प्यार का रिश्ता --2
मैं उसके मूह से पहली बार किसी चुदवाने जैसे शब्द को सुनकर चौंक पड़ा..... पर मैने कोई भाव उसके सामने प्रदर्शित नही किया......
"क्या हुआ मेरे राजा!!!! सन्न रह गये क्या मेरे मूह से चुदवाने जैसा सब्द सुनकर" शिवानी गाड़ी चलाते हुए मेरी तरफ देखे बिना कह गई.......
" नही ऐसा बिल्कुल भी नही है रानी!!!.... मैने वो किसी और मक़सद से पूछा था...."
" पर जब तुम बड़ी बेरूख़ी से बोली तो मैं चुप हो गया'''''' खैर कोई बात नही''''' मैने कहा
थोड़ी देर गाड़ी मे सिर्फ़ कीशोर कुमार के रोमॅंटिक गाने गाड़ी के म्यूज़िक सिस्टम पर बजते रहे... सभी खामोश रहे......
तभी शिवानी ने अपना हाथ बढ़ाकर मेरी गर्दन मे डालकर अपनी और खींचा और मेरे गाल पर पप्पी दे दी..... अब की बार मैं वास्तव मे चौंक गया था
" राजा मैने बहुत बहुत लड़के और आदमी देखे तुमसे हॅंडसम भी थे पर सब के सब मुझे मेरे शरीर के भूके नज़र आए पर ना जाने तुम मे क्या कसिस है मैं समझ नही पाई अब तक"
" मेडम अपने आप को संभालिए ज़रा!!!! और काबू मे रखिए !! मैं एक अदद बीबी का पति और दो बच्चियो का बाप हू" मैने कहा.....
" यार तुम भी दकियानूसी बाते करते हो.......दोस्ती और प्यार मे यह सब नही देखा जाता बस दिल की बात मानी जाती है और तुम्ही ने तो कहा था को तुम्हारा जो दिल कहता है वो ही करते हो"
' हा मैने कहा था और वो सही भी है पर क्या है ना की मेरी एक आदत है की किसी अपने की भावनाओ का पूरा कदर करता हू... वो चाहे बीबी हो दोस्त हो कोई हो...."
"यह बताओ मैं कौन हू तुम्हारी..." शिवानी ने अचानक पूछ लिया
' देखो हम कुछ घंटो पहले एक दूसरे को बिल्कुल भी नही जानते थे पर अभी ऐसा लग रहा है की हम तुम बहुत पुराने संबंधी है.......इस नाते एक अछी सी दोस्त ...ह्म्म्म्ममममम. .. बल्कि उससे भी ज़्यादा...." मैने कहा.....
" क्या यार शिवानी इतनी देर से तुम ड्राइव करे जा रही हो..... कही मेरा किडनॅप तो नही कर रही.!?!'
" अरे जानी थोड़ा सबर करो....... अभी बस पहुचने ही वाले है"
उसने गाड़ी एक पौष कॉलोनी के गेट मे अंदर कर दी वाहा बड़े ही सुन्दर सुन्दर बंग्लॉ बने हुए थे......
प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta) compleet
Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)
ऐसे ही एक बंगल के गेट के सामने पहुच कर किसी ससपन्स फिल्म की भाँति उसने 3 बार हॉर्न दिया तो गेट्मन ने गेट विंडो से देखा और गेट खोल दिया.......
गाड़ी जाकर पोर्च मे खड़ी की और हम उतर गये....
उसने मेन गेट खोला और कहा मेरे दिलबर आइए मेरे ग़रीब खाने पर आपका स्वागत है.........
और वो अंदर दाखिल होकर मुझे भी अंदर किया.......
एक बहुत ही शानदार ड्रॉयिंग रूम सज़ा हुआ था पेंटिंग्स अक्वेरियम झाड़, फ़ानूस और ना जाने क्या क्या डेकोरेटिव आइटम्स थे.... लग रहा था किसी राजा या महरजा के महल मे आ गया हू..... मेरे कपड़ों से ज़्यादा कीमती तो उसके घर की खिड़कियों पर पड़े पर्दे थे...
मैं भौचक देखता रह गया ....
" ऐसे क्या देख रहे हो मनु आओ ना प्ल्ज़" शिवानी ने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे को खींचते हुए कहा.......
" मैने कहा शिवानी जी आप तो बहुत पैसे वाली है फिर आप 3 टियर का रैली टिकेट की लाइन मे लगी थी.... और वो गाड़ी यह बंग्लॉ..... मुझे कुछ समझ नही आ रही......."
' मनु मेरी जिंदगी इन्ही चार दीवारों की और इन लोहे पत्थर की चीज़ों मे सिमटी है"
"मेरी मा मेरे बचपन मे मेरे को छोड़ कर चल बसी.... मेरी मा के जाने के बाद तो पिताजी और फ्री हो गये और वो दिन और रात नोट छ्चापने की मशीन बन कर रहगए और कुछ महीनो पहले वो भी मुझे इन पथराओं के बीच अकेली छोड़ गये और यह ज़्यादाद छोड़ गये....." मैं बचपन से तन्हा इन्ही दीवारों मे पली बड़ी हुई.. आज तुमसे मिली तब जाना की जिंदगी जीने के लिए एक अदद अच्छा साथी ज़रूरी है........
"खैर छोड़ो क्या पियोगे...... "
मैने कहा तुम्हारी जिंदगी तो बहुत तन्हा है मेरे दोस्त...... मैं कोशिश करूँगा की उसमे कुछ रंगिनियाँ भर सकू...."
"बताओ ना क्या पियोगे.... "
" चह.... चाइ पियूंगा शिवानी जी"
" यह तुम मेरे नाम के आगे जी क्यों लगाने लग गये तुमको क्या हो गया"..... .
" कुछ नही ... वो क्या है आप इतने बड़े एस्टेट की मालकिन और मैं कहा एक अदना सा ब्रामिन'' इसलिए निकल जाता है
"अभी बताती हू तुमको मैं पहले चाइ बना लाऊँ....." शिवानी कहते हुए पता नही उस हाल मे से कहा गायब हो गई
गाड़ी जाकर पोर्च मे खड़ी की और हम उतर गये....
उसने मेन गेट खोला और कहा मेरे दिलबर आइए मेरे ग़रीब खाने पर आपका स्वागत है.........
और वो अंदर दाखिल होकर मुझे भी अंदर किया.......
एक बहुत ही शानदार ड्रॉयिंग रूम सज़ा हुआ था पेंटिंग्स अक्वेरियम झाड़, फ़ानूस और ना जाने क्या क्या डेकोरेटिव आइटम्स थे.... लग रहा था किसी राजा या महरजा के महल मे आ गया हू..... मेरे कपड़ों से ज़्यादा कीमती तो उसके घर की खिड़कियों पर पड़े पर्दे थे...
मैं भौचक देखता रह गया ....
" ऐसे क्या देख रहे हो मनु आओ ना प्ल्ज़" शिवानी ने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे को खींचते हुए कहा.......
" मैने कहा शिवानी जी आप तो बहुत पैसे वाली है फिर आप 3 टियर का रैली टिकेट की लाइन मे लगी थी.... और वो गाड़ी यह बंग्लॉ..... मुझे कुछ समझ नही आ रही......."
' मनु मेरी जिंदगी इन्ही चार दीवारों की और इन लोहे पत्थर की चीज़ों मे सिमटी है"
"मेरी मा मेरे बचपन मे मेरे को छोड़ कर चल बसी.... मेरी मा के जाने के बाद तो पिताजी और फ्री हो गये और वो दिन और रात नोट छ्चापने की मशीन बन कर रहगए और कुछ महीनो पहले वो भी मुझे इन पथराओं के बीच अकेली छोड़ गये और यह ज़्यादाद छोड़ गये....." मैं बचपन से तन्हा इन्ही दीवारों मे पली बड़ी हुई.. आज तुमसे मिली तब जाना की जिंदगी जीने के लिए एक अदद अच्छा साथी ज़रूरी है........
"खैर छोड़ो क्या पियोगे...... "
मैने कहा तुम्हारी जिंदगी तो बहुत तन्हा है मेरे दोस्त...... मैं कोशिश करूँगा की उसमे कुछ रंगिनियाँ भर सकू...."
"बताओ ना क्या पियोगे.... "
" चह.... चाइ पियूंगा शिवानी जी"
" यह तुम मेरे नाम के आगे जी क्यों लगाने लग गये तुमको क्या हो गया"..... .
" कुछ नही ... वो क्या है आप इतने बड़े एस्टेट की मालकिन और मैं कहा एक अदना सा ब्रामिन'' इसलिए निकल जाता है
"अभी बताती हू तुमको मैं पहले चाइ बना लाऊँ....." शिवानी कहते हुए पता नही उस हाल मे से कहा गायब हो गई
Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)
मैं सोच रहा था कही मेरे कपड़ों से सोफा ना गंदा हो जाए और यह चीज़े यह तो बहुत बड़ी लड़की है मैं यहा नही ठहर सकता मुझे यहा से जाना होगा... जैसे ही मेरे मन मे यह विचार आया. तो मैं बाहर जाने के लिए मुड़ा तो मेन गेट जैसे चारो और चार गेट और वैसे ही खिड़किया और सोफे भी वैसे ही सेट किए गये थे... वो एक प्रकार से बड़ा ही रहाशयामय बंग्लॉ था... एक भूल-भुलैया जैसा मैने गेट खोलने की कोशिश करी पर खुला नही.....फिर दूसरा तीसरा और छोटा कोई भी गेट नही खुल रहा था......
" क्यों छटपटा रहे हो मेरी जान........ " मैं शिवानी की आवाज़ सुनकर चौंका..... ..
"क्या हुआ क्यों भाग जाना चाहते हो यहा से...."
" शिवानी जी मुझे यहा से जाने दीजिए प्ल्ज़्ज़... मेरा यहा दम घुट जाएगा....." .... मैने शिवानी से लगभग गिड-गीडाते हुए कहा
" पहले चाइ तो पी लो'''
" हम दोनो ने चाइ पी" और उस दौरान हम दोनो खामोश रहे.....
चाइ ख़तम करके मैं खड़ा हो गया ....
" देखो मनु क्या तुम सच मे अपने दोस्त को छोड़ कर जाना चाहते हो ????? तो मैं तुमको नही रोकूंगी" अरे यार इस दौलत के पीछे तो ना जाने कितने लोग पड़े हुए है... और एक तुम हो जो दौलत से दूर भाग रहे हो.....
" नही शिवानी ग???? मुझ दौलत नही चाहिए? मैं ग़रीब ज़रूर हू पर लालची नही???? ऐसा कीजिए आप मेरे साथ मेरे होटेल चलिए वाहा पर हम दोनो बैठते है....
वो मेरे को लगभग खींचते हुए अपने बेडरूम मे ले गई.....
वाहा मुझे बिठाकर उसने दरवाजा बंद किया और बेतहासा मेरे से लिपट गयी और मेरे को ना जाने कितने किस्सस दिए... मैने पहली बार उसके शरीर का आएशास महसूस किया मैं जैसा था वैसा ही रहा.....
उसने मेरे को ऊपेर से नीचे तक चूमा .......
उसने मेरे लिप्स भी चूसे उसके मस्त मम्मे मेरी छाती मे गड़ रहे थे लेकिन फिर भी आज जो लंड सपनो मे या इमॅजिन करते हुए किसी चूत को या मम्मो का आएशस पाकर खड़ा हो जाता था उसको कुछ नही हुआ था......
" आइ लव यू डियर मनु... मैं तुम्हारी दीवानी हू... तुम्हारी शायरी की दीवानी... तुम्हारी हँसी की दीवानी तुम्हारे हर एक अंग अंग की दीवानी हू."
मन तो मेरा भी कर रहा था की मैं उसे कह दू आइ लव यू टू माइ डियर शिवानी पर डर रहा था. जैसे तैसे मैने हिम्मत बटोरी और कहा " शिवानी यह नही हो सकता.... मेरा मन और दिल तुमको बहुत प्यार करने को चाहता है पर ......"
" पर... तुम शादी सुदा और दो बच्चियो के बाप हो यही ना....!! मेरे लिए इससे कोई फ़र्क नही पड़ता तुम मेरे सचमुच के मनु हो.... मनुता हो तुम मेरे...."
" क्यों छटपटा रहे हो मेरी जान........ " मैं शिवानी की आवाज़ सुनकर चौंका..... ..
"क्या हुआ क्यों भाग जाना चाहते हो यहा से...."
" शिवानी जी मुझे यहा से जाने दीजिए प्ल्ज़्ज़... मेरा यहा दम घुट जाएगा....." .... मैने शिवानी से लगभग गिड-गीडाते हुए कहा
" पहले चाइ तो पी लो'''
" हम दोनो ने चाइ पी" और उस दौरान हम दोनो खामोश रहे.....
चाइ ख़तम करके मैं खड़ा हो गया ....
" देखो मनु क्या तुम सच मे अपने दोस्त को छोड़ कर जाना चाहते हो ????? तो मैं तुमको नही रोकूंगी" अरे यार इस दौलत के पीछे तो ना जाने कितने लोग पड़े हुए है... और एक तुम हो जो दौलत से दूर भाग रहे हो.....
" नही शिवानी ग???? मुझ दौलत नही चाहिए? मैं ग़रीब ज़रूर हू पर लालची नही???? ऐसा कीजिए आप मेरे साथ मेरे होटेल चलिए वाहा पर हम दोनो बैठते है....
वो मेरे को लगभग खींचते हुए अपने बेडरूम मे ले गई.....
वाहा मुझे बिठाकर उसने दरवाजा बंद किया और बेतहासा मेरे से लिपट गयी और मेरे को ना जाने कितने किस्सस दिए... मैने पहली बार उसके शरीर का आएशास महसूस किया मैं जैसा था वैसा ही रहा.....
उसने मेरे को ऊपेर से नीचे तक चूमा .......
उसने मेरे लिप्स भी चूसे उसके मस्त मम्मे मेरी छाती मे गड़ रहे थे लेकिन फिर भी आज जो लंड सपनो मे या इमॅजिन करते हुए किसी चूत को या मम्मो का आएशस पाकर खड़ा हो जाता था उसको कुछ नही हुआ था......
" आइ लव यू डियर मनु... मैं तुम्हारी दीवानी हू... तुम्हारी शायरी की दीवानी... तुम्हारी हँसी की दीवानी तुम्हारे हर एक अंग अंग की दीवानी हू."
मन तो मेरा भी कर रहा था की मैं उसे कह दू आइ लव यू टू माइ डियर शिवानी पर डर रहा था. जैसे तैसे मैने हिम्मत बटोरी और कहा " शिवानी यह नही हो सकता.... मेरा मन और दिल तुमको बहुत प्यार करने को चाहता है पर ......"
" पर... तुम शादी सुदा और दो बच्चियो के बाप हो यही ना....!! मेरे लिए इससे कोई फ़र्क नही पड़ता तुम मेरे सचमुच के मनु हो.... मनुता हो तुम मेरे...."