प्रीति ने कुछ कहा नही और अपने गर्दन जीत की ओर घुमा दी, जैसे
कोई अनोखा आकर्षण था जीत की आँखों में कि प्रीति ने झुक कर
अपने गरम होठ जीत की होंठो पर रख दिए. जीत ने भी जोरों से
उसके होंठो को चूस्ते हुए अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे डाल दी और उसकी
ज़ुबान को चूसने लगा.
जीतने एक हाथ से प्रीति के मम्मे दबाते हुए उसे अपनी बाहों में भींच
लिया. प्रीति ने भी अपनी बाहें फेला जीत को आगोश में ले लिया.
प्रीति ने अपने गर्दन घुमा दूसरे सोफे की ओर देखा तो पाया कि
रश्मि राज की गोदी में उसकी ओर मुँह किए बैठी है. राज उसका टॉप
उतार उसके मम्मे चूस रहा था.
जीत ने जैसे ही प्रीति को सोफे पर लिटाया प्रीति फिर जीत को देखने
लगी. जीत मुस्कुराते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा. जीत ने
उसकी आँखों में झाँकते हुए उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. जैसे ही
जीत नेउसके निपल की ओर अपना चेहरा बढ़ाया प्रीति ने उसकी आँखों
में प्यार झलकते पाया.
प्रीति ने अपने शरीर में एक अजीब ही सरसरी महसूस की जैसे ही
जीत उसके पूरे निपल को मुँह में ले चूसने लगा. जीत का एक हाथ
साथ ही साथ उसके मम्मे दबाता जा रहा था. प्रीति ने ज़ोर की सांस ली
और उसे अपनी चूत गीली होती हुई लगी.
उसके दोनो निपल चूसने के बाद जीत खड़ा हो अपनी शर्ट उतारने
लगा. प्रीति को उसकी चौड़ी छाती और भारी कंधे बहोत ही अच्छे लग
रहे थे.
जीत उसके पावं के बीच बैठ अपने दोनो हाथों से उसकी जीन्स के
बटन खोलने लगा जैसे कोई बच्चा अपने जनमदिन का उपहार खोलता
है. प्रीति ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे थोड़े उठा दिए.
जीत ने उसकी जीन्स के साथ साथ उसकी पॅंटी भी उतार दी. जीत उसकी
जांघों के अन्द्रुनि हिस्से को चूमते हुए उपर की ओर बढ़ा. प्रीति ने
अपनी आँखें बंद कर अपनी टाँगे और फैला दी और जीत की जीब का
आनंद लेने लगी.
जीती उपर की ओर बढ़ा अब उसकी चूत के बाहरी हिस्से पर अपनी ज़ुबान
हिला रहा था. जीत सही में इस मामले में किसी एक्सपर्ट से कम नही
था. वो अपनी ज़ुबान को चूत के चारों और घुमा चूत की पंखुड़ियों
पर अपने जीब मसल देता.
प्रीति आनंद के नशे में खोई हुई थी, कमरे में सिसकारियों की
आवाज़ गूँज रही तो जो टीवी से आ रही थी.
प्रीति ने अपनी चूत थोड़ा सा उपर उठा दी, उसके इशारे को समझ
जीत अब उसकी चूत को चूस रहा था. साथ ही साथ उसने एक हाथ से
उसकी चूत को फैला अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी. अब वो अपनी
उंगली को भी अंदर बाहर कर रहा था और जीब से चूस भी रहा था.
प्रीति के मुँह से वैसी ही सिसकारिया निकल रही थी जैसी टीवी से आ
रही थी, "ऊऊऊऊः जीईईट चूऊवस्ते जाऊ ओह हाआअँ
आईीईसीई और ज़ोर से चूऊऊऊसो ना"
जीत और ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगा. प्रीति का शरीर आकड़ा
और उसकी चूत ने जीत के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया. जीत उपर
उठा और प्रीति के होंठो को ज़ोर से चूमता हुए प्रीति की ही चूत का
पानी उसके मुँह मे डाल दिया. प्रीति भी अपनी चूत के पानी का स्वाद
लेने लगी.
"मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद अछा लगा." जीत उसके सामने खड़े होते
कहा.
प्रीति ने अपनी नज़र उसके खड़े लंड पर गढ़ा दी जो उसकी जीन्स में
तंबू बनाए हुए था. प्रीति घुटनो के बल बैठ उसकी जीन्स के बटन
खोलने लगी. उसकी जीन्स को नीचे खिसका उसने अंडरवेर भी नीचे कर
दी. जीत का खड़ा लंड एकदम साँप की तरह फूंकर मार रहा था.
प्रीति उसके लंड को अपने हाथों से पकड़ ऊपर से नीचे तक चाटने
लगी. फिर उसने उसके लंड के सूपदे दो चूमते हुए अपने मुँह में
लिया. जीत के पूरे लंड को अपने मुँह में ले चूस्ते हुए आधा लंड
बाहर निकालती और फिर पूरे लंड को अपने मुँह में ले लेती.
उधर राज रश्मि को घोड़ी बना पीछे से उसे चोद रहा था. दोनो के
मुँह से मादक सिसकारिया फुट रही थी.
Hindi Sex Stories By raj sharma
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प्रीति अब ज़ोर से अपना मुँह उपर नीचे कर जीत के लंड को चूस रही
थी. प्रीति ने देखा कि सही में जीत गरम हो रहा है और अपने
लंड को ज़ोर से उसके मुँह मे दे रहा था. उसके लंड से चूत रहे पानी
का स्वाद आ रहा था उसे.
प्रीति महसूस कर रही थी जीत का लंड उसके होंठो से लेकर उसके
गले तक जा रहा था. उसने अपने आपको जीत के हवाले कर दिया जो और
तेज़ी से धक्के लगा रहा था. थोड़ी देर बाद जीत ने अपना लंड प्रीति
के मुँह से बाहर निकाल लिया.
"जीत में चाहती हूँ कि अब तुम मेरी कसकर चुदाई करो." प्रीति
बोली.
बिना कुछ कहे जीती प्रीति की टाँगो बीच आ गया और उसकी दोनो
टाँगे उठा अपने कंधे पे रहने दी. जीत अब अपने लंड को उसकी चूत
पर रगड़ गीला करने लगा. जब उसका लंड पूरा गीला हो गया तो उसने
एक ज़ोर का धक्का लगा जड़ तक अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.
जैसे ही जीत के लंड प्रीति की चूत की जड़ों को छुआ उसके मुँह से एक
मादक सिसकारी निकल पड़ी.
जिस आसान से वो चुदवा रही थी उसमे उसे जीत के लंड का पूरा अनुभव
हो रहा था. जीत का लंड उस अंजान व्यक्ति जितना बड़ा तो नही था
लेकिन फिर भी प्रीति को दर्द और सुख दोनो का आनंद आ रहा था.
जीत पहले तो धीमी रफ़्तार से प्रीति को चोद रहा था फिर उसके
धक्कों ने तेज़ी पकड़ ली.
"हां चूऊड़ो मुझीईई और्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर से ओह
आआआः तुम्हााआअरा लुंद्द्द्दद्ड किठनाआअ अचह्ा हाईईईईईई."
प्रीति के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.
प्रीति की मादक सिसकारियों ने जीत में और जोश भर दिया. जब
प्रीति उसके धक्के का जवाब आने कूल्हे उछाल देती उसे अपना खून में
उबाल बढ़ता नज़र आता. और जब प्रीति नेज़ोर चिल्ला अपने कूल्हे और
उठा दिए और उसके लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया, तो उसे
अपना पानी चूत ता महसूस हुआ.
जीत को ऐसा लगा कि प्रीति की चूत ने उसके लंड को पूरा अपना
गिरफ़्त में ले लिया है और उसके लंड से एक एक बूँद निचोड़ रही
है. प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था. प्रीति आनंद के
सागर में खो गयी थी.
"प्रीति ये चुदाई वाकई ग़ज़ब की थी." जीत ने कहा.
"तुम कहीं जाना नही में अभी आता हूँ." कहकर जीत बाथरूम की
ओर चला गया.
प्रीति अपनी टाँगों को फैलाई आँखें बंद कर लेटी हुई थी. उसकी
चूत से अभी जीत का और उसका मिला जुला वीर्य टपक रहा था. वो
अभी चुदाई के आनंद में खोई हुई थी.
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प्रीति ने अचानक अपने जांघों और चूत पर किसी का स्पर्श अनुभव
किया, उसने महसूस किया कि कोई उसकी चूत को चाट रहा है. उसके
शरीर में फिर गर्मी आने लगी. उसने अपनी आँखें खोल देखा कि
रश्मि उसकी टाँगे बीच झुकी उसकी चूत को चाट रही थी.
हालाँकि प्रीति ने इसके पहले कभी किसी औरत के साथ का अनुभव
नही किया था, पर आज उसे आनंद आ रहा था. वो मान गयी कि रश्मि
की जीब इस कला में महारत हासिल है. जिस ढंग से उसकी जीब उसकी
चूत को चाट रही थी उसे उसके शरीर में उत्तेजना बढ़ती जा रही
थी.
इतने में उसने देखा कि उसका पति राज ने रश्मि के पीछे आ अपना लंड
उसकी चूत में पेल दिया है.
जैसे ही राज रश्मि की चूत में धक्का देता, रश्मि की जीब ज़ोर से
प्रीति की चूत मे घुस जाती. प्रीति आनंद के अनोखे सागर में
डूब चुकी थी, उसके मुख से आनंद की मादक सिसकारियाँ और आवाज़े फुट
रही थी.
"हां रश्मि और ज़ोर से उसकी चूत को चूसो" राज ने अपने धक्कों की
रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा.
राज को इतनी कस के रश्मि की चुदाई करते देख प्रीति से अब रोका ना
जा रहा था, रश्मि के मुँह में अपना पानी छोड़ने के अलावा उसके पास
कोई चारा नही था.
राज ने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला, "रश्मि यहाँ आओ"
रश्मि मूडी और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल दी. राज ने अपने लंड को
घस्ते हुए अपना वीर्य रश्मि की बाहर निकली जीब पर छोड़ दिया.
रश्मि राज के सारे वीर्य को पी गयी और प्रीति के बगल में आ
बैठ गयी.
"अपने पति को मुझसे बाँटने के लिए शुक्रिया," कहकर रश्मि ने
प्रीति के होंठो पर अपने होंठ रख दिया. "वो बहोत ही अच्छा प्रेमी
है."
प्रीति ने अपने पति के वीर्य का स्वाद अपने होंठो पे महसूस किया, उसी
समय जीत हॉल में दाखिल हुआ.
"वाह क्या नज़ारा था, इस नज़ारे ने मेरे लंड को फिर खड़ा कर दिया
है और में और चुदाई करना चाहता हूँ." जीत ने अपने खड़े लंड
को हिलाते हुए कहा.
प्रीति ने मुस्कुरा कर जीत की ओर देखा और घोड़ी बन गयी. जीत
उसके पीछे आ अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर कर
रहा था. वो साथ ही अपने अंगूठे से उसकी चूत को रगड़ रहा था.
राज ये सब देख रहा था पर अपने आधे खड़े लंड को पकड़ उसने दूर
ही रहना उचित संहा कारण उसमे इतनी ताक़त नही थी वो उनका साथ दे
सके.
"मेरी बीवी को मर्दों को खुश करना आता है." उसने मन ही मन सोचा.
जब जीत ने देखा कि प्रीति उसकी उंगलियों के ताल से अपने कूल्हे पीछे
कर उसका साथ दे रही है तो उसने अपने उंगली की जगह अपना लंड उसकी
चूत में पेल दिया.