गतान्क से आगे ......
“हाई राम आप तो सुचमुच बहुत गंदे हैं..इसस्स ..” अच्छी तरह चूत साफ करने के बाद पापा बोले,
“ हाई मेरी जान तुम्हारी चूत रस के सामने तो अमृत भी कुच्छ नहीं. आओ अब तुम्हें कुतिया बना कर चोदेन्गे.” मम्मी बिस्तेर पर कुतिया बन कर लेट गयी. उनकी छाति बिस्तेर पर और चूतर हवा में थे. इस मुद्रा में उनकी मोटी मोटी झंघों के बीच में से बालों भरी चूत सॉफ दिखाई दे रही थी. एक घंटे से चल रही चुदाई के कारण चूत बहुत ही फूली और सूजी हुई लग रही थी. चूत का छेद भी मुँह खोले हुए था. ये पापा के मोटे लॉड का कमाल था.
“ लो राजा मैं तो कुतिया बन गयी लेकिन कुतिया को तो कुत्ता ही चोद्ता है पर अभी तो इस कुतिया के ऊपर सांड चढ़ेगा और अपने घोड़े जैसे लंड से चोदेगा.” पापा मम्मी के चूतरो के पीछे बैठ कर उनके फैले हुए विशाल चूतरो और उनके बीच से झाँकति हुई फूली हुई चूत को निहारने लगे.
“ऐसे क्या देख रहे हैं मेरे राजा ?”
“ सच कविता तुम्हारे जैसे चूतेर तो इस दुनिया में किसी औरत के नहीं हैं. हमे तो इन्होने पागल कर दिया है.”
“सभी औरतों के ऐसे ही तो होते हैं.”
“तुम क्या जानो मेरी जान तुम्हारे चूतेर कितने जान लेवा हैं. सभी औरतों के तो ऐसे नहीं होते, हां अब तुम्हारी बिटिया के ज़रूर ऐसे होते जा रहे हैं.”
“हाई राम ! लगता है आप अपनी बेटी के चूतरो पे फिदा हो गये हैं.”
“अरे नहीं. फिर वही बात कर रही हो. देखो ना तुम्हारे इन चूतरो ने हमारे लॉड का क्या हाल कर रखा है.”
“तो ले लीजिए ना. किसने रोका है. आज हमे भी तो दिखाइए आपको ये कितने अच्छे लगते हैं.” मम्मी अपने विशाल चूतरो को और ज़्यादा उचकाती हुई बोली. अब तो चूतरो के बीच मम्मी की गांद का वो भूरे रंग का छेद भी नज़र आने लगा था. पापा ने मम्मी के विशाल चूतरो को फैला कर उनके बीच अपना मुँह दे दिया और कुत्ते की तरह उनकी चूत चाटने लगे. उनकी नाक मम्मी की गांद के छेद पे टिकी हुई थी. बीच बीच में मम्मी के चूतरो को और ज़्यादा फैला कर उनकी गांद के छेद को भी चाटते. मम्मी के मुँह से अया. ऊवू…..इसस्सस्स. की आवाज़ें आने लगीं. थोरी देर चूत और गांद चाटने के बाद पापा उठे और अपने लंड का सुपरा मम्मी की चूत के खुले हुए मुँह पर रख कर धक्का लगा दिया. चूत बहुत गीली थी और घंटे भर की चुदाई से चौड़ी हो गयी थी इसलिए एक ही धक्के में पूरा 9 इंच का लॉडा मम्मी की चूत में समा गया.
“ आाआईयईईईईईई…….इसस्स्स्स्स्स्सस्स……. ओईईई माआआअ……आआअहह.”
पापा मम्मी की चूचिओ को पकड़ कर अब पूरा लंड अंडर बाहर कर रहे थे. पापा के बारे बारे बॉल्स आगे पीछे होने के कारण पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फ़च फ़च….फ़च….फ़च का संगीत फिर शुरू हो गया था.
“ कविता चुदवाते हुए जितनी आवाज़ तुम करती हो उतनी ही आवाज़ तुम्हारी ये प्यारी चूत भी करती है.”
“ क्या करूँ, सब आपके मूसल का कमाल है. एक दिन तो कंचन ने भी ये आवाज़ें सुन ली थी. मैने उसे बता दिया कि मेरे पेट में दर्द रहता है.”
पापा हस्ते हुए बोले
“ कितनी नादान है हमारी बिटिया. लेकिन तुम्हारी ये चूत जो फ़च फ़च कर रही है इसके बारे में क्या कहा?”
“ हटिए भी, इसकी आवाज़ थोड़ी बाहर जाती है.”
पापा पूरा लंड बाहर निकाल कर जड़ तक पेल रहे थे. मम्मी भी चूतर पीछे की ओर उचका उचका कर चुदवा रही थी. फिर पापा ने पास में पड़ी वॅसलीन की बॉटल खोली, ढेर सारा वॅसलीन अपनी उंगली पे लगाया और मम्मी की गांद के छेद में लगाने लगे.
“आआहह……क्या इरादा है मेरे राजा?” मम्मी गांद उचकाती हुई बोली.“ कविता मेरी जान कयि दिनों से तुम्हारी खूबसूरत गांद नहीं ली. आज मेरा लॉडा तुम्हारी गांद में जाने को उतावला हो रहा है. आज तो अपनी गांद भी देती जाओ.”
“ले लीजिए ना, मैने कब रोका है. आपकी ही चीज़ है. मैं तो आपको इतना तृप्त कर देना चाहती हूँ कि आपको 15 दिन तक मेरी ज़रूरत महसूस ना हो “ अब पापा ने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और ढेर सारा वॅसलीन अपने लंड पर भी लगा लिया. नीलम कंचन की चूत में उंगली डालते हुए बोली,
“ देख कंचन, उस दिन वो लड़का तेरी गांद मारने की बात कर रहा था तो तू नाराज़ हो रही थी, अब देख तेरे पापा का मूसल कैसे तेरी मम्मी की गांद में जाता है. अच्छी तरह देख ले क्योंकि तेरा पति भी इसी तरह तेरी गांद मारेगा.” उधेर पापा ने लंड का सुपरा मम्मी की गांद के छेद पर टीका कर दबाव डालना शुरू कर दिया था. धीरे धीरे लंड का मोटा सुपरा मम्मी की गांद के टाइट छेद को फैला के अंडर सरक गया. पापा ने थोड़ा और दबाव डाला और करीब 1 इंच लंड मम्मी की गांद में घुस गया.
“ आआआहह….ऊऊऊघ…..क्या मोटा लंड है आपका.” पापा ने आधा इंच लंड बाहर खींच कर इस बार एक ज़ोर का धक्का मारा. 6 इंच लंड अंडर जा घुसा
कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
“आआआआआआआआआआअ……………आआआहह……..मार गाइिईईई…….ऊऊओफ़ धीरे प्प्प्प्प्प्लेआसए…… औइ माआआअ फॅट जाएगी.” पापा ने मम्मी के चूतर पकड़ के पूरा लंड बाहर खींच कर एक बार फिर करारा धक्का लगाया . इस बार लंड जड़ तक मम्मी की गांद में समा गया. अब पापा के बॉल्स मम्मी की चूत पर टीके हुए थे. “ ओईईईईईईईईईईईईईईईई……….ऊऊऊऊऊऊओह……आआ आआआाअघ…उूउउम्म्म्मम, कितने बेरहम हैं ! अपनी प्यारी बीवी की गांद फाड़ देना चाहते हैं? लगता है आपका लॉडा और भी बड़ा हो गया है. इतना दर्द पहले कभी नहीं हुआ.”
“ दर्द हो रहा है तो निकाल लूँ?”
“ नहीं मेरे राजा, ये तो मीठा मीठा दर्द है, बहुत दिनों बाद आपने मेरी गांद चोदि है ना. चोदिए ना, जी भर के चोदिए. फाड़ दीजिए अपनी कविता की गांद.” मम्मी चूतर उचकाते हुए बोली. पापा मम्मी की बातें सुन कर जोश में उनकी कमर पकड़ के ज़बरदस्त धक्के मार मार के पूरा लंड मम्मी की गांद में पेलने लगे. थोरी देर धक्के मारने के बाद बोले,
“ कविता अब मैं तुम्हारे तीनों छेद चोदुन्गा.” ये कह कर पापा ने अपना लंड मम्मी की गांद में से निकाल के उनके मुँह में दे दिया. मम्मी ने अच्छी तरह लंड को चॅटा और चूसा. फिर पापा ने मुँह से लंड निकाल के मम्मी की चूत में पेल दिया. अब वो बारी बारी से मम्मी की चूत , गांद और मुँह में लंड पेलने लगे. चूत के रस में सना हुआ लंड मम्मी की गांद में पेलते और फिर मम्मी गांद से निकाले लंड को चॅट कर सॉफ करती. आधा घंटे ये खेल चलता रहा, फिर अचानक पापा बोले,
“ कविता मेरी जान झरने वाला हूँ, बोलो कहाँ निकालु?”
“ गांद में निकाल दीजिए. केयी दिन हो गये गांद में आपका रस निकले हुए.”
पापा ने मम्मी की गांद में अपना मूसल पेल दिया और कमर पकड़ के भयंकर धक्के लगाने लगे. मम्मी के मुँह से ऊवू….ऊऊहह…. आआआः… ओईइ….की आवाज़ें आने लगीं.15-20 धक्के लगाने के बाद पापा ने ढेर सारा वीर्य मम्मी की गांद में निकाल दिया. जब पापा ने लंड बाहर निकाला तो मम्मी की गांद का छेद बहुत चौड़ा हो गया था और उसमें से वीर्य निकल के उनकी चूत की तरफ बहने लगा. मम्मी ने चाट चाट के पापा का लंड सॉफ किया. आज से पहले कंचन को विश्वास ही नहीं होता था कि आदमी का इतना मोटा लंड औरत की गांद के छ्होटे से छेद में भी जा सकता है, पर आज तो उसने अपनी आँखों से देख लिया. मर्द लोग वाकाई में औरत की गंद भी मारते हैं. पापा ने मम्मी को पूरी रात करीब 6 बार हर मुद्रा में चोदा. सुबह तक मम्मी की चूत बुरी तरह सूज गयी थी और पापा का लंड भी मम्मी की चूत का रस पी कर काफ़ी मोटा लग रहा था. उजाला हो गया था. मम्मी पापा थोड़ी देर के लिए सो गये. नीलम कंचन की गीली चूत में उंगली डालती हुई बोली,
“ कंचन, पसंद आया अपने पापा का लॉडा?”
“चुप, क्या बकवास कर रही है.” कंचन बनावटी गुस्सा करते हुए बोली.
“ हाई राम! क्या मोटा लॉडा है. तुझे पसंद आया कि नहीं ये तो मुझे नहीं पता लेकिन हमें तो बहुत पसंद आया. सच तेरी मम्मी बहुत भाग्यशाली है. कितने प्यार से चोदा है तेरी मम्मी को. कितने दीवाने हैं तेरी मम्मी की गांद के. वैसे तो तेरे इन कातिलाना चूतरो पे भी फिदा हैं तेरे पापा. किसी दिन मौका लगा तो कहीं तेरी गांद भी….. ” नीलम, कंचन के चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोली.
“ हट पागल, तेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है.”
“कंचन, तू शर्त लगा ले. तेरे पापा को अब तेरी जवानी तंग करने लगी है. मैं इस बात को प्रूव कर सकती हूँ.”
“ तेरी शर्त मंज़ूर है. प्रूव कर के दिखा. जो माँगेगी दूँगी.”
“ठीक है, एक शर्त तो तू हार ही चुकी है. ये भी हार जाएगी. कल तेरी मम्मी माएके जा रही है. हमारे पास 15 दिन का टाइम है. जैसा मैं कहूँ करना, फिर देखना मेरी बात सच है या नहीं.”
कंचन का दिल में पापा के मुँह से अपने बारे में सुन कर और नीलम की बात सुन कर गुदगुदी होने लगी थी. उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा अपनी बेटी के जवान होते हुए बदन को ऐसी नज़रों से देखते हैं. मन ही मन सोच रही थी कि शायद नीलम की बात सच हो. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा था.
अगले दिन नीलम ने एक प्लान बनाया. वो अपने घर से एक मूवी कॅमरा ले आई. दोनो सहेलियाँ स्कूल से जल्दी घर वापस आ गयी. नीलम , कंचन से बोली,
“तेरे पापा लंच के लिए आते ही होंगे. तू बाहर लॉन में पैर के नीचे उसके तने के साथ पीठ टीका के बैठ जा और अपनी टाँगें मोड़ के सिर अपने घुटनों पे टीका कर सोने का नाटक कर. जब तेरे पापा आएँगे तो उन्हें तेरे चूतरो से ले के पूरी टाँगें नंगी नज़र आएँगी और तेरी पॅंटी के भी खूब अच्छी तरह दर्शन हो जाएँगे. मैं झाड़ी के पीछे से मूवी कॅमरा में उनके पूरे हाव भाव क़ैद कर लूँगी. उसके बाद तू खुद ही देख लेना मेरी बात सही थी या नहीं.”
“ठीक है,जल्दी कर, बस पापा आने ही वाले हैं.” ये कह कर कंचन पेड़ के नीचे टाँगें मोड़ के बैठ गयी. नीलम ने उसकी स्कूल की स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट कर दी कि शर्मा जी को बिना रुकावट के कंचन की पूरी टाँगें नज़र आ जाएँ. उसके बाद नीलम ने कंचन की पॅंटी को भी उसकी चूत पे इस प्रकार अड्जस्ट किया कि पॅंटी के दोनो तरफ से उसकी काली काली झाँटें सॉफ नज़र आ जाएँ और उसकी फूली हुई चूत पॅंटी में और भी ज़्यादा उभरी हुई लगे. फिर उसने हल्के से कंचन की चूत की दोनो फांकों के कटाव में उंगली फेर के उसकी पॅंटी को चूत की दोनो फांकों के बीच में फसा दिया. इतने में शर्मा जी के आने की आवाज़ हुई. नीलम जल्दी से कॅमरा ले कर झाड़ी के पीछे छुप गयी. उधेर शर्मा जी बेटी को ढूड़ने लगे,
“ कंचन ! अरी ओ कंचन ! कहाँ हो? अरे बिटिया चलो खाना खा लें.” शर्मा जी बेटी को ढूँढते हुए लॉन में आ गये. अचानक उनकी नज़र कंचन पे पड़ी और वो एकदम रुक गये. सामने का नज़ारा देख कर उनका दिल धक धक करने लगा. अपनी 18 साल की जवान बेटी की गोरी गोरी मांसल जांघें नंगी देख कर उनका लॉडा हरकत करने लगा. जैसे ही उनकी नज़रें बिटिया की जांघों के बीच में गयी तो उनके होश ही उड़ गये. छ्होटी सी सफेद पॅंटी मुश्किल से बिटिया रानी की चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी. लंबी काली काली झाँटें तो दोनो तरफ से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी. ऊफ़ ! क्या फूली हुई चूत थी बिटिया की… जवान बेटी की कुँवारी चूत की फांकों के बीच फसि हुई पॅंटी ने मानो शर्मा जी पे बिजली गिरा दी. उनका लॉडा अंडरवेर फाड़ के बाहर आने की कोशिश कर रहा था. शर्मा जी बेटी की टाँगों के बीच देख के अपने लॉड को पॅंट के ऊपेर से ही सहलाने लगे. शर्मा जी को जी भर के अपनी नंगी टाँगों और पॅंटी के दर्शन कराने के बाद कंचन ऐसे उठी जैसे नींद से उठी हो,
“ अरे पापू, आप! आप कब आए? हमे तो नींद ही आ गयी आपका इंतज़ार करते करते. चलिए खाना खा लेते हैं.” कंचन जल्दी से अपनी स्कर्ट ठीक करती हुई बोली.
“ हाँ बेटी चलो. हम तो कब से तुम्हें ढूंड रहे हैं.”
“ दर्द हो रहा है तो निकाल लूँ?”
“ नहीं मेरे राजा, ये तो मीठा मीठा दर्द है, बहुत दिनों बाद आपने मेरी गांद चोदि है ना. चोदिए ना, जी भर के चोदिए. फाड़ दीजिए अपनी कविता की गांद.” मम्मी चूतर उचकाते हुए बोली. पापा मम्मी की बातें सुन कर जोश में उनकी कमर पकड़ के ज़बरदस्त धक्के मार मार के पूरा लंड मम्मी की गांद में पेलने लगे. थोरी देर धक्के मारने के बाद बोले,
“ कविता अब मैं तुम्हारे तीनों छेद चोदुन्गा.” ये कह कर पापा ने अपना लंड मम्मी की गांद में से निकाल के उनके मुँह में दे दिया. मम्मी ने अच्छी तरह लंड को चॅटा और चूसा. फिर पापा ने मुँह से लंड निकाल के मम्मी की चूत में पेल दिया. अब वो बारी बारी से मम्मी की चूत , गांद और मुँह में लंड पेलने लगे. चूत के रस में सना हुआ लंड मम्मी की गांद में पेलते और फिर मम्मी गांद से निकाले लंड को चॅट कर सॉफ करती. आधा घंटे ये खेल चलता रहा, फिर अचानक पापा बोले,
“ कविता मेरी जान झरने वाला हूँ, बोलो कहाँ निकालु?”
“ गांद में निकाल दीजिए. केयी दिन हो गये गांद में आपका रस निकले हुए.”
पापा ने मम्मी की गांद में अपना मूसल पेल दिया और कमर पकड़ के भयंकर धक्के लगाने लगे. मम्मी के मुँह से ऊवू….ऊऊहह…. आआआः… ओईइ….की आवाज़ें आने लगीं.15-20 धक्के लगाने के बाद पापा ने ढेर सारा वीर्य मम्मी की गांद में निकाल दिया. जब पापा ने लंड बाहर निकाला तो मम्मी की गांद का छेद बहुत चौड़ा हो गया था और उसमें से वीर्य निकल के उनकी चूत की तरफ बहने लगा. मम्मी ने चाट चाट के पापा का लंड सॉफ किया. आज से पहले कंचन को विश्वास ही नहीं होता था कि आदमी का इतना मोटा लंड औरत की गांद के छ्होटे से छेद में भी जा सकता है, पर आज तो उसने अपनी आँखों से देख लिया. मर्द लोग वाकाई में औरत की गंद भी मारते हैं. पापा ने मम्मी को पूरी रात करीब 6 बार हर मुद्रा में चोदा. सुबह तक मम्मी की चूत बुरी तरह सूज गयी थी और पापा का लंड भी मम्मी की चूत का रस पी कर काफ़ी मोटा लग रहा था. उजाला हो गया था. मम्मी पापा थोड़ी देर के लिए सो गये. नीलम कंचन की गीली चूत में उंगली डालती हुई बोली,
“ कंचन, पसंद आया अपने पापा का लॉडा?”
“चुप, क्या बकवास कर रही है.” कंचन बनावटी गुस्सा करते हुए बोली.
“ हाई राम! क्या मोटा लॉडा है. तुझे पसंद आया कि नहीं ये तो मुझे नहीं पता लेकिन हमें तो बहुत पसंद आया. सच तेरी मम्मी बहुत भाग्यशाली है. कितने प्यार से चोदा है तेरी मम्मी को. कितने दीवाने हैं तेरी मम्मी की गांद के. वैसे तो तेरे इन कातिलाना चूतरो पे भी फिदा हैं तेरे पापा. किसी दिन मौका लगा तो कहीं तेरी गांद भी….. ” नीलम, कंचन के चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोली.
“ हट पागल, तेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है.”
“कंचन, तू शर्त लगा ले. तेरे पापा को अब तेरी जवानी तंग करने लगी है. मैं इस बात को प्रूव कर सकती हूँ.”
“ तेरी शर्त मंज़ूर है. प्रूव कर के दिखा. जो माँगेगी दूँगी.”
“ठीक है, एक शर्त तो तू हार ही चुकी है. ये भी हार जाएगी. कल तेरी मम्मी माएके जा रही है. हमारे पास 15 दिन का टाइम है. जैसा मैं कहूँ करना, फिर देखना मेरी बात सच है या नहीं.”
कंचन का दिल में पापा के मुँह से अपने बारे में सुन कर और नीलम की बात सुन कर गुदगुदी होने लगी थी. उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा अपनी बेटी के जवान होते हुए बदन को ऐसी नज़रों से देखते हैं. मन ही मन सोच रही थी कि शायद नीलम की बात सच हो. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा था.
अगले दिन नीलम ने एक प्लान बनाया. वो अपने घर से एक मूवी कॅमरा ले आई. दोनो सहेलियाँ स्कूल से जल्दी घर वापस आ गयी. नीलम , कंचन से बोली,
“तेरे पापा लंच के लिए आते ही होंगे. तू बाहर लॉन में पैर के नीचे उसके तने के साथ पीठ टीका के बैठ जा और अपनी टाँगें मोड़ के सिर अपने घुटनों पे टीका कर सोने का नाटक कर. जब तेरे पापा आएँगे तो उन्हें तेरे चूतरो से ले के पूरी टाँगें नंगी नज़र आएँगी और तेरी पॅंटी के भी खूब अच्छी तरह दर्शन हो जाएँगे. मैं झाड़ी के पीछे से मूवी कॅमरा में उनके पूरे हाव भाव क़ैद कर लूँगी. उसके बाद तू खुद ही देख लेना मेरी बात सही थी या नहीं.”
“ठीक है,जल्दी कर, बस पापा आने ही वाले हैं.” ये कह कर कंचन पेड़ के नीचे टाँगें मोड़ के बैठ गयी. नीलम ने उसकी स्कूल की स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट कर दी कि शर्मा जी को बिना रुकावट के कंचन की पूरी टाँगें नज़र आ जाएँ. उसके बाद नीलम ने कंचन की पॅंटी को भी उसकी चूत पे इस प्रकार अड्जस्ट किया कि पॅंटी के दोनो तरफ से उसकी काली काली झाँटें सॉफ नज़र आ जाएँ और उसकी फूली हुई चूत पॅंटी में और भी ज़्यादा उभरी हुई लगे. फिर उसने हल्के से कंचन की चूत की दोनो फांकों के कटाव में उंगली फेर के उसकी पॅंटी को चूत की दोनो फांकों के बीच में फसा दिया. इतने में शर्मा जी के आने की आवाज़ हुई. नीलम जल्दी से कॅमरा ले कर झाड़ी के पीछे छुप गयी. उधेर शर्मा जी बेटी को ढूड़ने लगे,
“ कंचन ! अरी ओ कंचन ! कहाँ हो? अरे बिटिया चलो खाना खा लें.” शर्मा जी बेटी को ढूँढते हुए लॉन में आ गये. अचानक उनकी नज़र कंचन पे पड़ी और वो एकदम रुक गये. सामने का नज़ारा देख कर उनका दिल धक धक करने लगा. अपनी 18 साल की जवान बेटी की गोरी गोरी मांसल जांघें नंगी देख कर उनका लॉडा हरकत करने लगा. जैसे ही उनकी नज़रें बिटिया की जांघों के बीच में गयी तो उनके होश ही उड़ गये. छ्होटी सी सफेद पॅंटी मुश्किल से बिटिया रानी की चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी. लंबी काली काली झाँटें तो दोनो तरफ से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी. ऊफ़ ! क्या फूली हुई चूत थी बिटिया की… जवान बेटी की कुँवारी चूत की फांकों के बीच फसि हुई पॅंटी ने मानो शर्मा जी पे बिजली गिरा दी. उनका लॉडा अंडरवेर फाड़ के बाहर आने की कोशिश कर रहा था. शर्मा जी बेटी की टाँगों के बीच देख के अपने लॉड को पॅंट के ऊपेर से ही सहलाने लगे. शर्मा जी को जी भर के अपनी नंगी टाँगों और पॅंटी के दर्शन कराने के बाद कंचन ऐसे उठी जैसे नींद से उठी हो,
“ अरे पापू, आप! आप कब आए? हमे तो नींद ही आ गयी आपका इंतज़ार करते करते. चलिए खाना खा लेते हैं.” कंचन जल्दी से अपनी स्कर्ट ठीक करती हुई बोली.
“ हाँ बेटी चलो. हम तो कब से तुम्हें ढूंड रहे हैं.”
कंचन अपने चूतेर मतकाती हुई आगे चल पड़ी. शर्मा जी का लॉडा इतना तना हुआ था कि उन्हें चलने में भी मुश्किल हो रही थी.
खाना खाने के बाद शर्मा जी ऑफीस चले गये. उनके ऑफीस जाते ही नीलम अपना कॅमरा ले कर आ गयी.
“ ले कंचन, देख ले तूने अपने पापा का क्या हाल कर दिया था.”
कंचन तो बेसब्री से वीडियो देखने का इंतज़ार कर रही थी.
“ जल्दी दिखा ना यार, देखें तेरी बात कितनी सच है.”
“सोलह आने सच है मेरी जान, ले देख.” कंचन ने जो देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ. वीडियो का फोकस कंचन की टाँगों के बीच में था. कंचन पॅंटी में क़ैद अपनी ही चूत देख कर शर्मा गयी. तभी कॅमरा का फोकस शर्मा जी पर गया. पापा, कंचन की गोरी गोरी टाँगों के बीच में झाँक रहे थे. उनका चेहरा लाल हो गया था और वो बार बार अपने होंठ चाट रहे थे. इतने में कॅमरा शर्मा जी की पॅंट के उभार पे गया. पापा की पॅंट का उभार देख कर कंचन शर्म से लाल हो गयी. उसने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा उसकी चूत देख कर उत्तेजित हो जाएँगे. पापा पॅंट के ऊपर से ही अपना लॉडा सहला रहे थे. नीलम बोली,
“अब तो यकीन हो गया ?”
“ सच नीलम मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता. किसी बाप का लंड अपनी ही बेटी के लिए कैसे खड़ा हो सकता है?”
“ तू उनकी बेटी ज़रूर है पर औरत भी तो है. दुनिया में ऐसा कौन मरद है जिसका लंड औरत की चूत देख के खड़ा ना हो जाए. बेटी हुई तो क्या हुआ. चूत तो चूत ही होती है. हां अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं होता तो मेरे दिमाग़ में एक और प्लान है.” उसके बाद नीलम ने कंचन को अपना प्लान बताया. प्लान सुन कर कंचन का दिल धक धक करने लगा लेकिन उसे प्लान बहुत पसंद आया.उधेर शर्मा जी की तो नींद हराम हो गयी थी. सारी रात उनकी आँखों के सामने बेटी की कुँवारी चूत की फांकों में फँसी हुई पॅंटी का नज़ारा घूमता रहा. ज़िंदगी में पहली बार शर्मा जी ने किसी की चूत की फांकों में इस तरह पॅंटी फँसी हुई देखी. ओर वो भी 18 साल की जवान लड़की की. आज महीनों बाद उन्हें बेटी की पॅंटी के दर्शन हुए थे. और जब हुए तो ऐसे हुए कि उनकी नींद हराम हो गयी. ऊफ़! क्या जानलेवा नज़ारा था. रात में बेटी की चूत याद करके शर्मा जी ने तीन बार मूठ मारी.
अगले दिन प्लान के मुताबिक कंचन ने स्कूल से वापस आ के वो स्कर्ट पहन ली जो वो 9थ में पहना करती थी और अब तो उसके घुटनों से 10 इंच ऊपर रहती थी. उसके बाद दोनो ने सीधी लगा कर बॅस्केटबॉल पोले पे लगी बास्केट को लटका कर दिया और सीधी झाड़ियो में डाल दी. इतने में शर्मा जी के आने की आहट हुई. दोनो सहेलियाँ बॅस्केटबॉल पोले पे लटकी बास्केट को देखने लगी. शर्मा जी ने आते ही पूचछा,
“ अरे हमारी बिटिया यहाँ क्या कर रही है?”
“ पाप्पू आप आ गये. हम आपका ही इंतज़ार कर रहे थे. ज़रा ये बास्केट ठीक कर दीजिए ना….”
शर्मा जी का तो हाथ वहाँ तक पहुँच नहीं सकता था,
“ बेटी सीधी कहाँ है ?”
“जी पापू वो तो मिल नहीं रही है. मिल जाती तो हम ही ठीक कर देते.”
“बिना सीधी के कैसे काम चलेगा बेटे?”
“ पाप्पो आप ऐसे करो. आप नीचे बैठ जाओ. नीलम आपके कंधों पर बैठ कर बास्केट को ठीक कर देगी.”
“ठीक है. आओ बेटी नीलम. हमारे कंधों पे बैठ जाओ.”
“जी अंकल.” शर्मा जी नीचे बैठे और नीलम उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें कर के बैठ गयी. बैठने से पहले उसने अपनी स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट की कि अब उसकी पॅंटी में कसी हुई चूत डाइरेक्ट शर्मा जी की गार्डेन पे रगड़ने लगी. अब शर्मा जी खड़े हो गये. नीलम बास्केट तक पहुँचने का नाटक करने लगी. शर्मा जी को बेटी की जवान सहेली नीलम की चूत की गर्मी अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी. नीलम भी खूब हिल हिल के अपनी चूत शर्मा जी की गर्देन पे रगड़ रही थी. थोड़ी देर ये नाटक करने के बाद नीलम बोली,
“अंकल मेरा हाथ तो अब भी नहीं पहुँच रहा. कंचन लंबी है, उसका हाथ पहुँच जाएगा.” ये सुन कर शर्मा जी के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तो बेटी की चूत उनकी गर्देन पे महसूस होगी. वो बोले,
“ ठीक है कंचन बेटी तुम ट्राइ करो.”
“एक मिनिट पापू मैं अभी आई, मुझे ज़ोर का बाथरूम लगा है.”
क्रमशः.........
खाना खाने के बाद शर्मा जी ऑफीस चले गये. उनके ऑफीस जाते ही नीलम अपना कॅमरा ले कर आ गयी.
“ ले कंचन, देख ले तूने अपने पापा का क्या हाल कर दिया था.”
कंचन तो बेसब्री से वीडियो देखने का इंतज़ार कर रही थी.
“ जल्दी दिखा ना यार, देखें तेरी बात कितनी सच है.”
“सोलह आने सच है मेरी जान, ले देख.” कंचन ने जो देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ. वीडियो का फोकस कंचन की टाँगों के बीच में था. कंचन पॅंटी में क़ैद अपनी ही चूत देख कर शर्मा गयी. तभी कॅमरा का फोकस शर्मा जी पर गया. पापा, कंचन की गोरी गोरी टाँगों के बीच में झाँक रहे थे. उनका चेहरा लाल हो गया था और वो बार बार अपने होंठ चाट रहे थे. इतने में कॅमरा शर्मा जी की पॅंट के उभार पे गया. पापा की पॅंट का उभार देख कर कंचन शर्म से लाल हो गयी. उसने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा उसकी चूत देख कर उत्तेजित हो जाएँगे. पापा पॅंट के ऊपर से ही अपना लॉडा सहला रहे थे. नीलम बोली,
“अब तो यकीन हो गया ?”
“ सच नीलम मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता. किसी बाप का लंड अपनी ही बेटी के लिए कैसे खड़ा हो सकता है?”
“ तू उनकी बेटी ज़रूर है पर औरत भी तो है. दुनिया में ऐसा कौन मरद है जिसका लंड औरत की चूत देख के खड़ा ना हो जाए. बेटी हुई तो क्या हुआ. चूत तो चूत ही होती है. हां अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं होता तो मेरे दिमाग़ में एक और प्लान है.” उसके बाद नीलम ने कंचन को अपना प्लान बताया. प्लान सुन कर कंचन का दिल धक धक करने लगा लेकिन उसे प्लान बहुत पसंद आया.उधेर शर्मा जी की तो नींद हराम हो गयी थी. सारी रात उनकी आँखों के सामने बेटी की कुँवारी चूत की फांकों में फँसी हुई पॅंटी का नज़ारा घूमता रहा. ज़िंदगी में पहली बार शर्मा जी ने किसी की चूत की फांकों में इस तरह पॅंटी फँसी हुई देखी. ओर वो भी 18 साल की जवान लड़की की. आज महीनों बाद उन्हें बेटी की पॅंटी के दर्शन हुए थे. और जब हुए तो ऐसे हुए कि उनकी नींद हराम हो गयी. ऊफ़! क्या जानलेवा नज़ारा था. रात में बेटी की चूत याद करके शर्मा जी ने तीन बार मूठ मारी.
अगले दिन प्लान के मुताबिक कंचन ने स्कूल से वापस आ के वो स्कर्ट पहन ली जो वो 9थ में पहना करती थी और अब तो उसके घुटनों से 10 इंच ऊपर रहती थी. उसके बाद दोनो ने सीधी लगा कर बॅस्केटबॉल पोले पे लगी बास्केट को लटका कर दिया और सीधी झाड़ियो में डाल दी. इतने में शर्मा जी के आने की आहट हुई. दोनो सहेलियाँ बॅस्केटबॉल पोले पे लटकी बास्केट को देखने लगी. शर्मा जी ने आते ही पूचछा,
“ अरे हमारी बिटिया यहाँ क्या कर रही है?”
“ पाप्पू आप आ गये. हम आपका ही इंतज़ार कर रहे थे. ज़रा ये बास्केट ठीक कर दीजिए ना….”
शर्मा जी का तो हाथ वहाँ तक पहुँच नहीं सकता था,
“ बेटी सीधी कहाँ है ?”
“जी पापू वो तो मिल नहीं रही है. मिल जाती तो हम ही ठीक कर देते.”
“बिना सीधी के कैसे काम चलेगा बेटे?”
“ पाप्पो आप ऐसे करो. आप नीचे बैठ जाओ. नीलम आपके कंधों पर बैठ कर बास्केट को ठीक कर देगी.”
“ठीक है. आओ बेटी नीलम. हमारे कंधों पे बैठ जाओ.”
“जी अंकल.” शर्मा जी नीचे बैठे और नीलम उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें कर के बैठ गयी. बैठने से पहले उसने अपनी स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट की कि अब उसकी पॅंटी में कसी हुई चूत डाइरेक्ट शर्मा जी की गार्डेन पे रगड़ने लगी. अब शर्मा जी खड़े हो गये. नीलम बास्केट तक पहुँचने का नाटक करने लगी. शर्मा जी को बेटी की जवान सहेली नीलम की चूत की गर्मी अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी. नीलम भी खूब हिल हिल के अपनी चूत शर्मा जी की गर्देन पे रगड़ रही थी. थोड़ी देर ये नाटक करने के बाद नीलम बोली,
“अंकल मेरा हाथ तो अब भी नहीं पहुँच रहा. कंचन लंबी है, उसका हाथ पहुँच जाएगा.” ये सुन कर शर्मा जी के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तो बेटी की चूत उनकी गर्देन पे महसूस होगी. वो बोले,
“ ठीक है कंचन बेटी तुम ट्राइ करो.”
“एक मिनिट पापू मैं अभी आई, मुझे ज़ोर का बाथरूम लगा है.”
क्रमशः.........