घरेलू चुदाई समारोह compleet
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ने मुश्कुराकर मान को देखा। वो उसे बहुत पसंद नहीं करती थी। वह उसके हिसाब से कुछ ज्यादा ही कड़क था। अगर वो इस अकड़ को छोड़ सके और जीवन का आनंद लेने को तैयार हो तो वो जरूर एक शक्तिशाली चुदक्कड़ बन सकता था।
“धन्यवाद, कर्नल मान। मैं और मेरे पति सजल पर गर्व करते हैं…”
“अपना ध्यान रखना प्रिय, मैं कल जाने के पहले तुम्हें फ़ोन करूंगी। या मैं एक और रात रुक जाऊँगी। अगर मैं रुकी तो मैं तुम्हें कल दोपहर लेने आऊँगी। हम कोई पिक्चर देखेंगे और रात का भोजन साथ करेंगे…” कोमल ने प्यार से कहा।
“मैं आपसे जल्दी ही मिलने की उम्मीद रखता हूँ…” कर्नल ने कहा।
“धन्यवाद, कर्नल…” वो मन ही मन मुश्कुराई क्योंकी उसने कर्नल की आंखों में वासना की भूख महसूस की।
कोमल के होटल का कमरा काफी बड़ा और आरामदेह था। उसने सामान खोला और थोड़ी देर लेट गई। उसने पेपर देखा और एक अच्छा रेस्तरां ढूँढ़ निकाला। खाना खाकर वो होटल वापस आ गई। पर कमरे में जाने की बजाय वो तरणताल की ओर बढ़ गई। कुछ अतिथि तैरने का आनंद उठा रहे थे। उसने वहीं बैठकर लोगों को तैरते हुए देखने का निश्चय किया।
“हेलो…” उसकी ही उम्र के एक बेहद आकर्षक आदमी ने तरणताल के अंदर से उसे संबोधित किया- “क्या आप तैरेंगी नहीं…”
“नहीं, धन्यवाद, मैं कल तक इंतज़ार करूंगी, अभी बहुत ठंडक है…”
वह अजनबी ताल के किनारे निकलकर आ बैठा। कोमल को वह पसंद आ गया। वो काफी कद्दावर था और सीने पर घने बाल थे। उसका लण्ड भी उसके कच्छे से उदीप्त हो रहा था। “क्या आप होटल में ही रुकी हैं…” उसने पूछा।
“हाँ, और आप…” कोमल आगे की सम्भावनाओं पर विचार कर रही थी। उसने कभी सुनील के साथ धोखा नहीं किया था। पर अब वो घर से दूर अकेली थी, वो किसी के साथ भी चुदाई का सुख ले सकती थी, किसी को पता नहीं लगने वाला था।
“मैं कल तक यहीं हूँ, मेरा नाम प्रेम है। माफ़ करिये मेरा हाथ गीला है…” उसने कोमल की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।
“मैं कोमल हूँ। क्या आप शहर में व्यवसाय हेतु आए हैं…” उसे अपनी आवाज़ में एक कम्पन महसूस हुआ। उसने रेस्तरां में शराब पी थी उसके कारण वो काफी चुदासी हो उठी थी।
प्रेम ने उसे बताया कि वो एक सेल्समैन था और अपने कार्य के लिये यहाँ आया था। उन्होंने कुछ देर बातें की और एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए। कोमल ने प्रेम को अपने मन की आंखों से उसे निर्वस्त्र करता हुआ महसूस किया। कुछ ही देर में उसकी प्यासी चूत दनादन पानी छोड़ने लगी।
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प्रेम ने कहा कि उसके कमरे में शराब की एक बोतल रखी है जो वह उसके साथ बांटना चाहता है।
कोमल ने हामी भरी और वो अंदर चले गये। जितनी शराब उसने पी थी उसके बाद उसे और शराब की ज़रूरत नहीं थी। पहले से ही हल्के नशे के कारण वो ऊँची हील के सैंडलों में थोड़ी सी लड़खड़ा रही थी, पर वो यह जानती थी कि प्रेम का यह सुझाव उसे अपने कमरे में बुलाने का एक बहाना था। उसने अभी यह निश्चित नहीं किया था कि वो प्रेम से चुदवायेगी या नहीं, पर वो उसका साथ खोना नहीं चाहती थी। जब प्रेम ने उसके गिलास में वोडका डाली और पास आकर बिस्तर पर बैठा तो उसकी नज़र प्रेम के कच्छे से झाँकते लण्ड पर पड़ गई। प्रेम भी उसके वस्त्रों के अगले भाग से झाँक रहा था। उसके कपड़ों का निचला हिस्सा घुटनों तक चढ़ गया था। प्रेम समझ नहीं पा रहा था कि वो आंखों से किस अंग का सेवन करे - विशाल मम्मों का या चिकनी जांघों का।
“मैं भी शादीशुदा हूँ, कोमल। मैं अधिकतर अपनी पत्नी के साथ दगा नहीं करता, पर तुम इतनी सुंदर हो कि मैं…” वो कहते हुए रुक गया।
कोमल को भी आश्चर्य हुआ जब उसने अपने आपको यह कहते हुए सुना- “क्या तुम यह कहना चाहते हो कि तुम मेरे साथ हमबिस्तर होना चाहते हो…” शायद यह उस शराब का ही असर था जो उसने इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कह दी थी।
“हाँ…” प्रेम फुसफुसाकर बोला।
“तो आगे बढ़ो न…” वो भी वापस फुसफुसाई।
जब प्रेम की बलिष्ठ बाहों ने उसे घेरा तो उसे लगा कि वो बेहोश हो जायेगी। अपने पति से विश्वासघात करने के रोमांच ने उसकी ग्लानि को दबा दिया था। जब प्रेम ने उसके शरीर को बिस्तर पे बिछाया तो वो उससे चिपक गई। प्रेम ने एक प्रगाढ़ चुम्बन की शुरूआत की।
“मेरी गर्दन को चूमो और काटो…” कोमल बोली- “हाँ… हाँ प्रेम ऐसे ही, और जोर से…”
जब प्रेम ने उसके वस्त्रों के पीछे लगे ज़िप को खोलने की चेष्टा की तो कोमल बोली- “जल्दी मुझे नंगा करो प्रेम… मैं तुमसे अपने मम्मों को कटवाना चाहती हूँ… उन्हें भी उसी तरह काटो जैसे तुमने मेरी गर्दन को काटा था…”
प्रेम ने रिकार्ड समय में उसकी यह हसरत पूरी कर दी। कोमल ने अपने शरीर को बिस्तर पर ठीक से व्यविस्थत किया। “वाह, क्या शानदार गोलाइयां हैं…” प्रेम ने उसकी नंगी चूचियों को देखकर कहा।
“बातें मत करो, मेरी चूचियों को चबाओ…” कोमल ने प्रेम का चेहरा अपने स्तनों की ओर खींचते हुए कहा। हालांकि उसे तारीफ़ अच्छी लगी थी पर उसका संयम चुक सा गया था।
प्रेम ने वही किया। कोमल की चूचियां पहाड़ सी खड़ी थीं।
“काटो, मुझे यह बहुत अच्छा लगता है… चूसो, काटो… तुम मुझे तकलीफ़ नहीं दे रहे हो। तुम जितनी जोर से चाहो चूस और काट सकते हो…”
“रुको कोमल, तुमने मुझे उन्हें जी भरकर देखने ही नहीं दिया…” अपना मुँह हटाते हुए प्रेम ने कहा और उन हसीन पहाड़ियों का अवलोकन करने लगा।
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“मैं तुम्हें बाद में जी भरकर दिखा दूंगी। अभी तुम उन्हें चूसो बस…” कोमल ने उसे वापस अपनी ओर खींचा।
“यह कितने कड़क हैं…” उसने उनको अपनी मुट्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
“जोर से…” कोमल फुसफुसाई।
“तुम्हें आदमी की जोर-जबर्दस्ती पसंद है… है न…” उसने उन मम्मों को जोर-जोर से भींचना और मसलना शुरू कर दिया।
“हाँ प्रेम, मेरे साथ इसी तरह पेश आओ, जैसे कि मेरा पति नहीं करता…” उसे यह कहने में कोई संकोच नहीं हुआ। आखिर वो प्रेम से दोबारा तो कभी मिलने से रही।
“तुम्हें देखकर कोई यह नहीं मान सकता कि इतनी उच्च-स्तरीय दिखने वाली औरत ऐसी चुदक्कड़ होगी…”
“यह सच है प्रेम, इतने सालों में मैं अपने पति को उस तरह से चोदने के लिये नहीं मना पाई जैसा कि मुझे पसंद है… तुम तो उसी तरह करोगे जैसा कि मुझे पसंद है… है न प्रेम… मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी… तुम्हारा लण्ड चूसूंगी और उसका रस भी पियूंगी…”
प्रेम वापस कोमल के मम्मे चूसने लगा। कोमल ने उसकी चड्ढी उतार दी। वो उसका लण्ड चूसना चाहती थी। प्रेम का लण्ड मुक्त हो गया।
“मुझे खुशी है कि यह काफ़ी बड़ा है…” वो शायद सुनील के लण्ड से बड़ा और थोड़ा मोटा भी था- “मुझे अपनी चूत में मोटे और बड़े लण्ड ही पसंद हैं…”
“इसे पूरा उतार दो और फ़िर देखो की यह तुम्हारे अंदर कैसा लगेगा…” प्रेम ने कोमल के रहे-सहे वस्त्र उतारते हुए कहा। कोमल अब पूरी तरह नंगी थी। सिर्फ उसके पैरों में ऊँची एंड़ी के सैंडल बंधे हुए थे। प्रेम ने जब कोमल की चमचमाती चिकनी चूत देखी तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपना मुँह कोमल की चूत में घुसेड़ दिया। वो उस अमृत का पान करना चाहता था।
“नहीं प्रेम, मैं तुमसे अपनी चूत अभी नहीं चटवाना चाहती। पहले मैं तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती हूँ। पहले मेरे मुँह को वैसे ही चोदो जैसे तुम मेरी चूत को चोदोगे…”
प्रेम ने एक सैकंड की भी देर किये बिना अपना लण्ड कोमल के हसीन चेहरे के आगे झुला दिया- “मेरे लण्ड को अपने मुँह में डालो…” उसने कहा।
“ऊँहहहफ़…” जब प्रेम ने सारा लण्ड उसके मुँह में पेल दिया तो कोमल का मुँह भर गया। लण्ड का मुँह उसके गले तक पहुंच रहा था। प्रेम ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया। कोमल के गाल फ़ूलने-पिचकने लगे। प्रेम ने जब अपने नीचे हो रहे दृश्य को देखा तो उसका तन्नाया हुआ लण्ड और सख्त हो गया। उसे लगा कि वो झड़ने वाला है।
“हाँ बेबी, पी जाओ…” उसने अपना रस कोमल के फ़ूले हुए मुँह में छोड़ते हुए कहा।