माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:41

गतांक से आगे.....................

रीमा मेरी गोदी मे बैठी थी. हम दोनो का बदन पसीने में पूरी तरह से भीग चुका था। रीमा के चुतडो का स्पर्श मुझे अपनी जाँघ पर बहुत अच्छा लग रहा था। रीमा और मैं आपस में चुम्बन का आदान प्रदान कर रहे थे। हमने बहुत देर मजा किया था और अब कुछ भूख भी लग चली थी। थोडी देर सुस्ताने के बाद रीमा उठी और उसने रूम का तापमान ३५ डिग्री कर दिया। मैंन पूछा तो बोली बाद में बतायेगी। फिर बोली की भुख लगी है चलो कुछ खाते है। रीमा ने काफी बनायी और साथ मुझ कुछ बिस्कुट और मिठायी रखी बोली के उसका बॉस लाया था कल। काफी पीने से हम दोनो का बदन पसीने से भीग गया और पसीना हमारे नंगे बदन पर बह रहा था। रीमा ने हाय हील के सैडंल पहनी थी वह भी पसीने से गीली हो गयी।

माँ बहुत गर्मी हो गयी है कितना पसीना आ रहा है तापमान कुछ कम करो। हाँ तू सही कह रहा है देख मेरा पूरा बदन मेरे पसीने में नहा गया है। और कैसा पसीना मेरे बदन से चू रहा है। पर बेटा मेरा ये पसीना बहुत ही नशीला है क्या तुम इस नशीले पसीने को पीना नंही चाहोगे। मेरे इस नशीले बदन का नशीला पसीना। रीमा की बात सुनते ही मेरा लंड मस्ती में मचल गया और एक दम तन कर खडा हो गया। हाँ माँ जरुर पीयूंगा मैं तुम्हारा पसीना माँ। देखो सोच कर ही मेरा लंड कितना जबर्दस्त खडा है। रीमा ने मेरा लौडा देखा और बोली हाय दईया सुन कर ही ये हाल है तो आगे क्या होगा तू तो मुझे पूरा मजा दिये बगैर ही झड जायेगा। रीमा ने पास पडा अपने पेटीकोट का नाडा उठाया और बोली ला तेरा लंड फिर से बाँध दूँ। मैं रीमा के पास गया तो रीमा ने इस बार लंड और भी जोर से बाँधा। नाडा बाँधने से लंड रीमा को सलामी देने लगा।

हाँ अब ठीक है अब तू बिना झडे घंटो तक मेरी सेवा कर सकता है। अभी नया खिलाडी है ना जल्दी ही सब सिखा दूंगी तेरे को। चल अब बता कंहा से शुरु करेगा। माँ कहते हैं न माँ के चरणो मे अम्रत होता है तो मैं पहले आपके चरणो से ही शुरु करना चाहाता हूँ। ठीक है बेटा तो पहले माँ के चरण चूम कर माँ का चरनाम्रत पीना चाहाता है। कह कर रीमा सोफे पर एक टाँग पर दूसरी टाँग रख कर बैठ गयी और बोली आ जा चाट ले मेरा बदन देख मेरी सैडंल तुझे बुला रहे है। मैं घुटनो के बल बैठ कर रीमा के चरणो के पास आ गया। रीमा अपने पैर हिला रही थी। पहले मैंने रीमा के एक पैर और फिर दूसरे पैर का चुम्बन लिया और बोला माँ मुझे आशिर्वाद दो की मैं अपकी आपके अनुसार सेवा कर संकू। रीमा ने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और बोली अब बेटा जल्दी से शुरु कर अब मेरी चूत बहुत गर्म हो चुकी है। जल्दी से मेरा बदन चाट।

मैंने रीमा की सैडल को चाटना शुरु कर दिया। पहले उपर से चाट कर उसको साफ किया जिसके साथ साथ रीमा की उंगलियो पर भी जीभ फिरायी। फिर रीमा की हील के नीचे की तरफ मैंने देखा वहाँ थोडी मिट्टी भी थी पर मैं मस्ती मैं इतना उत्तेजित था कि मुझे और कुछ नंही सूझ रहा था। मैंने रीमा की हील के तलवे को चुमना शुरु कर दिया ये देख कर रीमा की आंखो मे चमक आ गयी जैसे उसे कोई खजाना मिल गया हो। रीमा ने खुद अपना पैर सीधा कर दिया जिससे मैं उसे आसानी से चूम संकू मैंने पहले पूरा हील का तलवा चूमा फिर अपनी जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा मेरा ऐसा करते ही रीमा के मुँह से हल्की सी करहा निकल गयी जैसे बहुत मस्त होने पर औरत करती है। हील का तलवा चाटने से उसमे लगी मिट्टी भी मेरे मुँह मे आ गयी और वह मैं रीमा के चूत का प्रसाद समझ कर निगल गया। रीमा ये देख कर बहुत ही प्रसन्न थी जो कि उसके चहरे से जाहिर हो रहा था इतना ही नंही वह इतना उत्तेजित थी मेरे जैसा जवान समर्पित मर्द पाकर की अपनी टाँगे आपस मे रगड रही थी ताकि उसकी चूत को थोडा आराम मिल सके।

पर इससे आराम से ज्यादा वह और उत्तेजित हो रही थी। मैं भी उसकी मिट्टी लगी हील चाट रहा था और थोडी ही देर में मैंने उसकी हील का तलवा चाट कर एक दम चमका दिया। फिर मैंने उसकी हील को मुँह मै भर लिया और चूसने लगा जैसे की वह कोई लंड हो। मैं ज्यादा से ज्यादा हील मुँह मे लेकर चूसना चाहाता था पर जितनी भी हील मेरे मुँह मे घुस रही थी उतना ही मुँह मे लेकर चूस रहा था। फिर मैंने हील को जिभ से भी चाटना शुरु कर दिया कभी मुँह मे भरकर चूसता तो कभी जीभ से चाटता और चाट चूस कर मैंने उसकी हील को नीचे से एकदम साफ कर दिया। मेरा लंड भी मस्त होकर मस्ती मे हिनहिना रहा था। और रीमा के नाडे का दबाव बहुत ज्यादा था थोडा दर्द भी हो रहा था। पर ये जो सब मैं कर रहा था ये मेरा सपना था और आज मेरा सपना पूरा हो रहा था इसलिये मैं कुछ भी करने को तैयार था। और शायद उसको भी मेरे जैसा मस्त मर्द आज तक नंही मिला था इसलिये वह भी बहुत खुश थी।


The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:41

जब मैंने उसकी हील नीचे से पूरी तरह साफ कर दी तो मैंने कहा माँ अब तुम्हारे दूसरी हील दो अब मैं उसको नीचे से चाट कर साफ करूंगा। ले बेटा मैं कब कर ले साफ कह कर रीमा ने अपना दूसरा पैर मेरे चहरे के सामने कर दिया मैंने फिर से वही सब किया जो पहली हील के साथ किया था। और उसको भी पूरा मजा लेकर चाट कर साफ कर दिया। रीमा मेरे काम से बहुत खुश हुयी। रुम मे बहुत गर्मी थी और रीमा का बदन भी मस्ती में फिर से गर्म हो गया था जिसकी वजह से रीमा का पूरा बदन पसीने में नहा रहा था। मेरे बदन से भी पसीना बह रहा था। रीमा का पसीना बह कर उसकी हाय हील के सैडल को भी गीला कर रहा था। मैं बोला माँ आपकी हील तो पूरी पसीने मैं भीग गयी है इसको उतार दो मैं चूस चूस कर आपकी सैंडल चाटूंगा ताकि इसका पसीना भी मैं पी संकू मैं एक बूंद पसीना भी बर्बाद नंही होने देना चाहाता। ठीक है ले मेरे लाल चूस ले मेरा पसीना मेरी सैंडल से। रीमा ने अपनी दौनो सैंडल उतार कर मेरे सामने रख दी मैंने रीमा की हाई हील के सैंडल को चूमना शुरू कर दिया थोडी देर रीमा के सैंडल चूमने के बाद मैने उसकी सैंडल पर अपने होंठ लगा कर उसे चूसने लगा। और उसकी सैंडल मैं जो भी जूस था उसको चूसने लगा जोर जोर से।

वैसे तो श्याद उसमे ज्यादा पसीना नंही गया था पर इस तरीके से रीमा की सैंडल चूसना अपने आप में एक नया उत्तेजित करने वाला अनुभव था मेरे और रीमा दौनो के लिये रीमा भी अपनी जाँधे रगड कर मुझे वासना भरी नजरो से देख रही थी और वह भी बहुत उत्तेजित हो चूकी थी उसकी चूत रस बहा कर गीली हो चूकी थी कमरे मे उसकी चूत के रस के मस्त सुंगध मैं महसूस कर सकता था। रीमा मुझे देखते हुये अपने हाथ अपनी मस्त मोटी चूचीयो पर फिरा रही थी। और कभी कभी अपनी घुडियाँ भी मसल देती थी। मूझे इस रूप मे घुटनो के बल अपने चूतड उठा कर उसके सैंडल चाटते हुये देख कर वह बहुत मस्त हो रही थी। मुझे भी सैंडल चुसने मैं बडा ही मजा आ रहा था। और उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत भा रहा था। मैं पूरी लगन से रीमा के सैंडल चूसता रहा और उसका पूरा रस पीकर ही मैंने दम लिया। चूसने के बाद मैं रीमा की सैंडल को चाट कर फिर से अपने थूक से साफ किया और एक दम चमका दिया और उसकी हील को मुँह मे लेकर चूसा मुझे ये सब करने में बहुत ही मजा आया। मुझे पता था अबकी बार मुझे रीमा को अच्छे खुश करना होगा क्योकी वह मुझे एक बार झडा चुकी है और अब वह खुद का मजा लेने के लिये बेचैन है। रीमा ने अपनी चिकनी जाँघ दूसरी जाँघ के उपर रखी हुयी थी और अपनी चूचीयाँ मसलते हुये उनको आपस में रगड रही थी। लो माँ मैंने आपकी सैंडल मे से सारा पसीना पी लिया और उसको चाट कर फिर से चमका दिया है।

क्रमशः........................

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:42

गतांक से आगे.....................


हाय क्या चमकायी है तूने सैडल एक दम मस्त चमक गयी है अब तो तुझसे ही करवाऊगी साफ तूने तो इसको एकदम नयी बना दिया है। हाय तेरे जैसे बेटा मुझे आज तक नंही मिला अगर १० साल पहले मिलता तो तुझसे शादी कर लेती और तेरे बच्चे जनती। तो अब कर लो शादी माँ मै तो तुम्हारा बनने को तैयार हूँ नंही रे अब मैं बच्चे नंही जन सकती न चल छोड उसे देख तूने मेरे को छुये बिना मेरा क्या हाल कर दिया है। देख मेरी चूत फिर से एक दम गीली हो गयी है। देख कितना रस से भर गयी है। लाओ माँ मैं चूस कर इसका भी रस पी लेता हूँ नंही रे ये तो खजाना है जब तू मेरे पूरे बदन का पसीना पी लेगा तभी दूंगी तुझे अपनी चूत चूसने को। नंही माँ मैं तुमको इस तरह से तडपते हुये नंही देख सकता तुम्हारा पसीना पीने में तो मुझे बहुत वक्त लगेगा और मैं नंही चाहाता मेरी माँ चूत की गर्मी मे तपती रहे। हाय रे तू कितना लाड करता है अपनी माँ का ठीक है कर ले अप्नी मन मर्जी और झडा दे मेरी गर्मी कर दे मेरी चूत को शांत चूत शांत होगी तो शायाद मैं भी अपना बदन चटवाने का पूरा मजा ले संकू। ले आजा चूस ले मेरी चूत मेरे लाल मुझसे भी नंही रहा जा रहा मेरी चूत जब तक तू चूस के झडायेगा नंही मैं बदन चटावाने का मजा नंही ले पाऊगी। और ये मेरी निगोडी चूत मुझे जला देगी तू बुझा दे अपनी माँ चूत की आग मेरे लाल बोल बुझायेगा ना मेरे राजा बेटे हाँ माँ बेटे का तो ये फर्ज है की माँ को हर हाल मे खुश रखे मैं जरुर तुमको शांत करूंगा माँ लाओ अपनी चूत खोलो मैं अभी चूसता हूँ तुम्हारी चूत। हाय मेरे लाल तुझे अपन दूध तो मैं न पिला सकी पर अपनी चूत का रस जरुर पीलऊगी।

और तेरे जैसे जवान मर्द के लिये चूत रस बहुत जरुरी है रोज लोटे भर चूत रस के सेवन से तेरा लंड को शक्ति मिलेगी और वह और लम्बा और मोटा हो कर कई जवान और बडी उमर की औरतो की चूत का उद्धार करेगा। फिर माँ सोफे पर अपनी आगे को खिसक कर बैठ गयी जिससे उनकी चूत एक दम किनारे पर आ गयी और माँ ने अपनी मोटी जाँधे खोल कर अपनी चूत मेरे सामने कर दी। माँ की चूत का द्वार खुला हुआ था और वह एक दम गीली थी। चूत के अंदर का लाल रंग चूत मे से साफ चमक रहा था और बहुत ही सुंदर लग रहा था। ले बेटा खोल दी तेरी निर्लज्ज माँ ने अपनी चूत आ जा बेटा तू भी मादर चोद चूस ले मेरी चूत अब और देर मत कर नंही तो कंही मैं बदन की गर्मी मे जल कर राख ही न हो जांऊ। देख मेरे राजा बेटे मेरी चूत एक दम खुली हुयी है और इसका रस रुक ही नंही रहा है देख सोफा भी गीला हो गया इसके रस से मेरा चूत रस बर्बाद मत होने दे मेरे लाल पी जा मेरा चूत रस। रीमा की मोटी जाँधे एक दम खुली हुयी थी और उसकी लाल लाल चूत एक दम साफ दिखायी दे रही थी। और उसकी चूत के दोनो फाँके एक दम गीली हो चुकी थी। मैं रीमा की टाँगो के बीच बैठ गया और उसकी चूत का एक चुम्बन ले लिया रीमा के मुँह से एक करहा निकल गयी मेरा उसकी गर्म चूत चूमना उसे अच्छा लगा श्याद। फिर मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत का रस जो बाहर लगा हुया था चाटना शुरु कर दिया उसके चूत रस के स्वाद का अब तक मुझे चस्का लग चुका था और उसका चूत रस मेरे लिये किसी नशे से कम नंही था। रीमा चूत चूसे जाने से गर्म हो रही थी और उसके बदन की गर्मी की वजह से उसे और पसीना आ रहा था जो अब उसके बदन पर बह रहा था। रीमा ने अपनी उंगलियाँ अपने मुँह मे घुसा कर उसे चूस रही थी और उसके मुँह से मस्ती भरी करहा निकल रही थी। चूत को बाहर से चाटने के बात मैंने उसकी चूत को फिर एक बार चूमा और फिर मुँह मे भर कर उसकी चूत मे भरा रस पीने लगा कफी रसीली चूत की मालकिन थी रीमा। थोडी देर उसकी चूत को मुँह मे भर कर चूसने के बाद मैंने उसकी चूत के एक फाँक अपने मुह मैं भरी और चूसने लगा जिससे मेरा होंठ उसके चूत के अंदर रगड रहा था जिससे रीमा को अलग ही उत्तेजना हुयी और वह मस्ती में करहाते हुये बोली हाय रे रंडी की औलाद क्या कर रहा है ये मेरी मस्ती झडाने के लिये चूस रहा है चूत या बढाने के लिये साले ऐसे तो मेरी गर्मी और बढ गयी है।

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