Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
तो मैंने झट से उसे घुमाया और सर नीचे बिस्तर पर छुआने को
बोला.. उसने ठीक वैसा ही किया, जिससे उसकी गाण्ड ऊपर
को उठ कर मेरे सामने ऐसे आई जैसे माया बोल रही हो- गॉड
तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो..
मैंने भी फिर से मक्खन लिया और अच्छे से अपने लौड़े पर मल
लिया.. फिर थोड़ा और लिया और उसकी गाण्ड के छेद के
चारों ओर मलते हुए उँगलियों से गहराई में भरने लगा।
फिर मैंने अच्छे से ऊँगलियाँ अन्दर-बाहर कीं.. जब दो ऊँगलियाँ
आराम से आने-जाने लगीं.. तो मैंने माया से बोला- अब तुम्हारे
सब्र के इम्तिहान की घड़ी आ चुकी है.. अपनी कुंवारी गाण्ड
के उद्घाटन के लिए तैयार हो जाओ और मेरे लिए दर्द सहन
करना।
तो माया ने दबी आवाज़ में मुँह भींचते हुए ‘हम्म’ बोला और
सहमी हुई आँखें बंद किए हुए सर को बिस्तर पर टिका लिया।
फिर मैंने धीरे से अपने लौड़े को पकड़ कर उसके छेद पर दबाव
बनाया लेकिन लण्ड अन्दर करने में नाकाम रहा।
तो मैंने माया से मदद मांगी।
उसने सर टिकाए हुए अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर अपनी
गाण्ड के छेद को फैला लिया।
मैंने फिर से प्रयास किया.. इस बार कुछ सफलता मिली ही
थी कि माया टोपे के हल्का सा अन्दर जाते ही आगे को
उचक गई.. जिससे फिर से मेरा लौड़ा बाहर आ गया।
तो मैंने माया से तीखे शब्दों में बोला- क्या यार.. ऐसे थोड़ी
न करते हैं..
तो माया सहमी हुई बोली- यार डर लग रहा है.. मैं कैसे झेलूँगी?
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथों से चटाका लगाते हुए बोला- जैसे आगे
झेलती है..
और उसकी कमर को सख्ती से पकड़ कर फिर से लौड़ा
टिकाया।
तो वो फिर से उचकने लगी इसी तरह जब तीन-चार बार हो
गया तो मैंने फिर से बर्फ का एक टुकड़ा लिया और उसकी
गाण्ड के छेद में जबरदस्त तरीके से चिड़चिड़ाहट के साथ दाब
दिया.. जिससे माया को बहुत दर्द हुआ और वो पैर सिकोड़
कर लेट सी गई.. पर बर्फ का टुकड़ा तो अन्दर अब फंस चुका
था।
तो मैंने उससे बोला- अब देख.. जो दर्द होना था.. वो हो
चुका.. अब बर्दास्त करके चुपचाप उसी तरह से हो जाओ..
वर्ना फिर से यही करूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से करना..
वो फिर उसी तरह से गाण्ड उठाकर लेट गई.. फिर मैंने उसी बर्फ
के टुकड़े के सहारे अपने लौड़े को धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में
दबाव देते हुए डालने लगा और कमाल की बात यह थी कि
उसकी गाण्ड भी आराम से पूरा लौड़ा खा गई और अब मेरे
सामान की गर्मी और माया की गाण्ड की गर्मी पाकर
बर्फ अपना दम तोड़ चुकी थी।
उसकी गाण्ड का कसाव मेरे लौड़े पर साफ़ पता चल रहा था।
फिर मैंने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर अपने लण्ड को
बाहर की ओर खींचा.. तो माया के मुख से दर्द भरी घुटी सी
‘अह्ह…ह्ह’ निकल गई।
पर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे तरबूज़ के अन्दर चाकू डाल कर
निकाला जाता है।
फिर मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर
करने लगा जिसमे मुझे भी उसकी गाण्ड के कसाव के कारण
अपने लौड़े पर रगड़ महसूस हो रही थी।
माया का तो पूछो ही नहीं.. उसका दर्द से बुरा हाल हो
गया था.. पर मेरे कारण वो अपने असहनीय दर्द को बर्दास्त
किए हुए आँखों से आँसू बहाते हुए लेटी रही।
फिर मैंने अपने लण्ड को टोपे से कुछ भाग अन्दर रखते हुए बाकी
का बाहर निकाला और उसमें थोड़ा सा मक्खन लगाया और
फिर से अन्दर डाला।
इस तरह यह प्रक्रिया 5 से 6 बार दोहराई तो मैंने महसूस किया
कि अब चिकनाई के कारण लौड़ा आराम से अन्दर-बाहर आ-
जा रहा था।
फिर मैंने माया की ओर देखा.. तो अब उसे भी राहत मिल
चुकी थी। जो कि उसके चेहरे से समझ आ रही थी।
मैंने इसी तरह चुदाई करते हुए अपने लौड़े को बाहर निकाला और
इस बार जब पूरा निकाल कर अन्दर डाला.. तो लौड़ा ‘सट’
की आवाज करता हुआ आराम से अन्दर चला गया.. जैसे कि
उसका अब यही अड्डा हो।
इस बार माया को भी तकलीफ न हुई।
बोला.. उसने ठीक वैसा ही किया, जिससे उसकी गाण्ड ऊपर
को उठ कर मेरे सामने ऐसे आई जैसे माया बोल रही हो- गॉड
तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो..
मैंने भी फिर से मक्खन लिया और अच्छे से अपने लौड़े पर मल
लिया.. फिर थोड़ा और लिया और उसकी गाण्ड के छेद के
चारों ओर मलते हुए उँगलियों से गहराई में भरने लगा।
फिर मैंने अच्छे से ऊँगलियाँ अन्दर-बाहर कीं.. जब दो ऊँगलियाँ
आराम से आने-जाने लगीं.. तो मैंने माया से बोला- अब तुम्हारे
सब्र के इम्तिहान की घड़ी आ चुकी है.. अपनी कुंवारी गाण्ड
के उद्घाटन के लिए तैयार हो जाओ और मेरे लिए दर्द सहन
करना।
तो माया ने दबी आवाज़ में मुँह भींचते हुए ‘हम्म’ बोला और
सहमी हुई आँखें बंद किए हुए सर को बिस्तर पर टिका लिया।
फिर मैंने धीरे से अपने लौड़े को पकड़ कर उसके छेद पर दबाव
बनाया लेकिन लण्ड अन्दर करने में नाकाम रहा।
तो मैंने माया से मदद मांगी।
उसने सर टिकाए हुए अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर अपनी
गाण्ड के छेद को फैला लिया।
मैंने फिर से प्रयास किया.. इस बार कुछ सफलता मिली ही
थी कि माया टोपे के हल्का सा अन्दर जाते ही आगे को
उचक गई.. जिससे फिर से मेरा लौड़ा बाहर आ गया।
तो मैंने माया से तीखे शब्दों में बोला- क्या यार.. ऐसे थोड़ी
न करते हैं..
तो माया सहमी हुई बोली- यार डर लग रहा है.. मैं कैसे झेलूँगी?
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथों से चटाका लगाते हुए बोला- जैसे आगे
झेलती है..
और उसकी कमर को सख्ती से पकड़ कर फिर से लौड़ा
टिकाया।
तो वो फिर से उचकने लगी इसी तरह जब तीन-चार बार हो
गया तो मैंने फिर से बर्फ का एक टुकड़ा लिया और उसकी
गाण्ड के छेद में जबरदस्त तरीके से चिड़चिड़ाहट के साथ दाब
दिया.. जिससे माया को बहुत दर्द हुआ और वो पैर सिकोड़
कर लेट सी गई.. पर बर्फ का टुकड़ा तो अन्दर अब फंस चुका
था।
तो मैंने उससे बोला- अब देख.. जो दर्द होना था.. वो हो
चुका.. अब बर्दास्त करके चुपचाप उसी तरह से हो जाओ..
वर्ना फिर से यही करूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से करना..
वो फिर उसी तरह से गाण्ड उठाकर लेट गई.. फिर मैंने उसी बर्फ
के टुकड़े के सहारे अपने लौड़े को धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में
दबाव देते हुए डालने लगा और कमाल की बात यह थी कि
उसकी गाण्ड भी आराम से पूरा लौड़ा खा गई और अब मेरे
सामान की गर्मी और माया की गाण्ड की गर्मी पाकर
बर्फ अपना दम तोड़ चुकी थी।
उसकी गाण्ड का कसाव मेरे लौड़े पर साफ़ पता चल रहा था।
फिर मैंने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर अपने लण्ड को
बाहर की ओर खींचा.. तो माया के मुख से दर्द भरी घुटी सी
‘अह्ह…ह्ह’ निकल गई।
पर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे तरबूज़ के अन्दर चाकू डाल कर
निकाला जाता है।
फिर मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर
करने लगा जिसमे मुझे भी उसकी गाण्ड के कसाव के कारण
अपने लौड़े पर रगड़ महसूस हो रही थी।
माया का तो पूछो ही नहीं.. उसका दर्द से बुरा हाल हो
गया था.. पर मेरे कारण वो अपने असहनीय दर्द को बर्दास्त
किए हुए आँखों से आँसू बहाते हुए लेटी रही।
फिर मैंने अपने लण्ड को टोपे से कुछ भाग अन्दर रखते हुए बाकी
का बाहर निकाला और उसमें थोड़ा सा मक्खन लगाया और
फिर से अन्दर डाला।
इस तरह यह प्रक्रिया 5 से 6 बार दोहराई तो मैंने महसूस किया
कि अब चिकनाई के कारण लौड़ा आराम से अन्दर-बाहर आ-
जा रहा था।
फिर मैंने माया की ओर देखा.. तो अब उसे भी राहत मिल
चुकी थी। जो कि उसके चेहरे से समझ आ रही थी।
मैंने इसी तरह चुदाई करते हुए अपने लौड़े को बाहर निकाला और
इस बार जब पूरा निकाल कर अन्दर डाला.. तो लौड़ा ‘सट’
की आवाज करता हुआ आराम से अन्दर चला गया.. जैसे कि
उसका अब यही अड्डा हो।
इस बार माया को भी तकलीफ न हुई।
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
मैं माया से कुछ बोलता कि इसके पहले ही माया बोली- क्यों
अब हो गई न इच्छा पूरी?
तो मैंने बोला- अभी काम आधा हुआ है।
वो बोली- चलो फिर पूरा कर लो.. तो मैंने फिर से उसकी
गाण्ड से लौड़ा निकाला और तेज़ी के साथ लौड़े को फिर से
अन्दर पेल दिया जो कि उसकी जड़ तक एक ही बार में पहुँच
गया।
जिससे माया के मुख से दर्द भरी सीत्कार, ‘अह्ह्ह ह्ह..
आआआह मार डाला स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह’ फूट पड़ी और आँखों के
सामने अँधेरा सा छा गया।
और मैं उस पर रहम खाते हुए कुछ देर यूँ ही रुका रहा और आगे को
झुक कर मैंने उसकी पीठ को चूमते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल
कर अन्दर-बाहर करने लगा।
इसके कुछ देर बाद ही माया सामान्य होते हुए चूत में उँगलियों
का मज़ा लेते सीत्कार करने लगी।
अब मैंने भी इसी तरह उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उसकी गाण्ड
में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा फिर कुछ ही समय बाद चूत की
खुजली मिटाने के चक्कर में माया खुद ही कमर चलाते हुए तेज़ी
से आगे-पीछे होने लगी और उसके स्वर अब दर्द से आनन्द में
परिवर्तित हो चुके थे।
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपनी भी गति बढ़ा दी
और अब मेरा पूरा ‘सामान’ बिना किसी रुकावट के.. उसको
दर्द दिए बिना ही आराम से अन्दर-बाहर होने लगा।
जिससे मुझे भी एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी..
जिसको शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
देखते ही देखते माया की चूत रस से मेरी ऊँगलियां ऐसे भीगने
लगीं जैसे किसी ने अन्दर पानी की टोंटी चालू कर दी हो।
पूरे कमरे उसकी सीत्कारें गूंज रही थी- आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म
स्सस्स्स्स्श ज्ज्ज्जाअण आआअह आआइ जान बहुत मज़ा आ
रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. शुरू में
तो तूने फाड़ ही दी थी.. पर अब अच्छा लग रहा है.. तुम बस
अन्दर-बाहर करते रहो.. लूट लो इसके कुंवारेपन का मज़ा..
तो मैं भी बेधड़क हो उसकी गाण्ड में बिना रुके ऐसे लण्ड ठूँसने
लगा.. जैसे ओखली में मूसल चल रहा हो।
उसकी चीखने की आवाजें, ‘उउउउम्म्म्म आआआअह्ह्ह्ह
श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह अह्ह्हह आह आआह’ मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश
बढ़ाने लगीं।
जिससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के
करीब पहुँच गया। अति-उत्तेजना मैंने अपने लौड़े को ऐसे ठेल
दिया जैसे कोई दलदल में खूटा गाड़ दिया हो।
इस कठोर चोट के बाद मैंने अपना सारा रस उसकी गाण्ड के
अंतिम पड़ाव में छोड़ने लगा और तब तक ऐसे ही लगा रहा.. जब
तक उसकी पूरी नली खाली न हो गई।
फिर मैंने उसकी गाण्ड को मुट्ठी में भरकर कसके भींचा और
रगड़ा.. जिससे काफी मज़ा आ रहा था। और आए भी क्यों
न.. माया की गाण्ड किसी स्पंज के गद्दे से काम न थी।
फिर इस क्रीड़ा के बाद मैं आगे को झुका और उसकी पीठ का
चुम्बन लेते हुए.. उसकी बराबरी में जाकर लेट गया।
अब उसका सर नीचे था और गाण्ड ऊपर को उठी थी.. तो मैं
उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसकी चूचियों को छेड़ने लगा..
पर वो वैसे ही रही।
मैंने पूछा- क्या हुआ.. सीधी हो जाओ.. अब तो हो चुका जो
होना था।
तो माया अपना सर मेरी ओर घुमाते हुए बोली- राहुल तूने
कचूमर निकाल दिया।
उस समय तो जोश में मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी थी.. पर अब जरा
भी हिला नहीं जा रहा है।
तो मैंने उसे सहारा देते हुए आहिस्ते से लिटाया और मेरे लिटाते
ही माया की गाण्ड मेरे लावे के साथ-साथ खून भी उलट रही
थी जो कि उसके अंदरुनी भाग के छिल जाने से हो रहा था।
अब हो गई न इच्छा पूरी?
तो मैंने बोला- अभी काम आधा हुआ है।
वो बोली- चलो फिर पूरा कर लो.. तो मैंने फिर से उसकी
गाण्ड से लौड़ा निकाला और तेज़ी के साथ लौड़े को फिर से
अन्दर पेल दिया जो कि उसकी जड़ तक एक ही बार में पहुँच
गया।
जिससे माया के मुख से दर्द भरी सीत्कार, ‘अह्ह्ह ह्ह..
आआआह मार डाला स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह’ फूट पड़ी और आँखों के
सामने अँधेरा सा छा गया।
और मैं उस पर रहम खाते हुए कुछ देर यूँ ही रुका रहा और आगे को
झुक कर मैंने उसकी पीठ को चूमते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल
कर अन्दर-बाहर करने लगा।
इसके कुछ देर बाद ही माया सामान्य होते हुए चूत में उँगलियों
का मज़ा लेते सीत्कार करने लगी।
अब मैंने भी इसी तरह उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उसकी गाण्ड
में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा फिर कुछ ही समय बाद चूत की
खुजली मिटाने के चक्कर में माया खुद ही कमर चलाते हुए तेज़ी
से आगे-पीछे होने लगी और उसके स्वर अब दर्द से आनन्द में
परिवर्तित हो चुके थे।
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपनी भी गति बढ़ा दी
और अब मेरा पूरा ‘सामान’ बिना किसी रुकावट के.. उसको
दर्द दिए बिना ही आराम से अन्दर-बाहर होने लगा।
जिससे मुझे भी एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी..
जिसको शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
देखते ही देखते माया की चूत रस से मेरी ऊँगलियां ऐसे भीगने
लगीं जैसे किसी ने अन्दर पानी की टोंटी चालू कर दी हो।
पूरे कमरे उसकी सीत्कारें गूंज रही थी- आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म
स्सस्स्स्स्श ज्ज्ज्जाअण आआअह आआइ जान बहुत मज़ा आ
रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. शुरू में
तो तूने फाड़ ही दी थी.. पर अब अच्छा लग रहा है.. तुम बस
अन्दर-बाहर करते रहो.. लूट लो इसके कुंवारेपन का मज़ा..
तो मैं भी बेधड़क हो उसकी गाण्ड में बिना रुके ऐसे लण्ड ठूँसने
लगा.. जैसे ओखली में मूसल चल रहा हो।
उसकी चीखने की आवाजें, ‘उउउउम्म्म्म आआआअह्ह्ह्ह
श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह अह्ह्हह आह आआह’ मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश
बढ़ाने लगीं।
जिससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के
करीब पहुँच गया। अति-उत्तेजना मैंने अपने लौड़े को ऐसे ठेल
दिया जैसे कोई दलदल में खूटा गाड़ दिया हो।
इस कठोर चोट के बाद मैंने अपना सारा रस उसकी गाण्ड के
अंतिम पड़ाव में छोड़ने लगा और तब तक ऐसे ही लगा रहा.. जब
तक उसकी पूरी नली खाली न हो गई।
फिर मैंने उसकी गाण्ड को मुट्ठी में भरकर कसके भींचा और
रगड़ा.. जिससे काफी मज़ा आ रहा था। और आए भी क्यों
न.. माया की गाण्ड किसी स्पंज के गद्दे से काम न थी।
फिर इस क्रीड़ा के बाद मैं आगे को झुका और उसकी पीठ का
चुम्बन लेते हुए.. उसकी बराबरी में जाकर लेट गया।
अब उसका सर नीचे था और गाण्ड ऊपर को उठी थी.. तो मैं
उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसकी चूचियों को छेड़ने लगा..
पर वो वैसे ही रही।
मैंने पूछा- क्या हुआ.. सीधी हो जाओ.. अब तो हो चुका जो
होना था।
तो माया अपना सर मेरी ओर घुमाते हुए बोली- राहुल तूने
कचूमर निकाल दिया।
उस समय तो जोश में मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी थी.. पर अब जरा
भी हिला नहीं जा रहा है।
तो मैंने उसे सहारा देते हुए आहिस्ते से लिटाया और मेरे लिटाते
ही माया की गाण्ड मेरे लावे के साथ-साथ खून भी उलट रही
थी जो कि उसके अंदरुनी भाग के छिल जाने से हो रहा था।
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
मैंने माया के चेहरे की ओर देखा जो कि इस बात से अनजान
थी। उसकी आँखें बंद और चेहरे पर ओस की बूंदों के समान पसीने
की बूँदें चमक रही थीं और मुँह से दर्द भरी आवाज लगातार
‘आआआअह अह्ह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह’ निकाले जा रही थी।
मैं उसकी इस हालत तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड
और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई
की.. जिससे माया ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने
दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया।
तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में
चला गया।
उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली-
तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज
से मेरा सब कुछ तुम्हारा राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू.. सो
मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना।
थी। उसकी आँखें बंद और चेहरे पर ओस की बूंदों के समान पसीने
की बूँदें चमक रही थीं और मुँह से दर्द भरी आवाज लगातार
‘आआआअह अह्ह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह’ निकाले जा रही थी।
मैं उसकी इस हालत तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड
और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई
की.. जिससे माया ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने
दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया।
तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में
चला गया।
उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली-
तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज
से मेरा सब कुछ तुम्हारा राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू.. सो
मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना।