Hindi Sex Stories By raj sharma
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
अब जब भी सपना मेरे सामने आती तो हम दोनों उन तीन दिनों को याद कर मुस्कारा उठते. एक लम्बे समय तक हमें उस तरह का कोई मौका नहीं मिल पाया. हम दोनों बहुत तरस रहे थे लेकिन इसी तरह दो से अधिक महीने बीत गए. लेकिन सब्र का फल मीठा होता है. अब फिर मौका मिल गया था. मेरे एक नजदीक के रिश्ते के चाचा का रोड एक्सिडेंट में देहांत हो गया. पिताजी और मां को तीन-चार दिन के लिए हमारे गाँव जाना पद गया. सपना और ज्योति आंटी दोनों ने ही मां को भरोसा दिलाया कि वे मेरा चची तरह से ख्याल रखेगी. मैं और सपना मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे कि एक बार फिर हमें साथ साथ रहने का मौका मिल जाएगा. मैं तो मन ही मन में योजनायें भी बनाने लग गया था.
जिस दिन मां और पिताजी गाँव चले गए उस दिन सपना ने ज्योति से कहा कि आज वो मेरे यहाँ सो जायेगी. ज्योति मां गई. सपना रात को करीब ग्यारह बजे मेरे घर पहुँच गई. क्यूनी उसके पति घर पर ही थे इसलिए वो साड़ी पहनकर आई थी और साथ में रात को पहने जाने वाले कोई और कपडे लेकर नहीं आई. मैं उन्हें देखते ही खिल गया. सपना ने भी आते ही मुझे अपने गले से लगा लिए और मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर मेरे एकदम खड़ी हो गई. हम दोनों कुछ देर तक युहीं मुस्कुराते रहे. फिर हम दोनों ने एक दूजे अपनी बाहों में ले लिया. एक एक कर हमने एक दूसरे के सभी कपडे उतार दिए. सपना एक कंडोम छुपाकर अपने साथ लेकर आई थी. हम दोनों अब एक बार फिर संभोग में व्यस्त थे. सपना और मैं पूरा मजा ले रहे थे. सपना ने अधिक मजा आये इसके लिए कमरे की लाईट जली ही रहने दी. ज्योति देर रात को शायद पानी पीने के लिए उठी. उसने हमरे कमरे की लेत जलती देखि और घडी में रात के दो बजे का समय देखा तो वो ऐसे ही देखने के लिए हमारे कमरे की तरफ आ गई. हम तीनो के घर एक ही कंपाउंड में थे इसलिए बहुत ही करेब करीब थे. ज्योति ने हमारे कमरे की विंडो का दरवाजा धेरे से धकेल कर खोल लिया और अनार झाँका. ज्योति ने देखा की सपना नग्नावस्था म एलेती हुई है और मैं नग्नावस्था में उस पर लेटा हुआ हूँ. हम दोनों के लेटने और हिलने डुलने के तरीकों से उसने सब कुछ समझ लिया और वापस अपने घर की तरफ लौट गई. हमें कुछ पता नहीं चल सका. सवेरे करीब साढे तीन बजे तक हम दोनों संभोग में पूरी तरह से लिप्त थे. फिर सो गए.
जब मैं कॉलेज से दोपहर में घर लौटा तो ज्योति आंटी अपनी बालकनी में खड़ी थी. उसने मुझे आवाज देकर बुलाया और हालचाल पूछा. फिर उसने कहा " कल देर रात तक तुम्हारे कमरे की लाईट जल रही थी. पढ़ाई कर रहे थे क्या?" मैंने उनकी बात ही को आगे बढाते हुए कहा दिया " हाँ, मैं पढ़ रहा था." ज्योति ने फिर कहा " सपना भी तो वहीँ सोने के लिए आई थी ना. क्या वो भी जाग रही थी या तुम अकेले ही पढ़ रहे थे.?" अब मैं थोडा घबराया. फिर बात को सँभालते हुए बोला " सपना आंटी भी मेरी मदद कर रही थी." अब ज्योति के चेहरे पर एक तीखी मुस्कान आ गई. उसने कहा " अच्छा. वो तुम्हारी मदद कर रही थी! ये कैसा होम वर्क था जिसमे तुम और वो दोनों एक दूसरे के साथ बिना कपड़ों पर लेटे हुए थे? मुझे बनाने की जरुरत नहीं है. मैंने सब कुछ देख लिया है. अब आने दो भाभीजी को. सब कुछ बता दूंगी." मैं पसीने पसीने हो गया. मेरे चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी. ज्योति ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " थोड़ी देर बाद आकर मुझसे मिलो." मैं अब पूरी तरह से डर गया.
दोपहर को करीब पांच बजे मैं डरते डरते ज्योति से मिलने गया. ज्योति मेरा ही इंतज़ार कर रही थी. मैं डरते डरते उनके सामने बैठ गया. कुछ देर तक वो मुझे डराती रही और डांटती रही. मैं चुपचाप उनकी सभी बातें सुनता रहा. आखिर में उसने कहा " तुम्हे एक शर्त पर माफ़ी मिल सकती है." मैंने ज्योति से कहा कि मुझे हर शर्त मंजूर है लेकिन मेरे घर में यह बात पता नहीं चलनी चाहिये. ज्योति ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा " तुमने जो भी सपना के साथ किया है ना. वो सब कुछ मेरे साथ भी करना पडेगा " मैं एकदम सन्न रह गया. ये तो कुंए से निकलकर खाई में गिरनेवाली बात थी. लेकिन मन ही मन तो मुझे बहुत अच्छी लगी थी. मैंने डरते डरते कहा " हाँ. मैं तैयार हूँ लेकिन आप प्लीज मेरे घर में कुछ मत बताना." ज्योति अब खड़ी हो गई और मेरे एकदम पास आकर बोली " अब तुम्हें डरने की कोई जरुरत नहीं है." ज्योति ने धीरे से मेरे गालों पर एक छोटा सा चुम्बन दिया और बोली " अब तुम सपना के साथ साथ मेरे भी हो. जाओ अब घूम आओ. बाद में मिलते हैं " मैं जहाँ एक तरफ बहुत खुश था वहीँ दूसरी तरफ अब डरने भी लगा था कि इन सब के चक्कर में कहीं मेरे सारे राज़ ना खुल जाए.
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देर शाम को सपना ने मुझे खाने के लिए आवाज दी. मैंने सपना और उनके पति के साथ खाना खाया. सपना के पति ने कहा " तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं है ना. सपना तुम्हारा बराबर ध्यान रख रही होगी." मैंने ना में सर हिलाते हुए कहा कि सपना आंटी मेरा बहुत अच्छे से ख़याल रख रही है. मैं जब घर लौटने लगा तो ज्योति भी अपने घर के बाहर ही खड़ी थी. वो मुझे देखकर मुस्कुराई. मैंने शरमाकर अपना चेहरा झुका लिया. जब मैं अपने कमरे में चला गया तो खिड़की से देखा कि सपना और ज्योति दोनों आपस में कुछ बातें कर रहे हैं . दोनों के चेहरे पर कुछ तनाव है. मुझे थोडा डर लगा. दोनों के बीच बातचीत चलती रही फिर अचानक दोनों मुस्काराकर बात करने लगी और ऐसा लगा जैसे सारा तनाव और गुस्सा ख़त्म हो गया है. मैंने राहत की सांस ली. मैंने देखा कि सपना अपने घर में चली गई है. ज्योति मेरे घर की तरफ आई. मैं दरवाजे पर ही आ गया. ज्योति ने मुस्काराकर मुझे देखा और बोली " मेरी सपना से बात हो गई है. आज वो नहीं आएगी बल्कि मैं तुम्हारे साथ सोने के लिए आऊंगी. तुम तैयार रहना." मैं बहुत खुश हो गया और बोला " हाँ. अच्छी बात है."
रात के करीब ग्यारह बजे थे. ज्योति आ गई. हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए. ज्योति मेरे साथ ही सोफे की बड़ी कुर्सी पर बैठ गई. हम दोनों एक ही कुर्सी पर पर होने से एक दूसरे से बिलकुल चिपक कर बैठे थे. ज्योति का चेहरा मेरे बिलकुल सामने था. अमिन उसकी तुलना सपना से करने लगा. दोनों का रंग बहुत गोरा था. सपना चेहरे से कुछ शांत नजर आती थी जबकि ज्योति का चेहरा थोडा चंचल है. दोनों के गाल एकदम गोरे चिकने हैं. ज्योति के होंठ ज्यादा रसीले हैं. सपना के स्तन ज्यादा उभरे हुए हैं. ज्योति का बदन थोडा ज्यादा गठीला है जबकि ज्योति की कमर के नीचे की गोलाइयां ज्यादा अच्छी है. कुल मिलाकर दोनों एक दूसरे से कम नहीं है. दोनों ही बहुत कामुक और गरम है. दोनों की भूख बहुत ज्यादा है.
अब ज्योति ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे अधिक सट गई. उसकी गरम साँसे अब मेरी गरदन से टकराने लगी थी. मैंने हिम्मत दिखाई और उसके गालों का एक हल्का चुम्बन ले लिया. ज्योति ने भी ऐसा ही जवाब दिया. हम दोनों फिर लगातार गालों को चूमने लगे. अब ज्योति ने खुद के कपडे उतार दिए. उसने काल एरंग की बा और उसी रंग की पैंटी पहन रखी थी. मैं उसके जिस्म को निहारने लगा. उसके कमर के नीचे का हिस्सा अंडाकार था और किसी मूर्ति जैसी बनावट थी. मैं उन गोलाइयों को चूमने लगा. ज्योति ने मेरा सर अपनी कमर की गोलाइयों के पास ले जाने दिया और दोनों हाथों से दबा दिया. मैं ज्योति के गोरे बदन को यहाँ वहां चूमने लगा. ज्योति को बहुत मजा आने लगा था. मैंने उसकी कमर ; कमर के नीचे की गोलाइयां ; उसकी पीठ ; बाहें ; गरदन और गाल सब चूमे. फिर मैंने ब्रा के अलावा उसके सीने के सभी खुले हिसे को चूमना शुरू किया. ज्योति की आहें निकलने लगी थी और वो मेरे जिस्म से टकराकर फिसलने लगी थी. उसके अपने दोनों हाथ से मेरे कपडे खोलने शुरू ही किये थे की हमारा दरवाजा किसी ने खटखटाया. मैं काँप गया और सहम गया. मारे घबराहट क एपसीया छुटने लगा. क्या पिताजी और मां तो नहीं लौट आये दो दिन पहले ही. फिर सोच कि इतनी जल्दी वो आ ही नहीं सकते. आज बड़े सवेरे तो वे पहुंचे होंगे. ज्योति ने कहा " डरो मत. मैं बाथरूम में छुप जाती हूँ तुम देखो जाकर कौन आया है." ज्योति बाथरूम में चली गई.
मैंने आकर दरवाजा खोला. सामने सपना खड़ी थी. अब तो मैं बुरी तरह से घबरा गया. सपना ने मुझे पीछे धकेलते हुए कहा " इस तरह क्यूँ खड़े हो. चलो मुझे अन्दर आने दो. आज थोडा लेट हो गई. कल सवेरे वो जल्दी जानेवाले हैं ना इसलिए उनके कपडे तैयार कर रही थी. पता नहीं हमें रात को सोते वक्त कितनी देर हो जाए. वो तैयार होकर सवेरे खुद ही सीधे चले जायेंगे. तुम कल कॉलेज मत जाना. हम सवेरे भी साथ रहेंगे. अब सारी रात हमारी और सवेरा भी हमारा. खूब मजा आयेगा. चलो चलो भीतर चलो." वो मुझे लगभग धक्का देते हुए अन्दर आ गई. मेरा पसीना सूखने का नाम ही नहीं ले रहा था. हम दोनों बेडरूम में आ गए. पलंग पर मैंने देखा कि ज्योति के कपडे युहीं बिखरे हुए पड़े हैं. अब तो मेरा डर और भी बढ़ गया. तो क्या ज्योति केवल उन्ही दो कपड़ों में बाथरूम में चली गई है. अब क्या होगा. सपना को सब पता चल जाएगा. सपना ने ज्योति के बिखरे कपड़ों को हाथ में लेटे हुए कहा " ये साडी तो ज्योति की है. ये यहाँ कैसे आई?" मैं कुछ नहीं बोल पा रहा था. सपना ने बाथरूम की जलती हुई लाईट देखी और बोली " ज्योति शायद उसमे हैं. लेकिन वो यहाँ कैसे?" तुम क्या गूंगे हो गए हो?" सपना ने मेरी तरफ देखा और धीरे से बोली " उसे अन्दर ही रहने दो. आओ हम मिल जाते हैं."
क्रमशः....
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गतान्क से आगे...................
सपना ने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए. मैं जब केवल अंडर वेअर में रह गया तो उसने भी ब्रा और पैंटी को छोड़कर अपने बाकि कपडे उतार दिए. अब उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगी. मैंने सोचा कुछ देर के बाद मैं सपना को सब बता दूंगा. फिर जो होगा वो देखा जाएगा क्यूंकि मैं अब फंस तो गया हूँ. बचने का कोई रात्सा है ही नहीं. तो बेहतर है सब कुछ बता देना ही. मैं और ज्योति दोनों पलंग पर लेट गए. मुझे ज्योति का साथ भी बहुत अच्छा लग आहा था. मैं बार बार उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपने हाथ फिरा रहा था. अब मैंने भी ज्योति को चूमना शुरू कर दिया. अचानक ज्योति ने मेरे होंठों पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं पागल हो गया. उसका चुम्बन इतना गीला होगा मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मैं बार बार उसे कसकर पकड़ता और वो मुझे उतने ही जोश और गर्मी से चूमती जाती.
हम दोनों इसी चूमाचाटी में खोये हुए थे की अचानक बाथरूम का दरवाजा खुल गया. मैं घबराकर इधर उधर देखने लगा. सपना बाहर निकालकर आ गई. वो ब्रा और पैंटी में ही थी. ज्योति ने मेरी तरफ देखा और बोली " तो तुम्हें अब इतना झूठ बोलना आ गया है. " सपना हमारे पलंग पर आकर बैठ गई और ज्योति से बोली " इसमें इसका कोई कुसूर नहीं है ज्योति; हम दोनों के कारण ही इसकी यह हालत हुई है. हम दोनों इसे कब से देखकर ललचा रहे थे. एक एक के हाथ तो ये आ गया था आज पहली बार हम दोनों को एक साथ ये मिला है. " मैं अब सब समझ गया कि हकीकत क्या है. इसका मतलब यह है कि ये दोनों ही मुझे पसंद करती है और मेरे साथ ये सब करना चाहती थी. ये बात इन दोनों को आपस में पता भी थी. ज्योति ने सपना का हाथ पकड़ा और बोली " अब तुम भी साथ आ जाओ." इतना कहकर ज्योति ने मुझे अपने से अलग किया और ज्योति को अपने साथ लिटा लिया. सपना ज्योति के पास सट कर लेट गई. अब दो बेहद खुबसूरत जिस्म मेरे सामने थे. दोनों के हर अंग में रस कूट कूट कर भरा हुआ था. दोनों ही ये सारा रस मुझे पिलाने को बेताब थी. अब ये मुझे देखना था कि मैं कितना रस पी पाता हूँ.
सपना ने मुझसे कहा " हमारे प्यारे चिक्कू; आओ." मैं सपना के ऊपर लेट गया. ज्योति ने करवट बदल ली और मेरे और सपना की तरफ मुंह कर लिया. उसने मेरा मुंह सपना के करीब लाकर उसके गालों से छुआ दिया. मैंने सपना को चूमा. सपना ने वापस मुझे चूमा. फिर ज्योति ने मुझे चूमा और मैंने ज्योति को. फिर सपना ने मेरे होंठ कम लिए. अब ज्योति ने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए. मुझ पर एक अलग तरह का नशा चढ़ने लगा. मैं सपनो की दुनिया में जा रहा था ऐसा मुझे लगा. सपना ने अब ज्योति को गालों पर चूमा. ये मेरे लिए बिलकुल नया अनिभव था. दो औरतों को आपस में इस तरह चूमता हुआ देखना. मेरे शरीर में एक सरसराहट सी फ़ैल गई. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने उन दोनों को एक बार फिर यह करने के लिए कहा. उन दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे के गाल चूमे. मुझे अचानक एक ख़याल दिल में आया. मैंने सपना के चेहरे को ज्योति के चेहरे के एकदम करीब ला दिया. वे दोनों मुझे देखने लगी. मैंने अब सपना के होठों की तरफ ज्योति के होंठ बढाए और अपने दोनों हाथों से दबाते हुए उन दोनों के होठों को आपस में मिला दिया. उन दोनों ही के मुंह से एक साथ एक आह निकली और उनका जिस्म हिल उठा. मेरे भीतर भी एक कर्रेंट दौड़ गया. उन दोनों के इस चुम्बन को देखकर मुझे इतना मजा आया कि मैं यहाँ शब्दों में नहीं लिख सकता.ऐसे लगा जैसे हर तरफ एक खुशबू फ़ैल गई और फूल ही फूल बरस रहे हैं. एक औरत के होंठ मनुष्यों के अंगों में सबसे कोमल भाग होता है. जब दो ऐसे कोमल भाग आपस में इस तरह मिल जाते हैं तो कैसा लगता होगा. ये मैंने आज देख लिया. अब मुझे इसे अनुभव करने की इच्छा होने लगी. मैंने उन दोनों के चेहरों को पास ही रहने दिया और अपने होंठ भी उन दोनों के होंठों के करीब ले गया. वे दोनों मेरी इच्छा समझ गई. उन दोनों ने भी अपने अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ बाधा दिए. हम तीनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे से टकराकर एक मदहोशी का आलम पैदा कर रही थी. अगले ही पल हम तीनों के होंठ आपस में मिल गए और पूरी तरह सिल गए. हम तीनों के जिस्म में जो बिजली दौड़ी उसने हम तीनों को ही तड़पाकर रख दिया. हम तीनों लगभग पांच मिनट तक इस नमी और बिजली की लहरों का मजा लेटे रहे. फिर हम अलग अलग हो गए.
सपना ने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए. मैं जब केवल अंडर वेअर में रह गया तो उसने भी ब्रा और पैंटी को छोड़कर अपने बाकि कपडे उतार दिए. अब उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगी. मैंने सोचा कुछ देर के बाद मैं सपना को सब बता दूंगा. फिर जो होगा वो देखा जाएगा क्यूंकि मैं अब फंस तो गया हूँ. बचने का कोई रात्सा है ही नहीं. तो बेहतर है सब कुछ बता देना ही. मैं और ज्योति दोनों पलंग पर लेट गए. मुझे ज्योति का साथ भी बहुत अच्छा लग आहा था. मैं बार बार उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपने हाथ फिरा रहा था. अब मैंने भी ज्योति को चूमना शुरू कर दिया. अचानक ज्योति ने मेरे होंठों पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं पागल हो गया. उसका चुम्बन इतना गीला होगा मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मैं बार बार उसे कसकर पकड़ता और वो मुझे उतने ही जोश और गर्मी से चूमती जाती.
हम दोनों इसी चूमाचाटी में खोये हुए थे की अचानक बाथरूम का दरवाजा खुल गया. मैं घबराकर इधर उधर देखने लगा. सपना बाहर निकालकर आ गई. वो ब्रा और पैंटी में ही थी. ज्योति ने मेरी तरफ देखा और बोली " तो तुम्हें अब इतना झूठ बोलना आ गया है. " सपना हमारे पलंग पर आकर बैठ गई और ज्योति से बोली " इसमें इसका कोई कुसूर नहीं है ज्योति; हम दोनों के कारण ही इसकी यह हालत हुई है. हम दोनों इसे कब से देखकर ललचा रहे थे. एक एक के हाथ तो ये आ गया था आज पहली बार हम दोनों को एक साथ ये मिला है. " मैं अब सब समझ गया कि हकीकत क्या है. इसका मतलब यह है कि ये दोनों ही मुझे पसंद करती है और मेरे साथ ये सब करना चाहती थी. ये बात इन दोनों को आपस में पता भी थी. ज्योति ने सपना का हाथ पकड़ा और बोली " अब तुम भी साथ आ जाओ." इतना कहकर ज्योति ने मुझे अपने से अलग किया और ज्योति को अपने साथ लिटा लिया. सपना ज्योति के पास सट कर लेट गई. अब दो बेहद खुबसूरत जिस्म मेरे सामने थे. दोनों के हर अंग में रस कूट कूट कर भरा हुआ था. दोनों ही ये सारा रस मुझे पिलाने को बेताब थी. अब ये मुझे देखना था कि मैं कितना रस पी पाता हूँ.
सपना ने मुझसे कहा " हमारे प्यारे चिक्कू; आओ." मैं सपना के ऊपर लेट गया. ज्योति ने करवट बदल ली और मेरे और सपना की तरफ मुंह कर लिया. उसने मेरा मुंह सपना के करीब लाकर उसके गालों से छुआ दिया. मैंने सपना को चूमा. सपना ने वापस मुझे चूमा. फिर ज्योति ने मुझे चूमा और मैंने ज्योति को. फिर सपना ने मेरे होंठ कम लिए. अब ज्योति ने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए. मुझ पर एक अलग तरह का नशा चढ़ने लगा. मैं सपनो की दुनिया में जा रहा था ऐसा मुझे लगा. सपना ने अब ज्योति को गालों पर चूमा. ये मेरे लिए बिलकुल नया अनिभव था. दो औरतों को आपस में इस तरह चूमता हुआ देखना. मेरे शरीर में एक सरसराहट सी फ़ैल गई. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने उन दोनों को एक बार फिर यह करने के लिए कहा. उन दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे के गाल चूमे. मुझे अचानक एक ख़याल दिल में आया. मैंने सपना के चेहरे को ज्योति के चेहरे के एकदम करीब ला दिया. वे दोनों मुझे देखने लगी. मैंने अब सपना के होठों की तरफ ज्योति के होंठ बढाए और अपने दोनों हाथों से दबाते हुए उन दोनों के होठों को आपस में मिला दिया. उन दोनों ही के मुंह से एक साथ एक आह निकली और उनका जिस्म हिल उठा. मेरे भीतर भी एक कर्रेंट दौड़ गया. उन दोनों के इस चुम्बन को देखकर मुझे इतना मजा आया कि मैं यहाँ शब्दों में नहीं लिख सकता.ऐसे लगा जैसे हर तरफ एक खुशबू फ़ैल गई और फूल ही फूल बरस रहे हैं. एक औरत के होंठ मनुष्यों के अंगों में सबसे कोमल भाग होता है. जब दो ऐसे कोमल भाग आपस में इस तरह मिल जाते हैं तो कैसा लगता होगा. ये मैंने आज देख लिया. अब मुझे इसे अनुभव करने की इच्छा होने लगी. मैंने उन दोनों के चेहरों को पास ही रहने दिया और अपने होंठ भी उन दोनों के होंठों के करीब ले गया. वे दोनों मेरी इच्छा समझ गई. उन दोनों ने भी अपने अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ बाधा दिए. हम तीनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे से टकराकर एक मदहोशी का आलम पैदा कर रही थी. अगले ही पल हम तीनों के होंठ आपस में मिल गए और पूरी तरह सिल गए. हम तीनों के जिस्म में जो बिजली दौड़ी उसने हम तीनों को ही तड़पाकर रख दिया. हम तीनों लगभग पांच मिनट तक इस नमी और बिजली की लहरों का मजा लेटे रहे. फिर हम अलग अलग हो गए.