छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:46

उसने फिर से मेरे नितंबो पर हाथ रख दिया और उन्हे मसल्ते हुवे बोला, तो आज फिर से एक बार बहक जाओ ना.

मैने कहा, बिल्लू प्लीज़ फिर से ये सब सुरू मत करो, मैं तुमसे नफ़रत करती हू.

वो मेरे कदमो में बैठ गया और बोला, मुझे माफ़ कर दो प्लीज़, तुम्हारे जैसी हसीना की नफ़रत मेरे लिए जहर है. मैं तो तेरे प्यार का प्यासा हू.

मैने कहा, ये नाटक मत करो अब, प्लीज़ यहा से चले जाओ.

वो बोला, पहले मुझे माफ़ कर दो और बोलो की तुम्हे मुझ से नफ़रत नही है.

मैने कहा, अब इन बातो का क्या मतलब, जो मेरे साथ होना था हो गया. उस कामीने अशोक ने तो मेरे साथ……………..

वो बोला, अशोक को भूल जा वो अब हमारे बीच नही आएगा.

मैने कहा, पर मैं तुम से कोई रिस्ता नही रखना चाहती.

वो बोला, रिस्ता मत रखो पर एक बार मुझे माफ़ तो कर दो.

मैने कहा, ठीक है माफ़ किया अब जाओ यहा से.

वो बोला, मैं कैसे मान लू कि तूने मुझे माफ़ कर दिया.

मैने पूछा, तो क्या अब स्टंप पेपर पर लीख कर दू ?

वो बोला, नही बस एक बार अपनी चूत के होंटो की किस दे दो.

ये सुन कर मेरे शरीर में बीजली की ल़हेर सी दौड़ गयी.

मैने कहा, तुम जाते हो कि नही.

वो बोला, अछा बस एक बार मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर प्यार से छू ले फिर में चला जाउन्गा.

ये कह कर वो खड़ा हो गया.

मैं अजीब सी बेचनि लिए वाहा खड़ी रही, समझ नही पा रही थी कि उसे क्या काहु अब.

वो अपनी ज़िप खोलने लगा और मैने अपनी आँखे बंद कर ली.

उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसमे अपना लिंग थमा दिया, और बोला लो एक बार इसे प्यार से छू तो लो इसने उस दिन तुझे खूब मज़े दिए थे. इतनी भी बेरहम मत बनो.

मैने उसका लिंग थाम लिया, और आँखे बंद किए चुपचाप खड़ी रही.

मैं सोच रही थी कि अब इशे छूने में हर्ज ही क्या है. वैसे भी जब मैं उशे अपने अंदर महसूस कर चुकी थी तो अब हाथ से महसूस करने में क्या जाएगा.

वो बोला, थॅंकआइयू ऋतु, लगता है तूने सच में मुझे माफ़ कर दिया.

मैने कुछ कहना ठीक नही समझा.

उसका लिंग पठार जैसा कठोर महसूस हो रहा था.

मैने कहा, ठीक है अब जाओ.

वो बोला, आँखे खोल कर ठीक से इशके चारो और छू कर देखो ना.

मैने ना जाने क्यो, आँखे खोल कर उसकी ओर देखा.

वो बड़े प्यार से मेरी ओर देख रहा था.

वो बोला, नीचे देखो ना, तुझे तो ये देखना अछा लगता था.

मैने धीरे से नज़रे झुका ली.

अब मेरी नज़र उसके लिंग पर थी. मैने धीरे से अपना हाथ उसके चारो और घुमाया.

वो बोला, थोडा नीचे जाओ ना, मेरे आँड भी छू कर देखो.

मैने शरमाते हुवे हाथ उसके लिंग से नीचे सरका कर उसके आँड को हाथो में थाम लिया. बिल्लू ने सभी बॉल सॉफ कर रखे थे इश्लीए उसके आँड बहुत मुलायम लग रहे थे.

मैने कहा बस ठीक है ?

उसने कहा जैसा तुम कहो.

मैने कहा, ठीक है अब जाओ फिर.

वो कुछ नही बोला और मेरे आगे बैठ गया और मेरी सलवार के उपर से ही मेरी योनि को चूमने लगा.

मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये.

मैने कहा बिल्लू प्लीज़ रुक जाओ.

पर वो नही माना और बेतहासा मेरी योनि को चूमता रहा.

हालाँकि मेरी योनि और उसके होंटो के बीच हल्की सी कपड़ो की दीवार थी पर उसके होंठ मुझे बिल्कुल मेरी योनि पर महसूस हो रहे थे.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:47

मैने कहा बिल्लू ये सब ठीक नही है, तुम अब जाओ यहा से.

वो बोला, बस थोड़ी देर इस जन्नत में रहने दो फिर तो यू ही नरक में भटकना है. और मेरी योनि को बेतहासा चूमता रहा.

मैं मदहोश होती चली गयी. मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पा रही थी. मुझे अजीब से अहसास हो रहे थे.

वो बोला, तुम अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारा नाडा खोल दूं. तेरी चूत और मेरे होंटो के बीच ये सलवार मज़ा खराब कर रही है.

मैं खामोशी से वाहा खड़ी रही.

ना तो मैं उसे माना करना चाहती थी और ना ही हां करना चाहती थी. बहुत ही अजीब सिचुयेशन थी मेरे लिए.

वो शायद मेरी सिचुयेशन समझ गया और मेरा नाडा खोलने लगा. मेरी साँसे तेज हो गयी.

उसने धीरे से सलवार सरका दी और बोला, अरे वाह ये तो एक दम चिकनी है. एक भी बॉल नही है. सच ये तो तेरी सूरत जैसी ही सुंदर है.

मैं शर्मा गयी और अपनी आँखे बंद कर ली.

क्योंकि मैं नहा कर आई थी इश्लीए जल्दी ललदी में दरवाजा खोलने के चक्कर में पॅंटी पहन-ना भूल गयी थी.

बिल्लू ने अपने होंठ मेरी योनि के होंटो पर टीका दिए और एक बहुत गहरी किस की. मैं बेचन हो उठी और मेरे हाथ अपने आप उसके सर पर चले गये.

वो और ज़्यादा गहराई से मेरी योनि को चूमने लगा.

फिर उसने दोनो हाथो से मेरी योनि को फ़ैयालेया और अपनी जीभ मेरी योनि में घुस्सा दी.

मेरी साँसे और ज़्यादा तेज होती चली गयी.

मैं ओरल सेक्स के बारे में तो जानती थी पर ऐसा नही सुना था कि वाहा जीभ भी डाली जा सकती है.

बिल्लू अपनी जीभ को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा और मैं उसके सर को थामे हुवे चुपचाप वाहा खड़ी रही.

बिल्लू की मुलायम मुलायम जीभ मेरी योनि में अंदर बाहर फिसल रही थी और मुझे सेक्स का भरपूर आनंद आ रहा था.

ये मेरे लिए बिल्कुल ही नया अहसास था.

संजय तो शायद मेरी योनि पर मूह लगाने से कतराते थे और बिल्लू मेरी योनि में जीभ फिरा रहा था.

मैं ना चाहते हुवे भी संजय से बिल्लू को कंपेर कर रही थी.

मेरी साँसे तेज होती चली गयी और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.

मुझे लग रहा था की, मेरी योनि किसी भी वक्त बरसात कर सकती है.

मैने बिल्लू से कहा बिल्लू बस रुक जाओ, मैं बहने वाली हू.

वो बोला, तो बहा दो खुद को मैं तेरी एक एक बूँद पीना चाहता हू. ये कह उसने फिर से मेरी योनि में जीब घुस्सा दी और तेज़ी से उसे अंदर बाहर करने लगा.

मैने उशके सर को ज़ोर से पकड़ लिया, और अचानक मेरी योनि ने पानी की नादिया बहा दी.

मैने बिल्लू से कहा बस अब हट जाओ.

पर वो नही हटा और अपने काम में लगा रहा.

थोड़ी देर बाद वो हट गया और बोला, वाह मज़ा आ गया, तेरी चूत तो तेरी गांद से भी ज़्यादा मस्त है.

वो खड़ा हो गया.

मैने आँख खोल कर देखा तो पाया कि उसके मूह पर मेरी योनि के पानी की बूंदे थी.

उसहने पूछा, ऐसे क्यो देख रही हो.

मैने शर्मा के नज़रे झुका ली.

उसहने मुझे बाहो में उठा लिया और पूछा, तेरा बेडरूम कहा है.

मैने कहा प्लीज़ मुझे उतार दो मैं तुम्हारे साथ बेडरूम में नही जा सकती.

वो बोला, मुझ से अब रुका नही जा रहा, मेरा बहुत मन कर रहा है.

मैने कहा, मुझे डर लग रहा है, कोई आ गया तो मैं कहीं की नही रहूंगी, प्लीज़ अब तुम जाओ.

मैने ये कहा ही था कि डोर बेल बज उठी.

बिल्लू ने मुझे नीचे उतार दिया.

मैने झट से नाडा बाँधा और बिल्लू से कहा तुम टाय्लेट में घुस्स जाओ.

वो टाय्लेट में घुस्स गया और मैं दरवाजा खोलने आ गयी.

सामने पोस्ट मॅन खड़ा था. उसे मेरे साइन चाहिए थे इश्लीए बेल बजाई थी.

साइन ले कर उसहने एक लेटर मुझे दे दिया. लेटर संजय के नाम था.

मैने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गयी.

मैं टाय्लेट के पास आ गयी और धीरे से बिल्लू को आवाज़ लगाई.

वो झट से बाहर आ गया.

वो बोला, कोन था ?

मैने कहा, पोस्ट मॅन था.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:47

वह मेरे करीब आया और मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख दिए.

मैं भी उसके होंटो की छुवन में खो गयी.

कोई 5 मिनूट बाद उसहने मेरे होंटो को छोड़ा और बोला, चल ना तेरे बेडरूम में.

मैने झीज़कते हुवे कहा मुझे यहा डर लग रहा है. कोई फिर से आ गया तो ?

वो बोला, चल फिर मेरे घर चलते है. वाहा कोई नही आएगा.

मैने पूछा, वो अशोक क्या वाहा नही होगा ?

वो बोला, तू उसकी चिंता मत कर, वो अब हमारे बीच नही आएगा. मुझ पर विश्वास कर. वो मेरा घर है वाहा मेरी मर्ज़ी के बिना कोई नही आ सकता.

मैने टाइम देखा तो पाया कि 1:30 बज चुके थे.

मैने बिल्लू को कहा पर अभी मेरे पास वक्त नही है. मुझे खाना भी बनाना है, चिंटू भी स्कूल से आने वाला है.

वो बोला, तो ठीक है तू कल सुबह मेरे साथ मेरे घर चलना. वाहा किसी बात की कोई चिंता नही होगी.

मैं असमंजस में थी कि क्या करू. पर ये सच था कि उस वक्त मई बिल्लू के साथ हर शीमा लाँघ देना चाहती थी.

वो अपनी ज़िप खोलने लगा.

मैने पूछा अरे अब ये क्या कर रहे हो, अब तुम्हे चलना चाहिए.

वो बोला, चला जाउन्गा बस एक बार इसे अपने होंटो में ले लो.

मैने कहा, नही बाकी सब बाद में देखेंगे तुम प्लीज़ अब जाओ.

उसहने पूछा, तुम कल चलॉगी ना मेरे साथ मेरे घर.

मैने कहा, सोचूँगी, तुम अभी जाओ.

बिल्लू ने अपना लिंग अपनी पॅंट में वापस डाल लिया.

पॅंट में भी वो तना हुवा सॉफ दीखाई दे रहा था.

बिल्लू फिर मेरे पास आया और मुझे बाहों में भर लिया और अपने दोनो हाथ मेरे नितंबो पर रख कर मुझे अपनी और खींचने लगा.

वो बोला, एक बात पूचु ?

मैने कहा, हा.

वो बोला, जब मैने उस दिन तेरी गांद मारी थी तो क्या तुझे अछा नही लगा था क्या ?

मैने कहा, मुझे नही पता.

वो बोला, तो क्या उशके बाद फिर कभी तेरी मुझ से गांद मरवाने की इच्छा हुई ?

मैने शरमाते हुवे कहा, ये कैसी बाते कर रहे हो अब जाओ यहा से.

वो बोला, एक बार बता तो सही कि क्या तुझे वो पल याद आया था जब तू मेरे आगे झुकी हुई थी और मैं तेरी गांद मार रहा था.

मेरे लिए ऐसे सवालो के जवाब देना मुस्किल था.

मैने कहा, छोड़ो मुझे अब तुम्हारा जाने का वक्त हो गया. चिंटू भी घर आने वाला है.

वो बोला, एक बात तो बता दो, क्या तुम्हे आज मज़ा आया.

मैने कहा पता नही.

वो बोला, जैसे तुमने मेरा सर पकड़ रखा था ऐसा लग रहा था की तुझे अपनी छूट चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.

मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली.

वो बोला, तो मैं ठीक ही कह रहा हू है ना, ये तो कुछ भी नही था, तू कल देखना, मैं तुझे कैसा मज़ा देता हू.

मैने कहा, ठीक है, अब जाते हो की नही

वो बोला, तू बाहर झाँक कर देख कोई है तो नही.

मैने दरवाजा खोला तो पाया कि दूर दूर तक कोई भी दीखाई नही दे रहा था.

मैने बिल्लू से कहा कोई नही है तुम जाओ.

वो दरवाजे की तरफ बढ़ा और मेरे नितंबो को दबोच कर बोला मैं आज सो नही पाउन्गा, कल जल्दी तैयार हो जाना, मैं ठीक 10:30 बजे तुझे लेने आ जाउन्गा.

वो बाहर चला गया और मैं दरवाजा बंद कर के अंदर आ गयी.

क्रमशः ..............................

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