Wo koun thi ??? वो कौन थी ??? compleet

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rajaarkey
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Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:06

गतान्क से आगे...................

गीली चूत मे लंड का सूपड़ा सटा हुआ था और एक धक्का लगाया तो लंड का सूपड़ा थोड़ा सा अंदर घुस गया. चूत बोहोत ही टाइट लग रही थी. वो मुझ से ज़ोर से लिपटी हुई थी और टाँगें मेरी कमर से लपेटी हुई थी जिस से उसकी चूत खुल गई थी. बाहर से आती हुई ठंडी हवा के झोके से सारा दिन काम कर के थके हुए पॅसेंजर्स और ज़ियादा गहरी नींद सो रहे थे सिर्फ़ एक लंड और एक चूत जाग रहे थे. ट्रेन की खिड़की जिसपे उसकी गंद टिकी हुई थी ऐसे फर्स्ट क्लास हाइट पे थी और ऐसी मस्त पोज़िशन पे थी के लंड और चूत दोनो एक ही लेवेल पे थे. लंड के सूपदे को चूत के सुराख मे रखे रखे मैं उसके खुले ब्लाउस से उसकी चुचियाँ चूसने लगा जो मेरे मूह के सामने थी.

उसने एक हाथ से मेरा सर पकड़ के अपनी चुचिओ मे घुसाया हुआ था और दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ के गीली और गरम चूत के छोटे से सुराख मे घिस रही थी. दोनो मज़े से पागल हो रहे थे. ट्रेन के कंटिन्यू हिलने से लंड ऑटोमॅटिकली उसकी गीली चूत मे आगे पीछे हो रहा था मगर मैं ने फिर भी थोड़ा सा सूपड़ा बाहर निकाल के अंदर घुसा दिया तो पूरे का पूरा सूपड़ा ट्रेन के धक्के से चूत के सुराख मे घुस गया और वो मुझ से लिपट गई. ऐसे ही धीरे धीरे हल्के हल्के धक्को से लंड को ऑलमोस्ट आधा उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया. उसकी चूत बोहोत ही टाइट लग रही थी ऐसे लगता था जैसे किसीने मेरे लंड को ज़ोर से कस के टाइट पकड़ लिया हो. लंड जैसे जैसे अंदर घुस रहा था उसकी ग्रिप टाइट हो रही थी.

लंड को अब एक मिनिट के लिए उसकी चूत के अंदर ही छोड़ के उसके चुचिओ को मसल्ने और चूसने लगा आअहह क्या मज़ा आ रहा था वंडरफुल चुचियाँ थी उसकी छोटी छोटी जो के मेरे मूह मे पूरी समा गई थी. चुचिओ को चूसना शुरू किया तो वो और मस्ती मे आ गई और चूस्ते चूस्ते लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा. लगता था के उसका जूस निकल गया इसी लिए उसकी चूत मे मेरा आधा लंड ईज़िली अंदर बाहर हो रहा था. चूत का जूस लंड पे लगने से लंड चिकना और स्लिपरी हो गया था तो मैं ने अपना लंड पूरे का पूरा बाहर निकाल के एक ज़ोर का झटका मारा तो उसके मूह से एक ज़ोर दार चीख निकल गैइ आआआआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईई

ईईईईईई ऊऊऊऊऊऊफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआआहह

सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आआआआआआआअहह और मुझ से बोहोत ही ज़ोर से लिपट गई. उसकी चीख ट्रेन की सीटी की आवाज़ मे डब गई और किसी ने कुछ नही सुना और कोई नींद से उठा भी नही कियॉंके एंजिन के सीटी की आवाज़ से वो सब वाकिफ़ थे और नींद मे सिटी सुनने के आदि हो चुके थे.

लंड को चूत की गहराईओं तक घुसेड के मे थोड़ी देर के लिए रुक गया ता के उसकी चूत मेरे मोटे लोहे जैसे लंड के साइज़ को अड्जस्ट कर ले. उसने मुझे ज़ोर से पकड़ा हुआ था ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उउउउउह्ह्ह्ह्ह ईईएहह और आआआहह जैसी आवाज़े निकाल रही थी. फिर तकरीबन 2 – 3 मिनिट मे उसकी साँसें ठीक हुई तो मैने धक्के मार मार के उसको चोदना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे आधा लंड गीली और टाइट चूत से निकाल निकाल के चोदने लगा वो मुझ से लिपटी रही आअहह बोहोत मज़ा था मज़दूर की टाइट चूत मे.

अब मैं अपनी गंद पीछे कर के लंड को पूरा हेड तक बाहर निकाल निकाल के चूत मे घुसेड के चोद रहा था. लंड उसकी चूत मे बोहोत अंदर तक घुस रहा था. मुझे महसूस हो रहा था के मेरे जीन्स की चैन उसकी चूत को टच कर रही है तो उसको और ज़ियादा मज़ा आ रहा था और उसके मूह से आआआहह ऊऊऊऊहह ईईएईईईईईई और ऊऊओह जैसे सिसकारियाँ निकल रही थी जो सिर्फ़ मेरे कानो मे सुनाई दे रही थी.

उसकी दबी दबी सिसकारियों से मुझे और मज़ा आ रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से लंड को पूरा सूपदे तक निकाल निकाल के चोद रहा था क्क्हाकच्छाककक कक्खहाआककचाककक कि फुक्सिंग म्यूज़िक सिर्फ़ हम दोनो ही सुन रहे थे. मेरा लंड तो ऐसी टाइट चूत मे घुस के पागल ही हो गया था और मैं फुल फोर्स से चोद रहा था लंड को पूरा बाहर तक निकाल निकाल के चुदाई कर रहा था उसकी

टाइट चूत की लगता था कि मेरा मोटा लोहे जैसा तगड़ा लंड उसकी चूत को फाड़ ही डालेगा.

rajaarkey
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Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:07

ट्रेन के हिलने झूलने से और मेरे झटको से और उसके बूब्स डॅन्स कर रहे थे. मैं फिर से उनको पकड़ के मसल्ने लगा और चूसने लगा. चुदाई फुल स्पीड और फुल पवर से चल रही थी उसकी चूत के अंदर जब लंड की मार लगती तो वो मेरे बदन से लिपट जाती थी लंड जॅक हॅमर की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और अब मेरे बॉल्स मे भी हल चल मची हुई थी मेरे झटके और तेज़ हो गये. वो तो मुझ से लिपटी हुई थी मैं ने हाथ बढ़ा के डोर की खिड़की से आइरन रोड को पकड़ा हुआ था और उसकी ग्रिप से चूत फाड़ झटके मार रहा था जिस से वो बोहोत मज़े ले रही थी. मुझे लगा के मेरे बॉल्स मैं मेरी क्रीम उबलने लगी है और देखते देखते लंड की गरम गरम मलाई बॉल्स मे से ट्रॅवेल करती हुई लंड के सुराख मे से उसकी गीली चूत मे पिचकी मारने लगी और निकलती ही चली गई और कोई 7 – 8 पिचकारियाँ निकली और उसकी चूत फुल हो गई और ओवरफ्लो होने लगी. मेरी पिचकारी निकलते ही वो मुझ से ज़ोर से लिपट गई उसका बदन काँप रहा था और इसी के साथ ही उसकी चूत भी झड़ने लगी.

दोनो पूरी तरह से झाड़ जाने के बाद भी वो मुझ से लिपटी ही रही और फिर थोड़ी ही देर मे उसकी ग्रिप लूस होने लगी और उसकी गंद डोर की खिड़की से नीचे स्लिप हो के वो फिर से फ्लोर पे बैठ गई. मैं गहरी गहरी साँसे लेता हुआ लोहे के रोड को पकड़ के खड़ा अपनी तेज़ी से चलती साँसों को काबू कर रहा था. 10 मिनिट मे ही ट्रेन एक और छोटे से स्टेशन पे एक या दो मिनिट के लिए रुकी और फिर से चल पड़ी. यह स्टेशन भी पहले वाले स्टेशन की तरह से अंधेरा ही था.

जैसे ही ट्रेन फिर से चल पड़ी वो जो नीचे बैठ चुकी थी उसके अंदर कुछ मूव्मेंट्स हुई और वो अपने पैर मोड़ के ऐसे बैठी के मेरा जीन्स मे से लटकता हुआ लंड उसके मूह के सामने था और उसने लपक के मेरे लटकते हुए लंड को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. आहह क्या गरम गरम मूह था उसका बिकुल चूत के जैसा गरम और गीला. दोनो की मिक्स मलाई मेरे लंड पे ठंडी हवा लगने से ड्राइ हो गई थी जो उसके मूह मे लेने से फिर से वेट होने लगी और उसने दोनो के मिक्स मलाई का मज़ा लेना शुरू कर दिया और मेरा लंड एक बार फिर उसके मूह मे ही अकड़ने लगा. देखते देखते ही वो फिर से लंबा, मोटा और लोहे जैसा सख़्त हो गया और अब मैं उसके चूत जैसे गरम मूह की चुदाई कर रहा था वो मस्ती से मेरे मोटे लंड को लॉली पोप की तरह चूस

रही थी. अपना मूह आगे पीछे कर कर के चूस रही थी तो मैं भी गंद आगे पीछे कर के उसके मूह की चुदाई कर रहा था. मेरा लंड उसके थ्रोट तक घुस रहा था. मेरे लिए यह एक अनोखा मज़ा था मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था के मैं उसके मूह को चोद रहा हू या वो मेरे लंड को चूस रही है एक वंडरफुल फीलिंग महसूस हो रही थी. वो ट्रेन के दीवार से टेका लगा के बैठी थी जिस से उसके मूह को चोदने का मज़ा कुछ और ही आ रहा था. और फिर सडन्ली मुझे अपने बॉल्स मे हलचल होने लगी और मुझे लगा के अब मेरी मलाई फिर से निकल ने को रेडी है तो एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरे लंड का सूपड़ा उसके थ्रोट मे घुस गया और उसके मूह से आअगग्घह आागगघह ऊवगग्गघह की आवाज़ें निकल ने लगी इस से पहले के वो मेरा लंड अपने मूह से बाहर निकलती मेरी मलाई की पिचकारी निकल के उसके थ्रोट मे डाइरेक्ट गिरने लगी. उफ्फ इतनी मलाई निकली कि आइ आम शुवर के उसका पेट भर गया होगा मेरी मलाई से और उसको घर जा के खाने की ज़रूरत नही पड़ी होगी. मैं हैरान था के आख़िर यह है कौन और यह मेरे साथ इसने क्या कर डाला. ऐसे ही चुदाई का मज़ा ले लिया और लंड को चूस के खल्लास कर दिया.

उसको शाएद पता था के अब उसका स्टेशन आने वाला है वो मेरे सामने से उठ कर दूसरी तरफ चली गई अंधेरे मे मुझे पता भी नही चला के वो किधर गई और कब स्टेशन आया और वो दूसरे मज़दूरों के साथ बाहर निकल के चली गई.

तकरीबन 20 या 25 मिनिट के बाद ही ट्रेन गुंटकाल जंक्षन पोहोच गई और मैं उतर के दूसरी ट्रेन मे बैठ के अपने शहेर की ओर चला गया. आज भी सोचता हू तो वो उसकी मस्त चुचियाँ का टेस्ट अपने मूह मे महसूस करता हू और उसकी टाइट चूत की ग्रिप मेरे लंड पे महसूस होती है और उसके मूह की गर्मी मैं अभी भी लंड पे महसूस करता हू और हमेशा यह सोचता रहता हू के आख़िर वो कौन थी ????

rajaarkey
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Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:07

दोस्तो ये तो थी पहली अजनबी की चुदाई मेरे साथ फिर दूसरा हादसा हुआ उसे भी आप सुनो

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