Hindi Sex Stories By raj sharma

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raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 13:33


आधी से अधिक रात्री बीत चुकी थी. ओरात की साँसे उखाड़'ने लगी थी. तब कोका ने बहुत ही शान्ती के साथ उस'की योनि मैं अप'ना लिंग प्रवेश किया. वह ताबाद तोड़ चुदाई के मूड मैं कतई न था. वह लंड को घूमा फिराकार उस'की चूत के अंदर की हर जगह को छ्छू रहा था, उस'की चूत की हर दीवार का घर्सन कर रहा था. जब भी ओरात अप'नी चूत से लंड को कस के निचोड़ना चाह'ती. कोका लंड बाहर निकाल लेता और आसान बदल लेता. उस रात कोका ने 64 बार आसान बद'ले जो काम सुत्र मैं वर्णित हैं. उस'ने हर आसान से उस'की शान्ती पूर्वक चुदाई की. जेसे ही भोर होने को हुआ वह ओरात पूरी तरह से पस्त हो चुकी थी. अब उस मैं हिल'ने डुल'ने की भी ताक़त नहीं बची थी. बहुत ही धीमी आवाज़ मैं वह कह रही थी,
"हे पंडित मेरी जिंद'गी मैं तुम पह'ले आद'मी हो जिस'ने मुझे पूर्ण रूप से तृप्त किया है. किसी ने भी मेरे साथ इस तरह नहीं किया जेसा तुम'ने किया. और तुम्हारी चुदाई हा'य क्या कह'ना. इत'ने तरीकों से भी किसी ओरात को चोदा जा सक'ता है मैं अभी तक आश्चयचकित हूँ. तुम'ने सच कहा था ओरात को सन्तुश्ट कर'ने के लिए बड़े लंड की दर'कार नहीं बल्कि तरीका आना चाहिए. पंडित मैं तुम'से हार गई हूँ और आज से मैं तुम्हारी दासी हूँ. तुम मेरे मालिक हो और इस दासी पर तुम्हारा पूर्ण अधिकार है."
यह सुन'कर कोका ने उसे नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर आने को कहा.
कुच्छ सम'य बाद कोका और वह कम'रे मैं फिर आम'ने साम'ने थे. कोका ने उसे आप'ने पास बैठाया. उसके पाओं मैं पाजेब पहनाई, हाथों मैं चूरियाँ पहनाई फिर सुंदर सी सारी और अंगिया दी. जब वह अच्छी तरह से वस्त्र पहन आई तब कोका ने अप'ने हाथों से उस'का शृंगार कर'ना प्रारंभ किया. हाथों मैं मेहंदी रचाई, पाँव मैं आल'ता, आँखों मैं काजल और फिर हर अंग के आभुश्ण. फिर कोका ने कहा,
"जो ओरात नंगी रहती है वह एक नंगे छोटे बच्चे के समान है, काम के सुख से सर्वथा अन्भिग्य. तुम नंगी होके सारी दुनिया मैं फिर'ती रही, और तुम्हारे अंदर की नारी समाप्त हो गई. तुम्हारे काम अंगों की सर'सराहट ख़त्म हो गई. अब जो भी तुम्हारी चुदाई कर'ता तुम सन्तुश्ट नहीं होती थी. ओरात वस्त्रा केवल अप'ने अंगों को ढक'ने के लिए नहीं पहन'ती बल्कि अच्छे वस्त्र पहन के बनाव शृंगार कर'के वह अप'नी काम क्षम'ता को बढाती है. इस'से पुरुश उस'की ओर आकर्शित होते हैं. यह बात नारी बहुत अच्छी तरह से समझ'ती है कि वह आकर्शण दे रही है. और इसी मनोस्थिति मैं नारी जब स्वयं आकर्शित होके किसी पुरुश को अप'ना देह सौंप'ती है तभी उसे सच्ची संतुष्टि मिल'ती है."
"आप'ने आज मेरी आँखें खोल दी. पह'ले तो लोग मुझे खिलौना समझ'ते थे. मेरी जेसी अकेली नारी को जिस'ने चाहा जेसे चाहा आप'ने नीचे सुलाया. बात यहाँ तक पाहूंछ गई क़ी मैं स्वयं अप'नी चूत मैं हरदम लंड चाह'ने लगी. जब मैं इस'के लिए आगे बढ़ी तो जो पह'ले जिस काम के लिए मुझे बहलाते फूस'लाते थे वही मुझे देख कर दूर भाग'ने लगे. इस'से मैं विद्रोह'नी हो गई और उस'का चर्म राज'सभा तक पहून्च कर हुआ."
फिर वे दोनों राजसभा मैं पहून्चे. राजा और दर'बारी उसे सजी धजी और लज्जा की प्रतिमूरती बनी देख द्न्ग रह गये. कल की नंगी घूम'ने वाली बेशर्म रन्डी आज एक सभ्रान्त महिला नज़र आ रही थी. तब कोका ने उसे बोल'ने के लिए इशारा किया,
"महाराज मैं अप'नी हार स्वीकार कर'ती हूँ. जिस ब्राह्मण का सब उप'हास उड़ा रहे थे उसी ने मुझे जीवन का सब'से आद'भूत काम सुख दिया है." उस'ने सर पर पल्लू ठीक कर'ते हुए कहा. इस पर राजा ने कोका पंडित को आदर मान देते हुए कहा,
"इस दर'बार की मान मर्यादा बचाने के लिए आप'का बहुत बहुत धन्यवाद. फिर भी मेरी उत्सुक'ता यह जान'ने के लिए बढ़ी जा रही है कि जिसे हट्टे कट्टे राजपूत नहीं कर सके वो आप किस तरह कर पाए."
"राजन यह कार्य मैने अप'ने काम शास्त्रा के ग्यान के आधार पर पूरा किया. पर राजन उन सब'का इस सभा मैं एसे वर्णन कर'ना शिश्टाचार के विरुद्ध होगा."
तब राजा ने एकांत की व्यवस्था कर दी और कोका पंडित ने विस्तार से कई दिनों मैं राजा के सम्मुख उस'का वर्णन किया. तब राजा ने आग्या दी की वह इस'को एक ग्रंथ का रूप दे. तब कोका पंडित अप'ने कार्य मैं जुट गये और परिणाम एक महान ग्रंथ "रतिरहस्य" या "कोक-शास्त्र" के रूप मैं दुनिया के समक्ष आया.

एंड

दोस्तों आप सब की जान-कारी के लिए मैं यहाँ कुछ लिख रहा हूँ
प्राचीन साहित्य में संस्कृत साहित्य में एक भारी श्रृंखला उपलब्ध है जिसमें अनेक गूढ़ विषयों पर गहरा विचार किया गया है। अनेक रसिक विद्वानों ने उनका विश्लेषण कर जीवन को सुखमय बना दिया है। इस समय प्रमुख रूप से ये ग्रंथ ही मिल पाए हैं:
1. नंदिकेश्वर द्वारा रचित कामशास्त्र- यह अत्यन्त प्राचीन अनुपलब्ध ग्रंथ है। इसकी रचना उपनिषद् काल में हुई मानी जाती है।
2. औदालिक-श्वेतकेतु द्वारा रचित ‘‘कामशास्त्र’’ यह ग्रंथ भी उपनिषद कालीन है और अनुपलब्ध है।
3. पांचाल देश के महर्षि वाम्रव्य द्वारा रचित कामशास्त्र।
4. श्रीधारायण द्वारा रचित कामशास्त्र।
5. श्री स्वर्णनाथ नामक विद्वान का कामशास्त्र।
6. श्री नामक विद्वान का कामशास्त्र।
7. श्री गोर्दीय द्वारा रचित कामशास्त्र।
8. श्री गोणिकापुत्र द्वारा रचित कामशास्त्र।
9. श्री दत्तक द्वारा रचित कामशास्त्र।
10. श्री कुचुमार द्वारा रचित कामशास्त्र।
11. वात्स्यायन द्वारा रचित कामशास्त्र की विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है एवं यह प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है।
12. कंदर्प चूड़ामणि नामक ग्रंथ में वात्स्यायन के कामसूत्र को आया छंद में संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
13. रति रहस्य।
14. नगर-सर्वस्व।
15. अनंग रंग-रतिशास्त्र।
16. श्रृंगार दीपिका- यह ग्रन्थ श्री हरिहर पंडित द्वारा लिखा गया है परन्तु यह ग्रन्थ अधूरा ही प्राप्त है।
17. रतिशास्त्र- यह ग्रन्थ भी श्री नागार्जुन द्वारा रचित है।
18. अनंग तिलक- इस ग्रंथ के रचनाकार का नाम ज्ञात नहीं हो सका है। यग ग्रंथ भी अपूर्ण है। लंदन, बर्लिन में इसकी प्रतियाँ सुरक्षित हैं।
19. अनंग दीपिका- इस ग्रंथ की स्थिति भी अनंग तिलक के समान ही है। इसके लेखक का भी पता नहीं चलता। यह ग्रंथ भी अधूरा है।
20. अज्ञात रचनाकार का ग्रंथ- अनंग शेखर’’ भी अपूर्ण मिला है।
इनके अलावा अन्य ग्रन्थ हैं-
21. कुचिमार मंत्र
22. कामकलावाद तंत्र
23. काम प्रकाश
24. काम प्रदीप
25. काम कला विधि
26. काम प्रबोध
27. कामरत्न
28. कामसार
29. काम कौतुक
30. काम मंजरी
31. मदन संजीवनी
32. मदनार्णव
33. मनोदय
34. रति मंजरी
35. रति सर्वस्व
36. रतिसार
37. वाजीकरण तंत्र
38. वैश्यांगना कल्प
39. वैश्यांगना वृत्ति,
40. ऋंगार भेद प्रदीप
41. श्रृंगार पद्धति
42. श्रृंगार सारिणी
43. समर काम दीपिका
44. स्त्री विलास
45. सुरतोत्सव
46. स्तरतत्व प्रकाश
47. स्तर दीपिका
48. रतिरत्न प्रदीपिका
49. कामशतकम्
50. पच्चशायक।
उक्त सभी ग्रंथ बड़े ही विचित्र एवं काम संबंधी ज्ञान से ओतप्रोत हैं। उदाहरण के तौर पर हम प्रारम्भ में कुचिमार तंत्र नामक ग्रंथ की चर्चा करेंगे। यह ग्रंथ ‘‘कुचोपनिषद्’’ और ‘‘सुरतिकार तंत्र’’ के नाम से भी प्रकाशित हो चुका था। प्राचीन ग्रंथकार ने इन्हें ग्यारह प्रकरणों में विभाजित किया है। इन प्रकरणों में औषधियों का विशद वर्णन किया गया है। पहला प्रकरण है ध्वज वृद्धि। इनमें पुरुष की इन्द्रियों की कमजोरी दूर करने के लिए अनेक प्रयोग दिये गये हैं जिनसे इन्द्रियजन्य दोष दूर होते हैं तथा लिंगल पुष्ट होकर विकासरत होता है।
दूसरा प्रकरण लेप महिमा का है इसमें स्त्री-पुरुष में परस्पर आकर्षण हेतु विभिन्न प्रकार के औषधीय लेप बताए गए हैं।
तीसरे प्रकरण में स्त्री के स्वरूप व स्वभाव के अनुरूप रति समय का निर्धारण किया गया है।
चौथे प्रकरण में आयुष्य प्रयोगों का वर्णन है जिसमें अधिक आयु के जराग्रस्त पुरुष पुन: यौवन प्राप्त करके अपनी क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
पंचम संस्करण में ‘स्त्री द्रावण व स्तम्भन’ के अचूक उपाय बताए गए हैं।
छठे प्रकरण में प्रौढ़ महिलाओं के शिथिल यौनांगों के पूर्व स्थिति में लाने के प्रयोग बताए गए हैं।
सातवें प्रकरण में संतति नियमन के उपाय बताए गए हैं। यह उल्लेखनीय है कि प्राचीन युग के इस ग्रंथ में बर्थ कंट्रोल से सरल प्रयोग बताए गए हैं।
आठवाँ प्रकरण केश नाश से संबंधित है इसमें यौनागों के अवांछित केशो को स्थायी रूप से समाप्त करने के प्रयोग दिये गये हैं।
नवाँ प्रकरण गर्भाधान से संबंधित है। इसमें नि:संतान दम्पत्ति हेतु संतान प्राप्ति के सरल प्रयोग हैं।
दसमें प्रकरण में पुत्र प्राप्ति हेतु मंत्र व पूजा के प्रयोग दिये हैं जिनके प्रयोग से जो संतान हो वह पुत्र ही हो। जिन्हें बार-बार कन्याएँ उत्पन्न होती हों उनके लिये नाल परिवर्तन हेतु इस प्रकरण में अनेक प्रयोग दिये हैं।
अंतिम ग्यारहवें पूजन विधि नामक प्रकरण में स्त्री-पुरुष के गुप्त रोगों की चिकित्सा के उपाय बताए गये हैं।
इसी प्रकार हिन्दी में ‘‘कोकशास्त्र’’ नामक ग्रंथ भी प्रचलित है। इस ग्रंथ की रचना कामशास्त्र के एक विद्वान पंडित ‘कोका’ ने की थी।

प्राचीन काल में (समझा जाता है कि लगभग 7वीं सदी में) वैश्वदत्त नामक राजा के दरबार में पंडित तेजोक के पौत्र और गद्य विद्याधर पंडित पारभिद्र के सुपुत्र ‘कोक’ का बड़ा नाम था। कोक अपने पिता के समान ही सर्वशास्त्र निष्णात थे। ये कहाँ के निवासी थे इसके बारे में अनेक मत हैं। कुछ इन्हें उज्जयिनी का निवासी बताते हैं तो कुछ की मान्यता ये है कि पंडित ‘‘कोके’’ काश्मीर के थे किन्तु रति रहस्य नामक उसके ग्रंथ के तृतीय अध्याय के अंत में लिखे श्लोक से यह स्पष्ट होता है कि वे पाटल के रहने वाले थे।

कोक के विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं जिनमें से एक सर्वप्रमुख है। इस कथा का उल्लेख एक जर्मन प्रोफेसर रिमड ने भी अपनी पुस्तक में किया था। कथा इस प्रकार है-
‘पंडित ‘कोक’ राजा भैरव सेन के राज दरबार के रत्नों में से एक थे। भैरव सेन को अपने राज दरबार के रत्नों में शामिल किया था। एक दिन हस्तिनी जाति की कोई स्त्री उनके दरबार में नग्नावस्था में आ गई। इससे राजा बड़े क्रोधित हुए। उन्होंने उस स्त्री को फटकारा कि उसे दरबार में नग्न होकर आने का साहस कैसे हुआ था ? इस पर उस स्त्री ने उत्तर दिया कि उसकी कामेच्छा को उस दिन तक कोई भी शांत नहीं कर पाया था। साथ ही उसने दरबार में उसकी कामपीड़ा को शांत करने हेतु किसी को भी आमंत्रित किया।

स्त्री की बात सुनकर राजा ने दरबारियों को उस स्त्री के दर्प को चूर करने और उसकी कामग्नि को शांत करने की आज्ञा दी। परन्तु कोई भी इसके लिए तैयार न हो सका। तब राजा ने सभा का अपमान होते देख उसे अपने घर ले गये और उन्होंने उसे इस प्रकार तृप्त किया कि वह उनकी दासी बनी गई। तब राजा के कहने से लोगों के उपकार के लिए अर्थात् लोक कल्याणार्थ कोका पंडित ने ‘रति रहस्य’ नामक एक ग्रंथ की रचना की।



raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 13:35

ज़ोर का झटका धीरे से

मैं जब कॉलेज मे पढ़ती थी, तो हमारा सात लड़कियों का ग्रूप था. लेकिन उन सब मे पल्लवी मेरी खास सहेली थी. वो एक छ्होटे गाओं से आई थी. इस शहर मे पेयिंग गेस्ट बन के रहती थी. ऊम्र के हिसाब से हमको भी रोमॅन्स और सेक्स की बातें अच्च्ची लगती थी. हम लड़कों को देखते थे थे और उनके बारे मे बात किया करते थे. दिन मस्ती से गुज़र रहे थे. लेकिन हमेशा समय एक सा नही रहता.

जब हमारा कॉलेज का पहला साल पूरा हो रहा था, तो पल्लवी के पिताजी का अचानक देहांत हो गया. वैसे भी वो लोग ग़रीब थे. अब तो कॉलेज की पढ़ाई करना तो दूर रहा, घर चलना मुश्किल हो गया. उसके छ्होटे भाई बहन भी थे. मैं भी सहेली होने के नाते चिंतित थी, पर उसे पैसों की मदद करनेकी स्थिति हमारी ही नही थी. मुझे लगा, हमारा साथ च्छुत जाएगा. वो पढ़ नही पाएगी. लेकिन भाग्या को कुछ और मंज़ूर था. उसकी परिस्थिति से वाकिफ़ किसी दलाल ने उसे संपर्क किया और वो कॉल गर्ल बन गयी. उसकी मा को पता था. पर वो भी क्या करती ?

वो दिन मे कॉलेज अटेंड करती और रात को अपना काम करती. फिर तो वो अपने तरह तरह के अनुभव हमे सुनती थी. शुरू मे उसके दिल मे ग़लत काम का डंख रहता था, पर बाद मे वो सब निकल गया. उल्टा उसे मज़ा आने लगा. वो इतने रोचक ढंग से अपने अनुभव मुझे सुनती की मुझे भी उसकी तरह कॉल गर्ल बनने का जी कर जाता था. पर मैं ऐसा ना कर पाई. मुझे लगता था मैं जीवन की उन खुशियों को मिस कर रही हूँ, जिसे पल्लवी पा रही है. इसी तरह हमने पढ़ाई पूरी कर दी. सब बिखर गये. पल्लवी मुंबई चली गयी. वहाँ ज़्यादा स्कोप था उसके लिए.

मेरी मँगनी हो गयी. वो दूसरे गाओं से थे. तो मँगनी के बाद मुलाकात कम हुई. हां, हम लव लेटर और मैल से संपर्क मे थे.

शादी तय हो जाती है तो लड़कियों को सहेलियाँ ज़्यादा याद आती है. मुझे भी पल्लवी याद आई. अब कॉलेज को ही एक अरसा हो गया था. मैने मुंबई आने का फ़ैसला किया और पिताजी से रज़ा ले कर निकल पड़ी.

लंबे समय के बाद मैं आज उसे मिल रही थी. दोनो ने बहोट बाते की. दिनभर हम बात करते थे. रात होते वो अपने धंधे पर चली जाती थी. उसके चार एजेंट थे, जो उसके लिए बुकिंग किया करते थे. अब तो वो अलग अपना फ्लॅट ले कर रहती थी.

एक शाम हम बातें कर रहे थे की एक फोन आया. फोन पर बात कर के वो चिंतित हो गयी.

मैने पुचछा ; “क्या हुआ ? कोई समस्या ?”

उसके चेहरे पर उलज़ान नज़र आई. फिर उसने कहा ; “हां, समस्या तो है. लेकिन तू कुछ नही कर सकती.”

मैने कहा ; “फिर भी, बता तो सही.”

वो बोली ; “मेरा आज रात का होटेल गौरव का बुकिंग था. उसका 5000 नक्की हुआ है. लेकिन अभी जो फोन आया, वो दूसरे एजेंट का था. वो फुल नाइट, तीन आदमी का ऑफर लाया है.”

मैने कहा ; “तू अगर तीन आदमी पूरी रात नही सह सकती तो ना कर दे उसे. इस मे क्या उलज़ान है ?”

वो मुझ पर बिगड़ी ; “अर्रे तू कुछ समज़ाती नही है. पैसे मिलते हो तो मैं तीन क्या पाँच को भी ज़ेल लूँ. और यहाँ तो 25000 मिल रहे है.”

अब मुझे उलझन हुई, मैने कहा ; “तो स्वीकार कर ले.”

वो मूह नाचते मेरी नकल करते बोली ; “वा वा, स्वीकार कर ले, अच्च्ची सलाह दी. फिर वहाँ गौरव मे कौन जाएगी ? तू ?”

अब मैं बात समझी. इनके धंधे मे हां करनेके बाद ना नही कर सकते. नही तो वो एजेंट साथ छ्चोड़ देगा. पल्लवी को यह 25000 चाहिए थे, लेकिन 5000 वाला काम ले कर फाँसी थी.

पर उसके आखरी सवाल - “फिर वहाँ गौरव मे कौन जाएगी ? तू ?” – से मैं चौंकी ? उसने तो गुस्से मे ही कह दिया था. मगर मुझे कॉलेज के वो दिन याद आ गये जब उसके रोचक अनुभव सुन के मेरा भी कॉल गर्ल बनाने का जी करता था. आज मौका पाते ही वो पुरानी इच्च्छा प्रबल हो उठी, और मैने कह दिया ; “ हां, मैं जौंगी वहाँ, बस?”

वो आश्चर्या से मेरी और देखती ही रह गयी. उसकी नज़र मे सवाल था. बिना कुछ कहे वो मेरी और प्रश्ना भारी निगाह से देखती रही. मैं क्या जवाब दूं ? खुद मैं भी हैरान थी. वो पुरानी इच्च्छा का बीज इस तरह बड़ा हो के मेरे सामने आएगा, मैने कभी सोचा भी ना था. लेकिन वो भी मेरी अंतरंग सहेली थी. मेरी राग राग से वाकिफ़ थी. मेरे चेहरे पर बदलते रंगो को देख कर बोली ; “ ठीक है, पर बाद मे पचहताएगी तो नही ?” मैने नकार मे सिर हिलाया.

फिर तो उसने मुझे सारी सलाह दी. समय होते उसने एजेंट से कन्फर्मेशन भिजवा दिया की हू समय से पहुँच रही है. मुझे पल्लवी बनकर ही जाना था. ग्राहक नया था, तो वो उसे पहचानता नही था. पल्लवी मुझे होटेल पर छ्चोड़ गयी.

मैं लिफ्ट से रूम पर पहुँची. गाभहारते हुए लॉबी पसार की. रूम खोजा और डोर बेल बजाने जा रही थी की देखा की दरवाज़ा खुला है. मैं हल्के से अंदर दाखिल हुई और दरवाज़ा बाँध कर लिया. अंदर गयी, तो कोई नज़र नही आया… फिर ख़याल आया, बातरूम से आवाज़ आ रहा है, कोई नहा रहा है. मैं सोफा पर बैठी, इंतेज़ार करने के लिए. समय पसार करने के लिए कोई मॅगज़ीन धहोँढने के लिए नज़र दौड़ाई तो सेंटर टेबल पर पड़ी चित्ति पर ध्यान गया, लिखा था , “पल्लवी, ई गॉट कन्फर्मेशन फ्रॉम एजेंट तट योउ अरे रीचिंग इन टाइम. अनड्रेस युवरसेल्फ आंड जाय्न मे इन बात. “ मैं स्तब्ध हो गयी. मैं पल्लवी की जगह आ तो गयी, लेकिन वास्तविकता अब मेरे सामने थी. ये जनाब तो अंदर मेरा इंतेज़ार कर रहे है. मैने हिम्मत बटोरी, और अपने सारे कपड़े निकल दिए. पूरी नंगी हो कर धीरे से मैं ने बाथरूम का दरवाज़ा खोला.

वो नहा रहा था. शवर बाँध था, पर वो उसके नीचे खड़ा था. उसकी पीठ मेरी और थी. पूरे बदन पर साबुन लगा चक्का था. मूह पर भी साबुन था. वो मुझे देख नही पा रहा था. मैने राहत की साँस ली. मैं नज़दीक गयी और उसको पिच्चे से ही लिपट गयी. मेरे बूब्स उसकी पीठ पर टच हुए. दोनो को मानो करेंट लगा. मैने अपने हाथ उसकी च्चती पर फिराए, और उसकी पीठ पर अपने गाल घिसने लगी. (किस करने जैसी तो बिना साबुन की कोई जगह ही नही बची थी) उसने भी अपने हाथ पिच्चे फैलाए और मेरी जाँघो पर फिरने लगा. कोई कुछ बोल नही रहा था. मान-वुमन मॅजिक अपना कम कर रहा था. च्चती पार्स मैने हाथ नीचे सरकए. इन सारे वक्त मेरे बूब्स तो उसकी पीठ पर ही चिपके हुए थे. मेरे हाथ नीचे सरकते उसके कॉक तक पहुँच गये. मैं पहली बार, किसी मर्द के इस भाग को छ्छू रही थी. कॉक कड़क होने लगा. मैं उसे सहलाती रही, दबाती रही. वो “श, श” करने लगा. मैं अब तक जो पीठ पर बूब्स चिपका के गाल घिस रही थी, धीरे से नीचे की और सर्की. मैं बूब्स उसकी पीठ पर घिसते हुए नीचे जा रही थी. उसके हिप्स को अपने बूब्स से दबाती हुई मैं और नीचे उतार गयी. उसके हिप्स पर गाल घिसे. फिर मैं वहाँ से आयेज की और आई और उसका लंड मूह मे लिया. उसके हाथ मेरे सिर पर आ गये थे. मैं ने उसे पानी से साफ करके चूसना और चारों औरसे किस करना शुरू किया. साथ मे मैं उसके बॉल्स से भी खेल रही थी. दोनो के बादन मे आग लग चुकी थी. जब जी भरा तो मैं उपर उठी. अपने बूब्स उसके आयेज के बदन पर घिसती हुई मैं उपर उठी. मैने उसके होठ पर किस करना चाहा. पर वहाँ भी साबुन था. तो मैने शवर चालू किया. फुल फोर्स मे पानी बहना शुरू हुआ. मूह साफ हो गया, उसने आँखे खोली और हम दोनो चौंके……….दोनो के मूह से एक साथ एक ही शब्द निकला, “ तुम ???????? ” वो मेरा मंगेतर था !!!!!!!!!!!!!

दोनो के चेहरे पर एक साथ तरह तरह के भाव ज़लाक रहे थे ; शॉक, डिसबिलीफ, अंगेर, रिपेंटेन्स…..आंड वॉट नोट ?



raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 14:13

छोटे लंड से गुज़ारा

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी कुछ इस तरह है
यह कहानी उस समय की है जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी. गाओं में पति पत्नी को मिलने के लिए मौका ढूँढना पड़ता है. रात में या तो पति चोरी से पत्नी की चारपाई पर आ जाता हे वारना कोई और जगह डूंड कर मिलन होता है. औरतों के लिए अलग वा मर्दों के लिए अलग सोने की जगह होती हे. इसी चोरी च्छूपे मिलने के कारण ही यह घटना घटी जो मेने अपनी आँखों से देखी कि कैसे छ्होटे भाई ने अपनी बड़ी बेहन को चोदा.मेरी बड़ी ननंद की शादी को चार साल हो चुके थे लेकिन उसका कोई बचा नहीं हुया था. हमारे गाओं के निकट एक मंदिर की बड़ी मान्यता थी के वॅन्हा जो भी मन्नत माँगता है पूरी होती है. मेरी ननंद भी इसीलिए हमारे यहाँ आई थी के वो भी मन्नत माँगे और मा बन सके. उस दिन मंदिर से हो कर लोटने के बाद वो और मैं एक कमरे मे बातें करते हुए सो गये थे लेकिन जिस चारपाई पर में सोती थी उस पर मेरी ननंद सो गयी और मैं उस के साथ वाली चारपाई पर सो गयी.रात को मेरा पति मेरे पास आया तो वो उस चारपाई पर जिस पर उसकी बेहन सोई थी चला गया, यह समझ कर के मैं उस पर सोई हूँ. मैं तो उस समय जाग रही थी लेकिन मेरी ननंद ( मेरे पति की बड़ी बेहन) सो चुकी थी. मैं चाहते हुए भी कुच्छ बोल ना पाई कि कही शोर मच जाए गा और यह बात खुल जाएगी के हम दोनो एक दिन भी मिले बिना नहीं रह सकते. मेरी चुप्पी से जो हो गया उस का मुझे अब भी पछतावा है लेकिन मेने यह बात अब तक ना तो अपने पति से कही है ना ही उस की बेहन से बताई है. भगवान की मर्ज़ी समझ कर चुप कर गयी और चुप ही हूँ और रहने की कोशिश कर रही हूँ.मैं चुप चाप देखती रही बड़ी बेहन को अपने छ्होटे भाई से चुदते हुए और कुच्छ ना कर सकी. मेरे पति ने भी मुझे समझ कर अपनी बड़ी बेहन को चोदा और उस की बड़ी बेहन ने अपना पति समझ कर अपने भाई से चूत मरवाई. जिस तरह हम पति पत्नी मज़ा लेते थे उसी तरह वो भाई बेहन चुदाई का मज़ा लेते रहे और में चुप चाप देखती रही.सुबह मेरी ननंद ने मुझे कहा' जानती है रात को सपने में तेरे नंदोई मेरे पास आए थे और आज रात को जितना मज़ा आया उतना पहले कभी नन्ही आया. आज तो उनका लंड भी काफ़ी लंबा और मोटा लग रहा था. लगता है यह सब बाबा ( मंदिर वाले) की कृपा है. मुझे लगता है के अब मेरे बच्चा ज़रूर हो जाएगा.'मेने कहा 'सब उपर वाले की कृपा है, मुझे भी लगता है के अब तेरे बच्चा जलदी ही हो जाए गा'वो बोली ' जलदी नही 9 महीने बाद'मैने कहा ' हाँ जल्दी से मेरा मतलब भी 9 महीने से ही है. यह तो में इसलिए कह रही हूँ के अब पक्का है के तू मा बन जाएगी'' मेरे बच्चा होने के बाद मैं मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आउन्गि 'मैं सोच रही थी के प्रसाद तो तू चढ़ाने आए गी मंदिर में लेकिन बच्चा किस की कृपा से हुया है यह तो तू जानती ही नही और जब तक में बताउन्गि नहीं ना तुझे पता लगे गा ना तेरे पति को ना तेरे भाई को.अगले दिन वो अपने ससुराल चली गयी. रात को मेरा पति मेरे पास आया और मेरे से प्यार करने लगा लेकिन मेरा बार बार ध्यान उस की बेहन की ओर चला जाता था जो अंजाने में अपने छ्होटे भाई से चुद कर भी बहुत खुश थी.मेरे पति ने कहा 'क्या बात है आज तू कहाँ खोई है प्यार में मज़ा नही आ रहा क्या.'मेने जवाब दिया ' मज़ा तो बहुत आ रहा है लेकिन में सोच रहीं हूँ के यह चोरी चोरी प्यार कब तक करते रहेंगे . कोई ऐसा रास्ता निकालो के हमे चोरी चोरी ना मिलना पड़े.'' क्या बात है आज तुझे चोरी चोरी मिलने में मज़ा नहीं आ रहा जब के पिच्छाले 6 महीने से हम ऐसे ही मिल रहें हैं.'मैं चुप हो गयी और उसका लंड पकड़ कर देखने लगी के रात यह दूसरी चूत में गया था कुछ फरक पड़ा है या वैसा ही है. मेरे पति ने मुझे लंड को मुँह में लेने के लिए कहा तो मैं सोचने लगी के दूसरी चूत मे गया हुया लंड अपने मुँह में लूँ या नही. मेरा पति बोला क्या बात है आज तू कही और खोई हुई है कोई बात नही अगर तेरा दिल मुँह में लेने को नही करता तो कोई बात नही आज तेरी चूत में डाल कर ही इस की तसल्ली कर देता हूँ और उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और चुदाई का काम कर के अपने कमरे में चला गया और मैं बार बार सोचती जा रही थी के रात को जो हुया है इस में दोनो भाई बेहन जिन्हे पता भी नही उनका इस में क्या कसूर है. मुझे याद आने लगी अपनी एक सहेली की कहानी कैसे वो अपने छ्होटे भाई से चुदाई करवाती थी. लेकिन उसने तो जान कर अपने छ्होटे भाई का लंड लिया था के वो अभी बच्चा है और उस का पानी नहीं निकलता इसलिए बच्चा होने का डर नहीं था. यान्हा तो अंजाने में बड़ी बेहन अपने छ्होटे भाई से चुदति रही और यह सोचती रही के उसका पति उसे चोद रहा है.पूरे 9 महीने बाद मेरी ननंद को एक सुंदर सा लड़का हो गया. मैं अपने पति के साथ उसे मिलने गयी. बच्चा बिल्कुल मेरे पति की शकल का था. वो कहने लगी' देखा अपने मामा पर गया है. मैं सोचती थी के अपने बाप पर ना जाए'.मेने कहा' क्यो अपने बाप पर क्यो नहीं' वो बोली ' इस का बाप तो तुझे पता है इतना सुन्दर नही और हर मा अपने बच्चे को सुंदर देखना चाहती है. इसके अलावा तुझे एक राज़ की बात बताउ यह तो मंदिर वाले बाबा का आशीर्वाद है वारना मेरा पति तो शायद ज़िंदगी भर बच्चा पैदा नन्ही कर सकता'मेने पूछा ' क्यो'वो बोली ' उसका लंड बहुत छ्होटा है और उसका पानी भी बहुत जलदी छ्छूट जाता है. मुझे तो उस रात सपने में पहली बार मज़ा आया था, जिस के कारण मेरा बच्चा हुया है'मैं उसकी बात सुन कर सोचने लगी कही इसे इस बात का पता तो नही है के यह बच्चा उसके भाई का है और जानबूझकर कर मुझे बार बार यह कह रही है के भगवान का प्रसाद है.उसका लड़का 5 साल का हो गया था और मेरे भी दो बच्चे हो गये थे. उसका क्यो के दूसरा बचा नही हुया था इसलिए वो फिर बाबा का आशीर्वाद माँगने आई. मेने उसे कहा' बेहन भगवान ने तुझे एक बार आशीर्वाद दे दिया है उसी में तसल्ली कर. ज़यादा लालच करने से भगवान नाराज़ हो जातें हैं.'वो बोली ' भाबी भगवान से तो हम ज़िंदगी भर माँगते हैं भगवान कभी किसी से नाराज़ नहीं होता.'दूसरे दिन हम मंदिर गये और वापस आ कर फिर वो मेरे कमरे में ही सो गयी और कहने लगी ' भाबी तुझे पता है इसी कमरे में मुझे सपने में मेरे पति के चोदने से बच्चा हुया था इसलिए मैं इसी चारपाई पर सोउंगी.'मुझे अब शक और भी ज़यादा होने लगा के यह जानभूज कर मेरे से छुपा रही है लेकिन इसे सब पता है के इस का पति इसे बच्चा नही दे सकता और यह बच्चा इस के भाई का ही है. लेकिन क्यो के अब हमारी शादी को 5 साल हो गये थे और हमारे दो बच्चे भी हो गये थे इसलिए रात को मेरे पति का मेरे पास आना कम हो गया था उस पर मेने अपने पति को कह दिया के आज तुम रात को मत आना. कही तुम्हारी बेहन जाग गयी तो बड़े शरम की बात होगी. मेरे पति ने कहा ' इस में शरम की क्या बात है हम पति पत्नी हैं' फिर भी वो मेरा कहना मान कर रात को नही आया. सुबह मेने अपनी ननंद से पूछा ' रात को कैसा सपना आया तो'वो कहने लगी' लगता है तेरी बात सच है भगवान मुझे दूसरा बच्चा नहीं देना चाहते,. रात को सपना तो नही आया और आता भी कैसे मुझे रात भर नींद ही नही आई.मैने सोचा अच्छा हुया मेने अपने पति को आने से रोक दिया वारना भेद खुल जाता.

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