माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:00

गतांक से आगे.....................

रीमा ने खुद ही अपने चूतड को गोल गोल घुमा कर अपनी चूत के दाने को मेरे जीभ की नोक पर रगडना शुरु कर दिया। वह अपनी चूत थोडी देर मेरी जीभ पर गोल गोल घुमाती और फिर अपने चूतड कस कर मेरी मेरे चेहरे पर दबा देती। मैंने अपनी हाथ निकाल कर उसकी मोटी जाँघो पर रख लिये थे और अपने हाथो से उसकी मोटी जाँघो के माँस को दबा रहा था। रीमा के लिये उसकी चूत की गर्मी अब उसके बर्दाश्त से बाहर हो चूकी थी। मैंने अपनी जीभ की नोक कडी कर ली थी ताकि मैं रीमा के चूत के दाने को जोर जोर से रगड संकू। रीमा के चूतड हिलाने से मेरी जीभ रीमा की चूत मे समा गयी रीमा की चूत की गर्मी से मुझे ऐसा लगा कि मेरी जीभ जल जायेगी। मेरी जीभ चूत मे घुसते ही रीमा ने अपने चूतड हिला कर मेरी जीभ से ही अपनी चूत चोदनी शुरु कर दी। मैंने भी जितनी जीभ मे बाहर निकाल सकता था उतनी जीभ बाहर कर दी जिससे रीमा पूरी जीभ चूत मे लेकर अच्छे से चुद सके। रीमा हल्के हल्के अपने चूतड आगे पीछे हिला रही थी। उसके ऐसा करने से जब वह अपनी चूत में मेरी जीभ घुसाती तो उसके चूतडो का पूरा भार मेरे चेहरे पर आ जाता और मेरी नाक भी उसके बदन के भार से थोडी दब जाती। और जीभ चुदायी की वजह से हल्की फट फट की आवाज भी बज रही थी जो इस मस्ती भरे वातावरण मे चुदायी संगीत का काम कर रहा था।

रीमा अपने चूतड गोल गोल घुमा रही थी जिससे मेरी जीभ उसकी चूत से बाहर निकलती और फिर अंदर घुस जाती। मैं अपने हाथ ले जाकर रीमा के चूतडो पर रख दिये और बडे ही प्यार से अपनी उंगलियो से उसकी चूतड सहलाने लगा। मेरे ऐसे सहलाने से रीमा ने बदन के सारे रूये खडे हो गये। रीमा पहले से ही चूत की गर्मी से बेहाल थी और मेरी उंगलियो ने भी उसकी हालत और भी खराब कर दी। थोडी देर उंगली फिराने के बाद मैंने अपने हाथ खोल कर पूरी हथेली उसके चूतड पर रखी और उसके चूतड को भोंपू की तरह दबाने लगा। जब वह मेरी जीभ से अपनी चूत दूर करती तो उसके चूतड मेरी हथेली से टकराते और मैं उनको दबा देता और जब मेरी जीभ अपनी में घुसाती तब मैं उसके चूतड छोड देता। रीमा अपने सारे होश खोकर अपने बदन को संतुष्ट करने मे लगी थी। मेरी जीभ इतनी देर से बाहर निकली हुयी रीमा की चूत को मजा दे रही थी और जीभ से निकलती लार और चूत से निकलता रस सीधा मेरे मुँह मे जा रहा था और मैं पूर्ण रूप से इसका मजा भी नंही ले पा रहा था। और अब तो मेरी जीभ भी दर्द करने लगी थी। मैंने अपनी जीभ को अपने मुँह के अंदर किया और उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगा। चुदायी का बाँध एक दम से टूटने से रीमा की निंद्रा टूटी। उसके चूतड एक दम से थम गये। अरे औ भोसडी की औलाद जीभ क्यो अंदर कर ली साले मादर चोद इतना मजा आ रहा था जीभ से चुदने का और थोडी देर करती तो झड ही जाती मैं।

माँ मेरी जीभ अब थक गयी है मैं तुम्हारी चूत थोडी देर मुँह मे भर कर चूस लेता हूँ फिर चोद लेना जीभ साले थोडा सा दर्द भी नंही सह सकता अपनी माँ के लिये चल अब जोर जोर से मुँह मे भर कर चूस मेरी चूत, चूत के दाने को भी चूस। रीमा ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे सर पर रखे और अपने चूतड मेरे चेहरे पर दबा दिये। मेरी चूत चोदने मे तेरे को दर्द होता है मादर चोद अपनी माँ के लिये थोडा सा दर्द भी नंही सहन कर सकता। ले कुतिया के जने अब मैं जब अपना पूरा भार से तेरा चेहरा दबा दूंगी तब पता चलेगा तेरे को। रीमा ने कस कर मेरे सर को पकड रखा था और अपनी पूरी ताकत से अपनी चूत को मेरी जीभ पर दबा दिया था मैंने भी अपनी जीभ थोडी सी बाहर निकाली और उसके चूत के दाने पर रख दी थी। रीमा के चूतडो के भारी बोझ के तले मेरी जीभ भी दब गयी जोकि एक दम उसके चूत के दाने के बाद थी। रीमा खुद ही कस के अपने चूतड मेरी जीभ पर दबा कर अपनी चूत का दाना रगडने लगी।

खुरदरी जीभ पर चूत का दाना रगडते ही रीमा का बदन मे मस्ती की लहर दौड गयी और वह जोर जोर से चूतड मटकाने लगी। आह मस्त मजा आ गया साले रंडी की औलाद तेरी जीभ का तो कोई मोल नंही है जब भी चूत से छूती है जंन्नत का नजारा मुझे मिलता है। ले कुत्ते अब बोल अब दर्द नंही हो रहा तेरे को। रीमा ने इतनी कस से मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा रखा था कि मेरी नाक उसके चूत के उपर के हिस्से से पूरी दब गयी थी और मुझे सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। पर मुझे रीमा के इस बर्ताव से बहुत ही मस्ती चढ रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं जैसे रीमा की कोई खिलौना हूँ। और मुझे थोडे से दर्द मे मजा आता था। रीमा अब अपना आपा खो बैठी थी चूत रगड रगड कर उसकी हालत खराब हो रही थी। वह चूतड हिला कर रगडती तो कभी कस के चूत जीभ पर दबा देती। और मस्ती में जोर जोर से गालियाँ बकते हुये चिल्ला रही थी। थोडी देर बाद मैंने खुद रीमा के कूल्हे पर हाथ रख कर उसकी चूत को अपनी जीभ से अलग किया। अरे भोसडी के अब क्या हुआ जब भी मुझे मजा आ रहा होता है तू कुत्ता साला अपने को मुझसे अलग कर देता है लगता है मार मार के तुझे सीधा करना पडेगा कि माँ कि सेवा कैसे करते हैं।

The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:00

माँ मैं तुम्हारी सेवा करने के लिये पूरी तरह से तत्पर हूँ पर इस तरह से अगर तुम झड गयी तो तुम्हारा सारा चूत रस मेरे चेहरे पर बह जायेगा और मैं उसका सेवन नंही कर पाऊंगा मै ऐसा करता हूँ कि मैं अपनी जीभ की नोक तुम्हारे चूत के दाने पर रख देता हूँ तुम अपने चूत रगडो और मजा लो वादा करता हूँ जब तक झड न जाओगी अपनी जीभ तुम्हारे चूत के दाने पर ही रखूंगा। ऐसे तुम्हारी चूत से जो भी रस बहगा मैं अपना मुँह खोल कर उसमे समेट लूंगा और गटक जाऊगा और तुम्हारा इतना कीमती नशीला चूत रस बर्बाद भी नंही होगा। तू बात तो सही कह रहा है चल मैं भी चाहाती हूँ की एक एक बूंद अपने चूत रस की तुझे पीलाऊं। मैंने जीभ निकाली और रीमा के चूत के दाने पर रख दी। रीमा ने भी अपनी चूचीयो के बीच से देखा जब मेरी जीभ चूत के दाने पर एक दम सही बैठ गयी रीमा ने चूत के दाने को मेरी जीभ के संपर्क मे रखते हुये ही अपने चूतड गोल गोल घुमाने लगी जिससे जीभ की नोक चूत के दाने पर रगड खाने लगी और रीमा को फिर से मजा आने लगा। मुझे पता जितनी गर्म रीमा हो चुकी है अब उसके लिये अपने आप को काबू में रखना बहुत ही मुश्किल है। उसकी चूत ज्यादा देर नंही रूक सकती जल्दी ही झड जायेगी। रीमा के जोर से करहाने की आवाज इस बात का संकेत थी। और उसकी चूत से बहता रस जिसे मैं कभी कभी अपनी जीभ और होंठो से मुँह के अंदर समेट लेता था।

ओह मेरे लाल ओह मर गयी रे मेरे बच्चे अब मेरा किसी भी वक्त पानी छूट सकता है बडा ही मजा आ रहा है मेरे गर्म बदन को आज तक मैं रोज अतृत ही रहा जाती थी पर आज लग रहा है जब सोऊगी तो पूरी तृत होकर। आज तक जितने भी मर्द मिले वह दो तीन बार मेरी चूत चोद कर सो जाते थे आज तक किसी ने ये नंही सोचा की मेरी चूत को क्या चाहिये आज मेरी चूत को समझने वाला सही से प्यार करने वाला मिला जो मुझे अपनी माँ के रुप मे देखता है इससे बडी बात और क्या हो सकती है मेरे लाल। ओह मेरे राजा ओह रे चूत की गर्मी मर गयी रे मर गयी मैं तो मेरे जवान बेटे की जवानी देख कर मेरी चूत का रस रुक ही नंही रहा। पी ले मेरे राजा पी ले मेरा रस आज सारा रस पी जा मेरी चूत का एक भी बूंद न छोड सुखा दे मेरी चूत मेरी चूत के जने मेरे प्यारे बेटे खुश कर दे अपनी माँ की चूत को। बहुत रस भरा है तेरे लंड की माँ मेरी चूत में। मेरी अच्छे से सेवा कर मादर चोद अच्छे से सेवा करेगा तभी मैं तेरे लंड को उसकी माँ से मिलने दूंगी। वैसे भी मैं एक बार मिलन करवा चूंकी हू तेरे लंड और अपनी चूत का अब झडा भी दे कुत्ते जीभ चला हाँफते हुये रीमा ने कहा।

रीमा ने सही कहा था क्योकि मेरे उपर चढ कर रीमा खुद ही चूत चटवाने मे मेहनत कर रही थी इसलिये उसके बदन से पसीना और रिसना शुरु हो गया था जिसे मे उसकी जाँघो पर महसूस कर सकता था इसका मतलब उसकी चिकनी पीठ और छाती पर भी पसीना जमा हो गया होगा। रीमा की पीठ और छाती से पसीना पीना अभी बाकी था। मैं तो ये बात सोच कर उत्तेजित हो रहा था कि जब मैं उसके चूतड और उसके चूतड की दरार खोल कर उसकी बीच छुपी उसकी मस्तानी गाँड से उसका पसीना चाटूंगा तो मेरा क्या होगा। पर अभी तो मेरा ध्यान सिर्फ उसकी चूत पर था जो अब किसी भी वक्त चूत की गर्मी की वजह से लावे की तरह फट सकती थी और उससे जो चूत रस का सैलाब आता उससे न जाने क्या क्या बह जाता और मैं उस अमृत जैसे चूत रस के सैलाब को अपने मुँह मे समा लेना चाहाता था। और अभी भी जो चूत रस की बूंदे चूत से टपक रही थी उन्हैं मैं अपनी मुँह के अंदर समेट रहा था। रीमा अब किसी भी वक्त झड सकती थी वह अपने चूतड किसी तेज गाडी के चलते टायर की भांति तेज तेज घुमा रही थी और मस्ती मे न जाने क्या क्या बड बडा रही थी। मेरी जीभ लगातार उसके चूत के दाने से रगड खा रही थी। आह आह ओह्ह ओह्ह्ह आह्ह्ह मेरी रे मैं तो मरी ओह्ह्ह अह्ह्ह और फिर अचानक वही हुआ रीमा का बदन एक दम से कडा पड गया रीमा ने कस कर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबा दी जिसे मैंने अपना पूरा मुँह खोल कर अपने मुँह मे भर लिया।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:01

ले मैं गयी रज्जा कह कर रीमा ने मेरे सर को पकड लिया मेरी नाक और मुँह उसके भारी भरकम मोटे बदन के नीचे दब से गये और रीमा की चूत झडने लगी उसकी चूत ने रस की फुहार कर दी जिसे मैं अपने मुँह से पीने लगा रीमा के चूतड हल्के से झटक मारते हुये चुत के झडने का अहसास करा रहे थे। धीरे धीरे रीमा के झटके बंद हो गये और रीमा बिल्कुल शांत हो गयी और उसका शरीर भी ढीला पडने लगा। मैं लगातार उस्की चूत मुँह मे भर कर चूसता जा रहा था। और कुछ ही देर में रीमा का बदन ऐसा हो गया कि जैसे उसमे कोई जान ही नंही है। रीमा अपनी चूत मेरे मुँह मे घुसाये ऐसे ही पडी रही और मैंने पहले उसकी चूत को चूस कर सारा रस पी लिया फिर उसकी चूत को अपने दाँतो से हल्के हल्के चबाने लगा। रीमा इस दौरान कुछ नंही बोली बस ऐसे ही मेरे मुँह पर अपनी चूत डाल कर पडी रही लगाता था अबकी बार बहुत जबर्दस्त झडी थी वह जिसने उसके शरीर से जान ही निकाल दी थी। और उसके पास उठने के शक्ति बिल्कुल नंही थी।

मैंने उसकी चूत को पूरा मुँह मे भर लिया और रसीले पके आम के तरह उसे चूसने और चबाने लगा साथ ही साथ अब मेरे हाथ उसकी जाँघ और चूतड पर बहुत के प्यार से चल रहे थे। मैं जानता था कि अगर मैं इस तरह उसके बदन से प्यार से पेश आऊंगा तो वह बहुत जल्दी उठ कर फिर से खडी हो जायेगी। और फिर थोडी ही देर मे रीमा में फिर से जान आ गयी। इतनी जोर से झडने की वजह से उसका बदन थोडा कमजोर हो गया था। आज तो तूने मेरी जान ही निकाल दी इतना तो मैं कभी कभी ही झडती हूँ और वह भी मैं किसी औरत के साथ संभोग करती हूँ। किसी मर्द के साथ तो आज तक मेरे बदन की ये स्थिति कभी भी नंही हुयी। अब तो मुझे तोडी ताकत जमा करनी पडेगी आगे लिये। कह कर रीमा उठी और घुटने और हाथो के बल कुतिया बन कर खडी हो गयी। चल बेटा तू निकल मेरे नीचे से अभी थोडे देर मेरी चूत छोड दे फिर दूंगी तेरे मुँह मे चूसने को मुझे पता है तुझे चूत रस बहुत पंसद है जल्दी ही दूंगी मन भर कर चूसना पर अभी तो छोड दे मेरी चूत इसमे बिल्कुल भी रस नंही बचा जब रस बन जायेगा तब फिर तेरे मुँह मे घुसेड दूंगी। मुझे पता है तू अभी भी भूखा है तब तक माँ के पास अपने बदन का पसीना है पीलाने के लिये उसे पी कर अपनी भूख मिटा ले जब चूत रस फिर से इकठ्ठा हो जायेगा फिर से पी लेना ठीक है लाल।

रीमा अच्छी तरह से जानती थी कि मेरे जैसे जवान छोरे से कब क्या कहना और कैसे मुझे उत्तेजित रखते हुये भी अपनी बात मनवानी है वैसे भी मेरे दिल दिमाग पर अब मेरा लंड हावी हो चुका था और मेरे लंड को रीमा जो भी कहती वह तो वही करता जैसे रीमा के नंगे बदन से कोई मंत्र पढ कर मेरे लंड को अपने वश में कर लिया था। मैंन रीमा ने बदन के नीचे से निकल कर खडा हो गया। खडा होते ही रीमा के खुले हुये मोटे चूतड और उसकी गाँड का छेद देखायी दिया। उसकी चूतड पसीने मे एक दम भीग रहे थी। उसके चूतडो पर जमी पसीने की एक एक बूंद किसी मोती के समान लग रही थी और उसकी खुली हुयी गाँड मुझे दावत दे रही थी और रीमा मुझे अपना कोई मंदपंसद भोजन लग रही थी। रीमा ने पीछे मुड कर मेरी तरफ देखा तो मुझे अपनी मोटी गाँड को निहारते पाया। वह मुस्कुरायी जैसे मन ही मन कह रही हो किस तरह अपने इस मोटे बेडोल नग्न बदन से उसने एक सीधे साधे जवान कुंवारे मर्द को फंसा लिया अब वह जो चाहे वह करवा सकती थी मेरे साथ और मैं कभी भी मना नंही करता। इसका जीता जागता सबूत ये था कि मेरा लंड इतनी देर से लोहे की रॉड की तरह तन कर खडा था और कोई छेद ढूंढ रहा था घुसाने लिये जिसमे घुस कर वह अपनी गर्मी शांत कर सके पर क्योकि रीमा ने अभी आज्ञा नंही दी थी इसलिये लंड का दर्द भी सहन कर रहा था।

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