Hindi Sex Stories By raj sharma

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raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:25

“स्टोर रूम है ये यार मोंटी चल यहाँ से.”

“क्या पता कुछ काम का समान हो रुक तो गुल्लू.”

मेरी तो साँस ही अटक गयी. मुकेश भी तुरंत रुक गया. मगर वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जबकि उसका लिंग सिर्फ़ सूपदे को छ्चोड़ का बाहर था. हम दोनो ही जड़ हो चुके थे. मुकेश ने धीरे से खुद को नीचे किया और उसका मोटा लिंग मेरे अंदर फिसलता चला गया. ये बिल्कुल स्लो मोशन में हुआ. उसके ज़रा ज़रा सरकते हुवे लिंग को मैने अपने छेद की दीवारों पर बहुत अच्छे से महसूस किया. जब वो पूरा अंदर आ गया तो ना चाहते हुवे भी हल्की सी आहह मेरे मूह से निकल गयी. “आहह.”

“तूने ये आवाज़ सुनी क्या मोंटी?”

“हान्ं यार सुनी तो, चल भाग यहाँ से ज़रूर यहा भूत है.”

और वो दोनो दरवाजा बंद करके भाग गये. अब शायद उपर कोई नही था.

“निकाल लो अब बाहर और मुझे जाने दो. मनीष मुझे ढूंड रहा है.”

“नही अभी नही अभी तो बहुत मारनी है.” और वो फिर से शुरू हो गया.

“बाद में मार लेना मैं कही भागी नही जा रही हूँ प्लीज़ अभी मुझे जाने दो.” मैं गिड़गिडाई.”

“बाद में तू नही देगी मुझे पता है. पीनू के साथ तूने जो किया क्या मुझे नही पता. तू रोज रोज नही देती अपनी. तेरा मूड होता है कभी कभी ये मैं जान चुका हूँ हिहीही. आज ही जी भर के मारूँगा तेरी मैं.”

और जालिम ने तूफान मचा दिया मेरे पीचवाड़े में. इतनी रफ़्तार से मारने लगा वो मेरी मासूम गांद को कि फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी. कोई भी बाहर होता अब तो सुन सकता था.

“उउउहह बस भी करो आहह” और मैं फिर से झाड़ गयी.

“बस अब मेरी बारी है” और उसने रफ़्तार की चरम को छू लिया और फिर अचानक ऐसी पिचकारी छ्चोड़ी उसने कि मेरी गांद की दीवारे गरम गरम पानी में नहा गयी. ये गर्माहट मुझे बहुत गहरे तक महसूस हुई.

“आआहह बस रुक भी जाओ.” मैने कराहते हुवे कहा. मेरी योनि एक बार फिर पानी छ्चोड़ चुकी थी. अजीब बात थी गांद में तो मज़ा आ ही रहा था मगर मेरी चूत भी मस्ती में पानी बहा रही थी. यही बात शायद अनल सेक्स को ख़ास बनाती है. मैने मन ही मन सोचा.

उसने हान्फ्ते हुवे अपने लिंग को बाहर खींच लिया. मैं तुरंत लड़खड़ते कदमो से खड़ी हुई और तुरंत कपड़े पहनने लगी. जब मैने ब्लाउस, पॅंटी और पेटिकोट पहन लिया तो उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंटो को अपने सुवर जैसे होंटो में जाकड़ कर चूसने लगा.उस से अलग हो कर मैने अपने कपड़े पहने और जल्दी से बाहर आ गयी. दोस्तो उस दिन मैं बाल बाल बची दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त


raj..
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Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 30 Oct 2014 08:49

raj sharma stories -
सपना और ज्योति

बात उस वक्त की है जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ रहा था। मेरी उम्र थी सत्रह साल। क्लास में मुझे सभी चिकना कह कर चिढ़ाते थे। इसका कारण था मेरा मासूम चेहरा। मेरा रंग बहुत गोरा था और दिखने में भी बहुत खुबसूरत था। लास की सभी लडकीयाँ मुझसे दोस्ती करने के लिए बेक़रार रहती थी। लेकिन मेरा स्वभाव बिलकुल अलग था। मैं बहुत शर्मीला था और इन बातों से दूर ही रहता था।
हम लोग जिस कालोनी में रहते थे उस कालोनी में हमारे दो पडोसी परिवार से हमारे परिवार की बहुत अच्छी पहचान थी। आपसी सम्बन्ध भी बहुत अच्छे थे। एक घर था सपना आंटी का और दूसरा ज्योति आंटी का। दोनों के पति मेरे पिताजी के ऑफिस में ही काम करते थे। सपना और ज्योति आंटी दोनों बला की खुबसूरत थी। दोनों की उम्र लगभग पच्चीस साल की थी। वे दोनों मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
एक बार सपना आंटी के पति ऑफिस के काम से तीन दिन के लिए इंदौर गए। मुझे सपना आंटी के घर रात को सोने के लिए कहा गया क्यूंकि वो अब अकेली थी। मैं रात को उनके घर सोने के लिए चला गया।
कुछ देर तक हम दोनों पढ़ाई की बातें करते रहे फिर सपना ने कहा " चलो अब सोने चलते हैं। बहुत नींद आ रही है।" उनके बेडरूम में बड़ा पलंग बिछा हुआ था। हम दोनों उसी पलंग पर लेट गए। रात को सोते वक्त मुझे अचानक ऐसा लगा जैसे मेरे पास कोई है। मैं जाग गया । मैंने देखा सपना मेरे बहुत करीब सो रही है। कमरे में नाईट लेम्प जल रहा था। उसकी रौशनी में मैंने देखा सपना ने गहरे बैंगनी रंग की नाईटी पहनी है. उनका एक हाथ मेरे हाथ पर था । मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर से सो गया ।
कुछ ही देर के बाद अचानक सपना के दोनों हाथ मेरे बनियान के अन्दर फिसलने लगे। मेरे बदन में एक सरसराहट दौड़ने लगी। मैंने सोचा वो नींद में ऐसा कर रही है। धीरे धीरे सपना के हाथ मेरे चेहरे पर पहुँच गए। मैं थोडा दूर हटने लगा तो सपना ने मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया और अपनी आँखें खोलते हुए बोली " तुम घबराओ मत। बस मेरे पास ही रहो।" मैं उठकर बैठ गया। सपना भी बैठ गई। मैंने देखा उसके नाईटी का गला पूरा खुला हुआ था और उसके स्तनों के ऊपर का बहुत बड़ा भाग साफ़ नज़र आ रहा था । सपना ने अपनी बाहें फैला दी और मेरे गले में डाल दी। वो अपना चेहरा मेरे चेहरे के एकदम करीब ले आई और मेरे गालों को चूमते हुए बोली " इतना डर क्यूँ मुझसे ? " उनके चूमने से मेरा बदन कांपने लगा। सपना ने अब मुझे अपनी बाहों में भर लिया और लेट गई। मेरी सारी ताकत ना जाने कहाँ चली गई और मैं अपने आप को उनसे छुड़ा नहीं सका। सपना ने मुझे कसकर अपने सीने से लगा रखा था। मैं उसकी गर्म छाती का दबाव साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था।

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 30 Oct 2014 08:50


सपना ने एक बार फिर मेरे गालों पर एक बहुत गर्म और बहुत ही गीला चुम्बन जड़ दिया और बोली " क्या तुम इतना शर्मा रहे हो यार ! आज बड़ी मुश्किल से हमें मौका मिला है । तुम्हें पता है मेरी तुम पर कब से नजर है ? अब ये शर्मना वर्माना छोडो और ..." अब सपना ने मेरे बनियान को खोल दिया और अपनी नाईटी भी उतार दी। मैं उनके स्तनों को देखता रह गया। एकदम गोरा चमकता हुआ रंग और उतनी ही चिकनी चमड़ी। सपना ने गहरे लाल रंग की ब्रा पहनी थी । उस ब्रा से उसके उभार ऐसे लग रहे थे कि मेरा भी सब्र जवाब दे गया । सपना ने अब मेरे नंगे सीने पर अपने होंठ रख दिए और एक चुम्बन जड़ दिया । मेरे जिस्म में ऐसी बिजली दौड़ी कि मैं बेकाबू हो गया और सपना से चिपट गया. सपना को यही तो चाहिए था. वो बेतहाशा मुझे चूमने लगी. मैंने भी हिम्मत जुताई और सपना के गालों को चूम लिया. मेरा सारा बदन एक बार फिर सिहर गया. अब सपना ने मेरे होंठों को अपने होंठों से सी दिया. मैं मदहोश हो चुका था. मुझे अब बिलकुल होश ही ना रहा. हम दोनों ही अब एक दूसरे को चूम रहे थे. लगभग दो घंटों तक हमने यह खेल खेला और फिर थक कर सो गए. सवेरे जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि सपना मुझे लिपट कर ही सो रही है.
मैं अपने घर लौट आया. सारा दिन मैं हवाओं में उड़ता रहा. अब मुझे आज की रात का इंतज़ार था. रात भी आ गई. मैं आज फिर सपना के घर सोने के लिए गया. सपना ने मुस्कुराकर मुझे अन्दर आने के लिए कहा. वो मुझे सद्दा अपने बेडरूम में लेकर गई. फिर मुझे कहा " मैं थोडा फ्रेश होकर आती हूँ. बाज़ार गई थी इसलिए थक गई हूँ." मैं पलंग पर बैठ गया. कुछ ही देर में बाथरूम का दरवाजा खुअल और सपना बाहर निकली. सपना ने केवल ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. लाल रंग की ट्यूबुलर ब्रा और वैसी ही पैंटी पहने वो काम की देवी रति लग रही थी. मैं बिना पलक झपकाए उसे देखता ही रहा. वो मेरे पास आई और मुझे तुरंत अपने कपडे उतरने को कहा. मैं सम्मोहित हो चुका था. बिना एक पल गंवाए मैंने केवल अंडर वेअर रखते हुए सारे कपडे उतार दिए. सपना का जिस्म संगमरमर का लग रहा था. मैं उसके सामने खड़ा हो गया. वो मेरे करीब आई मैंने उसके काँधे को धीरे से चूमा. उसने एक बहुत धीमी आह भरी. फिर मैंने उसके ब्रा के ठीक ऊपर के सीने को चूम लिया. उसने एक और आह भरी. अब मैंने उसके गालों को चूमना शुरू किया. वो फिसलकर मेरी बाहों में आ गई. अब उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में हम दोनों के जिस्म वहां वहां से गीले हो गए थे जहाँ जहाँ हमने एक दूजे को चूमा था. अब सपना ने मेरे होंठों को एक गरम सांस के साथ चूम लिया. मैं रह नहीं पाया और मैंने भी उसके होठों को चूम लिया. अब सपना में अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और मेरे मुंह की सारी नमी जैसे चूस गई. उसने मुझे भी ऐसा ही करने को कहा. जब मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाली तो अचानक ही मेरा सारा शरीर थरथराने लगा. उसके मुंह में जैसे चासनी घुली थी. मैंने काफी देर तक उसके मुंह से उस चासनी को पिया. अब हम दोनों एक दूसरे की जीभ को आपस में सटाकर चूमने लगे. मेरी हालत लगातार ख़राब हो रही थी. सारा बदन काँप रहा था लेकिन सपना मुझे संभाले हुए थी. मैं अब काफी घबरा रहा था. अचानक सपना ने तकिये के नीचे से एक पैकेट निकाला. उसमे से उसने कोई चीज निकली और मेरी उन्देर्वेअर को खोलकर मेरे लिंग पर उसे कसकर चढ़ा दिया. फिर उसने अपने सारे कपडे उतार दिए. अब तो मैं उसके पुरे नंगे जिस्म को देखकर पुती तरह से पागल हो गया. सपना बिस्तर पर लेट गई. उसने अपनी दोनों टाँगे फैलाई और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया. अब मेरा लिंग उसकी दोनों टांगों के बीच जा चुका था. उसने अपने हाथ से मेरे लिंग को अपनी टांगों के बीच के एक छिद्र में घुसा दिया. मुझे अचानक ऐसा लगने लगा मेरा लिंग अन्दर ऐसे घूम रहा है जैसे मेरी ऊँगली गाढ़ी मलाई की कटोरी में घूम रही है. सपना की आँखें बंद थी और चेहरे पर मुस्कान. वो मुझे लगातार अपनी तरफ दबाये जा रही थी. मैं भी लगातार दबे जा रहा था. धीरे धीरे मेरा लिंग उस छिद्र में बहुत दूर तक घुस गया. सपना ने मुझे अब लगातार गालों पर ; गर्दन पर , सीने पर चूमना शुरू किया. मेरे लिंग की गति भी अब बढ़ने लगी. तभी हम दोनों के शरीर एकदम से काँपे और हम दोनों के होंठ आपस में सिल गए. कुछ इस तरह सिले कि कोई नहीं कह सकता कि कहाँ जगह है. इसी तरह मेरा लिंग भी सपना के जननांग में आखिर हद तक पहुँच चुका था. सपना ने और मैंने आखिरी बार एक जोर से अपने आप को एक दूसरे कि तरफ धक्का दिया और मेरे लिंग में से बहुत जोर से कुछ निकलकर बहाने लगा. उधर मेरे और सपना के मुंह से भी लगातार मीठी चासनी एक दूसरे के मुंह में जा रही थी. हमारे दोनों के मुंह पूरी तरह से भीग चुके थे. होंठों से लगातार लार निकल रही थी. अब हम दोनों पूरी तरह से शांत हो चुके थे. हम लगाब्गाह दस मिनट तक बिलकुल हिल ना सके. मेरा लिंग उसी तरह सपना के जननांग में घुसा रहा. फिर हम अलग हुए. सपना ने कहा " आज पहली बार मुझे इस तरह से संतोष मिल है. अब हमारे पास एक दिन और है. कल फिर करेंगे. तुम ढेर सारा दूध पीकर आना. बहुत ताकत लगनी पड़ेगी. अब तुम बहुज्त थक चुके हो. चलो सो जाते हैं." हम दोनों प्री तरह से निर्वस्त्र एक दूजे से सट कर लिपटे हुए सारी रात एक दूसरे कि बाहों में और एक दूसरे के होठों को आपस में मिलाये हुए सो गए. हर तरह से ये एक यादगार मिलन था और सौ प्रतिशत सम्पूर्ण संभोग था.
अगली रात को भी सपना ने मुझे अपने साथ संभोग किया. लगभग सारी रात उसने मुझे नहीं सोने दिया. वो बार बार यह कहती रही कि इस तरह का अगला मौका बहुत मुश्किल से मिलेगा. मैं थक कर चूर हो गया. अगले दिन मैं अपनी कॉलेज भी नहीं जा सका. मेरा सारा शरीर टूट रहा था.

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