ट्यूशन का मजा compleet
Re: ट्यूशन का मजा
"किसे चोदोगे?" उन्होंने मेरे लंड को मुठ्ठी में कस के दबाकर पूछा.
"सर, मैडम को ..." कहकर मैं चुप हो गया.
"अरे मैडम को तो अब तक चोद रहे थे. कल भी चोदा था, मन नहीं भरा लगता है. अब और किसी को चोदो"
मैं उनकी ओर देखने लगा. वे बोले "अरे अपनी इस प्यारी दीदी को चोद लो. बेचारी देखो कैसी तरस रही है. ऐसे क्यों देख रहे हो? दीदी को चोदा नहीं है ना अब तक?"
"नहीं सर"
"फ़िर आज मौका है. और लीना तूने चुदवाया है कभी?" चौधरी सर ने लीना दीदी के जरा जरा से मम्मे दबाते हुए पूछा. दीदी की हालत खराब थी, मैडम उसकी बुर में ऐसी उंगली कर रही थीं कि दीदी बेचारी बस तड़प तड़प कर कमर हिला रही थी. मैडम उसका मुंह चूस रही थीं इसलिये वह चुप थी. जब मैडम ने दो मिनिट बाद उसका मुंह छोड़ा तो सिसक कर बोली "हां सर, प्लीज़ सर .... मैडम .... प्लीज़ आप ....."
मैडम दीदी के मुंह में अपनी चूंची ठूंस कर बोलीं. "अरे नहीं, अभी नहीं चूसूंगी तेरी बुर, वैसे बहुत रस निकल रहा है. अब तू चुदवा ले. बोल सर से चुदवायेगी?" दीदी ने मैडम की चूंची चूसते चूसते हुए पलक झपकाकर हां कहा. मैडम हंसने लगीं "क्यों सर, आप पाठ बहुत अच्छा पढ़ाते हैं लगता है? ये लड़की आप पर लट्टू है, देखो झट से हां कह दिया नहीं तो लड़कियां कितने नखरे करती हैं. अब आप चोदेंगे ना?"
सर बोले "हां चोदूंगा, इस फ़ूल सी नरम बुर में घुसने को के खयाल से ही देखो मेरा लंड कैसा फ़िर से मचलने लगा है. पर इसपर ज्यादती हो जायेगी. अभी मस्ती में चहक रही है, फ़िर चीखने चिल्लाने लगेगी. इसलिये कहता हूं इसे पहले अनिल से चुदवा दो और इसकी चूत खोल दो, फ़िर मेरा जाने में इसको तकलीफ़ नहीं होगी"
"हां भई, भाई बहन को चोदे इससे ज्यादा मस्ती की बात और क्या हो सकती है, है ना लीना? चल अनिल तू इधर आ जल्दी से" कहकर मैडम ने लीना दीदी को नीचे पलंग पर लिटा दिया. "लीना, ठीक से लेट और टांगें फ़ैला, अब जरा अपने भाई का लंड हाथ में लेकर देख, इसे लेगी ना अब अपनी चूत में?"
दीदी तो अब मछली जैसी तड़प रही थी. उसने झट से टांगें फ़ैलायीं और मेरा लंड पकड़कर बोली "अनिल, जल्दी कर ना ... हा ऽ य .. मैडम रहा नहीं जाता .... " उसकी नजर सर के फ़िर से खड़े लंड पर टिकी थी.
चौधरी सर बोले "अनिल बेटे, पहले लीना की चूत की पूजा करो, आखिर तुम्हारी बड़ी बहन है"
"कैसे सर? " मैं पूछ बैठा.
"अरे मूरख, चूत पूजा कैसे करते हैं? उसे प्यार करके, उसे चाट के, उसके रस को उसके प्रसाद को ग्रहण करके. मैडम की तब से कर रहा था ना, अब अपनी दीदी की कर" सर मुझे डांट कर बोले.
मैं जुट गया. दीदी की चूत में मुंह डाल दिया. वह मेरे सिर को भींच कर तड़पने लगी "सर .... सर ... रहा नहीं जाता सर ... बहुत अच्छा लगता है सर" मैं लपालप दीदी की बुर चाटने में जुटा था. आज लग रहा था जैसे वरदान पा लिया हो, जिस मिठाई की इतने दिन तमन्ना की थी, वो अब पा ली थी मैंने!
"असल में भाई से चुसवा रही है ना, इसलिये ज्यादा मजा आ रहा है, अब चुदा के देखना, और आनंद पायेगी. चलो अनिल बहुत हो गया, अब दीदी को चोदो" मैडम ने आदेश दिया.
मैंने झट से दीदी की बुर पर लंड रखा और पेलने लगा "अरे धीरे बेटे, हौले हौले, दीदी ने कभी लंड लिया नहीं है ना, ऐसे धसड़ पसड़ ना कर" मैडम ने समझाया.
क्रमशः। ...........................
Re: ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-9
गतांक से आगे..............................
"पर मैडम, रोज ये मोमबत्ती से ..." मैंने कहा तो मैडम हंसने लगीं "अरे मोमबत्ती कितनी मोटी है और तेरा ये लंड कितना मोटा है, कुछ तो खयाल कर"
मैंने धीरे से लंड पेला और वो सट से आधा दीदी की चूत में घुस गया. दीदी थोड़ी कसमसाई. मैडम बोलीं "लीना, घबरा मत, समझ बड़ी मोमबत्ती है. बहुत मजा आयेगा तुझे देखना. चल अनिल, आगे चल पर जरा प्यार से"
मैंने फ़िर लंड पेला और वो पूरा दीदी की बुर में समा गया. दीदी जरा सी चिहुकी और मुझे कस के पकड़ लिया. चौधरी सर खुश होकर बोले "बहुत अच्छे बेटे. ये अच्छा हुआ, बहन ने कैसे प्यार से भाई का ले लिया. भाई का हो तो दर्द भी कम होता है. अब चोद धीरे धीरे. जगह बना मेरे मूसल के लिये. प्यार से चोदना, और जरा मस्ती से दस मिनिट तक चोद, जल्दी मत कर"
मैं चोदने लगा. पहले धीरे चोदा कि दीदी को दर्द न हो. पर दीदी की चूत ऐसी गीली थी कि आराम से लंड अंदर बाहर होने लगा. दीदी कमर उचकाने लगी और मैडम की चूंची मुंह से निकाल कर बोली "अनिल ... बहुत अच्छा लग रहा है रे ... मैडम .... बहुत मजा आ रहा है मैडम"
मैडम ने अपना मम्मा फ़िर से दीदी के मुंह में घुसेड़ा और खुद दीदी के मम्मे मसलने लगीं "चलो अनिल चोद अपनी बहन को. कब से इसका मौका देख रहा था ना तू? चल अब दीदी को दिखा दे कि कितना प्यार करता है"
मैं कस के चोदने लगा. फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाज आने लगी. दीदी की बुर से पानी बह रहा था. मैंने चौधरी सर की ओर देखा. वे अपने लंड को पकड़कर मस्ती से उसे पुचकार रहे थे. मैडम उनसे बोलीं "अरे सर, अपने स्टूडेंट का हौसला बढ़ाइये, देखा बेचारा कितनी मेहनत कर रहा है"
सर मेरे पास आकर बैठ गये और मेरी कमर और चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे "बस ऐसे ही अनिल, कस कर चोदो हचक हचक कर, तेरी दीदी की चूत अब खुल गयी है, मस्ती से चोदो, झड़ना नहीं बेटे" कहकर उन्होंने मेरे मुंह को चूमना शुरू कर दिया. अपने हाथ से वे अब मेरे चूतड़ ऐसे दबा रहे थे जैसे चूतड़ न होकर किसी औरत के मम्मे हों. इधर उनकी जीभ मेरी जीभ से लगी और उधर मुझे ऐसा मजा आया कि मैंने दो चार धक्के कस कर लगाये और झड़ गया.
मेरी हिचकी सर के मुंह में निकली तो वे चुम्मा तोड़ कर बोले "अरे बदमाश, झड़ गया अभी से " और एक हल्का सा घूंसा मेरी पीठ पर लगा दिया. फ़िर मैडम की ओर मुड़कर बोले "मैडम लगता है आपने काफ़ी सताया है मेरे स्टूडेंट को, बेचारा कब से तड़प रहा था लगता है"
मैडम बोलीं "अरे उसे सिखा रही थी कि मजा लेने के लिये कंट्रोल कैसे करते हैं, खैर चलो अच्छा हुआ, ये लड़की अब पूरी मस्ती में है, बेचारी झड़ी भी नहीं है. सर, आप इसकी तकलीफ़ दूर कर दीजिये"
सर ने अपने लंड को मस्ती से मुठ्ठी में पकड़ा और बोले "अभी करता हूं. लीना तो बहुत प्यारी लड़की है, इसे पूरा मजा देता हूं अभी, चल अनिल, बाजू में हो और खबरदार, आज माफ़ कर दिया पर फ़िर ऐसे जल्दी में झड़ा तो मार खायेगा"
मेरा लंड निकालकर मैं बाजू में बैठ गया. दीदी को चोद कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैडम बोलीं "इधर आ बेटे, ऐसे मेरे पास आ" मैं उनके पास गया तो झुक कर उन्होंने मेरी नुन्नी मुंह में ली और चूस कर साफ़ कर दी.
उधर सर भी झुक कर दीदी की बुर चाट रहे थे. लीना दीदी ने उनका सिर पकड़ लिया और कमर हिलाने लगी. मैडम हंसने लगीं "क्यों सर, गन्ने के रस को चखने का कोई भी मौका आप नहीं छोड़ते"
"मैडम, ये खास छोटे रसीले गन्ने का रस है, और गन्ने के रस के साथ साथ कमसिन बुर का शहद भी है. इतना अच्छा माल कौन छोड़ेगा, आपने छोड़ा?" कहकर उन्होंने दीदी की बुर पूरी चाटी और फ़िर उसकी टांगों के बीच बैठ गये. "चल लीना, टांगें फ़ैला. मैडम आप अपनी स्टूडेंट को संभालिये, उसने बड़ा काम किया है, इस लड़की की चूत ऐसी चिकनी और गीली कर दी है कि अब ये आराम से मेरा ले लेगी"
मैडम समझ गयीं और लीना के मुंह से चूंची निकालकर उसके बाजू में लेट गयीं. लीना को बाहों में भरके चूमते हुए बोलीं "लीना, अब मजा ले, सर मेहरबान होने वाले हैं तुझपर"
सर ने लीना की चूत के पपोटे फ़ैलाये और सुपाड़ा रखकर अंदर पेल दिया. दीदी की चूत इतनी गीली थी कि वो आराम से फ़च्च से अंदर चला गया. दीदी एकदम से तड़पी. मैडम ने तुरंत अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर दिया. सर ने और लंड पेला और आधा अंदर कर दिया. दीदी हाथ पैर मारने लगी. मैडम ने उसके हाथ पकड़ लिये. सर ने मेरी ओर देख कर कहा "अनिल, अपनी दीदी के पैर पकड़ लो, इसे दर्द हो रहा है पर मैं पूरा अंदर डाल देता हूं, फ़िर झंझट ही खतम हो जायेगी"
सर का मूसल दीदी की चूत को चौड़ा कर रहा था, दीदी की बुर का छेद ऐसे फैला था जैसे फट जायेग, तने रबर बैंड सा लग रहा था. देख कर मुझे भी मजा आ गया. मैंने दीदी के पैर पकड़े और सर ने कस के सटाक से अपनी पूरा लंड दीदी की बुर में डाल दिया. दीदी का बदन एकदम कड़ा हो गया और वो कांपने लगी, अब वो पुरी तरह से तड़पती हुई हाथ पैर फ़टकारने की कोशिश कर रही थी पर मैंने और मैडम ने उन्हें कस के पकड़े रखा, हिलने तक नहीं दिया. उधर दीदी की आंखों में दर्द से आंसू आ गये थे और वो बड़ी कातर आंखों से हमारी ओर देख रही थी.
सर मस्ती में आकर बोले "ओह ... ओह ... क्या कसी चूत है इस लौंडी की ... मैडम, मजा आ गया, बहुत दिन हो गये ऐसी चूत मिली है"
गतांक से आगे..............................
"पर मैडम, रोज ये मोमबत्ती से ..." मैंने कहा तो मैडम हंसने लगीं "अरे मोमबत्ती कितनी मोटी है और तेरा ये लंड कितना मोटा है, कुछ तो खयाल कर"
मैंने धीरे से लंड पेला और वो सट से आधा दीदी की चूत में घुस गया. दीदी थोड़ी कसमसाई. मैडम बोलीं "लीना, घबरा मत, समझ बड़ी मोमबत्ती है. बहुत मजा आयेगा तुझे देखना. चल अनिल, आगे चल पर जरा प्यार से"
मैंने फ़िर लंड पेला और वो पूरा दीदी की बुर में समा गया. दीदी जरा सी चिहुकी और मुझे कस के पकड़ लिया. चौधरी सर खुश होकर बोले "बहुत अच्छे बेटे. ये अच्छा हुआ, बहन ने कैसे प्यार से भाई का ले लिया. भाई का हो तो दर्द भी कम होता है. अब चोद धीरे धीरे. जगह बना मेरे मूसल के लिये. प्यार से चोदना, और जरा मस्ती से दस मिनिट तक चोद, जल्दी मत कर"
मैं चोदने लगा. पहले धीरे चोदा कि दीदी को दर्द न हो. पर दीदी की चूत ऐसी गीली थी कि आराम से लंड अंदर बाहर होने लगा. दीदी कमर उचकाने लगी और मैडम की चूंची मुंह से निकाल कर बोली "अनिल ... बहुत अच्छा लग रहा है रे ... मैडम .... बहुत मजा आ रहा है मैडम"
मैडम ने अपना मम्मा फ़िर से दीदी के मुंह में घुसेड़ा और खुद दीदी के मम्मे मसलने लगीं "चलो अनिल चोद अपनी बहन को. कब से इसका मौका देख रहा था ना तू? चल अब दीदी को दिखा दे कि कितना प्यार करता है"
मैं कस के चोदने लगा. फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाज आने लगी. दीदी की बुर से पानी बह रहा था. मैंने चौधरी सर की ओर देखा. वे अपने लंड को पकड़कर मस्ती से उसे पुचकार रहे थे. मैडम उनसे बोलीं "अरे सर, अपने स्टूडेंट का हौसला बढ़ाइये, देखा बेचारा कितनी मेहनत कर रहा है"
सर मेरे पास आकर बैठ गये और मेरी कमर और चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे "बस ऐसे ही अनिल, कस कर चोदो हचक हचक कर, तेरी दीदी की चूत अब खुल गयी है, मस्ती से चोदो, झड़ना नहीं बेटे" कहकर उन्होंने मेरे मुंह को चूमना शुरू कर दिया. अपने हाथ से वे अब मेरे चूतड़ ऐसे दबा रहे थे जैसे चूतड़ न होकर किसी औरत के मम्मे हों. इधर उनकी जीभ मेरी जीभ से लगी और उधर मुझे ऐसा मजा आया कि मैंने दो चार धक्के कस कर लगाये और झड़ गया.
मेरी हिचकी सर के मुंह में निकली तो वे चुम्मा तोड़ कर बोले "अरे बदमाश, झड़ गया अभी से " और एक हल्का सा घूंसा मेरी पीठ पर लगा दिया. फ़िर मैडम की ओर मुड़कर बोले "मैडम लगता है आपने काफ़ी सताया है मेरे स्टूडेंट को, बेचारा कब से तड़प रहा था लगता है"
मैडम बोलीं "अरे उसे सिखा रही थी कि मजा लेने के लिये कंट्रोल कैसे करते हैं, खैर चलो अच्छा हुआ, ये लड़की अब पूरी मस्ती में है, बेचारी झड़ी भी नहीं है. सर, आप इसकी तकलीफ़ दूर कर दीजिये"
सर ने अपने लंड को मस्ती से मुठ्ठी में पकड़ा और बोले "अभी करता हूं. लीना तो बहुत प्यारी लड़की है, इसे पूरा मजा देता हूं अभी, चल अनिल, बाजू में हो और खबरदार, आज माफ़ कर दिया पर फ़िर ऐसे जल्दी में झड़ा तो मार खायेगा"
मेरा लंड निकालकर मैं बाजू में बैठ गया. दीदी को चोद कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैडम बोलीं "इधर आ बेटे, ऐसे मेरे पास आ" मैं उनके पास गया तो झुक कर उन्होंने मेरी नुन्नी मुंह में ली और चूस कर साफ़ कर दी.
उधर सर भी झुक कर दीदी की बुर चाट रहे थे. लीना दीदी ने उनका सिर पकड़ लिया और कमर हिलाने लगी. मैडम हंसने लगीं "क्यों सर, गन्ने के रस को चखने का कोई भी मौका आप नहीं छोड़ते"
"मैडम, ये खास छोटे रसीले गन्ने का रस है, और गन्ने के रस के साथ साथ कमसिन बुर का शहद भी है. इतना अच्छा माल कौन छोड़ेगा, आपने छोड़ा?" कहकर उन्होंने दीदी की बुर पूरी चाटी और फ़िर उसकी टांगों के बीच बैठ गये. "चल लीना, टांगें फ़ैला. मैडम आप अपनी स्टूडेंट को संभालिये, उसने बड़ा काम किया है, इस लड़की की चूत ऐसी चिकनी और गीली कर दी है कि अब ये आराम से मेरा ले लेगी"
मैडम समझ गयीं और लीना के मुंह से चूंची निकालकर उसके बाजू में लेट गयीं. लीना को बाहों में भरके चूमते हुए बोलीं "लीना, अब मजा ले, सर मेहरबान होने वाले हैं तुझपर"
सर ने लीना की चूत के पपोटे फ़ैलाये और सुपाड़ा रखकर अंदर पेल दिया. दीदी की चूत इतनी गीली थी कि वो आराम से फ़च्च से अंदर चला गया. दीदी एकदम से तड़पी. मैडम ने तुरंत अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर दिया. सर ने और लंड पेला और आधा अंदर कर दिया. दीदी हाथ पैर मारने लगी. मैडम ने उसके हाथ पकड़ लिये. सर ने मेरी ओर देख कर कहा "अनिल, अपनी दीदी के पैर पकड़ लो, इसे दर्द हो रहा है पर मैं पूरा अंदर डाल देता हूं, फ़िर झंझट ही खतम हो जायेगी"
सर का मूसल दीदी की चूत को चौड़ा कर रहा था, दीदी की बुर का छेद ऐसे फैला था जैसे फट जायेग, तने रबर बैंड सा लग रहा था. देख कर मुझे भी मजा आ गया. मैंने दीदी के पैर पकड़े और सर ने कस के सटाक से अपनी पूरा लंड दीदी की बुर में डाल दिया. दीदी का बदन एकदम कड़ा हो गया और वो कांपने लगी, अब वो पुरी तरह से तड़पती हुई हाथ पैर फ़टकारने की कोशिश कर रही थी पर मैंने और मैडम ने उन्हें कस के पकड़े रखा, हिलने तक नहीं दिया. उधर दीदी की आंखों में दर्द से आंसू आ गये थे और वो बड़ी कातर आंखों से हमारी ओर देख रही थी.
सर मस्ती में आकर बोले "ओह ... ओह ... क्या कसी चूत है इस लौंडी की ... मैडम, मजा आ गया, बहुत दिन हो गये ऐसी चूत मिली है"
Re: ट्यूशन का मजा
मैडम ने बड़े प्यार से सर का चुम्मा लिया "सर, मजा कीजिये ... आखिर आप को जो चाहिये था वो मिल ही गया और क्यों ना मिले ... आप सा मर्दाना मस्त पुरुष तो डिज़र्व करता है"
सर दीदी के संभलने का इंतजार करने लगे. साथ ही झुक कर होंठों से दीदी की आंखें चूमने लगे. मेरा लंड अब सिर उठाने लगा था. सर ने उसे पकड़ा और दबाने लगे "अनिल, मजा आ रहा है दीदी की चुदाई देखकर?"
"हां सर, दीदी की चूत कितनी खुल गयी है, ये फ़ट तो नहीं जायेगी सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.
"अरे नहीं, तेरी दीदी जैसी खूबसूरत मतवाली लड़कियों की चूत ऐसे नहीं फ़टती, ये तो बनी हैं हरदम चुदवाने को. बस दो मिनिट बाद ये कैसे मचलने लगेगी, तू ही देखना" सर मुझे पास खींच कर मेरा चुम्मा लेते हुए बोले. मैडम अपनी छाती से दीदी की छाती मसल रही थीं और फ़िर से लीना दीदी के होंठ चूसने में लग गयी थीं.
धीरे धीरे दीदी का कपकपाता बदन शांत हुआ. सर ने एक उंगली से दीदी का दाना रगड़ना शुरू कर दिया. दो मिनिट में दीदी कमर हिलाने लगी. सर ने मुस्कराकर मैडम से कहा "अब छोड़ दीजिये मैडम, आपकी स्टूडेंट मूड में आ गयी है. मुझे तो पता था कि ये बहादुर बच्ची ऐसे घबराने वाली नहीं है. अब देखिये मैं इसे कैसा मस्त करता हूं"
मैडम ने दीदी का मुंह छोड़ा "लीना, ठीक है ना तू? अब तो नहीं दुखता?"
दीदी सिसक कर बोली "मैडम ... अभी भी बहुत दुखता है ... पर अच्छा भी लग रहा है ... सर ने जब .... डाला तब ऐसा लग रहा था कि मैं ... मर जाऊंगी"
मैडम बोलीं "तेरी गलती नहीं है, सर का हथियार है ही ऐसा मूसल जैसा, मुझे मालूम है, मैं तो कब से सह रही हूं. पर अब देख, सर तुझे ऐसा मजा देंगे कि तू स्वर्ग का सुख लेगी"
सर ने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. साथ ही उनकी उंगली दीदी के दाने पर चल रही थी. मैडम ने झुक कर दीदी का निपल मुंह में लिया और चूसने लगीं.
मैंने देखा कि सर का लंड अब आराम से अंदर बाहर हो रहा था. जब बाहर होता तो थोड़ा पानी निकलता. दीदी हौले हौले सांसें ले रही थी और सर की आंखों में आंखें डाले हुए थी. "सर ... मजा आ रहा है सर .... कीजिये ना और ..."
"दर्द तो नहीं हो रहा है लीना? चोदूं तुझे अब कायदे जैसे तेरी जैसी छोकरी को चोदना चाहिये?" सर ने लीना का चुम्मा लेकर पूछा. लीना ने बस पलक झपका दी. सर उसे अब हौले हौले चोदने लगे. दीदी ने एक सिसकारी भरी और सर से लिपट गयी "हा ऽ य सर .... उई ऽ मां ऽ .... सर .... दर्द होता है सर पर बहुत अच्छा लग रहा है सर ... और ... और ...कीजिये ना .... प्लीज़"
"और क्या लीना? ठीक से बोल, और क्या करूं?" सर ने मुस्कराकर पूछा. वे बड़े सधे अंदाज में चोद रहे थे. बस तीन चार इंच लंड अंदर बाहर करते, बिना एक पल भी रुके हुए.
दीदी ने शरमा कर कहा "सर ... चोदिये ना प्लीज़"
"ये हुई ना बात! अब लेसन सीखी है कि कैसे बोला जाता है. अब देख तुझे कैसे चोदता हूं" कहकर सर ने रफ़्तार बढ़ा दी. पूरा लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि दीदी को दर्द होगा पर वो अब मजे से चुदवा रही थी. उसकी जरा सी बुर में सर का इतना बड़ा लंड अंदर बाहर होता देख कर मैं आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर यह नजारा देख रहा था. मेरा लंड फ़िर से कसके खड़ा हो गया था.
मैडम ने मुझे पास खींच लिया. "अरे ऐसे क्या देखता है अनिल बेटे? तेरी दीदी कितनी चुदैल है ये अब पता चला है तुझे. मैंने तो इसे देखते ही पहचान लिया था"
"और यह लड़का भी कम चोदू नहीं है मैडम. देखना आगे कैसे कैसे गुल खिलायेगा" सर ने मुझे सराहा. वे दीदी को कस के चोद रहे थे. सात आठ धक्के लगाने के बाद रुक जाते, फ़िर एक मिनिट रुक कर हौले हौले चोदते और फ़िर घचाघच लंड पेलने लगते. दीदी सिसक सिसक कर कह रही थी "सर ... बहुत मजा .... आ रहा है सर ... रहा नहीं जाता ....आह ... ओह ... प्लीज़ .... प्लीज़ ... और जोर से कीजिये ... चोदिये ना ...मैडम ... देखिये ना ... प्लीज़ "
मैडम ने मेरा लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करते हुए सर से कहा "सर, झड़ा दीजिये बेचारी को, ऐसे न तड़पाइये उसे"
सर ने धक्के लगाते हुए कहा "अरे जरा मजा करने दो, बेचारी ने इतना दर्द सहा है मेरा लंड लेने में, लीना, तू क्यों बिचकती है, मजा ले, चुदने का पूरा मजा नहीं लेगी क्या?" फ़िर चौधरी सर दीदी को बाहों में भर के पूरे उसपर लेट गये और मुझे बोले "तू क्यों ऐसे बैठा है अनिल, चढ़ जा मैडम पर, चोद डाल. बल्कि मैं तो कहूंगा कि गांड मार ले उनकी, क्यों मैडम?"
मुझे रोमांच हो आया. मैडम की गांड मारने को मिलेगी क्या! पर लगता था आज वो जन्नत मेरे नसीब में नहीं थी. मैडम बोलीं "नहीं सर, गांड वांड रहने दीजिये आज. यह मेरा शिष्य इतना अच्छा चोदता है कि क्या कहूं. आ जा अनिल, चोद ले मुझे" कहकर वे लेट गयीं.
"ठीक है अनिल, चोद ही ले, और निराश मत हो, कल मार लेना गांड" सर बोले.
"किसकी" मैडम ने हंसते हुए पूछा.
"कल पता चल जायेगा, यहां गांडों की कमी है क्या? पर मजा आयेगा इसे इसकी गारंटी है" कहकर सर ने दीदी के होंठ अपने मुंह में लिये और उसका मुंह चूसते हुए हचक हचक कर चोदने लगे.
मैं मैडम पर चढ़ कर चोदने लगा. अब कमरे में बस ’फ़चा फ़च’ ’फ़चा फ़च’ ’पॉक पॉक पुक पुक’ ऐसी चुदाई की आवाजें आ रही थीं. दीदी ने अपनी टांगें और हाथ सर के बदन के इर्द गिर्द भींच लिये थे और कमर उछाल उछाल कर उनका मुंह चूसते हुए चुदवा रही थी.
मैंने मैडम को बहुत देर चोदा. वे दो बार झड़ीं. मुझे चूमती जातीं और मुझे शाबासी देती जातीं "बहुत अच्छे मेरे बच्चे, .....बहुत प्यारा है तू..... बहुत मस्त चोदता है .... अब जरा और जोर से .... लगा ना कस कस के .... आज खाना नहीं खाया क्या? .... वो सर देख कैसे कचूमर निकाल रहे हैं तेरी बहन का...."
बात सच थी. सर ने दीदी को ऐसा चोदा था कि वो बस अपने सर के मुंह में दबे मुंह से ’अं ऽ अं ऽ अं ऽ’ कर रही थी. शायद अब वो झड़ गयी थी इसलिये छूटने की कोशिश कर रही थी. पर सर उसे छोड नहीं रहे थे. जब सर ने अपना मुंह अलग किया तो दीदी सिसक कर बोली "आह ऽ ... बस सर ... प्लीज़ सर ... अब छोड़िये ना ... कैसा .. तो ... भी होता .... है ... सर .... प्लीज़ सर .."
मैडम मुझे बोलीं "तेरी दीदी झड़ .... गयी है इसलिये अब ..... हालत खराब है उसकी .....पर तेरे सर नहीं मानेंगे .... अब तो उन्हें खास मजा आ रहा होगा ..... आखिर अनचुदी .... कच्ची बुर ....ऐसे ... रोज रोज ... थोड़े मिलती है चोदने को ...."
क्रमशः। ...........................