पेइंग गेस्ट compleet

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007
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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:17


लड़कियां अब इतनी गरम हो गई थीं कि मान ही नहीं रही थी. सीमा तो गुस्से में पैर पटक पटक कर रोने लगी. मैने बीच बचाव करते हुए कहा “भाभी, बड़ी तड़प रही हैं दोनों, ऐसे करते हैं कि मैं इन दोनों की जल्दी जल्दी चूत चूस देता हूं. ये भी झड़ जायेंगी और मुझे भी इन नन्ही कलियों का रस पीने मिल जायेगा.
भाभी ने हां कर दी. छोटी सीमा ज्यादा मस्ती में थी इसलिये मैने उससे शुरू किया. सीमा को चूमता हुआ मैं एक कुर्सी तक ले गया और उस पर बिठा कर बोला “सीमा बेटी, कपड़े निकालने का समय नहीं है, बस अपनी चड्डी उतार दो और आराम से पैर फ़ैला कर बैठ जाओ.” सीमा ने तपाक से अपनी स्कर्ट ऊपर की और चड्डी उतार दी. अपने पैर फ़ैला कर अपनी ही बुर को उंगली से सहलाते हुए वह बोली “हाय अनिल अंकल, रहा नहीं जाता, जल्दी मेरी बुर चूसिये ना प्लीज़”
मैने उसके सामने बैठ कर उसकी चिकनी जांघों में सिर घुसाया तो उस कमसिन बुर का नजारा देख कर मुंह में पानी भर आया. बड़ी छोटी छोटी रेशमी झांटें थीं और बुर की लाल लकीर बिलकुल गीली थी. मैने उंगलियों से बुर फ़ैलायी और उस जरा से नन्हे छेद पर मुंह जमा कर चूसने लगा. बड़ा मस्त मीठा रस था सीमा की बुर में. समय न होने से मैने ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की और सीधा अपनी जीभ से उस कोमल गुप्तांग को चाटता हुआ मैं कस के उस बच्ची की बुर चूसने लगा.
सीमा तो मानों पागल हो गयी. अपनी जांघें खोलने और बन्द करने लगी और मेरे सिर को पकड़कर धक्के मारते हुए वह सीत्कारने लगी. “ऊ ऽ मां ऽ, मर गयी मैं, कितना अच्छा लग रहा है, हाय अंकल चूसिये ना, और कस के चूसिये, मां ऽ ऽ, अंकल कैसा कर रहे हैं, मैं खुशी से मर जाऊंगी, उई मां ऽ ऽ मैं गयी ऽ ऽ” और वह किशोरी एकदम से झड़ गयी. सिसक सिसक कर वह अपनी बुर मेरे मुंह पर रगड़ती रही और मैने मन भर कर उस कुंवारी चूत का पानी पिया. आखिर जब वह लस्त हो गयी तब मैंने उसे छोड़ा और पीछे हट कर फ़र्श पर अपने होंठ चाटते हुए बैठ गया.

“चलो मीनल, अब तुंहारी बारी है.” भाभी ने आकर हाथ पकड़कर सीमा को उठाया जो जाकर हांफ़ते हुए पलन्ग पर लेट गयी और अपनी दीदी की बुर चूसने का तमाशा देखने लगी. मीनल चुप थी पर उसकी सांस जोर जोर से चल रही थी. अपनी जांघें वह कस कर एक दूसरे से रगड़ रही थी. मैं समझ गया कि लड़की झड़ने के करीब है. “भाभी, मीनल की चड्डी उतारिये और उसे यहां लाइये.” भाभी ने प्यार से उसे डांटा “अरे पगली, उतारती है अपनी चड्डी खुद या मै आऊं?” लज्जा से लाल अपने मुंह को झुका कर मीनल ने धीरे से अपनी सलवार नीचे की और चड्डी उतारी. फ़िर सलवार को अपने घुटनों में ही फ़ंसाये हुए वह चुपचाप आकर कुर्सी पर बैठ गयी.
मैं उसकी चूत पर टूट पड़ा. मीनल की चूत सीमा के बिलकुल विपरीत थी. खूब घनी काली झांटें थीं और सांवली जांघों पर और पिम्डलियों पर भी काफ़ी बाल थे. मैने झांटें बाजू में कीं तो उसके सांवले पपोटों के बीच गुलाबी बुर दिखी जिसमें से चिपचिपा घी जैसा पानी चू रहा था. महक बड़ी मतवाली थी. मैने देर न करते हुए अपने होंठ उस गरमागरम बुर पर जमाये और चूसने लगा. रस थोड़ा कसैला और खारा था पर बड़ा ही मादक था. मैने जीभ से रगड रगड़ कर बुर चूसना शुरू कर दिया.
मेरा अंदाजा ठीक निकला. मीनल अपनी छोटी बहन सीमा की चूत चुसती देख कर इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि एक मिनट भी न ठहर सकी और एक हल्की चीख के साथ ढेर हो गयी. बुर से मानो रस का फ़ुहारा छूट पड़ा और मैं उसे पीने में जुट गया. उधर अति आनन्द से मीनल रो पड़ी और भाभी ने आकर अपनी लाड़ली बेटी को बांहों में भर लिया और चूम चूम कर उसे सांत्वना देने लगीं. “बहुत अच्छा लगा ना बेटी? अब तो अनिल अंकल हम तीनों को ऐसा ही मजा देंगे.”
सीमा फ़िर चुसवाने की जिद करने लगी पर अब भाभी ने एक ना सुनी और उन्हें जाकर रात की तैयारी करने को कहा. भाभी की बात बड़ी मुश्किल से उन दोनों लड़कियों ने मानी, फ़िर हमें एक चुम्बन दे कर दोनों खुशी से अपने कमरे में भाग गयीं. भाभी ने पीछे से आवाज दे कर कहा. “नंगी नहीं चली आना, अच्छे कपड़े पहनकर आना, अनिल अंकल को भी तो तुंहारे कपड़े धीरे धीरे निकालने का मौका मिले. वो नई वाली ब्रेसियर और पैंटी पहन लेना बेटी”
रात का इम्तजार सबको था. जल्दी जल्दी खाना खाकर मां बेटियां तैयार होने को चले गये और सुधा भाभी ने मुझ से कहा कि आधे घम्टे में आऊम. मैने समझाया कि ज्यादा नटने की जरूरत नहीं है क्योंकि कपड़े तो उतारे ही जाने वाले हैं पर लड़कियों ने एक न मानी. मैं नहाकर सिर्फ़ जांघिया पहना हुआ जांघिये के इलास्टिक में हाथ डाल कर अपने खड़े लन्ड को सहलाता हुआ इम्तजार करने लगा. आधे घम्टे बाद मैं बड़े कमरे में दाखिल हुआ.

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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:17


भाभी और उनकी दोनों कमसिन बेटियां सज धज कर मेरा इम्तजार कर रही थीं. मैं उन्हें देखता ही रह गया. भाभी ने काली साड़ी और काला ब्लाउज. पहना था. उनके गोरे अंग पर वह बड़ा फ़ब रहा था. काली पतली चोली में से सफ़ेद ब्रेसियर की झलक दिख रही थी. मीनल ने भी हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और चोली पहनी थी. सादे रूप की वह जवान लड़की आज बड़ी आकर्षक लग रही थी. उसने गाढे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी जो उसके सांवले होंठों पर जामुनी दिख रही थी. मेकप से उसने अपने चेहरे के खुरदरे भाग को छिपाने की काफ़ी कोशिश की थी और बड़ी प्यारी लग रही थी. छोटी सीमा तो एक लाल मिनिस्कर्ट में थी. उसकी कमसिन चिकनी टांगें गजब ढा रही थीं.
मैने उन्हें बारी बारी से प्यार से चूमा. इतना मीठा चुम्बन मुझे शायद ही पहले कभी मिला हो. तीनों जोश में थीं और थोड़ा शरमा भी रही थीं. मेरे नंगे गठे बदन को और जांघिये में उठे तम्बू को वे ललचा कर देख रही थीं. “अंकल, चड्डी उतार के लन्ड दिखाइये ना.” छोटी ने फ़रमाइश की. मैने कहा “लन्ड अब काम के समय ही निकलेगा, तब तक वह और मस्त होकर मोटा होता जायेगा जिससे तीन चूतों को खुश कर सके.” फ़िर मैने भाभी से कहा “चलिये भाभी, अब कपड़े निकालने का समय आ गया है, पर ब्रेसियर और चड्डी अभी रहने देते हैं क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लिपटी अर्धनग्न औरत जैसी मतवाली चीज़ और कोई नहीं है.”
लड़कियों का हौसला बढाने के लिये पहले मैने उनकी मां को नंगा करना शुरू किया. भाभी को बांहों में लेकर चूमता हुआ मैं उनके कपड़े उतारने लगा. जल्दी ही भाभी सिर्फ़ अपने सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में मेरे सामने थीं. मैने उनकी चूचियां ब्रा के ऊपर से ही दबायीं और तब तक दबाता रहा जब तक मस्ती से उनके मुंह से एक आह न निकल गयी.
फ़िर मैं मीनल की ओर मुड़ा. वह बेहद शरमा रही थी. उसे मैने खूब चूमा और बांहों में उसके छरहरे शरीर को भींच लिया. साड़ी और चोली निकालने के बाद मैने उसे हाथ भर दूर किया और उसका रूप देखने लगा. दुबली पतली सांवली काया एकदम सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. छोटे पर कड़े तन्ना कर खड़े उरोज ब्रा के कपोम में दो नुकीले शम्कु बन गये थे. “मीनल रनी, तुझे तो चबा चबा कर खा जाने को जी करता है” मैने कहा तो वह आनन्द और लाज से बगलेम झांकने लगी.
अम्त में मैं नन्ही सीमा के पास आया. सीधा उसका स्कर्ट उठा कर मैने उसकी छोटी सफ़ेद पैंटी को देखा. उसकी कमसिन बुर चड्डी में से ही फ़ूली फ़ूली और बड़ी रसीली लग रही थी. सीमा बिल्कुल नहीं शरमायी बल्कि खुद ही अधीर हो कर उसने अपने हाथ उठा दिये जिससे मैं उसका स्कर्ट खींच कर आसानी से सिर में से निकाल सकूम.
उसे अधनंगा करके मैं उसकी कच्ची जवानी को भूखी नजरों से देखता रहा और फ़िर उसे जोर से चूमकर भाभी को बोला. “ये बच्ची सबसे चुदक्कड़ है भाभी, आपका खूब नाम रोशन करेगी” एक सफ़ेद लेस की ब्रेसियर में कसे सीमा के उरोज अभी छोटे थे पर फ़िर भी मीनल से बड़े थे. “भाभी, इस उम्र में ऐसी चूचियां हैं सीमा की, बड़ी होने तक तो मस्त मोटे पपीते हो जायेंगे आप से भी बड़े”
सीमा को बाहों में भर कर चूमते हुए मैने भाभी से कहा. “भाभी, अब जोड़ियां बनाकर आधा घम्टे तक सिर्फ़ अपने साथी को गोद में बिठा कर प्यार करेंगे. देखिये क्या मजा आयेगा इन जवान कलियों को बांहों में भरकर, उनके मीठे मुखरस का पान करके और उनके कसे जवान शरीर को मसल कर. आप मीनल को गोद में लेकर उस कुर्सी मैं बैठ जाइये और मैं सीमा को यहां खिलाता हूं.”

सीमा को गोद में लेकर मैं बैठ गया और उसे लन्ड पर बिठा लिया. सामने आइने में उस कमसिन गुड़िया का ब्रेसियर और पैंटी में कसा मादक शरीर मेरी बाहों में देखकर मेरा लन्ड और खड़ा हो गया और सीमा को आराम से साइकिल के डम्डे जैसा संहालता हुआ ऊपर नीचे होने लगा. सीमा ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपना गुलाब जैसा मुंह आधा खोलकर मेरी तरफ़ बढा दिया जैसे कि कह रही हो कि लीजिये अंकल, चूमिये इस रसीली चीज़ को.
मैं उस कोमल मुंह को अपने होठों में दबाकर मिठाई जैसा चूसने लगा. अपने हाथों में मैने ब्रेसियर के कपोम में ढके हुए उन कमसिन उरोजोम को पकड़ा और दबाते हुए मसल मसल कर उनका मजा मेने लगा. ऐसा लग रहा था कि अभी सीमा को पकड़ कर उसे पटक कर उसपर चढ जाऊम और चोद डालूम या गांड मार लूम. पर यही स्वर्गिक सुख तो मुझे घम्टे भर भोगना था इसलिये सीमा को बेतहाशा चूमता हुआ और बाहों में मसलता हुआ उसकी कमसिन जवानी का मजा मैं लेने लगा.
उधर भाभी की और देखा तो एक और स्वर्गिक द्रुश्य दिखा. अर्धनग्न भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने हुए कुर्सी पर बैठी थी और अपनी लाड़ली बेटी मीनल को गोद में बिठा कर उसके बड़े प्यार से चुम्बन ले रही थी. मीनल का सांवला छरहरा शरीर कस कर बांधी हुई ब्रेसियर में और सफ़ेद टाइट पैंटी में बड़ा मोहक लग रहा था. मीनल अभी भी शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर एक मादक प्यास झलक रही थी. कुछ ही देर में उसने अपनी बांहें अपनी मां के गले में डाल दीं और चुम्बनों का प्रतिसाद देने लगी.
मैने भाभी को कहा. “क्यों भाभी, मजा आ रहा है ना अपनी बेटी की जवानी का स्वाद लेते हुए? अब ऐसा कीजिये कि अपनी जीभ मीनल को चूसने दीजिये और खुद उसकी रसीली जीभ चूसिये. और जरा देखिये उस जवान लड़की के कसे मम्मे कैसे मस्त तने हैं उस ब्रेसियर में भिच कर. और चूचुक भी खड़े हो गये हैं. जरा इन कपों को प्यार से मसलिये, धीरे नहीं, जोर लगा कर जैसे आप आटा गूंधती हैं, देखिये कैसे हुमकती है यह चिड़िया.”
भाभी ने अब अपनी बेटी की चूचियां दबाते हुए उसके मुंह का चुम्बन लेते हुए उसका पूरा भोग करना शुरू कर दिया. मीनल अपने बन्द मुंह से सिसकने लगी. उसे यह मस्ती सहन नहीं हो रही थी. जब वह अपनी जांघें रगड़ने लगी तो भाभी ने बड़े वात्सल्य से एक हाथ उसकी चूची पर से हटाया और चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर रगड़ने लगी. भाभी ने उसे इतना मस्त रगड़ा कि हल्की दबी चीख के साथ मीनल झड़ गई और अपनी मां को चूमती हुई उससे बुरी तरह चिपट गयी.

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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:19


“शाबास भाभी” मैने उनकी दाद दी. “खूब मुठ्ठ मारिये अपनी बेटी की क्योंकि इतनी मेहनत के बाद इनकी बुर से रस निकाला है, अब यह रस बन्द नहीं होना चाहिये. यह रिसता अंऋत भी हमें ही चखना है. बड़ी बेटी का रस निकालना तो अपने शुरू कर दिया, अब मै इस छोटी बच्ची की चूत को मस्त करता हूं”

और मैने अपने हाथों में लेकर उस मांसल फ़ूली बुर को चड्डी के ऊपर से ही मसलना और उंगली से उसकी चीर रगड़ना शुरू कर दिया. सीमा मस्ती से हुमकी तो मैने उसकी जीभ अपने मुंह में खींच ली और फ़िर हाथ उसकी पैंटी की इलास्टिक में से अन्दर डाल उंगली से उसकी मुठ्ठ मारने लगा. बड़ी मुलायम गीली बुर थी और जरा सा मक्के के दाने जैसा कड़ा चिकना क्लिटोरिस भी मेरी फ़िरती उंगली को महसूस हो रहा था.
मैने उस हीरे को मस्त हौले हौले सहलाया तो मचल मचल कर सीमा मेरी गोद में उछलने लगी और हाथ पैर पटकने लगी. मैने उसे जकड़े रखा और उसका मुंह चूसता रहा. मैं तब तक सीमा की बुर मसलता रहा जब तक वह किशोरी भी मेरी बांहों में ढेर न हो गयी. मुंह मेरे होंठों में दबा होने से वह एक जरा सी चीं के अलावा कोई आवाज भी नहीं निकाल पायी.
मैने भाभी से कहा “चलिये भाभी, दोनों चूतें अब रस छोड़ने के लिये तैयार हैं, इनकी चड्डी निकाल कर एक बार और झड़ाते हैं और फ़िर हमारे लिये इस रस का खजाना तैयार है. आप भी चूसिये और मैं भी पीता हूं. कुछ देर बाद चूतें बदल कर चूस लेंगे.”
गरमायी हुई भाभी ने तत्काल मीनल की चड्डी खींच कर निकाल दी. आंखें भर के वे अपनी बेटी की नंगी चूत को देखती रहीं और फ़िर सीधा अपनी उंगली उसकी बुर की गहरी लकीर में चलाती हुए उसे उंगली से चोदने लगीं. “अनिल, तूने बिलकुल सही कहा था. मां बेटी की रतिक्रीड़ा से बढ कर मादक और कुछ नहीं हो सकता.” मीनल अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर कसमसा रही थी. “मां, बहुत अच्छा लगता है. और करो ना मां.”
मैं भी अब सीमा की चड्डी उतार चुका था. उस कोमल फ़ूली हुई कुंवारी मासूम बुर को जब मैने पास से देखा तो दीवाना हो गया. बुर पर बस छोटे छोटे रेशमी बाल थे और गहरी लकीर में से मानों शहद चू रहा था. मैने उस लकीर में उंगली डाल दी और उस चिपचिपे छेद को प्यार से रगड़ कर उसमें से और रस निकालने लगा.
“हा ऽ य ऽ अनिल अंकल, आप कितना अच्छा करते हैं, इतना मजा तो मुझे खुद करने में भी नहीं आता है.” “तो हमारी प्यारी गुड़िया रोज अपनी ही उंगली से हस्तमैथुन करती है, शाब्बास, बड़ी हो गयी है अब, बच्ची नहीं रही.” मैने कहा.
अपने चूतड़ उचका कर मेरी उंगली का दबाव बढाने की भरसक कोशिश करते हुए सीमा आगे चहकी. “हां अंकल, दीदी भी तो रोज मुट्ठ मारती है, मेरे पास वाले पलन्ग पर सोती है ना, मुझे सब सुनाई देता है.”

उंगली पर लगा रस मैने चख कर देखा तो मजा आ गया. अब मुझसे न रहा गया. उठ कर सीमा को मैने कुर्सी में बिठाया और खुद उसके सांअने उसकी टांगों को फ़ैला कर उनके बीच में बैठ गया. फ़िर सीधा की बुर पर मुंह जमा कर चूसने लगा. उस कुम्वारे रस की बात ही और थी. पूरा गाढा मेवा था. सीमा भी चहक चहक कर मेरे सिर को पकड़कर आगे पीछे होती हुई मेरे मुंह को ही चोदने लगी. “दीदी, इतना मजा आ रहा है बुर चुसवाने मेम, तू भी मां से चुसवा ले, मम्मी, दीदी की बुर चूसो ना जैसे अंकल मेरी चूस रहे हैं.”
भाभी ने उठकर मीनल को कुर्सी में बिठाया और उसकी सांवली टांगेम फ़ैलाकर मीनल की चूत चूसने लगी. भाभी के चूसने की आवाज ऐसी आ रही थी जैसे कोई आंअ चूस रहा हो. मीनल अपने सिर को इधर उधर हिलाते हुए छटपटाने लगी, उसे यह कांअसुख सहन नहीं हो रहा था. “उई ऽ मां, ओ ऽ मां ऽ” के सिवाय वह कुछ नहीं कह पा रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों ने भरपूर अपने अपने शिकार को भोगा और मन लगा कर रसपान किया. सीमा जब चुसवा चुसवा कर लस्त हो गयी और चिल्लाने लगी “बस अंकल, अब छोड़िये, अब नहीं सहन होता” तब उठ कर मैं भाभी के पास गया और उन्हें भी उठाया. भाभी अपनी बड़ी बेटी की बुर चूसने में इतनी मस्त थीं कि मुझे उन्हें जबरदस्ती उठाना पड़ा. मीनल भी अभी तक मस्त थी और कई बार झड़ने के बावजूद अभी भी चुसवाने को तैयार थी. “मां, और चूसो ना, अभी मत जाओ” वह याचना करने लगी.
मैने उसकी काली चिकनी दुबली पतली टांगों के बीच स्थान लेते हुए कहा. “मीनल रानी, तड़पो मत, मैं हूं ना, देख ऐसा चूसता हूं कि सारा रस निचोड़ लूंगा तेरी गीली बुर से” और मैं अब मीनल की रसीली बुर चूसने लगा. नया स्वाद, नई छोकरी, नई बुर, मजे का क्या कहना. मैने सीधे अपनी जीभ मीनल की सकरी कुम्वारी चूत में घुसेड़ी और चोदते हुए चूसने लगा. मीनल ने आवेश में आकर अपनी छरहरी टांगेम मेरे सिर के इर्द गिर्द कस लीं और एक चीख के साथ ढेर हो गयी. ” आ ऽ ई ऽ मां ऽ, मर गयी मैम” मैं उसके सिसकने की परवाह न करके चूसता रहा.
उधर भाभी ने जाकर पहले अपनी छोटी बेटी का प्यार से चुम्बन लिया और उसके कमसिन स्तन मसलने लगी. सीमा खुश थी “हाय मां, अंकल ने इतना चूसा कि सारा रस निकाल दिया, लगता है कि अब चूत में जान ही नहीं है.”
भाभी ने उसकी जांघों के बीच बैठते हुए कहा “ऐसा नहीं कहते बेटी, अभी तो तेरी मां ने तेरा एक बूम्द रस भी नहीं पिया, अभी से तू ढेर हो गयी? अभी तो मुझे अपनी बुर का रस पिलाना है तुझे” और वह सीमा की बुर धीरे धीरे चाटने लगी. जब जब उसकी जीभ उस कमसिन कली के क्लिटोरिस पर से गुजरती, सीमा चिहुक जाती “मम्मी, मत करो ना, रहा नहीं जाता” पर भाभी ने एक न सुनी और चाटती रही. धीरे धीरे सीमा फ़िर गरमायी और हचक हचक कर अपनी मां के मुंह पर धक्के मारने लगी. भाभी ने समझ लिया कि लड़की फ़िर गरमा गयी है और अपना मुंह लगा कर सीमा की बुर का रस पान चालू कर दिया.
आधे घम्टे बाद दोनों लड़कियां लस्त होकर कराहती हुई कुर्सी में टिक कर चुपचाप पड़ी थीं. मैने और भाभी ने चूस चूस कर उनकी जवान बुरेम खाली कर दी थीं. वे करीब करीब बेहोश हो गयी थीं और पड़ी पड़ी सिसक रही थीं. उनके चेहरे पर तृप्ति के इतने सुखद भाव थे जैसे स्वर्ग पहुम्च गयी होम. मैं और भाभी उठ खड़े हुए. हम भी अब पूरी तरह से कांआतुर थे. इतनी देर दो जवान छोकरियों को बिना खुद स्खलित हुए भोगने के बाद हमारी वासना का अम्त ही नहीं था. भाभी तो कांअज्वर से ऐसे तड़प रही थीं जैसे पानी से निकाली मछली.
मैने भाभी को बाहों में लेकर चूमा और उनकी जांघों के बीच हाथ लगाकर टटोला. चड्डी बिल्कुल गीली थी और भाभी की बुर बुरी तरह से चू रही थी. भाभी ने एक मूक प्रार्थना भरी दृष्टि से मेरी ओर देखा. मैं समझ गया “आइये भाभी, आपकी चुदासी की प्यास दूर कर देता हूं और अपनी रस की प्यास भी बुझा लेता हूं”.

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