्द्र जी की मदद की.अब उसकी छातिया उसके ससुर के सामने नंगी थी."वाह..!",उन्हे देखते ही विरेन्द्र जी के मुँह से तारीफ निकली.रीमा के गुलाबी निपल्स जोश मे बिल्कुल कड़े हो गये थे.विरेन्द्र जी ने अपनी जीभ के सिरे से उन्हे छेड़ना शुरू कर दिया.वो ना तो उसकी चूचियो को च्छू रहे थे ना ही पूरा मुँह मे ले रहे थे,बस अपनी ज़ुबान से रीमा के निपल्स को छेड़ रहे थे.

रीमा तो चाह रही थी कि वो बस उसकी गोलाईओं को अपने हाथो & होंठो तले मसल दे पर वो तो बस उसे तडपा रहे थे.तड़प के उसने उनका सर पकड़ा & उचक कर अपनी बाई चुचि उनके मुँह मे घुसा दी.विरेन्द्र जी ने उसे मुँह मे भर इतनी ज़ोर से चूसा कि रीमा की आह निकल गयी.उसके दाएँ उरोज़ को दबाते हुए वो उसके बाए उरोज़ को चूसने लगे.रीमा 1 बार फिर मस्त होने लगी.

बड़ी देर तक विरेन्द्र जी अपनी बहू की छतियो को सहलाते,मसल्ते & दबाने के साथ चूमते & चूस्ते रहे.जब उन्होने ने उनको छ्चोड़ा तो वो उनके ज़बान के बनाए निशानो से भरी थी.विरेन्द्र जी नीचे उसके पेट पे आए & थोड़ी देर तक उसे वाहा पे प्यार करते रहे.जब उन्होने अपनी जीभ उसकी नाभि मे उतारी तो रीमा बस पागल ही हो गयी.

अब विरेन्द्र जी उसकी टाँगो के बीच घुटनो पे बैठ गये & उसकी दाई टांग को हवा मे उठा लिया & अपने गाल उसपे रगड़ने लगे,उनका 1 हाथ टांग थामे था तो दूसरा रीमा की जाँघ सहला रहा था.रीमा उनकी इस हरकत से और मस्त हो गयी & उसका बदन मछ्लि की तरह तड़पने लगा.विरेन्द्र जी उसकी टाँग को चूमते उसके घुटने से होते हुए नीचे उसकी भारी,मांसल जाँघ तक पहुँच गये.

वाहा पहुँच कर उन्होने वाहा पे ना केवल चूमा बल्कि ज़ोर-2 से चूस कर रीमा की जाँघो पे भी लव बाइट्स छ्चोड़े & उसकी मस्ती को और बढ़ा दिया.चूमते हुए वो उसकी चूत तक आए तो वाहा पे इतने सारे कपड़े देख वो झल्ला गये.उन्होने 1 ही झटके मे रीमा की सारी & पेटिकोट निकाल दिया.अब उनके सामने उनकी बहू की पॅंटी पूरी तरह से गीली हो उसकी चूत से चिपकी थी.जब वो हाथ बढ़ा उसकी पॅंटी उतारने लगे तो रीमा ने तकिये मे मुँह च्छूपा लिया.

अब वो अपने ससुर के सामने पूरी तरह से नंगी थी.विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको के नीचे अपने हाथ लगाए & उसकी गंद को हवा मे उठा दिया & घुटनो पे बैठ अपने होंठ उसकी उसी के रस से सराबोर चूत पे लगा दिए.

"आनन्न...न्नह...",रीमा की आह निकल गयी & वो फिर कसमसने लगी.उसने अपने ससुर के सर को पकड़ उसे अपनी चूत पे भींच दिया,उसकी कमर अपने आप हिलने लगी थी.विरेन्द्र जी की जीभ उसकी चूत की गहराइयाँ नापने लगी.उन्होने जम के उसकी चूत को चटा,उसके दाने को कभी वो अपनी उंगली से छेड़ते तो कभी जीभ से.रीमा को होश भी नही था कि वो अब तक कितनी बार झड़ी थी.1 लंबे समय के बाद उसे महसूस हुआ कि उसके ससुर अब उसकी चूत से नही खेल रहे हैं.

उसने अपनी नशे से भारी पलके आधी खोली तो देखा की वो अपना अंडरवेर उतार रहे हैं.अंडरवेर उतरते ही उसकी आँखे हैरत से फैल गयी.उसकी टाँगो के बीच उसके ससुर अपना लंड निकाले बैठे थे.इतना बड़ा लंड & इतना मोटा!रीमा ने अंदाज़ा लगाया कि उसके ससुर का लंड 9 इंच लंबा होगा & मोटा भी कितना था.लंड का मट्ठा प्रेकुं से गीला था.उसके नीचे 2 बड़े-2 झांतो से ढके अंडे लटक रहे थे.

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