मैं घबरा गयी कि कही ,संजय किचन मे ना आ जाए और मैं पानी का गिलास एक तरफ रख कर मूड गयी.
बाहर से बिल्लू की आवाज़ आई, मैं कल आउन्गा, मैने पीछे मूड कर उसकी और देखा, मैं रुक कर उससे ये कहना चाहती थी कि दुबारा यहा आने की कोई ज़रूरत नही है.
पर मेरे पास कुछ भी कहने का वक्त नही था
मैं फॉरन किचन से बाहर आ गयी.
संजय बेडरूम से हाथ मे घड़ी बाँधते हुवे निकल रहे थे. उन्होने पूछा, चले अब, मैने कहा हा चलो, मैं तैयार हू.
हम घर से, अपनी गाड़ी मे निकल पड़े. चिंटू को, मौसी के यहा छोड़ दिया, ताकि आराम से मूवी एंजाय कर सके.
रास्ते भर मैं बिल्लू के बारे मे सोचती रही. मैं सोच रही थी कि वह इतने दीनो बाद आज क्यो आया है ? क्या वह अपना वादा भूल गया ?
पर उसे आज फिर से देख कर दिल मे कुछ-कुछ हो रहा था, रह रह कर मुझे अब तक की सारी बाते याद आ रही थी.
थियेटर कब आ गया पता ही नही चला. हम ठीक टाइम से पहुँच गये थे.
संजय को मूवी बहुत अछी, लग रही थी और मैं बिल्लू के कारण बेचन हो रही थी. मैं ये जानेना चाहती थी कि बिल्लू आज वाहा क्यो आया था.
मैं खुद को बहुत समझा रही थी और अपना ध्यान बार-बार मूवी पर लगा रही थी, पर सब बेकार था.
मैं रह रह कर बिल्लू को कोस रही थी और सोच रही थी कि वह अजीब परेशानी खड़ी कर देता है. मैं उसे भूलने ही लगी थी कि वह आज फिर आ गया और सारे जखम हरे कर गया.
मैं एक पल के लिए भी मूवी एंजाय नही कर पाई.
मूवी कब ख़तम हो गयी पता ही नही चला. मैं खुद पर शर्मिंदा थी कि, मैं पहली बार अपने पति का साथ नही दे पाई.
मैं बार-बार सोच रही थी कि ऐसा क्यो हो रहा है.
मूवी देख कर हम, सीधे घर आ गये. मैने कपड़े चेंज किए और डिन्नर तैयार करने लगी.
अचानक मैं खिड़की मे आई और बाहर झाँका, मैं बाहर देख कर हैरान रह गयी.
बिल्लू एक पेड़ के सहारे खड़ा था, मेरा दिल धक-धक करने लगा.
मुझे देख कर वह खिड़की के पास आ गया.
मैने तुरंत पूछा, तुम अभी तक यही हो.
वो बोला, क्या करता तेरे से बात करने का मन कर रहा था.
मैने कहा तुम्हे यहा नही आना चाहिए था.
वो बोला, इतनी भी जालिम मत बन सिर्फ़ तुझे देखने ही तो आया हू.
मैं बोली, मेरे पति अंदर है, तुम जाओ यहा से.
वो बोला, चला जाउन्गा, बस थोड़ी देर तुझे जी भर के देख लेने दे.
मैं अजीब परेशानी मे थी.
संजय घर पर थे और ये बिल्लू ऐसी बाते कर रहा था.
मैने पूछा, तुम क्या उसके बाद आज ही यहा आए हो ?
वो बोला हा, मैं अपने गाँव चला गया था, मेरे एक चाचा की डेथ हो गयी थी.
उसने पूछा क्यो क्या हुवा ?
मैने कहा, कुछ नही बस यू ही.
वो बोला, कैसी है तू
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और बोली, तुम चले जाओ, मेरे पति घर पर है.
वो बोला, फिर कब आ-ऊ ?
मैं डरते-डरते बोली अभी जा-ओ बाद मे बात करेंगे.
वो बोला, बता तो फिर कब मिलेगी.
मैं बोली तुम जाते हो की नही.
वो बोला मैं कल आउन्गा और मूड गया.
मैने कहा, यहा आने की कोई ज़रूरत नही है, मैं नही मिलूंगी.
वह मेरी और मुड़ा और अपना लिंग पॅंट के उपर से ही, मसलते हुवे बोला, वो तो कल ही देखेंगे.
और मैने मन ही मन मे बोला, कमीना कही का.
मैने अपनी नज़रे फेर ली और सोचा कि ये बिल्कुल नही बदला.
उसने अपनी साइकल उठाई और चला गया. मैं अपने काम मे लग गयी. खाना बना कर मैं चिंटू को लेने चली गयी.
मैं रात भर बेचन रही.
मैं सोच रही थी कि कल क्या करूँगी. एक बार ख्याल आया कि मई संजय और चिंटू के जाने के बाद घर को ताला लगा कर कही चली जाती हू.
पर फिर, ध्यान आया कि मैं अपना घर छोड़ कर क्यो जा-ऊ.
अगले दिन, मैं बेचानी की हालत मे सोकर उठी.
मैने तैय कर लिया की चाहे कुछ हो मैं खिड़की पर नही जाउन्गि.
ब्रेकफास्ट करने के बाद संजय क्लिनिक चले गये और चिंटू स्कूल चला गया.
मैं सब भूल कर घर के कामो मे लग गयी.
2 बज गये और मैं किचन मे खाना बनाने आ गयी.
मुझे ख्याल आया कि वो ज़रूर बाहर खड़ा होगा और सोचा खड़ा रहने दो मुझे क्या, मैने तो उसे नही बुलाया.
बाहर से आवाज़ आई, आ ना इस ग़रीब को इतना भी ना तडपा.
मैं बेचन हो उठी कि क्या करू, ये तो अब आवाज़ लगा कर बुलाने लगा है.
मैं डर रही थी कि अगर किसी ने सुन लिया तो क्या होगा ?
वो फिर बोला, आ ना प्लीज़.
मैं खिड़की मे आ गयी और बोली क्यो चिल्ला रहे हो कोई सुन लेगा.
वो बोला, तू आ क्यो नही रही थी ?
मैने कहा मेरा तुमसे मिलने का कोई मन नही है.
वो बोला, पर तू मेरे लिए तो यहा आ सकती है, मैं सब कम छोड़ कर आया हू.
मैं बोली तुम क्या ख़ास हो.
वो बोला, जिशे तुमने, अपनी सुंदर, सुंदर गांद को छूने दिया, वो क्या ख़ास नही.
मैं बोली, चुप करो अपनी बकवास.
अचानक वो चुप हो गया और अपने पाँव की और देखने लगा.
मैने कहा, जाओ अब मुझे खाना बनाना है.
वो बोला, मेरे पाँव से खून बह रहा है, तुझे खाने की पड़ी है.
मैने उसके पाँव को देखा तो, विचलित हो गयी, उसके अंगूठे से खून बह रहा था.
मैने इंसानियत के नाते पूछा, ये क्या हुवा ?
वो बोला, कुछ नही यहा आते वक्त एक भारी पत्थर से पाँव टकरा गया और अंगूठा छील गया.
मैने कहा, जल्दी डॉक्टर के पास जाओ, यहा क्या कर रहे हो.
वो बोला, मेरी डॉक्टर तो तू है, तू ही कुछ कर ना.
मैने कहा पागल मत बनो डॉक्टर के पास जाकर पट्टी करवा लो.
वो बोला, तेरे पास से मैं कही नही जाउन्गा. तू ही कुछ बाँध दे ना.
मैं सोचने लगी कि क्या करू.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
मुझे ख्याल आया कि संजय, ने पट्टी का समान कही रखा तो है पर कहा ? याद नही आ रहा था.
मैने उसे कहा, मैं अभी आई.
मैं, बेडरूम मे फर्स्ट एड ढूँढने लगी. मुझे वह अलमारी मे ही मिल गया.
मैं फॉरन ले कर, खिड़की मे आ गयी और उसे किट देते हुवे बोली, लो दवाई लगा कर पट्टी बाँध लो.
वो बोला, प्लीज़ तू आकर बाँध दे ना.
मैने कहा, नही बिल्लू, मैं नही आ सकती. कोई देख लेगा.
वो बोला, अरे तुझे पता तो है, यहा कों आता है, थोड़ी देर के लिए आजा.
मैं बहुत बेचन हो रही थी कि क्या करू, एक मन कहता था कि ऋतु, रुक जा, वाहा जाना ठीक नही.
दूसरा मन कह रहा था कि पट्टी बाँध कर आ जाती हू.
मैने उसे कहा, ठीक है आती हू, और उस की आँखे चमक उठी.
मैं घर से बाहर आई. दोपहर का वक्त था सभी लोग घरो मे थे. मैं चुपचाप, हाथ मे फर्स्ट एड लिए, टहलते हुवे धीरे से झाड़ियो मे घुस गयी और झाड़ियो से होते हुवे घर के पीछे आ गयी.
मैने पाया कि बारिश के बाद , झाड़िया ओर ज़्यादा बढ़ गयी थी.
मेरे वाहा पहुँचते ही, वो बोला, बड़ी प्यारी लग रही है आज तू, और मैं शर्मा गयी. उसने पूछा तेरी उमर क्या है,
मैने कहा क्यो ?
वो बोला यू ही पूछ रहा हू
मैं बोली 27
और वो बोला, मेरी 21, क्या कॉंबिनेशन है, हैं ना.
मैं उसे 18 या 19 का समझती थी.
मैने सोचा, उसे दर्द मे भी क्या, क्या बाते सूझ रही है.
मैने उससे कहा, बैठ जाओ, मैं अंगूठे मे पट्टी बाँध देती हू.
वो बैठ गया, और मैने आराम से उसके अंगूठे पर दवाई लगा कर पट्टी बाँध दी.
बाँध कर मैं बोली, लो अब सब ठीक है, मैं चलती हू.
वो बोला, आ ही गयी है तो थोड़ी देर रुक ना, चैन से तुझे, जी भर के देख तो लू, तू बड़ी प्यारी लग रही है आज, कसम से बीजली गिरा रही है.
मैने शरमाते हुवे कहा, नही मुझे जाना होगा, खाना बनाना है.
वो बोला, रुक जा ना प्लीज़. मुझे दर्द मे चैन आएगा.
मैने कहा, ठीक है पर बस थोड़ी देर.
वो बोला चल सामने की झाड़ियो मे चल कर आराम से बाते करेंगे,
मैने कहा यहा भी तो चारो तरफ उँची झाड़िया है यही रहते है.
वो बोला चल तो, वाहा ओर भी अछा है.
वो मेरा हाथ पकड़ कर हमारे घर की खिड़की से थोडा आगे की झाड़ियो मे ले गया.
मैने वाहा पहुँच कर पाया कि वाहा हमे किसी भी हालत मे कोई नही देख सकता था. बहुत ही घनी झाड़िया थी, ऐसा लगता था कि झाड़ियो ने एक कॅबिन बना दिया है. अगर पिछली गली मे कोई आता भी, तो भी हमे, देख नही सकता था.
पर ऐसी तन्हाई मे मुझे घबराहट होने लगी.
हम वाहा एक दूसरे के सामने खड़े हो गये.
वो बोला, अब बता कैसी है तू.
मैं बोली ठीक हू.
वो बोला तुझे मेरी याद आई ?
मैने कुछ नही कहा.
मैने उसे कभी अपने आप याद नही किया. वो तो हमेशा ज़बरदस्ती मेरे ख्यालो मे आ जाता था.
वो बोला, मुझे तो तेरी बहुत याद आती थी. पर क्या करता यहा से दूर था.
उसने कहा, मैने अपने सब दोस्तो को तेरे बारे मे बताया, वो सब मुझ से जल गये.
मैं घबराते हुवे बोली, क्या ? तुम क्या मुझे बदनाम करोगे.
वो बोला अरे ऐसा कुछ नही है, मैं गाँव के दोस्तो की बात कर रहा हू. उन्हे यहा का क्या पता.
मैं थोड़ी शांत हुई, और बोली, फिर भी ये ठीक नही है.
वो बोला, चल उस दिन वाली यादे फिर से ताज़ा करे, बहुत मन कर रहा है आज. और ये कहते हुवे उसने मेरे नितंबो को थाम लिया.
मैने उसका हाथ हटाते हुवे कहा, प्लीज़, मैं दुबारा ऐसा नही कर सकती.
वो बोला, क्या तुझे उस दिन अछा नही लगा था.
मैने कहा, तुम तो कहते थे बाते करेंगे.
वो बोला, बाते तो होती रहेंगी, पहले तेरी सेक्सी, सेक्सी गांद तो मसल लू.
मैं शर्मा गयी और सोचने लगी की क्या करू अब ?
वो बोला, तुझ मे खो कर मेरा दर्द कम हो जाएगा.
मैं बोली, मैं उस से ज़्यादा कुछ नही करूँगी, तुम मेरी सीमाए जानते हो.
वो बोला, हा जानता हू तभी तो मैने बस दुबारा वही सब करने को कहा है.
मैं खुस थी कि वो मेरी सीमाओ की कदर कर रहा है.
वो बोला, थोड़ा घुमोगी.
मैने शरमाते हुवे कहा, तुम पीछे आ जाओ ना.
वो बोला, तेरे पीछे, खड़े होने की जगह नही है, नही तो कब का पीछे आ जाता.
मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि मैं बिल्कुल झाड़ियो से सॅट कर खड़ी हू.
वो फिर बोला, घूम ना शर्मा मत.
मैं शरमाते हुवे उस के सामने घूम गयी.
बिल्लू ने, दोनो हाथो मे, मेरे नितंबो को थाम लिया और उन्हे बहुत बुरे ढंग से मसल्ने लगा.
वो बोला, तेरी गांद तो, ओर भी सेक्सी लग रही है.
उसने पूछा, एक बात पूचू अगर बुरा ना माने तो ?
मैने कहा हा पूछो, पर ऐसी, जिसका जवाब मैं दे सकु ?
वो बोला, अछा ये बता, क्या तेरे पति ने, तेरी सेक्सी गांद मारी है.
मैं उसके सवाल पर हैरान हो गयी और मेरा गला सूख गया.
मैने कोई जवाब नही दिया.
ये वो भी जनता था कि मैं जवाब नही दूँगी.
मैने उसे कहा, मैं अभी आई.
मैं, बेडरूम मे फर्स्ट एड ढूँढने लगी. मुझे वह अलमारी मे ही मिल गया.
मैं फॉरन ले कर, खिड़की मे आ गयी और उसे किट देते हुवे बोली, लो दवाई लगा कर पट्टी बाँध लो.
वो बोला, प्लीज़ तू आकर बाँध दे ना.
मैने कहा, नही बिल्लू, मैं नही आ सकती. कोई देख लेगा.
वो बोला, अरे तुझे पता तो है, यहा कों आता है, थोड़ी देर के लिए आजा.
मैं बहुत बेचन हो रही थी कि क्या करू, एक मन कहता था कि ऋतु, रुक जा, वाहा जाना ठीक नही.
दूसरा मन कह रहा था कि पट्टी बाँध कर आ जाती हू.
मैने उसे कहा, ठीक है आती हू, और उस की आँखे चमक उठी.
मैं घर से बाहर आई. दोपहर का वक्त था सभी लोग घरो मे थे. मैं चुपचाप, हाथ मे फर्स्ट एड लिए, टहलते हुवे धीरे से झाड़ियो मे घुस गयी और झाड़ियो से होते हुवे घर के पीछे आ गयी.
मैने पाया कि बारिश के बाद , झाड़िया ओर ज़्यादा बढ़ गयी थी.
मेरे वाहा पहुँचते ही, वो बोला, बड़ी प्यारी लग रही है आज तू, और मैं शर्मा गयी. उसने पूछा तेरी उमर क्या है,
मैने कहा क्यो ?
वो बोला यू ही पूछ रहा हू
मैं बोली 27
और वो बोला, मेरी 21, क्या कॉंबिनेशन है, हैं ना.
मैं उसे 18 या 19 का समझती थी.
मैने सोचा, उसे दर्द मे भी क्या, क्या बाते सूझ रही है.
मैने उससे कहा, बैठ जाओ, मैं अंगूठे मे पट्टी बाँध देती हू.
वो बैठ गया, और मैने आराम से उसके अंगूठे पर दवाई लगा कर पट्टी बाँध दी.
बाँध कर मैं बोली, लो अब सब ठीक है, मैं चलती हू.
वो बोला, आ ही गयी है तो थोड़ी देर रुक ना, चैन से तुझे, जी भर के देख तो लू, तू बड़ी प्यारी लग रही है आज, कसम से बीजली गिरा रही है.
मैने शरमाते हुवे कहा, नही मुझे जाना होगा, खाना बनाना है.
वो बोला, रुक जा ना प्लीज़. मुझे दर्द मे चैन आएगा.
मैने कहा, ठीक है पर बस थोड़ी देर.
वो बोला चल सामने की झाड़ियो मे चल कर आराम से बाते करेंगे,
मैने कहा यहा भी तो चारो तरफ उँची झाड़िया है यही रहते है.
वो बोला चल तो, वाहा ओर भी अछा है.
वो मेरा हाथ पकड़ कर हमारे घर की खिड़की से थोडा आगे की झाड़ियो मे ले गया.
मैने वाहा पहुँच कर पाया कि वाहा हमे किसी भी हालत मे कोई नही देख सकता था. बहुत ही घनी झाड़िया थी, ऐसा लगता था कि झाड़ियो ने एक कॅबिन बना दिया है. अगर पिछली गली मे कोई आता भी, तो भी हमे, देख नही सकता था.
पर ऐसी तन्हाई मे मुझे घबराहट होने लगी.
हम वाहा एक दूसरे के सामने खड़े हो गये.
वो बोला, अब बता कैसी है तू.
मैं बोली ठीक हू.
वो बोला तुझे मेरी याद आई ?
मैने कुछ नही कहा.
मैने उसे कभी अपने आप याद नही किया. वो तो हमेशा ज़बरदस्ती मेरे ख्यालो मे आ जाता था.
वो बोला, मुझे तो तेरी बहुत याद आती थी. पर क्या करता यहा से दूर था.
उसने कहा, मैने अपने सब दोस्तो को तेरे बारे मे बताया, वो सब मुझ से जल गये.
मैं घबराते हुवे बोली, क्या ? तुम क्या मुझे बदनाम करोगे.
वो बोला अरे ऐसा कुछ नही है, मैं गाँव के दोस्तो की बात कर रहा हू. उन्हे यहा का क्या पता.
मैं थोड़ी शांत हुई, और बोली, फिर भी ये ठीक नही है.
वो बोला, चल उस दिन वाली यादे फिर से ताज़ा करे, बहुत मन कर रहा है आज. और ये कहते हुवे उसने मेरे नितंबो को थाम लिया.
मैने उसका हाथ हटाते हुवे कहा, प्लीज़, मैं दुबारा ऐसा नही कर सकती.
वो बोला, क्या तुझे उस दिन अछा नही लगा था.
मैने कहा, तुम तो कहते थे बाते करेंगे.
वो बोला, बाते तो होती रहेंगी, पहले तेरी सेक्सी, सेक्सी गांद तो मसल लू.
मैं शर्मा गयी और सोचने लगी की क्या करू अब ?
वो बोला, तुझ मे खो कर मेरा दर्द कम हो जाएगा.
मैं बोली, मैं उस से ज़्यादा कुछ नही करूँगी, तुम मेरी सीमाए जानते हो.
वो बोला, हा जानता हू तभी तो मैने बस दुबारा वही सब करने को कहा है.
मैं खुस थी कि वो मेरी सीमाओ की कदर कर रहा है.
वो बोला, थोड़ा घुमोगी.
मैने शरमाते हुवे कहा, तुम पीछे आ जाओ ना.
वो बोला, तेरे पीछे, खड़े होने की जगह नही है, नही तो कब का पीछे आ जाता.
मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि मैं बिल्कुल झाड़ियो से सॅट कर खड़ी हू.
वो फिर बोला, घूम ना शर्मा मत.
मैं शरमाते हुवे उस के सामने घूम गयी.
बिल्लू ने, दोनो हाथो मे, मेरे नितंबो को थाम लिया और उन्हे बहुत बुरे ढंग से मसल्ने लगा.
वो बोला, तेरी गांद तो, ओर भी सेक्सी लग रही है.
उसने पूछा, एक बात पूचू अगर बुरा ना माने तो ?
मैने कहा हा पूछो, पर ऐसी, जिसका जवाब मैं दे सकु ?
वो बोला, अछा ये बता, क्या तेरे पति ने, तेरी सेक्सी गांद मारी है.
मैं उसके सवाल पर हैरान हो गयी और मेरा गला सूख गया.
मैने कोई जवाब नही दिया.
ये वो भी जनता था कि मैं जवाब नही दूँगी.
Re: छोटी सी भूल
जिसके बारे मे वो पूछ रहा था, संजय ने काई बार किया था. उन्हे भी मेरे नितंब आछे लगते थे. उन्होने जब पहली बार वाहा डाला था तो बहुत दर्द हुवा था पर बाद मे मैं आसानी से करवा लेती थी. बल्कि मुझे उनका वाहा करना अछा लगने लगा था.
पर मैं अपनी ये निज़ी बाते, बिल्लू को नही बता सकती थी.
मैने पूछा तुम ये क्यो जानेना चाहते हो,
वो बोला, ऐसी सेक्सी गांद उसी की हो सकती है जो खूब चुदति हो.
मैने चुप ही रहना ठीक समझा और सोचा कि कितना कमीना है ये बिल्लू कैसी अजीब बाते करता है.
मैं ये सब सोच रही थी कि, मैने पाया की वह मेरी सलवार मे हाथ डालने की कोशिस कर रहा है.
मैं होश मे आई, और बोली कि, क्या कर रहे हो, बस बाहर-बाहर से करो.
पर वो नही माना, और अपने हाथो से मेरा नाडा खोलने लगा. मैने तुरंत उसके हाथ दूर झटक दिए.
मैं बोली बिल्लू नही, ऐसा कुछ नही होगा, सिर्फ़ उपर, उपर से करो, जैसा उस दिन किया था.
वो बोला, तुझे कपड़ो के बिना महसूस करना चाहता हू, तेरी जवानी को कपड़ो के बिना तो देख लू
मैने कहा नही, मैं ऐसा नही कर सकती.
पर वो नही माना, और मेरे कानो मे बोला, तेरी सुंदरता क्या, कपड़ो मे छुपा कर रखोगी, थोड़ी सलवार नीचे सरका ना, एक बार कपड़ो के बिना तो छूने दे, बस एक बार नाडा खोल कर सलवार नीचे सरका ले, एक मिनूट बाद, उपर कर लेना, बस थोडा सा.
मैने शरमाते हुवे कहा, अगर तुमने कोई बदमासी की तो ?
वो बोला, नही कोई बदमासी नही करूँगा, मैं वादा करता हू
मैने कहा नही प्लीज़, मुझे शरम आएगी.
वो बोला, अपने पति से भी शरमाती है क्या. उसके सामने भी तो नंगी होती होगी.
मैने कहा चुप रहो, उनके बारे मे, कुछ बोला तो मैं चली जाउन्गि.
वो बोला, अछा सॉरी, नही बोलूँगा, थोड़ी सी सलवार सरका ना, बस एक मिनूट के लिए नीचे सरका ले, कुछ नही होगा.
पर मैं अपने हाथो से, उशके लिए अपना नाडा नही खोल सकती थी, ये मेरी मर्यादा के खिलाफ था.
मैं चुपचाप सब सुनती रही.
उसने फिर से मेरा नाडा पकड़ा और खोलने लगा.
इस बार मैने उसे नही रोका और बोली, एक मिनूट मतलब एक मिनूट.
वो बोला ठीक है.
उसने मेरा नाडा, झट से खोल दिया. ऐसा लग रहा था जैसे, रोज किसी का नाडा खोलता है और नाडा खोलने मे एक्सपर्ट है.
मैं अजीब सी बेचानी मे समा गयी.
मैं ने पीछे मूड कर देखा तो वो बड़ी बेशर्मी से मेरे नंगे नितंबो को घूर रहा था.
पहली बार, संजय के अलावा, कोई, मेरे नितंबो को नंगा देख रहा था
उसने मेरी आँखो मे देखा और बोला, सच मे बड़ी जालिम गांद है तेरी, और वो झुक कर मेरे नितंबो को बे-तहासा यहा, वाहा चूमने लगा.
मैं शर्मा कर वापस घूम गयी.
उसने, अपने दोनो हाथ, मेरे नंगे नितंबो पर रख दिए.
मेरे शरीर मे बीजली की ल़हेर दौड़ गयी.
उसके हाथो की छुवन, मुझे बहुत अंदर तक महसूस हो रही थी. वो मेरे नितंबो को ऐसे मसल रहा था जैसे कोई आटा गूँथता है.
पहली बार संजय के अलावा किसी और ने मेरे नंगे नितंबो को छुवा था.
वह बड़ी बे-शर्मी से, उन्हे छूते हुवे बोला, क्या मखमली गांद है. मैं चुपचाप, वाहा खड़ी रही.
फिर उसने, अपने हाथ हटा लिए. मैं उत्सुक हो कर पीछे मूडी तो मेरे होश उड़ गये.
मैने देखा, वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैं घबरा गयी ओह नो, हम दोनो एक साथ नंगे नही हो सकते.
मैने कहा, एक मिनूट हो गया, और अपनी सलवार, उपर करने लगी.
पर उसने मुझे रोक दिया और , बोला, क्या हुवा.
मैने कहा, तुम उसे क्यो निकल रहे हो.
वो बोला, बस तेरे चूतड़ पर इसे रागडूंगा, कपड़ो के उपर से भी तो रगड़ा था अभी क्या परेशानी है.
मैने कहा, प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे कुछ कुछ हो रहा है.
वो बोला, बस एक बार थोड़ा लगाने दे, फिर सलवार चड़ा लेना.
मेरे हाथो से सलवार छूट कर अपने आप नीचे गिर गयी.
उसने मेरे, नितंबो को फैलाया, और उनमे अपना लिंग फसा दिया.
मैं बहाल हो गयी. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था.
वह दोनो हाथ, मेरे नितंबो पर रख कर हल्के, हल्के धक्के मारने लगा.
मैं ये सोच रही थी कि, अगर उसने अंदर घुसा दिया तो मैं लुट जाउन्गि.
मैने कहा, बिल्लू, मैं ये सब नही कर सकती, इसे कही और लगा लो.
वह मेरी अनसुनी कर के, अपने काम मे लगा रहा.
बिल्लू बड़ी बे-सरमी से, हल्के, हल्के, धक्के लगा रहा था, और मुझे उसका लिंग अपने गुदा द्वार पर टकराता हुवा महसूस हो रहा था.
“लग रहा था कि कोई, दरवाजा खड़का रहा है, टॅक, टॅक दरवाजा खोलो”
अचानक बिल्लू हट गया.
थोड़ी देर बाद, उसने, मेरे नितंबो को फैलाया, और मेरे गुदा द्वार पर, कुछ लगा दिया.
मुझे कुछ गीला, गीला सा महसूस हुवा.
मैने पीछे मूड कर देखा तो हैरान रह गयी, वह अपने लिंग पर थूक लगा रहा था और उसे गीला कर रहा था.
मैं समझ गयी कि उसने मेरे गुदा द्वार पर भी थूक लगाया है, मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
मैं सोच कर घबरा गयी कि क्या ये, वो ? करने जा रहा है.
मैने पूछ ही लिया, बिल्लू ये क्या कर रहे हो ?
वो बोला, कुछ नही- कुछ नही, एक मिनूट.
पर मैं अपनी ये निज़ी बाते, बिल्लू को नही बता सकती थी.
मैने पूछा तुम ये क्यो जानेना चाहते हो,
वो बोला, ऐसी सेक्सी गांद उसी की हो सकती है जो खूब चुदति हो.
मैने चुप ही रहना ठीक समझा और सोचा कि कितना कमीना है ये बिल्लू कैसी अजीब बाते करता है.
मैं ये सब सोच रही थी कि, मैने पाया की वह मेरी सलवार मे हाथ डालने की कोशिस कर रहा है.
मैं होश मे आई, और बोली कि, क्या कर रहे हो, बस बाहर-बाहर से करो.
पर वो नही माना, और अपने हाथो से मेरा नाडा खोलने लगा. मैने तुरंत उसके हाथ दूर झटक दिए.
मैं बोली बिल्लू नही, ऐसा कुछ नही होगा, सिर्फ़ उपर, उपर से करो, जैसा उस दिन किया था.
वो बोला, तुझे कपड़ो के बिना महसूस करना चाहता हू, तेरी जवानी को कपड़ो के बिना तो देख लू
मैने कहा नही, मैं ऐसा नही कर सकती.
पर वो नही माना, और मेरे कानो मे बोला, तेरी सुंदरता क्या, कपड़ो मे छुपा कर रखोगी, थोड़ी सलवार नीचे सरका ना, एक बार कपड़ो के बिना तो छूने दे, बस एक बार नाडा खोल कर सलवार नीचे सरका ले, एक मिनूट बाद, उपर कर लेना, बस थोडा सा.
मैने शरमाते हुवे कहा, अगर तुमने कोई बदमासी की तो ?
वो बोला, नही कोई बदमासी नही करूँगा, मैं वादा करता हू
मैने कहा नही प्लीज़, मुझे शरम आएगी.
वो बोला, अपने पति से भी शरमाती है क्या. उसके सामने भी तो नंगी होती होगी.
मैने कहा चुप रहो, उनके बारे मे, कुछ बोला तो मैं चली जाउन्गि.
वो बोला, अछा सॉरी, नही बोलूँगा, थोड़ी सी सलवार सरका ना, बस एक मिनूट के लिए नीचे सरका ले, कुछ नही होगा.
पर मैं अपने हाथो से, उशके लिए अपना नाडा नही खोल सकती थी, ये मेरी मर्यादा के खिलाफ था.
मैं चुपचाप सब सुनती रही.
उसने फिर से मेरा नाडा पकड़ा और खोलने लगा.
इस बार मैने उसे नही रोका और बोली, एक मिनूट मतलब एक मिनूट.
वो बोला ठीक है.
उसने मेरा नाडा, झट से खोल दिया. ऐसा लग रहा था जैसे, रोज किसी का नाडा खोलता है और नाडा खोलने मे एक्सपर्ट है.
मैं अजीब सी बेचानी मे समा गयी.
मैं ने पीछे मूड कर देखा तो वो बड़ी बेशर्मी से मेरे नंगे नितंबो को घूर रहा था.
पहली बार, संजय के अलावा, कोई, मेरे नितंबो को नंगा देख रहा था
उसने मेरी आँखो मे देखा और बोला, सच मे बड़ी जालिम गांद है तेरी, और वो झुक कर मेरे नितंबो को बे-तहासा यहा, वाहा चूमने लगा.
मैं शर्मा कर वापस घूम गयी.
उसने, अपने दोनो हाथ, मेरे नंगे नितंबो पर रख दिए.
मेरे शरीर मे बीजली की ल़हेर दौड़ गयी.
उसके हाथो की छुवन, मुझे बहुत अंदर तक महसूस हो रही थी. वो मेरे नितंबो को ऐसे मसल रहा था जैसे कोई आटा गूँथता है.
पहली बार संजय के अलावा किसी और ने मेरे नंगे नितंबो को छुवा था.
वह बड़ी बे-शर्मी से, उन्हे छूते हुवे बोला, क्या मखमली गांद है. मैं चुपचाप, वाहा खड़ी रही.
फिर उसने, अपने हाथ हटा लिए. मैं उत्सुक हो कर पीछे मूडी तो मेरे होश उड़ गये.
मैने देखा, वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैं घबरा गयी ओह नो, हम दोनो एक साथ नंगे नही हो सकते.
मैने कहा, एक मिनूट हो गया, और अपनी सलवार, उपर करने लगी.
पर उसने मुझे रोक दिया और , बोला, क्या हुवा.
मैने कहा, तुम उसे क्यो निकल रहे हो.
वो बोला, बस तेरे चूतड़ पर इसे रागडूंगा, कपड़ो के उपर से भी तो रगड़ा था अभी क्या परेशानी है.
मैने कहा, प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे कुछ कुछ हो रहा है.
वो बोला, बस एक बार थोड़ा लगाने दे, फिर सलवार चड़ा लेना.
मेरे हाथो से सलवार छूट कर अपने आप नीचे गिर गयी.
उसने मेरे, नितंबो को फैलाया, और उनमे अपना लिंग फसा दिया.
मैं बहाल हो गयी. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था.
वह दोनो हाथ, मेरे नितंबो पर रख कर हल्के, हल्के धक्के मारने लगा.
मैं ये सोच रही थी कि, अगर उसने अंदर घुसा दिया तो मैं लुट जाउन्गि.
मैने कहा, बिल्लू, मैं ये सब नही कर सकती, इसे कही और लगा लो.
वह मेरी अनसुनी कर के, अपने काम मे लगा रहा.
बिल्लू बड़ी बे-सरमी से, हल्के, हल्के, धक्के लगा रहा था, और मुझे उसका लिंग अपने गुदा द्वार पर टकराता हुवा महसूस हो रहा था.
“लग रहा था कि कोई, दरवाजा खड़का रहा है, टॅक, टॅक दरवाजा खोलो”
अचानक बिल्लू हट गया.
थोड़ी देर बाद, उसने, मेरे नितंबो को फैलाया, और मेरे गुदा द्वार पर, कुछ लगा दिया.
मुझे कुछ गीला, गीला सा महसूस हुवा.
मैने पीछे मूड कर देखा तो हैरान रह गयी, वह अपने लिंग पर थूक लगा रहा था और उसे गीला कर रहा था.
मैं समझ गयी कि उसने मेरे गुदा द्वार पर भी थूक लगाया है, मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
मैं सोच कर घबरा गयी कि क्या ये, वो ? करने जा रहा है.
मैने पूछ ही लिया, बिल्लू ये क्या कर रहे हो ?
वो बोला, कुछ नही- कुछ नही, एक मिनूट.