Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:15

फिर मैंने माया के बगल में लेटते हुए उसके दूसरे ओर ट्रे रख दी।
माया मुझे लगातार हाथ खोलने को बोले जा रही थी..
पर मैं उसकी बातों को अनसुना करते हुए उसके होंठों को चूसते
हुए एक बर्फ के टुकड़े को लेकर उसकी गर्दन से लेकर उसकी
नाभि तक धीरे-धीरे चला कर उसके बदन की गर्मी को ठंडा
करने लगा।
माया को भी अजीब सा लग रहा था.. उसने नहीं सोचा था
कि ऐसा भी कुछ होगा।
उसे एक आनन्द के साथ-साथ सर्दी का भी एहसास होने लगा
था।
जब मैंने उसकी चूचियों पर बर्फ रखी तो क्या बताऊँ यार..
उसके चूचे इतने गर्म और सख्त हो चुके थे कि उसकी गर्माहट
पाकर बर्फ तीव्रता के साथ घुल गई और माया का तनबदन
तड़पने लगा ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह..’ से सिसियाते हुए माया
बोली- राहुल बस कर.. अब और न तड़पा.. दे दे मुझे अपना
प्यार..
मैं बोला- आज तुझे सब दूँगा.. पर थोड़ा तड़पाने के बाद..
फिर मैंने उसकी कुछ भी बिना सुने उसके मम्मों को बर्फ से
सेंकने लगा।
कभी एक उसका एक दूद्धू मुँह में रहता और दूसरे को बर्फ से
सेंकता.. तो कभी दूसरे को मुँह में भरता और पहले वाले को बर्फ
से सेंकता..
और उधर माया की मादक आवाजें मुझे पागल सा बनाने के
लिए काफी थीं।
वो अब कमर उठाकर ‘आआआ… अह्हह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
उउउ..म्म्म्म्म.. राहुल बस कर.. तूने तो पूरे बदन में आज चीटियाँ
दौड़ा दीं..
अब मान भी जा..
पर मैंने उसकी एक न सुनी और बर्फ के टुकड़े को जैसे ही उसकी
गर्दन से लगाता या कमर पर लगाता.. तो वो एक जोर की
‘आआआअह्ह्ह्ह्ह’ के साथ चिहुंक उठती।
फिर मैंने माया की चड्डी एक ही झटके में हाथों से पकड़ कर
उतार दी और जैसे ही मैंने फिर से बर्फ का टुकड़ा दोबारा से
उठाया.. तो वो आँखें बाहर निकालते हुए बोली- राहुल.. अब
बहुत हो गया.. मारेगा क्या मुझे?
तो मैं बोला- तुम बस मज़े लो.. बाक़ी का मैं लूँगा.. और अब
मना करने के लिए मुँह खोला तो तुम्हारा मुँह भी बंद कर दूँगा।
अब माया चुप हो गई फिर मैंने उसकी जाँघों पर.. धीरे-धीरे
बर्फ रगड़ते हुए उसकी चूत के दाने पर मुँह लगा कर उसे चूसना
चालू किया..
जिससे माया के मुँह से दर्द के साथ मीठी.. और कानों को
मधुर लगने वाली सीत्कार ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्..’ निकलने
लगी और मैं उसके चेहरे की ओर देखने लगा।
जब कुछ देर उसने मेरी जुबान का एहसास अपनी चूत पर नहीं
पाया तो उसने आँखें खोलीं और मेरी ओर देखते हुए लज़्ज़ा भरे
स्वर में बोली- अब क्या हुआ.. रुक क्यों गए.. करो न.. मुझे बहुत
अच्छा लग रहा था।
तो मैंने कटीली मुस्कान दी और आँख मारते हुए बोला- तुम बस
मज़ा लो..
अब फिर बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत के भीतर सरका दिया
जो कि कुछ घुल सा गया था.. बर्फ का टुकड़ा लगभग आधा
इंच का रहा होगा.. जिसे माया की लपलपाती चूत आराम से
निगल गई।
पर माया की चूत में बर्फ ने ऐसी खलबली मचाई कि वो जोर-
जोर से ‘आअह्हह्ह.. उम्म्म्म्म स्स्स्स्स्श्ह्ह्हह्ह’ के साथ अपनी
कमर बिस्तर पर पटकने लगी।
सबसे ताज्जुब वाली बात तो यह थी कि उसकी चूत में इतनी
गर्मी थी कि जल्द बर्फ का दम घुट गया और रिस कर बाहर बह
गई.. पर इतनी देर में बर्फ ने माया की चूत में जलन को बढ़ा
दिया था।
मैं अभी देख ही रहा था कि माया बोली- चल अब और न
सता.. डाल दे अन्दर.. और मिटा दे चूत की गर्मी..
तो मैं बोला- पहले इसकी गर्मी बर्फ से शांत करता हूँ.. फिर मैं
कुछ करूँगा।
तो वो बोली- राहुल इसकी गर्मी तो इससे और बढ़ती ही जा
रही है.. अगर कोई शांत कर सकता है तो वो तेरा छोटा
राजाबाबू है।
तो मैंने बोला- चलो ये भी देखते हैं..
मैंने फिर से दूसरा टुकड़ा उठाया जो कि करीब दो इंच लम्बा
और ट्रे के गोल खांचे के हिसाब से मोटा था.. वो समूचा
टुकड़ा मैंने माया की चूत में घुसेड़ दिया और उसके चूत के दाने
को रगड़ते हुए उसे चूसने लगा।
यार सच बता रहा हूँ जरा भी देर न लगी.. देखते ही देखते माया
की चूत उसे भी डकार गई।
अबकी बार उसकी चूत में से बर्फ और चूत दोनों का मिला हुआ
पानी झड़ने लगा.. जिसे मैंने उसकी चड्डी से साफ़ किया।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:15

अब माया बोली- राहुल अब अन्दर डाल दे.. मुझे बर्दाश्त नहीं
होता।
तो मैंने भी सोचा वैसे भी समय बर्बाद करने से क्या फायदा..
चल अब काम पर लग ही जाते हैं।
वैसे भी अभी गाण्ड भी मारनी है गाण्ड मारने का ख़याल
आते ही मेरा ध्यान उसके छेद पर गया जो कि काफी कसा
हुआ था।
मैं सोच में पड़ गया कि मेरा लौड़ा आखिर इतने छोटे और कैसे
छेद को कैसे भेदेगा।
इतने में ही मेरे दिमाग में एक और खुराफात ने जन्म लिया और
वो यह था कि माया की गाण्ड का छेद बर्फ से बढ़ाया
जाए.. क्योंकि उसमें किसी भी तरह का कोई रिस्क भी
नहीं था.. अन्दर रह भी गई तो घुल कर निकल जाएगी.. पर
माया तैयार होगी भी या नहीं इसी उलझन में था।
इतने में माया खुद ही बोल पड़ी- अब क्या हुआ जान.. क्या
सोचने लगे?
तो मैंने उससे बोला- मुझे तो पीछे करना था.. पर तुमने पहले आगे
की शर्त रखी है.. पर मैं ये सोच रहा हूँ.. अगर आगे करते हुए
तुम्हारी गाण्ड में अगर बर्फ ही डालता रहूँ तो उसका छेद
आसानी से फ़ैल सकता है।
तो वो बोली- यार तेरे दिमाग में इतने वाइल्ड और रफ
आईडिया आते कहाँ से हैं?
तो मैं हँसते हुए बोला- चलो बन जाओ घोड़ी.. अब मैं तेरी
सवारी भी करूँगा और तेरी गाण्ड भी चौड़ी करूँगा।
तो वो बोली- पहले हाथ तो खोल दे.. अब मेरे हाथों में भी
दर्द सा हो रहा है।
तो मैंने उसके हाथों की रस्सी खोली और रस्सी खुलते ही
उसने मेरे सीने से चिपक कर मेरे होंठों को चूसा और मेरा लण्ड
सहलाती हुई मेरी गर्दन पर अपनी गर्म साँसों का एहसास
कराते हुए मेरे लौड़े तक पहुँच गई।
फिर से उसे मुँह में लेकर कुछ देर चूसा और फिर बिस्तर से उतार
कर बिस्तर का कोना पकड़ कर घोड़ी की तरह झुक गई।
मैंने भी मक्खन ले कर अच्छे से उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया
और अपनी ऊँगली उसकी गाण्ड में घुसेड़ कर अच्छे से मक्खन
अन्दर तक लगा दिया.. जिससे आराम से ऊँगली अन्दर-बाहर
होने लगी।
फिर मैंने एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में घुसड़ने
के लिए छेद पर दबाने लगा.. पर इससे माया को तकलीफ होने
लगी..
अब मेरा आईडिया मुझे फेल होता नज़र आ रहा था.. तो मैंने
सोचा क्यों न कुछ और किया जाए।
तो फिर मैंने अपने लण्ड को पीछे से ही माया की चूत में डाल
दिया और उसे धीरे-धीरे पीछे से लण्ड को गहराई तक पेलते हुए
चोदने लगा.. जिससे मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी से टकरा
जाता और माया के मुँह से ‘आआआह स्स्स्स्स्स्स्श’ की
सीत्कार फूट पड़ती।
मैं लौड़ा पेलना के साथ ही साथ उसके चूचों को ऐसे दाब रहा
था.. जैसे कोई हॉर्न बजा रहा हूँ।
जब मैंने देखा कि माया पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी तो मैंने
फिर से ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में डाल दी.. जो कि आराम
से अन्दर-बाहर हो रही थी।
इसी तरह दो ऊँगलियाँ एक साथ डालीं.. वो भी जब आराम
से आने जाने लगीं.. तो मैंने फिर से उसकी गाण्ड में बर्फ का
टुकड़ा डाला..
पर इस बार उसकी गाण्ड अपने आप ही खुल बंद हो रही थी और
बर्फ का ठंडा स्पर्श पाते ही माया का रोम-रोम रोमांचित
हो उठा।
उसकी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह स्स्स्श्ह्ह्ह्ह ष्ह्ह उउउउम’ उसके
अन्दर हो रहे आनन्द मंथन को साफ़ ब्यान कर रही थी।
उसकी गाण्ड की गर्मी पाकर बर्फ जब घुलने सी लगी तो
उसकी ठंडी बूँदें उसकी चूत तक जा रही थीं.. जिससे माया
को अद्भुत आनन्द मिल रहा था।
वो मस्तानी चुदक्कड़ सी सिसिया रही थी, ‘बस ऐसे ही..
अह्ह्हह्ह उउउउम.. और तेज़ करो राहुल.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा
है.. आआआअह
वो अपनी चूत से गर्म रस-धार छोड़ने लगी.. जिससे मुझे भी
बहुत अच्छा लग रहा था।
एक तो बाहर बर्फ का ठंडा पानी जो कि लौड़े पर गिर रहा
था और अन्दर माया के जलते हुए बदन का जलता हुआ गर्म
काम-रस..
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था।
जैसे रेस का घोड़ा अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए पूरी ताकत
लगा देता है.. वैसे ही मैं पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ उसकी
चूत में अपना लौड़ा पेलने लगा।
जिससे माया लौड़े की हर ठोकर पर ‘आआअह… अह्ह्ह् उउम्म्म
ष्ह्ह स्स्स्श्ह्ह्ह’ के साथ जवाब देते-देते चोटें झेलने लगी।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:16

उसकी आवाज़ों ने मुझे इतना मदहोश कर दिया था कि मैंने
फिर से अपने होश को खो दिया और जो बर्फ का टुकड़ा
उसकी गाण्ड के छेद पर टिका रखा था, उसे किसी बटन की
तरह उसकी गाण्ड में पूरी ताकत से अंगूठे से दबा दिया.. जिससे
एक ही बार में उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा चला गया।
अब माया गहरी पीड़ा भरी आवाज़ के साथ चिल्लाने लगी-
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्मा.. माँ मार.. डाला..
उसकी तो जैसे जान ही निकल गई हो.. पर अब क्या हो
सकता था उसे तो निकाला भी नहीं जा सकता था और
उसकी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया जो कि मुझे बाद में
पता चला।
खैर.. अब तो मेरा काम हो ही चुका था.. और माया उसी तरह
अपनी टाँगें फैलाए बिस्तर पर सर रखकर झुकी-झुकी ही दर्द पर
काबू पाते हुए ‘आआअह आआआह उउउम्म्म्म्म’ कराहने लगी।
उसके अनुभव के अनुसार उसे उस वक़्त चूत चुदाई का आनन्द और
गाण्ड में बर्फ का दर्द दोनों का मिला-जुला अहसास हो
रहा था।
खैर मैंने उसी तरह माया की ठुकाई करते हुए उसकी चूत में ही
अपना वीर्य उगल दिया..
जिससे माया को अपनी चूत में तो राहत सी मिल गई किन्तु
उसकी गाण्ड में अब खुजली बढ़ चुकी थी।
उसकी गाण्ड की गर्मी का साफ़ पता चल रहा था क्योंकि
बर्फ का टुकड़ा लगभग एक मिनट में ही पिघल कर आधा रह
गया था।
तो मैंने भी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए सोचा.. अभी
लोहा गर्म है बेटा.. मार ले हथौड़ा.. नहीं तो चूक जाएगा।
तो मैंने तुरंत ही झुककर उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुम्बन भी
करना चालू कर दिया और बर्फ के पिघलने से माया का दर्द
भी कम सा हो गया था।
उसके शरीर में रोमांच की तरंगें फिर से उमड़ने लगी थीं..
तो मैंने फिर से उसे यूँ ही प्यार देते हुए जहाँ तक ऊँगलियां जा
सकती थीं.. से बचे हुए बर्फ के टुकड़े को और अन्दर करने लगा।
फिर मैं अपनी दोनों ऊँगलियां अन्दर-बाहर करते हुए आश्चर्य में
था कि पहले जो आराम से नहीं हो रहा था.. पर वो अब
आराम से हो रहा था।
तो मैंने फिर से एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में
दबा दिया जो कि अन्दर नहीं जा पा रहा था और माया
फिर से ‘आआअह’ कराह उठी।
तो मैंने बर्फ के टुकड़े को मक्खन में सान कर फिर से उसकी
गाण्ड में झटके से दबा दिया.. तो इस बार फिर से बर्फ का
टुकड़ा गाण्ड में आराम से चला गया और ख़ास बात यह थी
कि अबकी बार माया को भी दर्द न हुआ।
जैसा कि उसने बाद में बताया था कि पहली बार जब अन्दर
घुसा था तो उसे ऐसा लगा जैसे उसे चक्कर सा आ रहा है..
उसकी आँखें भी बंद हो चुकी थीं और काफी देर तक उसकी
आँखों में अधेरा छाया रहा था.. जैसे किसी ने उसकी जान
ही ले ली हो।
उसे सुनाई तो दे रहा था.. पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
खैर मैंने यूँ ही बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर माया की गाण्ड को
अच्छे से फैला दिया था।
जब बर्फ का टुकड़ा आराम से अन्दर-बाहर होने लगा.. तो मैंने
भी देर न करते हुए माया को चूमा और उसे उठा कर.. फिर से
उसके होंठों का रसपान किया और उसके मम्मों को रगड़-रगड़
कर मसलते हुए उसकी चुदाई की आग को हवा देने लगा।
मेरा लौड़ा भी पूरे शबाव में आकर लहराते हुए उसके पेट पर
उम्मीदवारी की दस्तक देने लगा.. जिसे माया ने बड़े प्यार से
पकड़ा और उसे चूमते हुए बोली- बहुत जालिम हो गए हो.. अब
अपनी गुड़िया को दर्द दिए बिना भी नहीं मानते।
वो कुछ इस तरह से बोल रही थी कि उसके शब्द थे तो मेरे लिए..
पर वो मेरे लौड़े के लिए लग रहे थे।
तो मैंने भी अपने लौड़े को लहराते हुए उससे बोला- जान बस
आखिरी इच्छा और पूरी कर दे.. फिर जब तू कहेगी तेरी हर
तमन्ना खुशी से पूरी कर दूँगा।
तो वो उसे मुँह में भरकर कुछ देर चूसने के बाद बोली- ले अब मार
ले बाजी.. लेकिन प्यार से..

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