मैं सब काम करके नहाने चली गयी.
मैं नहा कर बाहर निकली ही थी कि डोर बेल बज उठी.
मैं झट से बेडरूम की और भागी.
जल्दी से, कपड़े पहन कर मैं दरवाजा खोलने आ गयी.
जैसा की मुझे लग रहा था, सामने बिल्लू खड़ा था.
वो मुझे देख कर बोला, अरे तू अभी तक तैयार नही हुई 10:30 हो गये है. मेरा बापू गुस्सा हो जाएगा, पता है ना वो बड़ी मुस्किल से माना है.
मैं हैरान थी कि आख़िर ये बिल्लू इतना उतावला क्यो हो रहा है.
मैने उशे कहा तुम रिक्से पर वेट करो यहा किसी ने देख लिया तो परेशानी होगी, वैसे ही परेशानी बहुत है.
वो वाहा से चला गया और मैं अपने बेडरूम मे आ गयी.
मैं फिर से उसके बापू से मिलने नही जाना चाहती थी.
पर मेरे पास कोई चारा भी तो नही था.
मुझे डर था कि कही वो फिर से यहा ना आ जाए. मैं हर हाल में अपने परिवार को बचाए रखना चाहती थी.
दिल मे अजीब सी हलचल हो रही थी.
मुझे ये अहसास हो गया था कि बिल्लू के बापू ने मुझे क्यो बुलाया है. यही मेरी चिंता का सबसे बड़ा कारण था.
मैं खुद को गहरे दलदल में जाते हुवे महसूस कर रही थी.
जैसे दलदल से निकलने की कोशिस में हम और गहरे डूबते जाते है, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हो रहा था.
मैं तैयार हो कर, घर को लॉक कर के चुपचाप रिक्से में बैठ गयी.
मैने कोई फ़ैसला नही किया था कि मुझे बिल्लू के घर जाना चाहिए या नही. मैं बस चल दी थी. शायद ऐसे फ़ैसले किए भी नही जा सकते.
बिल्लू थोड़ा दूर जा कर पीछे मूड कर बोला, तू बहुत प्यारी लग रही है आज.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. दरअसल मैं उस से कोई बात नही करना चाहती थी. उसी के कारण तो में फीर से नयी मुसीबत में थी.
मैने उसे बोल भी दिया, तुम चुपचाप चलो मुझ से ज़्यादा बकवास करने की ज़रूरत नही है.
पर वो नही माना और बोला, अगर मेरे बस में होता तो मैं ऐसा कभी नही होने देता.
मैने गुस्से में पूछा, पर तुम तो मुझे घर ले जाने के लिए बहुत उतावले (डेस्परेट) हो रहे थे.
वो बोला, तुझे घर ले जाना मेरी मजबूरी है, तुझे नही पता, मेरा बापू बहुत गुस्सल है, अगर वक्त से, घर नही पहुँचे तो हो सकता है कि वो हमे घर में घुसने ना दे.
मैने मन ही मन सोचा, अछा हो ऐसा ही हो जाए.
मेरा मन बहुत डरा हुवा था. मैं चाहती थी कि सब जल्दी जल्दी बीत जाए और मैं वापस घर आ जा-ऊँ.
उसका घर कब आ गया पता ही नही चला. मैं रिक्से से उतर कर घर के बाहर खड़ी हो गयी और सोचने लगी की अंदर जा-ऊँ या ना जा-ऊँ.
बिल्लू बोला, आ ना क्या सोच रही है, बाहर सब लोग देख रहे हैं जल्दी अंदर आजा.
मैं भारी, भारी कदमो से बिल्लू के साथ अंदर आ गयी. आज फिर घर में कोई भी नही दीख रहा था.
बिल्लू मुझे एक कमरे में ले गया और बोला, बैठ जा, बापू का कमरा यही है. कमरा बहुत छोटा था. स्लम एरिया में इस से ज़्यादा हो भी क्या सकता था. उनके घर में कुल मिला कर दो छोटे छोटे कमरे थे.
मैं डरते, डरते वाहा रखी एक कुर्सी पर बैठ गयी.
बिल्लू बोला, बापू कहीं बाहर होगा, अभी आ जाएगा.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि वो ना ही आए तो अछा है.
बिल्लू मुझे वहाँ छोड़ कर चला गया.
अचानक उसके बापू की आवाज़ सुनाई दी.
वो बिल्लू से पूछ रहा था, कहा है वो.
बिल्लू ने कहा, बापू वो अंदर तुम्हारे कमरे में है.
वो बोला, एक ठंडा और थोड़ी नमकीन ले आ, और हा जल्दी आना.
और बिल्लू जी बापू कह कर घर से बाहर चला गया.
मैं खोमोशी से सब सुन रही थी.
जब उसके कदमो की आहट मेरी और बढ़ती हुई महसूस हुई तो मैं और भी ज़्यादा सहम गयी.
उसने बाहर से झँकते हुवे पूछा, तू ठीक है ना कोई तकलीफ़ तो नही ?
मैने कहा, जी
वो बोला, तू डॉक्टर साहेब की बीवी है, मैं तेरा पूरा धयान रखूँगा, तू थोड़ा बैठ मैं अभी आता हूँ.
वो फीर से घर के बाहर चला गया.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
मैं सोच रही थी कि आख़िर वो कर क्या रहा है. मैं जल्द से जल्द वाहा से निकलना चाहती थी.
इतने में बिल्लू आ गया, उसने मेरे सामने टेबल रख कर पेप्सी और नमकीन रख दी, और बोला, लो ठंडा पी लो.
मैं कुछ भी पीने, खाने के मूड में नही थी.
तभी अचानक उसका बापू आ गया.
उसने बिल्लू से पूछा, ये क्या घटिया सी नमकीन ले आया है, कुछ और नही था क्या ?
बिल्लू बोला, बापू बस यही थी दुकान पर.
उसका बापू बोला, चल जा यहा से अब, बिल्लू मेरी और देखते हुवे वाहा से चला गया.
मैं चुपचाप सहमे हुवे बैठी रही.
बिल्लू के बापू ने, दरवाजा बंद कर दिया और अंदर से कुण्डी लगा ली.
मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, जैसा मुझे लग रहा था, वही हुवा, वो मुझसे…………..
वो बोला, अरे तूने कुछ लिया ही नही, ये पेप्सी पी ले तेरे लिए ही है.
मैने कहा जी कोई बात नही, मुझे इच्छा नही है.
वो बोला, कुछ और लॉगी ?
और उसने अपनी पॅंट की जेब से देसी दारू की एक छोटी सी बॉटल निकाल ली.
मैने फॉरन गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो मेरी कुर्सी के साथ लगे बेड पर बैठ गया और अपनी बॉटल खोलने लगा.
वो बोला, आज बहुत दीनो बाद पीने का मन हो रहा है. सब तेरे कारण है. तू बहुत सुंदर है, पता है बाहर लोग हैरान हो रहे है कि इतनी सुंदर लड़की यहा क्या कर रही है, शराब और शबाब दोनो साथ होने चाहिए.
उसने एक गिलास उठाया और उसमे दारू डालने लगा.
मेरी और देखते हुवे वो एक ही झटके में पूरा गिलास सतक गया. मैने आज तक किसी को शराब पीते नही देखा था इश्लीए हैरान और परेशान थी.
अचानक वो खड़ा हुवा और बोला, आ अब तेरी बारी. ये दारू तो फेल हो गयी इसमे कोई नशा नही है, अब तेरे अंदर देखता हू कितना नशा है.
मैं हैरान थी उसके बदले हुवे रूप को देख कर.
कल तो वो बड़ी बड़ी बाते कर रहा था, और आज ये सब.
मुझे सब कुछ नाटक सा लग रहा था, लग रहा था जैसे मुझे बड़ी चालाकी से फसाया गया है.
पर अब मैं क्या कर सकती थी, मैं खामोसी से बैठी रही.
वो ज़ोर से बोला, इधर आ.
मैं डर कर खड़ी हो गयी और चुपचाप उसके सामने आ गयी.
वो बोला, अब बता क्या करेगी तू मेरे लिए.
मैने कहा जी क…..क……..कुछ नही.
वो बोला, क्या कुछ नही, धोका, मैं तुझे देख लूँगा. मुझे कल तेरे घर से नही आना चाहिए था, तेरे पति से मिल कर ही आना चाहिए था.
मैने डरते हुवे कहा,…..आ….आ……आप जो कहे कर दूँगी.
वो हँसने लगा और बोला, तू अपनी मर्ज़ी से करेगी ना.
मैने कहा, जी.
वो बोला, अछा तो घूम जा और अपना नाडा खोल कर अपनी गांद दीखा, देंखु तो सही ऐसी भी क्या बात है तेरी गांद में कि बिल्लू उसका दीवाना हो गया है.
मेरा चेहरा शरम और गिल्ट से लाल हो गया.
बिल्लू का बापू अब बिल्लू जैसी ही बाते कर रहा था. बिल्लू और उसमे कोई फरक नही दिख रहा था.
वो फिर बोला, अरे क्या सोच रही है, अपनी कातिल गांद नही दीखावगी, जिश से तूने मेरे बेटे का कतल कर दिया.
इतने में बिल्लू आ गया, उसने मेरे सामने टेबल रख कर पेप्सी और नमकीन रख दी, और बोला, लो ठंडा पी लो.
मैं कुछ भी पीने, खाने के मूड में नही थी.
तभी अचानक उसका बापू आ गया.
उसने बिल्लू से पूछा, ये क्या घटिया सी नमकीन ले आया है, कुछ और नही था क्या ?
बिल्लू बोला, बापू बस यही थी दुकान पर.
उसका बापू बोला, चल जा यहा से अब, बिल्लू मेरी और देखते हुवे वाहा से चला गया.
मैं चुपचाप सहमे हुवे बैठी रही.
बिल्लू के बापू ने, दरवाजा बंद कर दिया और अंदर से कुण्डी लगा ली.
मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, जैसा मुझे लग रहा था, वही हुवा, वो मुझसे…………..
वो बोला, अरे तूने कुछ लिया ही नही, ये पेप्सी पी ले तेरे लिए ही है.
मैने कहा जी कोई बात नही, मुझे इच्छा नही है.
वो बोला, कुछ और लॉगी ?
और उसने अपनी पॅंट की जेब से देसी दारू की एक छोटी सी बॉटल निकाल ली.
मैने फॉरन गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो मेरी कुर्सी के साथ लगे बेड पर बैठ गया और अपनी बॉटल खोलने लगा.
वो बोला, आज बहुत दीनो बाद पीने का मन हो रहा है. सब तेरे कारण है. तू बहुत सुंदर है, पता है बाहर लोग हैरान हो रहे है कि इतनी सुंदर लड़की यहा क्या कर रही है, शराब और शबाब दोनो साथ होने चाहिए.
उसने एक गिलास उठाया और उसमे दारू डालने लगा.
मेरी और देखते हुवे वो एक ही झटके में पूरा गिलास सतक गया. मैने आज तक किसी को शराब पीते नही देखा था इश्लीए हैरान और परेशान थी.
अचानक वो खड़ा हुवा और बोला, आ अब तेरी बारी. ये दारू तो फेल हो गयी इसमे कोई नशा नही है, अब तेरे अंदर देखता हू कितना नशा है.
मैं हैरान थी उसके बदले हुवे रूप को देख कर.
कल तो वो बड़ी बड़ी बाते कर रहा था, और आज ये सब.
मुझे सब कुछ नाटक सा लग रहा था, लग रहा था जैसे मुझे बड़ी चालाकी से फसाया गया है.
पर अब मैं क्या कर सकती थी, मैं खामोसी से बैठी रही.
वो ज़ोर से बोला, इधर आ.
मैं डर कर खड़ी हो गयी और चुपचाप उसके सामने आ गयी.
वो बोला, अब बता क्या करेगी तू मेरे लिए.
मैने कहा जी क…..क……..कुछ नही.
वो बोला, क्या कुछ नही, धोका, मैं तुझे देख लूँगा. मुझे कल तेरे घर से नही आना चाहिए था, तेरे पति से मिल कर ही आना चाहिए था.
मैने डरते हुवे कहा,…..आ….आ……आप जो कहे कर दूँगी.
वो हँसने लगा और बोला, तू अपनी मर्ज़ी से करेगी ना.
मैने कहा, जी.
वो बोला, अछा तो घूम जा और अपना नाडा खोल कर अपनी गांद दीखा, देंखु तो सही ऐसी भी क्या बात है तेरी गांद में कि बिल्लू उसका दीवाना हो गया है.
मेरा चेहरा शरम और गिल्ट से लाल हो गया.
बिल्लू का बापू अब बिल्लू जैसी ही बाते कर रहा था. बिल्लू और उसमे कोई फरक नही दिख रहा था.
वो फिर बोला, अरे क्या सोच रही है, अपनी कातिल गांद नही दीखावगी, जिश से तूने मेरे बेटे का कतल कर दिया.
Re: छोटी सी भूल
मैं करती भी तो क्या करती, मैं उसके सामने घूम गयी. पर मेरे हाथ नाडा खोलते हुवे काँप रहे थे.
बड़ी मुस्किल से मैने नाडा खोला और अपनी सलवार नीचे सर्काई.
उसने तुरंत कमरे की लाइट जला दी और मेरे और करीब आ गया.
वो बोला, ये कमीज़ उठा.
मैने उसे धीरे से उठा लिया.
वो बोला, ये पॅंटी क्या मैं उतरूँगा, ये भी तो सरका.
मैने कमीज़ छोड़ कर पॅंटी नीचे सरका दी और चुपचाप वाहा खड़ी हो गयी.
वो बोला, ये कमीज़ परेशान कर रही है, और उसे उतारने लगा. मेरा तो बुरा हाल हो गया.
मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पाई. उसने मेरी कमीज़ उतार कर एक तरफ फेंक दी.
वो मेरे नितंबो को घूरते हुवे बोला, अरे वह कितनी जालिम गांद है तेरी, मेरे बेटे का कोई कसूर नही, इसे देख कर तो कोई भी पागल हो जाएगा.
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी, मैं चुपचाप सर झुकाए खड़ी रही.
उसने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को छुवा और बोला, सच में मस्त माल है तेरे पास, बहुत मज़ा आएगा आज.
उसने पूछा, क्या बिल्लू के अलावा किसी और ने भी मारी है ये.
मैं सकपका गयी कि क्या काहु अब.
वो फिर बोला, बता ना,
मैने धीरे से कहा, जी मेरे पति ने.
वो बोला, बस, बस उसका नाम मत ले मैं कुछ नही कर पाउन्गा.
वो बोला, उसके अलावा.
मैने कहा, जी बस बिल्लू
वो गुस्से में बोला, तू तो कल कह रही थी कि तेरा बिल्लू से कोई सम्बन्ध नही है.
मैं धीरे से झीजकते हुवे बोली, जी बस एक बार किया था.
वो बोला, बस एक बार दे कर तूने उसे पागल बना कर छोड़ दिया. पता है कितना नुकसान हुवा है मेरा. उसहने कयि दीनो से एक पैसा कमा कर नही दिया. वो सारा दिन तेरे पीछे घूमता है.
मैं खामोसी से सब सुनती रही.
वो बोला, बता अब तेरी क्या सज़ा है.
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, कुछ नही सीधी हो जा, तेरी गांद तो मस्त है अब तेरी चूत तो देख लू.
मैने हड़बड़ते हुवे कहा, जी बिल्लू ने इतना ही किया था, आप भी इतना ही कर लो.
वो बोला, मैं बिल्लू का बाप हू, थोडा ज़्यादा तो होगा ही, चल घूम जा.
मैं नज़रे झुकाए हुवे उसके सामने घूम गयी.
वो मेरे सामने बैठ गया और बड़े गौर से मेरी योनि को देखने लगा.
वो बोला, अरे वह ये तो तेरी गांद से भी ज़्यादा सुंदर है, कितनी चिकनी है साली, लंड लगते ही फिसल जाएगा.
मैने शर्मिंदगी में अपने चेहरे पर हाथ रख लिए.
वो बहुत ही गंदी बाते कर रहा था. बिल्कुल बिल्लू की तरह.
मुझे अब यकीन हो चला था कि, ये सब इन दोनो की चाल है. बड़ी चालाकी से इन्होने मुझे यहा ये सब करने को बुलाया है. मैं मन ही मन बिल्लू को कोस रही थी.
वो मेरे योनि के द्वार पर उंगली लगा कर बोला, अरे ये तो बिल्कुल सुखी पड़ी है, अभी कुछ करता हूँ.
मेरे शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी.
उसने कहा, चल यहा बेड पर लेट जा.
मैं हैरानी में थी कि वो आख़िर करना क्या चाहता है.
मैने कहा, आप बस जितना बिल्लू ने किया था, उतना ही कर लो और मुझे जाने दो.
वो बोला, बिल्लू ने कितना किया था सब बता.
मैं चुप हो गयी. मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.
वो बोला, बता ना कितना किया था, बिल्लू ने, मैं भी उतना ही कर लूँगा, मुझे वैसे भी तेरे पति के कारण झीजक हो रही है.
मैने कहा, उसने बस मेरे नितंबो को छुवा था, और बस वही से किया था.
वो बोला, अरे वह ठीक है फीर मैं भी उतना ही करूँगा. पहले ज़रा यहा तो लेट जा.
मैं जीझकते हुवे बेड पर लेट गयी.
वो मेरी टॅंगो के बीच आ गया और मेरी योनि को बड़े गोर से देखने लगा.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उसकी बेशर्मी बर्दास्त नही कर पा रही थी.
अचानक मुझे अपनी योनि पर कुछ चुभता हुवा महसूस हुवा.
मैने आँखें खोली तो पाया कि, उसका मूह मेरी योनि के बिल्कुल उपर है.
वो बोला, वह क्या खुसबु है जालिम की.
इस से पहले कि मैं कुछ सोच पाती, उसके होंठ मेरी योनि के उपर थे.
मैं बेचन हो उठी.
उसने मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंटो में दबा लिया, और बड़ी बेशर्मी से उन्हे चूसने लगा.
मैं बेचानी में अपनी टाँगे पटाकने लगी.
बड़ी मुस्किल से मैने नाडा खोला और अपनी सलवार नीचे सर्काई.
उसने तुरंत कमरे की लाइट जला दी और मेरे और करीब आ गया.
वो बोला, ये कमीज़ उठा.
मैने उसे धीरे से उठा लिया.
वो बोला, ये पॅंटी क्या मैं उतरूँगा, ये भी तो सरका.
मैने कमीज़ छोड़ कर पॅंटी नीचे सरका दी और चुपचाप वाहा खड़ी हो गयी.
वो बोला, ये कमीज़ परेशान कर रही है, और उसे उतारने लगा. मेरा तो बुरा हाल हो गया.
मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पाई. उसने मेरी कमीज़ उतार कर एक तरफ फेंक दी.
वो मेरे नितंबो को घूरते हुवे बोला, अरे वह कितनी जालिम गांद है तेरी, मेरे बेटे का कोई कसूर नही, इसे देख कर तो कोई भी पागल हो जाएगा.
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी, मैं चुपचाप सर झुकाए खड़ी रही.
उसने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को छुवा और बोला, सच में मस्त माल है तेरे पास, बहुत मज़ा आएगा आज.
उसने पूछा, क्या बिल्लू के अलावा किसी और ने भी मारी है ये.
मैं सकपका गयी कि क्या काहु अब.
वो फिर बोला, बता ना,
मैने धीरे से कहा, जी मेरे पति ने.
वो बोला, बस, बस उसका नाम मत ले मैं कुछ नही कर पाउन्गा.
वो बोला, उसके अलावा.
मैने कहा, जी बस बिल्लू
वो गुस्से में बोला, तू तो कल कह रही थी कि तेरा बिल्लू से कोई सम्बन्ध नही है.
मैं धीरे से झीजकते हुवे बोली, जी बस एक बार किया था.
वो बोला, बस एक बार दे कर तूने उसे पागल बना कर छोड़ दिया. पता है कितना नुकसान हुवा है मेरा. उसहने कयि दीनो से एक पैसा कमा कर नही दिया. वो सारा दिन तेरे पीछे घूमता है.
मैं खामोसी से सब सुनती रही.
वो बोला, बता अब तेरी क्या सज़ा है.
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, कुछ नही सीधी हो जा, तेरी गांद तो मस्त है अब तेरी चूत तो देख लू.
मैने हड़बड़ते हुवे कहा, जी बिल्लू ने इतना ही किया था, आप भी इतना ही कर लो.
वो बोला, मैं बिल्लू का बाप हू, थोडा ज़्यादा तो होगा ही, चल घूम जा.
मैं नज़रे झुकाए हुवे उसके सामने घूम गयी.
वो मेरे सामने बैठ गया और बड़े गौर से मेरी योनि को देखने लगा.
वो बोला, अरे वह ये तो तेरी गांद से भी ज़्यादा सुंदर है, कितनी चिकनी है साली, लंड लगते ही फिसल जाएगा.
मैने शर्मिंदगी में अपने चेहरे पर हाथ रख लिए.
वो बहुत ही गंदी बाते कर रहा था. बिल्कुल बिल्लू की तरह.
मुझे अब यकीन हो चला था कि, ये सब इन दोनो की चाल है. बड़ी चालाकी से इन्होने मुझे यहा ये सब करने को बुलाया है. मैं मन ही मन बिल्लू को कोस रही थी.
वो मेरे योनि के द्वार पर उंगली लगा कर बोला, अरे ये तो बिल्कुल सुखी पड़ी है, अभी कुछ करता हूँ.
मेरे शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी.
उसने कहा, चल यहा बेड पर लेट जा.
मैं हैरानी में थी कि वो आख़िर करना क्या चाहता है.
मैने कहा, आप बस जितना बिल्लू ने किया था, उतना ही कर लो और मुझे जाने दो.
वो बोला, बिल्लू ने कितना किया था सब बता.
मैं चुप हो गयी. मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.
वो बोला, बता ना कितना किया था, बिल्लू ने, मैं भी उतना ही कर लूँगा, मुझे वैसे भी तेरे पति के कारण झीजक हो रही है.
मैने कहा, उसने बस मेरे नितंबो को छुवा था, और बस वही से किया था.
वो बोला, अरे वह ठीक है फीर मैं भी उतना ही करूँगा. पहले ज़रा यहा तो लेट जा.
मैं जीझकते हुवे बेड पर लेट गयी.
वो मेरी टॅंगो के बीच आ गया और मेरी योनि को बड़े गोर से देखने लगा.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उसकी बेशर्मी बर्दास्त नही कर पा रही थी.
अचानक मुझे अपनी योनि पर कुछ चुभता हुवा महसूस हुवा.
मैने आँखें खोली तो पाया कि, उसका मूह मेरी योनि के बिल्कुल उपर है.
वो बोला, वह क्या खुसबु है जालिम की.
इस से पहले कि मैं कुछ सोच पाती, उसके होंठ मेरी योनि के उपर थे.
मैं बेचन हो उठी.
उसने मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंटो में दबा लिया, और बड़ी बेशर्मी से उन्हे चूसने लगा.
मैं बेचानी में अपनी टाँगे पटाकने लगी.