माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:12

रीमा का आगे का पूरा हिस्सा पसीने से सराबोर था बदन के एक एक हिस्से पर पसीने की बूंदे जमा था यंहा तक की उसके चेहरे पर भी बहुत पसीना था। जिसे देख कर पहले चेहरे का पसीना साफ करने की मैंने सोची। मैं रीमा के चेहरे पास सोफे के पीछे आ गया। यंहा क्या कर रहा है रे भडवे तेरे को तो मेरा बदन चाटना था। माँ पहले मैं तुम्हारे चेहरे पर जमे पसीने को चाटूंगा देखो पसीने की कितनी बूंदे जमा है तुम्हारे चेहरे पर फिर मैं तुम्हरे बदन को चाटूंगा। अच्छा चेहरा भी चाटेगा तो ले चाट ले मैं आँख बंद करके मजा लेती हूँ कह कर रीमा आँखे बंद करके लेट गयी। मैंने एक पल रीमा के चेहरे को निहारा फिर मैंने रीमा के माथे पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर पीना शुरु कर दिया रीमा के पूरे माथे को चूम और एक एक पसीने की बूद को पिया फिर मैंने रीमा की बंद आँखो को चूमा जिसे चूमने से रीमा के मुँह से एक आह निकल गयी। दोनो आँखो को मैंने बहुत ही प्यार भरे भाव से चूमा जैसे एक प्रेमी के मन मे अपनी प्रेमिका के लिये होते है। रीमा मेरी माँ भी थी और मेरी प्रेमिका भी। रीमा की आँखे चूमने के बाद मैंने रीमा की गालो को चूमना शुरु कर दिया गाल पर लगे पसीने के एक एक मोती को मैंने पीया फिर रीमा की ठूठी को भी चूमा। अब रीमा के सिर्फ कान और होंठ बचे थे।

फिर मैंने सोफे की पीछे जाकर रीमा के होंठो पर अपने होंठ रख दिये। रीमा के वासना से तपते होंठो पर होंठ रखते ही मेरा लंड विचलित हो चला। अभी कुछ देरे पहले इंही होंठो ने मेरे लंड को चूमा था और अपने अंदर समा लिया था। मेरे लंड को चूस कर मुझे जंन्नत का मजा दिया था। होंठो पर होंठ रख कर पहले तो मैंने एक दो बार उसे चूमा फिर उसके उपरी होंठ को अपने होंठो के मे लेकर जबर्दस्त चूसने लगा। रीमा ने भी खुद अपनी मोटी बाहो को बढा कर मेरे सिर को पकड लिया और वह खुद भी मेरे होठो को चूस रही थी। उसके रसीले होंठो के चूसने से मेरे लंड मे जबरदस्त हरकत हो रही थी और मैं जोर जोर से उसके होंठो का रस पी रहा था। रीमा भी पूर्ण रूप से मस्त होकर अपने होंठ चुसा रही थी। वह गर्म तो थी ही इससे और भी गर्म हो गयी और अपनी चूत को अपनी उंगली से रगडने लगी उसकी उंगली जोर जोर से उसकी चूत के दाने पर चल रही थी। होंठ चूसते हुये वह अपने मुँह मे थूक भरकर अपने होंठो के तरफ कर देती और मैं उसके थूक को उसके होंठो पर लगा कर चूसता और फिर पी जाता। रीमा का थूक पीना मुझे और मेरे लंड को बहुत भा रहा था। अब तो लंड के दर्द में मुझे मजा आ रहा था। हम दोनो थोडी देर एक दूसरे के होंठो को चूसते रहे और रीमा मुझे अपना थूक पीलाती रही। फिर मैंने एक आखरी चुम्बन लेकर रीमा के होंठ छोड दिये और बोला माँ आपके थूक में तो कुछ जादू है देखो मेरा लंड तो और भी मोटा हो गया।

बेटे माँ के थूक मे ही नंही माँ की हर चीज मे मस्ती है तू एक बार चख कर तो देख मैं रीमा का इशारा समझ गया था जरुर चखूंगा तुम्हारे वापस जाने से पहले जरूर चखूंगा। अभी तो पसीना चखना है। मैं भी तुझे बडे प्यार से चखाऊंगी अपनी हर एक चीज। मैंने अपनी जीभ निकाली और रीमा का चेहरा चाटने लगा। रीमा के माथे गाल ठोठी सब कुछ चाट कर मैंने थूक से गीला कर दिया और फिर रीमा के कानो मैं अपनी जीभ घुसेड कर उसके कान चाटने लगा। कान चाटने के बाद मैंने रीमा की गर्दन पर से भी पसीना पी लिया। रीमा का पूरा चेहरा और गर्दन मेरे थूक मे नहा गये थे। फिर मैंने रीमा के होंठो के एक आखरी चुम्बन लेकर रीमा के सामने आ गया। रीमा बोली चल गाँडू अब मेरे पेट को चाट फिर मेरी ये मतवाली चूचीयो का सेवन करने को तुझको मिलेगा। रीमा अपनी टाँगे खोल कर चूत दिखाती हुये सोफे पर पसर कर बैठी थी। मैं रीमा की टाँगो के बीच आकर बैठ गया और रीमा का मोटा माँस से भरा पसीने के रस से भरपूर पेट मेरे सामने था। जो कि पूरा पसीने से लथपथ था। मैंने अपना चेहराआगे बढाया और माँ के चूचीयो के नीचे के हिस्से पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर पीने लगा रीमा मुझे अपने बदन को चूमते हुये देख रही थी। उसकी आँखो मे वासना और प्यार दोनो दिखायी दे रहा था। इसमे कोई शक नंही था कि कुछ ही घंटो में हम दोनो एक दूसरे को बहुत पंसद करने लगे थे। और एक दूसरे को मजा देने के लिये कुछ भी कर सकते थे। मैंने पहले प्यार से रीमा के पेट और उसकी नाभी के आस पास जमी सारी पसीने की बूंदो को पिया।

रीमा ने अपने हाथो की उंगलियाँ मेरे बालो मे चलानी शुरु कर दी वह इस बात का इजहार कर रही थी की पेट चुमवाना रीमा को कितना अच्छा लग रहा था। पेट के एक एक पसीने की बूद पीने के बाद मैंने अपनी जीभ निकाल कर रीमा का पेट चाटाना शुरु कर दिया औरत का बदन चाटाना मेरा सपना था और आज वह सपना पूरा हो रहा था और रीमा के का थूल थूल पेट मेरे को बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मैं अपने पूरे मन के साथ रीमा का पेट चाटने मे जुटा हुया था। अच्छे रीमा के पेट को चाट कर मैंन रीमा की नाभी कि और रुख किया जिसे मैंने अभी तक छुया भी नंही था। पहले रीमा की नाभी पर कुछ चुम्बन लिये रीमा ने मेरे चेहरे को अपनी नाभे पर हल्के से दबा कर अपने मजे का इजहार किया और उसके मुँह से हल्की से करहा भी निकल रही थी। अच्छे से नाभे चूमने के बाद मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी नोक रीमा की गहरी नाभी के चारो और गोल गोल घुमाने लगा। रीमा एक दम मस्ती मैं मचल उठी और जोर जोर से आह ओह्ह की आवाज निकालने लगी जैसे रंडीयाँ निकालती है अपने ग्राहक को उत्तेजित करने और अपनी मस्ती का इजहार करने के लिये। और फिर मैं कभी नाभी चूमता तो कभी जीभ की नोक चारो और घुमाता।


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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:13

रीमा मेरे हरकतो से बहुत ही उत्तेजित हो रही थी वह पहले से ही अपनी गर्म गाँड चटावा कर गर्म हो चुकी थी पर मेरी जीभ ने तो उसकी चूत की हालत ही खराब कर दी थी। मैंने अपनी जीभ के नोक रीमा की नाभी में घुसेडी और उसकी गहरी नाभि को अपनी जीभ से चातने लग. मैन उसकी नाभी मे अप्नी जीभ घुसता और उस्की नाभी की चूसता रीमा के मुँह से करहाने के आवाज बराबर आ रही थी इसका मतलब यही था कि उसे बहुत ही मजा आ रहा था अपनी नाभी चुम्वाने में। मैं कभी रीमा की नाभी मे जीभ घुसेडता तो कभी अपनी जीभ रीमा की नाभी के चारो और आ रहा था रीमा प्यार से मेरे बालो को सहला रही थी। हाय रे मेरे लाल चाट ले मेरी नाभी मेरे प्यारे मेरे दलाल ऐसे ही जीभ घुसेड घुसेड कर पी मेरा पसीना मेरी नाभी में से पी जा सारा रस मेरे बदन का अपनी माँ के बदन के प्यासे गाँडू साले खेल मेरी नाभी चूस प्यार से चूस ऐसे ही मेरी नाभी। रीमा मुझे बार बार उत्तेजित कर रही थी अपनी नाभी को चूसने के लिये।

मैने अपने हाथ रीमा के कुल्हो पर रखे और उन्को मसलते हुये रीमा की नाभी को चूसने मे तन्लीन हो गया। मैं करीब ५ मिनट तक रीमा की नाभी को चूसता रहा माँ तुम्हारी नाभी चूसने मे बहुत ही मजा आया ये तो बहुत ही गहरी है ऐसा लगता है जैसे चूत हो। अच्छा गाँड चूत की याद आ रही है तेरे को चूत का प्रसाद भी दूंगी तेरे को पहले मेरे इन पहाड जैसे मम्मो की तो जरा देखभाल कर अब बस मेरा सीना ही बचा है तेरे जीभ से यंहा भी बहुत पसीना जमा है जरा इसका भी तो सेवन कर मेरे चोदू बेटे। मैं उठा और रीमा के बाँयी तरफ बगल मैं सोफे पर बैठ गया रीमा की गोल मोटी चूचीयाँ मेरी आँखो के सामने थी। मैंने आगे झुक कर रीमा की बाँयी घुंडी अपने होंठो के बीच दबा ली और अपनी जीभ की नोक से रीमा की घुंडी कुरेदने लगा। आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह म्म्म्म्म रीमा के मुँह से आवाज निकल पडी। रीमा आँखे बंद करके मस्ती से भरपूर चूची चुसवाने का मजा ले रही थी। मैं अपनी जीभ उसकी घुंडी के चारो और फेरता और कभी अपने होंठो से उसे चूस लेता। मेर एक हाथ रीमा के पेट और कमर पर चल रहा था मैं उसकी पेट और कमर हो सहला कर उसे अपने प्यार का अहसास करा रहा था।

घुंडी चूसते चूसते मैं कभी रीमा की कमर भी मसल देता था तो रीमा के मुँह से और भी जोर से आवाज निकल जाती थी। थोडी देर रीमा की घुंडी चूसने के बाद मैंने रीमा की चूची पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर उठाना शुरु कर दिया। मेरे होंठो का हल्का स्पर्श रीमा को अपने बदन के सबसे संवेदनशील अंग पर बहुत ही भा रहा था। वैसे भी रीमा की चुचीयाँ रीमा की चूत का सुईच थी जिसको छेडने से रीमा की चूत की मस्ती का मीटर ऑन हो जाता था। और मेरे होंठो का स्पर्श ऐसा ही कुछ असर दिखा रहा था रीमा की चूत पर। मैंने बहुत ही प्यार से चूमते हुये रीमा की बाँयी चूची पर जमी पसीने की बूंदो को उठाया ऐसा करने मे मुझे थोडी देर लगी पर इसका बहुत ही अच्छा असर रीमा की चूत पर हुया। पहले से ही गर्म चूत मेरे चूची प्रणय के कारण चूत रस से लबा लब भर गये। कितने प्यार से खेल रहा है मेरे लाल मेरी चूचीयो से मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे तू सितार बजा रहा हो वासाना की मस्ती का और मेरी चूत तेरे वासाना की मस्ती का संगीत सुन कर मंत्र मुग्ध हो गयी है और अपना किमती चूत रस की प्यार भरी वर्षा तेरे लिये कर रही है ताकि तू खूद चूत से इस चूत के प्रसाद को ग्रहण करे और तेरे लंड को और भी ताकत प्राप्त हो।

हाँ माँ मुझे भी तुम्हारे चूत रस का चस्का लग गया है अब तो मैं इसके बिना बिल्कुल भी नंही रह सकता इसलिये ऐसी हरकते करके ज्यादा से ज्यादा रस निकाला चाहाता हूँ तुम्हारी चूत से ताकि मैं उसका सेवन कर संकू और अपनी भूख मिटा संकू। मेरा बस चले तो तेरे मुँह को मैं अपनी चूत पर चिपक कर रख लूँ तू चूत चुसता रह और मैं तुझसे चूत चुसवाती रही। पर क्या करू तेरे लंड का ख्याल आ जाता है तो मान जाती हूँ। चल अब चाट चूत बाद मैं मिलेगी चूसने को मैंने रीमा की बाँयी चूची को जीभ निकाल कर एक कुत्ते की भांति चाटाना शुरु कर दिया। मैं उसकी चूची को नीचे से चाटता हुया उसकी घुंडी तक ले जाता और अपनी जीभ को उसकी घुंडी के चारो और घुमाता और फिर जीभ की नोक से उसकी घुंडी कुरेदता। और कभी कभी उसकी घुंडी मुँह मे भर कर चूसने लगता। रीमा ने अपना हाथ अपनी चूत पर ले जाकर अपनी चूत के दाने को अपनी उंगलियो से सहलाना शुरु कर दिया था। और दुसरा हाथ मेरे सर पर फेर रही थी और साथ ही साथ उसके मुँह से करहाने के आवाजे आ रही थी। मैं चूची चाटते चाटते कभी चूची पर थूक देता और फिर अपने ही थूक को चाट लेता मैं रीमा की चूची को अपने थूक से नहला देना चाहाता था। जिससे वह कमरे की रोशनी मे चमा चम चमके।

रीमा की चूची हो मैं चाटता रहा और थोडी ही देर मे मैंने उसकी चूची हो अपने थूक से चमका दिया। थूक से सनी उसकी मोटी बडी चूची बहुत ही सुन्दर लग रही थी। कोई भी चुदक्कड औरत उसकी चूची को देखकर मेरी काम कला का एक नमूना ही बताती। लो माँ तुम्हारी बाँयी चूची तो चाट कर मैंने एक दम चमका दी है देखो कैसे चमक रही है। अरे मेरे भडवे तू बिल्कुल मेरा दल्ला बनने लायक है जो मेरे बदन से इतना प्यार करता हो वही मेरे बदन की अच्छी किमत दिला सकता है। चल मस्त कर दिया तूने अपनी माँ को अब दूसरी चूची भी चाट मादरचोद भडवे। हाँ माँ जरुर कह कर मैं रीमा के दूसरी और आकर बैठ गया। मैंने दाँयी चूची को भी पहले प्यार से चूमना शुरु किया और उस पर जमे पसीने की बूंदे पीने लगा। मैं अपने हाथ की उंगलियो से रीमा की बाँयी चूची पर चलाने लगा। रीमा का एक हाथ लगातार अपनी चूत पर चल रहा था। थोडी देर उसकी चूची सहलाने के बाद मैंने उसे अपने हाथ मे पकडा और मसलने लगा। बहुत ही प्यार से मसल रहा था मैं रीमा की बाँयी चूची और साथ ही साथ दूसरी चूची से पसीने की बूंदे चूम चूम कर उठा रहा था। रीमा का दूसरा हाथ अब मेरी पीठ पर चल रहा था वह अपने कोमल हाथ से मेरी पीठ को सहला कर मुझे उत्तेजित कर रही थी और साथ ही साथ मस्ती मे करहा भी रही थी।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:13

थोडी देर प्यार से रीमा की चूची मसलने के बाद मैंने उसकी चूची को हाथ मे पकडा और जोर जोर से मसलने लगा जैसे कोई आटा गूधता है। ओह माँ मार डालेगा क्या गाँडू मादर चोद क्या कर रहा है कुतिया की औलाद इतनी जोर से मसल रहा है मेरा माल एक तो पहले ही चूत मे आग लगी और तू उसे और भडका रहा है गाँडू। साले पहले तेरी जीभ ने मेरा जीना हराम कर रखा है और अब तू मसलने भी लगा आज तो लगता है सारा चूत का रस निकाल कर मेरी चूत सुखा कर ही दम लेगा तू लगता है बहनचोद। ओह्ह्ह म्म्म्म्म मरी रे कोई ओ बचाओ मेरे बेटे से मुझे रीमा ने मुझे उकसाते हुये कहा। मैंने उसकी चूची हो कस के मसलते हुये उसकी दाँयी चूची को जीभ से चाटना शुरु कर दिया जैसा पहली चूची के साथ किया था। जैसे की सबको पता है रीमा बहुत गोरी थी मेरे चूची मसलना शुरु करते ही रीमा की गोरी मोटी भारी भरकम चूची का रंग बदल कर गुलाबी होना शुरु हो गया। और उसकी चूत से चूत रस का नल खोल दिया। मैंने रीमा की बाँयी चूची मसलते हुये उसकी दाँयी चूची का हाल वही किया और बाँयी का किया था एक दम थूक से चमका दी बेटा अब तूने मेरा सारा बदन चाट कर मुझे जो मजा दिया है मैं उसको कभी नंही भूल सकती लेकिन तेरी जीभ बडी खराब है देख इसने मेरी चूत को फिर से रुला दिया।

चूत रस का सागर बह निकला है मेरी चूत से कितनी बार तो चटा चूकी हूँ मे तेरे से अब बस नंही रहा जाता फिर से झडा दे मेरे ला अपनी माँ की चूत को और पी ले इसका माल पी ले मेरे प्यारे बेटे झडा अपनी माँ को मादर चोद। मैं कहा ठीक है माँ कह कर मैं रीमा की दोनो चूची को एक और प्यार से चूमा और फिर उठ कर रीमा की टाँगो के बीच आकर बैठ गया। रीमा भी खिसक कर आगे को होकर सोफे के किनारे पर अपने चूतड टिका कर बैठ गयी। जिस्से उसकी नंगी झाँटो वाली चूत बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने आ गायी मैं तीन तरफ से रीमा की मोटी मख्खन दार जाँघो और भरपूर सुंदर चूत से घिर गया। मैं रीमा के गीली चूत को निहारने लगा रीमा की चूत मुझे बहुत सुंदर लगती थी और उसको देख कर ही मैं मंत्रमुग्ध हो जाता था। रीमा ने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे बालो मे हाथ फेरते हुये बोली क्या देख रहा है बेटा अपनी माँ की चूत जिसको तूने अभी थोडी देर पहले लंड डाल कर चोदा था और मजा लिया था अच्छी लगती है न तेरे को माँ की चूत दिवाना है न तू अपनी माँ की चूत का सोच रहा होगा ना की तेरी सगी माँ की चूत भी इतनी ही सुंदर होगी कि नंही वह भी इतना मजा देगी कि नंही बोल मेरे लाल मेरी चूत के जने।

हाँ माँ तुम्हारी चूत देख कर तो मैं पागल हो जाता हूँ और अपनी सगी माँ की चूत के बारे में भी सोचता हूँ। अरे फ्रिक मत कर मैं हूँ न तुझे तेरी सगी माँ कि चूत भी दिलवाऊंगी और न जाने कितनी चूतो से तेरा परिचय करवाऊंगी। जनता है न तेरे माँ रंडी है तो बहुत सी रंडीयो से मेरी जान पहचान है सब तेरे जैस मस्त जवान छोरे के नीचे बिछने को एक दम तैयार हो जायेगी। अब तू देखता जा और अपनी इस रीमा माँ की सेवा करता जा। चल अब चाट कि ऐसी ही घूरता रहेगा अपनी प्यारी माँ के छिनाल चूत। मेरे गाल पर प्यार से एक चपत लगाते हुये रीमा ने कहा। मैंने रीमा की मोटी जाँघो को देखा उस पर भी काफी पसीना जमा हुया था। मैंने रीमा की गोरी मोटी जाँघ को चूमना शुरु कर दिया और उसकी जाँघ पर जभी बूंदो को पीने लगा। एक एक बूंद को बडे प्यार से मैंने अपने होंठो से उठायी और पी लिया। थोडे से जाँग के हिस्से को चूम कर पसीने की बूंदे उठा कर पी और फिर उसे जीभ निकाल कर चाटा

ऐसे मैंने दोनो जाँघो के साथ किया पहले एक जाँघ के थोडे हिस्से को चाटता फिर दूसरी जाँघ के उसी हिस्से को। और ऐसे धीरे धीरे मैं अपने मंजिल तक बढने लगा यानि कि रीमा की चूत। रीमा एक हाथ से अपनी चूचीयो से खेल रही थी कभी एक चूची को पकड कर मस्लती तो कभी अपनी घुंडी पकड कर मसल देती और कभी सिर्फ प्यार से अपनी मोटी चूची को सहलाती। और रीमा का दूसरा हाथ बराबर मेरे सर पर चल रहा था और वह प्यार से मेरे बालो पर अपने हाथ फिराते हुये मुझे घूर रही थी और मेरी हरकते उसकी चूत मे चूत रस की बढौतरी कर रही थी। जिसे चूस कर अभी थोडी देर मैं मैं उस चूत रस का सेवन करने वाला था। जैसे जैसे मैं रीमा की चूत के पास आता जा रहा था उसकी चूत से निकलने वाली चूत रस की गंध मुझे जल्दी से जल्दी उसकी चूत में मुँह घुसाने को मजबूर कर रही थी। धीरे धीरे मैंने उस्की दोनो मोटी माँसल जाघो पर जमे पसीने को भी चाट कर पी लिया अब रीमा की चूत की बारी थी जो अपने द्वार खोल कर मुझे आमंत्रित्र कर रही थी


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