हिन्दी में मस्त कहानियाँ

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rajaarkey
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:36


इतनी बात होते होते हम तीनो उत्तेजित होते चले थे. माधवी बार बार अपनी निकर ठीक करने के बहाने अपनी भोस खुजला लेती थी. परेश के टॅटर लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया था.

मेने आगे कहा : जब चोदने का दिल होता है तब आदमी का लॉडा तन कर लंबा, मोटा और कड़ा हो जाता है. लड़की की भोस गीली हो जाती है. आदमी अपना कड़ा लॉडा जिसे लंड भी कहते हेँ उसे लड़की की चूत में डाल कर अंदर बाहर करता है. इसे चोदना कहते हेँ.
माधवी : ऐसा क्यूँ करते हेँ ?
में : ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है और आदमी का वीर्य लड़की की चूत में गिरता है.वीर्य में पुरुष बीज होता है जो लड़की के स्त्री-बीज साथ मिल जाता है और नया बच्चा बन जाता है.
माधवी : भाभी देखो, भैया का ....वो खड़ा हो गया है.
परेश : तुझे क्या ? भाभी, एक बात बताउ ? मेरा तो रोज रात को खड़ा हो जाता है. उस में कुच्छ बुरा तो नहीं ना ?
में : कुच्छ बुरा नहीं. खड़ा भी होता होगा और स्वप्न देख कर वीर्य भी निकलता होगा.
परेश : भाभी, मधु के आगे क्यूँ....?
में : अब उन की बारी है. मधु, तुझे महावरिशुरू हो गयी होगी. नीचे भोस पर बाल उगे हेँ ?
माधवी ने सर हिला कर हा कही.
में : तू उंगली से खेलती हो ना ?
फिर सर हिला कर हा.
में :तूने लंड देखा है कभी ?
शरमा कर नीचे देख कर उस ने ना कही
मेना : परेश, तूने कब्भी चुचियाँ देखी हैं ?
उस ने ना कही.
में : ऐसा करते हेँ, माधवी तू तेरे स्तन दिखा और परेश तू लंड दिखा.
परेश : तू क्या दिखाएगी, भाभी ?
में : में भोस दिखाउन्गि. परेश, पहले तुम.
परेश ने पाजामा खोल कर नीचे सरकाया. लंड के पानी से उस की निक्केर गीली हो गई थी. वो ज़रा खिचकाया तो माधवी ने हाथ लंबा किया. परेश तुरंत हट गया और निक्केर उतार दी.

क्या लंड था उस का ? सात इंच लंबा और दो इंच मोटा होगा. दांडी एक दम सीधी थी. मत्था बड़ा था और टोपी से ढका हुआ था. चिकाने पानी से लंड गीला था. माधवी आश्चर्य से देखती रही. परेश को मेने धकेल कर लेटा दिया और उस के हाथ हटा कर लंड पकड़ लिया. मेरे छूते ही लंड ने ठुमका लगाया. वेल्वेट में लिपटा लोहे का डंडा जैसा उस का लंड था, बड़ा प्यारा हा.

में : माधु, ये लंड की टोपी चढ़ सकती है और मट्ठा खुला किया जा सकता है. देख.
मेने टोपी चड़ाई तो लंड से समेग्मा की बदबू आई. मेने कहा : परेश, नहाते समय उस को सॉफ करते नहीं हो ? ऐसा गंदा लंड से कौन चुड़वाएगी ? जा, सॉफ कर आ. परेश बाथरूम में गया.

में : माधवी, पसंद आया परेश का लंड ? अच्च्छा है ना ?
माधवी : में उसे च्छू सकती हूँ ?
में : क्यूँ नहीं ? लेकिन चुदवा नही सकोगी..
माधवी : क्यूँ नहीं ? मेरे पास भोस जो है ?
में : सही,लेकिन भाई बहन आपस में चुदाई नहीं करते.

इतने में परेश आ गया. ठंडा पानी से धोने से लंड ज़रा नर्म पड़ा था. मेने परेश को फिर लेटा दिया. लंड पकड़ कर टोपी चढ़ा दी. बड़ा मशरूम जैसा चिकना मत्था खुल गया. मेने हलके हाथ से मूठ मारी तो लंड फिर से तन गया. मेने पुचछा : मज़ा आता है ना ?
परेश : खूब मज़ा आता है भाभी, रुकना मत.
में होले होले मूठ मारती रही और बोली : माधवी, कुरती खोल और स्तन दिखा. माधवी खूब शरमाई, पलट कर खड़ी हो गयी. उस ने कुरती के हुक खोल दिए लेकिन खुले कपड़े से स्तन ढके रख सामने हुई. लंड छ्चोड़ मेने माधवी के हाथ हटाए और कुरती उतार दी. उस ने ब्रा पहनी नहीं थी, जवांन स्तन खुले हुए.

उमर के हिसाब से माधवी के स्तन काफ़ी बड़े थे, संपूर्ण गोल और कड़े. पतली नाज़ुक चमड़ी के नीचे खून की नीली नसें दिखाई दे रही थी. एक इंच की अरेवला ज़रा सी उपज आई थी. बीच में किस्मीस के दाने जैसी छोटी सी निपल थी. एग्ज़ाइट्मेंट से उस वक्त निपल कड़ी हो गई थी जिस से स्तन नॉकदार लगता था. स्तन देख कर परेश का लंड ने ठुमका लिया और कुच्छ ज़्यादा तन गया. वो बोला : में च्छू सकता हूँ ?
में : ना, बहन के स्तन भाई नहीं छुता.
परेश : भाभी, तू तो मेरी बहन नहीं हो. तेरे स्तन दिखा और च्छू ने दे.

में भी चाहती थी कि कोई मेरी चुचियाँ दबाए और मसले. मेने चोली उतार दी. वो दोनो देखते ही रह गये. मेरे स्तन भी सुंदर हेँ, लेकिन शादी के बाद ज़रा झुक गये हेँ. मेरी अरेवला बड़ी है पर निपल्स अभी छ्होटी है. मेरी निपल्स बहुत सेन्सिटिव है. गंगाधर उसे छूते है कि मेरी भोस पानी बहाना शुरू कर देती है. चोदते हुए वो जब मुँह में लिए चुसते हेँ तब मुझे झड़ने में देर नहीं लगती.

rajaarkey
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:37


बिना कुच्छ कहे परेश ने स्तन पर हाथ फिराया. तुरंत मेरी निपल कड़ी हो गयी. उस ने हथेली से निपल को रगड़ा. स्तन के नीचे हाथ रख कर उठाया जैसे वजन नापता हो. मेरे बदन में झुरझुरी फैल गयी. उस के हाथ पर हाथ रख कर मेने मेरे स्तन दबाए. आगे सीखना ना पड़ा, परेश ने बेदर्दी से स्तन मसल डाले. मेरी भोस पानी बहाने लगी.

मेरे दिमाग़ में चुदवाने का ख़याल आया कि किसी ने दरवाजा खिटकहिटाया. फटा फट कपड़े पहन कर उन दोनो को सुला दिया और मेने जा कर दरवाजा खोला. सामने खड़े थे गंगाधर.
में : आप ? अभी कैसे आ सके ?
गंगा : एक गाड़ी आ रही थी, जगह मिल गयी.
में : अच्च्छा हुआ, चलिए, खाना खा लीजिए.

मुझे आगोश में लेते हुए वो बोले : खाना बाद में खाएँगे पहले ज़रा प्यार कर लें. में कुच्छ बोलूं इस से पहले उन्हों ने मेरे होटो से होट चिपका दिए. कपड़े उतारे बिना मुझे पलंग पर पटक दिया. किस करते करते घाघारी उपर उठाई और निकर खींच उतारी. में उन को कभी चुदाई की ना नहीं कहती हूँ. मेने जांघें पसारी और वो उपर आ गये. उन का लंड खड़ा ही था. घच्छ से चूत में घुसेड दिया. मुझे बोलने का मौका ही ना दिया, घचा घच्छ, घचा घच्छ ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे. पंद्रह बीस धक्के बाद वो धीरे पड़े और लंबे और गहरे धकके से चोदने लगे. स..र..र..र..र्ररर लंड अंदर, स...र...र...र.. बाहर. थोड़ी देर चुदाई का मज़ा ले कर में बोली : घर में मेहमान हेँ.
चुदाई रुक गई. वो बोले : मेहमान ? कौन मेहमान ?

मेने परेश और माधवी के बारे में बताया और कहा : वो शायद जागते होंगे.

घबडा कर गंगा उतर ने लगे. मेने रोक दिया : उन दोनो को चुदाई दिखानी ज़रूरी है. में उन को बुला लेती हूँ.
गंगा : अरे, वो तो अभी बच्चें हें, चाचा, चाची क्या कहेंगे ?
में : तुम फिकर ना करो. दो दिन पहले चाची ने मुझ से कहा था कि उन दोनो को चुदाई के बारे में शिक्षा दूं.
गंगा : क्यूँ ?
में : बात ऐसी हुई कि चाची के मायके में एक नयी दुल्हन को उस के पति ने पहली रात ऐसे चोदा कि उस की चूत फट गयी. लड़की को हॉस्पिटल ले गये लेकिन बचा ना सके. खून बह जाने से लड़की मर गयी. ये सुन कर चाची घबडा गयी है कि कहीं माधवी को ऐसा ना हो. इस लिए वो चाहती है कि हम उन्हें चुदाई की सही शिक्षा दे. ज़रूरत लगे तो उस की झिल्ली भी तोड़ दे. वैसे भी वो दोनो कुच्छ नहीं जानते.
गंगा : बुला लूँ उन को ?

परेश और माधवी को बुलाने की ज़रूरत ना थी. वो दरवाजे में खड़े थे. गंगा को मेने उतर ने ना दिया. उन का लंड ज़रा नर्म पड़ा था, मेने चूत सिकोड कर दबाया तो फिर कड़ा हो गया. वो चोदने लगे. चुदाई के धक्के खाते खाते मेने कहा : मा..मया...माधवी...त...तुम....ऊओ, सीईइ, तुम और पा...पा...परेश यहाँ..आ...आ...कर, गंगा ज़रा धी..धीरे...उउउइई ...तुम देखो.
वो पलंग के पास आ गये. गंगा हाथों के बल उपर उठे जिस से हमारे पेट के बीच से देखा जा सके कि लंड कैसे चूत में आता जाता है. माधवी खड़े खड़े एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी, दूसरा भोस पर लगा हुआ था. परेश होले होले मूठ मार रहा था.
गंगा मेरे कान में बोले : देखा परेश का लंड ? ऐसा कर, तू उन से चुदवा ले. में माधवी साथ खेलता हूँ.
में ; माधवी को चोदना नहीं.
गंगा : ना, ना. चूत में लंड डाले बिना स्वाद चखाउन्गा.
क्रमशः................



rajaarkey
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:38

एक यादगार और मादक रात--2

गंगा उतरे. उन का आठ इंच लंबा गीला लंड देख माधवी शरमाई. उस ने मुस्कुराते हुए मुँह फेर लिया. परेश का लंड पकड़ कर मेने पूछा : परेश, चोदना है ना ?
बिन बोले वो मेरी जाँघो के बीच आ गया. लंड पकड़ कर धक्के मार ने लगा.
वो इतना जल्दी में था कि लंड भोस पर इधर उधर टकराया लेकिन उसे चूत का मुँह ना मिला. बाहर ही भोस पर झाड़ जाय उस से पहले मेने लंड पकड़ कर चूत पर धर दिया. एक ही धक्के से पूरा लंड चूत में उतर गया. आगे सिखाने की ज़रूरत ना रही/ धना धन, घचा घच्छ धक्के से वो मुझे चोदने लगा.
उधर गंगा माधवी लो गोद में लिए बैठे थे. माधवी ने अपना मुँह उस के सीने में छुपा दिया था. गंगा का एक हाथ स्तन सहला रहा था और दूसरा निक्केर में घुसा हुआ था. बार बार माधवी छटपटा जाती थी और गंगा का निक्केर वाला हाथ पकड़ लेती. मेरे ख़याल से गंगा उस की क्लाइटॉरिस छेड़ रहे थे. इतने में गंगा ने माधवी का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. पहले तो झटके से माधवी ने हाथ हटा लिया लेकिन जब गंगा ने फिर पकड़ाया तब मात्र उंगलियों से च्छुआ, पकड़ा नहीं. गंगा बोले : माधो, मुट्ठी में पकड़, मीठा लगेगा.
कुच्छ आनाकानी के बाद माधवी ने मुट्ठी मे लंड पकड़ लिया. गंगा के दिखाने मुताबिक वो होले होले मूठ मार ने लगी.
माधवी का चाहेरा उठा कर गंगा ने मुँह पर चुंबन किया. में देख सकती थी कि गंगा ने अपनी जीभ से माधवी के होठ चाते औट खोले. मेने परेश को ये नज़ारा दिखाया. अपनी बहन के स्तन पर गंगा का हाथ और बहन के हाथ में गंगा का लंड देख परेश की उत्तेजना बढ़ गयी. घच घच्छ, घचक घच्छ तेज धक्के से चोदने लगा. अचानक में झाड़ गयी.
गंगाधर का कम मुश्किल था लेकिन वो सब्र से काम लेते थे. माधवी अब शरमाये बिना लंड पकड़े मूठ मार रही थी. उस के मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ती थी और नितंब डोलने लगे थे.
इधर तेज रफ़्तार से धक्के दे कर परेश झाड़ा. थोड़ी देर तक वो मुझ पर पड़ा रहा और बाद में उतरा. उस का लंड अभी भी टाइट था. में माधवी के पास गयी. गंगा को हटा कर मेने माधवी को गोद में लिया. में पलंग की धार पर बैठी और मेने माधवी की जांघें चौड़ी पकड़ रखी. उस की गीली गीली भोस खुली हुई.
माधवी सोलह साल की थी लेकिन उस की भोस मेरी भोस जैसी बड़ी थी. उँची मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झाँत थे. बड़े होठ मोटे थे, बड़े संतरे की फाड़ जैसे और एक दूजे से सटे हुए. बीच की दरार चार इंच लंबी होगी. क्लाइटॉरिस एक इंच लंबी और मोटी थी. उस वक्त वो कड़ी हुई थी और बड़े होठ के अगले कोने में से बाहर निकल आई थी. गंगा फर्श पर बैठ गये. दोनो हाथ के अंगूठे से उस ने भोस के बड़े होठ चौड़े किए और भोस खोली. अंदर का कोमल गुलाबी हिस्सा नज़र अंदाज हुआ. छोटे होठ पतले थे लेकिन सूजे हुए थे. चूत का मुँह सिकुदा हुआ था और काम रस से गीला था. गंगा की उंगली जब क्लाइटॉरिस पर लगी तब माधवी कूद पड़ी. मेने पिछे से उस के स्तन थाम लिए और निपल्स मसल डाली. गंगा अब भोस चाटने लगे. भोस के होठ चौड़े पकड़े हुए उसने क्लाइटॉरिस को जीभ से रगड़ा. साथ साथ जा सके इतनी एक उंगली चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगे. माधवी को ऑर्गॅज़म होने में देर ना लगी. उस का सारा बदन अकड़ गया, रोएँ खड़े हो गये, आँखें मिच गई और मुँहसे और चूत से पानी निकल पड़ा. हलकी सी कंपन बदन में फैल गयी. ऑर्गॅज़म बीस सेकेंड चला. माधवी बेहोश सी हो गयी.
मेने उसे पलंग पर सुलाया. थोड़ी देर बाद वो होश में आई . वो बोली : भाभी, क्या हो गया मुझे ?
गंगाधर : बिटिया, जो हुआ इसे अँग्रेज़ी में ऑर्गॅज़म कहते हैं. मज़ा आया कि नहीं ?
माधवी : बहुत मज़ा आया, अभी भी आ रहा है. नीचे पिंकी में फट फट हो रहा है. क्या तुमने मुझे चोदा ?
गंगाधर : ना, चोदा नहीं है, तुम अभी कंवारी ही हो. अब में कुच्छ नहीं सुनना चाहता. तुम दोनो चुप चाप सो जाओ और आराम करो.
परेश : आप क्या करेंगे ?
में : हमारी बाकी रही चुदाई पूरी करेंगे.
परेश : में देखूँगा.ये मुझे सोने नहीं देगा.
परेश ने अपना लंड दिखाया जो वाकई पूरा तन गया था. माधवी लेटिरही और करवट बदल कर हमें देख ने लगी.
में फर्श पर चित लेट गयी. गंगा ने मेरी जंघें इतनी उठाई कि मेरे घुटने मेरे कानों से लग गये. घच्छ सा एक धक्के से उस ने पूरा लंड चूत में घुसेड दिया. हम दोनो काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से वो चोदने लगे. चूत सिकोड कर में लंड को भींचती रही. बीस पचीस भकको के बाद गंगा उतरे और ज़्झट पट मुझे चारो हाथ पाँव के बल कर दिया, घोड़ी की तरह. वो पिछे से चढ़े. जैसे ही उस ने लंड चूत में डाला कि मुझे ऑर्गॅज़म हो गया. वो लेकिन रुके नहीं, धक्के मारते रहे. दस बारह धक्के के बाद मेरी कमर पकड़ कर उस ने लंड को चूत की गहराई में घुसेड दिया और पक्फ, पक्फ पिचकारियाँ लगा कर झाडे. मुझे दूसरा ऑर्गॅज़म हुआ. मेरी योनि उन के वीर्य से छलक गयी. में फर्श पर चपत हो गयी. थोड़ी देर तक हम पड़े रहे, बाद में जा कर सफाई कर आए.
माधवी बैठ गई थी वो बोली : भाभी, परेश ने मेरी पिंकी देख ली पर अपना लंड देखने नहीं देता.
गंगाधर : कोई बात नहीं,बेटा, मेरा देख ले. कैलाश, तू ही दिखा.

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