लगता है मेरे बेटे को अपनी दुल्हन बह्त पंसद आयी तेरे लंड को और तेरी हरकतो को देख कर तो यही लगता है। हाँ माँ तुम्को इस रूप मे देख कर तो मैं वासना मैं पागल हुये जा रहा हूँ मैं भी बहुत खुश हूँ बेटा सच कहूँ तो आज वर्षो बाद मुझे बहुत मजा आ रहा है। मुझे भी बडा मजा आ रहा है मैंने कहा। आज हमारी सुहाग रात है मेरे लाल तू अपनी दुल्हन को क्या तोहफा देगा। पहली रात को तो पत्नी को तोहफा देने के रस्म है बोल तू क्या देगा। तू अपनी इस सुंदर मस्तानी दुल्हन को क्या देगा आज रात तोहफे में। जो तुम माँगो माँ मैं वोह देने के लिये तैयार हूँ। तुम्हारे जैसी औरत तो किसी किसी को ही मिलती है। सोच ले फिर बोले की नही दे सकता तेरी माँ कुछ भी माँग सकती है। मैंने कहा तुम माँगो माँ मैं तुम्को जरुर दूँगा। ठीक है तू कहती है तो माँग लेती। मुझे एक ऐसी चीज चाहिये जिसे पाने का मन मेरा कई सालो से है और मुझे लगता है कि मेरा ये प्यारा मादरचोद बेटा मुझे ये दे सकता है। तो बताओ माँ वोह क्या है। मुझे सुहाग रात के तोहफे मे तेरी जिदंगी भर की गुलामी चाहिये। मैं चाहती हूँ की तू जिंदगी भर के लिये मेरा गुलाम बन कर रहे मेरे साथ। जो मैं कहूँ वही करे। तू मेरी खुशी और मेरी मुँह से निकली बात को पूरा करने के लिये जिये। बोल दे सकता है ये तोहफा। मैं रीमा के तरफ देख कर मुस्कुराया रीमा कि बात सुनकर मेरा लंड भी मस्ती मे फनफना गया। वैसे तो ये मेरा भी सपना था न जाने कितनी कहानियो मे पढा था इसके बारे में और रीमा आज वही मुझसे माँग रही थी या ये कहूँ वह इस इच्छा में मेरी इच्छा पूरी कर रही थी। मैंने रीमा को ये तोहफा देने का फैसला किया और बोला हाँ माँ मैं तुम्हारा गुलाम बनने को तैयार हूँ मैं तो खुद ही ये तुमसे कहने वाला था कि ये मेरी दिली इच्छा है। पर तुम्ने तो मेरा काम इतना आसान कर दिया। ठीक है जब तू भी यही चाहाता है तो आज से तू मेरा गुलाम हुआ समझ गया। जी माँ बिल्कुल समझ गया। चल अब मैं अपने गुलाम से क्या चाहाती ये सब बाकी बात बाद मैं आज मेरी मेरे बेटे के साथ सुहाग रात है और मुझे उसका मजा लेना है। रीमा और मैं आमने सामने खडे थे। रीमा झुकी और सबसे पहले मेरे पैर छुये मैंने कहा ये क्या कर रही हो माँ। अपने पति के पैर छू रही हूँ ये तो मेरा हक है। चलो मुझे आर्शीवाद दो। खुब लंड मिले तुम्को चुदवाने के लिये और तुम्को कभी भी लंडो की कमी न हो। बडा ही अच्छा आर्शीवाद दिया तुमने। फिर रीमा के मेरे लंड को हल्के से चूमा और बोली लो पतिदेव आपकी दासी तैयार है आपके लिये जैसे चाहे वैसे मसलिये अपनी दुल्हन को। माँ दासी तुम नंही मैं तुम्हारा दास हूँ हाँ मुझे पता है पर सुहाग रात को अगर पत्नी दासी न बने तो पति को उम्र भर के लिये दास कैसे बनायेगी बोल । माँ की बात को समझते हुये मैंने सर हिला दिया।
मैंने रीमा के माथे का चुम्बन लिया और उसको अपनी बाँहो मे भर लिया। उसकी बडी बडी चूचीयाँ मेरी छाती मे धंस गयी। मैंने एक हाथ उसकी पीठ पर रखा और दुसरे हाथ को उसके चूतडो पर फिराने लगा। और उसकी गर्दन पर अपनी सांसो के गर्मी फेकने लगा। उसकी कमर को अपने हाथ मे लेकर मसलने के कोशीश करने लगा। रीमा ने भी अपनी बाँहो को मेरी पीठ पर चलाना शुरु कर दिया। रीमा का गर्म बदन मेरे बदन से चिपक गया था जो मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने अपना एक पैर उपर उठाया और उसकी जाँघ पर रगडने लगा। मैं इन सब हरकतो से रीमा के बदन की गर्मी बढा देना चाहाता था। मैंने रीमा की गर्दन पर चुम्बन लेने लगा और उसे कस के अपनी बाँहो मे जकड लिया। उसकी चूचीयाँ पूरी तरह से मेरे सीने मे दब गयी। रीमा ने अपने हाथ मेरी पीठ पर रखे और मुझे कसके अपनी और खीचने लगी। जैसे वह मुझमे समा जाना चाहाती हो। हम दोनो के बदन वासाना की आग से जल रहे थे। मैंने एक हाथ से रीमा का चेहरा उठाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिया और उनको चूमने लगा। वह भी पूरी मस्ती मे मेरे होंठो को चूमे जा रही थी। मैंने उसके निचले होंठ को अपने होंठो मे लेकर चूम रहा था और वह मेरे उपरी होंठ को। उसके होंठो से मैं उसकी लिप्सटिक का स्वाद मेरे मुँह मे आ रहा था। उसकी सारी लिप्सटिक मेरे चूमने से खराब हो गयी थी और मेरे होंठो पर भी लग गयी थी। हम लोग मस्ती मे पूरी तन्लीन होकर एक दूसरे के होंठो को चूम रहे थे। मैं रीमा के रसीले होंठो का सारा रस पी जाना चाहाता था। इसलिये काफी जोर से उसके होंठो के चूस रहा था हमारी आँखे मस्ती मे पूरी तरह से बंद थी।
माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
मेरा लंड रीमा की चूत के उपर रगड खा रहा था। रीमा भी अपने चूतड धीरे धीरे हिला रही थी जिसकी वजह से लंड कभी उसकी झाँटो से टकराता तो कभी उसकी चिकनी जाँघो से मेरे लंड पर मस्ती की कुछ बूंदे निकल आयी थी जो रीमा की जाँघो को गीला कर रही थी और मुझे अब इस सब मे मजा आने लगा था। फिर मैंने रीमा की कमर को अपने हाथो मे पकडा और उसकी गर्दन और सीने पर चुम्बन लेने लगा। साथ ही साथ उसकी कमर को अपने हाथो से कस कस मसल रहा था। रीमा की सांसे गर्म हो रही थी। रीमा भी मेरी कंधे पर चुम्बन लेने लगी। अब हम दोनो का ही खडे रहना मुशकिल हो रहा था। मैंने रीमा के बेड पर बिठा दिया और झुक कर उसकी चूचीयो के चुम्बन लेने लगा। रीमा एक दम नयी नवेली दुल्हन के तरह शर्माते हुये मुझे सब कुछ करने दे रही थी। मैंने उसकी दोनो चूचीयो का चुम्बन लिया और उसकी घुंडियो का भी चुम्बन लिया। और उसकी चूचीयो पर चुम्बन के बौछार कर दी। रीमा की चूची के एक एक इंच को मैंने चूमा रीमा के मुँह से अब हल्की सिसकियाँ आनी शुरु हो गयी थी। उसकी चूत अब गर्म होने लगी थी जिसका अहसास मैं अपनी जाँघो पर कर सकता था जो मैंने उसकी चूत पर रख रखी थी। फिर से मैंने उसके होंठ को एक चुम्बन लेकर उसके जेवर गले का हार उतारने के कोशिश करने लगा। ये क्या कर रहो हो बेटा मेरे शरीर से एक भी चीज अलग नही करनी। और मुझे इस रूप मे देख कर तेरा लंड ऐसे ही मस्त डंडे के तरह रहेगा और ऐसा लंड से मजा लेने मे मुझे भी अच्छा लगेगा। मैं जैसी हूँ ऐसे ही मुझको प्यार करना पडेगा। समझे पति देव। और कोई भी औरत सुहाग रात के दिन बैठा हुया लंड देखना पंसद नंही करती समझा। ठीक है मेरी जाने मन ऐसा ही करूंगा। मैं फिर से रीमा के बदन का चुम्बन लेने मैं जुट गया। और फिर से उसकी चूचीयो का चुम्बन लेने लगा। उसकी घुंडियाँ एक दम कडी हो गयी थी। मैंने उसकी बाँयी घुंडी को मुँह मे पकड कर चूसने लगा। और दाँयी घुंडी हो अपने अंगूठे और उंगली मैं पकड कर मसलने लगा। आह ये क्या कर है आप मेरे सारे बदन मैं कुछ कुछ हो रहा है। रीमा पूरी एक नयी नवेली दुल्हन के तरह व्यहार कर रही थी। जैसे वह अनचुदी सेक्स से अंजान नारी हो। और उसे पता ही न हो कि चूची मसलवाने से क्या होता है पर उसका ऐसा करना मेरी मस्ती को बढा रहा था।
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
गतांक से आगे ...................
कुछ नंही मेरी जान तुम्हारी चूचीयो से खेल रहा हूँ और वही कर रहा हो जो सुहाग रात मे एक मर्द को अपनी औरत के साथ करना चाहिये। अच्छा आज तक मैं इतने मर्दो से चुदा चुकी हूँ पर आज ये मेरी पहली सुहाग रात है इसलिये मुझे यह पता नंही मेरे जानू। वैसे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अपकी जो मर्जी हो वह करीये मेरे पति देव। फिर मैं जोर जोर से उसकी चूची पीने लगा और दूसरी चूची को अपने हाथ मे पकड कर कस कर मसलने लगा। मैं उसकी चूची को बडी बेदर्दी से मसल रहा था। रीमा को दर्द हो रहा था पर उसे बेदर्दी से चूची मसलवाने मे मजा आता था तो इसका असर उसकी चूत पर भी हो रहा था। मैंने जम कर उसकी चूची का रस पिया और फिर दूसरी चूची पर चढ बैठा। और उसका भी हाल पहले जैसा कर दिया। फिर उसकी चूचीयो को निहारने लगा। मेरे मसलने से लाल हो चूकी चूचीयाँ मेरे थूक से गीली बडी ही सुंदर लग रही थी। मैंने अपनी जीभ निकाल कर एक बार फिर उसकी चूचीयो को चाट लिया। अब उसकी चूची अच्छे से मसली जा चुकी थी। फिर मैंने उसके पेट पर चुम्बन लेना शुरु कर दिया। उसके पेट का चुम्बन लेता फिर उसको चाटता। मुझे उसके बदन को चाटना बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैं फिर से उसको अपने थूक से नहला देना चाहाता था। फिर मैंने उसकी गहरी खायी जैसी नाभी को चूमना शुरु कर दिया। पहले उसकी नाभी का चुम्बन लिया और फिर जीभ से उसकी नाभी के चारो और चाटना शुरु कर दिया। अपनी जीभ उसकी नाभी मैं घुसा दी और उसकी नाभी अपनी जीभ से कुरेदने लगा। रीमा ने मेरा सर अपने हाथो मे पकड लिया। वह मस्ती मै भर चुकी थी और जोर जोर से करहा रही थी। मैं अपनी जीभ से लार उसकी नाभी मे टपकाता और फिर चाट कर पी जाता। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले गया और बडे प्यार से उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा। उसकी चूत गीली हो रही थी। बिच मे मैं कस के उसकी चूत मसल देता था। मैं काफी देर तक उसकी नाभी चूमता और चूसता रहा फिर मैंने उसकी नाभी चाटना छोड कर उसकी उसकी झाटो को चूमने लगा। झाट चूम कर मैंने अपनी नाक उसकी चूत के उपर रख कर सूंघने लगा। उसकी चूत की महक मुझे पागल कर रही थी।
मैं गहरी गहरी साँस लेकर उसकी चूत सूंघने लगा। अच्छी तरह से उसकी चूत सूंघने के बाद मैंने उसके जाँध पर चुम्बनो की बौछार कर दी और अच्छे से उसकी गोरी मोटी जाँघे चूमने के बाद मैने उसकी टांगो और पैरो की और रुख किया टाँगो को अच्छे से चूमन्ते के बाद उसके पैरो का चुम्बन लिया। अब मेरी नजर उसकी हायी हील के सैंडल पर गयी। जो मुझे उसके पैरो मे बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने उसकी हील को चूमना शुरु कर दिया। उसकी सैंडल के एक एक हिस्से को चूमा पैरो के उपर हील बगल मैं यहाँ तक की हील के तलवो को भी। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी हील चाटने लगा। रीमा बडी वासना भरी नजरो से मेरे को सैंडल चाटते हुये देख रही थी। उसने अपनी घुंडियाँ अपने हाथो मे पकडी हुयी थी और उनको जोर जोर से मसल रही थी और खुद अपने पैर घुमा कर अपनी सैंडल चटवा रही थी। कभी अपनी सैडल उपर से चटवाती तो कभी नीचे से तो कभी हील चटवाती। मैं भी बहुत प्यार से उसकी हील को मस्त चाट रहा था। एक हील चाटने के बाद मैंने उसकी दूसरी हील को चाटना शुरु कर दिया। और रीमा ने उस हील को भी पूरा मस्त हो कर चटवाया। दोनो हील चाटने के बाद मैं अपना लंड रीमा की हील पर रगडने लगा। मुझे अपना लंड उसकी हील मे रगडने मे बहुत मजा आ रहा था। उसकी सैडल के चमडे पर हील पर और उसके पैरो पर मैं अपना लंड रगड रहा था। मैंने उसके दोनो पैरो पर अपना लंड रगडा और उसके पैरो को गीला कर दिया अपने लंड के प्रीकम से। और फिर खुद ही अपने लंड के माल लगे पैरो को चाट कर साफ किया। उसके पैर चाट कर मुझे बहुत मजा आया। फिर मैंने रीमा से कहा माँ अब तुम पलट कर लेट जाओ अब मैं तुम्हारी पीठ और पीछवाडे का मजा लूंगा। ओह पीछवाडे के साथ क्या करेंगे जी मैं तो आपकी हरकतो से पागल हुये जा रही हूँ आप पता नंही क्या कया कर रहें हैं मेरे साथ रीमा अनजान सी बन कर मेरी मस्ती बढा रही थी। रीमा पलट कर पेट के बल लेट गयी उसकी पीठ और और उसके चूतड अब मेरे सामने थे। मैंने उसको निहारते हुये एक हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा और एक हाथ से अपना लंड पकड कर सहलाने लगा।
कुछ नंही मेरी जान तुम्हारी चूचीयो से खेल रहा हूँ और वही कर रहा हो जो सुहाग रात मे एक मर्द को अपनी औरत के साथ करना चाहिये। अच्छा आज तक मैं इतने मर्दो से चुदा चुकी हूँ पर आज ये मेरी पहली सुहाग रात है इसलिये मुझे यह पता नंही मेरे जानू। वैसे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अपकी जो मर्जी हो वह करीये मेरे पति देव। फिर मैं जोर जोर से उसकी चूची पीने लगा और दूसरी चूची को अपने हाथ मे पकड कर कस कर मसलने लगा। मैं उसकी चूची को बडी बेदर्दी से मसल रहा था। रीमा को दर्द हो रहा था पर उसे बेदर्दी से चूची मसलवाने मे मजा आता था तो इसका असर उसकी चूत पर भी हो रहा था। मैंने जम कर उसकी चूची का रस पिया और फिर दूसरी चूची पर चढ बैठा। और उसका भी हाल पहले जैसा कर दिया। फिर उसकी चूचीयो को निहारने लगा। मेरे मसलने से लाल हो चूकी चूचीयाँ मेरे थूक से गीली बडी ही सुंदर लग रही थी। मैंने अपनी जीभ निकाल कर एक बार फिर उसकी चूचीयो को चाट लिया। अब उसकी चूची अच्छे से मसली जा चुकी थी। फिर मैंने उसके पेट पर चुम्बन लेना शुरु कर दिया। उसके पेट का चुम्बन लेता फिर उसको चाटता। मुझे उसके बदन को चाटना बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैं फिर से उसको अपने थूक से नहला देना चाहाता था। फिर मैंने उसकी गहरी खायी जैसी नाभी को चूमना शुरु कर दिया। पहले उसकी नाभी का चुम्बन लिया और फिर जीभ से उसकी नाभी के चारो और चाटना शुरु कर दिया। अपनी जीभ उसकी नाभी मैं घुसा दी और उसकी नाभी अपनी जीभ से कुरेदने लगा। रीमा ने मेरा सर अपने हाथो मे पकड लिया। वह मस्ती मै भर चुकी थी और जोर जोर से करहा रही थी। मैं अपनी जीभ से लार उसकी नाभी मे टपकाता और फिर चाट कर पी जाता। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले गया और बडे प्यार से उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा। उसकी चूत गीली हो रही थी। बिच मे मैं कस के उसकी चूत मसल देता था। मैं काफी देर तक उसकी नाभी चूमता और चूसता रहा फिर मैंने उसकी नाभी चाटना छोड कर उसकी उसकी झाटो को चूमने लगा। झाट चूम कर मैंने अपनी नाक उसकी चूत के उपर रख कर सूंघने लगा। उसकी चूत की महक मुझे पागल कर रही थी।
मैं गहरी गहरी साँस लेकर उसकी चूत सूंघने लगा। अच्छी तरह से उसकी चूत सूंघने के बाद मैंने उसके जाँध पर चुम्बनो की बौछार कर दी और अच्छे से उसकी गोरी मोटी जाँघे चूमने के बाद मैने उसकी टांगो और पैरो की और रुख किया टाँगो को अच्छे से चूमन्ते के बाद उसके पैरो का चुम्बन लिया। अब मेरी नजर उसकी हायी हील के सैंडल पर गयी। जो मुझे उसके पैरो मे बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने उसकी हील को चूमना शुरु कर दिया। उसकी सैंडल के एक एक हिस्से को चूमा पैरो के उपर हील बगल मैं यहाँ तक की हील के तलवो को भी। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी हील चाटने लगा। रीमा बडी वासना भरी नजरो से मेरे को सैंडल चाटते हुये देख रही थी। उसने अपनी घुंडियाँ अपने हाथो मे पकडी हुयी थी और उनको जोर जोर से मसल रही थी और खुद अपने पैर घुमा कर अपनी सैंडल चटवा रही थी। कभी अपनी सैडल उपर से चटवाती तो कभी नीचे से तो कभी हील चटवाती। मैं भी बहुत प्यार से उसकी हील को मस्त चाट रहा था। एक हील चाटने के बाद मैंने उसकी दूसरी हील को चाटना शुरु कर दिया। और रीमा ने उस हील को भी पूरा मस्त हो कर चटवाया। दोनो हील चाटने के बाद मैं अपना लंड रीमा की हील पर रगडने लगा। मुझे अपना लंड उसकी हील मे रगडने मे बहुत मजा आ रहा था। उसकी सैडल के चमडे पर हील पर और उसके पैरो पर मैं अपना लंड रगड रहा था। मैंने उसके दोनो पैरो पर अपना लंड रगडा और उसके पैरो को गीला कर दिया अपने लंड के प्रीकम से। और फिर खुद ही अपने लंड के माल लगे पैरो को चाट कर साफ किया। उसके पैर चाट कर मुझे बहुत मजा आया। फिर मैंने रीमा से कहा माँ अब तुम पलट कर लेट जाओ अब मैं तुम्हारी पीठ और पीछवाडे का मजा लूंगा। ओह पीछवाडे के साथ क्या करेंगे जी मैं तो आपकी हरकतो से पागल हुये जा रही हूँ आप पता नंही क्या कया कर रहें हैं मेरे साथ रीमा अनजान सी बन कर मेरी मस्ती बढा रही थी। रीमा पलट कर पेट के बल लेट गयी उसकी पीठ और और उसके चूतड अब मेरे सामने थे। मैंने उसको निहारते हुये एक हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा और एक हाथ से अपना लंड पकड कर सहलाने लगा।