ak sex se bhari shaam - कामुक संध्या - hindi sex story
Re: ak sex se bhari shaam - कामुक संध्या - hindi sex story
किशोर- आओ ऋतु मेरे लोडा को इसकी क़ैद से बाहर निकालो देखो तेरे मस्त नरम हाथों मे आने को कैसे मचल रहा है
ऋतु- हाँ मलिक अभी इस तोते को मैना के लिए तय्यार कर देती हूँ
किशोर- साली इस तोते के होंठ चूम कुतिया
ऋतु ने आयेज बढ़के किशोर का ब्रीफ उतरा और ताने हुए लोडे का सूपड़ा अपने होंठ से लगा लिया
किशोर- साली मदारचोद इस लोडे को पूरा अंदर तक धकेल के चूस जैसे तू मेरे बाप का लोडा चुस्ती है और अपने हाथों से मेरे आंडों से खेल अगर लोडे के तनाव मे कमी आई तो तेरी चूत मे जलती सिग्रते घसेद दूँगा महीनो तक कोई भी लंड नही ले पाएगी
ऋतु ने अपने मुँह को तेज़ी से लोडे पर चलन शुरू किया और हाथों से किशोर के आंडों को सहलाने और मसालने लगी यह देख के किरण की आँखें चौड़ी हो गयी उसे इस हवेली मे आए 15 दिन ही तो हुए थे यहाँ यह खेल भी हॉट आहिया उसे विश्वास नही हुआ. इधर सरवन ने उसकी झंघों पर हाथ फिरा फिरा के उसकी चूत को पानी से लबालब भर दिया वो अपने शरीर को ऐतने लगी तो किशोर बोल उठा
किशोर- सरवन हटा ना अपनी मालकिन की चड्धि देख कितना पनिया गयी है इसकी चूत और ऋतु तू साली क्या कपड़ो मे रहेगी इधर आ तेरे जिस्म से कपड़े नोंछता हूँ
इतना कहके किशोर ने ऋतु को अपने पास खींच लिया और उसकी कुरती को फाड़ने लगा उसने वाकई मे ऋतु की कुरती फादा और पेटीकोआट का नडा तोड़ दिया दोनो कपड़े ुआरते ही मस्त चुदसी ऋतु सिफ एक नर्माल कच्ची मे किशोर के सामने काहदी थी उसने ब्रा नही पहनी थी लेकिन साली के मस्त टन चुचे यह एहसास दिला रहे थे की ऋतु एक जवान कुतिया है जो उसका मज़ा लूटेगा वो कॉलेज गर्ल की कमसिन जवानी भी भूल जाएगा साली के जिस्म पर एक भी बाल नही थे और बदन मे चिकनाहट बहुत थी
किशोर- ऋतु तू अभी भी उतनी ही चिकनी है जितनी पन्नच साल पहले जब मेरे बाप ने पहली बार तेरी चूत मारी थी और तू उस समय कितने साल की थी
ऋतु- मलिक उसी दिन 18 साल की हुई थी बड़े मलिक ने जवानी मे पैर रखते ही चोद दिया था उस रत की याद मत दिलाओ आज भी चूत पानी से भर उठती है
किशोर- ई ऋतु अपनी नयी मालकिन के लिए बता ना तेरी नयी निकोर चूत को कैसे मर्द के लौदे का स्वाद चखया गया कुआ हुआ था उस रात जब तेरी नरम और चुकनी चूत मेपहली पहली बार लौदा उतरा गया
ऋतु- बिल्कुल मलिक आइए आपका लोडा चूस्ते हुए अपनी पहली चुदाई की दास्तान बताती हूँ की किस किसने उस रात मेरी नयी निकोर चूत का रस पिया और किस किस तरह से मेरे कामुक बदन का स्वाद लिया
किरण- क्या मतलब है तेरा
ऋतु- मालकिन उस रात मेरी चुदाई नही जी भर के लुटाई हुई थी मैं इस हवेली की एकमत्रा जवान कुँवारी नौकरानी थी उस रात बड़े मलिक और उनके दोस्त ने मेरे जिस्म से हर वो खेल खेला जिसकी वो कल्पना करते थे और मुझे जी भर के उपयोग किया हर कामुक और विक्रत तमन्ना पूरी की क्या आप सुनना चाहोगी
किशोर- यह ना भी करे तो सुना साली हरमज़ड़ी मेरी दासी होके चाय्स पूछती है कुतिया साली घोड़ी बनके चोड़ूँगा तब लओुदा भी गांड मे लेगी और कहानी भी सुनयगी सुना मदाचोद जाबमेरा मन्हाई तो उस रात की हर बात बता हम हवेली के मलिक है जिस भी नौकरी को चाहे जैसे मर्ज़ी चोद या छुड़वा सकते है समझ गयी ना तू या तुझे अपने अंदाज मे समझाओ डालु डंडा तेरी गांड मे
ऋतु- मलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीिकककककककक अभी बताती हूँ आप मुझे माफ़ करो प्ल्ज़
किशोर- अब आई ना साली लाइन पे ई सरवन आ इस रंडी की चूत को अपने हाथ से फैला के मेरे लोडे को पकड़ के उस पे रख के बोल लो मलिक मेरी जोरू की चूत मरो आज इसकी यही सज़ा है की इसका खुद का मर्द इसकी चूत को दूसरे लोडे से चुडवाए तब इस कुतिया की औलाद को पता चलेगा की हवेली के मर्दो की बात अनसुना करने का अंजाम क्या होता है
सरवन- ठीक है मलिक
सरवन आयेज बढ़के एक हाथ से ऋतु की चूत के दरवाजे खोलता है और दूसरे हाथ सेकिशोर का लोडा पकड़ के उसका सूपड़ा पिच्चे खींच के उसे ऋतु की चूत के मूह पे रखके बोलता है
सरवन- आओ मलिक ऋतु की गरम गर्म चूत मे अपना मस्त लोडा डालो मेरी मलिक और इसे चोद डालो
किशोर ऋतु की चूत पे लोडा च्छुवता है और फिर लोडे को अंदर ना डालके हटा लेता है
किशोर- चल आख़िरी बार माफ़ किया अगली बार हमारी इच्छा के खिलाफ गयी तो इससे बुरी सज़ा दूँगा
ऋतु किशोर के लंड को हाथों से मसलते हुए
ऋतु- आपका एहसान नही भूलूंगी मलिक आप मुझे मेरे मर्द के सामने चोद के जिंदगी भर के लिए हम दोनो को जलील कर सकते थे पर आपने ऐसा नही किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद मलिक मैं मालकिन और आप सबको अपनी पहली ठुकाई की दास्तान सुनती
ऋतु- हाँ मलिक अभी इस तोते को मैना के लिए तय्यार कर देती हूँ
किशोर- साली इस तोते के होंठ चूम कुतिया
ऋतु ने आयेज बढ़के किशोर का ब्रीफ उतरा और ताने हुए लोडे का सूपड़ा अपने होंठ से लगा लिया
किशोर- साली मदारचोद इस लोडे को पूरा अंदर तक धकेल के चूस जैसे तू मेरे बाप का लोडा चुस्ती है और अपने हाथों से मेरे आंडों से खेल अगर लोडे के तनाव मे कमी आई तो तेरी चूत मे जलती सिग्रते घसेद दूँगा महीनो तक कोई भी लंड नही ले पाएगी
ऋतु ने अपने मुँह को तेज़ी से लोडे पर चलन शुरू किया और हाथों से किशोर के आंडों को सहलाने और मसालने लगी यह देख के किरण की आँखें चौड़ी हो गयी उसे इस हवेली मे आए 15 दिन ही तो हुए थे यहाँ यह खेल भी हॉट आहिया उसे विश्वास नही हुआ. इधर सरवन ने उसकी झंघों पर हाथ फिरा फिरा के उसकी चूत को पानी से लबालब भर दिया वो अपने शरीर को ऐतने लगी तो किशोर बोल उठा
किशोर- सरवन हटा ना अपनी मालकिन की चड्धि देख कितना पनिया गयी है इसकी चूत और ऋतु तू साली क्या कपड़ो मे रहेगी इधर आ तेरे जिस्म से कपड़े नोंछता हूँ
इतना कहके किशोर ने ऋतु को अपने पास खींच लिया और उसकी कुरती को फाड़ने लगा उसने वाकई मे ऋतु की कुरती फादा और पेटीकोआट का नडा तोड़ दिया दोनो कपड़े ुआरते ही मस्त चुदसी ऋतु सिफ एक नर्माल कच्ची मे किशोर के सामने काहदी थी उसने ब्रा नही पहनी थी लेकिन साली के मस्त टन चुचे यह एहसास दिला रहे थे की ऋतु एक जवान कुतिया है जो उसका मज़ा लूटेगा वो कॉलेज गर्ल की कमसिन जवानी भी भूल जाएगा साली के जिस्म पर एक भी बाल नही थे और बदन मे चिकनाहट बहुत थी
किशोर- ऋतु तू अभी भी उतनी ही चिकनी है जितनी पन्नच साल पहले जब मेरे बाप ने पहली बार तेरी चूत मारी थी और तू उस समय कितने साल की थी
ऋतु- मलिक उसी दिन 18 साल की हुई थी बड़े मलिक ने जवानी मे पैर रखते ही चोद दिया था उस रत की याद मत दिलाओ आज भी चूत पानी से भर उठती है
किशोर- ई ऋतु अपनी नयी मालकिन के लिए बता ना तेरी नयी निकोर चूत को कैसे मर्द के लौदे का स्वाद चखया गया कुआ हुआ था उस रात जब तेरी नरम और चुकनी चूत मेपहली पहली बार लौदा उतरा गया
ऋतु- बिल्कुल मलिक आइए आपका लोडा चूस्ते हुए अपनी पहली चुदाई की दास्तान बताती हूँ की किस किसने उस रात मेरी नयी निकोर चूत का रस पिया और किस किस तरह से मेरे कामुक बदन का स्वाद लिया
किरण- क्या मतलब है तेरा
ऋतु- मालकिन उस रात मेरी चुदाई नही जी भर के लुटाई हुई थी मैं इस हवेली की एकमत्रा जवान कुँवारी नौकरानी थी उस रात बड़े मलिक और उनके दोस्त ने मेरे जिस्म से हर वो खेल खेला जिसकी वो कल्पना करते थे और मुझे जी भर के उपयोग किया हर कामुक और विक्रत तमन्ना पूरी की क्या आप सुनना चाहोगी
किशोर- यह ना भी करे तो सुना साली हरमज़ड़ी मेरी दासी होके चाय्स पूछती है कुतिया साली घोड़ी बनके चोड़ूँगा तब लओुदा भी गांड मे लेगी और कहानी भी सुनयगी सुना मदाचोद जाबमेरा मन्हाई तो उस रात की हर बात बता हम हवेली के मलिक है जिस भी नौकरी को चाहे जैसे मर्ज़ी चोद या छुड़वा सकते है समझ गयी ना तू या तुझे अपने अंदाज मे समझाओ डालु डंडा तेरी गांड मे
ऋतु- मलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीिकककककककक अभी बताती हूँ आप मुझे माफ़ करो प्ल्ज़
किशोर- अब आई ना साली लाइन पे ई सरवन आ इस रंडी की चूत को अपने हाथ से फैला के मेरे लोडे को पकड़ के उस पे रख के बोल लो मलिक मेरी जोरू की चूत मरो आज इसकी यही सज़ा है की इसका खुद का मर्द इसकी चूत को दूसरे लोडे से चुडवाए तब इस कुतिया की औलाद को पता चलेगा की हवेली के मर्दो की बात अनसुना करने का अंजाम क्या होता है
सरवन- ठीक है मलिक
सरवन आयेज बढ़के एक हाथ से ऋतु की चूत के दरवाजे खोलता है और दूसरे हाथ सेकिशोर का लोडा पकड़ के उसका सूपड़ा पिच्चे खींच के उसे ऋतु की चूत के मूह पे रखके बोलता है
सरवन- आओ मलिक ऋतु की गरम गर्म चूत मे अपना मस्त लोडा डालो मेरी मलिक और इसे चोद डालो
किशोर ऋतु की चूत पे लोडा च्छुवता है और फिर लोडे को अंदर ना डालके हटा लेता है
किशोर- चल आख़िरी बार माफ़ किया अगली बार हमारी इच्छा के खिलाफ गयी तो इससे बुरी सज़ा दूँगा
ऋतु किशोर के लंड को हाथों से मसलते हुए
ऋतु- आपका एहसान नही भूलूंगी मलिक आप मुझे मेरे मर्द के सामने चोद के जिंदगी भर के लिए हम दोनो को जलील कर सकते थे पर आपने ऐसा नही किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद मलिक मैं मालकिन और आप सबको अपनी पहली ठुकाई की दास्तान सुनती
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चंदर – वाआआअह रे इस मस्त कली के मुह से तो मेरे हाथो से ही कामुक सिसकारी निकल पड़ी लगता है कि साली मस्त है. जब गर्मागर्म लौडा इसकी गीली पानी से भरी चूत में उतारूंगा तो साली कुतिया की तरह चुद पड़ेगी आओ मेरी जान और पास आओ तेरे दोनों कबूतरों को आसमान की सैर करवा दूँ.
इतना बोल के चंदर ने किरण के दोनों पहाड़ की नोक जैसे उठे हुए कबूतरों को अपनी खुरदुरी मुठ्ठी में दबोच के लिया और कबूतर उड़ने के अंदाज़ में बेदर्दी से हवा की ऒर उड़ा दिया और रागिनी की तरफ देख के बोला
चंदर- देख मेरी जान तेरी ननद लौडे को लेने को कितनी उतावली हो रही है। एक तू हैं कुतिया की औलाद
रागिनी – क्याआआआआआअ
चंदर- हरामजादी बकरी की तरह मत मिमिया, नहीं तो अभी तेरे को पहले नंगी करके तेरी चूत में अपना मुसल लंड पेलूँगा फिर तेरी ननद को चोदुंगा. साली तेरी ननद मस्त नंगी होकर देखेगी कि उसकी जवान और चुदासी भाभी कैसे लौडा लेती है अपनी पनियाई हुई चूत में. बोले तो तुझे चोद के मस्त नज़ारा दिखाऊँ तेरी कामुक अनचुदी ननद को.
रागिनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है वो समझ नहीं पाती है की वो सरदार के आगे आके चुदे या किरण को चुदाई का आनंद लेने दे. उसका खुद का शरीर जवान और चुदासा हो चुका था और रात दिन मर्द की मांग करता था. वो खुद यह चाहती थी की कोई उसे चोदे और उसकी चूत की प्यास बुझा दे पर वो गाँव में बदनाम नहीं होना चाहती थी. उसे लगा की यह अच्छा मौका है. सरदार उसे बहु मान कर चोदेगा और वो खुद भी अब अनचुदी नहीं रहना चाहती थी।
रागिनी- नहीं सरदार मैं यह कहना चाहती थी तुम भले ही मुझे चोद लो पर इसे छोड़ दो यह इस हवेली की बेटी है मैं इसके बदले में खुद उछल उछला के अपनी चूत मरवाने को तैयार हूँ।
सरदार- चुप मादरचोद तू खुद भी उछल उछल के चूत मरवाएगी और यह कुतिया भी. एक बात बता तू मुझे की जब रसगुल्ला पास हो तो कोई जलेबी ही खता है क्या
रागिनी – क्या मतलब
चंदर- साली तू चुदी चुदाई और यह नयी निकोर अनकट चूत तू जो मर्ज़ी कह ले इसे आज मेरा मस्त लोडा अपनी चिकनी संकरी चूत मे डालना ही होगा और हाँ तू फिकर मत कर जाते जाते तेरी भी रसीली चूत का स्वाद ले के जाऊंगा और अपने साथियों को भी तेरे उपर से उतारूँगा. वो भी तो देखे कि तेरी चूत मे मज़ा है या तेरी ननद की चूत मे ज़्यादा मज़ा है.
(रागिनी के मन मे लड्डू फूटने लगे और उधर किरण ने सोचा की जब दोनो ही चुदनी थी तो उसने बेकार ही रागिनी का रूप धारण किया पर अब जो होना था हो चुका था अब इसी में भलाई थी कि वो चुपचाप रागिनी का रोल प्ले करती रहे और रागिनी उसका रूप धारण करे रहे)
रागिनी- चंदर क्या ऐसा हो सकता है की तू इसे छोड़ दे और अपना सारा गुस्सा मुझ पे उतार ले
(किरण की आँखें फट गयी जब उसने सुना की रागिनी डाकुयों के सरदार से चुदना चाहती है और उसे पता था की उसकी अनचुदी ननद सरदार और उसके साथियों से चुद तो सकती है परंतु पहली पहली बार ही किसी कमसिन लौंडिया पर अगर 20 मर्द चढ़ जाएँगे तो वो मर भी सकती है शायद रागिनी को यह लग रहा था की सिर्फ़ सरदार उसे चोदेगा और बाकी डाकू नही)
चंदर- ऐसा तो नही होने दूँगा तू हवेली की बहू है अगर इस हवेली की बेटी होती तो शायद अपने सभी साथियों का वीर्य पात तेरे उपर करवाता. तू फिकर मत कर मेरे साथी तेरी हवेली की नौकरानियों को चोद रहे होंगे. तुम दोनो मेरे लंड का स्वाद लेने को तय्यार हो जाओ. ज़्यादा अकड़ दिखाई तो तुम दोनो के उपर अपने बीसियो साथी नंगे करके छोड़ दूँगा सुबह तक चुद चुद के मर जाओगी
रागिनी सिहर गयी और किरण ने चंदर के आगे आकर उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया
किरण- क्या राजा मर्द होके सिर्फ़ बाते. आओ मेरी जवानी को नंगा करो और मज़े लो
चंदर- हाँ कुटिया भूल गया तू इस हवेली की अनचुदी चूत है आ मेरे लंड को बाहर निकल के सहला
किरण- हाँ मेरे राजा आओ मैं अपने नरम होंठो से तुम्हारे लंड को चूम लेती हूँ
चंदर- चूमना ही नही साली चूसना भी है. तेरा भाई जब तेरी भाभी को चोदता तो तू क्या उसके बेडरूम के बाहर छुप छुप के उनकी मादक और कामुक कामलीला नही सुनती है क्या यह तो हवेलियों मे अक्सर होता है की रूम मे चुदाई हो रही होती है और बहरा नौकर, नौकराई या बेटियाँ चुदाई का लाइव शो सुनती है मौका मिले तो देखती भी है
इतना बोल के चंदर ने किरण के दोनों पहाड़ की नोक जैसे उठे हुए कबूतरों को अपनी खुरदुरी मुठ्ठी में दबोच के लिया और कबूतर उड़ने के अंदाज़ में बेदर्दी से हवा की ऒर उड़ा दिया और रागिनी की तरफ देख के बोला
चंदर- देख मेरी जान तेरी ननद लौडे को लेने को कितनी उतावली हो रही है। एक तू हैं कुतिया की औलाद
रागिनी – क्याआआआआआअ
चंदर- हरामजादी बकरी की तरह मत मिमिया, नहीं तो अभी तेरे को पहले नंगी करके तेरी चूत में अपना मुसल लंड पेलूँगा फिर तेरी ननद को चोदुंगा. साली तेरी ननद मस्त नंगी होकर देखेगी कि उसकी जवान और चुदासी भाभी कैसे लौडा लेती है अपनी पनियाई हुई चूत में. बोले तो तुझे चोद के मस्त नज़ारा दिखाऊँ तेरी कामुक अनचुदी ननद को.
रागिनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है वो समझ नहीं पाती है की वो सरदार के आगे आके चुदे या किरण को चुदाई का आनंद लेने दे. उसका खुद का शरीर जवान और चुदासा हो चुका था और रात दिन मर्द की मांग करता था. वो खुद यह चाहती थी की कोई उसे चोदे और उसकी चूत की प्यास बुझा दे पर वो गाँव में बदनाम नहीं होना चाहती थी. उसे लगा की यह अच्छा मौका है. सरदार उसे बहु मान कर चोदेगा और वो खुद भी अब अनचुदी नहीं रहना चाहती थी।
रागिनी- नहीं सरदार मैं यह कहना चाहती थी तुम भले ही मुझे चोद लो पर इसे छोड़ दो यह इस हवेली की बेटी है मैं इसके बदले में खुद उछल उछला के अपनी चूत मरवाने को तैयार हूँ।
सरदार- चुप मादरचोद तू खुद भी उछल उछल के चूत मरवाएगी और यह कुतिया भी. एक बात बता तू मुझे की जब रसगुल्ला पास हो तो कोई जलेबी ही खता है क्या
रागिनी – क्या मतलब
चंदर- साली तू चुदी चुदाई और यह नयी निकोर अनकट चूत तू जो मर्ज़ी कह ले इसे आज मेरा मस्त लोडा अपनी चिकनी संकरी चूत मे डालना ही होगा और हाँ तू फिकर मत कर जाते जाते तेरी भी रसीली चूत का स्वाद ले के जाऊंगा और अपने साथियों को भी तेरे उपर से उतारूँगा. वो भी तो देखे कि तेरी चूत मे मज़ा है या तेरी ननद की चूत मे ज़्यादा मज़ा है.
(रागिनी के मन मे लड्डू फूटने लगे और उधर किरण ने सोचा की जब दोनो ही चुदनी थी तो उसने बेकार ही रागिनी का रूप धारण किया पर अब जो होना था हो चुका था अब इसी में भलाई थी कि वो चुपचाप रागिनी का रोल प्ले करती रहे और रागिनी उसका रूप धारण करे रहे)
रागिनी- चंदर क्या ऐसा हो सकता है की तू इसे छोड़ दे और अपना सारा गुस्सा मुझ पे उतार ले
(किरण की आँखें फट गयी जब उसने सुना की रागिनी डाकुयों के सरदार से चुदना चाहती है और उसे पता था की उसकी अनचुदी ननद सरदार और उसके साथियों से चुद तो सकती है परंतु पहली पहली बार ही किसी कमसिन लौंडिया पर अगर 20 मर्द चढ़ जाएँगे तो वो मर भी सकती है शायद रागिनी को यह लग रहा था की सिर्फ़ सरदार उसे चोदेगा और बाकी डाकू नही)
चंदर- ऐसा तो नही होने दूँगा तू हवेली की बहू है अगर इस हवेली की बेटी होती तो शायद अपने सभी साथियों का वीर्य पात तेरे उपर करवाता. तू फिकर मत कर मेरे साथी तेरी हवेली की नौकरानियों को चोद रहे होंगे. तुम दोनो मेरे लंड का स्वाद लेने को तय्यार हो जाओ. ज़्यादा अकड़ दिखाई तो तुम दोनो के उपर अपने बीसियो साथी नंगे करके छोड़ दूँगा सुबह तक चुद चुद के मर जाओगी
रागिनी सिहर गयी और किरण ने चंदर के आगे आकर उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया
किरण- क्या राजा मर्द होके सिर्फ़ बाते. आओ मेरी जवानी को नंगा करो और मज़े लो
चंदर- हाँ कुटिया भूल गया तू इस हवेली की अनचुदी चूत है आ मेरे लंड को बाहर निकल के सहला
किरण- हाँ मेरे राजा आओ मैं अपने नरम होंठो से तुम्हारे लंड को चूम लेती हूँ
चंदर- चूमना ही नही साली चूसना भी है. तेरा भाई जब तेरी भाभी को चोदता तो तू क्या उसके बेडरूम के बाहर छुप छुप के उनकी मादक और कामुक कामलीला नही सुनती है क्या यह तो हवेलियों मे अक्सर होता है की रूम मे चुदाई हो रही होती है और बहरा नौकर, नौकराई या बेटियाँ चुदाई का लाइव शो सुनती है मौका मिले तो देखती भी है
Re: ak sex se bhari shaam - कामुक संध्या - hindi sex story
किरण- देखा और सुना दोनो है राजा तभी तो इतनी गरम हूँ की तुझसे बिना चूं चपड किए चुदने को तय्यार हूँ आओ राजा रागिनी की गीली पानी से भारी चूत मरो मेरे पहले मर्द.
चंदर – बता तेरा मन करता है अपने भाई का लंड लेने का जो वो तेरी भाभी की गीली चूत मे डालता है और कैसा चोदता है इस रंडी को तेरा भाई
किरण- हाए रे तूने मेरी चूत पूरी पानी से लबालब भर दी. मत पूछ क्या करता है वो सच बोलू तो तू अभी खड़े खड़े वीर्य निकाल डालेगा
(किरण के लिए चुदाई की बाते खेल था क्योंकि वो ही तो चुदती थी यहाँ. वो सिर्फ़ रागिनी का रोल प्ले कर रही थी इसलिए उसने वल्गर शब्दो का प्रयोग करना शुरू किया. क्योंकि उसने सरदार के लंड की उत्तेजना देख ली थी उसने सोचा की जितना जल्दी झाड़ेगा उतनी जल्दी वो यहाँ से चला जाएगा)
चंदर- खुल के बता साली. देख तेरी भाभी की चूत मे पानी भर आया है चलो पहले दोनो रंडी लोग पूरी नंगी हो जाओ फिर तू बताना तेरा भाई तेरी इस भाभी की चूत कैसे मरता है. आओ पहले मुझे पूरा नंगा करो और मेरे लंड से खेलते हुए अपनी मादक चुदाई का किस्सा सुनाओ.
किरण अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी उसने आगे बड़ के सरदार की जांघों पर अपनी चूत रगड़नी शुरू
कर दी और अपनी मस्त गोल और ठोस छतियाँ सरदार के सीने से रगड़ने लगी
किरण- चंदर बहुत मस्त लंड है तू आआआआआअहह प्लीज मेरी चूत की गर्मी शांत कर दे फिर बताती हूँ की मेरा भाई कैसे मेरी भाभी की चूत की गर्मी उतरता है.
हवेली मे अजय और उसका दोस्त राज दोनो शराब का सेवन कर रहे है और दोनो की बातों का केन्द्र एक ही है वो है ऋतु की जवानी
अजय- क्या हुआ राज आज शराब पिए हुए इतना खामोश क्यों है क्या सोच रहा है तू
राज- तुझे पता ही है अजयकी मेरी बीवी मधु मुझे छोड़ के क्यों चली गयी
अजय- वो तो 7 साल हो गये उस बात को आज भी उसे क्यों याद करता है और मुझे पता है उसने तेरे से क्यों तलाक़ लिया था क्योंकि तू अपनी काम वासना की तृप्ति नही कर पता था वो नाज़ुक काली तेरे मोटे हतुयार् से पीस जाती थी और तू एक हवासी लुटेरे की तरह रोज़ अपनी काली जैसी मासूम बीवी को बिस्तेर पे मसल देता था वो तेरी कामुक और पाशविक सेक्स की भावना को पूरा नही कर पति थी
राज- हाँ रे और इसीलिए मैं अब तक अपनी कांवासना मिटाने के लिए कुच्छ खास ही रंडियों के पास जाता हूँ हर एक साली मेरी धार सहन नही कर पति है
अजय- इस बात का अभी क्या मतलब
राज- मुझे अपनी प्यास बुझाए 10 दिन हो गये है मेरा लॉडा बुरी तरह एक छूट की माँग कर रहा है और इस कम मे तू ही मेरी मदद कर सकता है
अजय- क्या मतलब हे तेरा मैं और रणडिबाज़ी मे मदद
राज- नही रे रंडी के पास मत जा बस मेरी एक मदद कर दे
अजय- बोल
राज – ऐसे नही पहले हाँ बोल फिर
अजय- ऐसे कसिए हाँ करूँ कहीं तू अपनी भाभी को माँग बैठा तो
राज- चल तेरी फॅमिली का कोई नही अब तो हाँ है तेरी
अजय- देख सिर्फ़ मदद करूँगा
राज – और क्या तेरा मान कर तो तू शामिल होना नही तो मैं अकेला ही
अजय- ठीक है अगर मेरे बस की बात हुई तो पूरी तरह से मादा कृंगा
राज- देख सिर्फ़ तेरे बस की बात है
अजय- ओक की मदद बोल क्या करना है
राज- वो वो वो यार अजय वो
अजय- क्या वो वो लगा रखी है अब बोल खुल के
राज- वो तेरी नौकरानी ऋतु दिला दे
अजय- कययययययययययययययययययययययाआआआआआआआआआआआअ तुझे पता है तू का माँग रहा है
राज- क्यों क्या हुआ कोई ग़लत बोल गया
अजय- वो अभी 18 की भी नही हुई साले देख ले ऐसी पड़ेगी की बाकचू जैल मे पुलीश गंद तोड़ देगी
राज- सब मंजूर है जब से उसे देखा है साली की छूट मे लॉडा उतरने का मान है
अजय- देख सिर्फ़ छूट तक ही साथ दूँगा उससे आयेज नही
राज- उससे आयेज क्या करूँगा मैं
अजय- तू जान तू कैसे अपनी बीवी को छोड़ छोड़ के पार्शन करता था वो क्यों भागी तेरे को छ्चोड़ के
राज- वो तो मैने उससे एक दिन अपनी छूट मे मेरा मूत भर के पीने को बोला था
अजय- फिर
राज- छ्चोड़ उसे तू इस कामिनी ऋतु की बात बता दिलवाएगा इसकी नरम मुलायम छूट
अजय- साली कोरी है मेरा भी बड़ा मान है इसकी कुँवारी छूट मे लॉडा पेलने का पर तेरी भाभी की वजह से रुका हूँ
राज- डरता है क्या जोरू से
अजय- नही रे सारी जयदाद उसी की है अलग हो गयी तो रोड पे आ जौंगा
राज- सो तो है पर अब क्या करेगा ऋतु को मुझेसे चूड्ता देखेगा
अजय- क्यों नही आज तेरी भाभी हवेली पर नही है अगर ऋतु मान गयी तो हम तीनो रत भर ऐश करेंगे और साली के मज़े लूटेंगे
राज- फिर देर किस बात की है बुला साली को उसकी करारी जवानी का नज़ारा किया जाए और मस्ती के सागर मे डूबा जाए
अजय- ठीक है …. ईई ऋतु इधर आ
ऋतु- आऐ मलिक
अजय- देख हम दोनो के लिए फ्रिड्ज से विस्की और कुछ नमकीन लेके आ जल्दी से
ऋतु – आऐ मलिक
अजय- देखना साली लहँगे चोली मे कितनी मादक और मस्त दिखती है
(तभी ऋतु अंदर आती है उसने लहनगा चोली और दुपट्टा लिया हुआ है उसकी मस्त जवानी 18 साल को टच करती है और श्रीर किसी 22 साल की अलहाल जवान लौंडिया से कम नही है)
राज- इधर आके हुमारा गिलास बना और एक बात बता
ऋतु- क्या मालिक
राज- तेरी उमर क्या है
ऋतु- अभी एक हफ्ते पहले ही वोट देने की उमर हुई है बापू बोले थे
राज- ओहो तो हमारी ऋतु 18 की हो गयी है और हमें पता नही तेरा तो बर्तडे मनाया जाना चाहिए
ऋतु- हम ग़रीबों का क्या बीथड़े और अलग दिन सब दिन एक जैसे होते है
राज- नही आस्सा नही होगा जा जाके बाज़ार से एक केक लेके आ अपनी पसंद का ले पसीए मुझसे ले जा
ऋतु- सच मलिक आप मेरा बर्तडे मनाओगे
राज- हाँ मैं झूठ नही बोला
(ऋतु पैसे लेक जाती है)
अजय- यह क्या है मैं समझा नही
राज- हाए मेरे भोले राजा अब सब रत को साली के बदन से खेलोगे ना तो सब समझ जाओगे
चंदर – बता तेरा मन करता है अपने भाई का लंड लेने का जो वो तेरी भाभी की गीली चूत मे डालता है और कैसा चोदता है इस रंडी को तेरा भाई
किरण- हाए रे तूने मेरी चूत पूरी पानी से लबालब भर दी. मत पूछ क्या करता है वो सच बोलू तो तू अभी खड़े खड़े वीर्य निकाल डालेगा
(किरण के लिए चुदाई की बाते खेल था क्योंकि वो ही तो चुदती थी यहाँ. वो सिर्फ़ रागिनी का रोल प्ले कर रही थी इसलिए उसने वल्गर शब्दो का प्रयोग करना शुरू किया. क्योंकि उसने सरदार के लंड की उत्तेजना देख ली थी उसने सोचा की जितना जल्दी झाड़ेगा उतनी जल्दी वो यहाँ से चला जाएगा)
चंदर- खुल के बता साली. देख तेरी भाभी की चूत मे पानी भर आया है चलो पहले दोनो रंडी लोग पूरी नंगी हो जाओ फिर तू बताना तेरा भाई तेरी इस भाभी की चूत कैसे मरता है. आओ पहले मुझे पूरा नंगा करो और मेरे लंड से खेलते हुए अपनी मादक चुदाई का किस्सा सुनाओ.
किरण अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी उसने आगे बड़ के सरदार की जांघों पर अपनी चूत रगड़नी शुरू
कर दी और अपनी मस्त गोल और ठोस छतियाँ सरदार के सीने से रगड़ने लगी
किरण- चंदर बहुत मस्त लंड है तू आआआआआअहह प्लीज मेरी चूत की गर्मी शांत कर दे फिर बताती हूँ की मेरा भाई कैसे मेरी भाभी की चूत की गर्मी उतरता है.
हवेली मे अजय और उसका दोस्त राज दोनो शराब का सेवन कर रहे है और दोनो की बातों का केन्द्र एक ही है वो है ऋतु की जवानी
अजय- क्या हुआ राज आज शराब पिए हुए इतना खामोश क्यों है क्या सोच रहा है तू
राज- तुझे पता ही है अजयकी मेरी बीवी मधु मुझे छोड़ के क्यों चली गयी
अजय- वो तो 7 साल हो गये उस बात को आज भी उसे क्यों याद करता है और मुझे पता है उसने तेरे से क्यों तलाक़ लिया था क्योंकि तू अपनी काम वासना की तृप्ति नही कर पता था वो नाज़ुक काली तेरे मोटे हतुयार् से पीस जाती थी और तू एक हवासी लुटेरे की तरह रोज़ अपनी काली जैसी मासूम बीवी को बिस्तेर पे मसल देता था वो तेरी कामुक और पाशविक सेक्स की भावना को पूरा नही कर पति थी
राज- हाँ रे और इसीलिए मैं अब तक अपनी कांवासना मिटाने के लिए कुच्छ खास ही रंडियों के पास जाता हूँ हर एक साली मेरी धार सहन नही कर पति है
अजय- इस बात का अभी क्या मतलब
राज- मुझे अपनी प्यास बुझाए 10 दिन हो गये है मेरा लॉडा बुरी तरह एक छूट की माँग कर रहा है और इस कम मे तू ही मेरी मदद कर सकता है
अजय- क्या मतलब हे तेरा मैं और रणडिबाज़ी मे मदद
राज- नही रे रंडी के पास मत जा बस मेरी एक मदद कर दे
अजय- बोल
राज – ऐसे नही पहले हाँ बोल फिर
अजय- ऐसे कसिए हाँ करूँ कहीं तू अपनी भाभी को माँग बैठा तो
राज- चल तेरी फॅमिली का कोई नही अब तो हाँ है तेरी
अजय- देख सिर्फ़ मदद करूँगा
राज – और क्या तेरा मान कर तो तू शामिल होना नही तो मैं अकेला ही
अजय- ठीक है अगर मेरे बस की बात हुई तो पूरी तरह से मादा कृंगा
राज- देख सिर्फ़ तेरे बस की बात है
अजय- ओक की मदद बोल क्या करना है
राज- वो वो वो यार अजय वो
अजय- क्या वो वो लगा रखी है अब बोल खुल के
राज- वो तेरी नौकरानी ऋतु दिला दे
अजय- कययययययययययययययययययययययाआआआआआआआआआआआअ तुझे पता है तू का माँग रहा है
राज- क्यों क्या हुआ कोई ग़लत बोल गया
अजय- वो अभी 18 की भी नही हुई साले देख ले ऐसी पड़ेगी की बाकचू जैल मे पुलीश गंद तोड़ देगी
राज- सब मंजूर है जब से उसे देखा है साली की छूट मे लॉडा उतरने का मान है
अजय- देख सिर्फ़ छूट तक ही साथ दूँगा उससे आयेज नही
राज- उससे आयेज क्या करूँगा मैं
अजय- तू जान तू कैसे अपनी बीवी को छोड़ छोड़ के पार्शन करता था वो क्यों भागी तेरे को छ्चोड़ के
राज- वो तो मैने उससे एक दिन अपनी छूट मे मेरा मूत भर के पीने को बोला था
अजय- फिर
राज- छ्चोड़ उसे तू इस कामिनी ऋतु की बात बता दिलवाएगा इसकी नरम मुलायम छूट
अजय- साली कोरी है मेरा भी बड़ा मान है इसकी कुँवारी छूट मे लॉडा पेलने का पर तेरी भाभी की वजह से रुका हूँ
राज- डरता है क्या जोरू से
अजय- नही रे सारी जयदाद उसी की है अलग हो गयी तो रोड पे आ जौंगा
राज- सो तो है पर अब क्या करेगा ऋतु को मुझेसे चूड्ता देखेगा
अजय- क्यों नही आज तेरी भाभी हवेली पर नही है अगर ऋतु मान गयी तो हम तीनो रत भर ऐश करेंगे और साली के मज़े लूटेंगे
राज- फिर देर किस बात की है बुला साली को उसकी करारी जवानी का नज़ारा किया जाए और मस्ती के सागर मे डूबा जाए
अजय- ठीक है …. ईई ऋतु इधर आ
ऋतु- आऐ मलिक
अजय- देख हम दोनो के लिए फ्रिड्ज से विस्की और कुछ नमकीन लेके आ जल्दी से
ऋतु – आऐ मलिक
अजय- देखना साली लहँगे चोली मे कितनी मादक और मस्त दिखती है
(तभी ऋतु अंदर आती है उसने लहनगा चोली और दुपट्टा लिया हुआ है उसकी मस्त जवानी 18 साल को टच करती है और श्रीर किसी 22 साल की अलहाल जवान लौंडिया से कम नही है)
राज- इधर आके हुमारा गिलास बना और एक बात बता
ऋतु- क्या मालिक
राज- तेरी उमर क्या है
ऋतु- अभी एक हफ्ते पहले ही वोट देने की उमर हुई है बापू बोले थे
राज- ओहो तो हमारी ऋतु 18 की हो गयी है और हमें पता नही तेरा तो बर्तडे मनाया जाना चाहिए
ऋतु- हम ग़रीबों का क्या बीथड़े और अलग दिन सब दिन एक जैसे होते है
राज- नही आस्सा नही होगा जा जाके बाज़ार से एक केक लेके आ अपनी पसंद का ले पसीए मुझसे ले जा
ऋतु- सच मलिक आप मेरा बर्तडे मनाओगे
राज- हाँ मैं झूठ नही बोला
(ऋतु पैसे लेक जाती है)
अजय- यह क्या है मैं समझा नही
राज- हाए मेरे भोले राजा अब सब रत को साली के बदन से खेलोगे ना तो सब समझ जाओगे