जिस्म की प्यास compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 08:03

हल्के सा दरवाज़ा जब उसने खोला तो बिस्तर पे बैठी ललिता अख़बार पढ़ रही थी... ललिता के चेहरे अख़बार था तो

उसको मयंक दिखाई नही दिया मगर मयंक उसके सामने खड़ा ललिता की गोरी टाँगो को देखने लगा....

अब लंड को ठीक करते हुए उसने दरवाज़े पे नॉक करा. फिर उसने पूछा "टाय्लेट कहाँ है"

ललिता ने उसको टाय्लेट की दरवाज़े की तरफ इशारा करा. मयंक जल्दी से उसमें जाके घुस गया और मूतने लगा.

उसने अपनी जेंब से ललिता की पैंटी निकाली और उसको सूँगने लगा. जो सपने में भी दिखना नामुमकिन था वो हक़ीकत

में हो गया था. मयंक सोचने लगा अगर ये चड्डी ललिता ने अभी उतारी होगी तो अभी अपनी फ्रोक के अंदर क्या पहना होगा.

क्या वो अपनी चूत को हवा दे रही होगी नंगी बैठी हुई...

उसी दौरान ललिता को याद आया कि उसने अभी भी मयंक का अंडरवेर पहेन रखा है और उसे बड़ी दिक्कत

यह थी कि उसकी पैंटी उसके छोटे भाई के कमरे के फर्श पे पड़ी थी. वो जल्दी से गयी अपने भाई के कमरे में भागी....

उसने हर जगह देखा मगर जब उसको अपनी पैंटी नहीं मिली तो वो घबरा गयी. वो सोचने लग गयी कि उसने पैंटी

को शायद उठा लिया हो या फिर कहीं और उतारी हो. फिर उसको लगा कि अगर इन दोनो में से किसी ने उठा ली हो तो परेशानी

बढ़ जाएगी. फिर ललिता ने समय लगाके देखा और उसको लगा कि अब उसका भाई और चंदर आने ही वाले होंगे तो वो जल्दी से चंदर का अंडरवेर वापस रख दे. मगर उसके लिए उसे फिर से अपने कमरे जाना पड़ेगा क्यूंकी अगर वो यहीं पर ही कच्छा उतार देती है तो उसको बाहर सिर्फ़ फ्रोक में जाना होगा जोकि ख़तरनाक हो सकता है. वो चुप चाप अपने

भाई के कमरे से निकली. दोनो लड़के अभी भी टीवी देख रहे थे और जब ललिता अपने कमरे में जाने लगी तब बेल बज गयी. पहली बारी ललिता को अपनी किस्मत पे रोना आ रहा था. वो दरवाज़ा के तरफ बढ़ी और ना चाहते हुए उसको खोला खोला. चंदर और चेतन बाहर ही खड़े हुए थे.. ललिता ने झूठी मुस्कुराहट से दरवाज़ा खोला और और वो दोनो अपने दोनो दोस्तो से मिले. परेशान ललिता भी अपने कमरे में चली गयी. कुच्छ देर अकेले बैठकर उसने भरोसा जाताया कि वो अपने उपर कोई दिक्कत नहीं आने देगी और वैसे भी ये बच्चे उसका क्या बिगाड़ लेंगे... वो चाहे तो सबको अपनी उंगलिओ पे नचा सकती है. फिर वो बाहर गयी खाना खाने के लिए और वापिस आगयि अपने कमरे में.

काफ़ी देर बाद चेतन आया कमरे में और उसने पूछा "यार ऐसे कैसे बैठे हुए हो कमरे में अकेले. चलो

बाहर आ जाओ ना." ललिता ने कहा कि वो बादमें आएगी. फिर चेतन ने कहा "अच्छा सुनो दीदी..

एक बात बतानी थी आपको.. ऐसा है कि मम्मी का कॉल आया था जब मैं घर पे नहीं था और उन्होने कहा था कि वो

आज घर नहीं आएँगी. और फिर मेरा और चंदर का प्लान बन गया अल्ताफ़ और मयंक के साथ की आज हम चार साथ में रहेंगे क्यूंकी चंदर भी कल घर चला जाएगा. आपको कोई परेशानी तो नहीं है ना इससे. ये जानके नज़ाने क्यूँ ललिता को ज़रा सा भी गुस्सा नही आया और उसने चेतन को कुच्छ नहीं बोला.

ये आखरी रात होगी चंदर के साथ उसकी... शायद इसके बाद वो चंदर से कभी ना मिले तो इसलिए आज कुच्छ तो

करना पड़ेगा.. ऐसा ख़याल ललिता के दिमाग़ चल रहा था. कुच्छ देर बाद जब हल्का अंधेरा छाने लगा तब

वो बिस्तर से उठी और टाय्लेट में जाके उसने चंदर के अंडरवेर उतार के एक काली पैंटी पैंटी पहेनली

और वो अंडरवेर संभाल के अलमारी में रख दिया. फिर वो अपने कमरे के बाहर आई. सब ट्राउज़र आंड टी-शर्ट

में बैठे हुए टीवी देख रहे थे. चंदर ने ललिता को देखा और दोनो हल्का सा मुस्कुराए. ललिता ने एक कुर्सी ली और

दोनो सोफे के बीच में बैठ गयी. चंदर पिच्छली रात के बारे में सोच रहा था जब उसने पहली बारी किसी

लड़की के कपड़े उतारे थे. आज की रात वो पिच्छली रात से हसीन बनाने की उसने ठान रखी थी. मगर उसको अभी भी

ये नहीं पता था कि कल जो भी हुआ वो सिर्फ़ ललिता की रज़ामंदी से हुआ था. अगर वो चाहती तो चंदर उसको छु भी नही पाता....कुच्छ देर बाद ललिता ने कहा "तुम लोग बोर नहीं हो गये टीवी देख देख कर.. कुच्छ तो आता नहीं है टीवी पर." चंदर ने भी हामी भरी.

चेतन और मयंक ने बोला तो फिर और क्या करें? चंदर ने कहा चलो फिरसे अंधेरा कमरा खेलोगे..

अब तो लोग भी ज़्यादा है मज़े आएँगे. सब इस बात से खुश हो गये और खेलने की तैयारी होने लगी. मयंक ने बोला

"मगर एक रूम में छुप्ने में कोई मज़े नही आएगा.. ऐसा करतें पूरे घर का रखते है..कम से कम

ढूँढने वाले को दिक्कत तो होगी. इस बात को भी सबने माना और फिर खेल शुरू हुआ.

सबसे पहले बारी पकड़ने की ललिता की आई और उसको काफ़ी समय लग गया पकड़ने में. ललिता चाहती थी कि चेतन की

बारी आए ढूँढने की मगर हर बारी वोआखिर में पकड़ा जा रहा था. लेकिन फिर उसकी फरियाद पूरी हो गई

और चेतन जिसकी वजह से ललिता/चंदर काफ़ी खुश थे.... जिस कमरे में चंदर छुप्ने गया उसी कमरे में जानके

ललिता भी चली गयी.... ललिता को पता था कि चंदर पर्दे के पीछे छुपा हुआ है और वो भी अंजान बनके पर्दे

के पीछे छुप गयी. पूरे कमरे में सिर्फ़ वो दो थे और अंधेरा छाया हुआ था. चंदर को लग रहा था कि उसकी

किस्मत ही बड़ी निराली है.... दोनो जानते थे कि चेतन को सबको पकड़ने में काफ़ी समय लगेगा और इसी का

फ़ायदा उठाना चाहते थे. चंदर को मगर घबराहट इस बात की थी कि ललिता को पिच्छली रात के बारें में कुच्छ नहीं

पता था और इस लिए वो कोई बेवकूफी नहीं करना चाहता था. उसने बड़ी चालाकी से अपनी छाती खुजाने के लिए

अपनी उल्टी कोनी उपर करी और हल्के से ललिता के सीधे स्तन को छु लिया. ललिता कुच्छ नहीं बोली क्यूंकी उसको चंदर की चाल चाल समझ आ गयी थी मगर वो ये देखना चाहती थी कि ये लड़का कितनी दूर तक जाता है और इसलिए वो चंदर से थोड़ा दूर जाके खड़ी हो गई. चंदर को लगा कि ललिता को उसकी ये हरकत पसंद नही आई इस वजह से घबरा गया....

फिर भी उसने हार नहीं मानी वो दबे पाओ ललिता की तरफ बढ़ गया. अब चंदर ने बड़ी हिम्मत दिखाकर अपनी

उंगलिओ से उसकी कमर को छुआ. ललिता ज़रा सा भी नहीं हिली. चंदर कमर को छुता छुता अपनी उंगलिया बढ़ाने लगा और ललिता के पेट पे हाथ रख दिया. इस बारी ललिता ने उसका हाथ हटा दिया और पर्दे के बाहर चली गयी. चंदर इस

बारी काफ़ी डर गया और उसने सोचा अब शायद ललिता से आँख मिलाने में भी उसको शरम आएगी. उधर ललिता चंदर की इस हरकत से काफ़ी खुश थी. वो चाहती थी कि चंदर उसको हिम्मत दिखाए क्यूंकी उसको फत्तु लड़के बिल्कुल पसंद नही थे...

क्रमशः……………………….

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:06

जिस्म की प्यास--11

गतान्क से आगे……………………………………

फिर कुच्छ देर बाद फिरसे चेतन की पकड़ने की बारी आई. इस बारी फिर से ललिता चेतन के कमरे में छिप्ने गयी

मगर बिस्तर के पीछे छुपी क्यूंकी उसको लगा कि पर्दे के पीछे चंदर ही छिपा हुआ है. पर्दे और बिस्तर

में कोई ख़ास अंतर नहीं था... दोनो एक दूसरे से 2-3 फुट ही दूर थे... ललिता अपने हाथ और घुटनो को बल बिस्तर से

चुपक के छुपी हुई थी... उसका असली मकसद ये था कि वो अपनी गान्ड हवा में लहरा कर चंदर को पागल कर देगी

जोकि पर्दे के पीछे छुपा था....कुच्छ ही देर ललिता को पर्दे का हिलना महसूस हुआ और वो जान्गयि कि चंदर अब

उसके बदन को छुने की कोशिश करेगा. वो पर्दे से निकला और ललिता के पीछे फर्श पे घुटने के बल बैठ गया.

ललिता की गान्ड (फ्रॉक के अंदर) उसके चेहरे से कुच्छ ही दूर थी वो चाहता तो अपने होंठो से उसको चूम सकता.

उसने बिना सोचे समझे अपना हाथ बढ़ाया और ललिता के पैरों को छुआ. वो अपनी उंगलिया चलाकर ललिता की नंगी

टाँगो पे ले गया और उसकी फ्रॉक की तरफ जाकर रुक गया. फिर दूसरे ही पल में उसने अपनी 3 उंगलियाँ ललिता की

गुलाबी और सफेद रंग फ्रॉक के अंदर घुसा दी. और अब घबराता घबराता फ्रॉक के अंदर से उसकी जाँघो को छुने लगा. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर दंग रह गई. अब वो दोनो जाँघो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा. ललिता को

घबराहट में पसीना आने लगा था जोकि उन उंगलिओ को उसकी जाँघो पे सॉफ महसूस हो रहा था....

घबराहट में ललिता की टाँगें हिलने लगी थी मगर वो बाद हिम्मत दिखाकर वहाँ से हिली नहीं....

धीरे धीरे अपनी उंगलिओ ललिता की मोटी जाँघो से एक रेखा बनाकर वो उसकी पैंटी की तरफ ले गया.....

ललिता के नितंब को अब वो छू रहा था.... और फिर अपनी उंगलिया ललिता की पैंटी के उस तरफ ले गया जोकि शरम

के मारे गीली होने लगी थी.... बेशार्मो की तरह उसकी उंगलिया ललिता की चूत को रगड़ रही थी. ललिता को महसूस हुआ

की उसकी फ्रॉक को वो उपर कर रहा है और फिर दूसरे ही सेकेंड उसकी जाँघ पे एक गीली चूमि उसको महसूस हुई और वो वहाँ से घबराकर भाग गयी. ललिता कमरे के बाहर खड़ी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी... उसका माथा पसीने से लत्पथ था...

उसको अपने पे बहुत गुस्सा आया क़ी वो ऐसे भाग गयी थी मगर सच में पहली बारी वो इतना घबरा गयी थी....

लेकिन अब उसने सोच लिया था कि जितनी हिम्मत चंदर ने दिखाई है उसका इनाम वो उसको उसका इनाम ज़रूर मिलेगा....

उसके कुच्छ देर बाद बारी चंदर की आई पकड़ने की तब ललिता बिल्कुल चंदर के पीछे खड़ी गयी. बाकी सब कहीं

ना कही छुपे हुए थे और चंदर आँख बंद कर गिनती गिन रहा था. जैसी ही चंदर ने आँख खोली तो ललिता

उसके सामने खड़ी थी. हैरान परेशान चंदर के पसीने छूट गये. ललिता ने चंदर का हाथ पकड़ा और

अपने मम्मे पे रख दिया (जोकि टॉप/ब्रा के अंदर थे). चंदर को कुच्छ समझ आता उसके पहले ही ललिता चंदर का

हाथ हल्के हल्के अपने मम्मो पे दबाने लगी. चंदर को लग रहा था कि अब उसको दिल का दौरान ना पड़ जाए.

चंदर आगे बढ़ा और ललिता के होंठों चूम लिया. दोनो ने 2-3 सेकेंड के लिए अपने होंठ और ज़ुबान मिला कर रखे.

ये चंदर का पहला चुंबन था और उसको सपने में नहीं लगता था कि उसको उसके सबसे अच्छे दोस्त की बड़ी बहन ये ख़ुशनसीबी देगी. चंदर ने फिर बाकी सबको पकड़ लिया और खेल फिर बंद कर दिया.

पूरी रात चंदर और ललिता एक दूसरे को देखे जा रहे थे या फिर जानके एक दूसरे को छुके अंजान बन रहे थे.

जब सोने का समय आया तब चारो दोस्तो ने साथ में सोने का सोचा. ललिता ने बोला "तुम लोग एक कमरे या बिस्तर

पे तो आ नहीं पाओगे तो ऐसा करो कि बाहर गद्दे बिच्छा लो और सो जाओ". चेतन बोला "और आप कहाँ सोगे."

ललिता ने कहा "मैं तो अपने कमरे में ही सोउंगी.. मेरे पास मम्मी के कमरे की चाबी है तो उनके बिस्तर के गद्दे

ले लेना तुम लोग. जब ललिता ने मम्मी का कमरा खोला तो चारो लड़के गद्दे उठाने लगे. पर ललिता की नज़र वहाँ रखी हुई नींद की गोलिओ पे पड़ी. ललिता ने चुपके से वो उठा ली. ललिता को एक ज़बरदस्त प्लान सूझा और जब बिस्तर वगेरा लगगया तब ललिता ने पूछा "क्या किसी को पेप्सी पीनी है?" सबने हां करदी और ललिता किचन में चली गयी.

ललिता ने बड़ी चालाकी से चेतन,अल्ताफ़ और मयंक के ग्लास में दो-दो नींद की गोलिया डाल दी और सबको ग्लास पकड़ा दिया और खुद अपने कमरे में चली गयी सोने का नाटक करने.

ललिता चंदर का इंतजार करते करते सो गयी.... फिर काफ़ी घंटे बाद तकरीबन 2:30 बजे रात के ललिता के कमरे

का दरवाज़ा खुला. दरवाज़े की आवाज़ से ललिता की नींद टूट गयी. पूरे कमरे में अंधेरा था और ललिता एक चद्दर

ओढ़ के लेटी हुई थी बिस्तर पे. ललिता चुप चाप चंदर के बिस्तर के पास आने का इंतजार करने लगी. उसने दरवाज़ा

बंद करा और शायद कुण्डी भी लगा दी और दबे पाओ ललिता के बिस्तर तक आया..... बिस्तर के पास आके

ललिता के चेहरे क पास खड़ा हो गया. पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था और वो गद्दे को छुता छुता

ललिता के बालो को छुने लगा. हल्के हल्के वो ललिता के बालो को सहलाने लगा..... ललिता अभी भी चुप चाप लेटी

हुई थी शायद उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें..... फिर उसने अपने हाथ से ललिता के हाथ को हल्के से छुआ. उसको लग रहा था कि ललिता सच्ची में गहरी नींद में सो रही है. जब उसको भरोसा हो गया तो धीरे धीरे

ललिता की पतली चादर को हटाने लगा और हटा के ज़मीन पे फेक दी. उसके सामने ललिता एक ज़िंदा लाश की

तरह बिस्तर पे पड़ी थी.... ललिता अभी भी उसी टॉप और फ्रॉक में लेटी हुई थी. फिर वो अपना हाथ ललिता की चिकनी

टाँगो पे ले गया... अपना हाथ उनपे फेरता फेरता हुया घुटनो तक ले गया. ललिता इंतजार कर रही थी कि शाम की तरह

वो उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डालेगा मगर वो उनको ललिता के पेट की तरफ ले गया और फिर सीधा अपने दोनो हाथो

को ललिता के स्तनो पे रख दिया. हल्के हल्के वो मम्मो को दबाने लगा जोकि अभी टॉप और ब्रा में क़ैद थे.

ललिता के मोटे मोटे मम्मो को च्छुकर उसका लोड्‍ा जागने लगा था.... उसने अपनी एक उंगली ललिता के होंठो पे रखी और

उनके अंदर घुसा कर ललिता के दांतो पे चलाने लग गया जैसे कि ब्रश कर रहा हो.... अब उसने अपना चेहरा

झुकाया और ललिता के होंठो को चूमने लगा. अपनी ज़ुबान को वो ललिता के मुँह में घुसाने लगा और ललिता

ने भी उसे उसकी चाह पूरी करने दी. उसके हाथ अभी भी ललिता के मम्मे को दबा रहें थे.

अब वो और नहीं रुक सकता था.. उसने अपने हाथो को बढ़ाया और ललिता के गुलाबी टॉप के अंदर घुसा दिया.

ललिता के कोमल पेट के उपर अपना हाथ फेरते हुए उसके मुँह में पानी आ गया और ऐसा ही हाल ललिता का भी था.

उसने टॉप को दोनो तरफ से पकड़ा और एक ही झटके में उतार दिया. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर एक बार फिर दंग रह गयी.

ललिता इंतजार कर रही थी कि अब ये ब्रा के हुक्स को कैसे खोलेगा मगर उसने हुक खोलने में समय बर्बाद

नहीं करा और ललिता की ब्रा को आगे की तरफ से फाड़ दिया. बड़ी बेदर्दी वो ललिता के स्तनो को मसल्ने लगा और फिर

दूसरे ही पल उसने अपनी शर्ट उतारी और ललिता के बदन से लिपटने लग गया. अपनी उंगलिओ से ललिता के चूची को दबाने लगा. ललिता की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी अब. ललिता के अंगो को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा और साथ साथ उसके चूचियो को मसल्ने लगा.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:07

"और ज़ोर से दबाओ चंदर और ज़ोर से" ललिता ने बड़ी उत्सुकता से ये कह दिया. ये सुनके उसके हाथ वही रुक गये....

ललिता ने अपने हाथो से उसके हाथो को पकड़ा और मम्मो को दबाना शुरू करा.... उसको जैसे कि पूरी आज़ादी मिल

गयी हो और अब वो ज़ोरो से चूचियो को दबाने लगा. ललिता से भी अब ये सती सावित्री नही बना जा रहा था और वो

उठ कर बिस्तर पे बैठी और उसको चूमने लगी. दोनो की ज़ुबान पैच लगाने लगी थी. ललिता ने उसके ट्राउज़र और

कच्छे को नीचे कर दिया और उसका लंड अपने हाथ में ले लिया. इस बारी ललिता को लंड ज़्यादा मोटा लगा और वो

खुशी खुशी उसको चूसने लगी. हल्की हल्की आ उसके मुँह से निकलने लगी. ललिता ने उसको बिस्तर पे लिटा दिया और उसकी टाँगो पे चढ़ कर लंड को चूसने लगी. ललिता की उंगलिया उसके आंडो को से खेलने लगी और वो ललिता के स्तनो

को फिरसे दबाने लगा जोकि एक फल की तरह लटक रहे थे. ललिता फिर उसके उपर से हट गयी और धीरे से कहा

"अब मेरी बारी है." उसने फिर "ह्म्म" कहा और ललिता को अपनी गोद में लेके बिस्तर पे लिटा दिया. धीरे धीरे उसने

ललिता की फ्रॉक उतार दी और फिर उसकी पैंटी. ललिता अपने बिस्तर पे नंगी पड़ी हुई थी अपने भाई के दोस्त के साथ.

उसने दोनो हाथो से ललिता को टाँगो को पकड़के चौड़ा कर दिया.... अब वो अपनी ज़ुबान से ललिता की गीली चूत को वो

चाटने लगा. चाटना फिर चूसने में बदल गया. ललिता के मुँह से हल्की हल्की सिसकिया आने लगी जिसे सुनके वो और

उत्साहित होकर ललिता की फुद्दि से खेलने लगा. ललिता का बदन टूटने लगा था. जैसे कि आप जानते है कि ललिता

किसीसे भी चुदि नहीं थी मगर अब वो इतनी गरम हो गयी थी कि उसने सिसकियाँ लेते हुए कहा

"चंदर मैं चुद्ना चाहती हूँ... क्या तुम मुझे अभी इसी वक़्त चोदोगे" ये सुनके उसका लंड और भी ज़्यादा सख़्त हो गया था.

उसने ललिता की टाँगें अपने कंधे पे रखी और अपने हाथ उसकी जाँघो पे. उसने दिखावा करा कि वो अपने लंड पे टोपी

लगा रहा है और फिर हल्के से अपने लंड को ललिता की गीली चूत में डालने लगा. ललिता ने अपनी आँखें बंद करली थी

क्यूंकी उसको पता था कि काफ़ी दर्द होगा. उसने अपने लंड को अंदर घुसाया और ललिता के मुँह से चीख निकल गयी.

ललिता बोली "चोदो मुझे कोई नहीं उठेगा..मैने सबको नींद की गोली पिला दी थी."

हौले हौले अपने लंड वो अंदर डाले जा रहा था और ललिता की गीली चूत उसकी मदद कर रही थी.

अब वो अपने बदन को हिलाने लग गया. उसके अंडे ललिता की गान्ड से टक्कर खा रहें थे. अब वो अपनी रफ़्तार

बढ़ाने लग गया. दर्द के मारे ललिता की जान निकली जा रही थी. फिर वो धीरे होने लगा और बिस्तर पे लेट गया..

ललिता को पकड़ के कहा "अब तुम कूदो लंड पे" ललिता उसके बदन पे चढ़ि और अपने हाथ से उसके लंड को

अपनी चूत में डालने लगी. अब वो रफ़्तार पकड़ ने लगी. उसके हाथ में ललिता के मम्मे थे और वो बड़ा मज़े

में उनके दबा रहा था. ललिता का दर्द भी अब मज़े में बदल गया था.ललिता के नाख़ून उसकी छाती पर

गढ़े हुए थे..... अपने जिस्म को अब वो उसके लंड पे घुमाने लगी थी. पूरे कमरे में सिसकीओ की आवाज़ भर गयी थी.

दोनो को कुच्छ होश नहीं था और ललिता होश में तब आई जब उसे उसकी चूत में से खून आने लगा.... ललिता वहाँ से जाना चाहती थी मगर उसने ललिता के हाथो को जाकड़ लिया और अपना लंड ललिता की चूत में मारने लगा.... ललिता की चूत में बहुत भयंकर दर्द होने लगा.... फिर ललिता को राहत मिली जब उसने अपना सारा पानी ललिता की चूत में डाल दिया..... जैसी ही उसके हाथो को आज़ादी मिली वो सीधा टाय्लेट की ओर भाग गयी..... खून काफ़ी गिरने लगा था. ललिता किसी तरह तौलिए से उसे रोकने लगी.... . काफ़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो कमरे में कोई नहीं था. वो कमरे के बाहर गयी तो उसने देखा कि सब सो रहे थे. ललिता ने अपने कपड़े बदले और कुच्छ देर बाद सो गयी.

ललिता की सुबह आँख खुली तो उसके बदन में बेहद दर्द हो रहा था... वो बिस्तर के सहारे उठ कर बैठी

और कल रात के बारे में सोचने लगी.... चंदर ने उसकी जान ही लेली थी कल ये सोचके वो अपनी चूत की

तरफ जो दर्द हो रहा था उसको महसूस करने लगी..... उसने जब देखा की कितने खून के धब्बे है उसके बिस्तर

पे तो उसका दर्द और बढ़ गया... उसने कमरे का दरवाज़ा धीरे से खुलते देखा तो उसके सामने

उसकी मम्मी शन्नो खड़ी थी.... ललिता ने एकदम से बिस्तर को रज़ाई से ढक दिया ताकि उसकी मम्मी की नज़र उस

खून से लत्पथ बेडशीट पे ना पड़े.....ललिता ने अपना दर्द उसके सामने ज़ाहिर नही होने दिया और

वो उठ कर अपने कमरे के बाहर गयी.... उसे बाहर कोई नही दिखा फिर वो अपने भाई के कमरे में जाने लगी तो

शन्नो ने बोला "ललिता चेतन चले गया है और शाम को ही आएगा...". ललिता को समझ आ ही गया

था कि बाकी सब भी वापस अपने घर चले गये है. ललिता को काफ़ी गुस्सा आया चंदर पे कि

वो उसे बिना मिले चले गया और उसने ठान ली कि वो आज के बाद उसके चेहरे पे थूकेगी भी नहीं.

उस दिन घर पे फोन पर कयि सारे कॉल आए मगर किसी ने भी एक बारी भी कुच्छ नहीं कहा....

केयी बारी फोन ललिता ने उठाया और जब वो परेशान हो गयी तो शन्नो ने फोन उठाकर उस कॉल करने

वाले को एक अच्छी सी झाड़ लगा दी जिसके बाद वो कॉल आना बंद हो गयी.... ललिता को लगा कि उसको भी अपनी

मम्मी की तरह सख्ती से पेश आना चाहिए और मज़बूत बनना चाहिए....

Post Reply