पत्नी को पति का तोहफा--1
हाई दोस्तो कैसे है आप दोस्तो एक ऑर नई कहानी का मज़ा लीजिए
आँखों पे बँधी पट्टी कमरे में होने वाली हर रोशनी को रोक रही
थी, पट्टी वाकई में काफ़ी अच्छी थी, प्रीति ने महसूस किया. आज
उसका जनम दिन था और उसके पति ने उसे एक अनोखा तोहफा देने का वादा
किया था. प्रीति अपने कान खड़े कर दूसरे कमरे में से आने वाली
आवाज़ को सुनने की कोशिस कर रही थी. थोड़ी देर पहले ही फोन की
घंटी बज़ी थी जब राज ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध उसे बेडरूम
में लेकर आया था.
"में फोन सुनकर अभी गया और अभी आया," राज बोला.
प्रीति सुनने की कोशिश कर रही थी कि राज क्या कह रहा है पर
आँखों के साथ थोड़ी पट्टी कानो पर भी थी जिससे उसे सुनने और
समझने में तकलीफ़ हो रही थी.
प्रीति ने कमरे मे आती कदमों की आवाज़ सुनी.
"क्या तुम अपने अनोखे तोहफे के लिए तय्यार हो?" राज ने कमरे में
रखे रेडियो की आवाज़ तेज करते हुए पूछा.
"हां में तय्यार हूँ" प्रीति थोड़ा हिक्किचाते हुए बोली.
"अब ये याद रखो कि ना ही तुम कुछ बोल सकती हो और ना ही कोई सवाल
पूछ सकती हो." राज ने कहा.
इसके पहले दोनो ने एक अच्छे रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया था.
खाने के साथ दो दो पेग भी पिए थे जिससे महॉल थोड़ा खुशनुमा हो
जाए. राज ने आज शाम को ही इस तोहफे का इंतेज़ाम किया था. उसकी
उत्सुकता और बढ़ गयी थी कि ऐसा कौन सा तोहफे का इंतेज़ाम किया है
राज ने उसके जनम दिन पर.
राज ने उसकी पट्टी को एक बार और दुरुस्त किया और फिर उसे चूमने
लगा. कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था सिवाय कुछ मोमबतियों के जो
कमरे को सुरमई रंग दे रही थी.
प्रीति बेड के पास खड़ी थी और राज उसे बाहों में भरे उसको चूम
रहा था. वो कभी उसके होटो पर चूमता और फिर उसकी गर्दन पर
चूमने लगता. उसके चूमने की अदा ने प्रीति को गरमा दिया था.
राज जब उसे उसके कुल्हों से पकड़ अपनी और खींच ओर ज़ोर से चूमता
तो वो महसूस करती कि राज का लंड उसकी जांघों पर टक्कर मार रहा
है.
राज ने धीरे से उसके टॉप को उपर उठा निकाल दिया, ये ध्यान रखा कि
उसकी पट्टी आँखों से ना हटे. फिर उसे घुमा कर उसकी ब्रा के हुक
खोल कर वो भी निकाल दी.
उसकी चुचियों को भींचते हुए उसने प्रीति को और अपने करीब किया
और जांघों को उसकी जांघों के साथ रगड़ने लगा.
राज अपने हाथों को प्रीति की नंगी पीठ पर फेर रहा था, फिर उसने
अपने हाथ से प्रीति की जीन्स के बटन खोले और उसकी जीन्स को नीचे
खस्का दिया.
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राज ने उसे बिस्तर के किनारे पर बिठा दिया और खुद अपने कपड़े
उतारने लगा. फिर घुटनो के बल हो उसने उसकी जीन्स उतार दी. राज ने उसे
हल्का सा धक्का दे बिस्तर पर लिटा दिया, "अब असली मज़ा शुरू होता
है." राज ने कहा.
राज ने बेड के नीचे से रस्सी निकाल ली, और प्रीति के हाथों को उसके
सिर के पीछे कर उसके दोनो हाथ बेड के किनारे से बाँध दिए.
"ये तुम क्या कर रहे हो और मेरे हाथ क्यों बाँधे है?" प्रीति ने
पूछा.
"मेने तुमसे कहा था ना कि तुम सवाल नही कर सकती !" राज ने कहा.
प्रीति सोच रही थी कि वो कितनी मजबूर है इन सब चीज़ो से पर उसने
अपने शरीर में फिर गर्मी महसूस की जब उसने पाया की राज ने उसे
फिर चूमना शुरू कर दिया है.
राज अब उसकी चुचियों को चूम रहा था. एक हाथ उसके एक मम्मो को दबा
रहा था और दूसरे मम्मे पर वो अपनी ज़ुबान फेर रहा था. जब उसकी
जीभ निपल के चारों और घूमती तो प्रीति के शरीर में एक
थिरकन सी उत्पन्न हो जाती.
वो राज को अपनी बाहों में भर उसे चूमना चाहती थी पर अपने हाथ
बँधे होने से वो लाचार थी.
राज उसकी चुचियों को चूस नीचे की ओर बढ़ रहा था, उसने उसकी
नाभि पर ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी. अब वो ज़्यादा समय उसकी नाभि
में ज़ुबान डाल उसे चूम रहा था. रश्मि उत्तेजना के मारे कांप रही.
राज की यातना ने उसे और कामातुर कर दिया था.
राज ने उसकी पॅंटी की एलास्टिक में अपनी उंगली फँसा उसे भी उतार
दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया. राज उठा और एक बड़ा सा तकिया ले
आया.
"प्रीति ज़रा अपने कुल्हों को उठाओ जिससे में ये तकिया तुम्हारे नीचे
लगा सकु." राज ने कहा.
प्रीति अपने आप को उपर उठाने में दिक्कत महसूस कर रही थी, राज
ने उसकी मदद की और तकिया उसके नीचे लगा दिया. अब प्रीति की चूत
उपर को उठ चुकी थी.
राज अब उसकी जांघों के बीच आ उसकी जांघों को चूस्ते हुए उपर की
और बढ़ा. अब उसने अपनी ज़ुबान चूत के आजू बाजू फिराने लगा. प्रीति
की उत्तेजना बढ़ रही थी, उससे अब सहन नही हो रहा था.
राज अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल उसे चोद रहा था, प्रीति ने
चाहा कि वो राज के सिर को पकड़ उसे और अपनी चूत पर दबौउ पर
हाथ बँधे होने के कारण वो ऐसा ना कर सकी.
"हे भ्ाआआगवान" वो ज़ोर से सिसकी.
"आवाज़ नही मेने कहा था ना !" राज बोला.
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राज ज़ोर से अपनी जीभ को प्रीति की चूत के अंदर बाहर कर रहा
था, प्रीति अपनी कुल्हों को उठा उसकी इस अदा मे उसका साथ दे रही
थी. प्रीति ने अपने शरीर को अकड़ता पाया और उसकी चूत ने उस दिन
का पहला पानी छोड़ दिया.
प्रीति की चूत में जोरों की खुजली हो रही थी और वो राज से कहना
चाहती थी कि वो उसे कस्के चोदे पर राज ने कुछ कहने से मना किया
था ये सोच वो चुप रह गयी.
राज उसकी जांघों के बीच से उठ खड़ा हुआ और उसके होठों को चूमने
लगा. राज का एक हाथ उसके मम्मो को दबा रहे थे और दूसरा हाथ उसके
सिर को ज़ोर से पकड़ा हुआ था. राज ने अपनी ज़ुबान प्रीति के मूह में
डाल दी और उसकी जीभ से खेलने लगा.
इतने मे प्रीति ने अपनी जांघों के बीच किसी को महसूस किया, ये
कैसे हो सकता है जब राज उसे चूम रहा है तो उसकी जांघों के
बीच कौन है. उसे लगा कि कोई अपनी ज़ुबान उसकी जांघों के अन्द्रुनि
हिस्से पर फेर रहा.
जैसे ही उसने कुछ कहने के लिए अपना मूह खोलना चाहा, राज ने उसके
होठों को ज़ोर से चूम लिया.
"कुछ कहने की ज़रूरत नही है, यही तुम्हारा अनोखा तोहफा है." राज
ने कहा.
प्रीति ये सुन कर सहम गयी, ये अंजाना व्यक्ति कमरे में कौन है?
वो मर्द है या औरत ये विचार उसके दिमाग़ में घूमने लगा.
इतने में उसने महसूस किया कि वो जो कोई भी था अब उसकी चूत को
चाट रहा था, उसकी उत्तेजना फिर भड़क रही थी. इतने में राज उसकी
छाती पर चढ़ गया और अपना खड़ा लंड उसकी होठों पर रख दिया.
उस अंजाने व्यक्ति की ज़ुबान की रफ़्तार उसकी चूत पेर तेज हो गयी थी
और उसके मूह से सिसकारी फुट पड़ी.
"ओह आआआआआआहह" जैसे ही उसका मूह खुला राज ने
अपना लंड उसके मूह में घुसा दिया. प्रीति ने राज के लंड को चूसना
शुरू किया और वहीं उस व्यक्ति की रफ़्तार और तेज होती गयी.
उसका शरीर अकड़ रहा था और उसे अपने आपको रोकना मुश्किल लग रहा
था. वो उत्तेजना में और ज़ोर से राज के लंड को चूसने लगी और उसकी
चूत ने दुबारा पानी छोड़ दिया.
राज ने अपना लंड उसके मूह से निकाल लिया और उसपर से खड़ा हो गया.
प्रीति भी अपनी साँसे संभालने में लगी हुई थी.
"ओह ये सब कितना अछा लग रहा है." प्रीति सोच रही थी कि
उसने फिर किसी को अपनी जांघों के बीच महसूस किया.