घरेलू चुदाई समारोह compleet
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कोमल की चूत गर्मा गई। पर उसने अपना ध्यान दूसरी ओर कर लिया। पिक्चर बड़ी मज़ाकिया थी। वो अपने बेटे के साथ खूब हँसी। रात के भोजन में कोमल ने अपनी वाइन सजल के साथ बांटी। हालांकि रेस्त्रां के मालिक ने इस पर एतराज़ किया था पर यह जानकर कि वो मम्मी-बेटे हैं मान गया था। जब वो होटल पहुंचे तो कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी। अगर आज रात को कुछ होगा तो शयद उससे कुछ भला ही होगा।
“मैं अपने तैरने के वस्त्र बाथरूम से बदल कर आता हूँ… लेकिन आज मैं आपको डाइव करना नहीं सिखाऊँगा क्योंकी आपने काफी ड्रिंक की हुई है…” सजल ने कहा।
“मैं तुम्हारी मम्मी हूँ, तुम मेरे सामने भी बदल सकते हो… चलो यहीं बदलो… देखो मैं भी तुम्हारे सामने ही बदल रही हूँ…” और बिना सजल के जवाब का इंतजार किये कोमल ने अपने कपड़े और सैंडल उतारने शुरू कर दिये। उसने अपनी ब्रा और चड्ढी उतारने में हल्की सी देर लगाई जिससे कि सजल को कुछ उत्सुकता हो।
“देखो कितना आसान है… मैं तुम्हारी मम्मी हूँ और तुम मेरे बेटे, हमें एक दूसरे को नंगा देखने में शर्म कैसी…”
“कुछ भी नहीं…” सजल के मुँह से मुश्किल से आवाज़ निकली। पर अगर यह इतना आसान था तो उसका लण्ड खड़ा क्यों हो रहा था…
“जल्दी करो सजल, तरणताल थोड़ी ही देर में बंद हो जायेगा…” कोमल अपनी बिकिनी निकालने में मशगूल हो गई। उसकी पीठ सजल की ओर थी, पर वह सजल के नंगे जिश्म को देखने के लिये मुड़ने को तत्क्षण तैयार थी। कोमल ने अपनी बिकिनी पहनी ही थी कि सजल ने अपनी चड्ढी उतार दी। वह तेज़ी के साथ अपनी तैरने की चड्ढी पहनने के लिये झपटा। पर वो कोमल के सामने थोड़ा धीमा पड़ गया। कोमल तब तक पलट चुकी थी और उसने सजल का मोटा बड़ा लण्ड भी देख लिया था।
“तुम काफ़ी बड़े हो गये हो, प्रिय…” उस खुशनसीब माँ ने अपने बेटे के हथियार पर एक भरपूर नज़र डाली। उसने जो देखा उससे उसका मन अति आनंदित हो गया। सजल का लण्ड सुनील से बड़ा और मोटा था, रहा होगा कोई दस इंच लम्बा और अच्छा खासा मोटा। सजल के टट्टे भी भारी थे और घनी झाँटों में छुपे हुए थे। कोमल के मुँह में पानी आ गया।
पर उसने संयम बरता और कहा- “बेहतर होगा कि तुम अपनी चड्ढी पहनकर तैरने चलो…” यह कहकर उसने दूसरी ऊँची एंड़ी की चप्पलों में पैर डाले और दरवाज़े की ओर बढ़ गई। सजल को नंगा देखकर कोमल की दबी हुई भावनाएं दोबारा करवटें लेने लगी थीं। उसे शक था कि आज की रात वो अनचुदी नहीं रहेगी।
सजल भी अपने आपको संतुलित करने की कोशिश कर रहा था। पर उसके मन में भी एक सागर उमड़ रहा था।
थोड़ी देर तैरने के बाद कोमल बोली- “अब बहुत ठंडक हो गई है, चलो अंदर चलते हैं…”
कमरे में पहुंचकर दोनों काफ़ी तनाव में थे। सजल ने पहले कमरे में बिछे दोनों बिस्तरों की ओर देखा, और फ़िर अपनी मम्मी की ओर। कोमल समझ गई कि वो क्या सोच रहा था। अब सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता था। पर उसे एक ही डर था कि अगर सजल उससे नफ़रत करने लगा तो वो क्या करेगी… कहीं वो खुद ही अपने आपसे नफ़रत न करने लगे।
इन सारे शकों के बावज़ूद अपने बेटे को चोदने का ख्याल हावी था। कोमल ने अपनी बिकिनी की डोर खोलते हुए कहा- “हमें सोने के पहले नहा लेना चाहिये…” और इसी के साथ उसकी बिकिनी की ब्रा ज़मीन पर जा गिरी। सजल अपनी पैंट उतारने में अभी भी हिचकिचा रहा था।
“तुम यह कच्छा पहनकर तो ठीक से नहा नहीं सकते…” कोमल ने अपनी चड्ढी उतारते हुए कहा।
वो लड़का अपनी मम्मी के शानदार जिश्म को देखकर ठगा सा रह गया। उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ ऊँची एंड़ी की चप्पलें पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। सजल ने कहा- “तुम जाकर पहले नहा लो मम्मी, मैं तुम्हारे बाद नहा लूंगा…”
“नहीं, हम दोनों साथ ही नहाएंगे…” यह कहते हुए कोमल अपने विशाल मम्मे झुलाती हुई सजल की ओर बढ़ी। वो काफ़ी उत्तेजित थी।
“मम्मी क्या तुम समझती हो कि ये ठीक होगा…”
“अवश्य, अब तुम अपनी पैंट उतारो, या मैं उतारूं…”
“नहीं, मैं उतार लूंगा…”
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ने पानी चलाकर टब के अंदर अपना पैर रखा। जब उसने अपने पीछे सजल को आते न देखा तो आवाज़ दी कि वो अब देर न करे।
नंगा लड़का बाथरूम में घुसा। कोमल उसे देखकर समझ गई कि वह क्यों शर्मा रहा था। उसका लण्ड ताड़ की तरह अपनी पूरी दस इंची लम्बाई तक तनकर खड़ा था। सजल ने अपनी इस हालत के लिये क्षमा मांगने को मुँह खोलना चाहा।
“तो क्या तुम इसलिये इतने शर्मा रहे थे…” कोमल ने हँसते हुए कहा- “इसमें कुछ गलत नहीं है बच्चे… इससे सिर्फ़ यह सिद्ध होता है कि तुम एक स्वस्थ लड़के हो। मुझे इसलिये भी खुशी है कि शायद यह मेरे कारण है… “आओ अंदर, पानी तुम्हारी पसंद का है, हल्का गुनगुना…” कोमल ने अपना हाथ बढ़ाकर सजल को टब में खींच लिया। उसने सजल को साबुन देकर कहा कि वो उसकी पीठ पर मले। “जोर से घिसना…”
सजल का लण्ड नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऊपर से उसकी मम्मी की नंगी पीठ का स्पर्श उसे और उत्तेजित कर रहा था। उसका लम्बा लण्ड उचक-उचक कर उसकी मम्मी की गाण्ड को छूने की कोशिश कर रहा था।
“ऊँहुं… मुझे कुछ लगा…” कोमल खिलखिलाई जब सजल के लण्ड ने अपने परिश्रम में सफ़लता पाई और अपने लक्ष्य को छू लिया। वो थोड़ा पीछे सरकी जिससे कि उसे दोबारा यह सुख मिले।
“माफ़ करना मम्मी…” लड़का सकपकाकर बोला और थोड़ा पीछे हटा।
“क्यों, तुम्हारे शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर को छुए तो इसमें क्या गलत है… मुझे साबुन दो, मैं तुम्हारी पीठ पे लगा दूँ…” पहले कोमल ने सजल की पीठ पर साबुन लगाया और फ़िर छाती पर और कहा- “अब मेरी छाती पर साबुन लगाने की तुम्हारी बारी है…”
“शर्माओ मत… मुझे छुओ…” कहते हुए उसने सजल के हाथ अपने मम्मों पर लगा दिये। इसके बाद कोमल ने अब तक की सबसे साहसी हरकत की- “तुम्हें अपने शरीर के हर हिस्से को अच्छे से साफ़ करना होगा, इसे भी…” कहते हुए उसने सजल का भरपूर लौड़ा अपने हाथ में भर लिया।
“ओह मम्मी…”
“मैं जानती थी कि तेरा लौड़ा ऐसा ही शानदार होगा…” कोमल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसने अपने चेहरे को झुकाया।
“नहीं, मम्मी हम ऐसा… पापा…” लड़का हकलाने लगा पर उसने अपनी मम्मी को रोका नहीं।
“हमें करना ही होगा… मुझे तुम्हारी इतनी ज़रूरत है कि मैं रुक नहीं सकती… अब बहुत देर हो चुकी है… अपनी मम्मी को स्वयं को खुश कर लेने दो मेरे बेटे…” कहते हुए उसने वो मूसल अपने मुँह में भर लिया।
“आआआह… मम्मी, तुम्हारा मुंह…”
“ऊँह ऊँह…” कोमल तो अब उस महान हथियार का स्वाद लेने में जुटी थी। वह हुमक-हुमक कर लौड़े को चूस रही थी। इस समय उसकी तुलना गर्मी में आई हुई बिल्ली से की जा सकती थी।
सजल भी अब चुप नहीं रहा। जब उसने यह जान लिया कि उसकी मम्मी अब रुकने वाली नहीं है, तो उसने भी अपनी मम्मी को पूरा आनंद देने का निर्णय लिया। उसने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी चूचियों पर रखे और धीरे-धीरे मसलने लगा।
“उन्हें खींचो और उमेठो…” कोमल ने सीत्कार भरी। वह समझ नहीं पा रही थी कि इस जवान लण्ड का स्वाद लिये बगैर वो अभी तक जीवित कैसे थी… उसके मुँह से तो वो छूट ही नहीं पा रहा था। हालांकि उसकी चूत उबल रही थी, पर उस प्यासी मम्मी ने पहले अपने पुत्र को पहला सम्पूर्णानंद देने का वचन लिया। वह दिखाना चाहती थी वह उसके लिये क्या कुछ कर सकती थी।
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“तुम मेरे मुँह में झड़ सकते हो, मेरे राजा बेटे…” उसने अपनी जीभ को लण्ड के द्वार पर लगाए रखा।
“क्या तुम सच कह रही हो मम्मी…” सजल अब रुक नहीं पा रहा था। उसने पूरा दम लगाकर अपनी मम्मी के विशाल मम्मों को खींचा।
“मुझे इस समय दुनिया में और कुछ नहीं चाहिये…”
“तो फ़िर लो… यह मेरा पहली बार है किसी औरत के मुँह में झड़ने की…”
“आ जाओ बेटे, तुम्हारी मम्मी का मुँह तुम्हारे रस को पीने के लिये बेचैन और प्यासा है…”
सजल यही सुनना चाहता था। उसने कोमल के मम्मों को और जोर से भींच डाला। कोमल की चीख निकल गयी। पर अगले ही पल उसको अपनी जीभ पर अमृत की पहली बूंद का स्वाद महसूस हुआ।
“पियो मम्मी…” कहते हुये सजल ने जो पिचकारी मारनी शुरू की तो कोमल का पूरा मुँह वीर्य से भर गया।
यह सोचकर कि कोई बूंद बाहर न गिर जाये कोमल ने वापस अपना मुँह सजल के तने लण्ड पर कस दिया। इस प्रक्रिया में कोमल को लगा कि कुछ हो रहा है जो उसकी समझ के बाहर है… पर क्या… फ़िर उसने जाना कि वो भी तेज़ी के साथ झड़ रही थी, बिना चुदे, बिना अपनी चूत को छुए… और ऐसे बह रही थी कि बस…
“चोद मेरे मुँह को, मेरे लाल… मैं भी झड़ रही हूँ…” जब वासना का ज्वर समाप्त हुआ तो कोमल ने अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लिया और सिसकने लगी।
“मम्मी, क्या तुम ठीक हो…”
मम्मी ने अपने बेटे का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया- “मैं इससे ज्यादा संतुष्ट कभी नहीं हुई, मेरे लाल…”
सजल ने उसकी एक चूची को कचोट कर पूछा- “मम्मी क्या तुम समझती हो कि जो हुआ वो सही था…”
“अब वापस जाने के लिये बहुत देर हो चुकी है… और मैं सोचती हूँ कि जो हुआ अच्छा हुआ। तुम क्या सोचते हो…”
“मुझे इस बारे में कुछ अजीब सा लग रहा है… पर था बहुत अच्छा… बहुत… पर मैं अब पापा से मिलने में थोड़ा परेशान होऊँगा…”
कोमल की मुश्कुराहट गायब हो गई- “हाँ ये दिक्कत रहेगी… पर हम उन्हें बता नहीं सकते। हमें ध्यान देना होगा कि हमारे आचरण से उन्हें कोई शक न हो…”
जब सजल ने हामी भरी तो कोमल बोली- “हमारे पास पूरी रात पड़ी है, प्यारे… और अभी तक मैनें तुम्हारा यह मूसल जैसा लौड़ा अपनी चूत में महसूस नहीं किया है…”
“यहाँ… टब में…” सजल ने पूछा।
“नहीं पागल, मैं चाहती हूँ कि जब तुम मुझे चोदो तो खूब जगह हो जिससे कि मैं जितना घूमना चाहूं, घूम सकूं। मैं जानती हूँ कि जब तुम्हारा यह बल्लम मेरी चूत में घुसेगा तो मैं पागल हो जाऊँगी और तड़प-तड़पकर घूम-घूमकर चुदवाऊँगी… चलो बिस्तर पर चलो…”
उस चुदासी नंगी माँ ने अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर की ओर बढ़ चली। उसने अपने शरीर को सुखाने के बारे में सोचा तक नहीं। बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी करके बाहें फैलाकर बोली- “आ मेरे बच्चे, अब मुझे चोद…”
“तुमने मुझे चूसा था मम्मी, क्या मैं भी…” सजल ने कोमल की झाँटों में से झलकती, गुलाबी चूत को देखते हुए पूछा। उसने कभी चूत नहीं चाटी थी और वो भी अपनी मम्मी को अपने प्यार की गहराई दिखाना चाहता था।
“हाँ, मेरे प्यारे… तेरा लाख-लाख शुक्र यह सोचने के लिये…” कोमल हाँफ़ती हुई बोली और अपनी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैलाने लगी। अंदर का हसीन नज़ारा दिखाते हुए बोली- “अपनी जीभ को यहाँ डाल मेरे लाड़ले…”
जब सजल ने अपना मुँह उसके नज़दीक किया तो चूत की तीखी गंध उसके नथुनों में आ समाई। कोमल ने अपनी चूत की मांस-पेशियों की फैलाया-सिकोड़ा जिससे कि गंध और बढ़ी। पर सजल रुका नहीं। उसने अपने यार-दोस्तों से सुना था कि चूत चाटना बेहद ही वाहियात काम है। पर उसके मन में अपनी मम्मी की फुदकती हुई चूत के लिये ऐसी कोई भावना नहीं थी। जब सजल की जीभ ने चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो कोमल की तो जान ही निकल गई। उसने अपना सिर उठाया जिससे कि वह अपनी चुसाई देख सके।
“मेरे प्यारे बच्चे…” वो कुलबुलाई- “अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ तुम बहुत अच्छा कर रहे हो…” अगर वो इस रास्ते पर चल ही पड़े थे तो पूरा ही आनंद लिया जाये, उसने सोचा। उस भूखे लड़के को चूत की महक से नशा सा हो चला था। उसे आश्चर्य था कि वह चूत उसकी जीभ पर इतनी तंग क्यों लग रही थी। उसने अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया।
“चूसो जोर से…” जब सजल ने कोमल की चूत की क्लिट को चबाया तो वह बिल्कुल बेकाबू हो उठी।