Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
admin
Site Admin
Posts: 1587
Joined: 07 Oct 2014 07:28

Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:07

इधर मेरा ‘सामान’ भी पैन्ट में खड़े-खड़े इठने लगा था.. मैंने भी
पारी बदलते हुए उसके मम्मों को हाथों में जकड़ते हुए उसके
सलवार के नाड़े की ओर नज़र दौड़ाई तो देखा की सलवार के
आगे का हिस्सा गीला हो चुका था।
मैंने माया के चेहरे की ओर आश्चर्य भरी निगाहों से देखा तो
माया ने पूछा- क्या हुआ मेरे नवाब.. ऐसे क्यों देख रहे हो?
तो मैंने उसकी सलवार की ओर देखते हुए उससे पूछा- क्या बात
है.. इस समय इतना पानी निकल रहा है.. कि तुम्हारी सलवार
के ऊपर से ही साफ़ झलक रहा है।
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- जब मथानी इतने अच्छे से चलेगी
तो मक्खन तो निकलेगा ही..
मैंने बोला- आज सुबह भी तो मथा था.. तब तो ऐसा नहीं हुआ
था?
तो वो बोली- इस समय पैन्टी नहीं पहनी है और उस समय पैन्टी
पहन रखी थी।
मैंने बोला- हम्म्म.. क्या बात है माया रानी.. लगता है आज
रात का मेरे लिए तुमने पूरा मायाजाल बिछा रखा है।
तो वो हँसते हुए अपने हाथों से मेरे सर को पकड़कर अपने होंठों
से चुम्बन करते हुए बोलने लगी- अब मैं बस तुम्हारी हूँ.. तुम्हारे
लिए कुछ भी करुँगी.. तुमने मेरी बरसों पुरानी इच्छा को पूरा
किया है।
तभी उनका फोन पर घन्टी बजी.. जो कि विनोद का था।
मैंने माया को फोन दे दिया और माया फोन ऑन करके हाल
चाल लेने लगी।
उसने मेरे बारे में पूछा तो बोली- वो बाहर कमरे में टीवी देख
रहा है.. जबकि तब तक सीन बदल चुका था मैं माया की
सलवार उतार कर उसकी मखमली जांघों को सहला रहा था
और अपने मुख से उसके गोल और सुडौल उरोजों का रसपान कर
रहा था।
फिर मैंने धीरे से उनकी मखमली पाव सी चूत में ऊँगली घुसेड़
दी।


यह इतने अचानक से हुआ कि उसके मुँह से ‘आआआआह’ जोर की
चीख निकल पड़ी।
शायद वो इस आघात के लिए तैयार नहीं थी। उसकी चीख
सुनकर विनोद ने कुछ बोला होगा.. जिसके उत्तर में माया ने
बोला- अरे वो.. मैं न कल के लिए सब्जी काट रही थी तो
चाकू लग गया।
तो उसने बोला होगा आराम से काम किया करो तो वो
बोली- आराम से तो सिर्फ सोया जा सकता है.. पर कोई
काम आराम से नहीं कर सकती.. नहीं तो सारे दिन बस आराम
ही करती रहूँगी..
यह बोलकर वो मेरी ओर देखकर हँसने लगी और मैं भी उसकी चूत
के दाने को रगड़ने और मसलने लगा.. जिससे उसकी चूत से रस
का रिसाव प्रारम्भ हो गया और उसकी आवाज़ में भी
कंपकंपी सी आने लगी।
तब तक शायद फोन रूचि ले चुकी थी तो उसने बोला- राहुल से
बात कराओ मैं उससे बोल दूँ कि मेरी माँ का ध्यान अच्छे से
रखे।
तो माया ने बहाना बनाया.. पर उस पर कोई प्रभाव न पड़ा।
फिर उसने मुझसे बात की और मुझसे बात की कि कब आए और
माँ का ख्याल रखना.. उनके चोट भी लग गई है.. वगैरह वगैरह..
मैं शांत खड़ा उसकी बातें सुन रहा था और ‘हाँ.. हूँ’ कर रहा
था।
इतने में माया ने अपना बदला लेने के लिए मेरा लोअर नीचे
किया और मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर जोर-जोर से चूसने
लगी। जिससे मेरी आवाज़ में भी कंपकंपी आ गई।
तो उसने बोला- ऐसे क्यों बोल रहे हो..? अब तुम्हें क्या हुआ?
तो मैंने बोला- एसी की वजह से ठण्ड बढ़ गई है।
मैंने बातों को विराम देते हुए फोन कट कर दिया।
फिर माया को देखा तो देखता ही रह गया..
वो मेरी ओर बड़ी-बड़ी आँखों से बड़ी ही कामुक निगाहों से
देखते हुए मेरे लौड़े को उसकी जड़ तक चूसने के प्रयास में लगी
थी।
जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके सर को हाथों में कस
लिया और उससे बोला- जान अब जीभ से चाटो..
उसने बिल्कुल ऐसा चाटा.. जैसे कोई छोटा बच्चा कोन
वाली आइसक्रीम चाटता है.. जिससे मेरा आनन्द और दुगना
हो गया।
फिर मैंने उससे बोला- इसको अपने थूक से गीला करो।
तो वो आश्चर्य से देखने लगी.. शायद सोच रही होगी कि अब
क्या होने वाला है..
शायद आप भी यही सोच रहे होंगे।
फिर माया ने नज़रें झुकाईं और मेरे गर्म लोहे की रॉड के समान
लौड़े को बिना कुछ कहे ही गीला करने लगी।
जब मैंने देखा कि माया ने अब अच्छे से गीला कर दिया है.. तो
मैंने उसे अपने सामने सोफे के नीचे बैठाया और उसके उरोजों के
बीच अपने सामान को सैट करने लगा।
उसको देखकर साफ़ लग रहा था कि इस तरह से उसने कभी नहीं
किया है और मेरी भी एक अनचाही इच्छा पूरी होने वाली
थी।
फिर मैंने उसको बोला- अब अपने चूचों को दोनों तरफ से दबा
कर मेरे लौड़े की चुदाई ऐसे करो.. जैसे मालिश की जाती है।
एक बार मैंने उसे बताया और फिर उसको ये कार्य सौंप दिया।
वो बड़े अच्छे तरीके के साथ इस कार्य में तल्लीन थी.. जिससे
मुझे काफी मज़ा आ रहा था।

User avatar
admin
Site Admin
Posts: 1587
Joined: 07 Oct 2014 07:28

Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:07

यह मैंने केवल फिल्मों में ही देखा था जो कि आज मेरे साथ
हकीकत में हो रहा था। मेरे शरीर में एक अजीब सा करंट दौड़
रहा था जैसे हज़ारों चीटिंयाँ मेरे शरीर पर रेंग रही हों।
कुछ ही मिनटों के बाद मैंने माया से बोला- अब मेरा होने
वाला है.. मुझे कुछ अजीब सी मस्ती हो रही है।
तो माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में
भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ
मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही
चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा?
तो मैंने उसे अपनी बाँहों में ले कर बोला- सच माया… आज तो
तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी।
फिर वो बोली- ये कहाँ से सीखा था?
तो मैंने बोला- ब्लू-फिल्म में ऐसे करते हुए देखा था।

User avatar
admin
Site Admin
Posts: 1587
Joined: 07 Oct 2014 07:28

Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:07

तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे
हो?
तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और
विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं।
तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ?
तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है
कि नहीं?
तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार
हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी
ज्यादा प्यार करते हैं।
तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई?
मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की
ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है।
तो वो बोली- दिखने में कैसी है?
मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप
उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा..
हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के
घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी
आएंगे।
बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो
उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए।
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच
‘कुछ’ हुआ कि नहीं?
तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक
भाग्यशाली रहा है।
तो उसने पूछा- क्यों?
मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने
अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया…
तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई।
मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न..
रोने क्यों लगीं?
तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई।
मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं
किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं
ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो।
यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें
माया ने मेरा पूरा साथ दिया।
करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना..
अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी।

Post Reply